मेरे प्यारे दोस्तो, Bhauja पर यह मेरी पहली कहानी है.. मेरी आप सबसे विनती है कि आप मेरी कहानी को आनन्द लेकर पढ़िए और उसमें आने वाली छोटी-छोटी ग़लतियों को माफ़ कर दीजिएगा.. क्योंकि मैंने एक महीना सोचने के बाद यह तय किया कि मैं भी अपनी कहानी लिखूंगा और यह बिल्कुल सच्ची कहानी है… अगर किसी को काल्पनिक लगती है तो उसका कुछ नहीं हो सकता…
मैं गुजरात में अहमदाबाद का रहने वाला हूँ और मैं इंजीनियरिंग की पढ़ाईकर रहा हूँ.. अभी मैं लास्ट इयर में हूँ।
यह घटना 2012 के नबंबर महीने में हुई थी, मैं अपने एक मौसेरे भाई की शादी के कार्यक्रम में उनके घर आया था, वैसे मैं बाहर रह कर पढ़ाई करता था..
उस दौरान मेरे फ़ोन पर एक एस एम एस आया- हाऊ आर यू?
मुझे लगा- पता नहीं कौन होगा?
मैंने भी पूछा- हू आर यू?
तब धीरे से उसने रिप्लाई दिया- मैं दिव्या हूँ.. आपकी एक दोस्त है रीना.. मैं उसकी सहेली हूँ.. मैं आपसे दोस्ती करना चाहती हूँ.. आप मुझे दोस्ती करोगे?
तब मुझे लगा कि चलो दोस्ती ही सही..
फिर हम लोग रोज बातकरने लगे। धीरे-धीरे उसके मैसेज से लगने लगा था कि वो मुझसे प्यार करने लगी थी.. पर मैं चाहता था कि वो मुझे खुद से प्रपोज करे..
हमें बात करते हुए लगभग 6 दिन हुए थे.. तब उसने सुबह फ़ोन करके मुझसे कहा- आई लव यू.. डू यू लव मी?
मैंने भी ‘हाँ’ कर दी।
फिर हम लोगों ने एक-दूसरे को देखने का प्लानबनाया.. मतलब मिलने का प्लान बनाया।
तब मूवी देखने जाने का मुझे सही लगा.. उसने भी ‘हाँ’ कह दी।
हमने मूवी इंटरवल तक तो एकदम ध्यान से देखी.. उसके बाद मैंने उसके गले में हाथ डाल दिया और उसका चेहरा मेरे चेहरे के सामने ले लिया। अब मैंने उसके होंठ को अपने होंठ में लेकर चूसने लगा और मेरे दोनों हाथ अपना काम करने लगे थे। एक हाथ उसके मम्मों को मसल रहा था और दूसरा उसकी पीठ पर घूम रहा था।
हमने बहुत देर तक चुम्मा-चाटी की.. उसके बाद उसके होंठ से नीचे आकर मैं उसके गले पर चूमने लगा।
फिर वहाँ से उसके टॉप को थोड़ा नीचे करके उसके मम्मों को बाहर निकाल दिया।
हाय क्या मस्त मम्मे थे साली के.. पूरे जिस्म में सबसे मस्त उसके मम्मे ही थे.. जिनको दबाने में और चूसने में ही किसी भी लड़के का रस छूट जाए।
हम दोनों अपने इस मधुर मिलनमें इतने खो गए थे कि पता ही नहीं चला कि मूवी कब ख़त्म हो गई।
हम वहाँ से निकल गए। यह पहली मुलाक़ात थी तो इससे ज्यादा कुछ नहीं हो सका।
फिर 26 दिसम्बर को मिलना तय हुआ। मैं उसे लेकर अपने दोस्त के होटल में गया.. वहाँ कमरे में जाकर सीधा दरवाजा बन्द करके उसके दूध दबाने लगा।
