आज पहली बार मैंने राजेश्वरी का नाम लेकर मुठ्ठ मारने लगा.. आह्ह.. मुझे मुठ्ठ मारने में बहुत मजा आ रहा था और कुछ देर बाद मेरा रस निकल गया। मुझे बड़ा अच्छा महसूस होने लगा। मैंने सोचा जब मुट्ठ मारने में इतना मजा आया है.. तो चूत मारने में तो बहुत मजा आएगा।
मैं अब राजेश्वरी को चोदने की सोचने लगा था.. लेकिन राजेश्वरी मुझे हाथ भी नहीं रखने देती थी।
मैं फ्रेश होकर बाहर आया और अपने कपड़े पहनने लगा। फिर हम दोनों ने अपने बैग पैक किए.. और होटल से बाहर आ गए। फिर हम सारा दिन घूमे और रात को फिर से दूसरे होटल में कमरा लिया।
आज रात को रुकने के साथ ही मैंने सोच लिया था कि आज तो मैं उसे चोद कर ही रहूँगा।
कमरे में जाकर हम फ्रेश हुए और सोने के लिए बिस्तर पर आ गए। मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए थे। मैं केवल कच्छे में लेट गया और राजेश्वरी से मस्ती करने लगा।
वो भी मुझसे भी लिपट गई… फिर उसने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए।
अब वो केवल पैन्टी में रह गई थी।
फिर मैंने उसे अपनी चूत चुदवाने को कहा तो उसने मना कर दिया, वो बोली- ये ग़लत है.. अभी हमारी इसके लिए उम्र नहीं है।
इसलिए मुझे उस पर गुस्सा आने लगा फिर मैंने करवट ली और अपने मोबाइल चालू किया ओर नेट-सर्चिंग करने लगा।
पता नहीं कैसे.. आज पहली मेरे मोबाइल पर सेक्स वीडियो की एक साइट खुल गई.. और मैं ब्लू-फिल्म देखने की कोशिश करने लगा.. वो चली तो नहीं लेकिन डाउनलोड हो गई।
डाउनलोड होने के बाद मैं अकेले ही पूरा सेक्स वीडियो देखने लगा। उसमें एक काला आदमी का बहुत बड़ा काला लम्बा लण्ड था.. जिससे वो एक लड़की को कुतिया बना कर ज़ोर-ज़ोर से चोद रहा था।
मेरे मोबाइल से ‘आआ.. उूउ.. ऊऊ.. यस..यस..’ की आवाज़ निकल रही थी तो आवाज़ सुन कर राजेश्वरी ने पूछा- ये क्या चला रहे हो?
तो मैंने कहा- आकर खुद ही देख ले।
वो मेरी तरफ खिसक आई और मुझसे चिपक कर वीडियो देखने लगी।
वीडियो देख कर थोड़ी देर में ही हम दोनों गरम होने लगे थे। अब राजेश्वरी मेरे बदन को सहला रही थी और मुझे भी मजा आ रहा था। मैं भी उसके जिस्म को सहलाने लगा और उसे भी मजा आने लगा।
मैंने मोबाइल राजेश्वरी के हाथ में दे दिया अब वो वीडियो देख रही थी और मैं उसकी चूचियों को चूस रहा था और उसके मलाई जैसे जिस्म को सहला रहा था।
उसकी जाँघें बिल्कुल स्पंज जैसी गुदांज थीं.. मैं उसकी रानों को सहला रहा था वास्तव में उसकी रानें बड़ी मस्त थीं।
अब वो गरम होती जा रही थी.. उसने मेरा सिर पकड़ा और अपनी छाती पर दबाने लगी।
मैं उसकी एक चूची को मुँह से चूस रहा था और दूसरी चूची को कभी सहलाता.. तो कभी उसके निप्पल को दबाता।
अब मेरा लण्ड भी अकड़ गया था और उसकी जाँघों पर टच कर रहा था।
