आईये मेरे प्यारे देवर आज कुछ नयी कहानी के साथ में आपकी सुनीता भाभी आप की Bhauja.com पर ढेर सारी प्यार को लेकर हर आंटी की चूत की कहानी के बाद ये जो कहानी हे एक मदद की बजे से दो दिलों की चाहत से चुदाई बानी । उमीद हे आपको अच्छा लगेगा । तो आगे कहानी को रेखा के अपने शब्दों में पढ़िए ।
अब रेखा मुझे अपने दिल की हर बात बेझिझक बताती थी। यह वाकया करीब 16 साल पहले का है। एक दिन वह आई तो उदास दिख रही थी, मैंने पूछा क्या बात है? उसने ‘कुछ नहीं…’ कह कर टालना चाहा। मेरे बार बार पूछने पर वह बोली- आप मेरी मदद नहीं कर पाओगे! मैंने उससे कहा- तुम मेरे लिए इतना कुछ कर रही हो, मैं तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकता हूँ, बोलो तो सही? तब उसने बताया कि बतरा साहब, जिनके यहाँ भी वह काम करती है, अब शहर छोड़ कर कहीं और जा रहे हैं। उसने मुझे कहा- आप तो जानते हैं कि मैं उनसे प्यार करती हूँऔर बहुत चुदाई भी करती हूँ। मैंने कहा- हाँ, मैं जानता हूँ और यह भी जानता हूँ कि वे कंपनी की तरफ से दो साल के लिए रशिया जा रहे हैं। रेखा बोली- दो साल तक मैं उनके बिना कैसे रहूंगी, मुझे तो उनसे चुदवाने की आदत लगी है और मेरा एक घर भी छूट जायेगा।
मैंने कहा- मैं तुम्हें दोनों बातों में मदद करूँगा, तुम सिर्फ बतरा साहब को बोल दो कि तुमसे कान्टेक्ट करने के लिए वे रशिया से मेरे इ-मेल और फोन का प्रयोग कर सकते हैं, और जहाँ तक काम के लिए एक और घर की बात है मैं वह भी देखता हूँ। यह सुनकर रेखा बहुत खुश हुईऔर उसने मुझे आलिंगन में लेकर चूमना चालू किया, मेरे लौड़े से प्रिकम रिसना शुरू हो गया था और लौड़ा तन गया था। रेखा भी उत्तेजित हो गईथी।
हम दोनों बेडरूम में गए और एक दूसरे के कपड़े उतार कर एक दूसरे के शरीर चूमने लगे। रेखा ने मेरे छलांग लगाते हुए लंड को चूसना चालू किया और मैंने उसके मम्मों को मसलना और चूमना चालू किया। फिर मैंने उसकी चूत को चूमना शुरू किया, उसकी चूत का चिकना और खारा पानी मैं चाटता रहा। रेखा ख़ुशी के मारे पागलों की तरह बोलती रही- चूसो, आपके जैसा प्यार करने वाला आदमी इस दुनिया में कहीं नहीं मिलेगा जो स्त्री के ऊपर अपना हक जमाये बिना बेझिझक अपनी स्त्री को दूसरे मर्द के साथ चुदाईकरने में मदद करे। मैंने कहा- मुझे इसमें बहुत आनन्द आता है और मैं उत्तेजित हो जाता हूँ। मैं तेरी दीदी (मेरी पत्नी) को भी अपने दोस्त के साथ चुदवाने में मदद कर चुका हूँ। दोस्त के साथ चुदवाने के बाद वो मेरे साथ दुगुने जोश के साथ चुदाई करती है, और मुझे ‘कैसे किया’ यह चुदाई के दौरान बताती है। मैंने उसे यह भी बताया कि ऐसा तभी होता है जब पति औरत को उसके पसंद के आदमी से चुदवाने दे। यह कह कर मैंने अपना लंड रेखा की चूत मेंडाला तो उसकी आह निकल गई।
मेरा लंड पिस्टन की तरह रेखा की चूत का मजा लेता रहा। फिर वह मुझे चित लेटाकर मेरे लंड के ऊपर बैठ गई और लंड को चूत के अंदर घुसा लिया, अपने दोनों हाथ मेरे सीने पर रख कर उसने अपने कूल्हों को ऊपर नीचे करना चालू किया, बीच-बीच में मेरे मुँह को चूमती कभी हम दोनों जुबान लड़ाते। काफ़ी देर बाद रेखा अपने कूल्हों को बहुत तेजी से घुमाने और अन्दर बाहर करने लगी, वह अपने चूतड़ों को इस तरह से घुमा रही थी कि लंड चूत के अन्दर जहाँ उसे सबसे ज्यादा आनन्द दे रहा था वहीं पर रगड़ करे। कभी कभी वह रुक कर चूत को खूब संकुचित कर लंड को निचोड़ लेती, इसी वक्त लंड को भी संकुचन से परम आनन्द मिलता था। इस तरह हम करीब एक घंटे तक चुदाई का आनन्द लेते रहे। बतरा रशिया जा चुके थे। जाने के एक माह बाद उनका मेल आया, उन्होंने रेखा का हाल पूछा था। इधर से मैंने रेखा के बारे में उन्हें बताया कि वह उनके लिए तन्हा रहती है। बतरा हर माह मेल से रेखा का हाल पूछ लेता था।
करीब एक साल के बाद बतरा ने मेल किया कि वह एक माह की छुट्टी पर भारत आ रहे हैं। वे अपने परिवार के साथ दिल्ली में रहेंगे और करीब तीन दिन के लिए प्लांट भी आयेंगे।
मैंने रेखा को बताया कि बतरा दो तीन दिन के लिए आ रहे हैं तो वह बहुत खुश हुई। उसने मुझे बतरा के साथ चुदाई का इंतजाम करने की जिद की। मैंने एक शर्त रखी कि बतरा के साथ चुदाई के बाद वह मुझे पूरा वाकया डिटेल में बताएगी। मैंने उससे यह भी पूछा कि तुम बतरा के साथ चुदाई के लिए इतनी आतुर क्यों होती हो? उसने बताया कि बतरा का लंड बहुत मोटा है हालांकि लम्बाई में मेरे लंड से कम है। लंड मोटा होने से चूत की पकड़ कसी होती है और घर्षण से चूत को बहुत अच्छा लगता है। मैंने उससे पूछा- मेरा लंड न तो मोटा ना ही बहुत लम्बा है फिर तुम मुझे क्यों इतना चाहती हो? रेखा ने कहा- औरत सिर्फ लंड की लम्बाईऔर मोटाई ही नहीं देखती। औरत को चरम सुख के लिए आदमी का विश्वास, औरत के प्रति उसका व्यवहार, इज्जत, कोमल स्पर्श और इच्छा पूर्ति आदि बहुत मायने रखते हैं। आप मेरी इज्जत करते हैं और तन, मन, धन से मेरी सहायता करते हैं, इसीलिए मेरे एक अच्छे दोस्त और प्रेमी हैं।
उसने आगे कहा कि जब पूर्ण समर्पित भाव से कोई स्त्री पुरुष के साथ चुदाई करती है तो दोनों को चरम आनन्द मिलता है, इसमे लंड का साइज़ कोई ज्यादा मायने नहीं रखता।
बतरा गेस्टहाउस में ठहरने वाले थे चूँकि वहाँ सब उन्हें जानते थे, चुदाई के लिए रेखा वहाँ नहीं जा सकती थी, इसलिए मैंने बतरा को सूचित किया कि वे अपनी प्लांट विजिट 20 से 25 तारीख के बीच रखे क्योंकि उन दिनों मेरे पत्नी एक शादी में दूसरे शहर में जाने वाली थी। मैंने रेखा को पूरी योजना बता दी। बतरा के आने के एक दिन पहले रेखा ब्यूटीपार्लर जाकर तैयार होकर मेरे यहाँ आई। रेखा अपने नए रूप में बहुत सुंदर लग रही थी। वैसे तो वह बहुत गोरी और सुंदर है, उसकी नशीली आँखें किसी को भी अपनी ओर खींच लेती हैं। उसका पूरा शरीर, मम्मे और चूत भी बहुत आकर्षकहैं।
उसने पूछा- कैसी लग रही हूँ?
