दोस्तो, मेरा नाम दिनराज है, मैं जयपुर से हूँ।
मेरी उम्र 29 साल की है, मैं विवाहित हूँ। मैंने Bhauja.com की काफ़ी कहानियाँ पढ़ी हैं। इसका मैं नियमित पाठक हूँ और मुझे इसमें प्रकाशित होने वाली कहानियों को पढ़ने में बहुत ही मज़ा आता है।
मेरी भी एक कहानी है, लेकिन मैंने उसे कभी लिखा नहीं, पर आज आप सबके लिए लिख रहा हूँ।
मेरी एक साली है 19 साल की, अभी एक साल पहले तक तो मैंने उसे इस तरह की नज़र से नहीं देखा था लेकिन उसकी तरफ से बढ़ावा मिलने पर कुछ उसके लिए मैं उत्तेजित हो गया हूँ।
लेकिन अब पहल कौन करे.. मैं जयपुर में था और वो जयपुर के पास एक कस्बे में थी तो बस फोन पर ही बातें होती थीं।
मैं फोन पर उसे इस बात के लिए राजी करता कि मैं क्या चाहता हूँ। लेकिन लड़कियों की आदत होती है ना कि सब चाहते हुए भी जल्दी से ‘हाँ’ नहीं करती हैं।
इसलिए वो भी मना करती थी- किसी को पता चल जाएगा तो क्या होगा जीजू।
लेकिन मैंने उससे कहा- किसी को पता नहीं चलेगा.. मैं मौका देखकर ही काम करूँगा।
वो मुझ पर पूरा भरोसा करती है और मुझे पसंद भी बहुत करती है। उसे मेरी नाराज़गी का ख़याल भी है।
एक बार मैं वहाँ गया, मेरी ससुराल में सास-ससुर के साथ एक साला और दो सालियाँ और साले के पत्नी भी हैं।
मेरे पास कार है, मैं कार लेकर ही जाता हूँ।
मैं जब भी ससुराल जाता हूँ तो वहाँ रुकता जरूर हूँ और इस दौरान सब लोग मेरी गाड़ी में बैठ कर आस-पास कहीं भी घूमने भी जाते हैं, पर वहाँ पर वो मौका लगते ही मेरे पास आ जाती है और बातें करती है।
सच बताऊँ तो मैंने तब तक उससे छुआ भी नहीं था क्योंकि मैंने उससे कह दिया था कि जब तक वो नहीं चाहेगी.. मैं उससे स्पर्श भी नहीं करूँगा।
इसलिए मैं उससे सिर्फ बातें ही करता हूँ और ज़ोर देता कि वो मान जाए लेकिन वो चाहती थी कि मैं सही मौके के इंतज़ार में रहूँ।
यह कहा तो नहीं उसने.. पर मुझे ऐसा लगा।
पिछली बार जब मैं वहाँ गया था तब तक मैंने उससे छुआ भी नहीं था, पर मैं उसे और वो मुझे ऐसी बातों से उत्तेजित कर देते थे कि बस लगता था कि कुछ कर लें, लेकिन कुछ डर था।
इस बार मैं गया तो हम लोग एक जगह पर घूमने गए, जो वहाँ से डेढ़ घंटे की दूरी पर थी।
कार में कितनी सी जगह होती है अधिकतम 3 आगे और 4 पीछे बैठ सकते हैं। सो मेरे ससुर को छोड़ कर बाकी सब घूमने गए थे और वो हमेशा की तरह मेरे बाजू में आगे बैठ गई।
मतलब आगे मैं ड्राइवर सीट पर और मेरे बगल में मेरी साली और उसके बगल में मेरा साला यानि वो बीच में थी।
बीच में जहाँ पर गाड़ी के गियर होते हैं उसके दोनों तरफ उसके पैर थे।
एक पैर तो मेरे पैर से सटा हुआ था और एक पैर मेरे साले से लगा था।
उसके दोनों पैरों के बीच में गाड़ी का गियर था।
मैं तो पहले से ही उत्तेजित था और वो मुझे बड़ी ही नशीली आँखों से देख रही थी।
मैं गाड़ी ड्राइव कर रहा था तो गियर लगाते हुए मैंने पहल कर दी और उसकी जाँघों को सहला देता था। वो सलवार सूट में थी जिसका पजामा ढीला-ढाला होता है उसमें से में उसे स्पर्श करता और मैंने अपना हाथ गियर पर ही रखे रखा।
जब हम जा रहे थे तो दिन का वक्त था, सो मैंने ज़्यादा खतरा लेना ठीक नहीं समझा और सिर्फ़ हल्के-हल्के मौका देख कर उंगली ही करता रहा था।
जब गियर लगाता तो उसकी जाँघों को सहला देता था और वो कसमसा कर रह जाती थी, वो मेरी तरफ झुकी हुई नज़रों से देखती थी।
गियर लगाते वक्त मेरी कोहनी उसके मम्मों पर थी, तो वो भी अपने मम्मों को मेरी कोहनी पर रगड़ देती थी।
यह सिलसिला करीब डेढ़ घंटे तक पूरे रास्ते चला और हम वहाँ पहुँच गए।
वो मुझसे वहाँ पर नज़रें मिलाती और मुस्करा देती थी।
