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सन्नी सिंह
मेरा नाम सन्नी है और मैं उज्जैन में रहता हूँ। मेरी उम्र 23 साल है और मैं दिखने में गोरा और अच्छे व्यक्तित्व का युवा हूँ।
मैं इस साइट का नियमित पाठक हूँ और आज पहली बार अपनी कहानी लेकर आया हूँ, जो मेरे साथ लगभग एक साल पहले घटी थी।
मैं दिल्ली में नौकरी करता हूँ। जब मैं उज्जैन में काम करता था तो मेरे साथ एक लड़की थी पूजा, वो मुझसे काफ़ी जूनियर थी।
वो देवास की रहने वाली थी और घर में सबसे बड़ी थी, उज्जैन में अकेले ही रहती थी, मुझसे उम्र में दो साल बड़ी थी और थोड़ी सांवली थी पर उसका जिस्म कमाल का था इतना कामुक जिस्म कि देखते ही चोदने का मन हो जाए।
उसकी चूचियाँ 34 की तनी हुई थी और 36 इन्च के उठे हुए गोल-मटोल चूतड़, पतली सी 28 इन्च की कमर थी। सफ़ेद रंग के सलवार सूट में कयामत सी लगती थी।
मेरी उससे अच्छी से दोस्ती थी और हम काफ़ी बातें किया करते थे, पर कभी उसे चोदने का मौका नहीं मिल पाया।
जब मैं दिल्ली चला गया, तब भी उससे फोन पर बातें हुआ करती थीं। मैं हमेशा उसे दिल्ली बुलाया करता था कि उसे दिल्ली घुमा दूँ, पर वो हमेशा कुछ ना कुछ बहाना बना दिया करती थी।
मुझे अब लगभग दिल्ली में 3 महीने हो चुके थे, एक बार मैंने फोन पर ज़्यादा ज़ोर दिया तो वो अगले हफ्ते आने को तैयार हो गई। मैंने तुरंत रिज़र्वेशन कराया, सीट कन्फर्म नहीं हुई तो मैंने दो अलग-अलग टिकट बुक कराए, एक कन्फर्म लेडीस कोटे में और एक अपना भी कराया जो कि वेटिंग था।
जब मैं उज्जैन से उसे लेकर चलने लगा तो शाम की ट्रेन थी और मेरा टिकट वेटिंग ही था, सो एक सीट में ही काम चलाना था।
मैं तो खुश था ही क्योंकि रात को उसके साथ में ही सोना मिल रहा था, इसलिए मैंने टिकट कन्फर्म कराने की कोशिश भी नहीं की। उससे बोल दिया कि टीटी बोल रहा है कि कोई जगह नहीं है।
रात के दस बजे हम लोग सोने के लिए लेटे, एक सीट पर थोड़ा उसे दिक्कत तो हो ही रही थी, पर और कोई चारा भी नहीं था।
वो चिपक कर मेरे बगल में लेटी थी और हम लोग एक ही चादर ओढ़े थे, क्योंकि फरवरी का महीना था तो थोड़ी सर्दी थी।
इतने कमाल की लौंडिया अगर किसी के बगल में चिपक कर लेटी हो, जिसे चोदने का ख्याल पहले से ही मन में हो तो हालत तो खराब ही होगी।
मेरा लंड बुरी तरह से तना हुआ था और नींद तो दूर-दूर तक नहीं आ रही थी, बस मन कर रहा था कि इसे ट्रेन में ही चोद दूँ।
एक घंटा बीतने के बाद मैंने अपना हाथ उसकी चूची के ऊपर रख दिया और पैर उसके पैर के बीच में, फिर धीरे से दूसरा हाथ उसके चूतड़ों के ऊपर रखा और उसे सहलाने लगा और हल्के-हल्के दबाने लगा।
मैं कमीज के ऊपर से ही हल्के-हल्के उसकी चूची को भी दबा रहा था।
फिर जैसे ही मैंने कमीज के अन्दर उंगली डालने की कोशिश की, तो वो हिली और दूसरी तरफ मुँह करके लेट गई।
मैंने तुरंत अपना हाथ वापस खींचा और सोने की एक्टिंग करने लगा।
फिर थोड़ी देर बाद मैं ट्रेन के टॉयलेट में गया और हाथ से काम चला कर सो गया।
सुबह हम लोग दिल्ली पहुँच गए और सीधे अपने कमरे पर गया।
