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Channel: ଭାଉଜ ଡଟ କମ - Odia Sex Story
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बात बनती चली गई-2

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Bhauja.com के सारे पाठक कों नमस्कार मैं हूँ सुनीता भाभी ये कहानी एक पुरानी कहानी एक नया भाग हे । ये कहानी से पहले आप इस कहानी का पहला भाग पढ़ सकते हैं --   "बात बनती चली गई -१ "


भैया दोपहर का भोजन करके एक बजे ड्यूटी पर चले गये। भाभी को आज मैंने दूसरी सीडी ला कर दी। हमें सीडी देखने की बहुत बेचैनी थी… शायद सीडी नहीं बल्कि आपस में कुछ करने की बेचैनी थी। आज भी ब्ल्यू फ़िल्म देखते देखते हमने फिर से एक दूसरे को रगड़ा। खूब तबियत से आपस में दाबा-दाबी की और अन्त में अपना रस निकाल दिया।
अब तो जैसे ये रोज ही होने लगा। एक दिन यूँ ही हम दोनों एक दूसरे को दबा रहे थे तो भाभी ने कह ही दिया,”एक बात कहूं, शरम तो आती है पर…”
“भाभी, अब क्या शरमाना, रोज तो मस्ती करते हैं …”
“आप समझते तो हो नहीं …, आपका लण्ड बहुत मोटा है, आप लेट जाईये सोफ़े पर, इसे चूमने की इच्छा हो रही है, फिर भैया, आप भी मेरी चूत का चुम्बन ले लेना !”
“भाभी, यह तो गन्दी बात है ना…”
“फ़िल्म में भी तो इसे चूसते हैं ना !”
“वो तो बस मजे के लिये दिखाते हैं…”
“अरे लेटो ना ! बहुत बोलते हो…” भाभी ने मुझे धक्का मार कर लेटा दिया।
मेरा खड़ा लण्ड उसके सामने खड़ा हुआ इठला रहा था।
“अपनी आंखें बन्द करो ना…”
मैंने अपनी आंखें बंद कर ली। मुझे अपने लण्ड पर गीला गीला सा नरम से होंठों का अहसास हुआ। उसने मेरा लण्ड मुठ में भर कर अपने मुँह में भर लिया और हाथ चलाते हुये लण्ड चूसने लगी। मीठे मीठे वासनायुक्त अह्सास से मैं तड़प उठा।
“मजा आ रहा है भैया…”
मैंने उत्तर में अपना लण्ड और उभार दिया। लण्ड चूसने की विचित्र सी आवाजें कमरे में गूंजने लगी। मेरा हाल बुरा होने लगा था। इसमें मुझे पहले से अधिक मजा आने लगा था। कुछ ही देर में मेरे लण्ड ने माल उगल दिया और भाभी ने बिना मुझे कुछ कहे चुपचाप से सारा वीर्य पी लिया। लण्ड चाट कर पूरा साफ़ कर लिया फिर उसने अपना पेटीकोट थोड़ा सा नीचे खिसका दिया और अपनी गोरी सी चूत मेरे सामने कर दी। मैंने अपना मुख झुकाया और चूत को ध्यान से देखा।
चूत गीली सी हो चुकी थी मैंने चूत को अपनी अंगुलियों से खोल दी। अन्दर की लालिमा नजर आने लगी, और उसमें कुछ चिकना सा बुलबुले दार झाग सा नजर आया।
मैंने अपनी जीभ बाहर निकाली और चूत में घुसा दी। जीभ ने अन्दर का जायका लिया और उसका वो लसलसा सा द्रव जीभ में लपेट लिया। फिर मैंने उसे चूस कर साफ़ कर किया।
भाभी की टांगें कांप सी गई। एक मीठी सी सिसकी निकल पडी। तभी मुझे वहाँ एक छोटा सा दाना नजर आया। बस उस पर जीभ लगते ही भाभी जैसे कराह उठी। उसकी चूत ऊपर नीचे हिलने लगी, मेरी जीभ चूत में रगड़ खाने लगी। मैंने हिम्मत करके अपनी एक अंगुली भाभी की चूत में घुसा डाली।
वो चिहुंक उठी और जैसे बल सी खाने लगी। मैं अब जोर जोर से उसकी चूसने लगा। भाभी की तड़प देखने लायक थी।
कुछ देर में भाभी झड़ गई और गहरी सांसें भरने लगी।
बस अब तो रगड़ा-रगड़ी छोड़ कर हम दोनो मस्ती से एक दूसरे के गुप्तांग को चूसते थे। ये सिलसिला भी काफ़ी दिनों तक चलता रहा।
भाभी को अब भी तसल्ली नहीं थी, सो एक बार भाभी ने कहा,”भैया, आओ आज कपड़े उतार कर मजे लें !”
“वो कैसे…?”
“नंगे हो कर बिस्तर पर लेट कर ऐसे ही करें !”
यह सुन कर मुझे लगा कि भाभी का मन लण्ड लेने को कर रहा होगा। पर वो चुदाने के लिये कभी नहीं कहती थी, और ना ही कभी मैंने उन्हें कहा।
मैंने कभी भी किसी को नहीं चोदा था, पर हां, रोज की इस रगड़ा-रगड़ी में मेरे लण्ड की स्किन फ़ट चुकी थी और मेरा लण्ड पूरा खुलने लगा था, चमड़ी ऊपर तक चढ़ जाया करती थी।
हम दोनों ने अपने पूरे कपड़े उतार दिये। हम नंगे हो चुके थे, पर भाभी शरमा रही थी। एक कपड़े की आड़ में वो अपने को छुपा कर बिस्तर की ओर बढ़ गई। मैं अपना सीधा तना हुआ कड़क लण्ड ले कर उनके पीछे पीछे बिस्तर पर आ गया।
“भैया, आ जाओ, मेरे ऊपर लेट जाओ और मेरा अंग प्रत्यंग दबा डालो !”
“आह भाभी, सच में ऐसे तो बहुत आनन्द आ जायेगा !” मैं धीरे से भाभी के ऊपर आ गया और उस पर लेट गया। भाभी मेरे शरीर के नीचे दब गई।
मैंने उसके नंगे शरीर को सहलाना और मलना आरम्भ कर कर दिया। भाभी की आंखें मस्ती से बंद होने लगी। उसके हाथ मेरे शरीर के इर्द गिर्द लिपट गये। मेरे हाथों में उनके स्तन मचल उठे।
वो बार बार अपनी चूत का दबाव मेरे लण्ड पर डाल रही थी कि अचानक फ़क से मेरा लण्ड चूत में घुस गया। भाभी में अपने होंठ काट लिये और पूरे लण्ड को अपनी चूत में समा लिया।
“अह्ह्ह, भैया जी… जरा जोर लगाओ, उठा कर मार दो अपना लण्ड…”
मैंने हल्के से लण्ड बाहर खींचा और अन्दर दे मारा। हम दोनों के ही मुख से मस्ती की सिसकारी फ़ूट पड़ी। मेरे लण्ड में इस यौन-क्रिया से तनाव बेहद बढ़ गया और मजा आने लगा। भाभी भी मस्ती में भाव विहल हो उठी। साथ में अधरों से अधर मिला कर चुम्बनों का सिलसिला भी तेज हो गया।
यह पहली बार था जब मैं यौन क्रिया कर रहा था। लण्ड से चुदाई करने में इतना मधुर आनन्द आता है यह पहली बार अनुभव हुआ।
भाभी तो उन्मुक्त भाव से चोदन क्रिया में लीन थी। मैं लण्ड चूत में जोर जोर से अन्दर बाहर करने लगा। मेरी अधीरता बढ़ती गई।
भाभी का चुदाते समय चीखना चिल्लाना मुझे बहुत भा रहा था, लग रहा था कि भाभी को असीम सुख प्राप्त हो रहा है।
चोदते चोदते मुझे ऐसा अहसास होने लगा कि मेरा वीर्य स्खलन होने वाला है।
“भाभी, मेरा तो लण्ड तो हाय … बहुत मजा आ रहा है … मैं तो आह …”
“क्या हुआ भैया, लगा जोर लगा … हाय मेरी चूत भी जवाब देने वाली है।”
“मैं तो गया … अस्स्स्स्स, ह्ह्ह्ह्ह्ह्… मेरा तो निकला भाभी…”
“ठहर जा रे … मेरा तो होने दे ना … उईईईईई … मै…मैं… भैया रस छूट रहा है…”
“मेरी भाभी … हाय …मुझे भींच लो !”
“आजा, निकाल दे अब अन्दर ही… जोर लगा … निकाल … हाय रे निकाल…”
और वो झड़ने लगी। उसकी चूत में लहरें चलने लगी… रति रस छूट चुका था। भाभी ने मेरे चूतड़ कस कर दबा दिये… और मेरा जोर भी चूत पर बढ़ गया।
तभी मेरा वीर्य भी स्खलित हो गया। बार बार जोर लगा कर उसकी चूत में माल भरने लगा था।
भाभी अब निश्चल सी पड़ी हुई थी और इस सम्भोग का अपने नयन बंद करके लुफ़्त उठा रही थी।
तभी लगा कि समय बहुत बीत चुका है, संध्या ढल आई थी। समय कितनी तेजी से बीत गया, मालूम ही नहीं पड़ा।
भाभी ने तुरन्त उठ कर स्नान किया और रात का भोजन पकाने में जुट गई। मैं भी उनकी मदद करने लगा। भाभी चुद कर बहुत खुश नजर आ रही थी। मुझे लगा कि अब मेरी लाईन साफ़ हो गई है … यानि रोज की चुदाई का आनन्द पक्का है।
पाठको, इस कहानी का स्वरूप मुझे अन्तर्वासना की एक नियमित पाठिका श्रीमती यशोदा पाठक ने भेजा है, इसे कहानी के रूप में मेरे द्वारा ढाला गया।
उन्हें अपने विचार इस पते पर भेज सकते हैं

Jhuma: ବସଂତ ର ବଳାତ୍କାର (Basanta Ra Balatkara)

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रीना ने अपनी सील तुड़वाई

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हैलो दोस्तो,

मैंने तो सपने में भी नहीं सोचा था कि मेरी वासना की संतुष्टि की कहानी ‘रीना की मस्ती’ पढ़ कर आप सभी मुझे इतना प्यार देंगे। आपके ई मेल्स के लिए मैं तहे-चूत से आपका धन्यवाद करती हूँ। मैं अपनी उन सहेलियों का भी शुक्रिया अदा करती हूं जिन्हें मेरी कहानी पसंद आई और उनका भी जिन्होंने अपना वैसा ही अनुभव मुझे बताया।
कहाँ तो मैं एक अदद लँड के लिये तरस रही थी और आज तो करीब-करीब आप सभी ने मेरी लेने की इच्छा जतलाई है। और सबसे ज्यादा खुशी तो मुझे इस बात की है कि आप सभी बड़े-बड़े लँडों के मालिक हैं और सभी को चोदने में महारत हासिल है। आपके ईमेल पढ़ कर मेरी चूत में जबर्दस्त खुजली मचने लगती है।
सीमा के जाने के बाद तो अब फिर उंगली मारने के सिवा कोई चारा नहीं बचा था। मेरे लिये तो यह फैसला करना मुश्किल हो गया है कि मैं आप में से किसका लँड लूँ और किसका छोड़ूं।
फिर भी, लँड लेने की चाहत में आप में से जिसे भी मैंने मेल किया है, प्लीज मुझे और ज्यादा लँड का लालच मत दीजिये क्योंकि मैं एक छोटे शहर में रहती हूं और मेरे लिये आप में से किसी से भी मिलना सम्भव नहीं हो पायेगा।
चुदवाने के चक्कर में अगर बदनामी हो गई तो मैं कहीं की नहीं रहूंगी। काश मैं किसी महानगर में होती तो रोजाना ही आप में से किसी न किसी से मरवाने जरूर पहुँचती।
वैसे मुझे लगता है कि हम छोटे शहरों वालियों को ही यह समस्या है, नहीं तो गांव की लड़कियाँ तो खेत खलिहानों में जा जा के अपनी चूत की जबर्दस्त रगड़ाई करवाती हैं। और बड़े शहरों की बातें तो आप जानते ही हैं।
इसके अलावा, मेरी जिंदगी में एक और घटना पिछ्ले हफ्ते घट गई है जो मैं आपके साथ बाँटना चाहती हूँ।
कहते हैं भगवान के घर देर है पर अँधेर नहीं है। मेरी प्यासी चूत के लिये सामान खुद-ब-खुद चल कर मेरे घर पहुँच गया। मेरे पति किसी काम के सिलसिले में चंडीगढ़ गये हुए थे और अभी तक नहीं लौटे हैं।
पीछे उनके मामे का लड़का पवन अचानक टूर पर आ गया, जो करीब 24 साल का है और एक इंश्योरेंस कंपनी में काम करता है। हालांकि वो हमारे घर पहली बार ही आया था क्योंकि उसकी नई नई नौकरी लगी थी और उसे हमारे वाला क्षेत्र मिला था।
अगले दिन सुबह वह अपने स्थानीय दफ़्तर चला गया और रात करीब आठ बजे लौटा।
मैंने खाना बना रखा था और हम दोनों खाना खाकर सिटिंग रूम में आ गए।
मैंने टीवी चला दिया और पवन अपने पेपर वगैरह देखने लगा।
मैं नीचे कालीन पर बैठी हुई थी और पवन ऊपर सोफे पर।
मैं टीवी देखने में मशगूल हो गई और कुछ देर बाद मुझे ध्यान ही नहीं रहा कि कमरे में मेरे अलावा कोई और भी है।
मैं यूँ ही चैनल बदल रही थी और तभी एक इंग्लिश पिक्चर का सीन दिखाई दिया जिसमें हीरो-हीरोइन चुम्बन कर रहे थे।
मैं उसी चैनल पर रुक गई और देखने लगी।
कुछ देर बाद हीरो ने हीरोइन के कपड़े उतार डाले और उसके ऊपर आ गया।
सीन में हीरो-हीरोइन के ऊपरी हिस्से को ही दिखाया था पर दोनो के हिलने डुलने से साफ पता चल रहा था कि नीचे क्या खिचड़ी पक रही है।
हीरोइन आँखे बंद कर के आँ ऊँ करे जा रही थी और कुछ ‘फक मी हार्ड’ या ऐसा ही कुछ बोल रही थी और हीरो महाशय लगातार धक्का-पेली में लगे हुए थे।
कुल मिला के काफी गर्मागरम चुदाई चल रही थी। सीन देख कर मेरी चूत पनियाने लगी और मैंने अपनी टांगे चौड़ी करके गाउन ऊपर कर लिया.
पैन्टी तो मैंने शाम को ही उतार के बाथरूम में टांग दी थी क्योंकि रोज रात को मुठ मारे बिना तो मुझे नींद ही नहीं आती है, जिसके लिए चूत को मैं पहले ही आज़ाद कर लेती थी ।
पवन का तो मुझे ध्यान ही नहीं था, इसलिए बड़े आराम से अपनी गोरी टांगों को सहलाते हुए मैंने एक हाथ से अपनी चूत को मसलना शुरू कर दिया।
चूत के रस में गीली कर के मैंने एक उंगली धीरे से अँदर कर ली और हौले हौले आगे पीछे करने लगी।
मुझे लगता है कि मेरी हरकत देखकर पवन का लँड तो तुरंत ही टन्ना गया होगा। थोड़ी देर बाद पवन ने एक गहरी साँस ली और इससे मुझे उसकी उपस्थिति का एहसास हो आया।
लेकिन मेरे दिमाग में एकदम से पवन के लौड़े की शक्ल कौंध गई, और मैंने बेशर्मी से उसकी तरफ कनखियों से देखा और उंगली चलाती रही। वह थोड़ा शरमा गया।
मैं उसे छेड़ते हुए बोली- क्या हाल है, सब ठीक तो है?
पवन बोला- क्या मतलब है आपका?
मैंने कहा- भोले मत बनो ! मुझे सब नज़र आ रहा है तुम्हारे पैंट के तंबू के नीचे ! जिससे लगता है कि तेरा लँड काफी बड़ा है। तुझे पता है, तेरे भैया ने तो आज तक मुझे छुआ तक नहीं है। मेरी कुंवारी चूत तो बरसों से लौड़े की प्यासी है। मैं जैसे तैसे मुठ मार मार के अपना काम चला रही हूँ। तुम चाहो तो आज मेरी जी भरके ले डालो, मैं भी कुछ मज़े कर लूंगी। मेरी सभी सहेलियाँ अपनी चुदाई के किस्से सुनाती रहती हैं। उनके पति उन्हें रात-रात भर कई कई बार चोदते हैं और वह भी अच्छी तरह रगड़ कर। और एक मैं हूँ जिसे आज तक सही लँड तक नहीं मिला। प्लीज़, आज तो मुझे तुम्हारा लौड़ा चाहिए और सच कह रही हूँ अब तो मैं इसे अँदर लेकर ही रहूँगी।
पवन के कोई जवाब देने से पहले ही मैंने पलट कर अपना हाथ पवन के तने हुए लँड पर रख दिया।
पवन के लौड़े को तो जैसे करेंट लग गया और वह एकदम फनफना गया।
मैंने जल्दी से उसके पैंट का हुक और ज़िप खोल दिया और फिर अँडरवियर नीचे कर के लँड को बाहर निकाल लिया। लँड क्या था, पूरा 8 इंच का बेलन था बिल्कुल टन्नाया हुआ।
उसका लाल सुपाड़ा देख कर मेरी आँखों में नशा छा गया और पूरा बदन थरथरा उठा। जिस चीज़ की मैं कल्पना ही करती रहती थी वह आज मेरे इतने पास थी। पवन के लँड की खुशबू मुझे मदहोश करने लगी थी।
मैंने उसके लँड को चूमा और फिर अपनी जीभ से उसे चाटने लगी।
लँड की जड़ से शुरू कर के मैं जीभ उसके टोपे तक ले जाती और फिर सुपाड़े को चारों तरफ से चाट चाट कर मैंने लँड को पूरा गीला कर डाला। इसके बाद मैं लँड को पूरा मुँह में ले कर उसे आम की तरह चूसने लगी और साथ साथ एक हाथ से उसे मुठ भी लगा रही थी।
पवन तो जैसे स्वर्ग में था बोला- भाभी, बहुत अच्छा लग रहा है, चूस डालो … मेरे लौड़े को, निकाल डालो इसका पानी।
पर मैंने लँड मुँह से निकाल कर कहा- बस बस अभी रहने दे और अब इसे अँदर डालकर मेरी चूत की प्यास बुझा दे।
पवन बोला- भाभी, पर मैंने तो आज तक किसी को नहीं चोदा है, ये कैसे होगा।
मैं बोली- यह तो और भी अच्छी बात है, आज तो समझो हमारी सुहागरात है, कुंवारी चूत को कुंवारा लँड जो मिल रहा है। तुम्हें तो बस ऊपर आकर लँड मेरे हाथ में देना है, बाकी काम तो मेरा है।
इतना कहकर मैंने अपना गाउन खोल दिया। काली ब्रा के ऊपर से मेरे गोरे और सुडौल मम्मे झाँक रहे थे।
पवन ने हल्के से मेरे उभारों को छूकर सहलाना शुरू कर दिया। मेरी तो आँखें बंद हो गईं और दिल भी धकधक होने लगा।
पवन की हिम्मत बढ़ गई और उसने ब्रा के स्ट्रेप मेरे कंधे से हटा कर मेरी गोल और दूधिया छातियों को नंगा कर डाला। मेरे मम्मों के बीचोंबीच मेरी हल्के बादामी रंग की चूचियां तन कर खड़ी हो गईं थीं।
पवन ने अब मुझे गोद में बिठा लिया और मेरे मम्मे सहलाने लगा। फिर उसने मेरी एक चूची को दो उंगलियों के बीच लेकर हल्के से दबा दिया। मैंने एक सिसकारी भरी और पवन से लिपट गई।
पवन ने भी अपने गरम होंठ मेरे होंठों से सटा दिए और हम एक दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे। साथ ही पवन मेरे मम्मे दबाने और चूचियाँ मसलने में लगा हुआ था।
सच बता रही हूँ, मैं तो लगा कि हवा में उड़ने लगी थी। चूमते चूमते मैंने अपनी जीभ पवन की जीभ से सटा दी और उसका लँड जोर से पकड़ कर आगे पीछे करने लगी।
कुछ देर बाद पवन मेरे सामने आ गया और मेरी चूची पर जीभ लगा कर चाटने लगा, फिर एक एक कर के उसने दोनों चूचियों को चूस चूस के सुजा डाला।
पवन के हाथ अब मेरी जाँघों पर थे और उन्हें सहलाते हुए वह मेरी चूत की तरफ बढ़ने लगा था। मैंने भी अपनी टाँगें फैला कर के उसका रास्ता साफ कर दिया और बोली- हाँऽऽऽ… करो न ।
पवन मेरा इशारा समझ कर तुरंत मेरी चूत के होंठ फैला कर अपनी उंगली मेरी गीली चूत पर फिराने लगा। पवन की उंगली मेरे बटन पर लगते ही मेरे मुँह से आह निकल गई और मैं चिल्लाई- डालो न प्लीज़ ।
पवन ने अपनी उंगली मेरी चूत में धीरे से घुसा दी और अँदर-बाहर करने लगा।
मेरी चूत की खुजली कुछ कम होने लगी, पर चुदाई की इच्छा तेज होने लगी इसलिए जल्दी ही मैं पवन का लँड पकड़ कर अपनी ओर खींचने लगी और अपनी टाँगें फैला कर बोली- अब देर मत करो, लँड अँदर दे दो।
पवन को लगता है विश्वास ही नहीं हो रहा था कि मैं सचमुच उससे चुदवाना चाहती हूं और वह अब मुझे चोदने वाला है, वो बोला- भाभी, क्या आप सच में मेरा लँड लेना चाहती हैं?
मैं पवन से बोली- प्लीज़ पवन, अब तंग मत करो, मुझसे अब और नहीं रुका जाता, जल्दी से डाल दो ना ऽऽऽ…
इतना सुनते ही पवन ने मुझे गोद में उठा कर दीवान पर लेटा दिया और अपना पैंट और टीशर्ट उतार फैंके, अपना टनटनाया हुआ लँड मेरी चूत की तरफ कर के वो घुटनों के बल मेरी टाँगों के बीच आ गया।
मैंने लँड पकड़ के अपनी चूत के मुँह पर रख लिया और फिर अपनी गाँड ऊपर कर के पवन की कमर को दोनों हाथों से अपनी ओर खींचा ।
लँड थोड़ा रुक कर मेरी चूत के अँदर सटाक से जा घुसा।
मेरे मुँह से एक आह निकल गई पर तसल्ली भी हो गई कि चलो जिंदगी के 28वें साल में आखिरकार मेरी सील तो टूटी।
मेरी चूत अब भट्टी की तरह धधक रही थी और पवन का लँड भी अँदर जाते ही लाल लोहे की तरह तपने लगा था।
कुछ देर ऐसे ही रहने के बाद पवन ने अपना लँड धीरे-धीरे आगे पीछे करना शुरू कर दिया और मुझे चोदने लगा।
मैं भी नीचे से ताल मिला के अपनी चूत ऊपर नीचे कर रही थी।
हम दोनों इस खेल में अनाड़ी थे पर मुझे नहीं लगता है कि चुदाई सीखने सिखाने कि ज़रूरत पड़ती है। हमारा कार्यक्रम तो मस्त चलने लगा था।
पवन ने पूछा- क्यों भाभी, मज़ा आ रहा है या नहीं?
मैंने कहा- बोऽऽऽहोऽऽऽत अच्छा लग रहा है, ऐसे ही करते जाओ। काश तुम्हारे जैसा बड़ा और मोटा लँड मुझे पहले मिल जाता तो मैं अपनी चूत का सही उपयोग कर लेती।
पवन ने हिलते हिलते पूछा- भाभी, क्या हर औरत मोटा लँड चाहती है?
मैंने कहा- यार, जहाँ तक मुझे लगता है, कि अगर किसी को पता न चले तो हर औरत मन ही मन किसी बड़े और मोटे लँड वाले से ज़रूर चुदवाना चाहती है, बस मौका मिलना चाहिए। ये सब छोड़ो और अब तो तुम बस मुझे जी भर के ज़ोर ज़ोर से चोदो।
यह सुन कर पवन अपना लँड मेरी रसदार चूत में अँदर-बाहर करने लगा।
मैं भी अपने चूतड़ उठा-उठा कर चुदाई का मज़ा लेने में लग गई।
पवन ने मेरे होंठ अपने होंठों में दबा लिए और चूसने लगा। साथ ही अपने एक हाथ से वह मेरे मम्मों और चूचियों को मसले जा रहा था। मेरे मुँह से तो ईऽऽस्स ईऽऽस्स की आवाजें निकलने लगी थीं।
मैं बोली- पवन, प्लीज़ ऐसे ही चोदो और चोदते जाओ, रुकना मत, बोऽऽऽहोऽऽऽत अच्छा लग रहा है, ओह माँ … मम्मी … ये क्या हो रहा है।
पवन मस्त होकर अपना लँड मेरी चूत में कड़छी की तरह हिलाने लगा। मैं भी नीचे से अपनी कमर हिला हिला के दनादन शॉट मारने लगी। दीवान तो झूले की तरह हिल रहा था।
मैंने अपनी टाँगें उठाकर पवन की कमर पर लपेट लीं और अपनी चूत ऊपर कर के किसी कुतिया की तरह उसके लँड को अँदर दबोच लिया। फिर मैंने मुँह की तरह ही अपनी चूत से उसके लँड को चूसना शुरू कर दिया।
पवन भी बड़बड़ाता हुआ गचागच अपना लँड मेरी चूत में पेल रहा था- ‘ले रीना ले, आज तो तेरी फाड़ डालूंगा’।
मेरे सिर पर तो चुदाई का भूत सवार हो चुका था और अब मैं सारी लाज शरम छोड़ कर किसी रंडी के जैसे चोदने-चुदवाने में लगी हुई थी। पूरा कमरा हमारी चुदाई के संगीत से गूंजने लगा था।
काफी देर तक ऐसी ठुकाई के बाद मेरे बदन में बिजलियाँ दौड़ने लगीं और मैंने पवन को जोर से जकड़ लिया अपनी चूत जोर-जोर से ऊपर-नीचे करने लगी। पवन भांप गया कि मैं अब झड़ने वाली हूँ और उसने फटाफट मेरी एक चूची अपने मुँह में ले ली और उसे चूसने लगा।
मैं बोली- पवन, लगता है तुम तो आज मुझे मार ही डालोगे। इतना सुख मुझे कभी नहीं मिला, लग रहा है कि चूत में आग लगी हुई है।
पवन बोला- भाभी, मेरे लँड में भी झुनझुनी हो रही है, और बदन में तो लगता है चींटियाँ रेंग रही हैं।
पवन ने चुदाई की स्पीड बहुत तेज़ कर दी।
मेरी चूत और सारा बदन उत्तेजना से अकड़ने लगा और अचानक मैं चिल्ला उठी- हाय, मैं मरी … … प्लीज़ … मेरी फाड़ दो न… अपना लँड मेरे पेट तक घुसेड़ दो। हो सके तो मेरी गाँड़ भी फाड़ दो। हे रामऽऽऽऽ, आऽऽह, मैं तो ये गईऽऽऽ मम्मी … … पवनऽऽऽ तुम भी आ जाओ नऽऽ … …
और मैं टाँगे फैला के झटके मार मार के झड़ने लगी।
पवन का बदन भी अकड़ गया था और उसने अपना लँड मेरी चूत में जड़ तक घुसा कर पिचकारियाँ मारनी शुरू कर दीं और सारा माल मेरे अँदर उड़ेल दिया।
मैंने एक हाथ से उसके टट्टे पकड़ के निचोड़ डाले।
मेरी चूत तो लबालब भर गई थी और दोनों का रस मिल कर बहने लगा।
हम दोनों पसीने से तर हो चुके थे और काफी देर इसी तरह लँड-चूत का संगम किए लेटे रहे।
इतनी ज़बर्दस्त चुदाई से दोनों निढाल हो गए थे, पर ऐसा लग रहा था कि हम स्वर्ग में हैं।
मैंने पवन को प्यार से चूमा और बोली- आज मैं पूरी औरत हो गई हूँ। तुम्हारी खटियातोड़ रगड़ाई ने मेरी चूत को सही में चुदाई का मतलब सिखा दिया है। थैन्क्स ए लॉट यार ।
पवन भी प्यार से मेरे मम्मे और सारा बदन सहलाने लगा और उस रात हम यूँ ही बाहों में बाहें डाले नंगे ही सो गए।
पवन यहाँ दो दिन के लिए आया था पर मैंने उसे अभी तक रोक रखा है और हम दोनों अपनी जवानी का भरपूर मज़ा ले रहे हैं।
कामसूत्र के करीब करीब सारे आसन भी आज़मा डाले हैं।
पवन के ऊपर चढ़ कर चोदने में तो सच इतना मज़ा आया कि क्या बताऊँ।
पर कल मेरे पति आने वाले हैं और पवन उनसे मिल कर निकल जाएगा। तब क्या होगा? मैं सोचना भी नहीं चाहती … … ये तो पक्का है कि आज की रात कयामत की रात होगी … …

