दोस्तो, मेरा नाम राज शर्मा है, दिल्ली में रहता हूँ, मेरी उम्र 27 साल है.. मेरी लम्बाई 5 फीट 6 इंच है और मैं BHAUJA का एक नियमित पाठक हूँ। आप सभी ने मेरी अब तक की लिखी कहानियाँ पसंद की.. उसके लिए आप सभी का बहुत धन्यवाद।
अब मैं अपनी नई कहानियाँ लेकर हाजिर हूँ। ये सभी कहानियाँ एक ही परिवार से हैं.. इसलिए परिवार के बारे में जानना जरूरी है।
मैंने अपना पहला कमरा छोड़ने के बाद दूसरी जगह कमरा ले लिया। मेरे मकान मालिक की बीवी की सरकारी बैंक में नौकरी होने के कारण वे लोग दिल्ली से बाहर रहते थे। इस घर में उनके बड़े भाई अपनी फैमिली के साथ रहते थे।
उसी में एक कमरा, किचन व बाथरूम मुझे किराए पर मिला था।
उन्हीं के छोटे भाई अपनी फैमिली के साथ पास में ही अलग मकान में रहते थे।
मेरे मकान-मालिक की उम्र 45 साल व उनकी बीबी की उम्र 40 साल थी। उनके 2 बच्चे थे.. एक लड़की और एक लड़का।
उनके बड़े भाई की तीन लड़कियाँ और एक लड़का था। दो लड़कियों की शादी हो गई थी.. बड़ी लडकी 26 साल की थी जिसकी एक लड़की भी थी व छोटी 23 साल की थी.. जिसकी शादी को तीन साल हो गए थे.. पर अब तक कोई बच्चा नहीं हुआ था।
उसके बाद 19 साल का भाई था व सबसे छोटी लड़की की उम्र 18 साल थी।
कहानी तीसरे भाई की बीवी से शुरू होती है। उसका नाम गीता था.. उसकी उम्र 30 साल.. रंग गोरा था और वो कुछ छोटे कद की थी। उसकी अपने पति से कम ही बनती थी.. क्योंकि उसका पति उम्र में उससे 10 साल बड़ा था। उनका एक बीमार बेटा भी था।
गीता ने अपने जिस्म को बहुत संवार कर रखा था, वो देखने में 25 साल की ही लगती थी, उसके बदन में जबरदस्त कसाव था।
जब पहली बार मैंने उसे देखा.. तभी सोच लिया था कि इसे जरूर चोदूँगा।
वैसे भी पति से ना बनने के कारण उसे भी एक तगड़े लण्ड की सख्त जरूरत थी।
मैंने किसी ना किसी बहाने उसके घर जाना शुरू कर दिया। जल्दी ही हमारी अच्छी बनने लगी। उसे देखते ही मेरा लण्ड खड़ा हो जाता था।
एक बार तो उसने मेरे लण्ड को पैन्ट में तंबू बनाए हुए देख भी लिया था.. जिसे मैंने जल्दी ही छुपा लिया था।
वो हल्के से मुस्कुरा दी थी और अपने होंठ काटने लगी थी। उसकी इस अदा से मैं समझ गया कि ये माल पकने में अधिक समय नहीं लेगा।
धीरे-धीरे मैंने उनसे मजाक करना शुरू किया.. जिसका वह बुरा नहीं मानती थी। मैं कभी मजाक में उनके नाजुक अंगों को छू लेता.. तो वो मुस्कुरा देती।
मैं उससे उनकी पर्सनल बातें पूछता तो वो उदास होकर उसे टाल जाती।
मैं उसे चोदना चाहता हूँ.. यह बात शायद वो समझ चुकी थी.. पर खुल नहीं रही थी।
एक बार मुझे उसके बिस्तर के तकिए के नीचे उसकी काले रंग की ब्रा-पैन्टी रखी मिली। जिसे मैंने उससे नजर बचा कर अपने जेब में रख ली व घर जाकर रात को उसे याद कर पैन्टी से ही मुठ्ठ मारी और सारा माल उसी में गिराया।
अगले दिन जब मैं उनके घर गया तो वो कुछ परेशान दिखी।
मैंने कहा- क्या हुआ भाभी.. कुछ परेशान दिख रही हो.. कुछ गुम हो गया है क्या?
भाभी- हाँ मेरे तकिए के नीचे से कुछ सामान गायब है.. जो मुझे अभी बहुत जरूरी चाहिए था।
मैंने कहा- सामान का नाम बताओ.. मैं अभी ढूँढ कर दे सकता हूँ।
भाभी ने मेरी तरफ मुस्कुराते हुए कहा- मेरी ब्रा-पैन्टी नहीं मिल रही है। मेरे पास दो ही जोड़े थे.. अब मुझे नहाने जाना है। क्या करूँ.. समझ ही नहीं आ रहा है।
मैंने शरारत से कहा- तो क्या हुआ.. बिना पहने ही बाकी के कपड़े पहन लेना.. वैसे आपकी वो चीज मेरे पास है।
भाभी गुस्सा होकर बोलीं- तुम्हारे पास? तुम क्या करोगे उनका.. तुम्हारे काम की चीज नहीं है वो..
मैंने कहा- भाभी आप बुरा ना मानो तो एक बात कहूँ.. जब से आपको देखा है मैं अपने पर कन्ट्रोल नहीं कर पा रहा हूँ.. उस पर कल रात मैंने आपके नाम की मुठ मारी थी.. आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो।
भाभी ने हँसते हुए कहा- अरे ऐसा क्यों करते हो.. तुम्हारी गर्ल-फ्रैन्ड नहीं है क्या.. उससे अपना काम चलाओ.. मेरी पैन्टी क्यों खराब करते हो?
मैंने कहा- नहीं है.. भाभी मैं आप को ही अपनी गर्ल-फ्रैन्ड बनाना चाहता हूँ.. बनोगी क्या?
भाभी- ठीक है.. पहले मेरी ब्रा और पैन्टी वापस करो।
मैंने उन्हें दो जोड़ी नई ब्रा और पैन्टी खरीद कर दे दी। जिसे देखकर वो बहुत खुश हुई।
मैं हमेशा उसी समय जाता था.. जब उसका पति घर पर नहीं होता था।
एक दिन मैं आफिस से घर आया तो देखा उनका बेटा हमारे मकान में आया था, इसका मतलब आज भाभी घर पर अकेली थीं, मेरा काम बन सकता था, मैं चुपचाप उनके घर चला गया।
भाभी- अरे तुम इस वक्त यहाँ कैसे?
मैंने कहा- भाभी तुम्हारी याद आ रही थी.. इसलिए आफिस से तुम्हें मिलने आ गया।
भाभी- ठीक है तुम बैठो.. मैं नहा कर आती हूँ।
वो नहाने चली गई। मैंने फटाफट घर के सारे खिड़कियाँ व दरवाजे बंद किए और बाथरूम के दरवाजे की दरार से उन्हें नहाते हुए देखने लगा।
वो पूरी नंगी होकर नहा रही थी और साबुन को बार-बार अपनी चूत पर और चूचियों पर रगड़ रही थी.. इसके साथ ही कभी वो अपनी उंगली चूत में डाल रही थी।
वह नहाते वक्त लगभग गरम हो चुकी थी।
मैंने बाहर से ही कहा- भाभी आपकी पीठ पर साबुन लगा दूँ क्या.. आप कहो तो पूरा नहला ही देता हूँ।
भाभी- ठीक है.. एक मिनट रूको।
उन्होंने फटाफट ब्रा और पैन्टी पहनी और दरवाजा खोल कर मेरी तरफ पीठ करके खड़ी हो गईं। मैं फटाफट अपने सारे कपड़े खोल कर बाथरूम में घुस गया। जिसका उन्हें पता नहीं था कि मैं उनके पीछे नंगा खड़ा हूँ।
मैं साबुन लेकर उनकी गर्दन व पीठ पर लगाने के बहाने सहलाने लगा, उन्हें मजा आ रहा था। मैंने जैसे ही हाथ नीचे लगाना चाहा.. वो मना करने लगी।
मैंने झटके उन्हें अपनी तरफ घुमाया और उन्हें किस करने लगा। पहले तो वो मुझे नंगा देखकर घबरा गई.. फिर मेरा खड़ा लण्ड देखा.. तो देखती ही रह गई।
बस मेरा काम हो गया था।
अब मैं कहाँ मानने वाला था, चुम्बन के साथ-साथ उनके दोनों मम्मों को लगातार दबाने लगा, वो गर्म होने लगी.. पर बार-बार कह रही थी- ना ना मत करो..