मैं दिल्ली में एक कॉल-सेंटर में काम करता था और नोयडा में सेक्टर-27 में रहता था। मेरे फ्लैट में एक कमरा और रसोई और बाथरूम था, एक ही कमरा था और उसमें एक ही बड़ा सा बिस्तर था।
मैं रोज़ उसे चोदने की योजना बनता था, पर चुदाई चालू करने का कोई मौका ही नहीं मिल रहा था।
इसी तरह 5 दिन गुजर चुके थे, शनिवार के दिन मेरा ऑफ था सो मैंने ठान लिया था कि आज इसे किसी भी तरह से चोदना ही है चाहे कुछ भी करना पड़े।
हम लोग बाहर खाना खा के रात में 11 बजे कमरे पर आए।
मैंने आज उसे नोएडा में आटा मार्केट और गिप माल में घुमाया था।
कमरे पर आने के बाद हम काफ़ी थक गए थे, सो कपड़े बदल कर लेटने लगे।
उसने गुलाबी रंग की मैक्सी पहनी थी और अन्दर गुलाबी रंग की ब्रा थी, जो हल्की सी दिख रही थी।
मैं खाली पजामा ही पहने था, वो बिस्तर के दूसरी तरफ लेट गई।
बिजली बंद करते ही कमरे में बिल्कुल अंधेरा हो गया, मैंने नाइट बल्ब भी बंद कर दिया था।
थोड़ी देर गुजरने के बाद मैंने अपने कपड़े उतार दिए और पूरी तरह से नंगा हो गया।
मैं धीरे से उसके पास गया और उसके पैर के ऊपर पैर रख दिया।
वो मेरी तरफ पीठ कर के लेटी थी।
मैंने अपना एक हाथ उसके हाथ के ऊपर रखा और पैरों से उसकी मैक्सी को ऊपर करने लगा, फिर धीमे से अपना हाथ उसकी एक चूची पर ले गया और उसे हल्के हल्के से सहलाने लगा।
उसकी मैक्सी को मैं उसके चूतड़ों तक ले आया था।
फिर उसकी चूत के दर्शन पाने के लिए मैंने नाइट बल्ब को ऑन किया।
हल्की सी रोशनी में उसकी जाँघें क्या मस्त लग रही थीं।
मैं मैक्सी के ऊपर से ही उसकी चूची को दबा रहा था।
उसकी साँसें भी तेज़ हो रही थीं।
फिर अचानक मैंने हिम्मत करके उसे सीधा किया एक झटके में और उसके ऊपर आ गया।
उसने थोड़ा चौंक कर आँख खोलीं और जैसे ही वो कुछ बोलती, मैंने अपने होंठ उसके होंठ पर रख दिए और उसे कस कर चुम्बन करने लगा।
वो मुझसे छूटने की कोशिश करने लगी, पर मैं उसे कस कर पकड़ा हुआ था और लगातार चुम्बन किए जा रहा था।
थोड़ी देर बाद उसने प्रतिरोध कम किया तो मैंने तुरंत उसकी मैक्सी को उतारी और उसकी चूचियां कसके दबाने और मसकने लगा।
ब्रा के अन्दर की मस्त मुलायम चूचियाँ थीं, कई दिनों मेरी आँखें उसी पर ही टिकी रहती थी।
फिर मैंने ब्रा भी निकाल फेंकी और लगातार उसकी चूची चूसता जा रहा था।
वो भी बड़े मज़े से ‘आहें’ भर रही थी और मेरे सिर को कस कर अपनी चूचियों में दबा रही थी।
मैं फिर उसकी चूत के पास आया और पैन्टी के ऊपर से ही चुम्बन किया, वो काँप गई थी।
मैंने फिर उसकी चूत को पैन्टी से आज़ाद किया और जाँघों को चूमते हुए उसकी चूत के पास गया।
उसकी चूत पर हल्की-हल्की झाँटें थीं।
मैं लगातार उसकी चूत को चाटने लगा और ऊँगली करने लगा।
वो पागल सी होने लगी थी और ज़ोर-ज़ोर से आवाजें कर रही थी।
मैं फिर अपना लंड उसके मुँह के पास ले गया और वो बड़े प्यार से उसे मुँह में लेकर चूसने लगी। हम 69 की अवस्था में लगभग दस मिनट तक रहे और एक-दूसरे के मुँह में ही झड़ गए।
मैं फिर सीधे होकर उसे चुम्बन करने लगा और उससे पूछा- क्या आज से पहले कभी तुमने चुदाई की है?
