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Channel: ଭାଉଜ ଡଟ କମ - Odia Sex Story
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दिव्या की चूत ने बहुत मज़ा दिया (Divya Ki Chut Ne Bahut Maja Diya)

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मेरे प्यारे दोस्तो, Bhauja  पर यह मेरी पहली कहानी है.. मेरी आप सबसे विनती है कि आप मेरी कहानी को आनन्द लेकर पढ़िए और उसमें आने वाली छोटी-छोटी ग़लतियों को माफ़ कर दीजिएगा.. क्योंकि मैंने एक महीना सोचने के बाद यह तय किया कि मैं भी अपनी कहानी लिखूंगा और यह बिल्कुल सच्ची कहानी है… अगर किसी को काल्पनिक लगती है तो उसका कुछ नहीं हो सकता…

मैं गुजरात में अहमदाबाद का रहने वाला हूँ और मैं इंजीनियरिंग की पढ़ाईकर रहा हूँ.. अभी मैं लास्ट इयर में हूँ।
यह घटना 2012 के नबंबर महीने में हुई थी, मैं अपने एक मौसेरे भाई की शादी के कार्यक्रम में उनके घर आया था, वैसे मैं बाहर रह कर पढ़ाई करता था..
उस दौरान मेरे फ़ोन पर एक एस एम एस आया- हाऊ आर यू?
मुझे लगा- पता नहीं कौन होगा?
मैंने भी पूछा- हू आर यू?
तब धीरे से उसने रिप्लाई दिया- मैं दिव्या हूँ.. आपकी एक दोस्त है रीना.. मैं उसकी सहेली हूँ.. मैं आपसे दोस्ती करना चाहती हूँ.. आप मुझे दोस्ती करोगे?
तब मुझे लगा कि चलो दोस्ती ही सही..
फिर हम लोग रोज बातकरने लगे। धीरे-धीरे उसके मैसेज से लगने लगा था कि वो मुझसे प्यार करने लगी थी.. पर मैं चाहता था कि वो मुझे खुद से प्रपोज करे..
हमें बात करते हुए लगभग 6 दिन हुए थे.. तब उसने सुबह फ़ोन करके मुझसे कहा- आई लव यू.. डू यू लव मी?
मैंने भी ‘हाँ’ कर दी।
फिर हम लोगों ने एक-दूसरे को देखने का प्लानबनाया.. मतलब मिलने का प्लान बनाया।
तब मूवी देखने जाने का मुझे सही लगा.. उसने भी ‘हाँ’ कह दी।
हमने मूवी इंटरवल तक तो एकदम ध्यान से देखी.. उसके बाद मैंने उसके गले में हाथ डाल दिया और उसका चेहरा मेरे चेहरे के सामने ले लिया। अब मैंने उसके होंठ को अपने होंठ में लेकर चूसने लगा और मेरे दोनों हाथ अपना काम करने लगे थे। एक हाथ उसके मम्मों को मसल रहा था और दूसरा उसकी पीठ पर घूम रहा था।
हमने बहुत देर तक चुम्मा-चाटी की.. उसके बाद उसके होंठ से नीचे आकर मैं उसके गले पर चूमने लगा
फिर वहाँ से उसके टॉप को थोड़ा नीचे करके उसके मम्मों को बाहर निकाल दिया।
हाय क्या मस्त मम्मे थे साली के.. पूरे जिस्म में सबसे मस्त उसके मम्मे ही थे.. जिनको दबाने में और चूसने में ही किसी भी लड़के का रस छूट जाए।
हम दोनों अपने इस मधुर मिलनमें इतने खो गए थे कि पता ही नहीं चला कि मूवी कब ख़त्म हो गई।
हम वहाँ से निकल गए। यह पहली मुलाक़ात थी तो इससे ज्यादा कुछ नहीं हो सका।
फिर 26 दिसम्बर को मिलना तय हुआ। मैं उसे लेकर अपने दोस्त के होटल में गया.. वहाँ कमरे में जाकर सीधा दरवाजा बन्द करके उसके दूध दबाने लगा।
इस बार फटाफट से मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए और उसको किसी सामान की तरह उठा कर सीधा बिस्तर पर डाल दिया।