इस बार फटाफट से मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए और उसको किसी सामान की तरह उठा कर सीधा बिस्तर पर डाल दिया।
उसको भी अब मज़ा आने लगा.. जब मैंने उसके मम्मों और होंठ को बारी-बारी चूमना चाटना शुरू कर दिया।
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मैं जब उसको चूमे जा रहा था.. तब धीरे-धीरे कब उसने मेरे कपड़े उतार दिए मुझे पता ही नहीं चला। मैं तो बस उसके इस हसीन नज़ारे को देख रहा था.. जो अब कपड़ों के बिना मेरे सामने था।
मैं उसके होंठ को चूमते हुए सीधा उसके गले को काटने लगा और धीरे-धीरे उसके होंठों के बीच में अपनी उंगली डालने लगा.. ताकि उसे अभी से मेरा लौड़ा लेने की इच्छा हो जाए।
जब मैं उसके मम्मों को ज़ोर-ज़ोर से दबा रहा था.. चूस रहा था.. तब उसके मुँह से अजीब-अजीब सी आवाजें निकल रही थीं।
अब वो कहने लगी- आआअहह.. अवी, मैं तुम्हें पहले से ही चाहती थी.. पर तुमने ध्यान ही नहीं दिया.. मैं तुम्हारे नाम से रोज अपनी उंगली अपनी चूत मेंडाल कर सारा रस निकाल देती थी.. अब तुम मुझे मिल गए हो.. तो तुम मुझे जी भर के चोद सकते हो.. मैं पूरी की पूरी तुम्हारी हूँ..
मैंने कहा- अबे साली.. जब चुदवाना ही था.. तो पहले से बोल देती.. तो अब तक कभी का चोद देता.. इतनी देर क्यों की?
तो बोली- लड़कियाँ अपने मुँह से चुदवाने को नहीं कहती हैं.. वो लड़कों को समझना चाहिए..
फिर तो मैं इतना जोश में आ गया कि मैंने लौड़ा.. जो कि अब 7 इंच का हो चुका था.. सीधे ही उसके मुँह में डाल दिया। पहले उसके मुँह में नहीं घुसा.. फिर धक्का लगाया तो वो पूरा लौड़ा खा गई।
अब धीरे-धीरे से मेरे लौड़े को अन्दर-बाहर करने लगी.. ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी।
‘उ..म्म्म्म .. आआअहह.. आआ.. उच्च्च..’
मैं सीधा उसके मुँह में ही धक्के मारने लगा।
फिर हम दोनों 69 पोजीशन में आ गए और अब मैं उसकी चूत चाट रहा था.. और वो मेरा लण्ड आराम से मस्त होकर अपने मुँह मे लॉलीपॉप की तरह ले रही थी।
हम दोनों ने इस पोजीशन में काफ़ी समय तक एक-दूसरे को चूसा। फिर उसको मैंने सीधा लेटा दिया। मैंने उसके दोनों पैर चौड़े कर दिए और उसकी चूत चाटने लगा।
क्या रसीली चूत थी यार.. एकदम नई सी फुद्दी मिली थी.. जिसको पहले किसी ने छुआ नहीं था।
मैं पहला था।
मैंने उसकी चूत इतनी चाटी और उसको इतना गरम कर दिया कि उसकी साँसें तेज़ होने लगीं और वो कामुकता भरी आवाज में कहने लगी- हम्म्म्म म.. आआ..हह बस अवि.. और कितना तड़पाओगे.. अब डाल भी दो.. अपना लण्ड.. इस प्यारी सी चूत में.. ये कब से तुमसे चुदना चाहती है।
