हैलो दोस्तो, आपके लिए एक नई कहानी पेश है BHAUJA हमेसा आप के लिए खास लेकर आती हे । बात तब की है, जब मेरी शादी हुई थी, शादी को अभी मुश्किल से 10-12 दिन ही हुये थे। हमारा तो अपना घर था मगर साथ वाले घर में कोई नए पड़ोसी आए थे, वो भी बस मियां बीवी थे।
मैं अपने घर में ऊपर वाले कमरे में रहता था, ऊपर वाले कमरे का फायदा यह था कि घर का कोई ऊपर आता नहीं था और हम मियां बीवी की प्रेम लीला खूब खुल के चलती थी, जब भी मौका मिलता, हम दोनों मियां बीवी आपस में भिड़ जाते।
मैंने अपनी बीवी को मना कर रखा था कि वो साड़ी के नीचे पेंटी नहीं पहनेगी ताकि जब भी मौका मिले, मैं उसकी साड़ी ऊपर उठाऊँ और ठोक दूँ।
अब जवानी के दिन, नई नई शादी, तो बीवी भी चुदाई के खूब मज़े ले रही थी, बड़े मज़े की लाइफ कट रही थी।
एक दिन सुबह सुबह करीब 5 बजे मेरी आँख खुल गई। मैं उठा, उठ कर बाथरूम गया, पेशाब किया। रात ढाई बजे एक शिफ्ट लगाई थी सो मैं तो बिल्कुल नंगा ही सो गया था।
वापिस आकर देखा, बिस्तर पे बीवी बिल्कुल नंग धड़ंग, दुनिया से बेखबर सो रही थी।
मैं उसके पास गया, खिड़की से आ रही रोशनी में उसके गोरे चिकने बदन को निहार रहा था, छोटे छोटे दो गोल गोल बूब्स, उसके नीचे सपाट पेट, और पेट के नीचे अभी रात को ही शेव की हुई, गुलाबी चूत।
मैं नीचे झुका और अपनी जीभ से मैंने अपनी बीवी की चूत चाट ली।
वो कसमसा कर हिली और अपनी टाँगें आपस में जोड़ कर चादर लेकर सो गई।
मतलब उसकी तो मैं अब ले नहीं सकता था, उसे तो सोना था और सोते हुये किसी को क्यों डिस्टर्ब करना… मैंने अपने लंड को एक झटका दिया, अपनी लंबी वाली निकर पहनी और कमरे से बाहर निकल आया।
बाहर आया तो देखा, जो हमारे नए पड़ोसी आए थे, उनकी बीवी एक पतली सी नाइटी पहने हुये छत घूम रही थी, शायद सुबह की सैर कर रही थी।
मैंने उसे देखा, अब निकर के ऊपर तो मैं नंगा ही था, उसने मुझे देखा, बड़े घूर कर, मेरे बालों से भरे सीने को बड़े ध्यान से देखा। उसके देखने में एक बात थी, मुझे लगा जैसे आँखों आँखों में उसने मुझे कुछ कहा हो, क्या कहा, यह तो पता नहीं, मगर कोई इशारा ज़रूर था।
मैंने भी उसे देखा और जब वो दूसरा चक्कर लगा कर आई, तो मैंने सर झुका कर उसका अभिवादन किया।
यह अभिवादन एक सभ्य महिला के लिए नहीं था, यह अभिवादन एक महिला को लाइन देने वाला अभिवादन था।
मैंने उसे विश किया तो उसने भी सर झुका कर मेरी विश का जवाब दिया।
‘अरे ये क्या? यह तो लाइन का जवाब दे रही है, मतलब?’ मैंने सोचा कि दोबारा विश करके देखता हूँ।
जब वो तीसरा चक्कर लगा कर आई, मैंने फिर से विश किया, तो उसने फिर से जवाब दिया और इस बार स्माइल भी दी।
मेरे तो होश ही उड़ गए।
बेशक मेरी अपनी बीवी भी बहुत खूसूरत है, मगर यह भी बुरी नहीं है।
उसके बाद हम दोनों अपनी छत पर कितनी देर सैर करते रहे। हर बार जब भी हम एक दूसरे के सामने होते हम एक दूसरे से
निगाह नहीं हटाते।
उसे चेक करने के लिए मैं छत पर रखी एक कुर्सी पर बैठ गया और लगातार उसे घूरने लगा। वो हर चक्कर में आती और मुझे देख कर जाती।
मैंने यह भी नोटिस किया कि नाईटी के नीचे उसने कुछ भी नहीं पहना था।
उसकी गोल गोल छातियाँ जो मेरी बीवी बूब्स से तो दुगनी बड़ी थी, बिना ब्रा के उसकी नाईटी में इधर उधर झूल रही थी और चलते वक़्त उसके चूतड़ भी बहुत हिल रहे थे।
करीब करीब 10-15 मिनट मैं उसे घूरता रहा।
जब वो भी हर बार मुझे देखते हुये गुजरती तो मेरे दिल की धड़कन भी बढ़ जाती।
इस बार जब वो घूम कर आई और मेरे तरफ देख रही थी, तो मैं उसे फटाक से आँख मार दी।
उसने देख लिया, वो हंसी और पलट कर चली गई, मैं उसे जाती को देख रहा था।
दरवाजे के अंदर जाकर उसने मुझे टाटा किया। मैंने तो उछल कर छलांग लगा दी कि ‘लो जी, यह तो पट गई।’
मैंने तो सुना था कि लड़की सिर्फ ढाई मिनट में पट जाती है, इसको 15 मिनट लगे, मगर पट गई।