उसको भी अब मज़ा आने लगा.. जब मैंने उसके मम्मों और होंठ को बारी-बारी चूमना चाटना शुरू कर दिया।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैं जब उसको चूमे जा रहा था.. तब धीरे-धीरे कब उसने मेरे कपड़े उतार दिए मुझे पता ही नहीं चला। मैं तो बस उसके इस हसीन नज़ारे को देख रहा था.. जो अब कपड़ों के बिना मेरे सामने था।
मैं उसके होंठ को चूमते हुए सीधा उसके गले को काटने लगा और धीरे-धीरे उसके होंठों के बीच में अपनी उंगली डालने लगा.. ताकि उसे अभी से मेरा लौड़ा लेने की इच्छा हो जाए।
जब मैं उसके मम्मों को ज़ोर-ज़ोर से दबा रहा था.. चूस रहा था.. तब उसके मुँह से अजीब-अजीब सी आवाजें निकल रही थीं।
अब वो कहने लगी- आआअहह.. अवी, मैं तुम्हें पहले से ही चाहती थी.. पर तुमने ध्यान ही नहीं दिया.. मैं तुम्हारे नाम से रोज अपनी उंगली अपनी चूत मेंडाल कर सारा रस निकाल देती थी.. अब तुम मुझे मिल गए हो.. तो तुम मुझे जी भर के चोद सकते हो.. मैं पूरी की पूरी तुम्हारी हूँ..
मैंने कहा- अबे साली.. जब चुदवाना ही था.. तो पहले से बोल देती.. तो अब तक कभी का चोद देता.. इतनी देर क्यों की?
तो बोली- लड़कियाँ अपने मुँह से चुदवाने को नहीं कहती हैं.. वो लड़कों को समझना चाहिए..
फिर तो मैं इतना जोश में आ गया कि मैंने लौड़ा.. जो कि अब 7 इंच का हो चुका था.. सीधे ही उसके मुँह में डाल दिया। पहले उसके मुँह में नहीं घुसा.. फिर धक्का लगाया तो वो पूरा लौड़ा खा गई।
अब धीरे-धीरे से मेरे लौड़े को अन्दर-बाहर करने लगी.. ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी।
‘उ..म्म्म्म .. आआअहह.. आआ.. उच्च्च..’
मैं सीधा उसके मुँह में ही धक्के मारने लगा।
फिर हम दोनों 69 पोजीशन में आ गए और अब मैं उसकी चूत चाट रहा था.. और वो मेरा लण्ड आराम से मस्त होकर अपने मुँह मे लॉलीपॉप की तरह ले रही थी।
हम दोनों ने इस पोजीशन में काफ़ी समय तक एक-दूसरे को चूसा। फिर उसको मैंने सीधा लेटा दिया। मैंने उसके दोनों पैर चौड़े कर दिए और उसकी चूत चाटने लगा
क्या रसीली चूत थी यार.. एकदम नई सी फुद्दी मिली थी.. जिसको पहले किसी ने छुआ नहीं था।
मैं पहला था।
मैंने उसकी चूत इतनी चाटी और उसको इतना गरम कर दिया कि उसकी साँसें तेज़ होने लगीं और वो कामुकता भरी आवाज में कहने लगी- हम्म्म्म म.. आआ..हह बस अवि.. और कितना तड़पाओगे.. अब डाल भी दो.. अपना लण्ड.. इस प्यारी सी चूत में.. ये कब से तुमसे चुदना चाहती है।
मैंने देर ना करते हुए उसकी चूत के मुँह के आगे अपना लण्ड सटा दिया.. फिर धक्का मारा.. पर थोड़ा अन्दर गया कि उसकी चीख निकल गई। क्योंकि पहले कभी वो किसी से नहीं चुदी थी।
फिर मैंने उसके मुँह पर अपना हाथ रख दिया और एक ज़ोर का झटका मारा। मैंने हाथ भी रखा था.. फिर भी उसकी चीख निकल गई और उसकी चूत पूरी तरह से गीली हो गईथी।
अब तो खून भी निकलना शुरू हो गया था.. उसकी झिल्ली फट गई थी।
अब मेरा पूरा लौड़ा उसकी चूत में था फिर मैंने धक्के लगाने शुरू कर दिए और उसे भी मज़ा आने लगा।