मैंने अपना एक हाथ उनकी चूत के ऊपर फिराना शुरू कर दिया.. तो वह और गरम हो गई व अजीब सी आवाजें निकालने लगी।
फिर वह मेरा साथ देने लगी व मुझे भी चूमने लगी, मैं पैन्टी के अन्दर हाथ डालकर उनकी चूत सहलाने लगा।
उनकी चूत पानी छोड़ने लगी थी, मैंने चूत में उंगली करनी शुरू कर दी, उन्हें मजा आने लगा.. वो जोर-जोर से आवाजें निकालने लगी।
वो बोली- प्लीज राज.. अब मत करो.. मैं पागल हो जाऊँगी।
मैंने उन्हें भी नंगा किया और उनके पूरे शरीर को साबुन के झाग से भर दिया। उन्होंने भी मेरा लण्ड पकड़ लिया और लण्ड चूसने लगी।
मेरा बुरा हाल हो गया था.. इसलिए मैंने उन्हें वहीं फर्श पर लिटाया और उनके ऊपर आ गया।
मैंने लण्ड को चूत के दरवाजे पर रखकर एक जोरदार धक्का मारा.. वो चिल्ला उठी।
वो बोली- राज.. आराम से.. आज बड़े दिनों बाद चुद रही हूँ।
मैंने उनकी एक ना सुनी व लगातार धक्के लगाने लगा। उनके पूरे शरीर पर साबुन लगे होने के कारण पूरा कमरा ‘फच्च.. फच्च..’ की आवाज से गूजने लगा।
वो लगातार चिल्लाए जा रही थी और पूरा मजा भी ले रही थी। थोड़ी ही देर में उसका दर्द कम होने लगा और वो नीचे से चूत उछालने लगी, उसे चुदने में बड़ा मजा आ रहा था, वो चुदते समय बहुत आवाज निकाल रही थी.. इसलिए मजा दुगुना आ रहा था।
कुछ देर के तूफान के बाद दोनों एक साथ ही अपने चरम पर पहुँच गए और मैंने अपने माल से उसकी चूत भर दी।
मैंने कहा- कैसा लगा भाभी.. आपको मजा आया या नहीं?
भाभी- बहुत मजा आया.. मुझे पता था कि तुम मुझे चोदना चाहते हो.. इसीलिए बार-बार मेरे घर के चक्कर लगा रहे हो। मुझे भी एक घर का ही लण्ड चाहिए था.. बाहर चुदने में मेरी बदनामी हो सकती थी। अब तुम मुझे रोज चोदना.. मैं कब से प्यासी थी। मैं तुम्हारे बच्चे की माँ बनना चाहती हूँ। मुझे अपने जैसा बच्चा दे दो। मेरे पति की कल से रात की डयूटी है। कल से तुम रात में यहीं सोना।
मैंने फटाफट उसकी एक बार और चुदाई की और कमरे में वापस आ गया।
अगले दिन मैंने मकान-मालिक के बड़े भाई.. जो मेरे वाले मकान में ही रहता था.. को बता दिया कि मेरे एक दोस्त की तबियत खराब है.. इसलिए मुझे कुछ दिन रात को उसी के घर में ही रहना पड़ेगा।
अब तो रात होते ही मैं उनके घर चले जाता और पूरी रात उन्हें जमकर चोदता। एक महीने के अन्दर ही वो प्रेग्नेंन्ट हो गई। इस बीच उन्होंने एक-दो बार अपने पति से भी चुदवाया.. ताकि उसे शक ना हो।
आज उनके घर में मेरे रस से उत्पन्न एक सुन्दर बेटी है.. जो पूर्णतः स्वस्थ है। बेटी आने के बाद उनकी अपने पति से भी अच्छी बनने लगी है इसलिए मैंने उनके पास जाना बंद कर दिया।
मेरी वजह से किसी का घर बस गया.. मुझे तो बस इस बात की खुशी है।
वह जब भी अपने माँ-बाप के घर आती थी तो मुझे बड़े गौर से देखती थी, वह देखने में बहुत ही शरीफ लगती थी, उसका बातचीत का तरीका भी बहुत अच्छा था, यहाँ आने पर मेरे से भी अच्छी-अच्छी बातें करती थी।
मेरा भी उसके प्रति कोई गलत विचार नहीं था.. पर एक दिन मेरा विचार बदल गया।
हमारे छत पर भी एक टायलेट है। एक बार वह कुछ दिनों के लिए यहाँ आई थी। नीचे के टायलेट में शायद कोई गया हुआ था.. तो मैं ऊपर छत पर चला गया। वहाँ कम ही कोई जाता था.. क्योंकि उसके दरवाजे की कुंडी नहीं लगती थी।
जैसे ही मैंने टायलेट का दरवाजा खोला.. तो देखा वो टायलेट में पजामा नीचे कर मूतने बैठी थी, उसका मुँह मेरी ही ओर था।
दरवाजा खुलते ही मेरी नजर सीधी उसकी चूत पर ही पड़ी जो सीटी की आवाज के साथ पेशाब बाहर निकाल रही थी।
मुझको देखते ही वह एकदम से खड़ी हो गई और अपना पजामा ऊपर खींचने लगी.. पर घबराहट में उसका पजामा नीचे गिर गया। अब तो वह पूरी नीचे से नंगी मेरे सामने थी।
उसकी नजर शरम से नीचे झुक गईं, उसने अब पजामा उठाने की भी कोशिश ना की।
मैंने उसकी पैन्टी व पजामा ऊपर उठाया और उसे कमर में बांध दिया। इसी बीच मैंने हाथ से थोड़ी सी उसकी चूत भी सहला दी। वो नजरें नीचे किए हुए थी।
यह सब देखकर मेरा लण्ड खड़ा हो गया था। मैंने अपना खड़ा लण्ड उसी के सामने बाहर निकाला और मूतने लगा।
पेशाब गिरने की आवाज सुनकर उसने अपनी नजरें ऊपर की और मेरे खड़े लण्ड को देखा और फिर नजरें झुका लीं।
उसको अपना खड़ा लण्ड दिखाने से मेरा काम हो गया था.. इसलिए मैं बिना देरी किए टायलेट से बाहर आ गया और छत पर उसका इन्तजार करने लगा।
वो पास आई तो मैंने उसे बोला- घबराओ मत.. मैं किसी को नहीं बताऊँगा कि मैंने तुम्हें नंगी देखा।
वो बोली- प्लीज किसी को मत बताना कि तुमने क्या देखा।
मैंने कहा- वैसे तुमने भी तो मेरा देखा था.. इसलिए हिसाब बराबर हो गया। सच कहूँ तुम्हारी ‘वो’ बहुत सुन्दर है.. एक बार और देखना चाहता हूँ, फिर कब दिखाओगी।
वो होंठ चबाते हुए बोली- तुम्हारा भी तो सुन्दर है।
फिर वह शरमा कर भाग गई।
अब तो पक्का हो गया था कि वह बहुत जल्दी ही चुदने वाली है.. पर उसी रात चुदेगी.. यह पता नहीं था।
मैं बाथरूम की तरफ खुलने वाले दरवाजे पर कुंडी नहीं लगाता था.. ताकि रात में उसके खुलने की आवाज से किसी को परेशानी ना हो। यह बात उसे भी पता थी।
रात में खा पीकर मैं अपने कमरे में सो गया। आधी रात में मुझे अपनी टाँगों पर कुछ रेंगता सा महसूस हुआ। वह किसी का हाथ था.. जो धीरे-धीरे मेरे लण्ड की ओर बढ़ रहा था।
मैंने सोने का नाटक करना ही ठीक समझा। उसने धीरे से मेरा पजामा खोल दिया और मेरे लण्ड को सहलाना शुरू किया।
तभी अचानक उसने मेरे लण्ड को मुँह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चूसना चालू कर दिया।
अब मेरी हालत बुरी हो चली थी, लण्ड फुंफकार मार रहा था, जब मुझसे रहा नहीं गया.. तो एक झटके में उठ गया।
मैं अनजान बनते हुए बोला- तुम मेरे कमरे में क्यों आई हो.. और ये सब क्या कर रही हो?
वो धीरे से कान में बोली- राज लेटे रहो.. तुम्हें मजा आ रहा है ना..!
मैंने कहा- बात मजे की नहीं है… किसी को पता चल गया तो?
वो बोली- अरे मैं यहाँ किसी को बताने के लिए थोड़ी आई हूँ.. बस तुम लेटे रहो और मुझे लण्ड चूसने दो।
मैंने मजे लेने के लिए कहा- पर मैं ये सब तुम्हारे साथ नहीं कर सकता।
वो बोली- साले राज.. अब नाटक मत करो और मुझे रोको मत.. सुबह से जब से तुमने मुझे नंगी और मैंने तुम्हारा लण्ड देखा है.. तब से मैं पागल सी हो गई हूँ। अब तो मुझे तुमसे चुदना है बस.. मैं अपने पति से बहुत दिनों से नहीं चुदी हूँ.. तुमने मेरी प्यास बढ़ा दी है.. अब चोद दो मुझे.. देर ना करो।
वो लगातार मेरा लण्ड सहलाए जा रही थी।
जब वो खुद चुदना चाह रही थी.. तो मैंने भी देरी करना ठीक नहीं समझा, मैंने उसे चित्त लिटाया और उसका कुर्ता ऊपर को उठा दिया.. जिससे उसकी चूचिया नंगी हो गईं, पजामी व पैन्टी को पैरों से अलग कर दिया, अपने भी कपड़े उतारे व थोड़ी देर उसकी चूत सहलाई और जब वह बहुत गरम हो गई तो खुद ही बोल पड़ी- आह्ह.. राज अब देर मत करो.. इसस्स.. चोद डालो मुझे..
