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Channel: ଭାଉଜ ଡଟ କମ - Odia Sex Story
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बड़ा लंड चूत में कैसे जाएगा (Bada Lund Choot Me Kaise Jayega)

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मेरा नाम सैंडी है, यह मेरी पहली कहानी है, मैं सोनिया को बहुत चाहता हूँ। वो बहुत ही सेक्सी लड़की है.. उसका फिगर 34-28-26 का है। उसके गोल-गोल मम्मे दबाने में मुझे बहुत मज़ा आता है। मैं जब उसकी उठी हुई गाण्ड पर हाथ फेरता हूँ तो मुझे इतना मज़ा आता है कि आपको बता नहीं सकता…

जब मैंने पहली बार सोनिया को चोदा था.. ये तब की कहानी है.. आपको भी बताता हूँ.. अपना अपना पकड़ कर पढ़िए।
वो और मैं एक ही बस.. ट्रेन.. आदि से आते-जाते थे, इसी रोज की मुलाक़ात के चलते ही हम दोस्त बन गए, अब मैं और सोनिया एक साथ आते-जाते और बातें करते थे, हमारी नजदीकियाँ बढ़ने लगीं और हम दोनों रात को भी फोन पर घंटों बातें करने लगे थे।
एक दिन मैंने उससे ‘आई लव यू’ बोल दिया.. उसने भी हाँ कर दी.. बस मेरी तो समझिए लॉटरी ही लग गई। अगले दिन मैं सोनिया को एक पार्क में ले गया.. वहाँ बात करते-करते मैंने सोनिया के गाल पर चुम्बन कर लिया।
वो बोली- ये क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- क्या तुम्हें बुरा लगा?
उसने मेरा हाथ पकड़ कर बोला- नहीं.. बुरा तो नहीं लगा.. पर डर लगता है कि कोई देख लेगा…
‘जब प्यार किया तो डरना क्या..?’ मैंने ये बोल कर उससे अपनी बाँहों में ले लिया।
वो कसमसा कर बोली- नहीं.. यहाँ नहीं.. मुझे डर लगता है.. किसी ने देख लिया तो.. मैं बदनाम हो जाऊँगी।
मैंने कहा- चलो.. मेरे घर चलते हैं.. वहाँ कुछ खा भी लेंगे और बैठ कर आराम से बात भी कर सकते हैं.. उधर कोई देखेगा भी नहीं…
आगे की कहानी दोस्तों जैसे उसने और मैंने आपस में बात की थी.. वैसे ही सुनाता हूँ…
सोनिया- तुम्हारे घर पर कोई आ गया तो?
मैं- फिलहाल मेरे घर किसी को नहीं आना है.. सब शादी में गए हुए हैं.. सब 3 दिन बाद आएंगे.. और इसी बहाने तुम मेरा घर भी देख लोगी।
सोनिया- ओ के, चलो।
हम दोनों घर पहुँच जाते हैं।
मैं- आओ बैठो.. क्या तुमको पानी पीना है?
सोनिया- नहीं.. थैंक्स मैं जरा थक गई हूँ.. मुझे थोड़ा आराम करना है।
मैं- अरे.. तो यहाँ आ जाओ ना.. बिस्तर पर आराम से लेट कर आराम कर लो।
सोनिया- ओके…
मैं भी सोनिया के पास बैठ जाता हूँ।
मैं- सोनिया ये जैकेट उतार कर आराम से लेट जाओ न.. वैसे भी आज गर्मी है।
सोनिया- मैं थक गई हूँ.. तुम उतार दो ना..प्लीज़..
मैं- हाँ.. लाओ मैं उतार देता हूँ।
उसकी जैकेट उतारते वक्त मेरे हाथ उसके मम्मों पर लग गए। उसने अपनी आँखें बंद कर लीं। अब वो उल्टी होकर लेट गई।
उफ्फ.. उसकी गाण्ड की गोलाइयों को देख कर मेरा मन कामातुर हो उठा.. दिल ने तो सोचा की पूरा लंड उसकी गाण्ड में पेल दूँ.. मसल दूँ इसकी उठी हुई मस्त गाण्ड…
मैं- सोनिया.. क्या तुम तो सो रही हो?
सोनिया- क्या करूँ.. बातें तो कर रही हूँ ना…
मैं- और प्यार..!
सोनिया ने अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लिया और बोली- मुझे नहीं पता.. कैसे करते हैं।
मैं- मैं बताऊँ…
सोनिया- हाँ..
मैं उसके बाजू में लेट कर उसकी पीठ पर हाथ फेरने लगा। उसका कोई प्रतिरोध न देख कर.. मैंने उसके गालों को चुम्बन करने लगा।
मैं- सोनिया आई लव यू..
वो मेरी तरफ होकर मेरे गले में हाथ डाल कर मुझसे चिपक गई और बोली- आई लव यू टू..
अब मैं उसके शहद जैसे होंठ अपने होंठों में लेकर चुम्बन करने लगा।
मैं- ओह सोनिया.. मेरी जान.. आई लव यू.. उहह.. आह.. सोनिया मुझे अपनी बाँहों में समा लो आह…
मैंने उसके टॉप के अन्दर हाथ डाल कर उसकी चूचियों को दबाने लगा। उसे भी मज़ा आने लगा था।
मैं- ये टॉप निकाल दो ना.. मुझे इनको खाना है।
सोनिया- जानू.. तुम ही निकाल दो.. मैं अब तुम्हारी हूँ.. बस मुझे प्यार करते रहो।
मैंने उसका टॉप निकाल दिया। उफ्फ.. क्या माल लग रही थी।
अब मैं उसकी गुलाबी ब्रा के ऊपर से उसकी चूचियाँ दबा रहा था। मैंने उसकी ब्रा भी निकाल कर उसका एक मम्मा अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगा।
अब वो भी उत्तेजित हो उठी और मेरे भी कपड़े निकालने लगी- तुम भी तो निकालो अपने कपड़े…
मैंने अपने कपड़े उतार दिए- लो.. निकाल दिए…
अब वो मेरे अंडरवियर को देख कर बोली- तुम अपना पप्पू दिखाओ ना…
मैंने अपना लवड़ा बाहर निकाला- देख लो.. तुम्हारे लिए ही है…
सोनिया- इतना बड़ा है.. हाय राम..
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैं उसकी जीन्स निकालने लगा.. तो कहने लगी- नहीं प्लीज़.. मत उतारो.. जब तुम्हारा इतना बड़ा अन्दर जाएगा.. मैं मर जाऊँगी.. प्लीज़..
मैं- कुछ नहीं होगा.. स्वीट-हार्ट.. जब ये तुम्हारी चूत को टच करेगा.. तो अपने आप रास्ता बन जाएगा.. लोगों के तो इससे भी बड़े-बड़े होते हैं।
मैं आप लोगों को बता दूँ.. मेरा लंड 7″ लंबा और व्यास में 2″ मोटा है।
मैं उसकी जीन्स को जबरन निकाल देता हूँ, उसकी चूत को उसकी पैन्टी के ऊपर से ही सहलाने लगता हूँ।
सोनिया- आह्ह.. प्लीज़.. मजा आ रहा है.. करते रहो ना..
मैंने उसकी पैन्टी को धीरे से नीचे किया तो.. ऊओफफ्फ़.. क्या चूत थी साली की.. एक भी बाल नहीं.. एकदम चिकनी.. और गोरी चूत.. मैं तो देखता ही रह गया।
मैं- ओह.. सोनिया तुम कितनी सेक्सी हो..
मैं उसकी गाण्ड पर हाथ फेरने लगा.. साथ-साथ उसके मम्मे भी चूस रहा था।
अब मैं उसकी प्यारी सी चूत को चुम्बन करने लगा।
सोनिया- आहह… उूउउफफ.. बहुत गुदगुदी हो रही है.. प्लीज़.. लौड़ा जल्दी डालो ना…
पर मैंने नहीं डाला.. क्योंकि मुझे भी तो उससे अपना लंड चुसवाना था।
मैंने उसके हाथ में अपना लंड देकर कहा- तुम भी इसे प्यार करो ना…
सोनिया- कैसे?
मैं- इसे मुँह में लो ना.. मज़ा आएगा।
सोनिया- नहीं.. मुझे मुँह में लेना अच्छा नहीं लगता।
साली कह तो ऐसे रही थी.. जैसे पहले का किसी का लौड़ा चख कर देखा हो।
मैं- मैंने भी तुम्हारी चूत को चुम्बन किया था न.. तुम्हें कितना मज़ा आया था.. अब मुझे भी तो मज़ा दो ना..
सोनिया- अच्छा बाबा.. लेती हूँ.. तुम मानोगे थोड़ी.. दो अपने पप्पू को..
अब हम 69 की अवस्था में एक-दूसरे को मज़ा दे रहे थे।
फिर मैंने उससे सीधा लिटाया और उसकी चूत के पास लंड लाकर.. लंड के टोपे से से उसकी चूत को रगड़ने लगा।
अब वो गरम हो गई थी और ज़ोर-ज़ोर से बोल रही थी।
सोनिया- प्लीज़.. आहह… अब डाल भी दो ना..
मैं- जरा दर्द होगा..
सोनिया- सह लूँगी.. अब जल्दी से डाल दो.. मेरी चूत में.. फाड़ डालो इसे.. प्लीज़..
मैंने अपने लंड पर थोड़ा थूक लगाया और उसकी चूत में डालने लगा।
अभी लंड का अगला हिस्सा ही डाला था कि सोनिया चिल्लाने लगी।
सोनिया- आआ… नहीं.. निकाल दो आहह… बहुत दर्द हो रहा है…
मैं- बस थोड़ी देर दर्द होगा.. उसके बाद बहुत मज़ा आएगा जानेमन.. अपनी टाँगें ढीली छोड़ दो…
ये कह कर मैंने एक ज़ोरदार झटका मारा.. मेरा लवड़ा पूरा का पूरा उसकी चूत में घुस गया। वो पहली बार चुद रही थी.. उसकी सील टूट गई.. खून आने लगा, वो ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी।
सोनिया- आईई… मेरी फट गई.. आहह.. मर गई माँ.. प्लीज़ निकालो.. प्लीज़ अइया.. निकालो…
अब मैंने हल्के-हल्के झटके देने चालू किए। कुछ ही धक्कों के बाद उसने भी रोना बंद कर दिया.. उसकी आँखें बंद थीं। अब वो भी अपनी गाण्ड को थोड़ी-थोड़ी उठा कर झटके सी ले रही थी।
मैंने उसके गालों को चुम्मी करते हुए पूछा- जान.. अब कैसा लग रहा है?
सोनिया- अब ठीक है.. थोड़ा-थोड़ा मज़ा भी आ रहा है.. करते रहो जानू.. आहह. ओह.. अब और ज़ोर से करो.. हाँ मजा आ रहा है.. मेरी फाड़ डालो.. आ… उउफ्फ…
अब वो ज़ोर-ज़ोर से गाण्ड उठाने लगी, मैंने कहा- मेरा निकलने वाला है।
सोनिया- अन्दर ही निकाल दो.. मैं गोली खा लूँगी.. अहह…
मैं- आहह.. सोनिया आहह…..
मेरा निकलने लगा.. उसने अपनी टांगों से मुझे जकड़ लिया.. वो भी झड़ चुकी थी।
अब मैंने अपना लंड निकाल कर पास पड़े तौलिया से साफ़ किया.. उसकी चूत खून से लाल हो गई थी। सारे पलंग पर खून ही खून देखा कर वो घबरा गई- ये क्या हो गया?
मैं- कुछ नहीं.. कभी-कभी पहली-पहली बार ये सब करने से ऐसा होता है। उसके बाद कभी नहीं होता.. बस मज़ा आता है।
फिर मैंने उससे नंगा उठाया और बाथरूम ले गया.. उधर फुव्वारा खोल कर हम लोग नहाने लगे।

Editor: Sunita Prusty
Publisher: Bhauja.com


करन का प्यार (Karan Ka Pyar)

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हाय जानू
पिछले कॉन्फेशन में मैंने तुम्हें बताया कि कैसे मैंने अपना वैलेंटाइन्स डे डैनी के साथ मनाया और कैसे हम दोनों पार्टी से सीधे मेरे बिस्तर तक पहुँच गए। वेल मेरे इस काम से खुश होकर उसने मुझे एक गिफ्ट देने का वादा किया।
एक हफ्ता सब नार्मल था, मैंने वह वीक फोटो-शूट्स और बाकी जॉब्स में बिता दिए।

फिर जब वीकेंड में मैं रेस्ट कर रही थी तब मुझे डैनी का मैसेज आया, उसमें उसने लिखा कि मेरा गिफ्ट लेने के लिए एजेंसी में आना होगा और मैं वह चली गई।
वहाँ मुझे करन मिला, उसने मुझे गले लगाया और मेरी बॉडी ने उसके टच पर इंटरनली एक एक्साइटेड रिएक्शन दिया।
करन हमारी एजेंसी का एक फेमस फोटोग्राफर था। मुझे अभी भी याद था कि कैसे कुछ हफ्तों पहले उसने मुझे आधी रात को चलती बस में चूमा था।
उस रात के किस्सेस इतने सेक्सी थे कि उन्हें याद करके मेरे अंदर करन के लिए अट्रैक्शन बढ़ गई।
करन ने मुझे बताया कि डैनी की हेल्प से हम दोनों को अमेरिका के एक एड कंपनी के साथ कॉन्ट्रैक्ट मिला है।
यह सुन कर मैं ख़ुशी से पागल हो गई और उसे गले लगाया।
फिर मैंने डैनी को फ़ोन करके थैंक्स कहा और वहाँ से जा रही थी जब करन ने मुझे रोका।
उसने कहा कि सेलिब्रेट करते हैं।
मैंने पूछा कि क्या करने का इरादा है?
तो उसने कहा कि नाईट आउट पर एक क्लब जाते हैं।
उसकी आँखों से लग रहा था कि वह बस मेरे साथ टाइम स्पेंड करना चाहता था, क्लब तो बस एक बहाना है।
मैं मान गई और हम वहाँ गए।
उसने ड्रिंक्स आर्डर किये। स्टूल पर बैठे हम ड्रिंक कर रहे थे तो वह मेरी बॉडी को मुस्कुरा कर देख रहा था।
मैंने पूछा कि क्या हुआ?
तो उसने कहा कि मैं बहुत बदल गई हूँ।
उसने कहा कि जब मैं उसे पहली बार मिली थी तो बहुत सिंपल थी।
मैंने उसे पूछा कि अब कैसी हूँ?
तो उसने बोल्ड्ली कहा कि अब मैं बहुत सेक्सी लगती हूँ।
मैंने स्माइल करके उसे प्लेफुल्ली हिट किया और हमने दो तीन ग्लासेज पीने के बाद सब के साथ डांस करने का डिसाइड किया।
थोड़ी देर मस्ती से डांस करने के बाद हम दोनों थक गए और एक दूसरे का सपोर्ट लेकर स्लोली डांस करने लगे।
मैं उसकी बाहों में थी और ऊपर उसकी आँखों में देख रही थी।
उसने कहा कि मैं बहुत ब्यूटीफुल हूँ।
तो मैंने कहा कि क्या तुम मेरे साथ फ़्लर्ट कर रहे हो?
करन का प्यार
तो उसने जवाब दिया कि वह बस कॉम्पलिमेंट दे रहा था और वह हर लड़की पर ऐसे ही चांस नहीं मारता।
मैंने कहा कि उस रात बस में किस करके जो चांस मार था, वह मैं नहीं भूली।
यह सुनकर कि मुझे उस रात की किस्सेस के बारे में पता था, वह ब्लश करने लगा।
उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया और वह कुछ कहने से बच रहा था तो मैंने उसे रिलीफ देते हुए कहा कि घबराओ मत, मुझे उन किस्सेस का बुरा नहीं लगा, बल्कि मुझे तो बहुत अच्छा लगा।
और मैंने बोल्ड्ली उसे कहा कि मैं माइंड नहीं करूँगी अगर वह मुझे फिर से किस करे।
मेरा यह बोल्ड सेंटेंस सडनली मेरे मुँह से निकल गया। पता नहीं यह ड्रिंक का असर था या उसके लिए मेरे अंदर की अट्रैक्शन। मैं कुछ सोच पाती, उस से पहले करन ने एक्साइटमेंट मे मेरे चीन को अपनी उंगलियों से थाम और मेरे चेहरे को ऊपर करके उसने अपने होंठों को मेरे होंठों पर रख दिया।
वह मुझे अग्ग्रेसिवेली किस किये जा रहा था और मैं पूरा मज़ा ले रही थी।
उसके होंठों ने मेरे होंठों को पूरी तरह से एन्जॉय किया और उसके थीं और हार्ड लिप्स को मैंने पूरी शिद्दत से चूमा।
उसने मुझे पहले भी किस किया है.. उस रात उस बस में, और मैं उसके होंठों का मज़ा ले चुकी थी। लेकिन पता है कि इस बार डिफरेंस क्या था?
इस बार मैं उसे अपनी मर्ज़ी से किस कर रही थी और इस कारण किसिंग मे एक अलग ही नशा था।
हमने किस तोड़ा और मेरे मुँह में उसके लिप्स और ड्रिंक का टेस्ट रह गया।
मैंने नोटिस किया कि हमसे इंस्पिरेशन लेकर बाकी लवर्स भी अब किस करने लग गए थे।
मैंने हँस के करन को गले लगाया।
उसने झुक कर मेरे कान में कहा कि कहीं प्राइवेट जगह पर चलते हैं।
मैंने उससे पूछा कि इतनी जल्दी क्या है?
तो उसने कहा कि अगर मैं उसके साथ नहीं गई तो वह पूरी रात सो नहीं पाएगा।
तो मैंने कहा कि ठीक है, लेकिन अगर मैं उसके साथ गई तो मैं उसे पूरी रात सोने नहीं दूँगी।
करन हँसने लग गया और उसने कहा कि चलेगा।
तो हम दोनों उसकी बाइक पर बैठ कर निकल चले उसके घर की ओर… जहाँ मैं उसे पूरी रात सोने नहीं देने वाली थी।
तो जान, इस तरह मेरा करन के साथ नाईट आउट मज़ेदार बन गया।
आगे क्या हुआ जानने के लिए मेरे अगले कॉन्फेशन का इंतज़ार करना।
गुडबाय… मुआअह !

Editor: Sunita Prusty
Publisher: Bhauja.com

भानुप्रिया की चुदास ने मुझे मर्द बनाया

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मेरा नाम अर्जुन है, मैं अब बाईस बरस का हूँ।
यह बात 2011 तब की है.. जब मैं मथुरा में रहता था और उस वक्त मैं अठारह बरस का था।
भानुप्रिया मेरी पहली गर्लफ्रेंड बनी थी, वो गोरी तो थी ही, साथ ही उसका फ़िगर बड़ा ही मस्त था और उसके बोबे तो कहर ढाते थे।

हम एक साथ इंजीनियरिंग में प्रवेश के लिए पढ़ते थे।
उसे मैं अपने घर बुलाया करता था.. तो वो आ जाया करती थी।
और मैंने उसे एक गाना सुना कर प्रोपोज़ किया था.. तो उसने एक झटके में बगैर कुछ ज़्यादा सोचे ही ‘हाँ’ कर दी।
हम कुछ दिन बाहर मिलते रहे, हमारी कोचिंग क्लासिज भी एक ही थीं।
हम दोनों इतने बिंदास हो चुके थे कि फ़ोन पर हमारी बातें सुन कर तो राखी सावंत भी शर्मा जाए और फिर धीरे-धीरे हम दोनों मेरे घर पर ही मिलने लग गए।
वो जब पहली मर्तबा हमारे घर अपनी गोल-गोल तशरीफ़ (उर्दू में गांड को तशरीफ़ भी कहते हैं) ले कर आई थी.. तो मैंने उसे बस जी भर के देखा भर था।
काया तो उसकी बिलकुल क़यामत लग रही थी.. इसी हूर से परी चेहरे को लेकर वो इस क़ायनात में आई थी.. क्या गज़ब ढा रही थी वो.. पर मैंने खुद को संभाला और बस आँखों से ही उसके 32 इंची बोबे देख कर दबाने की तमन्ना लिए रह गया।
फ़िर मैंने भानुप्रिया को जाते हुए कहा- जाते-जाते कुछ भूल नहीं रही तुम?
वो बहुत चालाक थी.. जानबूझ कर अनजान बन रही थी.. तो मैंने बगैर कुछ कहे उसको जाने दिया। वो बाद में मुझे फ़ोन करके मुझ पर हँसने लगी।
मैं मन-ही-मन सोच रहा था कि अगली बार तो इसे छोड़ना नहीं है।
वो मौका भी मुझे जल्द ही मिल गया। हुआ यूँ कि एक दफ़ा वो मेरे घर आई.. तो अभी हमारी कामवाली आंटी गई नहीं थी तो मैंने उनसे हमारे लिए जैली बनवा ली।
फ़िर आंटी चली गईं और घर पर बस मैं और भानुप्रिया ही रह गए।
मैं और भानुप्रिया जैली खा रहे थे.. वो मुझे खिला रही थी और मैं उसे खिला रहा था।
फ़िर वो खुद बोली- पिछली बार जब मैं आई थी.. तब तुम मुझे चूमना चाहते थे ना?
मैं बगैर सोचे-समझे बोला- हाँ..
वो हँसने लग गई.. मुझे शर्म महसूस हो रही थी और वो मेरा चेहरा उतरा हुआ देख कर बोली- आज तो मैंने खुद ही तुम्हें कहा है.. अब तो चूम लो मुझे..
मेरा चेहरा खिल उठा.. मैं मुड़ा और फ़्रिज से एक फाइव-स्टार चॉकलेट ले आया।
वो देख कर कुछ परेशान सी हो गई और बोली- मैं चॉकलेट नहीं.. तुम्हें खाना चाहती हूँ।
मैंने उसे अनसुना कर दिया और चॉकलेट खोलने लगा.. वो बस एक प्यारी-सी परी की तरह मुझे बच्चों जैसी हरकतें करते हुए देख रही थी।
फ़िर मैंने चॉकलेट का एक सिरा अपने मुँह में रखा और दूसरा बाहर रहने दिया ताकि वो समझ जाए।
वो समझ गई और दूसरा सिरा अपने मुँह में रख कर खाने लगी।
हम धीरे-धीरे खाते हुए एक-दूसरे के होंठों की तरफ बढ़ने लगे और फिर जल्द ही चॉकलेट की लंबाई खत्म होने लगी.. पर मेरे लंड की लंबाई बढ़ने लगी।
मैंने जींस की पैंट पहनी हुई थी तो उसमें से वो 6 इंच का तम्बू बना रहा था।
जल्द ही हमारे होंठ मिल गए और हम एक-दूसरे के होंठ चूमने लगे।
कब उसकी जीभ मेरे होंठों पर रेंगने लगी मुझे पता ही नहीं चला। वो पहला मौका था.. जब कोई लड़की मुझे चूम रही थी।
भानुप्रिया बोली- तुम्हारा रॉकेट तो तैयार खड़ा है.. बस किसी चाँद पर जाने की चाह लग रही है।
मैं बस मुस्कुरा कर कुछ न बोला.. तो वो खुद ही मेरी बेल्ट उतारने लगी।
अब मैंने भी अचानक सोचा कि जब वो लड़की हो कर भी तैयार है.. तो मुझे क्यों दिक्कत है। मैंने भी उसकी टी-शर्ट ऊपर खींचना शुरू कर दिया।
तो नीचे वो मेरी पैंट उतार रही थी और मैं उसकी टी-शर्ट।
मुझे उसके बोबे महसूस हो रहे थे.. एक अजीब-सी गर्मी थी उनमें। अब उसकी ब्रा पर मेरा हाथ था और मेरे कच्छे पर उसका हाथ अपना जादू बिखेर रहा था।
वो मेरे कच्छे में अपना हाथ डाल रही थी.. उसके ठन्डे मगर कोमल हाथ मुझे अपने 6 इंच के लंड पर महसूस हो रहे थे और मैं उसकी ब्रा खोलने की भरसक कोशिश कर रहा था।
वो मुझे अपनी ब्रा से जूझता देख रही थी तभी उसे मुझ पर तरस आ गया और वो पलट गई।
तब मैंने उसकी ब्रा के हुक खोले और मेरे हाथों में वो 32 इंची बोबे थे.. जिन्हें मैं किसी पागल की तरह मसल रहा था।
फ़िर मैंने उसकी जींस की बेल्ट खोल दी और जींस को एक झटके में अलग कर दिया।
उसे मैंने उसकी कच्छी में बिस्तर पर पटक दिया। अब मैंने एक बार घड़ी की तरफ देखा तो तीन बज रहे थे.. मेरे पास दो घंटे थे.. उसका ‘काम-तमाम’ करने के लिए..
तो मैंने उसकी कच्छी भी उतार फेंकी, उसकी फुद्दी पर मेरे लंड के विपरीत कोई बाल नहीं थे।
मेरे पास कंडोम नहीं था.. जब मैंने उसे बताया तो वो बोली- उसके पास कंडोम के लिए इंतज़ार करने का वक्त नहीं है.. अब मुझे मत तड़पाओ.. बस घुसा दो.. जो होगी.. देखी जाएगी।
बस उसका इतना कहना था कि मैंने अपना लंड उसकी फुद्दी पे लगाया और एक पहले झटके में पूरा लंड अन्दर दे मारा.. उसकी और मेरी एक साथ ‘आह’ निकल गई।
मैंने जब नीचे देखा तो खून ही खून था। मैंने हड़बड़ी में उसको 6-7 मिनट तक चोदा और उसके बोबे जी भर कर चूसे। फ़िर मुझे लगा.. मैं झड़ने वाला हूँ तो उसे बोला- भानु.. मैं झड़ने लगा हूँ.. तुम्हारा क्या हिसाब है?
उसने जवाब दिया- मैं चाहती हूँ कि तुम अपना माल मेरे मम्मों पर गिरा दो..
मैंने ठीक ऐसा ही किया और अपना माल उसके मुँह पर गिरा दिया.. वो सारा माल चाट गई।
फिर हमने एक-दूसरे को चूम कर ‘आई लव यू’ कहा.. और पौने पांच बजे तक वो तौलिए से खुद को अच्छी तरह पोंछ कर चली गई।
हमारा फ़िर दो साल बाद ब्रेक-अप हो गया.. पर जो भी हो, भानुप्रिया ने मुझे मज़ा तो भरपूर दिया.. एक नौसिखिए से जवान बना दिया।

Editor: Sunta Prusty
Publisher: Bhauja.com

क्लासमेट संगीता का शील भंग

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सुनीता भाभी की ये प्यार भरी जौन कहानी blog को आप सभी देबर को स्वागत।  आज की ये कहानी बहत दमदार हे मुझे लगता हे आप लोगों की मन को बेहेका देगा।  तो आप सभी के लिए मेरी यानी आप सभी की सुनीता भाभी के तरफ से bhauja.com पर आप ये कहानी पढकर मद-होस रंगीन दुनीआं में खो जाइए।


हैलो दोस्तों.. मैं लव चौधरी मथुरा से हूँ। मैं अपनी सच्ची कहानी लिख रहा हूँ.. मुझे उम्मीद है कि आप सबको पसन्द आएगी।
ये कहानी कुछ वक्त पहले की है.. जब मैं बीएससी के पहले साल में था और मेरी क्लासमेट संगीता थी..
जिससे मेरी दोस्ती क्लास में ही हुई थी। वो देखने में सुंदर और सेक्सी थी और थोड़ी भावुक किस्म की थी।
दोस्ती के बाद से हम दोनों क्लास में एक ही बैंच पर आजू-बाजू में बैठते थे।
कुछ ही दिन में हम आपस में बहुत घुल-मिल गए थे और कभी-कभी तो कॉलेज से बंक मार कर बाहर घूमने भी चले जाते थे।
हम दोनों जब भी बाहर जाते थे हमारे जिस्म जब भी एक-दूसरे से टच हो जाते थे तो मेरे जिस्म में 11000 वोल्ट का करंट दौड़ने लगता था और मेरा 8 इंच लंबा और 3 इंच मोटा लण्ड खड़ा होने लगता था।
उस वक्त मेरे दिमाग में अजीब से ख्याल आने लगते थे और मुझे उसे बार-बार छूने का मन करता था.. मुझे ये बहुत अच्छा लगता था।
एक दिन हम मॉल में घूमने गए.. तो उसने कहा- लिफ्ट से चलते हैं।
लिफ्ट में केवल हम दो ही थे और मैंने मौका पाकर उसके होंठों पर चुम्बन कर दिया और उसके गोल-गोल मम्मों को ज़ोर से दबा दिया।
वो गुस्सा हो गई और मुझसे बोलने लगी- यह ग़लत है..
मैं चुप हो गया.. लेकिन उस दिन के बाद बस दिल एक ही ख्वाहिश थी.. उसे चोदने की..
उसका फिगर साइज़.. करीब 32-30-32 का था.. वो बहुत मस्त लगती थी।
लेकिन उस दिन के बाद वो मुझे अपने जिस्म से हाथ भी नहीं लगाने देती थी।
इस घटना के बाद मैंने उसे बहुत बार बाहर चलने को और सेक्स करने को कहा.. लेकिन वो हमेशा मना कर देती थी।
अब मुझे उस पर बहुत गुस्सा आने लगा था.. और हर वक्त ये ही सोचता था कि जब भी मौका मिलेगा इसे छोड़ूंगा नहीं.. चोद ही डालूँगा..
एक दिन शाम को मैं अपने दोस्त की दुकान पर घूमने के लिए गया।
मेरा दोस्त दवाई की दुकान पर जॉब करता था।
जब मैं उसके पास पहुँचा तो उसने पूछा- क्यों परेशान है?
मैंने उसे अपनी और संगीता की सारी कहानी बता दी।
तो उसने कहा- बस इतनी सी बात से परेशान हो.. तू चिंता मत कर.. तेरी संगीता को मैं चुदवा दूँगा।
मुझे लगा.. यह मेरी टाँग खींच रहा है।
फिर चलते वक्त दोस्त ने मुझे दो गोलियाँ दीं और बोला- एक तू खा लेना ओर एक गोली को किसी खाने की चीज में मिलाकर संगीता को खिला देना।
मैंने कहा- ठीक है।
मैं घर आ गया.. लेकिन मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि गोली से कुछ होगा.. जो लड़की हाथ नहीं लगाने दे रही है.. वो चोदने कैसे देगी।
फिर मैंने सोचा.. कुछ तो होगा ही.. फिर मैं दूसरे दिन गोली ले कर कॉलेज गया और सारा दिन संगीता को बाहर घुमाने के लिए मनाता रहा लेकिन वो बार-बार मना कर रही थी।
लेकिन जब मैंने वादा किया कि मैं उसे हाथ नहीं लगाऊँगा.. तो वो मान गई और उसने अगले दिन चलने के लिए कहा।
फिर कॉलेज खत्म होते ही हम अपने-अपने घर चले गए।
अब तो मैं अगले दिन लिए बहुत खुश भी था और परेशान भी.. कि क्या होगा।
आख़िर अगला दिन आ ही गया और मैं कॉलेज के बाहर उसका इन्तजार करने लगा।
थोड़ी देर बाद संगीता आ गई.. आज उसने ब्लू जींस और गुलाबी रंग का टॉप पहना था.. जिसमें से उसकी तनी हुई चूचियाँ साफ दिख रही थीं और वो बड़ी सेक्सी लग रही थी।
उसे देख कर मेरा लण्ड फुदकने लगा।
मुझ पर चुदाई का भूत चढ़ने लगा।
मैं बाहर घूमने जाने के हिसाब से अपना बैग लाया ही नहीं था और संगीता ने अपना बैग अपनी सहेली के पास छोड़ दिया और हम दोनों घूमने चल दिए।
घूमते-घूमते हम लाग बातें करते हुए बिग-बाज़ार पहुँच गए।
बिग-बाज़ार में मैंने उसे कॉफी के लिए बोला.. वो मान गई और हम एक टेबल देख कर पर बैठ गए।
मैं कॉफी लेने चला गया.. मैंने कॉफी ली और दोनों कॉफी में दोस्त की दी हुई गोलियाँ डाल दीं.. और लाकर एक कॉफी संगीता को दे दी।
हम दोनों कॉफ़ी पीने लगे और कॉफी पीने के बाद थोड़ी देर मॉल में घूमे और फिर बाहर निकल आए.. सड़क पर बातें करते हुए चलने लगे।
कॉफी पिए हुए हमें आधा घंटा हो चुका था और मुझे थोड़ी बेचैनी होने लगी थी, साथ ही मेरी धड़कनें भी बढ़ने लगी थीं।
मुझे संगीता को चुम्बन करने का दिल करने लगा।
थोड़ा आगे चलने के बाद सड़क के किनारे पेड़-पौधों के कारण घना जंगल सा झुरमुट था.. उधर झाड़ियाँ भी थीं.. तो झाड़ियाँ देख कर संगीता ने मुझे उधर खड़ा कर दिया और खुद झाड़ियों के पीछे पेशाब करने चली गई।
दो मिनट बाद मुझसे रुका नहीं गया और मैं भी उसके पीछे चला गया।
वो मुझे देख कर खड़ी हो गई और पूछने लगी- तुम यहाँ क्या कर रहे हो?
तो मैं कुछ नहीं बोला और उसे अपनी बाँहों में जकड़ लिया।
मैं उसे तेज-तेज चुम्बन करने लगा.. और उसके मम्मों को दबाने लगा। वो मुझसे छूटने की कोशिश करने लगी।
कुछ मिनट तक मुझसे जद्दो-जहद करने के बाद उसे भी मजा आने लगा और उसने मेरा विरोध करना छोड़ दिया।
अब वो भी मुझे चुम्बन करने लगी, उसे मजा आने लगा था।
फिर मैं अपना एक हाथ उसकी चूत पर ले गया और सहलाने लगा, मैं उसे चुम्बन करते जा रहा था।
अब तो वो मेरा पूरा साथ दे रही थी तभी मैंने उसका एक हाथ अपने लण्ड पर रख दिया और वो मेरे लण्ड को पैन्ट के ऊपर से ही मसलने लगी।
अब वो गरम होने लगी थी और उसके मुँह से आवाजें निकल रही थीं- आह.. अह.. आआह और तेज-तेज मम्मे दबाओ..
अब हमको ऐसा करते हुए करीब आधा घंटा हो चुका था।
फिर अचानक मुझे किसी के आने आहट लगी तो हम अपने कपड़े ठीक करके सड़क पर निकल आए।
लेकिन अब वो बहुत ही गरम हो चुकी थी और मुझे चुदासी नजरों से देख रही थी।
हम सड़क पर चलने लगे.. थोड़ा आगे ही एक गेस्ट-हाउस था.. और वो उसके सामने जाकर रुक गई।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो कुछ नहीं बोली.. बस गेस्ट-हाउस की तरफ देख रही थी।
मैं समझ चुका था.. फिर मैंने उसका हाथ पकड़ा और गेस्ट हाउस मैं घुस गया।
फिर मैंने 800 रुपए में एक कमरा बुक किया और हम कमरे में चले गए कमरे में जाते ही उसने मुझे अपनी बाँहों में जकड़ लिया और मुझे चुम्बन करने लगी।
वो कामुकता से कहने लगी- आज तुम मुझे चोद ही डालो..
यह सुनते ही मेरा रोम-रोम खिलने लगा और मैंने उसे गोद में उठाया और पलंग पर डाल दिया।
मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसे चुम्बन करने लगा। वो भी मुझे चुम्बन कर रही थी। दो मिनट बाद उसके मुँह से आवाज़ निकलने लगी- आआह.. आह.. आह..
उसने मेरे एक-एक करके सारे कपड़े उतार दिए।
अब मैं नंगा हो चुका था.. मेरा लण्ड खड़ा हो चुका था।
मैंने भी उसके सारे कपड़े उतार दिए।
अब हम दोनों पूरे नंगे हो चुके थे।
उसका गोरा बदन बड़ा सेक्सी लग रहा था.. उसके उठे हुए आमों को देख कर मेरा केला भी तनतना रहा था।
उसे देख कर मुझसे रुका ही नहीं जा रहा था।
हम एक-दूसरे पर टूट पड़े.. मैं एक हाथ से उसकी चूचियों को मसक रहा था और एक आम को मुँह में लेकर चूस रहा था।
वो मेरे लण्ड को सहला रही थी और अपनी चूचियों पर मेरा मुँह दबाती जा रही थी।
फिर मैंने एक हाथ उसकी चूत पर ले गया और मैंने देखा कि उसकी चूत पूरी गीली हो चुकी थी।
मैं चूत को सहलाने लगा तो वो और तेज-तेज आवाजें निकालने लगी।
‘आह्ह.. मुझे चोदो.. जल्दी चोदो.. आह्ह..’
फिर मैं नीचे को खिसका और उसकी चूत पर अपना मुँह रख दिया।
अब मैं उसकी रसभरी चूत को चाटने लगा, उसकी गुलाबी चूत को जीभ से चोदने लगा।
दो मिनट तक चूत चटवाने के बाद संगीता ‘ऊऊऊओह.. आआह.. ईईई..’ करके झड़ गई।
मैंने उसकी चूत का सारा पानी पी लिया और चूत को चाटता रहा।
मेरे चाटने से थोड़ी ही देर में वो फिर से गरम होने लगी थी।
अब मैं उठा और अपना लण्ड उसके मुँह पर रख दिया।
उसने मेरा लण्ड मुँह में ले लिया और चूसने लगी। वो एक हाथ से अपनी चूत को सहलाने लगी।
अब मेरे मुँह से मादक आवाजें निकलने लगी- आअहह…अह..
मैं उसका सिर पकड़ कर उसका मुँह चोदने लगा।
मेरा लण्ड कड़क हो चुका था.. मैंने उसके मुँह से लण्ड निकाल लिया और उसे लेटा कर उसकी चूत पर रख दिया।
मैंने अपने अपने लण्ड पर बहुत सारा थूक लगाया और एक ज़ोर का धक्का मारा।
उसकी चूत बहुत टाइट थी.. तो केवल मेरे लण्ड का टोपा ही अन्दर गया था और वो चीखने लगी.. बाहर निकालने को कहने लगी।
लेकिन मैंने उसकी एक न सुनी और फिर से धक्का मारा।
अब मेरा आधा लण्ड उसकी झिल्ली को फाड़ते हुए चूत में घुस गया।
वो तेज-तेज चीखने लगी.. तो मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और उसकी आवाज़ बंद कर दी।
उसकी आँखों से पानी बहने लगा.. फिर मैंने एक और धक्का मारा और पूरा लण्ड उसकी चूत में घुसेड़ दिया।
उसकी चीख मेरे मुँह में ही दब गई थीं और अब वो दर्द के कारण हाथ-पैर पटकने लगी.. तड़पने लगी और उसकी चूत से खून निकलने लगा था।
मैं थोड़ी देर रुका और उसे चुम्बन करने लगा उसके मम्मों को दबाने लगा।
थोड़ी देर में वो कुछ शान्त हो गई.. ये देख कर मैं धीरे-धीरे लण्ड को चूत में अन्दर-बाहर करने लगा।
अब उसे भी कुछ-कुछ मजा आने लगा था।
वो दर्द से भरी कामुक आवाज़ निकाल रही थी।
‘आहह.. ऊऊऊऊहह.. ऊहह..’
अपनी मादक सीत्कारों के साथ ही नीचे से अपनी गाण्ड उठा कर मेरा साथ देने लगी।
अब हम दोनों तेज-तेज आवाजें निकालने लगे और दनादन धक्के लगाने लगे।
मेरा लण्ड तेज़ी से चूत में अन्दर-बाहर हो रहा था.. चिकनेपन की वजह से “फॅक.. फॅक” की आवाज़ आ रही थी.. “फॅक.. फॅक” की आवाज़ सारे कमरे में गूंजने लगी।
हम दोनों के गोली खाने की वजह से हमारा जोश बढ़ता चला जा रहा था।
चुदाई में बहुत मजा आ रहा था।
‘आआहह.. ओर तेज चोदो.. ओर तेज चोदो..’
‘ले साली.. और भीतर ले..’
बस इन्हीं आवाजों से मस्ती का माहौल था।
अब हमको चुदाई करते-करते काफी वक्त हो गया था.. लेकिन कोई भी झड़ने का नाम नहीं ले रहा था।
दोनों में किसी का भी स्खलन नहीं हो रहा था।
फिर मैंने उसे कुतिया की तरह बनाया और पीछे से उसे चोदने लगा।
मैं बहुत तेज-तेज धक्के लगा रहा था।
उसकी सिसकारियाँ बढ़ गई- आआह.. आआह.. ऊऊऊओह..
ऐसा लग रहा था कि आज मेरा लण्ड फट जाएगा।
फिर लम्बी चुदाई के बाद संगीता सीधी लेट गई और मैं उसे ऊपर से चोदने लगा।
अब वो झड़ने वाली थी.. तो उसने मुझे अपनी बाँहों में जकड़ लिया और अपनी बहुत ही टाइट चूत में मुझे समाने की कोशिश करने लगी, अकड़ती हुई झड़ गई।
उसके झड़ने के बाद मैं भी झड़ने वाला था और थोड़ी देर तेज-तेज धक्के लगा कर ‘अयाया आआआह आआआह आह..’ मैं भी झड़ गया।
मैंने लण्ड का सारा पानी उसकी चूत में ही छोड़ दिया और उसके ऊपर ही लेट गया। थोड़ी देर लेटने के बाद हम खड़े हुए तो देखा कि नीचे बिछी चादर खून से सन चुकी थी।
संगीता देख कर डर गई।
फिर मैंने उसे समझाया कि पहली बार में ऐसा होता है।
हम बाथरूम में गए और अपने- अपने सामानों को साफ करने लगे।
जब मैंने उसकी चूत को देखा तो उसकी चूत सूज चुकी थी और खुल गई थी।
संगीता को बहुत दर्द हो रहा था और चलने में भी परेशानी हो रही थी।
हमने कपड़े पहने और गेस्ट हाउस का बिल चुका कर कॉलेज आ गए।
कॉलेज से अपने-अपने घर चले गए।
उसके बाद मैं उसे बहुत बार चोद चुका हूँ.. फिर तो मैंने उसकी गाण्ड भी मारी थी।
अब जब भी वक्त मिलता.. हम दोनों खूब चुदाई करते।
Editor: Sunita Prusty
Publisher: Bhauja.com