मेरी नई नई मीना भाभी

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प्रेषक : लकी

मेरा नाम लक्की है, मैं आपके सामने अपनी पहली कहानी पेश करने जा रहा हूँ। सबसे पहले मैं गुरूजी का धन्यवाद करता हूँ जिन्होंने मेरी कहानी को समझा और अन्तर्वासना के माध्यम से आप लोगों तक पहुँचाया और उन फड़कती हुई चूतों को भी मेरा सलाम जो हमेशा किसी लण्ड की तलाश में रहती हैं। चूतें हमेशा चुदने के लिए होती हैं !
दोस्तो, बात उस वक्त की है जब मेरे बड़े भाई की नई-नई शादी हुई थी। जब मैंने पहली बार भाभी को देखा तो मैं उन्हें देखता ही रह गया। मेरी भाभी का फीगर 36-28-36 है। वो बहुत ज्यादा सैक्सी लगती हैं। लेकिन कुछ करने की हिम्मत नहीं हुई। सभी मेहमान शादी के एक-दो दिन तक सभी जा चुके थे। लेकिन मेरी चचेरी बहन नहीं गई थी।
भाभी और मैं आपस में बातें करने लगे। ऐसे ही एक महीना निकल गया। मैं नहीं जानता था कि भाभी भी मुझे पहले दिन से ही पसन्द करने लगी थी। यह भाभी ने मुझे बाद में बताया था।
सर्दी का मौसम था, काफी ठंड थी ! एक दिन वो बीमार पड़ गई। करीब दो हफ़्ते तक मैं उन्हें दवा दिलाने ले जाता रहा। एक दिन अचानक घर पर मेहमान आ गए।
तो जगह कम होने के कारण मैं, भाभी और मेरा छोटा भाई एक साथ सो गए। रात एक बजे मेरी आँख खुली तो मैंने देखा कि भाभी को ठंड लग रही थी।
मैंने भाभी से पूछा- क्या हुआ भाभी? आप इतना कांप क्यों रही हैं?
भाभी ने कहा- मुझे ठंड लग रही है।
तो मैंने अपनी रजाई भी उन्हें औढ़ा दी और मैं भी उनके साथ ही सो गया। अचानक उन्होंने अपना सर मेरी बाजू पर रख दिया। मेरी तो मानो मन की मुराद ही पूरी हो गई। लेकिन आगे कुछ नहीं कर पाया। इसी तरह दो हफ़्ते निकल गए।
मेरी चचेरी बहन अब जा चुकी थी। एक दिन घर पर कोई नहीं था। मैं और मेरी भाभी बातें कर रहे थे।
मैंने भाभी से पूछा- भाभी, शादी से पहले आपकी फ्रेंडशिप थी?
भाभी ने कहा- नहीं !
तभी भाभी ने कहा- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है?
तो मैंने कहा- है !
तो उन्होंने कहा- तुम उससे मिले भी हो या फ़ोन पर ही बात करते हो?
मैंने कहा- मिल ही नहीं चुका हूँ, मैं कई बार उसके साथ कर भी चुका हूँ !
तभी भाभी बोली- क्या कर चुके हो?
मैं थोड़ा शरमाया।
भाभी बोली- बोलिए ना !
मैंने कहा- मैं सेक्स की बात कर रहा हूँ।
भाभी ने कहा- तुम तो बहुत शैतान हो ! मैं तो तुम्हें बहुत शरीफ समझती थी।
भाभी के ऐसा कहने पर मुझे बहुत शरम महसूस हुई। तभी भाभी नहाने के लिए चली गई । कुछ देर बाद मुझे भाभी के चिल्लाने की आवाज सुनाई दी तो मैंने दरवाजे के पास जाकर भाभी से कहा- क्या हुआ भाभी?
भाभी ने कहा- मैं गिर गई हूँ।
उन्होंने कहा- मुझसे तो हिला भी नहीं जा रहा !
तब मैंने कहा- मैं अंदर आता हूँ !
जैसे ही मैं अंदर गया, मैंने देखा तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गई। भाभी उस वक्त सिएफ़ पैंटी और ब्रा में ही थी और फर्श पर पड़ी थी।
मैं भाभी के पास गया और उन्हें सहारा दे कर उठाने लगा, लेकिन उनसे तो हिला ही नहीं जा रहा था। मैंने उन्हें गोद में उठाया और बैडरूम में ले गया।
मेरे सीने से चिपकने के कारण उन्हें मेरे शरीर की गंध आने लगी, जिस कारण वासना उनकी आँखों में चमकने लगी। मैंने मौके का फायदा उठाते हुए कहा- मैं तेल से आपकी मालिश कर देता हूँ।
भाभी ने कहा- मैं खुद कर लूंगी !
तो मैंने कहा- एक बार मैं कर देता हूँ, दोबारा आप खुद कर लेना !
तो भाभी ने कहा- ठीक है।
मैं तुरंत तेल ले आया और उनकी टांग पर तेल लगा कर मालिश करने लगा। उन्होंने अपनी आँखें बंद कर ली थी। मैं उनकी जांघों तक उन्हें मसलने लगा। कुछ देर में मैं उत्तेजित होने लगा, मेरा लंड पाजामे में ही खड़ा हुआ साफ नजर आने लगा।
मैं अपने काम में लगा था कि मुझे अपने लंड पर कुछ महसूस हुआ। मैंने देखा कि भाभी मेरे लंड को पाजामे के ऊपर से ही सहला रही थी। मुझे कुछ समझ में नहीं आया। शायद वो मेरे हाथों के अपनी जांघों पर घर्षण के कारण गरम हो चुकी थी। मैं भी मौका न गंवाते हुए मैं उनके ऊपर चढ़ गया और अपने होंठ उनके होंठों पर रख कर फ्रेंच किस करने लगा। वो भी मेरा साथ दे रही थी।
इस बीच उन्होंने मेरे कपड़े उतार दिए और मैंने उनकी पैंटी और ब्रा निकाल दी और मैं उनके चूचों को बड़ी बेरहमी से दबा रहा था और चूम रहा था। भाभी बिना कुछ बोले सिसकारियाँ लेती रही। फिर मैंने बिना कुछ कहे अपना लंड उनके मुँह के पास कर दिया और उन्होंने झट से मेरे लंड को मुँह में ले लिया। वो अपने मुँह से मुझे चोदने लगी।
कुछ देर बाद मैंने लंड उनके मुँह से बाहर खींचा और फिर से उनके ऊपर चढ़ कर लंड का सुपाड़ा उनकी चूत के मुँह पर रखा। ऐसे लग रहा था जैसे आग की भट्ठी हो। मैंने पहला झटका मारा, मेरा लंड चार इन्च अंदर चला गया। दोस्तो, मैं आपको अपने लंड के बारे में तो बताना भूल ही गया, तो दोस्तो, मेरे लंड का साइज नौ इन्च का है।
मीना भाभी को बहुत दर्द हो रहा था। मैं कुछ देर ऐसे ही रहा। उनके होंटों को फिर से मैंने अपने होंटों से चिपका लिया और उन्हें चूमता रहा। अब उनका दर्द खत्म हो चुका था। मौका पाते ही मैंने एक जोरदार झटका मारा, मेरा पूरा का पूरा लंड उनकी चूत में समा चुका था।
उनकी चीख मेरे मुँह में ही दब कर रह गई। उनकी आँखों में आंसू थे। कुछ देर तक मैं ऐसे ही रुका रहा और उन्हें चूमता रहा और एक हाथ से उनके स्तन और दूसरे हाथ से उनके बड़े-बड़े चूतड़ों को सहलाता रहा। कुछ देर बाद भाभी सामान्य हो गई और चुदाई का मजा लेने लगी तो मैंने एक ही बार में पूरा लंड बाहर खींचा और फ़िर से पेल दिया। आधे घंटे की जोरदार चुदाई में भाभी चार बार झड़ चुकी थी और मैं झड़ने वाला था।
मैंने भाभी से कहा- भाभी, मैं झड़ने वाला हूँ ! बाहर निकालूं ?
भाभी ने कहा- नहीं अंदर ही झाड़ दो !
और दो-चार जोरदार झटकों के बाद हम दोनों एक साथ झड़ने लगे और भाभी मेरे होंठों को चूमने लगी।
इसके बाद मैं रोज मौका देख कर भाभी को चादता था। अब जब भाभी मां बनने वाली है, भाभी वो बच्चा मेरा ही बताती हैं।
दोस्तो, आपको मेरी आप बीती कहानी के रूप में कैसी लगी, मुझे जरूर लिखें !

भाभी और उसकी बहन मीनाक्षी की जयपुर में चुदाई-2

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प्रेषक : रोहित खण्डेलवाल

दोस्तो, आपके बहुत सारे मेल मिले ! मुझे ख़ुशी हुई कि सबको मेरी कहानी पसंद आई … गुरूजी को धन्यवाद जिन्होंने मेरी कहानी आप लोगों तक पहुँचाई ….
आपका रोहित फिर से अपनी मस्त सी भाभी और उसकी बहन को एक साथ चोदने वाली कहानी अन्तर्वासना के माध्यम से लेकर आया है।
भाभी की डिलीवरी के कुछ दिन बाद उसकी बहन मीनाक्षी अपने घर चली गई।
फिर कुछ दिनों बाद मैं फिर से भाभी को चोदने लगा। मैंने भाभी को अब नए ढंग से चोदना शुरु किया, मैं रोज़ नई-नई ब्लू फिल्म लाता, जिसमें अलग-अलग स्टाइल से चुदाई होती। हम उन्हीं नए-नए स्टाइल से सेक्स किया करते …
मैंने भाभी को घोड़ी बना कर गांड मारी, उसे गोद में उठाकर फास्ट स्पीड में चुदाई की ….
एक बार मैं शहद लाया और उसे भाभी के वक्ष, गांड और चूत में लगा कर स्तनों को चूसा, चूत में जीभ डाल कर खूब मस्ती की ! इससे सेक्स का मजा दोगुना हो गया।
भाभी ने भी मेरे लंड पर बहुत सारा शहद लगा कर २० मिनट तक मुँह में लिया। क्या तो मजा आया दोस्तो ! आप भी ऐसे करके देखें ! बड़ा मजा आएगा।
जब मैं भाभी को चोदता, तब मीनाक्षी (भाभी की बहन) के बारे में सोचता क्योंकि वो बहुत मस्त थी और भाभी को चोदता-चोदता बोर हो गया था, जैसे शादीशुदा लोग अपनी बीवी से बोर हो जाते हैं …
मैं भाभी से पूछता- मीनाक्षी कब आएगी?
तो बोलती- मैं तो कभी नहीं बुलाऊँगी ! उसने मेरा रोहित मुझसे छीन लिया … तुम सिर्फ मुझे ही चोदेंगे…
मुझे बड़ा गुस्सा आया और मैं बोला- अब मैं तुझे तब ही चोदूँगा जब तू अपनी बहन को बुलाएगी…
कुछ दिन चूत में लंड नहीं डालने पर वो बहुत परेशान हो गई …
कुछ दिन बाद मेरे घर आ कर बोली- देख रोहित ! मैं मीनाक्षी को बुला दूंगी पर उसे यह कभी पता नहीं चलना चाहिए कि तुम मुझे भी चोदते हो …
मैं बोला- वादा करता हूँ ! मैं तो कभी नहीं बताऊँगा।
फिर चलो अभी मुझे चोदो ..
मैं बोला- अभी घर में मम्मी है ….
तो बोली- दस मिनट में मेरे घर आ जाना !
मैं बोला- ठीक है ! आ जाउगा…
फिर दस मिनट बाद मैं भाभी के घर पंहुचा और खूब चुदाई की …
काफी दिन बाद सेक्स कर रहा था ना इसलिए बहुत शक्ति के साथ चोदा … मुस्कान (भाभी) ने भी अच्छा साथ दिया … मजा आ गया दोस्तो …
भाभी ने फ़ोन करके अपनी बहन को बुला लिया …
मैं बहुत खुश हुआ…
मैंने आते ही उसे गले लगा लिया …. और चूमना शुरु कर दिया …
बड़ा मजा आया ..
फिर हमने बातें करना शुरू कर दिया ..
मैंने बाते करते हुए उसके हाथ में मोबाइल देखा और बोला- मोबाइल भी ले लिया और नंबर भी नहीं दिया…?
बोली- सॉरी यार …
अब तो दो नंबर…
बोली नोट करो- 98********
अब तो हम रोज़ मोबाइल पर भी बात किया करेंगे ….
दो दिन बाद हमारे घर पर कोई नहीं था, हमने चुदाई की योजना बनाई …
वो उस दिन कपड़ों के अन्दर बिना पैंटी-ब्रा के आई …
उसे देखते ही लंड खड़ा हो गया …
फिर हमने चूमा-चाटी करना शुरू किया…
मैंने चूमते-चूमते ही उसकी जींस खोल दी …
और पैंटी नहीं होने से चूत में ऊँगली डाल कर घुमाने लगा … चुम्बन के साथ चूत में ऊँगली होने से मीनाक्षी सीसकारने लगी- अऽऽ आहऽऽ रोहितऽऽ बड़ा मजा आ रहा है ! ऐसे ही करो…
फिर मैंने उसकी गांड पर हाथ लगा कर हाथों में उठा लिया, नंगी गांड को मसलने लगा, उसकी नंगी चूत मेरे जींस के अन्दर खड़े लंड से अड़ रही थी, बड़ा मजा आ रहा था …. जब उसकी चूत से छू जाता ….
अब मुझ से रहा नहीं जा रहा था… मैं बोला- यार, अब चुचियों को भी मुँह में लेने दो…
बोली- जानू ! मैंने कब मना किया ! मेरा पूरा शरीर अब तुम्हारा ही तो है ! जैसा चाहो, वैसा करो ! मैं नहीं रोकूँगी…
मैंने कहा- अच्छी बात है ..
फिर मैंने उसे पूरा नंगा किया और स्तनों को दबाने लगा, वो आहे भरने लगी- अह्ह्ह अह्ह्ह ! मजा आ गया रोहित ! यार, तुम्हारे हाथों में सच में कुछ जादू है… मैंने तीन लड़कों से चुदाई की लेकिन तुम ही सबसे मस्त लगे…
मैं बोला- जान, अभी देखना ! पिछली बार से भी ज्यादा मजा आएगा … बस तुम मेरा साथ दो !
फिर मैं रसोई में गया और शहद लेकर आया, जिस तरह मैंने भाभी के वक्ष, गांड और चूत पर लगा कर चाटा था, वैसे ही इसके साथ किया….
इसके साथ तो भाभी से भी ज्यादा मजा आया …
मैंने बारी-बारी से पहले स्तनों पर शहद लगा कर चूसा, फिर चूत में ढेर सारा शहद डाला और अपने मुँह से चाटने लगा। क्या मजा आया दोस्तो ! वाह … मीठी मीठी चूत का स्वाद ही अलग लगता है… तुम भी करके देखना…
फिर उसने मेरे लंड पर शहद लगाया और चाटने लगी। क्या तो मस्त लग रहा था…
मीनाक्षी बोली- यार तुम तो नए-नए तरीकों से सेक्स करते हो ! बड़ा मजा आ रहा है …
फिर मैंने उसकी चूत में अपना 7.5 इंच लम्बा लंड बड़ी तेजी से घुसाया …
उसने एक बार आह किया …. फिर सामान्य हो गई… फिर मैंने स्पीड से उसे चोदना शुरू कर दिया वो भी मेरा साथ दे रही थी…. अपनी गांड को हिला-हिला कर चुदाई को और मस्त कर रही थी …
मैं बीच बीच में उसके स्तनों को दबा देता, मुँह में ले लेता….साथ में चूमा-चाटी भी कर रहा था …
चोदते हुए चुम्बन में बड़ा मजा आया … सच में लग रहा थे जैसे जन्नत में पहुँच गया हूँ …
हमने उस दिन जी भर चुदाई की…
हर नये स्टाइल से चोदा उसे …
दो घंटे में तीन बार चुदाई करने के बाद हम कपड़े पहन कर लॉन्ग-ड्राइव पर निकल गए …
फिर हमने कई बार चुदाई की…
भाभी को भी चुदाने का मन करता … लेकिन मीनाक्षी हमेशा घर में रहती, जिस कारण वो नहीं चुदा पाती थी ….
एक दिन मीनाक्षी किसी काम से बाहर गई तो मैंने भाभी की बीस दिन की सेक्स की भूख शांत की…
बड़ा मजा आया बीस दिन बाद भाभी को चोदने में..
फिर कुछ दिन बाद भाभी को फिर चुदवाने की इच्छा होने लगी..
मैंने मना कर दिया- मीनाक्षी घर पर है….
शाम को जब मीनाक्षी रसोई में खाना बना रही थी, तब भाभी मुझे अपने बेडरूम में ले गई और बोली- रोहित, यार आज तो चोदो मुझे ..
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मैं बोला- मीनाक्षी ?
बोली- वो तो रसोई में है ! 20-25 मिनट में आयेगी, तब तक हमारा काम हो जायेगा …
भाभी ने दरवाज़े की कुण्डी लगाई और मेरे ऊपर लिपट गई …
मैंने चूमना शुरू किया तो बोली- रंडवे, पहले मेरी चूत की प्यास बुझा ! बाकी काम बाद में करना…
मैंने सीधे भाभी की साड़ी को उतारा और पेटीकोट को ऊपर करके अपना लंड चूत में घुसाने लगा … मेरा लंड उसकी चूत में आसानी से जा घुसा … बहुत फास्ट स्पीड में चुदाई कर रहा था कि अचानक गेट पर मीनाक्षी की आवाज आई- दीदी क्या कर रही हो…? और रोहित कहाँ गया बिना बताये …? हम दोनों डर गए ..
मैं बोला- अब हमे इसे सब कुछ बता देना चाहिए …
भाभी कुछ देर सोच कर बोली- ठीक है ! इस तरह मैं कभी भी चुदा तो सकूँगी…
फिर हम दोनों चूत में लंड डाले ही गेट खोलने चल पड़े…
गेट खोलते ही मीनाक्षी चौंक पड़ी, बोली- रोहित ! दीदी ! तुम दोनों एक साथ चुदाई करते हो…?
मैं बोला- मैं तो तुम्हारी दीदी को शादी के बाद से ही चोद रहा हूँ क्योंकि तेरा जीजा को नामर्द है…
वो बोली- क्या जीजू ने आज तक तुम्हें नहीं चोदा ? और ये बच्चा भी रोहित, तुम्हारा है…?
भाभी बोली- हाँ, यह रोहित का ही बच्चा है…
मीनाक्षी बोली- तुम धोखेबाज़ हो…
भाभी बोली- नहीं रे ! ये तो मेरे कहने पर ही मुझे चोदता है … मेरी भी तो चुदाने की इच्छा होती है ना…
वो बोली- ठीक है ! लेकिन ये अब हम दोनों को एक साथ चोदेगा…
मैं बोला- तब तो बड़ा मजा आयेगा ! दो दो चूत के साथ ..
फिर मैं मीनाक्षी को चूमने लगा और भाभी मेरा लंड मुँह में लेने लगी … मैंने मीनाक्षी के पूरे कपड़े उतार दिए। अब हम तीनों नंगे थे, मैं मीनाक्षी की चूत चाट रहा था, मीनाक्षी भाभी की चूत चाट रही थी और भाभी के मुँह में मेरा लंड था …
बड़ा मजा आ रहा था इस तरह करने में !
फिर हमने जगह बदल ली ! मैं भाभी की चूत चाटने लगा ! भाभी मीनाक्षी की चूत और … मीनाक्षी ने मेरा लौड़ा मुँह में ले लिया..
दस मिनट बाद भाभी मेरे मुँह में झड़ गई ..मुझे भाभी की चूत का पानी बड़ा मस्त लगा….
फिर मैंने पहले मीनाक्षी को चोदना शुरू किया….
जब मैं चोद रहा था, तब भाभी मीनाक्षी को चुचूक चूस रही थी और मैं भाभी के चूसने लगा …
मीनाक्षी बोली- आज तो बड़ा मजा आ गया जान .. तुम स्पीड और तेज़ करो !
फिर मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी…
करीब बीस मिनट बाद मीनाक्षी झड़ गई…
लेकिन मैं नहीं झड़ा। फिर मैंने भाभी की चूत में अपना 7.5 इंच लम्बा लौड़ा डाल दिया … क्या मजा आया दोस्तो ! दोनों को एक साथ चोदने में…
जब मैं भाभी को चोद रहा था तो मीनाक्षी मुझे किस करने लगी..
15 मिनट बाद मैं झड़ गया तो दोनों लड़ने लगी कि मेरे मुँह में पानी डालो… मैंने पहले मीनाक्षी के मुँह में लंड डाल कर पानी डाला … भाभी अब भी उत्तेजित थी, बोली- रोहित यार चोदो ना …
मैं बोला- पाँच मिनट रुको ..
तब तक तुम दोनों आपस में मस्ती करो…
फिर दोनों बहनें आपस में एक दूसरे की चूत में हाथ डालने लगी…
मैं पाँच मिनट बाद फिर से चोदने आ गया … फिर भाभी को झड़वा कर मीनाक्षी को मस्त चुदाई की.. उस दिन चुदाई में जितना मजा आया उतना फिर कभी नहीं आया … हमने कई बार साथ चुदाई की …. कई बार अलग अलग …
मुझे मेल करके जरुर बताएँ कि आप लोगों को मेरी कहानी कैसी लगी ! मैं इन्तज़ार करुँगा …

भाभी और उसकी बहन को जयपुर में चोदा

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प्रेषक : रोहित खण्डेलवाल

हेलो दोस्तो, मैं आपका दोस्त रोहित जयपुर से फिर अपनी कहानी लेकर आ गया। मुझे आप लोगों के बहुत सारे मेल मिले इसके लिए धन्यवाद। कई लड़कियों ने मेरे साथ चुदाई का ऑफर भी दिया, मैंने तीन लड़कियों की मस्त चुदाई भी की पर उन सबने इस पर कहानी लिखने को मना किया है इसलिए मैं उनका विश्वास नहीं तोड़ूंगा।
चलो अब कहानी की शुरुआत करते हैं…
मैं भाभी को हर रोज़ चोदता ! भैया को भी यह बात पता चल गई जब भाभी को गर्भ हुआ। पहले तो बहुत गुस्सा आया पर वो जल्दी समझ गए कि मुस्कान को भी तो लंड की जरुरत है, जो वो नहीं दे सकते थे।
जब भाभी को बच्चा होने वाला था तब मैं उनके साथ सेक्स नहीं कर पाता तो मुझे बहुत बुरा लगता।
कुछ समय के लिए मीनाक्षी (भाभी की बहन) आई, वो तो भाभी से भी मस्त फिगर वाली थी, देखते ही मेरा लंड खड़ा होने लगा …
मैंने भाभी से कहा- मैं मीनाक्षी की चोदना चाहता हूँ।
तो गुस्सा होती हुई बोली- कमीने पहले मुझे ! फिर मेरी बहन को ? बहुत मस्ती आ रही है? उसकी तो अभी सील भी नहीं खुली होगी और तू उसे चोदना चाहता है? मैं नहीं चोदने दूँगी ! तुम सिर्फ मुझे ही चोदोगे ! समझ गए…?
मुझे इतना गुस्सा आया कि मैं यह कहता हुआ घर आ गया कि अब मैं तुझे भी नहीं चोदूंगा…. देखता हूँ कि कौन तुझे चोदता है…
फिर मैंने भाभी से बातचीत बंद कर दी और मीनाक्षी से दोस्ती कर ली। अब हम दोनों बहुत अच्छे दोस्त बन गए। वो जींस-टॉप में क्या माल लगती थी ! हम दोनों खूब मस्ती करते …
एक दिन हम मार्केट गये, वहाँ वो लेडीज कपड़ो की शॉप पर चली गई। मैं भी उसके साथ गया। वहाँ उसे पैंटी और ब्रा पसंद आ गई, वो पहन कर देखना चाहती थी, ट्राई-रूम में चली गई और कुछ देर बाद मुझे अन्दर आने को आवाज लगाने लगी।
मैं अन्दर गया तो देखता ही रह गया। वो सिर्फ पैंटी और ब्रा में खड़ी थी, पूछने लगी- कैसी लग रही हूँ?
मैंने उसे पीछे से पकड़ते हुए कहा- बहुत मस्त ! इसी में घर चलो न !
वो हँसती हुई बोली- चल बदमाश ! इसमें तो सिर्फ तुम्हारे लिए आऊँगी ! और मुझे किस करते हुए बोली- आई लव यू !
हम दोनों ने दो मिनट तक चूमा, फिर मैंने कहा- यही पैंटी-ब्रा पहन कर चलना !( मतलब नई पैंटी-ब्रा के ऊपर कपड़े पहन कर चलना)
फिर हमने बहुत सारी शोपिंग की और शॉपिंग के बीच-बीच में मैं उसके स्तन दबा देता, लेकिन वो कुछ नहीं बोली। हमें बड़ा मजा आया।
वहाँ से हम सीधे मेरे घर गए जहाँ ताला लगा था। चाबी भाभी के पास थी, मैं चाबी मांगने गया तो बोली- मीनाक्षी कहाँ है?
तो मैं बोला- पहले चाबी ! फिर बताऊँगा !
चाबी लेने के बाद मैं बोला- आज तो हम लोग चुदाई करेंगे ! रोक सको तो रोक लो !
उन्हें बहुत गुस्सा आया पर वो तो कमरे से बाहर भी नहीं निकल सकती थी।
मैंने ताला खोला और हम दोनों अंदर चले गए। दरवाज़ा बंद करते ही मैं उसे गोदी में उठाकर अपने कमरे में ले गया और बेड पर लिटा कर चूमने लगा। वो भी साथ दे रही थी, हमें बड़ा मजा आ रहा था।
मैंने उसका गुलाबी टॉप उतारा और नई ब्रा में से ही उसके स्तन दबाने लगा, वो आहें भरने लगी- ह्य्य्य्य रोहित ! बड़ा मजा आ रहा है !
मैंने उसकी ब्रा उतारी और एक चुचूक को मुँह में चूसने लगा !
बहुत मजा रहा था दोस्तो !
फिर मैं उसकी ब्लू जींस उतारने लगा। उसकी चूत गीली हो चुकी थी, मैं पैंटी में से ही उसकी बालों वाली चूत को सहलाने लगा। सहलाते हुए ही मुझे पता चल गया कि उसकी चूत अभी कुंवारी है, तो मेरा लण्ड और फूलने लगा… और सोचने लगा- यार मैं तो बड़ा किस्मत वाला हूँ ! दो चूत मिली वो भी सील पैक !
अब वो बोली- यार तुम भी तो अपना लौड़ा मेरे मुँह में डालो ! मैं कितनी देर से इन्तज़ार कर रही हूँ !
मैं बोला- जानेमन, अभी आता है मेरा लंड !
और उसे खड़ा करके बोला- चल जान, खोल दे मेरे कपड़े और बुझा अपनी प्यास ….
फिर वो जल्दी जल्दी मेरे कपड़े उतारने लगी। तीन मिनट में मुझे नंगा कर दिया … मेरा ७.५ इंच लम्बा लौड़ा बाहर आ गया …
मीनाक्षी ने आव न देखा ताव ! मेरा लौड़ा मुँह में लेकर चूसने लगी …
क्या तो चूस रही थी ! कसम से बड़ा मजा आ रहा था..
कुछ देर बाद बोली- यार, अब चूत की प्यास बुझाओ !
मैंने धीरे धीरे उसकी चूत में अपना लौड़ा डाला, क्योंकि उसकी सील खोलनी थी, जिसमें बड़ा दर्द होता है… इसलिए मैं पहली बार आराम से ही चुदाई करना चाहता था।
मैंने धीरे-धीरे चोदते हुए पूछा- दर्द हो रहा है?
बोली- ज्यादा नहीं ! जितना सुना था उससे काफी कम ….
कुछ देर में उसकी चूत की सील टूट गई …वो एक बार जोर से चिल्लाई- उई माँ ! मर गई..
फिर बोली- रोहित, अब मजा आ रहा है…स्पीड में चोदो यार !
फिर मैं बहुत तेज़ स्पीड में चोदने लगा। कभी घोड़ी बना कर चोदता तो कभी दोनों हाथों से गोदी में उठा कर चोदता …
हम दोनों को काफी मजा आया। हमने शर्त लगाई- देखते हैं पहले कौन पहले झड़ता है…
25 मिनट हो गए, कोई नहीं झड़ा… कुछ देर बाद मीनाक्षी की चूत गीली हो गई।
मैं बोला- तुम हार गई…
उसे गुस्सा आया और बोली- मैं तुम्हारा पानी नहीं निकलने दूंगी !
और चूत से मेरे लण्ड को निकालती हुई पीछे हट गई…
मैं बोला- यार जब तक मेरा पानी नहीं निकलेगा, सेक्स का मजा कैसे आएगा?
तो बोली- मैं क्या जानूँ ? हाथ से निकाल लो…
मैंने काफी मनाया फिर बोली- पानी मेरे मुँह में डालोगे ?
मैं बोला- ठीक है…
थोड़ी देर चोदने के बाद में झड़ गया … मैंने सारा पानी उसी के मुँह में डाल दिया …
कुछ देर आराम करने के बाद फिर से उसे चोदना शुरू किया कि बेल बज गई।
मैंने जल्दी से कपड़े पहने और मीनाक्षी को को पैंटी ब्रा में ही बेड के नीचे छुपने को कहा, साथ कपड़े भी ले जाने को …
मम्मी आई थी, बोली- क्या कर रहे हो?
मैं बोला- नींद आ रही थी !
शॉपिंग का सामान देख कर बोली- ये सब कौन लाया?
मैं बोला- फ्रेंड का है ! मुझे नींद आ रही थी इसलिए अन्दर नहीं रखा ..
मम्मी थकी हुई थी इसलिए अन्दर चली गई। मैं अन्दर गया और जल्दी से मीनाक्षी को जाकर कपड़े पहनाये और उसके घर भेज दिया।
फिर हमने खूब सेक्स किया … भाभी के बच्चा होने के बाद वो चली गई ..
फिर मुझे भाभी को ही चोदना पड़ा …
एक बार भाभी और मीनाक्षी को एक साथ चोदा !
वो कहानी बाद में !
और … मेरी गर्ल-फ़्रेन्ड के साथ चुदाई भी बताऊँगा…
मेल करते रहना

Bhauja Rani Ku Mitha Gihana

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ନିଶାରେ ନିଶାରେ ମସ୍ଗୁଲ୍ (Nisa Re Nisa Re Masgul)

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ହଷ୍ଟେଲରେ ଜଣେ ଛାତ୍ରୀ ହଠାତ୍ ବେହୋସ୍ ହୋଇପଡ଼ିବା ଦେଖି ଅନ୍ୟମାନେ ଚିନ୍ତାରେ ପଡ଼ିଗଲେ । ରାତି ସାଢ଼େ ଦଶଟା ହେବ ମୋତେ ସେମାନେ ଫୋନ୍ କଲେ । ଗାଡ଼ିନେଇ ହଷ୍ଟେଲ୍ ପାଖରେ ପହଞ୍ଚି ଦେଖିଲା ବେଳକୁ ସତକୁ ସତ ନିଶା ନାମକ ଛାତ୍ରୀ ଜଣକ ବେହୋସ୍ ହୋଇ ପଡ଼ିଥିଲା । ତାକୁ ଉଠାଇ କାରରେ ବସେଇଲି ଆଉ ସିଧା ଚାଲିଲି ହସ୍ପିଟାଲ୍ ଆଡ଼କୁ । ବାଟରେ ସେ ଚେତା ଫେରିପାଇଲା ପରେ ଗାଡ଼ି ଅଟକାଇ ପାଣି ପିଇବାକୁ ଦେଲି ଆଉ ଭଲମନ୍ଦ ବୁଝିଲି । ବେହୋସ୍ କାହିଁକି ହେଇଥିଲ? ଆଗରୁ କେବେ ଏପରି ହୋଇଥିଲା କି ? ଏମିତି ଅନେକ ପ୍ରଶ୍ନ ପଚାରିଲା ପରେ ସେ କାନ୍ଦିପକାଇଲା, କହିଲା, ‘ସାର୍, ମୁଁ ପ୍ରେଗନାଣ୍ଟ୍’।