हम दोनों इस चुदाई का मज़ा लेने लगे और करीब 30-35 धक्के लगाने के बाद मेरा भी निकलने वाला था.. तब उसने कहा- अन्दर मत निकलना.. प्रॉब्लम हो जाएगी।
फिर मैंने लण्ड को चूत से निकाल लियाऔर उसके हाथ में दे दिया।
वो बड़े प्यार से उसे सहलाने लगी और अपने मुँह में ले लिया।
मैं भी अब उसके मुँह में धक्के मारने लगा। करीब दस-पन्द्रह धक्कों के बाद मेरा माल उसके मुँह में ही निकल गया.. वो बड़े प्यार से सारा माल निगल गई।
फिर हँसते हुए वो मेरा लण्ड साफ करने लगी।
अब हम दोनों बाथरूम में जाकर नहाने लगे.. तब मैंने उसको फिर से पूरा मसल दिया और फिर से मेरा लौड़ा दूसरी पारी खेलने के तैयार हो गया तो उसने बाथरूम में झुक कर मेरे लण्ड को आमंत्रित किया.. तो सीधा मैंने अपना लण्ड लगा दिया और फिर उसकी चूत में धक्के मारने लगा।
करीब 20-25 धक्कों के बाद मेरा माल निकलने वाला हुआ.. तो फिर से मेरा लण्ड चाट कर पूरा माल फिर से अपने मुँह में भर लिया।
फिर हम लोग फ्रेश होकर वहाँ से निकल आए.. तो उसने कहा- यह मेरी ज़िंदगी की पहली चुदाई थी इसे मैं कभी नहीं भूलूंगी..
फिर हम अपने अपने घर चले गए।

लेखिका : सुनीता भाभी
प्रकाषक : bhauja.com

मौसी की सहेली की चूत चुदाई (Mausi Ki Saheli Ki Choot Chudai)

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हाय दोस्तो, मैं आपको अपनी सच्ची आत्मकथा इस कहानी के माध्यम से बताने जा रहा हूँ।
इसकी शुरुआत चार हफ्ते पहले हुई थी।

बात यूँ हुई कि मेरी मौसी और उनकी सहेली मेरे घर पर रहने हुई आई हुई थी।
यूँ तो मैं अकसर घर पर अपने माँ–बाप के साथ रहा करता था पर उस दिन मेरे माता–पिता भी एक महीने के लिए बाहर गए हुए थे।
मैं तो बचपन से चूतों को बहुत बड़ा खिलाड़ी रहा हूँ।
मौसी तो मेरी अपनी थी पर उनके साथ आई सहेली की चूत के ख्याल तो अपने शैतानी दिमाग में ला ही सकता था।
मेरी मौसी तो घर के काम सँभालने के लिए आई हुई थी पर उनकी सहेली कुछ नौकरी की तलाश में थी।
मैं भी मौके पर चौका मारते हुए उनकी सहेली को रोज बाहर ले जाता और नौकरी ढूंढने के बहाने उनसे खूब बात करता हुआ काफ़ी अच्छी दोस्ती बढा ली।
धीरे–धीरे अब बात आगे बढ़ाते हुए मैं कभी–कभी उनके हाथ पर हाथ भी रख लेता जिस पर मेरी मौसी की सहेली शिल्पी मेरा विरोध ना करती।
मुझे शिल्पी ने वादा किया था कि अगर उसकी नौकरी पक्की हो जाये तो वो मुझे मेरी मुंह–मांगी चीज़ देंगी।
और मैंने कुछ ही हफ़्तों में अपनी कंपनी में उसकी नौकरी की बात पक्का करवा दी और बारी आई वादे की।
सुबह–सुबह मेरी मौसी डेढ़ घंटे के लिए बाहर जाती थी और दूध लेकर आती थी।
उस वक्त मैं और शिल्पी भी जग कर अपने काम में व्यस्त हो जाया करते थे।
अगले दिन सुबह मेरी मौसी के जाते ही मैं शिल्पी के कमरे में गया और उसके पास बैठ इधर–उधर की बातें करते हुए उसके हाथ को सहलाने लगा।
जिस पर शिल्पी ने भी मस्त वाली मुस्कान दी और मेरा हौंसला इतना बढ़ा कि मैंने मुलायम होंठों को अपने होठों के तले दबाने लगा।
जिस पर वो भी मेरे होंठों को चूसने लगी पर बीच में उसने एकदम से मुझे हटाते हुए कहा– यह क्या कर रहे हो??
