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Channel: ଭାଉଜ ଡଟ କମ - Odia Sex Story
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क्लास में सहपाठिन की चूत में उंगली (Class me Sahpathin Ki Chut me Ungli)

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मेरा नाम सार्थक है.. अभी मेरी उम्र 24 साल है और मैं अविवाहित हूँ। मेरा लण्ड 8 इंच लंबा और 3 इंच मोटा है.. जब मैं हस्तमैथुन करता हूँ.. तो करीब 15-18 मिनट तक बहुत तेज़ हाथ चलाने के बाद ही झड़ पाता हूँ।
यह उन दिनों की बात है.. जब मैं इंटर में पढ़ता था। मेरे साथ में एक लड़की भी पढ़ती थी.. जिसका नाम प्रियंका था। वो देखने में ग़ज़ब की खूबसूरत थी।

एक दिन वो क्लास में बहुत ही गहरे गले का सूट पहन कर आई और मेरे पास बैठ गई। हम लोग सबसे पीछे बैठे हुए थे.. कोई हमें देख नहीं सकता था, उसके बड़े-बड़े दूध मुझे साफ़ दिख रहे थे। तभी मैंने अपनी टाँगें उसकी जाँघों से स्पर्श करा दीं। उसने मुझे सेक्सी निगाहों से देखा और बड़ी ही कातिल अदा से मुस्कुरा दी..
मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैंने अपना दायां हाथ उसकी बाईं टांग पर रख दिया और हल्के-हल्के सहलाने लगा। मेरा हाथ टेबल के नीचे था.. इसलिए कोई मुझे देख नहीं पा रहा था।
वो इलास्टिक वाला ट्राउज़र पहने हुई थी। जब उसने कोई ऐतराज नहीं किया.. तो मैंने उसके टॉप में थोड़ा सा अपना हाथ घुसेड़ दिया और हाथ को उसके पेट पर रख दिया।
मैंने महसूस किया कि मेरे हाथ रखने से उसकी साँसें तेज़ी से चलने लगी थीं। तभी मैंने अपना हाथ उसकी पैन्टी में डाल दिया।
अरे ये क्या… उसकी पैन्टी तो एकदम गीली थी। तभी मेरा ध्यान उसके मम्मों पर गया.. वो भी एकदम नुकीले और सख्त हो रहे थे।
मैं समझ गया कि प्रियंका गर्म हो गई है, मैंने उसकी तपती चूत पर हाथ रख दिया.. वो हल्के से सिसकारी लेने लगी।
तभी उसने भी मेरा लण्ड पैन्ट के ऊपर से ही पकड़ लिया और सहलाने लगी। मैंने पहली बार किसी लड़की की चूत पर हाथ रखा था.. मैं भी पागल हो गया था। अब मैंने उसकी चूत का दाना पकड़ लिया और उसे दबाने लगा।
उसकी चूत लगातार पानी छोड़ रही थी जो बहकर बुर के नीचे बहता जा रहा था। मैंने उसकी चूत के बहते पानी को हाथ में लिया और अपना मुँह डेस्क के नीचे करके चाट लिया। वो एकदम नमकीन से स्वाद का था।
तब मैंने अपना लण्ड एक मिनट को बाहर निकाला.. जो एकदम गीला हो रहा था। मैंने देखा कि वो मेरे लण्ड को बड़े ही गौर से अपनी आँखों में उतार रही थी। अपना लण्ड फिर से अन्दर करने के बाद मैंने फिर उसकी चूत में हाथ डाल दिया।
अब मैंने अपनी 2 ऊँगलियाँ उसकी चूत में डाल दीं और ज़ोर-ज़ोर से हिलाने लगा। करीब 2-3 मिनट तक में हल्के उसका हस्त मैथुन करता रहा। एकाएक उसका जिस्म अकड़ा और एकदम से वो शांत हो गई और उसकी चूत से लिसलिसा सा सफ़ेद पानी सा बह कर बाहर आया.. जिसे मैंने हाथ में लेकर मुँह नीचे करके चाट लिया।
फिर पढ़ाई का वक्त ख़त्म हो गया.. बाहर जाते समय उसके चेहरे पर अपार संतुष्टि के भाव थे। वो मुझे प्यार भरी निगाहों से देख रही थी।
मैं कमरा किराए पर लेकर पढ़ाई कर रहा था.. और अपने कमरे पर मैं अकेला ही रहता था। मेरे मकान-मालिक की रिहायश मेरे कमरे से काफ़ी दूर थी।
प्रियंका भी एक फ्लैट किराए पर लेकर.. अपनी एक सहेली के साथ अकेले रहती थी। दोनों के कमरे अलग-अलग थे।
मैंने उसी दिन रात को 11 बजे उसे फोन किया.. तो वो बोली- क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- तुम्हें याद कर रहा हूँ।
फिर हम दोनों ने ढेर सारी सेक्सी बातें की.. मैंने उससे पूछा- क्या तुमने किसी से अब तक चुदवाया है?
