उन सभी को मेरा ‘हाय हैलो’ दोस्तो.. जो bhauja के नियमित पाठक हैं। मेरा नाम ऋषि है.. प्यार से सभी रिशु बुलाते हैं। मैं दिल्ली में रहता हूँ और अभी अपना खर्चा निकालने के लिए नौकरी करता हूँ। मेरी उम्र 22 साल है.. मेरा कद 5’8″ है और दिखने में भी ठीक-ठाक ही हूँ।
यह मेरी पहली कहानी है। बात उन दिनों की है.. जब पड़ोस की भाभी से मेरी नजदीकियाँ बढ़ने लगी थीं। उनका नाम है अंजलि.. उनकी फिगर क्या कहूँ.. बिल्कुल परी.. 34-28-36 का मादक जिस्म.. यह नाप उन्होंने मुझे मेरे पूछने पर खुद बताई थी।
उनका हमारे घर पर आना-जाना लगा रहता था। मैं भी उनके घर जाता रहता था।
उनके पति एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी में काम करते थे.. तो वे भाभी को कम ही समय देते थे। इस कारण उनकी और मेरी अक्सर बातें हुआ करती थीं.. शाम को कॉलोनी के गार्डन में भी अक्सर हम मिलते थे। हम बिल्कुल दोस्तों की तरह हर बात एक-दूसरे से शेयर करने लगे थे। मुझे भाभी बहुत अच्छी लगने लगी थीं।
मेरी पहले एक गर्लफ्रेंड थी.. जिससे ब्रेकअप हो गया था। अपनी सेक्स की प्यास बुझाने के लिए मैं अकेले में मुठ्ठ मारने लगा था.. पर अब मैं किसी को चोदना चाहता था।
मुझे भाभी पसंद तो थी हीं.. मैंने सोचा क्यों ना इन्हीं पर लाइन मार के देखा जाए.. क्या पता बात बन जाए और लण्ड की प्यास भी बुझ जाए।
एक दिन मौका देख कर मैंने भाभी का हाथ पकड़ कर ‘आई लव यू’ I Love You कह दिया और भाभी नाराज होने की जगह मुस्कुरा उठी।
मैं भी समझ गया.. कि हंसी तो फंसी..
अब मैंने उन्हें सोफे पर अपने पास बिठाया और उनका हाथ पकड़ उस पर किस किया। भाभी ने अभी भी कुछ नहीं कहा.. तो मेरी हिम्मत और बढ़ गई।
मैं भाभी के और करीब जाकर बैठ गया और अपना एक हाथ उनके गालों पर रख कर सहलाने लगा.. मैं दूसरे हाथ से उनकी जांघ को सहला रहा था।
भाभी भी गर्म होने लगीं.. तो मैंने भी मौका देख कर अपने होंठ उनके होंठों पर रख दिए और जोर-जोर से उन्हें चूसते हुए किस करने लगा।
अब अपने एक हाथ से मैंने उनकी मोटी-मोटी चूचियाँ दबानी शुरू कर दीं। भाभी भी मेरा पूरा साथ दे रही थीं और मेरे होंठों को ऐसे चूस रही थीं.. जैसे न जाने कब से प्यासी हों।
मैंने उनकी कुर्ती में हाथ डाल कर उनकी चूचियों की गोलियों का मजा लेना शुरू कर दिया।
यह कहानी आप bhauja डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
भाभी भी मेरा लण्ड मेरी पैंट के ऊपर से सहलाने लगीं। अब मैंने भाभी को अपनी गोद में उठा कर उनके बेडरूम में ले गया और बिस्तर पर पटक दिया।
फिर मैं उनके ऊपर लेट कर.. उनके होंठों को चूसने लगा और दोनों हाथों से उनकी चूचियाँ दबाने लगा।
भाभी आँखें बंद करके बस मजे ले रही थीं।
मैंने अब उनके कपड़े उतारने शुरू किए। उनकी कुर्ती और सलवार उतार दी और फिर खुद के सारे कपड़े उतार कर बिस्तर पर आ गया।
उनकी ब्रा के ऊपर से ही मैंने उनकी चूचियों को दबाना चालू रखा और अपना 7″ का लण्ड उनके हाथ में पकड़ा दिया।
