दशहरे के अगले दिन मैं अपने गाँव से वापस कस्बे आ गया, माँ गाँव मे ही रह गयीं।
उसी दिन मेरे चचेरे भाई साहब अपनी बीबी और डेढ़ साल की बेटी के साथ हमारे घर आये।
वे लोग हमारे दूसरे गाँव मे रहते थे। घर मे मैं और मेरे पिताजी थे, उन्हें उस रात टूर पर जाना था।
भाई साहब मेरे साथ पास के शहर गये, वहाँ से वे अपनी बहन के घर चले गये और मैं वापस आ गया।
जब मैं शहर मे था तभी मेरे मन मे भाभी के साथ सम्भोग करने का पागलपन सवार हो गया क्योंकि रात के बारह बजे पिताजी के चले जाने के बाद घर में भाभी और मैं अकेले रहने वाले थे, बेटी उनकी काफ़ी छोटी थी।
दरअसल भाभी की शादी को चार साल हो चुके थे, वे बहुत तो नहीं पर सुन्दर हैं और शुरू से ही वे हम लोगों से काफ़ी मजाक, खासकर गन्दे मजाक किया करती थीं और वे काफ़ी खुली थीं हालाँकि मैं बहुत शर्मीला था।
पर अब मेरा लण्ड खड़ा होने लगा था और दो-तीन सालों से मैं हस्तमैथुन करके अपनी बेचैनी शान्त कर लेता था, बुर चोदने का बहुत मन करता था पर कोई जुगाड़ नही हो पाता था।
मैनें उस रात उनको अपने साथ चुदाई के लिये राजी करने का प्लान बनाने लगा।
आधी रात को पिताजी के घर से निकलते ही मैं बाथरूम गया तो खिड़की से देखा कि भाभी जगी हैं।
मैंने उन्हे आवाज दी कि आप जगी हैं क्या? उन्होनें कहा- “हाँ नींद उचट गयी है”। मैंने कहा कि अगर चाहें तो मेरे कमरे मे आ जाइये।
वे झट से तैयार हो गयीं और अपनी बेटी को लेकर मेरे कमरे मे आ गयीं। मेरी चौकी के बगल वाली चारपायी पर अपनी बेटी को दूसरी तरफ़ सुला कर खुद मेरे नजदीक लेट गयी।
फ़िर हम बातें करने लगे, पहले से सोचे हुए प्लान के अनुसार मैंने उनसे कहा कि भाभी एक बात पूछना चाहता हूँ, आप नाराज तो नही होंगी।
उन्होने कहा कि ऐसी क्या बात है? मैने कहा कि नहीं पहले वादा करो तब। उन्होने कहा “ठीक है बोलिये, मै नाराज नही होउँगी।“
मैने कहा “भाभी आज मैने अपनी एक क्लासमेट को देखा जिसकी शादी ३-४ महीने पहले हो गयी थी, आज वो बहुत ही खूबसूरत लग रही थी, उसका बदन भर गया है और वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी। शादी के बाद ऐसा क्या हो जाता है कि लड़कियों मे इतने परिवर्तन हो जाते हैं?” मैने यह सवाल जान बूझ कर बातों का रुख सेक्स की तरफ़ करने के लिये किया था। उन्होने कहा कि शादी के बाद पति के साथ रहने से ऐसा होता है।
मैने कहा कि खुलकर बताइये…… तो वो मुस्कुराकर मेरे गालों को मसल दी। ओह…ह्…ह्…!! मुझे तो मानो मन की मुराद ही मिल गयी। मै समझ गया कि आज मेरा भाग्योदय होने वाला है।
मै भी उनके बालों मे उँगलियाँ डाल कर सहलाने लगा। वह भी मेरे बालों को सहलाने लगीं
। अब तक वह अपनी चारपायी पर ही थी और मैं अपनी चौकी पर। मैं उनके गालों को सहलाते हुए बोला कि मेरे बिस्तर पर आ जाओ भाभी। वो झट से मेरे चौकी पर आ गयीं और… और… और… और… और…मैं तो जैसे पागल हो गया……जोर से उन्हें अपनी बाहों मे भींच लिया…उन्होने भी मुझे अपनी बाहों मे जकड़ लिया…और दोनो के होठ एक दूसरे के होठों का चुम्बन लेने लगे…दोनो के जिस्म एक दूसरे मे उलझ गये……वो जोर जोर से मेरा चुम्मा लेने लगी…
