यह कहानी मेरी एक सहेली कनिका के बॉयफ्रेंड की है, उस के कहने पर भेज रही हूँ…
हाय दोस्तो, मेरा नाम विवियन है, बी-फार्मा कर रहा हूँ, मेरी उम्र 19 वर्ष की है।
मैं गांधीनगर में रहता हूँ। मैं आपको मेरी पहली सेक्स कहानी सुनाने जा रहा हूँ।
मेरे घर के पास संध्या नाम की लड़की रहती थी, वो भी 18 वर्ष की भरी-पूरी जवान लड़की थी।
एक दूसरी लड़की मेरी गर्ल-फ़्रेण्ड थी.. उसका नाम कनिका था।
संध्या को मेरे और कनिका के सेक्स सम्बन्ध के बारे में पता था, मैं जब कनिका को कहीं ले जाता था तो यह बात संध्या को पता होती थी क्योंकि मैं संध्या के घर से ही कनिका को फोन किया करता था।
कनिका और संध्या अच्छी सहेलियों की तरह बातें करती थीं।
कनिका मेरे और उसके बीच हुए सेक्स के बारे में संध्या को बता दिया करती थी।
कनिका को इस बात का आभास नहीं था कि उसके द्वारा सेक्स की बातें बता देने से संध्या के मन में भी चूत चुदाने की इच्छा जागृत हो गई थी।
नादान सन्ध्या मेरे घर आकर मुझे पूछती- भैया.. कल आपने कनिका के साथ क्या क्या किया?
मैं उससे बोलता- तुझे उस से क्या लेना देना है..
और इस तरह मैं उसे टाल देता था।
वो मेरी देख कर शरमा कर चली जाती थी।
जब मैंने कनिका से संध्या के बारे में पूछा तो उसने बताया कि वो मेरे और उसकी चुदाई की सारी बातें संध्या को बता देती थी।
मैं अब सब कुछ समझ गया था।
एक दिन जब मैं अपने घर में काम कर रहा था.. तो संध्या मेरे पास आई और मुझसे बातें करने लगी।
मैंने उससे कहा- तू अभी जा.. थोड़ी देर से आना.. मुझे कुछ काम करना है।
मगर वो नहीं मानी। मैं उससे थोड़ी देर तक कहता रहा.. फिर वो चली गई।
तभी मेरी मम्मी को बाज़ार जाना था तो मम्मी ने मुझसे कहा- मैं थोड़ी देर में वापिस आ जाऊँगी.. तुझे चाय वगैरह पीनी हो तो संध्या को बोल देना.. वो बना देगी।
मैंने कहा- ठीक है।
मम्मी के जाने के ठीक बाद संध्या फिर से मेरे यहाँ आ गई और मुझे परेशान करने लगी।
मैं आज अपना काम नहीं कर पा रहा था। इतने में संध्या मेरे हाथ से पेन छीन कर मेरे कमरे में भागने लगी।
मैं उसे पकड़ने के लिए खड़ा हुआ और झपट कर मैंने उसे पीछे से पकड़ लिया।
जब मैंने उसको पकड़ा तो मेरे हाथ उसकी चूचियों पर आ गए थे, उसकी चूचियाँ बहुत ही नर्म और छोटी-छोटी थी।
मेरे हाथों से उसके कोमल स्तन दब से गए थे। अब स्थिति कुछ इस तरह बन गई थी कि मेरा लण्ड उसकी गाण्ड पर टिका हुआ था। उसके चूतड़ों की गोलाइयों ने मेरे लण्ड को छूकर उसमें आग सी लगा थी।
उसको थोड़ी देर तक यूँ ही पकड़ने के बाद उसने मुझे मेरा पेन वापस दे दिया। मैं अब पेन नहीं लेना चाहता था.. मुझे मजा जो आ रहा था.. पर मुझे छोड़ना ही पड़ा।
मैंने उससे कहा- मेरे लिए चाय बना दे।
उसने कहा- ठीक है भैया..
वो चाय बनाने के लिए रसोई में चली गई।
मैं थोड़ी देर तक सोचता रहा कि अब क्या करूँ मगर अब मुझसे चुदाई किए बिना नहीं रहा जा रहा था।
मैं धीरे से उसके पास रसोई में गया और उसके पीछे जाकर खड़ा होकर चिपक सा गया और कहने लगा- क्या यार.. अभी तक चाय नहीं बनी?