मैंने कहा- स्वर्ग की अप्सरा लग रही हो।
फिर मुझे बोली- झांट के बाल साफ करने हैं।
मैंने कहा- वो तो मेरा पसंदीदा काम है।
यहाँ मैं बता दूँ कि मैं ही हमेशा उसके झांट के बाल साफ करता हूँ। बाल साफ करने के बाद हम दोनों ने बाथरुम में एक साथ स्नान किया, मैंने रेखा पीठ, चूत आदि को साबुन लगा कर साफ कियाऔर उसने मेरी पीठ और लंड को साबुन से धोया। अब हमने एक दूसरे को चूमना शुरू किया और टब में लेट गए। मेरा लंड सलामी देने लगा और रेखा की चूत पानी छोड़ने लगी, उसकी चूत की पंखुड़ियाँ उत्तेजना से बंद खुल रही थी। मैंने उसकी चूत को चूमना शुरू किया, रेखा मीठी चीत्कारें भरने लगी और मेरे लंड को कस के पकड़ कर मुठ मारने लगी। अब टब में पानी भरकर मैं टब में बैठ गया और रेखा को कहा- मेरे लंड को चूत में डाल कर मेरी गोदी में बैठ जा। इस तरह हमने पानी में चुदाई की। करीब 15 मिनट बाद हम झड़ गए। चूँकि घर में और कोई नहीं था हम दोनों बाथरुम से नंगे ही बाहर निकले, भोजन भी हमने नंगे ही किया। उसके बाद हम दोनों एक साथ नंगे लेट गएऔर फिर चुदाई की इस बार रेखा ने मेरे लंड पर बैठ के चुदाई की फिर हम दोनों नंगे सो गए। जब भी घर में मैं अकेला या रेखा और मैं ही अकेले रहते हैं तो हम नंगे ही रहते हैं। अगले दिन बतरा के आने के पहले मैंने रेखा को नहला दिया और उसके पूरे शरीर और चूत पर बोडी स्प्रे कर उसे तैयार कर दिया।
बतरा के आने के बाद रेखा ने चाय नाश्ता सर्व किया। बतरा अपने रशिया के अनुभव बता रहा था और रेखा बड़े कौतुहल से सुन रही थी। थोड़ी देर बाद मैंने दोनों से कहा- तुम लोग बेडरूम में जाकर बातें करो, इस बीच मैं आफिस जाकर आता हूँ। दोनों मुस्कुराते हुए अन्दर चले गए। जाते समय मैंने उनसे कहा- मैं बाहर से ताला लगा दूंगा जिससे तुम दोनों को कोई डिस्टर्ब न करे। मैं घर पर करीब 6 बजे लौटा। बतरा और रेखा चाय पर मेरा इंतजार कर रहे थे।
चाय नाश्ते के बाद बतरा वापस गेस्टहाउस चले गए। मैंने रेखा के चहरे पर एक मुस्कराहट और संतोष की झलक देखी, मैंने पूछा- कैसा रहा?
वह बोली- आपका बहुत बहुत धन्यवाद, आपकी मदद से आज मुझे जो आनन्द और सुख मिला उसे मैं बयाँ नहीं कर सकती।
मैंने उसे कहा- चुदाई में किसी की मदद करने में मुझे बहुत अच्छा लगता है। फिर मैं खुद दुगुने जोश और उत्तेजना के साथ चुदाई
करता हूँ। अब आज रात को तो तू यहीं मेरे साथ सोने वाली है, तब देखना।
वह बोली- मुझे भी ऐसा ही होता है।
रात को खाने के बाद हम दोनों फ्रेश होकर नंगे ही बिस्तर में लेट गए। मैंने रेखा से पूछा- मैं सात घंटे नहीं था, तुमने कितनी बार चुदाई की? ‘चार बार…’ वह बोली। और हमने बहुत बातें की। मैं रेखा की चूत लाइट की तरफ करके बोला- देखूँ तो! मैं रेखा की चूत की तरफ मुँह कर के उसके दोनों पैरों के बीच औन्धा लेट गया। उसकी चूत से अभी भी बतरा का थोड़ा वीर्य रिस रहा था।
मैंने चूत की फांके खोलीऔर अन्दर देखा पूरी योनि खिले हुए गुलाब की पंखुड़ियों जैसी गुलाबी दिख रही थी। एक गीले रुमाल पर एंटीसेप्टिक लगा कर मैंने चूत को पूरा साफ़ किया और दाना चूसना चालू किया। अब मैंने रेखा से कहा- बतरा के साथ तूने कैसी चुदाई की पूरा हाल बता! आगे का हाल रेखा के अपने शब्दों में पढ़िए अगले भाग में…
बतरा साहब कमरे में घुसते ही मेरे से लिपट गए, मुझे आगोश में लेकर बोले- मैं तुम्हें बहुत मिस करता था। कभी-कभी तो तुम्हारी याद में रात-रात भर जगता था। मैंने उनसे कहा- मुझे भी आपकी बहुत याद आती थी।
इस तरह बातें करते-करते हम एक दूसरे के कपड़े उतारने लगे। मुझे नंगी देख कर वे बोले- अभी भी पहले जैसी कमसिन हो। बतरा साहब मेरे मम्मो को देख कर उन्हें सहलाते रहे और मेरी दोनों चूचियों को मसलने लगे, तब तक मैंने उनका लंड पकड़ लिया जो अब तक तन कर गरम रॉड हो चुका था। लंड पकड़ कर मैंने उनसे कहा- आपका लंड तो और मोटा लग रहा है, वहाँ किसी मेम को भी चोदते थे क्या? उन्होंने कहा- हाँ, 3-4 बार मौका मिला था।
मैंने उनसे पूछा- क्या मेमों की चूत एकदम गोरी और टमाटर के रंग की होती है? उन्होंने कहा- हाँ और वे चुदाई में कोई शर्म नहीं महसूस करती। कहीं भी जैसे बाग में या फिर समुन्दर या नदी किनारे भी लोग चुदाई करते दिख जाते हैं। अब बतरा साहब बहुत उत्तेजित हो रहे थे, उन्होंने मुझे पलंग पर लेटा दिया और मेरे ओंठों से चूमना चालू किया।
हम दोनों के ओंठ आपस में लॉक हो गए। थोड़ी देर बाद वे मेरे कान गले और फिर चूचियों को चूमने लगे, मुझे बहुत मजा आ रहा था। धीरे धीरे वे मेरे पेट और फिर जांघों तक पहुँच गए।अंत में जब वे मेरे दाने को चूमने लगे तब मेरी चूत से पानी निकलने लगा और कमरा मेरी सीत्कारों से भर गया।
