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प्रेमिका की चूत की प्रथम चुदाई (Premika Ki Chut Ki Pratham Chudai )

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ज्यादा मीठी भरी कहानी को ले कर मैं  सुनीता भाभी आप सभी को bhauja.com  पर स्वागत करता हूँ । आप ये कहानी को ध्यान से पढ़ कर कमेंट करें ।


मैं पिछले दो सालों से bhauja.com  का नियमित पाठक हूँ। मेरे प्यारे दोस्तो, मैं सरस यहाँ पर पढ़ी हुई कहानियों से प्रेरित होकर आप लोगों के सामने अपनी सच्ची कहानी और मेरा पहला अनुभव प्रस्तुत कर रहा हूँ।
मैं राजस्थान के हिण्डन सिटी का निवासी हूँ। वैसे मैं देखने में ज्यादा अच्छा नहीं हूँ और हमारे घर में बहुत सख्ती होने के कारण मैं अपनी स्नातक होने तक सेक्स के बारे में ज्यादा नहीं समझ पाया था। 

यहाँ तक कि जब मेरे हमउम्र दोस्त अपनी-अपनी चुदाई की कहानियाँ मुझे सुनाते.. तो मेरा भी मन होता कि मैं भी किसी लड़की को अपना दोस्त बनाऊँ.. पर आप में से बहुत से पाठक यकीन नहीं मानेंगे.. पर यह सच है कि तब तक मुझे यह सब पता ही नहीं था कि कैसे लड़कियों से दोस्ती की जाती है।
यकीनन मुझे अब भी इन मामलों में ज्यादा अनुभव नहीं है।
अब मैं अपनी कहानी पर आता हूँ। बात उन दिनों की है जब मैं अपनी जॉब दौसा क्षेत्र में कर रहा था। मेरी.. मेरे मामा के लड़के के साथ बहुत पटती थी.. जो लड़कियाँ पटाने में बहुत माहिर था। मैं कई बार उसके सामने अपनी व्यथा रख चुका था.. लेकिन उसने कभी ध्यान नहीं दिया।
एक दिन जब मैं आफिस में बैठा था.. तो अचानक उसका फोन आया और बोला- सरस.. चल आज तेरी भी सैटिंग करवा देता हूँ।
मैंने सोचा ‘यह इसको आज क्या हो गया है.. जो आज अचानक मेरे ऊपर इतनी मेहरबानी कर रहा है?’
मैंने उससे कहा- भई ठीक है।
फिर उसने मुझे एक लड़की का नम्बर दिया और बोला- इससे बात कर लेना तेरा काम हो जाएगा।
मैं बोला- ठीक है।
शाम के वक्त मैंने उस नम्बर पर कॉल किया तो दूसरी तरफ से खनकती हुई कानों में शहद घोलती हुई आवाज आई- कौन?
मैंने कहा- जी.. मैं सरस.. मुझे रोहित ने आपसे बात करने के लिए कहा है।
वो बोली- अच्छा अच्छा.. आप हैं सरस.. मैं भी आपके ही फोन का इंतजार कर रही थी।
फिर हम दोनों नें एक-दूसरे के बारे में पूछताछ की और एक-दूसरे के बारे में जाना, उसने अपना नाम पूजा बताया।
मैंने उससे मिलने के लिए बोला.. तो उसने कहा- अभी नहीं कुछ दिन रूको.. फिर मिलेंगे।
मैंने भी ज्यादा दबाब नहीं देते हुए कहा- ठीक है।
फिर रोज हमारी बातें होने लगीं और एक दिन वो दिन भी आ गया.. जब उसने मुझे मिलने के लिए ‘हाँ’ कह दिया।
मैं तय किए गए दिन को उससे मिलने के लिए आतुर.. समय से पहले ही पहुँच गया।
जैसा कि उसने मुझे बताया कि वो गुलाबी टी-शर्ट और नीला जींस पहन कर आएगी और बगीचे में एक पेड़ के नीचे मेरा इंतजार करेगी।
