अंकिता की चूत को देख कर साफ़ पता लग रहा था कि उसने अपने बाल आज ही साफ़ किए थे, मतलब आज वो इसके लिए तैयार थी।
मैंने अपनी जीभ उसकी चूत में डाल दी और उसको चाटने और चूमने लगा।
उसकी चूत पानी छोड़ने लगी थी और मैं उसका रस पी रहा था।
तभी किसी ने दरवाज़े की घण्टी बजाई।
हम दोनों अलग हुए और अपने-अपने कपड़े ठीक कर लिए और फिर अंकिता ने दरवाजा खोला तो सामने मयंक था।
तो अंकिता बोली- मयंक, सुशान्त बहुत देर से तुम्हारा इंतजार कर रहा है।
फिर मैंने मयंक से कुछ बात की और चला गया और मन ही मन मयंक को गाली दे रहा था कि साला कुछ देर बाद नहीं आ सकता
था, कुछ देर बाद आता तो मैं अंकिता को चोद चुका होता।
फिर मैं तब से मौके की तलाश में था कि एक दिन हमारे एक दोस्त राजीव के घर पर पार्टी थी और वो मयंक का पारिवारिक मित्र था,
तो अंकिता और मयंक भी पार्टी में आए थे।
उस दिन अंकिता ने गुलाबी रंग की साड़ी पहनी हुई थी और स्लीवलेस ब्लाऊज़ और पीछे पीठ का भाग पूरा खुला ही था सिर्फ एक डोरी
बंधी हुई थी।
उसे देख कर मैं पागल होने लगा था और मन में सोचा कि आज कुछ भी करके इसे चोदूँगा।
तभी अंकिता ने मुझे देखा और मैं उसके पास गया और बोला- आज तुम हॉट & सेक्सी लग रही हो, मुझे तो लग रहा है कि स्वर्ग से
कोई परी उतर कर इस पार्टी में आ गई है।
वो मुस्कुराई और बोली- तुम भी कुछ कम नहीं लग रहे हो।
तो मैं बोला- मेरा तो मन कर रहा है कि उस दिन जो अधूरा छोड़ा था उसको अभी ही पूरा कर देता हूँ।
तो वो बोली- सबर करो.. सब्र का फल मीठा होता है।
तो मैं उसकी चूची को छूते हुए बोला- मुझे सब्र का नहीं, तुम्हारे ये दो फल खाने का इन्तजार है।
तो वो फिर मुस्कुराई और बोली- खाना.. ज़रूर खाना.. पहले पार्टी का खाना तो खा लो.. उसके बाद ये फल खाते रहना।
हम लोग बात करने लगे फिर हम दोनों नीचे हाल में आ गए।
थोड़ी देर वहाँ कुछ खाया-पिया और बातें करते रहे।
तभी मेरी नज़र डांस फ़्लोर पर गई, जहाँ कुछ जोड़े डांस कर रहे थे।
मैं बोला- चलो अंकिता.. डांस करते हैं…
‘हाँ… चलो ना…’
हम दोनों डांस-फ़्लोर पर आ गए।
मैंने उसकी कमर में हाथ डाला तो वो सिहर गई।
उसने मेरी कमर में हाथ डाल दिया और हम थिरकने लगे।
वो जानबूझ कर अपने मम्मे मेरे सामने उछाल रही थी।
मेरी नज़रें अंकिता के मम्मे से हट नहीं रही थी।
फिर मैंने उससे टकराना शुरू कर दिया, वो कभी मम्मे टकरा देती तो कभी उससे चिपक जाती और मेरा लंड खड़ा हो गया।
उसको मेरा लंड अपनी चूत पर महसूस होने लगा।
मैं अपना हाथ उसकी नंगी पीठ पर फिराने लगा और हाथ फेरते-फेरते मेरा हाथ उसके चूतड़ों पर चला गया और मैंने उसके चूतड़ों को
दबा दिया।
तो वो बोली- अभी नहीं.. बाद में.. सब देख रहे हैं।
फिर मैं राजीव को बोल कर जाने लगा तो मयंक बोला- सुशान्त, तुम दीदी को भी घर छोड़ दोगे, मुझे यहाँ कुछ काम है, मैं कल
जाऊँगा।
मैं बोला- कोई बात नहीं मैं छोड़ दूँगा।
मैं बाहर निकल कर मन में बोला- हम तो चाहते ही यही थे।
हम दोनों मयंक की कार में आकर बैठ गए।