बीच बीच में मैं उनके लंड को पकड़ कर चूस लेती थी। अब उन्होंने मुझे पलंग पर लिटा दिया और खुद जमीन पर बैठ गए, थोड़ी देर फिर मेरी चूत को खोल कर देखते, सूंघते और चाटते रहे। बतरा साहब अपने साथ श्रीखंड लेकर आये थे उन्होंने श्रीखंड मेरी चूत पर चुपड़ दिया और चूत चाटने लगे। उत्तेजनावश मैं झड़ गई। वे बोले जा रहे थे- वाह रेखा, तेरे सेंट् की खुशबू और चूत के नमकीन पानी के साथ श्रीखंड चाटने में मजा आ रहा है। अब बतरा साहब ने श्रीखंड अपने लंड पर लगाया और लंड मेरे मुँह में डालदिया। मैं श्रीखंड चाटती रही, उसके साथ लंड का प्रिकम भी मेरे मुंह में जा रहा था, दोनों का मिला जुला स्वाद बहुत उत्तेजक था। अब मुझसे नहीं रहा गया, मैंने उनसे कहा- अब चूत को ज्यादा मत तड़पाओ, अपना मोटू जल्दी अन्दर डालो। बतरा साहब ने अपने लंड को चूत के अन्दर डालना शुरू किया, मेरी चूत उनके लंड को कस कर पकड़ने लगी। लंड मोटा होने से जब भी वह अन्दर बाहर होता पट-पट आवाज होती।
जैसे-जैसे चुदाई तेज होती गई, चूत लंड को कस कर पकड़ती गई। बतरा साहब बोले जा रहे थे- वाह रेखा, लंड पर कुंवारी चूतजैसी पकड़ है। इस तरह काफ़ी बाद हम दोनों झड़ गए। इसके बाद हम दोनों ने अलग-अलग आसनों में तीन बार और चुदाई की।
सोने से पहले मैंने रेखा को कहा- कल इतवार है, बतरा से चुदाई के वक्त मैं घर पर ही रहूँगा, तुम्हें दो काम करने हैं। एक तो मुझे तुम दोनों को चुदाई करते देखना है। तुम्हें तो पता ही है कि ऊपर के बेडरूम की एक खिड़की का कांच मैंने उल्टा लगाया है जिससे बाहर से अन्दर तो दिखेगा मगर अंदर से बाहर नहीं दिखेगा। तुम्हें चुदाई के समय बिस्तर पर ऐसे लेटना है कि बतरा का लंड और तुम्हारी चूत खिड़की की तरफ हो। रेखा बोली- मुझे पता है। मैं पहले बतरा को खिड़की की तरफ पैर करके लिटाऊँगी, उसका लंड खड़ा करके चूसूँगी, तब आपको पूरा लंड और मेरी चूत दिखेगी। फिर मैं बतरा पे चढ़ कर अपनी चूत में उसका लंड घुसाके अन्दर बाहर करूंगी। आपको खिड़की से सब दिखेगा।
यह सुन कर मैं ख़ुशी से उछल पड़ा और रेखा को अपने आगोश में लेकर बोला- वाह मेरी रानी! तुम मेरे दिल की बात जान जाती हो। मैं कितना भाग्य शाली हूँ।
मैंने कहा- दूसरी बात यह कि अगर तुम्हें मंजूर हो तो बतरा से पूछना कि अगली बार जब वो आयें तो हम तीनों एक साथ चुदाई करें तो क्या उन्हें एतराज होगा?
रेखा बोली- मैं जरूर पूछूँगी, मुझे तो कोई एतराज नहीं है। मैं ख़ुशी ख़ुशी से आप दोनों का साथ दूंगी।
आज रेखा की छह बार चुदाई हो गई थी इसलिए मैंने सोने से पहले रेखा के पैर दबाये और पीठ की तेल लगा कर मालिश की, फिर उसके सर में भी तेल लगाकर मालिश की। रेखा खुशी से आँ-ऊँ आवाजें निकलती रही, मुझे बोली- इसीलिए आप मुझे अच्छे लगते हो, मैं आपके लिए कुछ भी कर सकती हूँ। मैंने कहा- मेरी जान, मैं भी तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकता हूँ। इसके बाद हम दोनों एक दूसरे की बांह में नंगे सो गए। दूसरे दिन बतरा को शाम की ट्रेन से दिल्ली वापस जाना था और उसका लंच किसी दूसरे के यहाँ था इसलिए हमने उसे सुबह नौ बजे नाश्ते पर बुला लिया। रेखा ने सुबह उठकर नाश्ता बना दिया, उसके बाद हम दोनों नहाने चले गए। हमेशा की तरह मैंने रेखा की चूत की सफाई की, उसने भी मेरे लंड को धोकर साफ किया और हम दोनों शावर में एक साथ नहा धोकर तैयार हो गए।
नौ बजे बतरा के आने के बाद हम तीनों ने नाश्ता किया। मैंने बतरा से कहा- आज इतवार है, घर में बहुत से काम करने हैं इसलिए आज मैं घर में रहूँगा। तुम दोनों ऊपर वाले कमरे में चले जाओ, वहाँ कोई डिस्टर्ब नहीं करेगा। मैं टीवी में समाचार देखने लगा और वे दोनों ऊपर वाले कमरे में चले गए। हमारी योजना अनुसार रेखा बतरा को बिस्तर पर ले गई और उसे कहा- आज मैं शुरुआत करुँगी। उसने बतरा के कपड़े उतारनाशुरू किये, इस बीच मैं खिड़की के पास पहुँच गया, मैंने देखा कि रेखा ने बतरा कि शर्ट उतार दी, फिर उसने बतरा की पेंट की ज़िप खोली और एक दो बार उसके लंड को फ़ूले हुए अंडरवियर के ऊपर से चूमा।
इस बीच बतरा रेखा की सलवार कुर्ती और ब्रा उतार चुका था, वह रेखा के चूचों को सहला रहा था। रेखा एक बार बतरा के ऊपर झुकी और दोनों के ओंठ आपस में जुड़ गए, वे बहुत देर तक चूमते रहे। यह सब देख कर मेरा लंड जागने लगा। अब मैंने देखा कि जैसे ही रेखा ने बतरा की अंडरवियर नीचे खिसकाई, उसका तना हुआ लंड बाहर आकर स्प्रिंग जैसा उछलने लगा। रेखा थोड़ी बाजु हट गई जिससे मैं ठीक से देख सकूँ। सचमुच बतरा का लंड बहुत मोटाथा, लम्बा भी कम तो नहीं था मगर मोटाई की वजह से थोड़ा छोटा दिखता था। मुझे यही तो देखना था।
अब रेखा ने बतरा के खड़े लंड को अपनी तरफ खींच कर छोड़ना चालू किया। छोड़ने के बाद लंड उछलकर दूसरी तरफ चला जाता था। रेखा लंड को उछालती रही और बड़े कौतुहल से कभी लंड को तो कभी मेरी ओर देख कर मुस्कुराती।