फिर मैंने सोचा ‘अरे पागल, अभी तो तेरी शादी हुई है।’
फिर मन में ख्याल आया- तो क्या हुआ, एक घरवाली तो एक बाहरवाली, दोनों से मुझे कोई ऐतराज नहीं।
अगले दिन तो मैं सुबह 5 बजे का अलार्म लगा कर सोया। सुबह उठा और सिर्फ एक छोटी सी चड्डी पहन कर छत पर आ गया और एक्सरसाइज़ करने का ढोंग करने लगा।
थोड़ी ही देर में वो भी छत पर आ गई। उस वक़्त दिन पूरी तरह नहीं चढ़ा था, सिर्फ हल्की सी रोशनी थी।
जब मैंने उसे देखा तो उसे सैल्यूट किया, उसने भी जवाब में सलूट मारा।
मैं उठ कर खड़ा हो गया और दीवार के साथ लग कर खड़ा हो गया और उसे देखने लगा।
आज भी वो वही नाईटी पहन कर आई थी।
मैं कुछ देर उसे देखता रहा, फिर उसे देख कर अपना लंड सहलाने लगा।
थोड़ा सा सहलाने पर जब लंड खड़ा हो गया तो मैंने लंड को अपनी चड्डी से बाहर निकाल लिया और उसकी तरफ करके हिलाना शुरू किया, जब उसका ध्यान मेरे लंड की तरफ गया तो वो रुक गई और मेरे लंड को घूरने लगी।
मैंने पहले तो उसका रीएक्शन देखा और जब मुझे लगा कि वो मेरे लंड में दिलचस्पी ले रही है, तो मैंने अपनी चड्डी अपने घुटनों तक उतार दी।
मैं अपना लंड हिला रहा था और वो मुझे देखे जा रही थी।
कुछ पल देखने के बाद वो वापिस मुड़ी, मैंने भी अपनी चड्डी ऊपर चढ़ा ली कि ‘लो जी, यह तो अब चली गई।’
मगर वो दरवाजे के पास जा कर रुकी, दरवाजे के अंदर जा कर उसने अपनी नाइटी उठाई और पूरी की पूरी उतार दी।
‘ओ माई गोड…’ मेरे मुँह से निकला। वो तो साली पूरी नंगी हो कर मुझे दिखा गई।
मैंने देखा उसके गोल गोल और काफी बड़े बूब्स, जिन पर गहरे भूरे रंग के निप्पल थी। नीचे सपाट पेट और छोटी सी झांट जैसे 4-5 दिन पहले ही शेव की हो।
मैंने देखा तो उसे फ्लाइंग किस किया, उसने भी मुझे फ्लाइंग किस से जवाब दिया और अंदर चली गई।
अब तो यह बात पक्की थी कि वो मुझसे चुदना चाहती थी।
मैंने सोचा कि ऐसे करता हूँ ‘दीवार फांद कर उसके घर जाता हूँ और उसको ठोक कर आता हूँ।’
मगर तभी मुझे अंदर से अपने कमरे से खटपट की आवाज़ आई, मतलब मेरी बीवी भी जाग गई थी।
मैंने सोचा ‘यह साली बहनचोद क्यों उठ गई इतनी सुबह!’
मैं अंदर गया, बीवी उस वक़्त सलवार पहन रही थी।
मैंने पीछे से जाकर उसे बाहों में भर लिया। उसने मेरी तरफ मुँह घुमाया, मैंने उसके होंटों पे अपने होंठ रख दिये और अपने हाथों से उसके बूब्स सहलाने लगा।
उसने भी अपने हाथ पीछे को घुमाए और मेरी चड्डी में से मेरा लंड निकाल के सहलाने लगी।
मैंने फिर से उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और उसे वैसे ही आगे को झुका कर घोड़ी सी बना लिया और पीछे से अपना लंड उसकी चूत में घुसा दिया।
बेशक मैं अपनी बीवी को चोद रहा था, मगर मेरे ज़ेहन में ख्याल उसी पड़ोस वाली का था।
मैं आँखें बंद करके उसको चोदने के फीलिंग ले रहा था।
दोपहर को मैं किसी काम से बाज़ार गया। जब मैं मार्केट से वापिस आ रहा था, तो मैंने देखा वही मेरी पड़ोस वाली, रेहड़ी पर से सब्जी ले रही थी।
मैंने कुछ लेना तो नहीं था, मगर वैसे ही गाड़ी रोकी और जानबूझ कर सब्जी वाले के पास जा खड़ा हुआ और खीरे टमाटर का भाव पूछने लगा।
उसने मेरे तरफ देखा, मैंने कहा- नमस्ते जी, क्या हाल चाल हैं आपके?
वो भी मुस्कुराई और बोली- जी बिल्कुल ठीक… आप बताइये!
बस फिर क्या था मैंने बातचीत आगे बढ़ाई और बातों बातों में उसे अपनी गाड़ी से घर तक छोड़ने की ऑफर की।
वो मान गई।
सब्जी लेकर वो मेरे साथ आकर गाड़ी में बैठ गई।
अब मैंने सोचा के आगे बात कर लेनी चाहिए, मैंने कहा- सुबह सुबह सैर का बहुत शौक है आपको?
वो मेरा इशारा समझ गई और बोली- जी, आपको कसरत का शौक लगता है!
कह कर उसने मेरी तरफ देखा और उसकी आखों में शरारत साफ तैर रही थी।
मैंने कार को साईड पे रोका और पूछा- क्या मैं तुम्हारे घर आ सकता हूँ?