मुझे भी होश कहाँ रहा खुद का। बस एक नशा सा छा गया और मुझे कुछ होश नहीं कि आगे क्या करना है।
हालाँकि मैने पहले से अपने मस्त राम की कहानियों के द्वारा प्राप्त ज्ञान के आधार पर काफ़ी कुछ करने का सोचा था पर सब किताबी ज्ञान धरा रह गया।
मैंने सोचा था कि उनकी बुर में उंगली करुंगा, इस लिए मैंने अपने नाखून काट लिये थे। पर उनके चिपकते तथा चुम्मा चाटी करते ही मैं एकदम बेकाबू हो गया, उफ़्फ़ बरदाश्त करना मुश्किल था अब…… जिस बुर को चोदने की कल्पना पिछले तीन सालों से कर रहा था, तथा जिस प्यारी भौजाई को चोदने की कल्पना मैं दोपहर से कर रहा था………वह सुनहरा मौका मेरे सामने आज आ गया था।,उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्…अब एक पल भी रुकना असम्भव था।
उस वक्त भाभी सिर्फ़ साया और ब्लाउज मे थीं। मेरा मन चूँची चूसने पर इस लिये नही गया क्योंकि वह उन दिनों अपनी बेटी को दूध पिलाती थीं…वैसे मे चूँचियों को चूसने की कल्पना करते ही मन लिजलिजा सा हो जाता था।
मैंने भाभी से कहा “भाभी दोगी?”
उन्होंने पूछा “क्या?”
मैंने कहा “अब तुम्हे भी बताना पड़ेगा कि क्या माँग रहा हूँ”
तो इसपर वो मुस्कराते हुए बोलीं “आपको रोका कौन है,जो इच्छा हो कर लीजिये”।
अब तो मानो मेरे सपनो के साकार होने का वक़्त आ गया… मैं उनके बगल से उठ कर उनके टाँगों के बीच पहुँचा और उनका साया ऊपर उठा दिया…
फ़िर उन्होंने अपनी दोनो टाँगों को ऊपर कर लिया, अब उनकी भरी-पूरी बुर जिस पर झाँटें ही झाँटें थी नजर आ रही थी जो अब मेरे लिये थी। जिन्दगी में पहली बार बुर के दर्शन हुए थे,पर नाइट लैम्प की रोशनी मे जितना दिख रहा था वही बहुत था।
मैंने अपना फ़नफ़नाया लण्ड उनकी बुर मे डाला……बुर एकदम गरम और गीली थी…ओह्……मेरा पूरा लण्ड घचाक से उनकी बुर मे बिना किसी रुकावट के चला गया…क्योंकि भाभी का बुर तो भोसड़ा हो गया था……
खैर पहली बार एक छेद मे डालने का मौका तो मिला चहे वह कुँवारी चूत हो या चुदा-चुदाया भोसड़ा…मै तो गुरू ऽऽ सातवें आसमान पर था……खैर उनकी गरम बुर मे पूरा लण्ड जाते ही मेरा पूरा शरीर झनझना गया और मै तुरन्त ही झड़ गया……और सच बताऊँ मै बेहद शर्मिन्दा भी हो गया कि पहली बार मौका मिला भी तो मै शीघ्र पतन का शिकार हो गया।
मै उनके ऊपर से उतर कर बाथरूम गया, लौट कर उनके बगल मे लेट गया, उन्होंने मुस्कराते हुए पूछा-“क्या हुआ देवरजी बड़ा फ़ड़फ़ड़ा रहे थे, सारी मस्ती कहाँ गयी? बस हो गये शान्त।“ मै अन्दर ही अन्दर शर्मिन्दा तो था पर मैने कहा कि दोपहर से ही तुम्हे चोदने का प्लान बना रहा हूँ और तभी से लण्ड खड़ा है, फ़िर जिन्दगी मे पहली बार बुर के दर्शन हुए हैं शायद इसी वजह से डालते ही झड़ गया।
उन्होने पूछा- क्या सचमुच पहली बार है?