मेरे स्पर्श से वो लहरा सी गई।
फिर मैं उसके पीछे से हट गया.. क्योंकि वो कुछ समझ गई थी।
वो मुझसे कहने लगी- भैया दूर रहो.. करण्ट सा लगता है..
मैं भी समझ गया गया था कि वो क्या कह रही है।
उसने मुझे चाय दी और कहा- भैया मैं घर जा रही हूँ।
मैंने कहा- कहा रुक ना.. चाय तो पीने दे उसके बाद चली जाना।
उसने कहा- ठीक है.. पी लो।
मैं उसे अपने कमरे में ले गया।
वो मेरे कमरे में एक कोने में चुपचाप खड़ी हो गई।
मैंने सोचा कि अब क्या किया जाए… मैंने उससे जानबूझ कर कनिका की बात को छेड़ा।
मैंने उससे पूछा- तेरी कनिका से कोई बात हुई है क्या?
उसने कहा- नहीं..
फिर मैंने उसको कहा- तू कनिका को फोन करके यहाँ बुला ले।
उसने कहा- क्यों.. यहाँ क्यूँ बुला रहे हो भैया?
मैंने कहा- मम्मी नहीं है ना इसीलिए।
उसने कहा- ठीक है.. मैं उसे फोन करके आती हूँ।
मैंने कहा- रुक..
मेरे यह कहने से वो रुक गई और कहने लगी- बोलिए.. क्या कह रहे हो भैया?
मैंने उससे पूछा- कनिका तुझे क्या-क्या बताती है।
तो उसने होंठ दबाते हुए कहा- कुछ नहीं।
मैं समझ गया कि यह अब मुझसे बोलने में डर रही है।
मैंने कहा- सध्या.. जरा मेरे पास तो आ..
वो बोली- क्यूँ?
मैंने कहा- आ तो सही।
वो धीरे से मेरे पास आई। मैंने उसको बिस्तर पर बैठाया और कहा- संध्या तुझे सब पता है ना.. मेरे और कनिका के सेक्स के बारे में..
तो वह कहने लगी- भैया मुझे कुछ नहीं पता है.. कसम से..
वो उस समय डर गई थी। फिर मैंने कहा- कोई बात नहीं.. तुझे हमारी बातें जानना हो तो मुझसे पूछ लिया कर.. मगर कनिका से मत पूछा कर।
तो उसने तुरन्त पूछा- क्यूँ?
मैंने कहा- कहीं कनिका ने तेरी मम्मी से कह दिया तो?
उसने धीरे से ‘हाँ’ में सर हिलाया। उसके बाद मैंने उससे पूछा- तुझे जानना है क्या..? अभी बता..!
तो उसने धीरे से अपने मुँह को ‘नहीं’ में हिलाया। फिर भी मैंने उसको बात बताना शुरु कर दिया। थोड़ी देर तक तो वो ‘ना.. ना..’ कर रही थी.. उसके बाद वो गौर से सुनने लगी। मैंने उसको रस लेते हुए एक बात तो पूरी बता दी।
उसके बाद उसने मुझसे कहा- भैया कोई और दिन की बात सुनाओ ना..
जब मैंने उससे कहा- मैं अब सुनाऊँगा नहीं बल्कि करके बताऊँगा।
‘नहीं ना.. हटो.. नहीं..’
‘मैं करके बताना चाहता हूँ। उसमें अधिक मजा आता है…’
वो एकदम से खड़ी हो गई।
मैंने उसको आगे से पकड़ लिया और उसके होंठों की पप्पी लेने लगा। वह मुझसे छूटने की पूरी-पूरी कोशिश कर रही थी। मगर मैंने
उसको छोड़ा नहीं।
थोड़ी देर के बद मैंने उसको कहा- बिस्तर पर लेट जा..
मगर वो बोली- मैं चिल्ला दूँगी.. भैया मुझसे छोड़ो..
मैंने कहा- ठीक है तू चिल्ला..