चूत चुदाई की मेरी पहली सीख

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मेरे सरे प्यारे पाठक जो की भौज.com के  को हमेसा पढ़ते हैं उन्हें में सुनीता भाभी आप सभी को मेरी ये सेक्स कहानी blog को स्वागत करता हूँ।  ये एक नयी कहानी हे कहानी एक लड़की की।  आगे उस लड़कीकी भासा से आप लोग इसी कहानी को पढ़िए।



हैलो दोस्तो, मेरा नाम रीमा है और इस समय मेरा बी.ए. का प्रथम वर्ष है। bhauja पर मेरी यह पहली कहानी है।
मुझे इण्टरनेट का शौक स्कूल से ही हो गया था.. जब मेरे पापा मेरे लिए लैपटॉप लाए थे।
मुझे लैपटॉप चलाना नहीं आता था। मेरी एक सहेली विन्नी थी.. जो मेरे साथ पढ़ती थी..
उसने मुझे लैपटॉप चलाना सिखाया।
वह हमेशा लैपटॉप पर कुछ न कुछ करती रहती थी।
मैंने उससे कहा- यार तू पता नहीं.. इस पर क्या-क्या करती है.. मुझे तो तूने थोड़ा सा ही बताया है कि कैसे क्या करते हैं।
उसने मुझे बताया मैं नेट चला रही हूँ.. इस पर बहुत अच्छी-अच्छी चीजें देखती हूँ.. जो चाहूँ वो देख सकती हूँ।
मैं बोली- अच्छा.. तो मुझे भी बता न?
उसने कहा- ठीक है.. कल रविवार है.. कल आकर नेट चलायेंगे।
अब हम लोग दूसरे दिन मिले।
विन्नी ने मुझे नेट चलाना बताया और साइट को कैसे सर्च किया जाता है.. यह भी बताया।
वह बोली- आज मैं बताती हूँ कि मैं रोज क्या देखती थी।
उसने नेट पर कुछ पोर्न जैसा कुछ लिखा और सर्च किया।
अब मैंने देखा कि लैपटॉप की स्कीन पर कुछ नंगी तस्वीरें आ गईं और वीडियो चलने लगी थी।
उसमें एक लड़का.. एक लड़की का नीचे वाला हिस्सा यानी उसकी चूत चाट रहा था और लड़की मस्ती में ‘आह उस्स्स्ष’ कर रही थी।
एक बात मैं बता दूँ कि अभी तक मुझे सेक्स के बारे में कोई जानकारी नहीं थी.. तब यह सब देख कर मुझे थोड़ा अजीब सा लगा।
मैंने विन्नी से पूछा- यह सब देखती हैं तू.. अभी हम लोगों की उम्र ही क्या है?
विन्नी बोली- धत्त यार.. तू पागल की पागल ही रह जाएगी.. अरी इसी उम्र से तो ये सब करना चाहिए।
मैंने कहा- अच्छा..
‘वैसे.. यार बड़ा मजा आता है।’
‘किसके साथ?’
उसने कहा- जो बारहवीं में पढ़ता है न.. अमित.. उनसे..
‘अरे.. वो तो तुझे इंगलिश की कोचिंग पढ़ाते हैं?’ मैं बोली।
उसने कहा- हाँ यार.. वही कितने हैंडसम लगते हैं न..
मैं बोली- लगते होंगे.. मुझे तो कोई लड़का आज तक अच्छा नहीं लगा।
विन्नी बोली- जो मैंने तुझे साइट बताई हैं न.. उसे देखा कर.. तब सब अच्छा लगेगा।
एक बात और बता दूँ कि मैं देखने में बहुत खूबसूरत हूँ.. मेरा गोरा बदन है और मैं पतली हूँ मेरी चूचियाँ अभी उभार पर हैं और बहुत से लड़के मुझसे बोलना चाहते हैं.. कुछ तो मेरी सुन्दरता देख दाँतों तले ऊँगली दबा लेते हैं।
विन्नी भी मेरी ही तरह है, मेरे क्लास की लड़कियाँ तो हम दोनों को सगी बहन मानती हैं।
अच्छा छोड़ो अब मुद्दे की बात पर आते हैं।
इतनी सुन्दर होने पर भी मुझे किसी लड़के में दिलचस्पी नहीं है।
इस घटना के बाद अब मैं भी इंटरनेट पर पोर्न फिल्म देखने लगी और वहीं जाकर मैं अन्तर्वासना कहानियों से जुड़ी।
अब मेरे मन में भी कुछ हलचल सी होने लगी थी।
एक दिन मैं विन्नी से मिलने उसके घर गई..
उसके घर पर को नहीं दिखाई दिया..
न वो.. न उसके मम्मी-पापा.. दरवाजा भी बन्द था।
मैंने सोचा लगता है.. कहीं रिश्तेदारी में गए हैं।
मैं वापस जाने लगी.. तभी मुझे ‘आह..’ की आवाज सुनाई दी।
मैं चुपचाप दरवाजे के पास पहुँची.. तो आवाजें और तेज सुनाई देने लगीं।
‘अस्स्स…ऊइँइँ अम्म..’
मैंने खिड़की से देखा.. तो मुझे विश्वास नहीं हुआ।
जिस अमित नाम के लड़के की बात वो कर रही थी.. वो घर में था और विन्नी की चड्डी खोल कर नीचे कुछ सहला रहा था।
विन्नी ‘आई उइसीसी..’ कर रही थी।
अमित अब अपना मुँह विन्नी की चूत पर लगा कर चूस रहा था।
अब मैं थोड़ा आगे को सरक गई.. अब मुझे सब कुछ साफ-साफ दिखाई दे रहा था।
विन्नी की लाल बुर अमित पागलों की तरह चूस रहा था और वो मजे में उछल रही थी।
‘अँअँम्म्म.. मम्म.. उहूँ..’ जैसी आवाजें निकाल रही थी।
वास्तव में रियल चुदाई का सीन देखकर अच्छा लग रहा था.. कितना मजे ले रही थी विन्नी..
अब विन्नी उठी और अमित का पैन्ट खोलने लगी और अब अमित सिर्फ अन्डरवियर में था।
ऊपर से ही उसका लंड एकदम भंयकर लग रहा था।
विन्नी बोली- अह्ह्ह.. मुँह में डालो न राजा जी.. अम्म्म..
अब अमित पूरा नंगा हो गया और उसका लंड देख कर मैं दंग रह गई.. यही कोई नौ इंच लम्बा और तीन इंच मोटा था।
मैं तो डर गई.. मैंने सोचा ये तो विन्नी को मार ही डालेगा।
उसका लंड देखकर विन्नी भूखी बिल्ली की तरह टूट पड़ी और अमित का लंड चूसने लगी।
अमित की मजे आँखें बंद होने लगी।
‘हाँ.. हाँ.. चूस मेरी रानी.. आह.. आह.. और चूस..’
विन्नी उसका लवड़ा चूसे जा रही थी।
अमित तेजी उसके मुँह में अपने मूसल लंड को अन्दर-बाहर कर रहा था और उसके सीने पर चढ़कर लंड मुँह में पेल रहा था।
लंड मोटा होने से विन्नी पूरी तरह मुँह में नहीं ले पा रही थी।
‘गूँ गूँ..’ की आवाज से पता चल रहा था कि उसे तकलीफ हो रही थी।
अब झटका तेज था.. कुछ देर बाद मैने देखा कि विन्नी के मुँह से सफेद पानी निकल रहा है और अमित ने मुँह से लंड निकाल लिया।
विन्नी मुँह फुला कर बैठी थी जैसे मुँह में कुछ भरा था।
फिर ‘घुट्ट’ की आवाज के साथ वह सफेद पानी पी गई।
अमित नीचे निढाल पड़ा था।
अब विन्नी ने उसका लौड़ा फिर से चूसना चालू किया।
कुछ देर बाद अमित का लंड फिर पहले जैसी कड़क अवस्था में आ गया।
अब अमित विन्नी को पूरा नंगा कर दिया। अमित के लंड की अपेक्षा विन्नी की बुर एकदम छोटी सी थी।
अमित ने उसे नीचे लिटा दिया और बुर पर लंड का आगे वाला मुलायम भाग रख कर बिना देर किए एक धक्का मारा।
विन्नी तेजी से चिल्लाई- ऊऊ..माँ फट गई मेरी बुर.. आआआ.. नहीं अमित.. मत पेलो.. आहह.. मम्मी बहुत दर्द हो रहा है..
अमित ने इन सब बातों की परवाह नहीं की और एक और फिर से एक झटका मारा।
विन्नी फिर चीखी- न…न…नहीं..
अब अमित ने धक्के लगाना शुरू कर दिए।
कुछ देर बाद विन्नी अमित को पकड़ कर मस्ती में चिल्लाती हुई ‘फक्क मी.. आआह.. आह.. म्म्म्म्म्म और तेज पेलो.. हाँ हाँ.. मेरे अमित राजा.. अअह.. अअअर..रै और तेज चोदो..’ कहने लगी।
मुझे विश्वास नहीं हुआ..
कि जो विन्नी अभी बेहोश होने वाली थी..
वह अमित का इतना बड़ा और मोटा लंड तेजी से अपनी चूत में ले रही है।
विन्नी अब तेज चिल्लाते हुए चीखने लगी- डालो.. पेल दो.. फाड़ दो.. इस बुर को.. अमित आआह.. आआह..
और अचानक वो अकड़ गई और शान्त होकर उसने अपनी पकड़ ढीली कर दी।
अमित भी अपनी रफ़्तार तेज करके ‘या या या..’ करते हुए आँख मूँदने लगा और विन्नी के ऊपर ही ढेर हो गया।
यह सब देखकर मुझे अच्छा लगा।
अचानक मुझे अपने नीचे गीला अनुभव हुआ।
मैं समझ गई कि मुझ में कुछ परिवर्तन हुआ है।
मैं धीरे से हटी और अपने घर चली आई।
यह तो थी मेरी सहेली विन्नी की चुदाई की कहानी।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।

ଲୁଚିକରି ଭାଉଜ ଆଉ ଭାଇଙ୍କର ଗିଁହା ଗେଁହି ର ମଜା ନେଲି ପ୍ରଥମ ଥର ପାଇଁ |

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ନମସ୍କାର ମୋର ଓଡିଆ ଭାଇ  ଓ ଭଉଣୀ ମାନେ | ପ୍ରଥମେ ମୋର ବ୍ଲଗ୍ କୁ ହାର୍ଦ୍ଦିକ ସ୍ବାଗତ | , ମୁ ଆପଣ ମାନଙ୍କୁ ଏହା ନିଶ୍ଚିତ କରେଇ ଦେଉଛି ଯେ ଆପଣ ଏହି ବ୍ଲଗ୍ ରେ ପୂରା ଆନନ୍ଦ ଉପଭୋଗର ସୁବିଧା ଉଠାଇ ପାରିବେ |  ତେଣୁ ନୂତନ ନୂତନ ଯୌନ ଆନନ୍ଦ ଲାଭ ପାଇଁ ଏହି ବ୍ଲଗ୍ ନିୟମିତ ଦର୍ଶନ କରନ୍ତୁ  ( ଯଦି ଭଲ ଲାଗେ ତାହେଲେ ଏହି ବ୍ଲଗ୍ କୁ ବୁକମାର୍କ କରନ୍ତୁ).

ମୋର ନାମ ପବିତ୍ର, ମୁ ବହୁତ ଯୌନ ପ୍ରିୟ..ଯୌନ ବିଷୟରେ କଥାବାର୍ତ୍ତା, ଆଲୋଚନା କରିବାକୁ ବହୁତ  ପସନ୍ଦ କରେ | ମୋତେ କାହିଁକି  ସମସ୍ତଙ୍କୁ ଏହା ଅନେକ ପସନ୍ଦ, ବାକୀ କିଏ କହିଥାଏ  କିଏ ଲୁଚାଏ | ହେଲେ ଏଇଠି ଲାଜ କରିବାର କୌଣସି କାରଣ ନାହିଁ | ତେଣୁ ଆସନ୍ତୁ ଏଇଠି ବିଆ,ବାଣ୍ଡ ଗିଁହା ଗେଁହି କଥା ବିନା ଲାଜ, ବିନା ଡରରେ ହେବା |

 ଆଜି ମୁଁ ମୋର ନିଜର ଅଙ୍ଗଲିଭା ଯୌନ କାହାଣୀ ଲେଖୁଛି | ଏଇଟା ସମ୍ପୂର୍ଣ୍ଣ ସତ ଘଟଣା ଅଟେ, ମିଛ ନୁହେଁ | ପଢିଲେ ଆପଣ ନିଶ୍ଚେ ଯାଣିପାରିବେ | ତଃ ଡେରି କଣ ପାଇଁ ? ଚାଲନ୍ତୁ ଏହା ପଢିବା ଆଉ ଭରପୁର ମଜଆ ନେବା |

  ମୁଁ ସେତେବେଳେ ନବମ ଶ୍ରେଣୀରେ ପଢୁଥାଏ, ବଡ ଭାଇର ବାହାଘର ହୋଇଗଲା | ହେଲେ ମୋର ସେତେବେଳେ ସେକ୍ସ ବିଷୟରେ ସେମିତି କିଛି ଧାରଣା ନଥିଲା | , ସେକ୍ସ ଗୋଟେ ପାପ କାମ/ଖରାପ/ଅପରାଧ ବୋଲି ଭାବୁଥାଏ. ସେ ଯାହାହେଉ, ଭାଉଜ ଆସିଲେ, ବହୁତ ସୁନ୍ଦରୀ, ଗୋରା ଦେହ, ଭରା ଯୌବନ...ଓଃ ସତେ ଯେମିତି ଆଇଟମ ବମ୍ !... ତାଙ୍କ ନାମ ଥିଲା ରୀନା | ମୁଁ  ତାଙ୍କୁ ସେକ୍ସ ଦୃଷ୍ଟିରେ କେବେ ଦେଖୁନଥିଲି | କିନ୍ତୁ, ଦିନକୁ ଦିନ ଭାଉଜଙ୍କ କାର୍ଯ୍ୟକଳାପ ମୋର ଚିନ୍ତାଧାରାକୁ ପୁରା ବଦଳାଇଦେଲା. ସେ ଯେଉଁ ଢଂଗରେ ଶାଢ଼ୀ ପିନ୍ଧୁଥିଲେ, ତାଙ୍କ ଚାଲିଚଳନ, ...ଏହି ସଵୁ ମୋର ମନରେ ଟିକେ ଅଲଗା ଧାରଣା ଆଣିଦେଲା | ସେ ଏଭଳି ଭାବେ  ବ୍ଲାଉଜ ପିନ୍ଧୁଥିଲେ ଯେଉଟା କୀ ବାହାରୁ ସ୍ପଷ୍ଟଭାବେ ଦେଖାଯାଉଥାଏ ..ତାହା ମୋ ନଜର ରେ ଆସୁଥାଏ | ଆଉ ବେଳେ ବେଳେ ବ୍ରା ର  ଧାର ବ୍ଲାଉଜ ବାହାରକୁ ବାହାରି ଦେଖାଯାଉଥାଏ | ତାହା ଦେଖି ମୁ ଧିରେ ଧିରେ ତାଙ୍କ ପ୍ରତି ତଥା ସେକ୍ସ ପ୍ରତି ଆକୃଷ୍ଟ ହେବାରେ ଲାଗିଲି | ଆଉ ଘର ଓଳେଇଲା ବେଳେ ତଳେ ନୋହିଁଲାବେଳେ ବ୍ଲାଉଜ ଭିତରେ  ତାଙ୍କର ଦୁଇ ଦୁଧ ମଝି ଫାଙ୍କ  ଦେଖାଯାଉଥାଏ, ଓହଃ କି ଦୃଶ୍ୟ ! ମସ୍ତ୍ ମସ୍ତ୍  ଗୋରା  ଗୋରା ଦୁଇ ଦୁଧ, ଏ ସବୁ ଦେଖି ମୁଁ କି ସମ୍ଭାଳେ? ମୋର ସେଇ ୭ ଈନଚ ବାଣ୍ଡ ପୁରା ଠିଆ (ୟା ଭିତରେ ମୋର ଜଣେ ସାଂଗ ମୋତେ ମୁଠି ମାରିବା ସିଖେଇ ଦେଇଥିଲା) | ମୁଁ  ଆଉ କିଛି ବାଟ ନ ପାଇ, ରୂମ୍ କୁ ଯାଇ ଭାଉଜଙ୍କ ଦୁଧ କଥା ଭାବି ମୁଠି ମାରି ସେଇ ବାଣ୍ଡକୁ ଶାନ୍ତ କରାଏ | ମନେ ମନେ ଭାବୁଥାଏ କି ତାଙ୍କର ଦୁଧ କୁ କେମିତି ମନ ପୁରେଇ ଦେଖିବି ..ହେଲେ ସୁଯୋଗ ମିଳୁ ନଥାଏ | ସେ ଗାଧେଇ ସାରି ଓଦା ଲୁଗା ପିନ୍ଧି ଯେତେ ବେଳେ ବାହାରକୁ ଆସନ୍ତି, ଓହଃ କି ସେକ୍ସି ଦେଖାଯାନ୍ତି | ଦିନେ ସେ ବ୍ଲାଉଜ୍  କିମ୍ବା ବ୍ରା କିଛି ନପିନ୍ଧି, ଖାଲି ଶାଢୀ ଦେହରେ ଗୁଡେଇ ହେଇ ଛାତ ଉପରକୁ ଲୁଗା ଉଠେଇବାକୁ ଯାଉ ଥିଲେ ତାପରେ ଗାଧୁଆ ଘରକୁ ଗାଧେଇବା ପାଇଁ (ଘରେ କେହି ନଥିଲେ) , ମୁଁ  ସେତିକି ବେଳେ ବାହାରୁ ଘରକୁ ଅସୁଥିଲି, ତାଙ୍କୁ ଏହିଭଳି ଅବସ୍ଥା ରେ ଦେଖି ମୁଁ ପୁରା  ପାଗଳ!!!. ଖାଲି ଶାଢୀ ରେ ସେ ଥିଲେ, ଭିତରେ ତ କିଛି ନଥିଲା | ଦୁଧ ର ସାଇଜ଼ ପୁରା ବାରୀ ହେଉଥିଲା, ସେ ଦୁଧ ପୁରା ଅମୃତ ଭଣ୍ଡା ଭଳିଆ ଦେଖାଯାଉଥିଲା, ମୋଟା ମୋଟା ନିପ୍ପଲ୍ ଦୁଇଟା ପୁରା ପତଳା ଶାଢୀ  ଫୁଟି କରି   ବାହାରକୁ ଦେଖା ଯାଉଥିଲା, ଚାଲିଲା ବେଳେ ଦୁଧ ଦିଇଟା ପୁର ଓହୋଳୁ ଥାଏ ... ଓହଃ କୀ ଦୃଶ୍ୟ | କିଏ ଏହି ଦୃଶ୍ୟ ଦେଖିକରି ସମ୍ଭାଳି ରହି ପାରିବ?  ..ତାହା ଦେଖି ମୁଁ ଆଉ କଣ କରି ପାରିବି? ସିଧା ରୂମକୁ ଗଲି  ଆଉ ମୋର ସେଇ ୭ ଈନଚ ଯନ୍ତ୍ର ଟା କୁ କାଢ଼ି ବହେ ହଲେଇଲି, ଆଉ ହଲେଇଲା  ବେଳେ ତାଙ୍କର  ସେଇ ବଡ ବଡ଼ ଦୁଧ ଆଉ ବଡ଼ ବଡ଼ ନିପପଲ୍ କଥା ଭାବୀ ଅହୁରୀ  ଏକ୍ସ୍ଇଟ୍ ହେଉ ଥାଏ | ସତରେ ସେଇ ଦୃଶ୍ୟ ଏବେଭି ମୁଁ ଭୁଲି ପରେନି |  ଦିନେ ଭାଇ ଭାଉଜ ଭାଇଙ୍କ ଶ୍ଵଶୁର ଘରକୁ ଯାଇଥାନ୍ତି | ରାତିରେ ତାଙ୍କର ରୂମକୁ ଗଲି , ଆଉ ଭାଉଜଙ୍କ ଯେତେ ବ୍ରା ଥିଲା ସବୁ କାଢିଲି, ଆଉ କଣ କଣ ଅଛି ଖୋଜିଲି , ଗୋଟେ ସେକ୍ସ୍ ର ବହି ଥିଲା ସେଥିରେ ପୁରା ଲଂଗଲା ଲଂଗଲା ଛବି ସବୁ ଥିଲା, ଅହୁରି ଅଭଦ୍ର ଅଭଦ୍ର ବହି ସବୁ ଥିଲା | ସବୁ ସାଥିରେ ଧରିଲି ଆଉ ମୋର ରୂମକୁ ଗଲି ଆଉ ବନ୍ଦ କରିଦେଲି, ତାପରେ ପ୍ରଥମେ ଭାଉଜଙ୍କ ବ୍ରା କାଢ଼ିଲି, ବହୁତ୍ ସେକ୍ସି ଲାଗୁଥିଲା ଭୟରେ ମୋର ସାରା ଦେଖା ଥାରୁଥାଏ | ଏମିତି ବ୍ରା କୁ ଦେଖି ଭାବୁଥାଏ କି ସତେ ଯେମିତି ଭାଉଜ ସେଇଟା ପିନ୍ଧି ଛିଡା ହେଇଚନ୍ତି  | ମୋର ବାଣ୍ଡ ପୁର ହାର୍ଡ଼ ହୋଇଯାଇଥାଏ , ଆଉ ସେଇ ହାର୍ଡ଼ ବାଣ୍ଡରେ ଭାଉଜଙ୍କ ବ୍ରା କୁ ଘଷିଲି , ହଠାତ୍ ମୋ ନଜର ପଡିଲ ବ୍ରାର ପଟିରେ ଲେଖା ଥିଲା ୩୪ D ଏବେ ଜାଣୁଛି କି ତାଙ୍କର ସାଇଜ଼ ୩୪ D ଥିଲା | ସାରା ରାତି ମୁ ସେହି ବହି ସବୁ ଦେଖି ୩/୪ ଥର ମୁଠି ମାରିଲି | ଶଳା କେବେ ଭାଗ୍ୟରେ ଶିକା ଛିଣ୍ଡିବ ବହୁତ ସେଇ ଦୁଧ ସହ ମସ୍ତି କରିବି | ସେଇ ବଡ ବଡ ନିପପଲ୍ କୁ ବହୁତ୍ ଚୁଷୀବି | ମୋର ଭାଇ କେଡେ ଭାଗ୍ୟବାନ ଯେ ଏହିଭଳି ଆଇଟମ୍ ବମ୍ ଟିଏ ପାଇଛନ୍ତି | ଗେଁହିବାକୁ ସୁଯୋଗୋ ମିଳୁ ନ ମିଳୁ ହେଲେ ଦୁଧ ସହ ଖେଳିବାକୁ ସୁଯୋଗ ତ ମିଳୁ ସେତିକି ମୋ ପାଇଁ ଯଥେଷ୍ଟ | 

ଦିନେ ସୁଯୋଗ ମିଳିଲା ,ଭାଇଙ୍କର ରୁମ୍ ମୋ ରୁମ୍ ପାଖରେ, ଥରେ ରାତିରେ ପରିଶ୍ରା କରିବା ପାଇଁ ରାତିରେ ଉଠିଲି, ଯାଉ ଯାଉ ତାଙ୍କର ରୁମ୍ ରୁ ଭିନ୍ନ ପ୍ରକାରର ସ୍ବର ବାହାରୁଥାଏ, କାନ ଡେରିଲି, ଭାଉଜ ଉତ୍ତେଜିତ ହୋଇ ଭାଇଙ୍କୁ କିଛି କହୁଥିଲେ | ସେତେବେଳକୁ ମୋର ଦେହ ହାତ ସବୁ ଥରୁ ଥାଏ | ଶାହସ କରି ଭଲ କରି କାନ ଡେରିଲି, ଭାଉଜ କହୁଥଆନ୍ତି ଉଃ.. ଆଃ..ସେଇଠି  ହମମ୍ ଯୋରରେ ଆଃ... ଏହିସବୁ ଶୀତ୍କାର ସବୁ | ମୁ ହଠାତ୍ ବୁଝି ପରିଲିନି ଘଟଣା ଟା କଣ ? ମୁ ଭାବିଲି କଣ ଭିତରେ ସବୁ ଚାଲିଛି ଦେଖିବି ଯେମିତି ହେଲେବି | ତାଙ୍କ ରୂମ୍ ର ଝରକା ରେ ଟିକେ ଫାଙ୍କ  ଥିଲା  ତ ଚୁପ୍ କରି ଭିତରକୁ ଅନେଇଲି, ଭିତରେ ଯାହା ଦେଖିଲି ମୋର ହୋଶ୍ ଉଡିଗଲା ଭଳିଆ ଲାଗିଲା | ମୁଁ ବିଶ୍ଵାଶ କରିପରିଲିନି ସତ ଦେଖୁଚି ନା ସ୍ଵପ୍ନ !!!!!! ହଁ ସତ ଥିଲା, ଭାଉଜ ମୁଁହ ଉପରକୁ କରି ଶୋଇ ଥାନ୍ତି, ବ୍ଲାଉଜ୍ ବୋତମ ପୁରା ଖୋଲା ଥାଏ, ହେଲେ ଦେହରୁ ଅଲଗା ହୋଇନଥିଲା | ଦୁଧ ଦୁଇଟା ଦୁଇ ବାହୁ ଆଡକୁ ମେଲି କରି ପଡି ଥାଏ | ସେତିକି ଦେଖି ମୋରୋ ଶରୀର ପୁରା ଥରିବାକୁ ଲାଗିଲା, ନିଶ୍ଵାଶ  ଭାରୀ ଭାରୀ ଲାଗିଲା | ଚେଷ୍ଟା କଲି ଧିରେ ଧିରେ  ନିଶ୍ଵାଶ ନେବା ପାଇଁ | ପୁଣି ସାହସ କରି ଭିତରକୁ ଅନେଇଲି | ଏବେ ଭାଇ ତାଙ୍କର ମୁଣ୍ଡ ପାଖରେ ବସି ଥାନ୍ତି ଆଉ ସେଇ ଗୋରା ଗୋରା ଦୁଧ ସହ ଖେଳୁ ଥାଏ | ସତରେ କି ସୁନ୍ଦର ସେଇ ଦୁଧ ଭାଉଜଙ୍କର !!!!!! , ପୁରା ଗୋରା ଆଉ ଯେମିତି ଭାବରେ ଦୁଇ ଆଡକୁ ମେଲେଇକି ପଡିଥାଏ କେହିଭି ଦେଖିଲେ ଛାଡିବନି | ତାପରେ ଭାଇ ଦୁଧ ଦୁଇଟା କୁ ବହୁତ୍ ଚିପୁଥାନ୍ତି | ଭାଉଜଙ୍କ ଦୁଧରେ ନିପପଲ୍ ପାଖରେ ଛୋଟ ଛୋଟ ବିନ୍ଦୁ ବିନ୍ଦୁ ଅକାରର ଜିନିଷ ଗୁଡା ଦୁଧର ସୌନ୍ଦର୍ଯ୍ୟ କୁ ବଢଉଥାଏ | ବେଳେ ବେଳେ ଭାଇ ତାଙ୍କର ଦୁଧକୁ ଚୁଚୁମୁ ଥାନ୍ତି, ଭାଉଜ ଉତ୍ତେଜନାରେ ଭାଇଙ୍କୁ ତାଙ୍କ ବାହୁରେ ଚାପି ରଖୁଥାନ୍ତି | ମୁଁ ସେତେବେଳେ ଭାବୁ ଥାଏ ଶଳା କେତେ ମଜା ନେଉନଥିବେ ଦୁହେଁ !!!!!  ଦୁଖଃ !  ମୁଁ ଭାଇ ଜାଗାରେ ଥାନ୍ତି ! ଭାଉଜ କହୁଥାନ୍ତି କେତେ ଥର ଏଏଇ ଦୁଧ କୁ ପିଉଥିବ? କଣ ମିଳେ ସେଥିରୁ? ଭାଇ ଉତ୍ତର ଦେଲେ ଆରେ ଏଥିରେ ପରା ଅମୃତ ଅଛି ନ ପିଇଲେ ଅମୃତ କଉଠୁ ପାଇବି? ..ଭାଉଜ କହିଲେ ହଉ  ହଉ ବେସୀ ଆଉ ଗେଲ୍ହା  ହୁଅନି ହେଲା | ତାପରେ ଭାଇ ତାଙ୍କର ମୋଟା ବାଣ୍ଡ ଅଣିଲେ ଆଉ ଭାଉଜଙ୍କ ମୁଁହ ପାଖରେ ରଖିଲେ, ଭାଉଜ କହିଲେ ମୁଁହରେ ପୁରେଇବେନି ତଃ ଭାଇ ତାଙ୍କର ଦୁଇ ଦୁଧ କୁ ଯୋଡି ବାଣ୍ଡ ପୁରେଇଲେ ତା ମଝିରେ ଆଉ ଆଗ ପଛ କଲେ | ଭାଉଜ ସେଥିରେ ବିରକ୍ତି ହେଉଥଆନ୍ତି | ଏବେ ସେ ଭାଉଜଙ୍କ ଦେଖା ସାରା ଚୁମ୍ମା ଦେଇ ତାଙ୍କୁ ଉତ୍ତେଜିତ କରାଉଥାଆନ୍ତି | ଭାଇ ବହୁତ୍ ପ୍ରେମରେ କହିଲେ ଡାରଲିଂଗ୍ ଏଇ ଦୁଧ ଦୁଇଟା କେତେ ମଜ଼ା ଦେଉନାହାନ୍ତି ମୋତେ ! ଆହୁରି ମଜ଼ା ଦିଆନ୍ତେ ଯଦି ତୁମେ ନିଜେ ତମ ହାତରେ ମୋତେ ଖୁଆନ୍ତ! , ହେଲେ ସେ ମନା କଲେ, ବହୁତ ଜିଦ୍ କଲ ପରେ ଯାଇ ମାନିଲେ | ଏବେ ଏଇ ଦୃଶ୍ୟ ଆହୁରି ରୋମାଞ୍ଚକ ଥିଲା | 