फिर मैंने धीरे-धीरे एक हाथ उसकी चूत की तरफ बढ़ाया और उसकी पैन्टी के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाने लगा। तो उसने झट से मेरा हाथ हटा दिया। मैंने फिर रखा तो उसने फिर हटा दिया इस तरह उसने 2-3 बार मेरा हाथ अपनी चूत से हटा दिया था। पर इस सबसे उसकी चूत गीली होने लगी थी।
कुछ देर बाद मैंने फिर से अपना हाथ उसकी चूत पर रख दिया.. अब उसने बस मेरी तरफ देखा और फिर से वीडियो देखने लगी।
अब शायद उसे भी अच्छा लग रहा था। कुछ देर चूत सहलाने बाद मैं उसको चुम्बन करते हुए उसके पैरों की तरफ खिसकने लगा और उसे लगातार चुम्बन करता रहा।
फिर जैसे मैंने उसकी चूत पर चुम्बन किया.. उसकी एक मीठी सी सीत्कार ‘आआहह..’ निकल गई।
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अब क्या था.. मैंने झट से उसकी पैन्टी उतार दी। उसकी चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी। आह्ह.. क्या मस्त चूत थी यार.. मैंने पहली बार की लड़की की चूत देखी थी। मैं तो देखता ही रह गया। उसकी एकदम गोरी और गुलाबी रंगत लिए हुए चूत ऐसी लग रही थी कि इसे खा जाऊँ।
फिर मैंने उसकी चूत पर चुम्बन किया और मेरे चुम्बन करते ही वो मज़े से मचलने लगी और एक हाथ से अपनी चूचियों को दबाने लगी।
अब मैं उसकी चूत को चाट रहा था। फिर जब मैं उसकी चूत में अपनी जीभ घुसा देता.. तो कभी काट लेता.. ऐसा करने से वो मस्ती में झूमने लगती और ‘आह्ह..’ भरने लगती।
फिर इस क्रिया से उसकी चूत मस्त हो गई और उसकी मादक आवाजें गूँजने लगीं- आअहह.. ऊहह.. ऊओह.. आअ.. आअहह..
मैं लगातार चाटता ही रहा.. अब वो उत्तेजित हो कर अपनी चूत इधर-उधर करने लगी और मेरे मुँह की तरफ चूत को उठाने लगी।
कुछ ही देर बाद उसने बिस्तर की चादर को पकड़ा और अकड़ गई। वो बहुत तेज स्वर में आहें भरने लगी। कुछ ही पलों में वो झड़ चुकी थी और पूरी तरह गरम हो चुकी थी।
मैं उठा और उसके ऊपर चढ़ गया और उसे होंठों पर चुम्बन करने लगा.. हमारी जीभ से जीभ टकराने लगी। वो भी मेरा साथ दे रही थी। मैं एक हाथ से उसकी चूचियों को दबा रहा था।
अब वो अपना एक हाथ नीचे की तरफ ले गई और उसने मेरा लण्ड पकड़ लिया। वो मेरे लौड़े को अपनी चूत के छेद पर लगाने लगी.. और मचलने लगी।
उसकी चूत बहुत छोटी सी थी.. मेरा लण्ड बड़ा था.. तो चूत में लवड़ा घुस नहीं रहा था। वो बहुत कोशिश कर रही थी.. अब उसे कहना ही पड़ा- इसे जल्दी से मेरी चूत में डालो..
यह सुनते ही मैं उसकी टांगों के बीच घुटनों के बल बैठ गया और मैंने बहुत सारा थूक उसकी चूत पर लगा दिया, मैंने अपने लण्ड पर भी थूक लगाया और उसकी टाँगें फैलाकर अपना लण्ड उसकी चूत के मुँह पर रख दिया।
फिर मैंने एक ज़ोरदार धक्का मारा तो बड़ी मुश्किल से लण्ड का सुपारा उसकी चूत में घुस पाया। इतने से ही उसकी चीख निकल गई और वो मुझे हटाने की कोशिश करने लगी।
मगर मैंने एक और धक्का मारा तो मेरा लण्ड उसकी कोमल चूत को फाड़ते हुए 3 इंच अन्दर घुस गया।
उसकी और तेज चीख निकल गई- उई माँ.. मर गई.. इसे निकालो.. मुझे नहीं चुदना..