कुछ देर में ही मैं उनके मुँह के पास आ गया.. और उनके मुँह में लण्ड डाल दिया। भाभी उसे बड़े प्यार से चूसने लगीं.. मैं भी उनके बालों में अपने हाथ डाल कर उनका मुँह अपने लण्ड पर आगे-पीछे करने लगा।
फिर मैंने उनकी ब्रा में अपना लण्ड घुसा दिया और उनकी चूचियाँ चोदने लगा, भाभी भी मेरे पेट पर किस कर रही थीं।
अब मैंने भाभी के दोनों कबूतरों को उनकी ब्रा में से आजाद कर दिया और उनके गुलाबी निप्पलों को चूसने लगा।
मैंने उनके मस्त निप्पलों को अपने होंठों से दबा लिया और प्यार से चूसने लगा.. और दांतों से काटने भी लगा।
अब मैंने भाभी को.. उनकी कच्छी उतार कर उन्हें नंगा कर दिया और चूमते हुए होंठों से चूत तक आ गया। उनकी चूत बिल्कुल चिकनी थी.. उनकी गुलाबी.. नरम सी.. चूत देख कर ऐसा लग रहा था.. जैसे कई दिनों से चुदी नहीं हो।
मैंने अपनी जीभ उनकी चूत पर फेरना शुरू कर दिया और भाभी भी मजे से टांगें पसार कर मुझसे अपनी चूत चटाने लगीं। उनकी चूत की महक और स्वाद मुझे पागल कर रही थी और मैं जोर-जोर से उनकी चूत को चूस रहा था।
‘आह.. ओहह.. आहह.. आह हाँ.. मेरे राजा.. चूस लो.. मेरी चूत की खाज मिटा दे.. इसकी प्यास आह्ह.. आहह अह्हहाह..’
भाभी मजे में बुदबुदा रही थीं और मैं भी अपनी जीभ उनकी चूत में डाल कर अन्दर-बाहर कर रहा था।
दस मिनट तक हम ऐसे ही लगे रहे.. फिर हम 69 की पोजीशन में हो गए और अब भाभी मेरा लण्ड और मैं उनकी चूत को चूस रहा था।
मैं भाभी को पूरा मजा देना चाहता था.. इतना कि वो मेरे लण्ड लेने को हमेशा बेताब रहें।
बीस मिनट तक हम एक-दूसरे के ऊपर-नीचे होते रहे। हम दोनों ही झड़ने वाले थे तो मैंने अपना लण्ड भाभी के मुँह से निकाला और उनकी चूत को उंगलियों से चोदते हुए चूत के दाने को चूसने लगा, चूत पर अपना थूक लगा कर उसे चाटने लगा और तभी भाभी का जिस्म अकड़ने लगा और उनकी ‘आहें’ बढ़ने लगीं, उन्होंने मेरा सिर अपनी चूत पर दबा लिया और जोरों से झड़ने लगीं और मैं उनकी चूत का सारा पानी पी गया।
मैंने चाट-चाट कर उनकी चूत को साफ़ कर दिया।
अब भाभी भी मेरा रस पीना चाहती थीं.. तो वो नीचे बैठ गईं और लण्ड को जोर से चूसने लगीं।
मेरा लण्ड पूरी मस्ती में था और जल्दी ही सारा रस भाभी के मुँह में बहने लगा.. जो उनके मुँह से बाहर आकर उनकी चूचियों पर भी गिरने लगा।
अब मैं और भाभी एक-दूसरे की बाँहों में ही लेट गए। भाभी अब शांत थीं.. पर मुझे कहाँ चैन था। इतने दिनों बाद तो चूत के दर्शन हुए थे.. चोदे बिना छोड़ कैसे देता।
मैं फिर से भाभी को गर्म करने लगा.. उसकी चूचियों और जिस्म से खेलने लगा और उन्हें मसलने लगा।
भाभी भी जल्दी ही गर्म हो गईं और दुबारा तैयार हो गईं। अब भाभी लण्ड लेना चाहती थीं और बिना देर किए मैंने भी उन्हें लेटा दिया और चूत में अपना लण्ड पेल दिया।
चूत काफी दिनों से चुदी नहीं थी.. तो काफी टाइट हो गई थी। मेरा लण्ड अभी 2″ ही जा पाया था।
मैंने जोर लगा कर एक और झटका मारा और पूरा लण्ड भाभी की चीख के साथ चूत में उतार दिया और अन्दर-बाहर करने लगा..इसके साथ ही मैं उन्हें किस करता.. कभी चूचियाँ चूसता..
