रिय पाठको, को मैंने पिछली कहानी में बताया था कैसे मैं नीलम रानी के साथ एक गेम में हार गया था, जिसके फलस्वरूप मुझे नीलम रानी से उसके स्टाइल में चुदना था।
मैं और नीलम रानी एक होटल में रुके थे जहाँ उसके ठरकी जीजा विक्रम ने अपनी पत्नी अनु रानी को अपने सामने ही मुझसे चुदवाया था और फिर मैंने और उसने एक साथ अनु रानी की चूत और गाण्ड मारी थी, पहले उसने गाण्ड ली और मैंने चूत, फिर मैंने गाण्ड मारी और उसने चूत ली।
उस दिन नीलम रानी की तबीयत खराब होने के कारण वो चुदाई समारोह में भाग नहीं ले सकी थी।
अब अगले दिन की गाथा सुनिये।
अगले दिन नीलम रानी की तबियत ठीक थी और वो चुदने के लिये बेकरार भी थी।
सुबह नाश्ते के समय मैंने विक्रम से पूछा- क्यों दोस्त आज का क्या प्लान है? कल का अनुभव दोहराना है क्या?
‘हाँ सर… कल का अनुभव शाम को दोहराएँगे एक बार… दिन में आप नीलम की सेवा करिये, वो बेचारी कल से इतनी चुदाई देख देख कर फटने को हो रही होगी… शाम को दोनों मिल कर अनु को चोदेंगे और रात फिर आप और नीलम, मैं और मेरी अनु को… क्या कहना है आप का?’
‘ठीक है यह प्रोग्राम, ऐसा ही करते हैं।’ मैंने जवाब दिया।
नाश्ता कर के हम अपने अपने कमरों में आ गये।
उससे पहले सुबह उठते ही मैंने नीलम रानी का स्वर्णमृत पी कर उसे बेहद खुश कर दिया था।
मस्ता तो मैं भी बहुत गया था, जी करता था कि अभी मचल अचल कर इस कामुक, कामासक्त और कामातुर लड़की को चोद के रख दूँ।
फिर हम दोनों एक साथ नहाये भी थे लेकिन मैंने चुदाई करने की चेष्टा ही नहीं की क्योंकि आज तो नीलम रानी ने मुझे चोदना था उसके स्टाइल में, उसकी मर्ज़ी के ढंग से!
मैंने नीलम रानी का एक लम्बा और गहरा चुम्बन लेकर पूछा- तो फिर क्या दिमाग में है मेरी प्यारी नीलम रानी के… तूने कहा था तू अपने ही तरीक़े से तीन बार मुझे चोदेगी। क्या स्पेशल स्टाइल है जिससे तू चुदाई आज करेगी?
मैंने उसे कस के बाहों में जकड़ लिया और उसकी आँखों में देखने लगा।
मुझे बहुत कौतूहल था कि आज मैं कैसे चुदूँगा।
‘सुन राजे !’ नीलम रानी ने जोश से भरकर कहा- सबसे पहले तू मेरा रेप करेगा… मेरा बड़ा दिल है मेरा बलात्कार हो.. फिर तू मुझे चोदेगा बिल्कुल वैसे जैसे कि आदिमानव या कह लो केवमैन (पुराने समय में गुफाओं में रहने वाले जंगली मानव) अपनी औरतों को चोदा करते थे… और तीसरे मैं तुझे अपना ग़ुलाम बनाकर और मैं खुद तेरी मल्लिका बनके तुझे चोद दूँगी।
मैंने नीलम रानी को कस के बाहों में दबोच लिया और उसके भरे भरे, किसी पके संतरे की फांकों जैसे खूबसूरत होंठ चूसने लगा।
मेरे हाथ नीलम रानी की मोटी चूचियाँ निचोड़ रहे थे।
नीलम रानी ने भी मस्ता कर अपनी जीभ मेरे मुँह में घुसा दी और पैंट के ऊपर से ही लण्ड मसलने लगी।
हम काफी देर तक ऐसे ही लिपट लिपट कर मज़ा लूटते रहे। फिर खड़े हुए लण्ड को संभालता हुआ मैं बोला- रानी…मैंने तो कभी किसी लड़की का रेप किया नहीं है… अब मैं कैसे तुझसे रेप करूगा? मुझे तो पता भी नहीं है कि रेप कैसे करते हैं।
नीलम रानी इठलाकर बोली- राजे, तुम सारी पिक्चरें देखते हो… हर फिल्म में रेप तो होता ही है हीरो की बहन का… बस तो जैसे फिल्म मे विलेन रेप करते हैं तुम भी वैसे ही कर डालो… सच्ची में राजे मेरा बड़ा दिल करता है कि कोई साण्ड मुसंड, जैसे कि तुम, मेरा बलात्कार करे… हाय राम… कितना मज़ा आयेगा ना जब तुम अपना लोहे सा सख्त लण्ड मेरी चूत में ज़बरदस्ती ठोक दोगे… मेरी तो सोच सोच के ही मस्ती से गाण्ड फटी जा रही है… जब चुदूँगी तो राम जाने क्या हाल होगा मेरा!