उसकी आँखों से आँसू निकलने लगे, अब वो मुझे जोर-जोर से लण्ड बाहर निकालने के लिए कहने लगी और रोने लगी लेकिन मैंने उसकी एक न सुनी और एक और धक्का मारा.. अब की बार मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत में समा गया।
इस बार उसकी बहुत तेज चीख निकली और वो एकदम से बेहोश हो गई।
लेकिन मैं नहीं रुका और उसे चोदता ही रहा.. मुझे बहुत मजा आ रहा था। क्यूँकि उसकी चूत बहुत कसी हुई थी.. मेरा लण्ड उसकी चूत में एकदम फंसा हुआ था।
मैं तो मस्ती से हचक कर उसकी चूत में धक्के लगा रहा था।
करीब 10 मिनट बाद उसे होश आ गया और वो रोने लगी और मुझे हटाने की कोशिश करने लगी। लेकिन मैंने उसकी कमर पकड़ी हुई थी और तेज-तेज धक्के देता रहा।
‘ओई मम्मी..रे.. मार दिया.. मेरी फट गई..’
उसकी चीखने की आवाज अब कुछ मद्धिम होने लगी और कुछ देर बाद उसका दर्द कम होने लगा, अब उसके मुँह से कोई आवाज़ नहीं निकल रही थी.. बस वो चुपचाप पड़ी.. मेरी तरफ देख रही थी।
मैं धक्के पर धक्के लगा रहा था और चूचियों को भी दबा रहा था।
कुछ देर बाद वो भी मस्ती में झूमने लगी और अपनी गाण्ड उठा-उठा कर मेरा साथ देने लगी।
करीब 30 मिनट की चुदाई के बाद अब हम अपनी चरम सीमा पर पहुँच चुके थे और झड़ने ही वाले थे।
फिर मैं ज़ोर-ज़ोर से धक्के लगाने लगा और राजेश्वरी की भी सिसकियाँ निकल रही थीं- आआ.. आहह.. आहह.. ऊऊहह.. उईई… यस..स्स आआअहह और जोर से.. आह्ह..
वो और मैं दोनों एक साथ झड़ गए। हम दोनों को अपनी इस पहली चुदाई में बहुत मजा आया।
उसके बाद से हम रात को 4 या 5 बार चुदाई तो कर ही लेते थे और सारा दिन घूमते थे। ऐसे ही एक महीने तक चला.. घूमना-फिरना.. मस्ती करना और रात को चुदाई करना।
एक महीने बाद हमारे पैसे खत्म होने वाले थे.. थोड़े ही बचे थे करीब 1000 रुपए.. अब हमको चिंता होने लगी कि अब बिना पैसों के कैसे रहेंगे।
लेकिन अभी भी हमारी पास राजेश्वरी की माँ के ज़ेवर थे.. लेकिन उनको कहाँ बेचें..
जब हमारे सारे पैसे खत्म हो गए तो जेवर बेचने के अलावा और कोई चारा नहीं था। करीब 3 लाख के जेवर थे.. तो थोड़े से जेवर ही लेकर एक दुकान पर पहुँचे.. तो जेवर को देखा और बोला- एक लाख रुपए मिल जायेंगे।
हमने ‘हाँ’ कर दी और वो मुझे पूछने लगा- ये जेवर कहाँ से लाए हो?
तो राजेश्वरी ने कहा- ये मेरी माँ के हैं.. वो बहुत बीमार हैं.. हॉस्पिटल में पैसों की ज़रूरत है इसीलिए बेचने पड़ रहे हैं।
हमने बहुत झूठ बोला लेकिन दुकान वाले को कुछ शक हो गया था कि कहीं कुछ गड़बड़ है और वो अपनी दुकान में अन्दर गया और फिर थोड़ी देर बाद आ गया।
फिर हमने पैसे माँगे तो बोला- थोड़ी देर रुक जाओ.. लड़का पैसे लेकर आ ही रहा होगा।
हम बैठे रहे हमको कुछ पता ही नहीं लगा था कि क्या खिचड़ी पक रही है।
करीब 20 मिनट बाद देखा तो पुलिस आ गई थी। उसमें एक दरोगा था और 4 हवलदार थे। दुकान वाले ने उनको हमारी तरफ इशारा किया।
पुलिस वालों ने हमको पकड़ लिया और साथ ले गए और पूछतांछ की.. तो हमने सब कुछ बता दिया और उन्होंने हम दोनों के घर फ़ोन कर दिया।