मैंने उसको अपने हाथों में उठाया और बिस्तर पर लेटा दिया और उसके ऊपर लेट गया।
अब मैंने उसके दोनों हाथों को पकड़ लिया और उसको चूमने लगा।
थोड़ी देर तक तो वो ‘ना.. ना..’ करती रही, फिर मैंने अपने एक ही हाथ से उसके दोनों हाथ पकड़ लिए और एक हाथ से उसके सलवार का नाड़ा खोल दिया।
वो लगातार ‘नहीं.. नहीं..’ कर रही थी, फिर मैंने उसके सलवार में हाथ डाल कर उसकी चूत को सहलाने लगा।
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थोड़ी देर तक यह करने के बाद वो भी गरम होने लगी, मैंने फिर उसके हाथ को छोड़ दिया और उसके बाद मैं समझ गया कि अब यह भी गरम हो गई है।
फिर मैंने उसकी कुरती उतार दी और उसके साथ उसकी शमीज भी उतार दी।
मैं उसके चीकू जैसे स्तनों को सहलाने लगा और उसकी चूत को भी सहलाने लगा। मुझे पता था कि यह पहली बार चुदाई करवा रही है।
उसके मुँह से ‘आह्हह्ह… ह्हह्ह’ की आवाज आ रही थीं।
मैंने उससे कहा- मैं कनिका के साथ भी यही करता हूँ।
तो उसने अपनी बन्द आँखें खोलीं और नशीली आवाज में कहा- उसके बाद क्या करते हो?
मैं समझ गया था कि यह अब पूरी गर्म हो गई है, मैंने उसके पूरे कपड़े उतार दिए, अब वह मेरे सामने पूरी नंगी थी।
मैंने भी फिर अपने कपड़े उतारे और तेल की शीशी ले कर आया।
मैंने अपने 7 इन्च के लण्ड पर तेल लगाया जो कि खड़ा हो गया था। उसके बाद उसकी चूत पर भी तेल लगाया। मैंने उसकी चूत में अपनी उंगली डाल कर तेल लगाते हुए उससे कहा- क्या मैं अपना लण्ड डालूँ?
तो उसने कामुकता से कहा- हाँ.. डाल दो ना भैया..
मैंने जैसे ही अपना थोड़ा सा लण्ड उसकी चूत में दबाया तो वह जोर से चिल्ला दी।
‘ऊऊओ.. म्मम्मम्मम्मी.. आआ.. आहहअ.. अईईए.. नहीं.. ईईई.. भैयाआआ.. बाहर.. निकालो..’
मैंने अपना लण्ड निकाला और कहा- थोड़ा तो दर्द होगा.. तू इतनी ज़ोर से मत चिल्लाना।
उसने रुआंसे होते हुए कहा- ठीक है.. मगर भैया थोड़ा धीरे-धीरे डालना।
मैंने फिर से अपना लण्ड उसकी चूत में डाला.. तो वह फिर से चिल्लाई।
अबकी बार मैंने अपना मुँह उसके मुँह पर रख दिया और उसके मुँह को चूसने लगा। थोड़ी देर के बाद उसका चिल्लाना कम हुआ।
फिर मैंने अपनी कमर को थोड़ा पीछे करके ज़ोर से एक झटका दिया और अपना पूरा लण्ड उसकी चूत में पेल दिया। उसके बाद वह तो समझो मर ही गई थी।
वो इतनी ज़ोर से चिल्लाई- मम्मई.. नहीं ईईई.. अई.. भैयाआ.. आआअहह.. निकालो ऊऊऊ..
फिर मैंने उसका मुँह से अपना मुँह लगा। लिया और वो ज़ोर-ज़ोर से हिलने लगी। उसकी चूत में से खून आने लग गया और वह पागल सी हो गई।
मैंने उसके चिल्लाने पर भी उसे चोदना नहीं छोड़ा और चोदता ही चला गया। थोड़ी देर के बाद मेरे लण्ड से सफ़ेद गाढ़ा सा वीर्य निकलने को हुआ.. जो मैंने बाहर निकाल दिया।
मैं झड़ने के बाद उसके ऊपर ही थोड़ी देर लेटा रहा। मेरे लण्ड को उसकी चूत में से बाहर निकालने बाद ही उसने शान्ति की सांस ली और कहा- भैया अब मैं आपसे कभी नहीं चुदवाऊँगी।
मैं उससे कहा- तू अपना खून साफ़ कर ले और कपड़े पहन ले।
मैंने भी अपने कपड़े पहन लिए और उसके बाद अपना काम करने लगा गया।
थोड़ी देर के बाद वह कमरे में से बाहर आई और कहा- भैया मैं जा रही हूँ।
मैंने कहा- ठीक है.. अब कब आएगी।
तो उसने कहा- जब समय मिलेगा।
वो चली गई.. पर आज भी जब भी मौका मिलता है.. मैं उसको चोदता रहता हूँ। अब वो भी चुदाई का पूरा मजा लेती है।
दोस्तो, मेरी यह कहानी आप लोगों को कैसी लगी, मुझे जरूर बतायें!