​ଚମକି ପଡ଼ିଲି । କଣ କହିବି ଭାବିବାକୁ ଘଡ଼ିଏ ସମୟ ଲାଗିଲା । ‘ଆର୍ ୟୁ ସିରିୟସ୍ ? ତୁମ ମୁଣ୍ଡ ଠିକ୍ ଅଛି ତ ? ହାଓ ଇଜ୍ ଦାଟ୍ ପଜିବଲ୍ ?’ସେ କାନ୍ଦ କାନ୍ଦ ହୋଇ କହିଲା, ‘ସାର୍, ମୁଁ ଜାଣି ପାରିଲି ନାହିଁ୤ ଆଉ ଜାଣିବା ପରଠୁଁ ମୋତେ କିଛି ବୁଦ୍ଧିବାଟ ଦିଶୁନି ।ପନ୍ଦରଦିନ ହେଲାଣି ପିରିୟଡ଼୍ ହୋଇନି, ତେଣୁ ଚିନ୍ତାରେ ଏମିତି ହୋଇଗଲିଣି’- ‘କୌଣସି ଡ଼ାକ୍ତରଙ୍କୁ ଦେଖାଇଚ ?’- ‘ନାଇଁ ସାର । କାଳେ କିଏ ଡ଼ାଉଟ୍ କରିବ ବୋଲି କିଛି କହିନି କି କରିନି’ ।- ‘ଏବେ କଣ କରିବ କିଛି ଚିନ୍ତା କରିଛ ?’- ‘ନାଇଁ ସାର୍ । ଆପଣ ଯାହା କହିବେ । ମୁଁ କରିବି ସାର୍ ।

ମୋତେ ହେଲ୍‌ପ୍ କରନ୍ତୁ ସାର୍ ନହେଲେ ମୁଁ ମରିଯିବି ।ଆମ ଘରେ ଜାଣିଲେ ବାପା ମୋତେ ମାରିଦେବେ ସାର୍ । ବଡ଼ ଅସୁବିଧାରେ ପଡ଼ିଗଲି । କହିଲି, ‘ହଉ ଠିକ୍ ଅଛି । ଯଦି ମୋ କଥା ମାନିବାକୁ ରାଜି ତ ଚାଲ ମୋ ସାଙ୍ଗରେ ଏବେ ତୁମ ପ୍ରବ୍ଲେମ୍‌କୁ ସମାଧାନ୍ କରିବା’ । ଗାଡ଼ି ବୁଲାଇ ଚାଲିଲି, ମୋର ଶିକ୍ଷକ ଡ଼ା ପଣ୍ଡାଙ୍କ ଘରକୁ । ସେ ସ୍ତ୍ରୀରୋଗ ବିଶେଷଜ୍ଞ, ତେଣୁ ସେ ନିଶ୍ଚୟ ସାହାଯ୍ୟ କରିବେ ଏଇ ଆଶାଥିଲା । ଆଉ ଅଧଘଣ୍ଟାଏ ଭିତରେ ସେ ୱାସ୍ କରିଦେଲେ ମଧ୍ୟ ।ତା’ପରେ କିଛି ସମୟ ରେଷ୍ଟ କଲାପରେ ନିଶାକୁ ଧରି ହଷ୍ଟେଲ୍ ଆସିଲି । ହଷ୍ଟେଲ୍ ବାହାରେ ଗାଡ଼ିରୁ ଓହ୍ଲାଉ ଓହ୍ଲାଉ ସେ ମୋତେ କହିଲା ‘ସାର୍, ଆପଣ ମୋ ଜୀବନ ରଖିଦେଲେ’ ।

ପରଦିନ କଲେଜରେ ନିଶାକୁ ଦେଖିଲିନାହିଁ, ପଚାରିବା ପରେ ତା ହଷ୍ଟେଲରେ ରହୁଥିବା ଝିଅମାନେ କହିଲେ ସେ କାଳେ ଗାଁ କୁ ଚାଲିଗଲା ।ଯା ହେଉ ତା ଦୁଃଖ ଦୁର ହୋଇଗଲା । ହେଲେ ମୋ ମନରେ ସନ୍ଦେହ ଉପୁଜୁଥିଲା ଯେ ନିଶାକୁ ଗର୍ଭବତୀ କରାଇଥିଲା କିଏ । ଉତ୍ତର ବି ମିଳିଗଲା । ତା ସିନିୟର ଜଣେ ଏହି କାଣ୍ଡ କରିଥିଲା ।ସପ୍ତାହକ ପରେ ହଠାତ୍ ଦିନେ ନିଶା ଆସି ମୋ ଚାମ୍ବରରେ ହାଜର ହେଲା । ମୁଠାଏ ଚକଲେଟ୍ ଧରି ଆସିଥିଲା । କହିଲା, ‘ସାର୍ । ଆଜି ମୋ ଜନ୍ମଦିନ । ଆପଣଙ୍କ ଯୋଗୁଁ ମୁଁ ଜନ୍ମଦିନ ପାଳନ କରୁଛି, ନହେଲେ…’ ସେ କଥା ଅସମାପ୍ତ ରଖି ମୋ ଗୋଡ଼ ଛୁଇଁଲା । ପାଖରେ ବସାଇ ତା ସହ କିଛି ସମୟ କଥାବାର୍ତ୍ତା ହେଲି ।

ବୁଝେଇଲି ଯେ ଆଗକୁ ଯେମିତି ଏଇ ଭୁଲ୍ ଆଉଥରେ ନ ହୁଏ । ସେ ମୁଣ୍ଡପୋତି ହଁ କରିଲା ।ତା’ପରେ ନିଶା ନିୟମିତ ମୋ ଚାମ୍ବରକୁ ଆସେ ଗପସପ କରେ, ଏହି ସବୁ ଭିତରେ ମୁଁ ନିଶାପ୍ରତି ଆକୃଷ୍ଟ ହୋଇପଡ଼ିଲି ।ପାତଳୀ ଝିଅଟା, ଗୋରା ଦେହ ଆଉ ସୁନ୍ଦର ମୁହଁ ପ୍ରତି ମୋର ମୋହ ବଢିବାକୁ ଲାଗିଲା । ଏମିତି କଥା ହେଉ ହେଉ ଦିନେ ତାକୁ ତା ଗର୍ଭବତୀ ହେବା ବିଷୟରେ ପଚାରିଲି,ସେ କିଛି ଖରାପ ନ ଭାବି କହିଲା, ଯେ ସେ ତା ସିନିୟର୍ ଯୋଗୁଁ ଏମିତି ଅସୁବିଧାରେ ପଡ଼ିଗଲା । ହସିଦେଇ କହିଲି, ‘ଏଥିରେ ତା’ର ବା ଦୋଷ କଣ? ତୁମେ ତାକୁ ସୁଯୋଗ ଦେଲ ତେଣୁ କଥା ଏତେ ଦୁରକୁ ଗଲା, ସେ କଣ ନିଜ ଇଚ୍ଛାରେ ତୁମକୁ ଗର୍ଭବତୀ କରିଦେଲା?’ ସେ ଚୁପ୍ ଥିଲା ।କହିଲା, ‘ସାର୍ ସମସ୍ତେ କରୁଛନ���ତି ବୋଲି ମୁଁ ବି କରିବାକୁ ହଁ କରିଦେଲି, ହେଲେ ମୋ ଭାଗ୍ୟ ଖରାପ୍ ଥିଲା’ ।
କଲେଜ୍‌ରେ ବାର୍ଷିକ ଉତ୍ସବ ଚାଲୁଥିବା ସମୟରେ ନିଶା ମୋ ପାଖକୁ ବାରମ୍ବାର୍ ଆସୁଥିଲା । ମୁଁ ତାକୁ ଗାଇଡ଼୍ କରୁଥିଲି, ବିଭିନ୍ନ ପ୍ରୋଜେକ୍ଟ୍ ପାଇଁ । ଯେଉଁଦିନ ରାତିରେ ଫଙ୍କ୍‌ସନ୍ ଥିଲା ସେଦିନ ସନ୍ଧ୍ୟାରୁ ମୁଁ ବିଭିନ୍ନ୍ କାର୍ଯ୍ୟକ୍ରମରେ ବ୍ୟସ୍ତଥିଲି ।ସନ୍ଧ୍ୟାରେ ପ୍ରୋଗ୍ରାମ୍ ସବୁ ବଢ଼ିଆ ହେଲା । ତା’ପରେ ଡ଼ିନର୍ ସାରିଦେଲା ପରେ ଅର୍କେଷ୍ଟ୍ରା ଥିଲା । ମୁଁ ଚୁପଚାପ୍ ନିଜ ଚାମ୍ବରକୁ ଆସିଗଲି । ସନ୍ଧ୍ୟାରୁ କାମ କରି କରି ବିରକ୍ତ ଲାଗୁଥିଲା । କଲେଜର କରିଡ଼ର୍ ପୁରା ଅନ୍ଧାର, ମୋ ଚାମ୍ବର କରିଡ଼ରର ଗୋଟିଏ ପାଖରେ ଥିଲା । ରୁମରେ ପହଞ୍ଚିବାର କିଛି ସମୟ ପରେ କବାଟରେ କିଏ ଜଣେ ନକ୍ କଲା । କବାଟ୍ ଖୋଲି ଦେଖିବାବେଳକୁ ନିଶା ।

ଭିତରକୁ ଆସିବା ପରେ ଏମିତି କଥା ହେଉ ହେଉ କହିଲା, ‘ସାର୍ ।ରମେଶଭାଇ ମୋତେ ପ୍ରୋପୋଜ୍ କରୁଛନ୍ତି, ମୁଁ କଣ କରିବି ?’ ମୁଁ ହସିଦେଇ କହିଲି, ‘ତୁମକୁ ପ୍ରପୋଜ୍ କରୁଛନ୍ତି, ତୁମେ ଭାବି ଦେଖ, ମୋର ସେଥିରେ କଣ କହିବା ଉଚିତ୍ ହେବ?’ ସେ ସାମାନ୍ୟ୍ ଚୁପ୍ ରହି କହିଲା, ‘ସାର୍, ମୋ ସହ ଯାହା ବି ହେଇଥିଲା, ସେ ସବୁ ମୋର ଦୋଷ । ମୁଁ ମନା କରିଦେଇଥିଲେ କଣ କଥା ଏତେ ଦୁରକୁ ଯାଇଥାନ୍ତା ?ସତ କହିବି ସାର୍, ମୁଁ ନିଜେ ହିଁ …’ ସେ ଚୁପ୍ ହେଇଗଲା ।ମୁଁ ତା ମୁହ୍ଁକୁ ଦେଖୁଥିଲି, ସେ ଲାଜେଇ ଯାଇ କହିଲା, ‘ମୋତେ ସେକ୍ସ୍ କରିବାକୁ ବହୁତ୍ ଇଚ୍ଛା ହେଉଥିଲା, ତେଣୁ ମୁଁ ବାଧ୍ୟ କରିଥିଲି’ ।ସାଢ଼େ ଦଶଟା ହେବଣି ।

 କଲେଜ ପଡ଼ିଆରେ ଅର୍କେଷ୍ଟ୍ରା ଚାଲିଛି । କଲେଜ ଭିତରଟା ଫାଙ୍କା । ମୋ ରୁମରେ ମୁଁ ଆଊ ନିଶା । ସେ ମୋତେ ଚାହିଁଲା । ମୁଁ ନିର୍ବାକ୍ ।- ‘ସାର୍ । ମୁଁ କଣ କରିବି କହୁନାହାନ୍ତି ।’ ସେ ପଚାରୁଥିଲା ।- ‘ଯାଅ, ତୁମର ଯାହା ଇଛା ହେଉଛି କର । କିନ୍ତୁ ସାବଧାନ ଥିବ ଗତଥର ପରି ଯେପରି ଭୁଲ ଏଥର ନ କର’ ।ସେ ସେମିତି ଠିଆ ହୋଇଥିଲା, ମୁଁ ନିର୍ବାକ ଚେୟାର୍ ଉପରେ ବସି କଂପ୍ୟୁଟରଟାକୁ ଅନ୍ କରୁଥିଲି । ସେ ରୁମରୁ ବାହାରି ଚାଲିଗଲା । ମୁଁ କଂପ୍ୟୁଟରରେ ସେକ୍ସ ମୁଭି ଗୋଟେ ଲଗେଇଦେଲି । ଠିକ୍ ନିଶାପରି ଗୋରି ଝିଅଟିଏ ଗୋଟିଏ ପୁଅ ସହିତ ସେକ୍ସରେ ବ୍ୟସ୍ତ ।ଦେଖୁ ଦେଖୁ କେତେବେଳେ ମୁଁ ନିଶାର ଖିଆଲରେ ହଜିଗଲି ।
ହଠାତ୍ ନିଶାର ସ୍ବରରେ ଚେତା ଫେରିପାଇଲା ବେଳକୁ ନିଶା ମୋ ପାଖରେ ଠିଆ ହୋଇଛି ।କଂପ୍ୟୁଟରରେ ସେକ୍ସ ମୋଭି ଚାଳିଛି୤ ନିଶା ଆଁ କରି ମୁଭି ଦେଖୁଛି ।ମୁଁ ତରବରରେ କଂପ୍ୟୁଟରକୁ ବନ୍ଦ କରିଦେଲି । ନିଶାକୁ ସିଧା ଆଖିରେ ଚାହିଁବା ସମ୍ଭବ ନଥିଲା ।

 ପଚାରିଲି, ‘କଣ ହେଲା?’- ‘ସାର୍ । …’ ସେ ବି କିଛି କହିପାରୁନଥିଲା । ମୁଁ ସିଟରୁ ଉଠି ଠିଆହେଲି । କଂପ୍ୟୁଟରକୁ ବନ୍ଦ କରିଦେଇ ରୁମରୁ ବାହାରି ଯିବି ବୋଲି ଭାବୁଥିଲି, ନିଶା ମୋତେ ଭିଡି ଧରିଲା ।ଆଉ ମୁଁ କିଛି ଭାବିବା ପୂର୍ବରୁ ସେ ମୋ ଓଠରେ ନିଜ ଓଠ ଲଗେଇ ସାରିଥିଲା । ମୋ ହାତକୁ ଟାଣି ନେଇ ନିଜ ଛାତି ଉପରେ ରଖିଦେଇ ଉପରୁ ଚିପିବାକୁ ଲାଗିଲା ।ଅପ୍ରତ୍ୟାଶିତ ଭାବରେ ଏ ସବୁ ଘଟିଗଲା । ମୁଁ ନିଜକୁ ମୁକୁଳେଇବା ପୂର୍ବରୁ ସେ ମୋ ଓଠକୁ ଖେଲି ଦେଇ ତା ଜିଭକୁ ମୋ ପାଟିରେ ପୁରେଇଦେଇ ଥିଲା । ମୁଁ ବି କିଂକତ୍ତବ୍ୟବିମୁଢ଼ ହୋଇଗଲି ।ମୋ ହାତ ତା ଛାତିରେ ଉଠିଥିବା ୩୨ ସାଇଜର ଦୁଧକୁ ଚିପୁଡ଼ିବାକୁ ଲାଗିଲେ । ତା’କୁ ସେମିତି ଜାବୁଡ଼ି ଧରି କବାଟ ପାଖକୁ ଗଲି ଆଉ କବାଟକୁ ଭିତରପଟୁ ବନ୍ଦ କରିଦେଲି, ଭିତରର ଲାଇଟ୍ ଲିଭେଇଦେଲି ।ଏବ ଅନ୍ଧାରରେ ଝରକା ଦେଇ ଆସୁଥିବା ସାମାନ୍ୟ ଲାଇଟରେ ନିଶାର ଟପସ୍ ଆଉ ଜିନକୁ ଓହ୍ଲାଇଦେଲି ।

 ଅନ୍ଧାରରେ ତା ଶରୀରକୁ ଦେଖୁଥିଲି ।ତା ପତଳା କଟିକୁ ହାତରେ ଧରି ଉଠେଇ ମୋ ଚେୟାର ଉପରେ ବସେଇଦେଲି ଆଉ ନିଜେ ତଳେ ବସିପଡି ତା ଗୋଡ଼ ଦିଟାକୁ ଅଲଗା କରିଦେଲି ଆଉ ତା ବିଆକୁ ଚାଟିବାକୁ ଲାଗିଲି ସେ ଆଃ ଆଃ କହୁଥିଲା ତା ପ୍ୟାଣ୍ଟିକୁ ମୋ ଲାଳରେ ଓଦା କରିଦେଇ ଓହ୍ଲାଇ ଦେଲି ।ତା ବିଆକୁ ଖୋଲିଦେଇ ମୋ ଜିଭକୁ ଭିତରେ ପୁରେଇ ଯେମିତି ସଲ ସଲ କରିଛି ସେ ଧକ୍କା ଦେଇ ଦେଇ ମୋ ମୁଣ୍ଡକୁ ନିଜ ବିଆ ଉପରେ ଜାବୁଡ଼ି ଧରିଲା । ତା ବିଆକୁ ଚାଟି ଚାଟି ଚୋଷିବାକୁ ଲାଗିଲି । ସେ ଥରିବାଉ ଆରମ୍ଭ କଲା ।ଆଊ କିଛି ସମୟ ମଧ୍ୟରେ ସେ ଝଡ଼ିଗଲା । ତା ବିଆରୁ ପାଣି ବାହାରି ମୋ ରୁମର ତଳକୁ ଓଦା କରିବାକୁ ଲାଗିଲା ।
ମୁଁ ଠିଆହୋଇ ମୋ ପ୍ୟାଣ୍ଟକୁ ତଳକୁ କରିଦେଲି, ମୋ ଠିଆ ହୋଇଥିବା ବାଣ୍ଡକୁ ସେ ହାତରେ ଧରି ଦୁଇ ତିନିଥର ଆଗପଛ କରି ନିଜ ମୁହଁରେ ଦେଇ ଦେଲା । ମୋ ବାଣ୍ଡକୁ ମୂଳରୁ ଚୁଳ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ସେ ଚୋଷି ଚୋଷି ଖାଇବାକୁ ଲାଗିଲା । ଟେବୁଲ ଉପରେ ଥିବା ବହିପତ୍ର ସବୁ ଅଲଗା କରିଦେଇ ନିଶାକୁ ଉଠେଇ ଟେବୁଲ୍ ଉପରେ ଶୁଆଈ ଦେଲି ।ତା ଉପରେ ମୁଁ ହାମୁଡ଼ି ରହିଲି, ସେ ମୋ ବାଣ୍ଡକୁ ଖାଊଥିଲା ଆଊ ମୁଁ ତା ବିଆକୁ ଚୋଷୁଥିଲି । ତା ବିଆ ଆଉଥରେ ପାଣି ପାଣି ହେବାକୁ ଲାଗିଲା ।ମୁଁ ତଳକୁ ଓହ୍ଲାଇଲି, ନିଶାକୁ ଟେବୁଲର କଡକୁ ଟାଣି ଆଣି ମୁଁ ତଳେ ଠିଆହୋଇ ତା ବିଆ ମୁହ୍ଁଅରେ ମୋ ବାଣ୍ଡ ଦେଇ ଧକାଦେଲି, ପାଣିରେ ଭର୍ତ୍ତି ହୋଇଥିବା ଯୋଗୁଁ ମୋ ବାଣ୍ଡ ସହଜରେ ପଶିଗଲା ।ବାସ ତାପରେ ଧକା ଉପରେ ଧକା ଦେଇ ଲାଗିଲି ।ସେ ଆଃ ଆଃ ଉଃ ଊଃ କହୁଥିଲା, ମୁଁ ଠିଆ ହୋଇ ତାକୁ ଗେହୁଁଥିଲି । ସେ ମୁଣ୍ଡ ଏପାଖ ସେପାଖ କରୁଥିଲା ତା ଦୁଧ ଦିଟାକୁ ଚିମୁଟି ଖାଇବାକୁ ଲାଇଲି ସେ ଆଆଆଆଆଃଃଃ ଆଆଆଆଆଃଃଃଃ କହି ଅଣ୍ଟା ଉଠେଇ ଧକ୍କା ମାରିବାକୁ ଲାଗିଲା ।ବାସ୍ ମାତ୍ର କେଇ କ୍ଷଣା ଭିତରେ ସେ ପୁଣିଥରେ ଝଡ଼ିଗଲା ।

 ତା’ପରେ ମୁଁ ମଧ୍ୟ ତାକୁ ଗେହିଁ ଗେହୀଁ ମୋ ବାଣ୍ଡ ରସ ତା ବିଆରେ ଛାଡ଼ିଦେଲି ।ସେସେମିତି ଟେବୁଲ୍ ଉପରେ ଶୋଇଥିଲା । ପାଣି ବୋତଲକୁ ଆଣି ନିଜେ ପିଲି, ସେ ପିଇବାକୁ ଯାଉଥିଲା ମୁଁ ରୁମର ଲାଇଟ୍ ଜଳାଇ ଦେଖିଲି ସେ ବହୁତ୍ ସୁନ୍ଦର । ପୁଣି ଥରେ ଲାଇଟ୍ ଲିଖେଇ ଦେଇ ତାକୁ ଟେବୁଲ୍ ଉପରେ ବସେଇ ଦେଇ ତା ଦୁଧ ତିଟା ସହ ଖେଲିବାକୁ ଲାଗିଲି । ତା ଦୁଧକୁ ଚୋଷି ଚୋଷି ଖାଈବାକୁ ଲାଗିଲି,ସେ ମୋ ଶିଥିଳ ବାଣ୍ଡକୁ ନିଜ ହାତରେ ଧରି ଦଳୁଥିଲା, ଧିରେ ଧିରେ ମୋ ବାଣ୍ଡ ପୁଣିଥରେ ଶିଳପୁଆ ପରି ହୋଇଗଲା ।ତା ବିଆରେ ହାତପୁରେଇ ସଲ ସଲ କରିବାପରେ ପୁଣିଥରେ ତା ବିଆ ଓଦା ହୋଇ ଆସିଲା ।ଟେବୁଲ୍ ପାଖରେ ଠିଆ କରି ତାକୁ ନୁଆଇଁଦେଇ ତା ପଛରୁ ତା ବିଆକୁ ବାଣ୍ଡ ପୁରେଇ ଦେଲି ।
ସେ ଟେବୁଲ୍ ଉପରେ ସେମିତି ନଇଁ ରହିଥାଏ ଆଉ ମୁଂମ୍ ଠିଆ ହୋଇ ତା ବିଆରେ ବାଣ୍ଡ ପୁରେଇ ଧକ୍କା ଦେଇ ଚାଳିଥାଏ । ବହୁତ୍ ବଢିଆ ଲାଗୁଥିଲା । ଜମା ହାଲିଆ ଲାଗୁନଥିଲା । ହେଲେ ଦଶ ମିନିଟ ପରେ ହାଲିଆ ଲାଗିଲା । ମୁଁ ଚେୟାର୍ ଉପରେ ବସି ପଡ଼ିଲି ।

ସେ ମୋ ଉପରେ ବସି ମୋ ବାଣ୍ଡକୁ ତା ବିଆରେ ପୁରେଇ ଦେଲା । ମୁଁ ସେଇମିତି ଥିଲି ସେ ଚେୟାର ଦୁଇପାଖ୍ହରେ ଗୋଡ ରଖି ମୋ ବାଣ୍ଡ ଉପରେ ଡେଇଂ ଡେଇଁ ମୋତେ ଗେହିବାକୁ ଲାଗିଲା ।ନିଶାକୁ ମୋ ଆଡ଼କୁ ମୁହଁ କରାଇ ମୋ କୋଳରେ ବସେଇଲି ଆଊ ଆମ ବାଣ୍ଡ ବିଆ ଯୋଡି ହୋଇଥାନ୍ତି । ସେଇ ଅବସ୍ଥାରେ ତା ଓଠରେ ଓଠ ଛନ୍ଦିଦେଇ ବସିଲି । କିଛି ସମୟ ରେଷ୍ଟ ମିଳିଲା, ତା ଦୁଧକୁ ଚୋଷି ଚୋବେଇ ଚୋବେଇ ଖାଉଥିଲି ।ସାମାନ୍ୟ ହାଲିଆ ମାରିବା ପରେ ପୁଣିଥରେ ନିଶାକୁ ଟେବୁଲ୍ ଉପରେ ଶୁଆଇ ଦେଇ ତା ଉପରେ ଚଢ଼ିଲି ଆଉ ମିସନାରୀ ପୋଜିସନରେ ଗେହିଁବାକୁ ଲାଗ୍ଗିଲି ।

​ତାକୁ ଗେହିଁବା ବେଳେ ତା ଦୁଧକୁ ଜିଭରେ ସଲସଲ କରିବାପରେ ସେ ଅଣ୍ଟା ଉଠଏଇ ଜୋର୍ ଜୋର୍ ଧକ୍କା ମାରିବାକୁ ଲାଗିଲା । ବାସ୍ ତା ବିଆ ଆହୁରି ଓଦା ହୋଇଯାଇଥିଲା ।ମୋ ବାଣ୍ଡର ମାଡରେ ଖାଲି ପଚ୍ ପଚ୍ ଶବ୍ଦ ହେଉଥିଲା । ମୁଁ ଜବରଦସ୍ତ ଧକ୍କା ମାରୁଥିଲି ସେ ଔଃ ଆଃ ବୋଉଲୋ ମାଲୋ ହୋଉଥିଲା ଆଉ ମୋ ମାଡ଼ ଖାଉଥିଲା ।ସେ ଆଉ ସମ୍ଭାଳିପାରିଲା ନାହିଁ, ଦେଖୁ ଦେଖୁ ଓଃ ଆଃ ହେଇ ହେଇ ତା ଦେହଟା ଅବଶ ହୋଇଗଲା ।

 ତା ବିଆଟା ନିର୍ଝରଣୀ ହୋଇଗଲା, ଆଊ ମୋ ବାଣ୍ଡ ଏତେ ସହଜରେ ଭିତରବାହାର ହେଲାଯେ ମୋତେ ସ୍ବର୍ଗ ମିଳିଗଲା ପରି ଲାଗୁଥିଲା । ମୁଁ ବି ଆଉ ଧୈର୍ଯ୍ୟ ଧରି ରହିପାରିଲି ନାହିଁ, ଜୋରଦାର୍ ଧକ୍କା ଦେଇ ମୋ ବାଣ୍ଡରୁ ରସ ତା ବିଆରେ ଛାଡ଼ିଦେଲି ।ତା ବିଆରେ ମୋ ବାଣ୍ଡ ସେଇମିତି ଥାଈ ମୁଁ ତା ଉପରେ ଶୋଇପଡ଼ିଲି । କିଛି ସମୟ ପରେ ଆମେ ଦୁହେଁ ଉଠିଲୁ । ସେ ନିଜକୁ ସଜାଡ଼ିବାକୁ ଲାଗିଲା ।ଟିସୁ ପେପର୍ ବାହାର୍ କରିଦେଲି, ସେ ସଫା ହୋଇଗଲା । ମୁଁ ବି ସଫା ହୋଇଗଲି ।କିଛି ସମୟପରେ ରୁମର ଲାଇଟ୍ ଲଗାଇଲା ବେଳକୁ ସବୁ ସଫା । ଯେମିତି କିଛି ହୋଇନାହିଁ । ଖାଲି ମୋ ରୁମଟା ସେକ୍ସ ସେକ୍ସ ବାସନା କରୁଥିଲା ।ରୁମ୍ ଫ୍ରେସନେର୍ ପକେଇ ଦେଲି ।

 ଘଣ୍ଟାକୁ ଦେଖିଲି, ବାରଟା ବାଜିଲାଣି । ଅର୍କେଷ୍ତ୍ରାର ସାଉଣ୍ଡ ତଥାପି ଶୁଭୁଥିଲା । କହିଲି, କାଲି ମୋତେ କଲେଜରେ ଦେଖା କରିବ, ତୁମକୁ ଆଇ-ପିଲ୍ ଟେ ଦେବି ଖାଇବ୍ଦେବ, କିଛି ଅସୁବିଧା ହେବ ନି ନିଶା ମୋତେ ଗୋଟେ ଗଭୀର ଚୁମ୍ବନ ଦେଇ ଦଉଡ଼ି ପଳାଇଲା ।କିଛି ସମୟ ପରେ ମୁଁ ଭାବୁଥିଲି ଯାହା ସବୁ ଘଟିଗଲା ସବୁ ସତ ଥିଲା ନା ସପ୍ନ? ଅର୍କେଷ୍ଟ୍ରା ପାଖରେ ପହଞ୍ଚିଲା ବେଳକୁ ନିଶା ସେଇଠି ବସିଥିଲା, ମୋତେ ଦେଖି ଆଖିମାରିଲା ।

​ପାଖକୁ ଘୁଞ୍ଚିଯାଇ କହିଲି, ‘ଆଉ ଥରେ ରୁମ କୁ ଯିବାକୁ ଇଚ୍ଛା ହେଉଛି କି ?’ ସେ ସାମାନ୍ୟ ହସିଦେଇ କହିଲା, ‘ଚାଲନ୍ତୁ ସାର୍’ ।ଅର୍କେଷ୍ଟ୍ରାର ଗୀତ ଭାରି ଭଲ ଲାଗୁଥିଲା । କହିଲି, ‘କାଲି ରାତିରେ ପ୍ରୋଗ୍ରାମ୍ ପରେ ଯିବା’ । ସେ ଗୀତ ଶୁଣୁଶୁଣୁ କହିଲା, ‘ଆପ��� ଯେତେବେଳେ ଯେଉଠିଁ କହିବେ ସାର୍ ମୁଁ ସବୁବେଳେ ଆପଣଙ୍କ ସହିତ ରହିବି

मदनराग रंग लायो.. ( Madanrag Rang Laye)

