मेरा नाम सुदर्शन है.. मैं उत्तर-प्रदेश में रहता हूँ। मेरा लंड 17 सेंटीमीटर लम्बा है.. आप हंसिए मत मैंने नाप कर लिखा है।
वैसे तो यह घटना पुरानी है.. पर जब भी मैंने अन्तर्वासना पर कहानियां पढ़ीं तो मुझे भी लगता था कि मैं भी अपनी सत्य घटना आप सबसे साझा करूँ।
जब मेरी बड़ी बहन की शादी हुई तो मैं पहली बार उनको उनकी ससुराल लिवाने गया।
उस समय मेरी उम्र किशोर वय की थी।
बाद में बहन की ससुराल में मेरा जाना-आना होने लगा और एक बार जब मेरी स्कूल की छुट्टियाँ हुईं तो मेरे जीजाजी ने मुझे उधर ही रोक लिया और मैंने पूरे दो महीने की गर्मी की छुट्टियाँ वहीं बिताईं।
मेरे जीजा जी की चार बहनें थीं.. वहाँ उनकी चार बहनों के साथ खेलने के दौरान कृति से.. मेरी सबसे ज्यादा पटती थी..
वो चारों बहनों में सबसे छोटी थी पर मुझसे 8 माह बड़ी थी.. उससे मेरी अच्छी दोस्ती हो गई।
अब मैं हर साल गर्मी की छुट्टियाँ वहीं बिताता।
धीरे-धीरे उसके साथ मेरी दोस्ती.. प्यार में बदलने लगी।
अब वो 19 की हो गई थी। हम एक-दूसरे से मजाक करते थे।
अकेले में एक-दूसरे के अंगों से छेड़-छाड़ भी करते.. पर चुदाई का मौका नहीं मिला।
समय यूँ ही गुजरता गया.. उसने बीए करने के बाद बीटीसी करने के लिए फार्म भरा और मेरे शहर में परीक्षा देने के लिए सेंटर चुना।
अब वो मेरे घर पर रह कर पढ़ाई करने लगी।
मैं भी आरआरबी और एसएससी की तैयारी करने लगा।
मेरा पढ़ाई का कमरा ऊपर था.. वो भी वहाँ दिन में पढ़ने आती थी। कमरे में एक पट्टे से बुनी हुई खटिया थी।
उस जमाने में मस्तराम की किताबें ही हम लोगों की कामेच्छा की पूर्ति करती थीं.. आजकल की तरह मोबाइल का जमाना नहीं था।
मैं अक्सर चुदाई की किताब पढ़ते समय खटिया के पट्टे को सरका कर छेद में अपना लंड डाल कर खटिया-चोदन करता।
यह हस्तमैथुन से ज्यादा मजा देता था।
एक दिन मैं मस्तराम की नई किताब ले आया और हमेशा की तरह पढ़ते समय खटिया के छेद में लिंग डाल कर आगे-पीछे करने लगा..
कुछ समय बाद वीर्यपात हुआ।
तभी खटिया के नीचे से किसी की कसमसाहट की आवाज हुई।
मैंने देखा वो कृति थी।
वो नीचे लेटी थी और सोने का नाटक कर रही थी।
मैंने उसे खटिया के नीचे लेटा देख कर उससे शर्मिंदगी से देखा।
मेरा वीर्य गिरने से वो गीली हो कर उठ गई।
वो बोली- वाशिंग मशीन घर में है.. और तुम पत्थर पर कपड़े धो रहे हो।
उसकी बात सुन कर मैं हतप्रभ रह गया.. मेरी सोयी ही वासना जाग उठी।
वो भी मस्त होकर मेरी तरफ देख रही थी।
मैंने उसकी ओर प्यार से देख कर उसकी तरफ अपनी बाँहें फैला दीं और कृति आगे बढ़ कर मेरे बाहुपाश में बंध गई।
फिर हमारे होंठ एक हो गए.. धीरे-धीरे हम दोनों के जिस्म एक-दूसरे में समा गए।
उसने फुसफुसा कर कहा- दरवाजे बन्द कर लो।
मैंने दरवाजे बन्द किए और उस पर टूट पड़ा.. कब उसके वस्त्रों को मैंने उतार दिया पता ही नहीं चला।
उसके नग्न सौन्दर्य को मैं अपलक देखता ही रह गया। जबरदस्त कटीली छमिया लग रही थी.. उसके 32 नाप की रस भरी मुसम्मियाँ बिल्कुल उठी हुई थीं.. एकदम गोल.. हय.. मुझे तो नशा सा हो गया था।
नीचे सफाचट मैदान.. काम-छिद्र को मानो आज पूर्णरूप से छिदवाने की तैयारी थी..
