रेषक – पल्लव राज
हाय दोस्तों, अब मैं भी अन्तर्वासना में अपनी कहानी लिखने लगा हूँ, पर बिल्कुल सच्ची। दोस्तों, ये भी मेरी सच्ची कहानी है। वैसे साला एक बार जिसे बुर का चस्का लग गया, तो साला लण्ड बिना चोदे रह ही नहीं सकता। मुझे भी बुर-चुदाई की लत अपनी एक गर्लफ्रेण्ड की चुदाई के कारण लग गई। पर शादी-शुदा की चुदाई करने का मज़ा कुछ अलग ही होता है, और ख़ास कर भाभी की चुदाई का मज़ा तो बस पूछिये ही मत।
मेरी भी एक दूर की भाभी है, उनका नाम किरण है, उम्र ३० साल है। वो विधवा है और ३ बच्चों की माँ है। उसके पति यानि मेरे भाई की मृत्यु हो चुकी है। पर साली किरण भाभी पर उसके मरने का असर १-२ साल ही रहा। उसने मेरी तरफ नज़रें कीं। रोज़ मुलाक़ात हो जाती थी क्योंकि हमारा घर अगल बगल में ही है। मुझे भी चोदने का मन कर रहा था। और मैंने उसके इशारे समझ लिए थे, और सोचा कि साली भाभी है तो क्या हुआ, उम्र मेरे से थोड़ी अधिक है। उसका अपना लण्ड चुसवा कर चुदाई ज़रूर करूँगा।
एक रात उसने पेट में दर्द के कारण मुझे बुलाया। मैं दवा लेकर गया। उसके कहने पर मैं बैठ गया। धीरे-धीरे उसे सहलाने लगा। उसका दर्द कम हो गया था, और वो गरम हो रही थी। मैं भी धीरे से अपना हाथ आगे बढ़ा रहा था पर उसने कुछ नहीं कहा। मैंने जान लिया कि साली गरम हो रही है और अपने बुर में मेरा लण्ड पेलवाना चाहती है। मैंने झट से अपना लण्ड निकाल लिया और उसके ऊपर चढ़ गया। अपना लण्ड उसके मुँह में डालने लगा। पर वह इसे अपने मुँह में नहीं लेना चाहती थी। पर मैंने कहा कि साली रण्डी पहले इशारा करती थी, अब नखरे करती है। ज्यादा नखरे किये तो लण्ड केवल मुँह में ही नहीं, बुर और गाँड में भी पेल दूँगा। इतना कहकर ज़बर्दस्ती अपने खड़े लण्ड को उसने मुँह में पेल कर चोदने लगा। उसके मुँह से गूँ-गूँ की आवाज़े आ रहीं थीं। कुछ देर में ही मेरे लण्ड ने अपना माल उसके मुँह में छोड़ दिया।
मैंने कहा “साली राँड, छिनाल, हरामज़ादी, कमीनी, लण्ड को चूसकर इसे फिर से खड़ा कर, अगर बाहर निकाला तो ऐसी गाँड़ मारूँगा कि बाप-बाप करने लगोगी।”
मैंने पाया कि मेरी गालियाँ उसे अच्छी लग रहीं थीं, क्योंकि मेरी बातों का वह बुरा नहीं मान रही थी। मेरा लण्ड फिर खड़ा हो गया। मैंने उसे फिर ज़बर्दस्ती कुतिया बनाया और जानवर की तरह एक ही धक्के में पूरा लण्ड उसकी चूत में पेल दिया। वह ओहह्हह्हह्ह्हहह ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हहह ओह्ह्ह्ह्हह करने लगी, छोड़ दो… छोड़ दो… कहकर गिड़गिड़ाने लगी।
