bhauja के प्रेमियों को मेरा नमस्कार मेरा नाम रोहित है.. मैं चंडीगढ से हूँ.. देखने में काफी सुंदर हूँ.. ऐसा लड़कियों से सुना है मैंने..
मैं अभी सिर्फ 20 वर्ष का हूँ। यह बात दो साल पहले की है.. मैं अपना स्कूल छोड़कर किसी और स्कूल में पढ़ने के लिए गया। वहाँ की लड़कियाँ सिर्फ मेरे बारे में ही बातें करती रहती हैं.. ऐसा मुझे मेरे दोस्त ने कहा था।
जब मैं वहाँ गया तो लग रहा था कि मैं किसी जन्नत में हूँ और हूरों से घिरा हूँ। मैं नया लड़का था.. तो हर कोई लाईन दे रही थी..
इधर की लड़कियाँ एक से बढ़कर एक.. बम पटाखा माल थीं.. पर मेरी रूचि उनमें नहीं थी..
मैं किसी कमसिन चूत को चोदना तो चाहता था.. पर उसे गर्लफ्रेंड नहीं बनाना चाहता था।
मुझे किसी अच्छी लड़की को गर्ल-फ्रेण्ड बनाना था। एक महीना बीत गया.. एक दिन स्कूल में बहुत ही सुंदर लड़की दिखाई दी। उसकी पतली कमर.. गोरा रंग.. एकदम परी जैसा माल… उसके चूचे तो बिल्कुल दीपिका जैसे.. मेरा तो एकदम से चिपकने का मन कर रहा था।
मैं लाईफ में इतनी सुंदर लड़की पहली बार देख रहा था। मैं स्कूल के बरामदे में खड़ा उसे देख रहा था.. अचानक उसने ग्राऊंड से बरामदे पर नज़र डाली।
उसकी आँखें मुझ पर आ टिकीं.. नज़रें मिलीं.. मैंने भी नजरें नहीं हटाईं..
वाह.. क्या हुस्न था.. क्या खूबसूरत मंजर था..
फिर अचानक उसने नज़रें हटा लीं।
फिर थोड़ा सा देखा और हंसी.. और क्लास में चली गई।
फिर स्कूल ऑफ हुआ मैं घर आ गया।
अब रोज मैं उसे स्कूल में ढूंढ़ता रहता.. शायद वो भी..
अब मैं रोज़ उसके साथ नज़रें मिलाने लगा.. समय के साथ नज़रों का मिलन भी लंबा होता जा रहा था।
मैंने एक लड़की के पास जाकर उसके लिए अपना नम्बर दिया।
दो-तीन दिन बाद एक अनजान नम्बर से फोन आया। उस वक्त मैं घर वालों के साथ था.. तो उठकर बाहर आ गया। जब तक फोन कट गया.. तो मैंने कॉल बैक किया।
मैं- हैलो.. कौन?
कोई जवाब नहीं आया..
मैं- हाँ कौन..?
कोई जबाव नहीं आया.. थोड़ी देर बाद एक मीठी सी आवाज ने मेरे कानों में प्रवेश किया मैं तो घायल ही हो गया।
वो- पल्लवी..
मैं तो समझो मर ही गया.. हाँ.. दोस्तो, उस परी का नाम पल्लवी ही था। हमारे बीच थोड़ी बात हुई।
फिर उसने बोला- रात को कॉल करूँगी..
फिर फ़ोन काट दिया।
रात को हमने काफ़ी देर तक बात की.. सुबह स्कूल में दूर से ‘हाय’ किया.. ताकि कोई देखे ना..