बात बिल्कुल साफ थी, उसने मेरी आखों में देख कर कहा- मेरे पति नाईट शिफ्ट करते हैं, सुबह सात बजे घर आते हैं, दोपहर तक सोते हैं, उसके बाद अपने भाई की दुकान पे चले जाते हैं, तुम दोपहर के बाद आ सकते हो।
मैंने उसकी गर्दन के पीछे अपना हाथ रखा और उसे अपनी तरफ खींचा, वो भी बड़े आराम से मेरी तरफ आई और अगले ही पल उसके रसीले होंठ मेरे होंठों की गिरफ्त में थे।
मैं उसके होंठो पे लगी सारी लिपस्टिक चाट गया, वो भी अपनी जीभ से मेरे होंठ चाट रही थी, दोनों ने एक दूसरे की जीभ तक चूस डाली।
हम अलग हुये, हम दोनों को पता चल चुका था कि दोनों में बहुत आग है और इस सेक्स की आग को दो जवान जिस्म मिल कर ही बुझा सकते हैं।
उसके बाद मैं उसे घर छोड़ कर अपने घर चला गया, खाना खाया, दोपहर को ऊपर अपने कमरे में जा कर लेट गया।
मैंने उसकी गर्दन के पीछे अपना हाथ रखा और उसे अपनी तरफ खींचा, वो भी बड़े आराम से मेरी तरफ आई और अगले ही पल उसके रसीले होंठ मेरे होंठों की गिरफ्त में थे।
मैं उसके होंठो पे लगी सारी लिपस्टिक चाट गया, वो भी अपनी जीभ से मेरे होंठ चाट रही थी, दोनों ने एक दूसरे की जीभ तक चूस डाली।
हम अलग हुये, हम दोनों को पता चल चुका था कि दोनों में बहुत आग है और इस सेक्स की आग को दो जवान जिस्म मिल कर ही बुझा सकते हैं।
उसके बाद मैं उसे घर छोड़ कर अपने घर चला गया, खाना खाया, दोपहर को ऊपर अपने कमरे में जा कर लेट गया।
कुछ आस-पड़ोस वाली औरतें आई थी, तो मेरी बीवी मेरी माँ और भाभी के साथ उनके पास जाकर बैठ गई और मैं अपने कमरे में लेटा पड़ोस वाली का इंतज़ार कर रहा था।
करीब ढाई बजे मैंने देखा, वो छत पे खड़ी थी, मैं तभी उठ कर बाहर आया, उसने इशारे से मुझे बुलाया।
मैं तो हवा में उड़ता हुआ उसके पीछे गया, पता भी नहीं चला कि मैं कब दीवार फांद कर उसके कमरे में पहुँच गया।
उसने काली स्लेक्स के ऊपर अपने पति की कमीज़ पहन रखी थी, मैंने उसे जाकर पीछे से पकड़ लिया, वो मेरी तरफ घूमी, हम दोनों ने आमने सामने से एक दूसरे को गले लगाया, और होंठो से होंठ अपने आप जुड़ गए।
मैंने उसके होंठ चूसते चूसते उसकी पीठ और उसके मोटे गोल चूतड़ों को खूब सहलाया और दबाया, बल्कि चूतड़ों पर तो कई बार चपत भी लगाई।
मैंने उसे झुकाया और नीचे कालीन पे ही लिटा दिया।
वो बोली- बिस्तर उधर है।
मैंने कहा- नहीं, मैं तुम्हें नीचे कालीन पे ही चोदूँगा।
वो बोली- जैसी तुम्हारी मर्ज़ी।
मैंने उसकी कमीज़ के बटन खोले, सफ़ेद कमीज़ के नीचे उसने काले रंग की डिज़ाइनर ब्रा पहन रखी थी। मैंने ब्रा के ऊपर से उसके दोनों बूब्स पकड़ कर दबाये।
वो मेरे हाथों पे मेरी बाहों पे अपने हाथ फिरा रही थी। जब मैं उसके बूब्स दबाना छोड़े तो वो अपनी ब्रा उतारने लगी, मगर मैंने रोक दिया।
‘क्यो, चूसोगे नहीं?’ उसने पूछा।
मैंने कहा- अभी नहीं, अभी तुम इस ब्लैक ब्रा में बहुत सेक्सी लग रही हो, ऐसे ही रहो जब मेरा दिल करेगा मैं खुद उतार लूँगा।
मैं सिर्फ उसके होंठ चूस रहा था और वो काली ब्रा पहने मेरे नीचे लेटी मुझे बहुत सेक्सी लग रही थी, खास करके उसकी ब्रा से दिखने वाला उसका क्लीवेज मुझे बहुत उत्तेजित कर रहा था, मेरा दिल था मैं उसे देखता ही रहूँ।
मैंने अपनी कमीज़ और बनियान उतार दी।
मेरे बालों से भरी छाती को देख कर उसके मुँह से ‘आह’ निकली और उसने अपने हाथों से मेरी छाती को छूकर, सहला कर मेरी छाती के बालों में अपनी उँगलियाँ घूमा कर देखा।
‘क्या हुआ, तुम्हें अच्छे लगे मेरे सीने के बाल?’ मैंने पूछा।
‘अरे पूछो मत, मुझे मर्दों के सीने पर बाल बहुत पसंद हैं, मैं चाहती थी कि मेरे पति के सीने पर भी ढेर सारे बाल हों, जैसे तुम्हारे हैं, मगर उसकी छाती तो बिल्कुल साफ है मेरी तरह!’ वो बोली।
बालों में ऐसी क्या बात है?’ कहते हुए मैं उठ खड़ा हुआ और अपनी पैंट उतारने लगा।
‘मुझे बालों वाले मर्द बहुत मर्दाना लगते हैं!” वो बोली।
‘क्या तुम्हारा पति मर्द नहीं है?’ मैंने पूछा।
वो बोली- मर्द कहाँ, वो तो 2 मिनट से ज़्यादा लगाता ही नहीं।
मैंने अपनी पेंट उतार कर जब अपनी चड्डी उतारने लगा तो उसने मुझे रोक दिया- नहीं, रुको, इसे मैं उतरूँगी।
कह कर उसने बड़े सेक्सी से अंदाज़ में मेरी चड्डी धीरे धीरे से नीचे खिसकाई।
जब मेरा तना हुआ लंड चड्डी से बाहर आया तो उसने एक ठंडी सांस भरते भरते मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया।
मैंने उसके सर पे अपने दोनों हाथ रख दिये और अपनी कमर हिलाने लगा।
मेरा आधे के करीब लंड उसके मुँह में था जिसे वो चूस रही थी और मुँह अंदर अपनी जीभ से चाट भी रही थी।
मुझे बड़ा आनन्द आ रहा था, बेशक मेरी बीवी भी मेरा लंड चूसती थी, मगर पराई औरत से चुसवाने में अपना ही आनन्द है।
थोड़ी देर चूसने के बाद उसने मेरा लंड छोड़ा और लेट गई।
मैं उसका इशारा समझ गया कि अब यह कह रही है कि बहुत चूस लिया और अपना लंड मेरी चूत में डालो।
मैंने उसकी स्लेक्स खींच के उतार दी। दो चिकनी संगमरमरी जांघें, और बहुत ही सफाई से शेव की हुई दूध से जैसे सफ़ेद चूत।
मैंने उसकी दोनों टाँगें खोली और खुद उनके बीच जाकर घुटनों के बल बैठ गया।
उसने खुद मेरा लंड पकड़ा और अपनी चूत पे सेट किया, मैंने हल्का सा धक्का दिया और मेरे लंड का टोपा उसकी चूत में घुस गया। थोड़ा और ज़ोर और आधा लंड अंदर, फिर थोड़ा सा बाहर और एक और धक्का और पूरा लंड अंदर।
मैं उसके ऊपर ही लेट गया मगर वो बोली- लेटो मत, मैं तुम्हें देखना चाहती हूँ।
‘क्या देखना है?’ मैंने पूछा।
‘यही कि जब कोई बालों वाला मर्द मुझे चोद रहा हो तो कैसा लगता है।’
मैं हंस पड़ा- तो ले देख जी भर के!
