मेरा नाम अंकित शर्मा है.. मैं एक गाँव का रहने वाला हूँ और एक बहुत अच्छा लड़का हूँ.. मैं बहुत दिनों तक सकुचाने के बाद यह कहानी लिख रहा हूँ.. यह कहानी बिल्कुल सच्ची है। मेरी बहुत सी गर्ल-फ्रेण्ड थीं.. पर मैंने किसी के साथ भी शारीरिक सम्बन्ध नहीं बनाए थे।
मैंने 12 वीं पास की और मैं कॉलेज में अपनी आगे की पढ़ाई करने गया। मेरा कॉलेज में पहला दिन था.. उस दिन क्लास में सिर्फ़ मैं एक अकेला लड़का था। तभी एक लड़की आई.. मैं उसका नाम नहीं लेना चाहता हूँ। मैंने उससे बात की.. फिर हम पूरे दिन एक साथ बैठे रहे।
मेरे दिल में भी कुछ था और उसके दिल में भी.. पर मैंने उस दिन उससे कुछ नहीं बोला।
अगले दिन जब मैं कॉलेज गया.. तो यही कोई 10-15 लड़के-लड़कियाँ आए थे। मैंने उससे दूर से ही बात की और जब हम घर जाने लगे.. तो मैं गेट के पास खड़ा था।
वो मेरे पास आई और बोली- आपका नम्बर क्या है?
मैंने उसे जल्दी से अपना नम्बर दे दिया फिर मैंने उसका नम्बर माँगा.. तो बोली- मैं खुद फोन करूँगी..
‘ठीक है..’
मैं बहुत खुश था.. तभी मैं गया.. और मैंने अपना मोबाइल रीचार्ज कराया। तब तक उसके मिस कॉल आ गया.. मैंने कॉल-बैक की तो उससे बात हुई और मैंने उसे मिलने के लिए बुलाया।
वो अपने होस्टल के अपने कमरे से आ गई। हम दोनों यूँ ही टहलने निकल पड़े और टहलते हुए सुनसान में जंगल की तरफ चले गए। वहाँ हम दोनों ने एक निर्जन जगह देखी और बैठ गए।
तभी मैंने उसे चुम्बन किया.. वो शर्मा गई और मुझसे पूछने लगी- चुम्बन करने से कुछ होगा तो नहीं?
मैं हंस पड़ा और मैंने बोला- चुम्मी से कुछ नहीं होता।
उस दिन तो मुझे इससे अधिक मौका नहीं मिला.. क्योंकि दिन का वक्त था।
इस तरह उससे मेरी मुहब्बत आगे बढ़ने लगी। इसी तरह कुछ दिन बीत गए.. ऐसे ही चलता रहा।
अब मैंने फोन से उसके साथ सेक्सी बातें करना शुरू कर दी थीं। फिर वो दिन भी आ ही गया.. जिसका मुझे इंतजार था।
एक दिन मैंने उसे फोन से कहा- हनी.. मैं तुम्हारे साथ सेक्स करना चाहता हूँ।
उसने साफ़ मना कर दिया। मैंने गुस्से में फोन काट दिया। उसका पलट कर फोन आया.. मैं समझ गया कि आज काम हो जाएगा। बात हो गई वो मुझसे चुदने को राजी हो गई थी।
उसको मैंने बोला- मेरे लिए खाना बना दे.. मैं तेरे कमरे में आ रहा हूँ।
बोली- ठीक है.. पर कुछ करना मत..
मैंने बोला- ठीक है..
