वैभव डिकोस्टा
मेरा नाम वैभव डिकोस्टा है और मैं झाँसी का रहने वाला हूँ।
मैं आपको अपने एक दोस्त की सच्ची आप-बीती सुना रहा हूँ। यह एक बिल्कुल सच्ची कहानी है, इसमें पात्रों के नाम बदले गए हैं।
Bhauja.com पर मेरी यह पहली कहानी है।
मैं एक इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ता हूँ, मेरे लण्ड की साइज़ 6 इंच है और किसी भी औरत को संतुष्ट करने में सक्षम हूँ।
यह एक साल पहले की बात है जब मैं अपने बीटेक के दूसरे वर्ष में था।
मैंने पहली बार उसे देखा तो देखता ही रह गया। उसका नाम शीना था, मुझे बहुत बाद में पता चला। वैसे उसकी फिगर 36-34-38 बड़ी मस्त है साली… कयामत ढाती है..!
वैसे ज्यादा ग़ोरी तो नहीं है लेकिन साली के चूतड़ बड़े मस्त हैं, उसका पूरा बदन ही भरा हुआ गद्देदार, कोई एक बार देख ले तो बिना चोदे रहा ना जाए और यही हाल मेरा हो गया था।
जब वो चलती है, तो साली के चूचे और गाण्ड ऐसे उछलते हैं कि साले बूढ़े टीचर भी ‘आहें’ भरने लगते हैं।
लेकिन कहते हैं ना कि जहाँ चाह वहाँ राह.. हमारे कॉलेज का वार्षिक उत्सव चल रहा था। मैं किसी काम से अपने डिपार्टमेंट में जा रहा था। यही कोई शाम के 6.30 बज रहे होंगे। जैसे ही मैं रास्ते में संगीत कक्ष के आगे से गुजरा, मुझे कुछ आवाजें सुनाई दीं।
पहले मैंने अनसुना कर दिया सोचा कोई संगीत की तैयारी कर रहा होगा। लेकिन जब कुछ देर में जब मैं लौटा तो मुझे सिसकारियों की आवाज़ सुनाई दी। मुझे कुछ शक हुआ तो मैंने म्यूज़िक रूम के दरवाज़े पर कान लगाकर कुछ सुनने की कोशिश की, तो आवाजें स्पष्ट हुई और कुछ जानी-पहचानी लगी।
जब दरवाज़ा खोलने की कोशिश की, तो देखा दरवाज़ा अन्दर से बंद है। फिर मैं पीछे की ओर गया और एक खिड़की खोलने की कोशिश की, तो खिड़की खुल गई। मैंने जो वहाँ देखा उसे देख कर मैं सन्न रह गया। वहाँ शीना और अफजल थे।
अफजल शीना के चूचे दबा रहा था और शीना सिसकारियाँ ले रही थी। इसके बाद अफजल ने उसके कपड़े उतार दिए, अब वो केवल ब्रा में रह गई थी और उसके चूचों की झलक मुझे भी थोड़ी सी दिखाई दी।
क्या मस्त चूचे लग रहे थे साली कुतिया के…!
फिर अफजल ने ब्रा भी उतार दी और शीना ने अफजल के पैन्ट में हाथ डालकर उसका लण्ड पकड़ लिया और दोनों किस करने लगे और अफजल ने शीना की पैन्ट उतार दी और उसकी पैन्टी के ऊपर से उसकी चूत रगड़ने लगा।
शीना की सिसकारियों की आवाज़ पूरे कमरे में गूंजने लगी। फिर अफजल ने शीना को लिटाया और किस करने लगा तभी शीना अफजल का लण्ड अपनी चूत पर रगड़ने लगी और इतने में ही अफजल का वीर्य निकल गया और शीना उसे गालियाँ देने लगी।
वो शर्म के मारे नीचे देखने लगा।
शीना- मादरचोद जब गाण्ड में दम नहीं था तो क्या माँ चुदवाने के लिए मुझे यहाँ लाया था?
अफजल- नहीं जानू… वो पता नहीं क्या हो जाता है, मेरा जल्दी निकल जाता है!
शीना- अब ठीक है माँ के लौड़े चल मेरी चूत चाट कर इसका पानी निकाल!