मैं– तुमने मुझसे वादा किया था.. बस मेरे वादे को पूरा कर दो!!
अब मैं शिल्पी के पेट को मलते हुए उसकी कुर्ती के उठाते हुए चूचियों को दबाने लगा।
मैं वक्त की पाबन्दी को समझते हुए उसे चूमते हुए और गर्म करने लगा।
मैंने अब शिल्पी की गुदगुदी चुचियों को पीना शुरू कर दिया और उनके नीचे के पहने हुए सलवार भी खोल फटाक से उसकी पैंटी को उतार दिया।
अब मैंने अपनी बलखाती हुई उँगलियों को उसकी चूत में देनी शुरू कर दी।
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लगभग दस मिनट से जबरदस्त ऊँगली करने के बाद अब उसकी चूत गीली हो चुकी थी।
कुछ देर बाद मैंने देखा की शिल्पी मेरे लंड को अपनी चूत में बेतहाशा तरीके से लेने के लिए तड़प रही थी।
तभी मैंने उसे बिस्तर पर वहीं अपने नीचे लिटा दिया और अपने लंड का सुपारा उसकी चूत के मुख पर टिका दिया।
जैसे ही मैंने अपने दोनों हाथों से उसके कन्धों को पकड़ एक जोर का धक्का मारा तो उसके मुंह से भारी–भारी सिसकारियाँ चीख सहित निकल पड़ी और उसकी आँख से आँसू निकल रहे थे।
अब जैसे ही हमारी स्थिति सामान्य हुई तो मैं अपने लंड को फिर हल्के–हल्के धक्के मारते हुए उसकी चूत में धकेलने लगा।
जिस पर वो भी अपनी कमर को लहरा कर मेरे लंड को लेने लगी।
मुझे शिल्पी को ज़बरदस्त चोदते हुए बीस मिनट हो गए और आखिर मैं थककर उसके पेट पर झड़ गया।
शिल्पी घिन से अपने तन पर से मेरे मुठ को साफ़ कर रही थी और मैं अपनी मौसी के आने तक उसे और उसके चुचों को लगातार चूसे जा रहा था।
कहानी इस तरह चलती गई, आज हमारी कंपनी में काम करते हुए मैं शिल्पी को शौचालय में अकेले बुलाकर चुम्मा–चाटी कर लेता हूँ।
मुझे मेल जरूर करें।

ଲିପିର ଗୋରା ଜଂଘରେ ମନ ରହିଗଲା (Lipi Ra Gora Jangha Re Mana Rahi Gala)

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ଦ୍ବିପହର ବେଳକୁ ମୁଁ ଯେତେବେଳେ ଘରୁ ବାହାରି ସାହି ଛକ ଆଡ଼କୁ ଆସୁଥିଲି, ଦେଖିଲି ଆମ ସାହି ମୁଣ୍ଡରେ ଥିବା ମହାନ୍ତିବାବୁଙ୍କ