मैंने उसकी चूत व अपने लण्ड पर खूब थूक लगाया और उसके ऊपर आकर लण्ड को चूत पर दबाने लगा। जल्दी ही वह पूरा लण्ड चूत में निगल गई।
धीरे-धीरे उसकी चुदाई शुरू हो गई.. वो भी मस्ती में हल्की-हल्की कामुक आवाजें निकाल रही थी।
मैं भी शोर कम हो इसलिए उसकी चूत की आराम से रगड़ाई कर रहा था। टाइम ज्यादा लेने के कारण दोनों को ही खूब मजा आ रहा था। कभी मैं उसके ऊपर.. तो कभी वो मेरे ऊपर आकर चुद रही थी।
अब मैंने उसे अपने बगल में लिटाया और पीछे से अपना लण्ड उसकी चूत में डाला। मेरे हाथ में उसकी चूचियां थीं मैं उन्हें बेदर्दी से मसलकर तेज-तेज उसकी चूत में धक्के लगाने लगा।
इससे आवाज कम आ रही थी और स्पीड भी बढ़ गई थी। वो भी चुदने ही आई थी इसलिए खुद अपनी चूत का दबाव हर धक्के में मेरे लण्ड पर दे रही थी। जैसे ही मुझे लगा कि वो झड़ने वाली है.. मैंने भी तेजी से लण्ड पेलना शुरू किया।
थोड़ी ही देर की तेज रगड़ाई में ही उसके साथ ही मैंने भी अपना सारा माल उसकी चूत में भर दिया। वो मेरे बगल में ही लेटी रही।
वो बोली- राज मेरी एक बच्ची होने पर भी मैंने आज तक इतनी देर तक चुदाई नहीं की.. तुमने बहुत मजा दिया। सुबह जब तुमने मेरी चूत सहलाकर मुझे अपना लण्ड दिखाया था.. तब से ही मेरी चूत चू रही थी। इस निगोड़ी को.. तुम्हारी जोरदार चुदाई के बाद अब शांति मिली है.. जल्दी से एक बार और चोद दो मुझे.. कहीं बच्ची ना जाग जाए।
मैंने एक बार और उसकी चूत मारी और फिर वह अपने कमरे में चली गई। वह जितने दिन भी यहाँ रही.. उतने दिन मैंने उसे जमकर चोदा।
उसी की मदद से कैसे मैंने उसकी छोटी बहन को माँ बनाया.. यह कहानी भी जल्दी ही आपकी नजर करूँगा।
इस घटना में उनकी शादीशुदा छोटी बेटी रेखा की चुदाई की दास्तान है.. जिसकी उम्र 23 साल की थी.. और उसकी शादी को तीन साल हो गए थे.. पर अभी तक कोई बच्चा नहीं हुआ था।
अगली बार जब बड़ी बहन रश्मि, जो मुझसे चुद चुकी थी, दिल्ली आई तो उसके साथ वो भी आई थी।
रेखा कुछ ज्यादा ही शर्मीली थी, किसी से कुछ नहीं बोलती थी, यहाँ भी दिन भर घर के कामों में ही लगी रहती थी, अपने आप में ही गुमसुम रहती थी।
रात को जब उसकी बड़ी बहन अपनी चूत चुदाने के लिए मेरे कमरे में आई तो उसे चोदते हुए मैंने पूछा- तुम्हारी छोटी बहन गुमसुम सी रहती है.. कुछ परेशानी है क्या उसे?
वो बोली- हाँ.. वह बहुत परेशान है, सारा काम करना जानती है, सभी की सेवा भी करती है.. पर तीन साल होने पर भी अभी कोई बच्चा नहीं हुआ है.. तो उसकी सास उसे ताने मारती है और अपने बेटे की दूसरी शादी कराने की बात करती है।
मैंने बोला- तो इसमें क्या बड़ी बात है, बच्चा पैदा कर ले.. तो सास खुश हो जाएगी ना..
वो नीचे से चूतड़ को उछाल कर लण्ड खाने की कोशिश करते हुए बोली- वो ही तो नहीं हो रहा है ना.. ये लोग बहुत कोशिश कर रहे हैं.. पर कामयाबी नहीं मिल रही है।
मैंने मजाक में कहा- एक बार मैं कोशिश कर लूँ.. शायद बच्चा हो जाए। उसने अपने पति के साथ तीन साल कोशिश कर ली.. अब एक बार मेरे साथ कोशिश कर ले.. शायद उसका काम बन जाए।
वो बोली- यह क्या कह रहे हो राज तुम? वो वैसी लड़की नहीं है।
मैं बोला- तो क्या मैं वैसा लड़का हूँ। मैं तो उसका घर बसाने के लिए कह रहा था। तुम ही सोच कर देखो उसका बच्चा हो जाएगा तो उसका घर बच जाएगा.. फिर उसकी सास अपने बेटे की दूसरी शादी कराएगी क्या?
वो बोली- वो कभी नहीं मानेगी और किसी को पता चल गया तो?
मैंने कहा- मनाने का काम तो तुम्हारा है। वैसे तुम इतने महीने से मुझ से चुदवा रही हो और अभी भी चुद रही हो इसका किसी को पता नहीं चला.. तो उसका क्या चलेगा। यह बात हम तीनों के बीच ही रहेगी।
वो उचकते हुए बोली- अच्छा चलो.. मैं उससे बात करती हूँ। अब मुझे लण्ड तो खाने दो.. जोर से चोदो.. कब से तड़प रही थी तुम्हारा लण्ड लेने को.. तुमसे महीने में एक दो बार चुदे बिना तो मुझे चैन ही नहीं आता.. अब डाल भी दो न.. फाड़ डालो मेरी चूत को..
मैंने लौड़ा पेल कर उसको चोद दिया.. पर उस रात मैंने उसकी बहन को दिमाग में रखकर उसकी चुदाई की।
अगले दिन एकान्त में उसने अपनी बहन से बात की, पहले तो वो मानी नहीं पर जब उसे बहुत मनाया तो वो मान गई।
उसने यह खुशखबरी मुझे बताई।
अब बहुत जल्दी ही उसकी छोटी बहन भी मुझसे चुदने वाली थी।
वो सलवार सूट पहनती थी और 23 साल की ही होने के कारण बिल्कुल कुंवारी लड़की जैसी ही लगती थी। उसे चोदने का तो अलग ही मजा आने वाला था, मैंने उसे माँ जो बनाना था।
मैंने उसे बताया कि वो माहवारी आने के बाद 15 दिन के लिए यहाँ रहने के लिए आए और अपनी सास को बताए कि इलाज के लिए जा रही है।
आने से पहले एक बार अपने पति से चुदवा कर आए और यहाँ से जाने के बाद भी अपने पति से चुदवाए.. ताकि उसे शक ना हो।
फिर इस बार तो मैंने उससे घुलने-मिलने के लिए उसकी बाहर से ही चूचियाँ व चूत सहलाई.. और उसे अपने लण्ड के दर्शन कराए.. ताकि अगली बार जब वह आए तो मुझसे शरमाए नहीं।
इस बार तो मैंने उसकी दीदी की चूत से ही अपने लण्ड का काम चलाया।
अगले दिन वो वापस चली गई व ठीक 10 दिन बाद फिर आ गई.. वह अपनी सास को दवा लेने का बताकर 15 दिन के लिए आई थी।
अब बस मुझे अपना काम करना था। मैं उसे पहली बार जरा दबा कर चोदना चाहता था.. जो मेरे कमरे में नहीं हो सकता था इसलिए मैंने अपने दोस्त के घर की चाभी ले ली।
मेरा दोस्त वह मार्केटिंग का काम करता था.. इसलिए ज्यादातर घर के बाहर ही रहता था। अगर घर आ भी जाए तो सुबह जल्दी निकल जाता था, वह अकेला ही रहता था और उसका घर जरा कोने में था.. इसलिए वहाँ कौन आ-जा रहा है.. इसका किसी को पता नहीं चलता था।
वह खुद उस कमरे में कितनी ही लड़कियों को बुला कर चोद चुका था। उस के घर से अच्छी इस चुदाई के लिए जगह हो नहीं हो सकती थी इसलिए मैंने उससे बात कर ली और उसने मुझे चाभी दे दी।
मैंने घर आकर रेखा को बता दिया कि तुम घर पर बता देना कि रोज कल से तुम मंदिर में जाकर ध्यान करोगी और तुम एक घण्टा रोज मंदिर में जाना भी ताकि कोई मंदिर में आकर पूछे भी.. तो वो भी ‘हाँ’ बोले।
मैं जब भी तुम्हें फोन करूँ तब तुम मंदिर के बाहर आ जाना। इस तरह तुम पर किसी को शक भी नहीं होगा। घर पर कुछ करूँगा.. तो हम फंस भी सकते हैं।
उसने वैसा ही किया।
मैंने भी 15 दिन की नाइट डयूटी लगा ली और यहाँ रेखा के बाप यानि मकान मालिक के भाई को भी बता दिया कि मैं सुबह दोस्त के घर पर ही नाश्ता करके आऊँगा।
मैं रात को डयूटी चला गया और अगले दिन दोस्त के घर जाकर उसका इन्तजार करने लगा।
एक घंटे बाद मैंने रेखा को फोन किया और 5 मिनट में मंदिर के बाहर मिलने को बोला।
वो बाहर ही मिल गई.. उसे मैं दोस्त के कमरे में ले गया और बता दिया कि कल से उसे रोज इसी टाइम पर यहाँ आ जाना है।
उसके बाद मैंने उसे बैठाया और उसकी टाँगें सहलाने लगा, फिर धीरे-धीरे चूचियाँ मसलने लगा।
जब वह गरम होने लगी तो उसकी चूत सहलाने लगा।
मैंने उसे गले लगा लिया और बोला- देखो मुझसे बिल्कुल भी मत शरमाना.. इन 15 दिनों के लिए समझना.. मैं ही तुम्हारा पति हूँ। तुम यहाँ चुदने आई हो इसलिए 15 दिन चुदाई ही और बस चुदाई ही तुम्हारे दिमाग में रहनी चाहिए। जब तुम खुल कर चुदोगी.. तभी तुम्हें चुदाई का असली मजा भी मिलेगा और साथ में एक प्यारा सा बच्चा भी मिल जाएगा।
वो बोली- मेरा बच्चा तो हो जाएगा ना? मैं यह सब बच्चे के लिए ही कर रही हूँ।
मैंने कहा- जरूर होगा, तुम्हारे से पहले भी एक को माँ बना चुका हूँ। जैसा मैं कहता हूँ.. बस 15 दिन तुम वैसा ही करती जाना। वैसे एक बात बताओ.. कभी तुम्हारे पति ने 15 दिन लगातार चोदा है तुम्हें?
