दोस्तो, मेरा नाम प्रदीप है, हरियाणा का रहने वाला हूँ। इस वक़्त मैं 19 साल का हूँ। मैं दिखने में ठीक-ठाक ही हूँ।
मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ। मुझे छोटे चूचे और बड़े चूतड़ों वाली लड़कियाँ बहुत पसंद हैं।
मैं पहली बार कहानी लिख रहा हूँ इसलिए अगर कोई गलती हो तो मुझे माफ़ करना।
मैं 12 वीं में पढ़ता हूँ और मेरा स्कूल मेरे गाँव से 8 किलामीटर दूर है। मैं हमेशा ऑटो से स्कूल जाता हूँ। हमारे स्कूल में मेरे ही पड़ोस
की एक लड़की भी पढ़ती थी।
उसका नाम रीतू है, मुझे वो बचपन से ही पसंद थी, जब मैं उसके बारे में सोचता हूँ तो आज भी मेरा लंड खड़ा हो जाता है।
कभी-कभी हम एक ही ऑटो में साथ-साथ स्कूल जाते थे, लेकिन वो किसी भी लड़के से ज्यादा बात नहीं करती थी।
बात आज से एक महीने पहले की है।
जून की छुट्टियों के दस दिन बाद ही वो बीमार हो गई, जिस वजह से वो 8-9 दिन स्कूल नहीं आ सकी और पढ़ाई में पीछे रह गई।
एक दिन जब मैं स्कूल से निकला ही था कि उसने पीछे से आवाज लगाई- प्रदीप रुक जरा…
मैं उससे बात करने के मौके ढूंढता रहता था और आज उसने ही मुझे पुकारा।
मैं बोला- हाँ.. रीतू क्या हुआ?
रीतू बोली- मुझे तेरी कॉपी चाहिए थी।
मै बोला- कौन सी?
‘मैथ की!’ रीतू बोली।
मैं- लेकिन मुझे तो उसका काम करना है।
रीतू- मुझे दे दे ना प्लीज।
मैं- ओके.. ले जा लेकिन घर देगी या स्कूल में।
मैंने तो साधारण तरह से ही कहा था, लेकिन वो बोली- मैं शादी से पहले किसी को नहीं दूँगी।
और हँसने लगी।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैं- अच्छा जी।
रीतू- कल दूँगी..
मैंने ‘ओके’ कहकर कॉपी दे दी और आगे चलने लगा।
वो- कहाँ जा रहा है.. साथ चलते हैं ना..
हम बात करते-करते घर आ गए।
सारे रास्ते वो ऑटो में मुझे देख कर हँसती रही।
अगले दिन वो कॉपी लाना भूल गई जिसकी वजह से मुझे डंडे खाने पड़े और उसे बचाना पड़ा यह कहकर कि मैं रीतू की कॉपी लेकर
गया था और लाना भूल गया।
मेरे ऐसा कहने से रीतू बच गई लेकिन वो गुस्सा हो गई, उसने मुझे आधी छुट्टी में एक अलग कमरे में बुलाया।
रीतू- तूने सर से झूट क्यों बोला कि तू मेरी कॉपी ले कर गया था?
मैं- नहीं तो वो तुझे मारते और मुझे दुःख होता।
‘लेकिन तुम्हें दुःख क्यों होता?’ रीतू ने थोड़े गुस्से में पूछा।
मैं- क्योंकि मैं तुमसे दोस्ती करना चाहता हूँ।
उसने बनावटी गुस्से से पूछा- और कुछ तो नहीं है ना?
‘नहीं यार और कुछ भी नहीं है..।’ मैंने कहा।
वो खुशी से बोली- आज से हम दोनों पक्के दोस्त..
