उसके मम्मे भरे हुए और एकदम गोल है उसके चूतड़ों का आकार भी बहुत ही मस्त है। हम लोग लखनऊ की एक आभिजात्य वर्ग की कॉलोनी में रहते हैं। हमारे फ्लैट के पास एक ज्वैलरी का बड़ा शोरूम है। उसका मालिक गजेन्द्र सिंह है। हम लोग अक्सर उसके शोरूम पर जाते रहते हैं। गजेन्द्र एक विवाहित मर्द है। उसकी बीवी मेघा भी उसके साथ ही शोरूम में रहती है। वो दोनों रंग-रूप में एक-दूसरे से उलट है। गजेन्द्र जहाँ एक शानदार गबरू जवान है.. वहीं मेघा एक दुबली-पतली मुरदैली टाइप की औरत है। गजेन्द्र गठीले और कसरती जिस्म का मालिक है।
मैं गजेन्द्र को देखकर बड़ा प्रभावित हो जाता था, उसकी मर्दानगी उसके रोम-रोम से टपकती थी। लेकिन मुझे ज़रा सा अंदाज़ा ना था कि गजेन्द्र की निगाह मेरी बीवी शबनम पर है। यह मैं कभी नहीं जान पाता.. लेकिन एक रात सारा भांड फूट गया। दरअसल दिल्ली की मेरी ट्रेन देर रात को थी। मैं स्टेशन पहुँच कर इंतज़ार करता रहा.. बाद में किसी वजह से ट्रेन ही कैंसिल हो गई। रात के दो बजे जब मैं वापस घर पहुँचा तो चौंक गया। मेरे घर के सामने गजेन्द्र की ऑडी कार खड़ी हुई थी।
अब मुझे सारा माजरा समझ में आ गया, मेरे दिल की धड़कन बढ़ने लगीं, मैंने अपने घर के दरवाजे की दूसरी चाबी निकाली.. जो मेरे पास होती है। दरवाजा खोल कर मैं चुपचाप अन्दर घुस गया। मैंने छुप कर जो अन्दर का नज़ारा देखा तो मेरी आँखें फट गईं.. वो पूरा वाकिया मैं आपको बता रहा हूँ। मेरे बेडरूम में गजेन्द्र और शबनम एकदम नंगे थे। गजेन्द्र सीधा खड़ा था उसका लंड पूरी तरह से खड़ा था। गजेन्द्र का लंड मेरे लंड से दोगुना लम्बा और कम से कम तीन गुना मोटा था।
शबनम उसके लंड के सामने घुटनों के बल बैठी हुई उसका लौड़ा सहला रही थी और चूम रही थी। गजेन्द्र आँखें बंद करके ‘आह.. आह..’ कर रहा था। वो दोनों बीच-बीच में कामुक बातें भी कर रहे थे। गजेन्द्र- शबनम मेरी जान.. तेरा लौड़ा चूसने में कोई जवाब नहीं.. तू पक्की रंडी का मज़ा देती है। जितनी औरतों को मैंने अब तक चोदा है.. तू ही उनमें नंबर वन है। शबनम- तुझसे चुद कर ही मैं शांत होती हूँ। तेरे लंड ने ही मुझे पहली बार औरत होने का एहसास कराया। मैं तो शादीशुदा होकर भी एक सच्चे मर्द के लंड की प्यासी थी। गजेन्द्र- तेरा खसम नामर्द साला भडुआ है बहन का लौड़ा।
शबनम- जानू, उसके लौड़े में वो ताक़त ही नहीं है। गजेन्द्र- रानी.. दुनिया की नज़र में तू उसकी बीवी है.. लेकिन तेरी चूत अब मेरी मिलकियत है। गजेन्द्र ने शबनम को उठा कर बिस्तर पर घोड़ी जैसा बना दिया। शबनम ने घोड़ी बनकर अपने मोटे चूतड़ों को पीछे की तरफ उठा दिया और दोनों जांघों को फैला लिया। अब शबनम चुदवाने को बेक़रार थी लेकिन गजेन्द्र उसको तड़पाने के मूड में था। ऐसे में शबनम की मोटी रसीली चूत साफ़ दिख रही थी। गजेन्द्र के चोदने से पहले ही उसकी चूत टपकने लगी थी। गजेन्द्र का लौड़ा और सख्त और मोटा हो गया था और काले भुजंग की तरह लपलपा रहा था।
मैं तो ये ही सोच कर गीला हो गया था कि बेचारी शबनम का क्या हाल होगा जब उसकी चूत में इतना मोटा मूसल घुसेगा। मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था। मैं चाह रहा था कि गजेन्द्र मेरी बीवी की चूत को कस कर चोद दे। गजेन्द्र तो असली खिलाड़ी था। शबनम अपनी गाण्ड हिला-हिला कर उसे चूत चोदने को उकसा रही थी। तभी गजेन्द्र ने उसकी गाण्ड दबोच ली और लौड़े की नोक से शबनम की चूत को रगड़ने लगा। शबनम मस्त होकर ‘उह.. उम्म.. आह आह..’ करने लगी। गजेन्द्र ने शबनम की गाण्ड पर दो-तीन चांटे मारे.. जिससे वो बिलबिला उठी। गजेन्द्र ने मेरी बीवी शबनम को पूरी तरह से जकड़ रखा था। अब उसने शबनम की दोनों टाँगों को पकड़ कर फैला दिया और एक बमपिलाट झटके से अपना लंड शबनम की चूत में पेल दिया। शबनम बड़े जोर से चिल्लाई- ऊई अम्मी रे.. आह.. उह.. फाड़ डाली रे आह..!
अब गजेन्द्र पूरी ताक़त से अपनी जवानी का जलवा दिखाने लगा। वो शबनम के ऊपर लगभग चढ़ सा गया और उसकी चूत में जोर-जोर से अपना लौड़ा ठेल रहा था। फच.. फच..’ की आवाज़ गूँज रही थी।
थोड़ी देर के बाद उसने अपना पानी शबनम की चूत में छोड़ दिया। तभी मेरा भी झड़ गया, मैं वाकयी खुश था।
शबनम की चूत चुदाई से मुझे बड़ी आत्मिक शान्ति मिली थी।
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