प्यारे दोस्तों, लीजिए पेश है आपके लिए एक सच्ची कहानी यंहा bhauja.com पर । यह वाक़या सच में मेरे साथ हुआ था सिर्फ़ 6 महीने पहले, उम्मीद है आपको पसंद आएगा। गोपनीयता के लिये पात्रों के नाम और स्थान बदल दिए गए हैं।
मेरा नाम आलोक है, 42 वर्षीय, शादीशुदा, बाल-बच्चेदार आदमी हूँ, शादी को 17 साल हो चुके हैं, एक बहुत ही शानदार पत्नी और दो बच्चे हैं।
मेरी एक साली है, नाम है परमजीत उर्फ पम्मी। मेरी पत्नी से 5 साल और मुझ से 2 साल बड़ी है, पर 44 साल की उम्र में भी बहुत ही शानदार व्यक्तित्व की मालकिन है और अपने पति से रंग-रूप में उसका ज़मीन-आसमान का फ़र्क़ है।
बस यूँ समझिए हूर के पहलू मे लॅंगूर वाली बात है!
जो भी उसको देखता है मुझे पक्का यकीन है कि कभी ना कभी उसके नाम की मुट्ठ ज़रूर मारता होगा। मतलब इतनी खूबसूरत और ज़बरदस्त कद-काठी की स्वामिनी है। मैंने खुद उसके नाम से अपने ठुल्लू को कई बार पीटा है।
तो किस्सा यूँ शुरू हुआ कि हम एक शादी में दिल्ली में इकट्ठे हुए। उधर लड़की की शादी थी तो पूरा बैन्क्वेट हॉल बुक था।
लड़की की शादी थी और वो भी रात की शादी। यह बात नवम्बर की है, मौसम बड़ा सुहावना, हल्की ठंड थी। सब अपने-अपने बेस्ट ड्रेस में सज-संवर कर शादी के मंडप में पहुँच चुके थे।
मैं भी परिवार सहित पहुँच चुका था। जाते ही रिश्तेदारों के साथ मेल-मिलाप के बाद सब अपने-अपने ग्रुप्स में बँट गए। हम पीने वाले अलग, लेडीज अलग, बच्चे अलग।
शादी रात को देर से होनी थी, 2-3 पैग लगा कर हल्का सा सुरूर बन गया था।
पीने के बाद मेरी आँखें पम्मी को ढूँढ़ रही थीं कि साली साहिबा नहीं दिखीं। जब दिमाग़ में दारू चढ़ी हो तो दूसरी औरत वैसे ही अच्छी लगने लगती है, चाहे आपकी अपनी बीवी कितनी भी शानदार क्यों ना हो।
खैर मैं भी अपने साढू साहब के साथ पंडाल में चला गया, पैग मेरे हाथ में ही था।
आगे गए तो साढू भाई को कोई मिल गया और मैं आगे बढ़ गया। आगे से आ गई पम्मी…
उफ्फ तौबा… क्रीम और डार्क ब्राउन को कॉंबिनेशन लांचे में तो वो ग़ज़ब की लग रही थी!
मेरे पास आकर बोली- अरे लोकी, कैसे हो?
‘ओ हैलो.. स्वीट-हर्ट, आई एम फाइन… पर तुम तो आज ग़ज़ब लग रही हो..!’
‘अच्छा.. थैंक्स..!’
‘बिल्कुल… मेरी फॅवरेट, चॉक्लेट आइस्क्रीम की तरह…!’ ये कह कर मैं घूम कर उसके पीछे जा खड़ा हुआ, अपने दोनों हाथ उसके कंधो पर रख कर उसके
कान में धीरे से बोला- जी करता है कि आज तो तुम्हें सर से लेकर पाँव तक चाट जाऊँ..!
कहने को तो मैंने कह दिया, पर मेरा दिल बड़े ज़ोर से धड़क रहा था।
वो बोली- अरे रहने दो.. सब बातें हैं तुम्हारी..!