फिर कुछ ही दिनों में फोन पर मैंने उसे ‘आई लव यू’ बोल दिया। मैं काफी लंबे समय से उस पर लाईन मार रहा था.. तो उसने भी ‘हाँ’ कर दी। मैं खुश हो गया।
समय बीतता गया और वो मुझसे खुलती गई.. साथ जीने-मरने की कसमें खा लीं.. फोन पर किस और आलिंगन.. चलने लगा। अब हम स्कूल में अकेले भी मिल लेते थे। मेरे दोस्तों को भी हमारे बारे में पता लग चुका था।
एक दिन मैंने स्कूल में उसे कंप्यूटर लैब में बुलाया। जैसे ही वो आई.. मैं उसके गले से लग गया.. वो भी लिपट गई।
मैंने उसकी गर्दन पर किस कर दी वो बोली- गुदगुदी हो रही है..
मैं- कैसे?
वो- अच्छा.. अभी बताती हूँ..
उसने भी मुझे गरदन पर चूमना शुरू कर दिया। फिर मैंने उसका मुँह ऊपर किया और पूरे फिल्मी स्टाइल में धीरे-धीरे होंठ से होंठ मिला दिए।
वाह.. क्या मीठा अहसास था।
एक दिन स्कूल में घोषणा हुई कि स्कूल का 5 दिनों के लिए जयपुर का ट्रिप है.. जो छात्र जाना चाहते हैं.. अगले दिन अपना नाम बता दें।
हम दोनों ने भी प्लान बनाया और चले गए।
जब सभी बस में चढ़ रहे थे.. तो मेरी नज़रें उसे ही ढूंढ रही थीं.. जब वो आई.. तो मैं मस्त होकर चक्कर खाने लगा।
क्या लग रही थी दोस्तो.. एकदम माल.. भरा-भरा सा जिस्म.. मेरा लंड तो अंगड़ाई लेने लगा।
वो मेरे पास आई और बोली- कैसी लग रही हूँ मैं?
‘एकदम पटाखा..’
वो- अच्छा जी.. शैतान..
उसे फिर मैंने फिर अपने पास बिठा लिया.. रात का सफर भी था तो बस में गाने गा-गा कर चिल्ला कर थक गए और सो गए।
रात हो गई थी.. तो बस में अंधेरा छा गया। मैंने पल्लवी का हाथ आपने हाथ में पकड़ा और किस करने लगा। मैं उसके बालों की खुशबू से मदहोश हो रहा था।
उसने मुझे अचानक बालों से पकड़ कर अपनी गोद में लिटा लिया और होंठ मिला दिए।
फिर कुछ पलों के बाद उसने मुझे उठा दिया.. पर अब मैं कहाँ रूकने वाला था..
बस होड़ सी लग गई और हम दोनों लग पड़े किस करने.. बस की सीटें ऊंची थीं.. तो कोई देख भी नहीं रहा था। मैं धीरे-धीरे बढ़ता गया। उसके मम्मों पर हाथ रखा.. तो पता चला टॉप के अन्दर सिर्फ एक पतली शमीज़ पहनी है..
क्या चूचे थे.. एकदम कड़क-कड़क..
वो मेरे बालों को सहलाने लगी.. फिर हम अलग हुए और मैं उसकी चूत सहलाने लगा।
उसे भी जोश आया तो उसने पैन्ट के ऊपर से ही मेरा लंड पकड़ लिया।
मैं उसकी चूत और मम्मों को सहला रहा था.. काफी देर तक मेरा वो लौड़े को हिलाती रही..
अचानक बस रुक गई.. पता चला मंजिल आ गई है..
हमारा ठहरने का बंदोबस्त एक होटल में किया गया था।
सभी को टीचर ने कमरा दे दिया.. एक कमरे में 3 छात्रों के रुकने कि व्यवस्था थी। सभी लड़के लड़कियां अलग-अलग होकर कमरों में सोने चले गए।
सभी थके थे.. तो सभी जल्दी सो गए लेकिन मुझे नींद कहाँ आने वाली थी। मैंने पल्लवी को फोन किया.. तो उसने बोला- कमरा नम्बर 5 में आ जाओ..