कह कर मैं पूरे मनोयोग से उसे चोदने लगा।
अब वो आदी थी 2 मिनट के सेक्स की, अब मुझे लगते थे 15 से 20 मिनट।
मैं चोद रहा था, और वो मेरे नीचे लेटी तड़प रही थी, अपनी नाखून उसने मेरी बाजुओं में गड़ा दिये- और… और और ज़ोर से चोदो, हाँ, शाबाश, मज़ा आ गया, और ज़ोर लगाओ।
वो बोल बोल कर मेरा जोश बढ़ा रही थी और मैं भी अपनी पूरी ताकत झोंक रहा था।
मेरा बदन पसीने से तर बतर हो रहा था।
मैं थकने लगा था, मैंने उसे कहा- ऐसा कर अब घोड़ी बन।
वो एकदम से मेरे नीचे से निकली और झट से घोड़ी बन गई। जब उसने अपनी गांड मेरी तरफ घुमाई तो मैं तो देखता ही रह गया- क्या मस्त और मोटी गांड है तुम्हारी!
मैं कहे बिन न रह सका, वो बोली- आओ, और इसे भी अपने तगड़े लंड से निहाल कर दो।
मैंने थोड़ा हैरानी से पूछा- गांड में भी ले लोगी?
वो बोली- हाँ डाल दो।
मैंने अपने लंड पे ढेर सारा थूक लगाया और तीन चार बार उसकी गांड पर थूक कर उसे भी अच्छी तरह से चिकना किया।
जब मुझे चिकनाहट ठीक लगी, तो मैंने अपना लंड उसकी गांड पे रखा और अंदर को धकेला, उसे थोड़ा दर्द हुआ, मुझे भी बहुत टाईट लगी, मगर फिर भी मेरा लंड उसकी गांड में घुस गया।
फिर तो मैं अपने थूक से गच्च करके अपना करीब करीब सारा लंड उसकी गांड में घुसेड़ दिया।
जैसे उसकी चूत गीली और ढीली थी, उसके उलट उसकी गांड एकदम खुश्क और टाईट थी, जैसे किसी ने लंड को अपनी मुट्ठी में पकड़ रखा हो। यह मेरी ज़िंदगी के पहला अनुभव था, किसी की गांड मारने का।
सच कहूँ तो गांड मार कर मज़ा आ गया।
करीब 4-5 मिनट गांड चोदने के बाद मैं उसकी गांड में ही झड़ गया।
वो नीचे लेटी हुई थी और मैं उसके ऊपर, मेरा लंड उसकी गांड में ही था, मगर जब झड़ने के बाद लंड सिकुड़ने लगा तो अपने आप उसकी गांड से फिसल कर बाहर निकल आया।
मैं उसके बदन पे लेटा लेटा ही आराम करने लगा। थोड़ा सांस लेने के बाद मैं नीचे लुढ़क गया, मैं उसे देख रहा था, उसके बदन का ऊपर का हिस्सा कमीज़ से ढका था मगर नीचे से वो बिल्कुल नंगी थी, उसके दो विशाल चूतड़ मुझे ऊपर को उठे हुये दिख रहे थे और मैं मन में सोच रहा था, क्या शानदार चूतड़ हैं साली के !
और मैं अभी अभी इस गांड को चोद के हटा हूँ।
मैंने उठ कर देखा, मेरा माल उसकी गांड से रिस रिस के बाहर आ रहा था।
मैंने उसके चूतड़ों पर हाथ फेरा- तुम्हारी गांड वाकयी मस्त है, मज़ा आ गया इसे चोद कर! मैंने कहा।
‘फिर से चोदना चाहोगे?’ उसने मेरी तरफ देख कर पूछा।
“हाँ, तुम्हें एक बार चोद के दिल नहीं भरा मेरा!” मैंने उसकी गोल गुदाज़ जांघों पे हाथ फेरते हुये कहा।
उसने उठ कर कमीज़ उतार दी और सीधी होकर अपनी टाँगें फैला कर लेट गई। मैं उसकी टाँगों के बीच में आ गया और उसके ऊपर लेट गया।
इस बार मैंने उसकी ब्रा उतार दी और उसके दोनों बूब्स को पकड़ के पहले मसला फिर मुँह में लेकर बारी बारी से उसके बूब्स चूसे।
मेरे चूसने से वो मचल उठी।
मैंने पूछा- अच्छा ये तो बताओ, तुम्हें मुझसे चुदने की क्या सूझी और कैसे?
वो बोली- जिस सुबह हमने एक दूसरे को देखा था, उस रात मुझे नींद नहीं आ रही थी तो मैं छत पर टहलने आ गई, घूमते घूमते मेरी निगाह तुम्हारी खिड़की पर पड़ी, मैंने देखा तुम अपने कपड़े उतार रहे थे, मेरे मन में हलचल सी हुई, उसके बाद मैं आती जाती तुम्हारी खिड़की को ही देखती रही, अंदर से तुम्हारी बीवी की सिसकारियाँ मैं सुन रही थी, जब मेरा भी मूड बन गया, और मुझ न रहा गया, तो मैं दीवार फांद कर तुम्हारी छत पे आई, मैं तुम्हारी खिड़की में से देखा, थोड़ा सा पर्दा हटा हुआ था, तुम अपनी बीवी से सेक्स कर रहे थे, तुम्हारा बालों भरा सीना और उस पर इतनी देर तक सेक्स करना मेरा मन मोह गया। मैंने तुम्हारी खिड़की के बाहर खड़ी होकर तुम्हारी सारी चुदाई देखी, इतनी शानदार चुदाई मुझे भी चाहिए थी, इसलिए मैंने सोचा के अगर मैं तुम्हें पटा लूँ तो मैं भी ऐसे ही मज़ा ले सकती हूँ। तब एक बात मैंने सोच ली के एक दिन मैं तुम से ज़रूर सेक्स करूंगी।
“अरे वह, तुम तो बहुत घाघ निकली, बहुत चतुर हो?’ मैंने कहा और उसके होंठों को चूम लिया।
उसने भी मेरे होंठों को चूमा और बोली- तुम मेरी ज़िंदगी के पहले मर्द हो जिसने एक ही चुदाई में दो बार मेरा पानी छुड़वा दिया, और मैं चाहती हूँ कि तुम दो बार और मेरा पानी छुड़वाओ।
मैंने कहा- ओ के, पर यह तो बताओ तुम्हारा नाम क्या है?
वो बोली- अब पूछने का क्या फायदा, जब तुमने मुझे चोद ही लिया है, अब किसी भी नाम की कोई वेल्यू नहीं रह जाती।
फिर मेरे लंड को अपनी चूत पे रगड़ते हुये उसने पूछा- तुम्हारी शादी को कितने दिन हुये?