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प्रेषक : सुनीता पृस्टी

तन के मिलन की चाह बडी नैसर्गिक है। सुन्दर स्त्री की देह से बढ़कर भ्रमित करने वाला और कुछ पदार्थ इस संसार में नहीं है। मेरे पिता ईसाई, माता हिन्दू ! मुझ पर हिन्दू संस्कारों की छाया अधिक पड़ी। मेरा विवाह मेरी मां की पसन्द के एक हिन्दू घराने में हुआ। पत्नी यौवन में नव दाम्पत्य के दिनों में सभी को बहुत भाती है और सर्वांग सुन्दरी लगती है। कालांतर में मुझे दूसरी स्त्रियां भी आकर्षित करने लगी। विवाह के बाद दूसरी स्त्रियों से बात कर लेने में कोई शक़ भी नहीं करता है।
सुजाता, मेरी साली जी, अपनी शादी के बाद भी मुझसे मज़ाक करने में चूकती नहीं। वह मुझे बहुत भाती है। उसकी बातों की शैली कसमसाहट देती है। मुझे बहुत सतर्क रहना पड़ता है कि कहीं मेरा अपना दाम्पत्य जीवन भंग न हो जाये।
पिछले रविवार उसे किसी सिलसिले में मेरे शहर आना था। मैने सोचा कि चलो हल्की फुल्की चुहल होगी ! रस रहेगा !
मैं अपने साढू भाई से तो बातें करूंगा ही ! लेकिन असली आकर्षण सुजाता होगी !
वह शनिवार सांझ को ही सिर्फ अपने बेटे के साथ चली आई। साढू जी को अनायास कोई काम आ गया था। मुझे हर्षमिश्रित आश्चर्य हुआ।
मैं अपने आफिस के काम काज़ निपटा कर जब घर पहुंचा तो मुझे निराशा हुई कि वह मेरी पत्नी के साथ बातों में तल्लीन थी। मुझे सादर प्रणाम करने के अलावा उसने कोई खुशी नहीं दी। मैंने भी उसके और अपने बेटे को गिटार सुनाया और अकेले अपने कमरे में सो गया। नज़दीक़ी दूसरे कमरे में वे दोनों बहनें खिलखिला कर चटखारे लेकर बातें कर रही थी। मुझे नींद नहीं आई। ज़ब वे सब सो गई, मैं सुजाता के ख्यालों में खो गया और निर्वस्त्र हो कर मूड्स कंडोम की चिकनाई के बीच तीव्र हस्तमैथुन करता रहा। मैने ख्यालों में उसको भरपूर भोगा। फिर एक दो घंटे की नींद के बाद जागने पर फिर से अनुभव दोहराया। रात में दो बार विसर्जन करके निढाल हो कर गहरी नींद में सो गया। सुजाता अब सिर्फ एक सपना थी।
सुबह हल्की निराशा थी। लेकिन दरस की चाह तो पूरी होनी ही थी। आज उसे दिन भर यहीं रहना है यह सोच कर मन को सांत्वना दी। लेकिन रात में जो दो बार रस गिरा दिया तो अब और कुछ तो होगा नहीं : मौका भी तो नहीं। मैंने भी दिन में अपने मित्र के पास कुछ परामर्श के लिये समय लिया था सो जाने की योजना बना डाली और पत्नी को बता भी दी।
तभी स्थिति बदली और मेरी बड़ी बहन अचानक 8 बजे ऑटो से उतरी। वह राखी के सिलसिले में आई थी। आते ही उसने मेरी पत्नी से बात की और कुछ गिफ्ट खरीदने की चाह से योजना बनाई कि वह एक घंटे बाद घर से 12 कि.मी. दूर वाले थोक मार्केट से खरीददारी करने चली जायेगी। मेरी धड़कने बढ़ गई। और सुजाता ? उत्तर मिला वह घर पर रहेगी और दोपहर का भोजन तैयार रखेगी। मुझे तो मित्र के घर जाना ही था।
साढ़े नौ बजे मेरी पत्नी, मेरा बेटा और मेरी बहन तीनों आटो रिक्शे में चल दिये, मैं भी उन्हें जाने को तैयार दिखा। तीनों के घर से निकलते ही मैं उतावला हो गया। अन्दर किचन में जाकर पूछा- सुजाता, मैं निकल रहा हूँ चाय मिलेगी ?
वह पलट कर मोहक मुस्कान से बोली- क्यों नहीं जीजू ! जो चाहोगे वही मिलेगा .. मैं तो एक्सपर्ट हूँ … लेकिन आप भी चले जाओगे तो मैं तो यहाँ अकेली रह जाउंगी।
मैने कहा- चलो कुछ देर रूक जाता हूँ ! शीनू (बेटा) उठा नहीं ?
बोली- सोने दो न उसे जीजाजी ..वह उठ जायेगा तो आपसे बात भी नहीं कर पाउंगी। अपनी बात अभी हुई ही कहाँ है ?
मैंने उसके कन्धे पर हाथ रख दिया- हाँ.. ठीक कह रही हो।
मैं उसके और नज़दीक़ आ गया और दोनों हाथ दोनों कन्धों पर रख दिये। वह चाय बनाना छोड़ कर थोड़ा पीछे खिसक आई और मुझसे लगभग चिपक सी गई। मेरा हाथ बढ़ कर उसकी हथेलियों तक पहुंच गया, वे परस्पर मिली और एक हो गई। मुझे उत्तेजना बढ़ने लगी। मैने अपना चेहरा उसके कधे पर रख दिया वह तुरंत पलट कर मुझसे चिपक गई। मैंने उसे चूम लिया।
“कितनी प्यारी लग रही हो.. लगता है बहुत ही हल्की हो तुम.. “
“उठा कर देखो कितनी हल्की हूँ मैं !”
संकेत बहुत ही उत्तेजक था। मुझसे रहा नहीं गया, मैंने उसे सामने से थाम लिया और थोड़ा उठा लिया। उत्तेजना बढ़ी तो चुहल का स्तर बढ़ाने का अनैतिक ख्याल आया। मैने उसे उतार दिया और कहा “फिर से ठीक से उठाता हूँ तुम बहुत ही हल्की हो ।”
उसने कहा “ठीक है ।”
मैंने अबकी बार बहुत झुक कर उसकी साड़ी के नीचे से पिन्डली पर हाथ रख उस पर हाथ फिसलाते हुए उठाया। हाथ साड़ी के अन्दर ही अन्दर उसकी चिकनी जंघा से फिसलता हुआ उसके नितम्ब तक पहुंच गया।
सिहरन हुई क्योंकि वह पेंटी वगैरह कुछ नहीं पहने थी।
वह भी चिहुंकी,”क्या करते हो जीजू .. आप बड़े वो हो !”
मैंने क्या किया?
आपने मेरी साड़ी पीछे से बिल्कुल उठा दी थी !
मैंने कहा,”चलो बदला ले लो, तुम भी मुझे इसी तरह उठा लो .. “
वह बोली,”ऐसे तो नहीं उठा पाउंगी !”
मैंने पूछा,”फिर ?”
उसने कहा,”मेरी स्टाइल से !”
मैने कहा,” ठीक है ! जैसी तुम्हारी मर्ज़ी !”
उसने मेरी दोनों टांगों के बीच अपने दोनों हाथों की पालकी बनाई और उठाने की कोशिश जैसे करने लगी। मैं पतला पायज़ामा पहने था और उसके नाज़ुक हाथ मेरे इलेक्ट्रोड को सहला से रहे थे। देर तक ऐसे ही कोशिश सी करती रही फिर बोली- आप भारी हो ! मुझसे नहीं बनता, आप ही उठाओ।
मैंने कहा- मैं भी ऐसे ही उठाता हूँ ! और अपने दोनों हाथों की पालकी बना कर उसकी दोनों टांगों के बीच में डाल दिये। आगे रतिमुख तक मेरा हाथ छू गया। वहाँ बालों का अहसास हुआ।

तेज़ सांसों के बीच मैने पूछा- क्यों सुजी ये बाल इतने क्यों बढ़ा रखे हैं?
सुजाता का चेहरा शर्म से लाल हो गया और बोली,” जीजू ! मैं आपको जान से मार दूंगी !
तेरे बाल साफ कर दूँ ? हेयर रिमूवर से ? (मैं अब तू पर आ गया था )
बोली- आप बहुत बदमाश हो जिज्जू ! ठीक है ! कहाँ करोगे ?
मैने कहा- मेरे बेडरूम में !
बोली- ठीक है, लेकिन ज़ल्दी करना।
मैंने उसे थामा और लगभग गोद में उठाते हुए अपने कमरे में ले गया।
मैं बोला- ज़ल्दी क्या है .. अभी तेरी दीदी नहीं आने वाली.. देर लगाती है वह तो.. !
उसके कपड़े ऊपर उठाने में अब दोनों में से किसी को संकोच नहीं हुआ।
मैंने कहा- तू मेरे भी साफ कर देना यार !
वह बोली- क्यों ! दीदी नहीं करती है ? कितने बढ़ चुके हैं? दिखाओ तो ज़रा !
मैंने अब तक उसे पूरा उघाड़ दिया था।
मैंने कहा- तू खुद खोल कर देख ले..हेयर रिमूवर हाथ में लिये मैं सामने खड़ा था, उसने कहा- नहीं, आप ही दिखा दो..
मैं धीरे-धीरे निर्वस्त्र हो गया, उसने कहा- ठीक तो है… हेयर रिमूवर की ज़रूरत नहीं ! रख दो.. !
मैं उसकी सहस्त्रधारा को सहलाने लगा .. उसने झटके से उठ कर मुझे चूम लिया। और पीछे से हाथ डाल खींच लिया। मै उसके ऊपर लुढ़क गया उसके हाथ मेरे लिंग को सहला रहे थे जिसे मैं अपना राजकुमार कहता हूँ।
मैंने कहा- तेरी राजकुमारी तो बडी प्यारी है !
उसने कहा- तेरा राजकुमार भी तो ! … बांका.. ! गबरू !!
अब वह भी “तू” पर आ गई थी।
मैंने कहा- दोनों की दोस्ती करवा दें ?
वह बोली- ज़ल्दी करवाओ .. राजकुमारी बैचैन है..
मैंने कहा- रुको ! राजकुमार सेहरा बांध कर आयेगा !
और सिरहाने की ड्रावर में से मूड्स कंडोम निकाला और चढ़ा लिया। सेहरे में राजकुमार को देख राजकुमारी ने अपने किले के द्वार खोल दिये। और राजकुमार ने अन्दर जा हलचल मचा दी। कुछ ही पल में हमारे सारे वस्त्र कमरे में यहाँ-वहाँ बिखर गये।
इतनी आज़ादी दोनों को शायद ही कभी मिली हो।
दोनों गुत्थमगुत्था .. पुराने प्रेमी पहलवानों की तरह… पूरी शैया पर लोटते रहे.. रात ही हस्तमैथुन किया था बल्कि दो बार किया था तो अभी की मिलन-क्रिया का कोई छोर ही नहीं आ रहा था। राजकुमार ज़बर्दस्त तना हुआ था। मुझे संतोष हुआ कि रात के कर्म से हानि के बज़ाय सुख में बढ़ोत्तरी ही हुई है। लगभग 35 मिनट की लम्बी सुखदाई मस्ती के दौरान हम चूत, लंड, भोसड़ी, चुदाई जैसे वर्जित शब्द उच्चारते रहे और जितना एक दूसरे को काट खा सकते थे, काटा खाया। जितना अन्दर उथल पुथल मचा सकते थे, मचाई।
वह मेरे ऊपर बैठी भी और अपनी चूत की भीतरी मालिश/पालिश करती रही।
मैने उसे औरत, घोड़ी, कुतिया, नागिन सभी कुछ बना डाला। लगभग 35 मिनट बाद मेरा रस निकला .. देर तक निकलता रहा .. दोनों सराबोर हो गये.. कंडोम काफी भारी हो गया। उसने चिपके हुए ही मेरी पीठ ठोंकी .. मैं भी देर तक उसे चूमता रहा। फिर हम प्रेम से एक दूसरे की ओर देखते हुए नहाने के लिये उठे।
मैंने अपनी पत्नी को फोन करके पूछा- खाना बन गया क्या ?
वह बोली- आप घर पहुंच जाना ! मै सुजाता को फोन कर देती हूँ, वह आपको खाना खिला देगी। हमें अभी देर लगेगी क्योंकि अब हम सुरुचि नगर में चाची को देख कर ही आयेंगे।
तभी सुजाता के मोबाइल पर भी फोन आया कि जीजाजी आ जायें तो खाना खिला देना ! अभी शायद आने में दो घंटे लग सकते हैं।
सुजाता फिर भी बोली- अरे दीदी, मुझे तो किचन में छिपकली का डर लग रहा है, मैं तो टीवी ही देखती रही। अब जीजाजी के आने के बाद ही खाना बनाउंगी।
पत्नी ने सहमति दे दी। इस वार्तालाप से हम दोनों गद-गद हो गये। अब इत्मीनान से नहा धो खा सकते हैं और लाड-प्यार कर सकते हैं।
हम दोनों अलफ नंगे बाथ रूम में साथ नहाए ! खुद कोई नहीं नहाया। एक दूसरे को ही नहलाते रहे। राजकुमार और राज कुमारी को भी किस कराते हुए शावर दिया। एक दूसरे के अंगों पर भरपूर लाड़ किया, अन्दर तक सफाई की गुलाब, नीबूं वगैरह निचोड़ कर खुशबू से तर-बतर हो कर एक दूसरे को नहलाया, यूं ही निर्वस्त्र बाहर आये और चिपके चिपके बेडरूम मे कपड़े पहनने पहुंचे।
मैने कहा- तुम मुझे ठीक से पौंछ दो !
वह लगी मुझे पोंछने .. मैं भी दूसरे तौलिये से उसे पोंछ्ने लगा। हमारे गुप्तांग अब एक दूसरे की सम्पत्ति हो चुके थे। हमने अपनी अपनी सम्पत्ति को भली प्रकार पोंछा।
फिर मैंने कहा- इस पर तेल भी लगा दो.. फिर परस्पर तेल लगाने में फिर से उत्तेजित होने लगे..
वह बोली- जीजू .. अबकी बार बिना कंडोम के..
मैं उसकी बात टाल नहीं सका। अबकी बार सीढ़ी पर खड़े होकर देर तक लता और पेड़ की तरह एक हो गये। फिर से हमें 20 मिनट लगे। इस बीच हमने आइने के सामने अपने आपको मस्ताते हुए प्रकृति में समाते हुए देखा।
इस बार भी लिंग भरपूर चुस्त और कड़क था। सुजाता पहले से अधिक मुलायम और रेशम रेशम थी। अबकी बार मैंने उसे अपने ऊपर लिटा लिया और उसे क्रिया करने को उकसाया। उसे बहुत मज़ा आ रहा था।
अपनी उत्तेजना की चरम अवस्था में मुझसे बोली- जीजू याद रखना ! मैने तुझे चोद दिया है।
मैंने कहा- हाँ सुजी .. हमेशा याद रखूंगा कि तू जीती ..।
बोली- जीजू ! एक बार बोल कि मैं सुजी से चुदवा रहा हूँ।
मैंने सुर में सुर मिलाया .. हाँ सुजी .. मैं चुद गया .. तू मेरा रस ले जा..
वो बोली- तू भी मेरा ले..
और हम दोनों पल भर में उत्तेजना के चरम क्षण भोगकर फिर एक बार निढाल हो गये।
मैंने उतर कर कपड़े पहने शू, टाई व पसन्दीदा सेंट से सज्जित हो ड्राइंग रूम मे आगंतुक की तरह बैठ गया। और.. वह भी परी सी सज़ गई और गुनगुनाते हुए किचन में व्यस्त हो गई।
यह घटनाक्रम अनूठा था और अविस्मरणीय भी।
हैरानी मुझे अब यह हो रही थी कि उसका नन्हा बालक इतनी देर तक सोता रहा।

पराये मर्द के नीचे लेट कर लिया मजा-3

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पोषक : सुनीता पृस्टी


अन्तर्वासना के सभी पाठकों और गुरुजी को मेरी तरफ से यानि कि पम्मी की तरफ से प्रणाम ! यह अन्तर्वासना पर मेरी तीसरी कहानी है। लोगों की चुदाई की कहानियाँ पढ़ पढ़ कर चूत गीली हो जाती है। पहली कहानी में जिस तरह मैंने बताया था कि मेरे पति एक फौजी हैं। और मेरे घर में काम करने वाले एक सीरी ने किस तरह दोपहर में मेरी प्यास बुझाई ! आज मैं वहीं से आगे शुरु करने जा रही हूँ।
मैंने बताया था कि जगह और मौका न मिलने से मैं और मेरा सीरी कितने परेशान और प्यासे थे, आने-बहाने हवेली में जाती थी लेकिन कम समय की वजह से चूमा-चाटी तक ही सीमित था, इससे ज्यादा कुछ सिर्फ इतना था कि मैंने दो बार उसका लंड खड़ा किया लेकिन मुँह में ही डालकर उसकी मुठ मारी और फिर कमरे में जा उसकी मुठ मारने वाले सीन को याद कर उंगली डालती और कभी मूली घुसा कर शांत होती।
तभी एक दिन उसने जुगाड़ लगाया और मुझे ट्यूबवेल पर दोपहर में बुलाया। बहुत गर्मी थी लेकिन चूत की प्यास ने मुझे खींच लिया। उस दिन जेठजी किसी काम से शहर गए हुए थे। उनके इलावा ससुर जी वहां जाते लेकिन उस दिन वो भी शहर से बाहर थे। सीरी अकेला था, मैं चली गई उसे मिलने और हम दोनों अकेले में मिलते ही पागल हो गए और एक दूसरे में समा गए। देखते ही देखते उसने मुझे वहीं निर्वस्त्र करके और खुद को निर्वस्त्र करके मुझ पर टूट पड़ा। कितने दिन के बाद दो प्यासे आशिक मिले, मैंने जी भर कर उसका लंड चूसा और उसने मेरे मम्मे दबा कर लाल कर दिए। दांतों के निशाँ साफ़ हवस की कहानी बता रहे थे। जैसे ही असली चीज़ घुसी मेरी आंखें खुद ही बंद होने लगी मेरी चूत में लंड डाल उसका भी वही हाल था।
हम चुदाई में इतने खोये हुए थे दीन-दुनिया से परे, यही सोचा कि इतनी गर्मी में वहाँ कौन आयेगा। चोदते चोदते उसने मुझे उठाया और ट्यूब वेल के आगे बने हुए चुबच्चे पर ले गया। (जिसको शहर में लोग बाथटब कहते हैं) नंगे जिस्म पर जब पानी डला तो साथ में एक मर्द की मजबूत बाँहों का साथ, उसने मुझे किनारे पर बिठा अपना लंड घुसा दिया और तूफ़ान आया जब दो प्यासे जिस्म शांत हुए तो मेरी नज़र जेठ जी पर पड़ी। मैंने पानी में छलांग लगा दी, पूरी नंगी थी मैं, करती भी क्या !
यह सब क्या हो रहा था? मादरचोद ! नमक हराम ! इतने सालों से तू यहाँ रह रहा है और अब यह सब कर रहा है?
इतने में मैं निकल कर ट्यूबवेल के कमरे में घुस गई, कपड़े पहने और वहाँ से निकल आई।
जेठ जी मुझे घूर रहे थे और उनकी इस घूर में हवस के साथ साथ प्यास थी। मैं थोड़ा डर गई लेकिन फिर ठीक सी हुई, उनकी आंखें पड़ने के बाद मुस्कुरा के वापस घर आई। घर पर लॉक लगा देख मैंने अपने पर्स से दूसरी चाभी निकाली और अदंर आई।
प्यास तो बुझ चुकी थी मगर मन बेचैन था, जेठ जी का वासना भरा चेहरा सामने आते ही शर्मा जाती। अब कुछ न कुछ तो होगा यह तो मुझे मालूम था।
तभी दरवाजे की घण्टी बजी, मैंने दरवाजा खोला- सामने जेठ जी को देख बिना और देखे अपने कमरे में चली आई।
वो माँ को आवाज़ दे रहे थे, मैंने अदंर से ही कह दिया- वो घर में नहीं हैं !
वो अपने कमरे में चले गए, मैं बिस्तर पर लेट गई और अपने कमरे का टी.वी ऑन कर बैठ गई। तभी जेठ जी मेरे कमरे में आये। मुझे हैरानी नहीं हुई, मैं कई बार अपने ही ख्यालों में उनसे चुदाई करवा चुकी थी। मैं सीधी होकर बैठ गई, चुन्नी का पल्लू करके !
तभी जेठ जी ने मेरे हाथ पर अपना हाथ रख दिया।
मैं चुप थी !
वहाँ क्या करवा रही थी? फिर बोले- तेरा भी क्या कसूर है रानी ! तुम हो ही आग !
वो अब बिस्तर पर चढ़ आये, मेरे पास बैठ मेरा चेहरा अपनी ओर घुमाया, मैं शरमा गई, अपने होंठ मेरे होंठों पर रखते हुए मेरी जांघों पर अपनी टांग चढ़ा ली, मेरे होंठ चूसने लगे और एक हाथ मेरी कमर में डाल अपने साथ चिपका लिया, पाँव के अंगूठे से मेरी सलवार को सरका मेरी गोरी टांगों का स्पर्श पाने लगे, हाथ से मेरी चुची दबा दी।

मैं भी आपा खोने लगी और खुद ही उनसे लिपट गई- क्या करती जेठ जी? आपका भाई तो फौजी है, इसमें मेरा क्या कसूर? मैं जवान हूँ ! भरी जवानी है, उसका कोई कसूर नहीं था, मैं खुद उसके पास गई थी।
बोले- मैं जानता हूँ रानी, मुझ से कह देती, मैं तुझे ठंडी कर देता !
उन्होंने मेरा कमीज़ उतार दिया फिर सलवार खोल दी। मैंने भी उनका कुरता उतार दिया और उनकी चौड़ी छाती के घने बालों पर हाथ फेरने लगी। पजामा उन्होंने खुद उतार दिया, खड़ा लंड उनका कच्छा फाड़ने को उछल रहा था। जेठ जी मेरी ब्रा की हुक खोल मेरे मम्मे मसलने लगे- क्या जवानी है तेरे पर ! बहुत देर से तुझे चोदना चाहता था, लेकिन कह नहीं पाता था !
मैं खुद आपकी दीवानी हूँ, मेरा भी आप जैसा हाल था !
जेठ जी मेरी कच्छी को उतारते ही बोले- लगता है आज ही सफाई की है ?
मैं शरमा सी गई, मैंने भी उनके कच्छे को उतार उनका लंड हाथ में पकड़ लिया- जेठ जी, इतना ज़बरदस्त लंड है आपका तो ?
मैंने लण्ड को जड़ तक सहलाया और मुँह में ले लिया।
वाह मेरी जान ! इस सुख से मैं वंचित रहा हूँ, आज जी भर कर चुसवाऊंगा अपना लंड !
फिकर मत करो, मैं खुद लंड चूसने की शौकीन हूँ ! मैंने कुतिया की तरह जुबान निकाल कर चाटा, वो आहें भर-भर मेरा मम्मा दबा रहे थे। उनहत्तर की हालत में लाते हुए मैं अपनी चूत उनके हाथों के पास ले आई वो मेरी चूत से खेल रहे थे दाने को मसल देते तो मैं सिकुड़ सी जाती।
तभी मेरी नज़र खिड़की पर गई, मेरा सीरी सब देख रहा था।
अब फाड़ दो मेरी ! जेठ जी ! रहा नहीं जा रहा अब !मैंने अपनी टाँगें खोल दी और उनको बीच में बिठा लिया और उनका तकड़ा लंड अपनी चूत के अदंर-बाहर करवाने लगी। एक एक रगड़ मेरी आंखें बंद कर देती। चुदवाते हुए मेरी नज़र फिर खिड़की पर गई। मैंने इशारा किया।
बोला- वाह चौधरी जी वाह ! मुझे कितने पाठ पढ़ा रहे थे ! और आते ही वही पाठ भूल कर चढ़ गए इस पर?
जेठ बोले- साले, कुछ तो कहना ही था ना ! तू साले ! हर माल एक साथ बांटते थे, इसको अकेला संभाल बैठा था? वो भी कयामत?
यह सुन मैं हंसने लगी और बोली- तू मुझे चुदवाने दे !
जेठ जी लगे झटके देने !
मैं भी आता हूँ !
मैं जेठ जी के साथ सब भूल मजा लेने लगी।
क्या स्टाइल था उनका चुदाई करने का ! मैं तो उनकी दीवानी होती जा रही थी, सीधा लेटते हुए मुझे अपने लंड पर बिठा उछालने लगे गेंद की तरह ! मैं उनके लंड पर ठप्पे खा रही थी मेरे हिलते मम्मो को देख वो भी जोश के साथ नीचे से मुझे उछालते।
इतने में वो भी खिड़की खोल घुस आया, तब जेठ जी मुझे घोड़ी बना कर चोद रहे थे, वो मेरे सामने आया और लंड निकाला, मुँह में दे दिया। वाह ! एक चूत में ! एक मुँह में ! दो-दो एक साथ !
जेठ जी तूफ़ान की तरह चोदने लगे। उतनी ही तेज़ मैं उसका लुल्ला चूस रही थी।
तभी जेठ जी ने कहा- गांड में डालने वाला हूँ !
मेरे ड्रेसिंग टेबल से कोल्ड क्रीम उठाई और अपने लंड पर लगाई और कुछ मेरी गांड पर !
जेठ जी सीधे लेट गए, मैंने उनके लण्ड पर अपनी ग़ाण्ड टिका कर बैठना शुरु किया। कुछ पल में मैं उनका पूरा लंड अंदर ले गई। वो भी मेरे मुँह में लगा हुआ था। फिर जेठ जी ने मुझे कहा- मेरी तरफ पीठ करके अदंर ले, ताकि यह भी तेरी चूत में घुसा दे !
मैंने कहा- फट जायेगी !
बोले- हम दोनों ने कई बार एक साथ दोनों छेदों में डाले हुए हैं ! कोई काम वाली हमसे नहीं बची !
तभी सीरी ने आगे से घुसा दिया और दोनों पागलों की तरह मुझे रौंदने लगे।
क्या अलग सा सुख था यह !
जैसे जेठ जी तेज़ हुए, सीरी ने निकाल लिया। जेठ जी औरत को अपने नीचे डाल कर झाड़ते थे, सारा माल मेरी चूत में भर दिया बाकी मुझ से चटवा कर साफ़ करवा लिया। सीरी ने अब मेरी गांड में घुसा दिया और दन-दना-दन चोदने लगा और जल्दी ही सारा माल मेरी कसी हुई गांड में उगल दिया। दोनों मेरे ऊपर लुढ़क गए। मैं नंगी दो मर्दों के सोये लंड पकड़ मजे ले रही थी।
तभी दरवाज़े की घण्टी बजी, हम तीनों की फट गई।
जल्दी से उठकर कपड़े पहने, सीरी किवाड़ से भाग गया, जेठ जी कपड़े उठा अपने कमरे में भाग गए।
मैंने दरवाज़ा खोला- माँ थीं !
सो रही थी क्या बहू?
हांजी, माँ जी ! आंख लग गई थी !
उस रात दोनों ने दारू पी मुझे आधी रात को हवेली में चोदा। कुछ दिन ऐसे ही चलता रहा, तभी मेरी छोटी बहन की शादी तय हो गई और मुझे वहां जाना पड़ रहा था, दिल मेरा भी नहीं था, सासू माँ ने मुझे कहा- छोटी दुल्हन ! चली जा ! बहन की शादी है !
मायके में उनके लंड याद आ रहे थे। एक रोज़ जेठ जी का फ़ोन आया कि वो काम से शहर आये हुए हैं ! मेरे मायके घर के करीब ! बोले- यहाँ मेरे दोस्त का घर है, उसकी बीवी कुछ दिन के लिए मायके गई हुई है, दोपहर में मिलने आ जा !
उसका घर सच में पास था, मैंने कहा- दोपहर में मुश्किल है, रात को बना लो प्रोग्राम !
मैंने इधर माँ से कहा- मुझे एक दिन के लिए सासू माँ के पास जाना है ! उनकी तबियत ठीक नहीं !
माँ बोली- हाँ ! ज़रूर जा ! वो दोनों अकेले होंगे !
मेरे छोटे भाई ने मुझे बस स्टैंड छोड़ दिया और वहीं से जेठ जी के दोस्त अपनी कार पर मुझे अपने घर ले चला, बोला- बहुत सुंदर हो रानी ! उसने मेरी जांघें सहला दी।
वो बहुत हैण्डसम था उसने जानबूझ कर गाड़ी खाली कालोनी की तरफ लम्बे रास्ते डाल ली। जैसे ही उसका हाथ चूत तक गया, मैंने उसका लंड पकड़ लिया।
उसके बाद क्या हुआ, वो अगली बार लिखूंगी ! मैं बहुत चुदासी औरत हूँ, रंडी कह लो, सब चलेगा ! लेकिन मर्द के बिना मैं नहीं रह पाती ! वो भी पराये मर्दों के बिना !!!!!
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अपनी बीवी समझना (Apni Biwi Samajhna)

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मैं अर्जुन २० साल, अमदाबाद में रहता हूँ। मेरी हाईट ५.६” गोर रंग और सबसे महत्त्वपूर्ण कि मेरा लंड ८” का है जिसे सारी लड़कियां, भाभियां और आंटियां पसन्द करती हैं।