तो वो बोली- नहीं..
मैंने पूछा- अब क्या इरादा है चुदवाने का?
तो वो कुछ नहीं बोली.. मैंने फिर पूछा- क्या तुमने अब तक ब्लू-फिल्म देखी है?
वो बोली- नहीं..
उसके कमरे में कंप्यूटर भी था.. पर इंटरनेट का कनेक्शन नहीं था।
वो बोली- मुझे ब्लू-फिल्म देखनी है।
मैंने कहा- ठीक है.. कल मैं तुम्हें क्लास में ब्लू-फिल्म की सीडी कॉपी में रख कर दे दूँगा।
‘थैंक्स..’
मैंने उससे पूछा- क्या तुम हस्त-मैथुन करती हो?
वो बोली- हाँ.. मैं तो रोज नहाते वक्त या तो अपनी ऊँगलियों से काम चलाती हूँ या फिर पाइप से पानी की तेज़ धार अपनी चूत पर डालती हूँ.. तो 2-3 मिनट में मेरा काम हो जाता है। तुम क्या करते हो?
मैंने उससे कहा- मैं तो अपने लण्ड को मुट्ठी में पकड़ कर ऊपर-नीचे करता हूँ.. और 5-10 मिनट लगातार करने के बाद ही मैं झड़ता हूँ।
हमारी काफी देर तक लण्ड-चूत की बातें होती रहीं।
अगले दिन मैंने उसे सीडी दे दी.. रात को मैंने उसे फोन किया तो वो सीडी देख रही थी।
उसकी आवाज़ बदली हुई थी.. वो मुझसे बोली- इस सीडी में तो लड़का काफ़ी देर से करीब 50 मिनट से लड़की की चूत में धक्के लगा रहा है.. इतनी देर में तो मेरा जाने कितनी बार झड़ जाएगा?
मैंने कहा- सीडी में तो कामुक दवा खा कर चुदाई करते हैं।
वो बोली- मुझे अधिक देर तक झड़ने की दवा लाकर दे दो..
मैंने कहा- हाँ ठीक है.. दे दूँगा।
फिर वो बोली- एक मिनट जरा फोन होल्ड करो.. मैं अपना नाइट-सूट का टॉप उतार रही हूँ।
टॉप उतारने के बाद मैंने कहा- ट्राउज़र भी उतार दो..।
अब उसने बताया कि वो केवल ब्रा-पैन्टी में रह गई थी।
मैंने ब्रा-पैन्टी भी उतरवा दी.. उसने मुझसे कहा- तुम भी पूरे नंगे हो जाओ न..
मैंने भी सारे कपड़े उतार दिए।
फिर उसने बताया कि आज वो बाजार से एक मोटी मोमबत्ती लाई है और मुझसे कहने लगी- अब हस्त-मैथुन करो.. तुम भी और मैं भी..
फिर हम दोनों ने फोन पर ही हस्त-मैथुन करना शुरू कर दिया। करीब 3-4 मिनट तक हम दोनों पूरे जोश से अपना-अपना हस्तमैथुन करते रहे.. फिर हम दोनों एक साथ ही झड़ गए।
वो बोली- आह्ह.. बहुत मज़ा आया.. तुम्हारे साथ फोन पर सेक्स करने में..
मैंने कहा- जब आमने-सामने करोगी.. तो इससे भी ज्यादा मज़ा आएगा।
अब तो हम दोनों का रोज का सा नियम बन गया था.. रोज रात को हम दोनों फोन पर ही पहले मुठ मारते.. फिर झड़ कर सो जाते।
तीन दिन के बाद मैंने रविवार सुबह उसे अपने कमरे पर बुलाया। वो जीन्स-टॉप पहन कर आई थी। वो बैग में अपने कपड़े भी रख कर लाई थी। मेरे कमरे पर आकर मुझसे बोली- आज रात मैं यही रुक जाऊँ.. तो तुम्हें कोई एतराज तो नहीं?
मैंने कहा- मुझे क्यों ऐतराज़ होगा…?