मेरे हाँ कहने पर उन्होने कहा कि पहली बार ऐसा अक्सर होता है, चिन्ता मत करिये सब सीख जायेंगे।
फ़िर वो मुझसे चिपट कर लेट गयीं। मुझे चुम्मा लेने लगीं क्योंकि वो अभी भी गरम थीं। धीरे-धीरे मै भी उत्तेजित होने लगा। इस बार मेरे हाथ उनकी चूचियों को सहलाने लगे…उनके निप्पल को चुटकी मे मसलने लगा तो वो सिसकारी लेने लगीं मुझे लगा कि उनको मजा आ रहा है……वो अपना निप्पल मेरे मुँह मे डालने लगीं……
मेरे झिझक को भाँपकर बोली कि घबड़ाइये मत जब तक जोर से चूसेंगे नहीं तब तक दूध नही। निकलेगा…इसको सक करना पड़ता है तब दूध निकलता है…समझे लल्लू देवर जी……और फ़िर उन्होनें मेरे लण्ड को सहलाना शुरू कर दिया, मैने उनके निप्पल को मुँह मे लेकर हौले-हौले चूसना शुरू कर दिया…ओह… ओह…ओ…ओह…
वो सिसकारियाँ लेने लगीं और अपने भोंसड़े को म्रे लण्ड से रगड़ने लगीं।
हम दोनो करवट लेटे हुए थे वो मेरे दाहिनी तरफ़ थीं, वो मुझे और जोर-जोर से निप्पल चूसने को कहने लगी…मुझे भी अब अच्छा लग रहा था और मै उनकी घुण्डी को दाँतो से काटकर चूसने लगा जोर से बस इतना कि दूध न निकले ।
वो मस्त होके मेरा हाथ अपनी बुर पर ले जा कर रगड़ने लगीं……उनकी बुर एकदम गरम और लिसलिसी हो गयी थी…लग रहा था कि बुर को बुखार हो गया हो जैसे…फ़िर उन्होंने करवट मे ही लण्ड बुर के मुँह पे रखकर डालने को कहा,
मैने कहा जरा अपनी बुर तो पोछ लो एकदम कीचड़-कीचड़ हो रही है, इसपर उन्होनें साया से अपनी बुर पोछी और मुझे अपनी दोनो टाँगों के बीच लेकर मेरे लण्ड को पकड़ कर बुर के मुँह पर रख कर धक्का लगाने को कहा।
मैने लण्ड को उनकी बुर मे जोर से पेला तो एकदम जड़ तक चला गया….…शायद करवट होने की वजह से इस बार बुर कुछ कम ढीली लग रही थी, खैर लण्ड अन्दर लेकर भाभी मेरा चुम्मा लेने लगीं….…फ़िर होठ चूमते हुए जीभ मेरे मुँह मे डाली मुझे बड़ा मजा आया और मै भी उनके होठों को चूसने लगा और जीभ अन्दर करके उनकी जीभ से खेलने लगा।
अब वो अपना चूतड़ आगे-पीछे करने लगीं और मै भी अपना लण्ड बाहर भीतर करने लगा……फ़च…फ़च्…फ़च…फ़चाफ़च……सट्…सट्… सटासट्…… सट्… की आवाजें गूंजने लगी कमरे मे…….…हम दोनो मस्ती के हिलोरें ले रहे थे…
दरअसल मेरी भाभी बहुत ही चुदक्कड़ हैं वो मुझे अपनी बाहों मे जकड़े हुए लण्ड घचाघच अपनी बुर मे लिये जा रही थीं साथ ही साथ जोर-जोर से साँसे लेते हुए बोलती जा रही थी हाए रे मेरे बबुआ आज तो आपने एक नये लण्ड का स्वाद चखा दिया….मैं तो कब से तरस रही थी स्वाद बदलने को कब से आपके भैया का लण्ड ले ले कर बोर हो गयी हूँ।
मैने पूछा कि मेरा लण्ड तो छोटा है भैया का कैसा है
तो वो बोली कि आपके भैया का आपसे बड़ा और मोटा है पर समय आने पर आपका भी तगड़ा हो जायेगा।