मैंने कहा- अच्छा ठीक है, कोशिश करता हूँ… रानी देखो बलात्कार करने में और गुफा में रहने वाले जंगली आदमियों की चुदाई में कोई खास फर्क नहीं है। दोनों ही वहशी दरिंदों की तरह व्यवहार करते हैं… तो रानी, तू दोनों कामों को एक ही मान ले… यह समझ ले कि तेरा रेप हुआ तो साथ साथ में जंगलियों जैसी चुदाई भी हो गई… दूसरा जैसे ही मैंने लौड़ा चूत में ठूंस दिया, यह मान लेंगे कि बलात्कार हो गया… एक बार लण्ड बुर में घुस गया तो फिर बलात्कार हो या रज़ामंदी से तू चूत मरवाये एक ही चीज़ है… क्यों ठीक है ना ये दो बातें?
नीलम रानी ने अपनी सुन्दर आँखें टिमटिमाईं, वो कुछ कनफ्यूज़ दिखने लगी मेरी दो बातें सुन कर।
शायद उसने अपनी तीन इच्छाओं पर ज़्यादा ध्यान से सोच विचार नहीं किया था, दीख रहा था कि प्यारी सी सुन्दर सी नीलम रानी के दिमाग के घोड़े दौड़ रहे थे लेकिन वो कुछ भी दलील दे न पाई और कुछ देर क पशोपेश के बाद सिर हिला के मान गई कि जो मैं कह रहा था वो सही है।
नीलम रानी ने सीन समझाया- देखो राजे… मैं गाँव की एक जवान लड़की हूँ जो सुबह सुबह कुएँ पर नहा कर घर लौट रही है और तुम एक लफंगे लड़के हो… तुम बहुत दिनों से मेरे पीछे पड़े हो और इस ताक में हो कि कब तुम मुझे पकड़ने का मौका पा सको… आज तुमको लगा तुम अपनी मर्ज़ी कर सकते हो… अब इसके आगे तुम खुद सीन सोचो और मेरा बलात्कार करो।
नीलम रानी इसके बाद बाथरुम में चली गई।
दो मिनट के बाद बाहर निकली तो उसने सिर्फ एक तौलिया अपने बदन पर लपेट रखा था। उसकी मतवाली जवानी तौलिये से उफन उफन कर बाहर निकली जा रही थी। उसे देख कर किस का दिल नहीं करेगा कि उसे वहीं के वहीं चोद डाले।
वह इतराती हुई, इठलाती हुई धीमे धीमे छोटे छोटे पग रखती हुई मेरी तरफ को आ रही थी।
मैं बोला- रानी, कहाँ चुपके चुपके चली जा रही हो… तेरे आशिक यहाँ मरे जा रहे हैं… एक नज़र इधर भी तो डाल दे।
इतना कह कर मैं अपना अकड़ा हुआ लौड़ा सहलाने लगा।
नीलम रानी ने गुस्से में आँखें तरेर कर डांटा- सुन जीतू के बच्चे… तू मेरा पीछा छोड़ेगा या नहीं? अपनी शकल देख ज़रा शीशे में। एकदम लंगूर लगता है… दूर हट… नहीं तो चप्पल निकाल के मारूँगी… हां !
तो इस खेल में मेरा नाम जीतू था!
‘हाँ हाँ मेरी झाँसी की रानी… ज़रूर मार… यहाँ तो तैयार बैठे हैं तुझ से मार खाने को… मार जितना मर्ज़ी लेकिन रानी आज तो तेरी चूत मैंने लेनी ही लेनी है… अब चाहे हंस के चुदवा, चाहे रो के!
इतना कह के मैंने नीलम रानी की बांह पकड़ ली और उसे अपनी तरफ खींचना चाहा।
नीलम रानी ने पूरी ताक़त से दूसरे हाथ से मेरे मुँह पर मुक्का मारने की कोशिश की।
मैंने उसका फूल जैसा नाज़ुक हाथ पकड़ लिया और ज़ोर से आलिंगन में बाँध लिया।
नीलम रानी पूरा ज़ोर लगा रही थी मुझ से छूटने के लिये।
नीलम रानी जैसी कमसिन और नाज़ुक लड़की चाहे जितनी ताकत लगा ले किसी आदमी की पकड़ से छूटना मुश्किल है।
फिल्मों में ज़रूर लड़की अपना हाथ छुड़ा के मीलों भागती हैं दुबारा विलेन के चंगुल में आने से पहले।
खैर नीलम रानी ज़ोर लगाती रही परन्तु छूट ना सकी।
मैंने उसके होंठ चूमने चाहे लेकिन वह अपना मुँह इधर उधर हिला हिला कर बचती रही और कहती रही- जीतू छोड़ दे, छोड़ दे, छोड़ दे।