मैंने अपना लंड उसकी चूत में धकेला और बोला- आज बीस दिन हुये हैं।
मैं अपने घर में ऊपर वाले कमरे में रहता था, ऊपर वाले कमरे का फायदा यह था कि घर का कोई ऊपर आता नहीं था और हम मियां बीवी की प्रेम लीला खूब खुल के चलती थी, जब भी मौका मिलता, हम दोनों मियां बीवी आपस में भिड़ जाते।
मैंने अपनी बीवी को मना कर रखा था कि वो साड़ी के नीचे पेंटी नहीं पहनेगी ताकि जब भी मौका मिले, मैं उसकी साड़ी ऊपर उठाऊँ और ठोक दूँ।
अब जवानी के दिन, नई नई शादी, तो बीवी भी चुदाई के खूब मज़े ले रही थी, बड़े मज़े की लाइफ कट रही थी।
एक दिन सुबह सुबह करीब 5 बजे मेरी आँख खुल गई। मैं उठा, उठ कर बाथरूम गया, पेशाब किया। रात ढाई बजे एक शिफ्ट लगाई थी सो मैं तो बिल्कुल नंगा ही सो गया था।
वापिस आकर देखा, बिस्तर पे बीवी बिल्कुल नंग धड़ंग, दुनिया से बेखबर सो रही थी।
मैं उसके पास गया, खिड़की से आ रही रोशनी में उसके गोरे चिकने बदन को निहार रहा था, छोटे छोटे दो गोल गोल बूब्स, उसके नीचे सपाट पेट, और पेट के नीचे अभी रात को ही शेव की हुई, गुलाबी चूत।
मैं नीचे झुका और अपनी जीभ से मैंने अपनी बीवी की चूत चाट ली।
वो कसमसा कर हिली और अपनी टाँगें आपस में जोड़ कर चादर लेकर सो गई।
मतलब उसकी तो मैं अब ले नहीं सकता था, उसे तो सोना था और सोते हुये किसी को क्यों डिस्टर्ब करना… मैंने अपने लंड को एक झटका दिया, अपनी लंबी वाली निकर पहनी और कमरे से बाहर निकल आया।
बाहर आया तो देखा, जो हमारे नए पड़ोसी आए थे, उनकी बीवी एक पतली सी नाइटी पहने हुये छत घूम रही थी, शायद सुबह की सैर कर रही थी।
मैंने उसे देखा, अब निकर के ऊपर तो मैं नंगा ही था, उसने मुझे देखा, बड़े घूर कर, मेरे बालों से भरे सीने को बड़े ध्यान से देखा। उसके देखने में एक बात थी, मुझे लगा जैसे आँखों आँखों में उसने मुझे कुछ कहा हो, क्या कहा, यह तो पता नहीं, मगर कोई इशारा ज़रूर था।
मैंने भी उसे देखा और जब वो दूसरा चक्कर लगा कर आई, तो मैंने सर झुका कर उसका अभिवादन किया।
यह अभिवादन एक सभ्य महिला के लिए नहीं था, यह अभिवादन एक महिला को लाइन देने वाला अभिवादन था।
मैंने उसे विश किया तो उसने भी सर झुका कर मेरी विश का जवाब दिया।
‘अरे ये क्या? यह तो लाइन का जवाब दे रही है, मतलब?’ मैंने सोचा कि दोबारा विश करके देखता हूँ।
जब वो तीसरा चक्कर लगा कर आई, मैंने फिर से विश किया, तो उसने फिर से जवाब दिया और इस बार स्माइल भी दी।
मेरे तो होश ही उड़ गए।
बेशक मेरी अपनी बीवी भी बहुत खूसूरत है, मगर यह भी बुरी नहीं है।
उसके बाद हम दोनों अपनी छत पर कितनी देर सैर करते रहे। हर बार जब भी हम एक दूसरे के सामने होते हम एक दूसरे से
निगाह नहीं हटाते।
उसे चेक करने के लिए मैं छत पर रखी एक कुर्सी पर बैठ गया और लगातार उसे घूरने लगा। वो हर चक्कर में आती और मुझे देख कर जाती।
मैंने यह भी नोटिस किया कि नाईटी के नीचे उसने कुछ भी नहीं पहना था।
उसकी गोल गोल छातियाँ जो मेरी बीवी बूब्स से तो दुगनी बड़ी थी, बिना ब्रा के उसकी नाईटी में इधर उधर झूल रही थी और चलते वक़्त उसके चूतड़ भी बहुत हिल रहे थे।
करीब करीब 10-15 मिनट मैं उसे घूरता रहा।
जब वो भी हर बार मुझे देखते हुये गुजरती तो मेरे दिल की धड़कन भी बढ़ जाती।
इस बार जब वो घूम कर आई और मेरे तरफ देख रही थी, तो मैं उसे फटाक से आँख मार दी।
उसने देख लिया, वो हंसी और पलट कर चली गई, मैं उसे जाती को देख रहा था।
दरवाजे के अंदर जाकर उसने मुझे टाटा किया। मैंने तो उछल कर छलांग लगा दी कि ‘लो जी, यह तो पट गई।’
मैंने तो सुना था कि लड़की सिर्फ ढाई मिनट में पट जाती है, इसको 15 मिनट लगे, मगर पट गई।
फिर मैंने सोचा ‘अरे पागल, अभी तो तेरी शादी हुई है।’
फिर मन में ख्याल आया- तो क्या हुआ, एक घरवाली तो एक बाहरवाली, दोनों से मुझे कोई ऐतराज नहीं।
अगले दिन तो मैं सुबह 5 बजे का अलार्म लगा कर सोया। सुबह उठा और सिर्फ एक छोटी सी चड्डी पहन कर छत पर आ गया और एक्सरसाइज़ करने का ढोंग करने लगा।
थोड़ी ही देर में वो भी छत पर आ गई। उस वक़्त दिन पूरी तरह नहीं चढ़ा था, सिर्फ हल्की सी रोशनी थी।
जब मैंने उसे देखा तो उसे सैल्यूट किया, उसने भी जवाब में सलूट मारा।
मैं उठ कर खड़ा हो गया और दीवार के साथ लग कर खड़ा हो गया और उसे देखने लगा।
आज भी वो वही नाईटी पहन कर आई थी।