यह सुन कर मैं तो हैरान रह गया कि वो कई बार चुदाई कर चुकी है।
मैं कहा- तब तो एक और लंड लेने में कोई दिक्कत नहीं होगी।
तो वो बोली- हाँ.. लेकिन पिछले 6 माह से चुदाई नहीं की है इसीलिए मैं तुम्हारे साथ यहाँ आई हूँ ताकि अपनी प्यास बुझा सकूँ, पर तुमने कोई शुरुआत ही नहीं की 5 दिनों से।
मैं अपने आप को कोसने लगा कि मैंने 5 दिन बर्बाद कर दिए।
हम लोग फिर से गरम हो चुके थे, तब तक तो मैंने वक्त जाया ना करते हुए उसके टाँगें चौड़ी कीं और पूछा- किस तरह से चुदना पसंद करेगी?
तो बोली- जैसे तुम्हें चोदना है.. वैसे चोदो, मैं तो अब यहाँ तुम्हारी ही हूँ।
मैंने फिर उसे सीधा ही लेटा कर अपना लंड उसकी चूत पर रख दिया और एक ज़ोर का धक्का लगाया।
मेरा 6” इंच का लंड आधा उसकी चूत में घुस गया और वो ज़ोर से चीखी।
कई महीनों से लंड ना खाने से चूत काफ़ी तंग हो गई थी।
मैं फिर उसे चूमने लगा और उसकी चूची को दबाने लगा।
फिर मैंने एक ज़ोर का धक्का लगाया और मेरा पूरा लंड उसकी चूत के अन्दर पेवस्त हो गया।
अब धीरे-धीरे मैंने रफ्तार बढ़ा दी और वो भी अपनी गाण्ड हिला-हिला कर मेरा साथ देने लगी।
लगभग 5 मिनट के बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए, मैंने अपना सारा माल उसकी चूत में ही डाल दिया।
उस रात मैंने उसे 3 बार चोदा।
सुबह उठते ही हम एक-दूसरे के ऊपर ही पड़े थे और जब रौशनी में मेरी नज़र उसकी गाण्ड पर पड़ी तो मेरा लंड फिर से सलामी देना लगा।
मैं उसकी गाण्ड दबाने लगा और अपने लंड को उसके छेद पर रख दिया।
वो जाग गई थी और गाण्ड मरवाने से मना करने लगी, बोली- कभी मरवाई नहीं है और बहुत दर्द होगा।
मैं बहुत समझाया, पर वो मना करती रही।
तब मैंने बोला- मैं अब इस खड़े लंड का क्या करूँ? इसे तो तेरी गाण्ड ही चाहिए।
तब वो बड़े प्यार से अपनी टाँगें फैला कर बोली- मेरी चूत क्या बंद हो गई है जो तुम्हारे लंड को तरसना पड़े।
मैंने भी फिर उसकी चूत से ही अपने लंड की प्यास बुझाई और फिर दस दिनों तक लगातार उसकी चूत का भोसड़ा बना दिया।
अंत में एक दिन उसकी गाण्ड का भी उद्धार कर ही दिया।
उसकी गाण्ड मैंने किस तरह से मारी ये मैं फिर कभी किसी कहानी में लिखूंगा।
मेरा नाम सन्नी है और मैं उज्जैन में रहता हूँ। मेरी उम्र 23 साल है और मैं दिखने में गोरा और अच्छे व्यक्तित्व का युवा हूँ।
मैं इस साइट का नियमित पाठक हूँ और आज पहली बार अपनी कहानी लेकर आया हूँ, जो मेरे साथ लगभग एक साल पहले घटी थी।
मैं दिल्ली में नौकरी करता हूँ। जब मैं उज्जैन में काम करता था तो मेरे साथ एक लड़की थी पूजा, वो मुझसे काफ़ी जूनियर थी।
वो देवास की रहने वाली थी और घर में सबसे बड़ी थी, उज्जैन में अकेले ही रहती थी, मुझसे उम्र में दो साल बड़ी थी और थोड़ी सांवली थी पर उसका जिस्म कमाल का था इतना कामुक जिस्म कि देखते ही चोदने का मन हो जाए।