तभी उसने आगे बढ़ कर मेरी लुँगी खींच दी.. और मेरा 17 नम्बर का औजार अपने हाथों में ले लिया।
मैं चौंक गया।
पूर्णरूप से उत्तेजित लण्ड अपने फौलादी रूप में आ चुका था।
मैंने उसको अपनी बाँहों में ले लिया और खटिया पर धकेल दिया।
कृति चित्त होकर मेरे लिए बिल्कुल खुली पड़ी थी।
हम दोनों का ही पहली बार था.. बहुत देर तक प्रणय लीला करने के बाद मैंने अपना लिंग उसकी योनि में पेवस्त कर दिया.. हाँ.. यह सत्य है कि उसको बहुत दर्द हुआ.. पर उसकी बहुत जोर से चीखें निकली हों.. ऐसा नहीं हुआ।
करीब दस मिनट तक हम दोनों का मिलन हुआ मैंने उसको बहुत दम से चोदा.. और चरम पर पहुँच कर मैंने उसको शिथिल होते हुए महसूस किया.. तभी मेरे लवड़े ने भी अपना लावा उगल दिया।
हम दोनों एक हो चुके थे.. कुछ पलों के बाद जब हम अलग हुए तो मुझे उससे निकले हुए रक्त के बारे में जानकारी हुई।
एक प्रसन्नता हुई कि वो कुँवारी थी और मैंने ही उसका कौमार्य भंग किया था।
फिर जब मौका मिलता हम चुदाई करते.. पर मैं इस बात का ध्यान रखता कि कहीं उसको बच्चा न ठहर जाए।
फिर उसका चयन टीचर हेतु हो गया।
मैंने दीदी और जीजाजी से बात की- मैं और आपकी बहन कृति शादी करना चाहते हैं।
वो तैयार नहीं हुए।
मैंने कृति को कोर्ट मैरिज करने के लिए कहा।
वो बोली- मैं भइया के खिलाफ नहीं जा सकती।
मैंने एक ट्रिक चली।
अब मैं बिना कंडोम के संबंध बनाता था।
इससे वो गर्भवती हो गई.. उसे पता चलने पर उसने मुझसे गर्भपात की दवा लाने को कहा।
मैं मेडिकल स्टोर से विटामिन की गोलियां रैपर से फाड़ कर उसको दे देता था।
उसने बाद में बोला- दवा असर नहीं कर रही है।
मैं हर बार अलग कंपनी की विटामिन की दवा रैपर फाड़ कर देता रहा।
इस तरह दो माह बीत गए।
वो नर्स से गर्भपात करवाने के लिए बोली।
मैंने कहा- ठीक है।
मैंने एक सरकारी हस्पताल की नर्स से पूछा- सिस्टर गर्भपात का खर्च कितना आता है?
वो मुझे घूरते हुए बोली- 2000.. क्यों?
मैंने उसको अपनी व्यथा बताई और कहा- मैं 3000 दूँगा.. बस तुम कहना गर्भपात कराने पर माँ की जान जा सकती है।
उसकी ललचाई आँखों को देख कर मुझे लगने लगा कि काम बन सकता है.. और यही हुआ।
उसने कहा- काम हो जाएगा।
मैं कृति को लेकर नर्स के पास गया।
नर्स ने अल्ट्रासाऊन्ड करवाने को बोला।
हम दोनों दो दिन बाद अल्ट्रासाऊन्ड रिपोर्ट लेकर पहुँचे।
नर्स ने कहा- गर्भ में दो बच्चे हैं.. गर्भपात करवाने पर तुम्हारी जान को बहुत खतरा है।
वो डर गई.. और हम घर चले आए।
वो रोने लगी.. मैंने उसे समझाया- अभी तीन माह बाद जीजाजी से बात करके मैं उन्हें शादी करवाने के लिए राजी कर लूँगा।
फिर मैंने उसकी बड़ी बहन से ये बात जीजाजी तक पहुँचाई।
अंत में थोड़ी मच-मच के बाद वो राजी हो गए।
मैं और कृति शादी के पवित्र बंधन में बंध गए। कुछ समय बाद हम दोनों को जुड़वां बच्चे लड़का+लड़की हुए।
अब वो मेरी पत्नी हो चुकी थी तो उसने नियमों के आधार पर मेरे शहर के एक सरकारी विद्यालय में अपना स्थानातरण करवा लिया।
मैं भी एक प्राइवेट कोचिंग चला रहा हूँ।
आज हम और हमारे परिवार वाले, जीजाजी आदि सब खुश हैं।
मुझे उम्मीद है कि आपको मेरी कहानी पसन्द आई होगी।
वैसे तो यह घटना पुरानी है.. पर जब भी मैंने अन्तर्वासना पर कहानियां पढ़ीं तो मुझे भी लगता था कि मैं भी अपनी सत्य घटना आप सबसे साझा करूँ।
जब मेरी बड़ी बहन की शादी हुई तो मैं पहली बार उनको उनकी ससुराल लिवाने गया।
उस समय मेरी उम्र किशोर वय की थी।
बाद में बहन की ससुराल में मेरा जाना-आना होने लगा और एक बार जब मेरी स्कूल की छुट्टियाँ हुईं तो मेरे जीजाजी ने मुझे उधर ही रोक लिया और मैंने पूरे दो महीने की गर्मी की छुट्टियाँ वहीं बिताईं।
मेरे जीजा जी की चार बहनें थीं.. वहाँ उनकी चार बहनों के साथ खेलने के दौरान कृति से.. मेरी सबसे ज्यादा पटती थी..