मैंने कहा कि साली छिनाल भाभी, अभी रो रही है, भोसड़ी की , तेरी चूत से तीन को निकाल कर पहले ही फड़वा चुकी हो, अब इसमें क्या दर्द होता होगा। साली इतना चोदूँगा कि पहली चुदाई याद आ जाएगी। इतना कह करक मैं ज़ोर-ज़ोर से धक्के लगाने लगा। वह कह रही थी, मेरे मालिक धीरे करो। ओह… ओहहहहहह्हहह्ह्ह… उउउउम्म्म्म्महहह्ह्ह्हह… की आवाज़ें निकाल रही थी। मैंने कहा कि चुप साली हरामज़ादी, ज्यादा नखरे किये तो बुरा को चोद-चोद कर खून निकाल दूँगा।
वह समझ गई कि मैं रूकने वाला नहीं हूँ तो वह भी साथ देने लगी और अपनी चूतड़ आगे-पीछे करने लगी। मैंने महसूस किया कि उसके बुर से पानी टपक रहा था। मैंने १५ मिनटों तक उसकी चुदाई की। इसी दौरान वह २ बार झड़ी। अन्त में मैंने भी जब महसूस किया कि मेरी भी निकलने वाला है तो मैंने अपना लण्ड बाहर निकालना चाह, तो उसने मुझे रोक दिया और कहा कि “देवर जी, तुमने तो मेरा बलात्कार कर ही दिया, पर अन्तिम काम कृपा करके मेरे मन से कर दो। मेरी चूत बहुत दिनों से प्यासी थी। इसे अपने लौड़े से निकलने वाले रस से भर दीजिए। और जब जब भी चोदने का मन करे, मुझे चोदते रहिए।”
मैंने भी अपना वीर्य उसकी चूत के अन्दर ही छोड़ दिया।
वह बोली “प्यारे राजा, अब मैं आपकी भाभी नहीं, सिर्फ किरण हूँ। जब जी चाहे…”
“मैं तुम्हें कल एक रेज़र दूँगा… तुम अपने चूत का जंगल साफ कर लेना,” मैंने उसकी बात काटकर कहा। “मुझे चिकनी चूत अच्छी लगती है।”
तो दोस्तों, भाभियों, कैसी लगी मेरी कहानी। कृपया मुझे मेल करें, ताकि उत्साहित होकर मैं पुनः कहानी लिख सकूँ
हाय दोस्तों, अब मैं भी अन्तर्वासना में अपनी कहानी लिखने लगा हूँ, पर बिल्कुल सच्ची। दोस्तों, ये भी मेरी सच्ची कहानी है। वैसे साला एक बार जिसे बुर का चस्का लग गया, तो साला लण्ड बिना चोदे रह ही नहीं सकता। मुझे भी बुर-चुदाई की लत अपनी एक गर्लफ्रेण्ड की चुदाई के कारण लग गई। पर शादी-शुदा की चुदाई करने का मज़ा कुछ अलग ही होता है, और ख़ास कर भाभी की चुदाई का मज़ा तो बस पूछिये ही मत।
मेरी भी एक दूर की भाभी है, उनका नाम किरण है, उम्र ३० साल है। वो विधवा है और ३ बच्चों की माँ है। उसके पति यानि मेरे भाई की मृत्यु हो चुकी है। पर साली किरण भाभी पर उसके मरने का असर १-२ साल ही रहा। उसने मेरी तरफ नज़रें कीं। रोज़ मुलाक़ात हो जाती थी क्योंकि हमारा घर अगल बगल में ही है। मुझे भी चोदने का मन कर रहा था। और मैंने उसके इशारे समझ लिए थे, और सोचा कि साली भाभी है तो क्या हुआ, उम्र मेरे से थोड़ी अधिक है। उसका अपना लण्ड चुसवा कर चुदाई ज़रूर करूँगा।