मेरी भाभी रेखा, जो एक सुन्दर सेक्सी लेडी हैं, की उमर २७ साल है। उनके बड़े बड़े स्तन और मोटे चूतड़ जो चलते समय इधर उधर झूलते हैं, मुझे हर वक्त बेचैन किये रहते हैं।
मेरा भाई २८ साल का है और ८ महीने पहले उसकी शादी रेखा से हुई है। वो एक बड़ी मल्टी नैशनल कम्पनी में सोफ़्टवेयर इंजीनीयर है। उसे अक्सर कम्पनी के काम से बाहर जाना पड़ता है। मैं भी एक कोलेज में पढ़ता हूँ और भैया भाभी के साथ रहता हूँ।
शुरू के महीनों में भैया भाभी ने अपनी मैरिड लाइफ़ को अच्छा एन्जोय किया। फ़िर भाभी भैया के लम्बे समय के विदेश के टूर से परेशान हो जाया करती। भैया चार महीने के लिये फ़िर गये तो मैं और भाभी दोनों ही घर मैं अकेले थे, भाभी एकदम उदास नज़र आती थी। मैं भाभी से बहुत बातें करता था और उनको खुश करने की कोशिश करता था, लेकिन यह बहुत मुश्किल था।
थोड़े दिन ऐसे ही बीत गये।
भाभी में मैंने थोड़ा चेंज नोटिस किया, मैं और भाभी अब अच्छे दोस्त बन गये थे। दोनों बाहर शोपिंग करने जाते थे, घूमते थे मज़े करते थे। जो लोग हमें नहीं जानते थे उन्हें हम दोनों पति और पत्नी लगते थे। मेरे मन में भाभी के बारे में बहुत सेक्सी ख्याल थे लेकिन वो मेरे बड़े भैया की पत्नी है यह सोच कर मैं अपने आप को कंट्रोल करता था। लेकिन रात को घर में हम दोनों अकेले होते तो मेरा लंड भाभी को चोदने के इरादे से खड़ा हो जाता था और मैं अपने लंड को अपने हाथों से हिला के अपनी आग बुझाता था।
भाभी और मैं बहुत सी बातें करते थे, वो हमेशा यह जानने की कोशिश करती थी कि कोई लडकी मेरी दोस्त है या नहीं?
मैं उसे कहता था कि मेरी कोइ गर्ल फ्रेंड नहीं तो वो मानने से इंकार करती थी, वो बोलती थी कि तेरी कोई गर्ल फ्रेंड नहीं, ऐसा हो ही नहीं सकता। और कहती थी लड़कियों को तेरे जैसे सुडौल सुगठित लड़के चाहिये होते हैं। आज कल भाभी ऐसे ही बातें करती थी। मैं जान गया भाभी के मन में मेरे बारे में कुछ चल रहा है। उसका मेरे साथ व्यवहार भी थोड़ा बदल गया था। बातें करते समय वो मुझे छूने की कोशिश करती थी। मेरे करीब आया करती थी। मैं बड़े मुश्किल से अपने आप को कंट्रोल करता था। भाभी अब सेक्स की कमी महसूस कर रही थी। उसकी हरकतों से ऐसे लगता था कि उनको सेक्स चाहिए बस !
सामान्यतया वो घर में साड़ी में रहती थी, साड़ी में उसके गोल गोल चूतड़ देख कर मेरा तो लंड हमेशा तन जाता था। उसकी नाभि, ब्लाउज़ में से दिखने वाली उसकी सेक्सी क्लीवेज, मैं इन सबके लिये पागल हुये जा रहा था। झाड़ू लगाते समय हमेशा मेरे सामने वो अपने साड़ी का पल्लू जानबूझ कर गिराया करती थी ताकि मैं उसके बड़े स्तन देख सकूँ। शायद वो मुझे पाने के लिये पागल हुए जा रही थी। लेकिन मुझमें इतनी हिम्मत नहीं थी कि मैं जाकर भाभी को चोदना शुरु करुं। मुझे बहुत डर लगता था।
एक दिन रात को बेडरूम मैं अपने सेक्सी भाभी के बारे में सोच कर अपना लंड हिला रहा था, मेरे कमरे का दरवाज़ा तो बंद था लेकिन मैंने लॉक नहीं किया था। तभी भाभी कुछ काम से या जानबूझ कर मेरे कमरे में बिना खटकाए चली आई, और मैं अपना लंड बड़े मज़े से हिला रहा था। भाभी को देख के मैं इतना शरमा गया, कुछ कह नहीं सका।
भाभी ने भी कुछ नहीं कहा, लेकिन मेरे बड़े लंड को २-३ मिनट तक देखते रही और वहाँ से चली गई।
अगले दिन सुबह मैं जब कॉलेज जाने की तैयारी कर रहा था तब भाभी ने मुझे स्नैक्स और चाय दी। मैं तो रात की घटना से इतना शरमा गया था कि मैं भाभी से आंखें नहीं मिला पा रहा था। एक नज़र मैने भाभी के तरफ़ देखा तो भाभी ने मुझे शरारती मुस्कान दी, लेकिन कुछ नहीं कहा। और मैं झट से वहां से कॉलेज के लिये निकल पड़ा।
मैं दोपहर को १ बजे घर आया, भाभी ने दरवाज़ा खोला, उसने गुलाबी रंग की शीफ़ॉन साड़ी और सेक्सी स्लीवलेस ब्लाउज़ पहना हुआ था। वो सेक्सी दिख रही थी। उसकी पारदर्शक साड़ी में से उसका सेक्सी बदन साफ़ दिख रहा था। उसने मेरे हाथों से मेरा कॉलेज बैग लिया और मुझे अंदर लेकर दरवाज़ा बंद कर दिया और उसने मुझसे पूछा,“प्यारे देवरजी, आप कल रात को क्या कर रहे थे??”
मैने कहा,“भाभी मैं कल रात को आपके बारे में सोच के अपना लंड हिला रहा था।”
मैं उसी के बारे में सोच के अपना लंड हिला रहा था, यह सुन कर वो एकदम पागल हो गई और मेरे पास आई, उसने मुझे धक्का दिया और सोफ़े पे गिरा दिया। अब वो कूद के मेरी छाती पर बैठ गई और बोलने लगी,“अर्जुन, तुम कितने भोले हो, अपनी भाभी को चोदना चाहते हो लेकिन कभी ज़बरदस्ती नहीं की, मैं भी तुम्हारे लिये पागल हूँ, मैने सोचा था कभी ना कभी आके तुम मुझे ज़रूर चोदोगे। लेकिन तुमने ऐसा नहीं किया। मैं तुम्हारा प्यार पाने के लिये तड़प रही हूँ। तूने भाभी को बहुत तरसाया है। मुझे तुम्हारे प्यार की बहुत ज़रुरत है।”
ऐसे बोल के उसने मेरे होंठों पे अपने होंठ कस के दबा दिये। १५ मिनट तक वो मेरे और मैं उसके होंठ चूसता रहा। अब मेरा भी लंड बहुत टाइट हो रहा था। होंठों के बाद वो मुझे सब जगह पे चूमने लगी, गाल छाती और सब जगह। मैं भी उसके गालों को चूसने लगा। चूस चूस के उसके गोरे गाल मैंने लाल कर दिये।

अब तो वो बहुत गरम हो गई थी उसने मेरे कपड़े निकाल दिये, और मैने उसके। अब मैं सिर्फ़ मेरे अंडरवीयर में था। और मेरे लंड का आकार साफ़ नज़र आ रहा था। वो शेप देख के वो और पागल हो गई और बोली,“अर्जुन, जब से तुम्हें अपना ये बड़ा लंड हिलाते देखा है, मैं तो इसके लिये पागल सी हो गई हूँ, अब मुझे और ना तड़पाओ !”
ऐसे बोल कर उसने मेरी अंडरवीयर निकाल दी। अब वो मेरा पूरा नंगा लंड देख के जो कि अब ८” से बड़ा हो गया था, अपने आप को कंट्रोल नहीं कर पा रही थी। उसने उसे अपने हाथों से हिलाना शुरु किया और बोली,“तुम्हारा तो तुम्हारे भैया से काफ़ी बड़ा है, इसलिये मैं तुम्हें कहती थी कि तुम्हारी कोई गर्ल फ्रेंड नहीं है क्या?? मेरे भोले देवर जी लड़कियों को ऐसे बड़े लंड वाले लड़के बहुत पसंद होते हैं !”
वो मेरे लंड के साथ खेल रही थी। अब उसने मेरा लंड अपने मुंह में ले लिया। मेरा लंड पहली बार किसी छेद में जा रहा था। मेरे लंड को गुदगुदी सी हो रही थी। मैं जैसे स्वर्ग में था।
उसने मेरा लंड पूरा अपने मुंह में ले लिया। क्योंकि यह मेरा पहली बार था, मैं ज्यादा देर नहीं टिक पाया, ५ मिनट के बाद मैने उसे कहा- मैं छूटने जा रहा हूँ !
उसने कहा- मुंह के अंदर ही छोड़ देना !
मैने बड़े जोर के साथ अपना वीर्य उसके मुंह में निकाल दिया और उसने वो पूरा निगल भी लिया। अब छूटने की वजह से मेरा लंड फ़िर अपने सामान्य शेप में आ गया। तब भाभी और मैं बाथरूम में सफ़ाई के लिये चले गये। वहां वो तो और सेक्सी बातें करने लगी। लगता है अब तक उसकी गरमी ठंडी नहीं हुई थी। उसने कहा,“तुम्हारे भैया का लंड तुमसे बहुत छोटा है, और वो मुझे इतना प्यार भी नहीं करते, भैया नहीं थे तो मैं सेक्स के लिये बहुत पागल हुये जा रही थी, मुझे तुम अपनी बीवी समझना और जब जी चाहे तब चोदना। ये भाभी आज से तेरी है।”
और उसने मुझे फिर चूमना शुरु किया। हम एक दूसरे को फिर चूसते रहे, चूमते रहे। मैने उसे कहा “भाभी, देवर को दूधू पिलाओ !”उसने कहा,“पूछो मत ! ये दूध और दूधवाली सब आप ही के लिये हैं, जितना दूध पीना है पी लो !”
और मैने बिना रुके उसके ३६ डी साइज़ के सेक्सी बूब्स दबाने लगा। उसे ज़ोरो से चूसने लगा। वो चीखने लगी- चूसो और ज़ोरों से, पी जाओ सारा, अर्जुन् आआआआअ आईईइ ईइ अ दूध ऊऊऊह ह्हह्हा आऐइ ईई ईई……ऊऊ ऊऊओ ऊऊओ ऊओ ऊ…आ आआअ आ आअ।
मैने अपनी चुसाई जारी रखी, और वो मेरे लंड से खेले जा रही थी। २० मिनट मैने उसके स्तन चूस चूस के लाल कर दिये, अब मेरा लंड फ़िर तन रहा था। अब तो मेरे लंड को उसके चूत के छेद में जाना था। अपना तना हुआ लंड मैंने उसकी चूत पर रख कर अन्दर करएने का प्रयत्न किया। मेरा लंड मोटा होने के कारण अंदर जाने में थोड़ी दिक्कत हुई। लेकिन २-३ जोर के झटकों के बाद अंदर चला गया।
तब वो चिल्लाई- आआअ आआअ आऐइ ईईईइ ऐईईइऊ ऊऊऊईइ ईईईई माआ आआआ निकालो बहुत दर्द हो रहा है, लेकिन वो उसे अलग नहीं होने दे रही थी। उसे भी बहुत मज़े आ रहे थे। मेरा लंड भी बहुत मज़ा कर रहा था। उसे चूत चुदवाना अच्छा लग रहा था। मैने उसे लगभग २० मिनट तक चोदा और उसकी चूत में पानी निकाल दिया, उसी समय पे उसके भी चूत से पानी निकला।
फिर हम दोनो बाथरूम में एक साथ शॉवर में नहाये, वहां भी मैंने थोड़ी मस्ती की। कॉलेज से घर आने के बाद शाम को २.०० से ले के ५.०० तक चुदाई का ही प्रोग्राम चलता रहा। उस रात को हम दोनों एक ही बेड पे सोये थे एक दूसरे के बाहों में पति-पत्नी की तरह। मेरी सेक्सी भाभी के बदन की आग ठंडी हो ही नहीं रही थी। सुबह ५.३० को वो फ़िर से मेरे लंड के साथ खेलने लगी, मैं तब नींद में था। लेकिन उसकी मस्ती से मैं उठ गया और मेरा लंड भी उठ गया। और फिर एक बार मस्त चुदाई हुई।
उस पूरे दिन में हम दोनों ने ४-५ बार सेक्स किया, मैं तो पूरा थक गया था और वो भी। दूसरे दिन मैं कॉलेज जा ना सका।
वो रात मैं अपनी ज़िंदगी में कभी नहीं भुला सकता। उसके बाद मैने भाभी को बहुत बार अलग अलग तरीके से चोदा है। लेकिन अच्छी बातें कभी ज्यादा देर नहीं टिकती। वैसे ही हुआ, पिछले महीने में भैया का ट्रांसफ़र हो गया और उन्हें शिफ़्ट होना पड़ा। भाभी भी अब उन्हीं के साथ रहती है।
अब अमदाबाद में मैं बिल्कुल अकेला हूँ।
अब मेरे लंड को चोदने की अच्छी आदत लगी है, और जैसा भाभी ने कहा था कि लड़कियों को बड़े लंड वाले लड़के पसंद है वैसे ही हुआ। मेरे कॉलेज में एक लड़की है, उसने मुझसे फ़्रेंडशिप की, मैने उसे परपोज़ भी किया। उसे भी मैं ३-४ बार चोद चुका हूँ। यह कहानी मैं आपको अगली बार ज़रूर बताउंगा।
आपको मेरी कहानी कैसी लगी? मेहरबानी करके मुझे मेल कीजिए !

मेरी प्यास बुझाओगे क्या?

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bhauja.com पे आप आज ये निखिल  की कहानी पढ़ेंगे । ये कहानी कैसे लगा निचे की कमेंट बॉक्स पर लिख देना ।

मेरा नाम निखिल है। मैं मुम्बई का रहने वाला हूँ और मेरे बड़े भाई बंगलौर में एक सॉफ्टवेयर कम्पनी में कार्यरत हैं। भैया की शादी आज से क़रीब २ वर्ष पूर्व हुई थी।
मुम्बई में मैं अकेला रहता था। अचानक मुझे बंगलौर जाना पड़ा क्योंकि मेरी नौकरी वहाँ लग गई थी। वहाँ पर भैया थे तो मैं उनके घर पर ही रहता था। मेरी भाभी को मैंने सिर्फ़ ३ बार देखा था। इसलिए हमारी दोस्ती कमज़ोर थी।
एक दिन भैया को विदेश जाना पड़ा। भैया मुझे कहकर गए- तुम भाभी का ध्यान रखना। घर में सिर्फ़ तुम दोनों ही हो।
मैंने कहा- ठीक है भैया।
मैं सुबह सुबह भैया को एयरपोर्ट पर छोड़ने गया।
जब आया तो भाभी नहाने चली गई थी। मैंने ज़ोरों से कई बार घण्टी बजाई, तो काफी देर बाद दरवाज़ा खुला। भाभी केवल तौलिए में थी। यह नज़ारा देखकर मेरा दिमाग़ ख़राब हो गया। मेरे मन में ख्याल आया कि मैं भाभी की प्यास बुझा दूँ। मैं अन्दर गया तो भाभी ने नाश्ता बना रखा था। नाश्ते के बाद हम ऑफिस के लिए निकल गए। जाते समय भाभी ने कहा- आज रात का खाना होटल में खाएँगे।
मैंने कहा- ठीक है।
रात को जब हम दोनों होटल जा रहे थे। मेरे पास बाईक थी। उस पर सिर्फ हम दोनों बैठे थे। भाभी की चूचियाँ मेरी पीठ से छू रहीं थीं। होटल में भाभी ने ऑर्डर दिया।
खाना खाने के बाद हम घर आए, तो भाभी अपने कमरे में चली गई। मैं टीवी देखने लग गया।
इतने में भाभी आई, बोली- तुम्हें नींद नहीं आ रही है क्या?
मैंने कहा- हाँ।
मुझे भी नहीं आ रही है।
अचानक टीवी पर ब्लू-फिल्म आने लग गई। मैंने उसी वक्त टीवी बन्द कर दिया। भाभी ने मुझे देखा और मुस्कुराई। मेरे पसीने छूट गए।
भाभी बोली- इतनी ठंडी में तुम्हारे पसीने क्यों छूट रहे हैं?
भाभी ने कहा- तुमने कभी ब्लू-फिल्म नहीं देखी क्या?
मेरी बोलती बन्द हो गई थी। भाभी मेरे पास आकर बैठ गई। मुझ पर हाथ फेरने लगी। मेरा लण्ड खड़ा हो चुका था। भाभी की नज़र मेरे लिंग पर ही थी, कहा – ये तो तुम्हारे भैया से भी मोटा और लम्बा मालूम होता है।
भाभी ने कहा- तुमने तो मुम्बई में बहुत सी लड़कियों की ली होगी ना?
मैंने कहा- नहीं भाभी।
भाभी ने कहा- तुम मेरी प्यास बुझाओगे क्या?
मैंने कहा- भैया को मालूम हो गया तो?
वह खड़ी हो गई और कहा- तुम मुझे कमरे में लेकर जाओ।
मैं उन्हें कमरे में ले गया और बिस्तर पर लिटा दिया। भाभी ने उनका साड़ी और ब्लाऊज़ निकाल दी। उन्होंने काले रंग की ब्रा और पैन्टी भी पहन रखी थी। भाभी की फिग़र ३६-२४-३२ का है। चूचियाँ तो गोल-गोल और कठोर थे कि हाथ में नहीं आ पा रहे थे। चूत पर एक भी बाल नहीं था।
मैंने मेरी पैन्ट खोली तो मेरा लण्ड बाहर आ गया। भाभी ने लण्ड मुँह में लिया और चूसने लग गई। भाभी मेरा लंड लॉलीपॉल की तरह चूस रही थी। मैंने भाभी की चूत पर अपनी जीभ रख दी। वो मदहोश होती जा रही थी। भाभी की आँखों में अजीब सा नशा था।
भाभी बोली- अपने लंड से आज मेरी इतनी चुदाई करो, इतनी चुदाई करो कि मेरी सालों की प्यास बुझ जाए।
मैंने भाभी को लिटा कर कहा- भाभी अब आप सिर्फ आँखें बन्द कर के मज़े लो।
भाभी की चूत एकदम लाल थी। मैंने अपना मोटा लंड भाभी की चूत पर रख दिया और अन्दर डालने लगा। भाभी ने अपने होंठों को दाँतों से दबा रखा था। उनको बहुत मज़ा आ रहा था। भाभी की चूत इतनी गरम थी कि मेरा लण्ड अन्दर की गर्मी पा कर और भी मोटा हो गया था। अब मैंने पूरा लंड भाभी की चूत में डाल दिया और धक्के मारने लगा। भाभी अपनी कमर ऊपर उठा रही थी, और मेरा साथ दे रही थी।
लगभग ४० मिनट तक मैं भाभी को चोदता रहा।
भाभी ने मुझे कसकर पकड़ लिया और बोली- मेरा माल आने वाला है। मैं धक्का मार ही रहा था। मैंने सोचा कि भाभी झड़ने वाली है। मैं भी साथ में झड़ जाऊँ।
मगर वो बोली- बस करो।
वह हाँफ रही थी।
मैंने कहा- मैं अभी नहीं झड़ा हूँ !
तो जल्दी करो।
मैंने गति तेज़ कर दी और थोड़ी देर बाद मेरे लंड का रस भी भाभी की चूत में गिर रहा था। मुझे बहुत मज़ा आया।
थोड़ी देर तक हम दोनों ऐसे ही पड़े रहे फिर दोनों अलग-अलग हुए। जैसे ही भाभी की चूत से मैंने अपना लंड निकाला, ढेर सारा वीर्य उनकी चूत से बाहर निकलने लगा। चूत से सफ़ेद-सफ़ेद रस बाहर निकलते पहली बार देख रहा था।
मैं और भाभी थक गए थे। वो उठी और मुझे चूम लिया फिर मेरे लंड को चूम कर बोली- थैंक्स निखिल, प्लीज़ मुझे ऐसे ही चोदते रहना, इसके लिए तुम जो भी कहोगे, मैं वो करूँगी।
आपको मेरी यह सच्ची कहानी कैसी लगी, मुझे मेल करें।

वो धीरे से मेरे पास आ गई

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प्रेषक : धीरेन्द्र शुक्ला
मेरी कहानी कुछ इस तरह है।

मेरी साली का नाम है गीता, वो करीबन होगी २४ की। वो भी मेरी बीवी की तरह ही बहुत सेक्सी थी, वैसे गीता का फ़ीगर होगा ३६-२९-३८ उसके स्तन तो बहुत ही सेक्सी थे जब वो चलती थी तो उसके स्तन हिलते थे, यह देख कर कोई भी आदमी मचल जाये। उसके पति की अक्सर नाइट ड्यूटी रहती थी। मैं जब भी उसके घर पर जाता तो उसको देखता ही रहता और उसको चोदने के बारे में सोचा करता के काश इस को चोद सकूँ।
यह बात आज से ६ महीने पहले की है जब मैं अपनी दूसरी साली की शादी में बड़ौदा गया था। मेरी पहली साली गीता की शादी को ६ महीने हुए थे। वो भी अपनी बहन की शादी की तैयारी के लिये आई थी। हम सब शादी से १ हफ़्ते पहले गये थे। उसका पति नहीं आया था।
एक दिन जब रात को सोने गये तो एक कमरे में पूरा सामान भरा पड़ा था इसलिये हम सब एक साथ ही सो गये। पहले मेरे बगल में मेरी पूरी घरवाली फ़िर आधी घरवाली यानि गीता मेरी साली। रात को जब मैं पानी पीने उठा तो वापस आकर देखा कि मेरी जगह पर मेरी पत्नी लेटी थी। इसलिये मैं गीता और अपनी पत्नी के बीच में सो गया। मुझे नींद नही आ रही थी।
थोड़ी देर के बाद मेरी साली ने अपना पैर मेरे पैरों पर रख दिया। उसने नाइटी पहनी थी और वो उसके घुटने तक ऊपर हो गई थी। मेरा लंड खड़ा हो गया और पूरा टेंट बन गया। फिर मैने भी अपना हाथ उसके ऊपर रख दिया।
थोड़ी देर के बाद जब वो कुछ न बोली, तब मैने अपने हाथ को थोड़ा ऊपर ले कर उसके एक बूब पर रख दिया और धीरे से दबाने लगा। वो धीरे से मेरे पास आ गई। तो मुझे लगा रेस्पोंस मिल रहा है और मैं दूसरे बूब को दबाने लगा। फिर वो मेरी तरफ़ घूम गई। तो मैने अपने हाथ उसके नाइटी में ऊपर से डाल कर उसके चुचूक को दबाने लगा। वो मचलने लगी और मुझे कान में कहा- स्टोर-रूम में चलते हैं !
फिर वो उठ कर दूसरे कमरे मे चली गई और मैं भी उसके पीछे चला गया और स्टोर-रूम का दरवाजा बंद कर दिया। उसको मैंने पीछे से पकड़ कर उसके बूब्स दबाने लगा। उसने कहा आहिस्ता, आहिस्ता। फिर मैने उसकी नाइटी को ऊपर उठा कर पूरा निकाल दिया। और उसको किस करने लगा। मैने उसकी ब्रा भी निकाल दी और उसके टिट्स को हाथ से दबाने लगा। उसकी सांसे तेज हो रही थी। उसने मुझे बूब्स चूसने को कहा और मैने उसका दायां बूब्स चूसने लगा। और पूरा चाटने लगा। थोड़ी देर के बाद दूसरा बूब्स भी चूसा।
अब मैने धीरे से उसका पेटीकोट को ऊपर कर के अपना हाथ उसकी पैंटी में डाल दिया और बूब्स भी चूसता रहा। उसकी चूत पर बाल नहीं थे और पूरी गीली हो गई थी। थोड़ी देर के बाद मैने एक उंगली उसकी चूत में घुसा दी और वो मचल गई। अब वो सिसकियां ले रही थी और मैने उसका पेटीकोट और पैंटी निकाल दिया और उसकी चूत को चाटने लगा। उसके पानी का स्वाद बहुत अच्छा था। उसने मेरे पैजामे का नाड़ा खोल दिया और पैजामा और अंडरवियर उतार दिये। वो मेरा लंड को देखती ही रह गयी और बोली ये तो उसके पति से बहुत बड़ा है। और उस पर हाथ फ़ेरने लगी। मैने फिर से उसकी चूत को चाटने लगा और हम ६९ कि पोजिशन में आ गये।
वहां पे कोई बिस्तर नहीं था इसलिये टाइल्स पर ही लेट गये। मैने उसके स्लिट को दांतो से थोड़ा सा दबाया और वो जोर से मचल पड़ी और फिर मैने अपनी जीभ को उसके अंदर डाल कर अंदर बाहर हिलाने लगा। वो सिसकिया भरने लगी और बहुत गरम हो गई। फिर वो मेरी बाहों में आ कर लिपट गई और धीरे से कहा कि अब मत तड़पाओ, अब मेरे अंदर जल्दी से डालो, मैं मर रही हूं। तो मैं एक कुरसी पर बैठ गया और उसको आगे की तरफ़ झुका कर अपने लंड पर बिठा दिया। और जोर से एक ही झटके में पूरा लंड उसकी चूत में घुसा दिया। वो दर्द के मारे अपने होंठों को दबाये मुझे पीछे पकड़ लिया। थोड़ी देर उसको ऐसे ही बिठाये मैं भी बैठा रहा। फिर उसे मजा आने लगा और वो आगे पीछे होने लगी। मैने भी पीछे से धक्के देने शुरु कर दिये। १० मिनट बाद उसकी रफ़्तार तेज हो गई और मेरा भी निकलने वाला था इसलिये मैने भी जोर से धक्का लगाना शुरु कर दिया। थोड़ी देर के बाद वो मुझे पर बैठ गई और मैने भी उसके दोनो बूब्स को जोर सो दबाने लगा और हम दोनो ने एक साथ अपना पानी छोड़ दिया। थोड़ी देर ऐसे ही बैठे रहे।
फिर हम दोनो ने अपने कपड़े पहन कर एक लम्बी किस कर के वापस अपनी जगह पर आके सो गये। हम दोनो पूरी रात नहीं सोये। मैने भी उसके बगल में लेटे उसकी पैंटी में हाथ डाल कर चूत पर अपना हाथ फेरता रहा। वो भी चादर में हाथ डाल कर मेरे लंड को पूरी रात पकड़ कर सोयी रही।
जब तक हम वहां पर साथ रहे रोज कुछ बहाना निकाल कर बाहर चले जाते और कोई फ़र्म और खाली जगह पर जाके अपनी मोटर साइकल पर बैठ कर ही मजे लूटते रहे।
अब वो प्रेग्नेंट हो गई है और मेरे ही बच्चे की मां बनेगी।
दूसरी साली को भी कैसे चोदा वो अगली कहानी में

एक ही थैली के चट्टे बट्टे-4 (Ek Hi Theli Ke Chatte Batte -4)

