Quantcast
Channel: ଭାଉଜ ଡଟ କମ - Odia Sex Story
Viewing all articles
Browse latest Browse all 501

लैब में बायोलोज़ी सिखाई (Lab Me Biology Sikhayi)

$
0
0
हैलो दोस्तो. में आपकी प्यारी सुनीता भाभी bhauja.com को अप्प सभी का स्वागत करता हूँ। आप लोगों को हरदिन नयी नयी कहानी सुना कर मुझे बहत अछि लगाती हे।  आप लोगों को कहानी सब कैसे लगाती हे जरूर कमेंट में लिखना।  ये कहानी को कहानी की हीरो की बात से समझिए।

मैं अपना नाम नहीं बताना चाहता हूँ.. सीधे कहानी की शुरुआत कर रहा हूँ.. मेरे साथ पढ़ने वाली प्रीति एकदम मस्त.. गोरी सेक्सी गर्ल है.. ऐसा लगता है कि जैसे वो ऑस्ट्रेलिया से आई हो..
उसे देखकर तो बूढ़े आदमी का भी लण्ड सलामी देने को हो जाए… वैसे मैं अपने बारे में भी बता दूँ कि मेरा लंड 8 इंच लंबा और 3 इंच मोटा है। अब तक मैं 6 को चोद चुका हूँ.. और वे छहों मुझे रोज चोदने का बोलती हैं।
खैर.. ज्यादा फ़ालतू बात नहीं करते हुए आपको कहानी की ओर ले चलता हूँ।
यह बारिश के दिनों की बात है.. मैं अपनी क्लास का सबसे कूल ब्वॉय था और सबसे बात करता था.. चाहे वो गर्ल हो.. या ब्वॉय हो..
हुआ यूं कि एक दिन बहुत बारिश हो रही थी और मैं हॉस्टल में रहता था.. तो ऐसी बारिश में मैं हॉस्टल से स्कूल चला गया।
वहाँ गया तो पता चला कि मेरी क्लास में कोई नहीं आया है।
मैं वापिस जाने लगा तो प्रीति ने आवाज़ लगाई और कहा- यहाँ आ जा…
वो लैब में बैठी थी और अपनी कुछ शीट्स वगैरह बना रही थी।
मैं वहाँ चला गया और मैंने देखा कि वो बायोलॉजी की अपनी शीट्स में मेल-फीमेल के अंदरूनी अंगों के चित्र बना रही थी।
इतने में सर आए और बोले- आज कोई नहीं आया है.. पूरा साइन्स ब्लॉक खाली है.. तो तुम लोग भी चले जाओ…
हमने कहा- ओके सर..
सर भी हम दोनों को घर जाने की कह कर चले गए।
मैं भी जाने लगा तो उसने कहा- अगर तू दस मिनट रुक जा.. तो मैं भी तेरे साथ चलूँगी… बारिश तेज है.. मुझे डर लग रहा है..
मैंने कहा- ओके..
वो फिर से अपनी शीट बनाने में लग गई।
मैं उसके नजदीक बैठ गया और देखने लगा कि वो क्या बना रही है.. उसके चित्रों को देखकर मुझे हँसी आ गई और मैंने कमेन्ट पास कर दिया- यह बायो वाले भी ना कुछ भी बनाते रहते हैं।
चूंकि उससे ड्रॉईंग सही से नहीं बन रही थी.. तो उसे मेरे कमेंट्स पर गुस्सा आ गया और उसने बोला- इत्ता जानता हो तो मैथ वालों तुम ही बना कर बता दो..
मुझे कहाँ ड्राइंग आती थी.. लेकिन मैं उसे ऐसे तो नहीं बोल सकता था.. तो मैंने कहा- यह सब बहाने हैं..
मैं उसे इस तरह चिढ़ा कर उसके मज़े लेने लगा… उससे पेनिस कर्व नहीं बन रहा था.. मैंने कहा- यह ऐसे नहीं बनेगा…
तो उसने चिढ़ कर कहा- तुम्हें आता है?
मैंने कहा- मेरे पास है तो मुझे तो आएगा ही..
यह सुनकर वो थोड़ा शर्मा गई।
मैंने कहा- ऐसे क्या शर्मा रही है.. कभी देखा नहीं क्या?
बोली- देखा तो है पर…
मैंने कहा- पर क्या..?
‘कुछ नहीं..’
पता नहीं उस वक्त मुझे अचानक क्या हुआ.. मैंने कहा- देखना है?
और उसके मुँह से भी ‘हाँ’ निकल गया..
फिर बोली- नहीं.. नहीं.. मैं तो मजाक कर रही थी।
मैंने कहा- ओके..