कुछ घंटों बाद घर वाले हमको लेने आ गए और हम उनके साथ घर चले गए। ये तो तय था कि पिटाई होनी ही थी सो खूब हुई।
पर इस सबके बाद भी हम अब भी मिलते हैं.. जब भी मौका और समय मिलता है और चुदाई भी करते हैं।
दोस्तो, यह हम दोनों की बिल्कुल सच्ची कहानी थी, उम्मीद है कि आप सबको मेरी कहानी पसन्द आई होगी।
मुझे अपनी राय से जरूर अवगत कराइएगा, मैं आपके ईमेल का इन्तजार करूँगा।
मैं अब राजेश्वरी को चोदने की सोचने लगा था.. लेकिन राजेश्वरी मुझे हाथ भी नहीं रखने देती थी।
मैं फ्रेश होकर बाहर आया और अपने कपड़े पहनने लगा। फिर हम दोनों ने अपने बैग पैक किए.. और होटल से बाहर आ गए। फिर हम सारा दिन घूमे और रात को फिर से दूसरे होटल में कमरा लिया।
आज रात को रुकने के साथ ही मैंने सोच लिया था कि आज तो मैं उसे चोद कर ही रहूँगा।
कमरे में जाकर हम फ्रेश हुए और सोने के लिए बिस्तर पर आ गए। मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए थे। मैं केवल कच्छे में लेट गया और राजेश्वरी से मस्ती करने लगा।
वो भी मुझसे भी लिपट गई… फिर उसने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए।
अब वो केवल पैन्टी में रह गई थी।
फिर मैंने उसे अपनी चूत चुदवाने को कहा तो उसने मना कर दिया, वो बोली- ये ग़लत है.. अभी हमारी इसके लिए उम्र नहीं है।
इसलिए मुझे उस पर गुस्सा आने लगा फिर मैंने करवट ली और अपने मोबाइल चालू किया ओर नेट-सर्चिंग करने लगा।
पता नहीं कैसे.. आज पहली मेरे मोबाइल पर सेक्स वीडियो की एक साइट खुल गई.. और मैं ब्लू-फिल्म देखने की कोशिश करने लगा.. वो चली तो नहीं लेकिन डाउनलोड हो गई।
डाउनलोड होने के बाद मैं अकेले ही पूरा सेक्स वीडियो देखने लगा। उसमें एक काला आदमी का बहुत बड़ा काला लम्बा लण्ड था.. जिससे वो एक लड़की को कुतिया बना कर ज़ोर-ज़ोर से चोद रहा था।
मेरे मोबाइल से ‘आआ.. उूउ.. ऊऊ.. यस..यस..’ की आवाज़ निकल रही थी तो आवाज़ सुन कर राजेश्वरी ने पूछा- ये क्या चला रहे हो?
तो मैंने कहा- आकर खुद ही देख ले।
वो मेरी तरफ खिसक आई और मुझसे चिपक कर वीडियो देखने लगी।
वीडियो देख कर थोड़ी देर में ही हम दोनों गरम होने लगे थे। अब राजेश्वरी मेरे बदन को सहला रही थी और मुझे भी मजा आ रहा था। मैं भी उसके जिस्म को सहलाने लगा और उसे भी मजा आने लगा।
मैंने मोबाइल राजेश्वरी के हाथ में दे दिया अब वो वीडियो देख रही थी और मैं उसकी चूचियों को चूस रहा था और उसके मलाई जैसे जिस्म को सहला रहा था।
उसकी जाँघें बिल्कुल स्पंज जैसी गुदांज थीं.. मैं उसकी रानों को सहला रहा था वास्तव में उसकी रानें बड़ी मस्त थीं।
अब वो गरम होती जा रही थी.. उसने मेरा सिर पकड़ा और अपनी छाती पर दबाने लगी।
मैं उसकी एक चूची को मुँह से चूस रहा था और दूसरी चूची को कभी सहलाता.. तो कभी उसके निप्पल को दबाता।
अब मेरा लण्ड भी अकड़ गया था और उसकी जाँघों पर टच कर रहा था।