मैं जल्दी-जल्दी उसके पास गया। उस दिन उसने काले रंग का कुर्ता और सफ़ेद लैगीज पहन रखा था.. उसके बाल खुले थे उसे देख कर मेरा लण्ड खड़ा हो गया।
मैंने उससे पकड़ लिया और चुम्बन करना शुरू कर दिया। वो बहुत नखरे कर रही थी, मैंने बोला- चुम्बन ही तो कर रहा हूँ.. और ऊपर ऊपर से करने से कुछ नहीं होता है।
अब मैं उसके साथ बिस्तर में लेट गया और मैंने उसकी चूचियों पर हाथ डाल दिए। आह्ह.. इतने सेक्सी और सॉफ्ट मम्मे.. आह.. वो मेरा हाथ हटाने लगी।
मैंने उससे बोला- तू मुझे प्यार करती है.. तो ठीक है.. नहीं तो मैं मर जाऊँगा।
वो बोली- ठीक है.. जो भी तुमको करना है करो.. मैं तुमसे प्यार करती हूँ।
मैंने धीरे-धीरे उसकी फुद्दी में हाथ डाला.. और उसको मसलना चालू किया। अब वो भी मेरा साथ देने लगी। मैं उसे लगातार चुम्बन कर रहा था।
मैंने उसकी कमीज उतारी.. ओह.. उसने मस्त सफ़ेद रंग की ब्रा पहन रखी थी। मैंने धीरे-धीरे उसके सारे कपड़े उतार दिए और अपने भी कपड़े उतार दिए।
अब हम दोनों नंगे थे.. वो मुझसे शर्माने लगी थी। उसने अपने जिस्म को छुपाने के लिए कम्बल ओढ़ लिया.. मैंने कम्बल हटाया और उसके ऊपर चढ़ गया।
मैंने उसके होंठों को चूमा और उसकी चूचियों को चूसने लगा।
अब उसको भी चुदास चढ़ने लगी, वो भी मुझे चुम्बन करने लगी। मेरा लण्ड भी खड़ा हो गया था.. अब मुझसे और सब्र नहीं हो रहा था।
मैंने उसकी फुद्दी में थोड़ी सी क्रीम लगाई, फिर उसकी परवाह किए बिना.. लौड़े को चूत की दरार में ऊपर-नीचे रगड़ने लगा। उसकी चूत भी रो पड़ी और जैसे ही उसने उत्तेजित हो कर अपनी टाँगें फैलाईं.. मेरे टोपे ने उसकी फुद्दी में अपना सर रख दिया। अब मैंने धक्का मारा और लौड़े को चूत में ठेलने लगा।
मैंने अभी थोड़ा सा ही अन्दर घुसाया था.. पर लण्डदेव उसकी चूत में घुसने का नाम ही ले रहे थे। मैंने लौड़ा बहार खींचा.. उस पर थूक लगाया। अब फिर से लण्ड को पकड़ा और उसकी फुद्दी में रख दिया और एक ज़ोरदार धक्का दिया.. मेरा लौड़ा अन्दर घुस गया।
वो चिल्ला पड़ी- ओई..माँ.. मर.. गईई…
वो ज़ोर-ज़ोर से रोने लग गई.. मैंने उसे चुप कराया.. वो मुझे अपने ऊपर से हटाने लगी।
मैंने खींच कर एक थप्पड़ मार दिया.. मुझे चिंता थी कि बाहर और लोग भी रहते हैं.. साली की चीख-पुकार सुन कर कोई आ न जाए..
मुझे डर भी लग रहा था.. पर मैंने उसे ज़ोर से पकड़ा उसके हाथ दबा दिए और अपना लण्ड पूरी ताकत से पेल दिया। उसके मुँह को मैंने अपने होंठों से चूमने से बन्द कर दिया था।
उसे बहुत दर्द हो रहा था क्योंकि उसका यह पहली बार था। यही कोई 5-6 मिनट के बाद मुझे तो मज़ा आ ही रहा था उसको भी मजा आने लगा।
वो मजे से चुदती रही फिर एकाएक वो अकड़ गई और झड़ गई.. उसके बाद मैं भी झड़ गया।
वो बोलने लगी- आज के बाद.. मुझसे बात मत करना।
वो रो रही थी, उसके बाद वो उठ कर बाथरूम में चली गई।
मुझे भी उसको थप्पड़ मारने का अफ़सोस तो हो ही रहा था।
इसके बाद उसने मुझसे दोस्ती तो बनाए रखी.. मैं भी उसे प्यार करता रहा।
पढ़ाई के बाद उसकी जॉब लग गई.. पढ़ाई के बाद मैंने भी कॉलेज छोड़ दिया.. मैं भी उसके साथ रहने लगा था।
फिर तो दिन में 3-4 बार चुदाई करते थे.. करीब दो साल ऐसा ही चलता रहा।
बाद में मैं आगे पढ़ने के लिए चला गया अब वो शिमला में रहती है.. मैं हर 5 या 6 दिन बाद उसके पास जाता था। अब तो वो मुझे खुद बुलाती थी और मुझे आने-जाने के पास भी भेजती थी। मेरी जिन्दगी एकदम मस्त चल रही थी.. पर आज हम अलग-अलग हैं।
यह कहानी बिल्कुल सच है दोस्तो.. उसने मुझे धोखा दिया.. अपनी माँ के कहने से किसी और से शादी कर ली।
अब मैं आजकल दिल्ली में हूँ और सिर्फ उसको ही याद करता हूँ।
मैंने 12 वीं पास की और मैं कॉलेज में अपनी आगे की पढ़ाई करने गया। मेरा कॉलेज में पहला दिन था.. उस दिन क्लास में सिर्फ़ मैं एक अकेला लड़का था। तभी एक लड़की आई.. मैं उसका नाम नहीं लेना चाहता हूँ। मैंने उससे बात की.. फिर हम पूरे दिन एक साथ बैठे रहे।
मेरे दिल में भी कुछ था और उसके दिल में भी.. पर मैंने उस दिन उससे कुछ नहीं बोला।
अगले दिन जब मैं कॉलेज गया.. तो यही कोई 10-15 लड़के-लड़कियाँ आए थे। मैंने उससे दूर से ही बात की और जब हम घर जाने लगे.. तो मैं गेट के पास खड़ा था।
वो मेरे पास आई और बोली- आपका नम्बर क्या है?