फिर तो हम साथ स्कूल जाने लगे और साथ ही स्कूल से घर आते, हम बहुत मस्ती करते थे। हम अब बिल्कुल खुल कर भी बात कर
लेते थे।
मैं स्कूल में फ़ोन लेकर जाता था।
एक दिन स्कूल के समय में उसने मेरा फ़ोन माँगा, मैंने दे दिया क्योंकि वो कई बार मेरा फोन लेती थी लेकिन उस दिन मेरे फ़ोन में
एक गन्दी फिल्म थी जो मुझे हटाना याद नहीं रही और उसने देख ली।
उसने मुझे फिर से उसी कमरे में बुलाया।
रीतू- ये लो तुम्हारा फ़ोन ! और तुम गन्दी वीडियो देखते हो?
मैं- हाँ यार कभी-कभी।
रीतू- क्या कभी किसी के साथ कुछ किया है?
मैं- नहीं यार.. अब तक नहीं किया लेकिन वीडियो देख कर हाथ से काम चला लेता हूँ।
रीतू- अपना नम्बर दे।
मैंने दे दिया और बोली- कुछ ‘करेगा’ मेरे साथ?
मैंने बिना सोचे-समझे उसके होंठों पर चुम्मी कर दी।
तो उसने मुझे धक्का दे कर कहा- सब्र कर.. सब्र का फल मीठा होता है।
मैं उस रात बिल्कुल भी नहीं सो सका।
अगले दिन कुछ भी नहीं हो सका। फिर 2-3 दिन मैं कभी उसकी चूची दबा देता तो कभी उसके चूतड़.. वो बस ‘आह’ सी निकाल कर
रह जाती थी।
फिर एक दिन वो बोली- तुम कल स्कूल मत आना.. मेरे घर वाले एक रिश्तेदार की शादी में जायेंगे.. तो तुम मेरे घर आ जाना।
मैं बहुत खुश हुआ और वहीं पर उसे चुम्बन करने लगा। पहली बार उस दिन उसने मेरा साथ दिया।
क्या मजा आ रहा था मैं बता नहीं सकता। फिर मैं उसकी चूचियाँ दबाने लगा।
वो- आह…सीइई.. सी.. बस यार.. एक दिन और इंतजार कर लो।
फिर उसने मुझे आने का वक्त बताया और हम क्लास में आ गए।
उसके बताए अनुसार मैं ठीक समय पर पहुँच गया।
उसने दरवाजा खोला।
उस वक्त वो लाल रंग का सूट और हरे रंग की सलवार पहने हुई थी।
मुझे देखते ही वो मुस्कुराई और अन्दर चली गई।
मैं भी पीछे-पीछे चला गया।
मैंने उसे पीछे से जाकर पकड़ लिया और गालों पर चुम्बन करने लगा, उसे घुमाया और घुमाते ही वो मेरे सीने से लग गई।
उसके मम्मे मेरी छाती में चुभ रहे थे।
मैंने उसके होंठों को चूमना शुरु कर दिया।
वो भी मेरा साथ देने लगी, थोड़ी देर होंठ चूसने के बाद मैंने उसके मम्मों को कमीज के ऊपर से ही दबाना शुरु कर दिया।
वो सिसकारियाँ लेने लगी।
मैंने उसका कमीज उतार दिया।
उसने लाल रंग की ब्रा पहनी हुई थी।
रीतू- अब सारा यहीं करोगे या कमरे में भी चलोगे।
मैंने उसे गोद में उठाया और कमरे में ले जाकर बिस्तर पर लेटा दिया और उसके ऊपर जाकर ब्रा के ऊपर से ही उसके चूचे मसलने व
चूसने लगा।
वो ‘आहें’ भरने लगी। उसने खुद ही ब्रा उतार दी.. अब वो मेरे सामने आधी नंगी थी।
मैं उसके चूचों पर टूट पड़ा और एक मम्मे को चूसने तथा दूसरे को हाथ से मसलने लगा।
अब उसकी सिसकारी तेज हो रही थी।
मैंने उसका नाड़ा खोल कर उतार दिया उसने नीचे लाल रंग की चड्डी पहनी हुई थी।
अब उसने कहा- अपने भी उतार लो।
मैंने कहा- खुद ही उतार लो।
उसने मेरे सारे कपड़े उतार दिए।
मेरा लंड देखकर उसकी आँखें फ़ैल गईं और कहने लगी- सब लड़कों का लंड इतना ही बड़ा होता है?