एक रात उसने पेट में दर्द के कारण मुझे बुलाया। मैं दवा लेकर गया। उसके कहने पर मैं बैठ गया। धीरे-धीरे उसे सहलाने लगा। उसका दर्द कम हो गया था, और वो गरम हो रही थी। मैं भी धीरे से अपना हाथ आगे बढ़ा रहा था पर उसने कुछ नहीं कहा। मैंने जान लिया कि साली गरम हो रही है और अपने बुर में मेरा लण्ड पेलवाना चाहती है। मैंने झट से अपना लण्ड निकाल लिया और उसके ऊपर चढ़ गया। अपना लण्ड उसके मुँह में डालने लगा। पर वह इसे अपने मुँह में नहीं लेना चाहती थी। पर मैंने कहा कि साली रण्डी पहले इशारा करती थी, अब नखरे करती है। ज्यादा नखरे किये तो लण्ड केवल मुँह में ही नहीं, बुर और गाँड में भी पेल दूँगा। इतना कहकर ज़बर्दस्ती अपने खड़े लण्ड को उसने मुँह में पेल कर चोदने लगा। उसके मुँह से गूँ-गूँ की आवाज़े आ रहीं थीं। कुछ देर में ही मेरे लण्ड ने अपना माल उसके मुँह में छोड़ दिया।
मैंने कहा “साली राँड, छिनाल, हरामज़ादी, कमीनी, लण्ड को चूसकर इसे फिर से खड़ा कर, अगर बाहर निकाला तो ऐसी गाँड़ मारूँगा कि बाप-बाप करने लगोगी।”
मैंने पाया कि मेरी गालियाँ उसे अच्छी लग रहीं थीं, क्योंकि मेरी बातों का वह बुरा नहीं मान रही थी। मेरा लण्ड फिर खड़ा हो गया। मैंने उसे फिर ज़बर्दस्ती कुतिया बनाया और जानवर की तरह एक ही धक्के में पूरा लण्ड उसकी चूत में पेल दिया। वह ओहह्हह्हह्ह्हहह ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हहह ओह्ह्ह्ह्हह करने लगी, छोड़ दो… छोड़ दो… कहकर गिड़गिड़ाने लगी।
मैंने कहा कि साली छिनाल भाभी, अभी रो रही है, भोसड़ी की , तेरी चूत से तीन को निकाल कर पहले ही फड़वा चुकी हो, अब इसमें क्या दर्द होता होगा। साली इतना चोदूँगा कि पहली चुदाई याद आ जाएगी। इतना कह करक मैं ज़ोर-ज़ोर से धक्के लगाने लगा। वह कह रही थी, मेरे मालिक धीरे करो। ओह… ओहहहहहह्हहह्ह्ह… उउउउम्म्म्म्महहह्ह्ह्हह… की आवाज़ें निकाल रही थी। मैंने कहा कि चुप साली हरामज़ादी, ज्यादा नखरे किये तो बुरा को चोद-चोद कर खून निकाल दूँगा।
वह समझ गई कि मैं रूकने वाला नहीं हूँ तो वह भी साथ देने लगी और अपनी चूतड़ आगे-पीछे करने लगी। मैंने महसूस किया कि उसके बुर से पानी टपक रहा था। मैंने १५ मिनटों तक उसकी चुदाई की। इसी दौरान वह २ बार झड़ी। अन्त में मैंने भी जब महसूस किया कि मेरी भी निकलने वाला है तो मैंने अपना लण्ड बाहर निकालना चाह, तो उसने मुझे रोक दिया और कहा कि “देवर जी, तुमने तो मेरा बलात्कार कर ही दिया, पर अन्तिम काम कृपा करके मेरे मन से कर दो। मेरी चूत बहुत दिनों से प्यासी थी। इसे अपने लौड़े से निकलने वाले रस से भर दीजिए। और जब जब भी चोदने का मन करे, मुझे चोदते रहिए।”
मैंने भी अपना वीर्य उसकी चूत के अन्दर ही छोड़ दिया।
वह बोली “प्यारे राजा, अब मैं आपकी भाभी नहीं, सिर्फ किरण हूँ। जब जी चाहे…”
“मैं तुम्हें कल एक रेज़र दूँगा… तुम अपने चूत का जंगल साफ कर लेना,” मैंने उसकी बात काटकर कहा। “मुझे चिकनी चूत अच्छी लगती है।”
तो दोस्तों, भाभियों, कैसी लगी मेरी कहानी। कृपया मुझे मेल करें, ताकि उत्साहित होकर मैं पुनः कहानी लिख सकूँ