मैंने देर ना करते हुए उसकी चूत के मुँह के आगे अपना लण्ड सटा दिया.. फिर धक्का मारा.. पर थोड़ा अन्दर गया कि उसकी चीख निकल गई। क्योंकि पहले कभी वो किसी से नहीं चुदी थी।
फिर मैंने उसके मुँह पर अपना हाथ रख दिया और एक ज़ोर का झटका मारा। मैंने हाथ भी रखा था.. फिर भी उसकी चीख निकल गई और उसकी चूत पूरी तरह से गीली हो गईथी।
अब तो खून भी निकलना शुरू हो गया था.. उसकी झिल्ली फट गई थी।
अब मेरा पूरा लौड़ा उसकी चूत में था फिर मैंने धक्के लगाने शुरू कर दिए और उसे भी मज़ा आने लगा।
हम दोनों इस चुदाई का मज़ा लेने लगे और करीब 30-35 धक्के लगाने के बाद मेरा भी निकलने वाला था.. तब उसने कहा- अन्दर मत निकलना.. प्रॉब्लम हो जाएगी।
फिर मैंने लण्ड को चूत से निकाल लियाऔर उसके हाथ में दे दिया।
वो बड़े प्यार से उसे सहलाने लगी और अपने मुँह में ले लिया।
मैं भी अब उसके मुँह में धक्के मारने लगा। करीब दस-पन्द्रह धक्कों के बाद मेरा माल उसके मुँह में ही निकल गया.. वो बड़े प्यार से सारा माल निगल गई।
फिर हँसते हुए वो मेरा लण्ड साफ करने लगी।
अब हम दोनों बाथरूम में जाकर नहाने लगे.. तब मैंने उसको फिर से पूरा मसल दिया और फिर से मेरा लौड़ा दूसरी पारी खेलने के तैयार हो गया तो उसने बाथरूम में झुक कर मेरे लण्ड को आमंत्रित किया.. तो सीधा मैंने अपना लण्ड लगा दिया और फिर उसकी चूत में धक्के मारने लगा।
करीब 20-25 धक्कों के बाद मेरा माल निकलने वाला हुआ.. तो फिर से मेरा लण्ड चाट कर पूरा माल फिर से अपने मुँह में भर लिया।
फिर हम लोग फ्रेश होकर वहाँ से निकल आए.. तो उसने कहा- यह मेरी ज़िंदगी की पहली चुदाई थी इसे मैं कभी नहीं भूलूंगी..
फिर हम अपने अपने घर चले गए।
लेखिका : सुनीता भाभी
प्रकाषक : bhauja.com
मैं गुजरात में अहमदाबाद का रहने वाला हूँ और मैं इंजीनियरिंग की पढ़ाईकर रहा हूँ.. अभी मैं लास्ट इयर में हूँ।
यह घटना 2012 के नबंबर महीने में हुई थी, मैं अपने एक मौसेरे भाई की शादी के कार्यक्रम में उनके घर आया था, वैसे मैं बाहर रह कर पढ़ाई करता था..
उस दौरान मेरे फ़ोन पर एक एस एम एस आया- हाऊ आर यू?
मुझे लगा- पता नहीं कौन होगा?
मैंने भी पूछा- हू आर यू?
तब धीरे से उसने रिप्लाई दिया- मैं दिव्या हूँ.. आपकी एक दोस्त है रीना.. मैं उसकी सहेली हूँ.. मैं आपसे दोस्ती करना चाहती हूँ.. आप मुझे दोस्ती करोगे?
तब मुझे लगा कि चलो दोस्ती ही सही..
फिर हम लोग रोज बातकरने लगे। धीरे-धीरे उसके मैसेज से लगने लगा था कि वो मुझसे प्यार करने लगी थी.. पर मैं चाहता था कि वो मुझे खुद से प्रपोज करे..
हमें बात करते हुए लगभग 6 दिन हुए थे.. तब उसने सुबह फ़ोन करके मुझसे कहा- आई लव यू.. डू यू लव मी?