भाभी पूरे मजे लेकर चुद रही थीं। मैं भी उन्हें पागलों की तरह चोद रहा था। भाभी भी मेरा साथ दे रही थीं.. वो भी नीचे से अपनी गांड उठा-उठा कर चुद रही थीं।
हम दोनों जैसे इस दुनिया से दूर अपनी ही एक दुनिया में थे।
अब मैंने भाभी को अपने ऊपर आने को कहा और वो मेरे लण्ड के ऊपर बैठ कर चुदने लगीं। मैं उनकी चूचियों को दबा रहा था.. जो उनकी तरह ही जोर-जोर से उछल रही थीं।
फिर मैंने भाभी को घोड़ी बनाया और पीछे से आकर उनकी चूत चोदने लगा।
अब भाभी झड़ने वाली थीं.. उन्होंने चादर को जोर से पकड़ लिया और झड़ने लगीं।
उनकी चूत के पानी से चादर भी गीली हो गई और पूरा कमरा ‘फचफच’ की आवाज से गूंजने लगा। फिर 5 मिनट में मैं भी उनकी चूत में ही झड़ गया और उनके ऊपर ही लेट गया।
करीब 20-25 मिनट हम ऐसे ही लेटे रहे। मैंने भाभी को उनकी गांड मारने की इच्छा बताई.. तो उन्होंने मना कर दिया।
थोड़ी देर बाद मैं अपने घर चला गया.. इस वादे के साथ कि जब भी मौका मिलेगा.. हम चुदाई करेंगे!
पर यह बस कुछ महीनों की ख़ुशी थी.. जो जल्दी ही खत्म हो गई। भैया का प्रमोशन हो गया और वो बंगलोर शिफ्ट हो गए। तब से किसी भाभी या आंटी का इंतजार है.. जो सेक्स के लिए मेरी ही तरह पागल हो और जो अपनी गांड भी मरवाना पसंद करती हो।
यह मेरी पहली कहानी है। बात उन दिनों की है.. जब पड़ोस की भाभी से मेरी नजदीकियाँ बढ़ने लगी थीं। उनका नाम है अंजलि.. उनकी फिगर क्या कहूँ.. बिल्कुल परी.. 34-28-36 का मादक जिस्म.. यह नाप उन्होंने मुझे मेरे पूछने पर खुद बताई थी।
उनका हमारे घर पर आना-जाना लगा रहता था। मैं भी उनके घर जाता रहता था।
उनके पति एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी में काम करते थे.. तो वे भाभी को कम ही समय देते थे। इस कारण उनकी और मेरी अक्सर बातें हुआ करती थीं.. शाम को कॉलोनी के गार्डन में भी अक्सर हम मिलते थे। हम बिल्कुल दोस्तों की तरह हर बात एक-दूसरे से शेयर करने लगे थे। मुझे भाभी बहुत अच्छी लगने लगी थीं।
मेरी पहले एक गर्लफ्रेंड थी.. जिससे ब्रेकअप हो गया था। अपनी सेक्स की प्यास बुझाने के लिए मैं अकेले में मुठ्ठ मारने लगा था.. पर अब मैं किसी को चोदना चाहता था।
मुझे भाभी पसंद तो थी हीं.. मैंने सोचा क्यों ना इन्हीं पर लाइन मार के देखा जाए.. क्या पता बात बन जाए और लण्ड की प्यास भी बुझ जाए।
एक दिन मौका देख कर मैंने भाभी का हाथ पकड़ कर ‘आई लव यू’ I Love You कह दिया और भाभी नाराज होने की जगह मुस्कुरा उठी।
मैं भी समझ गया.. कि हंसी तो फंसी..