ଭାଇ ତଳେ ଶୋଇଲେ ଆଉ ଭାଉଜ  କଷ୍ଟକରି ଉଠିଲେ ଆଉ ରାଣ୍ଡି  ମାଇକିନା ଭଳି ଭାଇଙ୍କ ଉପରକୁ ଚଢିଗଲେ ଶାଢୀ ପେଟ ତଳକୁ ଖୋଲା ନଥାଏ ଖାଲି ଛାତିରୁ ଖୋଲା ଥାଏ ଆଉ ବ୍ଲାଉଜ୍  ଭି  ହେଲେ ବ୍ଲାଉଜ୍  ଦେହରୁ ଅଲଗା ହେଇନଥାଏ | ଓହଃ କି ଦୃଶ୍ୟ !!!!! ଶଳା ସତେ ଯେମିତି ଲାଗୁଥାଏ ପାଗଳ  ହେଇଯିବି | ସେଇ ବଡ ବଡ ଦୁଧ ଦୁଇଟା ଏବେ ପୁରା  ଝୁଲି କରି ରହିଲେ | ସତେ ଯେମିତି ଅମୃତଭଣ୍ଡା ଗଛରେ ବଡ ବଡ ଅମୃତଭଣ୍ଡା ଫଲିଛି !! ଭୁଣ୍ଡି (ନିପପଲ୍) ଦୁଇଟା ଦୁଇ ଆଡକୁ ଗୋଜ଼ିଆ ହୋଇ ରହି ଥାଏ | ଏବେ ସେ ଭାଇଙ୍କୁ କହିଲେ ପାଟି ଆଁ କର, ସେ ଆଁ କଲେ ଏବେ ଭାଉଜ ତାଙ୍କର ଦୁଇ ହାତରେ ଦୁଧର ଭୁଣ୍ଡି କୁ ତାଙ୍କ ପାଟିରେ ପୁରେଇଲେ  ଭାଇ ସତେ ଯେମିତି ଛୋଟୋ ପିଲାଭଳି ପିଇବା ଆରମ୍ଭ କଲେ | ଭାଉଜ ଗୋଟେ ପରେ ଗୋଟେ ଦୁଧ ଦୁଇଟା ତାଙ୍କୁ ଖୁଆଇଲେ ହେଲେ ବେଶୀ ସମୟ ଜାଏଁ  ସେମିତି କରିପାରିଲେନି ଓଲ୍ହେଇ ଗଲେ ଓ କହିଲେ ଆଉ ପାରିବିନି , ଶଳା ରାଣ୍ଡି ମାଇକିନା ଭଳିଆ ଏବେ ଦୁଧ ପିଆଉଥିଲେ ଏତେ ଜଲଦି  ହାଲିଆ ହେଇଗଲେ ? ଏବେ କହିଲେ ନିଦ ଲାଗିଲାନି ଜଲଦୀ କାମ ଷ୍ଟାର୍ଟ୍  କର | ଏବେ ଅସଲି ଖେଳ ଆରମ୍ଭ ହେଲା | ଏବେ ଭାଇ ଉପରକୁ ଉଠିଲେ ଆଉ ତାଙ୍କର ଶାଢୀ ସାୟା ସହ ଉପରକୁ ଟେକି ଦେଲେ | ଓହଃ! ତାଙ୍କର ସେ ଗୋରା ଗୋରା ଜଂଘ, ଯିଏ ଭି ଦେଖିବ ପୁରା ପାଗଳ ହେଇଯିବ | ଭାଉଜ ଏବେ ସେଇ ଗୋରା ଗୋରା ଜଂଘ କୁ ମେଲିଲେ, ଭାଇ ମଝିରେ ବସିଲେ | ହେଲେ ଶଳା ଭାଗ୍ୟ  ଖରାପ୍ , ମୋତେ ତାଙ୍କର ବିଆ ଜମା ଦେଖା ଯାଉ ନଥିଲା | ଦୁରରୁ ଖାଲି କଳା କଳା ବାଳ ଦେଖା ଯାଉ ଥିଲା | ଭାଉଜ ଭାଇଙ୍କୁ ବିକଳ ହୋଇ ଅନେଇ ରହି ଥାନ୍ତି ଯେମିତି ବର୍ଷେ ହେବ ଗିହାଁ ଖାଇ ନାହାନ୍ତି | ଏବେ ଭାଇ ତାଙ୍କର ବାଣ୍ଡ ବାହର କଲେ ପୁର ଲୁହା ଛଡ ଭଳିଆ ଟାଣ ହୋଇଥାଏ ମୁ ଭାବୁଥାଏ ଶଳା ଏଡେ ବଡ ବାଣ୍ଡ ସେ ବିଆ ରେ ପଶିବ ତଃ ? ଏବେ ବାଣ୍ଡ କୁ ପଶେଇଲେ ସଟ୍ କରି ଗଲିଗଲା ହେଲେ ଭାଉଜ ଚିତ୍କାର କରିବା ଆରମ୍ଭ କଲେ  ଆଃ  ଉଃ  କାଟୁଛି ଉହଃ କାଢିନିଅ, ଆଃ କଣ ହେଇଯାଉଛି ଭିତରେ ମାଆଲୋ ..ଏମିତି | କୀ କଥା ଏଇନା ରାଣ୍ଡି ମାଇକିନା ଭଳିଆ ଗେହିଁ ବାକୁ କହୁଥିଲେ ଏବେ କହୁଛନ୍ତି କାଢିନିଆ ? ଭାଇ କହିଲେ କିଛି ହେବନି ରହ ବେ ଏତେ ଥର ଗେଂହିଲା ପରେ ଭି ଏମିତି ହେଉଛୁ ? ଚୁପ୍ କର୍ ଶାଳୀ !! ବେଶୀ ଦେଖେଇ ହନି ହେଲା | ଆଉ କିଛି ନଶୁଣି ପେଲିବା ଆରମ୍ଭ କଲେ ..କଚ୍ କଚ୍ କରି ସାଉଣ୍ଡ୍ ଅସୁଥାଏ |...ଏବେ ଦୁଇଜଣ ଚିତ୍କାର କରିବା ଆରମ୍ଭ କରିଦେଲେ | ମୁ ମନେ ମନେ ଭାବୁ ଥାଏ .ଶଳା ସତେ ଏମିତି ଗିହାଁ ଗେହିଁ ବେଳେ ଏମିତି ହୁଏ  ନା କଣ? କେବେ ଏମିତି ଡାଇରେକ୍ଟ୍ ଦେଖିନଥିଲି ତଃ | ତାହା ଦେଖି ମୋର ଦେହର ଟେମ୍ପ୍ରେଚାର୍ ବଢି ବଢି ଯାଉଥାଏ |ଲାଗୁଥାଏ ସତେ ଯେମିତି କାହାକୁ ଗୋଟେ ଅଜୀ ଗେଂହି ଦେବି | ତାପରେ ମୁ ଭଲ ଭାବେ କାନ ଡ଼େରିଲି କି କଣ କଣ ସେମାନେ କହି ଯାଉଥାନ୍ତି ସେତେ ବେଳେ | ସେମାନେ ଗିହାଁ ଗେହିଁ ବେଳେ ଖରାପ୍ ଭାଷା ନିଜ ନିଜକୁ କହିଚାଲିଥାନ୍ତି |  ଭାଇ କହୁଥାଏ ଶାଲି ବେଧେଇ ମାଇକିନା  ଘୋଡାଗେହିଁ ତୋ ବିଆ ରେ କେତେ ପାଣି ଅଛି ସବୁ ଆଜି କାଢିଦେବି ..ଓହଃ  ଆଃ ...ଆଜି ତୋ ବିଆ ମୁ ଫାଟେଇକୀ  ରହିବି | ଭାଉଜ କହୁଥାଏ  ଆଃ  ଓହଃ ମରିଗଲୀ ଆଃ ସେଇଠି ମୋର  କଣ ସବୁ ହେଇଯାଉଚୀ  ବୋଉଲୋ ..ମାଆଲୋ !!! ଭାଇ କହିଲା ଚୁପ୍ ଶାଳୀ ବେଶ୍ୟା ମାଇକିନା ବେଧେଇ ଚୁପ୍ ହୋ ଦେଖ୍ କେତେ ପାଣି ଆଜି ତୋ ବିଆ ରେ ଭର ଦେଉଛି!, ୫ ଟା ଛୁଆ ଆଜି  ତୋ ପେଟ ରେ କରି ଦେଉଛି | ଭାଉଜ ଏବେ ଗାଳି ଦେବ ଆରମ୍ଭ କଲେ : ତୋ ବାଣ୍ଡ କୁ କୁକୁର ଖାଉ ଭଉଣୀଗିହା ଓଃ ଆଃ ...ମାଦରଚୋଦ୍ ଦେ ଫାଟେଇଦେ ମୋ ବିଆକୁ ଯୋରରେ ଗେଂହ୍ ...ମୋତେ ଆଜି ରାଣ୍ଡି ବନେଇ ଦେ ..ହଁ ମୁ ବେଶ୍ୟା ମାଇକିନା ବେଶ୍ୟା ଭଳିଆ ଗେହଁ ମୋତେ ...| ଆହୁରି ବହୁତ୍ କିଛି, ଭାଉଜ ଦୁଇ ଗୋଡ ମଲେଇକି ଶୋଇ ଥାଏ ଆଉ ଭାଉ ତା ମଝିରେ ନିଜର ବାଣ୍ଡ ପୁରେଇ ନିର୍ଧୁମ୍ ଗେଂହୁଥା, ବେଳେ ବେଳେ ଖୁସିରେ ସେ ଭାଉଜଙ୍କୁ କୁଂଢେଇ ପକାଉଥାଏ, ଆଉ ବହୁତ୍ ଚୁମ୍ମା ଦେଉଥାଏ | ଭାଉଜ ସେତେବେଳେ ତାଙ୍କର ଦୁଇ ଗୋଡକୁ ଯୋଡି ଭାଇଙ୍କୁ ବାନ୍ଧି ପକାଉ ଥାଏ ଆଉ କୁଂଢେଇ ଧରୁଥାଏ |  ଏବେ ସ୍ପୀଡ଼ ଭାଇ ବଢେଇଲେ ତିବ୍ର ହେଲା ସ୍ପୀଡ଼ , ଦୁହିଁଙ୍କର ଚିତ୍କାର ରେ ରୂମ୍ ସାରା କମ୍ପି ଉଠୁଥାଏ | ଆଉ ଉତ୍ତେଜନା ରେ କଣ କଣ ସବୁ କହି ଯାଉଥଆନ୍ତି | କିଛି ସମୟ ଏମିତି ଚାଲିଲା ପରେ, ବୋଧେ ବାହାରିଗଲା ଦୁଇଜଣଙ୍କର | ଦୁହେଁ ଶାନ୍ତ ହୋଇଗଲେ | ଏବେ ଭାଇ ହାଲିଆ ହୋଇ ଭାଉଜଙ୍କ ଉପରେ ଶୋଇଗଲେ , ଭାଉଜ ତାଙ୍କୁ କୁଂଢେଇ ଧରିଲେ କିଛି ସମୟ | ତାପରେ ଭାଇ ଉଠିଲେ ଆଉ ଗୋଟେ କପଡା ଆଣି  ତାଙ୍କ ବାଣ୍ଡ ପୋଛିଲେ ଆଉ ଭାଉଜଙ୍କ ବିଆ ଭି ପୋଛିଲେ | ଭାଉଜ ସେମିତି ବିଆ ମେଲେଇକି, ଗୋଡୋ ଫାଡି, ମୁକୁଳା ଛାତି ରେ ସୋଇରହିଥଆନ୍ତି, ସତେ ଯେମିତି ରାଣ୍ଡି ମାଇକିନା ଭଳିଆ ଆଉଥରେ ପେଲା ଖାଇବା ପାଇଁ ରେଡି | ଦରକାର ଯଦି ମୋତେ ଡାକିଥାନ୍ତେ, ମୋର ଏଇ ୭ ଈନଚ ବାଣ୍ଡ ପୁରେଇ ଏମିତି ଗେହିଁ ଥାନ୍ତି ..ସାରା ଜୀବନ ମୋତେ ଡାକିଥାନ୍ତେ ଗେହିଁବା ଲାଗି | ଏବେ ଉଠିଲେ ଆଉ ବ୍ଲାଉଜ୍ ,ଶାଢୀ ପିନ୍ଧିଲେ ଆଉ ସୋଇ ଗଲେ | ଏହା ଥିଲା ମୋରୋ ଲୁଚିକାରୀ ଭାଇ ଭାଉଜଙ୍କ ସେକ୍ସ୍ ଦେଖା | ଭାଇ ଭଉଣୀ ମନେ ଏହା କେମିତି ଲାଗିଲା ପୋଷ୍ଟ୍ କରନ୍ତୁ ..ମୁ ଅହୁରି ନୁଆ ନୁଆ ମଜଦାର୍ କାହାଣୀ ସବୁ ପୋଷ୍ଟ୍ କରିବି |

ଭାଇ ଭଉଣୀ ମନେ ମୋର ନିଜର ଅଂଗ ଲିଭା ଷ୍ଟୋରୀ କେମିତି ଲାଗିଲା କମେଂଟ୍ ଦିଅନ୍ତୁ ଆହୁରି ମଜା ମଜା ସେକ୍ସ୍ ଷ୍ଟୋରୀ ସବୁ ପୋଷ୍ଟ୍ କରିବି | କିଛି "ପରାମର୍ଶ"ଭି ଦେଇପାରିବେ ଆପଣ ମାନେ ....ଆପଣମାନଂକ କୋମେଂଟ୍ ଅପେକ୍ଷା ରେ ରହିଲି..... 

सहपाठी रेणु को पटा कर चुदाई

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आप सभी पाठकों को मेरा प्रणाम.. प्यारे दोस्तो, मेरा नाम राहुल है।
मैं भाउज.com का नियमित पाठक हूँ, मैंने बहुत सी कहानियाँ पढ़ी हैं।

मैं भी अपनी कहानी आपको भेज रहा हूँ.. मेरी यह पहली कहानी है.. यदि कोई ग़लती हो.. तो माफ़ करना।
बात कॉलेज की है आज से 3 साल पहले मेरी सीनियर जिनका नामे रेणु था..उनसे मेरी आँखें लड़ गईं।
वो दिखने में काफ़ी आकर्षक थी।
हमारा जो कॉलेज था.. वो बस स्टैंड से 3 किलोमीटर दूर था।
वो कॉलेज से पैदल ही बस स्टैंड के लिए जाती थी।
एक बार मैं अपने दोस्तों के साथ जा रहा था रेणु मुझे रास्ते में मिली।
मैं उसे लिफ्ट देने के लिए रुका.. और मैंने उसको अपने साथ बैठने के लिए बोला पर उसने मना कर दिया।
सभी दोस्त मेरे ऊपर हँसने लगे।
बोले- ले जा बैठा के…
तभी मैंने कहा- तुम लोग शर्त लगा लो.. एक दिन ये तुम्हारी भाभी ज़रूर बनेगी।
अब मैंने ठान लिया कि रेणु अब तेरे को ही देखना है…
मैंने अब कॉलेज आते समय और जाते समय रोज उससे अपने साथ बैठने के लिए पूछता था.. पर वो मना कर देती थी।
मैं भी सिर्फ़ एक बार ही पूछता था।
वो मना कर देती तो मैं अपनी बाइक आगे ले जाता था।
ये सिलसिला 6 दिनों तक चला.. सातवें दिन मैंने देखा कि वो मेरा इंतजार कर रही थी।
मैं समय से 10 मिनट लेट हो गया था।
वो इंतजार कर रही थी.. मैं बाइक से जैसे ही उसके पास गया.. तो उसने हाथ देकर बाइक रोकी और बोली- आज लिफ्ट के लिए नहीं पूछोगे?
मैंने कहा- आप बैठती ही कहाँ हो…
वो बोली- लो, आज मैं बैठ जाती हूँ।
वो मेरी बाइक पर बैठ गई।
हम लोग कॉलेज आ गए।
कॉलेज की छुट्टी के बाद वो मेरे पास आई और बोली- राहुल तुम चल नहीं रहे…
मेरे सभी दोस्त आँखें फाड़ कर देख रहे थे।
देखने वाली बात जो थी।
वो अपने आप में कयामत थी, हर बंदा उसे पटाना चाहता था.. पर किस्मत ने उसे मेरे पास भेज दिया।
मैंने उसे बिठाया और बस स्टैंड पर छोड़ दिया।
वो बोली- राहुल मुझे तुमसे बात करनी है.. तुम मुझे घर छोड़ दो.. रास्ते में बात करते चलेंगे।
मैं तो यही चाहता था.. मैंने कहा- क्यों नहीं.. मैं आपको घर छोड़ देता हूँ।
रास्ते में उसने मुझसे कहा- राहुल तुम मुझे धोखा तो नहीं दोगे.. मैं तुमको पसन्द करती हूँ।
मेरी तो मानो किस्मत ही चमक गई।
मैंने कहा- मैं भी आपको बहुत प्यार करता हूँ।
मैंने उसे उसके घर के पास उतार दिया.. वो बोली- आओ न.. चाय पीके जाना।
मैंने मना किया- फिर कभी…
तो वो नाराज़ होने लगी तो मैंने कहा- नाराज़ मत हो मेरी जान.. में आता हूँ.. तुम्हारे साथ।
उसके घर पहुँच कर देखा उसके घर पर कोई नहीं था.. सिर्फ़ उसका 10 साल का छोटा भाई था।
रेणु ने अपने भाई से पूछा- मम्मी कहाँ हैं?
तो वो बोला- मम्मी डाक्टर के पास गई हैं अर्चना जीजी को दिखाने.. अब तुम आ गई हो तो मैं अपने दोस्तों के साथ खेलने जा रहा हूँ।
वो इतना कह कर भाग कर चला गया।
मेरी तो मानो सारी मनोकामनाएँ पूरी हो रही थीं.. मैं मन ही मन खुश हो रहा था।
रेणु रसोई में चाय बना रही थी।
मैंने उसे रसोई में ही पीछे से पकड़ लिया।
वो एकदम से घबरा गई और बोली- राहुल ये तुम क्या कर रहे हो.. भाई ने देख लिया तो जान के लाले पड़ जाएँगे।
मैंने कहा- तुम्हारा भाई तो दोस्तों के साथ खेलने चला गया है।
उसने मेरी बात का विश्वास नहीं किया और उसने सारे कमरों में देखा.. उसका भाई उसे कहीं नहीं दिखा।
अब मैंने उसे फिर पकड़ लिया और अपने होंठों को उसके होंठों पर रख दिए.. वो बहुत घबरा रही थी।
लेकिन मैंने उसे नहीं छोड़ा.. फिर कुछ ही पलों में उसको भी मज़ा आने लगा।
वो भी मेरा साथ देने लगी.. अब वो काफ़ी गरम हो गई थी.. लेकिन उसको मम्मी के आने का डर था।
मैंने कहा- हम गेट पर नज़र रखेंगे।
मैंने उसके कपड़े उतारने चाहे.. तो उसने कहा- सारे मत उतारो.. बाद में पहनने में दिक्कत होगी.. जो भी करना है ऐसे ही कर लो।
मैंने तुरंत ही उसे पकड़ लिया और उसके होंठों को खूब चूसा.. फिर उसकी सलवार और पैन्टी निकाल दी।
अब मैं उसकी चूत में ऊँगली करने लगा।
वो काफ़ी गरम हो गई और बोली- जल्दी करो…
मैंने अपना हथियार उसकी चूत में ठोक दिया.. वो चिल्लाई पड़ी- उई.. निकालो बाहर.. बहुत दर्द हो रहा है…
मैंने लौड़ा बाहर निकाला.. उसे थोड़ी राहत हुई मैंने ज़्यादा सा तेल अपने लौड़ा पर लगाया और फिर से उसकी चूत में पेल दिया।
हालांकि वो मचली और छटपटाई.. पर मैंने अबकी बार लौड़े की सरकार.. सोच कर धकापेल चुदाई शुरू कर दी।
मैंने अपने होंठों से उसके होंठों को दबा लिया था ताकि उसकी आवाज न निकले और हाथों में उसके मम्मे पकड़ कर मसलने लगा।
अब वो धीरे-धीरे आनन्द लेने लगी.. मैंने उसको जमकर 15 मिनट तक चोदा.. वो अकड़ गई और एकदम से जोर से भींच लिया।
वो झड़ गई उसकी गर्मी से मेरे लौड़े ने भी अपना लावा उगल दिया।
कुछ पल उसकी चूत में ही लंड डाले रहने के बाद मैंने लौड़ा बाहर निकाला तो उसके खून से मेरे और उसके कपड़े खराब हो गए।
मैं जल्दी से उसके बाथरूम में गया.. अपने कपड़े सही किए और वहाँ से वापस आ गया।
यह मेरी पहली कहानी है..

ସୁନା ଭାଉଜଂକ ସହ ମାଇଛେଳି ଜଂଗଲରେ (Suna Bhauja Nka Saha Maicheli Jungle Re)

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Hi Mu tumara ati priya sunita bhauja mora gelha diara o nananda mananka pain puni eka nua kahani saha. Nayagarh Ra sabutharu ghancha jungle rasta maicheli jungle re diara bhauja nka jouna kahani. Story ku padhi comment debaku bhuli jibeni. Tamara comment re ama e kahani ku puni agaku neijiba. Ebe kahani ku asantu.......................
Suna Bhauja



Ame Khordha ru Daspalla abhimukhe bike re baharilu. Mu aau mo bhauja Suna bike pachare basi chalilu. Mora bike 70-80 speed re chaluthila. Odisha sarakaranka bartamanara nuaa niama anujai prati school agare humps tiari hoichi khorda ru jiba bele bata re kete school agare ame humps dekhilu mora gadi ra speed ku mote hathat hathat joree break maribaku pade bhauja chitiki hoi mo dehare lagi hoi rahi jaanti. Bhauja mora epari bike chaleibare mo upare abhimana kari kahila kan je tame tike aste break marile habani. Mun kahili hele bike speed thila duraru ta humps jana paduni na. Bhauja kahile han pachare sundari mananku baseile samasta nkara emiti hue. Mu kahili han mo bhauja phulei rani, janicha ta aau kanhiki mote kahucha. Se kahile chiii... tame satare pura nilaja hei galani. Tankara nilaja kahiba ta pratham thara nunhe se mote kete thara semiti kahichanti. Thare mu tanka ghara ku jaithili bhai nka pakhare kichi kama thila. Se darpana agare bsi sajei hau thile. Mu jiba bhai kuade gale boli kahili, Se mo katha suni pacha ku buli hasi dei kahile bazara ku jaichanti kana kama kahuna. Mu kahili nnai mu bhai nku asile kahibi. Se kahile satare hau. E katha kahi tanka saja haba bahana re tanka chati uparu luga kadhi puni ghodei dele. Mu tanka gora dehare dhala dhala komala bela duita pura pachi ki thiba dekhi semiti chanhi rahi thili. Blouse uparaku dudha ra agra bhaga praya adha ansa jana paduthila. Mote dekhi bhauja kahile nilaja kana tame mote aneiki acha tama kamare tame jauna. Mu kahili mo agare kholiki mote nilaja kahucha. Mo kathare pratibada kari bhauja kahile ruha bhai nku kahibi. Mu dari jai sedina tanku bhul hei gala mote khyama kari dia. Tame bhai nku kahi bani boli kahili. Se kahile hau jao  aau mo agare kebe ranga dekheibani boli kahile.

   Se dinara katha mora mane padigala mu kahili bhauja jaha kuha sedina tame adha sadhi re bhari bhala laguthila. Bhauja mo anta ku chumuti dele. Mu tike aaa..... kali. Se kahile yen.... kana aji ta bhari mood re acha. Mu kahili hau bhauja emiti sina speed re bike re gale maja lagiba. Se hau chala kahi mo sahita aau tike lagiki basile. Bhauja ta gotie pata side hoi basithile jemiti sabu stree loka mane bike re gale basanti hele tanka bela dui ku mo upare dhasei kari thoi deithile. Komala dhala dhalia bela ra mitha gharsana mote ta bhari anada deu thila hele e bhauja ta ete bedhei guna rakhichi boli mote praya anuman hoi sarilani. Uparaku ta pura strickt jhia bhali laguchi hele ranga dhanga aau dhala dhalia joubana ra sidha unmachana ru pura nilaji bedha tie bhali laguchi. jaha heu mo bhali abibhaita sangini abhabha re thiba pua pain e bhali bhauja mane hin kichi kichi deha sukha dei santa kari thanti. Mo pithire tanka dudha chipi hoi jauthila, se bi kemiti je semiti japi hoi rahi tanti. E bhitare ame mahipur parjyanta asi sari thilu. Ta agaku kan se gan ta na mu thik se janini  National Highway side re achi kete je school alpa alpa durare mote badhya hoi bike ku slow kari nebaku padila.

 Bike ku tathapi 40-50 re nei humps asile break mare puni dhire dhire pakha pakhi kete humps. Bhauja kintu jete agaku agaku humps asuthila aau mo bike slow re jauthila se sete mo dehare dudha mada karu thile. Tike slow kari dele pura dudha ku mo pithire dali pakau thile.  Mote maja laguthila hele tike thata maja karibaku bi ichha thila. Katha chalare mu pacharili kan bhauja, bela phati jiba. Se kahile kan kahila. Mu kahili naai ma ete humps asuchi je ame speed re jai parune. Bhauja kahile naai ta purba ru kan kahila kuha. Mu kahili ei rasta katha kahu thili para. Se kahile naai aau gote kan kahila. Mu kahili kana aame kete aubidhare jauche boli kahili. Se kahile dekha sata kuha kan kahila. Mu kahili bhauja kan je kahibi kharap bhabi bani ta. Se kahile besi bheleki nahei kuha. Mu kahili ei kacha rasta re tama sajada deha asta byasta helani bhali mote lagila ta mu kahili tama ra kan hauchi ki kan. Se puni kahile mora kan hab. Mu kahili tamara ete jorre baji baji bela phati jibani ta. Se chiii ........ nilaja tamaku se sabu bi manare asuchi. Bedhuaa chiii.... chiii... kahi mo jangha tanka hata aani mo jangha upare pakei kahile kan mandira asi bela kahibani. Mu kahili kan bhauja ete narami gala je , se kahile aare boka tama bhali pilanka ra emiti hin abasta hue. mu khali bhabuthili tame ete handsome kintu maichia te boli bhabu thili. Tanka katha suni mo manare tike raga lagila. Mu bike slow re chaleili se mo mana katha bujhi parile bodhe kahile kana dhana ete ragi gala je tame satare purusa ki na mora doubt hauchi, tame mo bhali sundari ki pakhare basei tike bi kichi pratikriya dekhauna je, kan khali thata maja hele chaliba. Bhauja mana katha bujhi baku ta haba naa. Mo dhana ta ebe ragani please. Tama sahita bike re buliba ku mora bahut ichha thila sethi pain mu kali bhai nka saha galini aau tanka ra aji rayagada jiba ra achi boli agaru jani mu e plan kari thili.

  Bhauja nka tharu emiti katha suni mu tike abak hoi gadi chalau thae. Se puni kahile satare prathama ru mu tama ku dekhi mana ru bhuli pari nathili, hele tame purusa ki nuhe mu jani paruni mo swami ta mo sundara ta ra ete characha karanti mo agare je mu bi janena mu kete sundari hele tame mote se dina adha sadhire dekhi mote khali sundari boli kahi dele chaliba. Mu tamaku kemiti lagili aau tame mo bisaya re kana sabu bhabi thilla kichi bi kahina. mu kahili satare kan bhauja tame ete nata kara. Mu ta bhabhi thili mu aji sujoga paichi tamaku sthire neijiba pain se puni daiba ra khela jogun. Hele tamara khela boli mote ajana thila. Se ethara mo peta ku jabudi dhari kahile ethara janila ta, emmaa tama peta na aau eta kan pura slim body tamara. Mu kahili han bhauja satare tame bhai nku sina baha hoicha hele mo pain pura fit hoithanta. Se mo kathare katha ku teli kahile mu tamara heithile tame kan karithanta. Mu kahili mu tamaku bahut bhala paithanti, se kahile satare kemiti bhala pai thanta. Mu kahili mu tamaku sada bale pakhare rakhi thanti juade jai thanti tamaku nei jai thanti. Aau tama saha bike re speed re buli jaithanti. Se puni tame mu eka eka bahut romance karithante. Se puni maduala kantha re pacharile romance kemiti mu ta janini. Mu kahili tame ta  baha heicha kete romance karithiba, ajana bhali kan haucha. Se kahile satare tame kemiti romance kari thanta mu jani baku chanuhchi. Mu kahili ame puri samudra buli jaithante gotie paida ku duiti kathi re basi piii thante aau jatra, mela buli maja kari thante. Se kahile e sabu maja re jhia manaka ku kete khusi miliba bhabucha. Tame satare romance bale ta kichi janina. Mu kahili kan aau tame kuha kemiti romance. Mo katha saru saru bhauja kichi kahibaku gala bela ku agare gote gai aau sandha giha gehi dekhilu. Bidesi sarakari sandha ta desi hrusta prusta gai ta uparae goda dera dei gehi chalichi. Mu laya sei ade, gadi ki tike slow kari dekhi agaku chalili. Bhauja bi se drusya dekhi mo jangha ku japi dharithile.


 Kichi samaya ra nirabata pare bhauja puni pati kholi maduala bhabare kahile kan bujhila ta eita romance . Mu kahila kouta romance. Se kahile re murkha dekhi ki jani parilani. Se sandha ta gai saha ki romance karuthila. mu pura silent hoi gali. Gadi maicheli jungle dei gati karu thae. Bhauja katha saru saru mo panta ra majhi ansare hata ku dui hatare jabudi dharile. Mo bhagya bhala pakha pakha kichi gadi bi asunathila. E bedha ta je kahara stree hoi mo gupta angaku jabudi dharichi, satare se setiki sundari thile boli mo dehare raga tharu adhika kamana ra niaa jalila. Mu tike pacha ku pithi kali aau dudha ku cipila pari dhali heli. Se ki prakarara jantu je mo pant uparu tanka dahan anguthi ki mo banda adaku genjile. Jete hele kou jhia ra abhali kamana ra akarsanare mu bi aau besi sambhalibara paristhiti re nathili. Tathapi mu chup thili. Ni chatia jungle rasta ethi gadi rakhibaku bi dara laguchi. Chora dakayat ebe ethi besi hauchi boli katha sunichi. Hele bhauja mo manare kamana ra niaan jalei chali thanti. Mo gadi slow slow re jau thae. Agaku tike durare gote jungle bhitaraku rasta tie thae. Bhauja mo kanare kahile mote tike ethi olhei baku heba. Jhia o stree loka mane muti ba pain direct nakahi emiti kuhanti boli mote jana tenu mu se jungle ra bypass bhitara ku gadi nei rakhili.
 
                                              Suna bhauja mo deharu hata adei talaku olheile, pura dudha taku mo dehare ghasi hoi talaku khasile. Mu tike side re gadi rakhi chida heli, pakhare ta kehi nathanti. Bhauja agaku jai gote sala gacha mule luga tekile. Mu tike epata sepata anau thiba bele tanka luga teki heba dekhi najara ta sei ade chali gala. Suna bhauja nka gora ranga ra padaru arambha kari tanka ra pura gola gola picha dekha gala. Suna bhauja semiti luga o saya ku teki tanka chadi ku talaku khalile. Aau sei sala gacha mule mutiba arambha kale. Sirrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrr................ sii ........ rrrrrrrrrrrrrrrrr.....  siiiii... rrrr..................... sabda hela.

Pura dui 2 minute parjyanta mutile mu tanku semiti chanhi rahi thae. Mo manare kamana bi lahadi maru thae hele, mu kamuka nuhne. Bhauja puni se gacha mulu uthi luga ku uparaku teki dhari pacha ku buli chadi uparaku kale. Chadi uparaku kala bele andhari andharia tanka dehara jangha sandhi ade najara padila. Tanka goda dia ta pura chikana aau lobha nia. Jangha ta jie bi dekhiba pura maduala hoi jiba. Jaha hau aji mote yanka saha bulibaku je sujoga milichi. Jubaka mana mora manare kete prakara ra budhiani basa bandhu thile madhy mora mana sthira kari bhauja nka adaku chanhi thae. Bhauja mo ade na chanhi pakha ku asi kahile - Kemiti heichi. Mu kahili han bhala gacha patra ebe ta barsa rutu re sabu ade sabuja ghancha jugle paga bi bhala achi bhala laguchi e jaga. Se tike raga hela bhali heee.... kahi kahile tame kan kabi heicha je mu tamaku prakuti ra sundarata pacharibI, Mu ta mo jaga katha pacharili. Mu madhya tanka katha bujhi paruthili. Kahili sundara ta ra mu ba ki upama debi, mo sabda kosha bhasa hina hei jauchi, tumara sei lobhania soundarjya ku dekhi. Se pura gada gada hasile aau kahile baa baa re kabi ete upama deba boli mu jani nathili. Etikire ete ta aau bhitaraku gale kana heba. Mu kahili satare tumara sei gauhara bhitara ku pasigale andhakara ra maya jala mo akhi re badhi hoi jiba. Se puni hasi hasi mo gala re gote sakta chumbana tie anki dele. Tanka chuma bhari lobha nia. Mu  tankara chumare atista hoigali aau puni tanku bahure japi dhari tanka othare othaku japi dhari kiss kali. Hele manare dar emiti road side re rahi ebhali kale kan heba. Mu tanku chadi deba matre se mote kahile ethi kan kie jadi dekhiba. Tike bhitaraku chala mu tamaku aaji khuai piaai ghare nei suai debi. Mote akhi issara re se jungle bhitaraku jiba ku nirdesh dele. Mo manare dara thila e jungle re kete aparadha ghatuchi jadi kaha samna re padibu? Se mo mana ra bhabana bujhila bhali kahile . Darucha kan je purusha hei darucha mate satare tama prati sandeha hauchi tame satare marda naaa?

 Mu tanka katha suni aau nijaku roki parilini. Aji tanku mo marda pania dekheibi boli bhabhi mu jugle road re chalii. Se rasta ta ana osaria, tike agaku banki jaichi puni saru hoi agaku jaichi. Ame side hoi gadi ku tike jungle bhitaraku nei chalilu. Suna bhauja mo sathire asu thanti. Budu budiaa ghasa sanga ku denga denga sala gacha hele nuaa barsha pani baji gacha sabu ghancha hoi jaichhi tike agaku jai gote bhala jagate pailu. Kichi dina hela barsha hoi nathila tenu se jaga madhya thik thila. Se jagaku rasta re rahi kehi bi lakhya kariparibeni. Mu gadi ta ku gote pakha sala gacha tale deri dei rakhili. Setebeleku bhauja nka ra luga sajada arambha hoigala. Bhauja mote diki ra chabi magi se bhitaru tankara duiti pindha luga bahara kale. Mote gotie pata dharibaku kahi se luga ku se jaga re pari dele. Ki bhali amara e kama mu bi ajana se kintu bahu khusi ra saha agei agei chali asileni. Tanka plan re e jaga thila naa kana mu ta kichi bujhi paru nathili. Luga pari bhauja ta upare basile mu madhya tanka agare basili. Se munha ku chanhi tike hasi dei maduala najarare chanhi mo adaku tanka deha ku ani mo mundare gote bahaliaa chuma tie anki dele. Satare mo manare sampurna kamana ra bana dhansan hela pari lagila. Mo bhaba urdata hebaku gala bela ku se tanka chatiru sadhi kadhi nila rangara blouse upare tankara dui dhala dhala bela, sthana ba dudha adha dursya heuthila. Mu asthira hoi tanka upara ku jhampa deli. Mo hatare suna bhauja nka dui mansa pindula ku dhari dali dali tanka upare madi basili. Se mo tale mote dhari soi rahile. Se barambara rankuni bhali mote chumbana pare chumbana anki deuthila. Se chumbana re ete akarsana thila je, Mo jeans pant bhitare gauharare luchi rahi thiba banda ta pura phuli phuli jau thae. Mu tile bi hela kalini tankara blouse ra botam kholiba pain. Mo banda ta tana hoi jeans bhitare bahut jantrana anubhab kali. Suna bhaujanka dui ulagna dudha ra sandhi re mo munha ku japi dei khaila bhali dui dudha ku chati chati mo pant ra chain ku kholili. tike uthi jai mo banda ku pant o chadi ra srunkhala ru mukta kari tike pant talaku kari suna bhauja nka dudha ku patire purei chusi bare lagili. Tanka ra deha ku upabhog karibara agraha thila hele se je nije sujog dei ebhali mo sarira tale nanga hoi soi rahibe kebe bi bhabi nathili. Kamana ra jwala tibra hoi uthila Banda bia ra seba pain chatura hoi rahi thila bodhe. mu tanka luga ku anta ru kholili. Se sange sange taka dui hatare saya ganthi kholidele aau hata dui ku uparaku uthei nele. Deahare chadi semiti thae. Dhala rangara chadi ku mu patire kamudi tanka bia ku gela kali. Tanka bia ra akara chadi uparu bhari spasta jana paduthila. Mu chadi ku kholi deli. Satare mu aschrjya heli mu bhabuthili sabu jhianka ra bia re bala full hoi rahi thiba. Kete ratire mu sunita bhauja nka odia diara bhauja nka ra gupta prema padhi thili. Hele sabu bhauja nkara jangha sandhire bala japi hoi thae. Hele mo suna bhauja nka bia ta pura safa. se jemiti uparu chikani disanti bhitare bi thika sehi bhali.

                                                                           Tankara bia ra gathan o gora ranga sange golapi golapi biaa ra pakhuda sate jemiti golap phula tie. Ebe bujhi parili e jhia o stree loka mananku golapa dele tankara kanhiki manare prema jata hue. Satare prema nahele bi tanka manare kamana ta nischita jata heuthiba. Golapi bia sabuthu sundar aau golap ra ranga dekhi jhia mane bodhe nija gupta anga ra suchana pai manare kichi gote hei jae tenu tanku ananda mile. Jaha bia hau naa kanhiki mu mora mota hoi phuli rahi thiba banda ku bhauja nka biaa re genjili. Mane paduthila Sunita bhauja nka ra odia sex story tanka swami nka saha dihipahare se jau masta giha gehi hoithile ta bhabi mu mo banda ra mada ra gadi badhei deli. Suna bhauja nka patiru khina swara re aaaaaaaaaa........  uuuuuuuuuuuuuu......... jorrreeee kara mo dhana ........ mo dhana ..... mo sunaaa.... tame mo bia ku khai pakao...... ki kasta daucha. Ahuri jooorrreeeeeeeeeeeeeeeee... eeeeeeeeeeeee.   mmaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaa  lo................ pura rada pari heichi he mote ta emiti darakara thila. Mo mana bhari dia please tame jaha kahiba karibi. Mate jorreee jorrree gehi mo bia ku khao. mu tanka katha o tanka maduala chehera ku dekhi tibrtara saha gehibaku lagili. Dudha ku kete thara kamudi dei thili. Jorree jorre gehiba bele mo pati kamudi hoi bhauja nka dudha tike khandiaa hoi gala tathapi se kahile jaha hau tame satare marda, suna ra manare aji tame sampurna rahigala. tamaku aji mu tkie bia khueibi. Bhauja uthi jai dui goda pheda kari basile mu tanka bia ku chuuu...... chu..... kari sosadili.. Se madhyaaa.  aaaaaaaaaaaaa.........  aaaa...... kahi bobali chaduthile. Mo banda ra garam sambhali napari mu bhauja basi thiba abasta re tanku mobahure japi dhari banda ku biaare purei gehili. 15- 20 minute gehila pare dui jana jakara same time re birja baharila. Mora bahut bahala thila bhauja mo banda ku dhari patire japi rakhile. Mo birja ku haun haun kari chosi kahi dele. Puni se tanka bia ku mo pati agare rakhile. Tankara bia ra rasa  hari pania thila. Thika jemiti muti deichanti. mu bi tike pati lagei aau anguthi purei bhauja nka biaa ku sala sala kali. Mo deha halia lagila ete birja dhali jaithila. bhauja pura free thile hele mo halia dekhi se mo banda ku chuchumei mote kete samaya semiti langala abastare jabudi dharile. Das goti chuma dei puni aji ame ghare gale tame mo gharaku asiba kahile. Dunhe dress pindha pindhi helu. Mu bike ku jungle ru bahara kari se saru rasta pakhaku galu. Bhauja nku sthu basei neba purba ru mu puni bhauja nka dudha ku blouse uparu dalili aau patire 6-7 thara kiss kari aame se bhitara rasta ru bahari mani road dei daspalla abhimukhe galu.