वो चारों बहनों में सबसे छोटी थी पर मुझसे 8 माह बड़ी थी.. उससे मेरी अच्छी दोस्ती हो गई।
अब मैं हर साल गर्मी की छुट्टियाँ वहीं बिताता।
धीरे-धीरे उसके साथ मेरी दोस्ती.. प्यार में बदलने लगी।
अब वो 19 की हो गई थी। हम एक-दूसरे से मजाक करते थे।
अकेले में एक-दूसरे के अंगों से छेड़-छाड़ भी करते.. पर चुदाई का मौका नहीं मिला।
समय यूँ ही गुजरता गया.. उसने बीए करने के बाद बीटीसी करने के लिए फार्म भरा और मेरे शहर में परीक्षा देने के लिए सेंटर चुना।
अब वो मेरे घर पर रह कर पढ़ाई करने लगी।
मैं भी आरआरबी और एसएससी की तैयारी करने लगा।
मेरा पढ़ाई का कमरा ऊपर था.. वो भी वहाँ दिन में पढ़ने आती थी। कमरे में एक पट्टे से बुनी हुई खटिया थी।
उस जमाने में मस्तराम की किताबें ही हम लोगों की कामेच्छा की पूर्ति करती थीं.. आजकल की तरह मोबाइल का जमाना नहीं था।
मैं अक्सर चुदाई की किताब पढ़ते समय खटिया के पट्टे को सरका कर छेद में अपना लंड डाल कर खटिया-चोदन करता।
यह हस्तमैथुन से ज्यादा मजा देता था।
एक दिन मैं मस्तराम की नई किताब ले आया और हमेशा की तरह पढ़ते समय खटिया के छेद में लिंग डाल कर आगे-पीछे करने लगा..
कुछ समय बाद वीर्यपात हुआ।
तभी खटिया के नीचे से किसी की कसमसाहट की आवाज हुई।
मैंने देखा वो कृति थी।
वो नीचे लेटी थी और सोने का नाटक कर रही थी।
मैंने उसे खटिया के नीचे लेटा देख कर उससे शर्मिंदगी से देखा।
मेरा वीर्य गिरने से वो गीली हो कर उठ गई।
वो बोली- वाशिंग मशीन घर में है.. और तुम पत्थर पर कपड़े धो रहे हो।
उसकी बात सुन कर मैं हतप्रभ रह गया.. मेरी सोयी ही वासना जाग उठी।
वो भी मस्त होकर मेरी तरफ देख रही थी।
मैंने उसकी ओर प्यार से देख कर उसकी तरफ अपनी बाँहें फैला दीं और कृति आगे बढ़ कर मेरे बाहुपाश में बंध गई।
फिर हमारे होंठ एक हो गए.. धीरे-धीरे हम दोनों के जिस्म एक-दूसरे में समा गए।
उसने फुसफुसा कर कहा- दरवाजे बन्द कर लो।
मैंने दरवाजे बन्द किए और उस पर टूट पड़ा.. कब उसके वस्त्रों को मैंने उतार दिया पता ही नहीं चला।
उसके नग्न सौन्दर्य को मैं अपलक देखता ही रह गया। जबरदस्त कटीली छमिया लग रही थी.. उसके 32 नाप की रस भरी मुसम्मियाँ बिल्कुल उठी हुई थीं.. एकदम गोल.. हय.. मुझे तो नशा सा हो गया था।
नीचे सफाचट मैदान.. काम-छिद्र को मानो आज पूर्णरूप से छिदवाने की तैयारी थी..