ଘର ସାମନାରେ ମହାନ୍ତିବାବୁ ନିଜ ଝିଅ ଲିପି ସହ ଠିଆ ହୋଇ କଥା ହେଉଛନ୍ତି । ଗାଡ଼ି ଅଟକାଇ ପଚାରିଲି, କଣ ହେଲା ଭାଇ
ଖରାଟାରେ ଠିଆ ହେଇ କଥା ହଉଛନ୍ତି ? ସେ ହସିଦେଇ କହିଲେ, ବୁଝିଲ ରବିବାବୁ ତମ ଭାଉଜର ସ୍କୁଲ ଚାଲିଛି, ସେ ଘରେ ନାଇଁ,
ମୁଁ ଅଫିସ ନ ଗଲେ ନ ଚଳେ, ଆଉ ଇୟେ ଚଣ୍ଡୀ କହୁଛି ଘରେ ଏକା ଡର ଲାଗୁଛି? କଣ କରିବି? ମୁଁ କହିଲି, ଏତେବଡ଼ ପିଲାଟେ
ହେଲୁଣି ଆହୁରି ଡରୁଛୁ ? ସେ କହିଲା, ଆମ ଘରେ କଣ ସବୁ ଆବାଜ୍ ହଉଚି, ଝଣଝଣ ଶୁଭୁଚି । ମୁଁ ହସିଦେଇ କହିଲି, ବେଶୀ ଟିଭି
ଦେଖୁଚୁ ନା? ହଉ ଶୁଣ ଯା ଆମ ଘରକୁ ପଳ���, ଖୁଡ଼ିଥିବ ତା ପାଖରେ ଥିବୁ, ବାପା କି ବୋଉ ଆସିଲେ ଫେରି ଆସିବୁ ।

ସେ ନାଇଁ
ନାଇଁ କଲା । ମହାନ୍ତି ବାବୁ କହିଲେ ଯା ଦାଦାଙ୍କ ଘରକୁ କହି ସେ ଗାଡ଼ି ବାହାର କରି ପଳେଇଗଲେ । ଲିପି ସେଇଠି ଠିଆ ହେଇଥିଲା ।
ଗତବର୍ଷ ମେଟ୍ରିକ୍ ପାସ୍ କରିଛି । ଦେଖିବାକୁ ବହୁତ ସୁନ୍ଦରୀ । ସେ ଗୋଟେ ହାଫ୍ ପ୍ୟାଣ୍ଟ୍ ପିନ୍ଧିଥିଲା ଆଉ ତା ଗୋରୀ ଗୋଡ଼ ଦୁଇଟାକୁ
ଦେଖିଲେ ଧରି ଚାଟିପକେଇବାକୁ ମନ ହଉଥିଲା । ମୁଁ କିଛି ସମୟ ଚିନ୍ତା କଲି, ଭାବିଲି ଅନ୍ତତଃ କିଛି ସମୟ ପାଇଁ ଏଇ ଗୋରୀ ଗୋଡ଼
ଦେଖିବାକୁ ମିଳିବ, ତେଣୁ କହିଲି, ଚାଲିଲୁ ଦେଖିବା କୋଉଠି ଶବଦ୍ ହେଉଚି ?

ଗାଡ଼ିକୁ ବାହାରେ ଥୋଇଦେଇ ଭିତରକୁ ଗଲି । ଘରେ କେହିନଥିଲେ । ସେ ଏକା ଥିଲା । ୫ ଫୁଟ ୬ ଇଞ୍ଚ୍ ଉଚ୍ଚତା, ଗୋରୀ, ସେକ୍ସୀ,
ଟୋକି ଟେ ସେ । ସେ ଆଗରେ ଯାଉଥିଲା ମୁଁ ପଛରୁ ଦେଖୁଥିଲି ତା ପିଚାକୁ । ହାତରେ ଛୁଇଁ ଦେବାକୁ ମନ ହଉଥିଲା । ତା ଛାତିରେ
ନୁଆ ନୁଆ ପର୍ବତ ଉଠିଛି । ଲମ୍ବା ବେକ, ପତଳା ଶରୀର, ଦେଖିବାକୁ ଗଲେ ପରୀ ଠାରୁ କମ୍ ହେବନି । ମୋ ପ୍ୟାଣ୍ଟ୍ ଭିତରେ ମୋ
ବାଣ୍ଡ ମୁଣ୍ଡ ଟେକିବାକୁ ଆରମ୍ଭ କରିଲା । ତଥାପି ମୁଁ ତାକୁ ଅନେଇ ରହିଥିଲି, ସେ ମୋତେ ସୋଫା ଉପରେ ବସିବାକୁ କହି ଭିତରକୁ
ଗଲା ଆଉ ପାଣି ଗ୍ଲାସ୍ ନେଇ ଆସିଲା । ସେ ମୋ ସାମନାରେ ସୋଫାରେ ବସିଥିଲା । କେତେ କଥା କଣ କଣ ଗପୁଥିଲା, ମୁଁ କିନ୍ତୁ
ତା ପୁରା ଦେହକୁ ଦେଖୁଥିଲି । ସେ ଧଳା ରଙ୍ଗର ଟପ୍ ପିନ୍ଧିଥିଲା, ଆଉ ଜିନ୍ ପ୍ୟାଣ୍ଟ୍, ଯାହା ତା ଜଙ୍ଘକୁ ବି ସମ୍ପୁର୍ଣ୍ଣ ଭାବରେ ଲୁଚେଇ
ପାରୁନଥିଲା । ସେ ମୁରୁକି ମୁରୁକି ହସୁଥିଲା, ମୋତେ ଲାଗୁଥିଲା ସେ ଜାଣିପାରୁଛି ମୁଁ କଣ କରୁଛି । କିଛି ସମୟ ପରେ ସେ କହିଲା,
କଣ ଦେଖୁଚ ଦାଦା ?