वो बोली- नहीं.. वो तो हफ्ते में एक ही बार करते हैं.. वो भी कभी-कभी..
मैं बोला- तो अब देखो.. इन 15 दिनों में मैं तुम्हारी चूत में इतना माल भरूँगा कि तुम्हारी चूत को मजबूरन बच्चा देना ही पड़ेगा.. बस तुम मेरा साथ दो।
वो बोली- इसी लिए तो राज यहाँ आई हूँ, मुझे निराश मत करना.. मेरी इज्जत तुम्हारे ही हाथ में है।
मैं बोला- चलो फिर काम शुरू करते हैं।
अब हम दोनों ने फटाफट अपने कपड़े उतारे और जल्द ही हम दोनों नंगे हो गए।
वो अभी भी शरमा रही थी।
मैंने उसे गरम करना शुरू किया.. अपनी बाँहों में भरकर उसे किस करने लगा और एक हाथ से उसकी चूत सहलाने लगा।
जब वो गर्म हो गई.. तो मेरा साथ देने लगी, वो नीचे के बाल बना कर आई थी, चूत बिल्कुल साफ-सुथरी व चिकनी थी, वो पूरी तैयारी के साथ चुदने आई थी।
मेरा लण्ड उसकी चूत की दीवारों से बार-बार टकरा रहा था।
थोड़ी देर में ही उसकी चूत गीली हो गई।
जैसे ही मैंने उंगली उसकी चूत के अन्दर डाली.. उसकी सिसकारी निकल गई।
मैंने उसकी चूचियां मसलते हुए कहा- तुम्हें मजा तो आ रहा है ना..
वो बोली- हाँ.. बहुत मजा आ रहा है ऐसे ही करते रहो।
मैंने थोड़ी देर सहलाने के बाद उसके आगे अपना लण्ड कर दिया।
मैं बोला- इसे अपने मुँह में लेकर चूसो।
वो बोली- नहीं.. मुझे यह अच्छा नहीं लगता।
मैंने कहा- अरे यही तो असली चीज है.. यह जितना खिला रहेगा.. तुम्हें उतना ही मजा देगा। इसी का तो सारा खेल है.. तुम उसे चूस कर खुश करो और ये तुम्हें चोद-चोद कर खुश करेगा। चलो.. अब जल्दी करो।
वो बोली- नहीं.. इसका स्वाद अच्छा नहीं होता है।
मैंने कहा- बस इतनी सी बात.. ये लो अभी इसका स्वाद बदल देता हूँ।
मैंने दोस्त की रसोई से शहद लाकर लण्ड पर अच्छे से चुपड़ दिया और लण्ड उसके मुँह में ठूंस दिया।
पहले उसने लण्ड पर जीभ लगाई फिर पूरा लण्ड मुँह में ले लिया। शहद का स्वाद काम कर गया.. वह मजे से मेरे खड़े लौड़े को चूसने लगी।
अब मुझे भी कन्ट्रोल नहीं हो रहा था तो मैंने उसे लिटा दिया और उसकी टाँगें फैलाकर चूत पर लण्ड लगाया और एक धक्का लगाया।
उसकी चूत टाइट थी इसलिए आधे में ही लण्ड फंस गया.. उसकी चीख निकल गई।
वो बोली- आहहह.. आराम से.. मार डालोगे क्या.. बहुत दर्द हो रहा है।
मैंने कहा- तुम्हारी चूत तो बहुत टाइट है, तुम्हारा पति तुम्हें नहीं चोदता क्या?
वो बोली- उनका वो जरा छोटा है.. फिर वो जरा सा फुदक कर ही जल्दी खलास हो जाते हैं |
मैंने सोचा आज तो मजा आ जाएगा.. साली शादी के इतने साल बाद भी इतनी टाइट चूत है..
मैंने उससे कहा- कोई बात नहीं.. आज मैं तेरी पूरी चूत खोल दूँगा।
मैंने एक बार लण्ड बाहर निकाल कर उसकी चूत व अपने लण्ड पर ढेर सारा थूक लगाया और फिर पूरी ताकत से धक्का लगाया.. साथ में उसके मुँह में हाथ भी रख दिया।
वो चिल्लाने लगी.. उसकी आखों से आंसू निकल आए, वो बोली- आहहह मरररर गई.. बाहर निकालो इसे.. मुझे नहीं चुदवाना.. तुमने मेरी चूत ही फाड़ दी।
मैं बोला- कुछ नहीं होगा.. तुम्हारे पति वाला काम भी मुझे ही करना पड़ रहा है। अब दर्द नहीं होगा। थोड़ा सहन कर लो बस।
मैंने उसकी रसीली चूचियां मसलनी शुरू कर दीं और उसे किस करता रहा। जब दर्द थोड़ा कम हुआ तो मैं हल्के-हल्के धक्के लगाने लगा।
सच में रेखा की चूत बहुत टाइट थी इसलिए उसे अब भी दर्द हो रहा था। मैंने स्पीड बढ़ाई तो वो फिर कराहने लगी- आहह.. आहहह.. नहीं राज.. नहीं ओहहह.. ओहहह.. सीईई.. आइइइइ..
वो कराहती रही और मैं पलता रहा.. धीरे-धीरे उसे भी मजा आने लगा, वो भी मेरा साथ देने लगी।
‘आहहह.. आहह.. तेज.. राज औरर.. तेज.. चोदद दो मुझे.. ओह औरर तेज..’
मैंने रफ्तार पकड़ ली और कमरे में उसकी कराहें गूंजने लगीं।
मैं बार-बार आसन बदल-बदल कर उसे चोदे जा रहा था। इसी बीच वो दो बार झड़ गई। उसकी हालत बुरी थी.. पर मुझे तो बहुत दिनों बाद इतनी टाइट चूत मिली थी.. इसलिए मेरा मन नहीं भरा था, बस उसे धकापेल चोदना ही चाहता था।
आखिर कब तक… अंत में मैंने उसकी चूत पर पिचकारी छोड़ ही दी जिससे उसकी चूत लबालब भर गई।
जैसे ही मैंने लण्ड बाहर निकाला उसकी चूत से वीर्य बाहर को बहने लगा।
मैंने उसका दूध मसकते हुए कहा- कहो मेरे साथ तुम्हारी चुदाई कैसी रही?