फिर मैंने बिल्कुल फिल्मी विलेन के अन्दाज़ में नीलम रानी के बाल जकड़े और उन्हें पीछे को खींचा। मैं बहुत थोड़ी ताकत लगा रहा था क्योंकि असली रेप की एक्टिंग करने में नीलम रानी को चोट लग जाने का डर था।
बाल खिंचने से नीलम रानी का सिर पीछे को हो गया, उसकी आँखें मस्ती से चमक रही थीं, उसे इस कशमकश में बड़ा मज़ा आ रहा था।
मैंने अपना मुँह झुका के नीलम रानी के प्यारे होंठों को चूसना शुरू किया।
क्योंकि उसके बाल मैंने जकड़े हुए थे, इसलिये वो अपना मुँह बिल्कुल इधर उधर नहीं हिला सकती थी लेकिन फिर ही वो मुझे नाखूनों से नोच खसोट रही थी।
मैंने नकली गुस्से से गुर्रा के कहा- सुन रानी… अब तू फालतू नोचा नाची ना कर… आज मैं तुझे चोदे बिना तो छोडूंगा नहीं… जितना लड़ने की कोशिश करेगी, उतना ज़्यादा दर्द होगा अगर तुझे चोट लग गई तो मैं ज़िम्मेवार नहीं… चुप करके मुझे नंगी कर लेने दे उस पेड़ के पीछे। किसी को कुछ पता नहीं चलेगा…तेरी यह मदमस्त जवानी मेरे बर्दाश्त से बाहर हो चली है।
नीलम रानी ने गुस्से से भरी हुई सख्त आवाज़ में जवाब दिया- हरामी, बड़ा आया नंगी करने वाला… नंगी कर जाकर अपनी जोरू को, अपनी बहन को… अब फौरन छोड़ दे मुझे… मेरे बापू को पता चल गया तो तेरे टुकड़े टुकड़े कर देगा।
‘टुकड़े टुकड़े तो जब करेगा तब करेगा… अभी तो मैं तेरी चूत लूँगा।’ यह कह कर मैंने उसके बालों को उमेठा और घसीटकर बिस्तर पर पटक दिया।
‘इस पेड़ के पीछे तुझे कोई नहीं देख पायेगा।’ मैंने एक काल्पनिक पेड़ की तरफ इशारा करते हुए कहा और नीलम रानी के संभलने से पहले ही उसे मैंने दबोच लिया, कस के जो उसके मम्मे भम्भोड़े तो उसकी आहें निकल गईं।
खटाक से उसके सलवार का नाड़ा खींच कर खोल दिया, अपनी दोनों टांगों से उसकी टांगें जाम कर दीं और सलवार घुटनों तक ले आया।
फिर मैं उसके पैरों की तरफ मुँह करके नीलम रानी की रेशमी जाँघों पर चढ़ बैठा और सलवार पूरी उसके पैरों से बाहर निकाल दी।
नीलम रानी लगातार मेरे बदन पर मुक्के मारे जा रही थी लेकिन मेरे सख्त शरीर पर उसके फूल जैसे मुक्के कुछ भी असर न कर पा रहे थे।
मैंने उसकी सलवार उतार कर दूर फेंक दी और फिर पलट के मुँह नीलम रानी की तरफ कर लिया।
इस बार मेरा निशाना नीलम रानी के कुर्ते पर था। एक ज़ोर से जो हाथ चलाया तो उसका बारीक से कपड़े का कुर्ता चिर्र चिर्र की आवाज़ करता हुआ फट गया।
मैंने नीलम रानी की ब्रा की तनी पकड़ के ज़ोर से खींची तो वो भी टूट गई और एक शॉट में नीलम रानी के बदन का ऊपर का भाग भी नंगा हो गया था।
नीलम रानी के मदमाते उरोज नंगे देख कर मेरी उत्तेजना एकदम रॉकेट रफ़्तार से आकाश की ओर उड़ी।
मैंने दोनों चूचे जकड़ कर ज़ोर ज़ोर से दबाना शुरू किया और कहा- देख अब मैं इन मम्मों को कैसे कुचलता हूँ… आज इन हरामज़ादे थनों को पीस कर चटनी ना बना दी तो रानी मैं जीतू नहीं।
मैंने चूचों को खूब कस कस के उमेठा, खींचा और निचोड़ा।
नीलम रानी आह आह… कर रही थी और अपनी मुष्टि बांध कर बार बार मेरे सीने पर मुक्के पर मुक्का मार रही थी।
अचानक उसने मुँह उठाकर मेरी बांह पर ज़ोरों से दांत गड़ा के काट खाया। मैंने एकदम फिल्मी विलेन के स्टाइल में एक चांटा बहुत धीरे से उसके वासना तमतमाये गाल पर मारा।
चांटा क्या एक हल्की सी थपकी थी।
नीलम रानी ने दांत भींच कर गुस्से से कहा- राजे, तू भूल गया तू रेप कर रहा है… ऐसे प्यार से थपकाएगा तो हो चुका रेप…!