मैं उसको अपने घर ले आया और आते ही हम एक-दूसरे से लिपट गए।
अब उसकी मीठी आवाज निकली- चलो, कमरे में चलते हैं।
आहा..! कमरे में जाते ही वो मुझसे यूँ लिपट गई जैसे वृक्ष से लता लिपट जाती है।
बोली- सुशान्त, मैं बहुत दिनों से प्यासी हूँ आज मेरी मुराद पूरी कर दो।
तो मैं उसका बदन मेरे बदन से रगड़ने लगा और उसको चूमने लगा।
वो भी बड़ी बेसब्री से मुझे चूम रही थी, चूमते हुए मैं एक हाथ उसके मम्मों पर ले गया और ऊपर से ही दबाने लगा।
क्या बताऊँ दोस्तो… मैं तो जैसे जन्नत की सैर करने लगा था। कितना मज़ा आ रहा था, मैं बयान नहीं कर सकता। यह तो महसूस ही
किया जा सकता है बस।
फिर मैं अपने हाथ से धीरे-धीरे उसके स्तनों को ब्लाउज के ऊपर से ही दबाने लगा था।
उसकी हल्की-हल्की सिसकारियाँ निकलने लगी थीं।
मैंने अंकिता को बिस्तर पर लिटा दिया, साड़ी अलग कर दी और चूमते हुए ब्लाउज खोलने लगा।
ब्लाउज हटते ही उसके नंगे स्तन मेरी हथेलियों में क़ैद हो गए।
उसके प्यारे-प्यारे आमों को मैं अच्छी तरह देख पाया। क्या स्तन पाए थे उस लड़की ने.. इतने ख़ूबसूरत स्तन की मुझे उम्मीद नहीं थी।
उसके स्तन गोरे-गोरे, गोल-गोल छोटे श्रीफ़ल की साइज़ के कड़े थे, चिकनी मुलायम चमड़ी के नीचे ख़ून की नीली नसें दिखाई दे रही
थीं।
स्तन की चोटी पर बादामी कलर की दो इंच की एरोला थी। एरोला के मध्य में किसमिस के दाने जैसे कोमल छोटे से चूचुक थे।
उस वक़्त उत्तेजना के कारण उसकी एरोला पर दाने उभर आए थे और निप्पल कड़े हो गए थे।
मैंने पहले हल्के स्पर्श से पूरा स्तन सहलाया, बाद में मुट्ठी में लिया, निप्पल को चुटकी में लेकर मसला।
करीब पाँच मिनट तक उसके मम्मों के साथ खेलने के बाद उसने मेरी पैंट उतार कर मेरा लौड़ा निकाल लिया।
अब वो अपनी मुट्ठी में भर कर मेरा लौड़ा हिलाने लगी।
मेरा लौड़ा एकदम लोहे की छड़ की तरह हो गया था, उसने मेरे लौड़े को मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया।
फिर अंकिता को बाँहों में भरकर मैं पलंग पर ले गया, उसे चित लेटा कर मैं बगल में लेट गया।
मैंने उसके सीने पर जगह-जगह पर चुम्बन किए।
ऐसे करते-करते मैंने दोनों स्तन भी चूम लिए, अंत में मैंने निप्पल मुँह में ले लिए, मैंने जीभ से निप्पल टटोले, बाद में चूसा।
मुँह खोल कर मैंने एरोला साथ थोड़ा सा स्तन मुँह में लिया और चूसने लगा।
अंकिता के नितम्ब हिलने लगे।
मेरा हाथ उसके पेट पर फिसल रहा था, उसका हाथ मेरे बालों में रेंग रहा था। निप्पल चूसते-चूसते मैंने मेरा हाथ चूत की ओर बढ़ाया।
मैंने पेटीकोट के नाड़े को छुआ तो अंकिता ने मेरी कलाई पकड़ ली। मैंने ज़ोर लगाया लेकिन वो मानी नहीं। उसने टाँगें सीधी रखी थीं।
एक ओर मैं स्तन छोड़ कर उसके पेट पर चुम्बन करने लगा और दूसरी ओर पेटीकोट के ऊपर से चूत सहलाने लगा।
चूत ने भरपूर कामरस बहाया हुआ था।
जिस तरह पेटीकोट गीला हुआ था इससे मालूम होता था कि अंकिता ने पैन्टी नहीं पहनी थी।
मैं पेट पर चुम्बन करते-करते चूत की ओर चला।