मैं भी उत्तेजित होकर मुस्करा कर जबाव दे देता, लेकिन कहते कुछ भी नहीं थे।
अब वापस आते वक्त शाम हो चुकी थी और अंधेरा हो चुका था।
उसे अंधेरे में उसकी तरफ से निमंत्रण समझ कर मैंने अपने हाथ को गियर लगाने के बाद उसकी जाँघों पर फेरा और उसकी तरफ से कोई आपत्ति न पाकर मैं उसको कस कर दबाता रहा।
अब मेरे हाथ को उसकी चूत पर भी जाने लगा तो वो कुछ ज़्यादा ही उत्तेजित होने लगी और मेरी कोहनी से मम्मों को रग़ड़ रही थी।
इससे मेरा लंड तो काफ़ी कड़क हो चुका था, फिर मैंने थोड़ी देर बाद उसकी चूत में पजामे के ऊपर से ही अपनी उंगली करने लगा और उंगली लगाने से कुछ देर बाद मैंने अंधेरे में महसूस किया कि उसकी चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और वो मस्त हो गई थी।
ना मैं उससे कुछ बोल रहा था और न ही वो मुझसे कुछ कह रही थी।
सब लोग गाड़ी में बातें कर रहे थे और हमारी इस मस्ती का किसी को कुछ पता नहीं था।
जब घर पर पहुँचे तो वो मुझसे कुछ नहीं बोली पर मैंने उसे मुस्करा कर एक आँख से इशारा किया और वो मुस्करा कर गुसलखाने में चली गई।
फिर जिस कमरे में मुझे सोना था वो वहीं मेरे पास आ गई। जब भी में जाता हूँ तो वो मेरे पास बैठ जाती है और बातें करती है, इसलिए उस दिन भी वो यही बहाना बना कर मेरे पास आ गई।
मैं बिस्तर पर लेटा था और उससे कोई बात नहीं कर रहा था, पर मैं उसकी बेचैनी को समझ सकता था।
उसने आँखों ही आँखों में मुझसे बहुत कुछ बोल दिया था।
मैंने मौका देखकर उसका हाथ पकड़ लिया और दबाने लगा तो वो कुछ भी नहीं बोली, फिर मैंने उसके हाथ को सहलाते हुए मेरे हाथ को उसकी कंधों पर ले गया और सहलाने लगा।
मैंने थोड़ा और आगे बढ़ते हुए उसके मम्मों को दबा दिया और सहलाने लगा।
तभी वो बोली- जीजू कोई देख लेगा।
मैंने कहा- सब सो गए हैं कोई नहीं देखेगा।
तो वो नहीं मानी तो मैंने उससे कहा- मैं ऊपर वाले बाथरूम में जा रहा हूँ, तुम भी आ जाना।
गर्मी के दिन थे मैं ऊपर चला गया।
वो कुछ देर बाद आ गई, मैंने उसे वहाँ पर पकड़ लिया और उसके जिस्म के सभी कामुक अंगों को चूमने और सहलाने लगा।
वो नाइटी में थी और ब्रा नहीं पहने थी।
उसके मम्मों पर मसकने से मुझे तो जैसे जन्नत ही मिल गई थी, पर मैं उससे वहाँ पर चोदूँ कैसे.. यह समझ नहीं आ रहा था क्योंकि कोई भी वहाँ आ गया तो मेरी तो वॉट लग जाती और वो भी डरी हुई थी।
मैं मौका भी जाने नहीं दे सकता था तो मैंने अपना हाथ उसकी नाइटी में डालकर उसके मम्मों को दबाने लगा और नाइटी को ऊपर करके चूसने लगा और इस दौरान मैं उसकी पैन्टी में एक हाथ डाल कर उसकी बुर को रगड़ने लगा, जो पहले ही बहुत रसीली थी और मस्त हो गई थी।
उसने कहा- जीजू, अब रहा नहीं जा रहा है।
तो मैंने उसे गोद में दोनों तरफ टाँगें करके बैठा लिया।
मैंने मेरा लंड बाहर निकाल कर उसकी बुर पर लगा दिया और धीरे-धीरे अन्दर करने लगा लेकिन मेरा 8′ का लंड उसकी बुर में घुस ही नहीं रहा था और उससे दर्द भी हो रहा था।
उस रात वो दो घंटे तक मुझसे मज़े लेती रही और मैं भी उसके साथ मज़े लेता रहा, लेकिन उस रात में मैं उसके साथ पूरा मज़ा नहीं ले पाया और दूसरे दिन दोपहर के वक्त मुझे वापस जाना था, सो मैंने सबसे विदा ली और हम दोनों ने भी आंखों ही आँखों में अपना प्रेम जताया।
अब मैं जल्दी ही वहाँ पर फिर जाने की तैयारी में हूँ, अबकी बार यह तय है कि मैं उसकी सील तोड़ कर ही आऊँगा, तब मैं आगे की कहानी लिखूँगा।
दोस्तो, कैसी लगी मेरी कहानी? यह मेरी सच्ची कहानी है।
इसके लिए आप मुझे प्रोत्साहित करने के साथ ही कोई ऐसा उपाय भी बतावें ताकि मैं उसकी चूत में अपना लंड पिरो सकूँ।