‘नहीं जानू.. किसी-किसी का तो इससे भी बड़ा होता है।
यह कहते हुए मैंने उसकी कच्छी उतार दी।
क्या मस्त चूत थी बिल्कुल साफ़।
उस पर एक भी बाल नहीं था।
मैंने उसकी टांगें चौड़ी कीं और बीच में बैठ कर लंड को चूत पर रख कर हल्का धक्का दिया लेकिन लंड फिसल गया।
मैंने दूसरा धक्का लगाने को लंड पकड़ा ही था कि रीतू बोली- जानू जरा आराम से करना, पहली बार है।
मैंने कहा- ठीक है।
मैंने फिर लंड को चूत पर रखा और दबाने लगा।
लंड का अगला हिस्सा ही गया था कि वो रोने लगी- मुझे छोड़ दो.. दर्द हो रहा है.. मैं मर जाऊँगी.. उई..आआअह ह्ह्ह्ह्ह..
मैंने उसके हाथ पकड़ कर होंठों पर होंठ रख कर धक्के देना शुरू कर दिए और धीरे-धीरे लंड चूत में धंसता चला गया उसकी आँखों से
आँसू निकल आए।
लेकिन कुछ ही देर में उसे मजा आने लगा।
‘आह्ह्ह जोर से करो.. मजा आ गया..’
कुछ देर बाद हम दोनों झड़ गए।
उसके बाद मैं उसके ऊपर ही ढेर हो गया।
कुछ देर बाद हम दोनों उठे और फिर बातें करने लगे।
इस चुदाई के बाद तो जैसे हम दोनों सिर्फ चुदाई के लिए जगह और मौके की तलाश में ही रहने लगे थे।
यह थी मेरी और मेरी चाहत की चुदाई।
आपको कैसी लगी मेरी कहानी, जरूर बताना।
मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ। मुझे छोटे चूचे और बड़े चूतड़ों वाली लड़कियाँ बहुत पसंद हैं।
मैं पहली बार कहानी लिख रहा हूँ इसलिए अगर कोई गलती हो तो मुझे माफ़ करना।
मैं 12 वीं में पढ़ता हूँ और मेरा स्कूल मेरे गाँव से 8 किलामीटर दूर है। मैं हमेशा ऑटो से स्कूल जाता हूँ। हमारे स्कूल में मेरे ही पड़ोस
की एक लड़की भी पढ़ती थी।
उसका नाम रीतू है, मुझे वो बचपन से ही पसंद थी, जब मैं उसके बारे में सोचता हूँ तो आज भी मेरा लंड खड़ा हो जाता है।
कभी-कभी हम एक ही ऑटो में साथ-साथ स्कूल जाते थे, लेकिन वो किसी भी लड़के से ज्यादा बात नहीं करती थी।
बात आज से एक महीने पहले की है।
जून की छुट्टियों के दस दिन बाद ही वो बीमार हो गई, जिस वजह से वो 8-9 दिन स्कूल नहीं आ सकी और पढ़ाई में पीछे रह गई।
एक दिन जब मैं स्कूल से निकला ही था कि उसने पीछे से आवाज लगाई- प्रदीप रुक जरा…
मैं उससे बात करने के मौके ढूंढता रहता था और आज उसने ही मुझे पुकारा।
मैं बोला- हाँ.. रीतू क्या हुआ?
रीतू बोली- मुझे तेरी कॉपी चाहिए थी।
मै बोला- कौन सी?
‘मैथ की!’ रीतू बोली।
मैं- लेकिन मुझे तो उसका काम करना है।
रीतू- मुझे दे दे ना प्लीज।
मैं- ओके.. ले जा लेकिन घर देगी या स्कूल में।
मैंने तो साधारण तरह से ही कहा था, लेकिन वो बोली- मैं शादी से पहले किसी को नहीं दूँगी।
और हँसने लगी।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैं- अच्छा जी।
रीतू- कल दूँगी..