Writer: Sunita Prusty
Publisher: Bhauja.com

गर्लफ़्रेण्ड संग ब्लू फ़िल्म बनाई

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प्यार की बहाना में खोते हुए।  बीबी के नंगी सरीर के उपर सोते हुए आप सभी इस कहानी को पढ़ा कर बहत मजा लेंगे तो इस कहानी को आगे पढ़कर अपनी सुनीता भाभी से कमेंट भेजे। 

एक दिन रैना मुझसे मिलने आई, उसका कज़न ड्यूटी पर गया हुआ था।
मैं और रैना बडे दिनों बाद मिल रहे थे तो मैंने रैना के आते ही उसको पकड़ लिया और उसे चूमना शुरू कर दिया।
मेरे इस वार से वो सकपका गई पर मिली तो वो भी बड़े दिनों बाद थी तो आग दोनों तरफ़ बराबर लगी थी।
उसने भी मुझे चूमना शुरु कर दिया।
मैं जमकर उसके और वो मेरे होंठों को चूसने लगी, फ़िर वो बेकाबू हो गई, वो गरम हो गई।
मैंने उसको सम्भाला और उसे बिस्तर पर ले गया, उसके कपड़े उतारे और उसको नंगी कर दिया।
आज रैना पहले से ज़्यादा सैक्सी लग रही थी।
उसके मोटे मोटे मोम्मे वाह… उसके चूतड़ गान्ड जैसे कोई मखमली गद्दे हों…
उसकी चूत के तो क्या कहने…
जैसे दूर कहीं किसी ने हीरा छुपाया हो वाह…
तभी रैना ने कहा- मुझको सर्दी लग रही है।
मुझे पहले बड़ा अजीब लगा कि गर्मी में ठंड कैसे लग सकती है पर तभी मुझे याद आय कि पंखा 5 की स्पीड पर चला था।
उसको जब भी सर्दी लगती है तो वो मुझसे अपने कपड़े खोल कर उसके ऊपर रज़ाई का काम करने को कहती है।
मतलब वो मुझे अपने ऊपर लेटने को कहती है।
मैं उसके कहे अनुसार अपने कपड़े उतार कर उसके ऊपर आ गया।
पर अब मुझे थोड़ी सर्दी लग रही थी।
तो मैंने ऊपर से चादर भी ओढ़ ली।
अब मैं फ़िर उसे और वो मुझे चूमने लगी।
मैंने उसको समूच करना शुरू कर दिया।
एक हाथ से मैं उसके बोबे भी दबा रहा था और दूसरे हाथ से मैं उसकी चूत को सहला रहा था।
तभी मुझे एक बात याद आई कि रैना और मैं अकसर फ़ोन पर सैक्स की बात करते थे तो एक बार ऐसे ही मैंने रैना से कहा था कि रैना एक बार हम दोनों अपनी सैक्स करते हुए अपनी हरकते कैमरे में कैद करेंगे।
तो उसने ऐसे ही मज़ाक में बात ली और हाँ कह दिया।
जैसे ही मुझे ये बात याद आई मैंने रैना से कहा- रैना करें शूट अपनी फ़िल्म?
रैना के होश उड़ गये।
पर वो मेरे ज़ोर देने पर राज़ी हो गई।
मैंने उसके पर्स से कैमरा निकाला जो उसको उसके भाई ने गिफ़्ट दिया था और वो उसको मुझे दिखाने के लिये लाई थी।
मैंने उस कैमरे को ऑन किया और उसे शेल्फ़ पर टिका कर कुछ इस तरह रख दिया कि हमारा पूरा बेड और हम दोनों शूट हो सकें।
फ़िर मैंने रैना के बोबे सहलाना शुरु कर दिया और उसके कान काटना भी।
इससे रैना बहुत गर्म हो जाती है।
और जैसा कि मैंने कहा कि रैना एकदम से गर्म हो गई, उसने अपना एक मोम्मा यानि कि दूध मेरे मुँह में डाल दिया और मुझसे कहने लगी- चूसो इसे ज़ोर से… मेरा सारा दूध पी लो।
मैंने भी उसके मोम्मे को ज़ोर से चूसना शुरू कर दिया।
थोड़ी ही देर में रैना सिसकारियाँ भरने लगी।
फ़िर मैंने उसका दूसरा मोमा भी चूसा।
और वो इतनी गर्म हो गई थी कि उसने अपने बोबों पर मेरा मुँह दबा दिया।
फ़िर कुछ देर ऐसा करने के बाद मैंने उसके पेट और नाभि को चूमना शुरू कर दिया, फ़िर नाभि से होते हुए उसकी चूत पर अपना मुँह
लगा दिया।
जैसे ही मैंने अपना मुँह रैना की फ़ुद्दी पर रखा और अपनी ज़ीभ अन्दर बाहर करनी शुरू की तो रैना तो जैसे स्वर्ग की सैर करने
लगी।
उसके मुँह से ‘आआह्ह्ह्ह… स्स्स्स्स स्साआ अह्ह्ह्ह… म्म्म म्म्माआआह्ह… ओह येस… ओह येस… ओह येस… ओह येस बेबी सक इट… ओह येस बेबी सक इट’ जैसी आवाज़ें निकलने लगी।
अभी मुझे ऐसा करते कुछ ही समय हुआ था कि तभी रैना ने मेरा मुँह अपनी चूत पर दबा दिया।
मैंने भी ज़ीभ पूरी रफ़्तार क साथ अन्दर बाहर चलानी शुरू कर दी।
तभी रैना के मुँह से वो निकला जो मैं सुनना चहता था।
उसने कहा- अन्नू अब और सब्र नहीं होता अपना लन्ड मेरी चूत में डाल दो प्लीज़।
बस यह सुनते ही मैंने अपना लन्ड रैना की चूत पर रखा और ज़ोरदार धक्का देकर अपना लन्ड रैना की चूत में पेल दिया।
रैना काफ़ी समय से सैक्स ना करने की वजह से ज़ोर से चीख पड़ी।
मैंने उसके मुँह पर अपना हाथ रख कर उसकी चीख बन्द कर दी।
फ़िर मैंने धीरे धीरे अपना लन्ड अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया और रैना ने भी अपने चूतड़ चलाने शुरू कर दिये।
अब रैना के मुख से सिसकारियाँ शुरू हो गई, उसके मुख से आआह्ह्ह… स्स्स स्साआअह्ह…  म्म म्म्माआआह्ह्ह्ह… ओह येस अन्नू फ़क मी… ओह येस अन्नू फ़क मी… ओह येस… ओह येस अन्नू फ़क मी हार्ड… ओह…’ जैसी आवाज़ें निकलने लगी।
इन आवाज़ों से मैं और भी गर्म हो गया और मैंने रैना को और ज़ोर से चोदना शुरू कर दिया।
फ़िर रैना ने अचानक मुझे धक्का दिया और मुझे अपने नीचे पलट कर मेरे ऊपर चढ़ गई।
उसने मेरा लन्ड अपने हाथ में लिया और उसे चूसने लग गई।
फ़िर उसने मेरा लन्ड अपनी चूत पर रखा और उस पर बैठ ग़ई।
मैंने नीचे से धक्का मारा और रैना भी उछलने लग गई।
फ़िर मैंने रैना को भी पलट कर अपने नीचे कर दिया और रैना ने फ़िर से आवाज़ें निकालना शुरू कर दी ‘आआ आह्ह… स्स स्साआअह्ह… म्म म्म्माआआह्ह… ओह येस अन्नू फ़क मी हार्ड… ओह येस् अन्नू फ़क मी हार्ड…’
और तभी रैना ने मुझे कस कर पकड़ लिया।
मैं समझ गया कि वो झड़ गई है, मैंने धक्कों की स्पीड तेज़ कर दी।
फ़िर मैं भी अपने चरम पर पहुँच गया और मैंने अपना लन्ड बाहर निकाल कर अपना सारा माल रैना के मोम्मों के ऊपर फ़ेंक दिया।
फ़िर मैंने जाकर कैमरा बद किया और हांफ़ते हुए रैना के ऊपर ही लेट गया।
कुछ देर बाद मैंने रैना को देखा, पूछ- आज क्या हुआ था? बड़े जोश में थी।
रैना ने कहा- पता नहीं, बट अभी भी करने का मन कर रहा है… तुम्हारे अंदर ताकत बची है?
मैंने रैना से कहा- मेरी एक इच्छा तो तूने बिना बोले ही पूरी कर दी मेरा लन्ड चूस कर, अब दूसरी भी पूरी कर दे।
उसने पूछा- कौन सी?
मैंने कहा- गान्ड मारने की।
पता नहीं क्या हुआ, रैना एकदम से उठ गई और घोड़ी बन गयी।
मेरी खुशी का तो कोई ठिकाना नहीं रहा और मैंने अपना लन्ड सीधे रैना की गान्ड पर लगा दिया और उसकी गान्ड मारना शुरू कर
दिया।
एडिटर: Sunita Prusty
Publisher : Bhauja.com

ଖାନ୍ ନଗର ମସାଣି : କବି ଓ କବିତା ର ପ୍ରେମ (Khan Nagar Masani)

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Khan- Nagar Masani
Story By: Shri Bhikari Charan Nath
Hi mu Sunita Prusty mora sabu gelha diara nananda mananka pain ei puruna rahasya maya (Detective) Story ku swagat janauchi. Ehi story ti Lekhaka – Shri Bhikari Charan Nath nka Khan Nagar Masani pustaka ra kichi madhura muhurta ra tiki galpa saha samanya kalpita katha tie. Asa karuchi apan mananku bhari bhala lagiba.


  Mu kabita, Mo ranga Haladi Gori munha ujwala lamba. Naba Joubana re munhare smita hasya jubaka nka manaku chori kari nie.  Mo joubana ra saita dehara rupa katha jadi janibaku chanhuchanti tebe 34 – 28- 34 kahile apana mane ta bujhi paruthibe.  Samastankara jibana bhali mo jibanare besh romanch bhari rahichi. Mo dehara pratham siharana bhari deithile Kabi bhai. Kabi bhai mo mausi pua bhai hebe. Sundar jemiti dekhibaku sehibali tankara sabu dhanga bhari pasanda lage.
 Gotae dina mu Kabi bhai nkukhai baku deuthae, se gotie kakara tie nei munhare deba belaku mun nei puni eka kakara o rasagola khuei deli. Kabi bhai mu rasagola khuaila bele mo hata dhari se rasagola ku mo munha re galeidele. Mu setebele tanku badha dei parili nahi. Chiii…… chiiii…… kabi bhai ta ajithu ete dusta heba sikhileni. Jetebele nanhi setebele mo sangare khali ai maja thata.

Kabi BHai ---  Gotie katha sun kabita.
Mu ---- han Sunibi hele mo hata chadile sunibi.
Mora etiki kathare se hathat mo pakharu ghunchi jai glassta pani eka niswasre sabu taka piii dei  mo khata upare lamba hoi padigale.
Mu—E kana karucha, tame kan aji gharaku jibani ki?
Kabi bhai – Kanhiki Rahigale khyati kan?
Mane mane khub raga madila kemiti dusta manisa tae.
Kabi bhai--  Tike iaaade aa…
Kabi Bhai—Mo Rana
Ei tiniti akhyarare ki madakata thila kejani mu aau dande matra thia hoi parilini. Khyanikare mora sabu abhimana pani photoka pari milai gala. Mu jai tanka  pakhare chida heli.
 Mo luga kanitaku hathat dhari nei se mote pakhare basibaku anurodha kale. Mu kintu tanka pakharu durei jai tani hebaku basili. Lugata ete sighra mo deharu alaga hoi jiba boli jani nathili. Mote bahut laja lagila, mu sehi ghara bhitaru palai asiba bele pachapatu asi mora dui hata bhitare hata purei mote teki nei khata re suai dele.
 Mu nirupaya nisahaya abasta re uthibaku chesta kali; kintu parilini. Se mo deharu blouse ta olhaiba ku jai mp blouse bottam kholibaku lagile. Mu pratibada karithile chali thanta, hele mu aau tankara kounasi karjya ku pratibada nakari Dhira sthira santa pilate pari soi rahili.
 Tanku eka subarna sujoga miligala bhabi mana ku jaha asila karigale. Kan kahibi aau mo chati upara pura ulagna mo manara lajare mu bi mo nagna chati ku chanhi paru nathili kahli anuvab karuthili madhura piratira chuan. Dui hatare kabi bhai mo dui nagna mansala pinda ku dali chali thanti chumbana pare chumbana. Dehare kebala siharana aau siharana mana ta prafulita heijau thae. Sthana jugala mo jantrana re asmbhala heuthila hele e pida ete je ananda deuthila satare rankuni tie pari soi rahi thili tankara baskhya tale. Kintu mo saita belare mana bujhilani naa kana je se mora pindhi thiba saya ra ganthitaku jemiti kholibaku jaichanti, Mu hathat kahi pakeili ---- Kabi bhai ! Esabu kan heuchi, tame bada dusta.


Kabi bhai- To tharu kam kabita
Mu- Achha ethara mote chada tene bou……
Kabi bhai- Bou para tene nighoda nidare soi ghungudi maruchanti. Ta chada manisha jibana re aa e sujoga aasibani. E sujoga matra tharu tie ase kabita.
Mu- E sabu kan kahucha kabi bhai?
Kabi bhai- Mu thik kahuchi kabita. Mote aau nirasa karani . Mu je tora aau tu je mora . Aau matra dina keita gale dekhibu ama dunhika hata ek hejiba.
Mu- Ta mane
Kabi bhai- Bujhi parunu kabita, bujhi parunu kabita ama dunhinkara hata ganthi padi baku aau matra dui tini ta masa baki rahila. Khali ama golap ra hata ganthi padi sariba pare mora hata ganthi padibara sujoga asiba.
Mu- Eha kan sata kabi bhai ! Etire kan tumara bapa o mausi raji hebe.
Kabi bhai- Nischita hebe. Bou ra ta sampurna ethire mata kintu mo bapa nku aau dina keita pare raji kareibani se.
Mu- Mo rana khaila. Mo deha chuin sapatha kala?
Kabi bhai- Mu sata kahuchi kabita. Mu ehi chandra ku chanhi sapatha karuchi to chada mora aau ditiya kehi nahi.
Tankara epari kathare sathika utara pai nijara aatita, bartamana o mora bhabisyataku bhuli gali. Tanka kathare, adarare o sohagare kounasi katha badha dei parili nahi.
  Mora kichi khyana nirabata bhanga kari mo munha re lage lage dui charoti chumbana dei mo pakhaku lagi soipadili. Mora sete beleku sara dehare apurba siharana kheli jau thae. Joubana ra madakata nisare mu ekbar….. Mora prati Lopakupa gudika prema madira pii sitei uthu thae. Mu setebeleku aau nijaku thaya kari napari tanka pakhaku lagigali. Ehi sujogare se mote teki nei tanka chati upare suai dei mote chapi dharile. Mu aau kichi nakhi tanka munha pakhare munha taku nei chumbana pratibadala re chumbana ankideli.
 Chumbana anki deli sata hele lajya re mo munha phika padigala. Mu akhi duita ku buji dei tankara chati upare soi rahili. Setebeleku mora khola chatita tanka chati upare jadi jai thila pari mora mane heuthae. Tapare mu anubhab kali se mora pindha saya taku kholibaku tikie madhy kholibaku hela karu nahanti. Tankara hata tiku dhari pratibada karibaku jai laja laja hoi kahili – Chi…. Kabi bhai ! asabu kan heuchi ?
Kabi bhai – Manisa jibanare jaha hue taha hin heuchi
Mu- Tame puni ete dina puri saharae thila kemiti.
Kabi bhai- Upaya nathila kabita, parikhya nadei……
Mu- Upaya nathila hele khande adhe kete bele chithi ta dei pari thanta na?
Kabi bhai- bhula bujha na kabita . Mu chithi khandie nadeli boli je tote sampurna bhuli jaichi se katha sampurna bhula. Tu jaha kaha na kanhiki chithire mo mana bujhena. Mu chanhe ahi pari tote sabudina pakhare pai dhnya hebi.
Mu- Kie jane tame je purusha. Ketebele puni e phula ru dhain anya eka phula ku nei…….?
Se abhimana swarupa mo saya bhitaru hata ku bahara kari anile o anya hata ta ku mo dhala dhala mansala sthana ru uthei nele. Aau kahile --- Se purusha aau mun eha akasha patala byabadhana. Mote biswas kar, mu jaha kahichi aau purbaru Madhya kahi asichi, mu ta sampurna karibi. Ta na pare ba ethire samaja jadi badha die ta hele mu to pain atma hatya karibi.
Mu – chiii.. epari sabu kan kuhanti. Mo rana kabi bhai, aau epari kahibani.
Ekatha kahi mun tanka pakharu ghunchi asili.

Kabi bhai—Mo rana katha kuha
Kabi bhai mo pakha sandhire hata rakhi kutu kutu kale mote jorrr hasa lagila. Mu phik.. kina hasi deli. Se puni thare mote tanka pakhaku aaujei chumbana pare chumbana anki baku lagile. Mu jemiti bhari chumbana rankuni tae. Tankara se chumbana re madaka sakti thila bodhe mu aau tanka anurodha edai parilini. Kamadebata nku mora premara prathama arghya badhi deba ku jai tanka hataku badha dei parilini. Mora sei dina sola barasha ra saiti rakhi thiba satira stitya khanikare nasta kale. Ki sundara o ananda dayaka muhurtwa se ki maja mo chati ra kampana tanka bisala banda o mo bia ra dharasana. Peli neu thile jorree joorree bhas bhas niswas ra lahadi bhasi jauthila dunhinkara nasa ru. Mo komala chatire dhali rahi thiba dui bela upare aghatara parimana badhi chali thila. Hele mora tike bi pratirodha nathila thila khali upobhoga ra maja ki gihana se deuthile, mo kuanri antire saita dhana re musala banda ku pasai gehi neu thile. Jangha jangha baji fada fada sabda kari prakampita heuthila. Aau prathama dehara upabhoga ku bhalare dirgha samaya dhari maja neba pare mo bia bhitare tanka banda ru birja pasi bharti hoigale. Mo mana anandare bhari gala puni chipa dala aau giha khai mo mana puara santa hoi gala…. Mu suna jhia te pari ulagna hoi soi rahithili tanka nanga dehatale……………………………………..


Writer: Sunita Prusty
Publisher: Bhauja.com

लखनऊ की नयना की मुनिया

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नमस्कार दोस्तो.. सबसे पहले तो आप सभी पाठकों को बहुत सारा प्यार।
मैं bhauja का बहुत पुराना पाठक हूँ.. पर कभी अपनी कहानी लिखने की हिम्मत नहीं जुटा पाया और आज मुझे अपने पहले प्यार की बहुत याद आई तो मैंने सोचा क्यूँ ना आप सबके साथ मिलकर याद किया जाए।
मैं पहले अपने बारे में कुछ बता दूँ वरना मैं आप सब के बीच में अंजाना ही बना रहूँगा।

मेरा नाम अंशुमन सिंह है.. मैं लखनऊ का रहने वाला हूँ।
मैं बताना चाहता हूँ कि मैं घर पर अकेला ही रहता हूँ। मॉम-डैड पास ही एक गाँव में रहते हैं।
वैसे तो अभी मैं ग्रॅजुयेट हुआ हूँ, तो जॉब के बारे में कुछ सोचा नहीं… बस घर पर ही रहकर अपनी आगे की पढ़ाई करता हूँ और डिफेन्स की तैयारी कर रहा हूँ।
वैसे भी मुझे डिफेन्स में जाने की बचपन से ही बहुत इच्छा थी और इसीलिए अपनी बॉडी को भी फिट कर रखा है।
मेरा कद 5 फिट 10 इंच है और मैं दिखने में भी काफ़ी आकर्षक हूँ। शायद इसीलिए लड़कियां मुझे देख कर ‘आहें’ भरती हैं।
अब मैं आपको अपनी कहानी पर ले चलता हूँ।
ये बात उन दिनों की है जब मैंने कॉलेज में प्रवेश लिया था।
यहाँ आए तो नया कॉलेज और नए लोग थे, पर जल्द ही अपने मस्त और हँसमुख व्यवहार के कारण बहुत मेरे सारे दोस्त बन गए।
उन्हीं में से एक ख़ास दोस्त नयना भी थी.. जिसे देखकर तो मेरा सुर ही बदल जाता है।
वो भी दिखने में बहुत सुन्दर.. एकदम अप्सरा लगती है।
उसके जिस्म के 36-32-36 कटाव भी क्या खूबसूरत थे..
वैसे तो हम एक-दूसरे को बस देखते थे.. खूब सारी बातें करते थे और एक-दूसरे को देख कर मुस्कुरा देते थे, पर एक दिन कुछ ऐसा हुआ कि हम इतने करीब आ गए कि आज भी हम एक-दूसरे को अलग करने को तैयार नहीं हैं।
उस समय गर्मियों के दिन थे और कॉलेज में भी छुट्टियाँ होने वाली थीं।
इम्तिहान हो चुके थे बस परिणाम आने का इंतजार था।
शाम के वक्त मैं छत पर कुछ दोस्तों के साथ मस्ती कर रहा था कि अचानक नीचे देखा कि नयना आ रही है।
अब उस समय गर्मी थी और हम सब दोस्त तो ऐसे ही सादा हाफ लोवर और टी-शर्ट में थे।
मैं जल्दी अन्दर गया और कपड़े बदल कर वापस आया तो देखा कि खिड़की पर नयना जो कि पहले ही आ गई थी।
मैं कुछ कह पता कि नयना ने खुद ही टोक दिया- आपकी ज़िप खुली है।
अब मेरी हालत पहले तो खराब थी ही बाकी नयना की बात सुनकर मैंने जल्दी से अपनी ज़िप बन्द की।
फिर हम दोनों कमरे में आकर सोफे पर बैठ गए और शायद तब तक सारे दोस्त भी चले गए थे।
मैं उस वक्त घर पर अकेला ही था।
मुझे चाय पीना बहुत अच्छी लगती है, इसीलिए मैं थोड़ी देर बात करने के बाद रसोई में चला गया।
थोड़ी देर बाद जो मैंने देखा तो उस पल मेरा तो बुरा हाल हो गया।
मैं चाय बना ही रहा था कि पीछे से नयना आई और मुझसे लिपट गई।
अब मेरा तो पहले से ही दिमाग़ काम नहीं कर रहा था.. फिर ऊपर से ये नयना की मस्त हरकत।
मैंने पीछे से नयना के हाथ को पकड़ कर आगे किया ही था कि वो मेरे सीने से लिपट गई और अपनी तेज हो रही सांसों से मेरे दिल में आग लगाने लगी।
मैं भी थोड़ा गर्म हो रहा था तो मैंने गैस बन्द की और नयना से कुछ कहने ही वाला था कि उसके होंठों ने मेरे होंठों को खूब कस कर जकड़ लिया।
अब मुझे भी थोड़ा-थोड़ा सुरूर छाने लगा।
मैंने नयना को अपनी बाहों में भर लिया और उसके चुम्बन का जवाब देने लगा।
उफ्फ.. उसके होंठ कितने मस्त थे कि उसे छोड़ने का मन ही नहीं कर रहा था।
करीब 15 मिनट तक चूमा-चाटी के बाद मैंने नयना को अपनी गोद में उठा लिया और अपने कमरे में ले गया।
हमारा घर थोड़ा बड़ा है तो कमरे भी बड़े ही बनवाए गए हैं।
मैंने नयना को अपने बिस्तर पर बड़े प्यार से लिटाया और फिर मैं भी उसके बगल में लेट गया और उसके होंठों को चूमने लगा।
अब अपने हाथों को उसकी ब्रा पर फेरने लगा।
फिर धीरे से उसके कपड़ों को उतारने लगा।
वो भी मेरा साथ दे रही थी।
मैं उसके होंठों को.. गालों को… माथे को.. कान के पास और फिर गले पर और कंधे पर जी भर कर चूमने लगा।
अब नयना मेरे सामने सिर्फ सफ़ेद ब्रा और गुलाबी पैन्टी में थी और मैं उसकी ब्रा को उतारने लगा…
तो नयना मेरे बेल्ट को ढीला करके मेरे बाबूलाल (लौड़े) को निकालने लगी।
ब्रा के खुलते ही नयना मेरे बाबूलाल को अपने हाथों से सहलाने लगी और कहने लगी- यह कितना बड़ा है?
मैंने कहा- मुझे नहीं पता..
तो वो उठी और वहीं से स्केल उठा कर मेरे बाबूलाल को नापने लगी।
वो खुशी से चिल्लाई- हे भगवान… पूरा 9 इंच का है..
मुझे भी यकीन नहीं हुआ.. क्योंकि पहली बार किसी लड़की ने मेरे लौड़े को हाथों से सहलाया था।
फिर नयना ने मेरे बाबूलाल को अपने होंठों में लेकर ज़ोर ज़ोर से चूमने लगी।
मैं तो जैसे स्वर्ग में था… मैंने उसके बालों को पकड़ कर उससे अपने बाबूलाल को मस्ती से चुसवाने लगा।
थोड़ी देर में ही मेरा निकलने वाला था।
मैंने कहा- मेरा सैलाब निकलने वाला है।
तो वो भी बड़े जोश से बोली- मुझे पिला दो अपना रस.. मैं तो बहुत दिनों से इसी रस की प्यासी थी।
जैसे ही मेरा निकलने वाला था तो नयना ने बाबूलाल को दांतों में दबा लिया..
सच में दोस्तों मुझे इतना अच्छा लगा कि मैं देर तक अपने बाबूलाल को वैसे ही लगाए रहा और नयना मेरे बाबूलाल का रस पीकर बहुत खुश थी।
फिर नयना ने बाबूलाल को साफ़ किया और मेरे गालों पर काट लिया।
तब मेरी आँखें खुलीं और फिर अब प्यार का मेरा नंबर था। मैं भी कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता था।
अब मैंने नयना को बड़े ही प्यार से चूमते हुए चित्त लिटा दिया और उसकी गुलाबी पैन्टी को नीचे खींच कर उसके जिस्म से अलग कर दिया।
हय.. उसकी चिकनी चमेली ने मेरे लौड़े की हालत फिर से खराब कर दी और मेरा बाबूलाल फिर से अंगड़ाई लेने लगा।
मैंने उसकी चूत की दरार में अपनी ऊँगली डाली, वो एकदम से चिहुंक गई.. रस से सराबोर उसकी चूत में मेरी ऊँगली घुसती चली गई।
उसने मीठी सी सिसकारी लेकर मेरा हाथ पकड़ लिया।
मैंने भी उसके ऊपर झुकते हुए उसकी नाभि को चूमा और अपने होंठों को उसकी चूत की तरफ लाना आरम्भ कर दिया।
‘अंशु.. गुदगुदी होती है.. आह्ह..’
‘होने दो..’
मैं लगातार इस पल का मजा ले रहा था।
फिर मेरी जीभ की नोक उसकी चूत की दरार में घुस गई और वो एकदम से अकड़ी और अगले ही पल वो झड़ गई, उसका नमकीन पानी मेरी जुबान से छुआ मैंने चपर चपर करते हुए उसके रस को चाट लिया।
वो शिथिल होकर मेरे सर को अपने हाथों से पकड़े हुए थी।
अब मैंने बैठ कर उसको अपनी गोद में बिठाया और अपने सीने से लगा लिए।
वो अपने दोनों पैर मेरी कमर में लपेटे हुए मुझसे चिपकी हुई थी।
कुछ देर हम दोनों ऐसे ही लिपटे हुए बैठ रहे.. मेरा लवड़ा खड़ा हो कर उसकी चूत से स्पर्श कर रहा था।
मैंने अपने दोनों हाथों से उसके चूतड़ों को उठाया और उसकी चूत के छेद को लौड़े की नोक पर सैट किया।
उसकी चूत अनछिदी थी। मेरा लौड़ा गीली चूत की दरार में घुस गया।
उसके मुँह से एक तेज ‘आहहह..’ निकली पर मैंने उसको अपनी बाँहों में भींचा हुआ था।
मैं कुछ देर तक उसके होंठों को अपने होंठो से दबा कर चूसता रहा और अपने चूतड़ों को उठाकर उसकी चूत में पेवस्त करने का मेरा प्रयास जारी था।
फिर मैंने उससे कहा- थोड़ा दर्द सहने को तैयार रहना अब मैं पूरा अन्दर करने जा रहा हूँ।
उसकी बन्द आखों ने मौन स्वीकृति दी और मैंने अपने पूरी ताकत से लवड़े को उसकी चूत में ठूंस दिया।
वो चिल्लाना चाहती थी पर मैं सजग था।
मेरे होंठ उसकी आवाज पर पहरा दे रहे थे।
कुछ देर तड़फने के बाद वो शिथिल हो गई।
मैंने भी उसको नीचे से ठोकरें लगाना आरम्भ कर दीं।
फिर जब वो कुछ सामान्य हुई तो मैंने कुछ इस तरह उसको लिटाया कि मेरा बाबूलाल उसकी मुनिया में ही रहा और उसी वक्त मुझे हल्के से खून की लालिमा दिखी पर मैं चुप रहा।
और अब पूरी तरह से उसके ऊपर चढ़ कर मैंने उसकी चुदाई आरम्भ कर दी।
कुछेक मिनट बाद वो अकड़ गई और झड़ गई पर मेरी धकापेल चालू थी फिर दस मिनट की चुदाई के बाद उसकी चूत ने फिर से अपना रस छोड़ना चालू किया तो मेरा बाबूलाल भी चूत के दरिया में डूब कर अपनी जान दे बैठा.. उसने उलटी कर दी थी।
हम दोनों ही निढाल हो कर एक दूसरे से चिपक कर लेटे रहे।
कुछ देर बाद उठे और फिर एक-दूसरे को देख कर मुस्कुराने लगे।
यह हमारे मिलन की दास्तान थी।
उम्मीद है आप सभी को अच्छी लगी होगी।
अपने कमेंट्स के लिए मुझे मेल कीजिएगा।

लखनऊ की नयना की मुनिया (Lucknow ki Nayna ki Muniya)

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नमस्कार दोस्तो.. सबसे पहले तो आप सभी पाठकों को बहुत सारा प्यार।
मैं bhauja.com का बहुत पुराना पाठक हूँ.. पर कभी अपनी कहानी लिखने की हिम्मत नहीं जुटा पाया और आज मुझे अपने पहले प्यार की बहुत याद आई तो मैंने सोचा क्यूँ ना आप सबके साथ मिलकर याद किया जाए।

मैं पहले अपने बारे में कुछ बता दूँ वरना मैं आप सब के बीच में अंजाना ही बना रहूँगा।
मेरा नाम अंशुमन सिंह है.. मैं लखनऊ का रहने वाला हूँ।
मैं बताना चाहता हूँ कि मैं घर पर अकेला ही रहता हूँ। मॉम-डैड पास ही एक गाँव में रहते हैं।
वैसे तो अभी मैं ग्रॅजुयेट हुआ हूँ, तो जॉब के बारे में कुछ सोचा नहीं… बस घर पर ही रहकर अपनी आगे की पढ़ाई करता हूँ और डिफेन्स की तैयारी कर रहा हूँ।
वैसे भी मुझे डिफेन्स में जाने की बचपन से ही बहुत इच्छा थी और इसीलिए अपनी बॉडी को भी फिट कर रखा है।
मेरा कद 5 फिट 10 इंच है और मैं दिखने में भी काफ़ी आकर्षक हूँ। शायद इसीलिए लड़कियां मुझे देख कर ‘आहें’ भरती हैं।
अब मैं आपको अपनी कहानी पर ले चलता हूँ।
ये बात उन दिनों की है जब मैंने कॉलेज में प्रवेश लिया था।
यहाँ आए तो नया कॉलेज और नए लोग थे, पर जल्द ही अपने मस्त और हँसमुख व्यवहार के कारण बहुत मेरे सारे दोस्त बन गए।
उन्हीं में से एक ख़ास दोस्त नयना भी थी.. जिसे देखकर तो मेरा सुर ही बदल जाता है।
वो भी दिखने में बहुत सुन्दर.. एकदम अप्सरा लगती है।
उसके जिस्म के 36-32-36 कटाव भी क्या खूबसूरत थे..
वैसे तो हम एक-दूसरे को बस देखते थे.. खूब सारी बातें करते थे और एक-दूसरे को देख कर मुस्कुरा देते थे, पर एक दिन कुछ ऐसा हुआ कि हम इतने करीब आ गए कि आज भी हम एक-दूसरे को अलग करने को तैयार नहीं हैं।
उस समय गर्मियों के दिन थे और कॉलेज में भी छुट्टियाँ होने वाली थीं।
इम्तिहान हो चुके थे बस परिणाम आने का इंतजार था।
शाम के वक्त मैं छत पर कुछ दोस्तों के साथ मस्ती कर रहा था कि अचानक नीचे देखा कि नयना आ रही है।
अब उस समय गर्मी थी और हम सब दोस्त तो ऐसे ही सादा हाफ लोवर और टी-शर्ट में थे।
मैं जल्दी अन्दर गया और कपड़े बदल कर वापस आया तो देखा कि खिड़की पर नयना जो कि पहले ही आ गई थी।
मैं कुछ कह पता कि नयना ने खुद ही टोक दिया- आपकी ज़िप खुली है।
अब मेरी हालत पहले तो खराब थी ही बाकी नयना की बात सुनकर मैंने जल्दी से अपनी ज़िप बन्द की।
फिर हम दोनों कमरे में आकर सोफे पर बैठ गए और शायद तब तक सारे दोस्त भी चले गए थे।
मैं उस वक्त घर पर अकेला ही था।
मुझे चाय पीना बहुत अच्छी लगती है, इसीलिए मैं थोड़ी देर बात करने के बाद रसोई में चला गया।
थोड़ी देर बाद जो मैंने देखा तो उस पल मेरा तो बुरा हाल हो गया।
मैं चाय बना ही रहा था कि पीछे से नयना आई और मुझसे लिपट गई।
अब मेरा तो पहले से ही दिमाग़ काम नहीं कर रहा था.. फिर ऊपर से ये नयना की मस्त हरकत।
मैंने पीछे से नयना के हाथ को पकड़ कर आगे किया ही था कि वो मेरे सीने से लिपट गई और अपनी तेज हो रही सांसों से मेरे दिल में आग लगाने लगी।
मैं भी थोड़ा गर्म हो रहा था तो मैंने गैस बन्द की और नयना से कुछ कहने ही वाला था कि उसके होंठों ने मेरे होंठों को खूब कस कर जकड़ लिया।
अब मुझे भी थोड़ा-थोड़ा सुरूर छाने लगा।
मैंने नयना को अपनी बाहों में भर लिया और उसके चुम्बन का जवाब देने लगा।
उफ्फ.. उसके होंठ कितने मस्त थे कि उसे छोड़ने का मन ही नहीं कर रहा था।
करीब 15 मिनट तक चूमा-चाटी के बाद मैंने नयना को अपनी गोद में उठा लिया और अपने कमरे में ले गया।
हमारा घर थोड़ा बड़ा है तो कमरे भी बड़े ही बनवाए गए हैं।
मैंने नयना को अपने बिस्तर पर बड़े प्यार से लिटाया और फिर मैं भी उसके बगल में लेट गया और उसके होंठों को चूमने लगा।
अब अपने हाथों को उसकी ब्रा पर फेरने लगा।
फिर धीरे से उसके कपड़ों को उतारने लगा।
वो भी मेरा साथ दे रही थी।
मैं उसके होंठों को.. गालों को… माथे को.. कान के पास और फिर गले पर और कंधे पर जी भर कर चूमने लगा।
अब नयना मेरे सामने सिर्फ सफ़ेद ब्रा और गुलाबी पैन्टी में थी और मैं उसकी ब्रा को उतारने लगा…
तो नयना मेरे बेल्ट को ढीला करके मेरे बाबूलाल (लौड़े) को निकालने लगी।
ब्रा के खुलते ही नयना मेरे बाबूलाल को अपने हाथों से सहलाने लगी और कहने लगी- यह कितना बड़ा है?
मैंने कहा- मुझे नहीं पता..
तो वो उठी और वहीं से स्केल उठा कर मेरे बाबूलाल को नापने लगी।
वो खुशी से चिल्लाई- हे भगवान… पूरा 9 इंच का है..
मुझे भी यकीन नहीं हुआ.. क्योंकि पहली बार किसी लड़की ने मेरे लौड़े को हाथों से सहलाया था।
फिर नयना ने मेरे बाबूलाल को अपने होंठों में लेकर ज़ोर ज़ोर से चूमने लगी।
मैं तो जैसे स्वर्ग में था… मैंने उसके बालों को पकड़ कर उससे अपने बाबूलाल को मस्ती से चुसवाने लगा।
थोड़ी देर में ही मेरा निकलने वाला था।
मैंने कहा- मेरा सैलाब निकलने वाला है।
तो वो भी बड़े जोश से बोली- मुझे पिला दो अपना रस.. मैं तो बहुत दिनों से इसी रस की प्यासी थी।
जैसे ही मेरा निकलने वाला था तो नयना ने बाबूलाल को दांतों में दबा लिया..
सच में दोस्तों मुझे इतना अच्छा लगा कि मैं देर तक अपने बाबूलाल को वैसे ही लगाए रहा और नयना मेरे बाबूलाल का रस पीकर बहुत खुश थी।
फिर नयना ने बाबूलाल को साफ़ किया और मेरे गालों पर काट लिया।
तब मेरी आँखें खुलीं और फिर अब प्यार का मेरा नंबर था। मैं भी कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता था।
अब मैंने नयना को बड़े ही प्यार से चूमते हुए चित्त लिटा दिया और उसकी गुलाबी पैन्टी को नीचे खींच कर उसके जिस्म से अलग कर दिया।
हय.. उसकी चिकनी चमेली ने मेरे लौड़े की हालत फिर से खराब कर दी और मेरा बाबूलाल फिर से अंगड़ाई लेने लगा।
मैंने उसकी चूत की दरार में अपनी ऊँगली डाली, वो एकदम से चिहुंक गई.. रस से सराबोर उसकी चूत में मेरी ऊँगली घुसती चली गई।
उसने मीठी सी सिसकारी लेकर मेरा हाथ पकड़ लिया।
मैंने भी उसके ऊपर झुकते हुए उसकी नाभि को चूमा और अपने होंठों को उसकी चूत की तरफ लाना आरम्भ कर दिया।
‘अंशु.. गुदगुदी होती है.. आह्ह..’
‘होने दो..’
मैं लगातार इस पल का मजा ले रहा था।
फिर मेरी जीभ की नोक उसकी चूत की दरार में घुस गई और वो एकदम से अकड़ी और अगले ही पल वो झड़ गई, उसका नमकीन पानी मेरी जुबान से छुआ मैंने चपर चपर करते हुए उसके रस को चाट लिया।
वो शिथिल होकर मेरे सर को अपने हाथों से पकड़े हुए थी।
अब मैंने बैठ कर उसको अपनी गोद में बिठाया और अपने सीने से लगा लिए।
वो अपने दोनों पैर मेरी कमर में लपेटे हुए मुझसे चिपकी हुई थी।
कुछ देर हम दोनों ऐसे ही लिपटे हुए बैठ रहे.. मेरा लवड़ा खड़ा हो कर उसकी चूत से स्पर्श कर रहा था।
मैंने अपने दोनों हाथों से उसके चूतड़ों को उठाया और उसकी चूत के छेद को लौड़े की नोक पर सैट किया।
उसकी चूत अनछिदी थी। मेरा लौड़ा गीली चूत की दरार में घुस गया।
उसके मुँह से एक तेज ‘आहहह..’ निकली पर मैंने उसको अपनी बाँहों में भींचा हुआ था।
मैं कुछ देर तक उसके होंठों को अपने होंठो से दबा कर चूसता रहा और अपने चूतड़ों को उठाकर उसकी चूत में पेवस्त करने का मेरा प्रयास जारी था।
फिर मैंने उससे कहा- थोड़ा दर्द सहने को तैयार रहना अब मैं पूरा अन्दर करने जा रहा हूँ।
उसकी बन्द आखों ने मौन स्वीकृति दी और मैंने अपने पूरी ताकत से लवड़े को उसकी चूत में ठूंस दिया।
वो चिल्लाना चाहती थी पर मैं सजग था।
मेरे होंठ उसकी आवाज पर पहरा दे रहे थे।
कुछ देर तड़फने के बाद वो शिथिल हो गई।
मैंने भी उसको नीचे से ठोकरें लगाना आरम्भ कर दीं।
फिर जब वो कुछ सामान्य हुई तो मैंने कुछ इस तरह उसको लिटाया कि मेरा बाबूलाल उसकी मुनिया में ही रहा और उसी वक्त मुझे हल्के से खून की लालिमा दिखी पर मैं चुप रहा।
और अब पूरी तरह से उसके ऊपर चढ़ कर मैंने उसकी चुदाई आरम्भ कर दी।
कुछेक मिनट बाद वो अकड़ गई और झड़ गई पर मेरी धकापेल चालू थी फिर दस मिनट की चुदाई के बाद उसकी चूत ने फिर से अपना रस छोड़ना चालू किया तो मेरा बाबूलाल भी चूत के दरिया में डूब कर अपनी जान दे बैठा.. उसने उलटी कर दी थी।
हम दोनों ही निढाल हो कर एक दूसरे से चिपक कर लेटे रहे।
कुछ देर बाद उठे और फिर एक-दूसरे को देख कर मुस्कुराने लगे।
यह हमारे मिलन की दास्तान थी।
उम्मीद है आप सभी को अच्छी लगी होगी।
अपने कमेंट्स के लिए मुझे मेल कीजिएगा।
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Editor: Sunita Prusty
Publisher: bhauja.com

