अरविन्द शर्मा
दोस्तों मेरा नाम अरविंद शर्मा है और मैं bhauja का नियमित पाठक हूँ। मैं bhauja को २०१५ april से पढ़ रहा हूँ। मैं पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर हूँ, काम की व्यस्तता के चलते और कुछ झिझक के चलते मैं आप को अपनी आपबीती नहीं सुना सका। मगर आज मैं आपको अपनी आपबीती सुना रहा हूँ।
यह बात तब की है जब मैं अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था। मैं अपने गाँव से 60 किलोमीटर दूर दूसरे शहर में पढ़ने आया हूँ और मैं वहाँ पर किराए के कमरे में रहता हूँ। मेरा कमरा नीचे की मंजिल पर ही है और ऊपर मकान-मलिक रहते हैं।
मेरे साथ एक लड़की पढ़ती थी। उसका नाम नेहा था। नेहा देखने में एकदम माल थी। उसकी फिगर का साइज़ 32-28-32 था। जब मैंने उसे पहली बार देखा तो देखता ही रह गया और उसे चोदने के सपने देखने लगा। मैं किसी ना किसी तरह उससे दोस्ती करने की कोशिश करने लगा और मैं इस काम में सफल भी हो गया। हम दोनों अच्छे दोस्त बन गए।
अब हम दोनों क्लास में साथ-साथ बैठते और मैं किसी ना किसी बहाने से उसके हाथ पकड़ लेता और हल्के से उसके कूल्हों को छू लेता था। शायद वो भी इस मस्ती से खुश थी।
अब हमारी छमाही परीक्षा आ गई। मैं पढ़ने में तो तेज था ही, तो नेहा मुझसे ही पढ़ा करती थी। जब हम पढ़ते थे उस समय जब भी नेहा झुकती थी तो मैं चुपके से उसके मम्मों को देख लेता था।
क्या मस्त उभार थे उसके..!
जब उसे इस बात का अहसास होता, तो वो अपनी चुन्नी से उस के मम्मों को छुपा लेती।
हमारे इम्तिहान खत्म हो गए और जब परिणाम आया तो नेहा के प्राप्तांक कम आए थे। वो बहुत उदास हो गई और रोने लगी। मैंने उसे समझाया कि क्यों ना तुम मेरे कमरे पर आकर के पढ़ो हम दोनों मिल कर खूब पढ़ाई करेंगे।
तो उसने ‘हाँ’ कर दी, ये बात सुन करके मुझे बहुत खुशी हुई और मैं मन ही मन मुस्कुराने लगा कि मुझे जो चाहिए था वो हो रहा है।
जब नेहा मेरे कमरे पर आई तो क्या कयामत लग रही थी। उसे देख कर मेरा लण्ड खड़ा होने लगा और मैं मन ही मन सोचने लगा कि आज ती इसे चोद कर ही रहूँगा। उसने स्कूटी मेरे कमरे के सामने खड़ी की और वो अन्दर आ गई। मैंने जल्दी से दरवाजा बंद किया और हम पढ़ने के लिए बैठ गए। हम लैपटॉप में प्रोग्राम रन कर रहे थे, तभी मेरे पापा का फ़ोन आ गया। मैं उनसे बात करने दूसरे कमरे में चला गया और छिप कर के नेहा को देखने लगा।
वो मेरे लैपटॉप में कुछ ढूँढ रही थी। थोड़ी देर बाद उसे एक एडल्ट मूवी मिल गई और वो उसे देखने लगी। मैं एकदम से उसके सामने आ गया तो उसने मूवी बंद कर दी।
मैंने उससे पूछा- क्या तुम्हें ये सब वास्तव में करना है?
तो वो शरमा गई और उसने ‘हाँ’ में सर हिलाया।
अब मैंने नेहा को कस कर पकड़ लिया फिर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और चुम्बन करने लगा। मैं साथ-साथ उसके मम्मों को दबाता रहा। अब वो भी तड़प रही थी। मैंने उसका टॉप उतारा, उसने काले रंग की ब्रा पहन रखी थी काले रंग की ब्रा में उसके गोरे मम्मे बहुत ही अच्छे लग रहे थे। अब मैंने उस की ब्रा उतार दी और उसके मम्मों को आज़ाद कर दिया और धीरे-धीरे करके मैंने उसकी जीन्स और पैन्टी भी उतार दी। उस की चूत एकदम गोरी थी।
मैंने उसे चूमना शुरू किया और उसके बोबों को दबाता रहा। मैंने उसकी चूत में अपनी ज़ुबान रखी तो उसके मुँह से एकदम से, ‘आआआआआअहह अम्म्म्ममम…’ की आवाज़ निकली।
अब मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए और मेरा 6” लंबा और 2” मोटा लण्ड उसके मुँह में दे दिया। वो मेरे लण्ड को ऐसे चूस रही थी जैसे लॉलीपॉप हो। कुछ देर की चुसाई के बाद मैंने अपना लण्ड उसकी चूत पर रखा और हल्के से अन्दर डाला तो उसके मुँह से,
‘आहहहह…’ की आवाज़ निकली और बोली- थोड़ा धीरे.. जान.. दर्द हो रहा है..!