मैंने ‘ओके’ कहकर कॉपी दे दी और आगे चलने लगा।
वो- कहाँ जा रहा है.. साथ चलते हैं ना..
हम बात करते-करते घर आ गए।
सारे रास्ते वो ऑटो में मुझे देख कर हँसती रही।
अगले दिन वो कॉपी लाना भूल गई जिसकी वजह से मुझे डंडे खाने पड़े और उसे बचाना पड़ा यह कहकर कि मैं रीतू की कॉपी लेकर
गया था और लाना भूल गया।
मेरे ऐसा कहने से रीतू बच गई लेकिन वो गुस्सा हो गई, उसने मुझे आधी छुट्टी में एक अलग कमरे में बुलाया।
रीतू- तूने सर से झूट क्यों बोला कि तू मेरी कॉपी ले कर गया था?
मैं- नहीं तो वो तुझे मारते और मुझे दुःख होता।
‘लेकिन तुम्हें दुःख क्यों होता?’ रीतू ने थोड़े गुस्से में पूछा।
मैं- क्योंकि मैं तुमसे दोस्ती करना चाहता हूँ।
उसने बनावटी गुस्से से पूछा- और कुछ तो नहीं है ना?
‘नहीं यार और कुछ भी नहीं है..।’ मैंने कहा।
वो खुशी से बोली- आज से हम दोनों पक्के दोस्त..
फिर तो हम साथ स्कूल जाने लगे और साथ ही स्कूल से घर आते, हम बहुत मस्ती करते थे। हम अब बिल्कुल खुल कर भी बात कर
लेते थे।
मैं स्कूल में फ़ोन लेकर जाता था।
एक दिन स्कूल के समय में उसने मेरा फ़ोन माँगा, मैंने दे दिया क्योंकि वो कई बार मेरा फोन लेती थी लेकिन उस दिन मेरे फ़ोन में
एक गन्दी फिल्म थी जो मुझे हटाना याद नहीं रही और उसने देख ली।
उसने मुझे फिर से उसी कमरे में बुलाया।
रीतू- ये लो तुम्हारा फ़ोन ! और तुम गन्दी वीडियो देखते हो?
मैं- हाँ यार कभी-कभी।
रीतू- क्या कभी किसी के साथ कुछ किया है?
मैं- नहीं यार.. अब तक नहीं किया लेकिन वीडियो देख कर हाथ से काम चला लेता हूँ।
रीतू- अपना नम्बर दे।
मैंने दे दिया और बोली- कुछ ‘करेगा’ मेरे साथ?
