कहते हैं ना.. कि सुल्तान अपनी मलिका को कहीं भी ढूँढ ही लेता है।
इधर नोएडा में मुझे काम करते दो महीने हो गए थे.. लेकिन कोई ढंग का माल नहीं मिल रहा था। तभी एक दिन एक शादीशुदा औरत.. जिसकी उम्र कोई 23 साल होगी.. भरे हुए बदन की मालकिन थी.. और उसका फिगर साइज 36-30-38 का था.. साक्षात्कार के लिए मेरे पास आई।
मैंने उसे पहली नजर में ही पकड़ लिया कि यही है मेरी मल्लिका.. जिसका मैं सुल्तान बनूंगा।
जाहिर है वो सिलेक्ट हो गई.. उसके 15 दिन बाद उसने कम्पनी को ज्वाइन कर लिया।
उसका नाम सुनीता (बदला हुआ) था। वो पहले दिन सबसे मिल रही थी। जैसे ही वो मेरे पास आई.. उसने अपना हाथ मुझसे मिलाने के लिए बढ़ाया.. मैंने भी हाथ में हाथ लिया.. तो मुझे करंट सा लगा।
मैं उसे अपने बारे में बताने लगा तो मेरे जूनियर ने उसे मेरे बारे में बता दिया और फिर वो चली गई।
फिर कुछ दिन ऐसे ही बीत गए और मैं भी अपने काम में व्यस्त हो गया था। उन दिनों कुछ विभाग मेरे हिस्से में आए और किस्मत से उसका विभाग भी मेरे हिस्से में आया.. तो मैं अकेला ही उसके पास पहुँचा।
लेकिन उसका कुछ काम बाकी था, उसने कहा- सर मेरा कुछ काम बाकी है.. और मुझे कुछ समय चाहिए।
मैंने उससे कहा- मेरे पास समय नहीं है। मैं आपकी रिपोर्ट में लिख कर दे देता हूँ।
वो रोने लगी.. और मुझे उस पर तरस आ गया।
मैंने कहा- ठीक है.. आपके पास दो दिन का समय है।
वो खुश हो गई।
मैंने उससे कहा- मेरी एक शर्त है.. आज आपको शाम को मेरे साथ चलना होगा।
उसने ‘हाँ’ कर दी.. और मुझे थैंक्स कहा।
उसके चेहरे पर एक अजीब सी खुशी थी।
मैं भी खुश था.. क्योंकि मेरे मन की मुराद पूरी होने वाली थी।
मैंने जल्दी से अपना काम खत्म किया और फिर छुट्टी के समय के दस मिनट बाद उसका फोन आया और उसने कहा- सर मैं सुनीता बोल रही हूँ.. चलना नहीं है क्या?
मैंने कहा- मैंने सोचा.. तुम चली गई होगी।
तो उसने कहा- मैंने वादा किया था.. आपके साथ जाऊँगी।
मैंने कहा- ओके ठीक है।
मैं बाहर निकला तो देखा कि वो मेरे इन्तजार में खड़ी है, कम्पनी की गाड़ी भी जा चुकी थी।
मैंने अपनी गाड़ी निकाली और वो मेरी गाड़ी में आकर बैठ गई।
मैं अभी थोड़ी दूर ही चला था कि उसने मेरी तरफ़ देखा और कहा- सर आपका धन्यवाद.. आपकी वजह से मेरी नौकरी बच गई।
तो मैंने कहा- मैं कैसे जाने देता।
मैंने हँस कर अपना हाथ उसके हाथ पर रख दिया।
उसने अपना हाथ हटा लिया और कुछ नहीं कहा।
मैंने फिर उसका हाथ पकड़ लिया.. फिर मैंने कहा- सुनीता.. मैं आपको पसन्द करता हूँ और आपसे प्यार करने लगा हूँ।
उसने बहुत देर तक कुछ नहीं कहा और फिर देर तक चुप बैठी रही।
मैंने कहा- क्या हुआ.. आपने जवाब नहीं दिया?
उसने कहा- जैसा कि आपको पता है.. मैं शादीशुदा औरत हूँ और अगर मेरे पति को पता चल गया तो मेरा क्या होगा?
