आज स्कूल में अचानक जल्दी छुट्टी हो गई तो मैं घर आ गया। जैसे ही दरवाजे के पास पहुँचा कि :
आई…ई… मान जाओ न…यह दीदी की आवाज थी।
मैं चौंक पडा…मैंने दरवाजा खटखटाने का इरादा त्याग दिया और दबे पाँव दरवाजे तक पहुँच गया और सुनने लगा। अन्दर दीदी और किसी मर्द की आवाज आ रही थी।
उचक क्यों रही है……कोई पहली बार दबा रहा हूँ क्या…पुच्च पुच्च पुच्च… !
इतना जोर से क्यों दबाते हो…? दर्द नहीं होता…?
इतने समय के बाद मिलेगी तो सब्र कैसे होगा…!
आप ही तो एक साल के बाद आये हो… !
आह्ह्ह्…मेरी जान्… याद है… पिछली बार कैसे छत पर चोदी थी ! पुच्च पुच्च…
सब याद है…कुछ बिछाया भी नहीं था… पूरी छिल गई थी पीछे से… !
सच… पुच्च् पुच्च … पर बहुत मजा आया था… ! सच पूछे तो तुझे चोदने बाद तेरी बहन को चोदने में बिलकुल भी मजा नहीं आता… !!! तुझे भी तो आता है न … ??
हाँ…पर थोड़ा धीरे दबाओ…आईइ……लगती है…
चुदते समय तो नहीं होता दर्द तुझे…
उस समय तो मैं दूसरी दुनिया में होती हूँ … फ़िर कुछ देर शान्ति रही…
चल अब बैडरूम में चलें……
अभी नहीं … भाई आने वाला होगा…
अभी तो दो ही बजे हैं… वो तो चार बजे आयेगा…
जल्दी भी आ सकता है… रात को सबके सोने के बाद आउंगी …
ज्यादा नखरे मत कर …
मान जाओ…… पूरी रात चोदना फिर…
तो एक जल्दी वाला राउंड कर लेते हैं… लंड भरा हुआ है… आह्ह आह्ह
बीच में मत छोड़ देना मुझे……
आज तक छोड़ा है क्या… बहन की लौड़ी … हमेशा तेरी चूत खाली करके झड़ा है…
फ़िर उनके जाने की आवाज आई तो मैं दौड़कर घर के पीछे पहुँच गया जहाँ की खिड़की से बैडरूम के अन्दर सब दिखता था। दोनों एक दूसरे की कमर में हाथ डाले कमरे में आये।
ओह… ये तो समीर जीजाजी हैं… मामा की बेटी के पति…तो दीदी इनसे भी ??? हे भगवान… इस लड़की ने कोई लंड छोड़ा भी है क्या… !!
और आते ही जीजाजी ने उसे बाँहों में भींच लिया और फ़िर उनके होठ चिपक गये। वे हाथों से उसकी चूची, कमर व गांड को जोर जोर से भींच रहे थे। वह बिलबिला रही थी …
आह्ह्ह्……ऐसे क्यों अकुला रहे हो…मैं कहीं भागी जा रही हूँ क्या… दीदी हाँफ़ते हुए बोली।
… और फ़िर जब जीजाजी ने उसे नंगा करना शुरू किया तो…
पूरे कपड़े नहीं… अभी तो ऐसे ही चोद लो … रात में चाहे जैसे चोदना…
ज्यादा नखरे मत कर बहनचोद .…अभी काफ़ी वक्त है…
और फ़िर आनन फ़ानन दोनों नंगे हुए और कस कर फ़िर लिपट गये। लिपटे लिपटे जीजू ने उसे पलंग पर पटक लिया और उसके ऊपर आ गये !फ़िर रगड़ना शुरू कर दिया। वो भी बराबर सहयोग कर रही थी। आठ इंच का लंड चूत की गहराई नापने के लिये बेताब था तो चूत भी उसका घमंड तोड़ने के लिये आतुर थी।
कैसे चुदवायेगी मेरी जान…
शुरूआत तो सीधे ही करो…
और दीदी ने टांगे फ़ैला दी तो जीजू ने लंड चूत पर टिका दिया और फ़िर होठों पर होंठ जमाकर चूसना शुरू किया तो सीमा ने भी हाथ से लंड को पकड कर चूत पर सैट किया और चूतड़ उचकाए… चूत ने लंड को अपने भीतर समा लिया…
फिर सीमा ने अपनी टांगों में जीजू को लपेट लिया… लंड जड़ तक समा गया।
थोड़ी देर प्यार करने के बाद जीजू ने पोजीशन ली और दनादन ठोकना शुरू कर दिया। वह आह्ह्ह आह्ह्ह करती रही और चूत ठुकती रही… बीच बीच में वे उसे चूम भी रहे थे। दीदी भी अब गर्म हो चुकी थी।
फ़िर वे अलग हुए और उन्होंने दीदी को हाथ पकड़ कर खड़ा किया और पलंग की ओर मुँह करके झुका दिया। दीदी ने हाथ पलंग पर जमा दिये। उसकी चूत मेरी तरफ़ थी। जीजाजी उसकी पैंटी से पहले चूत पौंछी और फ़िर अपने आठ इंच के लंड को पीछे से चूत पर टिकाया और एक जोरदार धक्का दिया।
दीदी बिस्तर पर गिर गई…
थोड़ा आराम से डालो ना जीजू राजा …
उन्होंने उसे फ़िर उठाया और इस बार थोड़ा आराम से लंड चूत में घुसेड़ा और फ़िर चोदने लगे।
वह भी चूतड़ हिला हिला कर धक्के मार रही थी- आह्ह्॥ मेरे प्यारे जीजू … और जोर से…
ले मेरी जान ! तेरी मस्त चूत को फ़ाड डालूँगा आज…
और इस तरह उसने पहले उसकी चूत पीछे से खूब ठोकी और फ़िर उसे सीधे लिटा कर खूब पटक पटक के चोदा। काफ़ी देर बाद वे झड़े और फ़िर लंड डाले ही उसके ऊपर लेट गये।
मैं वापस लौट गया और फ़िर काफ़ी देर बाद आया।