मैं अपनी कॉपी निकाल कर अपना काम करने लगा.. लेकिन हम दोनों के मन तो कहीं और ही थे…
अचानक वो मेरे और पास आई और बोली- मुझसे नहीं हो रहा.. प्लीज़ तुम बना दो..।
मैंने कहा- मैं नहीं बना रहा..
उसने बोला- बिना देखे मैं कैसे बनाऊँ…?
मैं समझ गया कि वो क्या कह रही है..
मैंने कहा- दिखा तो दूँ… पर मुझे क्या मिलेगा?
वो बोली- तुम भी कुछ देख लेना..
यह कहते हुए उसने मुझे आँख मार दी…
बस अब क्या था.. मैंने उसे पकड़ लिया चूमना शुरू कर दिया।
उसने मुझे भी चूमना चालू कर दिया।
मस्त बारिश के इस सुहाने मौसम में हम दोनों जवान जिस्मों में चुदाई की आग भड़क उठी.. हम ऐसे ही चूमते रहे और उसने मेरा लंड पकड़ लिया, बोली- पहले इसे दिखाओ तो..
मैंने अपना 8 इंच लंबा और 3 इंच मोटा लंड निकाला.. उसे देखकर उसकी आँखें खुली रह गईं।
बोली- हाय.. इत्ता मोटा होता है क्या..
वो उसे हाथ में लेकर चुम्बन करने लगी।
मैंने उसे टेबल पर गिराया और उसकी शर्ट के बटन खोल दिए।
मैं उसके गोरे मम्मों को चूसने लगा… वो ‘आहह.. उह्ह..’ चिल्ला रही थी..
फिर मैंने उसकी स्कर्ट भी उतार दी.. अब वो मेरे सामने केवल ब्रा-पैन्टी में बची थी।
ओह माय गॉड.. क्या मस्त माल थी..!
मैंने उसकी पैन्टी उतारी और उसकी चूत को चुम्बन करने लगा… मैंने अपनी जीभ उसकी चूत में घुसा दी.. वो बहुत कसी हुई चूत थी..! अब हम दोनों 69 में आ गए और एक-दूसरे को चूमने-चाटने लगे।
फिर मैंने उसे सीधा किया और अपने लौड़े का सुपारा उसकी बुर के मुँह पर टिका कर एक ज़ोर का धक्का मारा।
उसकी चूत पानी छोड़ चुकी थी इसलिए खूब रसीली हो उठी थी..।
मेरे तगड़े धक्के से पूरा लंड एक बार में ही उसकी बुर को फाड़ता हुआ अन्दर चला गया..
शायद वो पहले से चुद चुकी थी या फिर तैराकी करने की वजह उसकी चूत की सील पहले से फटी हुई थी।
वो मेरे लौड़े के इस तगड़े प्रहार के कारण ज़ोर से चिल्लाने वाली थी कि मैंने अपना मुँह ज़ोर से उसके मुँह पर रख दिया और उसके चूचों को दबाने लगा।
वो बहुत दर्द के कारण रोने लगी थी.. पर कुछ नहीं बोल पा रही थी.. चूँकि मैंने अपने मुँह से उसका मुँह बन्द कर रखा था।
कुछ समय बाद मैंने धीरे-धीरे हिलना शुरू किया और अपने लौड़े को चूत में अन्दर-बाहर करना आरम्भ किया।
अब उसे कुछ आनन्द आने लगा था तो वो भी मेरा साथ देने लगी.. उसने भी अपनी गाण्ड उठा कर मज़े लेना चालू कर दिया।
कुछ ही पलों में वो बोल रही थी- प्लीज़.. मुझे और चोदो.. मैं कब से इसी समय का इन्तजार कर रही थी.. आई लव यू.. प्लीज़ फक मी फास्ट… आहा आ.. हहा हहा ईईईह.. और जोर से मार धक्के.. आईयेए हाअ.. आ हा..।
वो कुछ ही धक्कों के बाद बेहद अकड़ गई और शायद वो झड़ चुकी थी.. उसके झड़ने के बाद मैं भी झड़ गया।
मैंने अपना पानी उसकी चूत में ही छोड़ दिया था.. इस चुदाई के बाद हम दोनों को किसी के आने का डर भी था सो जल्दी से अपने कपड़े पहने और निकल गए।
जब मैं बाहर निकला तो मुझे कुछ आहट सुनाई दी… मैंने देखा कि वहाँ कोई लड़की थी। वो हमारी लैब असिस्टेंट के साथ हमारी फ्रेण्ड भी थी.. जो कि सेकण्ड इयर में पढ़ती थी।