मैं कुछ देर उसे देखता रहा, फिर उसे देख कर अपना लंड सहलाने लगा।
थोड़ा सा सहलाने पर जब लंड खड़ा हो गया तो मैंने लंड को अपनी चड्डी से बाहर निकाल लिया और उसकी तरफ करके हिलाना शुरू किया, जब उसका ध्यान मेरे लंड की तरफ गया तो वो रुक गई और मेरे लंड को घूरने लगी।
मैंने पहले तो उसका रीएक्शन देखा और जब मुझे लगा कि वो मेरे लंड में दिलचस्पी ले रही है, तो मैंने अपनी चड्डी अपने घुटनों तक उतार दी।
मैं अपना लंड हिला रहा था और वो मुझे देखे जा रही थी।
कुछ पल देखने के बाद वो वापिस मुड़ी, मैंने भी अपनी चड्डी ऊपर चढ़ा ली कि ‘लो जी, यह तो अब चली गई।’
मगर वो दरवाजे के पास जा कर रुकी, दरवाजे के अंदर जा कर उसने अपनी नाइटी उठाई और पूरी की पूरी उतार दी।
‘ओ माई गोड…’ मेरे मुँह से निकला। वो तो साली पूरी नंगी हो कर मुझे दिखा गई।
मैंने देखा उसके गोल गोल और काफी बड़े बूब्स, जिन पर गहरे भूरे रंग के निप्पल थी। नीचे सपाट पेट और छोटी सी झांट जैसे 4-5 दिन पहले ही शेव की हो।
मैंने देखा तो उसे फ्लाइंग किस किया, उसने भी मुझे फ्लाइंग किस से जवाब दिया और अंदर चली गई।
अब तो यह बात पक्की थी कि वो मुझसे चुदना चाहती थी।
मैंने सोचा कि ऐसे करता हूँ ‘दीवार फांद कर उसके घर जाता हूँ और उसको ठोक कर आता हूँ।’
मगर तभी मुझे अंदर से अपने कमरे से खटपट की आवाज़ आई, मतलब मेरी बीवी भी जाग गई थी।
मैंने सोचा ‘यह साली बहनचोद क्यों उठ गई इतनी सुबह!’
मैं अंदर गया, बीवी उस वक़्त सलवार पहन रही थी।
मैंने पीछे से जाकर उसे बाहों में भर लिया। उसने मेरी तरफ मुँह घुमाया, मैंने उसके होंटों पे अपने होंठ रख दिये और अपने हाथों से उसके बूब्स सहलाने लगा।
उसने भी अपने हाथ पीछे को घुमाए और मेरी चड्डी में से मेरा लंड निकाल के सहलाने लगी।
मैंने फिर से उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और उसे वैसे ही आगे को झुका कर घोड़ी सी बना लिया और पीछे से अपना लंड उसकी चूत में घुसा दिया।
बेशक मैं अपनी बीवी को चोद रहा था, मगर मेरे ज़ेहन में ख्याल उसी पड़ोस वाली का था।
मैं आँखें बंद करके उसको चोदने के फीलिंग ले रहा था।
दोपहर को मैं किसी काम से बाज़ार गया। जब मैं मार्केट से वापिस आ रहा था, तो मैंने देखा वही मेरी पड़ोस वाली, रेहड़ी पर से सब्जी ले रही थी।
मैंने कुछ लेना तो नहीं था, मगर वैसे ही गाड़ी रोकी और जानबूझ कर सब्जी वाले के पास जा खड़ा हुआ और खीरे टमाटर का भाव पूछने लगा।
उसने मेरे तरफ देखा, मैंने कहा- नमस्ते जी, क्या हाल चाल हैं आपके?
वो भी मुस्कुराई और बोली- जी बिल्कुल ठीक… आप बताइये!
बस फिर क्या था मैंने बातचीत आगे बढ़ाई और बातों बातों में उसे अपनी गाड़ी से घर तक छोड़ने की ऑफर की।
वो मान गई।
सब्जी लेकर वो मेरे साथ आकर गाड़ी में बैठ गई।
अब मैंने सोचा के आगे बात कर लेनी चाहिए, मैंने कहा- सुबह सुबह सैर का बहुत शौक है आपको?
वो मेरा इशारा समझ गई और बोली- जी, आपको कसरत का शौक लगता है!
कह कर उसने मेरी तरफ देखा और उसकी आखों में शरारत साफ तैर रही थी।
मैंने कार को साईड पे रोका और पूछा- क्या मैं तुम्हारे घर आ सकता हूँ?
बात बिल्कुल साफ थी, उसने मेरी आखों में देख कर कहा- मेरे पति नाईट शिफ्ट करते हैं, सुबह सात बजे घर आते हैं, दोपहर तक सोते हैं, उसके बाद अपने भाई की दुकान पे चले जाते हैं, तुम दोपहर के बाद आ सकते हो।
मैंने उसकी गर्दन के पीछे अपना हाथ रखा और उसे अपनी तरफ खींचा, वो भी बड़े आराम से मेरी तरफ आई और अगले ही पल उसके रसीले होंठ मेरे होंठों की गिरफ्त में थे।
मैं उसके होंठो पे लगी सारी लिपस्टिक चाट गया, वो भी अपनी जीभ से मेरे होंठ चाट रही थी, दोनों ने एक दूसरे की जीभ तक चूस डाली।
हम अलग हुये, हम दोनों को पता चल चुका था कि दोनों में बहुत आग है और इस सेक्स की आग को दो जवान जिस्म मिल कर ही बुझा सकते हैं।
उसके बाद मैं उसे घर छोड़ कर अपने घर चला गया, खाना खाया, दोपहर को ऊपर अपने कमरे में जा कर लेट गया।
मैंने उसकी गर्दन के पीछे अपना हाथ रखा और उसे अपनी तरफ खींचा, वो भी बड़े आराम से मेरी तरफ आई और अगले ही पल उसके रसीले होंठ मेरे होंठों की गिरफ्त में थे।
मैं उसके होंठो पे लगी सारी लिपस्टिक चाट गया, वो भी अपनी जीभ से मेरे होंठ चाट रही थी, दोनों ने एक दूसरे की जीभ तक चूस डाली।
हम अलग हुये, हम दोनों को पता चल चुका था कि दोनों में बहुत आग है और इस सेक्स की आग को दो जवान जिस्म मिल कर ही बुझा सकते हैं।
