बात नवम्बर 2008 की है.. जब मैं दीपावली की छुट्टियों में अपने घर पर ही था। एक दिन मेरी मम्मी मीटिंग के लिए बाहर गई थीं और उनको देर शाम तक वापस आना था.. मैं घर पर अकेला ही था।
दोपहर में करीब 12 बजे दरवाजे की घन्टी बजी तो मैंने दरवाजा खोला.. सामने सोनाली आंटी खड़ी थीं। सोनाली आंटी मेरी मम्मी की बेस्ट फ्रेंड थीं और अक्सर दवाओं के लिए आती रहती थीं। हालांकि वे मम्मी से उम्र में काफी छोटी थीं.. उनकी उम्र 25 साल की होगी..
वो दिखने में काफ़ी सुंदर और मांसल शरीर की थीं। उनकी फिगर कुछ 36-26-36 की रही होगी। उनके मम्मों को देख कर तो कोई भी पागल हो जाए!
लेकिन उन दिनों मैं सिर्फ़ अपनी पढ़ाई पर ध्यान देता था.. जिसकी वजह से मेरी कोई गर्ल-फ्रेंड भी नहीं थी और ना ही मुझे सेक्स के बारे में ज्यादा रूचि थी।
सोनाली आंटी ने मुझसे कहा- मेरे पेट में अजीब सा दर्द हो रहा है।
तो मैंने उनको पेट दर्द की गोली दी.. वो बोलीं- मयूर.. पहले मेरा पेट तो चैक करो जैसे तुम्हारी मम्मी करती हैं।
मैं बोला- वो तो मुझे नहीं आता.. मैं एक इंजीनियर हूँ.. डॉक्टर नहीं..
वो मुस्कुराकर बोलीं- ठीक है.. तो मैं सिखा देती हूँ।
इतना कहकर उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपने पेट पर रख दिया और कहा- कुछ महसूस हुआ या साड़ी को पेट से हटा दूँ?
मैं अब समझ चुका था कि उसका इरादा कुछ और ही है.. क्यूँ कि प्राब्लम उसके पेट में नहीं बल्कि पेट के नीचे उसकी चुदासी चूत में है।
मैं भी हिम्मत करते हुए बोला- आंटी कुछ समझ नहीं आ रहा है.. आप साड़ी हटा दो..
उसने झट से अपना पल्लू पेट से सरका दिया।
मैं उसके गोरे और मुलायम पेट पर हाथ फेरने लगा.. तो वो सिसकारियां लेते हुए बोली- वाह.. मयूर तुम्हारे हाथ में तो जादू है.. मुझे अच्छा लग रहा है.. अगर तुम्हारे पास वक़्त हो तो मेरे पूरे बदन की मालिश करोगे प्लीज़?
मैंने कहा- हाँ ज़रूर.. लेकिन आपको पूरी साड़ी उतारनी होगी..
वो बड़ी अदा से इठलाते हुए बोली- ठीक है.. तुम खुद ही अपने हाथों से उतार दो ना…
मैंने उसकी साड़ी उतार दी.. साथ ही ब्लाउज और पेटीकोट भी खोल दिया.. उसके ब्लाउज पेटीकोट खोलने पर उसने जरा भी आपत्ति नहीं की… बल्कि उसे तो नंगे होने की और जल्दी दिखाई दे रही थी।
अब वो सिर्फ़ ब्रा और पैन्टी में थी।
मैंने पहली बार किसी औरत को साक्षात नंगा देखा था.. मैं उसे वासना की नजरों से देखता ही रहा।
फिर मैंने उसके पेट.. पीठ और पिछवाड़े की मालिश की और देखा कि ये तो पक्का है कि इसको चुदास सता रही है तो मैंने बिंदास होते हुए उससे पूछा- क्या आपके मम्मों में भी दर्द है.. कहो तो उनकी भी मालिश कर दूँ?
उसने बिना उत्तर दिए एक ही झटके में अपनी ब्रा खोल दी और एक कोने में फेंक दी।
उसके वो बॉल जैसे उन्नत मम्मों को.. देख कर मैं तो मानो पागल ही हो गया और उन्हें जोरों से दबाने लगा।
वो ‘आह.. आह.. सी…’ जैसी सिसकारियां ले रही थी।
मैं बीच-बीच में उसकी पैन्टी में हाथ डाल कर उसकी गाण्ड में उंगली करने लगा.. जिससे वो और गरम हो गई और समझ गई कि मैं भी उसे चोदना चाहता हूँ।
वो बोली- क्या तुमने किसी लड़की के साथ चुदाई की है?