अब चूंकि मैं वक्त से पहले पहुँच गया था.. तो एक बेंच पर बैठ कर उसका इंतजार करने लगा।
कुछ देर बाद पूजा पार्क में आई और खुद के द्वारा बताई जगह पर आकर खड़ी हो गई।
क्या लग रही थी वो.. उन चुस्त कपड़ों में… ऐसा लग रहा था मानो स्वर्ग से कोई अप्सरा धरती पर उतर आई हो।
उसका मस्त फिगर किसी भी लड़के का लण्ड खड़ा करने के लिए बहुत था।
मैं लगातार उसे देखे जा रहा था। उसकी खूबसूरती को देखकर मैं पागल सा हो गया था।
मैं समझ गया था कि यही पूजा है लेकिन तब भी पक्का होने के लिए मैंने उसे फोन लगाया.. तो मेरे सामने खड़ी उसी लड़की ने उठाया।
मैंने उससे पूछा- कहाँ हो?
तो उसने जबाब दिया- मैं उसी जगह पर खड़ी हूँ जनाब.. जो आपको बताई थी.. पर आप कहाँ हो?
मैंने कहा- मैं ठीक आपके सामने खड़ा हूँ और मैं बेंच से खड़ा होकर उसके सामने आ गया।
वो मुझे देखकर मुस्कुराई। मेरा सारा ध्यान अब भी उसके छोटे-छोटे चीकू जैसे चूचों पर था.. जिसे वो भी नोटिस कर रही थी।
मैं उसकी खूबसूरती में इतना खोया हुआ था कि मेरा ध्यान तब टूटा.. जब उसने मुझसे कहा- बस ऐसे ही देखते रहना है या कुछ करना भी है।
मैंने कहा- हाँ..
लेकिन मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं उसे लेकर कहाँ जाऊँ।
कुछ देर सोचने के बाद मैं और पूजा एक होटल की तरफ निकल गए। होटल पहुँच कर मैंने एक कमरा बुक करवाया और मैं पूजा को लेकर अन्दर आ गया।
कमरे में अन्दर आकर दरवाजा बन्द करते ही मैं पूजा के ऊपर टूट पड़ा। मैंने उसे अपनी बाँहों में कैद करके अपने होंठ उसके गुलाबी होंठों पर रख दिए और मैं उसके मस्त नरम-नरम गुलाबी होंठों के मधुरस का पान करने लगा। वो भी मेरा साथ दे रही थी।
अब धीरे-धीरे मेरे हाथ उसके चूचों के चूचकों तक पहुँच गए। मैं अब उसके चूचकों को दबा रहा था। मस्ती में धीरे-धीरे उसकी आँखें बन्द होने लगीं और वो कपड़ों के ऊपर से ही मेरे लण्ड को दबाने लगी।
खड़े-खड़े ही मैंने उसकी टी-शर्ट उतार दी और मैं उसे बिस्तर पर ले आया। बिस्तर पर लाकर मैंने उसकी जींस और अपने कपड़ों को भी खोल दिया।
अब पूजा मेरे सामने नंगी पड़ी हुई थी। कपड़ों के नाम पर उसके शरीर पर केवल पैन्टी ही बची थी।
मैं उसके ऊपर लेटकर उसके स्तनों को चूसने लगा। उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं। अपने एक हाथ से उसकी चूत में उॅंगली कर रहा था तो दूसरा हाथ उसके मम्मों को मसलने में व्यस्त था।
उसकी चूत उत्तेजना की वजह से एकदम गीली हो गई थी। उसकी चूत मुझे आमंत्रित करने लगी थी कि ‘आओ घुसा दो अपना लौड़ा मेरी चूत में और बुझा दो मेरी प्यास..’
चूत के चिकना हो जाने की वजह से मेरी उॅंगली आसानी से अन्दर जा रही थी।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