अब क्योंकि बात तो चल रही थी आइसक्रीम की, पर बात के अन्दर की बात यह थी कि मैंने उसकी चूत चाटने की बात कर रहा था, समझ वो भी गई थी कि मैं क्या कह रहा हूँ।
मैंने कहा- सच में.. अगर आप इजाज़त दो तो..!
‘किस बात की इजाज़त..!’ उसने ज़रा नखरे से, ज़रा इतरा कर कहा।
‘चाटने की..!’ मैंने भी बेशर्मी से कहा, बिना अपने रिश्ते की मर्यादा का ख़याल रखे।
‘जूते पड़ेंगे जूते… और ये सारी चाट-चटाई भूल जाओगे..!’
‘अरे जानेमन एक बार चटवा कर तो देखो.. बाद में तुम्हारे जूते खाने भी मंज़ूर हैं…!’ मैंने भी कह ही दिया।
वो मुड़ी और मेरी आँखों में गहराई से देखा, जैसे कुछ ढूँढ रही हो।
‘क्या सच में चाट सकते हो तुम?’ उसके सवाल ने जैसे मेरे पाँव के नीचे से ज़मीन ही खिसका दी। मतलब वो चटवाने को तैयार थी।
मैंने भी जोश में आ कर कह दिया- ओह यस.. मैं अभी चाटने को तैयार हूँ.. अगर तुम चटवाने को तैयार हो तो..!
पहले तो पम्मी मुस्कुराई और बोली- अगर मौक़े से भाग गए तो?
‘तो तुम्हारी जूती और मेरा सर..!’
‘रहने दो, तुम से नहीं होगा..!’
‘अरे क्यों नहीं.. मैं तो हमेशा करता हूँ, चाहो तो अपनी बहन से पूछ लो..!’
अब तो यह बिल्कुल साफ़ था कि चूत-चटाई की बात हो रही थी।
उसने फिर मुझे गौर से देखा- भागोगे तो नहीं?
‘क्यों क्या इतनी गंदी है कि मैं देख कर डर कर भाग जाऊँगा..!’
‘शट-अप.. मैं अपनी सफाई का बहुत ख्याल रखती हूँ..!’
‘ओके तो फिर चलो, देखते हैं कैसा टेस्ट है?’
‘अभी..? पर कहाँ?’
‘अरे ऊपर, बैन्क़इट हॉल के ऊपर के सब कमरे में मेहमानों के लिए बुक, किसी में भी घुस जाएँगे, कोई ना कोई तो खाली मिल ही जाएगा..!’
मैंने कहा और उसकी कलाई पकड़ कर चल पड़ा और वो भी मेरे पीछे-पीछे चलने लगी। ऊपर पहुँचे तो 2-3 कमरे देखने के बाद एक कमरा खुला मिला, उसमें किसी का सामान नहीं था, मतलब कोई भी आने वाला नहीं था।
हम छुप कर अन्दर घुसे और मैंने दरवाज़ा लॉक कर दिया।
पम्मी बेड के पास जा कर खड़ी हो गई, मैं उसके पास गया, और उसे बेड पर बिठाया।
‘पम्मी, क्या तुम सच में इसके लिए तैयार हो?’
आज मैंने पहली बार उसे नाम लेकर बुलाया था।
उसने ‘हाँ’ में सर हिलाया।
मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि जिस औरत पर सारी रिश्तेदारी के मर्द मरते हैं, वो मुझसे चूत चटवाने को कैसे तैयार हो गई और क्यों हो गई..!
खैर मैंने ये सब सोचना छोड़ कर उसके पाँव के पास से उसका लांचा ऊपर उठाया और घुटनों के ऊपर लाकर रख दिया, दो खूबसूरत सफेद संगमरमर सी तराशी हुई टाँगें मेरे सामने नंगी हो गईं।
मैंने उसके दोनों घुटनों को चूमा और उसको बेड पर लिटा दिया। उसने एक पिलो उठाया और अपने सर के नीचे रख लिया।
मैंने बड़े प्यार से सहलाते हुए उसका लांचा उसकी जाँघों तक उठाया, बहुत ही खूबसूरत, मखमली नर्म जांघें, मैंने उसकी जांघों को चूमा, चाटा, सहलाया…!