मैंने बिना सोचे-समझे उसके होंठों पर चुम्मी कर दी।
तो उसने मुझे धक्का दे कर कहा- सब्र कर.. सब्र का फल मीठा होता है।
मैं उस रात बिल्कुल भी नहीं सो सका।
अगले दिन कुछ भी नहीं हो सका। फिर 2-3 दिन मैं कभी उसकी चूची दबा देता तो कभी उसके चूतड़.. वो बस ‘आह’ सी निकाल कर
रह जाती थी।
फिर एक दिन वो बोली- तुम कल स्कूल मत आना.. मेरे घर वाले एक रिश्तेदार की शादी में जायेंगे.. तो तुम मेरे घर आ जाना।
मैं बहुत खुश हुआ और वहीं पर उसे चुम्बन करने लगा। पहली बार उस दिन उसने मेरा साथ दिया।
क्या मजा आ रहा था मैं बता नहीं सकता। फिर मैं उसकी चूचियाँ दबाने लगा।
वो- आह…सीइई.. सी.. बस यार.. एक दिन और इंतजार कर लो।
फिर उसने मुझे आने का वक्त बताया और हम क्लास में आ गए।
उसके बताए अनुसार मैं ठीक समय पर पहुँच गया।
उसने दरवाजा खोला।
उस वक्त वो लाल रंग का सूट और हरे रंग की सलवार पहने हुई थी।
मुझे देखते ही वो मुस्कुराई और अन्दर चली गई।
मैं भी पीछे-पीछे चला गया।
मैंने उसे पीछे से जाकर पकड़ लिया और गालों पर चुम्बन करने लगा, उसे घुमाया और घुमाते ही वो मेरे सीने से लग गई।
उसके मम्मे मेरी छाती में चुभ रहे थे।
मैंने उसके होंठों को चूमना शुरु कर दिया।
वो भी मेरा साथ देने लगी, थोड़ी देर होंठ चूसने के बाद मैंने उसके मम्मों को कमीज के ऊपर से ही दबाना शुरु कर दिया।
वो सिसकारियाँ लेने लगी।
मैंने उसका कमीज उतार दिया।
उसने लाल रंग की ब्रा पहनी हुई थी।
रीतू- अब सारा यहीं करोगे या कमरे में भी चलोगे।
मैंने उसे गोद में उठाया और कमरे में ले जाकर बिस्तर पर लेटा दिया और उसके ऊपर जाकर ब्रा के ऊपर से ही उसके चूचे मसलने व
चूसने लगा।
वो ‘आहें’ भरने लगी। उसने खुद ही ब्रा उतार दी.. अब वो मेरे सामने आधी नंगी थी।
मैं उसके चूचों पर टूट पड़ा और एक मम्मे को चूसने तथा दूसरे को हाथ से मसलने लगा।
अब उसकी सिसकारी तेज हो रही थी।
मैंने उसका नाड़ा खोल कर उतार दिया उसने नीचे लाल रंग की चड्डी पहनी हुई थी।
अब उसने कहा- अपने भी उतार लो।
मैंने कहा- खुद ही उतार लो।
उसने मेरे सारे कपड़े उतार दिए।
मेरा लंड देखकर उसकी आँखें फ़ैल गईं और कहने लगी- सब लड़कों का लंड इतना ही बड़ा होता है?
‘नहीं जानू.. किसी-किसी का तो इससे भी बड़ा होता है।
यह कहते हुए मैंने उसकी कच्छी उतार दी।
क्या मस्त चूत थी बिल्कुल साफ़।
उस पर एक भी बाल नहीं था।
मैंने उसकी टांगें चौड़ी कीं और बीच में बैठ कर लंड को चूत पर रख कर हल्का धक्का दिया लेकिन लंड फिसल गया।
मैंने दूसरा धक्का लगाने को लंड पकड़ा ही था कि रीतू बोली- जानू जरा आराम से करना, पहली बार है।
मैंने कहा- ठीक है।
मैंने फिर लंड को चूत पर रखा और दबाने लगा।
लंड का अगला हिस्सा ही गया था कि वो रोने लगी- मुझे छोड़ दो.. दर्द हो रहा है.. मैं मर जाऊँगी.. उई..आआअह ह्ह्ह्ह्ह..
मैंने उसके हाथ पकड़ कर होंठों पर होंठ रख कर धक्के देना शुरू कर दिए और धीरे-धीरे लंड चूत में धंसता चला गया उसकी आँखों से
आँसू निकल आए।
लेकिन कुछ ही देर में उसे मजा आने लगा।
‘आह्ह्ह जोर से करो.. मजा आ गया..’
कुछ देर बाद हम दोनों झड़ गए।
उसके बाद मैं उसके ऊपर ही ढेर हो गया।
कुछ देर बाद हम दोनों उठे और फिर बातें करने लगे।
इस चुदाई के बाद तो जैसे हम दोनों सिर्फ चुदाई के लिए जगह और मौके की तलाश में ही रहने लगे थे।
यह थी मेरी और मेरी चाहत की चुदाई।
आपको कैसी लगी मेरी कहानी, जरूर बताना।