अन्धेरे में मिलन (Andhere Mein Milan)

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हाई जानू,
गाँव में आए अब मुझे कई दिन हो गये।
इन दिनो में हम एक फेस्टिवल की तैयारी में बिज़ी थे।
इस बीच मैं राहुल के साथ मज़ा भी नहीं कर पाई क्यूंकि अगर हम बार-बार गायब हो जाते तो सबको शक होने लगता।
इस कारण मैंने और राहुल ने चार दिनों से एक किस भी नहीं किया…
कितना फ्रस्ट्रेटिंग था।
ऐसा नहीं है कि मैंने कोशिश नहीं की।
कई बार मैंने उसे अकेले में ले जाने की कोशिश की लेकिन हर बार हमारे बीच रुकावट बनकर कोई ना कोई आ जाता।
फिर हमारे जाने का समय आया।
हमें अगले दिन ट्रेन पकड़नी थी वो दिन हमारे लिए एक साथ बिताने के लिए आखिरी मौका था।
राहुल ने एक प्लान बनाया।
हम दोनों बहाना बनाकर बाहर जाने वाले थे और उसके रूम में अपना काम करने वाले थे।
लेकिन किस्मत ने हमारा साथ नहीं दिया।
जैसे ही मैं बहाना बनाकर उस रूम की ओर चली मुझे माँ ने रोका और मुझे उनके साथ बाज़ार जाना पड़ा।
हम रात को खाना खाकर सोने गये।
मैं और मेरी बहन एक कमरे में सो रहे थे कि अचानक मैंने दरवाज़े पर एक दस्तक सुनी।
मैंने उठ कर दरवाज़ा खोला तो राहुल को बाहर खड़ा पाया।
मैंने उससे पूछा कि क्या हुआ?
उसने जवाब दिया कि आज उसकी मेरे साथ आखिरी रात है… वो मुझसे आखिरी बार प्यार करना चाहता था।
मैंने कहा पॅसिबल नहीं है। घर में बहुत लोग है…कोई देख लेगा।
उसने कहा कि तुम बस मेरे साथ चलो।
और मैं क्या करती?
तड़प तो मुझमें भी थी …और मैं भी चल पड़ी।
हम चुप-चाप अंधेरे में हवेली से गुज़रे।
रात में छुपकर ऐसे उसके साथ कमरे में जाने का एक्साइटमेंट कुछ अलग था।
शायद इस एक्साइटमेंट को मैं हमारे प्यार में चेनल कर पाऊंगी।
राहुल मुझे टॉप फ्लोर में एक स्टोर रूम में ले गया। उस रूम में पुराने सामान रखे हुए थे जिसमें एक बिस्तर भी था।
मैं हैरान हो गयी जब मैंने उस बिस्तर पर एक नई बेड शीट देखी।
मैंने उससे कहा कि तैयारी तो तुमने बहुत अच्छी की है।
राहुल ने मुझे बिस्तर पर बैठाकर कहा की मुझसे प्यार करने का यह आखरी मौका था….
उसे वो कभी भूलना नहीं चाहता था।
फिर हम दोनों में एक नशा चढ़ गया….प्यार का नशा।
इससे हम में एक जल्दबाज़ी उभरी और हम एक दूसरे के कपड़े जल्दी खोलने लगे।
रूम में रोशनी बहुत कम थी।
अब ना कोई हमारे बीच था और ना कोई हमारे मिलन को रोक पाता।
राहुल ने मुझे बेड पर लेटा दिया और मेरा स्किन उस न्यू और सॉफ्ट बेड शीट को फील कर रहा था।
राहुल मेरे ऊपर आया और मैंने उसका हेड पकड़ कर उसे चूमने लगी।
घर में सब सो रहे थे और वहाँ एक अटूट सन्नाटा था जिसमें हमारे किस्सिंग के साउंड्स ट्रॅवेल कर रहे थे।
मैंने हमारा किस तोड़ कर उसे आवाज़ कम रखने की सलाह दी नहीं तो कोई जाग जाएगा।
लेकिन एक मर्द को लव मेकिंग के दौरान इन्स्ट्रकशन देने का कोई फ़ायदा नहीं…
और राहुल जैसे अग्ग्रेसिव लवर को तो बिल्कुल नहीं।
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वो बस इतना कहकर मुझे और तेज़ी से किस करने लगा कि हम टॉप फ्लोर पर हैं, आवाज़ नीचे नहीं जाएगी।
उसके और मेरे हाथ एक दूसरे से लॉक्ड थे हमारे होंठ एक दूसरे को चूमे जा रहे थे।
फिर उसने मेरी नेक को चूमा और धीरे-धीरे वो मेरे बॉडी को चूमते-चूमते नीचे बढ़ता गया।
और चूमते समय वो उस जगह पर पहुँचा जहाँ पर उसके होंठों का मॅक्सिमम एफेक्ट होने लगा और मैं मोन करने लगी।
राहुल मुझे सटीस्फायड करने की हर तरकीब जानता था।
उसने एक्सपर्ट्ली मुझे मज़ा दिया और फिर हमने पोज़िशन्स स्वेप किये अब मेरी बारी थी।
मैंने अपने बाल एक बन में बाँधे और बेंड होकर अपना काम शुरू किया।
मैं सब पर्फेक्ट्ली कर रही थी जिसको वैरिफाई किया राहुल के ग्रंट्स ने।
फिर अचानक बारिश होने लगी।
बची-खुची लाइट चली गयी और अब पूरा अंधेरा था।
मैं अपना काम कर चुकी थी और अब हम दोनो के मिलन का वक़्त था।
वो मेरे ऊपर था और मैं उसके अंडर, जैसे ही उसने प्यार का वो काम शुरू किया मैंने उसे टाइट्ली हग करके मज़े का एहसास महसूस किया।
बारिश के कारण कुछ देर बाद मुझे ठंड लगने लगी।
राहुल ने ब्लंकेट से हम दोनों को ढक दिया और उसके नीचे हमने हमारे प्यार के सिलसिले को जारी रखा।
उसके और मेरे मिलन का एहसास मैंने बहुत गहराई से महसूस किया और कुछ देर में हम दोनों ने काम पूरा किया।
प्यार का काम होने के बाद हम वैसे ही बिस्तर पर लेटे हुए थे। हम दोनों अपनी आखरी रात को मेमोरेबल बनाना चाहते थे और पूरी रात बाते करते रहे और ओकॅशनली प्यार करते रहे।
सुबह के चार बजे हम अपने-अपने कमरे में चले गये।
किसी को पता नहीं चला और फिर आफ्टरनून में हम ट्रेन पकड़ कर मुंबई चले गये।
मुंबई से राहुल केरल की ट्रेन में बैठा और एक इमोशनल गुड-बाइ के साथ चला गया।
मैं उसे बहुत मिस करने वाली थी… उसके ख्यालों में खोकर मैं अपने घर की ओर बढ़ी।
मॉडेलिंग इंडस्ट्री में मेरे कई और कन्फेसन्स है जानू, सुनना ज़रूर… बाइ… मुआआह…!

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Editor: Sunita Prusty
Publisher: Bhauja.com

ରାଣୀ ଭାଉଜ ରାଜୁ ଠାରୁ ଗିହାଁ ଖାଇଲେ

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ସେକ୍ସ୍ ପ୍ରିୟ ଭାଇ ଆଉ ଭଉଣୀ ମାନେ |  ଆପଣ ମାନେ ମୋ ରାଣୀ ଭାଉଜ କେମିତି ମୋଠୁ ଚୋଦା ଖାଇଲେ ପଢି ଥିବେ | ଏବେ ପଢନ୍ତୁ ସେ କେମିତି ଜଣେ ପର ପୁରୁଷ ଠାରୁ ଗିହାଁ ଖାଇଲେ |
ଦିନ କର କଥା, ଘରେ ଭାଇ ନଥିଲେ ଖାଲି ବାପା ବୋଉ ଆଉ ମୁଁ ଥିଲେ | ଏମିତି ଭାଇ ନଥିଲେ ମୁଁ ହିଁ ଭାଉଜ କୁ ଚୋଦୁଥିଲି, ହେଲେ ଏବେ ଘଟଣା ଟା ଅଲଗା ହେଲା !  ମୁଁ ଯେମିତି ଭାଉଜ ପାଖକୁ ଯାଇଛି ସେ ମୋତେ କହିଲେ ଜିତୁ ଗୋଟେ କଥା କହିବି ମାଇଣ୍ଡ୍ କରିବନି ? ମୁଁ କହିଲି କୁହ ଜମା ମାଇଣ୍ଡ୍ କରିବିନି ? କହିଲେ ମୁଁ ଚାହୁଁଚୀ କି ତମ  ଆଉ ତୋମ ଭାଇଠୁ ଗିହାଁ ଖାଇ ଖାଇ ବୋର୍ ହେଲିଣୀ କିଛି ନୁଆ ଚାହୁଁଛି   | ମୁଁ କହିଲି ଆଉ କାହାଠୁ ନେବା ପାଇଁ ପ୍ଲାନ୍ କରୁଛ କି ? ସେ କହିଲେ ହଁ | ମୁଁ ପଚାରିଲି କିଏ ସେ ? ସେ କହିଲେ କାହାକୁ କହିବନି ପ୍ରୋମିଜ଼ କର , ମୁଁ କଲି | ସେ କହିଲେ ଜଣେ ଏକସ୍ପେରିଏନସ୍  ବାଲା  ଅଛି ..ସେ ସେ କାମ ପାଇଁ ବହୁତ୍ ଫେମାସ୍ ...|  ମୁଁ କହିଲି ତୋମେ ପକ୍କା ରାଣ୍ଡି ହେଇଗଲଣି ? ଆମ ଦୁଇ ଜଣ ସହ କଲା ପରେ ପୁଣି ତୋମେ ଆଉ ଜଣ ସହ କରିବା ପାଇଁ ମନ ବଲେଇଲଣି | 



ମୋତେ କହିଲେ ତମେ ସେସବୁ ବୁଝିବନୀ , ଖାଲି ମୋତେ ହେଲ୍ପ୍ କରିବ ନା ନାଇଁ କୁହ | ମୁଁ କହିଲି ତମେ କହିବ ମୁଁ ମନା କରିବି ଏମିତି ହେବ ନା ? କୁହ କଣ ହେଲ୍ପ୍ ? ସେ କହିଲେ ଦେଖ ଆଜି ଭାଇ ନାହାନ୍ତି ତେଣୁ ଆଜି ସୁବର୍ଣ ସୁଯୋଗ କାମ କରିବା ପାଇଁ | ହଁ ସତ କଥା ହେଲେ କାମ କଣ ଆଉ ସେ ତମକୁ କେମିତି ଗେହିଁବେ ? ସେ କହିଲେ ତମେ ଗୋଟେ କାମ କର , ଆମ ରୁମ୍ କୁ ଆସ ଆଉ ତାକୁ ଫୋନ୍ ଲଗାଓ ଆମେ କଥା ଆଉ ସେଟିଙ୍ଗ୍ ହେଇ ଯିବା | ମୁଁ କହିଲି କିଏ ସେ ? ସେ କହିଲେ ଆମ ଗାଁ ରେ ରାଜୁ, ରାଜୁ ଯିଏ କି ଗାଁ ରେ ଗୋଟେ ପାନ ଦୋକାନ କରିଛି, ଆଉ ସେ ଗାଁ ରେ ଯାହାର ଏ ସବୁ ଦରକାର୍ ସେ ଦିଏ ? ବହୁତ୍ ମଜା ଦିଏ ସିଏ ସେଇଥୀ ପାଇଁ ସେ ବହୁତ୍ ଫେମାସ୍ | ମୁଁ ପଚାରିଲି ତୋମେ କେମିତି ଜାଣିଲ ? ସେ କହିଲେ ପଡିଶା ଘର ଭାଉଜ କହିଲେ ଆଉ ତାର ନମ୍ବର ଦେଇଛନ୍ତି | ମୁଁ ପଚାରିଲି ସେ ଭାଉଜ ଭି ତାଠୁ ଗିହାଁ ଖାନ୍ତି ? ସେ କହିଲେ ଅନେକ୍ ଥର, ଖାଲି ସେ ଭାଉଜ ନୁହଁ ଅନେକ୍ ଟୋକି ମାଇକିନା ମାନେ ତାଠୁ ଗିହାଁ ଖାଇଛନ୍ତି ...ତାର ପେଲା ରେ ଯାଦୁ ଅଛି | ମୁଁ କହିଲି ବାଃ ..ଭଲ ତମେ ମାଇକିନା ମାନେ ଘରେ ସତୀ ସାବିତ୍ରୀ ଆଉ ଭିତରେ ରାଣ୍ଡି ପୁରା | ସେ କହିଲେ ଛାଡ ସେ କଥା ଆଉ ତମେ ତାକୁ ଏଇ ନମ୍ବର୍ ରେ ଫୋନ୍ ଲଗାଓ | ଏବେ ମୁଁ ତାଙ୍କୁ ଫୋନ୍ ନେଲି , ସେ ମନା କଲେ ଆଉ କହିଲେ ତମ ଫୋନ୍ ଲଗାଓ, ମୁଁ ବୁଝି ଗଲିକି ସେ ଧରା ନପଡିବା ପାଇଁ ଏମିତି ପ୍ଲାନ୍ କରୁଛି, ସତରେ ପକ୍କା ରାଣ୍ଡି ଟେ | ଏବେ ମୁଁ ଲଗେଇଲି,  ସେ ଉଠେଇଲା ଭାଉଜ ଚଟ୍ କରି ଫୋନ୍ ତାକୁ ମୋଠୁ ନେଇଗଲେ ଆଉ କହିଲେ ମୁଁ ରାଣୀ କହୁଚି ଆଉ ତାଙ୍କର ପରିଚୟ ଦେଲେ, ଆଉ କହିଲେ ଆଜି ରାତି ୧୦:୩୦ ରେ ଅପେକ୍ଷା କରିବେ,  ଆସିଲେ ମିସ୍ କଲ୍ କରିବ ମୋ ଦିଅର ଆସିବ ତମକୁ ଗେଟ୍ ପାଖରୁ ନେବା ଆଣିବା ପାଇଁ |


ଏବେ ମୁଁ ଭାଉଜ କୁ ପଚାରିଲି ଯେ ଯଦି ଧରା ପଡିଗଲୁ ? ସେ କହିଲେ ଆରେ କିଛି ଗୋଟେ ଉପାୟ ବାହାର କରିବା ସେତେବେଳେ | ଏମିତି ବାପା ବୋଉ ରାତି ୮:୩୦ ବେଳକୁ ଶୋଇ ଯାଉଛନ୍ତି ତେଣୁ ୧୦:୩୦ ରେ କିଛି ଜାଣି ପାରିବେନି | ଏବେ ସେ ମୋତେ କହିଲେ      ଆନ୍ଉଆଣ୍ଟଟେଡ - ୭୨ ପିଲ୍ ନେଇକରି ଆସିବା ପାଇଁ, ମୁଁ ପଚାରିଲି କଣ ବିନା କଣ୍ଡୋମ୍ ରେ ? ସେ ହଁ ଭରିଲେ ଆଉ କହିଲେ ସେ ସ୍ପେଶାଲ୍ ତେଣୁ ତାଠୁ ବିନା କଣ୍ଡମ୍ ରେ ଗିହାଁ ଖାଇବାରେ ମଜା ଆଉ କୋଉଠି  କାହିଁ? | ମୁଁ ନେଇକରି ଆସିଲି, ଆଉ ଭାଉଜଙ୍କୁ ଦେଲି | ମୁଁ ଭାଉଜଙ୍କୁ କହିଲି ମୋର ଗୋଟେ ସର୍ତ ଅଛି ? ସେ କହିଲେ କଣ ସର୍ତ ? ମୁଁ କହିଲି ତମ ମାନଙ୍କର ଗିହାଁ ଗେହିଁ ମୁଁ ଦେଖିବି, ସେ କହିଲେ ଠିକ ଅଛି ମୁଁ ଆମ ରୁମ୍ ଝରକା ଖୋଲା ରଖିବି ଆଉ ତମେ ସେଇପଟେ ଦେଖିବ |
ମୋ ମନ ଖାଲି ସାକ୍ ବାକ୍ ହେଉଥାଏ କେମିତି ସେ ଦୁଇଜଣଙ୍କ ସେକ୍ସ୍ ଦେଖିବି | ଏବେ ରାତି ହେଲା ଭାଉଜ ବହୁତ୍ ସୁନ୍ଦର ସଜେଇଥଆନ୍ତି , ଗୋଟେ ଗୋଲାପୀ ଶାଢୀ, ମ୍ୟାଚିଂ ବ୍ଲାଉଜ୍ ଆଉ ସାୟା ପିନ୍ଧି ଥାନ୍ତି, ଓଠୋରେ ଲିପ୍ଷ୍ଟିକ୍   | ମୁଁ ମନେ ମନେ ଭାବୁଥିଲି ଶାଳୀ ଏବେ ଘରକୁ ପୁର ରାଣ୍ଡି ଖାନା ବନେଇଦେଲାଣୀ | ମୁଁ ଯେତେବେଳେ ତାଙ୍କୁ ଅନାଉ ଥାଏ ସେ ଖାଲି ମୁରୁକି ହସୁ ଥାନ୍ତି |
ଏବେ ବାପା ବୋଉ ଖାଇବା ପରେ ତାଙ୍କ  ରୁମ୍ ରେ ଯାଇ ୯:୦୦ ରେ  ଶୋଇଗଲେ |  ଠିକ୍ ୧୦:୩୦ ରେ ଫୋନ୍ ବାଜିଲା, ଭାଉଜ କହିଲ୍ ଧିରେ ଧିରେ ଜାଓ ଆଉ ତାଙ୍କୁ ନେଇ କରି ଆସ, ମୁଁ ଗଲି ଆଉ ଗେଟ୍ ପାଖରୁ ତାକୁ ନେଇକରି ଅସିଲି | ଭାଉଜ ରାଯୁକୁ ଦେଖି ଲମ୍ବା ଓଢୋଣି ପକେଇଥାନ୍ତି, ସତେ ଯେମିତି ନୁଆ କନିଆ ! ପ୍ଲାନ୍ ଅନୁଯାଇ ମୁଁ ବାପା ବୋଉ ରୁମ୍ ବାହାରୁ ଲକ୍ କରିଦେଲି , ଯଦି ଭୁଲରେ ଉଠି ଆସନ୍ତି ତାହେଲେ ଆମେ ସାବଧାନ୍ ହେଇଯିବା | ଏବେ ଭାଉଜ ଆମକୁ କହିଲେ ଚାଲ ଖାଇବା | ଆମେ ଗଲୁ ଡାଇନିଂଗ୍ ରୁମ୍ କୁ ଆଉ ବସିଲୁ, ରାଜୁ କହିଲା କଣ ରାଣୀ ଓଢ଼ଣୀ ଖୋଲା ଲାଜ କଣ କରୁଛ ଆଜି ରାତି ରେ ମୁଁ ପରା ତମ ସ୍ବାମୀ ? ଏବେ ସେ ନିଜେ ଭାଉଜଙ୍କ ଓଢ଼ଣୀ କାଢି ଦେଲେ ..ଏବେ କହିଲେ ଇସ୍ କଣ ଦେଖା ଯାଉଛ ମ ସତେ ଯେମିତି ଅପ୍ସରି ଟିଏ ..ସତେ ତମ ସ୍ବାମୀ ବହୁତ୍ ଭାଗ୍ୟବାନ୍ ..ଯେ ତମ ଭଳିଆ ସ୍ତ୍ରୀ ଟିଏ ପାଇଛନ୍ତି, ଭାଉଜ କହିଲେ ଇସ୍ ରାଜୁ ଭାଇ ତମେ ଭି ନା ...ଏବେ ରାଜୁ କହିଲା କଣ ମୋତେ ଭାଇ ବନେଇବା ପାଇଁ ଏଇଠି ଡାକିଥିଲ?, ମୋତେ ଖାଲି ରାଜୁ ବୋଲି ଡାକ | ଭାଉଜ କହିଲେ ହାଉ ଠିକ ଅଛି ଏବେ ଖଇନିଅ | ରାଜୁ କହିଲା ତମେ ଭି ଆମ ସାଥେ ଖାଓ ..ଆଉ ମୋ ପାଖରେ ବସି ଖାଓ | ଏବେ ଭାଉଜ ଖାଇବା ପରଶିଲେ ଆଉ ତା ପାଖରେ ବସିଗଲେ | ଦୁହେଁ ଦୁହିଁକୁ ଖୁଆ ଖାଇ ହେଲେ | ଏବେ ଖାଇବା ଶେସ ହେଲା ଆଉ ମୁହଁ ହାତ ଧୁଆ ଧୁଇ ହେଲେ | ଏବେ ରାଜୁ ଭାଉଜକୁ ସିଧା ହାତରେ ଟେକି କରି ତାଙ୍କ ବେଡ୍ ରୁମ୍ କୁ ନେଇଚାଲିଗଲା, ଆଉ ରୁମ୍ ଭିତରୁ ଲକ୍ କରିଦେଲା  | ମୁଁ ଭାବିଲି ସତେ ଯେମିତି ନିଜ ସ୍ତ୍ରୀ, ପୁରା ନିଜର ଭାବି ରୁମ୍ ଭି ଲକ୍ କରିଦେଲା ..ମନେ ମନେ ବହୁତ୍ ରାଗିଗଲୀ ହେଲେ ସେମାନଙ୍କ କାର୍ଯ କଳାପ ଦେଖିବା ପାଇଁ ମୁଁ ଏବେ ଝରକା ପାଖକୁ ଗଲି, ସତରେ ଭାଉଜ ଝରକା ଟିକେ ଫାଙ୍କ  ରଖିଥିଲେ | ଏବେ ମୁଁ ଅନେଇଲି ...ଏବେ ଭାଉଜ ତଳେ ଶୋଇ ଥାନ୍ତି ଆଉ ସେ ଭାଉଜଙ୍କ ପାଖରେ ତାଙ୍କ ଆଡକୁ ମୁହଁ କରି ଶୋଇଥାଏ ଆଉ ଏମତି କଥା ହେଉଥଆନ୍ତି :`
ରାଜୁ : କଣ ରାଣୀ ତମେ ଅଜି ରାତିରେ ମୋ ସ୍ତ୍ରୀ ଏତେ ଲାଜ କଣ କରୁଚ୍ଛ ? ମୋ ସହ ଫ୍ରି ରେ ରୁହ ବହୁତ୍ ମଜା ଦେବି |
ଭାଉଜ : ତମ ସହ କେବେ ଏମିତି କରିନି ସେଥିପାଇଁ ଟିକେ ...
ରାଜୁ : ଅରେ ଟିକେ ଫିକେ କିଛି ନୁହଁ ଆଜି ଭାବ ମୁଁ ତମ ସ୍ବାମୀ ...ଆଉ ସେମିତି ବିହେଭ୍ କର ଦେଖା କେତେ ମଜା ଦେବି |
ଭାଉଜ : ହଉ ରାଜୁ |
ରାଜୁ : ପିଙ୍କି ଭାଉଜ ମୋ ବିଷୟରେ କଣ କଣ କହୁଥିଲେ ?
ଭାଉଜ : ସେ କହିଥିଲେ ତମେ ବହୁତ୍ ମଜା ଦିଅ ...ତମର ବହୁତ୍ ତାରିଫ୍ କରନ୍ତି ,କୁହନ୍ତି ପକ୍କା ମର୍ଦ ଟିଏ ମାଇକିନାଙ୍କ ଶୋଷ ମେଣ୍ଟେଇବାରେ ବହୁତ୍ ପାରଙ୍ଗମ ..ଆହୁରି ଅନେକ୍ କିଛି ... 
ରାଜୁ : ଆରେ ବାପ୍ ରେ ଏମିତି କହୁଥିଲେ ...ସେଇଥିପାଇଁ ତମେ ମୋତେ ଅଜି ଡାକିଲ, କଣ ତମ ସ୍ବାମୀ ଭଲକି ଗିହନ୍ତିନିକୀ ?
ଭାଉଜ : ହଁ ଯେ ହେଲେ ତମଠୁ ଖାଇବାର ଅନେକ୍ ଇଚ୍ଛା ଥିଲା |
ରାଜୁ : ଅଚ୍ଛା ଠିକ ଅଛି | ତମକୁ ଆଜି ଭରପୁର୍ ଆନନ୍ଦ ଦେବି ଆଜି |
ଏହା କହି ସେ ଭାଉଜଙ୍କୁ ଛାତିରେ ଭିଡି ନେଲା ଆଉ ଭାଉଜଙ୍କ ଓଠ ରେ ଓଠ ମିଶାଇଲା, ଭାଉଜ ଓଠ ଖୋଲୁନଥାନ୍ତି, କହୁଥଆନ୍ତି ତମେ ପାନ ଖାଇଚ୍ଛ...ରାଜୁ କହିଲା ଏଇଟା ମିଠା ପାନ ଖାସ୍ ତମ ପାଇଁ ମୁଁ ଖାଇଛି ପାଟି ଆଁ କର , ଏବେ ଭାଉଜ ଆଁ କଲେ ଆଉ ଜିଭ ଆଦାନ ପ୍ରଦାନ କଲେ ...ମୁଁ ସେତେବେଳେ ପୁରା ହଟ୍ ହେଇଯାଇଥିଲି ଆଉ ମୋର ବାଣ୍ଡକୁ ଧରି ହଲାଉଥାଏ | ଭାଉଜର ଲିପ୍ସ୍ଟିକ୍ ଆଉ ତାର ପାନ ଲାଲ୍ ରଙ୍ଗ ଲାଗି ମୁହଁ ସବୁ ଲାଲ୍ ଲାଲ୍ ହେଇଜାଇଥାଏ  |
ଏବେ ରାଜୁ ଭାଉଜଙ୍କ ଶାଢୀ ଖୋଲିବାରେ ଲାଗିଲା, ଆଉ କାଢି ଫିଙ୍ଗି ଦେଲା ଏବେ ଭାଉଜ ଖାଲି ଗୋଲାପୀ ବ୍ଲାଉଜ୍ ଆଉ ସାୟା ରେ ଥାନ୍ତି ବହୁତ୍ ସେକ୍ସି ଦେଖା ଯାଉଥାଆନ୍ତି ...ମନ ହେଉଥିଲା କି ମୁଁ ଭି ସେହି ସଙ୍ଗମ ରେ ସାମିଲ୍ ହେଇଯିବୀ ହେଲେ କବାଟ ବନ୍ଦ ଥାଏ ତେଣୁ ସାହସ କଲିନି | ଖାଲି ବାଣ୍ଡକୁ ଧରି ଅନବରତ୍ ହଲେଇ ଚାଲିଥାଏ |
ଭାଉଜ ଉପରକୁ ମୁଁହ କରି ଶୋଇଥାନ୍ତି ତାଙ୍କ ବ୍ଲାଉଜ୍ ରେ ଦୁଧ ଦୁଇଟା ଏଭ୍ରେଷ୍ଟ୍ ଶ୍ରୁଂଗ ଭଲିଆ ଠିଆ ହୋଇଥାଏ ଆଉ ମଝିରେ ଦୁଧ ଦୁଇଟାର ଫାଙ୍କ ..ଆଃ କି ସେ ଦୃଶ୍ୟ ?  ଗୋରା ଗୋରା ଦୁଧ ଦୁଇଟା ଦେଖି କେହି ଭି ପାଗଳ ହେଇଯିବ ..ଯେତେ ଥର ମୁଁ ଖେଳିଲେ ଭି ଟା ସାଥେ ଏବେ ମୋ ବାଣ୍ଡ ଦୁଇଗୁଣା ଠିଆ ହେଲାଣି | ସତରେ ସେ ଜଣେ ସେକ୍ସ୍ ର ପରି, କାମିନି | ରାଜୁ ଗୋଟେ ଲୁଂଗୀ ରେ ଥିଲା | ସେ ଏବେ ଭାଉଜ ଉପରକୁ ଚଢି ଗଲା ଆଉ ବେକ ରେ, ଗାଲରେ, ମୁଣ୍ଡ ରେ  କିସ୍ ଦେଲା ପୁରା ପାଗଳ ଭଳିଆ ସେ ଚୁମା ଦେଉଥାଏ ..ଭାଉଜ ଆଖି ବନ୍ଦ କରି ଖାଲି ଓଃ ଆଃ ହେଉଥଆନ୍ତି..ଆଉ ତାକୁ ଭିଡି ଧରୁଥାଆନ୍ତି | ସେ ଏବେ ଭାଉଜଙ୍କ ଦୁଧ ଆଡକୁ ଆସିଲା ..ଆଉ ଦୁଧ ମଝି ଫାଙ୍କ ରେ ଚୁମିଲା ...ଏବେ ଭାଉଜ ପୁରା ଏକ୍ସାଇଟ୍ ହୋଇଯାଇଥାଆନ୍ତି ଆଉ ଖୁସିରେ ସିତ୍କାର କରୁଥାନ୍ତି ଆଉ ତାକୁ ଛାତିରେ ଭିଡି ଧରୁଥାନ୍ତି ...ସେ ଖାଲି ଚୁମା ଦେଉନଥାଏ ଚାଟୁ ଭି ଥାଏ ...ଏବେ ସେ ଭାଉଜଙ୍କ ବ୍ଲାଉଜ୍ ଉପରକୁ ଗୋଜିଆ ଗୋଜିଆ ଦୁଧ ଦୁଇଟା ଉପରେ ନାକ ଘସିଲା ..ଆଉ ମୁଁହ ପୁରେଇ ଚୁଶିଲା | ଭାଉଜ ଖାଲି ଖୁସିରେ ପାଗଳ ଭଳିଆ ଅବାଜ଼ କରୁଥାନ୍ତି ...| ବ୍ଲାଉଜ୍ ପୁରା ଓଦା କରିଦେଇଥାଏ ..ଭାଉଜ ଖାଲି ତାର ମୁଣ୍ଡ ଆଉଁସୁ ଥାନ୍ତି | ଏବେ ସେ ନାଭି ଆଡକୁ ଗଲା ଆଉ ଚୁମା ଦେଲା ତାପରେ ଚାଟିଲା | ମୁଁ ଭାବୁଥାଏ ଏଇହା ହେଉଛି ରହସ୍ୟ, କଣ ପାଇଁ ସେ ଏତେ ଫେମାସ୍..କଣ ପାଇଁ ସବୁ ଟୋକି ମାଇକିନା ମାନେ ତାଠୁ ଗିହାଁ ଖାଇବା ପାଇଁ ପାଗଳ | ଏବେ ଭାଉଜ ତାର ସାର୍ଟ ଆଉ ଲୁଙ୍ଗି ଖୋଲିଦେଲେ , ଏବେ ସେ ଖାଲି ଏକ ସାର୍ଟ୍ ରେ ଥାଏ , ମୁଁ ବାରୀ ପାରୁଥାଏ କି ତାର ବାଣ୍ଡ କେତେ ବଡ ହେଇଥିବ କାରଣ ଫୁଲି କରିଥାଏ ସେମିତି |  ଭାଉଜ ତାର ସେଇ ସାର୍ଟ୍ ଉପରେ ହାତ ମାରୁଥାନ୍ତି |
ଏବେ ଭାଉଜ ରାଜୁକୁ କହିଲେ ଜାନୁ ମୋର ଏହି ଲୁଗା ସବୁ ବାହାର କରି ମୋତେ ଟିକେ ଶାନ୍ତି ଦିଅ , ଆଉ ସହି ହେଉନି ପ୍ଲିଜ଼ | ରାଜୁ କହିଲା ରହରେ ସବୁ କରିବି ..ଜମା ବ୍ୟସ୍ତ ହଅନି...ଦେଖିବି ଆଜି ତୋର ବିଆ ରେ କେତେ ପାଣି ଅଛି ...ଏମିତି ଗେହିଁବି ଯେ ତୋ ଚଉଦ ପୁରୁଷ ରେ କେହି ଏମିତି ଗେହି ନଥିବେ  |
ଏବେ ସେ ଭାଉଜ ଉପରକୁ ଆସିଲା ଆଉ ବ୍ଲାଉଜ୍ ବଟନ୍ ଖୋଲିବାରେ ଲାଗିଲା, ସେ ଯୋର୍ ଯୋର୍ ରେ ବଟନ୍ ଖୋଲୁଥାଏ ..ଭାଉଜ ପୁରା ଗରମ୍ ହେଇ ଆଖି ବନ୍ଦ କରି ମଯା ନେଉଥାନ୍ତି ..ଏବେ ବ୍ଲାଉଜ ଦେହରୁ କାଢିବା ପାଇଁ ସେ ରାଜୁକୁ ସାହାଯ୍ୟ କଲେ ..ଏବେ ସେ ଖାଲି ବ୍ରା ରେ ଥାନ୍ତି ..ସେଇଟା ଭି ଖୋଲିଦେଲେ ଆଉ ସେଇ ୩୬ ସାଇଜ଼ ର ଦୁଧ ଦୁଇଟାକୁ ପଦାକୁ ବାହାର କରିଦେଲେ | ଏବେ ରାଜୁ ଭାଉଜ ର ସାୟା ଭି ଖୋଲିଦେଲେ  | ଏବେ ସେ ପୁରା ଲଙ୍ଗଲା ଜଣେ ପର ପୁରୁଷ ଆଗରେ, ହେଲେ ଟିକେ ଭି ସଙ୍କୋଚ କରୁନଥାନ୍ତି ବରଂ ତାକୁ ଅନେଇ ଅନେଇ ସେକ୍ସି ଚାହାଣୀ ଦେଉଥାନ୍ତି ଆଉ ଓଠ କାମୁଡି କାମୁଡି ହେଉଥଆନ୍ତି  |
ଭାଉଜଙ୍କ ଦୁଧ ଦୁଇଟା ଦୁଇ ଆଡକୁ ମେଲିକି ପଡ଼ିଥାଏ ସତରେ ଯେମିତି ରାଣ୍ଡି ମାଇକିନା ଟେ ଶୋଇଛି ଆଉ କାସ୍ଟୋମାର୍ ପାଇଁ ଅନେଇ ରହିଛି ..କିଛି ଫରକ୍ ନାହିଁ ଏଥିରେ କାରଣ ଭାଉଜ ଗୋଟେ ରାଣ୍ଡି ଠାରୁ କମ୍ ନୁହଁ | କେତେ ଗିହାଁ ଖାଇଲେ ଯାଇକି ଶାନ୍ତି ହେବେ ଜଣା ନାହିଁ! ହଁ କଣ ଦେହ ଘୋରୀ ହୋଇ ଯାଉଛି ମଜା ନିଅନ୍ତୁ ନୁଆ ନୁଆ ପୁରୁଷ ଠାରୁ |
ଏବେ ଭାଉଜ ରାଜୁର ଷାର୍ଟ୍ ଖୋଲିଦେଲେ ଆଉ ତାର ସେଇ ୮ ଇନ୍ଚ୍ ବାଣ୍ଡ ପଦାକୁ ବାହାର କରିଦେଲେ ....ବାଣ୍ଡ ପୁରା ଛିଡା ହୋଇ ନଥାଏ ହେଲେ ଭି ବାରି ହେଉଥାଏ କେଡେ ବଡ ! ଭାଉଜ ତାର ବାଣ୍ଡ ଦେଖି ଆଉ ରହି ପାରିଲେନି ସଂଗେ ସଂଗେ ମୁଁହରେ ପୁରେଇନେଲେ ଆଉ ଚୁଶିବା ଆରମ୍ଭ କରିଦେଲେ | ଏଡେ ବଡ ବାଣ୍ଡ ପୁରା ମୁଁହ ଭିତରକୁ ଯାଉନଥାଏ , ଅଧା ପଶେଇ ଭାଉଜ ବାହାର କରିଦେଉଥାନ୍ତି..ଏବେ ବାଣ୍ଡ ପୁରା ଛିଡା ହୋଇଗଲା ...ଇସ୍ କେଡେ ବଡ ବାଣ୍ଡ ଟେ ....ଭାଉଜ ତାକୁ ଦେଖି ରାଯୁକୁ ଅନେଇ ହସିଦେଲେ ...ଆଉ କହିଲେ କଣ ତମର ଏଡେ ବଡ ? ରାଜୁ କହିଲା ବଡ ନହେଲେ ତମ ମାନଙ୍କ ଭଳି ଗିହାଁଳି ମାଇକିନାଙ୍କୁ କେମିତି ସମ୍ଭାଳିବି? ଭାଉଜ କହିଲେ ଏତେ ବଡ ମୁଁ ନେଇପାରିବିନୀ ଭିତରେ ବହୁତ୍ କଷ୍ଟ ହେବ ..ମୋତେ ବହୁତ୍ ଡର ଲାଗୁଛି | ରାଜୁ କହିଲା ତୁ କଣ ତୋ ମା ଯିଏ ନେବ ସବୁ ଡର ଫର ବାହାର କରିଦେବି  ଟିକେ ରହିଯା ଘୋଡାଗେହୀ ମାଇକିନା ଆଜି ଦେଖ୍ କଣ କରୁଛି ତୋ ସହ, ଶାଳି କେତେ ମାଇକିନାକୁ ମୁଁ ଜବଦ କରିଛି ମୁଁ ମୋର ଏଇ ଘୋଡା ବାଣ୍ଡ ରେ , କେତେକୁ ମା ବନେଇଛି ମୁଁ ....ଡରୁଛୁ କଣ ବେ |
ଭାଉଜ କହିଲେ ସତରେ ତମେ ଗୋଟେ ଘୋଡା ଗିହାଁ ...ପ୍ଲୀଜ଼ ଯାହା କର ହେଲେ ଆସ୍ତେ କରି ...ଆଜି ଏ ଯୌବନ କୁ ତମ ଅଗରେ ସମର୍ପଣ କରିଦେଲି , ହଁ ରେ ରହିଯା ତୁହି କହିବୁ ଯୋର୍ ରେ କର | 