कुछ देर तक यह खेल चलता रहा। फिर रेखा ने फ्रूट जेली की बोतल से जेली निकाल कर बतरा के लंड पर चुपड़ दी।
अब मुझे समझ में आया वो ऊपर जाते समय किचन से फ्रूट जेली की बोतल साथ क्यों ले गई थी। रेखा ने बतरा के जेली चुपड़े हुए लंड को चूसना शुरू किया। उत्तेजनावश बतरा का प्रिकम निकल रहा था, उसे भी रेखा चाटती गई। वे दोनों कुछ कुछ बोल रहे थे जो मुझे बाहर सुनाई नहीं दे रहा था। मेरा लंड भी खड़ा हो गया था, उसमें से भी प्रिकम निकल रहा था जो मैं हाथ से चाटता जा रहा था। फिर रेखा खुद उछलकर चित लेटे हुए बतरा के ऊपर चढ़ गई और लंड को चूत की सीध में लाकर उसे चूत में घुसादिया। एक बार उसने पीछे देखा और तस्सल्ली कर ली कि मैं देख रहा हूँ। अब रेखा लंड पर ऊपर नीचे धक्के देने लगी।
यह सब देखकर मेरा लंड बल्लियों उछलने लगा, मैं अपने आप को काबू में नहीं रख पा रहा था। उधर रेखा ने अपनी स्पीड बढाई और मैं मुठ मारने लगा। करीब दस मिनट बाद वे दोनों झड़ गए, मैं भी बाहर उनके साथ झड़ गया। रेखा का यह खेल देखकर मैं हैरान था। फिर रेखा और बतरा आजू बाजु लेट गए और एक दूसरे को चूमते रहे। थोड़ी देर बाद रेखा ने फिर बतरा का लंड पकड़ कर उसकी चमड़ी को सुपारे के ऊपर नीचे करने लगी, बतरा का लंड फिर खड़ा हो गया। बतरा ने रेखा से कुछ कहा और उठ कर जेली की बोतल उठा ली, रेखा बिस्तर पर दोनों पैर फैला कर खिड़की की ओर चूत करके लेट गई।
मुझे उसकी चूत की फांकें साफ दिख रहीं थी, उत्तेजना की वजह से फांकों का फैलाव और सिकुड़न साफ नजर आ रहा था। बतरा पलंग के बाजु में रेखा की चूत की ओर मुँह करके कालीन पर बैठ गया, उसने रेखा की चूत की फांकों को दोनों हाथ से अलग किया और चूत के अन्दर देखने लगा। उसने दाने पर उँगलियाँ फेरना चालू किया, रेखा चूतड़ उठा उठा कर कुछ आवाजें निकल रही थी। फिर बतरा ने रेखा के दाने और चूत के अन्दर जेली चुपड़ दी। अब उसने रेखा की चूत के ऊपर लगी हुई जेली को चाटना शुरू किया तो करीब दस मिनट चाटने के बाद रेखा उछल कर झड़ गई, बतरा सारा पानी चाट गया। बतरा ने अब अपना लंड रेखा की चूत मेंघुसा दिया और पिस्टन जैसा अंदर बाहर करने लगा। दोनों अपने चरम सुख की ओर थे और दस मिनट में झड़ गए। इधर मेरा बुरा हाल था, लंड लोहे की रॉड जैसा गर्म और कड़ा हो गया। यह देख कर मैंने भी मुठ मार कर अपने लंड को शांत किया। इसके बाद मैं नीचे आकर थोड़ा सुस्ताने के बाद अपने काम में लग गया। इसके बाद वे दोनों आधे घंटे बाद नीचे आ गए। लंच टाइम हो रहा था, इसलिए बतरा को जाने की जल्दी थी। उसने हम दोनों को इस आश्चर्यजनक मदद के लिए धन्यवाद दिया, रेखा को बहुत सी गिफ्ट दी।
उसने हम दोनों से इजाजत ली और चला गया। उसके जाने के बाद रेखा ने मुझे बताया कि बतरा हम तीनों की एक साथ चुदाई के लिए मान गया है। रशिया जाने के बाद वह मुझे मेल करके बताएगा। रेखा मुझसे पूछ रही थी कि मैंने कुछ देखा या नहीं? मैंने जो देखा और मेरा क्या हाल हुआ सब उसे बता दिया। रेखा ने कहा- कोई बात नहीं, आपके लिए तो मैं हमेशा हाजिर हूँ। इसके बाद हम दोनों ने फ्रेश होकर नंगे खाना खाया और बिस्तर में आकर लेट गए।
मैंने सोने से पहले फिर रेखा की अच्छे से मालिश की। करीब चार बजे हम दोनों की नींद खुली मेरा लंड फिर खड़ा होकर फड़फड़ा रहा था, रेखा ने उसे अपने हाथ में लेकर चूमना शुरू किया हमने दो बार चुदाई करके चाय पी। अगले दिन मैंने रेखा को बताया कि उसके लिए एक अच्छा घर मिल गया है। मैंने बताया कि हमारे प्लांट में काम करने आये एक रशियन विशेषज्ञ को घर के काम के लिए किसी की जरूरत है। रेखा को मैंने बताया कि उसे वहाँ तिगुने पैसे मिलेंगे। हमारी कंपनी की कालोनी में बहुत से रशियन रहते थे, उनके यहाँ बहुत सी नौकरानियाँ काम करती थी। रशियन लोग उनको बहुत पैसा देते थे।
मैंने रेखा से कहा- अगर तुम्हें ठीक लगे तो सब घर छोड़ कर हमारे और उसके यहाँ काम कर सकती हो। रशियन के यहाँ रेखा की कहानी मैं अगली कड़ी में लिखूंगा। दूसरे दिन मेरी पत्नी आने वाली थी, इसलिए शाम को रेखा ने मुझसे विदाई ली और घर चली गई।
अब रेखा मुझे अपने दिल की हर बात बेझिझक बताती थी। यह वाकया करीब 16 साल पहले का है। एक दिन वह आई तो उदास दिख रही थी, मैंने पूछा क्या बात है? उसने ‘कुछ नहीं…’ कह कर टालना चाहा। मेरे बार बार पूछने पर वह बोली- आप मेरी मदद नहीं कर पाओगे! मैंने उससे कहा- तुम मेरे लिए इतना कुछ कर रही हो, मैं तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकता हूँ, बोलो तो सही? तब उसने बताया कि बतरा साहब, जिनके यहाँ भी वह काम करती है, अब शहर छोड़ कर कहीं और जा रहे हैं। उसने मुझे कहा- आप तो जानते हैं कि मैं उनसे प्यार करती हूँऔर बहुत चुदाई भी करती हूँ। मैंने कहा- हाँ, मैं जानता हूँ और यह भी जानता हूँ कि वे कंपनी की तरफ से दो साल के लिए रशिया जा रहे हैं। रेखा बोली- दो साल तक मैं उनके बिना कैसे रहूंगी, मुझे तो उनसे चुदवाने की आदत लगी है और मेरा एक घर भी छूट जायेगा।