मैंने उसे जल्दी से अपना नम्बर दे दिया फिर मैंने उसका नम्बर माँगा.. तो बोली- मैं खुद फोन करूँगी..
‘ठीक है..’
मैं बहुत खुश था.. तभी मैं गया.. और मैंने अपना मोबाइल रीचार्ज कराया। तब तक उसके मिस कॉल आ गया.. मैंने कॉल-बैक की तो उससे बात हुई और मैंने उसे मिलने के लिए बुलाया।
वो अपने होस्टल के अपने कमरे से आ गई। हम दोनों यूँ ही टहलने निकल पड़े और टहलते हुए सुनसान में जंगल की तरफ चले गए। वहाँ हम दोनों ने एक निर्जन जगह देखी और बैठ गए।
तभी मैंने उसे चुम्बन किया.. वो शर्मा गई और मुझसे पूछने लगी- चुम्बन करने से कुछ होगा तो नहीं?
मैं हंस पड़ा और मैंने बोला- चुम्मी से कुछ नहीं होता।
उस दिन तो मुझे इससे अधिक मौका नहीं मिला.. क्योंकि दिन का वक्त था।
इस तरह उससे मेरी मुहब्बत आगे बढ़ने लगी। इसी तरह कुछ दिन बीत गए.. ऐसे ही चलता रहा।
अब मैंने फोन से उसके साथ सेक्सी बातें करना शुरू कर दी थीं। फिर वो दिन भी आ ही गया.. जिसका मुझे इंतजार था।
एक दिन मैंने उसे फोन से कहा- हनी.. मैं तुम्हारे साथ सेक्स करना चाहता हूँ।
उसने साफ़ मना कर दिया। मैंने गुस्से में फोन काट दिया। उसका पलट कर फोन आया.. मैं समझ गया कि आज काम हो जाएगा। बात हो गई वो मुझसे चुदने को राजी हो गई थी।
उसको मैंने बोला- मेरे लिए खाना बना दे.. मैं तेरे कमरे में आ रहा हूँ।
बोली- ठीक है.. पर कुछ करना मत..
मैंने बोला- ठीक है..