मैंने ज़रा सा और ज़ोर से थप्पड़ उसके दूसरे गाल पर मारा।
इस बार उसे लगा कि हाँ, चांटा लगा है गाल पर।
उसने सिर थोड़ा सा दूसरी तरफ कर लिया जिससे दूसरा गाल मेरे सामने आ गया। यानी कि नीलम रानी एक चांटा और खाना चाहती थी।
मैंने दूसरे गाल पर भी बस थोड़ी सी ताक़त से चांटा रसीद किया।
मैं अब इस तमाशे से कुछ कुछ मज़े में आने लगा था।
नीलम रानी की आँखों में जो चमक आ गई थी, उसने मेरी उत्तेजना को और भी अधिक बढ़ा दिया था।
मुझे दिख रहा था कि नीलम रानी को इस ज़बरदस्ती के खेल में दर्द पाकर बहुत आनन्द आ रहा था।
मैंने नीलम रानी के बाल जकड़ कर ज़ोर से पीछे को खींचे जिससे उसका मुँह ऊपर को उठ गया।
मैंने बालों को ज़ोर से उमेठा तो उसका मुँह पूरा का पूरा ऊपर को हो गया, माथे की चमड़ी टाइट हो गई जिस से अब वो आँखें भी नहीं मूंद सकती थी।
मैंने उसके रसीले होंठों को मज़े ले लेकर चूसना शुरू किया।
अब वो बिल्कुल बेबस हो चुकी थी, अपना चेहरा टस से मस भी करती तो भी उसके बालों का खिंचाव उसे मजबूर कर देता कि वो अपना मुँह तनिक भी न हिलाये।
नीलम रानी के पास कोई रास्ता नहीं था अपने होंठ चुपचाप चुसवाने के सिवाय।
अब वो ना अपना चेहरा इधर उधर कर सकती थी और ना अपना नीचे का बदन क्योंकि मैं उसकी जाँघों पर चढ़ कर बैठा हुआ था।
वो सिर्फ अपने पैर और हाथ हिला सकती थी, पैर हिला के कुछ होना नहीं था, तो हाथों का इस्तेमाल वो करे जा रही थी मुझे मुक्के लगाने में या नोचने में।
दोनों ही उसके हथियार मेरे ऊपर कुछ भी असर नहीं डाल पा रहे थे।
काफी देर तक मैंने नीलम रानी के मस्त होंठों का रस चूसा और फिर मैंने उसके चूचियाँ कस के दबानी शुरू कीं।
दोनों हाथों से उसके तने हुए अकड़े हुए चूचे जो मैंने मसले कुचले, तो नीलम रानी की चीखें निकल गईं।
लेकिन उसकी चीखें मस्ती से भरी हुई थीं न कि पीड़ा की।
नीलम रानी मज़े में भरी हुई अपना मुँह इधर उधर हिला रही थी और सीत्कार पर सीत्कार भरे जा रही थी।
उसकी पेशानी पर पसीने की बारीक बारीक बूंदें उभर आई थीं, बदहवासी में उसके बाल बेतरतीब हो गये थे।
उसकी आँखें अब दीवानापन झलका रही थीं।
मैं कभी चूचे मसलता और कभी निप्पल उंगलियों में भींच के ज़ोर ज़ोर से उमेठता।
बीच बीच में मैं उसकी बाहों को और कंधों को भी कस के दबा देता।
मुझे साफ साफ समझ आ गया था कि नीलम रानी को दर्द पाकर बहुत आनन्द आ रहा था।
मैं उसकी जाँघों से थोड़ा पीछे को खिसका, खुद को नीलम रानी के घुटनों पर जमा कर बिठाया और फिर मैंने एक उंगली उसकी चूत पर फिराई।
जैसा कि मुझे आशा थी, चूत पानी पानी हो रही थी, मेरी उंगली रस से पूरी तरह भीग गई।
नीलम रानी को थोड़ा और दर्द देने के लिये मैंने अब उसकी जाँघों पर अपना ध्यान केन्द्रित किया।
अपने हाथों के अंगूठे एक एक जांघ में गाड़ दिये और उन मस्त चिकनी रेशमी मुलायम जाँघों को ज़ोर ज़ोर से मसला और नोचा-खसोटा।
नीलम रानी और भी ज़्यादह उत्तेजित हो गई।
जितना मैं ज़ोर से उसकी जाँघों को मसलता वो उतना ही अधिक मस्त हुए जा रही थी। उसकी आँखों में अब लाल लाल डोरे तैरने लगे थे, मुँह से सी…सी… हाय…हाय… हाय…उऊऊऊँ….उऊऊऊऊँ की ठरक से भरपूर आवाज़ें आ रही थीं।
चूत पर दुबारा से उंगली फिराई तो एक फव्वारा सा रस का छूटा।
मैंने तुरंत उंगली मुँह में लेकर नीलम रानी के अमृत समान चूत रस को स्वाद लिया।
नीलम रानी की चूचियों पर लाल नीले निशान पड़ गये थे जहाँ जहाँ मैंने उनको पूरी ताक़त से दबा दबा के कुचला था।
उसी प्रकार के निशान अब नीलम रानी की जाँघों पर भी आने लगे थे।
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हालांकि नीलम रानी खूब मज़ा लूट रही थी। उसके शरीर में जो मैं पीड़ा पहुंचा रहा था, उसे बेहद उत्तेजित किये जा रही थी।
उसका सुन्दर मुखड़ा चुदास की गर्मी से लाल हो चुका था, वो बार बार फड़क उठती थी जैसे कोई तेज़ लहर उसके बदन में अचानक से ऊपर नीचे, नीचे ऊपर दौड़ लगा रही हो।
क्यूंकि मैं उसकी टांगों पर बैठा हुआ था, वो अपनी टांगें नहीं हिला पा रही थी, लेकिन वो अपना सिर दायें से बायें और फिर बायें से दायें कर रही थी।
उसने अपने हाथों से मेरी कलाइयाँ जकड़ रखी थीं। पता नहीं वो उन्हें रोकने के लिये जकड़े थी या उन्हें तेज़ करने के लिये।
नीलम रानी के रसीले होंठ हल्के हल्के कंपकंपा रहे थे, उसकी आँखें आधी खुली आधी मुंदी हुई थीं और उसके नथुने बीच बीच में फड़फड़ाने लगते थे।
इस समय नीलम रानी उत्तेजना की पराकाष्ठा पर पहुँच चुकी थी, मेरा खुद भी चुदास की तेज़ी से बुरा हाल हो रहा था।
लण्ड मेरी पैंट में फंसा हुआ बार बार आज़ाद होने की ज़िद कर रहा था।
अब समय आ गया था कि नीलम रानी को चोद दिया जाये।
कहानी जारी रहेगी।
मैं और नीलम रानी एक होटल में रुके थे जहाँ उसके ठरकी जीजा विक्रम ने अपनी पत्नी अनु रानी को अपने सामने ही मुझसे चुदवाया था और फिर मैंने और उसने एक साथ अनु रानी की चूत और गाण्ड मारी थी, पहले उसने गाण्ड ली और मैंने चूत, फिर मैंने गाण्ड मारी और उसने चूत ली।
उस दिन नीलम रानी की तबीयत खराब होने के कारण वो चुदाई समारोह में भाग नहीं ले सकी थी।
अब अगले दिन की गाथा सुनिये।
अगले दिन नीलम रानी की तबियत ठीक थी और वो चुदने के लिये बेकरार भी थी।
सुबह नाश्ते के समय मैंने विक्रम से पूछा- क्यों दोस्त आज का क्या प्लान है? कल का अनुभव दोहराना है क्या?