और मुझे जोर से भीचते हुए बोली “मेरे राजा मजा सिर्फ़ मोटे और बड़े लण्ड से ही नही आता कौन चोद रहा है और कैसे चोद रहा है यह महत्वपूर्ण है, अब देखिये आप अपने भैया से हैण्ड्सम हैं तथा पढ़ने मे भी तेज हैं, कोई भी लड़की आपसे चुदवाना चाहेगी……
ऐसा कहकर वह मेरे गाल सहलाने लगी और मैं भी मारे उत्तेजना के और जोर-जोर से लण्ड को उनकी बुर में अन्दर बाहर करने लगा…………हम दोनो ही मारे मस्ती के सटा-सट धक्का पे धक्का मारे जा रहे थे…
दोनो की साँसें तेज……तेज……तेज…होने लगी और उन्होनें मुझे जोर से जकड़ते हुए कहा “हाय रे मै तो गयी मेरे राजा…आज तो आपने मुझे जन्नत की सैर करा दी मेरे देवर जी…शादी के बाद पहली बार कोई नया लण्ड मिला है मै तो निहाल हो गयी…” हम दोनो एक साथ ही झड़े और देर तक एक दूसरे से चिपके रहे।
उन्होने पूछा कैसा लगा?
मैने हँसते हुए कहा “मैं तो कल्पना कर रहा था कि आपकी बुर एकदम टाइट होगी लण्ड घुसाने मे दिक्कत आयेगी……पर वैसा कुछ हुआ ही नही,” इस पर वह मुस्कराते हुए बोली कि अगर कुँवारे मे हम दोनो मिले होते तो वैसा होता भी, मैं तो शादी से पहले ही कई बार चुदवा चुकी हूँ और फ़िर इसी बुर मे से आपकी भतीजी निकली है तो थोड़ी ढीली हो गयी है…आप का तो पहला अनुभव है मजा तो आ ही रहा है…चलिये रात काफ़ी हो गयी अब सोया जाय।
उसके बाद इतनी गहरी नींद आयी कि पूछो मत……सुबह 7 बजे ही आँख खुली, फ़्रेश होने के बाद नाश्ता करके हम दोनो आपस मे बातें कर रहे थे कि भतीजी को भूख लग गयी और वह चौकी पर लेट कर उसको अपनी चूची पिलाने लगीं, हालाँकि आँचल से ढका था फ़िर भी थोड़ा सा दिख रहा था
…अब तो मेरा मन भी करने लगा क्योंकि दोपहर तक भाई साहब भी आने वाले थे, मैने कहा भाभी एक बार और चोद लेने दो तो उन्होनें कहा कि बेटी जगी है देखेगी तो किसी से कह सकती है,मैने कहा डेढ़ साल की बच्ची क्या समझेगी। उन्होंने कहा कि यह कह सकती है कि चाचा मम्मी के ऊपर थे। यह अपने पापा से बहुत बातें करती है।
फ़िर भी मेरा मन रखने के लिये वो चौकी के किनारे चूतड़ रखकर बेटी को अपनी छाती पर रखकर उसके मुँह मे निप्पल डाल कर आँचल से उसे ढक कर अपनी टाँगो को फ़ैला कर अपनी साड़ी उठा कर मुझसे बोली कि लीजिये जल्दी से चोद लीजिये फ़िर पता नही कब मौका मिले ना मिले।
मैने वही खड़े होकर तुरन्त अपना पहले से खड़ा लण्ड उनके भोसड़े मे डाला और चोदने लगा, वो तो कोई हरकत नही कर रही थी, मैं भी सावधानी से चोद रहा था ताकि उनकी बेटी डिस्टर्ब होकर हमारी हरकत ना देखने लगे।
थोड़ी देर चोदने के बाद मेरा झड़ गया और मैं उन्ही के साये मे पोछकर अलग हो गया।
फ़िर उस दिन दुबारा मौका ही नही मिला, कोई कोई आ जाता था तथा उनकी बेटी भी सोई नही, और भाई साहब भी जल्दी ही आ गये।