कहानी के विषय में लिखना चाहते हों तो मुझे ईमेल कीजिएगा।
हाय दोस्तो, मेरा नाम विवियन है, बी-फार्मा कर रहा हूँ, मेरी उम्र 19 वर्ष की है।
मैं गांधीनगर में रहता हूँ। मैं आपको मेरी पहली सेक्स कहानी सुनाने जा रहा हूँ।
मेरे घर के पास संध्या नाम की लड़की रहती थी, वो भी 18 वर्ष की भरी-पूरी जवान लड़की थी।
एक दूसरी लड़की मेरी गर्ल-फ़्रेण्ड थी.. उसका नाम कनिका था।
संध्या को मेरे और कनिका के सेक्स सम्बन्ध के बारे में पता था, मैं जब कनिका को कहीं ले जाता था तो यह बात संध्या को पता होती थी क्योंकि मैं संध्या के घर से ही कनिका को फोन किया करता था।
कनिका और संध्या अच्छी सहेलियों की तरह बातें करती थीं।
कनिका मेरे और उसके बीच हुए सेक्स के बारे में संध्या को बता दिया करती थी।
कनिका को इस बात का आभास नहीं था कि उसके द्वारा सेक्स की बातें बता देने से संध्या के मन में भी चूत चुदाने की इच्छा जागृत हो गई थी।
नादान सन्ध्या मेरे घर आकर मुझे पूछती- भैया.. कल आपने कनिका के साथ क्या क्या किया?
मैं उससे बोलता- तुझे उस से क्या लेना देना है..
और इस तरह मैं उसे टाल देता था।
वो मेरी देख कर शरमा कर चली जाती थी।
जब मैंने कनिका से संध्या के बारे में पूछा तो उसने बताया कि वो मेरे और उसकी चुदाई की सारी बातें संध्या को बता देती थी।
मैं अब सब कुछ समझ गया था।
एक दिन जब मैं अपने घर में काम कर रहा था.. तो संध्या मेरे पास आई और मुझसे बातें करने लगी।
मैंने उससे कहा- तू अभी जा.. थोड़ी देर से आना.. मुझे कुछ काम करना है।
मगर वो नहीं मानी। मैं उससे थोड़ी देर तक कहता रहा.. फिर वो चली गई।
तभी मेरी मम्मी को बाज़ार जाना था तो मम्मी ने मुझसे कहा- मैं थोड़ी देर में वापिस आ जाऊँगी.. तुझे चाय वगैरह पीनी हो तो संध्या को बोल देना.. वो बना देगी।
मैंने कहा- ठीक है।
मम्मी के जाने के ठीक बाद संध्या फिर से मेरे यहाँ आ गई और मुझे परेशान करने लगी।
मैं आज अपना काम नहीं कर पा रहा था। इतने में संध्या मेरे हाथ से पेन छीन कर मेरे कमरे में भागने लगी।
मैं उसे पकड़ने के लिए खड़ा हुआ और झपट कर मैंने उसे पीछे से पकड़ लिया।
जब मैंने उसको पकड़ा तो मेरे हाथ उसकी चूचियों पर आ गए थे, उसकी चूचियाँ बहुत ही नर्म और छोटी-छोटी थी।
मेरे हाथों से उसके कोमल स्तन दब से गए थे। अब स्थिति कुछ इस तरह बन गई थी कि मेरा लण्ड उसकी गाण्ड पर टिका हुआ था। उसके चूतड़ों की गोलाइयों ने मेरे लण्ड को छूकर उसमें आग सी लगा थी।
उसको थोड़ी देर तक यूँ ही पकड़ने के बाद उसने मुझे मेरा पेन वापस दे दिया। मैं अब पेन नहीं लेना चाहता था.. मुझे मजा जो आ रहा था.. पर मुझे छोड़ना ही पड़ा।
मैंने उससे कहा- मेरे लिए चाय बना दे।
उसने कहा- ठीक है भैया..
वो चाय बनाने के लिए रसोई में चली गई।
मैं थोड़ी देर तक सोचता रहा कि अब क्या करूँ मगर अब मुझसे चुदाई किए बिना नहीं रहा जा रहा था।
मैं धीरे से उसके पास रसोई में गया और उसके पीछे जाकर खड़ा होकर चिपक सा गया और कहने लगा- क्या यार.. अभी तक चाय नहीं बनी?