ମୁଁ ପ୍ରକୃତିସ୍ଥ ହେଇ କହିଲି, ଆରେ ତୁ ଏମିତି ପୋଷାକ ସବୁ ପିନ୍ଧିବୁ ବୋଇଲେ ନ ଦେଖିବା ଲୋକ ବି ଦେଖିବେ ? ତୁ କାହିଁକି ଏମିତି ସାନ
ସାନ ପେଣ୍ଟ୍ ପିନ୍ଧୁଛୁ ? ତୋ ଗୋରୀ ଗୋଡ଼କୁ ଦେଖିଲେ ଛୁଇଁ ଦେବାକୁ ମନ ହଉଚି । ଏମିତି ପୋଷାକ ପିନ୍ଧି ରାସ୍ତାରେ ଗଲେ ଟୋକାମାନେ
ମାଡ଼ିବସିବେ ନି ?

ହେ ହେ ହେ, ସେ ହସିଦେଇ କହିଲା, କାଇଁ ଖୁଡ଼ିଙ୍କ ଗୋଡ଼ କଣ ଗୋରୀ ନାହିଁକି ?
ମୁଁ କହିଲି, ସବୁବେଳେ ତ ଶାୟାଶାଢ଼ୀରେ ଲୁଚି ରହିଲା କେମିତି ଜାଣିବି ? ଖୋଲିଲା ବେଳକୁ ଅନ୍ଧାର ଆଉ ଜାଣିପାରିଲି କି ? ତୋ ଗୋଡ଼
କିନ୍ତୁ ଭାରୀ ସେକ୍ସି ହେଇଛି । ଟିକେ ଛୁଇଁବି କି ?ସେ ନିଜ ଜାଗାରୁ ଉଠି ଆସି ମୋ ପାଖରେ ଠିଆ ହେଲା, ମୁଁ ନିଜ ହାତରେ ତା କୋମଳ
ଜଙ୍ଘ ଆଉ ଗୋଡ଼କୁ ଛୁଇଁବାକୁ ଲାଗିଲି । ଦେଖିଲି ସେ ମୁରୁକି ମୁରୁକି ହସୁଛି । ସାହାସ କରି ମୁଁ ତା ଜଙ୍ଘ ଉପରକୁ ଉପରକୁ ହାତ ନେଲି ।
ସେ କିଛି କହିଲାନି, ହଠାତ୍ ତା ପ୍ୟାଣ୍ଟ୍ ଉପରେ ହାତ ଦେଇ କହିଲି, ଏତେ ଛୋଟ୍ ପ୍ୟାଣ୍ଟ୍ ଆଣୁଚୁ କୋଉଠୁ ?