मैंने कहा- मैं आपसे प्यार करता हूँ आपको कुछ नहीं होने दूँगा।
वो खुश हो गई और फिर मैंने गाड़ी रोड के किनारे पर लगाई और उसे अपनी बाँहों में ले लिया। तो जैसे कि उसके अन्दर आग लगी हो.. उसने भी मुझे अपनी बाँहों में जकड़ लिया।
उसने कहा- प्रवीण जी.. प्यार तो मैं भी आपसे करती हूँ.. लेकिन कह नहीं सकती थी।
मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
वो भी मेरा साथ देने लगी।
मुझे लगा कि वो कामवासना की आग में जल रही है.. जबकि उसकी शादी को तीन साल हो चुके थे।
हमें वहीं 8 बज चुके थे। तभी उसके पति का फोन आया और हम एक-दूसरे से अलग हो गए।
उसने फोन उठाया और कहा- मैं लेट हो गई थी.. तो सर के साथ आ रही थी.. और रास्ते में उनकी गाड़ी खराब हो गई है.. मुझे आने में अभी 45 मिनट और लगेंगे।
मैं उसका इशारा समझ गया था। मैंने फोन कटते ही उसे फिर से बाँहों में भर लिया और चुम्बन करने लगा। वो भी पागलों की तरह मेरा साथ दे रही थी। मैं उसकी चूचियों से खेल रहा था। फिर मैं नीचे की तरफ़ बढ़ने लगा।
मैंने जैसे ही उसकी पैन्ट को खोलना चाहा तो उसने मना तो नहीं किया.. लेकिन कहने लगी- प्रवीण जी.. क्या ये सब हम फ़ुरसत में नहीं कर सकते.. क्योंकि अगर हम आज लेट हो गए.. तो मेरे पति को शक हो जाएगा।
मैं उसका मतलब समझ चुका था। फिर हम अलग हो गए और अपने कपड़े ठीक किए और मैंने पूछा- कब मिल सकते हैं?
तो वो कहने लगी- कम्पनी से छुट्टी ले लेंगे।
मैंने कहा- नहीं.. सभी को शक हो जाएगा।
उसने कहा- तो रविवार को मिलेंगे.. और मैं अपने पति को बोल दूंगी कि कम्पनी में काम है.. और हमें बुलाया गया है।
मैंने कहा- हाँ.. ये ठीक है।
अब हम चल पड़े। मैंने उसे उसके घर के पास छोड़ा और अपने कमरे पर चला गया। मैं कमरे पर पहुँच कर खाना खाकर सो गया।
जैसे कि मुझे सुबह जल्दी उठने की आदत है.. सो उठ कर नहा-धोकर मैं तैयार हो ही रहा था.. कि मेरा फोन बजा।
मैंने फोन देखा तो सुनीता का फोन था।
उसने कहा- प्रवीण जी.. गुड मॉर्निंग.. कैसे हैं?
मैंने कहा- गुड मॉर्निंग.. मैं ठीक हूँ.. आप सुनाइए.. सुबह-सुबह कैसे याद किया?
उसने कहा- मेरे वो नहा रहे हैं.. मैं आज लेट हो जाऊँगी.. क्या आप मुझे लेने आ सकते हैं?
मैंने कहा- ठीक है.. मैं 30 मिनट में पहुँच जाऊँगा.. अपने पति से बात नहीं कराओगी क्या?
उसने कहा- बात क्या करोगे.. मिल ही लेना।
मैं उसे लेने पहुँच गया और देखा कि एक 35-36 साल का आदमी उसके पास खड़ा था।
वो मेरे पास आई और कहा- ये हैं मेरे सर प्रवीण जी..
उसने मुझे ‘हैलो’ कहा.. मैंने भी बोल दिया।
मैंने कहा- सुनीता जी चलिए.. नहीं तो लेट हो जाएंगे।
हम दोनों उसके पति को ‘बाय’ बोल कर चल दिए।
कुछ दिन ऐसे ही चलता रहा.. फिर वो दिन आ ही गया.. जिसका मुझे इन्तजार था।
दोस्तो, आज कहानी को यहीं रोक रहा हूँ.. बाकी की कथा अगले भाग में लिखूँगा।
मुझे आपके मेल का इन्तजार रहेगा। आपको मेरी कहानी कैसी लगी?