वो हांफते हुए बोली- तुमने तो मेरी नस-नस ही दुखा दी.. आज तक मैं कभी इतनी बुरे तरीके से नहीं चुदी। मेरी चूत की असली चुदाई तो आज ही हुई है।
मैं बोला- जानेमन.. अब तो तुम्हारी ऐसी चुदाई रोज ही होगी। बस रोज टाइम पर आ जाना।
मैंने उसे एक बार और चोदा और घर भेज दिया। एक घंटे बाद मैं भी कमरे में आ गया। अब तो यह रोज का नियम हो गया। मैंने उसे सभी तरीके से खूब जमकर चोदा। रोज वीर्य उसी की चूत में भरता था। उसकी गाण्ड भी मारी।
फिर 15 दिन बाद वो अपने घर वापस चली गई।
एक महीने बाद उसने खबर दी कि वो गर्भवती है। उसकी सास व उसके पति बहुत खुश थे। यहाँ उसके माँ-बाप भी बहुत खुश थे कि बेटी की सुबह की पूजा का फल मिल गया।
वो तो उसे मिलना ही था उसने 15 दिन मेरे लण्ड की खूब सेवा और पूजा जो की थी.. जिसका फल उसकी कोख में था।
ठीक 9 महीने बाद वह एक बेटे की माँ बन गई। उसके बाद मैंने उसे नहीं चोदा। क्योंकि अब मेरी नजर उसकी सबसे छोटी बहन पर थी जो अभी अभी जवान हुई थी।
मैंने उस कली को फूल कैसे बनाया। यह कहानी भी जल्दी ही आपकी नजर करूँगा।
अब मैं अपनी नई कहानियाँ लेकर हाजिर हूँ। ये सभी कहानियाँ एक ही परिवार से हैं.. इसलिए परिवार के बारे में जानना जरूरी है।
मैंने अपना पहला कमरा छोड़ने के बाद दूसरी जगह कमरा ले लिया। मेरे मकान मालिक की बीवी की सरकारी बैंक में नौकरी होने के कारण वे लोग दिल्ली से बाहर रहते थे। इस घर में उनके बड़े भाई अपनी फैमिली के साथ रहते थे।
उसी में एक कमरा, किचन व बाथरूम मुझे किराए पर मिला था।
उन्हीं के छोटे भाई अपनी फैमिली के साथ पास में ही अलग मकान में रहते थे।
मेरे मकान-मालिक की उम्र 45 साल व उनकी बीबी की उम्र 40 साल थी। उनके 2 बच्चे थे.. एक लड़की और एक लड़का।
उनके बड़े भाई की तीन लड़कियाँ और एक लड़का था। दो लड़कियों की शादी हो गई थी.. बड़ी लडकी 26 साल की थी जिसकी एक लड़की भी थी व छोटी 23 साल की थी.. जिसकी शादी को तीन साल हो गए थे.. पर अब तक कोई बच्चा नहीं हुआ था।
उसके बाद 19 साल का भाई था व सबसे छोटी लड़की की उम्र 18 साल थी।
कहानी तीसरे भाई की बीवी से शुरू होती है। उसका नाम गीता था.. उसकी उम्र 30 साल.. रंग गोरा था और वो कुछ छोटे कद की थी। उसकी अपने पति से कम ही बनती थी.. क्योंकि उसका पति उम्र में उससे 10 साल बड़ा था। उनका एक बीमार बेटा भी था।
गीता ने अपने जिस्म को बहुत संवार कर रखा था, वो देखने में 25 साल की ही लगती थी, उसके बदन में जबरदस्त कसाव था।
जब पहली बार मैंने उसे देखा.. तभी सोच लिया था कि इसे जरूर चोदूँगा।
वैसे भी पति से ना बनने के कारण उसे भी एक तगड़े लण्ड की सख्त जरूरत थी।
मैंने किसी ना किसी बहाने उसके घर जाना शुरू कर दिया। जल्दी ही हमारी अच्छी बनने लगी। उसे देखते ही मेरा लण्ड खड़ा हो जाता था।
एक बार तो उसने मेरे लण्ड को पैन्ट में तंबू बनाए हुए देख भी लिया था.. जिसे मैंने जल्दी ही छुपा लिया था।
वो हल्के से मुस्कुरा दी थी और अपने होंठ काटने लगी थी। उसकी इस अदा से मैं समझ गया कि ये माल पकने में अधिक समय नहीं लेगा।
धीरे-धीरे मैंने उनसे मजाक करना शुरू किया.. जिसका वह बुरा नहीं मानती थी। मैं कभी मजाक में उनके नाजुक अंगों को छू लेता.. तो वो मुस्कुरा देती।
मैं उससे उनकी पर्सनल बातें पूछता तो वो उदास होकर उसे टाल जाती।
मैं उसे चोदना चाहता हूँ.. यह बात शायद वो समझ चुकी थी.. पर खुल नहीं रही थी।
एक बार मुझे उसके बिस्तर के तकिए के नीचे उसकी काले रंग की ब्रा-पैन्टी रखी मिली। जिसे मैंने उससे नजर बचा कर अपने जेब में रख ली व घर जाकर रात को उसे याद कर पैन्टी से ही मुठ्ठ मारी और सारा माल उसी में गिराया।
अगले दिन जब मैं उनके घर गया तो वो कुछ परेशान दिखी।
मैंने कहा- क्या हुआ भाभी.. कुछ परेशान दिख रही हो.. कुछ गुम हो गया है क्या?
भाभी- हाँ मेरे तकिए के नीचे से कुछ सामान गायब है.. जो मुझे अभी बहुत जरूरी चाहिए था।
मैंने कहा- सामान का नाम बताओ.. मैं अभी ढूँढ कर दे सकता हूँ।
भाभी ने मेरी तरफ मुस्कुराते हुए कहा- मेरी ब्रा-पैन्टी नहीं मिल रही है। मेरे पास दो ही जोड़े थे.. अब मुझे नहाने जाना है। क्या करूँ.. समझ ही नहीं आ रहा है।
मैंने शरारत से कहा- तो क्या हुआ.. बिना पहने ही बाकी के कपड़े पहन लेना.. वैसे आपकी वो चीज मेरे पास है।
भाभी गुस्सा होकर बोलीं- तुम्हारे पास? तुम क्या करोगे उनका.. तुम्हारे काम की चीज नहीं है वो..
मैंने कहा- भाभी आप बुरा ना मानो तो एक बात कहूँ.. जब से आपको देखा है मैं अपने पर कन्ट्रोल नहीं कर पा रहा हूँ.. उस पर कल रात मैंने आपके नाम की मुठ मारी थी.. आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो।
भाभी ने हँसते हुए कहा- अरे ऐसा क्यों करते हो.. तुम्हारी गर्ल-फ्रैन्ड नहीं है क्या.. उससे अपना काम चलाओ.. मेरी पैन्टी क्यों खराब करते हो?
मैंने कहा- नहीं है.. भाभी मैं आप को ही अपनी गर्ल-फ्रैन्ड बनाना चाहता हूँ.. बनोगी क्या?
भाभी- ठीक है.. पहले मेरी ब्रा और पैन्टी वापस करो।
मैंने उन्हें दो जोड़ी नई ब्रा और पैन्टी खरीद कर दे दी। जिसे देखकर वो बहुत खुश हुई।
मैं हमेशा उसी समय जाता था.. जब उसका पति घर पर नहीं होता था।
एक दिन मैं आफिस से घर आया तो देखा उनका बेटा हमारे मकान में आया था, इसका मतलब आज भाभी घर पर अकेली थीं, मेरा काम बन सकता था, मैं चुपचाप उनके घर चला गया।
भाभी- अरे तुम इस वक्त यहाँ कैसे?
मैंने कहा- भाभी तुम्हारी याद आ रही थी.. इसलिए आफिस से तुम्हें मिलने आ गया।
भाभी- ठीक है तुम बैठो.. मैं नहा कर आती हूँ।
वो नहाने चली गई। मैंने फटाफट घर के सारे खिड़कियाँ व दरवाजे बंद किए और बाथरूम के दरवाजे की दरार से उन्हें नहाते हुए देखने लगा।
वो पूरी नंगी होकर नहा रही थी और साबुन को बार-बार अपनी चूत पर और चूचियों पर रगड़ रही थी.. इसके साथ ही कभी वो अपनी उंगली चूत में डाल रही थी।
वह नहाते वक्त लगभग गरम हो चुकी थी।
मैंने बाहर से ही कहा- भाभी आपकी पीठ पर साबुन लगा दूँ क्या.. आप कहो तो पूरा नहला ही देता हूँ।
भाभी- ठीक है.. एक मिनट रूको।
उन्होंने फटाफट ब्रा और पैन्टी पहनी और दरवाजा खोल कर मेरी तरफ पीठ करके खड़ी हो गईं। मैं फटाफट अपने सारे कपड़े खोल कर बाथरूम में घुस गया। जिसका उन्हें पता नहीं था कि मैं उनके पीछे नंगा खड़ा हूँ।
मैं साबुन लेकर उनकी गर्दन व पीठ पर लगाने के बहाने सहलाने लगा, उन्हें मजा आ रहा था। मैंने जैसे ही हाथ नीचे लगाना चाहा.. वो मना करने लगी।
मैंने झटके उन्हें अपनी तरफ घुमाया और उन्हें किस करने लगा। पहले तो वो मुझे नंगा देखकर घबरा गई.. फिर मेरा खड़ा लण्ड देखा.. तो देखती ही रह गई।
बस मेरा काम हो गया था।
अब मैं कहाँ मानने वाला था, चुम्बन के साथ-साथ उनके दोनों मम्मों को लगातार दबाने लगा, वो गर्म होने लगी.. पर बार-बार कह रही थी- ना ना मत करो..
