इस खेल में अब पत्नियाँ भी स्वेच्छा से शामिल होने लगी हैं और अपने पतियों के साथ साथ स्वयं भी अदला बदली का मजा ले रही हैं।
उच्च धनाड्य वर्ग में वाइफ स्वैपिंग नाम से प्रचलित इस खेल के शौकीन लोगों में बड़े चिकित्सक और इंजीनियर भी शामिल हैं और मल्टी नेशनल कंपनियों में लाखों का वेतन पाने वाले मैनेजर भी।
इंटरनेट इस खेल के शौकीन लोगों को आपस में मिलाने का एक सशक्त माध्यम बन गया है।
वाइफ स्वैपिंग यानी पत्नियों की अदला बदली को समाज के सभ्य नागरिक भले ही हेय दृष्टि से देखें लेकिन उच्च धनाढ्य लोगों का एक बड़ा वर्ग इसे जिंदगी को जीने का अपना ढंग मानता है और इस खेल में कुछ भी गलत नहीं देखता।
अब तो वाइफ स्वैपिंग के लिए रोजाना पार्टियाँ और मौज मस्ती आम बात हो गई है।
एक दशक पूर्व तक भारत में पत्नियों की अदला बदली के बारे में कल्पना भी नहीं की जाती थी लेकिन पिछले कुछ वर्षो में ही यह खेल केवल महानगरों में ही नहीं बल्कि छोटे शहरों में भी खेला जाने लगा है।
राजधानी और आस पास के नगरों में इस वर्ग के अनेक ऐसे क्लब हैं जो नियमित रूप से प्रति सप्ताह या प्रति पखवाड़े मिलकर पार्टियाँ आयोजित करते हैं और पत्नियों की अदला बदली कर अपनी शाम को रंगीन करते हैं।
इस तरह की पार्टियों में शराब और संगीत के अलावा अशलील चुटकलों का भी दौर चलता है और फिर लाटरी निकालकर पत्नियों का चुनाव किया जाता है।
कुछ पार्टियों में पत्नियों का चुनाव करने के लिए कार की चाबियों को एक बाउल में डाल दिया जाता है और फिर आंखे बंद करके सभी बारी बारी से कार की चाबियाँ उठाते हैं, जिसके हिस्से में जिस सदस्य की कार की चाबी आती है, वह उसी सदस्य की पत्नी के साथ रात बिताता है।
इसके अलावा पत्नियों को चुनने के कुछ अन्य तरीके भी अपनाये जाते हैं। इस तरह की पार्टियाँ या तो फार्म हाऊसों या फिर बड़े होटलों या गैस्ट हाऊसों में आयोजित की जाती हैं। कहीं से कोई शिकायत न मिलने के कारण पुलिस भी कोई कार्रवाई करने में असमर्थ होती है।
पुरुषों की यौन-पिपासा से शुरु हुए खेल में अब उनकी पत्नियाँ भी रुचि लेने लगी हैं। दक्षिणी दिल्ली के एक प्रमुख चिकित्सक की पत्नी सविता (परिवर्तित नाम) बताती है कि शादी के चार माह बाद उसके पति उसे इस तरह की एक पार्टी में ले गये।
पार्टी के बाद रात्रि में उसके कमरे में जब पति के स्थान पर पति का दोस्त आया तो वह हैरान रह गई, बाद में उसी दोस्त से उसे पता चला कि उसका पति उस दोस्त की पत्नी के साथ दूसरे कमरे में है, इसका विश्वास दिलाने के लिए दोस्त ने अपने मोबाइल में अपनी पत्नी और उसके पति का एक फोटो भी मस्ती करते हुए दिखाया।
सविता के अनुसार जब पति को ही बुरा नहीं लगता तो फिर वह क्या कर सकती है, इसलिए अब वह भी इन पार्टियों का मजा लेती है।
समाजशास्त्री व मनोचिकित्सक इसे मानसिक रोग तथा रिश्तों की गंभीरता में आ रही गिरावट का नतीजा मानते हैं।
प्रमुख मनोवैज्ञानी व समाजशास्त्री डा.अरुणा ब्रुटा के अनुसार समाज की प्रवृति बदल रही है और सभी रिश्ते अब अपने फायदे के लिए बनाये जा रहे हैं, न तो रिश्तो की कोई गंभीरता है और न ही मर्यादा है।
सामाजिक व्यवस्था को बनाये रखने के लिए जो मूल जरूरत है वही समाप्त हो रही है नतीजतन सामाजिक नियम टूट रहे हैं और इन्सान जानवर बनता जा रहा है।
डा.ब्रूटा के अनुसार जो काम पहले चोरी छिपे होते थे, वे खुले आम होने लगे हैं जिसके नतीजे निश्चित रूप से खतरनाक हो कर रहेंगे।
वे कहती हैं कि यह एक प्रकार का मनोरोग है जिसमें व्यक्ति का अपनी इन्द्रियों पर नियंत्रण समाप्त हो जाता है।
पत्नियों को बदल कर यौन पिपासा सान्त करने के इस ख्ले के लिये बने क्लब में शामिल होने के लिए कुछ जरूरी शर्तें ऐसी हो सकती हैं:
क्लब का सदस्य शादीशुदा होना जरूरी
सदस्यता से पूर्व पति व पत्नी दोनों का एचआईवी टेस्ट है जरूरी
आयु 20 से 30 वर्ष के बीच हो
उच्च वर्ग से होना चाहिए दम्पत्ति
पहली मुलाकात में नहीं होगी अदला बदली
अदला बदली से पहले होती हैं दो तीन साधारण मुलाकातें
बर्थ कण्ट्रोल की जिम्मेदारी होगी महिला पर
इस खेल में हैं अनेक खतरे
साथी की पत्नी से बन जाते हैं भावनात्मक संबध
पति पत्नी के बीच बढ़ने लगती है दूरियाँ
यौन रोग का रहता है खतरा
परिवार में रुचि हो जाती है कम
बच्चों की नजर में सम्मान होता है कम