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प्रेषिका : माया देवी

मेरे पति को अब तीस पैंतीस दिन तक किसी टूर पर नहीं जाना था, उन्होंने शिल्पा वाली कहानी कई दिनों तक मुझसे बड़ी बारीकी से सुनी थी ऑर फिर हसरत जाहिर की थी कि काश इस बार शिल्पा जब घर आये तो वो भी मौजूद हों, इस बात पर अफ़सोस भी जताया था कि जब शिल्पा वाली घटना घटी तब वह वहाँ क्यों नहीं थे।
वे इस बार टूर से सिर्फ सौन्दर्य प्रसाधन नहीं लाये थे बल्कि कई इंग्लिश मैगजीन भी लाये थे, जिनका विषय एक ही था सेक्स। उन मैगजीनों में अनेक भरी सेक्स अपील वाली मोडल्स के उत्तेजक नग्न व अर्धनग्न चित्र थे, कुछ कामोत्तेजक कहानियां व उदाहरण आदि थे तथा दुनिया के सेक्स से संबंधित कुछ मुख्य समाचार थे।
मैं कई दिनों तक खाली समय में उन मैगजींस को देखती व पढ़ती रही थी।
दरअसल मेरी ससुराल इस शहर से चालीस किलोमीटर दूर एक कस्बे में है, जहां से कभी किसी काम से मेरी ससुराल के अन्य लोग आते रहते हैं, कभी मेरे वृद्ध ससुर तो कभी ननद शिल्पा, कभी मेरा एक मात्र देवर जो शिल्पा से चार वर्ष बड़ा है, अगर शहर में उनमें से किसी को शाम हो जाती है तो वे हमारे घर में ही ठहरते हैं।
एक दिन फिर मेरी ससुराल से एक शख्स आया, वह मेरा देवर था। शाम के पांच बजे वह हमारे घर आया था, मेरे पति घर पर नहीं थे, ऑफिस से साढ़े पांच या छः बजे तक ही आते थे।
मैं सोफे पर बैठी इंग्लिश मैगजीन पढ़ रही थी, तभी कॉल-बेल बजी, मैंने मैगजीन को सेंटर टेबल पर डाला ऑर यह सोचते हुए दरवाजा खोला कि शायद मेरे पति आज ऑफिस से जल्दी आ गए हैं, लेकिन दरवाजा खोला तो पाया कि मेरा देवर जतिन सामने खड़ा है, उसने कुर्ता पायजामा पहन रखा था, वह कुर्ता पायजामा में काफी जाँच रहा था।
भाभी जी नमस्ते …! उसने कहा और अन्दर आ गया।
कहो जतिन ! आज कैसे रास्ता भूल गये? तुम तो अपनी भाभी को पसंद ही नहीं करते शायद … ! मैंने दरवाजे को लॉक करके उसकी ओर मुड़ कर कहा।
ऐसा किसने कहा आपसे? वह सोफे पर बैठ कर बोला।
वह मेज़ से उस मैगजीन को उठा चुका था जिसे मैं देख रही थी।
मेरे दिल में धड़का हुआ, मैगजीन तो कामोत्तेजक सामग्री से भरी पड़ी थी, कहीं जतिन उसे पढ़ न ले, मैंने सोचा लेकिन फिर इस विचार ने मेरे मन को ठंडक पहुंचा दी कि अगर यह मैगजीन पढ़ ले तब हो सकता है उसकी मर्दानगी का स्वाद आज मिल जाए, इसमें भी तो जोश एकदम फ्रेश होगा ! मैं निश्चिंत हो गई।
कौन कहेगा …! मैं जानती हूँ …! अगर मैं तुम्हें पसंद होती तो क्या तुम यहाँ छः छः महीने में आते ? आज कितने दिनों बाद शक्ल दिखा रहे हो … .पूरे साढ़े पांच महीने बाद आये हो, तब भी सिर्फ एक घंटे के लिए आये थे ! मैं उसके सामने सोफे पर बैठ कर बोली।
मैंने ब्रेजियर और पेंटी पहन कर सिर्फ एक सूती मैक्सी पहन रखी थी, जिसके गहरे गले के दो बटन खुले हुए भी थे, वहां से मेरे गोरे गोरे सीने का रंग प्रकट हो रहा था।
मैंने देखा कि जतिन ने चोर नजरों से उस स्थान को देखा था फिर नजर झुका कर कहा- यह तो बेकार की बात है … आप जानती ही हैं कि मैं कितना व्यस्त रहता हूँ। कंप्यूटर कोर्स, पढ़ाई और फिर घर का काम … चक्की सी बनी रहती है, आज थोड़ा टाइम मिला तो इधर चला आया, वो भी शिल्पा ने भेज दिया क्योंकि भाई साहब ने फोन किया था, उन्होंने शिल्पा को बुलाया था कहा था कि उसे कुछ कपड़े दिलवाने हैं, शिल्पा को तो आज अपनी एक सहेली की शादी में जाना था सो उसने मुझे भेज दिया … जतिन बोला।
मैं समझ गई कि मेरे पति ने शिल्पा को किसलिए फोन किया होगा, कपड़े दिलवाने का तो एक बहाना है, असल बात तो वही है जिसकी उन्होंने तमन्ना जाहिर की थी।
आज ही बुलाया था तुम्हारे भैया ने शिल्पा को? …मैंने जतिन से पूछा।
हाँ … कहा था कि आज या कल सुबह आ जाना ! जतिन बोला।
अच्छा तुम बैठो मैं पानी-वानी लाती हूँ …! मैंने यह कहा और सोफे से उठ कर रसोई की ओर चली गई, फ्रिज में से पानी की बोतल निकाल कर एक ग्लास में पानी डाला और ग्लास अपने देवर जतिन के सम्मुख जरा झुक कर ग्लास उसकी ओर बढ़ा कर बोली- लो पानी पीयो ! मैं चाय बनाती हूँ !
जतिन ने सकपका कर मैगजीन से नजर हटाई, मैंने देख लिया था- वह एक मोडल का उत्तेजक फोटो बड़ी तल्लीनता से देख रहा था, उसके चेहरे पर ऐसे भाव आ गए जैसे चोरी पकड़ी गई हो !
उसने कांपते हाथ से ग्लास ले लिया, मेरी ओर देखने पर उसकी पैनी नजर मेरे खुले सीने पर अन्दर ब्रेजरी तक होकर वापस लौट आई, वह नजर झुका कर पानी पीने लगा तो मैं मन ही मन मुस्कुराती हुई रसोई में चली गई।
मैंने चाय पांच मिनट में ही बना ली, चाय लेकर मैं वापस ड्राइंग रूम पहुंची तो देखा कि जतिन तपते चेहरे से मैगजीन को पढ़ रहा है, मेरी आहट पाते ही उसने मैगजीन मेज़ पर उलट कर रख दी,
लो चाय … .चाय का एक कप ट्रे में से उठा कर मैंने उसकी ओर बढ़ाया, उसने कंपकंपाते हाथ से कप पकड़ लिया और नजर चुरा कर कप में फूंक मारने लगा, मैंने भी एक कप उठा लिया,
मैंने महसूस कर लिया कि जतिन सेक्स के प्रति अभी संकोची भी है और अज्ञानी भी, ऐसे युवक से संबंध स्थापित करने का एक अलग ही मजा होता है, मैं सोचने लगी कि जतिन से कैसे सेक्स संबंध विकसित किया जाये ताकि मेरी यौन पिपासा में शांति पड़े।
उसके गोल चेहरे और अकसर शांत रहने वाली आँखों में मैं यह देख चकी थी कि कामोत्तेजक मैगजीन ने शांत झील में पत्थर मार दिया है और अब उसके मन में काम-भावना से संबंधित भंवर बनने लगे हैं, वह खामोशी से चाय पी रहा था, मेरी ओर यदा कदा देख लेता था।
तभी फोन की घंटी बज उठी, मैंने सोफे से उठ कर फोन का रिसीवर उठाया ओर उसे कान में लगा कर बोली- हेलो ! आप कौन बोल रहे हैं …?
जानेमन हम तुम्हारे पति बोल रहे हैं … उधर से मेरे पति का स्वर आया … हम थोड़ी देर में आयेंगे … तुम परेशान मत होना … ओ.के … इतना कह कर उन्होंने संबंध विच्छेद भी कर दिया।
किसका फोन था …? जतिन ने प्रश्न किया।
तुम्हारे भाई साहब का …! मेरी कुछ सुनी भी नहीं और थोड़ी देर से आयेंगे ये कह कर रिसीवर भी रख दिया … मैंने दोबारा उसके सामने बैठते हुए कहा।
अब तक उनकी आदत ऐसी ही है … कमाल है … ! जतिन बोला।
वह चाय ख़त्म कर चुका था, खाली कप उसने मेज़ पर रख दिया, मैं भी चाय पी चुकी थी।
चलो टी. वी देखते हैं … .मैं सोफे से उठती हुई बोली, मैंने एक शरीर-तोड़ अंगड़ाई ली, मेरी मेक्सी में से मेरा शरीर बाहर निकलने को हुआ, जतिन के होंठों पर उसकी जीभ ने गीलापन बिखेरा और आँखें अपनी कटोरियों से बाहर आने को हुई।
मैंने टेबल से मैगजीन उठा ली और बेडरूम की ओर चल दी, जतिन मेरे पीछे पीछे था।
मैंने बेडरूम में पहुँच कर टी.वी. ऑन करके केबल पर सेट किया एक अंग्रेजी चैनल लगाया ओर बेड पर अधलेटी मुद्रा में बेड की पुश्त से पीठ लगा कर बैठ गई और मैगजीन खोल कर देखने लगी, जतिन भी बेड पर बैठ गया लेकिन मुझसे फासला बना कर।
मुझमें कांटे लगे हैं क्या … ? मैंने उससे कहा।
जी … जी … क्या मतलब …? जतिन हड़बड़ा कर बोला।
तुम मुझसे इतनी दूर जो बैठे हो … ! मैंने मैगजीन को बंद करके पुश्त पर रख कर कहा।
ओह्ह … लो नजदीक बैठ जाता हूँ …! कह कर वह मेरे निकट आ गया।
उसके और मेरे शरीर में मुश्किल से चार छः अंगुल का फासला रह गया।
तबियत ठीक नहीं है तुम्हारी …? कान कैसे लाल हो रहे हैं …! मैंने उसके चेहरे को देख कर कहा ओर उसके माथे पर हाथ लगा कर बोली- ओहो … माथा तो तप रहा है … ऐसा लगता है कि तुम्हें बुखार है … .दर्द-वर्द तो नहीं हो रहा सिर में …! हो रहा हो तो सीर दबा दूँ! मैंने कहा।
हो तो रहा है भाभी जी … दोपहर से ही सर दर्द है …! अगर दबा दोगी तो बढ़िया ही है ! जतिन बोला।
लाओ … गोद में रख लो सिर … मैंने उसके सिर को अपनी ओर झुकाते हुए कहा।
उसने ऐतराज नहीं किया और मेरी जाँघों के जोड़ पर सीर रख कर लेट गया, मैं उसके माथे को हल्के हल्के दबाने लगी और मेरे मस्तिस्क में काम-विषयक अनार से छूटने शुरू हो गये थे।
भाभी … आप बुरा न मनो तो एक बात पूछूं? जतिन बोला।
पूछो … एक क्यों दस पूछो … ..मैं टीवी से नजर हटा कर उसकी बड़ी बड़ी आँखों में झांक कर बोली।
यह जो मैगजीन है, इसे आप पढ़ती हैं या भाई साहब …? जतिन ने प्रश्न किया।

हम दोनों ही पढ़ते हैं क्यों …? मैंने कहा।
दोनों ही …आपको क्या जरुरत है ऐसी मैगजीन पढने की …? वह बोला।
क्यों …? हम दोनों क्यों नहीं पढ़ सकते …हमें जरुरत नहीं पड़नी चाहिए …? मैं बोली।
और क्या … आप तो शादी शुदा हो … इसकी या ऐसी मैगजीन मेरे जैसे कुंवारों के लिए ठीक रहती है …! जतिन बोला।
क्यों … .जो आनंद इस मैगजीन से कुंवारे ले सकते हैं … ..उस पर हमारा अधिकार नहीं है क्या … ? कैसी बातें करते हो तुम … मैं उसकी कनपटियाँ सहला कर बोली।
अरे वाह … ..आपको आनन्द के लिये मैगजीन की क्या जरुरत … ? आपके पास तो जीवित आनन्द देने वाली मशीन है … .मेरे कहने का मतलब है कि आप भैया से आनन्द ले सकती हो और वे आपसे … .परेशानी तो हम जैसों की है … ..जो अपनी आँखों की प्यास बुझाने के लिये ऐसी मैगजीनों पर आश्रित हैं … जतिन ने बात को गंभीर मोड़ दिया।
ओहो … तो मेरे देवर की आँखें प्यासी रहती हैं तभी ऐसी बातें कर रहे हो … .मैंने मुस्कुराते हुए कहा, फ़िर बोली … तो क्या तुमने अभी तक अपनी आँखों की प्यास नहीं बुझाई … मेरे कहने का मतलब ये है कि … क्या इन बड़ी बड़ी आँखों को देवी दर्शन नहीं हुए?
देवी दर्शन … ? वह इस शब्द पर उलझ गया।
यानि कि किसी युवती को बिना कपड़ों के नहीं देखा? मैंने देवी दर्शन का मतलब समझाया।
इसे कहते हो आप देवी दर्शन … वाकई आप तो जीनियस हो भाभी जी … वैसे कह ठीक रही हो आप ! अपनी किस्मत में ऐसा कोई मौका अभी तक नहीं आया है, आगे भी शायद ही आये … .वह सोचता हुआ सा बोला, फ़िर टी.वी पर आते एक दृश्य में दो मिनी स्कर्ट वाली लड़कियों को देख कर बोला- टी.वी. या किताबों में ही देख कर संतोष करना पड़ता है !
तुम सचमुच ही बद-किस्मत हो, लेकिन एक बात बताओ ! जब तुम ऐसी मैगजीन देख लेते होगे तब तो और प्यास भड़क उठती होगी और शरीर में उत्तेजना भी फ़ैल जाती होगी … उस उत्तेजना को तुम कैसे शांत करते हो फ़िर …? मैं बोली।
क्या भाभी जी आप भी कैसी बातें करती हो …? क्यों मेरे जख्म पर नमक छिड़क रही हो … कैसे शांत करता हूँ … .अपना हाथ जगन्नाथ …! वह बोला।
यानि अपने हाथ से ही अपने को संतुष्ट कर लेते हो और अगर मैं तुम्हारी ये मुश्किल दूर कर दूँ तो …? मैंने उसके गालों को सहला कर भेद भरे स्वर में कहा, मेरी आँखें रंगीन हो चुकी थी।
क्या ..? आप कैसे मेरी मुश्किल दूर कर सकती हैं …? वह जिज्ञासु होकर बोला।
इस बात को छोडो … यह बताओ कि अगर मैं तुम्हें यह छूट दे दूँ कि तुम मेरे कठोर और सुन्दर स्तनों को कपड़े हटा कर देख सकते हो तो बताओ तुम क्या करोगे …? मैंने अब उससे एकदम साफ़ कहा।
जी … जी … वह सकपका गया, उसे मेरी बात पर यकीन नहीं हुवा और बोला- आप तो मजाक कर रही हो भाभी !
चलो मजाक में ही सही अगर कह दूँ तो क्या … कह ही रही हूँ … … जतिन देवर जी … अगर तुम चाहो तो मेरे गाउन के चारों बटन खोल कर मेरी ब्रा में कैद मेरे स्तनों को ब्रा को हटा कर देख सकते हो … .मैंने उसके कुरते के गले में हाथ डाल कर उसके मजबूत सीने को सहला कर कहा।
लगता है आप मुझ पर मेहरबान हैं या फ़िर मजाक कर रहीं हैं …! उसे अभी भी यकीन नहीं आया।
ओहो … बड़े शक्की आदमी हो … चलो मैं ही तुम्हारे स्तनों को देख भी लेती हूँ और मसल भी देती हूँ … .मैंने झल्ला कर उसके सीने पर मौजूद उसके दोनों छोटे छोटे निप्पलों को मसलना शुरू कर दिया।
उफ … यह क्या कर रही हो भाभी …मुझे परेशानी होगी …! वह मचल कर बोला।
अब तुम तो कुछ करने को तैयार नहीं हो … तो मुझे ही कुछ करना पड़ेगा ना …! मैंने कहा।
अब जतिन से पीछे नहीं रहा गया, उसने अपने ऊपर मुझे लेते हुए मेरे स्तनों को मेक्सी के ऊपर से ही सहलाना शुरु कर दिया और बोला- आज तो आप मुझे कत्ल कर के ही छोडेंगी … ये दोनों पर्वत कब से मुझे परेशान कर रहे हैं … .अब मुझे मौका मिला है … ..इन्हें परेशान करने का … वह मेक्सी के बटन खोलने लगा था, उसकी क्रिया में बेताबी थी, मैं उसके कुर्ते के बटन खोल कर उसके सीने को सहला रही थी।
उसने कांपते हांथों से मेक्सी के दोनों पल्लों को स्तनों से हटा कर ब्रेजरी के कप को नीचे कर दिया और स्तब्ध निगाहों से पहले मेरे गुलाबी रंग के कठोर स्तनों को देखता रहा फ़िर मैंने ही स्तन के निप्पल को उसके होठों में देकर कहा- लो … बुझाओ प्यास … मैं जानती हूँ … … .जबसे तुमने मैगजीन देखी है … .तब से ही तुम्हारी प्यास भड़क उठी है !
उसने निप्पल मुंह में ले लिया और उसे चूसते हुए दूसरे स्तन को भी ब्रेजरी के कप में से निकालने की कोशिश करने लगा, उसकी कोशिश देख कर मैंने हाथों को पीछे ले जा कर ब्रेजरी के हुक को खोल दिया तो उसने दूसरे स्तन को भी उसके कप से निकाल कर हाथ में ले लिया और उसके निप्पल को जोर जोर से मसलने लगा।
मैं तरंगित होती जा रही थी, मैगजीन के पन्नों ने मेरी नसों का लहू गर्म कर दिया था, जिसको शीतल करने के लिये मुझे भी एक पुरुषीय-वर्षा की जरुरत थी, मैं उसके बालों को सहला रही थी।
चूसो जतिन ! जितना चाहो चूसो … .तुम्हारे भईया को भी यही पसंद है … मैंने उत्तेजित होते हुए कहा।
लेकिन मेरी दिलचस्पी तो दूसरी चीज में भी है, उसे भी चूसने की इजाजत मिल जाये तो मजा दोगुना हो जाये …! जतिन ने निप्पल को मुंह से निकाल कर कहा।
उफ … पहले इस पहली चीज से तो जी भर लो ! वह दूसरी चीज भी दूर नहीं है … मैंने उसकी क्रिया से आनन्दित होते हुए कहा।
मेरे हाथ उसके पाजामे पर पहुच चुके थे, मैं उसके नाड़े को खोलने ही जा रही थी कि उसने जरा नीचे को सरक कर मेरे सपाट चिकने पेट और नाभि को चूमना शुरू कर दिया, वह मेरी मेक्सी से परेशान होने लगा था, मैंने मेक्सी को शरीर से अलग कर दिया और पूरी तरह चित लेट गई, मेरी यौवन संपदा को साक्षात देख कर वह पागल सा होने लगा, मेरी जाँघों को और मेरे गोरे पांव के तलवों को पागलों की तरह जोर जोर से चूमने चाटने लगा।
मैं भी पागलों सी हो गई, मेरे कंठ से कामुक सिसकारियां छूटने लगी, उसके होंठ और उसकी जीभ मेरे शरीर में नया सा नशा घोलने लगी, वह मेरी टांगों के जरा जरा से हिस्से को चूम रहा था और सहला रहा था, उसने मेरी कमर में हाथ डाल कर मुझे पेट के बल लिटा दिया, अब मेरी पीठ और नितंबों के चूमे जाने का नंम्बर था, वह बड़ी ही कुशलता से मेरे संवेदनशील शरीर को सहला रहा था और चूम रहा था।
तुम तो पुरे गुरु आदमी हो उफ … कैसे मेरे … उफ … .उफ … कैसे मेरे सारे शरीर में हर अंगुल पर एक ज्वालामुखी सा रखते हो … उफ … मैं तरंगित स्वर में बोल रही थी, उफ … कहीं से ट्रेनिंग ली है क्या …?
ऐसा ही समझो भाभी … मैं एक कम्प्यूटर आर्टिस्ट हूँ … ..कम्प्यूटर की कई सी.डी. ऐसी आती हैं जिनमें संभोग के गजब गजब के आसन और मुद्रायें होती हैं … .उसने मेरे नितंबों से पेंटी सरकाते हुए कहा।
वह अब मेरे नितंबों पर चुंबन धर रहा था, मैं शोला बन गई थी, मेरी उत्तेजना शिखर पर पहुँच गई थी।
अब मुझसे रुका नहीं जा रहा था लेकिन फ़िर भी जतिन द्वारा मिलते चुंबनों के आनंद ने मुझे और प्यासा बना डाला था, मैं चाहती थी कि मेरे शरीर के पोर पोर से वह काम रस चूस ले और मुझे पागल करके छोड़ दे।
वह अपनी क्रिया में व्यस्त था, मैं पुनः पीठ के बल हो गई थी और वह मेरी जाँघों को खोल कर मेरी केश विहीन योनि को चूस रहा था, मैं उत्तेजना में अपने स्तनों को स्वयं ही मथ रही थी।
अपनी टांगें मेरी तरफ कर लो … मैंने उससे कहा, तो उसने मेरा कहा मान लिया, उसके पाँव मेरे सिर के भी पीछे तक चले गए, मैंने फुर्ती से उसका पाजामा व अंडरवीयर उसके उत्तेजित लिंग से हटाया और आठ नौ इंच के लिंग को मुंह में ले लिया, उसका लिंग मेरे पति से मोटा था इस कारण मुझे होंठ पूरे खोलने पड़ गये, मैं उसे चूसने लगी।
अब तड़पने और उछलने की बारी उसकी थी।
उफ … उफ … भा … भाभी … .आप तो लगता है मुंह में निचोड़ लेंगी मुझे … उफ … !
यह पहला टेस्ट तो मैं मुंह से ही लूंगी … ..फ़िर योनि में डलवाउंगी, तुम लगे रहो उस काम में, जिसमें लगे हो … .इतना कह कर मैं फ़िर लिंग चूसने लगी, जतिन लिंग पर मेरे होठों का घर्षण अधिक देर तक नहीं झेल पाया और वह मेरी योनि को भूल कर मेरे कंठ में ही तेजी से धक्के मार कर स्खलित हो गया, उसका सुगन्धित व खौलता वीर्य मैं पी गई, फ़िर भी मैंने लिंग को नहीं छोड़ा और उसे चूस चूस कर पुनः उत्तेजित करने लगी।
थोड़ी देर मैं वह फ़िर कठोर हो गया तो मैंने योनि में उसे डलवाया।
जतिन ने ऐसे ऐसे ढंग से योनि को लिंग से रगड़ा कि मैं चीख पड़ी, उसने अन्ततः बेड से नीचे उतर कर खड़े होकर मेरी जाँघों को खोलकर ऐसे धक्के मारे कि मैं तृप्त हो गई और चरमोत्कर्ष तक पहुंची, वह पुनः स्खलित हो कर मुझसे लिपट गया।
अब मैं और मेरे पति इतने उन्मुक्त हो गये हैं कि मेरे घर मेरा देवर आ जाये, मेरा भाई आ जाये, शिल्पा आ जाये या मेरी कोई सहेली आ जाये या मेरे पति का कोई दोस्त आ जाये हम लोग हर किसी को अपनी काम क्रीड़ा में शामिल कर लेते हैं।
मेरी कामुकता ने सारी हदें पार कर दी हैं, मुझे तो कपड़े अच्छे लगते ही नहीं है, अब उस दिन मेरे ससुर आये थे तब भी मैंने ब्रा-पेंटी पर पारदर्शी गाउन पहन रखा था और मेरे पति ने उनकी उपस्थिति में भी शर्म ना की और मेरे उभारों को चूमते रहे …!
मेरे ससुर को ही ड्राइंगरूम से उठ कर अपने कमरे में जाना पड़ा था !

भाभी की मस्त चुदाई (Bhabhi Ki Mast Chudai)

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प्रेषक : मुकेश शर्मा
दोस्तो ! मेरा नाम मुकेश है। मैंने अन्तर्वासना की सभी कहानियाँ पढ़ी हैं तो मेरा भी दिल आज अपनी आप बीती लिखने का हुआ तो लिखने बैठ गया अपने हसीन पलों की दास्ताँ !

यह मेरी पहली कहानी है। लेकिन एक वास्तिक घटना है जो कि १ साल पहले मेरे साथ हुई थी। मैं इसमें कुछ गंदी भाषा का प्रयोग भी कर रहा हूँ लेकिन सिर्फ़ रोचक बनाने के लिये।
यह बात सिर्फ़ मुझे और मेरी भाभी को ही पता है और अब आपको भी यह कहानी पढ़ कर पता लग जाएगी।
मेरे भैया की शादी दो साल पहले ही हुई है। भाभी का नाम मन्दाकिनी है। भाभी बहुत ही सेक्सी, गोरी, स्लिम है। उनका फ़ीगर वेल-मेन्टेन्ड है। भैया एक कंपनी में हैं, वो बाहर ही रहते हैं और शहर में वो कभी कभी आते हैं। भाभी को देख २ कर मैं तो जैसे पागल हुआ जा रहा था। किसी न किसी तरह भाभी को छूने की कोशिश करता रहता था। वो जब मेरे कमरे में झाडू लगाने आती तो जैसे ही झुकती तो मेरा ध्यान सीधे उनके ब्लाउज़ के अंदर चला जाता। क्या गजब स्तन हैं हैं उनके ! जी करता कि पकड़ कर मसल दूं !
पर मैं तो सिर्फ़ उन्हें देख ही सकता था। भाभी और मुझ में बहुत ही अच्छी जमती थी। हम हंसी मजाक भी कर लेते थे। पर कभी भी घर में अकेले नहीं होते थे, कोई न कोई रहता था। मैं सोचता था कि काश एक दिन मैं और भाभी अकेले रहें तो शायद कुछ बात बने।
सर्दी का मौसम था, घर के सभी सदस्यों को एक रिश्तेदार की शादी में चेन्नई जाना था। भैया तो रहते नहीं थे। मम्मी पापा, मैं और भाभी ही थे।
पापा ने कहा- कि शादी में कौन कौन जा रहा है?
मैंने कहा- मेरे तो एक्ज़ाम्स आ रहे हैं। मैं तो नहीं जा पाउंगा।
मम्मी बोली- चलो ठीक है इसकी मरजी नहीं है तो यह यहीं रहेगा पर इसके खाने की परेशानी रहेगी।
इतने में मैं बोला- भाभी और मैं यहीं रह जायेंगे, आप दोनो चले जायें।
सबको मेरा विचार सही लगा। अगले दिन मम्मी पापा को मैं ट्रैन में बिठा आया। अब मैं और भाभी ही घर में थे। भाभी ने आज गुलाबी साड़ी और ब्लाऊज़ पहन रखा था। ब्लाउज़ में से ब्रा जो के क्रीम रंग की थी, साफ़ दिख रही थी। मैं तो कंट्रोल ही नहीं कर पा रहा था। पर भाभी को कहता भी तो क्या।
भाभी बोली- थैन्क यू देवर जी !
मैंने कहा- किस बात का?
भाभी बोली- मेरा भी जाने का मूड नहीं था। अगर आपकी पढ़ाई डिस्टर्ब न हो तो आज मूवी देखने चलें?
मैंने कहा- चलो ! पर कोई अच्छी मूवी तो लग ही नहीं रही है, सिर्फ़ मर्डर ही लगी हुई है।
भाभी बोली- वो ही देखने चलते हैं।
मैं चौंक गया। भाभी कपड़े बदलने चली गई। वापस आई तो उन्होने गहरे गले का ब्लाउज़ पहना था, उनके ब्रा और स्तनों के दर्शन हो रहे थे।
मैने कहा- भाभी अच्छी दिख रही हो !
भाभी बोली- थैंक्स !
हम सिनेमा हाल गये। हमें इत्तेफ़ाक से सीट भी सबसे ऊपर कोने में मिली। फ़िल्म शुरु हुई। मेरा लंड तो काबू में ही नहीं हो रहा था। अचानक मल्लिका का कपड़े उतारने वाला सीन आया। मैं देख रहा था कि भाभी के मुंह से सिसकियाँ निकलनी शुरु हो गई और भाभी मेरा हाथ पकड़ कर मसलने लगी। मेरा भी हौसला बढ़ा मैने भी भाभी के कंधे पर हाथ रख दिया और धीरे-२ मसलने लगा। हाल में बिल्कुल अंधेरा था। मेरा हाथ धीरे २ भाभी के स्तनों पर आ गया। भाभी ने भी कुछ नहीं कहा। वो तो फ़िल्म का मज़ा ले रही थी। अब मैं भाभी के वक्ष को मसल रहा था और अब मैने उनके ब्लाउज़ में हाथ डाल दिया। भाभी सिर्फ़ सिसकरियाँ भरती रही और मुझे पूर्ण सहयोग करती रही। अब फ़िल्म खत्म हो चुकी थी। हम दोनों घर आये।
मैंने पूछा- क्यों भाभी ! कैसी लगी फ़िल्म?
भाभी बोली- मस्त !
मैंने कहा- भाभी भूख लगी है !
हम दोनों ने साथ खाना खाया। मैं अपने कमरे में चला गया। इतने में भाभी की आवाज़ आई- क्या कर रहे हो देवर जी? जरा इधर आओ ना !
मैं भाभी के बेडरूम में गया तो भाभी बोली- ये मेरी ब्रा का हुक बालों में अटक गया है प्लीज़ निकाल दो ना !
भाभी सिर्फ़ ब्रा और पेटीकोट में ही थी। उसने क्रीम रंग की ब्रा पहन रखी थी। मैंने ब्रा खोलने के बहाने उसके निप्पलों को भी मसल दिया और पूरी पीठ पर हाथ फ़िरा दिया।
मैंने कहा- भाभी लो खुल गई ब्रा !

मैने ब्रा को झटके से नीचे गिरा दिया। अब भाभी पूरी टॉपलेस हो चुकी थी। हम दोनों फ़ुल फ़ोर्म में आ चुके थे।
भाभी बोली- देवर जी, भूख लगी है तो दूध पी लो !
मैंने भाभी को उठाया और बिस्तर पर ले गया उनका पेटीकोट भी खोल दिया। अब वो पूरी नंगी हो चुकी थी और मैं भी। मैंने शुरुआत ऊपर से ही करना मुनासिब समझा और भाभी के लाल लिपस्टिक लगे रसीले होंठों को जम कर चूसा। उसके बाद बारी आई उनकी छाती की, जिस पर कि दो मोटी-२ दूध की टंकियाँ लगी थी। उनके निप्पल का सबसे आगे का हिस्सा बिल्कुल भूरा था। मैंने भाभी के स्तनों को इतना मसला और चूसा कि सच में ही दूध निकल आया। मैंने दोनों का जम कर आनंद लिया। भाभी के मुंह से तो बस सिसकारियाँ निकल रही थी- आह आ आआ अह आआआआआह्हह !
अब मैं वक्ष से नीचे भाभी की चूत पर आया। क्या क्लीन चूत थी एक भी बाल नहीं। मैंने पहले तो भाभी की चूत को खूब चाटा फिर नग्न फ़िल्मों की तरह जोर-२ से उंगली करने लगा। भाभी आ अह आआआह ! देवर जी कर रही थी। फिर मैंने भाभी को घोड़ी बनने के लिये कहा। भाभी घोड़ी बन गई। मैंने अपना लंड चूत में डाल दिया और जोर जोर से चोदने लगा।
इस तरह मैने ३० मिनट तक भाभी को अलग २ पोजिशन में चोदा (सोफ़े पर भी)। अब मैं थक गया था।
भाभी बोली- तुमने तो मेरे बहुत मज़े ले लिए, मेरे शानदार फ़ीगर वाले बूब्स को चूस-२ और मसल-२ कर लटका और खाली कर दिया, अब मेरी बारी है।
मैं लेट गया।भाभी मेरे उपर चढ़ गई और मेरे सीने को मसलने और चूसने लगी और मेरे भी छोटे २ बोब निकाल दिये। मैं भी भाभी के बूब्स को मसल रहा था। फिर भाभी मेरे लंड को पकड़ कर चूसने लगी। करीब १५ मिनट तक उसने मेरे लंड को चूसा।
अब हम दोनों को नींद आ रही थी। हम उसी हालत में सो गये। सुबह उठ कर हम दोनों साथ ही टब में नहाये और मैंने भाभी के एक एक अंग को रगड़-२ कर धोया।
इसके बाद भी हम २-३ दिन तक सेक्स का आनंद लेते रहे। अब भी कभी मौका मिलता है तो हम शुरु हो जाते हैं। साथ में घर पर ही नेट पर साइट्स देखते हैं।
मुझे तो साड़ी सेक्स बहुत पसंद है। एक एक कपड़ा ब्लाउज साड़ी, ब्रा, पेटीकोट खोलने का मज़ा कुछ और ही है। मैं अपनी ड्रीम गर्ल को भी साड़ी में ही देखना चाहता हूं।
दोस्तो, आपको कैसी लगी यह कहानी !
मुझे बताएं ताकि मैं और कहानियाँ लिख सकूँ!