मैंने अपना एक हाथ उनकी चूत के ऊपर फिराना शुरू कर दिया.. तो वह और गरम हो गई व अजीब सी आवाजें निकालने लगी।
फिर वह मेरा साथ देने लगी व मुझे भी चूमने लगी, मैं पैन्टी के अन्दर हाथ डालकर उनकी चूत सहलाने लगा।
उनकी चूत पानी छोड़ने लगी थी, मैंने चूत में उंगली करनी शुरू कर दी, उन्हें मजा आने लगा.. वो जोर-जोर से आवाजें निकालने लगी।
वो बोली- प्लीज राज.. अब मत करो.. मैं पागल हो जाऊँगी।
मैंने उन्हें भी नंगा किया और उनके पूरे शरीर को साबुन के झाग से भर दिया। उन्होंने भी मेरा लण्ड पकड़ लिया और लण्ड चूसने लगी।
मेरा बुरा हाल हो गया था.. इसलिए मैंने उन्हें वहीं फर्श पर लिटाया और उनके ऊपर आ गया।
मैंने लण्ड को चूत के दरवाजे पर रखकर एक जोरदार धक्का मारा.. वो चिल्ला उठी।
वो बोली- राज.. आराम से.. आज बड़े दिनों बाद चुद रही हूँ।
मैंने उनकी एक ना सुनी व लगातार धक्के लगाने लगा। उनके पूरे शरीर पर साबुन लगे होने के कारण पूरा कमरा ‘फच्च.. फच्च..’ की आवाज से गूजने लगा।
वो लगातार चिल्लाए जा रही थी और पूरा मजा भी ले रही थी। थोड़ी ही देर में उसका दर्द कम होने लगा और वो नीचे से चूत उछालने लगी, उसे चुदने में बड़ा मजा आ रहा था, वो चुदते समय बहुत आवाज निकाल रही थी.. इसलिए मजा दुगुना आ रहा था।
कुछ देर के तूफान के बाद दोनों एक साथ ही अपने चरम पर पहुँच गए और मैंने अपने माल से उसकी चूत भर दी।
मैंने कहा- कैसा लगा भाभी.. आपको मजा आया या नहीं?
भाभी- बहुत मजा आया.. मुझे पता था कि तुम मुझे चोदना चाहते हो.. इसीलिए बार-बार मेरे घर के चक्कर लगा रहे हो। मुझे भी एक घर का ही लण्ड चाहिए था.. बाहर चुदने में मेरी बदनामी हो सकती थी। अब तुम मुझे रोज चोदना.. मैं कब से प्यासी थी। मैं तुम्हारे बच्चे की माँ बनना चाहती हूँ। मुझे अपने जैसा बच्चा दे दो। मेरे पति की कल से रात की डयूटी है। कल से तुम रात में यहीं सोना।
मैंने फटाफट उसकी एक बार और चुदाई की और कमरे में वापस आ गया।
अगले दिन मैंने मकान-मालिक के बड़े भाई.. जो मेरे वाले मकान में ही रहता था.. को बता दिया कि मेरे एक दोस्त की तबियत खराब है.. इसलिए मुझे कुछ दिन रात को उसी के घर में ही रहना पड़ेगा।
अब तो रात होते ही मैं उनके घर चले जाता और पूरी रात उन्हें जमकर चोदता। एक महीने के अन्दर ही वो प्रेग्नेंन्ट हो गई। इस बीच उन्होंने एक-दो बार अपने पति से भी चुदवाया.. ताकि उसे शक ना हो।
आज उनके घर में मेरे रस से उत्पन्न एक सुन्दर बेटी है.. जो पूर्णतः स्वस्थ है। बेटी आने के बाद उनकी अपने पति से भी अच्छी बनने लगी है इसलिए मैंने उनके पास जाना बंद कर दिया।
मेरी वजह से किसी का घर बस गया.. मुझे तो बस इस बात की खुशी है।
वह जब भी अपने माँ-बाप के घर आती थी तो मुझे बड़े गौर से देखती थी, वह देखने में बहुत ही शरीफ लगती थी, उसका बातचीत का तरीका भी बहुत अच्छा था, यहाँ आने पर मेरे से भी अच्छी-अच्छी बातें करती थी।
मेरा भी उसके प्रति कोई गलत विचार नहीं था.. पर एक दिन मेरा विचार बदल गया।
हमारे छत पर भी एक टायलेट है। एक बार वह कुछ दिनों के लिए यहाँ आई थी। नीचे के टायलेट में शायद कोई गया हुआ था.. तो मैं ऊपर छत पर चला गया। वहाँ कम ही कोई जाता था.. क्योंकि उसके दरवाजे की कुंडी नहीं लगती थी।
जैसे ही मैंने टायलेट का दरवाजा खोला.. तो देखा वो टायलेट में पजामा नीचे कर मूतने बैठी थी, उसका मुँह मेरी ही ओर था।
दरवाजा खुलते ही मेरी नजर सीधी उसकी चूत पर ही पड़ी जो सीटी की आवाज के साथ पेशाब बाहर निकाल रही थी।
मुझको देखते ही वह एकदम से खड़ी हो गई और अपना पजामा ऊपर खींचने लगी.. पर घबराहट में उसका पजामा नीचे गिर गया। अब तो वह पूरी नीचे से नंगी मेरे सामने थी।
उसकी नजर शरम से नीचे झुक गईं, उसने अब पजामा उठाने की भी कोशिश ना की।
मैंने उसकी पैन्टी व पजामा ऊपर उठाया और उसे कमर में बांध दिया। इसी बीच मैंने हाथ से थोड़ी सी उसकी चूत भी सहला दी। वो नजरें नीचे किए हुए थी।
यह सब देखकर मेरा लण्ड खड़ा हो गया था। मैंने अपना खड़ा लण्ड उसी के सामने बाहर निकाला और मूतने लगा।
पेशाब गिरने की आवाज सुनकर उसने अपनी नजरें ऊपर की और मेरे खड़े लण्ड को देखा और फिर नजरें झुका लीं।
उसको अपना खड़ा लण्ड दिखाने से मेरा काम हो गया था.. इसलिए मैं बिना देरी किए टायलेट से बाहर आ गया और छत पर उसका इन्तजार करने लगा।
वो पास आई तो मैंने उसे बोला- घबराओ मत.. मैं किसी को नहीं बताऊँगा कि मैंने तुम्हें नंगी देखा।
वो बोली- प्लीज किसी को मत बताना कि तुमने क्या देखा।
मैंने कहा- वैसे तुमने भी तो मेरा देखा था.. इसलिए हिसाब बराबर हो गया। सच कहूँ तुम्हारी ‘वो’ बहुत सुन्दर है.. एक बार और देखना चाहता हूँ, फिर कब दिखाओगी।
वो होंठ चबाते हुए बोली- तुम्हारा भी तो सुन्दर है।
फिर वह शरमा कर भाग गई।
अब तो पक्का हो गया था कि वह बहुत जल्दी ही चुदने वाली है.. पर उसी रात चुदेगी.. यह पता नहीं था।
मैं बाथरूम की तरफ खुलने वाले दरवाजे पर कुंडी नहीं लगाता था.. ताकि रात में उसके खुलने की आवाज से किसी को परेशानी ना हो। यह बात उसे भी पता थी।
रात में खा पीकर मैं अपने कमरे में सो गया। आधी रात में मुझे अपनी टाँगों पर कुछ रेंगता सा महसूस हुआ। वह किसी का हाथ था.. जो धीरे-धीरे मेरे लण्ड की ओर बढ़ रहा था।
मैंने सोने का नाटक करना ही ठीक समझा। उसने धीरे से मेरा पजामा खोल दिया और मेरे लण्ड को सहलाना शुरू किया।
तभी अचानक उसने मेरे लण्ड को मुँह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चूसना चालू कर दिया।
अब मेरी हालत बुरी हो चली थी, लण्ड फुंफकार मार रहा था, जब मुझसे रहा नहीं गया.. तो एक झटके में उठ गया।
मैं अनजान बनते हुए बोला- तुम मेरे कमरे में क्यों आई हो.. और ये सब क्या कर रही हो?
वो धीरे से कान में बोली- राज लेटे रहो.. तुम्हें मजा आ रहा है ना..!
मैंने कहा- बात मजे की नहीं है… किसी को पता चल गया तो?
वो बोली- अरे मैं यहाँ किसी को बताने के लिए थोड़ी आई हूँ.. बस तुम लेटे रहो और मुझे लण्ड चूसने दो।
मैंने मजे लेने के लिए कहा- पर मैं ये सब तुम्हारे साथ नहीं कर सकता।
वो बोली- साले राज.. अब नाटक मत करो और मुझे रोको मत.. सुबह से जब से तुमने मुझे नंगी और मैंने तुम्हारा लण्ड देखा है.. तब से मैं पागल सी हो गई हूँ। अब तो मुझे तुमसे चुदना है बस.. मैं अपने पति से बहुत दिनों से नहीं चुदी हूँ.. तुमने मेरी प्यास बढ़ा दी है.. अब चोद दो मुझे.. देर ना करो।
वो लगातार मेरा लण्ड सहलाए जा रही थी।
जब वो खुद चुदना चाह रही थी.. तो मैंने भी देरी करना ठीक नहीं समझा, मैंने उसे चित्त लिटाया और उसका कुर्ता ऊपर को उठा दिया.. जिससे उसकी चूचिया नंगी हो गईं, पजामी व पैन्टी को पैरों से अलग कर दिया, अपने भी कपड़े उतारे व थोड़ी देर उसकी चूत सहलाई और जब वह बहुत गरम हो गई तो खुद ही बोल पड़ी- आह्ह.. राज अब देर मत करो.. इसस्स.. चोद डालो मुझे..