उसके बाद मैं उसे घर छोड़ कर अपने घर चला गया, खाना खाया, दोपहर को ऊपर अपने कमरे में जा कर लेट गया।
कुछ आस-पड़ोस वाली औरतें आई थी, तो मेरी बीवी मेरी माँ और भाभी के साथ उनके पास जाकर बैठ गई और मैं अपने कमरे में लेटा पड़ोस वाली का इंतज़ार कर रहा था।
करीब ढाई बजे मैंने देखा, वो छत पे खड़ी थी, मैं तभी उठ कर बाहर आया, उसने इशारे से मुझे बुलाया।
मैं तो हवा में उड़ता हुआ उसके पीछे गया, पता भी नहीं चला कि मैं कब दीवार फांद कर उसके कमरे में पहुँच गया।
उसने काली स्लेक्स के ऊपर अपने पति की कमीज़ पहन रखी थी, मैंने उसे जाकर पीछे से पकड़ लिया, वो मेरी तरफ घूमी, हम दोनों ने आमने सामने से एक दूसरे को गले लगाया, और होंठो से होंठ अपने आप जुड़ गए।
मैंने उसके होंठ चूसते चूसते उसकी पीठ और उसके मोटे गोल चूतड़ों को खूब सहलाया और दबाया, बल्कि चूतड़ों पर तो कई बार चपत भी लगाई।
मैंने उसे झुकाया और नीचे कालीन पे ही लिटा दिया।
वो बोली- बिस्तर उधर है।
मैंने कहा- नहीं, मैं तुम्हें नीचे कालीन पे ही चोदूँगा।
वो बोली- जैसी तुम्हारी मर्ज़ी।
मैंने उसकी कमीज़ के बटन खोले, सफ़ेद कमीज़ के नीचे उसने काले रंग की डिज़ाइनर ब्रा पहन रखी थी। मैंने ब्रा के ऊपर से उसके दोनों बूब्स पकड़ कर दबाये।
वो मेरे हाथों पे मेरी बाहों पे अपने हाथ फिरा रही थी। जब मैं उसके बूब्स दबाना छोड़े तो वो अपनी ब्रा उतारने लगी, मगर मैंने रोक दिया।
‘क्यो, चूसोगे नहीं?’ उसने पूछा।
मैंने कहा- अभी नहीं, अभी तुम इस ब्लैक ब्रा में बहुत सेक्सी लग रही हो, ऐसे ही रहो जब मेरा दिल करेगा मैं खुद उतार लूँगा।
मैं सिर्फ उसके होंठ चूस रहा था और वो काली ब्रा पहने मेरे नीचे लेटी मुझे बहुत सेक्सी लग रही थी, खास करके उसकी ब्रा से दिखने वाला उसका क्लीवेज मुझे बहुत उत्तेजित कर रहा था, मेरा दिल था मैं उसे देखता ही रहूँ।
मैंने अपनी कमीज़ और बनियान उतार दी।
मेरे बालों से भरी छाती को देख कर उसके मुँह से ‘आह’ निकली और उसने अपने हाथों से मेरी छाती को छूकर, सहला कर मेरी छाती के बालों में अपनी उँगलियाँ घूमा कर देखा।
‘क्या हुआ, तुम्हें अच्छे लगे मेरे सीने के बाल?’ मैंने पूछा।
‘अरे पूछो मत, मुझे मर्दों के सीने पर बाल बहुत पसंद हैं, मैं चाहती थी कि मेरे पति के सीने पर भी ढेर सारे बाल हों, जैसे तुम्हारे हैं, मगर उसकी छाती तो बिल्कुल साफ है मेरी तरह!’ वो बोली।
बालों में ऐसी क्या बात है?’ कहते हुए मैं उठ खड़ा हुआ और अपनी पैंट उतारने लगा।
‘मुझे बालों वाले मर्द बहुत मर्दाना लगते हैं!” वो बोली।
‘क्या तुम्हारा पति मर्द नहीं है?’ मैंने पूछा।
वो बोली- मर्द कहाँ, वो तो 2 मिनट से ज़्यादा लगाता ही नहीं।
मैंने अपनी पेंट उतार कर जब अपनी चड्डी उतारने लगा तो उसने मुझे रोक दिया- नहीं, रुको, इसे मैं उतरूँगी।
कह कर उसने बड़े सेक्सी से अंदाज़ में मेरी चड्डी धीरे धीरे से नीचे खिसकाई।
जब मेरा तना हुआ लंड चड्डी से बाहर आया तो उसने एक ठंडी सांस भरते भरते मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया।
मैंने उसके सर पे अपने दोनों हाथ रख दिये और अपनी कमर हिलाने लगा।
मेरा आधे के करीब लंड उसके मुँह में था जिसे वो चूस रही थी और मुँह अंदर अपनी जीभ से चाट भी रही थी।
मुझे बड़ा आनन्द आ रहा था, बेशक मेरी बीवी भी मेरा लंड चूसती थी, मगर पराई औरत से चुसवाने में अपना ही आनन्द है।
थोड़ी देर चूसने के बाद उसने मेरा लंड छोड़ा और लेट गई।
मैं उसका इशारा समझ गया कि अब यह कह रही है कि बहुत चूस लिया और अपना लंड मेरी चूत में डालो।
मैंने उसकी स्लेक्स खींच के उतार दी। दो चिकनी संगमरमरी जांघें, और बहुत ही सफाई से शेव की हुई दूध से जैसे सफ़ेद चूत।
मैंने उसकी दोनों टाँगें खोली और खुद उनके बीच जाकर घुटनों के बल बैठ गया।
उसने खुद मेरा लंड पकड़ा और अपनी चूत पे सेट किया, मैंने हल्का सा धक्का दिया और मेरे लंड का टोपा उसकी चूत में घुस गया। थोड़ा और ज़ोर और आधा लंड अंदर, फिर थोड़ा सा बाहर और एक और धक्का और पूरा लंड अंदर।
मैं उसके ऊपर ही लेट गया मगर वो बोली- लेटो मत, मैं तुम्हें देखना चाहती हूँ।
‘क्या देखना है?’ मैंने पूछा।
‘यही कि जब कोई बालों वाला मर्द मुझे चोद रहा हो तो कैसा लगता है।’
मैं हंस पड़ा- तो ले देख जी भर के!