तो मैंने उसकी चूत और मेरे लंड पर थोड़ी सी क्रीम लगाई और फिर लौड़े को डाला तो लंड एकदम ‘सटाक’ से अन्दर चला गया और उसके मुँह से एक जोर की चीख निकली ‘आअहहहह…’
देखते ही देखते उसकी चूत से खून आने लगा। वो घबरा गई पर मैंने उसे समझाया, “डरो मत शुरुआत में सबके साथ ऐसा होता है।”
अब मैं अपने लंड को उसकी चूत के अन्दर-बाहर कर रहा था। कुछ धक्कों के बाद उसे भी मज़ा आने लगा था और वो भी मेरा खुल कर साथ दे रही थी। करीब बीस मिनट की चुदाई के बाद वो झड़ गई और मैं भी थोड़ी देर बाद झड़ने को हुआ तो मैंने अपना लौड़ा बाहर खींच लिया। वो मेरा सारा वीर्य पी गई।
कुछ देर रुकने के बाद हमारी मस्ती फिर से बढ़नी शुरू हो गई और ऐसा हमने उस दिन 3-4 बार किया। उसके बाद तो हम एक-दूसरे की जरूरत बन गए थे। जब भी हमें मौका मिलता, मैं उसे चोद लेता।
दोस्तों ये थी मेरी आपबीती, ये घटना बिल्कुल सच्ची है। आपको कैसी लगी, आप मुझे ज़रूर लिख कर भेजे । आपका अपना दोस्त अरविंद शर्मा।
दोस्तों मेरा नाम अरविंद शर्मा है और मैं bhauja का नियमित पाठक हूँ। मैं bhauja को २०१५ april से पढ़ रहा हूँ। मैं पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर हूँ, काम की व्यस्तता के चलते और कुछ झिझक के चलते मैं आप को अपनी आपबीती नहीं सुना सका। मगर आज मैं आपको अपनी आपबीती सुना रहा हूँ।
यह बात तब की है जब मैं अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था। मैं अपने गाँव से 60 किलोमीटर दूर दूसरे शहर में पढ़ने आया हूँ और मैं वहाँ पर किराए के कमरे में रहता हूँ। मेरा कमरा नीचे की मंजिल पर ही है और ऊपर मकान-मलिक रहते हैं।
मेरे साथ एक लड़की पढ़ती थी। उसका नाम नेहा था। नेहा देखने में एकदम माल थी। उसकी फिगर का साइज़ 32-28-32 था। जब मैंने उसे पहली बार देखा तो देखता ही रह गया और उसे चोदने के सपने देखने लगा। मैं किसी ना किसी तरह उससे दोस्ती करने की कोशिश करने लगा और मैं इस काम में सफल भी हो गया। हम दोनों अच्छे दोस्त बन गए।
अब हम दोनों क्लास में साथ-साथ बैठते और मैं किसी ना किसी बहाने से उसके हाथ पकड़ लेता और हल्के से उसके कूल्हों को छू लेता था। शायद वो भी इस मस्ती से खुश थी।
अब हमारी छमाही परीक्षा आ गई। मैं पढ़ने में तो तेज था ही, तो नेहा मुझसे ही पढ़ा करती थी। जब हम पढ़ते थे उस समय जब भी नेहा झुकती थी तो मैं चुपके से उसके मम्मों को देख लेता था।
क्या मस्त उभार थे उसके..!