मैंने भी ‘हाँ’ कर दी।
फिर हम लोगों ने एक-दूसरे को देखने का प्लानबनाया.. मतलब मिलने का प्लान बनाया।
तब मूवी देखने जाने का मुझे सही लगा.. उसने भी ‘हाँ’ कह दी।
हमने मूवी इंटरवल तक तो एकदम ध्यान से देखी.. उसके बाद मैंने उसके गले में हाथ डाल दिया और उसका चेहरा मेरे चेहरे के सामने ले लिया। अब मैंने उसके होंठ को अपने होंठ में लेकर चूसने लगा और मेरे दोनों हाथ अपना काम करने लगे थे। एक हाथ उसके मम्मों को मसल रहा था और दूसरा उसकी पीठ पर घूम रहा था।
हमने बहुत देर तक चुम्मा-चाटी की.. उसके बाद उसके होंठ से नीचे आकर मैं उसके गले पर चूमने लगा।
फिर वहाँ से उसके टॉप को थोड़ा नीचे करके उसके मम्मों को बाहर निकाल दिया।
हाय क्या मस्त मम्मे थे साली के.. पूरे जिस्म में सबसे मस्त उसके मम्मे ही थे.. जिनको दबाने में और चूसने में ही किसी भी लड़के का रस छूट जाए।
हम दोनों अपने इस मधुर मिलनमें इतने खो गए थे कि पता ही नहीं चला कि मूवी कब ख़त्म हो गई।
हम वहाँ से निकल गए। यह पहली मुलाक़ात थी तो इससे ज्यादा कुछ नहीं हो सका।
फिर 26 दिसम्बर को मिलना तय हुआ। मैं उसे लेकर अपने दोस्त के होटल में गया.. वहाँ कमरे में जाकर सीधा दरवाजा बन्द करके उसके दूध दबाने लगा।
इस बार फटाफट से मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए और उसको किसी सामान की तरह उठा कर सीधा बिस्तर पर डाल दिया।
उसको भी अब मज़ा आने लगा.. जब मैंने उसके मम्मों और होंठ को बारी-बारी चूमना चाटना शुरू कर दिया।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैं जब उसको चूमे जा रहा था.. तब धीरे-धीरे कब उसने मेरे कपड़े उतार दिए मुझे पता ही नहीं चला। मैं तो बस उसके इस हसीन नज़ारे को देख रहा था.. जो अब कपड़ों के बिना मेरे सामने था।
मैं उसके होंठ को चूमते हुए सीधा उसके गले को काटने लगा और धीरे-धीरे उसके होंठों के बीच में अपनी उंगली डालने लगा.. ताकि उसे अभी से मेरा लौड़ा लेने की इच्छा हो जाए।
जब मैं उसके मम्मों को ज़ोर-ज़ोर से दबा रहा था.. चूस रहा था.. तब उसके मुँह से अजीब-अजीब सी आवाजें निकल रही थीं।
अब वो कहने लगी- आआअहह.. अवी, मैं तुम्हें पहले से ही चाहती थी.. पर तुमने ध्यान ही नहीं दिया.. मैं तुम्हारे नाम से रोज अपनी उंगली अपनी चूत मेंडाल कर सारा रस निकाल देती थी.. अब तुम मुझे मिल गए हो.. तो तुम मुझे जी भर के चोद सकते हो.. मैं पूरी की पूरी तुम्हारी हूँ..
मैंने कहा- अबे साली.. जब चुदवाना ही था.. तो पहले से बोल देती.. तो अब तक कभी का चोद देता.. इतनी देर क्यों की?
तो बोली- लड़कियाँ अपने मुँह से चुदवाने को नहीं कहती हैं.. वो लड़कों को समझना चाहिए..
फिर तो मैं इतना जोश में आ गया कि मैंने लौड़ा.. जो कि अब 7 इंच का हो चुका था.. सीधे ही उसके मुँह में डाल दिया। पहले उसके मुँह में नहीं घुसा.. फिर धक्का लगाया तो वो पूरा लौड़ा खा गई।
अब धीरे-धीरे से मेरे लौड़े को अन्दर-बाहर करने लगी.. ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी।
‘उ..म्म्म्म .. आआअहह.. आआ.. उच्च्च..’