अब मैंने उन्हें सोफे पर अपने पास बिठाया और उनका हाथ पकड़ उस पर किस किया। भाभी ने अभी भी कुछ नहीं कहा.. तो मेरी हिम्मत और बढ़ गई।
मैं भाभी के और करीब जाकर बैठ गया और अपना एक हाथ उनके गालों पर रख कर सहलाने लगा.. मैं दूसरे हाथ से उनकी जांघ को सहला रहा था।
भाभी भी गर्म होने लगीं.. तो मैंने भी मौका देख कर अपने होंठ उनके होंठों पर रख दिए और जोर-जोर से उन्हें चूसते हुए किस करने लगा।
अब अपने एक हाथ से मैंने उनकी मोटी-मोटी चूचियाँ दबानी शुरू कर दीं। भाभी भी मेरा पूरा साथ दे रही थीं और मेरे होंठों को ऐसे चूस रही थीं.. जैसे न जाने कब से प्यासी हों।
मैंने उनकी कुर्ती में हाथ डाल कर उनकी चूचियों की गोलियों का मजा लेना शुरू कर दिया।
यह कहानी आप bhauja डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
भाभी भी मेरा लण्ड मेरी पैंट के ऊपर से सहलाने लगीं। अब मैंने भाभी को अपनी गोद में उठा कर उनके बेडरूम में ले गया और बिस्तर पर पटक दिया।
फिर मैं उनके ऊपर लेट कर.. उनके होंठों को चूसने लगा और दोनों हाथों से उनकी चूचियाँ दबाने लगा।
भाभी आँखें बंद करके बस मजे ले रही थीं।
मैंने अब उनके कपड़े उतारने शुरू किए। उनकी कुर्ती और सलवार उतार दी और फिर खुद के सारे कपड़े उतार कर बिस्तर पर आ गया।
उनकी ब्रा के ऊपर से ही मैंने उनकी चूचियों को दबाना चालू रखा और अपना 7″ का लण्ड उनके हाथ में पकड़ा दिया।
कुछ देर में ही मैं उनके मुँह के पास आ गया.. और उनके मुँह में लण्ड डाल दिया। भाभी उसे बड़े प्यार से चूसने लगीं.. मैं भी उनके बालों में अपने हाथ डाल कर उनका मुँह अपने लण्ड पर आगे-पीछे करने लगा।
फिर मैंने उनकी ब्रा में अपना लण्ड घुसा दिया और उनकी चूचियाँ चोदने लगा, भाभी भी मेरे पेट पर किस कर रही थीं।
अब मैंने भाभी के दोनों कबूतरों को उनकी ब्रा में से आजाद कर दिया और उनके गुलाबी निप्पलों को चूसने लगा।
मैंने उनके मस्त निप्पलों को अपने होंठों से दबा लिया और प्यार से चूसने लगा.. और दांतों से काटने भी लगा।
अब मैंने भाभी को.. उनकी कच्छी उतार कर उन्हें नंगा कर दिया और चूमते हुए होंठों से चूत तक आ गया। उनकी चूत बिल्कुल चिकनी थी.. उनकी गुलाबी.. नरम सी.. चूत देख कर ऐसा लग रहा था.. जैसे कई दिनों से चुदी नहीं हो।
मैंने अपनी जीभ उनकी चूत पर फेरना शुरू कर दिया और भाभी भी मजे से टांगें पसार कर मुझसे अपनी चूत चटाने लगीं। उनकी चूत की महक और स्वाद मुझे पागल कर रही थी और मैं जोर-जोर से उनकी चूत को चूस रहा था।
‘आह.. ओहह.. आहह.. आह हाँ.. मेरे राजा.. चूस लो.. मेरी चूत की खाज मिटा दे.. इसकी प्यास आह्ह.. आहह अह्हहाह..’