ଏବେ ସେ ଭାଉଜଙ୍କ ବାଳ ଖୋଲିଦେଲା ଆଉ ମୁଁହକୁ ନେଇ ବାଣ୍ଡ ରେ ଲଗେଇଲା ଆଉ ଚୁଶିବାକୁ କହିଲା ବାଳ ଧରି ଉପର ତଳ କଲା ଏତେ ଯୋର୍ ରେ ଭିତରକୁ ପଶାଉଥାଏ କି ଭାଉଜ ବାନ୍ତି କରିବା ଭଳି ଲାଗୁଥାଏ ...ହେଲେ ସେ ଛାଡୁ ନଥାଏ |ଏବେ ସେ ଭାଉଜ ଦୁଧ କୁ ଧରି ଚୁଶିଲା ଆଉ ବହୁତ୍ ଯୋର୍ ରେ ଦବେଇଲା ସତେ ଯେମିତି ଅଟା ଦଳୁଛି ...ଭାଉଜ କହିଲେ ଆଃ କଟୁଛି ପ୍ଲୀଜ଼ ଆସ୍ତେ ...ରାଜୁ କହିଲା କଣ ମଜ଼ା ଲାଗୁନି ? ହଁ ରେ ବହୁତ୍ ମଜା ଲାଗୁଛି ହେଲେ ଟିକେ ଆସ୍ତେ କରନା ପ୍ଲୀଜ଼ ...ମଜା ଲାଗୁଛି ଯଦି ଏତେ ଛଇ କଣ ପାଇଁ ଦେଖେଇହେଉଛୁ ? ତୋତେ ଦେଖି ଲାଗୁଛି କି ତୁ ଅନେକ୍ ଟୋକାଠୁ ଗିହାଁ ଖାଇଛୁ ....ଦୁଧ ଗୁଡା ପୁରା ଓହୋଲଳି ଗଲାଣି ...ବିଆ ଭି ଢିଲା ଲାଗୁଛି  | ହେଲେବି ତୁ ଗୋଟେ ମସ୍ତ୍ ମାଇକିନା .. ଆଜି ମଜ଼ା ଆସିଯିବ ତୋତେ ଗେହିଁକରି ! କେତେ ଛଇ ଦେଖେଇଲେ ଭି ତୋତେ ଆଜି ମୁଁ ଛାଡୁନି ମୁଁ ..ତୋ ବିଆ ରେ ମୁଁ ଆଜି ମୋ ରସ ଢାଳିଲା ପରେ ଯାଇ ମୋ ମନ ଶାନ୍ତି ହେବ ..ରହିଯା ଟିକେ ଖାଲି ...କହିବୁ ଯଦି ଆଜି ତୋତେ ଆଜି ମୋ ପିଲାର ମା ବନେଇଦେବି | ଇସ୍ କେଡେ ଅଲାଯୁକ ତମେ ! ତୁ କଣ କମ୍ ...ଅଧା ରାତିରେ ବାହାର ଟୋକାଠୁ ଗିହାଁ ଖାଇବା ପାଇଁ ମନ ...!
ଛାଡନା ପ୍ଲୀଜ଼ ସେକଥା ତମେ ଆରମ୍ଭ କର ମୋତେ କେମିତିକା କେମିତିକା ଲାଗୁଛି.... 
ରାଜୁ :ଅଚ୍ଛା ? ତାହେଲେ ମାଇକିନା ଗିହାଁ ପାଇଁ ସକବାକ ହେଲାଣି ..ଭଲ କଥା...ହଉ କୋଉ ପୋଜ଼ ଦରକାର ତୋତେ କହ ରାଣ୍ଡି ...?
 ରାଣୀ : ଆରେ ଯେଉଁ  ପୋଜ଼ ରେ ଦିଅ ମୋତେ ମଜା ଲାଗିଲେ ଗଲା ..
ରାଜୁ: କଣ ବିନା କଣ୍ଡମ୍  ରେ ?
ରାଣୀ : ହଁ
ରାଜୁ :କଣ ମୋ ପିଲାର ମା ହେବୁ ନା କଣ ବେ ?
ରାଣୀ : ହଁ
ରାଜୁ : ସତେ ?
ରାଣୀ : ନାଇମ ମଜା କରୁଛି ..ପିଲ୍ ରଖିଚୀ ଖାଇଦେବୀ କିଛି ହେବନି ..
ରାଜୁ:ଅରେ ତୁ ତ ପୁରା ସ୍ମାର୍ଟ୍ ଅଛୁ ..ତୋତେ ଗେହୀ ଅଜି ବହୁତ୍ ମଜା ଆସିବ
ଏବେ ରାଜୁ ଭାଉଜ ଅଣ୍ଟା ପାଖରେ ଯାଇ ବସିଲା ଆଉ ଭାଉଜ ଗୋଡ ଫାଡି କରି ବାଣ୍ଡ ନେଇ ବିଆ ରେ ଯୋଖିଲେ ..ଏବେ ଭାଉଜ ଚିତ୍କାର କଲେ .ଆହଃ ...ଆଉ ରାଯୁକୁ ହାତରେ କୁଣ୍ଢାଇ ରଖିଲେ ...ରାଜୁ ପେଲ ଷ୍ଟାର୍ଟ୍ କଲା ...ଭାଉଜ ପାଗଲ ଭଳିଆ ଚିତ୍କାର କରୁଥାନ୍ତି ...କଣ ସବୁ କହିଯାଉଥାନ୍ତି... ମୋ ରାଜୁ ମୋ ରାଜା ଆଃ ..ଇଃ ...ଆଇ ଲଭ୍ ଇଉ ..ଡାର୍ଲିଙ୍ଗ...ଦୁଇ ଗୋଡ ରେ ରାଜୁର ଦୁଇ ଗୋଡ ଛନ୍ଦି ରଖିଥାନ୍ତି | ଏହା ଶୁଣି ରାଜୁ ଆହୁରି ଏକ୍ସାଇଟ୍ ହେଇ ଯାଉଥାଏ ଆଉ ସ୍ପିଡ୍ ବଢ଼ାଇଲା |
ଭାଉଜ ରାଜୁର ମୁଣ୍ଡରେ ହାତ ବୁଲାଇ ବୁଲାଇ ହେଉଥଆନ୍ତି ଆଉ ଅନେକ କିଛି କହିଯାଉଥାନ୍ତି |

ଆଃ ରାଜୁ ମୋ ଧନ ମୋ ସୁନା ଦେ ଆହୁରି ଯୋରରେ ଆଃ ମା ..ଦେ ମୋତେ ଆଜୀ ରାଣ୍ଡି ବନେଇଦେ ...ଆଜି ମୋତେ ତୋ ପିଲାର ମା ବନେଇଦେ ...ଆଃ ..
ହଁ ରେ ଆଜି ତୋତେ ମୁଁ ମୋ ପିଲାର ମା ବନେଇଦେବି ରେ ରହି ଯା ଟିକେ ..କେତେ ଗିହାଁ ଖାଇଚୁ ତୁ ଆଜି ଜାଏ ...ସବୁଠୁ ବେଶୀ ଗେହିଁବୀ ତୋତେ ..ତୋ ବିଆରେ କେତେ ପାଣି ଅଛି ଆଜି ମୁଁ ଦେଖିବି ..ତୋତେ କଣ ତୋ ମା କୁ ଭି ଆଜି ଛାଡିବିନୀ ...ଆଃ .ଓଃ ..   ଶାଳୀ ଘୋଡାଗେହିଁ  ରାଣ୍ଡି ବହୁତ୍ ବିଆ ରେ କୁଣ୍ଡାଇ ହେଉଥିଲା ନା ନେ ଏବେ .. ବିଆରେ ଆଜି ଏତେ ପାଣି ଛାଡିବି ଆଜି କି ତୋ ମାଇଚିଆ ଘଇତା ଗୋଟେ ମାସରେ ଭି ଦେଇନଥିବ |
ହଁ ମୋ ରାଜା ଆଃ ଦେ ସବୁ ରସ ଆଜି ଦେ ଛାଡିଦେ ମୋ ବିଆରେ ଆଜି ମୁଁ ତୋ ପିଲାର ମା ହେବି ..ମୋ ଆଜୁ ଆଇ ଲଭ୍ ଇଉ ...ଓଃ ଇଃ ..ଆଃ ...
ଏମିତି ଚାଲିଲା ପ୍ରାୟ ୨୦/୨୫ ମିନିଟ୍ ...ରୁମ୍ ରେ ଖାଲି ସିତ୍କାର ରେ କମ୍ପି ଉଠୁଥାଏ ...ମୁଁ ଏତେ ଗରମ୍ ହେଇଯାଇଥିଲି କି କିଛିଭି କରିପକେଇବି ହେଲେ ଟିକେ କଣ୍ଟ୍ରୋଲ୍ କରି ରହିଲି | ଭାଉଜ ଖାଲି ଆଁ କରି ରାଜୁ ମୁହଁକୁ ଅନେଇରହିଥାନ୍ତି ..
ଏବେ ଭାଉଜଙ୍କୁ କହିଲେ ଆଣ୍ଠେଇବାକୁ , ଭାଉଜ କରିଲେ ଏବେ ସେ ଭାଉଜଙ୍କ ପଛ ପଟେ ବାଣ୍ଡ ଯୋଖିଲେ ଆଉ ଆଗକୁ ଝୁଂକି କରି ଭାଉଜଙ୍କ ଦୁଇ ଦୁଧକୁ ହାତରେ ଧରି ପେଲା ଆରମ୍ଭ କଲେ , ଏଇ ପୋଜ୍ ରେ କିଛି ସମୟ ଚାଲିଲା , ଏବେ ପୁଣି ନରମାଲ୍ ପୋଜ୍ କୁ ଆସିଲେ ଆଉ  ଏବେ ସ୍ପିଡ୍ ବଢେଇଲେ, ଏତେ ଯୋର୍ ରେ କରୁଥାନ୍ତି କି ଲାଗୁଥାଏ ଭାଉଜଙ୍କ ବିଆ ଆଜି ଫାଟି ଯିବ ହେଲେ ଭାଉଜ ମଜା ନେଉଥାଆନ୍ତି ...ଏମିତି ୧୦ ମିନିଟ୍ ପରେ ଦୁହେଁ ବହୁତ୍ ଯୋର୍ ରେ ଅୱାଜ୍ କଲେ ଆଉ ଦୁହିଁଙ୍କର  ବାହାରି ଗଲା, ରାଜୁ ସବୁ ରସ ଭାଉଜଙ୍କ ବିଅରେ ଛାଡିଲା ...କିଛି ସମୟ ଦୁହେଁ ସେମିତି ଶାନ୍ତ ଭାବେ ପଡି ରହିଲେ , ଭାଉଜ ରାଯୁକୁ ଦୁଇ ହାତରେ ଛନ୍ଦି ରଖିଥାନ୍ତି ..କିଛି ସମୟ ପରେ ରାଜୁ ଉଠିଲା ଆଉ ପୋଛା ପୋଛି କରି ଲୁଂଗୀ ପିନ୍ଧିଲା ଆଉ ଭାଉଜଙ୍କୁ କହିଲା ମୁଁ ଯାଉଛି ..ଭାଉଜ ସେମିତି ଲଙ୍ଗଳା ହେଇ ପଡିଥାନ୍ତି ...ରାଯୁକୁ କହିଲେ ଜାନୁ ଆଉ ଟିକେ ରହିଜାଅ ନା ଆଉ ଥରେ କରିବା | ରାଜୁ ପୁଣି ଥରେ ୧ ଘଣ୍ଟା ପରେ ଭାଉଜଙ୍କୁ ଗେହିଁଲା | ରାତି ୫ ପରେ ରାଜୁ ଚାଲିଗଲା |
ସକାଳେ ଦେଖିଲି ଭାଉଜ ଚାଲିବାରେ କଷ୍ଟ ଅନୁଭବ କରୁଛନ୍ତି..ମୁଁ ଜାଣିଥିଲି କି ଏତେ ଯୋର୍ ରେ ଚୋଦା ଖାଇଚନ୍ତି କି ଦେହରେ ବଳ ନାହିଁ | ମୁଁ ପଚାରିଲି କଣ ହେଲା ଏମିତି ଚାଲୁଛ ? ଭାଉଜ କହିଲେ ତମେ କଣ କାଲି ରାତିରେ ଦେଖିନ ଆମ ଲିଳା ? ମୁଁ କହିଲି ବହୁତ୍ ମଜା ଲାଗିଥିବ ନୁହଁ ? ସେ କହିଲେ ହଁ ରେ ବହୁତ୍ ପୁଣି କେବେ ସମୟ ମିଳିଲେ ନିହାତି କରିବା | ମୁଁ କହିଲି ତମେ କଣ ସତରେ ରାଜୁର ପିଲା ରେ ମା ହେବ ? ସେ କହିଲେ ଭେକ୍ ବୋକା ମୁଁ ସକାଳୁ ସକାଳୁ ପିଲ୍ ଖାଇ ସାରିଲିନୀ ..ସେଇଟା ରାତିର କଥା |
ଏମିତି ଭାବେ ଭାଉଜ ରାଜୁ ଠାରୁ ଗିହାଁ ଖାଇଲେ |


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Editor: Sunita Prusty
Publisher: bhauja.com

ନିର୍ମଳାନାନୀର ଝିଅ ସୁନି.... ବହୁତ ସୁନ୍ଦର

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ବୁଲୁ, ତୁ ଟିକେ ଫ୍ରି ଅଛୁ କି ?’ ନିର୍ମଳାନାନୀ ପଚାରିଲା।
ଅଫିସରେ ଅଳସୁଆ ଭଳି ବସିଥିଲି, ହୁଁ ବୋଲି କହିଲି। ସେ କହିଲା ସେ କିଛି ଦିନପାଇଁ ହାଇଦ୍ରାବାଦ ଯାଉଛି, ତୁ ଟିକେ ଘର ଆଡ଼େ ଆସି ବୁଲି ଯାଉଥିବୁ। ମୁଁ ହଁ କରିଲି। ନିର୍ମଳାନାନୀ ଆମ ସାହିରେ ରହୁଥିଲେ। ବିବାହ ପରେ ସେ ଭୁବନେଶ୍ବର ଆସିଲେ, ଆଉ ଏଠି ତାଙ୍କ ସହ ଦେଖା ହେଲାପରେ ମୋତେ ଭାରୀ ସ୍ନେହ କରନ୍ତି। ତାଙ୍କ ଘରେ ଆମ ଆଡ୍‌ଡ଼ା। ପ୍ରାୟ ଦିନ ତାଙ୍କ ଘରେ ଖିଆପିଆ ହୁଏ। ତାଙ୍କ ସ୍ବାମୀ ବ୍ୟବସାୟ କରନ୍ତି, ମଦ ପିଅନ୍ତି ବୋଲି ଅନେକ୍ ସମୟରେ ଘରେ ଗଣ୍ଡଗୋଳ ହେଲେ ମୁଁ ମଧ୍ୟସ୍ଥି ହୋଇଯାଇ ବୁଝାସୁଝା କରେ। ନାନୀର ଦୁଇଟି ଝିଅ। ବଡ଼ ଝିଅ +୨ ପଢୁଚି ଆଉ ସାନ ମେଟ୍ରିକ୍। ନାନୀ ଚାକିରୀ କରେ। ତେଣୁ ସେ ଟ୍ରେନିଂ ପାଇଁ କିଛି ଦିନ ହାଇଦ୍ରାବାଦ୍ ଯାଉଛି।

ସନ୍ଧ୍ୟାବେଳକୁ ଷ୍ଟେସନରେ ନାନୀକୁ ନେଇ ଟ୍ରେନରେ ବସେଇ ଦେଇ ଆସିଲି। ଘରେ କହିଦେଇ ଆସିଥିଲି ଆଜି ନିର୍ମଳା ନାନୀ ଘରେ ରହିବି ବୋଲି। ଘରକୁ ଗଲାବେଳକୁ ବଡ଼ ଝିଅ ସୁନି ବସି ଟିଭି ଦେଖୁଛି ଆଉ ସାନ ମାନି ଶୋଇ ପଡ଼ିଲାଣି। ଭାଇ ଆହୁରି ଆସିନାହାନ୍ତି। ସୁନିକୁ କହିଲି ତୋ ପଢ଼ାପଢ଼ି ସରିଲାଣି। ସେ କହିଲା, ମାମୁଁ ଆଜି ତ ମମି ନାହିଁ ଟିକେ ଟିଭି ଦେଖିବାକୁ ଦିଅ। ମୁଁ କହିଲି ହଉ। ମୁଁ ବି ସେଇଠି ବସିପଡ଼ିଲି।
ଆମେ ବସି ଟିଭି ଦେଖୁଥିଲାବେଳେ ମୋର ନଜର ସୁନି ଉପରେ ପଡ଼ିଲା। ଅବଶ୍ୟ କେବେ ଏତେ ନିକଟରୁ ଦେଖିନଥିଲି। ତା ଦୁଧ ଦିଟା ବଡ଼ ହୋଇ ଆସିଲାଣି। ପତଳା ଟପ୍ ତଳେ ତା ଦୁଧର ନିପଲ୍ ମୁଣ୍ଡ ଟେକିଛି। ଗୋଲ୍ ଗୋଲ୍ ଦୁଧ୍ ଦିଟା ବଡ ସୁନ୍ଦର୍ ଦିସୁଛି। ମୁଁ କେତେ ସମୟ ଦେଖୁଥିବା ବେଳେ ସୁନି ବୋଧହୁଏ ଜାଣିପାରିଲା ଆଉ ନିଜକୁ ସଜାଡି ବସିଲା। ହାଫ୍ ପ୍ୟାଣ୍ଟ୍ ପିନ୍ଧିଥିଲା ସେ। ତା ଗୋରା ଗୋରା ଜଙ୍ଘ ଦେଖି ମୋ ବାଣ୍ଡ ଟେଙ୍ଗେଇଲା। ପାଟି ଲାଳେଇଲା। କଣ କରିବି ମୁଣ୍ଡରେ ବୁଦ୍ଧି ପସିଲାନି। ଇଚ୍ଛା ହେଉଥିଲା ତା ଜଙ୍ଘକୁ ଚାଟି ପକାନ୍ତି, ଦୁଧକୁ ଚୁଚୁମି ଚୁଚୁମି ଖାଆନ୍ତି। ଆଉ ତା ବିଆ କଥା ଭାବିଲା ବେଳକୁ ମୋ ବାଣ୍ଡରୁ ଟୋପାଏ ପାଣି ବାହାରିଲା। ସମ୍ଭାଳି ହେଉନଥିଲା। ଟିକେ ପାଖେଇ ଯାଇ ସୁନିର କାନ୍ଧରେ ହାତ ଥୋଇ କହିଲି, ତୁ ସବୁ ଠିକରେ ପଢ଼ାପଢ଼ି କରୁଛୁ ତ? ଇଞ୍ଜିନିୟରିଂ ଦେବୁ ନା ମେଡ଼ିକାଲ୍। ସେ କହିଲା, ଇଞ୍ଜିନିୟରିଂ ଦେବି। ମୁଁ କହିଲି। ଭଲ, ଆଉ ତା କାନ୍ଧକୁ ଆଉଁସି ଦେଇ କହିଲି,ତୋ ସ୍କୁଲ୍ କଥା ମୋତେ ଟିକେ କହୁନୁ। ସେ କହିଲା କଣ କହିବି। ମୁଁ କହିଲି ତୋର କିଏ କିଏ ସାଙ୍ଗ ସବୁ ଅଛନ୍ତି। ସେ କହିଲା ଆମ ସ୍କୁଲରେ ସମସ୍ତେ ମୋ ସହ ସାଙ୍ଗ ହେଉଛନ୍ତି।
ମୁଁ ମନେ ମନେ ଭାବୁଥିଲି ଏମିତି ଫିଗର୍ ଥିଲେ ତ କୁକୁର ବି ପଛରେ ବୁଲିବ। ମୁଁ ହସିଦେଇ କହିଲି ଆଉ ତୋ ବୟ ଫ୍ରେଣ୍ଡ୍। ସେ ଲାଜେଇ ଯାଇ କହିଲା, ମାମୁଁ ! କାହିଁକି ଚିଡ଼ଉଚ ? ମୁଁ କହିଲି, ତୋ ବୟସ୍ ଏବେ ବୟଫ୍ରେଣ୍ଡ୍ କରିବାର ହେଲାଣି। ନିଶ୍ଚୟ ଥିବ ନା କିଏ ? ସେ କିଛି କହିଲାନି। ମୁଁ ପୁଣି ପଚାରିଲି, ସେ କହିଲା ସେମିତି କେହି ଖାସ୍ ନାହାନ୍ତି। ମୁଁ କହିଲି ଯା ମିଛ କହନା। ତୋ ଭଳି ଫିଗର ଥିବା ଝିଅ ପଛରେ ହଜାରେ ଟୋକା ପଡ଼ିଥିବେ। ସେ ହସିଦେଉଥିଲା। ମୋତେ ଲାଗୁଥିଲା ସେ ମୋ କଥାକୁ ମଜା ପାଉଛି। ମୁଁ କହିଲି କହ ନା। କିଏ ଅଛି। କିଏ ତ ନିଶ୍ଚୟ ଥିବ। ତୋ ଦେହରେ ହାତ ମାରୁଥିବ। ଗେଲ କରୁଥିବ। କିସ୍ କରୁଥିବ। ସେ ଲାଜେଇ ଯାଉଥିଲା। ହେଲେ କହିଲା, ନାଇଁ ସେମିତି କେହି ନାହିଁ। ଆଉ ମମ୍ମି ଜାଣିଲେ ମୋତେ ମାରିଦେବ।
ମୁଁ କହିଲି, ହେଲେ କି ଲାଭ। ଏତେ ସୁନ୍ଦର ଫିଗର ଥିଲେ କଣ ହେବ। ତାକୁ ପ୍ରଶଂସା କରିବାକୁ ଯଦି କେହି ନଥିବେ। ସେ ମୋତେ ଗମ୍ଭୀର ଭାବରେ ଶୁଣୁଥିଲା। ମୁଁ କହିଲି ଆମ ସ୍କୁଲରେ ଯେଉଁ ଝିଅ ସୁନ୍ଦର ଦେଖାଯାଉଥିଲା ଆମେ ତାକୁ ହିରୋଇନ୍ ବୋଲି ଡାକୁଥିଲୁ। ଆଉ ମଉକା ପାଇଲେ କେମିତି ଟିକେ ଛୁଇଁ ଦେବୁ ବୋଲି ଚେଷ୍ଟା କରୁଥିଲୁ। ସେ ମଜା ନେଇ କହୁଥିଲା, ଆମ ସ୍କୁଲରେ ବି ପିଲାମାନେ ସେମିତି କରୁଛନ୍ତି। ଗହଳିରେ ଗଲାବେଳେ ଦେହରେ ଘଷି ହେଇ ଯାଉଛନ୍ତି। ମୁଁ ହସିଦେଇ କହିଲି, ତୋତେ କେମିତି ଲାଗେ ? ସେ କହିଲା, ଜାଣିନି। ବେଳେ ବେଳେ ଭଲ ଲାଗେ ଆଉ ବେଳେ ବେଳେ ଚିଡ଼ି ଲାଗେ।
ମୁଁ କହିଲି, ତୁ ଟପ୍ ତଳେ କିଛି ପିନ୍ଧିନୁ ? ସେ ନିଜ ଟପ୍ କୁ ଦେଖି କହିଲା ନାଇଁ। କଣ ହେଲା କି ? ମୁଁ କହିଲି, ନାଇଁ ଭଲ। ବହୁତ ସୁନ୍ଦର୍ ଦିଶୁଛି। ସେ ମୋ ଆଖିକୁ ଚାହିଁଲା। ମୁଁ କହିଲି, ତୋ ଛାତି ବହୁତ ସୁନ୍ଦର। ସେ ଲାଜେଇ ଗଲା। ମୁଁ ଆଉ କିଛି କହିଥାନ୍ତି,ସେତେବେଳକୁ ଘରର କଲିଂ ବେଲ୍ ବାଜିଲା। ସୁନିର ବାପା ଘରକୁ ଫେରିଲେ। ସମୟ ରାତି ସାଢ଼େ ଦଶ୍ ହେବଣି। ତାଙ୍କ ଚାଲିରୁ ଜଣା ପଡୁଥିଲା ସେ ମଦ ପିଇ ଆସିଛନ୍ତି। ମୋତେ ଦେଖିକହିଲେ, ‘ଆରେ ବୁଲୁ। ନାନୀକୁ ଛାଡ଼ିଦେଇ ଆସିଲ? ସେ ଭଲରେ ଗଲା?’ ମୁଁ କହିଲି, ‘ହଁ ସେ ଭଲରେ ଗଲା। ଭାଇ ସୁନି କୁ କହିବି ସେ ଖାଇବାକୁ ବାଢ଼ିଦେବ?’ ସେ ମନାକରି ନିଜ ରୁମକୁ ଚାଲିଗଲେ। କିଛି ସମୟ ପରେ ଘୁଙ୍ଗୁଡ଼ି ମାରି ଶୋଇଗଲେ।
ମୁଁ ଆଉ ସୁନି ବସି ଏକାଠି ଖାଇଲୁ। ଖାଇବା ପରେ ପୁଣି ସୋଫା ଉପରେ ବସିଲୁ। ଟିଭି ଦେଖୁ ଦେଖୁ ଗୋଟେ କିସ୍ ସିନ୍ ଆସିଲା। ତାକୁ ଦେଖି କହିଲି, ତୁ କେବେ କିସ୍ କରିଚୁ ? ସେ ମୁଣ୍ଡ ହଲେଇ ନାଇଁ କହିଲା। ମୁଁ କହିଲି, ମିଛ କହନା। ସେ କହିଲା, କରିଚି ଯେ ମାମୁ, ଏମିତି ନାଇଁ। ମାନେ। ସେ କହିଲା, ଖାଲି ମୋ ଓଠକୁ ସେ ଛୁଇଁଥିଲା। ବାସ୍। ହଠାତ୍ ମୋ ପାଟିରୁ ବାହାରି ପଡ଼ିଲା। ଉପର ଓଠକୁ ନା ତଳ ଓଠକୁ। ସେ କହିଲା, ମାନେ। ମୁଁ କହିଲି କିଛି ନାହିଁ, ତୁ କହ। ସେ କହିଲା, ଆମ ସ୍କୁଲରେ ଥରେ ଗୋଟେ ପୁଅ ମୋତେ କିସ୍ କରିବାକୁ କହିଲା। ଆଉ ମୋ ଓଠକୁ ସେ ଓଠରେ ଛୁଉଁଥିଲା, କିଏ ଆସିଲା ବୋଲି ପଳେଇଲା।
ମୁଁ କହିଲି ବାସ୍ ଏତିକି ? ଆଉ କିଛି କଲାନି। ସେ ନାଇଁ କଲା। ମୁଁ ହସିଦେଇ କହିଲି, ମୁଁ ହେଇଥିଲେ.... ଚୁପ୍ ହେଇଗଲି। ସେ ଚିଡ଼େଇବା ଭଳି କହିଲା, ହେଇଥିଲେ କଣ କରିଥାନ୍ତ? ମୁଁ କହିଲି, କହିଲେ ତୁ ଲାଜରେ ଲାଲ୍ ହେଇଯିବୁ। ସେ ତଥାପି ଜିଦ୍ କଲାଭଳି ପଚାରୁଥିଲା, ହେଇଥିଲେ କଣ କରିଥାନ୍ତ। ମୁଁ ତା ମୁହଁକୁ ଟାଣି ଆଣି ତା ଓଠକୁ କିସ୍ କରିବାକୁ ଲାଗିଲି। ତା ପାଟିରେ ଜିଭ୍ ପୁରେଇ ଜୋରସେ କିସ୍ ଟେ କଲି ଆଉ ଛାଡ଼ିଦେଲି। ସେ ଚମକି ପଡ଼ିଥିଲା, କିଛି କହୁନଥିଲା। ମୁଁ କହିଲି, ବାସ୍ ଏମିତି ଆଉ କିଛି କରିଥାନ୍ତି। ସେ ଆଁ କରି ମୋତେ ଚାହିଁଥିଲା। ମୁଁ କହିଲି କଣ ହେଲା। ସେ ଆନମନା ହେଇ କହିଲା, ଉଁ ନାଇଁ କିଛି ନାହିଁ। ମୁଁ କହିଲି ଏମିତି କିସ୍ କରିଥିଲା ସେ ? ସେ ମୁଣ୍ଡ ହଲେଇ ନାଇଁ କଲା। ମୁଁ ତା ଗାଲକୁ ହାତରେ ଧରି ତା ଆଖିକୁ ଦେଖି କହିଲି, ଆଊ ଥରେ କିସ୍ କରିବୁ ? ସେ ଲାଜେଇ ଗଲା। ମୁଁ ତା ଓଠ ପାଖକୁ ନିଜ ଓଠ ନେବାପରେ ସେ ଆଖି ମୁନ୍ଦିଦେଲା ଆଉ ମୋ ଓଥକୁ ଚାପିବାକୁ ଲାଗିଲା।
ଆମେ କିଛି ସମୟ କିସ୍ କରିବାପରେ, ମୁଁ କହିଲି, ଚାଲ ବାହାର ପଟ ଗେଷ୍ଟ୍ ରୁମକୁ ଯିବା। ଏଠି ବସିଲେ ତୋ ବାପା ଉଠି ଆସିବେ। ସେଇଠୁ ବାହାର ପଟ ରୁମକୁ ଆସିବାପରେ ମୁଁ ରାତି ପାଇଁ ମୋ ଡ୍ରେସ୍ ଚେଞ୍ଜ୍ କରିଦେଲି। ହାଫ୍ ପ୍ୟାଣ୍ଟ ଆଉ ଟି-ସାର୍ଟ୍ ପିନ୍ଧି ରେଡି ହେଲି। ସେ ଆସିଲା। ସେ ଆସିବାପରେ ମୁଁ କବାଟ ବନ୍ଦ କରିଦେଇ ତା ମୁହଁକୁ ହାତରେ ଧରି କିସ୍ କଲି। ସେ ବି ମୋତେ କିସ୍ କରୁଥିଲା।
ତା ଟପ୍ ଉପରେ ମୁଁ ତା ଦୁଧକୁ ଧରି ଚିପିବାକୁ ଲାଗିଲି, ସେ ନିଜେ ମୋ ହାତକୁ ତା ଛାତି ଉପରେ ଚାପି ଧରିଲା। ମୁଁ ଜୋର୍ ଜୋରରେ ଚିପୁଥିଲି। ତା’ପରେ ତା ଟପ୍‌କୁ ଟାଣି ବାହାର କରିଦେଲି। ଓଃ କି ଦୁଧ। ଦିଟା ଅଧାଫାଳ ହେଇଥିଲା କମଳା ତା ଛାତିରେକିଏ ଯେମିତି ଥୋଇ ଦେଇଛି। ଅନ୍ୟ ମାନଙ୍କ ପରି ନଇଁ ଯାଇନି । କିଛି ଝିଅଙ୍କ ଦେହରେ ଦୁଧ ମୁନିଆ ହୋଇକି ଥାଏ,ହେଲେ ସୁନିର ଦୁଧ ପୁରା ଗୋଲ୍ ଆଉ ଟାଇଟ୍। ମୁଁ ନଇଁ ପଡ଼ି ଚାପିବାକୁ ଲାଗିଲି। ତା ନିପଲକୁ ଚୁଚୁମି ଯାଉଥାଏ। ସେ ମୋ ମୁଣ୍ଡକୁ ତା ଛାତିରେ ଚାପି ଧରି ଥାଏ। ତା ଦୁଧ ଖାଉ ଖାଉ ତଳକୁ ହାତ ବଢେଇ ତା ପ୍ୟାଣ୍ଟ୍ ଖୋଲିଦେଲି ଆଉ ତା ବିଆ ଉପରେ ହାତ ରଖି ଆଉଁସିଲି। ତା ବିଆ ପୁରା ସଫା ଲାଗୁହ୍ତିଲା। ବୋଧହୁଏ ତା ବିଆରେ ବାଳ ଆହୁରି ଆସିନଥିଲା। ତାକୁ ଖଟରେ ଶୁଏଇ ଦେଇ ତା ଦୁଧକ୍କୁ ଖାଊଥିଲି ଆଉ ବିଆକୁ ଛୁଉଁ ଥିଲି। ତା ବିଆ ଓଦା ହେଇ ଆସିଥିଲା।
ତାକୁ ଉପରକୁ ଠେଲିଦେଇ ମୁଁ ତଳେ ଥାଇ ତା ବିଆକୁ ଚୋଷିବାକୁ ଲାଗିଲି। ସେ ଆନନ୍ଦରେ ନିଜ ମୁଣ୍ଡ ଏପାଖ ସେପାଖ କରୁଥିଲା। ବେଳେ ବେଳେ ମୋ ମୁଣ୍ଡକୁ ନିଜ ଗଙ୍ଘ ମଝିରେ ରଖି ଚାପି ଦେଉଥିଲା। ହାତରେ ମୋ ମୁଣ୍ଡକୁ ନିଜ ବିଆ ଉପରେ ଚାପି ଧରୁଥିଲା। ମୁଁ ତା ଜଙ୍ଘ ଦୁଇଟାକୁ ଫଡା କରିଦେଇ ବିଆକୁ ଆଗ ପଛ ଚାଟୁଥ୍ଲିଇ। ସେ ଓଃ ଓଃ କହୁଥିଲା। ହାତରେ ତା ଦୁଧକୁ ଚିପୁଥିଲି ସେ ପୁରା ଥରୁଥିଲା। କିଛି ସମୟ ଜୋର୍ ଜୋର୍ କରି ଚୋଷିବାପରେ ସେ ଆଃ ଆଃ କହି ମୋ ପାଟିରେ ତା ବିଆ ରସ ଢାଳିଦେଲା। ସାମାନ୍ୟ ଖଟାଳିଆ ବିଆ ରସ ମୋ ପାଟିରେ ପଡ଼ିଲା। ସେ ନିରବ ହେଇ ଖଟରେ ପଡ଼ିଥିଲା। ମୁଁ ତା ବିଆକୁ ଖାଉଥିଲି, ରସ ପିଉଥିଲି। ସେ ହାଲିଆ ହୋଇ ଯାଇଥିଲା।
କିଛି ସମୟ ପରେ ମୁଁ ଉପରକୁ ଉଠିଲି ଆଉ ତା ଦୁଧ ଖାଇବାକୁ ଲାଇଲି। ସେ ମୋତେ ଚାହିଁ କହିଲା, ମାମୁ ତୁମେ କଣ କଲ ?ମୋତେ କେମିତି କେମିତି ଲାଗୁଛି। ମୁଁ କହିଲି, କାହିଁ ଆଗରୁ କେବେ କରିନଥିକୁ କି ? ସେ କହିଲା, ନାଇଁ। ମୁଁ ଏସବୁ କେବେ କରିନି। ସାଙ୍ଗ ମାନଙ୍କ ମୋବାଇଲରେ ଏ ସବୁ ଦେଖିଥିଲି। ଭାବୁଥିଲି କେମିତି ଲାଗିବ, ଓଃ ଗଡ୍ ମାମୁ ମୋତେ କଣ କଣ ହେଇ ଯାଉଛି।
ମୁଁ ଉଠି ପଡ଼ି ତା ପ୍ୟାଣ୍ଟ ତାକୁ ପିନ୍ଧେଇଦେଉ ଦେଉ କହିଲି, ବାସ୍ ଏତିକିରେ ଯଦି ତୋତେ ଏମିତି ଲାଗୁଛି, ସବୁ କିଛି କଲେ କଣ ଲାଗିବ ? ସେ କହିଲା, ମାମୁ ମୋ ସହ ସବୁ ଇଛି କର। ମୁଁ ରହିପାରୁନି। ମୁଁ କହିଲି, ଏବେ ରାତି ଗୋଟାଏ ହେଲାଣି, ତୁ ଏବେ ଶୋଇଯା, ସକାଳୁ ସ୍କୁଲ୍ ଯିବୁନି କି ? ସେ ନାଇଁ କରୁଥିଲା, ତାକୁ ପାଖରେ ଭିଡ଼ି ଧରି ଶୋଇଲି। ସେ ମୋତେ ଜାବୁଡ଼ି ଧରିଥିଲା। ସକାଳୁ ସାଢ଼େ ପାଞ୍ଚଟାରେ ଆଲାର୍ମ୍ ବାଜିବା ପରେ ତାକୁ ଉଠେଇଲି ଆଉ ସେ ମୋତେ ମର୍ଣ୍ଣୀଂ କିସ୍ ଟେ ଦେଇକି ନିଜ ରୁମକୁ ଗଲା ଆଉ ସାଢ଼େ ଛଅଟା ବେଳକୁ ସୁନି ଆଉ ମାନି ସ୍କୁଲ ଯିବାପାଇଁ ରେଡ଼ି ହୋଇଗଲେ। ଭାଇ ସେତେବେଳକୁ ଉଠିପଡ଼ିଲେଣି। ସେ କହିଲେ ସେ ନେଇ ସ୍କୁଲରେ ଛାଡ଼ିଦେବେ। ମୋତେ କହିଲେ, ଦିନ ବେଳେ ତୁମେ ନେଇ ଆସିବ। ମୁଁ ହଁ କହିଲି।
ଦିନବେଳେ ସାଢ଼େ ଗୋଟାଏ ବେଳକୁ ସ୍କୁଲକୁ ଗଲି ଆଉ ସୁନି ସ୍କୁଲ୍ ବାହାରେ ଥିବାର ଦେଖିଲି। ସେ କହିଲା, କ୍ଲାସ୍ ନଥିଲା ତ ତେଣୁ ବାହାରେ ଅପେକ୍ଷା କରିଛି। ମୁଁ କହିଲି, ହଉ ମାନି ଆସୁ ଘରକୁ ଯିବା। ସେ କହିଲା ମାନିକୁ ତୁମ ଘରେ ଛାଡ଼ିଦେଲେ ହେବନି ? ମୁଁ ମନେ ମନେ ଭାବୁଥିଲି, ମୁଁ ବି ସେଇୟା ଚାହୁଁଥିଲି। ମୁଁ ହଁ କଲି। ବାଇକରେ ବସି ଗଲାବେଳେ ସୁନି ମୋତେ ଭିଡ଼ି ଧରି ବସିଥିଲା। ତା ଦୁଧ ମୋ ପିଠିରେ ଚିପି ହେଉଥିଲା। ମାନିକୁ ନେଇ ମୁଁ ଆମ ଘରେ ଛାଡ଼ିଦେଲି। ମୋ ମା ମାନିକୁ ଭଲ ପାଏ। ସେ ବି ଖୁସିରେ ଆମ ଘରେ ରହେ। ସୁନିକୁ ନେଇ ଘରକୁଯିବା ବାଟରେ ଭାଇଙ୍କ ଦୋକାନ ଦେଇ ଗଲୁ। ଭାଇ କହିଲେ ସେ ରାତିରେ ଘରକୁ ଆସିବେ।
ଆମେ ଘରେ ପହଞ୍ଚିବାପରେ, ସୁନି କବାଟ ଟା ବନ୍ଦ କରିଦେଇ ମୋତେ ଭିଡ଼ିଧରିଲା ଆଉ କହିଲା, ମାମୁ କାଲି ଯାହା କରିଥିଲ ଏବେ କର। ମୁଁ ତାଉ ଟେକି ନେଇ ଖଟ ଉପରେ ଶୋଇଦେଲି ଆଉ ତା ସ୍କର୍ଟ୍ ଆଉ ସ୍କୁଲ୍ ଡ୍ରେସ୍ ସବୁ ଖୋଲିଦେଲି। ସେ ପୁରା ଲଙ୍ଗଳା ହୋଇ ମୋ ସାମନାରେ ଖଟରେ ସୋହିଥିଲା। ମୁଁ ତା ଦୁଧ ଖାଈବା ଆରମ୍ଭ କଲି। ଆଉ ହାତରେ ତା ବିଆକୁ ଅଣ୍ଡାଳି ଦେଲି। ସେ କିଛି ସମୟ ଭିତରେ ଓଦା ହୋଇ ଆସିଲା।
ମୁଁ ଖଟରେ ଶୋଇଗଲି ଆଉ ତାକୁ କହିଲି ମୋ ପାଟି ଉପରେ ତୁ ବିଆ ରଖି ବସ୍ ସେ ସେମିତି କଲା ଆଉ ମୁଁ ତା ବିଆକୁ ଚାପିଲି, ତା ବିଆରୁ ତୋପା ତୋପା ପାଣି ମୋ ପାଟିରେ ପଡୁଥିଲା। ସେ ଆଃ ଆଃ ବହୁତ୍ କହୁଥିଲା। ଆଜି ଘରେ କେହି ନଥିବାରୁ ସେ ଜୋର ରେ ଚିଲ୍ଲେଇ ହଉଥିଲା। ମୁଁ ତା ବିଆକୁ ଚାଟୁଥିଲି। ସେ ତା ବିଆକୁ ମୋ ପାଟିରେ ଆଣି ଚଟେଇ ଦେଉଥିଲା। ମୁଁ ତା ଦୁଧକୁ ଚିପିବା ପରେ ତା ବିଆରୁ ରସ ବାହାରିଲା। ମୋ ପାଟି ଓ ମୁହଁରେ ସେ ରସ ଢାଳିଦେଲା।
ସେ ଏବେ ନିସ୍ତେଜ ହେଇ ଖଟରେ ପଡିଥିଲା। ମୁଁ ମୋ ପ୍ୟାଣ୍ଟ ଖୋଲିଦେଇ ମୋ ବାଣ୍ଡକୁ ବାହାର କଲି। ସେ ମୋ ବାଣ୍ଡକୁ ନିଜ ହାତରେ ନେଇ ଅଣ୍ଡାଳିଆ ଆଉ ମୋ ବାଣ୍ଡ ପୁରା ଠିଆ ହୋଇଗଲା। ତାକୁ ଖଟର ଧଡ଼ାକୁ ଟାଣୀ ଆଣିଲି ଆଉ ତା ବିଆ ଉପରେ ବାଣ୍ଡ ରଖି ଧକା ଦେଇ। ଦୁଇ ତିନି ଥରେ ଧକ୍କା ଦେବାପରେ ମୋ ବାଣ୍ଡ ତା ବିଆର୍ ଏପଶିଗଲା। ତା ପରେ ଧିରେ ଧିରେ ଭିତର ବାହାର କଲି। ସେ ଆଃ ଆଃ କହୁଥିଲା। ମୁଁ କହିଲି ଏଇତା ବି ଦେଖିଥିଲୁ ? ସେ ହଁ କହିଲା। ମୁଁ କହିଲି କେମିତି ଲାଗୁଛି, ସେ କହିଲା, ମାମୁ କହିପାରିବିନି ମୋତେ କଣ ଲାଗୁଛି। ମୋତେ କେତେ ଖୁସି ଲାଗୁଚି।
ମୁଁ କିଛି ସମୟ ଧିରେ ଧିରେ ଗେହିବା ପରେ ଏବେ ଜୋର୍ ଜୋର୍ ରେ ଧକ୍କା ମାରିଲି, ସେ ଓଃ ଆଃ ହଉଥିଲା। ମୁଁ ତା ଗୋଡ଼ ଦୁଇଟାକୁ ଉପରକୁ ଟେକି ଦେଇ ବିଆରେ ବାଣ୍ଡର ପ୍ରବେଶକୁ ଦେଖୁଥିଲି। ମୋତେ ମସ୍ତି ଚଢିଥିଲା। ମୁଁ ନିର୍ଦ୍ଧୁମ ଗିହାଁ ଦେଉଥିଲି। ସେ ଓଃ ଆଃ ମରିଗଲି, ମାମୁ ଛାଡ଼ିଦିଅ ବୋଲି ଚିଲ୍ଲେଇ ହଉଥିଲା। ହେଏ ମୁଁ ଆଊ ଶୁଣୁନଥିଲି। ସେ ଆଃ ଆଃ କହି ମୋ ଅଣ୍ଟାକୁ ଭୀଡି ଧରି ନିଜ ବିଆକୁ ମୋ ବାଣ୍ଡରେ ଆଣି ପୁରେଇ ଦେଉଥିଲା। ଓଃ କି ତୃପ୍ତି ଲାଗିଥିଳା। ଏମିତି ପନ୍ଦର ମିନିଟ୍ ଗେହିବାପରେ ସେ ଥରିବାକୁ ଲାଗିଲା, ତା ବିଆ ପୁରା ଓଦା ହୋଇ ଆସିଲା, ବାଣ୍ଡ ବି ସର୍ ସର୍ କରି ଖରୁଥିଲା। ମୁଁ ବି ଜୋର୍ ଜୋର୍ ଧକ୍କା ଦେଲି ଆଉ କିଛି ସମୟପରେ ସେ ପାଣି ଛାଡ଼ିଦେଇ ଚୁପ୍ ହେଇଗଲା। ମୁଁ ମୋ ବାଣ୍ଡକୁ ବାହାରକୁ ଆଣି ତା ଦେହରେ ମୋ ବୀର୍ଯ୍ୟ ଢାଳିଦେଲି।
ଆମେ ଖଟରେ କିଛି ସମୟ ଏମିତି ପଡିରହିଲୁ। ତାପରେ ତାକୁ ସାଥିରେ ନେଇ ବାଥ ରୁମ ଗଲି ଓ ମିଶିକି ଆମେ ଗାଧୋଇ ପକେଇଲୁ। ସୁନି ମୋତେ ଗୋଟେ ଝିଅ କମ୍ ସ୍ତ୍ରୀଲୋକ୍ ଭଳିଆ ଦିଶୁଥିଲା। ମୋ ପାହକୁ ଆସି ମୋତେ ଜାବୁଡ଼ି ଧରି କହିଲା, ମାମୁଁ,ମମ୍ମି ଯେତେଦିନ ଆସି ନାହାନ୍ତି ତୁମେ ପ୍ରତିଦିନ ମୋତେ ଏମିତି କରିବ। ମୁଁ ହଁ କରୁଥିଲି।
ମୋ ଏଇ କାହାଣୀ କେମିତି ଲାଗିଲା ମୋତେ ଲେଖି ଜଣାଇବ -