मैंने जब उसकी नाभि पर होंठ लगाए तब गुदगुदी से वो तड़प उठी।
मैंने उसे छोड़ा नहीं और अपनी जीभ से उसकी नाभि टटोली।
अंकिता खिलखिला कर हँस पड़ी और उसकी जांघें ऊपर उठ गईं।
फिर क्या कहना था? पेटीकोट सरक कर कमर तक चढ़ गया मेरे कुछ किए बिना अंकिता की चूत खुली हो गई।
उसने टाँगें लंबी करने का प्रयत्न किया लेकिन मेरा हाथ जाँघ के पीछे लगा हुआ था, मैंने जांघें उठी हुई पकड़ रखी थीं।
अंकिता जांघें सिकोड़ दे, इससे पहले मैंने अपने हाथ से चूत ढक दी।
मैं अब बैठ गया और हौले से उसकी जांघें चौड़ी कर दीं।
अंकिता ने आँखें बंद कर लीं, दोनों हाथ से मैंने जांघें सहलाईं और चौड़ी करके पकड़े रखीं।
फिर मैंने उसका पेटीकोट भी उतार दिया, अब वो एकदम नंगी हो गई थी।
मैंने तो पहली बार उसको नंगी देखा था, मैं तो बस पागल हो रहा था और उसको चूमने लगा।
फिर हम दोनों 69 की अवस्था में आ गए। कोई 15-20 मिनट तक चाटने के बाद वो बोली- अब मुझे शांत कर दो।
मैंने पूछा- कैसे?
तो बोली- अपना लंड मेरी चूत में डाल दो।
उसने मुझे अपने ऊपर लिटा लिया और मैं अपना लंड उसकी चूत में डालने लगा तो लंड ढंग से नहीं जा पा रहा था।
उसने हाथ से लण्ड को पकड़ा और अपनी चूत पर रखकर बोली- अब करो !
मैंने जैसे ही झटका मारा तो थोड़ा सा ही लंड अन्दर गया क्योंकि उसकी चूत बहुत तंग थी।
फिर मैं धीरे-धीरे डालने लगा और जब लंड पूरा घुस गया तो मैं झटके मारने लगा।
मेरे और उसके झटकों से हम दोनों को अलग ही मजा आ रहा था।
40-45 झटकों के बाद वो झड़ने लगी तो उसने मुझे बहुत जोर से पकड़ लिया और अपने अन्दर समेटने की कोशिश करने लगी।
मेरा अभी झड़ा नहीं था तो मैंने उसकी चूत से लंड नहीं निकाला और तेज-तेज चुदाई करने लगा।
फिर 10-12 झटकों के बाद मैं भी झड़ गया और उसके ऊपर ही लेटा रहा और उसको चूमता रहा।
हम लोगों को इस चुदाई में बहुत मज़ा आया था। हम दोनों अब एक-दूसरे से चिपक कर लेटे थे।
उसके शरीर क़ी गर्मी से थोड़ी ही देर में मेरा लंड फिर खड़ा होने लगा।
अब मेरा लंड उसकी चूतड़ों क़ी दरार के बीच था। उसने फिर मेरा लंड मुँह में लेकर चूस-चूस कर खड़ा कर दिया।
अब मैंने उसको घोड़ी की अवस्था में आने को कहा तो वो अपने घुटनों पर बैठ कर घोड़ी बन गई।
मैंने उसकी गांड के छेद पर क्रीम लगाई और अपना लंड उस पर रख कर जोर लगाने लगा।
थोड़ी देर क़ी मेहनत के बाद मेरा लंड उसकी गांड में था।
मैंने फिर उसकी गांड क़ी चुदाई शुरू कर दी और अपने हाथ उसके मम्मों पर रख कर उनको दबाने लगा।
हम लोग बिल्कुल कुत्ते-कुतिया की तरह एक-दूसरे को चोद रहे थे।
थोड़ी देर क़ी चुदाई के बाद हम लोग दुबारा झड़ गए।
उस रात हम दोनों ने चार बार चुदाई की फिर मैंने उसको उसके घर पहुँचा दिया।
उस दिन के बाद हम दोनों को जब भी मौका मिलता था, हम चुदाई करते हैं।
अब मुझे दिल्ली में भी दो चूत मिल गईं जिससे मैं अपना स्वाद बदल करके चोदता रहूँगा। मैं अपनी मेम साधना को पटाने की कोशिश
में लगा हुआ हूँ।
अगर वो पट गई तो उसके बारे में भी लिखूँगा, तब तक के लिए विदा !
मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे ज़रूर लिखें।
मैंने अपनी जीभ उसकी चूत में डाल दी और उसको चाटने और चूमने लगा।
उसकी चूत पानी छोड़ने लगी थी और मैं उसका रस पी रहा था।
तभी किसी ने दरवाज़े की घण्टी बजाई।
हम दोनों अलग हुए और अपने-अपने कपड़े ठीक कर लिए और फिर अंकिता ने दरवाजा खोला तो सामने मयंक था।
तो अंकिता बोली- मयंक, सुशान्त बहुत देर से तुम्हारा इंतजार कर रहा है।
फिर मैंने मयंक से कुछ बात की और चला गया और मन ही मन मयंक को गाली दे रहा था कि साला कुछ देर बाद नहीं आ सकता
था, कुछ देर बाद आता तो मैं अंकिता को चोद चुका होता।
फिर मैं तब से मौके की तलाश में था कि एक दिन हमारे एक दोस्त राजीव के घर पर पार्टी थी और वो मयंक का पारिवारिक मित्र था,
तो अंकिता और मयंक भी पार्टी में आए थे।
उस दिन अंकिता ने गुलाबी रंग की साड़ी पहनी हुई थी और स्लीवलेस ब्लाऊज़ और पीछे पीठ का भाग पूरा खुला ही था सिर्फ एक डोरी
बंधी हुई थी।
उसे देख कर मैं पागल होने लगा था और मन में सोचा कि आज कुछ भी करके इसे चोदूँगा।
तभी अंकिता ने मुझे देखा और मैं उसके पास गया और बोला- आज तुम हॉट & सेक्सी लग रही हो, मुझे तो लग रहा है कि स्वर्ग से
कोई परी उतर कर इस पार्टी में आ गई है।
वो मुस्कुराई और बोली- तुम भी कुछ कम नहीं लग रहे हो।
तो मैं बोला- मेरा तो मन कर रहा है कि उस दिन जो अधूरा छोड़ा था उसको अभी ही पूरा कर देता हूँ।
तो वो बोली- सबर करो.. सब्र का फल मीठा होता है।
तो मैं उसकी चूची को छूते हुए बोला- मुझे सब्र का नहीं, तुम्हारे ये दो फल खाने का इन्तजार है।
तो वो फिर मुस्कुराई और बोली- खाना.. ज़रूर खाना.. पहले पार्टी का खाना तो खा लो.. उसके बाद ये फल खाते रहना।
हम लोग बात करने लगे फिर हम दोनों नीचे हाल में आ गए।
थोड़ी देर वहाँ कुछ खाया-पिया और बातें करते रहे।
तभी मेरी नज़र डांस फ़्लोर पर गई, जहाँ कुछ जोड़े डांस कर रहे थे।
मैं बोला- चलो अंकिता.. डांस करते हैं…
‘हाँ… चलो ना…’
हम दोनों डांस-फ़्लोर पर आ गए।
मैंने उसकी कमर में हाथ डाला तो वो सिहर गई।
उसने मेरी कमर में हाथ डाल दिया और हम थिरकने लगे।
वो जानबूझ कर अपने मम्मे मेरे सामने उछाल रही थी।
मेरी नज़रें अंकिता के मम्मे से हट नहीं रही थी।
फिर मैंने उससे टकराना शुरू कर दिया, वो कभी मम्मे टकरा देती तो कभी उससे चिपक जाती और मेरा लंड खड़ा हो गया।
उसको मेरा लंड अपनी चूत पर महसूस होने लगा।
मैं अपना हाथ उसकी नंगी पीठ पर फिराने लगा और हाथ फेरते-फेरते मेरा हाथ उसके चूतड़ों पर चला गया और मैंने उसके चूतड़ों को
दबा दिया।
तो वो बोली- अभी नहीं.. बाद में.. सब देख रहे हैं।
फिर मैं राजीव को बोल कर जाने लगा तो मयंक बोला- सुशान्त, तुम दीदी को भी घर छोड़ दोगे, मुझे यहाँ कुछ काम है, मैं कल
जाऊँगा।
मैं बोला- कोई बात नहीं मैं छोड़ दूँगा।
मैं बाहर निकल कर मन में बोला- हम तो चाहते ही यही थे।
हम दोनों मयंक की कार में आकर बैठ गए।
मैं उसको अपने घर ले आया और आते ही हम एक-दूसरे से लिपट गए।