मैंने कहा- मैं तुम्हें दोनों बातों में मदद करूँगा, तुम सिर्फ बतरा साहब को बोल दो कि तुमसे कान्टेक्ट करने के लिए वे रशिया से मेरे इ-मेल और फोन का प्रयोग कर सकते हैं, और जहाँ तक काम के लिए एक और घर की बात है मैं वह भी देखता हूँ। यह सुनकर रेखा बहुत खुश हुईऔर उसने मुझे आलिंगन में लेकर चूमना चालू किया, मेरे लौड़े से प्रिकम रिसना शुरू हो गया था और लौड़ा तन गया था। रेखा भी उत्तेजित हो गईथी।
हम दोनों बेडरूम में गए और एक दूसरे के कपड़े उतार कर एक दूसरे के शरीर चूमने लगे। रेखा ने मेरे छलांग लगाते हुए लंड को चूसना चालू किया और मैंने उसके मम्मों को मसलना और चूमना चालू किया। फिर मैंने उसकी चूत को चूमना शुरू किया, उसकी चूत का चिकना और खारा पानी मैं चाटता रहा। रेखा ख़ुशी के मारे पागलों की तरह बोलती रही- चूसो, आपके जैसा प्यार करने वाला आदमी इस दुनिया में कहीं नहीं मिलेगा जो स्त्री के ऊपर अपना हक जमाये बिना बेझिझक अपनी स्त्री को दूसरे मर्द के साथ चुदाईकरने में मदद करे। मैंने कहा- मुझे इसमें बहुत आनन्द आता है और मैं उत्तेजित हो जाता हूँ। मैं तेरी दीदी (मेरी पत्नी) को भी अपने दोस्त के साथ चुदवाने में मदद कर चुका हूँ। दोस्त के साथ चुदवाने के बाद वो मेरे साथ दुगुने जोश के साथ चुदाई करती है, और मुझे ‘कैसे किया’ यह चुदाई के दौरान बताती है। मैंने उसे यह भी बताया कि ऐसा तभी होता है जब पति औरत को उसके पसंद के आदमी से चुदवाने दे। यह कह कर मैंने अपना लंड रेखा की चूत मेंडाला तो उसकी आह निकल गई।
मेरा लंड पिस्टन की तरह रेखा की चूत का मजा लेता रहा। फिर वह मुझे चित लेटाकर मेरे लंड के ऊपर बैठ गई और लंड को चूत के अंदर घुसा लिया, अपने दोनों हाथ मेरे सीने पर रख कर उसने अपने कूल्हों को ऊपर नीचे करना चालू किया, बीच-बीच में मेरे मुँह को चूमती कभी हम दोनों जुबान लड़ाते। काफ़ी देर बाद रेखा अपने कूल्हों को बहुत तेजी से घुमाने और अन्दर बाहर करने लगी, वह अपने चूतड़ों को इस तरह से घुमा रही थी कि लंड चूत के अन्दर जहाँ उसे सबसे ज्यादा आनन्द दे रहा था वहीं पर रगड़ करे। कभी कभी वह रुक कर चूत को खूब संकुचित कर लंड को निचोड़ लेती, इसी वक्त लंड को भी संकुचन से परम आनन्द मिलता था। इस तरह हम करीब एक घंटे तक चुदाई का आनन्द लेते रहे। बतरा रशिया जा चुके थे। जाने के एक माह बाद उनका मेल आया, उन्होंने रेखा का हाल पूछा था। इधर से मैंने रेखा के बारे में उन्हें बताया कि वह उनके लिए तन्हा रहती है। बतरा हर माह मेल से रेखा का हाल पूछ लेता था।
करीब एक साल के बाद बतरा ने मेल किया कि वह एक माह की छुट्टी पर भारत आ रहे हैं। वे अपने परिवार के साथ दिल्ली में रहेंगे और करीब तीन दिन के लिए प्लांट भी आयेंगे।
मैंने रेखा को बताया कि बतरा दो तीन दिन के लिए आ रहे हैं तो वह बहुत खुश हुई। उसने मुझे बतरा के साथ चुदाई का इंतजाम करने की जिद की। मैंने एक शर्त रखी कि बतरा के साथ चुदाई के बाद वह मुझे पूरा वाकया डिटेल में बताएगी। मैंने उससे यह भी पूछा कि तुम बतरा के साथ चुदाई के लिए इतनी आतुर क्यों होती हो? उसने बताया कि बतरा का लंड बहुत मोटा है हालांकि लम्बाई में मेरे लंड से कम है। लंड मोटा होने से चूत की पकड़ कसी होती है और घर्षण से चूत को बहुत अच्छा लगता है। मैंने उससे पूछा- मेरा लंड न तो मोटा ना ही बहुत लम्बा है फिर तुम मुझे क्यों इतना चाहती हो? रेखा ने कहा- औरत सिर्फ लंड की लम्बाईऔर मोटाई ही नहीं देखती। औरत को चरम सुख के लिए आदमी का विश्वास, औरत के प्रति उसका व्यवहार, इज्जत, कोमल स्पर्श और इच्छा पूर्ति आदि बहुत मायने रखते हैं। आप मेरी इज्जत करते हैं और तन, मन, धन से मेरी सहायता करते हैं, इसीलिए मेरे एक अच्छे दोस्त और प्रेमी हैं।
उसने आगे कहा कि जब पूर्ण समर्पित भाव से कोई स्त्री पुरुष के साथ चुदाई करती है तो दोनों को चरम आनन्द मिलता है, इसमे लंड का साइज़ कोई ज्यादा मायने नहीं रखता।
बतरा गेस्टहाउस में ठहरने वाले थे चूँकि वहाँ सब उन्हें जानते थे, चुदाई के लिए रेखा वहाँ नहीं जा सकती थी, इसलिए मैंने बतरा को सूचित किया कि वे अपनी प्लांट विजिट 20 से 25 तारीख के बीच रखे क्योंकि उन दिनों मेरे पत्नी एक शादी में दूसरे शहर में जाने वाली थी। मैंने रेखा को पूरी योजना बता दी। बतरा के आने के एक दिन पहले रेखा ब्यूटीपार्लर जाकर तैयार होकर मेरे यहाँ आई। रेखा अपने नए रूप में बहुत सुंदर लग रही थी। वैसे तो वह बहुत गोरी और सुंदर है, उसकी नशीली आँखें किसी को भी अपनी ओर खींच लेती हैं। उसका पूरा शरीर, मम्मे और चूत भी बहुत आकर्षकहैं।
उसने पूछा- कैसी लग रही हूँ?