मैं जल्दी-जल्दी उसके पास गया। उस दिन उसने काले रंग का कुर्ता और सफ़ेद लैगीज पहन रखा था.. उसके बाल खुले थे उसे देख कर मेरा लण्ड खड़ा हो गया।
मैंने उससे पकड़ लिया और चुम्बन करना शुरू कर दिया। वो बहुत नखरे कर रही थी, मैंने बोला- चुम्बन ही तो कर रहा हूँ.. और ऊपर ऊपर से करने से कुछ नहीं होता है।
अब मैं उसके साथ बिस्तर में लेट गया और मैंने उसकी चूचियों पर हाथ डाल दिए। आह्ह.. इतने सेक्सी और सॉफ्ट मम्मे.. आह.. वो मेरा हाथ हटाने लगी।
मैंने उससे बोला- तू मुझे प्यार करती है.. तो ठीक है.. नहीं तो मैं मर जाऊँगा।
वो बोली- ठीक है.. जो भी तुमको करना है करो.. मैं तुमसे प्यार करती हूँ।
मैंने धीरे-धीरे उसकी फुद्दी में हाथ डाला.. और उसको मसलना चालू किया। अब वो भी मेरा साथ देने लगी। मैं उसे लगातार चुम्बन कर रहा था।
मैंने उसकी कमीज उतारी.. ओह.. उसने मस्त सफ़ेद रंग की ब्रा पहन रखी थी। मैंने धीरे-धीरे उसके सारे कपड़े उतार दिए और अपने भी कपड़े उतार दिए।
अब हम दोनों नंगे थे.. वो मुझसे शर्माने लगी थी। उसने अपने जिस्म को छुपाने के लिए कम्बल ओढ़ लिया.. मैंने कम्बल हटाया और उसके ऊपर चढ़ गया।
मैंने उसके होंठों को चूमा और उसकी चूचियों को चूसने लगा।
अब उसको भी चुदास चढ़ने लगी, वो भी मुझे चुम्बन करने लगी। मेरा लण्ड भी खड़ा हो गया था.. अब मुझसे और सब्र नहीं हो रहा था।
मैंने उसकी फुद्दी में थोड़ी सी क्रीम लगाई, फिर उसकी परवाह किए बिना.. लौड़े को चूत की दरार में ऊपर-नीचे रगड़ने लगा। उसकी चूत भी रो पड़ी और जैसे ही उसने उत्तेजित हो कर अपनी टाँगें फैलाईं.. मेरे टोपे ने उसकी फुद्दी में अपना सर रख दिया। अब मैंने धक्का मारा और लौड़े को चूत में ठेलने लगा।
मैंने अभी थोड़ा सा ही अन्दर घुसाया था.. पर लण्डदेव उसकी चूत में घुसने का नाम ही ले रहे थे। मैंने लौड़ा बहार खींचा.. उस पर थूक लगाया। अब फिर से लण्ड को पकड़ा और उसकी फुद्दी में रख दिया और एक ज़ोरदार धक्का दिया.. मेरा लौड़ा अन्दर घुस गया।
वो चिल्ला पड़ी- ओई..माँ.. मर.. गईई…
वो ज़ोर-ज़ोर से रोने लग गई.. मैंने उसे चुप कराया.. वो मुझे अपने ऊपर से हटाने लगी।
मैंने खींच कर एक थप्पड़ मार दिया.. मुझे चिंता थी कि बाहर और लोग भी रहते हैं.. साली की चीख-पुकार सुन कर कोई आ न जाए..
मुझे डर भी लग रहा था.. पर मैंने उसे ज़ोर से पकड़ा उसके हाथ दबा दिए और अपना लण्ड पूरी ताकत से पेल दिया। उसके मुँह को मैंने अपने होंठों से चूमने से बन्द कर दिया था।
उसे बहुत दर्द हो रहा था क्योंकि उसका यह पहली बार था। यही कोई 5-6 मिनट के बाद मुझे तो मज़ा आ ही रहा था उसको भी मजा आने लगा।
वो मजे से चुदती रही फिर एकाएक वो अकड़ गई और झड़ गई.. उसके बाद मैं भी झड़ गया।
वो बोलने लगी- आज के बाद.. मुझसे बात मत करना।
वो रो रही थी, उसके बाद वो उठ कर बाथरूम में चली गई।
मुझे भी उसको थप्पड़ मारने का अफ़सोस तो हो ही रहा था।
इसके बाद उसने मुझसे दोस्ती तो बनाए रखी.. मैं भी उसे प्यार करता रहा।
पढ़ाई के बाद उसकी जॉब लग गई.. पढ़ाई के बाद मैंने भी कॉलेज छोड़ दिया.. मैं भी उसके साथ रहने लगा था।
फिर तो दिन में 3-4 बार चुदाई करते थे.. करीब दो साल ऐसा ही चलता रहा।
बाद में मैं आगे पढ़ने के लिए चला गया अब वो शिमला में रहती है.. मैं हर 5 या 6 दिन बाद उसके पास जाता था। अब तो वो मुझे खुद बुलाती थी और मुझे आने-जाने के पास भी भेजती थी। मेरी जिन्दगी एकदम मस्त चल रही थी.. पर आज हम अलग-अलग हैं।
यह कहानी बिल्कुल सच है दोस्तो.. उसने मुझे धोखा दिया.. अपनी माँ के कहने से किसी और से शादी कर ली।
अब मैं आजकल दिल्ली में हूँ और सिर्फ उसको ही याद करता हूँ।