अब उसकी मीठी आवाज निकली- चलो, कमरे में चलते हैं।
आहा..! कमरे में जाते ही वो मुझसे यूँ लिपट गई जैसे वृक्ष से लता लिपट जाती है।
बोली- सुशान्त, मैं बहुत दिनों से प्यासी हूँ आज मेरी मुराद पूरी कर दो।
तो मैं उसका बदन मेरे बदन से रगड़ने लगा और उसको चूमने लगा।
वो भी बड़ी बेसब्री से मुझे चूम रही थी, चूमते हुए मैं एक हाथ उसके मम्मों पर ले गया और ऊपर से ही दबाने लगा।
क्या बताऊँ दोस्तो… मैं तो जैसे जन्नत की सैर करने लगा था। कितना मज़ा आ रहा था, मैं बयान नहीं कर सकता। यह तो महसूस ही
किया जा सकता है बस।
फिर मैं अपने हाथ से धीरे-धीरे उसके स्तनों को ब्लाउज के ऊपर से ही दबाने लगा था।
उसकी हल्की-हल्की सिसकारियाँ निकलने लगी थीं।
मैंने अंकिता को बिस्तर पर लिटा दिया, साड़ी अलग कर दी और चूमते हुए ब्लाउज खोलने लगा।
ब्लाउज हटते ही उसके नंगे स्तन मेरी हथेलियों में क़ैद हो गए।
उसके प्यारे-प्यारे आमों को मैं अच्छी तरह देख पाया। क्या स्तन पाए थे उस लड़की ने.. इतने ख़ूबसूरत स्तन की मुझे उम्मीद नहीं थी।
उसके स्तन गोरे-गोरे, गोल-गोल छोटे श्रीफ़ल की साइज़ के कड़े थे, चिकनी मुलायम चमड़ी के नीचे ख़ून की नीली नसें दिखाई दे रही
थीं।
स्तन की चोटी पर बादामी कलर की दो इंच की एरोला थी। एरोला के मध्य में किसमिस के दाने जैसे कोमल छोटे से चूचुक थे।
उस वक़्त उत्तेजना के कारण उसकी एरोला पर दाने उभर आए थे और निप्पल कड़े हो गए थे।
मैंने पहले हल्के स्पर्श से पूरा स्तन सहलाया, बाद में मुट्ठी में लिया, निप्पल को चुटकी में लेकर मसला।
करीब पाँच मिनट तक उसके मम्मों के साथ खेलने के बाद उसने मेरी पैंट उतार कर मेरा लौड़ा निकाल लिया।
अब वो अपनी मुट्ठी में भर कर मेरा लौड़ा हिलाने लगी।
मेरा लौड़ा एकदम लोहे की छड़ की तरह हो गया था, उसने मेरे लौड़े को मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया।
फिर अंकिता को बाँहों में भरकर मैं पलंग पर ले गया, उसे चित लेटा कर मैं बगल में लेट गया।
मैंने उसके सीने पर जगह-जगह पर चुम्बन किए।
ऐसे करते-करते मैंने दोनों स्तन भी चूम लिए, अंत में मैंने निप्पल मुँह में ले लिए, मैंने जीभ से निप्पल टटोले, बाद में चूसा।
मुँह खोल कर मैंने एरोला साथ थोड़ा सा स्तन मुँह में लिया और चूसने लगा।
अंकिता के नितम्ब हिलने लगे।
मेरा हाथ उसके पेट पर फिसल रहा था, उसका हाथ मेरे बालों में रेंग रहा था। निप्पल चूसते-चूसते मैंने मेरा हाथ चूत की ओर बढ़ाया।
मैंने पेटीकोट के नाड़े को छुआ तो अंकिता ने मेरी कलाई पकड़ ली। मैंने ज़ोर लगाया लेकिन वो मानी नहीं। उसने टाँगें सीधी रखी थीं।
एक ओर मैं स्तन छोड़ कर उसके पेट पर चुम्बन करने लगा और दूसरी ओर पेटीकोट के ऊपर से चूत सहलाने लगा।
चूत ने भरपूर कामरस बहाया हुआ था।
जिस तरह पेटीकोट गीला हुआ था इससे मालूम होता था कि अंकिता ने पैन्टी नहीं पहनी थी।
मैं पेट पर चुम्बन करते-करते चूत की ओर चला।
मैंने जब उसकी नाभि पर होंठ लगाए तब गुदगुदी से वो तड़प उठी।