उसकी चूचियाँ 34 की तनी हुई थी और 36 इन्च के उठे हुए गोल-मटोल चूतड़, पतली सी 28 इन्च की कमर थी। सफ़ेद रंग के सलवार सूट में कयामत सी लगती थी।
मेरी उससे अच्छी से दोस्ती थी और हम काफ़ी बातें किया करते थे, पर कभी उसे चोदने का मौका नहीं मिल पाया।
जब मैं दिल्ली चला गया, तब भी उससे फोन पर बातें हुआ करती थीं। मैं हमेशा उसे दिल्ली बुलाया करता था कि उसे दिल्ली घुमा दूँ, पर वो हमेशा कुछ ना कुछ बहाना बना दिया करती थी।
मुझे अब लगभग दिल्ली में 3 महीने हो चुके थे, एक बार मैंने फोन पर ज़्यादा ज़ोर दिया तो वो अगले हफ्ते आने को तैयार हो गई। मैंने तुरंत रिज़र्वेशन कराया, सीट कन्फर्म नहीं हुई तो मैंने दो अलग-अलग टिकट बुक कराए, एक कन्फर्म लेडीस कोटे में और एक अपना भी कराया जो कि वेटिंग था।
जब मैं उज्जैन से उसे लेकर चलने लगा तो शाम की ट्रेन थी और मेरा टिकट वेटिंग ही था, सो एक सीट में ही काम चलाना था।
मैं तो खुश था ही क्योंकि रात को उसके साथ में ही सोना मिल रहा था, इसलिए मैंने टिकट कन्फर्म कराने की कोशिश भी नहीं की। उससे बोल दिया कि टीटी बोल रहा है कि कोई जगह नहीं है।
रात के दस बजे हम लोग सोने के लिए लेटे, एक सीट पर थोड़ा उसे दिक्कत तो हो ही रही थी, पर और कोई चारा भी नहीं था।
वो चिपक कर मेरे बगल में लेटी थी और हम लोग एक ही चादर ओढ़े थे, क्योंकि फरवरी का महीना था तो थोड़ी सर्दी थी।
इतने कमाल की लौंडिया अगर किसी के बगल में चिपक कर लेटी हो, जिसे चोदने का ख्याल पहले से ही मन में हो तो हालत तो खराब ही होगी।
मेरा लंड बुरी तरह से तना हुआ था और नींद तो दूर-दूर तक नहीं आ रही थी, बस मन कर रहा था कि इसे ट्रेन में ही चोद दूँ।
एक घंटा बीतने के बाद मैंने अपना हाथ उसकी चूची के ऊपर रख दिया और पैर उसके पैर के बीच में, फिर धीरे से दूसरा हाथ उसके चूतड़ों के ऊपर रखा और उसे सहलाने लगा और हल्के-हल्के दबाने लगा।
मैं कमीज के ऊपर से ही हल्के-हल्के उसकी चूची को भी दबा रहा था।
फिर जैसे ही मैंने कमीज के अन्दर उंगली डालने की कोशिश की, तो वो हिली और दूसरी तरफ मुँह करके लेट गई।
मैंने तुरंत अपना हाथ वापस खींचा और सोने की एक्टिंग करने लगा।
फिर थोड़ी देर बाद मैं ट्रेन के टॉयलेट में गया और हाथ से काम चला कर सो गया।
सुबह हम लोग दिल्ली पहुँच गए और सीधे अपने कमरे पर गया।
मैं दिल्ली में एक कॉल-सेंटर में काम करता था और नोयडा में सेक्टर-27 में रहता था। मेरे फ्लैट में एक कमरा और रसोई और बाथरूम था, एक ही कमरा था और उसमें एक ही बड़ा सा बिस्तर था।
मैं रोज़ उसे चोदने की योजना बनता था, पर चुदाई चालू करने का कोई मौका ही नहीं मिल रहा था।