तभी उसने आगे बढ़ कर मेरी लुँगी खींच दी.. और मेरा 17 नम्बर का औजार अपने हाथों में ले लिया।
मैं चौंक गया।
पूर्णरूप से उत्तेजित लण्ड अपने फौलादी रूप में आ चुका था।
मैंने उसको अपनी बाँहों में ले लिया और खटिया पर धकेल दिया।
कृति चित्त होकर मेरे लिए बिल्कुल खुली पड़ी थी।
हम दोनों का ही पहली बार था.. बहुत देर तक प्रणय लीला करने के बाद मैंने अपना लिंग उसकी योनि में पेवस्त कर दिया.. हाँ.. यह सत्य है कि उसको बहुत दर्द हुआ.. पर उसकी बहुत जोर से चीखें निकली हों.. ऐसा नहीं हुआ।
करीब दस मिनट तक हम दोनों का मिलन हुआ मैंने उसको बहुत दम से चोदा.. और चरम पर पहुँच कर मैंने उसको शिथिल होते हुए महसूस किया.. तभी मेरे लवड़े ने भी अपना लावा उगल दिया।
हम दोनों एक हो चुके थे.. कुछ पलों के बाद जब हम अलग हुए तो मुझे उससे निकले हुए रक्त के बारे में जानकारी हुई।
एक प्रसन्नता हुई कि वो कुँवारी थी और मैंने ही उसका कौमार्य भंग किया था।
फिर जब मौका मिलता हम चुदाई करते.. पर मैं इस बात का ध्यान रखता कि कहीं उसको बच्चा न ठहर जाए।
फिर उसका चयन टीचर हेतु हो गया।
मैंने दीदी और जीजाजी से बात की- मैं और आपकी बहन कृति शादी करना चाहते हैं।
वो तैयार नहीं हुए।
मैंने कृति को कोर्ट मैरिज करने के लिए कहा।
वो बोली- मैं भइया के खिलाफ नहीं जा सकती।
मैंने एक ट्रिक चली।
अब मैं बिना कंडोम के संबंध बनाता था।
इससे वो गर्भवती हो गई.. उसे पता चलने पर उसने मुझसे गर्भपात की दवा लाने को कहा।
मैं मेडिकल स्टोर से विटामिन की गोलियां रैपर से फाड़ कर उसको दे देता था।
उसने बाद में बोला- दवा असर नहीं कर रही है।
मैं हर बार अलग कंपनी की विटामिन की दवा रैपर फाड़ कर देता रहा।
इस तरह दो माह बीत गए।
वो नर्स से गर्भपात करवाने के लिए बोली।
मैंने कहा- ठीक है।
मैंने एक सरकारी हस्पताल की नर्स से पूछा- सिस्टर गर्भपात का खर्च कितना आता है?
वो मुझे घूरते हुए बोली- 2000.. क्यों?
मैंने उसको अपनी व्यथा बताई और कहा- मैं 3000 दूँगा.. बस तुम कहना गर्भपात कराने पर माँ की जान जा सकती है।
उसकी ललचाई आँखों को देख कर मुझे लगने लगा कि काम बन सकता है.. और यही हुआ।
उसने कहा- काम हो जाएगा।
मैं कृति को लेकर नर्स के पास गया।
नर्स ने अल्ट्रासाऊन्ड करवाने को बोला।
हम दोनों दो दिन बाद अल्ट्रासाऊन्ड रिपोर्ट लेकर पहुँचे।
नर्स ने कहा- गर्भ में दो बच्चे हैं.. गर्भपात करवाने पर तुम्हारी जान को बहुत खतरा है।
वो डर गई.. और हम घर चले आए।
वो रोने लगी.. मैंने उसे समझाया- अभी तीन माह बाद जीजाजी से बात करके मैं उन्हें शादी करवाने के लिए राजी कर लूँगा।
फिर मैंने उसकी बड़ी बहन से ये बात जीजाजी तक पहुँचाई।
अंत में थोड़ी मच-मच के बाद वो राजी हो गए।
मैं और कृति शादी के पवित्र बंधन में बंध गए। कुछ समय बाद हम दोनों को जुड़वां बच्चे लड़का+लड़की हुए।
अब वो मेरी पत्नी हो चुकी थी तो उसने नियमों के आधार पर मेरे शहर के एक सरकारी विद्यालय में अपना स्थानातरण करवा लिया।
मैं भी एक प्राइवेट कोचिंग चला रहा हूँ।
आज हम और हमारे परिवार वाले, जीजाजी आदि सब खुश हैं।
मुझे उम्मीद है कि आपको मेरी कहानी पसन्द आई होगी।