मैं झट से उठा और उधर पहुँच गया.. वो दरवाजे पर ही खड़ी थी।
वो मुझे बाथरूम में ले गई.. हम दोनों चिपक गए।
बाथरूम काफी बड़ा और आकर्षक था। जकूजी और स्पा के साथ बड़े आकार के शीशे में हम दोनों एक-दूसरे से लिपटे दिख रहे थे।
मेरा लंड लोअर से बाहर आने को तरस रहा था। मैंने उसे पकड़ा और घुमा दिया अब मेरे हाथ उसके मम्मों पर थे और लंड उसकी गांड की दरार में घिस रहा था.. क्या मस्त उठी हुई गांड थी।
हमारे होंठ अब भी मिले थे.. उसने हाथ पीछे करके मेरा लंड पकड़ लिया और दबाने लगी।
शीशे में क्या मस्त सीन दिख रहा था.. एक हाथ मैंने उसके लोअर में धीरे-धीरे घुसेड़ा और हाथ को लोअर में अन्दर तक हाथ डाल दिया और उसकी चूत को सहलाने लगा।
हम दोनों में मस्ती छाने लगी.. उसकी चूत पर बाल नहीं थे और चूत काफी चिपचिपी हो गई थी।
जब मैंने उसके टॉप के अन्दर हाथ डाला.. तो हाय.. संतरे जैसी चूची थी दबाने में बहुत मस्त..
चुदास की गर्मी बढ़ने लगी और हम दोनों नंगे हो गए।
उसका मखमली जिस्म मुझसे लिपटा हुआ था। मैंने उसकी एक चूची को चूसना शुरू कर दिया.. वो सिसकियां लेते लगी। मेरा एक हाथ उसकी मासूम चूत पर था। मैं उसकी गीली चूत में उंगली घुसा देता था.. जब उंगली अन्दर जाती थी.. वो उचक कर ऊपर को हो जाती थी।
मेरा लंड अब एकदम कड़क हो उठा था नसें फूल गई थीं।
फिर मैंने उसे दीवार के साथ जोर से चिपका दिया और उसकी बगलों में किस करने लगा। वो तो तड़फ उठी.. मैं धीरे-धीरे नीचे आता गया.. उसकी नाभि पर किस किया.. फिर चूत को जीभ से टेस्ट किया।
हय.. क्या कोरी चूत का कोरा स्वाद था..
अब और इंतजार नहीं हो रहा था.. मैं खड़ा हुआ और लंड को चूत में घुसाने लगा.. जोश में साला लंड भी अन्दर नहीं जा रहा था।
मैंने उससे बोला- मदद तो कर..
उसने कहा- यह अन्दर कैसे लूंगी.. इतना बड़ा..
मैं- चला जाएगा..
उसने लंड पकड़ा और चूत को लंड से कुरेदने लगी।
मैंने किस करते-करते उसकी चूत में झटका लगाया.. उसके मुँह से ‘ऊंहह..’ की आवाज़ निकल गई और दर्द से ‘आआ आआ..’ करने लगी।
वो मुझसे जोर से लिपट गई।
लंड धीरे-धीरे फिसलता हुआ अन्दर समा गया.. उसके नीचे से खून बहने लगा उसके आंसू गिरने लगे..
इतना खून देखकर मेरी तो फट गई थी। कुछ देर बाद वो शांत हो गई.. तो मैं अब आराम से चुदाई करने लगा।
थोड़ी देर बाद दोनों पूरे जोश में आ गए फिर मैं कमोड पर बैठ गया और वो मुझे चोदने लगी।
उसने कानों को मुँह में लिया और काटती.. कभी चूसती.. होंठ को मुँह में पूरा भर लेती..
इधर नीचे से मैं झटके दिए जा रहा था.. वो अकड़ने लगी और मुझसे जोर से चिपक गई।
मैंने उसे सिंक पर टिकाया और सांस रोक कर लगातार धक्के लगाए और चूत में ही झड़ गया।
वो दो बार झड़ गई थी.. उसने अभी भी मुझे जोर से पकड़ा हुआ था।
उसके बाल मुँह पर गिर रहे थे.. बालों को हटा कर उसको एक लंबा सा किस किया.. फिर खुद को साफ किया और अपने कमरे में आ गया।
घड़ी में देखा.. रात के 4 बज चुके थे..
