मैं सुदर्शन आज फिर हाजिर हूँ.. अपनी जीवन की एक नई कहानी लेकर। ये बात कॉलेज के समय की है.. जब मैं महीने में 6 दिन पार्ट टाईम जॉब भी करता था।
मेरे एक पड़ोसी उसमें काम करते थे.. उनका बवासीर का आपरेशन हुआ था.. वे मुझसे बोले- इस बार मेरी जगह तुम काम कर लो।
मैं काम करने गया। सुपरवाईजर मैडम दोपहर में चेक करने राउंड पर आईं तो उन्होंने मुझसे पूछा- पहले कहीं ट्रेनिंग ली थी..?
मैंने कहा- नहीं।
उसने मुझे हटा दिया।
दूसरे दिन मैं फिर गया और उनसे बोला- मैडम मैं आपके इन बाकी के वर्करों के साथ फ्री में काम करके काम सीखना चाहता हूँ।
उन्होंने हाँ कर दी।
बाद में धीरे-धीरे मुझे अगले महीने से काम मिलने की आस जाग गई.. जब एक बार मेरे एक लड़के को मैडम डाँट कर बोली- निकल जाओ बदतमीज।
वो चला गया.. और बस उसकी जगह मैं रख लिया गया।
बाद में अन्य लोगों ने मुझे बताया- उस लड़के ने मैडम को आंख मार दी थी।
मैडम दो बच्चों की माँ थी.. उनकी खूबसूरत चूचियाँ.. नवयुवतियों कि भाँति छोटी-छोटी और पुष्ट और उन्नत थीं..
वे गोरी इतनी थीं कि धूप में निकलने और गुस्से में आने से उनके चेहरे पर लाली आ जाती थी।
धीरे-धीरे मैं अधिक समय देने लगा.. ऑफिस में और लोग दो बजे छूट जाते.. पर मैं चार बजे तक लगा रहता।
मैडम मुझसे सुपरवाईजर वाले काम भी करवाने लगीं.. धीरे-धीरे मेरी और उनकी बनने लगी। यहाँ तक कि किसी वर्कर को हटाने और रखने में मेरी मर्जी चलने लगी।
मैं कार में मैडम के साथ रोज फाईनल रिपोर्ट देने हेड ऑफिस जाता। हेड ऑफिस के लाग भी मुझे जानने लगे।
एक बार उनके पति का तबादला झाँसी हो गया। उसी दौरान एक दिन उनके दोनों बच्चे गर्मी की छुट्टी में नानी के घर गए। अब वो अकेली रह गई थीं।
एक दिन जब बाकी के वर्कर चले गए तो मैं हमेशा की तरह फाईलों की समीक्षा कर रहा था।
तभी मैडम ने मुझे आवाज दी- सुदर्शन.. जरा अन्दर आना।
मैं अन्दर गया.. वे कुछ बीमार सी लग रही थीं। मैंने पूछा- क्या आपकी कुछ तबियत खराब है?
बोली- हाँ..
मैंने पूछा- क्या हुआ है?
उन्होंने शर्माते हुए कहा- एक फोड़ा हो गया है।
मैंने पूछा- अरे दिखाओ.. किधर हो गया?