मैं महसूस कर रहा था कि मेरा स्पर्श उसको उत्तेजित कर रहा था। फिर मैंने उसका पूरा लांचा उठा कर उसके ऊपर रख दिया।
मेरी साली साहिबा ने कच्छी पहन ही नहीं रखी थी, उसकी गोरी-गोरी छोटी सी चूत और चूत में से बाहर झाँकती उसकी भगनासा मुझे दिखाई दी।
एक शानदार चूत जिसे मैं जी भर के चाट सकता था, क्योंकि मैंने तो इससे भी गंदी-गंदी चूतें चाटी थीं।
पम्मी की चूत थोड़ी ऊपर को उभरी हुई थी, बड़ी सफाई से शेव की हुई, कोई बाल नहीं, खुशबूदार पाउडर लगा हुआ।
मैंने पहले आस-पास से शुरू किया, उसकी जांघों, पेडू और चूत के ऊपर से चुम्बन किया, पम्मी को भी मज़ा आ रहा था, उसके अंगों का फड़कना, कूल्हों का उचकना बता रहा था कि मेरे हाथों और होंठों से उसे करेंट लगा था।
फिर मैंने अपना मुँह खोला और पम्मी की पूरी चूत को अपने मुँह में ले लिया और मुँह के अन्दर ही अपनी जीभ से उसकी चूत के ऊपर से चाटा।
पम्मी ने अपने दोनों हाथों से मेरा सर पकड़ लिया और अपनी टाँगें पूरी तरह से फैला दीं।
गोरी टाँगों पर रेड सैंडिल बहुत जँच रहे थे।
फिर मैंने अपनी पूरी जीभ पम्मी की चूत में घुमाई, वो तड़प उठी, उसकी चूत गीली हो चुकी थी।
मैं बड़े जोश से उसकी चूत चाट रहा था, उसके मुँह से अजीब ओ ग़रीब आवाज़ें आ रही थीं और बीच-बीच में वो मुझे गालियाँ भी निकाल रही थी- साले कुत्ते.. और ज़ोर से चाट.. बहनचोद.. खा जा इसे.. हरामी..!’
मुझे उसकी गालियों की कोई परवाह नहीं थी। जब मैंने यह महसूस किया कि अब वो पूरी तरह से गर्म हो चुकी है तो मैंने नया पैंतरा आज़माया।
मैं उठ कर खड़ा हुआ और बोला- पम्मी चल उठ और बेड के बिल्कुल सेंटर में लेट..!
‘क्यों.. क्या.. करोगे.. भी अब मेरे साथ?’
‘नहीं थोड़ा आराम से चाटूँगा, पर अगर तू बोलेगी तो तुझे चोद भी दूँगा, पर अभी तो सिर्फ़ तेरी चूत का पानी पीना है… और वो भी आराम से मज़े ले-ले कर..!’