लेखक : सुनीता भाभी
प्रकाषक : bhauja.com
मैं अभी सिर्फ 20 वर्ष का हूँ। यह बात दो साल पहले की है.. मैं अपना स्कूल छोड़कर किसी और स्कूल में पढ़ने के लिए गया। वहाँ की लड़कियाँ सिर्फ मेरे बारे में ही बातें करती रहती हैं.. ऐसा मुझे मेरे दोस्त ने कहा था।
जब मैं वहाँ गया तो लग रहा था कि मैं किसी जन्नत में हूँ और हूरों से घिरा हूँ। मैं नया लड़का था.. तो हर कोई लाईन दे रही थी..
इधर की लड़कियाँ एक से बढ़कर एक.. बम पटाखा माल थीं.. पर मेरी रूचि उनमें नहीं थी..
मैं किसी कमसिन चूत को चोदना तो चाहता था.. पर उसे गर्लफ्रेंड नहीं बनाना चाहता था।
मुझे किसी अच्छी लड़की को गर्ल-फ्रेण्ड बनाना था। एक महीना बीत गया.. एक दिन स्कूल में बहुत ही सुंदर लड़की दिखाई दी। उसकी पतली कमर.. गोरा रंग.. एकदम परी जैसा माल… उसके चूचे तो बिल्कुल दीपिका जैसे.. मेरा तो एकदम से चिपकने का मन कर रहा था।
मैं लाईफ में इतनी सुंदर लड़की पहली बार देख रहा था। मैं स्कूल के बरामदे में खड़ा उसे देख रहा था.. अचानक उसने ग्राऊंड से बरामदे पर नज़र डाली।
उसकी आँखें मुझ पर आ टिकीं.. नज़रें मिलीं.. मैंने भी नजरें नहीं हटाईं..
वाह.. क्या हुस्न था.. क्या खूबसूरत मंजर था..
फिर अचानक उसने नज़रें हटा लीं।
फिर थोड़ा सा देखा और हंसी.. और क्लास में चली गई।
फिर स्कूल ऑफ हुआ मैं घर आ गया।
अब रोज मैं उसे स्कूल में ढूंढ़ता रहता.. शायद वो भी..
अब मैं रोज़ उसके साथ नज़रें मिलाने लगा.. समय के साथ नज़रों का मिलन भी लंबा होता जा रहा था।
मैंने एक लड़की के पास जाकर उसके लिए अपना नम्बर दिया।
दो-तीन दिन बाद एक अनजान नम्बर से फोन आया। उस वक्त मैं घर वालों के साथ था.. तो उठकर बाहर आ गया। जब तक फोन कट गया.. तो मैंने कॉल बैक किया।
मैं- हैलो.. कौन?
कोई जवाब नहीं आया..
मैं- हाँ कौन..?
कोई जबाव नहीं आया.. थोड़ी देर बाद एक मीठी सी आवाज ने मेरे कानों में प्रवेश किया मैं तो घायल ही हो गया।
वो- पल्लवी..
मैं तो समझो मर ही गया.. हाँ.. दोस्तो, उस परी का नाम पल्लवी ही था। हमारे बीच थोड़ी बात हुई।
फिर उसने बोला- रात को कॉल करूँगी..
फिर फ़ोन काट दिया।
रात को हमने काफ़ी देर तक बात की.. सुबह स्कूल में दूर से ‘हाय’ किया.. ताकि कोई देखे ना..
फिर कुछ ही दिनों में फोन पर मैंने उसे ‘आई लव यू’ बोल दिया। मैं काफी लंबे समय से उस पर लाईन मार रहा था.. तो उसने भी ‘हाँ’ कर दी। मैं खुश हो गया।
समय बीतता गया और वो मुझसे खुलती गई.. साथ जीने-मरने की कसमें खा लीं.. फोन पर किस और आलिंगन.. चलने लगा। अब हम स्कूल में अकेले भी मिल लेते थे। मेरे दोस्तों को भी हमारे बारे में पता लग चुका था।
एक दिन मैंने स्कूल में उसे कंप्यूटर लैब में बुलाया। जैसे ही वो आई.. मैं उसके गले से लग गया.. वो भी लिपट गई।
मैंने उसकी गर्दन पर किस कर दी वो बोली- गुदगुदी हो रही है..