और जैसे ही मैंने चूत देखी तो मैं पागल हो गया और मुझसे रहा ना गया। इतने में अफजल मूतने के लिए बाहर निकला और मैं अन्दर घुस गया। मुझे देखकर शीना के पसीने छूट गए और वो मेरे पैरों पर गिर पड़ी। लेकिन उसे होश नहीं था कि वो पूरी नंगी है।
इतने में ही अफजल आ गया, तो मुझे वहाँ देख कर हक्का-बक्का रह गया।
मैंने पहले तो उसे जोरदार तमाचा लगाया और कहा- मादरचोद आग बुझानी थी, तो कहीं होटल में बुझा लेते।
वो कहने लगा- प्लीज़.. किसी से कहना मत..!
मैंने कहा- एक शर्त पर..!
तो अफजल बोला- क्या… कौन सी शर्त?
मैंने कहा- मादरचोद.. तू शांत रह..! शीना बता तू मेरी शर्त मानेगी?
तो उसने कहा- क्या?
मैंने कहा- मैं भी वो सब करूँगा जो अफजल कर रहा था!
तो उसने तुरंत ‘हाँ’ में सिर हिला दिया, जैसे वो तो इसके लिए तैयार ही बैठी थी।
फिर मैंने उसे पकड़ा और चुम्बन करने लगा। पहले तो उसने थोड़ा साथ नहीं दिया फिर मैंने उसके चूचे दबाने शुरू किए तो उसने भी साथ देना शुरू कर दिया और सिसकारियाँ लेने लगी।
मैं समझ गया कि वो गर्म हो गई है, अब लण्ड डाल देना चाहिए।
तो मैंने अपना पैन्ट और कच्छा उतार दिया और अपना लौड़ा उसके मुँह में डाल दिया। वह उसे लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी।
मैं सातवें आसमान पर पहुँच गया। थोड़ी देर बाद हम 69 की पोज़िशन में आ गए। उसकी चूत बिल्कुल डबल-रोटी की तरह फूली थी। जैसे ही मैंने अपनी जीभ उसकी चूत पर लगाई वो ‘आहें’ भरने लगी और पागल हो गई।
वो बोली- मेरे राजा… आज मेरा बाज़ा बजा दे..! मैं कई दिन की प्यासी हूँ यह मादरचोद अफजल तो शीघ्रपतन का रोगी है! दो मिनट में ही झड़ जाता है!
फिर मैंने अपना लण्ड उसकी चूत पर रखा, पर वो अन्दर नहीं जा रहा था। मैंने थोड़ा सा थूक लगाया और जैसे ही धक्का मारा वो चिल्लाई- आईईईईई मर गई… प्लीज़ धीरे से करो..!
मैंने कहा- साली रंडी… अब धीरे से करूँ.. अभी तो बहुत उचक रही थी।
मैं थोड़ा रुक गया और चूमने लगा, इसी बीच मैंने एक ज़ोर का धक्का मारा और मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत को चीरता हुआ अन्दर चला गया।
वो और जोर से चिल्लाई- ऊऊऊ ऊऊऊऊऊ मार डाला… अम्मी बचा लो..!
फिर मैं थोड़ी देर के लिए रुक गया और वो कुछ थोड़ा शांत हुई, तो मैंने फिर से धक्के लगाने शुरू किए।
और अब वो भी मज़े लेने लगी और अपना पिछवाड़ा उछाल कर जवाब देने लगी और इधर से मैंने भी जवाबी कार्यवाही शुरू कर दी। उसकी सिसकारियाँ पूरे संगीत-कक्ष में गूंजने लगीं। फिर वो झड़ गई, लेकिन मैं अभी लगा ही रहा, फिर मैंने उसको कुतिया बनने के लिए कहा और पीछे से उसके चूत में एक जोरदार धक्का मारा।
वो चिल्ला पड़ी- आआ उईईई..!
मैं धक्के लगाने लगा और वो भी मज़े लेने लगी- अहहाआहा और चोदो और चोदो मेरे राज़ा….!
इतने में ही वो फिर एक बार झड़ गई।
फिर मैंने उसे अपने लण्ड पर बिठाया और वो ऊपर बैठ कर उछलने लगी और ‘आ ईईईईईई आअहहह’ की आवाज़ करने लगी।
फिर मैंने कहा- मैं झड़ने वाला हूँ!
तो बोली- मेरी फ़ुद्दी में अपनी मलाई मत डलना, मेरे मुँह में झड़ जाओ!
और मैं खड़ा हुआ और उसके मुँह में अपना लण्ड डाल दिया और वो मेरा पूरा वीर्य पी गई और लण्ड को चाट कर साफ कर दिया।
फिर अफजल मेरे लण्ड को बड़ी गौर से देखने लगा इसके बाद क्या हुआ…!!