उन दिनों भारी गर्मी के दिन थे.. मैं उसके पास गया और उसकी आँखों में कामवासना से देखता रहा और फिर मैंने अपने तपते होंठ उसके होंठों पर रख दिए और चूसने लगा।
वो भी करीब 10 मिनट तक मेरे होंठ चूसती रही। उसके बाद मैंने उसके दूध दबाना शुरू कर दिए.. अब मेरा 8 इंच लंबा लण्ड पूरी तरह से तन चुका था। उसने मेरी पैन्ट उतार दी और मेरा लण्ड अपने मुँह में लेकर चूसने लगी।
उसे चुदाई का पूरा नशा चढ़ चुका था और देखते ही देखते उसने मुझे पूरा नंगा कर दिया और मेरे शरीर को चाटने लगी। उसने मेरे पेट पर.. हाथ पर.. टांगों पर.. मेरे चूतड़ों पर.. पीठ पर खूब चाटा।
अब मुझे भी पूरी तरह से जोश आ चुका था। मैंने उसे भी पूरी नंगी कर दिया और उसकी चूत चाटने लगा। मैं उसकी चूत का दाना पकड़ कर अपनी चुटकी से रगड़ने लगा।
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उसने मुझसे कहा- सूसू करनी है।
मेरा बाथरूम भी कमरे से ही जुड़ा हुआ था, मैंने उसे गोद में उठाया और बाथरूम में ले गया। मैंने फव्वारा चला दिया.. और उसकी चूत चाटने लगा,मैंने अपनी जीभ उसकी चूत में डाल दी।
वो सिसकने लगी.. बोली- मैं ज्यादा देर नहीं रुक पाऊँगी।
मैं थोड़ा चूसने के बाद रुक गया।
वो बोली- मुझे तुम्हारे ऊपर पेशाब करनी है।
मैंने कहा- मुँह को छोड़कर.. जहाँ चाहो करो..
उसने मुझसे बैठने को कहा और मेरे ऊपर मूतने लगी.. उसका गरम-गरम मूत मेरे ऊपर गिर रहा था।
मैं उत्तेजना से पागल हो गया.. मैंने उसे पकड़ा और उधर ही लिटा दिया। मैं भी उसके चूचों पर.. चूत पर मूतने लगा।
वो मजे में चीख रही थी.. सिसकारियाँ ले रही थी।
फिर हम दोनों खूब नहाए.. और वापस कमरे में आकर बिस्तर पर लेट गए।
वो मुझसे बोली- सार्थक.. प्लीज़ मुझे चोद दो.. मैं अब नहीं रह पाऊँगी..
वो ज्यादा उत्तेजना के कारण रोने सी लगी.. फिर मैंने चुदाई की अवस्था में आकर अपने लंड का सुपारा उसकी चूत के छेद पर रख दिया।
फिर हल्के से धक्का मारा तो वो चीख पड़ी- मुझे तो दर्द हो रहा है..
मैंने कहा- डोंट वरी डार्लिंग.. थोड़ी देर में ये दर्द मज़ा बन जाएगा..
मैं उसकी चीखों को अनसुना करते हुए धीरे-धीरे धक्के लगाने लगा.. वो चीख रही थी।
फिर वही हुआ.. जो हर चूत का होता है.. थोड़ी देर में ही लण्ड-लण्ड चिल्लाने लगी।
‘ओह्ह.. चोदो मुझे… साले फाड़ दो मेरी चूत को… मूत दो मेरी चूत में… आह..’
वो ज़ोर-ज़ोर से सिसकारियाँ ले रही थी, उसने अपने बाल खोल लिए थे और पागल सी हो गई थी..
मैं भी एक हाथ से उसके मम्मों को दबा रहा था.. अचानक उसका शरीर अकड़ने लगा और वो एकदम से मुझसे चिपक गई, उसने अपने नाखून मेरी पीठ में गड़ा दिए।
मैं समझ गया कि यह झड़ चुकी है.. मैंने अपने धक्के और तेज कर दिए और में भी झड़ गया, मैंने उसकी चूत को अपने गाढ़े वीर्य से भर दिया।
हम लोग 10 मिनट तक ऐसे ही पड़े रहे। फिर अगले दिन सुबह तक मैंने उसे 5 बार चोदा.. फिर बाद में उसकी झांटें भी बनाई..
अब जब भी हम दोनों का मन करता है अपने कमरे में उसे चोद देता हूँ।

Editor: Sunita Prusty
Publisher: Bhauja.com

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