तन की आग (Tan Ki Aag)

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लेखिका : नेहा वर्मा
हम पति पत्नि दोनों ही गांव छोड़ कर नौकरी के सिलसिले में दिल्ली आ गये थे। मेरा देवर भी पढ़ाई के लिये हमारे साथ यहां आ गया था। मेरा देवर राजू कॉलेज में था उसे सुबह जाना होता था और 12 बजे तक वापस आ जाता था। मैं दोनों का नाश्ता और खाना सुबह ही तैयार देती थी।

राजू सवेरे उठ कर मुझे जगा देता था, कई बार मैं कम कपड़ो में सोती थी, तब राजू मुझे बहुत गौर से देखता रहता था। शायद वो मेरे बोबे निहारता था। अगर कभी कभी रात को पति से चुदाने के बाद मैं ऐसे ही सो जाती थी। मुझे अस्तव्यस्त कपड़ों में राजू का मुझे ऐसे निहारना रोमांचित कर देता था। पर वो तो दिन भर अपने आप को इन चीज़ो से अनजान ही बताता था। वो भी जब कभी पेशाब करता था तो मौका देख कर लण्ड को ऐसे निकाल कर करता था कि उसका लण्ड मुझे दिख जाये। मैं भी उसके लण्ड की छवि मन में उतार लेती थी और वो मेरे मन में बस जाता था। अपने ख्यालो में मैं उस लण्ड से चुदती भी थी।
जब वो करीब 12 बजे दिन को लौटता था तो उसे खाना परोसते समय मैं झुक कर अपने स्तन के दर्शन जरूर कराती थी, वो भी तिरछी नजरों से मेरे सुडौल स्तनों का रसपान करता था। पजामे में से उसका लण्ड जोर मारता स्पष्ट दिखाई देता था।
जब दोनों तरफ़ आग लगी थी तो देरी किस बात की थी। जी हां … हमारे रिश्तों की दीवार थी, मेरी उम्र की दीवार थी … उसे तोड़नी थी … पर कैसे ??? देखने दिखाने का खेल तो हमने बहुत खेल लिया था … अब मन करता था कि आगे बढ़ा जाये, कुछ किया जाये … … शायद ऊपर वाले को भी हम पर दया आ गई थी … … यह दीवार अपने आप ही अचानक टूट गई।
दिन में खाना खा कर राजू अपने बिस्तर पर लेटा था। मैं भी अपने कमरे में जा कर लेट गई थी। मन तो भटक रहा था। मेरे हाथ धीरे धीरे चूत पर घिस रहे थे। मीठी मीठी सी आग लग रही थी। मेरा पेटीकोट भी ऊपर उठा हुआ था। हाथ दाने को सहला रहा था। अचानक मुझे लगा को कोई है? मैंने तुरन्त नजरें घुमाई तो राजू दरवाजे पर नजर आ गया। मैंने जल्दी से पेटीकोट नीचे कर लिया और बैठ गई। राजू डर गया और जाने लगा … शायद वो कुछ देर से मुझे देख रहा था …
“ए राजू … इधर आ … ” मैंने उसे बुलाया ” देख भैया को मत कहना जो तूने देखा है।”
“नहीं भाभी, नहीं कहूंगा … आपकी कसम !”
“ले ये 50 रु रख ले बस … !” मैंने उसे रिश्वत दी। राजू की आंखे चमक उठी, उसने झट से पैसे रख लिये।
“आप बहुत अच्छी है भाभी … !” उसका लण्ड अभी भी उठान पर था, मुझे ये सब करता देख कर वो उत्तेजित हो चुका था।
“तुझे अच्छा लगा ना … ” मैंने शरम तोड़ना ही बेहतर समझा।
“हां … भाभी, पर आप भी मत कहना भैया से कि मैंने आपको ये सब करते हुये देख लिया है।”
मेरे जिस्म में सनसनी फ़ैल गई … तो सब इसने देख लिया है … मैं समझी थी कि बस थोड़ा सा ही देखा होगा। मुझे लगा कि अब राजू मुझसे चुदाई के बारे में फ़रमाईश करेगा। पर हुआ उल्टा ही … राजू की सांसे तेज हो गई थी … उसके चेहरे पर पसीना आ रहा था … राजू मेरे कमरे से बाहर निकल कर अपने कमरे में आ गया। मुझे लगा कि आज मौका है, लोहा गर्म है, माहौल भी है … कोशिश कर लेनी चाहिये।
इसी कशमकश में 15 मिनट निकल गये। हिम्मत करके मै उठी और धीरे से उसके कमरे में झांका। वो किन्हीं ख्यालो में खोया हुआ था या उसे वासना की खुमारी सी आ रही थी। पजामे में उसका लण्ड खड़ा था और उसके हाथ उस पर कसे हुये थे। आंखे बन्द थी और वो शायद हौले हौले मुठ मार रहा था। शायद मेरे नाम की ही मुठ मार रहा था। आनन्द में मस्त था वो। मैं दबे पांव उसके बिस्तर के पास आई और उसके बालों पर हाथ फ़ेरा। उसने अपनी आंख नहीं खोली, शायद वो इसे सपना समझ रहा था। मैंने अपना होंठ उसके होंठो से मिला दिये और उसे चूमने लगी। वो तन्द्रा से जागा। उसके होंठ कांप उठे और अपने आप खुल गये।
” भाभी … आप … !” उसके हाथ मेरी कमर में आ गये, उसकी वासना से भरी आंखे गुलाबी हो रही थी।
“राजू मत बोल कुछ भी … तू मुझे प्यार करता है ना … !” मैंने उसका लण्ड पकड़ लिया और दबाने लग गई, ताकि उसके इन्कार की गुन्जाइश नहीं रहे।
“भाभी … हाय मेरा लण्ड … मैं मर गया … मत करो ना … !” उसकी झिझक अभी बाकी थी। पर उसका लण्ड बहुत जोर मार रहा था।
“तू कितनी बार मुठ मारेगा … आजा आज अपनी कसर निकाल ले, कितना मोटा लण्ड है तेरा … !” उसके लण्ड को मैंने जबरदस्ती कस कर पकड़ लिया और उसे दबाने लगी। आखिर उस पर वासना सवार हो ही गई। उसने विरोध करना छोड़ दिया और लण्ड को मेरे हवाले कर दिया। मैं धीरे से उसके ऊपर चढ़ गई और उसे अपने जिस्म के नीचे दबा लिया। अपना पेटीकोट भी ऊपर करके नंगी चूत उसके पजामे में खड़े कड़क लण्ड के ऊपर रख दी और हौले हौले घिसने लगी। राजू उत्तेजना से तड़प उठा। उसने मेरे कठोर स्तन थाम लिये और सहलाने लग गया। मेरे स्तन कड़े होते जा रहे थे। चूचक भी कड़क हो कर फूल गये थे। चूत से पानी रिसने लगा था। मेरे शरीर का बोझ उस पर बढ़ने लगा।
“राजू पजामा उतार दे ना … हाय रे देख तेरे लण्ड की क्या हालत हो रही है।” मुझे चुदाने की जोर से इच्छा होने लगी थी। चूत में जोर की मिठास भरने लगी थी।
“भाभी, आप भी पेटीकोट उतार दो ना … मुझे आपका सब देखना है … ” उसकी बेताबी देखते बनती थी, लगता था कि राजू की भी प्रबल इच्छा हो रही थी कि अपनी भाभी की मस्त चूत और गाण्ड की प्यारी प्यारी गोलाइयाँ देखे।
“सच राजू … मेरी चूत देखेगा, … मेरी चूंचिया देखेगा … सुन, अपना लण्ड मुझे दिखायेगा ना !” मेरी बेताबी बढ़ने लगी। चूत का पानी साफ़ करते करते पेटीकोट भी गीला हो गया था।
“हां, मेरी भाभी … जो चाहोगी आप कर लेना।” राजू नंगा होने को बेताब लग रहा था। उसकी कमर चोदने की स्टाईल में कुछ कुछ ऊपर नीचे हो रही थी।

मैंने धीरे से उसका पजामा उतार दिया। उसका मस्त तन्नाया हुआ लण्ड बाहर निकल कर झूमने लगा। थोडी सी गोल सी चमड़ी में से उसका सुपाड़ा झांक रहा था। मैंने उसका लण्ड पकड़ लिया और सहलाने लगी। उसकी सुपाड़े की चमड़ी खींच कर लाल सुपाड़ा बाहर निकाल लिया। उसकी स्किन लगी हुई थी , मतलब उसने किसी को नहीं चोदा था, फ़्रेश माल था। मेरा प्यार उस पर उमड पड़ा।
“राजू, प्लीज अपनी आंखे बन्द कर लो, मुझे अब कुछ करना है … !” मैंने राजू से वासनामय स्वर में कहा। राजू ने चुपचाप अपनी आंखे बन्द कर ली। मैंने थूक का बड़ा सा लौन्दा उसके सुपाड़े पर रख दिया और उसे मलने लगी। उसके मुख से सिसकारियाँ फ़ूट पड़ी। मैंने अब झुक कर उसका मस्त लण्ड मुख में ले लिया और मुख में लण्ड अन्दर बाहर करके अपना मुख चोदने लगी। वो मस्ती में सिमट गया और … आहें भरने लगा।
“अपनी टांगे उठाओ राजू … थोड़ी और मस्ती करनी है … !” मुझे उसकी गाण्ड को अंगुली से चोदने की इच्छा होने लगी।
“लो उठा ली टांगें … ” उसने अपनी टांगें ऊपर उठा ली। उसकी गाण्ड खुल गई।
मैंने उसकी गाण्ड को सहलाने लगी और दबाने लगी। उसकी गाण्ड के फ़ूल को छूने लगी और दबाने लगी। उसकी गाण्ड के छेद में थूक लगा कर एक अन्गुली धीरे से अन्दर सरका दी। राजू चिहुंक उठा। धीरे धीरे अंगुली अन्दर बाहर करने लगी … राजू झूम उठा।
“भाभी … आप तो सब कुछ जानती है … कितनी अच्छी है … कितना मजा आ रहा है … मेरा लण्ड रगड़ दो ना !” उसकी सिसकारियां बढ़ने लगी, आहें फ़ूट पड़ी।
“मजा आ रहा है ना … !” मैंने दूसरे हाथ से उसका लण्ड पकड कर मुठ मारना चालू कर दिया। पर ये क्या … वो टांगे समेट कर एठने लगा और उसका वीर्य छूट पड़ा। ढेर सारा वीर्य निकलता गया … मैंने फ़ुर्ती से लण्ड को अपने मुख में ले लिया और गटागट पीने लगी। उसकी गाण्ड में से अन्गुली निकाल ली। उसकी सांसे उखड़ रही थी। वो अब धीरे धीरे अपनी सांसें समेट रहा था, अपने आप को कन्ट्रोल कर रहा था।
अब कपड़े उतारने की मेरी बारी थी। मैं भी बेकाबू हो रही थी। मैं चाह रही थी कि वो भी मेरे जिस्म से खेले। मेरी चूंचियो को दबाये,, खींचे, घुमाये, मेरी चूत से खेले मेरी गाण्ड की गोलाईयाँ दबाये औए गाण्ड में मेरी ही तरह अंगुली करे। मैंने राजू से कहा,” राजू … अब आप भी अपनी इच्छा पूरी कर लो … कहो कहां से शुरू करोगे … ?” मेरे मुख से बोल नहीं वासना उमड़ रही थी।
“भाभी … मुझे तो आपके बोबे यानी चूंचियाँ बहुत जोरदार लगती हैं … जाने सपनो में कितनी बार दबा चुका हूँ।” राजू ने शान्त स्वर में इकरार किया। और कुछ ही पल में उसने मेरे बचे खुचे कपड़े भी उतार दिये। उसने प्यार से मेरे मद मस्त बदन को निहारा और मेरे चूचियों को सहलाने लगा। मेरे कड़े चूचक उबल पडे। मेरे निपल को उसने घुमाना चालू कर दिया। मेरे मुँह से सीत्कार निकल पडी।
“राजू … हाय … मसल दे रे मेरी चूंची … ” मैं झनझनाहट से तड़प उठी। मैंने प्यार से उसके चेहरे को चूम लिया। तभी उसका कुंवारा लण्ड धीरे धीरे खडा होता हुआ दिखने लगा। मैं तनमयता से लण्ड को एक्शन में आते देखने लगी। उसे देख कर मेरी चूत तड़प उठी। खड़ा होते होते उसका लण्ड फ़ुफ़कारें मारने लगा। मुझे लगने लगा कि बस अब राजू मेरी चूत मार ही दे और मेरी चूत फ़ाड दे। लेकिन अभी उसके होंठो के बीच मेरे चूचक दबे हुये थे जिसे वो खींच खींच कर चूस रहा था या कहिये कि पी रहा था। उसमें से थोड़ा थोड़ा सा दूध आ रहा था।
अब उसके एक हाथ ने नीचे से मेरी चूत दबा दी। मैं हाय कर उठी … चूत के पानी से उसका हाथ गीला हो गया। अब धीरे धीरे बदन चूमता हुआ चूत की ओर बढ़ने लगा। मेरी चूत लपलपा उठी। कुछ ही क्षणों में मेरी फूली हुई चूत पर उसके होंठ जम गये थे। राजू की जीभ बाहर निकल कर चूत के द्वार खोल कर कर अन्दर का रसपान करने लगी। मेरी कलिका फ़ुदक उठी, कठोर हो कर तन गई। जीभ का स्पर्श मुझे तेज मिठास दे रहा था। उब उसकी जीभ ने मेरी कलिका को होंठो के बीच दबा लिया था और उसको चूस रहा था। अचानक राजू की एक अंगुली मेरी कोमल गाण्ड में घुस गई। और अन्दर बाहर होने लगी। ये सब कुछ मेरे सहनशक्ति के बाहर था । मेरे मुख से एक सीत्कार निकल पड़ी और उसके बालों को पकड़ कर मैंने उसके सर को अपनी चूत पर दबा दिया और अपना पानी उगलने लगी। मैं झड़ चुकी थी।
“हाय राजू … मेरा तो दम निकल गया रे … मैं तो गई … आह्ह्ह्ह्ह् … मेरी मां री … …!! ” राजू ने अपनी नशीली आंखों से मुझे देखा और मेरे ऊपर आ गया। मुझे चूमने लग गया।
“हाय मेरी भाभी, आप तो बडी मस्त हैं … काश आप मुझे पहले मिली होती … आपके नाम के कितनी बार मुठ मारी मैंने !”
” हां राजू, मैंने भी तो कई बार तीन तीन अंगुलिया चूत में घुसेड़ कर कर पानी निकाला है तेरे नाम का … !”
” बस भाभी, अब देर ना करो … अपना भोसड़ा फ़ैला दो … मुझे अब अपनी मनमर्जी करने दो !” उसकी उत्तेजना बढ़ती देख मुझे भी मस्ती चढ़ने लगी। अब मुझे जी भर के चुदना था। मैंने अपनी दोनों टांगें फ़ैला दी और अपना भोसड़ा चौड़ा दिया। पर उसकी मंशा कुछ और ही थी। उसने मुझे एक झटके में उल्टा कर दिया।
“भाभी, मेरा लण्ड तो आपकी गोल गोल लचकदार गाण्ड देख कर फ़ूलता है … पहले इसका नम्बर लगाऊंगा !” मुझे पता था कि उसका लण्ड अभी कुंवारा है, चोदने का अनुभव भी नहीं है अभी तो … फिर गाण्ड क्या मारेगा।
“देख अभी नहीं, बाद में गाण्ड मार लेना … अभी तो अपने लौड़े से मेरी चूत मार दे …! “
” नहीं भाभी … पहले गाण्ड का मजा, मेरा तो गाण्ड को देख कर ही माल निकल जाता है … प्लीज!”
मेरे गाण्ड का फ़ूल अब दबने लगा। उसने अपना लण्ड पकड़ा और उसने अपना सुपाडा खोला और थूक लगा कर हाथ से लण्ड को छेद पर फिर से दबाने लगा। मेरी गाण्ड नरम थी और गाण्ड मराने की मैं अभ्यस्त थी, सो छेद खुला हुआ था और बड़ा भी था। उसका सुपाड़ा मेरे छेद में अन्दर आकर फ़ंस गया। राजू ने मर्दानगी के स्वर में कहा,”भाभी, तैयार हो ना … लो ये मेरा मोटा लण्ड … ।” और उसने पूर जोर लगा कर लण्ड अन्दर पेल दिया।
मुझे मस्ती आ गई … और राजू के मुख से चीख निकल गई। उसका पूरा लण्ड अन्दर तक बैठ गया था। मैंने तुरन्त ही गाण्ड सिकोड़ ली ली और उसके लण्ड को कैद कर लिया। मुझे पता था अब वो तड़पेगा, दर्द से कराहेगा। मुझे वही मजा लेना था।
“बस … बस … हो गया … अब ऐसे ही रहना … तू तो सच्चा मर्द है रे … ! देख एक ही झटके में मेरी गाण्ड मार दी।” उसे शायद मेरा मर्द कहना अच्छा लगा। उसने अपनी चीख अब बन्द कर दी। मेरी पीठ पर अब वो लेट गया। मैंने अपनी गाण्ड के छेद को फिर से ढीला कर दिया।
“राजू एक और मर्द वाला शॉट लगा दे बस … ” मैंने उसकी मर्दानगी जगाई। भला वो पीछे रहने वाला था। उसने एक जोरदार झटका मारा, फिर एक चीख निकल गई। पर उसने सहन कर ली। मैंने अपने पांव और खोल कर उसे राहत दी। वो भी अपनी मर्दानगी दिखाते हुए अब कमर चलाने लगा। मेरी गाण्ड चुदने लगी। मैंने मस्ती में आंखे बन्द कर ली। मुझे उसकी तकलीफ़ से कोई मतलब नहीं था। बस सटासट चुद रही थी। मेरी गाण्ड में लौड़ा लेने की पुरानी आदत थी सो गाण्ड हिला हिला कर उसका लण्ड गाण्ड में भरने लगी। शायद अब उसे भी मजा आने लगा था। उसका जलता हुआ गरम लौड़ा गाण्ड में मिठास भर रहा था। पर शायद उसे अब चोदने की लग रही थी। मेरे चिकनी चूत का मजा लेना चहता था। सो उसने अब अपना लण्ड गाण्ड से निकाल कर मेरे भोसड़े में घुसा दिया। उसे भी आराम मिला चिकनी चूत में। मुझे भी एक गहरा सा आनन्द दायक मीठा तेज मजा आया। ये चुदाई का मजा था। चूत में लण्ड जब घुसता है तो जन्नत नज़र आ जाती है। मैंने अपनी ग़ाण्ड थोड़ी ऊपर कर ली और चूत में गहराई तक लण्ड लेने लगी।
“राजू, मेरे मर्द, लगा और जोर से, जड़ तक फ़ाड़ दे मेरे भोसड़े को … साली बहुत प्यासी है …! “
“मुझे मर्द कहा, मेरी भाभी … तुझे आज मर्द का पूरा मजा दूंगा भाभी … ले मेरा लण्ड और ले … “
“हाय रे … मैं मर गई राजू … पेल और पेल … दे और दे … मैं मर जाउंगी मेरे राजा … “
उसका लण्ड अपने पूरे शबाब पर था, गहराई तक चोद रहा था। मेरी चूत का पानी निकल कर लण्ड को पूरा गीला कर चुका था, और फ़च फ़च की मधुर आवाजें कमरे में गूंजने लगी।
“जोर मार मेरे राजा … आह्ह्ह … मजा आ रहा है … लगा और जोर से … हाय रे … मर गई रे … ”
“हां, भाभी … मस्त मजा आ रहा है … आपकी चूत ने तो आज मेरे लण्ड को स्वर्ग दिखा दिया … हाय रे … ले और ले मेरा लौडा … “ उसकी गति भी बढ़ती जा रही थी और मुझे सारे बदन में वासना की मीठी मीठी तड़प बढ़ती जा रही थी। सारी दुनिया मेरी चूत में सिमटी जा रही थी। मेरे पूरे जिस्म में तूफ़ान आ आने वाला था। मैं होश खोती जा रही थी। राजू का शरीर मुझ पर कसता जा रहा था। अचानक उसकी रफ़्तार बढ़ गई। मेरी सिसकारी निकल पडी। और मैं कसमसा उठी। मेरे जिस्म ने मेरा साथ छोड़ दिया और मेरा पानी चूत से छूटने लगा। उसके हाथ मेरे बोबे पर कस गये और उसके तन्नाये हुये कड़क लण्ड ने भी मेरे चूत के अन्दर अपना लावा उगलना आरम्भ कर दिया। मेरी चूत ने और उसके लौड़े ने एक साथ जोर लगाया। उसका लण्ड मेरी चूत की गहराई में जाकर अपना रस छोड़ रहा था, झटके खा कर वीर्य मेरी चूत में भरता जा रहा था। मैं भी चूत का जोर लण्ड पर लगा रही थी और अपना पानी निकालने में लगी थी। दोनों ही झड़ते जा रहे थे और आनन्द में मगन हो रहे थे। अब राजू ने अपना बोझ मुझ पर डाल दिया और उसका लण्ड सिकुड़ने लगा। अपने आप ही वो चूत से बाहर निकल गया।
हम दोनों ही चुदाई से तृप्त हो कर एक दूसरे को प्यार से देख रहे थे और चूमते जा रहे थे। अचानक मेरी नजर उसके लण्ड पर पडी, उसमें सूजन आ चुकी थी, ऊपर की चमड़ी कहीं कहीं से फ़ट चुकी थी। मुझे उसकी मर्दानगी पर गर्व था।
“राजू, तू तो सच्चा मर्द निकला रे … अब आ तेरे लौड़े की ड्रेसिन्ग कर दूं !” मुझे उस पर दया भी आई। पर मुझे उससे आगे भी चुदना था सो उसे मर्द कह कह कर उसे जोश भी दिलाना था, कुछ ही देर में मैंने उसके लण्ड को साफ़ करके उस पर एंटीसेप्टिक क्रीम लगा दी। राजू मर्द के नाम पर एक बार तो फिर चोदने के लिये तैयार हो गया, पर मैंने उसे प्यार से समझा दिया और अपनी गोदी में उसका सर रख कर उसे प्यार करने लगी।

भाभी ने छोटी बहन को चुदवाया

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हेलो फ्रेंड्स आपने मेरी कहानी अंतरवासना पर पढ़ी, अब मैं आप लोगों को उसके बाद क्या हुआ उसका हाल सुनाउँगा।
जब मैं भाभी की गांड में ऊँगली कर रहा था तभी उसकी छोटी सिस्टर स्कूल से वहाँ आ गई और उसने हमको देख लिया और वो बेडरूम के बाहर चली गई।


और फिर थोड़ी देर बाद मैं और भाभी बेडरूम के बाहर आए तो वो सोफा पर बैठी हुई थी उसने हमको देख कर कहा- तुम क्या कर रहे थे?
तो भाभी ने कहा- तुम्हारे जीजू जो नहीं करते वो मैं ने इसके पास करवाया।
तो उसने कहा- मैं जीजू को बोल दूँगी।
पर भाभी घबराये बगैर कहने लगी- कोई बात नहीं, मैं भी तुम्हारी सारी बातें जानती हूँ।
तो वो बोली- कैसी बातें?
तो कहने लगी- तुम बाथरूम में रोज क्या करती हो, अपनी पुसी को रब करके उसमे उंगली रोज करती हो कि नहीं?
यह सुनकर वो घबरा गई, तो फिर भाभी कॉनफिडेंस में आ गई और कहने लगी- तुम चाहो तो तुम भी मज़े ले सकती हो, मुझे कोई प्राब्लम नहीं है।
यह सुनकर मैं खुश हो गया कि चलो एक साथ दोनों बहनों को चोदने को मिलेगा और एक तो वरजिन है।
फिर भाभी उसके पास जाकर बैठ गई और उसके स्कूल यूनिफॉर्म का स्कर्ट बहुत छोटा था, उठा दिया।
तो मैं देख कर हैरान हो गया कि उसकी पेंटी एक दम भीगी हुई थी।
भाभी ने कहा- अभी तुम क्या कर रही थी हमको देख देख कर अपनी पुसी रब कर रही थी ना?
और कहा- चलो, आज तुम भी पूरा मज़ा ले लो।
और उसकी पुसी को रब करने लगी।
यह देख कर मेरा लंड फिर खड़ा हो गया और मैं सोफा के पीछे खड़े होकर उसके बड़े बड़े टाइट बूब को दबाने लगा।
अब वो भी मस्ती में आने लगी एक तरफ भाभी उसकी पुसी को सक कर रही थी और दूसरी तरफ मैं बूब्स को दबा रहा था, उसके बूब बहुत ही टाइट और मोटे थे।
फिर वो बोली- प्लीज़, मेरे बूब्स को सक करो।
मैं सोफा पर आकर बैठ गया और उसका शर्ट उतार दिया और उसके बूब को सक करने लगा।
उसके बूब को सक कर कर एक दम रेड हो गया और उसकी पुसी ने भी पानी छोड़ दिया था।
अब वो एकदम हॉट हो चुकी थी।
मैं उसके सारे बदन को सक कर रहा था।
फिर मैंने अपना पेंट उतारा और मेरा मोटा और लंबा लंड उसके मुँह में देने की कोशिश करने लगा तो वो मना करने लगी।
पर मैंने कहा कि जब तक तुम इसको सक नहीं करोगी यह तुम्हारी पुसी में जाने से इनकार करेगा सो प्लीस इसको सक करो।
फिर वो मेरे लंड को सक करने लगी और मुझे बहुत मज़ा आने लगा।
अब मैं उसकी पुसी को सक करने लगा फिर एक बार उसकी पुसी ने पानी छोड़ दिया।
भाभी ने कहा- समीर जल्दी करो वरना कोई आ जाएगा, अब यह एकदम तैयार है अपना कॉक इसकी पुसी में डालो।
अब भाभी भी पूरी तरह न्यूड थी और वो भी अपनी पुसी में फिंगरिंग कर रही थी और अपनी सिस्टर को बोल रही थी- चाटो मेरी पुसी को… तुम्हारे जीजू तो इसको छूते ही नहीं है यह मुझे बहुत परेशान करती है।
तो मैंने भाभी को कहा कि तुम्हें जब भी अपनी पुसी और सारे बदन को चटवाना हो तो मुझे याद कर लेना मैं आपके सारे बदन को मसाज और चाटूँगा।
तो बोली- हाँ ज़रूर, मैं अब तुमसे ही अपने बदन की मालिश और सक करवाउंगी। तुम इस काम में बहुत एक्सपर्ट हो।
और कहा- चलो अब इसकी पुसी की प्यास बुझा दो। यह भी बाथरूम में जा जा कर अपनी पुसी को रब करती और फिंगरिंग करती है।
तो वो बोली- दीदी, मैं तो जीजू और आपको रात को करते देख कर ही यह सब सीखी हूँ और मेरी पुसी में फिंगरिंग डालती हूँ। अब मुझसे इसकी खुज़ली बरदास्त नहीं होती, दीदी आप कुछ करो न।
तो भाभी ने कहा- समीर जल्दी करो।
फिर मैंने उसको सोफा पर ही लिटा दिया और उसके हिप्स के नीचे भाभी ने एक पिलो रखा क्यूंकि वो अभी वर्जिन थी।

और मुझे कहा- चलो !
और वो उसके मुँह के पास जाकर अपनी पुसी उसके मुँह पर रख दी और कहने लगी- तुम इसको सक करो।
मैं अपना लंड उसकी पुसी के सामने रखा और अंदर करने लगा पर उसकी पुसी बहुत ही टाइट थी वो अंदर नहीं जा रहा था।
यह देख कर भाभी ने कहा- थोड़ा ज़ोर लगाओ।
मैंने ज़ोर लगाया पर वो अंदर नहीं गया तो भाभी ने कहा- तुम्हारा बहुत मोटा है मैंने आज तक इतना मोटा लंड xxx मूवी में भी नहीं देखा है।
और वो वहाँ से खड़ी हुई और बेडरूम में से क्रीम लेकर आई और थोड़ा मेरा लंड पर लगाया और थोड़ा अपनी सिस्टर की पुसी पर रब किया और फिर कहा- अब अपना कॉक डालो।
मैंने फिर ट्राइ किया और मेरा थोड़ा कॉक उसकी पुसी में गया तो वो रोने लगी कि मुझे दर्द हो रहा है।
तो भाभी ने कहा- कुछ नहीं होगा और उसके लिप्स पर अपने लिप्स रख दिए और मुझे इशारा किया कि अब डालो।
तो मैंने एक ज़ोरदार धक्का दिया और सारा लंड उसकी वर्जिन पुसी में डाल दिया।
वो चीख पड़ी पर भाभी के लिप्स होने से उसकी आवाज़ नहीं निकली पर उसके आंशु निकल गये वो रोने लगी।
तो भाभी ने कहा कि कुछ देर तुम यूँ ही रहो, इसकी चूत छोटी और टाइट है इसलिए।
फिर मैं करीब 5 मिनट यूँ ही रहा और फिर मूव होने लगा अब उसको भी मज़ा आने लगा और वो भी रेस्पोन्स देने लगी।
और कहने लगी कि ज़ोर से और ज़ोर से कई दिनों से मैं किसी के पास जाकर चुदवाने की सोच रही थी पर कोई मुझे मिला ही नहीं एक बार मैंने अपने लिफ़्टमैन के सामने भी अपने बूब्स दबाये थे कि यह देख कर वो मुझे छेड़े और सेक्स करे पर उसकी वाइफ वहाँ आ गई।
मैंने अपने बॉय फ्रेंड को भी कहा था पर उसका लंड तो बहुत छोटा था तुम्हारा रियली में बहुत सेक्सी और मोटा लंड है अब मैं इससे ही चुदवाउंगी।
फिर मैं 15 मिनट स्ट्रोक लगाने के बाद पानी छोड़ने वाला था तो भाभी ने कहा- रोनू बाहर पानी निकलना !
तो मैंने फॉरन अपना लंड बाहर निकाला और उसके मुँह में पानी छोड़ दिया और उससे कहा कि तुम्हारी पहली चुदाई का जूस है तुम पी जाओ।
तो वो सारा मेरा पानी पी गई और कहा- बहुत टेस्टी है।
सो फ्रेंड कैसी लगी मेरी यह कहानी।

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Jemite moon tanka bala re kiss kali moon banda tan hoee gala. Se kahile are tu pupun jaha kahu thilu sata katha. Bala dekhile to ra banda tan hoee jauu chhi. Sethu moon tanku kahile tame tike gote kama kara tama bala ku mo pura deha re moonda ru pada jaeen binchi diya dekhiba kan heuu chhi. Se kahi le thik achhi. Moon kahile tame tama nighty kholi diaa. Se kahile tu nije khole de. Moon tanka pachha pata ku jaee tanka pithi re padi thiba bala ku hatare aadae deli aau tanka nighty ra zip kholi deli aau tani kari tanka nighty ku bahara kari deli. Jetebele moon tanka nighty kholi deli setebele se tanka golapi bra aau kala panty pindhi tile.