मैं सीधा उसके मुँह में ही धक्के मारने लगा।
फिर हम दोनों 69 पोजीशन में आ गए और अब मैं उसकी चूत चाट रहा था.. और वो मेरा लण्ड आराम से मस्त होकर अपने मुँह मे लॉलीपॉप की तरह ले रही थी।
हम दोनों ने इस पोजीशन में काफ़ी समय तक एक-दूसरे को चूसा। फिर उसको मैंने सीधा लेटा दिया। मैंने उसके दोनों पैर चौड़े कर दिए और उसकी चूत चाटने लगा।
क्या रसीली चूत थी यार.. एकदम नई सी फुद्दी मिली थी.. जिसको पहले किसी ने छुआ नहीं था।
मैं पहला था।
मैंने उसकी चूत इतनी चाटी और उसको इतना गरम कर दिया कि उसकी साँसें तेज़ होने लगीं और वो कामुकता भरी आवाज में कहने लगी- हम्म्म्म म.. आआ..हह बस अवि.. और कितना तड़पाओगे.. अब डाल भी दो.. अपना लण्ड.. इस प्यारी सी चूत में.. ये कब से तुमसे चुदना चाहती है।
मैंने देर ना करते हुए उसकी चूत के मुँह के आगे अपना लण्ड सटा दिया.. फिर धक्का मारा.. पर थोड़ा अन्दर गया कि उसकी चीख निकल गई। क्योंकि पहले कभी वो किसी से नहीं चुदी थी।
फिर मैंने उसके मुँह पर अपना हाथ रख दिया और एक ज़ोर का झटका मारा। मैंने हाथ भी रखा था.. फिर भी उसकी चीख निकल गई और उसकी चूत पूरी तरह से गीली हो गईथी।
अब तो खून भी निकलना शुरू हो गया था.. उसकी झिल्ली फट गई थी।
अब मेरा पूरा लौड़ा उसकी चूत में था फिर मैंने धक्के लगाने शुरू कर दिए और उसे भी मज़ा आने लगा।
हम दोनों इस चुदाई का मज़ा लेने लगे और करीब 30-35 धक्के लगाने के बाद मेरा भी निकलने वाला था.. तब उसने कहा- अन्दर मत निकलना.. प्रॉब्लम हो जाएगी।
फिर मैंने लण्ड को चूत से निकाल लियाऔर उसके हाथ में दे दिया।
वो बड़े प्यार से उसे सहलाने लगी और अपने मुँह में ले लिया।
मैं भी अब उसके मुँह में धक्के मारने लगा। करीब दस-पन्द्रह धक्कों के बाद मेरा माल उसके मुँह में ही निकल गया.. वो बड़े प्यार से सारा माल निगल गई।
फिर हँसते हुए वो मेरा लण्ड साफ करने लगी।
अब हम दोनों बाथरूम में जाकर नहाने लगे.. तब मैंने उसको फिर से पूरा मसल दिया और फिर से मेरा लौड़ा दूसरी पारी खेलने के तैयार हो गया तो उसने बाथरूम में झुक कर मेरे लण्ड को आमंत्रित किया.. तो सीधा मैंने अपना लण्ड लगा दिया और फिर उसकी चूत में धक्के मारने लगा।
करीब 20-25 धक्कों के बाद मेरा माल निकलने वाला हुआ.. तो फिर से मेरा लण्ड चाट कर पूरा माल फिर से अपने मुँह में भर लिया।
फिर हम लोग फ्रेश होकर वहाँ से निकल आए.. तो उसने कहा- यह मेरी ज़िंदगी की पहली चुदाई थी इसे मैं कभी नहीं भूलूंगी..
फिर हम अपने अपने घर चले गए।
लेखिका : सुनीता भाभी
प्रकाषक : bhauja.com