‘हाँ सर… कल का अनुभव शाम को दोहराएँगे एक बार… दिन में आप नीलम की सेवा करिये, वो बेचारी कल से इतनी चुदाई देख देख कर फटने को हो रही होगी… शाम को दोनों मिल कर अनु को चोदेंगे और रात फिर आप और नीलम, मैं और मेरी अनु को… क्या कहना है आप का?’
‘ठीक है यह प्रोग्राम, ऐसा ही करते हैं।’ मैंने जवाब दिया।
नाश्ता कर के हम अपने अपने कमरों में आ गये।
उससे पहले सुबह उठते ही मैंने नीलम रानी का स्वर्णमृत पी कर उसे बेहद खुश कर दिया था।
मस्ता तो मैं भी बहुत गया था, जी करता था कि अभी मचल अचल कर इस कामुक, कामासक्त और कामातुर लड़की को चोद के रख दूँ।
फिर हम दोनों एक साथ नहाये भी थे लेकिन मैंने चुदाई करने की चेष्टा ही नहीं की क्योंकि आज तो नीलम रानी ने मुझे चोदना था उसके स्टाइल में, उसकी मर्ज़ी के ढंग से!
मैंने नीलम रानी का एक लम्बा और गहरा चुम्बन लेकर पूछा- तो फिर क्या दिमाग में है मेरी प्यारी नीलम रानी के… तूने कहा था तू अपने ही तरीक़े से तीन बार मुझे चोदेगी। क्या स्पेशल स्टाइल है जिससे तू चुदाई आज करेगी?
मैंने उसे कस के बाहों में जकड़ लिया और उसकी आँखों में देखने लगा।
मुझे बहुत कौतूहल था कि आज मैं कैसे चुदूँगा।
‘सुन राजे !’ नीलम रानी ने जोश से भरकर कहा- सबसे पहले तू मेरा रेप करेगा… मेरा बड़ा दिल है मेरा बलात्कार हो.. फिर तू मुझे चोदेगा बिल्कुल वैसे जैसे कि आदिमानव या कह लो केवमैन (पुराने समय में गुफाओं में रहने वाले जंगली मानव) अपनी औरतों को चोदा करते थे… और तीसरे मैं तुझे अपना ग़ुलाम बनाकर और मैं खुद तेरी मल्लिका बनके तुझे चोद दूँगी।
मैंने नीलम रानी को कस के बाहों में दबोच लिया और उसके भरे भरे, किसी पके संतरे की फांकों जैसे खूबसूरत होंठ चूसने लगा।
मेरे हाथ नीलम रानी की मोटी चूचियाँ निचोड़ रहे थे।
नीलम रानी ने भी मस्ता कर अपनी जीभ मेरे मुँह में घुसा दी और पैंट के ऊपर से ही लण्ड मसलने लगी।
हम काफी देर तक ऐसे ही लिपट लिपट कर मज़ा लूटते रहे। फिर खड़े हुए लण्ड को संभालता हुआ मैं बोला- रानी…मैंने तो कभी किसी लड़की का रेप किया नहीं है… अब मैं कैसे तुझसे रेप करूगा? मुझे तो पता भी नहीं है कि रेप कैसे करते हैं।
नीलम रानी इठलाकर बोली- राजे, तुम सारी पिक्चरें देखते हो… हर फिल्म में रेप तो होता ही है हीरो की बहन का… बस तो जैसे फिल्म मे विलेन रेप करते हैं तुम भी वैसे ही कर डालो… सच्ची में राजे मेरा बड़ा दिल करता है कि कोई साण्ड मुसंड, जैसे कि तुम, मेरा बलात्कार करे… हाय राम… कितना मज़ा आयेगा ना जब तुम अपना लोहे सा सख्त लण्ड मेरी चूत में ज़बरदस्ती ठोक दोगे… मेरी तो सोच सोच के ही मस्ती से गाण्ड फटी जा रही है… जब चुदूँगी तो राम जाने क्या हाल होगा मेरा!