मुझसे वो झिझकते हुए बोली- मेरी पिछवाड़े (गाण्ड) में फोड़ा हुआ है.. प्लीज देखना बहुत दर्द कर रहा है।
पहले तो मैं चौंक गया फिर मैंने स्थिति को हल्के में लिया और कहा- ठीक है.. दिखाइए।
उन्होंने अपनी सलवार उतार दी.. वो पैंटी नहीं पहने हुई थी.. उसने अपनी नंगी गाण्ड को मेरी तरफ कर दिया। मैंने देखा वास्तव में उनकी गाण्ड की ऊपरी दरार में एक फोड़ा हुआ था.. जो अभी पूरी तरह पका नहीं था।
उन्होंने लगाने वाली दवा मुझे दी.. मैंने लगा दवा लगा दी.. बात खत्म हुई।
अब वे मुझे रोज बुलातीं और अब मैं रोज उनकी गाण्ड में दवा लगाता। तीन दिन बाद वो फोड़ा पक गया.. फिर मैंने उसको फोड़ दिया।
अब फोड़ा के घाव की सफाई करके मैं रोज दवा लगाने लगा.. चार दिन में ही घाव भर गया।
वो मुझसे खुल गई थी।
फिर उन्होंने कहा- मैं तुम्हारे सामने नंगी हो जाती थी.. फिर भी तुमने कभी गलत तरह से टच नहीं किया.. वरना लोग तो ऐसे मौके पर रेप भी कर देते हैं।
मैं बोला- मैं आपसे प्यार करता हूँ इसलिए…
उन्होंने मुस्कुरा कर अपनी बाँहें फैला दीं और मुझे अपने आगोश में ले लिया।
फिर उन्होंने मुझे चूमते हुए कहा- मेरा ये जिस्म तुम्हारा है.. अब सेवा का मेवा खाओ।
मैडम ने मेरे सिर को पकड़ कर होंठों को चूसना शुरू किया और मेरे होंठों को चाटने लगीं। मैडम की गर्म और हल्के मीठे लार का स्वाद मेरे मुँह में घुलने लगा।
फिर मैंने उनको निर्वस्त्र करके.. उनकी चूचियों को दबाने लगा, उनकी चूचियों के तनी घुंडियों को ऊँगली से अन्दर ढकेल देता और वो पुनः बाहर को उठ जातीं।
फिर मैडम मुझे बाथरूम में ले गईं और हम दोनों ने अच्छी तरह अपने बदन के हर अंग को साफ किया और तौलिया से जिस्म को पोंछ कर बाहर आए।
फिर मैंने उनके अत्यंत गोरे बदन को पाँव से सिर तक.. आगे से पीछे तक.. खूब चूमा, फिर उनकी गोरी टाँगों के बीच में हल्की भूरे और गोरे रंग के मिश्रित रंग की बुर को पहले बाहर से चूमा.. फिर दोनों फाँकों को फैलाकर चूत को चाटने लगा।
उस समय उत्तेजना के कारण उनका नमकीन पानी भी मुझे अमृत सा लग रहा था। मैं बुरी तरह उत्तेजित हो चुका था.. मेरे लंड से ‘प्री-कम’ (चुदास का लिसलिसा पानी) निकलने लगा।
मैंने कहा- मैडम.. अब मैं रुक नहीं सकता अब मैं तुम्हें चोदना चाहता हूँ।
वो बोली- अभी तुम बहुत उत्तेजित हो.. अभी तुम्हारा पानी जल्दी निकल जाएगा।
फिर वो मेरे लंड से निकलते प्री-कम को अपने अंगूठे से लंड के छेद और सुपाड़े पर रगड़ने लगीं।
करीब एक मिनट बाद मैंने बोला- मैडम अब मेरा निकलने ही वाला है।
उन्होंने लंड को अपने मुँह में ले लिया, उनकी जीभ की गर्मी पाकर उसी वक्त मैं भी जोर से झड़ गया। वीर्य की पहली धार तेजी से निकलने के कारण उनके गले के कौआ (गले के अन्दर लटकने वाली माँसल संरचना) से टकरा गया और उनको खाँसी आने लगी।
मैंने लंड को थोड़ा सा बाहर निकाला। वो वीर्य को पीने के बाद ‘फ्रेंच-किस’ करने लगीं.. जिससे वीर्य का स्वाद उनके जीभ से मुझे भी आने लगा.. हल्का नमकीन सा..