मैंने उसकी चूत व अपने लण्ड पर खूब थूक लगाया और उसके ऊपर आकर लण्ड को चूत पर दबाने लगा। जल्दी ही वह पूरा लण्ड चूत में निगल गई।
धीरे-धीरे उसकी चुदाई शुरू हो गई.. वो भी मस्ती में हल्की-हल्की कामुक आवाजें निकाल रही थी।
मैं भी शोर कम हो इसलिए उसकी चूत की आराम से रगड़ाई कर रहा था। टाइम ज्यादा लेने के कारण दोनों को ही खूब मजा आ रहा था। कभी मैं उसके ऊपर.. तो कभी वो मेरे ऊपर आकर चुद रही थी।
अब मैंने उसे अपने बगल में लिटाया और पीछे से अपना लण्ड उसकी चूत में डाला। मेरे हाथ में उसकी चूचियां थीं मैं उन्हें बेदर्दी से मसलकर तेज-तेज उसकी चूत में धक्के लगाने लगा।
इससे आवाज कम आ रही थी और स्पीड भी बढ़ गई थी। वो भी चुदने ही आई थी इसलिए खुद अपनी चूत का दबाव हर धक्के में मेरे लण्ड पर दे रही थी। जैसे ही मुझे लगा कि वो झड़ने वाली है.. मैंने भी तेजी से लण्ड पेलना शुरू किया।
थोड़ी ही देर की तेज रगड़ाई में ही उसके साथ ही मैंने भी अपना सारा माल उसकी चूत में भर दिया। वो मेरे बगल में ही लेटी रही।
वो बोली- राज मेरी एक बच्ची होने पर भी मैंने आज तक इतनी देर तक चुदाई नहीं की.. तुमने बहुत मजा दिया। सुबह जब तुमने मेरी चूत सहलाकर मुझे अपना लण्ड दिखाया था.. तब से ही मेरी चूत चू रही थी। इस निगोड़ी को.. तुम्हारी जोरदार चुदाई के बाद अब शांति मिली है.. जल्दी से एक बार और चोद दो मुझे.. कहीं बच्ची ना जाग जाए।
मैंने एक बार और उसकी चूत मारी और फिर वह अपने कमरे में चली गई। वह जितने दिन भी यहाँ रही.. उतने दिन मैंने उसे जमकर चोदा।
उसी की मदद से कैसे मैंने उसकी छोटी बहन को माँ बनाया.. यह कहानी भी जल्दी ही आपकी नजर करूँगा।
इस घटना में उनकी शादीशुदा छोटी बेटी रेखा की चुदाई की दास्तान है.. जिसकी उम्र 23 साल की थी.. और उसकी शादी को तीन साल हो गए थे.. पर अभी तक कोई बच्चा नहीं हुआ था।
अगली बार जब बड़ी बहन रश्मि, जो मुझसे चुद चुकी थी, दिल्ली आई तो उसके साथ वो भी आई थी।
रेखा कुछ ज्यादा ही शर्मीली थी, किसी से कुछ नहीं बोलती थी, यहाँ भी दिन भर घर के कामों में ही लगी रहती थी, अपने आप में ही गुमसुम रहती थी।
रात को जब उसकी बड़ी बहन अपनी चूत चुदाने के लिए मेरे कमरे में आई तो उसे चोदते हुए मैंने पूछा- तुम्हारी छोटी बहन गुमसुम सी रहती है.. कुछ परेशानी है क्या उसे?
वो बोली- हाँ.. वह बहुत परेशान है, सारा काम करना जानती है, सभी की सेवा भी करती है.. पर तीन साल होने पर भी अभी कोई बच्चा नहीं हुआ है.. तो उसकी सास उसे ताने मारती है और अपने बेटे की दूसरी शादी कराने की बात करती है।
मैंने बोला- तो इसमें क्या बड़ी बात है, बच्चा पैदा कर ले.. तो सास खुश हो जाएगी ना..
वो नीचे से चूतड़ को उछाल कर लण्ड खाने की कोशिश करते हुए बोली- वो ही तो नहीं हो रहा है ना.. ये लोग बहुत कोशिश कर रहे हैं.. पर कामयाबी नहीं मिल रही है।
मैंने मजाक में कहा- एक बार मैं कोशिश कर लूँ.. शायद बच्चा हो जाए। उसने अपने पति के साथ तीन साल कोशिश कर ली.. अब एक बार मेरे साथ कोशिश कर ले.. शायद उसका काम बन जाए।
वो बोली- यह क्या कह रहे हो राज तुम? वो वैसी लड़की नहीं है।
मैं बोला- तो क्या मैं वैसा लड़का हूँ। मैं तो उसका घर बसाने के लिए कह रहा था। तुम ही सोच कर देखो उसका बच्चा हो जाएगा तो उसका घर बच जाएगा.. फिर उसकी सास अपने बेटे की दूसरी शादी कराएगी क्या?
वो बोली- वो कभी नहीं मानेगी और किसी को पता चल गया तो?
मैंने कहा- मनाने का काम तो तुम्हारा है। वैसे तुम इतने महीने से मुझ से चुदवा रही हो और अभी भी चुद रही हो इसका किसी को पता नहीं चला.. तो उसका क्या चलेगा। यह बात हम तीनों के बीच ही रहेगी।
वो उचकते हुए बोली- अच्छा चलो.. मैं उससे बात करती हूँ। अब मुझे लण्ड तो खाने दो.. जोर से चोदो.. कब से तड़प रही थी तुम्हारा लण्ड लेने को.. तुमसे महीने में एक दो बार चुदे बिना तो मुझे चैन ही नहीं आता.. अब डाल भी दो न.. फाड़ डालो मेरी चूत को..
मैंने लौड़ा पेल कर उसको चोद दिया.. पर उस रात मैंने उसकी बहन को दिमाग में रखकर उसकी चुदाई की।
अगले दिन एकान्त में उसने अपनी बहन से बात की, पहले तो वो मानी नहीं पर जब उसे बहुत मनाया तो वो मान गई।
उसने यह खुशखबरी मुझे बताई।
अब बहुत जल्दी ही उसकी छोटी बहन भी मुझसे चुदने वाली थी।
वो सलवार सूट पहनती थी और 23 साल की ही होने के कारण बिल्कुल कुंवारी लड़की जैसी ही लगती थी। उसे चोदने का तो अलग ही मजा आने वाला था, मैंने उसे माँ जो बनाना था।
मैंने उसे बताया कि वो माहवारी आने के बाद 15 दिन के लिए यहाँ रहने के लिए आए और अपनी सास को बताए कि इलाज के लिए जा रही है।
आने से पहले एक बार अपने पति से चुदवा कर आए और यहाँ से जाने के बाद भी अपने पति से चुदवाए.. ताकि उसे शक ना हो।
फिर इस बार तो मैंने उससे घुलने-मिलने के लिए उसकी बाहर से ही चूचियाँ व चूत सहलाई.. और उसे अपने लण्ड के दर्शन कराए.. ताकि अगली बार जब वह आए तो मुझसे शरमाए नहीं।
इस बार तो मैंने उसकी दीदी की चूत से ही अपने लण्ड का काम चलाया।
अगले दिन वो वापस चली गई व ठीक 10 दिन बाद फिर आ गई.. वह अपनी सास को दवा लेने का बताकर 15 दिन के लिए आई थी।
अब बस मुझे अपना काम करना था। मैं उसे पहली बार जरा दबा कर चोदना चाहता था.. जो मेरे कमरे में नहीं हो सकता था इसलिए मैंने अपने दोस्त के घर की चाभी ले ली।
मेरा दोस्त वह मार्केटिंग का काम करता था.. इसलिए ज्यादातर घर के बाहर ही रहता था। अगर घर आ भी जाए तो सुबह जल्दी निकल जाता था, वह अकेला ही रहता था और उसका घर जरा कोने में था.. इसलिए वहाँ कौन आ-जा रहा है.. इसका किसी को पता नहीं चलता था।
वह खुद उस कमरे में कितनी ही लड़कियों को बुला कर चोद चुका था। उस के घर से अच्छी इस चुदाई के लिए जगह हो नहीं हो सकती थी इसलिए मैंने उससे बात कर ली और उसने मुझे चाभी दे दी।
मैंने घर आकर रेखा को बता दिया कि तुम घर पर बता देना कि रोज कल से तुम मंदिर में जाकर ध्यान करोगी और तुम एक घण्टा रोज मंदिर में जाना भी ताकि कोई मंदिर में आकर पूछे भी.. तो वो भी ‘हाँ’ बोले।
मैं जब भी तुम्हें फोन करूँ तब तुम मंदिर के बाहर आ जाना। इस तरह तुम पर किसी को शक भी नहीं होगा। घर पर कुछ करूँगा.. तो हम फंस भी सकते हैं।
उसने वैसा ही किया।
मैंने भी 15 दिन की नाइट डयूटी लगा ली और यहाँ रेखा के बाप यानि मकान मालिक के भाई को भी बता दिया कि मैं सुबह दोस्त के घर पर ही नाश्ता करके आऊँगा।
मैं रात को डयूटी चला गया और अगले दिन दोस्त के घर जाकर उसका इन्तजार करने लगा।
एक घंटे बाद मैंने रेखा को फोन किया और 5 मिनट में मंदिर के बाहर मिलने को बोला।
वो बाहर ही मिल गई.. उसे मैं दोस्त के कमरे में ले गया और बता दिया कि कल से उसे रोज इसी टाइम पर यहाँ आ जाना है।
उसके बाद मैंने उसे बैठाया और उसकी टाँगें सहलाने लगा, फिर धीरे-धीरे चूचियाँ मसलने लगा।
जब वह गरम होने लगी तो उसकी चूत सहलाने लगा।
मैंने उसे गले लगा लिया और बोला- देखो मुझसे बिल्कुल भी मत शरमाना.. इन 15 दिनों के लिए समझना.. मैं ही तुम्हारा पति हूँ। तुम यहाँ चुदने आई हो इसलिए 15 दिन चुदाई ही और बस चुदाई ही तुम्हारे दिमाग में रहनी चाहिए। जब तुम खुल कर चुदोगी.. तभी तुम्हें चुदाई का असली मजा भी मिलेगा और साथ में एक प्यारा सा बच्चा भी मिल जाएगा।
वो बोली- मेरा बच्चा तो हो जाएगा ना? मैं यह सब बच्चे के लिए ही कर रही हूँ।
मैंने कहा- जरूर होगा, तुम्हारे से पहले भी एक को माँ बना चुका हूँ। जैसा मैं कहता हूँ.. बस 15 दिन तुम वैसा ही करती जाना। वैसे एक बात बताओ.. कभी तुम्हारे पति ने 15 दिन लगातार चोदा है तुम्हें?