मैंने कहा- अच्छा ठीक है, कोशिश करता हूँ… रानी देखो बलात्कार करने में और गुफा में रहने वाले जंगली आदमियों की चुदाई में कोई खास फर्क नहीं है। दोनों ही वहशी दरिंदों की तरह व्यवहार करते हैं… तो रानी, तू दोनों कामों को एक ही मान ले… यह समझ ले कि तेरा रेप हुआ तो साथ साथ में जंगलियों जैसी चुदाई भी हो गई… दूसरा जैसे ही मैंने लौड़ा चूत में ठूंस दिया, यह मान लेंगे कि बलात्कार हो गया… एक बार लण्ड बुर में घुस गया तो फिर बलात्कार हो या रज़ामंदी से तू चूत मरवाये एक ही चीज़ है… क्यों ठीक है ना ये दो बातें?
नीलम रानी ने अपनी सुन्दर आँखें टिमटिमाईं, वो कुछ कनफ्यूज़ दिखने लगी मेरी दो बातें सुन कर।
शायद उसने अपनी तीन इच्छाओं पर ज़्यादा ध्यान से सोच विचार नहीं किया था, दीख रहा था कि प्यारी सी सुन्दर सी नीलम रानी के दिमाग के घोड़े दौड़ रहे थे लेकिन वो कुछ भी दलील दे न पाई और कुछ देर क पशोपेश के बाद सिर हिला के मान गई कि जो मैं कह रहा था वो सही है।
नीलम रानी ने सीन समझाया- देखो राजे… मैं गाँव की एक जवान लड़की हूँ जो सुबह सुबह कुएँ पर नहा कर घर लौट रही है और तुम एक लफंगे लड़के हो… तुम बहुत दिनों से मेरे पीछे पड़े हो और इस ताक में हो कि कब तुम मुझे पकड़ने का मौका पा सको… आज तुमको लगा तुम अपनी मर्ज़ी कर सकते हो… अब इसके आगे तुम खुद सीन सोचो और मेरा बलात्कार करो।
नीलम रानी इसके बाद बाथरुम में चली गई।
दो मिनट के बाद बाहर निकली तो उसने सिर्फ एक तौलिया अपने बदन पर लपेट रखा था। उसकी मतवाली जवानी तौलिये से उफन उफन कर बाहर निकली जा रही थी। उसे देख कर किस का दिल नहीं करेगा कि उसे वहीं के वहीं चोद डाले।
वह इतराती हुई, इठलाती हुई धीमे धीमे छोटे छोटे पग रखती हुई मेरी तरफ को आ रही थी।
मैं बोला- रानी, कहाँ चुपके चुपके चली जा रही हो… तेरे आशिक यहाँ मरे जा रहे हैं… एक नज़र इधर भी तो डाल दे।
इतना कह कर मैं अपना अकड़ा हुआ लौड़ा सहलाने लगा।
नीलम रानी ने गुस्से में आँखें तरेर कर डांटा- सुन जीतू के बच्चे… तू मेरा पीछा छोड़ेगा या नहीं? अपनी शकल देख ज़रा शीशे में। एकदम लंगूर लगता है… दूर हट… नहीं तो चप्पल निकाल के मारूँगी… हां !
तो इस खेल में मेरा नाम जीतू था!
‘हाँ हाँ मेरी झाँसी की रानी… ज़रूर मार… यहाँ तो तैयार बैठे हैं तुझ से मार खाने को… मार जितना मर्ज़ी लेकिन रानी आज तो तेरी चूत मैंने लेनी ही लेनी है… अब चाहे हंस के चुदवा, चाहे रो के!
इतना कह के मैंने नीलम रानी की बांह पकड़ ली और उसे अपनी तरफ खींचना चाहा।
नीलम रानी ने पूरी ताक़त से दूसरे हाथ से मेरे मुँह पर मुक्का मारने की कोशिश की।
मैंने उसका फूल जैसा नाज़ुक हाथ पकड़ लिया और ज़ोर से आलिंगन में बाँध लिया।
नीलम रानी पूरा ज़ोर लगा रही थी मुझ से छूटने के लिये।
नीलम रानी जैसी कमसिन और नाज़ुक लड़की चाहे जितनी ताकत लगा ले किसी आदमी की पकड़ से छूटना मुश्किल है।
फिल्मों में ज़रूर लड़की अपना हाथ छुड़ा के मीलों भागती हैं दुबारा विलेन के चंगुल में आने से पहले।
खैर नीलम रानी ज़ोर लगाती रही परन्तु छूट ना सकी।
मैंने उसके होंठ चूमने चाहे लेकिन वह अपना मुँह इधर उधर हिला हिला कर बचती रही और कहती रही- जीतू छोड़ दे, छोड़ दे, छोड़ दे।