मैंने कहा- स्वर्ग की अप्सरा लग रही हो।
फिर मुझे बोली- झांट के बाल साफ करने हैं।
मैंने कहा- वो तो मेरा पसंदीदा काम है।
यहाँ मैं बता दूँ कि मैं ही हमेशा उसके झांट के बाल साफ करता हूँ। बाल साफ करने के बाद हम दोनों ने बाथरुम में एक साथ स्नान किया, मैंने रेखा पीठ, चूत आदि को साबुन लगा कर साफ कियाऔर उसने मेरी पीठ और लंड को साबुन से धोया। अब हमने एक दूसरे को चूमना शुरू किया और टब में लेट गए। मेरा लंड सलामी देने लगा और रेखा की चूत पानी छोड़ने लगी, उसकी चूत की पंखुड़ियाँ उत्तेजना से बंद खुल रही थी। मैंने उसकी चूत को चूमना शुरू किया, रेखा मीठी चीत्कारें भरने लगी और मेरे लंड को कस के पकड़ कर मुठ मारने लगी। अब टब में पानी भरकर मैं टब में बैठ गया और रेखा को कहा- मेरे लंड को चूत में डाल कर मेरी गोदी में बैठ जा। इस तरह हमने पानी में चुदाई की। करीब 15 मिनट बाद हम झड़ गए। चूँकि घर में और कोई नहीं था हम दोनों बाथरुम से नंगे ही बाहर निकले, भोजन भी हमने नंगे ही किया। उसके बाद हम दोनों एक साथ नंगे लेट गएऔर फिर चुदाई की इस बार रेखा ने मेरे लंड पर बैठ के चुदाई की फिर हम दोनों नंगे सो गए। जब भी घर में मैं अकेला या रेखा और मैं ही अकेले रहते हैं तो हम नंगे ही रहते हैं। अगले दिन बतरा के आने के पहले मैंने रेखा को नहला दिया और उसके पूरे शरीर और चूत पर बोडी स्प्रे कर उसे तैयार कर दिया।
बतरा के आने के बाद रेखा ने चाय नाश्ता सर्व किया। बतरा अपने रशिया के अनुभव बता रहा था और रेखा बड़े कौतुहल से सुन रही थी। थोड़ी देर बाद मैंने दोनों से कहा- तुम लोग बेडरूम में जाकर बातें करो, इस बीच मैं आफिस जाकर आता हूँ। दोनों मुस्कुराते हुए अन्दर चले गए। जाते समय मैंने उनसे कहा- मैं बाहर से ताला लगा दूंगा जिससे तुम दोनों को कोई डिस्टर्ब न करे। मैं घर पर करीब 6 बजे लौटा। बतरा और रेखा चाय पर मेरा इंतजार कर रहे थे।
चाय नाश्ते के बाद बतरा वापस गेस्टहाउस चले गए। मैंने रेखा के चहरे पर एक मुस्कराहट और संतोष की झलक देखी, मैंने पूछा- कैसा रहा?
वह बोली- आपका बहुत बहुत धन्यवाद, आपकी मदद से आज मुझे जो आनन्द और सुख मिला उसे मैं बयाँ नहीं कर सकती।
मैंने उसे कहा- चुदाई में किसी की मदद करने में मुझे बहुत अच्छा लगता है। फिर मैं खुद दुगुने जोश और उत्तेजना के साथ चुदाई
करता हूँ। अब आज रात को तो तू यहीं मेरे साथ सोने वाली है, तब देखना।
वह बोली- मुझे भी ऐसा ही होता है।
रात को खाने के बाद हम दोनों फ्रेश होकर नंगे ही बिस्तर में लेट गए। मैंने रेखा से पूछा- मैं सात घंटे नहीं था, तुमने कितनी बार चुदाई की? ‘चार बार…’ वह बोली। और हमने बहुत बातें की। मैं रेखा की चूत लाइट की तरफ करके बोला- देखूँ तो! मैं रेखा की चूत की तरफ मुँह कर के उसके दोनों पैरों के बीच औन्धा लेट गया। उसकी चूत से अभी भी बतरा का थोड़ा वीर्य रिस रहा था।
मैंने चूत की फांके खोलीऔर अन्दर देखा पूरी योनि खिले हुए गुलाब की पंखुड़ियों जैसी गुलाबी दिख रही थी। एक गीले रुमाल पर एंटीसेप्टिक लगा कर मैंने चूत को पूरा साफ़ किया और दाना चूसना चालू किया। अब मैंने रेखा से कहा- बतरा के साथ तूने कैसी चुदाई की पूरा हाल बता! आगे का हाल रेखा के अपने शब्दों में पढ़िए अगले भाग में…
बतरा साहब कमरे में घुसते ही मेरे से लिपट गए, मुझे आगोश में लेकर बोले- मैं तुम्हें बहुत मिस करता था। कभी-कभी तो तुम्हारी याद में रात-रात भर जगता था। मैंने उनसे कहा- मुझे भी आपकी बहुत याद आती थी।
इस तरह बातें करते-करते हम एक दूसरे के कपड़े उतारने लगे। मुझे नंगी देख कर वे बोले- अभी भी पहले जैसी कमसिन हो। बतरा साहब मेरे मम्मो को देख कर उन्हें सहलाते रहे और मेरी दोनों चूचियों को मसलने लगे, तब तक मैंने उनका लंड पकड़ लिया जो अब तक तन कर गरम रॉड हो चुका था। लंड पकड़ कर मैंने उनसे कहा- आपका लंड तो और मोटा लग रहा है, वहाँ किसी मेम को भी चोदते थे क्या? उन्होंने कहा- हाँ, 3-4 बार मौका मिला था।
मैंने उनसे पूछा- क्या मेमों की चूत एकदम गोरी और टमाटर के रंग की होती है? उन्होंने कहा- हाँ और वे चुदाई में कोई शर्म नहीं महसूस करती। कहीं भी जैसे बाग में या फिर समुन्दर या नदी किनारे भी लोग चुदाई करते दिख जाते हैं। अब बतरा साहब बहुत उत्तेजित हो रहे थे, उन्होंने मुझे पलंग पर लेटा दिया और मेरे ओंठों से चूमना चालू किया।
हम दोनों के ओंठ आपस में लॉक हो गए। थोड़ी देर बाद वे मेरे कान गले और फिर चूचियों को चूमने लगे, मुझे बहुत मजा आ रहा था। धीरे धीरे वे मेरे पेट और फिर जांघों तक पहुँच गए।अंत में जब वे मेरे दाने को चूमने लगे तब मेरी चूत से पानी निकलने लगा और कमरा मेरी सीत्कारों से भर गया।