पम्मी खिसक कर पीछे हुई और बिस्तर के बीच में चली गई। मैंने अपने जूते उतारे और बेड पर पम्मी से उलट डायरेक्शन में लेट गया यानी कि मेरा सर उसकी टाँगों में था और उसका सर मेरी टाँगों के पास था।
इसी पोज़ मैंने उसे अपने ऊपर लेटा लिया और उसकी चूत मेरे मुँह के ऊपर आ गई और उसने अपना सर मेरे लंड पर टिका लिया जो मेरी पैन्ट में क़ैद हुआ फुँफकार रहा था।
खैर.. जब मैंने दोबारा पम्मी की चूत चाटनी शुरू की, तो उसकी चूत से जो भी पानी टपकता वो सीधा मेरे मुँह में आ रहा था।
थोड़ी देर बाद बिना मेरे कहे पम्मी ने मेरी पैन्ट खोली और चड्डी समेत नीचे सरका दी और मेरा तना हुआ लंड आज़ाद हो गया।
पम्मी ने उसे हाथ में पकड़ा और अपने खूबसूरत मरून रंग से रंगे हुए होंठों में पकड़ लिया।
अब मैं उसकी चूत चाट रहा था और वो ज़ोर-ज़ोर से मेरा लंड चूस रही थी। ज़ोर-ज़ोर से सर हिलने से उसके सारे बाल बिखर गए।
वो तो इतनी जोश में आ गई कि मेरा पूरा लंड मुँह में लेकर आगे-पीछे कर रही थी और मुझे लेटे-लेटे उसका मुँह चोदने का मज़ा मिल रहा था।
यह दौर चलता रहा। जब उसने अपने मुँह में साथ अपनी कमर भी ज़ोर-ज़ोर से हिलानी शुरू कर दी।
मैं समझ गया कि अब साली अपने चरम पर आ गई है और वो ही हुआ।
उसने तड़प कर अपनी दोनों जांघों को कस लिया और मेरा मुँह अपनी चूत के साथ भींच लिया।
मेरा सारा लंड उसके मुँह में उसके गले तक उतर चुका था।
मैं भी इस जोश को बर्दाश्त ना कर सका और उसके मुँह में ही झड़ गया। मेरा माल सीधा उसके गले से उसके पेट में उतर गया।
दो मिनट पूरी शान्ति से हम वैसे ही लेटे रहे। फिर वो उठी, मेरा लंड अपने मुँह से निकाला।
मेरा मुँह अपनी जाँघों से आज़ाद किया और अपने कपड़े ठीक किए, फिर बाथरूम में चली गई।
फ्रेश को कर वो सीधी नीचे ब्यूटीशियन के पास चली गई।
मेरा सारा नशा उतर चुका था। मैं भी ठीक-ठाक हो कर नीचे चला गया और शादी में मसरूफ़ हो गया।
उसके बाद मैं और पम्मी एक-दूसरे के सामने नहीं आए।
शादी संपन्न हो गई और हम सब अपने-अपने घर आ गए। उसके बाद मैंने फिर से पम्मी से बात करने की कोशिश की कि चलो दोबारा कुछ करते हैं, पर उसने कोई मौक़ा नहीं दिया।
आज 6 महीने गुज़र चुके हैं और वो अपने घर में खुश है और मैं अपने घर में उसकी याद में कभी-कभी मुट्ठ मार लेता हूँ कि कभी तो पम्मी मेरे नीचे आएगी।
मेरा नाम आलोक है, 42 वर्षीय, शादीशुदा, बाल-बच्चेदार आदमी हूँ, शादी को 17 साल हो चुके हैं, एक बहुत ही शानदार पत्नी और दो बच्चे हैं।
मेरी एक साली है, नाम है परमजीत उर्फ पम्मी। मेरी पत्नी से 5 साल और मुझ से 2 साल बड़ी है, पर 44 साल की उम्र में भी बहुत ही शानदार व्यक्तित्व की मालकिन है और अपने पति से रंग-रूप में उसका ज़मीन-आसमान का फ़र्क़ है।
बस यूँ समझिए हूर के पहलू मे लॅंगूर वाली बात है!
जो भी उसको देखता है मुझे पक्का यकीन है कि कभी ना कभी उसके नाम की मुट्ठ ज़रूर मारता होगा। मतलब इतनी खूबसूरत और ज़बरदस्त कद-काठी की स्वामिनी है। मैंने खुद उसके नाम से अपने ठुल्लू को कई बार पीटा है।
तो किस्सा यूँ शुरू हुआ कि हम एक शादी में दिल्ली में इकट्ठे हुए। उधर लड़की की शादी थी तो पूरा बैन्क्वेट हॉल बुक था।
लड़की की शादी थी और वो भी रात की शादी। यह बात नवम्बर की है, मौसम बड़ा सुहावना, हल्की ठंड थी। सब अपने-अपने बेस्ट ड्रेस में सज-संवर कर शादी के मंडप में पहुँच चुके थे।
मैं भी परिवार सहित पहुँच चुका था। जाते ही रिश्तेदारों के साथ मेल-मिलाप के बाद सब अपने-अपने ग्रुप्स में बँट गए। हम पीने वाले अलग, लेडीज अलग, बच्चे अलग।
शादी रात को देर से होनी थी, 2-3 पैग लगा कर हल्का सा सुरूर बन गया था।
पीने के बाद मेरी आँखें पम्मी को ढूँढ़ रही थीं कि साली साहिबा नहीं दिखीं। जब दिमाग़ में दारू चढ़ी हो तो दूसरी औरत वैसे ही अच्छी लगने लगती है, चाहे आपकी अपनी बीवी कितनी भी शानदार क्यों ना हो।
खैर मैं भी अपने साढू साहब के साथ पंडाल में चला गया, पैग मेरे हाथ में ही था।
आगे गए तो साढू भाई को कोई मिल गया और मैं आगे बढ़ गया। आगे से आ गई पम्मी…
उफ्फ तौबा… क्रीम और डार्क ब्राउन को कॉंबिनेशन लांचे में तो वो ग़ज़ब की लग रही थी!