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Editor: Sunita Prusty
Publisher: bhauja.com

लव इन लेक (Love in a Lake)

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हाई डार्लिंग…
मैंने मेरे परिवार से झूठ कहा था कि राहुल एक फोटोग्राफर है और मेरी फोटो लेने आया है!
अब उन्हें शक ना हो इसलिए एक दिन मैंने और राहुल ने माउनटेन पर जाकर फोटोस लेने का बहाना बनाया और हम चले गये।

माउनटेन के करीब जाने के बाद हमने रास्ता बदला और मैं उसे एक लेक के पास लेकर गई।
उस लेक को देखकर राहुल अपने कपड़े निकालने लगा लेकिन मैंने उसे रोका और कहा कि थोड़े फोटोस तो ले लो।
उसने कन्फ्यूज़्ड होकर कहा कि उसे लगा था कि फोटोस लेना बस एक बहाना है।
मैंने कहा- हाँ, लेकिन मुझे अपने पोर्टफोलियो के लिए कुछ सेक्सी फोटोस चाहिए थे और उसे कन्विन्स कर दिया।
मैं उस तालाब में उतरी और ठंडे पानी के टच से मेरा बदन काँप उठा।
शायद इससे मेरे चेहरे पर एक सेक्सी एक्सप्रेशन आया होगा
क्युंकी अगले मूमेंट पर राहुल ने एक फोटो क्लिक किया।
कुछ फोटोस लेने के बाद मैंने लेक में स्विम किया और अब मेरे कपड़े पूरी तरह गीले हो गये थे।
जिससे मेरा टॉप ट्रॅन्स्परेंट हो गया और छुपाने के लिए कुछ नही बचा।
वो फोटोस लेता गया।
फिर मैंने शरारत करते हुए अपनी स्कर्ट लेक के अंदर से उतार दी और उसकी ओर फ़ेंक दी।
राहुल हँसने लगा और उसने कहा कि कोई आ ज़ाएगा तो देख लेगा!
मैंने कहा कि इस समय कोई नही आता यहाँ और मैंने अपनी पैंटी लेक के अंदर से उतार कर लिफ्ट किया।
राहुल ने स्माइल करके और फोटोस लिए, लेक के अंदर मैं अब नेकेड थी लेकिन जो बॉडी सर्फेस के ऊपर थी वो पार्षियली ढकी हुई थी।
राहुल ने मेरे पोज़ पर कमेंट करते हुए कहा ‘सेक्सी’ और एक दो फोटोस खींचे।
मैंने अपना टॉप खोल दिया और उसके इमेजिनेशन के लिए कुछ नही छोड़ा।
राहुल फोटोस क्लिक करता गया और मेरे करीब आने लगा।
मैंने अपना टॉप और ब्रा को अपने स्कर्ट के पास फ़ेंक दिया जिस कारण अब मैं लेक में काफ़ी अपीलिंग लग रही थी।
राहुल ने कैमरा नीचे किया और कहा कि अब उससे रहा नही जाता।
मैंने अपनी उंगलियो से इशारा करके उसे अपने पास बुला कर कहा- मेरे पास आओ जानू !
उसने कैमरा ज़मीन पर रखा और कपड़े उतार कर लेक में उतर गया।
वो स्विम करके मेरे करीब आया लेकिन इसके पहले वो कुछ कर पाता मैंने लेक का पानी उस पर स्प्लैश किया और हँस कर उससे दूर स्विम करती गयी।
राहुल मेरे पीछे-पीछे स्विम कर रहा था और कुछ देर में उसने मुझे पकड़ लिया।
उस ठंडे तालाब के कारण मेरे बदन में झनझनाहट हो रही थी और राहुल ने जैसे ही मुझे पकड़ा मैंने उसे टाइट्ली हग किया।
हम दोनो के गीले बदन एक दूसरे से चिपके हुए थे और हम स्लोली स्विम कर रहे थे।
राहुल के हाथ मेरे बड़े बैक और वेस्ट तो फील कर रहे थे।
मैंने उसके गीले बदन को कसके पकड़ा और उसके चेस्ट और नेक को चूमने लगी।
उस हार्ड मसकली बदन की मैं दिवानी थी।
कुछ देर बाद मैंने अपना फेस लिफ्ट किया और राहुल ने बेंड होकर अपने होंठ मेरे होंठों से मिला दिए।
हम कुछ देर के लिए बैलेंस खो बैठे और एक सेकेंड के लिए लेक के अंदर चले गये।
जब हम वापस सर्फेस के ऊपर आए तो हँसने लगे और एक दूसरे को फिर से किस करने लगे।
मैं राहुल के लिप्स को हंग्रिली चूमती चली गयी और उसका हाथ मुझे सेन्यूस्ली छू रहा था।
वो मुझे अपने सख्त हाथों से स्क्वीज़ कर रहा था और मैं मज़ा ले रही थी।
हम उस लेक में गोल-गोल घूम रहे थे और किस किये जा रहे थे।
फिर राहुल के हाथ मेरे बदन को एक्सप्लोर करते हुए पानी के नीचे गये और उसके वहाँ छूने से मैंने हमारा किस थोड़ा और अनकंट्रोलेब्ली मोन करती गयी।
वो प्लेजर का एहसास ठंडे पानी मे मॅग्निफाई हो गया था और मैं मज़ा लेती गयी।
उसने अपनी उंगलियों का जादू इस कदर दिखाया कि मैं मदहोशी में स्लिप होती गई।
उस मदहोशी को मैं काफ़ी एंजॉय कर रही थी जिस वजह से मेरे लेग्स वॉटर को किक करने लगे।
कुछ देर में मैंने भी अपना हाथ पानी में डाला और उसको भी वैसा ही एहसास देने लगी।
राहुल ने मेरे टच पर अपनी आँखें बंद कर दी और हम दोनो एक दूसरे को ऐसे ही कुछ देर तक मज़ा देते रहे और एक दूसरे को चूमते रहे।
कुछ घंटो बाद हम मेरी हवेली पहुँचे।
राहुल मुझे सीक्रेट्ली किस करके अपने कमरे में चला गया और मैं स्माइल करके अपने कमरे मे चली गयी।
तो जानू ऐसे मैंने लेक में मज़ा किया।
तुम भी अपनी गर्ल फ्रेंड के साथ ट्राई करना… बहुत मज़ा आता है।

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Sunita Prusty
bhauja.com

मेरा पहला किस (Mera pehla kiss)

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हाई डार्लिंग,
क्या तुमने किसी को किस किया है?

अगर हाँ तो तुम जानते होगे कि हमारी ज़िंदगी का पहला किस हम कभी नहीं भूलते।
आज मैं तुम्हें अपने पहले किस के बारे में बताती हूँ।
मैं अपने गाँव सेफ्ली पहुँच गई। यहाँ अराइव करने के बाद हमें पिक-अप करने मेरे डैड आए।
मैं गाँव से ज़रूर थी, लेकिन मेरे डैड अच्छा अर्न करते थे और हमारे पास एक बड़ी हवेली थी।
डैड को मैंने कहा कि राहुल एक फोटोग्राफर है जिसे गाँव में कुछ फोटोस लेनी है मेरे साथ!
डैड को इस बात से कोई ऐतराज़ नहीं था और हम हवेली की ओर गये।
कार में सफ़र करते वक़्त राहुल फार्मस देख रहा था और मैं यादों की दुनिया में खो गई।
मेरे होमटाउन की यादें ताज़ा हो गईं और इन यादों में से एक था मेरा पहला किस!
कई साल पहले की बात है।
मैं फर्स्ट ईयर कॉलेज में थी और थोड़ी शाइ टाइप की थी जिस कारण मैं लड़कों से दूर रहती थी।
हमारी हवेली में एक लड़का था विवेक, जो अपनी पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए हमारे यहाँ काम करता था।
डैड को वो बहुत पसंद था और मैं भी उससे घुल मिल गई।
वो मुझसे उमर मे दो या तीन साल छोटा था लेकिन उसकी नज़र हमेशा मुझ पर रहती थी।
कभी वो मेरे क्लीवेज को घूरता तो कभी चुप के मुझे ड्रेस चेंज करते हुए देखता।
मैंने उसे कभी नहीं रोका… क्यूंकि मैं भी उसे लाइक करती थी।
फिर एक दिन मैंने अपनी दोस्त रेखा और उसके बॉयफ्रेंड को क्लास में किस करते हुए देखा।
सुबह का वक़्त था और मैं किसी कारण जल्दी आ गयी थी।
मैं जैसे ही क्लास में आई मैंने उन दोनों को एक दूसरे से लिपटा पाया और वो दोनों साइलेंट्ली और पॅशनेट्ली एक दूसरे को चूम रहे थे।
मेरी नज़र तो रेखा पर थी। वो अपने बॉयफ्रेंड को जिस उत्साह से किस कर रही थी, उससे मेरे अंदर एक क्युरिओसिटी जागी…
मैं भी जानना चाहती थी कि किस करने से कैसा लगता है।
उस दिन के बाद मुझमे एक लालसा थी… मैं भी किसी को किस करना चाहती थी, मैं कंट्रोल ही नहीं कर पा रही थी।
हर रात रेखा और उसके बॉयफ्रेंड के किस करने का दृश्य मेरे मन में छा जाता और मैं मुस्कुराकर सो जाती।
मेरी इच्छा को अगर कोई पूरा कर सकता था तो वो था विवेक, वो मुझे पसंद करता था और मैं भी उसे लाइक करती थी…
बस मैंने कभी उसे यह बताया नहीं था।
कुछ वीक्स लगे हम दोनों को एक दूसरे के करीब आने में और फिर एक दिन वो मुझे हवेली की छत पर ले गया।
शाम का समय था।
सनसेट होने ही वाला था और उसने मुझे एक जगह बिठाया।
मैंने पूछा कि वो मुझे यहा क्यूँ ले आया?
तो उसने शर्मा कर कहा कि वो मुझे किस करना चाहता है।
मैंने कहा ‘धत्त’ और उसे धक्का देकर भागने लगी।
विवेक ने मुझे पकड़ लिया और हम दोनों वहाँ बैठ गये।
उसका फेस मेरे फेस के बिल्कुल करीब था… उसकी आँखें मेरे होंठों पर थी और मेरी आँखें उसके होंठों पर!
उसने अपने लिप्स को लिक किया और मुझे किस करने के लिए आगे बढ़ा।
मैंने विस्पर करते हुए कहा कि कोई देख लेगा…
लेकिन उसने कहा यहाँ कोई नहीं है।
मैंने कहा कोई आ गया तो?
लेकिन उसने अपनी नज़र मेरे होंठों से ना हटाते हुए कहा की उसे परवाह नहीं।
और इसके पहले मैं कुछ बोल पाती, उसने अपने होंठों को मेरे होंठों से मिला दिया और मुझे एक लोंग एण्ड पॅशनेट किस किया।
मैं भी रेज़िस्ट नहीं कर पाई!
यह मेरा पहला किस था और मैं उस मज़ेदार एहसास में खो गई।
हम दोनों रुके नहीं और एक दूसरे को कुछ देर किस करते गये।
फिर नोन-स्टॉप किसिंग के बाद हम दोनों के होंठ के सॉफ्ट साउंड के साथ अलग हुए।
हम एक दूसरे की आँखों में कुछ पलों के लिए खो गये और फिर रेज़िस्ट न कर सके।
हम वहाँ पूरी शाम किस करते रहे।
कार के सडन स्टॉप से मैं अपनी यादों की दुनिया से बाहर आई और राहुल को अपनी हवेली का टूर दिया।
मैंने विवेक को वहाँ देखा, वो अभी कॉलेज में लास्ट ईयर कम्पलीट कर रहा था…
उसकी नज़रों से पता चला कि वो अब भी मुझे चाहता है।
शाम को मैं अकेली छत पर गई और उसे वहाँ पाया।
उसके चेहरे पर एक स्माइल आई और वो मेरी ओर बढ़ा, इसके पहले वो कुछ कर पाता मैंने उसे कहा कि अब हम बच्चे नहीं हैं।
विवेक के चेहरे पर जो डिसअपांईटमेंट आई, उससे मैं पिघल गई और उसे स्माइल करके कहा कि एक आखरी बार वो मुझे किस कर सकता है…
फॉर ओल्ड टाइम्स’ सेक!
और इस तरह मैंने एक और शाम विवेक को आखरी बार किस किया।
आगे मेरे गाँव में और क्या-क्या हुआ…
मैं तुम्हें अगली बार बताउंगी।
बाइ…मुआआह!
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तेरी चूत की चुदाई बहुत याद आई (Teri Chut Bahut Yad Aai)

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नमस्ते मेरे सारे देबर को सुनीता भाभी की इस नयी कहानी को स्वागत । में आपका प्रिय सुनीता पृस्टी आप सभी के लिए आज की ये नयी कहानी लेकर आई हूँ । ये कहानी एक तड़पती हुई लण्ड की । ये कहानी पढ़ कर मुझे कमेंट लिखना । आप को सनी की इसी कहानी को उसीकी भासा में समझा देता हूँ ।



दोस्तो, मेरा नाम सैंडी उर्फ़ सनी जाट है और मैं जयपुर का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 27 वर्ष है.. मेरी हाईट 5’11” है.. रंग सांवला है.. एथलेटिक बॉडी है।
मैं bhauja.com  का नियमित पाठक हूँ, मैंने आप लोगों की पसंदीदा Bhauja.com  की कहानियाँ पढ़ीं.. तो मेरा भी मन किया कि आप लोगों को अपनी कहानी बताऊँ।
मैं अपने जीवन में घटी एक सच्ची घटना बताता हूँ.. इसे पढ़कर आपका भी मन करेगा कि काश.. सनी की जगह मैं होता।
मैं जयपुर में 4 सालों से रह रहा हूँ। एक बार मैं जयपुर के वर्ल्ड फेमस सिनेमा हॉल राजमंदिर में मूवी देखने जा रहा था। उस समय मैं नया-नया ही जयपुर में आया था.. इसलिए मेरा कोई दोस्त नहीं था.. मैं अकेला ही चला गया।
टिकट खरीद कर मैं अपनी सीट पर जा कर बैठ गया। मूवी शुरू होने के कुछ देर बाद विदेशी सैलानियों का एक झुण्ड हॉल में प्रवेश करता है.. मैं मध्य वाली गैलरी में एक सीट छोड़कर बैठा था।
उस झुण्ड में से एक विदेशी महिला मेरे पास आकर बैठ गई। मैंने पहली बार किसी विदेशी को इतने पास से देखा था। उसने ब्लैक टी-शर्ट और ग्रे निक्कर पहन रखी थी। वो लगभग 32 साल की महिला थी.. उसका रंग दूध जितना सफ़ेद था।
मूवी में एक सीन पर सारे दर्शक हंसने लगे.. तो उस महिला ने मुझसे पूछ लिया- ये क्यों हंस रहे हैं?
तो मैंने उस सीन का इंग्लिश में मतलब उसे बताया तो वो भी हंसने लगी। उसने मुझे ‘थैंक्स’ कहा और मेरा नाम पूछा।
मैंने अपना नाम बता कर उसका नाम पूछा.. तो उसने अपना नाम जिमी बताया और वो नीदरलैंड से थी।
कुछ देर बाद बैठक बदलते वक़्त मेरा हाथ उसकी जांघ से टकरा गया.. तो उसने मेरी तरफ देखा। मैंने उसे ‘सॉरी’ कहा.. तो वो केवल हल्के से मुस्कुराई।
मैंने किसी से सुना था कि विदेशी सैलानी शिकायत कर दे तो जमानत भी नहीं होती है.. इसलिए मैं थोड़ा संभल कर बैठा।
इस वक्त तक मैं उसे केवल दूर से ही देखना चाहता था। इंटरवल के बाद मूवी में एक रोमांटिक सीन आया.. तो वो बार-बार मेरी ओर देख रही थी।
परदे पर रोमांटिक सीन देखकर मेरे मन में भी उसकी तरफ देखने का मन करने लगा। मेरा ध्यान बार-बार उसके गले के नीचे वाले भाग पर जा रहा था.. जो कि टी-शर्ट का गला बड़ा और काफी खुला हुआ होने के कारण दिख रहा था।
शायद उसने भी ये देख लिया था.. लेकिन वो कुछ नहीं बोली।
उसने अपना हाथ हल्के से इस तरह अपनी जांघ के पास रखा कि वो मेरी जांघ को छू जाए।
इससे मेरी भी हिम्मत बढ़ी.. मैंने भी अपना हाथ थोड़ा नीचे किया.. तो वो भी उसके हाथ को छू गया।
हाथ टच होते ही उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और मेरा हाथ पकड़ लिया।
मेरे बदन में जैसे करंट दौड़ गया..
फिर वो धीरे-धीरे मेरे हाथ को अपनी निक्कर के ऊपर ले जाने लगी, मेरा लण्ड खड़ा हो गया.. जीन्स को फाड़ने को हो गया।
इतने में उसके साथ वालों ने उसके पास आकर उससे चलने के लिए कहा।
उसने मेरी तरफ देखा..
तो मैंने कहा- आर यू गोइंग?
उसने कहा- या.. बट आई एम वेटिंग आउटसाइड…
इतना कहकर वो मुस्कुराकर चली गई।
मेरा दिल धाड़-धाड़ करने लगा। फिर मैं भी वहाँ से उठ कर चल पड़ा.. बाहर जा कर देखा तो वो दिखाई नहीं दी।
राजमंदिर के पास मैक डोनाल्डस है.. वो उसमें थी। उसे देखकर मेरी जान में जान आई.. वो बाहर आई और उसने मेरा नंबर लिया और ‘आई विल कॉल यू..’ कह कर चली गई।
मैं भी अपने कमरे पर चला गया।
लगभग 20 मिनट बाद उसका फ़ोन आया वो अपने होटल से बोल रही थी।
उसने मुझे अपने होटल बुलाया.. मैंने उसके पास जाने से पहले अपने लंड के आस-पास वाले बाल साफ़ किए और टैक्सी पकड़ कर होटल पहुँचा।
रिसेप्शन से पूछ कर उसके कमरे पर पहुँच कर बेल बजाई.. तो वो मेरे सामने थी.. उसने मेरा हाथ पकड़कर अन्दर खींच लिया।
मुझे विश्वास नहीं हो रहा था। ऐसा तो केवल फिल्मों में ही होता है। मेरे जिस्म में बुखार सा चढ़ गया।
क्या वास्तव में मेरे सामने एक गोरी लड़की है.. मैं ठहरा गाँव का निरा देहाती और ये साला हो क्या रहा है.. खैर यही सच्चाई थी।
उसने मुझे अपने पास बुलाया और मेरे गालों पर किस किया। मैंने भी उसके गले पर किस किया और उसे बाँहों में भर लिया।
अब वो मेरा हाथ पकड़ कर बिस्तर पर ले गई।
उसने मुझसे पूछा- तुम यहाँ पर आ कर खुश तो हो न?
तो मैंने कहा- मेरी तो मुराद पूरी हो गई.. मैं बहुत खुश हूँ।
फिर मैंने पूछा- मुझमें तुमने क्या देखा.. जो इतनी मेहरबान हो गई?
तो उसने कहा- पता नहीं.. वो पल ही कैसा था..
‘हम्म..’
उसने मुझसे कहा- कभी सेक्स किया है?
तो मैंने कहा- हाँ.. एक बार..
फिर उसने कहा- मैं अपने ब्वॉयफ्रेंड के साथ कई बार सेक्स कर चुकी हूँ।
मैं उसे चुदासी निगाहों से देखने लगा।
उसने कहा- सो.. वांट टू डू सम फन?
मैंने मौन रह कर अपनी मुंडी हिला दी।
अब उसने मेरे लंड पर हाथ रख दिया जो कि पहले से ही खड़ा हो रखा था। उसने मेरी चैन खोलकर अंडरवियर में हाथ डाला और उसे सहलाने लगी।
अब तक मैंने भी बहुत शराफत दिखा ली थी.. अब मुझसे नहीं रुका जा रहा था।
मैंने उसे धक्का देकर बिस्तर पर गिरा दिया और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
आह्ह.. क्या अहसास था वो..
फिर मैंने उसकी टी-शर्ट निकाल दी।
अब मैं उसके मस्त नशीले शरीर को चूमने लगा.. तो उसने सिसकारी भरकर मुझे बाँहों में भर लिया।
फिर मैंने उसे उल्टा किया और उसकी सफेद ब्रा खींच कर हुक तोड़ दिया।
अब उसके सफ़ेद सेब मेरे हाथों में थे।
क्या बताऊँ दोस्त.. क्या माल था.. हाय मैंने उसके वो ‘सॉफ्ट-सॉफ्ट’ चूचे मुँह में लेकर चूसे.. तो उसकी सिसकारी निकल गई और वो कहने लगी- टेक मी इन हैवन..
मैंने कहा- यस माय डार्लिंग..
मैं किस करता-करता नीचे उसके पेट तक पहुँच गया। फिर धीमे से उसकी निक्कर का हुक खोल दिया और खींच कर बाहर निकाल दिया।
अब मेरे सामने लाइट पिंक रंग की चड्डी थी। मैंने अपने अन्दर का जानवर दिखाते हुए उसकी चड्डी में हाथ डाला और उसे फाड़ दी।
वो हंसकर कहने लगी- आई थिंक.. आई विल हैव टू बाइ न्यू अंडर गारमेंट्स..
अरे दोस्तो, बस पूछो मत.. क्या गदराई चूत थी.. सफाचट.. बाल एकदम साफ़.. मुझे तो चूत को चूसने का नहीं.. खाने मन करने लगा।
मैंने उसके चूत के होंठों पर अपने होंठ रखे और उसका जूस पीना शुरू कर दिया।
वो धनुष की तरह तन गई और उसने मेरे सिर को पकड़ लिया।
मैंने कम से कम दस मिनट तक उसका रस पिया। इस दौरान वो एक बार झड़ भी गई.. तब उसकी चूत में से निकला नमकीन पानी.. हय.. क्या मस्त स्वाद लगा था।
अब वो पागल हो गई थी.. उसने उठकर मेरा लंड पकड़ लिया और उसको बिना कोई वक्त जाया किए मुँह में पूरा डाल लिया।
फिर मेरा साढ़े छः इंच का लौड़ा उसके गले तक पहुँच गया।
करीब 5 मिनट तक उसने मेरे लंड को चूसा.. फिर मैं भी झड़ गया.. वो सारा वीर्य पी गई।
फिर उठ कर बोली- अब देखो.. मैं क्या करती हूँ।
मेरा लंड पकड़े-पकड़े वो मुझे बाथरूम में ले गई और वहाँ ले जा कर मुझसे कहा- मैं इस लंड को इतना टॉर्चर करूँगी कि ये सुन्न हो जाएगा।
फिर मेरे लंड जो कि झड़ जाने के बाद लटका हुआ था.. उसे एक हाथ से पकड़ कर दूसरे हाथ पर देकर मारा।
मेरे मुँह से चीख निकल गई.. लेकिन वो रुकी नहीं.. उसे मारते-मारते फिर से खड़ा कर लिया। वो भी केवल दस मिनट में..
अब वो मेरे लौड़े को हाथ से पकड़ कर जोर-जोर से ऊपर नीचे करने लगी।
दोस्तो, मुझे बहुत दर्द हो रहा था.. लेकिन क्या करूँ.. करीब 15 मिनट बाद लंड एकदम सुन्न हो गया। मुझे लंड महसूस ही नहीं हो रहा था।
फिर उसने मुझे वहीं लेटा दिया.. खुद ऊपर आ गई.. अब उसने मेरे लंड पर थोड़ा थूक डाला.. और अपनी चूत का मुँह मेरे लंड पर रख दिया।
फिर धीरे-धीरे उस पर बैठने लगी, थूक की चिकनाई से लंड धीरे-धीरे उसकी चूत में पूरा समा गया।
मुझे तो कुछ महसूस ही नहीं हो रहा था.. लेकिन वो सिसकारियां भर रही थी और “यस.. यस..” कर रही थी।
उसकी वो मादक आवाजें पूरे कमरे में गूंज रही थीं।

अब वो मेरे लौड़े पर ऊपर-नीचे होकर झटके मारने लगी.. फिर उसने झटके मारना तेज कर दिए।
इस दौरान उसकी गाण्ड मेरी जाँघों से टकरा रही थी और ‘फट.. फट..’ की आवाज आ रही थी।
लगभग 3-4 मिनट के बाद उसका शरीर कांपने लगा और ‘उई.. उई.. आह्ह.. उईईईईइ..’ करती हुई झड़ गई, मेरे सीने से लग गई.. मेरे लंड में तो अब तक कुछ महसूस ही नहीं हो रहा था.. वो तो सुन्न हो रखा था।
मैंने उसे उठाया और बिस्तर पर ले गया और उल्टा लेटा दिया फिर उसके पेट के नीचे हाथ लगाकर उसे घोड़ी बना दिया.. उसकी मस्त-मस्त गाण्ड देखकर उसे खाने का मन करने लगा।
दोस्तो, अब मैंने उसकी चिकनी गाण्ड को खूब चाटा और काट खाया। इसके बाद उसकी चूत में पीछे से अपना लंड पेल दिया.. उसकी चीख निकल गई तो मैंने उसे पूछा- आर यू आल राइट?
तो उसने कहा- फ़क मी बास्टर्ड..
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
उसके इतना कहते ही मेरा देशी खून खौल उठा.. और मैंने एक जोर से थाप लगते हुए कहा- तेरी माँ की चूत.. साली रण्डी.. ले..
अब मैंने अपनी लंड मशीन शुरू कर दी।
मैं इतने जोर-जोर से झटके मारने लगा कि उसके मुँह से आवाजें निकलने लगीं- ओह.. ओह.. ओह.. फ़क मी लाइक एनीमल..
अब उसकी सेक्सी आवाजें सुनकर मेरे लंड में भी चेतना लौटने लगी।
लगभग 15 मिनट तक उसे नॉन-स्टॉप चोदने के बाद उसकी चूत में तेज सरसराहट.. महसूस हुई.. जैसे कोई पानी की धार मेरे लंड से टकराई हो।
मतलब वो झड़ गई थी..
इसके ठीक बाद मेरे लंड भी पानी उगलने को तैयार हो गया और मेरे शरीर में एक झटका लगा और सारा वीर्य उसकी चूत की कटोरी में डाल दिया।
उस वक़्त जो मजा आया ना.. वो मुझे जिंदगी में किसी चीज में नहीं आया। हम दोनों निढाल हो गए थे.. एक-दूसरे के ऊपर-नीचे पड़े हुए थे।
फिर मैंने उठकर उसके गालों को किस किया और अपने कपड़े पहनने लगा।
वो बोली- आज रात यहीं रुक जाओ।
तो मैंने उसे अपना सूजा हुआ लंड दिखाया और जाने की मज़बूरी बताई.. तो उसके आँखों में आंसू आ गए।
दोस्तो, यहाँ मैं बता दूँ कि मेरा मकान-मालिक रात 12 बजे बाद घर में घुसने नहीं देता और तरह-तरह के सवाल पूछता है.. वो अलग।
मैंने उस लड़की से कहा- मैं कल फिर आ जाऊँगा..
लेकिन उसे अगले दिन जाना था.. उसने कहा- मेरे पास तुम्हारा नंबर तो है ही.. तुम्हें कॉल करूँगी..
दोस्तो.. दो दिन बाद उसका फोन आया और उसने कहा- वो अपने देश जा रही है और मुझे मिस करेगी।
अब मुझे उसकी याद आने लगी थी। उसकी आँखों के आंसू मुझे याद आ रहे थे.. ऐसा लग रहा था जैसे मुझे उससे प्यार हो गया हो।
मैं कई दिनों तक उसकी याद में पागल रहा था। जाते वक़्त उसने वहाँ के नंबर से फ़ोन करने के लिए कहा था.. लेकिन उसका फ़ोन 10 माह तक नहीं आया।
फिर एक दिन उसका फ़ोन आया और वो बोली- मेरी शादी हो गई है.. लेकिन तुम चाहो.. तो तुम्हें यहाँ बुला सकती हूँ।
मैंने उसे अपने दिल की बात बतलाई कि मैं उससे प्यार करने लगा था। उसने पता नहीं क्यों.. फोन काट दिया और आज तक उसका फ़ोन नहीं आया।

गल्पिका: सुनीता पृस्टी
प्रकाषक : bhauja .com

जीजू के साथ मेरी पह्ली चुदाई (Jiju Ke Saath Meri Pehli Chudai)

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 Meri sare pyare pathak ko mein Sunita Prusty apka bhabhi is bhauja.com ki sex kahani blog par swagat karta hun. Mujhe umid he ki aap logon ko hamari sare jouna kahani bahat achaa lagta he. Hame bahat sare email bhi mili he. Aap savi debar logon ki pyar se jude rehne ke liye hamara farja banta he ki kuch naya kahani ko lekar apke pas aaun. Isliye aaj ke liye ye kahani hamara taraf se mujhe umid he ki aap logon ko bahat acha lagega. Ye kahani kisi komal ki, aap log ise jarur padhe aur hame comment mein iss kahani ki bare mein likh kar bheje.