बीच बीच में मैं उनके लंड को पकड़ कर चूस लेती थी। अब उन्होंने मुझे पलंग पर लिटा दिया और खुद जमीन पर बैठ गए, थोड़ी देर फिर मेरी चूत को खोल कर देखते, सूंघते और चाटते रहे। बतरा साहब अपने साथ श्रीखंड लेकर आये थे उन्होंने श्रीखंड मेरी चूत पर चुपड़ दिया और चूत चाटने लगे। उत्तेजनावश मैं झड़ गई। वे बोले जा रहे थे- वाह रेखा, तेरे सेंट् की खुशबू और चूत के नमकीन पानी के साथ श्रीखंड चाटने में मजा आ रहा है। अब बतरा साहब ने श्रीखंड अपने लंड पर लगाया और लंड मेरे मुँह में डालदिया। मैं श्रीखंड चाटती रही, उसके साथ लंड का प्रिकम भी मेरे मुंह में जा रहा था, दोनों का मिला जुला स्वाद बहुत उत्तेजक था। अब मुझसे नहीं रहा गया, मैंने उनसे कहा- अब चूत को ज्यादा मत तड़पाओ, अपना मोटू जल्दी अन्दर डालो। बतरा साहब ने अपने लंड को चूत के अन्दर डालना शुरू किया, मेरी चूत उनके लंड को कस कर पकड़ने लगी। लंड मोटा होने से जब भी वह अन्दर बाहर होता पट-पट आवाज होती।
जैसे-जैसे चुदाई तेज होती गई, चूत लंड को कस कर पकड़ती गई। बतरा साहब बोले जा रहे थे- वाह रेखा, लंड पर कुंवारी चूतजैसी पकड़ है। इस तरह काफ़ी बाद हम दोनों झड़ गए। इसके बाद हम दोनों ने अलग-अलग आसनों में तीन बार और चुदाई की।
सोने से पहले मैंने रेखा को कहा- कल इतवार है, बतरा से चुदाई के वक्त मैं घर पर ही रहूँगा, तुम्हें दो काम करने हैं। एक तो मुझे तुम दोनों को चुदाई करते देखना है। तुम्हें तो पता ही है कि ऊपर के बेडरूम की एक खिड़की का कांच मैंने उल्टा लगाया है जिससे बाहर से अन्दर तो दिखेगा मगर अंदर से बाहर नहीं दिखेगा। तुम्हें चुदाई के समय बिस्तर पर ऐसे लेटना है कि बतरा का लंड और तुम्हारी चूत खिड़की की तरफ हो। रेखा बोली- मुझे पता है। मैं पहले बतरा को खिड़की की तरफ पैर करके लिटाऊँगी, उसका लंड खड़ा करके चूसूँगी, तब आपको पूरा लंड और मेरी चूत दिखेगी। फिर मैं बतरा पे चढ़ कर अपनी चूत में उसका लंड घुसाके अन्दर बाहर करूंगी। आपको खिड़की से सब दिखेगा।
यह सुन कर मैं ख़ुशी से उछल पड़ा और रेखा को अपने आगोश में लेकर बोला- वाह मेरी रानी! तुम मेरे दिल की बात जान जाती हो। मैं कितना भाग्य शाली हूँ।
मैंने कहा- दूसरी बात यह कि अगर तुम्हें मंजूर हो तो बतरा से पूछना कि अगली बार जब वो आयें तो हम तीनों एक साथ चुदाई करें तो क्या उन्हें एतराज होगा?
रेखा बोली- मैं जरूर पूछूँगी, मुझे तो कोई एतराज नहीं है। मैं ख़ुशी ख़ुशी से आप दोनों का साथ दूंगी।
आज रेखा की छह बार चुदाई हो गई थी इसलिए मैंने सोने से पहले रेखा के पैर दबाये और पीठ की तेल लगा कर मालिश की, फिर उसके सर में भी तेल लगाकर मालिश की। रेखा खुशी से आँ-ऊँ आवाजें निकलती रही, मुझे बोली- इसीलिए आप मुझे अच्छे लगते हो, मैं आपके लिए कुछ भी कर सकती हूँ। मैंने कहा- मेरी जान, मैं भी तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकता हूँ। इसके बाद हम दोनों एक दूसरे की बांह में नंगे सो गए। दूसरे दिन बतरा को शाम की ट्रेन से दिल्ली वापस जाना था और उसका लंच किसी दूसरे के यहाँ था इसलिए हमने उसे सुबह नौ बजे नाश्ते पर बुला लिया। रेखा ने सुबह उठकर नाश्ता बना दिया, उसके बाद हम दोनों नहाने चले गए। हमेशा की तरह मैंने रेखा की चूत की सफाई की, उसने भी मेरे लंड को धोकर साफ किया और हम दोनों शावर में एक साथ नहा धोकर तैयार हो गए।
नौ बजे बतरा के आने के बाद हम तीनों ने नाश्ता किया। मैंने बतरा से कहा- आज इतवार है, घर में बहुत से काम करने हैं इसलिए आज मैं घर में रहूँगा। तुम दोनों ऊपर वाले कमरे में चले जाओ, वहाँ कोई डिस्टर्ब नहीं करेगा। मैं टीवी में समाचार देखने लगा और वे दोनों ऊपर वाले कमरे में चले गए। हमारी योजना अनुसार रेखा बतरा को बिस्तर पर ले गई और उसे कहा- आज मैं शुरुआत करुँगी। उसने बतरा के कपड़े उतारनाशुरू किये, इस बीच मैं खिड़की के पास पहुँच गया, मैंने देखा कि रेखा ने बतरा कि शर्ट उतार दी, फिर उसने बतरा की पेंट की ज़िप खोली और एक दो बार उसके लंड को फ़ूले हुए अंडरवियर के ऊपर से चूमा।
इस बीच बतरा रेखा की सलवार कुर्ती और ब्रा उतार चुका था, वह रेखा के चूचों को सहला रहा था। रेखा एक बार बतरा के ऊपर झुकी और दोनों के ओंठ आपस में जुड़ गए, वे बहुत देर तक चूमते रहे। यह सब देख कर मेरा लंड जागने लगा। अब मैंने देखा कि जैसे ही रेखा ने बतरा की अंडरवियर नीचे खिसकाई, उसका तना हुआ लंड बाहर आकर स्प्रिंग जैसा उछलने लगा। रेखा थोड़ी बाजु हट गई जिससे मैं ठीक से देख सकूँ। सचमुच बतरा का लंड बहुत मोटाथा, लम्बा भी कम तो नहीं था मगर मोटाई की वजह से थोड़ा छोटा दिखता था। मुझे यही तो देखना था।