उसकी इस तरह की भाषा सुनकर मैं समझ गया कि अब आंटी पूरी गरम हो गई हैं।
मैंने बोला- मेरी तो कोई गर्लफ्रेण्ड ही नहीं है।
वो बोली- मैं बनूँगी तुम्हारी गर्लफ्रेण्ड.. मुझे खुश करोगे?
मैंने कहा- आप जैसी गर्लफ्रेण्ड मिल जाए तो मज़ा ही आ जाएगा!
वो बोली- तो देर किस बात की है.. शुरू कर दो.. आज मेरी प्यास बुझा दो।
मैं उसके मम्मों पर टूट पड़ा और उन्हें ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा.. उसको एक जोरदार चुम्बन किया..
वाह.. क्या रसीले होंठ थे उसके..
मैं बहुत देर तक उसे चूसता और चूमता रहा फिर उसके मम्मों को मुँह में लेकर हल्के-हल्के से काटने लगा.. उनको चाटने और चूसने लगा।
वो नशीली आवाज में बोली- आह्ह.. बहुत अच्छा लग रहा है.. मयूर मेरी जान.. प्लीज़ और मस्ती से.. मुझे बहुत अच्छा लग रहा है.. उह्ह..
मैं एक हाथ से उसके मम्मों को दबा रहा था.. दूसरे हाथ से उसकी गाण्ड में उंगली डाल रहा था और उसका दूसरा मम्मा अपने मुँह में लेकर चूस रहा था।
फिर मैंने उसकी पैन्टी उतारी और उसकी चूत को चाटने लगा.. उसकी चूत एकदम गोरी थी और उस पर एक भी बाल नहीं था।
जब वो बहुत गर्म और चुदासी हो गई.. तो बोली- आह्ह.. अब और मत तड़पाओ.. मेरे राजा.. प्लीज़ डाल भी दो ना.. अपना लवड़ा.. मेरी चूत में!
मैंने अपनी पैन्ट उतार दी और अपना 6.5” का खड़ा लंड बाहर निकाला और सीधा चूत के मुहाने पर रख दिया। उसने भी किसी रण्डी की तरह अपनी टाँगें फैला लीं और चूत के मुँह पर मेरे सुपारे को टिकवा लिया.. मैंने पूरी ताकत से एक जोरदार झटका मार दिया.. मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया।
उसकी चूत में भयानक दर्द हुआ.. वो चिल्ला उठी- आह.. उई माँ मर गई.. मयूर प्लीज़ थोड़ा धीरे से करो न..
मैंने धीरे-धीरे अपने लंड को अन्दर-बाहर करना शुरू किया।
मुझे चुदाई में बहुत मज़ा आ रहा था.. ये मेरे जीवन का पहला सेक्स था।
थोड़ी देर बाद उसे भी मज़ा आने लगा और वो ‘आहें’ भरने लगी.. थोड़ी ही देर में वो अकड़ गई और उसकी चूत का पानी निकल गया।
अब चूत रसीली हो गई थी और मेरे लौड़े की ठापों से ‘फच..फच..’ की मधुर मादक आवाजें गूँजें लगी थीं।
कुछ देर बाद मेरा स्खलन भी होने वाला था तो मैंने पूछा- आंटी मेरा माल निकलने वाला है.. क्या करूँ?
वो बोली- आह्ह.. मेरे अन्दर ही निकल जा.. मेरा तो ऑपरेशन हो चुका है.. कोई चिंता नहीं है।
तभी एक गरम लावा मेरे लंड से निकल कर उसकी चूत में घुस गया और मैं शांत हो गया।
कुछ देर तक निढाल सा उसके जिस्म से लिपटा पड़ा रहा।
अब आंटी मेरे बालों में अपने हाथ फेर रही थीं.. आज की चुदाई से उनको बहुत तृप्ति मिली थी।
इसके बाद तो जैसे मैं आंटी की रखैल बन गया था।
यह कहानी सौ फ़ीसदी सच है.. इस पर आप सभी के कमेंट्स चाहूँगा.. पर प्लीज़ आप गंदे कमेंट्स मत करना, आंटी की फुद्दी दिलवाने की बात मत लिखना!