अब मैं खड़ा होकर उसके पैरों के बीच में आ गया और बड़े गौर से उसकी प्यारी सी चूत को देखने लगा।
हाय.. क्या मस्त चूत थी उसकी.. एकदम गोरी क्लीनशेव। उसकी मस्त चूत को देखकर मैं उसे पागलों की तरह चाटने लगा। जैसे ही मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया उसकी सिसकारियाँ तेज होने लगीं।
मैं मस्त होकर उसकी मक्खन जैसी चूत को चाट रहा था और वो भी मस्ती में नागिन की तरह बल खा रही थी, उसके मुँह से ‘आह अऽऽआऽऽह.. म्म्म्म्म मऽऽआऽऽह..’ की आवाजें निकल रही थीं।
कुछ देर उसकी चूत को चाटने के बाद मैंने उसे अपना लण्ड चूसने को कहा.. तो उसने मना कर दिया और मैंने उसकी भावनाओं को समझते हुए उस पर ज्यादा जोर भी नहीं डाला।
अब मैं खड़ा होकर बिस्तर से नीचे आ गया और उसके पैरों को पकड़ कर बिस्तर से नीचे लटका दिया। अब मेरा लण्ड ठीक उसकी चूत के सामने था। मैंने लण्ड को पकड़कर उसकी चूत के छोटे से छेद पर रख दिया। जैसे ही मैंने लण्ड को उसकी चूत से छुआ वो एकदम सिहर उठी और मेरे लण्ड को हाथ में लेकर नापतोल करने लगी।
कुछ देर बाद उसने कहा- ये तो बहुत मोटा है।
मैंने कहा- घबराओ मत मेरी जान.. आराम से करूँगा.. बहुत प्यार से चोदूँगा।
वो बोली- ठीक है.. पर आराम से।
मैं बोला- ठीक है।
मैंने लण्ड को उसकी चूत पर रख कर हल्का सा धक्का मारा.. तो वह दर्द की वजह से चीख पड़ी।
मैंने अपना एक हाथ उसके मुँह पर रख दिया और अपने लण्ड को धीरे-धीरे उसकी चूत में घुसाने का प्रयास करने लगा.. मगर उसकी चूत इतनी टाइट थी कि चूत और लण्ड के पर्याप्त चिकना होने के बावजूद मैं अपना लण्ड उसकी चूत में नहीं डाल पा रहा था।
अबकी बार मैंने थोड़ा सा जोर लगाकर लण्ड को आधा.. पूजा की चूत में डाल दिया और पूजा दर्द की वजह से छटपटाने लगी।
उसके दर्द को कम करने के लिए मैं उसके होंठों को चूसने लगा और उसके होंठों को चूसते-चूसते मैंने अपना बाकी का आधा लण्ड भी पूजा की चूत में उतार दिया।
लण्ड के पूरा अन्दर जाते ही पूजा दर्द के मारे दोहरी हो गई। मैंने उसके होंठों को चूसना चालू रखा.. जब तक कि उसका दर्द कम नहीं हो गया।
कुछ देर बाद वह अपनी कमर को हिलाने लगी.. तो मैं समझ गया कि अब उसका दर्द कम हो गया है। अब मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाना शुरु किया। अब उसके मुँह से ‘आआहहऽऽ.. आहहऽऽअऽऽ.. हहऽऽहऽऽ हम्म्म्मऽऽ..आ..’ की आवाजें आने लगीं- चोद दो मुझे.. हाँ.. चोद दो.. फाड़ दो मेरी चूत को.. फाड़ दो इसको। हम्म्म्म्म.. आहहहह आहहह.. अहहह अहह आहहहम्म्म ममआहह.. उसकी आवाजें तेज होने लगीं।
उसकी मादक आवाजें मुझे और भी उत्तेजित कर रही थीं। अब मैं उसकी चूत में तेज-तेज धक्के मारने लगा। मैंने उसे चोदने की स्पीड बढा दी। वह अब और भी जोर से चीखने चिल्लाने लगी, उसके मुँह से ‘आह हह.. आआ.. आहह.. हहम्म.. अआहह’ की आवाजें आ रही थीं।
मैं उसे तेज गति से चोद रहा था। उसके साथ-साथ अब मेरे मुँह से भी सिसकारियाँ निकलने लगीं।
मैं धक्के पर धक्के लगाए जा रहा था। पूजा आनन्दातिरेक से बड़बड़ा रही थी।
वो झड़ चुकी थी।
लगभग बीस मिनट की चुदाई के बाद मैंने पूजा से कहा- मेरा निकलने वाला है तो पूजा बोली- अन्दर ही निकाल दो.. मैं दवाई खा लूंगी।
कुछ देर बाद मेरे लण्ड से पन्द्रह-बीस पिचकारियाँ पूजा की चूत में निकल गईं। पूजा भी एक बार फिर से झड़ गई। पूरी चुदाई के दौरान पूजा तीन बार झड़ी। झड़ने के बाद में पूजा को अपनी बाँहों में लेकर उसके ऊपर ही ढेर हो गया।
पूजा ने भी मुझे अपनी बाँहों में लिया हुआ था, मैं उसे लगातार किस किए जा रहा था, वो भी मेरा साथ दे रही थी।
कुछ देर बाद पूजा ने घड़ी में टाइम देखा तो वह बोली- सरस.. अब हमें चलना चाहिए.. काफी देर हो चुकी है।
मैंने घड़ी देखी तो सच में शाम के 5 बज चुके थे।
हम दोनों एक-दूसरे से अलग हुए और अपने कपड़े पहनने लगे।
कपड़े पहन कर पूजा मेरे गले लगते हुए बोली- देखना.. आज रात को मुझे बिल्कुल नींद नहीं आएगी।
मैंने पूछा- ऐसा क्यूँ?
पूजा- आज तुमने मुझे इतना प्यार दिया है कि मैं इसे जिन्दगी भर नहीं भूल पाऊँगी। काश मैं आपसे शादी कर पाती लेकिन जिस भी लड़की की शादी आपके साथ होगी वो बहुत खुशनसीब होगी कि उसे आपके जैसा पति मिलेगा।
यह कहते-कहते पूजा की आँखों में आंसू आ गए।
मैंने पूजा को जोर से गले लगाकर उसे चुप कराते हुए कहा- मैं कहीं जा थोड़े ही रहा हॅू.. परेशान मत हो।
उसे चुप कराकर मैंने उसे चुम्बन किए और उसने मुझे। फिर हमने होटल से रुम खाली किया और मैं पूजा को लेकर उसके घर उसे छोड़ने गया।
उसे घर छोड़ते वक्त उसकी आँखों में बिछड़ने का दर्द था।
उसके बाद लगभग दो साल तक हमने खूब रातें साथ बिताईं.. कभी उसके घर.. कभी तो मेरे घर.. कभी होटल.. तो कभी सिनेमा हॉल.. खूब चुदाई की.. लेकिन अब पूजा की शादी हो चुकी है और मुझे फिर एक साथी की जरुरत है।
मुझे मेरे ई-मेल पर जरुर लिखें क्योंकि जितना एक जरूरतमन्द दूसरे जरूरतमन्द की भावनाओं को समझेगा.. शायद
 उतना कोई और नहीं।


लेखक : सुनीता पृस्टी
प्रकाषक : bhauja.com

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