फिर मैंने धीरे-धीरे एक हाथ उसकी चूत की तरफ बढ़ाया और उसकी पैन्टी के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाने लगा। तो उसने झट से मेरा हाथ हटा दिया। मैंने फिर रखा तो उसने फिर हटा दिया इस तरह उसने 2-3 बार मेरा हाथ अपनी चूत से हटा दिया था। पर इस सबसे उसकी चूत गीली होने लगी थी।
कुछ देर बाद मैंने फिर से अपना हाथ उसकी चूत पर रख दिया.. अब उसने बस मेरी तरफ देखा और फिर से वीडियो देखने लगी।
अब शायद उसे भी अच्छा लग रहा था। कुछ देर चूत सहलाने बाद मैं उसको चुम्बन करते हुए उसके पैरों की तरफ खिसकने लगा और उसे लगातार चुम्बन करता रहा।
फिर जैसे मैंने उसकी चूत पर चुम्बन किया.. उसकी एक मीठी सी सीत्कार ‘आआहह..’ निकल गई।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
अब क्या था.. मैंने झट से उसकी पैन्टी उतार दी। उसकी चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी। आह्ह.. क्या मस्त चूत थी यार.. मैंने पहली बार की लड़की की चूत देखी थी। मैं तो देखता ही रह गया। उसकी एकदम गोरी और गुलाबी रंगत लिए हुए चूत ऐसी लग रही थी कि इसे खा जाऊँ।
फिर मैंने उसकी चूत पर चुम्बन किया और मेरे चुम्बन करते ही वो मज़े से मचलने लगी और एक हाथ से अपनी चूचियों को दबाने लगी।
अब मैं उसकी चूत को चाट रहा था। फिर जब मैं उसकी चूत में अपनी जीभ घुसा देता.. तो कभी काट लेता.. ऐसा करने से वो मस्ती में झूमने लगती और ‘आह्ह..’ भरने लगती।
फिर इस क्रिया से उसकी चूत मस्त हो गई और उसकी मादक आवाजें गूँजने लगीं- आअहह.. ऊहह.. ऊओह.. आअ.. आअहह..
मैं लगातार चाटता ही रहा.. अब वो उत्तेजित हो कर अपनी चूत इधर-उधर करने लगी और मेरे मुँह की तरफ चूत को उठाने लगी।
कुछ ही देर बाद उसने बिस्तर की चादर को पकड़ा और अकड़ गई। वो बहुत तेज स्वर में आहें भरने लगी। कुछ ही पलों में वो झड़ चुकी थी और पूरी तरह गरम हो चुकी थी।
मैं उठा और उसके ऊपर चढ़ गया और उसे होंठों पर चुम्बन करने लगा.. हमारी जीभ से जीभ टकराने लगी। वो भी मेरा साथ दे रही थी। मैं एक हाथ से उसकी चूचियों को दबा रहा था।
अब वो अपना एक हाथ नीचे की तरफ ले गई और उसने मेरा लण्ड पकड़ लिया। वो मेरे लौड़े को अपनी चूत के छेद पर लगाने लगी.. और मचलने लगी।
उसकी चूत बहुत छोटी सी थी.. मेरा लण्ड बड़ा था.. तो चूत में लवड़ा घुस नहीं रहा था। वो बहुत कोशिश कर रही थी.. अब उसे कहना ही पड़ा- इसे जल्दी से मेरी चूत में डालो..
यह सुनते ही मैं उसकी टांगों के बीच घुटनों के बल बैठ गया और मैंने बहुत सारा थूक उसकी चूत पर लगा दिया, मैंने अपने लण्ड पर भी थूक लगाया और उसकी टाँगें फैलाकर अपना लण्ड उसकी चूत के मुँह पर रख दिया।
फिर मैंने एक ज़ोरदार धक्का मारा तो बड़ी मुश्किल से लण्ड का सुपारा उसकी चूत में घुस पाया। इतने से ही उसकी चीख निकल गई और वो मुझे हटाने की कोशिश करने लगी।
मगर मैंने एक और धक्का मारा तो मेरा लण्ड उसकी कोमल चूत को फाड़ते हुए 3 इंच अन्दर घुस गया।
उसकी और तेज चीख निकल गई- उई माँ.. मर गई.. इसे निकालो.. मुझे नहीं चुदना..