Mon tanku jani suni pacharili je nani aame ta ganji pindhu chhu tame ta kahin ki pinchu nahan sethu se hasi ki kahile are bokachoda jhia pila mane ganji pindhanti nahin semane bra pindhanti. Sethu moon pacha rili bra ra kama kan? Se kahili bra ra kama heuu chhi doodha ku tight kari dhariba. Sethu moon kahili oh aame jemite chadi pindhu chhu aama guli na ohaliba pane. Se haan bharile. Tapare se mote kahile langala hebaku. Moon sange sange moon pant bahara kari phingi deli. Sethu se mora chotia nunu ku dekhi kahile are pupun tora kan ediki tike hoee chhi.

Moon kahile tame khali tama bala ku yaar dehare tike touch kara tapare dekhi ba ye kete bada heuu chhi. Se kahile satare na kan. Tahele moon jaroor dekhibi. Tapare moon khata upare uparaku face kari soee li. Se tanka bala ku moon dehari munda ru pada jaeen ghosarile. Pratithara tanka bala moo banda ku lagila mane moon banda puni tan hoee jauu thaee. Se kahile are sata katha pupun to bhalia to banda ta bi bala premi. Bala baji la mane khali deuun chhi. Sethu moon tanku kahile je book re jemite daee chhi semite kariba. Se kahile are book re kichhi khas nahin.

Kintu moon tate aaji bahut khas jinish kahibi. Moon haan bharili. Tapare se khile dekh tote ebe kemite current lagiba. Moon kahile dekhiba kemite. Sethu se kan kale na moon banda ku tike dhari ki kheli le. Aau taku tike dahi bhaliaa manthile. Mote bahut maza lagila moon kahile mote bahut maza lagu chhi nani. Aahu ri kara. Se kahile abe maghia mote nani nuhein ghodagenhi bole dak, randi boli dak. Sethu moon kahile hauu lo randi aaji maribe tote gandi. Se hasi kahile dekhiba tora banda re kete jhol achhi. Ya kahi se mo banda ku naee tanka patire puraee dele aau mora banda ku chati baku aarambha kale.

Jete bele se banda chatibaku aarambha kari chha nti mote ta khali sulu sulu lagila. Moon kahile randi aahuri jor re banda chat. Sethu se jor jor re banda ku chati le aau moon gote hatare tanka bala ku dhari thaee aau gote hatare tanka doodha ku bra uparu chipu thaee. Moon kahile aalo randi mote bra uparu bhala lagu nahin. Sethu se tanka bra kadhi ki phopadi dele. Etharaka moon tank doodha ku jor re dali baku lagili. Moon jemite tanka doodha ku dali ba arambha kali se khali oohhh aaahhh hele. Moon pacharili ghodagenhi kemite lagu chhi. Se kahile bahut bhala. Kichhi samaya pare moon kahile randi mora bahariba time hoee galani.

Se kahile maghia tora jamaru 10min re bahari gala. Moon tanku kahile ye to suruyat he aage aage dekho hota he kya? Moon mora sabu pani tanka pati bhitare chhadi deli aau se sabu taka birjya garvastha karidele. Moon pacharili randi kemite lagila; se kahile je pura dahi pani bhaliaa lagila. Puni sethu se kahile houu tu ebe moon bia chat. Moon prathame mana kali; sethu se kahile haere banda to kama sarigala bole kan moon kama karibu nahin ki? Moon kahile mote bhala lagiba nahin. Se kahile are jia bia ku chati chhi siee hin amrutara sandhana paee chhi. Tike chatiki dekh kemite lagu chhi. Moon kahile houu thik achhi.

Tapare se nija chadi bahara karidele aau mo aagare pura langala hoee ki thia hele. Tanku dekhi mo banda aau thare tan hoee gala. Moon kahile hauu dekha to bia. Sethu tanku khata upare suaee deli aau tank goda dita ku 2direction re lambaee daee ki tanka bia chatibaku lagili. Tanka bia re bahut bala thila. Mote tike prathame aasibidha hela. Moon tanku pacha rili hoee lo ghodagenhi bia ru bala kahin ki katunu. Se kahile are moon mo swami paeen apekshya karithile se katibe bole; kintu ebe ta tu mili galu ni ebe to mora bia bala katibu. Moon haan kahili.Tankaa bia ru setebele tike tike nala baharila. Moon tanku kahile kan tamara ete sighra bahari gala: sethu se kahile na na eta ta heuu chhi nala jahaki ki bia rasa aagaru bia garam hele bahare. Tu aahuri jor re chat. Moon dhira dhira moon jibha re tanka bia chati baku aarambha kali. Se mo munda bala ku dhari ki khali oohhhh, aaahhhh, jor re aahure jor re pupun. Moon puni aahuri jor re tanka bia chati baku lagili. Tanku maza lagu thaee. Se aahuri jor re pati kari baku lagile. Room ta jaka khali oohhh aaahhhh re bhari gala. Ya bhitare moon more 2, 3 ta aanguli bi puraee daee thili. Tapare se kahile aau pupun sahi heuu nahin, ethare to mote jalde kara. Moon haan kahile. Tapare se puni thare mora banda ku tike chati le aau mo banda aau thare tan hoee gala aau moon kari ba pane ready hoee gali.

Sethu se khata upare tanka goda melaee kari soee le aau moon dhire kina tanka bia dwara moohan re mo banda taku rakhili, aau dhire dhire tanka bia re ghasili. Se kahile maghia jaldi kara aau sahu heuu nahin. Sethu moon dhire kina moon banda ra mundi taku tanka bia re puraee deli. Tanka bia aagaru baigan, gazar puraee ki loose thile tenu more sange sange pasigale aau moon tanku genhi baku lagili. 10-15min pare moon kahile je mora puni pani bahariba tike hoee galani. Ya suni se sange sange mo banda ku tanka bia ru kadhi tanka patire puraee ki chosi baku lagile aau 2min re mora puni aau thare bahari gala.

Se kahile ethara ka moon tote karibi hele, moon kahile thik achhi. Tapare se mote kahile tu khata upare soee ja upara ku banda kari. Moon soee padili. Tapare se mo banda upare basile eban tapare khali uth bas hele. Mote bi bahut maza lagila. Emite se 20-25 kala pare kahile ebe mote kukura genhila bhalia genh. Moon kahile hauu to mo kuti. Dekha to gandi. Tapare se mote tanka gandi dekhaele aau tanka gandi dekhi mo banda puni thare dian maribaku galila. Tanka gandi dekhi ki mora lobha hela aau moon mane mane bhabile ji aaji yaku bhala kari gandi maribi. Tenu moon tanka gandi re puraeebaku chesta kali, kintu moon banda pasila nahin.

Se kahile tike chhepa lagaee de. Moon tike chhepa tanka gandi re aau tike mo banda re lagaee deli. Tapare puni puraee baku chesta kali. Etharaka tike pasila. Jemite tanka gandi re mo banda pasila se kahile aare pupun marigale re mote chhadi de. Moon kahile aaji sujog mili chhi jamaru chhadibi nahin. Moon puni thare aau gote Dhaka marili moon banda aau tike bhitaraku pasigala. Se aahu ri jor re pati kari baku lagile. Kintu moon tanka pati suni li nahin aau tanku aahuri jor re gandi mari chalili. Prathame tanka anta ku dhari genhu thile tapare tanka lamba bala ku dhari genhi ba arambha kali. Moon pacharili ebe kemite lagu chhi.

Se kahile aau jor re kar. Moon bi aau ri jor re genhi baku aarambha kali. Praya 30min pare mora puni baharila. Ethara ka tanka gandi bhitare sabu taka pani chhadi deli. Aau mo banda re jaha rasa sabu lagi thila sabu tanka bala re pochhi deli. Moon kahile kemite lagila randi. Se kahile gazar aau baigana too bi bahut bhala. Tapare tank upare soee ki tanka doodha ku aahuri chipili aau tanka bia ku aahuri chatili. Etharaka pura bia bhitara jibha puraee ki chatibaku aarambha kali. Se puni aaaahhhhh,,,ooooohhhhh hebaku lagile.

Moon aahuri jor re doodha ku chiputhile aau tanka bia ku chatibaku lagili. Tapare se kahile chal 69 pose kariba, moon kahile setha puni kan. Se kahile je tu mora bia chatibu aau moon to banda. Moon khusi hoee gali. Tapare 69 pose re puni chatiba aarambha hoee gala. Kichhi samaya pare 2 janankara puni aau thare pani bahari gala. Aame di jana jaka thanda hoee galu. Tapare moon aau thare tanku genhiba pane kahili aau se puni kahile maghiaa to banda re kete pani achhi kire. Moon kahili last time. Se haan kale. Tapare moon mora banda ku tanka bia bhitare puraee deli aau 5, 7 ta stroke pare kete bele je nida lagi jaee chhi aau mane nahin.

Sakalu uthila beleku mote lagila jemite mo banda ku kiee chatu chhi. Moon dekhila belaku lilly nani moon banda ku danta ghasila bhalia ghasu chhanti. Moon kahile chat lo randi jor re chat. Tapare se mora aahuri jor re chati baku lagile aau 10min pare mora bahari gala aau se sabu taka puni pe dele. Tapare se tanka gharaku chali gale aau aama ghara loka mane bi chali aasile. Sebethoo jetebele sujog milila sete bele moon tanku genhi chhi. Aau tanka bala re bahut docaration kari chhi.

Aau tanka bia bala ku bi save karideli. Tapare tankara bahaghara hoee gala. Moon bi mo college padhare lagi gali. Ta pare se bele bele tanka gharaku aasile aama gharaku buli baku aasanti. Moon ebe be sujog paee le tanka doodha ku blouse upparu chipe diee aau bele bele gandi ku shadhi upare storke maridie. This is all about my first sex experience. I hope you like it.

अब मैं तुम्हारी हो गई

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प्रेषक : भगु
प्यारे पाठको !
मेरा नाम भगु है। मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ। आज मैं एक कहानी लिखने का साहस कर रहा हूँ। यह कहानी मेरे घर की है। मेरे घर में मैं, मेरी पत्नी, एक छोटा भाई, उसकी पत्नी और हमारे छोटे बच्चे एक संयुक्त परिवार की तरह रहते हैं।

मैंने शादी से पहले और शादी के बाद भी किसी को बुरी नज़रों से नहीं देखा। हमारी शादी को १५ साल हो गए हैं और मेरे भाई की शादी को दस साल। मेरे भाई की बीवी देखने में बहुत खूबसूरत है। वो मुझे कभी कभी अज़ीब निगाहों से देखती है।
दोपहर को जब मैं खाना खाने घर पर जाता हूँ तो मेरी बीवी मुझे खाना देती है, अगर वो नहीं होती तो मेरे भाई की बीवी देती है। जब मेरी बीवी नहीं होती तब खाने में मेरे पसन्द वाली चीज़ बनी होती है। वो मुझे खुश करना चाहती है। मैं कुछ लेना भूल जाऊँ तो मुझे चीज़ देने के बहाने वो वहाँ होने की कोशिश करती है। तो मेरा नज़रिया उसके बारे में बदल गया।
अब मैं भी उससे नज़रें मिलाने की कोशिश करता हूँ। नज़रें मिलते ही वो मुस्कुरा देती है और शरमा जाती है। मैं अब हिम्मत करके उससे बात करना चाहता हूँ पर मुझे मौका नहीं मिलता।
आखिर एक दिन शुरूआत हो ही गई।
मैं उसका नाम बताना तो भूल ही गया। उसका नाम शीला है (बदला हुआ)।
एक दिन घर से सब शादी में जाने वाले थे मुझे और शीला को छोड़ कर। तो दोपहर के खाने के लिए मेरी बीवी शीला को बोल गई थी। मैं दोपहर को अकसर देर से आता हूँ लेकिन उस दिन जल्दी आ गया। शीला कुछ ज्यादा ही खुश थी।
जब घर पर सब होते हैं तो हम आपस में बात नहीं करते। मैं घर जाते ही टीवी चला कर देखने लगा। वो भी वहाँ बैठ कर कपड़ों को इस्तरी कर रही थी। मेरे आते ही वो बोली- खाना दे दूँ?
लेकिन मैंने कुछ और सोचा था तो मैंने बोल दिया- थोड़ी देर बाद देना !
और मैं टीवी देखने लगा। टीवी पर अनिल कपूर और डिम्पल का ‘जांबाज़’ का सेक्सी सीन चल रहा था। वो देखते ही शरमा गई। मैंने बात करने के लिए उससे पूछा- आज खाने में क्या बनाया है?
तो वो बोली- खीर बनाई है।
खीर मुझे बहुत पसन्द है। बातों का दौर जारी रखने के लिए मैंने कहा- जानता था कि आज खीर ही होगी।
वो बोली- आपको कैसे मालूम कि आज खीर ही होगी?
मैंने कहा- जब भी उषा (मेरी पत्नी) नहीं होती, तब तुम मुझे मेरी पसन्द का खाना खिलाती हो ! यह मुझे मालूम हो गया है। इसलिए मैंने अनुमान लगाया था कि आज मुझे खीर मिलेगी।
यह सुनते ही वह मुस्कुराने लगी और कहने लगी- आप बहुत चालाक हो !
मुझे लगा अब कुछ बात बन रही है। मैंने अपनी बातों का दौर जारी रखा- देख शीला ! यह बात अगर उषा को पता चल गई कि जब वो घर पर नहीं होती तो तू मुझे अच्छा खाना खिलाती है तो हम दोनों को डाँट पड़ेगी। यह कह कर मैंने उसको थोड़ा डराया।
तो वो झट से बोली- नहीं नहीं ! उनको मत बताना ! नहीं तो मुझे मार ही डालेगी।
मैंने कहा- तुम चिन्ता मत करो, मैं नहीं बताऊंगा कि उसकी गैर-मौज़ूदगी में तुम मुझे क्या खिलाती हो।
यह सुनते ही उसने राहत की साँस ली।
मैंने पूछा- तुम ऐसा क्यों करती हो?
तो वो शरमा कए बोली- बस ऐसे ही !
मैंने कहा- ऐसे ही कोई किसी का ख्याल नहीं रखता। काश तुम मुझे १५ साल पहले मिली होती !
यह सुनते ही वो शरमाई और बोली- तो क्या हुआ ! मैं अब भी आपका ख्याल तो रखती हूँ।
मैंने सोचा कि अब लोहा गरम है, बात कर देनी चाहिए, मैंने कहा- बताओ ना ! जब कोई नहीं होता तो मेरा इतना ख्याल क्यों रखती हो?
मेरे जोर देने पर वो बोली- तुम्हारा ख्याल रखना मुझे अच्छा लगता है।
मैंने कहा- ऐसा ख्याल तो पत्नी अपने पति का रखती है।
वो सुनते ही शरमाई और कहने लगी- आप भी ना बस….
फ़िर मैंने पूछा- क्या आगे भी तुम मेरा ख्याल रखोगी या यहीं रुक जाओगी?
तो वो बोली- आप चाहोगे तो आगे भी ख्याल रखूंगी।
मैंने उससे पूछ ही लिया- क्या तुम मुझे पसन्द करती हो?
सुन कर वो शरमा गई।
फ़िर मैंने कहा- देख शीला ! शादी से पहले मैंने किसीसे प्यार नहीं किया था, मेरी भी इच्छा है कि मैं किसी से दिल से प्यार करूँ। मैं तुम से प्यार करने लगा हूँ, तुम चाहो तो मना कर सकती हो, मुझे बुरा नहीं लगेगा !
यह सुन कर वो शरमा कर मुस्कुराने लगी और बोली- किसी को पता चल गया तो?
मेरा दिल खुशी से उछल पड़ा, मैं बोला- किसी को पता भी नहीं लगेगा, यह बात तेरे और मेरे बीच ही रहेगी।
उसने झट से हाँ कह दी।
अब खाना लगाऊँ क्या?
मैंने कहा- तुम्हारी हाँ ने मेरा पेट ही भर दिया, थोड़ी देर बाद खाना खाएंगे।
वो अपना काम खत्म करके अन्दर के कमरे में जाने लगी तो मैं भी झट से उठ के उसके पीछे गया और उसको पीछे से बाहों में जकड़ लिया। वो मुझसे छुटने की कोशिश करने लगी और बोली- कोई आ जाएगा तो क्या होगा !
मैंने कहा- अभी आता हूँ ! और जाकर बाहर का दरवाज़ा बंद कर दिया।
और अन्दर आते ही देखा तो वो अलमारी खोल कर कुछ निकाल रही थी। मैंने पीछे से उसे पकड़ लिया और घुमा के अपने आगे कर लिया। वो कुछ बोले, इससे पहले ही मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और उसको चूमने लगा। करीब पाँच मिनट तक मैं उसको चूमता रहा, वो छटपटाने लगी। फ़िर मैंने उसके स्तनों को छुआ और धीरे से मसलने लगा तो सीऽऽआऽऽसऽऽ अई करने लगी और मुझे छोड़ने को कहने लगी।
मैंने कहा- ऐसा मौका फ़िर कब मिलेगा, मुझे प्यार करने दे।
फ़िर धीरे से उसे चूमने लगा। मेरा एक हाथ उसके स्तन पर और दूसरा उसकी पीठ पर रख कर उसे अपनी ओर दबा रहा था। वो भी काफ़ी गर्म हो गई थी।
फ़िर मैंने उसको उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया और मैं भी साथ लेट करुसके होंठों को चूमने लगा। वो भी मेरा साथ देने लगी। फ़िर मैंने उसकी साड़ी निकाल दी। और उसके ब्लाऊज़ के हुक खोलते ही उसके बड़े बड़े स्तन बाहर आ गए। मैंने उसके चुचूक को मुंह में ले लिया और चूसने लगा। उन पर मेरी जीभ फ़िरने लगी।
वो भी काफ़ी गर्म हो गई थी और शऽऽ आऽऽहऽऽ करने लगी और मुझे पागलों की तरह चूमने लगी। फ़िर अचानक मेरे कमीज़ के बटन खोलने लगी। मैंने अपना कमीज़ निकाल दिया और उसको आहिस्ते से नीचे से ऊपर तक चूमते हुए उसके मुँह में अपनी जीभ डाल दी। मैं पागलों की तरह उसको चूमता रहा।
फ़िर उसका हाथ मेरी पैन्ट की ज़िप पर आया। उसने मेरी ज़िप खोल कर मेरे लण्ड को पकड़ लिया। मैं समझ गया कि वो एकदम गर्म हो गई है। फ़िर मैंने उसके पेटिकोट का नाड़ा खोल कर उसे अलग कर दिया और अपनी पैन्ट और अन्डरवीयर भी निकाल दी। उसने पैन्टी नहीं पहनी थी, हम दोनों पूरे नंगे हो गए तो मैंने उसे अपना लण्ड मुंह में लेने को कहा और मैं 69 की दशा में हो गया। वो मेरा लण्ड मुंह में लेकर जोर से चूसने लगी और अन्दर बाहर करने लगी। मैं भी अपनी जीभ उसकी फ़ुद्दी में डाल कर अन्दर बाहर करने लगा।
फ़िर अचानक उसने मुझे घूमने को कहा और बोली- अब नहीं रहा जा रहा है, मेरे ऊपर आ जाओ नहीं तो मैं झड़ जाऊँगी।
मैंने कहा- डार्लिंग ! मैं भी नहीं रह सकता।
और मैंने अपने लण्ड का सुपाड़ा उसकी चूत पर रख कर एक जोरदार धक्का दिया तो उसकी चीख निकल गई- आऽऽऽ उई मांऽऽ थोड़ा धीरे से ऽऽ !
मैं रुक गया, पूछा- क्या हुआ?
वो बोली- तुम्हारा लण्ड बड़ा है, झेल नहीं पाई, थोड़ी देर रुक के करना !
इसी बीच मैं उसके होंठों को चूमता रहा। फ़िर धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा।
वो सिसकारियाँ लेने लगी- सऽऽस आऽऽह आह उइमा ऽऽ चोदो मेरे राज़ा जोर से चोदो ! मैं कब से तुम्हारे लण्ड के लिए तरस रही हूँ, मुझे मालूम है कि तुम कई दिनों से मुझ पर लाईन मार रहे हो। मैं भी तुमको चाहती थी और तुम्हारा लण्ड अपनी पिक्की में घुसवाना चाहती थी। और जोर से चोदो ! फ़ाड़ दो मेरी चूत को ! ऊ ई माऽऽ आ स्स्स आह ! मैं गई ! आऽऽह ! और वो झड़ गई। फ़िर मैं उसको दस मिनट तक चोदता रहा। वो भी उछल उछल कर मेरा साथ दे रही थी और स्स आह करती रही। मैं भी झड़ने की तैयारी में था- आह ! मैं झड़ रहा हूँ ! कहाँ निकालूँ?
तो वो बोली- मेरी पिक्की में निकाल दो, मैंने ओपरेशन करवा लिया है।
मैंने उसको कस के पकड़ा, अपने होंठ उसके होंठों पर रखे और जोर जोर से धक्के मारने लगा। मैं उसकी फ़ुद्दी में ही झड़ गया।
फ़िर वो मुस्कुराई और कहने लगी कि, नहीं, मैने कहा- एक दौर और हो जाए?
तो कहने लगी- नहीं ! स्कूल से बच्चे आने वाले हैं, फ़िर कभी ! फ़िर मुझे होंठों पर चुम्मा दे कर खड़ी हो गई और कपड़े पहन कर मेरे लिए खाना परोसने लगी।
मैंने बाथरूम में जाकर अपने औज़ार को साफ़ किया और आकर खाना खाने लगा। इस बीच मैं उसको देख देख आँख मारता रहा और बात करता रहा। वो मुझसे बोली- हम अकेले में पति-पत्नी की तरह रहेंगे।
मैंने उसकी गाण्ड मारने की इच्छा जाहिर की तो बोली- अब मौका मिलेगा तो तुम मुझे जैसे चाहे चोदना चाहोगे वैसे चोदना ! मैं अब तुम्हारी हो गई हूँ।
दोस्तो ! अब हम जब भी मौका मिलता तब जम कर चुदाई करते हैं।
आगे की कहानी आपकी राय पर निर्भर करती है।
मुझे आपकी मेल का इन्तज़ार रहेगा।

ବିର୍ଜ ବର୍ଷାରେ ବର୍ଷା କୁ ଭିଜେଇ ଦେଲି -1 (Birja Barsha Re Barsha Ku Bhijei Deli -1)

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ମୋର ସବୁ ଗେହ୍ଲା ଦିଅର ଓ ନଣଦ ମାନଂକୁ ମୁଁ ସୁନିତା ଭାଉଜ ଆଜିର ଏହି ନୁଆ ଓଡିଆ ଗପ କୁ ସ୍ୱାଗତ କରୁଛି । ଗପ ପଢି କମେଣ୍ଟ୍ କରିବାକୁ ଭୁଲି ଜିବେନି ।


ମୋ ନାଁ ରାହୁଲ୍ , ବୟସ 22 ବର୍ଷ, ବହୁତ୍ ହାଣ୍ଡସମ୍ । ମୋ ଗାଁ ରେ ମୁଁ ପୁରା ଭଲ ପିଲା । ମୁଁ ପ୍ରତିଦିନ ଆମ ସାହି ନଳକୂପରେ ଗାଧାଏ । ଆମ ପାଖ ପଡୀସା ଘର ଝିଅ ବର୍ଷା ମୁଁ ଗାଧେଇବା ସମୟରେ ନଳକୂପ କୁ ଆସି ଗାଧାଏ। ସେ ଏବେ ଏବେ ପ୍ରାୟ ବର୍ଷେ ହବ ତା ଦେହରେ ଜୌବନ ଖେଳୁଛି । ସେ ଗଧୋଇଲା ବେଳେ ମୋ ଅଡକୁ ନଜର କରେ ମୋତେ ଝିଅ ଟିକୁ ଦେଖିବାକୁ ବହୁତ୍ ଇଛା ହୁଏ, ହେଲେ କିଏ ଦେଖିଦେବ ଭାବି ତା ଅଡକୁ ନଜର ପକାଈ ପାରେନି । ପୁରା ଗୋରା ଦେହ ଟା ତାର । ଟୁ ପିସ ରୁ ତଳ ଟାକୁ ଛାତି ଉପରକୁ ଭିଡି ଗାଧଉଥାଏ । ନୁଆ ନୁଆ ଦେହ ର ଗ୍ରୋଥ୍ ହୋଇଥିବରୁ ଦୁଧ ଟା ଛୋଟ ହେଲେ ତାର ହଳଦି ରଂଗର ଦେହ କୁ ଉଚ ଜୁଗଳ ଭାରି ଭଲ ଦେଖାଯାଏ । ଟିକେ ତଲକୁ ରଖି ସେ ଦୁଧ ଘୋଦୈ ଥାଏ, ମୁଁ ତା ଦୁଧ ଫାଂକ ଦେଖି ତା ପ୍ରତି ମନ ବଳାଈ ବସିଥାଏ ।

ମୋର ଗୋଟେ ସାଂଗ ବାହାଘର ରେ ତା ସହିତ ପଦୁଏ କଥା ହୋଇଥିଲି । ସାଂଗ ର ଚତୁର୍ଥି ଦିନ ଘର ସଜାଡିବା ବେଳେ ମୁଁ ତାକୁ ହେଲ୍ପ୍ କରିବାକୁ ଥରେ ଡାକି ଥିଲି । ପଦେ ରୁ ଦି ପଦ କଥା ହୋଇ ନଥିଲି । ସେ ଦିନ ର ସେ ଡାକରେ ସେ ମୋତେ ଅଲଗା ନଜର ରେ ଚାଂହିଥିଲା । ହେଳେ ଏମିତି ତ ସବୁବେଳେ ଝିଅ ମାନେ ହୁଅଂତି ଭାବି, ମୁ ସେତେ ଗୁରୁତ୍ୱ ଦୈ ନଥିଲି, ତା ପର ଠାରୁ ତାର ମୋ ସମୟ ରେ ଗାଧେବା ମୋତେ ତା ଆଡକୁ ଆକର୍ସଣ କଲା । ସାହୀ ର ଲୋକ ମାନେ ତାକୁ ବେଳେ ଗାଳୀ କରଂତି , ଝିଅ ଟେ ହୋଈ ନଳ କୂଅରେ କଣ ଗାଧଉଚୁ ବୋଲି । ସେ ତାଂକ କଥା କୁ ଖାତିର କରେନା । ବର୍ଷା ତାର ସବୁ ସାଂଗ ମାନଂକ ଠାରୁ ଡେଂଗା ଓ ଦେହ ପୁରିଲା ଭଳି । ଗାଁ ଟୋକାଂକ ନଜର ତା ଉପରେ ପଡୁଥିଲା ।


 ଦିନକର କଥା ଆମ ଘରେ କେହି ନଥାଂତି, ମୁଁ ଏକୁଟିଆ ଥାଏ । ମୁଁ ଘରେ ଏକା ବସି ବ୍ଲୁ ଫିଲ୍ମ ଦେଖୁଥିଲି । ବର୍ଷା ଖୁଡି ଖୁଡି ... ବୋଲି ଡାକି ଆମ ଘର କୁ ଆସିଲା । ମୁଁ ବେଡ୍ ରୁ ଉଠି ତା ପାଖକୁ ଗଲି । ବର୍ଷା ମୋତେ ପଚାରିଲା - ଖୁଡି ଅଛଂତି? ମୁଁ -ନା ନାହଂତି । ବର୍ଷା- କେବେ ଅସିବେ । ମୁଁ - କାଲି ଆସିବେ, କଣ କାମ ଥିଲା କି ? ବର୍ଷା - ହଁ , କାମ ଥିଲା ଯେ । ମୁଁ - ଭିତର କୁ ଆସୁନୁ, ମୋ କଥା ଶୁଣି ସେ ଭିତରକୁ ଆସିଲା । ମୁଁ - ତତେ ଗୋଟେ କଥା କହିବି ରାଗିବୁନି ? ବର୍ଷା- କଣ, କୁହ । ମୁଁ - ମୁଁ ତତେ ଭଲ ପାଉଛି , ତୁ କଣ କହୁଛୁ କହ । ବର୍ଷା- ଆମ ଘରେ ଜାଣିଲେ ମୋତେ ମରିବେ । ମୁଁ -  ତୋତେ କାଂହିକି ମାରିବେ, ତୁ ଭଲ ପାଉଚୁ କି ନାଇ କହୁନୁ । ବର୍ଷା - ମୋତେ ଡର ଲାଗୁଛି । ମୁଁ - ଭଲ ପାଉଚୁ କି ନା କହ । ବର୍ଷା ହସି ଦେଈ ହଁ କଲା । ମୁଁ ଖୁସି ହୋଇ ତାକୁ ଘର ଭିତର କୁ ଭିଡି ନେଇ ଚୁମା ଦେଲି , ସେ ଛାଡ କିଏ ଦେଖିବ । ମୁଁ କହିଲି ଘରେ ତ କେହି ନାହାଂତି, କିଏ ଦେଖିବ ? ସେ ଏବେ ନିର୍ଭୟ ରେ ମୋତେ ଜବୁଡି ଧରିଲା । ମୁଁ ତା ଲିପ୍ସ କୁ ଜୋରେ କାମୁଡି କିସ୍ସ କଲି । ତାକୁ ଜୋରେ ଜାବୁଡି ଧରିବା ଭିତରେ ତାର ଦୁଇ ଦୁଧ କୁ ଚିପି ବାର ସୁଜୋଗ ମିଳିଲା ।  ଉମ୍ ଉମ୍ ଆଆଆଆଆଆ.................................... ଆଆଆଆଆଆଆଆଆ......  କହି ସେ ମଧ୍ୟ୍ୟ ଚିପା ଚିପି ର ଆନଂଦ ନେଲା । ତା ଡ୍ରେସ୍ ଭିତରେ ହାତ ପୁରେଇ ତା ଦୁଧ ମୁଣ୍ଡୀ କୁ ଚିପିଲି ବହୁତ ମଜା ଲାଗୁ ଥିଲା । ମୁଁ ତା ବିଆ ରେ ହାତ ମାରିବାକୁ ଭାବିଲି , ଡ୍ରେସ୍ ଭିତରକୁ ହାତ ଗଳେଇବାକୁ ଚେସ୍ଟା କରୁଥିଲି ହେଲେ ତଳ ପାଣ୍ଟ୍ ଟାଈଟ୍ ଥିଲା । ସେ ଜାଣି ପାରି ତା ପାଣ୍ଟ ସୁତା କୁ ଖୋଲିଲା ବେଳକୁ ଘର ବାହାରୁ ପାଟି ସୁଭିଲା ।............. .........

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