मैं- कैसे?
वो- अच्छा.. अभी बताती हूँ..
उसने भी मुझे गरदन पर चूमना शुरू कर दिया। फिर मैंने उसका मुँह ऊपर किया और पूरे फिल्मी स्टाइल में धीरे-धीरे होंठ से होंठ मिला दिए।
वाह.. क्या मीठा अहसास था।
एक दिन स्कूल में घोषणा हुई कि स्कूल का 5 दिनों के लिए जयपुर का ट्रिप है.. जो छात्र जाना चाहते हैं.. अगले दिन अपना नाम बता दें।
हम दोनों ने भी प्लान बनाया और चले गए।
जब सभी बस में चढ़ रहे थे.. तो मेरी नज़रें उसे ही ढूंढ रही थीं.. जब वो आई.. तो मैं मस्त होकर चक्कर खाने लगा।
क्या लग रही थी दोस्तो.. एकदम माल.. भरा-भरा सा जिस्म.. मेरा लंड तो अंगड़ाई लेने लगा।
वो मेरे पास आई और बोली- कैसी लग रही हूँ मैं?
‘एकदम पटाखा..’
वो- अच्छा जी.. शैतान..
उसे फिर मैंने फिर अपने पास बिठा लिया.. रात का सफर भी था तो बस में गाने गा-गा कर चिल्ला कर थक गए और सो गए।
रात हो गई थी.. तो बस में अंधेरा छा गया। मैंने पल्लवी का हाथ आपने हाथ में पकड़ा और किस करने लगा। मैं उसके बालों की खुशबू से मदहोश हो रहा था।
उसने मुझे अचानक बालों से पकड़ कर अपनी गोद में लिटा लिया और होंठ मिला दिए।
फिर कुछ पलों के बाद उसने मुझे उठा दिया.. पर अब मैं कहाँ रूकने वाला था..
बस होड़ सी लग गई और हम दोनों लग पड़े किस करने.. बस की सीटें ऊंची थीं.. तो कोई देख भी नहीं रहा था। मैं धीरे-धीरे बढ़ता गया। उसके मम्मों पर हाथ रखा.. तो पता चला टॉप के अन्दर सिर्फ एक पतली शमीज़ पहनी है..
क्या चूचे थे.. एकदम कड़क-कड़क..
वो मेरे बालों को सहलाने लगी.. फिर हम अलग हुए और मैं उसकी चूत सहलाने लगा।
उसे भी जोश आया तो उसने पैन्ट के ऊपर से ही मेरा लंड पकड़ लिया।
मैं उसकी चूत और मम्मों को सहला रहा था.. काफी देर तक मेरा वो लौड़े को हिलाती रही..
अचानक बस रुक गई.. पता चला मंजिल आ गई है..
हमारा ठहरने का बंदोबस्त एक होटल में किया गया था।
सभी को टीचर ने कमरा दे दिया.. एक कमरे में 3 छात्रों के रुकने कि व्यवस्था थी। सभी लड़के लड़कियां अलग-अलग होकर कमरों में सोने चले गए।
सभी थके थे.. तो सभी जल्दी सो गए लेकिन मुझे नींद कहाँ आने वाली थी। मैंने पल्लवी को फोन किया.. तो उसने बोला- कमरा नम्बर 5 में आ जाओ..