मेरे पास आकर बोली- अरे लोकी, कैसे हो?
‘ओ हैलो.. स्वीट-हर्ट, आई एम फाइन… पर तुम तो आज ग़ज़ब लग रही हो..!’
‘अच्छा.. थैंक्स..!’
‘बिल्कुल… मेरी फॅवरेट, चॉक्लेट आइस्क्रीम की तरह…!’ ये कह कर मैं घूम कर उसके पीछे जा खड़ा हुआ, अपने दोनों हाथ उसके कंधो पर रख कर उसके
कान में धीरे से बोला- जी करता है कि आज तो तुम्हें सर से लेकर पाँव तक चाट जाऊँ..!
कहने को तो मैंने कह दिया, पर मेरा दिल बड़े ज़ोर से धड़क रहा था।
वो बोली- अरे रहने दो.. सब बातें हैं तुम्हारी..!
अब क्योंकि बात तो चल रही थी आइसक्रीम की, पर बात के अन्दर की बात यह थी कि मैंने उसकी चूत चाटने की बात कर रहा था, समझ वो भी गई थी कि मैं क्या कह रहा हूँ।
मैंने कहा- सच में.. अगर आप इजाज़त दो तो..!
‘किस बात की इजाज़त..!’ उसने ज़रा नखरे से, ज़रा इतरा कर कहा।
‘चाटने की..!’ मैंने भी बेशर्मी से कहा, बिना अपने रिश्ते की मर्यादा का ख़याल रखे।
‘जूते पड़ेंगे जूते… और ये सारी चाट-चटाई भूल जाओगे..!’
‘अरे जानेमन एक बार चटवा कर तो देखो.. बाद में तुम्हारे जूते खाने भी मंज़ूर हैं…!’ मैंने भी कह ही दिया।
वो मुड़ी और मेरी आँखों में गहराई से देखा, जैसे कुछ ढूँढ रही हो।
‘क्या सच में चाट सकते हो तुम?’ उसके सवाल ने जैसे मेरे पाँव के नीचे से ज़मीन ही खिसका दी। मतलब वो चटवाने को तैयार थी।
मैंने भी जोश में आ कर कह दिया- ओह यस.. मैं अभी चाटने को तैयार हूँ.. अगर तुम चटवाने को तैयार हो तो..!
पहले तो पम्मी मुस्कुराई और बोली- अगर मौक़े से भाग गए तो?
‘तो तुम्हारी जूती और मेरा सर..!’
‘रहने दो, तुम से नहीं होगा..!’
‘अरे क्यों नहीं.. मैं तो हमेशा करता हूँ, चाहो तो अपनी बहन से पूछ लो..!’
अब तो यह बिल्कुल साफ़ था कि चूत-चटाई की बात हो रही थी।
उसने फिर मुझे गौर से देखा- भागोगे तो नहीं?
‘क्यों क्या इतनी गंदी है कि मैं देख कर डर कर भाग जाऊँगा..!’
‘शट-अप.. मैं अपनी सफाई का बहुत ख्याल रखती हूँ..!’
‘ओके तो फिर चलो, देखते हैं कैसा टेस्ट है?’
‘अभी..? पर कहाँ?’