मैंने उसे छोड़ा नहीं और अपनी जीभ से उसकी नाभि टटोली।
अंकिता खिलखिला कर हँस पड़ी और उसकी जांघें ऊपर उठ गईं।
फिर क्या कहना था? पेटीकोट सरक कर कमर तक चढ़ गया मेरे कुछ किए बिना अंकिता की चूत खुली हो गई।
उसने टाँगें लंबी करने का प्रयत्न किया लेकिन मेरा हाथ जाँघ के पीछे लगा हुआ था, मैंने जांघें उठी हुई पकड़ रखी थीं।
अंकिता जांघें सिकोड़ दे, इससे पहले मैंने अपने हाथ से चूत ढक दी।
मैं अब बैठ गया और हौले से उसकी जांघें चौड़ी कर दीं।
अंकिता ने आँखें बंद कर लीं, दोनों हाथ से मैंने जांघें सहलाईं और चौड़ी करके पकड़े रखीं।
फिर मैंने उसका पेटीकोट भी उतार दिया, अब वो एकदम नंगी हो गई थी।
मैंने तो पहली बार उसको नंगी देखा था, मैं तो बस पागल हो रहा था और उसको चूमने लगा।
फिर हम दोनों 69 की अवस्था में आ गए। कोई 15-20 मिनट तक चाटने के बाद वो बोली- अब मुझे शांत कर दो।
मैंने पूछा- कैसे?
तो बोली- अपना लंड मेरी चूत में डाल दो।
उसने मुझे अपने ऊपर लिटा लिया और मैं अपना लंड उसकी चूत में डालने लगा तो लंड ढंग से नहीं जा पा रहा था।
उसने हाथ से लण्ड को पकड़ा और अपनी चूत पर रखकर बोली- अब करो !
मैंने जैसे ही झटका मारा तो थोड़ा सा ही लंड अन्दर गया क्योंकि उसकी चूत बहुत तंग थी।
फिर मैं धीरे-धीरे डालने लगा और जब लंड पूरा घुस गया तो मैं झटके मारने लगा।
मेरे और उसके झटकों से हम दोनों को अलग ही मजा आ रहा था।
40-45 झटकों के बाद वो झड़ने लगी तो उसने मुझे बहुत जोर से पकड़ लिया और अपने अन्दर समेटने की कोशिश करने लगी।
मेरा अभी झड़ा नहीं था तो मैंने उसकी चूत से लंड नहीं निकाला और तेज-तेज चुदाई करने लगा।
फिर 10-12 झटकों के बाद मैं भी झड़ गया और उसके ऊपर ही लेटा रहा और उसको चूमता रहा।
हम लोगों को इस चुदाई में बहुत मज़ा आया था। हम दोनों अब एक-दूसरे से चिपक कर लेटे थे।
उसके शरीर क़ी गर्मी से थोड़ी ही देर में मेरा लंड फिर खड़ा होने लगा।
अब मेरा लंड उसकी चूतड़ों क़ी दरार के बीच था। उसने फिर मेरा लंड मुँह में लेकर चूस-चूस कर खड़ा कर दिया।
अब मैंने उसको घोड़ी की अवस्था में आने को कहा तो वो अपने घुटनों पर बैठ कर घोड़ी बन गई।
मैंने उसकी गांड के छेद पर क्रीम लगाई और अपना लंड उस पर रख कर जोर लगाने लगा।
थोड़ी देर क़ी मेहनत के बाद मेरा लंड उसकी गांड में था।
मैंने फिर उसकी गांड क़ी चुदाई शुरू कर दी और अपने हाथ उसके मम्मों पर रख कर उनको दबाने लगा।
हम लोग बिल्कुल कुत्ते-कुतिया की तरह एक-दूसरे को चोद रहे थे।
थोड़ी देर क़ी चुदाई के बाद हम लोग दुबारा झड़ गए।
उस रात हम दोनों ने चार बार चुदाई की फिर मैंने उसको उसके घर पहुँचा दिया।
उस दिन के बाद हम दोनों को जब भी मौका मिलता था, हम चुदाई करते हैं।
अब मुझे दिल्ली में भी दो चूत मिल गईं जिससे मैं अपना स्वाद बदल करके चोदता रहूँगा। मैं अपनी मेम साधना को पटाने की कोशिश
में लगा हुआ हूँ।
अगर वो पट गई तो उसके बारे में भी लिखूँगा, तब तक के लिए विदा !
मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे ज़रूर लिखें।