वो कहानी मैं फिर कभी लिखूँगा।
मेरा नाम वैभव डिकोस्टा है और मैं झाँसी का रहने वाला हूँ।
मैं आपको अपने एक दोस्त की सच्ची आप-बीती सुना रहा हूँ। यह एक बिल्कुल सच्ची कहानी है, इसमें पात्रों के नाम बदले गए हैं।
Bhauja.com पर मेरी यह पहली कहानी है।
मैं एक इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ता हूँ, मेरे लण्ड की साइज़ 6 इंच है और किसी भी औरत को संतुष्ट करने में सक्षम हूँ।
यह एक साल पहले की बात है जब मैं अपने बीटेक के दूसरे वर्ष में था।
मैंने पहली बार उसे देखा तो देखता ही रह गया। उसका नाम शीना था, मुझे बहुत बाद में पता चला। वैसे उसकी फिगर 36-34-38 बड़ी मस्त है साली… कयामत ढाती है..!
वैसे ज्यादा ग़ोरी तो नहीं है लेकिन साली के चूतड़ बड़े मस्त हैं, उसका पूरा बदन ही भरा हुआ गद्देदार, कोई एक बार देख ले तो बिना चोदे रहा ना जाए और यही हाल मेरा हो गया था।
जब वो चलती है, तो साली के चूचे और गाण्ड ऐसे उछलते हैं कि साले बूढ़े टीचर भी ‘आहें’ भरने लगते हैं।
लेकिन कहते हैं ना कि जहाँ चाह वहाँ राह.. हमारे कॉलेज का वार्षिक उत्सव चल रहा था। मैं किसी काम से अपने डिपार्टमेंट में जा रहा था। यही कोई शाम के 6.30 बज रहे होंगे। जैसे ही मैं रास्ते में संगीत कक्ष के आगे से गुजरा, मुझे कुछ आवाजें सुनाई दीं।
पहले मैंने अनसुना कर दिया सोचा कोई संगीत की तैयारी कर रहा होगा। लेकिन जब कुछ देर में जब मैं लौटा तो मुझे सिसकारियों की आवाज़ सुनाई दी। मुझे कुछ शक हुआ तो मैंने म्यूज़िक रूम के दरवाज़े पर कान लगाकर कुछ सुनने की कोशिश की, तो आवाजें स्पष्ट हुई और कुछ जानी-पहचानी लगी।
जब दरवाज़ा खोलने की कोशिश की, तो देखा दरवाज़ा अन्दर से बंद है। फिर मैं पीछे की ओर गया और एक खिड़की खोलने की कोशिश की, तो खिड़की खुल गई। मैंने जो वहाँ देखा उसे देख कर मैं सन्न रह गया। वहाँ शीना और अफजल थे।
अफजल शीना के चूचे दबा रहा था और शीना सिसकारियाँ ले रही थी। इसके बाद अफजल ने उसके कपड़े उतार दिए, अब वो केवल ब्रा में रह गई थी और उसके चूचों की झलक मुझे भी थोड़ी सी दिखाई दी।
क्या मस्त चूचे लग रहे थे साली कुतिया के…!
फिर अफजल ने ब्रा भी उतार दी और शीना ने अफजल के पैन्ट में हाथ डालकर उसका लण्ड पकड़ लिया और दोनों किस करने लगे और अफजल ने शीना की पैन्ट उतार दी और उसकी पैन्टी के ऊपर से उसकी चूत रगड़ने लगा।
शीना की सिसकारियों की आवाज़ पूरे कमरे में गूंजने लगी। फिर अफजल ने शीना को लिटाया और किस करने लगा तभी शीना अफजल का लण्ड अपनी चूत पर रगड़ने लगी और इतने में ही अफजल का वीर्य निकल गया और शीना उसे गालियाँ देने लगी।
वो शर्म के मारे नीचे देखने लगा।
शीना- मादरचोद जब गाण्ड में दम नहीं था तो क्या माँ चुदवाने के लिए मुझे यहाँ लाया था?
अफजल- नहीं जानू… वो पता नहीं क्या हो जाता है, मेरा जल्दी निकल जाता है!
शीना- अब ठीक है माँ के लौड़े चल मेरी चूत चाट कर इसका पानी निकाल!