‘अरे ऊपर, बैन्क़इट हॉल के ऊपर के सब कमरे में मेहमानों के लिए बुक, किसी में भी घुस जाएँगे, कोई ना कोई तो खाली मिल ही जाएगा..!’
मैंने कहा और उसकी कलाई पकड़ कर चल पड़ा और वो भी मेरे पीछे-पीछे चलने लगी। ऊपर पहुँचे तो 2-3 कमरे देखने के बाद एक कमरा खुला मिला, उसमें किसी का सामान नहीं था, मतलब कोई भी आने वाला नहीं था।
हम छुप कर अन्दर घुसे और मैंने दरवाज़ा लॉक कर दिया।
पम्मी बेड के पास जा कर खड़ी हो गई, मैं उसके पास गया, और उसे बेड पर बिठाया।
‘पम्मी, क्या तुम सच में इसके लिए तैयार हो?’
आज मैंने पहली बार उसे नाम लेकर बुलाया था।
उसने ‘हाँ’ में सर हिलाया।
मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि जिस औरत पर सारी रिश्तेदारी के मर्द मरते हैं, वो मुझसे चूत चटवाने को कैसे तैयार हो गई और क्यों हो गई..!
खैर मैंने ये सब सोचना छोड़ कर उसके पाँव के पास से उसका लांचा ऊपर उठाया और घुटनों के ऊपर लाकर रख दिया, दो खूबसूरत सफेद संगमरमर सी तराशी हुई टाँगें मेरे सामने नंगी हो गईं।
मैंने उसके दोनों घुटनों को चूमा और उसको बेड पर लिटा दिया। उसने एक पिलो उठाया और अपने सर के नीचे रख लिया।
मैंने बड़े प्यार से सहलाते हुए उसका लांचा उसकी जाँघों तक उठाया, बहुत ही खूबसूरत, मखमली नर्म जांघें, मैंने उसकी जांघों को चूमा, चाटा, सहलाया…!
मैं महसूस कर रहा था कि मेरा स्पर्श उसको उत्तेजित कर रहा था। फिर मैंने उसका पूरा लांचा उठा कर उसके ऊपर रख दिया।
मेरी साली साहिबा ने कच्छी पहन ही नहीं रखी थी, उसकी गोरी-गोरी छोटी सी चूत और चूत में से बाहर झाँकती उसकी भगनासा मुझे दिखाई दी।
एक शानदार चूत जिसे मैं जी भर के चाट सकता था, क्योंकि मैंने तो इससे भी गंदी-गंदी चूतें चाटी थीं।
पम्मी की चूत थोड़ी ऊपर को उभरी हुई थी, बड़ी सफाई से शेव की हुई, कोई बाल नहीं, खुशबूदार पाउडर लगा हुआ।
मैंने पहले आस-पास से शुरू किया, उसकी जांघों, पेडू और चूत के ऊपर से चुम्बन किया, पम्मी को भी मज़ा आ रहा था, उसके अंगों का फड़कना, कूल्हों का उचकना बता रहा था कि मेरे हाथों और होंठों से उसे करेंट लगा था।
फिर मैंने अपना मुँह खोला और पम्मी की पूरी चूत को अपने मुँह में ले लिया और मुँह के अन्दर ही अपनी जीभ से उसकी चूत के ऊपर से चाटा।
पम्मी ने अपने दोनों हाथों से मेरा सर पकड़ लिया और अपनी टाँगें पूरी तरह से फैला दीं।
गोरी टाँगों पर रेड सैंडिल बहुत जँच रहे थे।
फिर मैंने अपनी पूरी जीभ पम्मी की चूत में घुमाई, वो तड़प उठी, उसकी चूत गीली हो चुकी थी।
मैं बड़े जोश से उसकी चूत चाट रहा था, उसके मुँह से अजीब ओ ग़रीब आवाज़ें आ रही थीं और बीच-बीच में वो मुझे गालियाँ भी निकाल रही थी- साले कुत्ते.. और ज़ोर से चाट.. बहनचोद.. खा जा इसे.. हरामी..!’