उसकी जानकारी में हम दोनों की चुदाई का खेल आ जाने के कारण मेरी तो फट के हाथ में आ गई.. पर हम वहाँ से निकल लिए..
प्रीति को उसके बारे में कुछ नहीं मालूम था.. उसने रास्ते में मुझसे इठलाते हुए कहा- मैंने लौड़ा देख तो लिया है.. पर कर्व बनाने में उसे अभी और हेल्प चाहिए..
मैंने कहा- हाँ कभी भी..
बोली- आज ही मदद कर दो.. आज मेरे घर पर कोई नहीं है..
मैंने कहा- चलो..
फिर हम उसके घर चले गए। उसने मुझे पीछे के गेट से अन्दर आने को कहा और खुद आगे चली गई।
मैं जब पीछे वाले गेट से गया.. तो देखा वो बिल्कुल नंगी खड़ी.. मेरा इन्तजार कर रही थी।
अब की मैंने उसे 2 बार और अलग-अलग आसनों में चोदा.. सच में बहुत मज़ा आया…
इस बार जब मैं उसे पीछे से घोड़ी बनाकर चोद रहा था तो मेरी नज़र उसकी मुलायम और उठी हुई पिछाड़ी और फूल सी अधमुंदी गाण्ड पर गई..
ओह माय गॉड.. क्या गुलाबी गाण्ड थी उसकी.. मैं तो उसकी गाण्ड के फूल को सिकुड़ते-खुलते देखकर ही पागल सा हो गया और मैंने उसी वक्त अपनी एक उंगली उसकी गाण्ड में डाल दी।
वो चिहुंक उठी.. और बोली- नहीं… उधर नहीं..
मैंने कहा- नहीं रानी… आज तो तुम्हारे सारे छेदों का मज़ा लूँगा।
यह बोलकर मैं उसकी गाण्ड को चाटने लगा..
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.. वो भी सेक्सी आवाजें निकाल रही थी।
मैंने थोड़ा तेल लिया और उसकी गाण्ड में डाल दिया.. फिर मैं छेद में उंगली करने लगा.. मैंने तेल से भीगी हुई गाण्ड में ऊँगली चलाई जब तक वो आसानी से अन्दर-बाहर नहीं होने लगी।
जब वो एक ऊँगली आराम से अन्दर-बाहर होने लगी तो मैंने अपनी दो उंगली अन्दर कर दीं.. वो चिल्ला उठी।
बोली- निकालो इसे..
मैंने कहा- रानी अब तो मज़ा आएगा… तुम मेरी उंगली से डर गई.. जब 3 इंच मोटा अन्दर जाएगा.. तो क्या होगा.. बस इतनी सी हिम्मत है..?
मेरी इस बात का उस पर ना जाने क्या असर हुआ.. वो बोली- ऐसा.. तो करो और ज़ोर से करो..
बस मैं तेज-तेज ऊँगली करने लगा…
जब ऊँगली ने अपनी रास्ता सुगम बना ली तो मैंने लंड के सुपारे को उसकी गाण्ड पर रख दिया और ज़ोर से धक्का मारा.. एक बार में ही लंड सरसराता हुआ आधा अन्दर चला गया।
उसकी गाण्ड फट गई.. वो रोने लगी.. लेकिन उसने भी गाण्ड मरवाने की जिद में एक बार यह नहीं कहा कि छोड़ो..
मैंने भी दूसरा धक्का लगाया और मेरा लंड पूरा अन्दर चला गया। अब मैं धीरे-धीरे धक्के लगाता रहा और उसकी चूत के दाने को मसलता रहा।
कुछ देर बाद उसे भी अच्छा लगने लगा। वो भी अपनी गाण्ड हिलाने लगी।
मैं उसके ग्रीन सिग्नल को समझ गया और अब शुरू हुआ उसका असली गाण्ड चोदने का खेल..
बहुत देर तक गाण्ड मारने के बाद मैंने अपना गर्म रस उसकी गाण्ड में ही छोड़ दिया।
इस तरह उस दिन मैंने उसे 3 बार चोदा.. और एक बार गाण्ड मारी।
आज भी जब हम मिलते हैं तो एक राउंड चुदाई का तो हो ही जाता है।
उसके बाद मैंने उसे अपने हॉस्टल में बुला कर उसकी खूब गाण्ड मारी और इस बात की जानकारी किसी तरह मेरी मेम को लग गई.. तो कैसे मैंने अपनी ही मेम की चूत की मालिश की.. वो कभी और बताऊँगा।

Viewing all articles
Browse latest Browse all 501

Trending Articles