वो बोली- नहीं.. वो तो हफ्ते में एक ही बार करते हैं.. वो भी कभी-कभी..
मैं बोला- तो अब देखो.. इन 15 दिनों में मैं तुम्हारी चूत में इतना माल भरूँगा कि तुम्हारी चूत को मजबूरन बच्चा देना ही पड़ेगा.. बस तुम मेरा साथ दो।
वो बोली- इसी लिए तो राज यहाँ आई हूँ, मुझे निराश मत करना.. मेरी इज्जत तुम्हारे ही हाथ में है।
मैं बोला- चलो फिर काम शुरू करते हैं।
अब हम दोनों ने फटाफट अपने कपड़े उतारे और जल्द ही हम दोनों नंगे हो गए।
वो अभी भी शरमा रही थी।
मैंने उसे गरम करना शुरू किया.. अपनी बाँहों में भरकर उसे किस करने लगा और एक हाथ से उसकी चूत सहलाने लगा।
जब वो गर्म हो गई.. तो मेरा साथ देने लगी, वो नीचे के बाल बना कर आई थी, चूत बिल्कुल साफ-सुथरी व चिकनी थी, वो पूरी तैयारी के साथ चुदने आई थी।
मेरा लण्ड उसकी चूत की दीवारों से बार-बार टकरा रहा था।
थोड़ी देर में ही उसकी चूत गीली हो गई।
जैसे ही मैंने उंगली उसकी चूत के अन्दर डाली.. उसकी सिसकारी निकल गई।
मैंने उसकी चूचियां मसलते हुए कहा- तुम्हें मजा तो आ रहा है ना..
वो बोली- हाँ.. बहुत मजा आ रहा है ऐसे ही करते रहो।
मैंने थोड़ी देर सहलाने के बाद उसके आगे अपना लण्ड कर दिया।
मैं बोला- इसे अपने मुँह में लेकर चूसो।
वो बोली- नहीं.. मुझे यह अच्छा नहीं लगता।
मैंने कहा- अरे यही तो असली चीज है.. यह जितना खिला रहेगा.. तुम्हें उतना ही मजा देगा। इसी का तो सारा खेल है.. तुम उसे चूस कर खुश करो और ये तुम्हें चोद-चोद कर खुश करेगा। चलो.. अब जल्दी करो।
वो बोली- नहीं.. इसका स्वाद अच्छा नहीं होता है।
मैंने कहा- बस इतनी सी बात.. ये लो अभी इसका स्वाद बदल देता हूँ।
मैंने दोस्त की रसोई से शहद लाकर लण्ड पर अच्छे से चुपड़ दिया और लण्ड उसके मुँह में ठूंस दिया।
पहले उसने लण्ड पर जीभ लगाई फिर पूरा लण्ड मुँह में ले लिया। शहद का स्वाद काम कर गया.. वह मजे से मेरे खड़े लौड़े को चूसने लगी।
अब मुझे भी कन्ट्रोल नहीं हो रहा था तो मैंने उसे लिटा दिया और उसकी टाँगें फैलाकर चूत पर लण्ड लगाया और एक धक्का लगाया।
उसकी चूत टाइट थी इसलिए आधे में ही लण्ड फंस गया.. उसकी चीख निकल गई।
वो बोली- आहहह.. आराम से.. मार डालोगे क्या.. बहुत दर्द हो रहा है।
मैंने कहा- तुम्हारी चूत तो बहुत टाइट है, तुम्हारा पति तुम्हें नहीं चोदता क्या?
वो बोली- उनका वो जरा छोटा है.. फिर वो जरा सा फुदक कर ही जल्दी खलास हो जाते हैं |
मैंने सोचा आज तो मजा आ जाएगा.. साली शादी के इतने साल बाद भी इतनी टाइट चूत है..
मैंने उससे कहा- कोई बात नहीं.. आज मैं तेरी पूरी चूत खोल दूँगा।
मैंने एक बार लण्ड बाहर निकाल कर उसकी चूत व अपने लण्ड पर ढेर सारा थूक लगाया और फिर पूरी ताकत से धक्का लगाया.. साथ में उसके मुँह में हाथ भी रख दिया।
वो चिल्लाने लगी.. उसकी आखों से आंसू निकल आए, वो बोली- आहहह मरररर गई.. बाहर निकालो इसे.. मुझे नहीं चुदवाना.. तुमने मेरी चूत ही फाड़ दी।
मैं बोला- कुछ नहीं होगा.. तुम्हारे पति वाला काम भी मुझे ही करना पड़ रहा है। अब दर्द नहीं होगा। थोड़ा सहन कर लो बस।
मैंने उसकी रसीली चूचियां मसलनी शुरू कर दीं और उसे किस करता रहा। जब दर्द थोड़ा कम हुआ तो मैं हल्के-हल्के धक्के लगाने लगा।
सच में रेखा की चूत बहुत टाइट थी इसलिए उसे अब भी दर्द हो रहा था। मैंने स्पीड बढ़ाई तो वो फिर कराहने लगी- आहह.. आहहह.. नहीं राज.. नहीं ओहहह.. ओहहह.. सीईई.. आइइइइ..
वो कराहती रही और मैं पलता रहा.. धीरे-धीरे उसे भी मजा आने लगा, वो भी मेरा साथ देने लगी।
‘आहहह.. आहह.. तेज.. राज औरर.. तेज.. चोदद दो मुझे.. ओह औरर तेज..’
मैंने रफ्तार पकड़ ली और कमरे में उसकी कराहें गूंजने लगीं।
मैं बार-बार आसन बदल-बदल कर उसे चोदे जा रहा था। इसी बीच वो दो बार झड़ गई। उसकी हालत बुरी थी.. पर मुझे तो बहुत दिनों बाद इतनी टाइट चूत मिली थी.. इसलिए मेरा मन नहीं भरा था, बस उसे धकापेल चोदना ही चाहता था।
आखिर कब तक… अंत में मैंने उसकी चूत पर पिचकारी छोड़ ही दी जिससे उसकी चूत लबालब भर गई।
जैसे ही मैंने लण्ड बाहर निकाला उसकी चूत से वीर्य बाहर को बहने लगा।
मैंने उसका दूध मसकते हुए कहा- कहो मेरे साथ तुम्हारी चुदाई कैसी रही?
वो हांफते हुए बोली- तुमने तो मेरी नस-नस ही दुखा दी.. आज तक मैं कभी इतनी बुरे तरीके से नहीं चुदी। मेरी चूत की असली चुदाई तो आज ही हुई है।
मैं बोला- जानेमन.. अब तो तुम्हारी ऐसी चुदाई रोज ही होगी। बस रोज टाइम पर आ जाना।
मैंने उसे एक बार और चोदा और घर भेज दिया। एक घंटे बाद मैं भी कमरे में आ गया। अब तो यह रोज का नियम हो गया। मैंने उसे सभी तरीके से खूब जमकर चोदा। रोज वीर्य उसी की चूत में भरता था। उसकी गाण्ड भी मारी।
फिर 15 दिन बाद वो अपने घर वापस चली गई।
एक महीने बाद उसने खबर दी कि वो गर्भवती है। उसकी सास व उसके पति बहुत खुश थे। यहाँ उसके माँ-बाप भी बहुत खुश थे कि बेटी की सुबह की पूजा का फल मिल गया।
वो तो उसे मिलना ही था उसने 15 दिन मेरे लण्ड की खूब सेवा और पूजा जो की थी.. जिसका फल उसकी कोख में था।
ठीक 9 महीने बाद वह एक बेटे की माँ बन गई। उसके बाद मैंने उसे नहीं चोदा। क्योंकि अब मेरी नजर उसकी सबसे छोटी बहन पर थी जो अभी अभी जवान हुई थी।
मैंने उस कली को फूल कैसे बनाया। यह कहानी भी जल्दी ही आपकी नजर करूँगा।