इसी तरह 5 दिन गुजर चुके थे, शनिवार के दिन मेरा ऑफ था सो मैंने ठान लिया था कि आज इसे किसी भी तरह से चोदना ही है चाहे कुछ भी करना पड़े।
हम लोग बाहर खाना खा के रात में 11 बजे कमरे पर आए।
मैंने आज उसे नोएडा में आटा मार्केट और गिप माल में घुमाया था।
कमरे पर आने के बाद हम काफ़ी थक गए थे, सो कपड़े बदल कर लेटने लगे।
उसने गुलाबी रंग की मैक्सी पहनी थी और अन्दर गुलाबी रंग की ब्रा थी, जो हल्की सी दिख रही थी।
मैं खाली पजामा ही पहने था, वो बिस्तर के दूसरी तरफ लेट गई।
बिजली बंद करते ही कमरे में बिल्कुल अंधेरा हो गया, मैंने नाइट बल्ब भी बंद कर दिया था।
थोड़ी देर गुजरने के बाद मैंने अपने कपड़े उतार दिए और पूरी तरह से नंगा हो गया।
मैं धीरे से उसके पास गया और उसके पैर के ऊपर पैर रख दिया।
वो मेरी तरफ पीठ कर के लेटी थी।
मैंने अपना एक हाथ उसके हाथ के ऊपर रखा और पैरों से उसकी मैक्सी को ऊपर करने लगा, फिर धीमे से अपना हाथ उसकी एक चूची पर ले गया और उसे हल्के हल्के से सहलाने लगा।
उसकी मैक्सी को मैं उसके चूतड़ों तक ले आया था।
फिर उसकी चूत के दर्शन पाने के लिए मैंने नाइट बल्ब को ऑन किया।
हल्की सी रोशनी में उसकी जाँघें क्या मस्त लग रही थीं।
मैं मैक्सी के ऊपर से ही उसकी चूची को दबा रहा था।
उसकी साँसें भी तेज़ हो रही थीं।
फिर अचानक मैंने हिम्मत करके उसे सीधा किया एक झटके में और उसके ऊपर आ गया।
उसने थोड़ा चौंक कर आँख खोलीं और जैसे ही वो कुछ बोलती, मैंने अपने होंठ उसके होंठ पर रख दिए और उसे कस कर चुम्बन करने लगा।
वो मुझसे छूटने की कोशिश करने लगी, पर मैं उसे कस कर पकड़ा हुआ था और लगातार चुम्बन किए जा रहा था।
थोड़ी देर बाद उसने प्रतिरोध कम किया तो मैंने तुरंत उसकी मैक्सी को उतारी और उसकी चूचियां कसके दबाने और मसकने लगा।
ब्रा के अन्दर की मस्त मुलायम चूचियाँ थीं, कई दिनों मेरी आँखें उसी पर ही टिकी रहती थी।
फिर मैंने ब्रा भी निकाल फेंकी और लगातार उसकी चूची चूसता जा रहा था।
वो भी बड़े मज़े से ‘आहें’ भर रही थी और मेरे सिर को कस कर अपनी चूचियों में दबा रही थी।
मैं फिर उसकी चूत के पास आया और पैन्टी के ऊपर से ही चुम्बन किया, वो काँप गई थी।
मैंने फिर उसकी चूत को पैन्टी से आज़ाद किया और जाँघों को चूमते हुए उसकी चूत के पास गया।
उसकी चूत पर हल्की-हल्की झाँटें थीं।
मैं लगातार उसकी चूत को चाटने लगा और ऊँगली करने लगा।
वो पागल सी होने लगी थी और ज़ोर-ज़ोर से आवाजें कर रही थी।
मैं फिर अपना लंड उसके मुँह के पास ले गया और वो बड़े प्यार से उसे मुँह में लेकर चूसने लगी। हम 69 की अवस्था में लगभग दस मिनट तक रहे और एक-दूसरे के मुँह में ही झड़ गए।
मैं फिर सीधे होकर उसे चुम्बन करने लगा और उससे पूछा- क्या आज से पहले कभी तुमने चुदाई की है?