मैं झट से उठा और उधर पहुँच गया.. वो दरवाजे पर ही खड़ी थी।
वो मुझे बाथरूम में ले गई.. हम दोनों चिपक गए।
बाथरूम काफी बड़ा और आकर्षक था। जकूजी और स्पा के साथ बड़े आकार के शीशे में हम दोनों एक-दूसरे से लिपटे दिख रहे थे।
मेरा लंड लोअर से बाहर आने को तरस रहा था। मैंने उसे पकड़ा और घुमा दिया अब मेरे हाथ उसके मम्मों पर थे और लंड उसकी गांड की दरार में घिस रहा था.. क्या मस्त उठी हुई गांड थी।
हमारे होंठ अब भी मिले थे.. उसने हाथ पीछे करके मेरा लंड पकड़ लिया और दबाने लगी।
शीशे में क्या मस्त सीन दिख रहा था.. एक हाथ मैंने उसके लोअर में धीरे-धीरे घुसेड़ा और हाथ को लोअर में अन्दर तक हाथ डाल दिया और उसकी चूत को सहलाने लगा।
हम दोनों में मस्ती छाने लगी.. उसकी चूत पर बाल नहीं थे और चूत काफी चिपचिपी हो गई थी।
जब मैंने उसके टॉप के अन्दर हाथ डाला.. तो हाय.. संतरे जैसी चूची थी दबाने में बहुत मस्त..
चुदास की गर्मी बढ़ने लगी और हम दोनों नंगे हो गए।
उसका मखमली जिस्म मुझसे लिपटा हुआ था। मैंने उसकी एक चूची को चूसना शुरू कर दिया.. वो सिसकियां लेते लगी। मेरा एक हाथ उसकी मासूम चूत पर था। मैं उसकी गीली चूत में उंगली घुसा देता था.. जब उंगली अन्दर जाती थी.. वो उचक कर ऊपर को हो जाती थी।
मेरा लंड अब एकदम कड़क हो उठा था नसें फूल गई थीं।
फिर मैंने उसे दीवार के साथ जोर से चिपका दिया और उसकी बगलों में किस करने लगा। वो तो तड़फ उठी.. मैं धीरे-धीरे नीचे आता गया.. उसकी नाभि पर किस किया.. फिर चूत को जीभ से टेस्ट किया।
हय.. क्या कोरी चूत का कोरा स्वाद था..
अब और इंतजार नहीं हो रहा था.. मैं खड़ा हुआ और लंड को चूत में घुसाने लगा.. जोश में साला लंड भी अन्दर नहीं जा रहा था।
मैंने उससे बोला- मदद तो कर..
उसने कहा- यह अन्दर कैसे लूंगी.. इतना बड़ा..
मैं- चला जाएगा..
उसने लंड पकड़ा और चूत को लंड से कुरेदने लगी।
मैंने किस करते-करते उसकी चूत में झटका लगाया.. उसके मुँह से ‘ऊंहह..’ की आवाज़ निकल गई और दर्द से ‘आआ आआ..’ करने लगी।
वो मुझसे जोर से लिपट गई।
लंड धीरे-धीरे फिसलता हुआ अन्दर समा गया.. उसके नीचे से खून बहने लगा उसके आंसू गिरने लगे..
इतना खून देखकर मेरी तो फट गई थी। कुछ देर बाद वो शांत हो गई.. तो मैं अब आराम से चुदाई करने लगा।
थोड़ी देर बाद दोनों पूरे जोश में आ गए फिर मैं कमोड पर बैठ गया और वो मुझे चोदने लगी।
उसने कानों को मुँह में लिया और काटती.. कभी चूसती.. होंठ को मुँह में पूरा भर लेती..
इधर नीचे से मैं झटके दिए जा रहा था.. वो अकड़ने लगी और मुझसे जोर से चिपक गई।
मैंने उसे सिंक पर टिकाया और सांस रोक कर लगातार धक्के लगाए और चूत में ही झड़ गया।
वो दो बार झड़ गई थी.. उसने अभी भी मुझे जोर से पकड़ा हुआ था।
उसके बाल मुँह पर गिर रहे थे.. बालों को हटा कर उसको एक लंबा सा किस किया.. फिर खुद को साफ किया और अपने कमरे में आ गया।
घड़ी में देखा.. रात के 4 बज चुके थे..
लेखक : सुनीता भाभी
प्रकाषक : bhauja.com