फिर मैंने बिल्कुल फिल्मी विलेन के अन्दाज़ में नीलम रानी के बाल जकड़े और उन्हें पीछे को खींचा। मैं बहुत थोड़ी ताकत लगा रहा था क्योंकि असली रेप की एक्टिंग करने में नीलम रानी को चोट लग जाने का डर था।
बाल खिंचने से नीलम रानी का सिर पीछे को हो गया, उसकी आँखें मस्ती से चमक रही थीं, उसे इस कशमकश में बड़ा मज़ा आ रहा था।
मैंने अपना मुँह झुका के नीलम रानी के प्यारे होंठों को चूसना शुरू किया।
क्योंकि उसके बाल मैंने जकड़े हुए थे, इसलिये वो अपना मुँह बिल्कुल इधर उधर नहीं हिला सकती थी लेकिन फिर ही वो मुझे नाखूनों से नोच खसोट रही थी।
मैंने नकली गुस्से से गुर्रा के कहा- सुन रानी… अब तू फालतू नोचा नाची ना कर… आज मैं तुझे चोदे बिना तो छोडूंगा नहीं… जितना लड़ने की कोशिश करेगी, उतना ज़्यादा दर्द होगा अगर तुझे चोट लग गई तो मैं ज़िम्मेवार नहीं… चुप करके मुझे नंगी कर लेने दे उस पेड़ के पीछे। किसी को कुछ पता नहीं चलेगा…तेरी यह मदमस्त जवानी मेरे बर्दाश्त से बाहर हो चली है।
नीलम रानी ने गुस्से से भरी हुई सख्त आवाज़ में जवाब दिया- हरामी, बड़ा आया नंगी करने वाला… नंगी कर जाकर अपनी जोरू को, अपनी बहन को… अब फौरन छोड़ दे मुझे… मेरे बापू को पता चल गया तो तेरे टुकड़े टुकड़े कर देगा।
‘टुकड़े टुकड़े तो जब करेगा तब करेगा… अभी तो मैं तेरी चूत लूँगा।’ यह कह कर मैंने उसके बालों को उमेठा और घसीटकर बिस्तर पर पटक दिया।
‘इस पेड़ के पीछे तुझे कोई नहीं देख पायेगा।’ मैंने एक काल्पनिक पेड़ की तरफ इशारा करते हुए कहा और नीलम रानी के संभलने से पहले ही उसे मैंने दबोच लिया, कस के जो उसके मम्मे भम्भोड़े तो उसकी आहें निकल गईं।
खटाक से उसके सलवार का नाड़ा खींच कर खोल दिया, अपनी दोनों टांगों से उसकी टांगें जाम कर दीं और सलवार घुटनों तक ले आया।
फिर मैं उसके पैरों की तरफ मुँह करके नीलम रानी की रेशमी जाँघों पर चढ़ बैठा और सलवार पूरी उसके पैरों से बाहर निकाल दी।
नीलम रानी लगातार मेरे बदन पर मुक्के मारे जा रही थी लेकिन मेरे सख्त शरीर पर उसके फूल जैसे मुक्के कुछ भी असर न कर पा रहे थे।
मैंने उसकी सलवार उतार कर दूर फेंक दी और फिर पलट के मुँह नीलम रानी की तरफ कर लिया।
इस बार मेरा निशाना नीलम रानी के कुर्ते पर था। एक ज़ोर से जो हाथ चलाया तो उसका बारीक से कपड़े का कुर्ता चिर्र चिर्र की आवाज़ करता हुआ फट गया।
मैंने नीलम रानी की ब्रा की तनी पकड़ के ज़ोर से खींची तो वो भी टूट गई और एक शॉट में नीलम रानी के बदन का ऊपर का भाग भी नंगा हो गया था।
नीलम रानी के मदमाते उरोज नंगे देख कर मेरी उत्तेजना एकदम रॉकेट रफ़्तार से आकाश की ओर उड़ी।
मैंने दोनों चूचे जकड़ कर ज़ोर ज़ोर से दबाना शुरू किया और कहा- देख अब मैं इन मम्मों को कैसे कुचलता हूँ… आज इन हरामज़ादे थनों को पीस कर चटनी ना बना दी तो रानी मैं जीतू नहीं।
मैंने चूचों को खूब कस कस के उमेठा, खींचा और निचोड़ा।
नीलम रानी आह आह… कर रही थी और अपनी मुष्टि बांध कर बार बार मेरे सीने पर मुक्के पर मुक्का मार रही थी।
अचानक उसने मुँह उठाकर मेरी बांह पर ज़ोरों से दांत गड़ा के काट खाया। मैंने एकदम फिल्मी विलेन के स्टाइल में एक चांटा बहुत धीरे से उसके वासना तमतमाये गाल पर मारा।
चांटा क्या एक हल्की सी थपकी थी।
नीलम रानी ने दांत भींच कर गुस्से से कहा- राजे, तू भूल गया तू रेप कर रहा है… ऐसे प्यार से थपकाएगा तो हो चुका रेप…!