मेरे स्पर्श से वो लहरा सी गई।
फिर मैं उसके पीछे से हट गया.. क्योंकि वो कुछ समझ गई थी।
वो मुझसे कहने लगी- भैया दूर रहो.. करण्ट सा लगता है..
मैं भी समझ गया गया था कि वो क्या कह रही है।
उसने मुझे चाय दी और कहा- भैया मैं घर जा रही हूँ।
मैंने कहा- कहा रुक ना.. चाय तो पीने दे उसके बाद चली जाना।
उसने कहा- ठीक है.. पी लो।
मैं उसे अपने कमरे में ले गया।
वो मेरे कमरे में एक कोने में चुपचाप खड़ी हो गई।
मैंने सोचा कि अब क्या किया जाए… मैंने उससे जानबूझ कर कनिका की बात को छेड़ा।
मैंने उससे पूछा- तेरी कनिका से कोई बात हुई है क्या?
उसने कहा- नहीं..
फिर मैंने उसको कहा- तू कनिका को फोन करके यहाँ बुला ले।
उसने कहा- क्यों.. यहाँ क्यूँ बुला रहे हो भैया?
मैंने कहा- मम्मी नहीं है ना इसीलिए।
उसने कहा- ठीक है.. मैं उसे फोन करके आती हूँ।
मैंने कहा- रुक..
मेरे यह कहने से वो रुक गई और कहने लगी- बोलिए.. क्या कह रहे हो भैया?
मैंने उससे पूछा- कनिका तुझे क्या-क्या बताती है।
तो उसने होंठ दबाते हुए कहा- कुछ नहीं।
मैं समझ गया कि यह अब मुझसे बोलने में डर रही है।
मैंने कहा- सध्या.. जरा मेरे पास तो आ..
वो बोली- क्यूँ?
मैंने कहा- आ तो सही।
वो धीरे से मेरे पास आई। मैंने उसको बिस्तर पर बैठाया और कहा- संध्या तुझे सब पता है ना.. मेरे और कनिका के सेक्स के बारे में..
तो वह कहने लगी- भैया मुझे कुछ नहीं पता है.. कसम से..
वो उस समय डर गई थी। फिर मैंने कहा- कोई बात नहीं.. तुझे हमारी बातें जानना हो तो मुझसे पूछ लिया कर.. मगर कनिका से मत पूछा कर।
तो उसने तुरन्त पूछा- क्यूँ?
मैंने कहा- कहीं कनिका ने तेरी मम्मी से कह दिया तो?
उसने धीरे से ‘हाँ’ में सर हिलाया। उसके बाद मैंने उससे पूछा- तुझे जानना है क्या..? अभी बता..!
तो उसने धीरे से अपने मुँह को ‘नहीं’ में हिलाया। फिर भी मैंने उसको बात बताना शुरु कर दिया। थोड़ी देर तक तो वो ‘ना.. ना..’ कर रही थी.. उसके बाद वो गौर से सुनने लगी। मैंने उसको रस लेते हुए एक बात तो पूरी बता दी।
उसके बाद उसने मुझसे कहा- भैया कोई और दिन की बात सुनाओ ना..
जब मैंने उससे कहा- मैं अब सुनाऊँगा नहीं बल्कि करके बताऊँगा।
‘नहीं ना.. हटो.. नहीं..’
‘मैं करके बताना चाहता हूँ। उसमें अधिक मजा आता है…’
वो एकदम से खड़ी हो गई।
मैंने उसको आगे से पकड़ लिया और उसके होंठों की पप्पी लेने लगा। वह मुझसे छूटने की पूरी-पूरी कोशिश कर रही थी। मगर मैंने
उसको छोड़ा नहीं।
थोड़ी देर के बद मैंने उसको कहा- बिस्तर पर लेट जा..
मगर वो बोली- मैं चिल्ला दूँगी.. भैया मुझसे छोड़ो..
मैंने कहा- ठीक है तू चिल्ला..