और जैसे ही मैंने चूत देखी तो मैं पागल हो गया और मुझसे रहा ना गया। इतने में अफजल मूतने के लिए बाहर निकला और मैं अन्दर घुस गया। मुझे देखकर शीना के पसीने छूट गए और वो मेरे पैरों पर गिर पड़ी। लेकिन उसे होश नहीं था कि वो पूरी नंगी है।
इतने में ही अफजल आ गया, तो मुझे वहाँ देख कर हक्का-बक्का रह गया।
मैंने पहले तो उसे जोरदार तमाचा लगाया और कहा- मादरचोद आग बुझानी थी, तो कहीं होटल में बुझा लेते।
वो कहने लगा- प्लीज़.. किसी से कहना मत..!
मैंने कहा- एक शर्त पर..!
तो अफजल बोला- क्या… कौन सी शर्त?
मैंने कहा- मादरचोद.. तू शांत रह..! शीना बता तू मेरी शर्त मानेगी?
तो उसने कहा- क्या?
मैंने कहा- मैं भी वो सब करूँगा जो अफजल कर रहा था!
तो उसने तुरंत ‘हाँ’ में सिर हिला दिया, जैसे वो तो इसके लिए तैयार ही बैठी थी।
फिर मैंने उसे पकड़ा और चुम्बन करने लगा। पहले तो उसने थोड़ा साथ नहीं दिया फिर मैंने उसके चूचे दबाने शुरू किए तो उसने भी साथ देना शुरू कर दिया और सिसकारियाँ लेने लगी।
मैं समझ गया कि वो गर्म हो गई है, अब लण्ड डाल देना चाहिए।
तो मैंने अपना पैन्ट और कच्छा उतार दिया और अपना लौड़ा उसके मुँह में डाल दिया। वह उसे लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी।
मैं सातवें आसमान पर पहुँच गया। थोड़ी देर बाद हम 69 की पोज़िशन में आ गए। उसकी चूत बिल्कुल डबल-रोटी की तरह फूली थी। जैसे ही मैंने अपनी जीभ उसकी चूत पर लगाई वो ‘आहें’ भरने लगी और पागल हो गई।
वो बोली- मेरे राजा… आज मेरा बाज़ा बजा दे..! मैं कई दिन की प्यासी हूँ यह मादरचोद अफजल तो शीघ्रपतन का रोगी है! दो मिनट में ही झड़ जाता है!
फिर मैंने अपना लण्ड उसकी चूत पर रखा, पर वो अन्दर नहीं जा रहा था। मैंने थोड़ा सा थूक लगाया और जैसे ही धक्का मारा वो चिल्लाई- आईईईईई मर गई… प्लीज़ धीरे से करो..!
मैंने कहा- साली रंडी… अब धीरे से करूँ.. अभी तो बहुत उचक रही थी।
मैं थोड़ा रुक गया और चूमने लगा, इसी बीच मैंने एक ज़ोर का धक्का मारा और मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत को चीरता हुआ अन्दर चला गया।
वो और जोर से चिल्लाई- ऊऊऊ ऊऊऊऊऊ मार डाला… अम्मी बचा लो..!
फिर मैं थोड़ी देर के लिए रुक गया और वो कुछ थोड़ा शांत हुई, तो मैंने फिर से धक्के लगाने शुरू किए।
और अब वो भी मज़े लेने लगी और अपना पिछवाड़ा उछाल कर जवाब देने लगी और इधर से मैंने भी जवाबी कार्यवाही शुरू कर दी। उसकी सिसकारियाँ पूरे संगीत-कक्ष में गूंजने लगीं। फिर वो झड़ गई, लेकिन मैं अभी लगा ही रहा, फिर मैंने उसको कुतिया बनने के लिए कहा और पीछे से उसके चूत में एक जोरदार धक्का मारा।
वो चिल्ला पड़ी- आआ उईईई..!
मैं धक्के लगाने लगा और वो भी मज़े लेने लगी- अहहाआहा और चोदो और चोदो मेरे राज़ा….!
इतने में ही वो फिर एक बार झड़ गई।
फिर मैंने उसे अपने लण्ड पर बिठाया और वो ऊपर बैठ कर उछलने लगी और ‘आ ईईईईईई आअहहह’ की आवाज़ करने लगी।
फिर मैंने कहा- मैं झड़ने वाला हूँ!
तो बोली- मेरी फ़ुद्दी में अपनी मलाई मत डलना, मेरे मुँह में झड़ जाओ!
और मैं खड़ा हुआ और उसके मुँह में अपना लण्ड डाल दिया और वो मेरा पूरा वीर्य पी गई और लण्ड को चाट कर साफ कर दिया।
फिर अफजल मेरे लण्ड को बड़ी गौर से देखने लगा इसके बाद क्या हुआ…!!
वो कहानी मैं फिर कभी लिखूँगा।