मैंने ज़रा सा और ज़ोर से थप्पड़ उसके दूसरे गाल पर मारा।
इस बार उसे लगा कि हाँ, चांटा लगा है गाल पर।
उसने सिर थोड़ा सा दूसरी तरफ कर लिया जिससे दूसरा गाल मेरे सामने आ गया। यानी कि नीलम रानी एक चांटा और खाना चाहती थी।
मैंने दूसरे गाल पर भी बस थोड़ी सी ताक़त से चांटा रसीद किया।
मैं अब इस तमाशे से कुछ कुछ मज़े में आने लगा था।
नीलम रानी की आँखों में जो चमक आ गई थी, उसने मेरी उत्तेजना को और भी अधिक बढ़ा दिया था।
मुझे दिख रहा था कि नीलम रानी को इस ज़बरदस्ती के खेल में दर्द पाकर बहुत आनन्द आ रहा था।
मैंने नीलम रानी के बाल जकड़ कर ज़ोर से पीछे को खींचे जिससे उसका मुँह ऊपर को उठ गया।
मैंने बालों को ज़ोर से उमेठा तो उसका मुँह पूरा का पूरा ऊपर को हो गया, माथे की चमड़ी टाइट हो गई जिस से अब वो आँखें भी नहीं मूंद सकती थी।
मैंने उसके रसीले होंठों को मज़े ले लेकर चूसना शुरू किया।
अब वो बिल्कुल बेबस हो चुकी थी, अपना चेहरा टस से मस भी करती तो भी उसके बालों का खिंचाव उसे मजबूर कर देता कि वो अपना मुँह तनिक भी न हिलाये।
नीलम रानी के पास कोई रास्ता नहीं था अपने होंठ चुपचाप चुसवाने के सिवाय।
अब वो ना अपना चेहरा इधर उधर कर सकती थी और ना अपना नीचे का बदन क्योंकि मैं उसकी जाँघों पर चढ़ कर बैठा हुआ था।
वो सिर्फ अपने पैर और हाथ हिला सकती थी, पैर हिला के कुछ होना नहीं था, तो हाथों का इस्तेमाल वो करे जा रही थी मुझे मुक्के लगाने में या नोचने में।
दोनों ही उसके हथियार मेरे ऊपर कुछ भी असर नहीं डाल पा रहे थे।
काफी देर तक मैंने नीलम रानी के मस्त होंठों का रस चूसा और फिर मैंने उसके चूचियाँ कस के दबानी शुरू कीं।
दोनों हाथों से उसके तने हुए अकड़े हुए चूचे जो मैंने मसले कुचले, तो नीलम रानी की चीखें निकल गईं।
लेकिन उसकी चीखें मस्ती से भरी हुई थीं न कि पीड़ा की।
नीलम रानी मज़े में भरी हुई अपना मुँह इधर उधर हिला रही थी और सीत्कार पर सीत्कार भरे जा रही थी।
उसकी पेशानी पर पसीने की बारीक बारीक बूंदें उभर आई थीं, बदहवासी में उसके बाल बेतरतीब हो गये थे।
उसकी आँखें अब दीवानापन झलका रही थीं।
मैं कभी चूचे मसलता और कभी निप्पल उंगलियों में भींच के ज़ोर ज़ोर से उमेठता।
बीच बीच में मैं उसकी बाहों को और कंधों को भी कस के दबा देता।
मुझे साफ साफ समझ आ गया था कि नीलम रानी को दर्द पाकर बहुत आनन्द आ रहा था।
मैं उसकी जाँघों से थोड़ा पीछे को खिसका, खुद को नीलम रानी के घुटनों पर जमा कर बिठाया और फिर मैंने एक उंगली उसकी चूत पर फिराई।
जैसा कि मुझे आशा थी, चूत पानी पानी हो रही थी, मेरी उंगली रस से पूरी तरह भीग गई।
नीलम रानी को थोड़ा और दर्द देने के लिये मैंने अब उसकी जाँघों पर अपना ध्यान केन्द्रित किया।
अपने हाथों के अंगूठे एक एक जांघ में गाड़ दिये और उन मस्त चिकनी रेशमी मुलायम जाँघों को ज़ोर ज़ोर से मसला और नोचा-खसोटा।
नीलम रानी और भी ज़्यादह उत्तेजित हो गई।
जितना मैं ज़ोर से उसकी जाँघों को मसलता वो उतना ही अधिक मस्त हुए जा रही थी। उसकी आँखों में अब लाल लाल डोरे तैरने लगे थे, मुँह से सी…सी… हाय…हाय… हाय…उऊऊऊँ….उऊऊऊऊँ की ठरक से भरपूर आवाज़ें आ रही थीं।
चूत पर दुबारा से उंगली फिराई तो एक फव्वारा सा रस का छूटा।
मैंने तुरंत उंगली मुँह में लेकर नीलम रानी के अमृत समान चूत रस को स्वाद लिया।
नीलम रानी की चूचियों पर लाल नीले निशान पड़ गये थे जहाँ जहाँ मैंने उनको पूरी ताक़त से दबा दबा के कुचला था।
उसी प्रकार के निशान अब नीलम रानी की जाँघों पर भी आने लगे थे।
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हालांकि नीलम रानी खूब मज़ा लूट रही थी। उसके शरीर में जो मैं पीड़ा पहुंचा रहा था, उसे बेहद उत्तेजित किये जा रही थी।
उसका सुन्दर मुखड़ा चुदास की गर्मी से लाल हो चुका था, वो बार बार फड़क उठती थी जैसे कोई तेज़ लहर उसके बदन में अचानक से ऊपर नीचे, नीचे ऊपर दौड़ लगा रही हो।
क्यूंकि मैं उसकी टांगों पर बैठा हुआ था, वो अपनी टांगें नहीं हिला पा रही थी, लेकिन वो अपना सिर दायें से बायें और फिर बायें से दायें कर रही थी।
उसने अपने हाथों से मेरी कलाइयाँ जकड़ रखी थीं। पता नहीं वो उन्हें रोकने के लिये जकड़े थी या उन्हें तेज़ करने के लिये।
नीलम रानी के रसीले होंठ हल्के हल्के कंपकंपा रहे थे, उसकी आँखें आधी खुली आधी मुंदी हुई थीं और उसके नथुने बीच बीच में फड़फड़ाने लगते थे।
इस समय नीलम रानी उत्तेजना की पराकाष्ठा पर पहुँच चुकी थी, मेरा खुद भी चुदास की तेज़ी से बुरा हाल हो रहा था।
लण्ड मेरी पैंट में फंसा हुआ बार बार आज़ाद होने की ज़िद कर रहा था।
अब समय आ गया था कि नीलम रानी को चोद दिया जाये।
कहानी जारी रहेगी।