मैंने उसको अपने हाथों में उठाया और बिस्तर पर लेटा दिया और उसके ऊपर लेट गया।
अब मैंने उसके दोनों हाथों को पकड़ लिया और उसको चूमने लगा।
थोड़ी देर तक तो वो ‘ना.. ना..’ करती रही, फिर मैंने अपने एक ही हाथ से उसके दोनों हाथ पकड़ लिए और एक हाथ से उसके सलवार का नाड़ा खोल दिया।
वो लगातार ‘नहीं.. नहीं..’ कर रही थी, फिर मैंने उसके सलवार में हाथ डाल कर उसकी चूत को सहलाने लगा।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
थोड़ी देर तक यह करने के बाद वो भी गरम होने लगी, मैंने फिर उसके हाथ को छोड़ दिया और उसके बाद मैं समझ गया कि अब यह भी गरम हो गई है।
फिर मैंने उसकी कुरती उतार दी और उसके साथ उसकी शमीज भी उतार दी।
मैं उसके चीकू जैसे स्तनों को सहलाने लगा और उसकी चूत को भी सहलाने लगा। मुझे पता था कि यह पहली बार चुदाई करवा रही है।
उसके मुँह से ‘आह्हह्ह… ह्हह्ह’ की आवाज आ रही थीं।
मैंने उससे कहा- मैं कनिका के साथ भी यही करता हूँ।
तो उसने अपनी बन्द आँखें खोलीं और नशीली आवाज में कहा- उसके बाद क्या करते हो?
मैं समझ गया था कि यह अब पूरी गर्म हो गई है, मैंने उसके पूरे कपड़े उतार दिए, अब वह मेरे सामने पूरी नंगी थी।
मैंने भी फिर अपने कपड़े उतारे और तेल की शीशी ले कर आया।
मैंने अपने 7 इन्च के लण्ड पर तेल लगाया जो कि खड़ा हो गया था। उसके बाद उसकी चूत पर भी तेल लगाया। मैंने उसकी चूत में अपनी उंगली डाल कर तेल लगाते हुए उससे कहा- क्या मैं अपना लण्ड डालूँ?
तो उसने कामुकता से कहा- हाँ.. डाल दो ना भैया..
मैंने जैसे ही अपना थोड़ा सा लण्ड उसकी चूत में दबाया तो वह जोर से चिल्ला दी।
‘ऊऊओ.. म्मम्मम्मम्मी.. आआ.. आहहअ.. अईईए.. नहीं.. ईईई.. भैयाआआ.. बाहर.. निकालो..’
मैंने अपना लण्ड निकाला और कहा- थोड़ा तो दर्द होगा.. तू इतनी ज़ोर से मत चिल्लाना।
उसने रुआंसे होते हुए कहा- ठीक है.. मगर भैया थोड़ा धीरे-धीरे डालना।
मैंने फिर से अपना लण्ड उसकी चूत में डाला.. तो वह फिर से चिल्लाई।
अबकी बार मैंने अपना मुँह उसके मुँह पर रख दिया और उसके मुँह को चूसने लगा। थोड़ी देर के बाद उसका चिल्लाना कम हुआ।
फिर मैंने अपनी कमर को थोड़ा पीछे करके ज़ोर से एक झटका दिया और अपना पूरा लण्ड उसकी चूत में पेल दिया। उसके बाद वह तो समझो मर ही गई थी।
वो इतनी ज़ोर से चिल्लाई- मम्मई.. नहीं ईईई.. अई.. भैयाआ.. आआअहह.. निकालो ऊऊऊ..
फिर मैंने उसका मुँह से अपना मुँह लगा। लिया और वो ज़ोर-ज़ोर से हिलने लगी। उसकी चूत में से खून आने लग गया और वह पागल सी हो गई।
मैंने उसके चिल्लाने पर भी उसे चोदना नहीं छोड़ा और चोदता ही चला गया। थोड़ी देर के बाद मेरे लण्ड से सफ़ेद गाढ़ा सा वीर्य निकलने को हुआ.. जो मैंने बाहर निकाल दिया।
मैं झड़ने के बाद उसके ऊपर ही थोड़ी देर लेटा रहा। मेरे लण्ड को उसकी चूत में से बाहर निकालने बाद ही उसने शान्ति की सांस ली और कहा- भैया अब मैं आपसे कभी नहीं चुदवाऊँगी।
मैं उससे कहा- तू अपना खून साफ़ कर ले और कपड़े पहन ले।
मैंने भी अपने कपड़े पहन लिए और उसके बाद अपना काम करने लगा गया।
थोड़ी देर के बाद वह कमरे में से बाहर आई और कहा- भैया मैं जा रही हूँ।
मैंने कहा- ठीक है.. अब कब आएगी।
तो उसने कहा- जब समय मिलेगा।
वो चली गई.. पर आज भी जब भी मौका मिलता है.. मैं उसको चोदता रहता हूँ। अब वो भी चुदाई का पूरा मजा लेती है।
दोस्तो, मेरी यह कहानी आप लोगों को कैसी लगी, मुझे जरूर बतायें!
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