भाभी मजे में बुदबुदा रही थीं और मैं भी अपनी जीभ उनकी चूत में डाल कर अन्दर-बाहर कर रहा था।
दस मिनट तक हम ऐसे ही लगे रहे.. फिर हम 69 की पोजीशन में हो गए और अब भाभी मेरा लण्ड और मैं उनकी चूत को चूस रहा था।
मैं भाभी को पूरा मजा देना चाहता था.. इतना कि वो मेरे लण्ड लेने को हमेशा बेताब रहें।
बीस मिनट तक हम एक-दूसरे के ऊपर-नीचे होते रहे। हम दोनों ही झड़ने वाले थे तो मैंने अपना लण्ड भाभी के मुँह से निकाला और उनकी चूत को उंगलियों से चोदते हुए चूत के दाने को चूसने लगा, चूत पर अपना थूक लगा कर उसे चाटने लगा और तभी भाभी का जिस्म अकड़ने लगा और उनकी ‘आहें’ बढ़ने लगीं, उन्होंने मेरा सिर अपनी चूत पर दबा लिया और जोरों से झड़ने लगीं और मैं उनकी चूत का सारा पानी पी गया।
मैंने चाट-चाट कर उनकी चूत को साफ़ कर दिया।
अब भाभी भी मेरा रस पीना चाहती थीं.. तो वो नीचे बैठ गईं और लण्ड को जोर से चूसने लगीं।
मेरा लण्ड पूरी मस्ती में था और जल्दी ही सारा रस भाभी के मुँह में बहने लगा.. जो उनके मुँह से बाहर आकर उनकी चूचियों पर भी गिरने लगा।
अब मैं और भाभी एक-दूसरे की बाँहों में ही लेट गए। भाभी अब शांत थीं.. पर मुझे कहाँ चैन था। इतने दिनों बाद तो चूत के दर्शन हुए थे.. चोदे बिना छोड़ कैसे देता।
मैं फिर से भाभी को गर्म करने लगा.. उसकी चूचियों और जिस्म से खेलने लगा और उन्हें मसलने लगा।
भाभी भी जल्दी ही गर्म हो गईं और दुबारा तैयार हो गईं। अब भाभी लण्ड लेना चाहती थीं और बिना देर किए मैंने भी उन्हें लेटा दिया और चूत में अपना लण्ड पेल दिया।
चूत काफी दिनों से चुदी नहीं थी.. तो काफी टाइट हो गई थी। मेरा लण्ड अभी 2″ ही जा पाया था।
मैंने जोर लगा कर एक और झटका मारा और पूरा लण्ड भाभी की चीख के साथ चूत में उतार दिया और अन्दर-बाहर करने लगा..इसके साथ ही मैं उन्हें किस करता.. कभी चूचियाँ चूसता..
भाभी पूरे मजे लेकर चुद रही थीं। मैं भी उन्हें पागलों की तरह चोद रहा था। भाभी भी मेरा साथ दे रही थीं.. वो भी नीचे से अपनी गांड उठा-उठा कर चुद रही थीं।
हम दोनों जैसे इस दुनिया से दूर अपनी ही एक दुनिया में थे।
अब मैंने भाभी को अपने ऊपर आने को कहा और वो मेरे लण्ड के ऊपर बैठ कर चुदने लगीं। मैं उनकी चूचियों को दबा रहा था.. जो उनकी तरह ही जोर-जोर से उछल रही थीं।
फिर मैंने भाभी को घोड़ी बनाया और पीछे से आकर उनकी चूत चोदने लगा।
अब भाभी झड़ने वाली थीं.. उन्होंने चादर को जोर से पकड़ लिया और झड़ने लगीं।
उनकी चूत के पानी से चादर भी गीली हो गई और पूरा कमरा ‘फचफच’ की आवाज से गूंजने लगा। फिर 5 मिनट में मैं भी उनकी चूत में ही झड़ गया और उनके ऊपर ही लेट गया।
करीब 20-25 मिनट हम ऐसे ही लेटे रहे। मैंने भाभी को उनकी गांड मारने की इच्छा बताई.. तो उन्होंने मना कर दिया।
थोड़ी देर बाद मैं अपने घर चला गया.. इस वादे के साथ कि जब भी मौका मिलेगा.. हम चुदाई करेंगे!
पर यह बस कुछ महीनों की ख़ुशी थी.. जो जल्दी ही खत्म हो गई। भैया का प्रमोशन हो गया और वो बंगलोर शिफ्ट हो गए। तब से किसी भाभी या आंटी का इंतजार है.. जो सेक्स के लिए मेरी ही तरह पागल हो और जो अपनी गांड भी मरवाना पसंद करती हो।