जब उसे इस बात का अहसास होता, तो वो अपनी चुन्नी से उस के मम्मों को छुपा लेती।
हमारे इम्तिहान खत्म हो गए और जब परिणाम आया तो नेहा के प्राप्तांक कम आए थे। वो बहुत उदास हो गई और रोने लगी। मैंने उसे समझाया कि क्यों ना तुम मेरे कमरे पर आकर के पढ़ो हम दोनों मिल कर खूब पढ़ाई करेंगे।
तो उसने ‘हाँ’ कर दी, ये बात सुन करके मुझे बहुत खुशी हुई और मैं मन ही मन मुस्कुराने लगा कि मुझे जो चाहिए था वो हो रहा है।
जब नेहा मेरे कमरे पर आई तो क्या कयामत लग रही थी। उसे देख कर मेरा लण्ड खड़ा होने लगा और मैं मन ही मन सोचने लगा कि आज ती इसे चोद कर ही रहूँगा। उसने स्कूटी मेरे कमरे के सामने खड़ी की और वो अन्दर आ गई। मैंने जल्दी से दरवाजा बंद किया और हम पढ़ने के लिए बैठ गए। हम लैपटॉप में प्रोग्राम रन कर रहे थे, तभी मेरे पापा का फ़ोन आ गया। मैं उनसे बात करने दूसरे कमरे में चला गया और छिप कर के नेहा को देखने लगा।
वो मेरे लैपटॉप में कुछ ढूँढ रही थी। थोड़ी देर बाद उसे एक एडल्ट मूवी मिल गई और वो उसे देखने लगी। मैं एकदम से उसके सामने आ गया तो उसने मूवी बंद कर दी।
मैंने उससे पूछा- क्या तुम्हें ये सब वास्तव में करना है?
तो वो शरमा गई और उसने ‘हाँ’ में सर हिलाया।
अब मैंने नेहा को कस कर पकड़ लिया फिर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और चुम्बन करने लगा। मैं साथ-साथ उसके मम्मों को दबाता रहा। अब वो भी तड़प रही थी। मैंने उसका टॉप उतारा, उसने काले रंग की ब्रा पहन रखी थी काले रंग की ब्रा में उसके गोरे मम्मे बहुत ही अच्छे लग रहे थे। अब मैंने उस की ब्रा उतार दी और उसके मम्मों को आज़ाद कर दिया और धीरे-धीरे करके मैंने उसकी जीन्स और पैन्टी भी उतार दी। उस की चूत एकदम गोरी थी।
मैंने उसे चूमना शुरू किया और उसके बोबों को दबाता रहा। मैंने उसकी चूत में अपनी ज़ुबान रखी तो उसके मुँह से एकदम से, ‘आआआआआअहह अम्म्म्ममम…’ की आवाज़ निकली।
अब मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए और मेरा 6” लंबा और 2” मोटा लण्ड उसके मुँह में दे दिया। वो मेरे लण्ड को ऐसे चूस रही थी जैसे लॉलीपॉप हो। कुछ देर की चुसाई के बाद मैंने अपना लण्ड उसकी चूत पर रखा और हल्के से अन्दर डाला तो उसके मुँह से,
‘आहहहह…’ की आवाज़ निकली और बोली- थोड़ा धीरे.. जान.. दर्द हो रहा है..!
तो मैंने उसकी चूत और मेरे लंड पर थोड़ी सी क्रीम लगाई और फिर लौड़े को डाला तो लंड एकदम ‘सटाक’ से अन्दर चला गया और उसके मुँह से एक जोर की चीख निकली ‘आअहहहह…’
देखते ही देखते उसकी चूत से खून आने लगा। वो घबरा गई पर मैंने उसे समझाया, “डरो मत शुरुआत में सबके साथ ऐसा होता है।”
अब मैं अपने लंड को उसकी चूत के अन्दर-बाहर कर रहा था। कुछ धक्कों के बाद उसे भी मज़ा आने लगा था और वो भी मेरा खुल कर साथ दे रही थी। करीब बीस मिनट की चुदाई के बाद वो झड़ गई और मैं भी थोड़ी देर बाद झड़ने को हुआ तो मैंने अपना लौड़ा बाहर खींच लिया। वो मेरा सारा वीर्य पी गई।
कुछ देर रुकने के बाद हमारी मस्ती फिर से बढ़नी शुरू हो गई और ऐसा हमने उस दिन 3-4 बार किया। उसके बाद तो हम एक-दूसरे की जरूरत बन गए थे। जब भी हमें मौका मिलता, मैं उसे चोद लेता।
दोस्तों ये थी मेरी आपबीती, ये घटना बिल्कुल सच्ची है। आपको कैसी लगी, आप मुझे ज़रूर लिख कर भेजे । आपका अपना दोस्त अरविंद शर्मा।