मुझे उसकी गालियों की कोई परवाह नहीं थी। जब मैंने यह महसूस किया कि अब वो पूरी तरह से गर्म हो चुकी है तो मैंने नया पैंतरा आज़माया।
मैं उठ कर खड़ा हुआ और बोला- पम्मी चल उठ और बेड के बिल्कुल सेंटर में लेट..!
‘क्यों.. क्या.. करोगे.. भी अब मेरे साथ?’
‘नहीं थोड़ा आराम से चाटूँगा, पर अगर तू बोलेगी तो तुझे चोद भी दूँगा, पर अभी तो सिर्फ़ तेरी चूत का पानी पीना है… और वो भी आराम से मज़े ले-ले कर..!’
पम्मी खिसक कर पीछे हुई और बिस्तर के बीच में चली गई। मैंने अपने जूते उतारे और बेड पर पम्मी से उलट डायरेक्शन में लेट गया यानी कि मेरा सर उसकी टाँगों में था और उसका सर मेरी टाँगों के पास था।
इसी पोज़ मैंने उसे अपने ऊपर लेटा लिया और उसकी चूत मेरे मुँह के ऊपर आ गई और उसने अपना सर मेरे लंड पर टिका लिया जो मेरी पैन्ट में क़ैद हुआ फुँफकार रहा था।
खैर.. जब मैंने दोबारा पम्मी की चूत चाटनी शुरू की, तो उसकी चूत से जो भी पानी टपकता वो सीधा मेरे मुँह में आ रहा था।
थोड़ी देर बाद बिना मेरे कहे पम्मी ने मेरी पैन्ट खोली और चड्डी समेत नीचे सरका दी और मेरा तना हुआ लंड आज़ाद हो गया।
पम्मी ने उसे हाथ में पकड़ा और अपने खूबसूरत मरून रंग से रंगे हुए होंठों में पकड़ लिया।
अब मैं उसकी चूत चाट रहा था और वो ज़ोर-ज़ोर से मेरा लंड चूस रही थी। ज़ोर-ज़ोर से सर हिलने से उसके सारे बाल बिखर गए।
वो तो इतनी जोश में आ गई कि मेरा पूरा लंड मुँह में लेकर आगे-पीछे कर रही थी और मुझे लेटे-लेटे उसका मुँह चोदने का मज़ा मिल रहा था।
यह दौर चलता रहा। जब उसने अपने मुँह में साथ अपनी कमर भी ज़ोर-ज़ोर से हिलानी शुरू कर दी।
मैं समझ गया कि अब साली अपने चरम पर आ गई है और वो ही हुआ।
उसने तड़प कर अपनी दोनों जांघों को कस लिया और मेरा मुँह अपनी चूत के साथ भींच लिया।
मेरा सारा लंड उसके मुँह में उसके गले तक उतर चुका था।
मैं भी इस जोश को बर्दाश्त ना कर सका और उसके मुँह में ही झड़ गया। मेरा माल सीधा उसके गले से उसके पेट में उतर गया।
दो मिनट पूरी शान्ति से हम वैसे ही लेटे रहे। फिर वो उठी, मेरा लंड अपने मुँह से निकाला।
मेरा मुँह अपनी जाँघों से आज़ाद किया और अपने कपड़े ठीक किए, फिर बाथरूम में चली गई।
फ्रेश को कर वो सीधी नीचे ब्यूटीशियन के पास चली गई।
मेरा सारा नशा उतर चुका था। मैं भी ठीक-ठाक हो कर नीचे चला गया और शादी में मसरूफ़ हो गया।
उसके बाद मैं और पम्मी एक-दूसरे के सामने नहीं आए।
शादी संपन्न हो गई और हम सब अपने-अपने घर आ गए। उसके बाद मैंने फिर से पम्मी से बात करने की कोशिश की कि चलो दोबारा कुछ करते हैं, पर उसने कोई मौक़ा नहीं दिया।
आज 6 महीने गुज़र चुके हैं और वो अपने घर में खुश है और मैं अपने घर में उसकी याद में कभी-कभी मुट्ठ मार लेता हूँ कि कभी तो पम्मी मेरे नीचे आएगी।