वो फिर से मेरा लंड चूसने लगीं जल्द ही लंड खड़ा हो कर उनके छेद में घुसने को बेताब हो गया।
मैडम बोली- लंड को बिना हाथ से पकड़े चूत में घुसेड़ो।
मैंने कई बार कोशिश की पर इस तरह लंड चूत में अन्दर जा नहीं सका। मैंने लंड को हाथ से पकड़ कर बुर में घुसेड़ दिया, लंड सटासट अन्दर-बाहर होने लगा.. कुछ समय बाद मैडम ने मुझे धक्का दे दिया मेरा लंड बाहर निकल गया।
वो मुझ पर चढ़ गई और अपनी बुर मेरे मुँह पर घिसने लगी और एक तेज धार से मुँह को भिगो दिया।
मैंने मैडम को नीचे किया.. उनकी टाँगों को अपने कंधे पर रखा.. लंड बुर में डालने के बाद दोनों हाथों से उनकी चूचियों को पकड़ कर खींचते हुए धक्के देने लगा।
धच्च-धच्चाक.. और झड़ने के बाद भी दस धक्के लगाता ही रहा, मैडम को पूरी शांति मिल गई।
फिर तो जब भी मौका मिलता.. मैडम मुझे फोन करती और मैं चोदने पहुँच जाता। कुछ समय बाद CEO ने मेरे काम को देखते हुए मुझे उनकी जगह सुपरवाईजर बनाने का प्रस्ताव दिया।
उन्होंने कहा- सारा काम तुम करते हो.. मैडम को हटाकर तुम सुपरवाईजर बन जाओ।
मैंने सोचा 6 दिन के 3000+ गाड़ी के तेल का पैसा कम नहीं होता। रही बात चूत की.. तो मेरे अंडर मे 10 लौंडे + 6 लौंडियाँ काम करेंगे.. किसी को पटाकर पेल दूँगा।
मैडम को जब पता चला कि मैंने उनको रिप्लेस कर दिया तो वो मुझसे नाराज हो गई। फिर उसने चूत तो क्या.. झांट का बाल भी नहीं दिया और धमकी देने लगी- तुम्हारे घर सबको बता दूँगी।
मैंने कहा- कोई बात नहीं.. ज्यादा से ज्यादा घर वाले मेरी शादी ही कर देंगे.. चलो रोज बुर का जुगाड़ हो जाएगा। वैसे भी सभी लोग आपको ही दोष देंगे कि अपने से आधी उमर के लड़के को खराब कर दिया।
फिर मैडम शाँत हो गईं।
मेरे जीवन में ऊपर वाले ने बहुत अधिक चूतों का चोदना लिखा है.. आपको अपने अनुभवों से परिचित करता रहूँगा।
मित्रों बुर के कुछ प्रचलित नाम लिख रहा हूँ। बुर, बुरांडा, भथियान, चूत,योनि, चिड़िया, भोष, भोसड़ा, भोसड़ी..होते हैं।
इसी प्रकार लंड के प्रचलित नाम- लंड, लवड़ा, पेलहर, लौड़ा, मुन्नी, नुन्नी, मुल्ली, लुल्ली, लिंग,लन आदि के अतिरिक्त नए नाम भेजिएगा। आप भी नए नाम की जानकारी देते हुए मुझे अपने कमेंट जरूर प्रेषित करें।
मेरे एक पड़ोसी उसमें काम करते थे.. उनका बवासीर का आपरेशन हुआ था.. वे मुझसे बोले- इस बार मेरी जगह तुम काम कर लो।
मैं काम करने गया। सुपरवाईजर मैडम दोपहर में चेक करने राउंड पर आईं तो उन्होंने मुझसे पूछा- पहले कहीं ट्रेनिंग ली थी..?
मैंने कहा- नहीं।
उसने मुझे हटा दिया।
दूसरे दिन मैं फिर गया और उनसे बोला- मैडम मैं आपके इन बाकी के वर्करों के साथ फ्री में काम करके काम सीखना चाहता हूँ।
उन्होंने हाँ कर दी।
बाद में धीरे-धीरे मुझे अगले महीने से काम मिलने की आस जाग गई.. जब एक बार मेरे एक लड़के को मैडम डाँट कर बोली- निकल जाओ बदतमीज।
वो चला गया.. और बस उसकी जगह मैं रख लिया गया।
बाद में अन्य लोगों ने मुझे बताया- उस लड़के ने मैडम को आंख मार दी थी।
मैडम दो बच्चों की माँ थी.. उनकी खूबसूरत चूचियाँ.. नवयुवतियों कि भाँति छोटी-छोटी और पुष्ट और उन्नत थीं..
वे गोरी इतनी थीं कि धूप में निकलने और गुस्से में आने से उनके चेहरे पर लाली आ जाती थी।
धीरे-धीरे मैं अधिक समय देने लगा.. ऑफिस में और लोग दो बजे छूट जाते.. पर मैं चार बजे तक लगा रहता।
मैडम मुझसे सुपरवाईजर वाले काम भी करवाने लगीं.. धीरे-धीरे मेरी और उनकी बनने लगी। यहाँ तक कि किसी वर्कर को हटाने और रखने में मेरी मर्जी चलने लगी।
मैं कार में मैडम के साथ रोज फाईनल रिपोर्ट देने हेड ऑफिस जाता। हेड ऑफिस के लाग भी मुझे जानने लगे।
एक बार उनके पति का तबादला झाँसी हो गया। उसी दौरान एक दिन उनके दोनों बच्चे गर्मी की छुट्टी में नानी के घर गए। अब वो अकेली रह गई थीं।
एक दिन जब बाकी के वर्कर चले गए तो मैं हमेशा की तरह फाईलों की समीक्षा कर रहा था।
तभी मैडम ने मुझे आवाज दी- सुदर्शन.. जरा अन्दर आना।
मैं अन्दर गया.. वे कुछ बीमार सी लग रही थीं। मैंने पूछा- क्या आपकी कुछ तबियत खराब है?