Hi mere naam Komal hai. Main 18 saal ki hu. yeh story 5 saal pehle ki hai. Mere gaou mein ek didi ki shaadi ki waqt ki baat hai. Hum sab ladkiya ek saath unke ghar mein raat ko thehar rahe the unka ghar bahot bada tha aur parivar bhi.

Upar se woh log UP ke rehne wale they toh shaadi bhi bahot zoro se hoti thi. Hum raat der tak gappe maarte baithe bahar. Didi ki badi behan ka 3 saal ka ladka Yash mere saath tha. Woh meri hi god mein so gaya tha. Phir andar jaa kar dekha ki ghar mein jagah hi nahi thi sab k liye.

Didi ke ghar mein thodi bhi jagah nahi bachi thi. Maine socha jaane do main Yash ko lekar apne ghar chali jaati hu. Kaha usey bheed mein sula du. Upar se woh sirf meri hi baat sunta tha. Yash ki mummy nahi thi. Woh 2 saal pehle guzar gayi thi. Yash ko lekar apne ghar ja hi rahi thi ki kisi ne mujhe bulaya. Dekha toh Didi ke pados wale ghar ki balcony mein upar se

Yash ke daddy Vishal mujhe bula rahe they. Unhone kaha usey lekar upar aa jao. Unke bagal wale ghar mein bhi saare mehmaan tehre they. Waha neechli manzil par sab buzurg soye hue they. Main maale par gayi waha Vishal Jiju ne apna bistar zameen par laga diya tha. Unhone puchha kya hua? Maine kaha,"Jagah nahi thi kahi par bhi, toh usey ghar le ja rahi thi." Woh bole, "yahi par sula do. Aur tum?

Maine kaha ghar chali jaati hu. Woh bole, yahi par so jao. Kyu khamakha apne ghar walo ki neend ko kharab kar rahi ho!" Main maan gayi bhale mujhe ajeeb bhi lag raha tha. Ek shaadishuda aadmi ke saath akele sona. Vishal jiju ki umar koi 30 saal ki thi. Personality bahot hi killer thi aur they bahot sexy, kateela aur bhaari bhakkam wazan, nasheely aankhon ke saath.

Unse har koi izzat se baat karta tha. Koi bhi faaltugiri nahi karta unse. Unki biwi ki death ke baad unhone shaadi nahi ki thi. Woh har saal chhutiyo mein apne bachhe ko lekar aate they gao se Yash ko apne nana-nani se milane. Yash ke nana-nani beemar rehte they unse UP ki journey train se nahi hoti hi toh Vishal Jiju hi Yash ke saath kuchh hafto ke liye aa jate.

Meri unke bachhe ke saath bahot achhi jamti thi aur unse bhi. Haala ki main unse thoda darti thi. Unki personality thi hi aisi. Omkara ke Ajay Devgan jaisi. Bahot hi shaant kism ke insaan they. Iss baar jab woh aaye they Maine notice kiya tha ki Vishal jiju mujhe bahot ghoorte rehte they. Woh mujhse baatein bhi thodi alag karte, pehle jaisi baccho jaisi treatment bhi nahi dete.

Aur baat karte waqt bahot touch karte. Lekin jab bhi mujhse baat karte woh flirt karte. Maine kabhi itna seriously nahi liya tha, mujhe har kisi se attention milta tha. Main kaafi jaldi khil gayi thi. Dancer hone ki wajah se shape mein bhi thi. Abhi mera figure 34-28-36 hai. Tabhi ka yaad nahi lekin har koi mujh par chance maarta tha aur mujhe usme kuchh galat nahi lagta tha, zyaada jaanti nahi thi na main.

Har koi attention barsaata tha, mere chachere bhai bhi aur ek tha jab koi aisa karta tha tab main gili hoti thi aur uchh alag si hi feeling aati thi badan mein. Coming to the story, Uss din ke ek din pehle Vishal jiju ne shaam ko mujhe gallery mein chup ke se peeche se aakar pakad liya tha. Aur bahot der tak waise hi reh kar baat kar rahe they. Maine pehle masti mazaak samjhi.

Lekin thodi der baad jab hum dono shaant they, aur woh tab bhi peeche they, unhone mujhe kas kar pakada aur kaha, "Tumhe nahi shaadi karni? Suhagrat nahi manani?" Maine kaha, "Main shaadi nahi karungi!" Unhone kaha, "Sirf suhagraat manaogi?" Maine bas has ke baat taal di. Woh tab bhi mere peeche se nahi hate, hum dono shaant they tabhi mujh par peeche se apne aap ko ragadne lage.

Mujhe ajeeb lagne laga, tabhi unhone apne honth mere kaan par laga kar kaha, "Mere saath manaogi?" Tab maine, "kya Jiju, aap bhi!" kehkar apna unse peecha chhudwana chaha, par woh strong they. Unhone mujhe aur bhi kas ke pakda aur kaha, "Main toh sirf tumhare saath hi manunga!" Main apne aap ko chhudwa kar nikli waha se. Neeche jaa kar unki taraf dekha unkhi aankhon mein mere liye aag thi. Lekin uss age mein mujhe yeh samajh nahi aayi.

Main doosri din tak yeh haadsa bhool bhi gayi thi. Jab unko maale par dekha tab mujhe baat yaad aayi. Mujhe laga mujhe jaana chahiye lekin main phir bhi tahar gayi aur waha par let kar unse baatein karti rahi. Hum dono yu soye they ki Yash humare beech soya tha meri aankh lagne hi wali thi ki Thodi der baad garmi ho rahi hai kehkar woh mere bagal mein aa kar so gaye.

Phir baat karte waqt kehne lage ki agar main unhe kuchh saalo pehle dikhi hoti toh mujhhi se shaadi kar lete. Maine has diya uss bat par. Thodi der baad woh mere kaafi kareeb kheesak gaye. Mujhe chipke hue they. "Kuchh bhi kaho par tum ho bahot khubsurat" kehkar unhone mere galo ko chimti nikali aur apna haath mere pet ko lipat kar rakh diya. Main tabhi bahot neend mein thi isliye unhe door nahi kiya.

Unki bhi aankhein band thi. Unhone apne takiye ko meri takiye se jodkar mere sir ko ekdum lag ke apna sir rakh diya. Unka muh meri taraf tha. Unki garam saasein mere gale par lag rahi thi. Maine unse kaha "main aapki biwi nahi jo aap iss tarah soye hai mere saath" uss par unhone kaha,"arre aaj raat ko woh bhi bana lunga." Woh mujhe aur bhi kas kar let gaye aur kaha, "Dekha?

Unka haath meri kamar ko kas kar lipta hua tha aur unka badan aadha mujh par. Mujhe ab thoda darr sa lagne laga. Maine has kar unko door karna chaha lekin woh bhaari they. Maine kaha,"Kya aap bhi ek jawan ladki ko chhed rahe ho. Aapka beta hai saamne kuchh sharam hai ya nahi?" Unhone kaha, "Arre woh bilkul bura nahi manega. Usey bhi toh Maa chahiye.

Maine unse keh diya, "Aapko jo karna hai woh kariye." Aur apni aankhein band kar di. Unhone kaha," Soch lo kya maang rahi ho." Maine bhi keh diya, "Haan. Ab mujhe sone dijiye." Tabhi bhi woh mujh par waise hi soye rahe. Ab unki aankhein bhi band ho gayi thi. Thaki hui hone ki wajah se main bhi so gayi. Kuchh der baad woh uthkar kahi chale gaye. MAin neend mein hi thi. Mujhe laga hi tha woh mere saath masti kar rahe hai.

Ab main chain se so sakti thi thodi der baad woh upar aaye aur mujh par wapas waise hi so gaye. Iss bar zyaada kas kar apna jism aadhe se zyaada mujh par, apana pair mere pairo ko liptakar, apna sir meri gale se lagakar. Unki garam saasein seedhe meri chhati ko lag rahi thi. Maine aankhein khol kar dekha toh dim bulb ki light mein mujhe dikha ki unhone apna kurta nikal diya tha aur woh puri tarah shirtless they.

Main darr gayi maine unki halki baalo wali chhaati ko dhakka maarna chaha lekin woh bhaari they. Mujhse ab aur jagaa nahi jaane wala tha. Main so gayi. Main gehri neend mein thi jab mujhe saas lene mein taklif hone lagi. Mujhpar Jiju puri tarah se let gaye they. Aur ane honth meri gale ko laga diya tha unhone. Woh apna lund bhi mujh par ragad rahe they.

Maine unse kaha hatne ke liye. Unhone kuch nahi kaha balki mere gale ko choomne lage. Main dhakka de rahi thi, unhone merei aankhon mei dekha, woh out of control they unpar jism ko bhook sawaar they. Unhone mujhe kiss kar diya. Main bhi unhe return mein kiss karne lagi. KIss par main kuchh der tak shaant ho gayi. Woh kiss thi hi aisi. Woh mere mumme masalne lage. Mujhe bahot hi sexy mehsoos hone laga.

Unhone T-shirt upar kiya aur niplle ko chusa aur kata. Main halki halki aahein bharne lagi. Maine abhi unse kaha, "yeh galat hai." Unhone "ssshhh" keh kar woh mujhe shaant kiya. Unhone mera t-shirt utar diya. maine apni aankhein band kar di. Ab woh mujh par puri tarah se chadh ke mumme dabaane lage, kiss karne lage. Uuth gaye mujh par se, mujhe laga ki unka sab karna khatam ho gaya.

Maine apna t-shirt lene ke liye aankh kholi toh, mere pairo k yaha khade they aur unhone apna pyjama utaar diya tha sirf underwear mein they. Maine pehli baar kisi aadmi ko tabhi nanga dekha. Uss dim light mein unka saawla nanga badan abhi bhi yaad kar ke mujhe chadhti hai. Lekin tabhi main darr gayi mujhepata nahi tha ab kya hoga. Main jadli se uth gayi aur t-shirt pehanne lagi unse kehne lagi, "bas hua abhi."

Unhone mere muh ko zor se pakda aur dhamkaya "saali tu kidhar nahi jaayegi. Mere saath puri suhagraat manayegi. Mera t-shirt unhone haath se kheech kar door phek diya. Unka beta bagal mein soya tha. Lekin unhe iss baat ki koi fikar nahi thi. Ab woh mujh par so kar mujhe jaanwaro ki tarah choomne lage. Main bas chup reh kar darr ti rahi aur mazze leti rahi. Unhone mujhe bahot kaata bhi.

Jab unhone meri sweatpant mein haath daala toh main aur bhi darr gayi. Maine unse beenti ki lekin woh jhaapad lagaane ki dhamki dene lage. Aur woh itne strong aur powerful they ki bahot darr lagta tha unse. Unhone meri sweatpants nikal di aur panty bhi. Maine beenti ki. Main rone hi wali thi. Unhone mujhe chup karwaane kel iye kiss kiya aur apna haath meri chut par ragadne lage.

Mujhe bahot achha lagne laga phir unhone meri chut pe apni zabaan laga di. Mujh mein bijli daudi! Woh meri chut chaat te rahe maine abhi resist karna band kar diya tha. Meri muh se "aah aah" ki aawazein aa rahi thi isliye unhone mujhse apni beech ki ungli chuswayi. Phir unhone dheere apni ungli meir chut mein daali. Main cheekhne hi wali thi ki unhone mere muh par haath rakh diya.

Kuchh der baad shaant ho gayi main. Phir main bahot gili ho gayi (main itni gili aaj tak nahi hui thi...sirf koi romantic scene dekhte waqt hoti thi..lekin itna nahi). Waha open mein hum nange they, aaju baju wale agar jaag rahe hote aur maale ki balcony mein aate toh humein dekh paate. Mujhe abhi pata chal gaya tha ki aaj sab kuch ho jayega. Bas ab kya aur kaise hoga un par tha.

Phir woh mujhe balcony mein le gaye. Waha par unhone mujhe bitha kar apna lund muh mein lene ko kaha, maine jab nahi liya tab andar hi ghused diya unhone. Unka lund 7inch lamba aur 2 inch jaada lund meri muh se andar bahar andar bahar kar rahe they. Tabhi chut mein bhi ungli andar bahar kar rahe they thodi der baad main jhad gayi.

Uske baad unhone mujhe balcony ki thandi zameen par lita diya aur mere taango ke beech aa kar mujhe kiss karte hue mere andar apna lund daal diya. Surprisingly mujhe zyaada dard nahi hua, jitna log kehte hai. Pehle ke dheere dheere dhakko ke baad woh thode tez ho gaye. Woh bas mujhe chod rahe they, chodte hue mere kaan mein bol rahe they

Tu meri randi hai bhosdi wali tujhe dekh kar hi pagal ho gaya tha main tujh jaisi aaj tak nahi mili main tujhe apna bachha dunga tujhe roz chodunga teri shaadi hone ke baad bhi chodunga tere baap ke saamne bhi chodunga ab se tu meri raand hai. Mujhe unka nanga katila bhaari badan paseene se bhara mujh par lita hua, unki aankhon mein mere liye pyaas abhi bhi yaad hai.

Kuchh 10 minute baad unki body kaapi aur woh ruk gaye. Woh mujh par kuchh der tak aise hi pade rahe. Woh uth gaye aur mujhe bhi uthne ko kaha. Main bina wajah sharamnaak mehsoos karne ki koshish kar rahi thi, rone ki koshish kar rahi thi jabki mujhe bahot mazaa aaya tha. Unhone mujhe uthaya aur jaha hum pehle soye they waha par lita diya, apne bete k bagal mein.

Hum paseene se lathpath waise hi pade rahe. Woh mujhpar lete hue. Kuchh der baad main kapde pehanne ke liye uthi, toh unhone mana kar diya kapde pehanne se. Kehne lage, "hua nahi hai ab tak" Maine kaha koi darwaza nahi hai yaha par koi aa jayega. Unhone kaha "Aane de. Main darta nahi kisi se. Aur tu bhi nahi daregi. Samjhi? Aur jab main nahi suni tab phir mujhe jhaapad maarne ki dhamki dene lage.

Maine unko door dhakel diya toh mujhpar jaanwaro ki tarah chadh gaye. Mujhe ekdum wild french kiss dene lage, mumme kaatne lage. Ab mujhe pehle se zyaada mazaa aane laga. Unhone phir se chudai shuri ki. Iss bar ki jo chudai thi woh aaj tak ki sabse best chudai thi. Mujhe tab jo feel hua aaj tak feel nahi ho paya. Isi feeling ke liye itna sex karti hu lekin koi nahi de pata woh.

Woh baith gaye aur apne lund par mujhe bitha diya aur aise hi hum peeche wapas let gaye chudate hue. Woh iss bar mujh par chadhkar jaanwaro ki tarah chod rahe they, mere pairo ke beech, mere pair failaye hue, unhone mujhe kandho ki taraf pakda tha aur meri aankhein mein dekh kar mujhe chod rahe they, aawazein bhi kar rahe they. Unka badan mujh par zor se patak raha tha.

Tabhi unka beta utha aur "daddy daddy" karne laga. Unhone chodna rukakar waise hi mere upar lete usse so jaane ko kaha. Woh soya bhi nahi tha ki jiju ne wapas chudai shuru kar di. Unke bete ki aankhein bahot der tak khuli thi, humein dekh raha tha woh. Maine unse kaha bhi ki aapka beta dekh raha hai. Unhone kaha, "Dekhne de usey bhi, uski favourite Maasi ko kaise chod raha hu" aur uski taraf muh karke mujhe chodte rahe.

Kuchh der baad Yash so gaya. Iss baar unhone chik mere andar nahi meri body par giraya. Aur mujh par let kar mujhe kiss karte rahe, chodne ki style mein hi. Unka chik pure badan par fail gaya tha aur hum paseena paseena ho gaye they. Iss baar mujhe aur bhi chahiye tha chudana. Hum aise hi pade rahe phir kuchh der baad kadpe pehan kar so gaye. Main kapde pehante waqt khud se unko kiss kar rahi thi. Woh bole, Waah tu bhi seekh gayi! Banegi na meri biwi?

Next day unhone mujhe contraceptive pills khilaye. Unhone mujhe do saal aur choda. Woh saal mein ek baar hi aate (garmiyo ki chhuti mein) lekin mujhe uss waqt mein itna chodte ki kya kahu! Unki chudai sabse alag thi.

Editor: Sunita Prusty
Publisher: Bhauja.com

सेक्सी पड़ोसन भाभी की चूत सफाई (Sexy Padosan Bhabhi Ki Chut Safai)

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 Bhauja ke sare sradhalu pathak ko mein Sunita Prusty phir ek nayi kahani ko swagat karti hun. Ye kahani mein Mr. Akash kese karte hen apni padosan bhabhi ki chut ki safai ye aap logon ke liye kahani lekar ayi hun. Kahani padhkar aap mujhe kahani ki bare mein comment lekh kar bheje.


Hi this is akash. aaj mein aap logo ko ek aur apni sex ki sachi kahani batane jaa rahhahu.

Ye kahani humare pados mein rahne wali ek bhabhi ki hai, mein keh sakta hun ki ise par kar chut wali ki chut mein mera lund lene ki pyas bhar jayegi, wo chut mein ungli kar kar apni antarvasna shant kariengi aur muzhe yaad kariengi. Mere pados mein LUBNA rehthi thi. Wo ashok ki wife thi, dono ki shadi ko 4 saal hue the, par koi baccha nahi tha, ashok ka business tha wo jayada tar bahar hi rehta tha ,aur drink bhi bhahut karta tha,

Wo jab bhi ghar par hota to mostly uski aur lubna ki larai hoti rehti. Lubna shaddi ke char saal bad bhi ek dam item thi, uska rag ek dam gora tha aur bhaut namak tha uske jism mein. itni nazuk aur komal ki hath skin par rakho to fisal jaye, uski umar 30saal thi, baal lambe, nashili kaali aankhe,madmast honth, aur gol-gol chutar ka to kya kehna .wo 5'5 ki apsara jab kamar matka ke chalti thi to kayamat daati thi.

Unka ghar aur humara ghar pass pass tha ,wo akeli rehti thi jab ashok nahi hota tha to humare ghar unka aana jaana bahut tha, mein pehle unke bare mein nahi aisa sochta tha, par ek din ki baat hat hai din ke time, mummy ne kuch saman puchne lubna bhabhi ke ghar bheja to mein chala gaya, ashok bahut din ke baad ek raat pehle hi ghar aaya tha, ander jaa kar mein ne awwaj di to koi aawaj nahi aayi, mein aage bhara to dekha main door khula tha, mein under challa gaya, tabhi muzhe unke bedroom se siskioan ki aawaj aayi,

Wahan se ahhhhh aa nahiii ki awaj aa rahi thi, mein samaz gaya ki kya chal rahha hai, mein chupke se unke room mein jhank kar dekha to dekhta hi reh gaya, lubna puri nangi thi, uska jism, uski mote “mote pinkish boobs dekh kar mera lund khara ho gaya, wo jamin par behti ahsok ka lund chus rhi thi, aur ashok ko keh rahi hti, wo kisi doctor ko dikhai,

Kyun ki ashok ka lund khara nahi ho rahha tha ,uske baad thori dera mein jaise hi ashok ka lund khara hua ,wo dono bed par aaye ,ashok ,ne lubna ki chut mein apna lund daala aur lagbhag 5min ki chudai ke bad jhar gayya ,aur ek taharf ludak gaya, lbna usko galli dete hue ,apni chut mein ungli karne laggi ,lubna ki aakhn mein aansu the aur wo apni chut mein jhordar ungli andar bahr kar rahi thi, uski clean shave mast lal chut ek dam bhukhi aur aag ki bhatti lag rahi thi ,jisko abhi ek mote sakht aur lambe laure ki zarurat thi jo mere pass tha ,jo ki us chut ki bhuk mitta de ,aur lunba ko satusht kar de,,,

Bhabhi ko is halat mein dekh aur jo hua use dekh meine ,use chodne ka sapna bunna shuru kar diya ,mein bahr khara apna laura hilla raha tha aur under lubna apni chut mein ungli kar rahi thi.. mein wahan se nikal aaya ,ab meri aankho ke saamne lubna ka sagnmarmar badan hi ghum rahha tha.,joki muzhe pagal kar rahha tha, us din ke bad se mein lubna ko chudai ki nighao se dekhne lagga , wo jab chalti to uski gaand niharta, jab wo samne hoti to meri nazarien uske jism ka jayeza letti rehti.

Jab bhi mauka milta mein use chune ki koshish karta .jaise ki meine kaha ki wo akele rehti thi to chote mote kaam woi muzhse hi karwati thi ,jaise kuch leke aana hai market se, kuch saman yahan se ahan rakhna hai, etc.. ab mein uske karib jaane ka koi mauka nahi chorta tha., ek din Sunday ko wo aur mummy market se shopping kar ke laute, to wo ek khubsurat painting lekar aayi, usne muzhse request kiya ki mein painting lagane mein uski help karun,

Mein uske sath uske ghar challa gaya, wo change karne gayi to mein bathroom ke ched se use kapre badalte hue dekhta rahha, jab muzhe lagga ki darwaza khulne walla hai to mein wapis aa ke sofa par beth gaya ,jab wo bahar aayio change karke to usne gown pehen rakha tha kyun ki painting ke bad wo aaram karna chahti thi ,uska gon transparent type tha, jisse under ka haal roshni mein patta chalta tha.,under lag raha tha ki usne bra nahi pehni hai,wo stool parchari aur usne muzhe stool pakarne ko kaha ,mein ne stool pakar rakha tha,

Uske jism hi khusboo ,ne mera lund khara kar diya tha aur mien use touch karne ki koshish kar rahha tha .tabhi usne painting magi aur pakarne ko wo zhuki to uske boobs ke darshan ho gaye ,aur mera lund pant mein kaidi ki tarha tarafne lagga,uske makhmali boobs dekh mein khone lagga tha , wo painting thokne laggi ,aur mein uske sharir ka jayeja lene lagga, uske gol-gol chuttar muzhe bulawa de rahe the ki aao aur hume masal dalo.mein usse sex mein kho gaya aur stool par mera dhyan hi nahi gaya, wo unchi ho kar kil thok rahi thi is wazah se stool hil rahha tha wo ek dam chichi kyun ki stool girne ko hua to mera dhyan tutta, aur use girne se pehle hi meine pakar liya ab wo meri bhaon mein thi,

Thori dear mein usne aankhe kholi to wo meri bhaon mein thi aur uske honth mere honth ek dam karib the, mein uski aur wo meri saanse mehsus kar sakti thi, uska gown kuch uth chukka tha aur uski naggi tango ko meine pakar rakha tha, uska gown tighs tak uth gaya tha. usne ankhe kholne ke baad muzhe uttarne ko kaha to meine use ek dam apne se chipkate hue uttar, aur uske badan ka wo mere badan se ragar khana ek dam meri aur uski aag bharkane walla tha.uske sharir ke har part ko meine touch kiya aur mere sharir ke har part ko usne, mera khara lund jab uske chutar ki darar mein lagaa to wo uchhal gayi,

jisse wo halka sa slip ho gayi.aur uske pair mein moch aa gayi, meine use shahara de kar bithaya to uske boobs meri chest se touch hone lagga .usne muzhe bachane ke liye shukriya kaha ,aur dhyan na dene ke liye nazar hui., fir meine use panni la kar diya , tab wo normal hui. Ab wo uthio to usse uttha nahi jaa rahha tha kyun ki uski leg mein moch aayi thi, meine use shahra de kar uthaya to usne muzhe bedroom mein use chorne ko kaha ,wo mere kandhe mein hath dale thi aur langra kar chal rahi thi jisse use taklif ho rahi thi ,uske boobs meri chsest se ragar kha rahe the aur unka size increase ho rahha tha….ye mine notice kiya ,muzhe lagga ki ek jawan mard ko karib paa kar wo bhi garam ho rahi hai.

Fir meine usse mazak kiya ki agar mein ashok hota to use uthakar bedroom tak chor aata, usne sharmatein hue kaha ki jab abhi pehle uthaya tha to ashok hone ka dhyan nahi aaya tha ,ye sun kar mein josh mein aagaya aur use meine utha liya , wo bhi is tarha ki uske gown ka nichla hissa meri pakar se bhar ho gaya aur meine uske panty mein band chuttar pakar liye ,jase hi hum dono ki nazrein milli muzhe makhmalli ehsas milla ,muzhe apni galti ka ehsas hua ,meine apni galti shudhari ,aur wo jhor se hass pari ,meri aur himat bhar gayi ,,usne bhi mere gale ,mein bahin daal di.ab uske boobs meri chest par chipak rahe the uski ghango aur tango par mein hath phira rahha tha aur uske badan ki khusboo muzhe diwan banna rahi thi.

Use meine under bed par litaya to uski halat kharab thi, jaise hi mere sharir uske sharir se ragra uski aahhhhhhh nikal gayi, mein use bed par litta kar bola ki agar wop chahe to mein uske leg ki massage kar sakta huin, yaa doctor ke pass bhi le kar jaa sakta huin, usne kaha ki abhi mein massage kar duin aur agar baad mein thik nahi hotta to doctor ke pass challenge.meine baam ki tube utahi aur uski massage karne lagga ,usne apni tange pehlla li jisse mein uski leg ki masaage kar sakun,

Muzhe massage mein mazza aane lagga ,uske mullyam jism ko chute hi mere dimag mein short circuit hone lagga ,mein leg par malish kar ke badange bandh di aur uthne lagga to wo boli ki mein uska badan bhi dabba duin kyun ki wo thak gayi hai ,usne ,hastein huie kaha ki ye use chot pahunchane ki sazza hai ,ye sunkar mein kush ho gaya aur uske legs dabbane lagga aur usne aankhein band kar li ,mein sex ki garmi aur madhhoshi mein agge bharta jaa rahha tha ,ab mein knee ke upar se bhi dabane lagga tha dhire dhire uska gowon meine upper kar diya aur mere hath uski jaango par ghumne lagge,

Usne koi reaction nahi diya to meri bhi himat bhart gayi ,ab mein uski inner thighs dabbane lagga usne tang pehllali taki mein dabba sakun aur uska gown aur upper gaya to uski chut ke darshan muzhe bhi hue,, jise dekh mein pagal ho utha ab mein unglion se uski panty ki line touch kar raha tha ,aur jab usne koi reat nahi kiya to merin panty ke upper se uski choot sehlane lagga ,wo siskiyan lene lagi aur uske muh se ahhhhhouchhhh nikal gayi,

Meine dekha uski panty gilli thi ,aur mein samz gay ki wo bhi garam ho chuki hai. Meine uski chut ki kushboo ko smell kiya to meri dimag mein chudai ke sitar bajne lagge ,tabhi usne aankhe kholi mere aur uski aankhein takrayi aur mein ghabra gaya ki wo kahin mummy se na bol de mein ne ek dam hath hatta liya aur sorry kehne lagga ,par loha donno taraf se garam tha usne naraz hote hue kaha ki ab muzhe use satisfy karna hoga nahi to wo meri mummy ko keh degi muzhe aur kya chahiyetha,

Miene jhat uske honto par honth rakh diye aur use chumne lagga ,meine uska pura chehra kiss kar kar e lal kar diya usne bhi muzhe tightly hug kar liya aur kiss karnein laggi , wo bhi muzhe bethasha chumne laggi ,use meine itni jhor se hug kiya ki mere aur uske bich mein hawa bhi nahi aaa sakti thi.garmi bharne laggi aur sex ki khumari donno mein aane laggi mein gown ke upper se hi uske boobs dabba ne lagga aur wo meri back aur chutar sehlane lagii

Mera ek hath uske jism ka jayaza le rahha tha.wo garam ho rahi aur mein use chodne ko tarap raha tha ,phir meien uske gown ke batan khol uske boobs ko bhahar nikala aur chusne lagga chatne lagga ,mein uske nipple ,uske boobs ka sarra ras pinna chah rahha tha aur jhor jhor se boobs dabba rahha tha aur chus rahha tha wo garam hone laggi aur uske muh se ahhhnahiiiii aram se karo nikalne lagga wo kehne laggi ki madarchod abhi sarra pi legaa ya bad ke liye bhi kuch choregaa ,mein kehne lagga saali randi tere boobs shukha dunga,wo kehne laggi behenchod shukha degga to piyegga kya.

Mein use sharir ko sehlaane lagga aur uska gown uttar diya ab wo sirf panty mein thi usne bhi mere tshirt uttar di aur mera lower kich diya ,ab mein sirf franchee mein tha , wo muskuranne laggi aur mein bhi ,uska sangmarmari jism hath mein paa kar mein bahut kush tha ,wo bhi, jab khal se khal ragri to use bhi muzhe mazza aane lagga, wo ahhhhh yess kaya kar rahe hooo nahi nahi karne laggi.

jise sun kar mera josh dugnna ho gaya mein use chumte hue niche aaya aur uski breast line chumne lagga, aur uske stomach ko chatne lagga ,ucchalne laggi niche se chuttar utta ke muzhe hatane laggi kyun ki use gudgudi ho rahi thi ,par meine uske chutar pakar liye aur sehllane lagga, ab meine uske naval mein ungli jizb gussa di aur uski inner tighs ,gaand, aur chut aur chuttar dabane sehllane lagga ,wo machal rahi thi uski chuut tap rahi thi ,wo apne lal gulabi honth kat rahi thi aur apne hantho se apne boobs masal rahi thi ,aur keh rahi thi ki aisa to kabhi ashok ne bhi nahi kiya ,mene kaha jaaneman ,bahabhi aaj to tumhe santust kar dunga,

Chinta mat karo, wo kehne laggi kar do, meine uski panty ke upper se se uski chut ki darar mein apni ungli gussa di aur wo ujjal parri ,uski chut ne panni chor diya aur uska burra hal hone lagga , phir meine uski panty uttar kar uski tannge kholi aur aur uski chut ko smell kiya usme se chutras ki smell aa rahi thi ,jo mere lund ko khara kar rahi thi. Meine jhat uski chut par muh laga diya wo ek dam chik pari ,meh muski makahn jaisi without hair shurkh lal chut ko mein chuingam ki tarha chusne lagga tabhi meri nazar pass mein rakhi jam ki bottle par pari aur meine usme se bahut sari jam chut par lagai aur chatne lagga,

Wo ab mere bal pakar kar muzhe chut se hatta rahi thi wo uiiiiiahhhiiiiiiiuhhh kar chik rahi thi tabhi meine upni karak jizbh uski chut ke undar ghussa di aur uski chikhe aur tez ho gayi ,aur mein uski chut ki ab jizb se chudai kar rahha tha ,ki tabhi usne muzhe 69 position mein aane ko kaha aur usne bhi bahut sarra jam mere lund par lagaaya aur lund ko muh mein le liya aur mein uski komal ,madmast chut ki ungli aur jizbh aur muh se chudai kar rahha tha aur ek ungli uski gaand mein bhi daal rakhi thi wo, ab chuttar uchaal uchaal kar mere muh par mar rahi thi aur meine bhi jhatka mar kar apna 7inch lamba aur 3inch mota lund bahut baar uske gale mein andar tak uttar diya tha.,wo lund bahr nikalne ko chapata rahi thi to kabhi apni chut churane ko ,ki tabhi uska sharir ek dam akra usne meri pith aur chutar per nakhun gar diye aur wo jhar gayi, aur mein uska sarra ras pi gaya, kuch minute ke baad mein bhi jhar gayya aur wo bhi mera sarra maal chat gayi,

Mein ab uske upper aa gay aur use kis karne lagga, wo kehne laggi ki ashok ne aisa mazza use kabhi nahi diya, aur mere motte aur jhordar lund ki tariff karne laggi,jise sun kar mera lund phir salami dene lagga, usne bataya ki uski nazar muzh par bahut din se thi kyun ki ashok use satisfy nahi kar patta tha, meine bhi use uski aur sashok ki chudai walla kissa bataya to wo banawti gussa dikhane laggi aur kehne laggi ki mere razza aaj muzhe chod chod kar meri phar do, par usne kaha ki itna motta lund usne kabhi pehle nahi liya , mein uski body masalta rahha dabbata rahha , aur wo phir garam hone laggi,.

Usne mere lund ko kuch time sehlane ke bad uh mein le kar khara kar diya ,meine bhi 2 ungli uski chut mein ghussa di aur under bahar karne lagga, uski chut gilli hone laggi mera lund bhi tyar tha uske kehne par mein uske tango ke bich mein aa gaya uski tange khol kar mord di aur ab uski chut mere lund ke nishane par thi , mein lund ko chut ki phakho par ghisne lagga ,aur wo chatpatane laggi ,pagal hone laggi ,aur kehne laggi kab tak tarpaoge ,dal do na,,,, aur apne hath se apne chut ka danna masalne laggi aur mein uske boobs chus rahha tha aur use kis kar rahha tha ,jab muzhe lagga ki uski chut doobara aag ki bahtti ban gayi hai to meine ek jhatka marra aur uski chut mein apna lund ghussa diya,

Wo chik rariiiii, ahhhnahiiiimatkaro nikal lollllllllllll,phar di meri chut kehne laggi ,kyun ki ahsok ka lund bas 4” ka tha aur 2” mota tha, lubna ki chut ek dam tight lag rahi thi mere lund ke sammne ,meine use chutne nahi diya aur naa hi lund nikala aur ek jhatka aur marra aur lagbhag half lund uski chut mein ghussa diya ,wo chikne laggi ,burri tarna ,muzhe marne laggi to mein use chumne lagga aur uske boobs dabba ne lagga ,aur use kaha ki wo apni chut ka muh khole na ki band Karin ,uski aakhon sse aasu aane lagge ..meine us par rehem nahi kiya kyun ki use aur muzhe patta tha ki is ke baad ab mazza hi maza hai ,aur apnna lund jhar tak uski chut mein ghussa diya ,wo out off control ho gayi meine dehkha wo rone laggi uski chut se khun aane lagga, wo nahhhhooooomat karoo,kehne laggi ,madarchod phardi meri choot khene laggi, aur dard se chatpatane laggi,mera lund uski chut mein hil bhi nahi paa rahha tha to,

Mein jhor se uske boobs dabbane lagga ,uski gaal chatne lagga aur lips kiss karne lagga aur halka sa lund bhahar nikal kar halke halke dhake lagane lagga, use niche dabba kar mein chum rahha tha sehla rahha tha ,uski gaand ke pass ungli gisne lagga aur halke halke dhake laggane lagga ,thori dear mein use mazza aane lagga aur usne tange meri kamar mein bandh di aur speed increase karne ke liye kehne laggi,aur niche se chutar uchhal uchhal ke sath dene laggi ,meien apni speed double kar di ab mein jhor se jhatke lagane laga ,ab tak chut mein mera lund hilne lagga tha mere lund ne apni jagha banna li thi aur mein jhor se dhakke marne lagga ,woi ab jhor jhor se kehne laggi,

Aur mein jhor jhor se jhartke marne lagga, wo pehle 3bar jhar chuki thi ki 30min ki bharpur chudai ke baaad uska sharir phir akra aur wo boli ki mein jaane walli huin, aur 10jhatko ke baad wo jhaar gayi mein abhi bhi lagga tha uske 15min bad mein aur wo donno sath mein jhar gaye, aur mein paseene se chamchamate uske sharir par let gaya, thori dear mein meine uski aakho mein dehkha to uski aakho mein santusti ke baw the,

Meine apna sarra maal uske pet par jhar diya tha wo usne apni body par mal liya aur kuch chat jayi, ab uski body se mere sperm ki smell aa rahi thi., usne kaha ki aajtak uski aasi jhor dar chudai nahi hui aur meine use khus kar diya, usne muzhse wada liya ki ab mein use roj chodunga ,aur usne kaha ki wo muzhe apni aur friends se bhi milwayegi ,thori dear mein humara phir mood baan gaya ,aur abki baar meine use ghori banna kar pichhe se chodda,lagabhag 45min. mein wo 4bar jhar gayi,

Par do bar jharne ki wazah se me baaki tha aur wo aur chut mein bardasht nahi kar paa rahi thi to muzhe uski gaand kaa lal tight chek dikha meine use khaha ki mein uski gaand marunga to tori naa ke baad wo maan gayi meine uski gaand ko chut rass ke achi tarha bhigaoya aur thuk bhi lagagya aur apne lund par bhi aur phir ek jhartke mein uski gaand mein lund uttar diya wo chikne laggi chillane leggi par mein rukka nahi aur jhatke marne lagga thori dear mein uski mulayam gaand mein lund sat sat makahn jaane lagga aur use bhi mazza aane lagga wo chuttar pichhe hilla kar mazza lene laggi, lagbhag 15min. ki gaand chudai ke bad meine use kaha ki mein jharne walla huin to usne kaha ki mein uski chut mein jhar jaun, meine apna lund nikal kar uski chut mein dal diya aur 10-15 jhatko ke baad jhar gaya,

Hum kuch dear aise hi lete rahe, phir muzhe lagga ki mein bahut time se uske ghar huin, mein bad mein aane ki keh kar, apni body saff kar jaane lagga to wo mere sinne se lag gayi aur kehne laggi ki aisi khushi use kisi ne nahi di, aur aaj se mein hi uska asli patti huin, usne kaha ki wo kosis kariengi ki aaj rat mein uske yahan ruk jaun taki who aur mein jamkar chudai kar sakein usne muzhse wadda liya ki itnna ek week mein uska husband aata hai, mein use maa baana duin …meine yes kaha, uske baad hume jab bhi mauka miltta hai hum jam kar chudai kartein hai.

Editor: Sunita Prusty
Publisher: Bhauja.com
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