यह सुन कर मैं तो हैरान रह गया कि वो कई बार चुदाई कर चुकी है।
मैं कहा- तब तो एक और लंड लेने में कोई दिक्कत नहीं होगी।
तो वो बोली- हाँ.. लेकिन पिछले 6 माह से चुदाई नहीं की है इसीलिए मैं तुम्हारे साथ यहाँ आई हूँ ताकि अपनी प्यास बुझा सकूँ, पर तुमने कोई शुरुआत ही नहीं की 5 दिनों से।
मैं अपने आप को कोसने लगा कि मैंने 5 दिन बर्बाद कर दिए।
हम लोग फिर से गरम हो चुके थे, तब तक तो मैंने वक्त जाया ना करते हुए उसके टाँगें चौड़ी कीं और पूछा- किस तरह से चुदना पसंद करेगी?
तो बोली- जैसे तुम्हें चोदना है.. वैसे चोदो, मैं तो अब यहाँ तुम्हारी ही हूँ।
मैंने फिर उसे सीधा ही लेटा कर अपना लंड उसकी चूत पर रख दिया और एक ज़ोर का धक्का लगाया।
मेरा 6” इंच का लंड आधा उसकी चूत में घुस गया और वो ज़ोर से चीखी।
कई महीनों से लंड ना खाने से चूत काफ़ी तंग हो गई थी।
मैं फिर उसे चूमने लगा और उसकी चूची को दबाने लगा।
फिर मैंने एक ज़ोर का धक्का लगाया और मेरा पूरा लंड उसकी चूत के अन्दर पेवस्त हो गया।
अब धीरे-धीरे मैंने रफ्तार बढ़ा दी और वो भी अपनी गाण्ड हिला-हिला कर मेरा साथ देने लगी।
लगभग 5 मिनट के बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए, मैंने अपना सारा माल उसकी चूत में ही डाल दिया।
उस रात मैंने उसे 3 बार चोदा।
सुबह उठते ही हम एक-दूसरे के ऊपर ही पड़े थे और जब रौशनी में मेरी नज़र उसकी गाण्ड पर पड़ी तो मेरा लंड फिर से सलामी देना लगा।
मैं उसकी गाण्ड दबाने लगा और अपने लंड को उसके छेद पर रख दिया।
वो जाग गई थी और गाण्ड मरवाने से मना करने लगी, बोली- कभी मरवाई नहीं है और बहुत दर्द होगा।
मैं बहुत समझाया, पर वो मना करती रही।
तब मैंने बोला- मैं अब इस खड़े लंड का क्या करूँ? इसे तो तेरी गाण्ड ही चाहिए।
तब वो बड़े प्यार से अपनी टाँगें फैला कर बोली- मेरी चूत क्या बंद हो गई है जो तुम्हारे लंड को तरसना पड़े।
मैंने भी फिर उसकी चूत से ही अपने लंड की प्यास बुझाई और फिर दस दिनों तक लगातार उसकी चूत का भोसड़ा बना दिया।
अंत में एक दिन उसकी गाण्ड का भी उद्धार कर ही दिया।
उसकी गाण्ड मैंने किस तरह से मारी ये मैं फिर कभी किसी कहानी में लिखूंगा।