बोली- हाँ..
मैंने पूछा- क्या हुआ है?
उन्होंने शर्माते हुए कहा- एक फोड़ा हो गया है।
मैंने पूछा- अरे दिखाओ.. किधर हो गया?
मुझसे वो झिझकते हुए बोली- मेरी पिछवाड़े (गाण्ड) में फोड़ा हुआ है.. प्लीज देखना बहुत दर्द कर रहा है।
पहले तो मैं चौंक गया फिर मैंने स्थिति को हल्के में लिया और कहा- ठीक है.. दिखाइए।
उन्होंने अपनी सलवार उतार दी.. वो पैंटी नहीं पहने हुई थी.. उसने अपनी नंगी गाण्ड को मेरी तरफ कर दिया। मैंने देखा वास्तव में उनकी गाण्ड की ऊपरी दरार में एक फोड़ा हुआ था.. जो अभी पूरी तरह पका नहीं था।
उन्होंने लगाने वाली दवा मुझे दी.. मैंने लगा दवा लगा दी.. बात खत्म हुई।
अब वे मुझे रोज बुलातीं और अब मैं रोज उनकी गाण्ड में दवा लगाता। तीन दिन बाद वो फोड़ा पक गया.. फिर मैंने उसको फोड़ दिया।
अब फोड़ा के घाव की सफाई करके मैं रोज दवा लगाने लगा.. चार दिन में ही घाव भर गया।
वो मुझसे खुल गई थी।
फिर उन्होंने कहा- मैं तुम्हारे सामने नंगी हो जाती थी.. फिर भी तुमने कभी गलत तरह से टच नहीं किया.. वरना लोग तो ऐसे मौके पर रेप भी कर देते हैं।
मैं बोला- मैं आपसे प्यार करता हूँ इसलिए…
उन्होंने मुस्कुरा कर अपनी बाँहें फैला दीं और मुझे अपने आगोश में ले लिया।
फिर उन्होंने मुझे चूमते हुए कहा- मेरा ये जिस्म तुम्हारा है.. अब सेवा का मेवा खाओ।
मैडम ने मेरे सिर को पकड़ कर होंठों को चूसना शुरू किया और मेरे होंठों को चाटने लगीं। मैडम की गर्म और हल्के मीठे लार का स्वाद मेरे मुँह में घुलने लगा।
फिर मैंने उनको निर्वस्त्र करके.. उनकी चूचियों को दबाने लगा, उनकी चूचियों के तनी घुंडियों को ऊँगली से अन्दर ढकेल देता और वो पुनः बाहर को उठ जातीं।
फिर मैडम मुझे बाथरूम में ले गईं और हम दोनों ने अच्छी तरह अपने बदन के हर अंग को साफ किया और तौलिया से जिस्म को पोंछ कर बाहर आए।
फिर मैंने उनके अत्यंत गोरे बदन को पाँव से सिर तक.. आगे से पीछे तक.. खूब चूमा, फिर उनकी गोरी टाँगों के बीच में हल्की भूरे और गोरे रंग के मिश्रित रंग की बुर को पहले बाहर से चूमा.. फिर दोनों फाँकों को फैलाकर चूत को चाटने लगा।
उस समय उत्तेजना के कारण उनका नमकीन पानी भी मुझे अमृत सा लग रहा था। मैं बुरी तरह उत्तेजित हो चुका था.. मेरे लंड से ‘प्री-कम’ (चुदास का लिसलिसा पानी) निकलने लगा।
मैंने कहा- मैडम.. अब मैं रुक नहीं सकता अब मैं तुम्हें चोदना चाहता हूँ।
वो बोली- अभी तुम बहुत उत्तेजित हो.. अभी तुम्हारा पानी जल्दी निकल जाएगा।
फिर वो मेरे लंड से निकलते प्री-कम को अपने अंगूठे से लंड के छेद और सुपाड़े पर रगड़ने लगीं।
करीब एक मिनट बाद मैंने बोला- मैडम अब मेरा निकलने ही वाला है।
उन्होंने लंड को अपने मुँह में ले लिया, उनकी जीभ की गर्मी पाकर उसी वक्त मैं भी जोर से झड़ गया। वीर्य की पहली धार तेजी से निकलने के कारण उनके गले के कौआ (गले के अन्दर लटकने वाली माँसल संरचना) से टकरा गया और उनको खाँसी आने लगी।
मैंने लंड को थोड़ा सा बाहर निकाला। वो वीर्य को पीने के बाद ‘फ्रेंच-किस’ करने लगीं.. जिससे वीर्य का स्वाद उनके जीभ से मुझे भी आने लगा.. हल्का नमकीन सा..