कह कर मैं पूरे मनोयोग से उसे चोदने लगा।
अब वो आदी थी 2 मिनट के सेक्स की, अब मुझे लगते थे 15 से 20 मिनट।
मैं चोद रहा था, और वो मेरे नीचे लेटी तड़प रही थी, अपनी नाखून उसने मेरी बाजुओं में गड़ा दिये- और… और और ज़ोर से चोदो, हाँ, शाबाश, मज़ा आ गया, और ज़ोर लगाओ।
वो बोल बोल कर मेरा जोश बढ़ा रही थी और मैं भी अपनी पूरी ताकत झोंक रहा था।
मेरा बदन पसीने से तर बतर हो रहा था।
मैं थकने लगा था, मैंने उसे कहा- ऐसा कर अब घोड़ी बन।
वो एकदम से मेरे नीचे से निकली और झट से घोड़ी बन गई। जब उसने अपनी गांड मेरी तरफ घुमाई तो मैं तो देखता ही रह गया- क्या मस्त और मोटी गांड है तुम्हारी!
मैं कहे बिन न रह सका, वो बोली- आओ, और इसे भी अपने तगड़े लंड से निहाल कर दो।
मैंने थोड़ा हैरानी से पूछा- गांड में भी ले लोगी?
वो बोली- हाँ डाल दो।
मैंने अपने लंड पे ढेर सारा थूक लगाया और तीन चार बार उसकी गांड पर थूक कर उसे भी अच्छी तरह से चिकना किया।
जब मुझे चिकनाहट ठीक लगी, तो मैंने अपना लंड उसकी गांड पे रखा और अंदर को धकेला, उसे थोड़ा दर्द हुआ, मुझे भी बहुत टाईट लगी, मगर फिर भी मेरा लंड उसकी गांड में घुस गया।
फिर तो मैं अपने थूक से गच्च करके अपना करीब करीब सारा लंड उसकी गांड में घुसेड़ दिया।
जैसे उसकी चूत गीली और ढीली थी, उसके उलट उसकी गांड एकदम खुश्क और टाईट थी, जैसे किसी ने लंड को अपनी मुट्ठी में पकड़ रखा हो। यह मेरी ज़िंदगी के पहला अनुभव था, किसी की गांड मारने का।
सच कहूँ तो गांड मार कर मज़ा आ गया।
करीब 4-5 मिनट गांड चोदने के बाद मैं उसकी गांड में ही झड़ गया।
वो नीचे लेटी हुई थी और मैं उसके ऊपर, मेरा लंड उसकी गांड में ही था, मगर जब झड़ने के बाद लंड सिकुड़ने लगा तो अपने आप उसकी गांड से फिसल कर बाहर निकल आया।
मैं उसके बदन पे लेटा लेटा ही आराम करने लगा। थोड़ा सांस लेने के बाद मैं नीचे लुढ़क गया, मैं उसे देख रहा था, उसके बदन का ऊपर का हिस्सा कमीज़ से ढका था मगर नीचे से वो बिल्कुल नंगी थी, उसके दो विशाल चूतड़ मुझे ऊपर को उठे हुये दिख रहे थे और मैं मन में सोच रहा था, क्या शानदार चूतड़ हैं साली के !
और मैं अभी अभी इस गांड को चोद के हटा हूँ।
मैंने उठ कर देखा, मेरा माल उसकी गांड से रिस रिस के बाहर आ रहा था।
मैंने उसके चूतड़ों पर हाथ फेरा- तुम्हारी गांड वाकयी मस्त है, मज़ा आ गया इसे चोद कर! मैंने कहा।
‘फिर से चोदना चाहोगे?’ उसने मेरी तरफ देख कर पूछा।
“हाँ, तुम्हें एक बार चोद के दिल नहीं भरा मेरा!” मैंने उसकी गोल गुदाज़ जांघों पे हाथ फेरते हुये कहा।
उसने उठ कर कमीज़ उतार दी और सीधी होकर अपनी टाँगें फैला कर लेट गई। मैं उसकी टाँगों के बीच में आ गया और उसके ऊपर लेट गया।
इस बार मैंने उसकी ब्रा उतार दी और उसके दोनों बूब्स को पकड़ के पहले मसला फिर मुँह में लेकर बारी बारी से उसके बूब्स चूसे।
मेरे चूसने से वो मचल उठी।
मैंने पूछा- अच्छा ये तो बताओ, तुम्हें मुझसे चुदने की क्या सूझी और कैसे?
वो बोली- जिस सुबह हमने एक दूसरे को देखा था, उस रात मुझे नींद नहीं आ रही थी तो मैं छत पर टहलने आ गई, घूमते घूमते मेरी निगाह तुम्हारी खिड़की पर पड़ी, मैंने देखा तुम अपने कपड़े उतार रहे थे, मेरे मन में हलचल सी हुई, उसके बाद मैं आती जाती तुम्हारी खिड़की को ही देखती रही, अंदर से तुम्हारी बीवी की सिसकारियाँ मैं सुन रही थी, जब मेरा भी मूड बन गया, और मुझ न रहा गया, तो मैं दीवार फांद कर तुम्हारी छत पे आई, मैं तुम्हारी खिड़की में से देखा, थोड़ा सा पर्दा हटा हुआ था, तुम अपनी बीवी से सेक्स कर रहे थे, तुम्हारा बालों भरा सीना और उस पर इतनी देर तक सेक्स करना मेरा मन मोह गया। मैंने तुम्हारी खिड़की के बाहर खड़ी होकर तुम्हारी सारी चुदाई देखी, इतनी शानदार चुदाई मुझे भी चाहिए थी, इसलिए मैंने सोचा के अगर मैं तुम्हें पटा लूँ तो मैं भी ऐसे ही मज़ा ले सकती हूँ। तब एक बात मैंने सोच ली के एक दिन मैं तुम से ज़रूर सेक्स करूंगी।
“अरे वह, तुम तो बहुत घाघ निकली, बहुत चतुर हो?’ मैंने कहा और उसके होंठों को चूम लिया।
उसने भी मेरे होंठों को चूमा और बोली- तुम मेरी ज़िंदगी के पहले मर्द हो जिसने एक ही चुदाई में दो बार मेरा पानी छुड़वा दिया, और मैं चाहती हूँ कि तुम दो बार और मेरा पानी छुड़वाओ।
मैंने कहा- ओ के, पर यह तो बताओ तुम्हारा नाम क्या है?
वो बोली- अब पूछने का क्या फायदा, जब तुमने मुझे चोद ही लिया है, अब किसी भी नाम की कोई वेल्यू नहीं रह जाती।
फिर मेरे लंड को अपनी चूत पे रगड़ते हुये उसने पूछा- तुम्हारी शादी को कितने दिन हुये?
मैंने अपना लंड उसकी चूत में धकेला और बोला- आज बीस दिन हुये हैं।