अब रेखा ने बतरा के खड़े लंड को अपनी तरफ खींच कर छोड़ना चालू किया। छोड़ने के बाद लंड उछलकर दूसरी तरफ चला जाता था। रेखा लंड को उछालती रही और बड़े कौतुहल से कभी लंड को तो कभी मेरी ओर देख कर मुस्कुराती।
कुछ देर तक यह खेल चलता रहा। फिर रेखा ने फ्रूट जेली की बोतल से जेली निकाल कर बतरा के लंड पर चुपड़ दी।
अब मुझे समझ में आया वो ऊपर जाते समय किचन से फ्रूट जेली की बोतल साथ क्यों ले गई थी। रेखा ने बतरा के जेली चुपड़े हुए लंड को चूसना शुरू किया। उत्तेजनावश बतरा का प्रिकम निकल रहा था, उसे भी रेखा चाटती गई। वे दोनों कुछ कुछ बोल रहे थे जो मुझे बाहर सुनाई नहीं दे रहा था। मेरा लंड भी खड़ा हो गया था, उसमें से भी प्रिकम निकल रहा था जो मैं हाथ से चाटता जा रहा था। फिर रेखा खुद उछलकर चित लेटे हुए बतरा के ऊपर चढ़ गई और लंड को चूत की सीध में लाकर उसे चूत में घुसादिया। एक बार उसने पीछे देखा और तस्सल्ली कर ली कि मैं देख रहा हूँ। अब रेखा लंड पर ऊपर नीचे धक्के देने लगी।
यह सब देखकर मेरा लंड बल्लियों उछलने लगा, मैं अपने आप को काबू में नहीं रख पा रहा था। उधर रेखा ने अपनी स्पीड बढाई और मैं मुठ मारने लगा। करीब दस मिनट बाद वे दोनों झड़ गए, मैं भी बाहर उनके साथ झड़ गया। रेखा का यह खेल देखकर मैं हैरान था। फिर रेखा और बतरा आजू बाजु लेट गए और एक दूसरे को चूमते रहे। थोड़ी देर बाद रेखा ने फिर बतरा का लंड पकड़ कर उसकी चमड़ी को सुपारे के ऊपर नीचे करने लगी, बतरा का लंड फिर खड़ा हो गया। बतरा ने रेखा से कुछ कहा और उठ कर जेली की बोतल उठा ली, रेखा बिस्तर पर दोनों पैर फैला कर खिड़की की ओर चूत करके लेट गई।
मुझे उसकी चूत की फांकें साफ दिख रहीं थी, उत्तेजना की वजह से फांकों का फैलाव और सिकुड़न साफ नजर आ रहा था। बतरा पलंग के बाजु में रेखा की चूत की ओर मुँह करके कालीन पर बैठ गया, उसने रेखा की चूत की फांकों को दोनों हाथ से अलग किया और चूत के अन्दर देखने लगा। उसने दाने पर उँगलियाँ फेरना चालू किया, रेखा चूतड़ उठा उठा कर कुछ आवाजें निकल रही थी। फिर बतरा ने रेखा के दाने और चूत के अन्दर जेली चुपड़ दी। अब उसने रेखा की चूत के ऊपर लगी हुई जेली को चाटना शुरू किया तो करीब दस मिनट चाटने के बाद रेखा उछल कर झड़ गई, बतरा सारा पानी चाट गया। बतरा ने अब अपना लंड रेखा की चूत मेंघुसा दिया और पिस्टन जैसा अंदर बाहर करने लगा। दोनों अपने चरम सुख की ओर थे और दस मिनट में झड़ गए। इधर मेरा बुरा हाल था, लंड लोहे की रॉड जैसा गर्म और कड़ा हो गया। यह देख कर मैंने भी मुठ मार कर अपने लंड को शांत किया। इसके बाद मैं नीचे आकर थोड़ा सुस्ताने के बाद अपने काम में लग गया। इसके बाद वे दोनों आधे घंटे बाद नीचे आ गए। लंच टाइम हो रहा था, इसलिए बतरा को जाने की जल्दी थी। उसने हम दोनों को इस आश्चर्यजनक मदद के लिए धन्यवाद दिया, रेखा को बहुत सी गिफ्ट दी।
उसने हम दोनों से इजाजत ली और चला गया। उसके जाने के बाद रेखा ने मुझे बताया कि बतरा हम तीनों की एक साथ चुदाई के लिए मान गया है। रशिया जाने के बाद वह मुझे मेल करके बताएगा। रेखा मुझसे पूछ रही थी कि मैंने कुछ देखा या नहीं? मैंने जो देखा और मेरा क्या हाल हुआ सब उसे बता दिया। रेखा ने कहा- कोई बात नहीं, आपके लिए तो मैं हमेशा हाजिर हूँ। इसके बाद हम दोनों ने फ्रेश होकर नंगे खाना खाया और बिस्तर में आकर लेट गए।
मैंने सोने से पहले फिर रेखा की अच्छे से मालिश की। करीब चार बजे हम दोनों की नींद खुली मेरा लंड फिर खड़ा होकर फड़फड़ा रहा था, रेखा ने उसे अपने हाथ में लेकर चूमना शुरू किया हमने दो बार चुदाई करके चाय पी। अगले दिन मैंने रेखा को बताया कि उसके लिए एक अच्छा घर मिल गया है। मैंने बताया कि हमारे प्लांट में काम करने आये एक रशियन विशेषज्ञ को घर के काम के लिए किसी की जरूरत है। रेखा को मैंने बताया कि उसे वहाँ तिगुने पैसे मिलेंगे। हमारी कंपनी की कालोनी में बहुत से रशियन रहते थे, उनके यहाँ बहुत सी नौकरानियाँ काम करती थी। रशियन लोग उनको बहुत पैसा देते थे।
मैंने रेखा से कहा- अगर तुम्हें ठीक लगे तो सब घर छोड़ कर हमारे और उसके यहाँ काम कर सकती हो। रशियन के यहाँ रेखा की कहानी मैं अगली कड़ी में लिखूंगा। दूसरे दिन मेरी पत्नी आने वाली थी, इसलिए शाम को रेखा ने मुझसे विदाई ली और घर चली गई।