वो फिर से मेरा लंड चूसने लगीं जल्द ही लंड खड़ा हो कर उनके छेद में घुसने को बेताब हो गया।
मैडम बोली- लंड को बिना हाथ से पकड़े चूत में घुसेड़ो।
मैंने कई बार कोशिश की पर इस तरह लंड चूत में अन्दर जा नहीं सका। मैंने लंड को हाथ से पकड़ कर बुर में घुसेड़ दिया, लंड सटासट अन्दर-बाहर होने लगा.. कुछ समय बाद मैडम ने मुझे धक्का दे दिया मेरा लंड बाहर निकल गया।
वो मुझ पर चढ़ गई और अपनी बुर मेरे मुँह पर घिसने लगी और एक तेज धार से मुँह को भिगो दिया।
मैंने मैडम को नीचे किया.. उनकी टाँगों को अपने कंधे पर रखा.. लंड बुर में डालने के बाद दोनों हाथों से उनकी चूचियों को पकड़ कर खींचते हुए धक्के देने लगा।
धच्च-धच्चाक.. और झड़ने के बाद भी दस धक्के लगाता ही रहा, मैडम को पूरी शांति मिल गई।
फिर तो जब भी मौका मिलता.. मैडम मुझे फोन करती और मैं चोदने पहुँच जाता। कुछ समय बाद CEO ने मेरे काम को देखते हुए मुझे उनकी जगह सुपरवाईजर बनाने का प्रस्ताव दिया।
उन्होंने कहा- सारा काम तुम करते हो.. मैडम को हटाकर तुम सुपरवाईजर बन जाओ।
मैंने सोचा 6 दिन के 3000+ गाड़ी के तेल का पैसा कम नहीं होता। रही बात चूत की.. तो मेरे अंडर मे 10 लौंडे + 6 लौंडियाँ काम करेंगे.. किसी को पटाकर पेल दूँगा।
मैडम को जब पता चला कि मैंने उनको रिप्लेस कर दिया तो वो मुझसे नाराज हो गई। फिर उसने चूत तो क्या.. झांट का बाल भी नहीं दिया और धमकी देने लगी- तुम्हारे घर सबको बता दूँगी।
मैंने कहा- कोई बात नहीं.. ज्यादा से ज्यादा घर वाले मेरी शादी ही कर देंगे.. चलो रोज बुर का जुगाड़ हो जाएगा। वैसे भी सभी लोग आपको ही दोष देंगे कि अपने से आधी उमर के लड़के को खराब कर दिया।
फिर मैडम शाँत हो गईं।
मेरे जीवन में ऊपर वाले ने बहुत अधिक चूतों का चोदना लिखा है.. आपको अपने अनुभवों से परिचित करता रहूँगा।
मित्रों बुर के कुछ प्रचलित नाम लिख रहा हूँ। बुर, बुरांडा, भथियान, चूत,योनि, चिड़िया, भोष, भोसड़ा, भोसड़ी..होते हैं।
इसी प्रकार लंड के प्रचलित नाम- लंड, लवड़ा, पेलहर, लौड़ा, मुन्नी, नुन्नी, मुल्ली, लुल्ली, लिंग,लन आदि के अतिरिक्त नए नाम भेजिएगा। आप भी नए नाम की जानकारी देते हुए मुझे अपने कमेंट जरूर प्रेषित करें।