उसकी आँखों से आँसू निकलने लगे, अब वो मुझे जोर-जोर से लण्ड बाहर निकालने के लिए कहने लगी और रोने लगी लेकिन मैंने उसकी एक न सुनी और एक और धक्का मारा.. अब की बार मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत में समा गया।
इस बार उसकी बहुत तेज चीख निकली और वो एकदम से बेहोश हो गई।
लेकिन मैं नहीं रुका और उसे चोदता ही रहा.. मुझे बहुत मजा आ रहा था। क्यूँकि उसकी चूत बहुत कसी हुई थी.. मेरा लण्ड उसकी चूत में एकदम फंसा हुआ था।
मैं तो मस्ती से हचक कर उसकी चूत में धक्के लगा रहा था।
करीब 10 मिनट बाद उसे होश आ गया और वो रोने लगी और मुझे हटाने की कोशिश करने लगी। लेकिन मैंने उसकी कमर पकड़ी हुई थी और तेज-तेज धक्के देता रहा।
‘ओई मम्मी..रे.. मार दिया.. मेरी फट गई..’
उसकी चीखने की आवाज अब कुछ मद्धिम होने लगी और कुछ देर बाद उसका दर्द कम होने लगा, अब उसके मुँह से कोई आवाज़ नहीं निकल रही थी.. बस वो चुपचाप पड़ी.. मेरी तरफ देख रही थी।
मैं धक्के पर धक्के लगा रहा था और चूचियों को भी दबा रहा था।
कुछ देर बाद वो भी मस्ती में झूमने लगी और अपनी गाण्ड उठा-उठा कर मेरा साथ देने लगी।
करीब 30 मिनट की चुदाई के बाद अब हम अपनी चरम सीमा पर पहुँच चुके थे और झड़ने ही वाले थे।
फिर मैं ज़ोर-ज़ोर से धक्के लगाने लगा और राजेश्वरी की भी सिसकियाँ निकल रही थीं- आआ.. आहह.. आहह.. ऊऊहह.. उईई… यस..स्स आआअहह और जोर से.. आह्ह..
वो और मैं दोनों एक साथ झड़ गए। हम दोनों को अपनी इस पहली चुदाई में बहुत मजा आया।
उसके बाद से हम रात को 4 या 5 बार चुदाई तो कर ही लेते थे और सारा दिन घूमते थे। ऐसे ही एक महीने तक चला.. घूमना-फिरना.. मस्ती करना और रात को चुदाई करना।
एक महीने बाद हमारे पैसे खत्म होने वाले थे.. थोड़े ही बचे थे करीब 1000 रुपए.. अब हमको चिंता होने लगी कि अब बिना पैसों के कैसे रहेंगे।
लेकिन अभी भी हमारी पास राजेश्वरी की माँ के ज़ेवर थे.. लेकिन उनको कहाँ बेचें..
जब हमारे सारे पैसे खत्म हो गए तो जेवर बेचने के अलावा और कोई चारा नहीं था। करीब 3 लाख के जेवर थे.. तो थोड़े से जेवर ही लेकर एक दुकान पर पहुँचे.. तो जेवर को देखा और बोला- एक लाख रुपए मिल जायेंगे।
हमने ‘हाँ’ कर दी और वो मुझे पूछने लगा- ये जेवर कहाँ से लाए हो?
तो राजेश्वरी ने कहा- ये मेरी माँ के हैं.. वो बहुत बीमार हैं.. हॉस्पिटल में पैसों की ज़रूरत है इसीलिए बेचने पड़ रहे हैं।
हमने बहुत झूठ बोला लेकिन दुकान वाले को कुछ शक हो गया था कि कहीं कुछ गड़बड़ है और वो अपनी दुकान में अन्दर गया और फिर थोड़ी देर बाद आ गया।
फिर हमने पैसे माँगे तो बोला- थोड़ी देर रुक जाओ.. लड़का पैसे लेकर आ ही रहा होगा।
हम बैठे रहे हमको कुछ पता ही नहीं लगा था कि क्या खिचड़ी पक रही है।
करीब 20 मिनट बाद देखा तो पुलिस आ गई थी। उसमें एक दरोगा था और 4 हवलदार थे। दुकान वाले ने उनको हमारी तरफ इशारा किया।
पुलिस वालों ने हमको पकड़ लिया और साथ ले गए और पूछतांछ की.. तो हमने सब कुछ बता दिया और उन्होंने हम दोनों के घर फ़ोन कर दिया।
कुछ घंटों बाद घर वाले हमको लेने आ गए और हम उनके साथ घर चले गए। ये तो तय था कि पिटाई होनी ही थी सो खूब हुई।
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