ସେ ମୋ ହାତପ୍ରତି ଧ୍ୟାନ ନ ଦେଇ କହିଲା, ପ୍ୟାଣ୍ଟକୁ କିଣି ଆଣି କାଟି ଦେଉଚି । ଏହିସମୟରେ ମୁଁ ତା ପ୍ୟାଣ୍ଟ୍ ଉପରେ ଧିରେ ଧିରେ ହାତ
ଚଲେଇଲି । ସେ ନଇଁ ପଡ଼ିଲା ଆଉ କହିଲା, କଣ କରୁଚ ଦାଦା ? ତା ଦୁଧ ଦୁଇଟା ମୋ ମୁହଁ ପାଖରେ ଝୁଲି ରହିଲା । ସାହାସ କରି ତା
ଛାତିରେ ହାତଦେଇ କହିଲି, ତୋ ଛାତିଟା ବହୁତ ସୁନ୍ଦର ହେଇଛି ଲିପି । ସେ ଲାଜେଇ ଗଲା । ହେଲେ କୌଣସି ପ୍ରକାରର ପ୍ରତିକ୍ରିୟା
ଦେଖେଇଲା ନାହିଁ । ମୁଁ ସାହାସ ପାଇଯାଇଥିଲି, ତାର ଗୋଟିଏ ଦୁଧକୁ ହାତରେ ଧରି ଧିରେ ଚିପି ଦେଇ କହିଲି, ଲେମ୍ବୁ ଅଛି ନା କମଳା ?
ସେ ପୁଣି ଲାଜେଇ ଗଲା, ମୁଁ କହିଲି, କାଗଜି ଲେମ୍ବୁଟା । ଚିପିଦେଲେ ପାଣି ବାହାରିବ ଟି ? ସେ ଟିକେ ଦୁରେଇ ଯାଉଥିଲା ମୁଁ ତା ହାତ
ଧରି ପାଖକୁ ଟାଣି ଆଣିଲି, ଆଉ ତା ଦୁଧକୁ ଚିପିଲି । ସେ ଓଃ ଆଃ କହିଲା, କିନ୍ତୁ ସେ କହିବା ଟା କଷ୍ଟ ହେତୁନଥିଲା ଥିଲା ପୁରା ମୋହଗ୍ରସ୍ତ
ହେଲାଭଳିଆ । ତା ଦୁଧକୁ ଚିପିବା ପରେ ଜାଣିଲି ସେ ଭିତରେ କିଛି ପିନ୍ଧିନି । ତାକୁ ପଚାରିଲି ଆରେ ଲିପି ତୁ ବ୍ରା ପିନ୍ଧିନୁ ? ସେ ହସିଦେଇ କହିଲା, ମୋତେ
ଭାରି ଗରମ ହଉଥିଲା ତ ତେଣୁ ପିନ୍ଧିନି । ମୁଁ କହିଲି, ଗରମ ହଉଚି ଯଦି ଏଇ ଟପ୍ ଟା ବାହାର କରିଦେଉନୁ ? ସେ ଲାଜେଇ ଯାଇ କହିଲା,
ଇସ୍ ମୋତେ ଲାଜ ଲାଗିବ । ମୁଁ କହିଲି, ଲାଜ କାହିଁକି ଲାଗିବ ? ଏଠି କିଏ ଅଛି ଯେ ଲାଜ ଲାଗିବ? ଚାଲ ଖୋଲି ଦେ । ପବନ ବାଜିବ,
ମୁଁ ବି ଟିକେ ତୋ କାଗଜି ଦେଖିବି । ସେ ଲାଜେଇ ଲାଜେଇ ନିଜ ଟପ୍ ବାହାର କରିଦେଲା । ଓଃ କି ଦୃଶ୍ୟ!!!
ଲିପି ଛାତିରେ ତା ଦୁଇଟା ଦୁଧ ଛୋଟ୍ ଛୋଟ୍ ପର୍ବତ ଭଳି ଠିଆ ହୋଇଥିଲେ । ବ୍ରା କାହିଁକି ପିନ୍ଧିବ ଆଉ ? ଅନ୍ୟମାନଙ୍କ ଦୁଧ ଝୁଲି ପଡ଼ିଥାଏ,
ହେଲେ ଲିପିର ଛାତିର ଦୁଧ ସଗର୍ବରେ ଠିଆ ହୋଇଥିଲା । ତା ଅଗରେ ପିଙ୍କ୍ ରଙ୍ଗର ଟୋପି ଆଉ ସେ ମଝିରେ ଗାଢ ଲାଲ୍ ରଙ୍ଗର ନିପଲ୍ ।
ଏହା ଦେଖୁ ଦେଖୁ ମୋ ପ୍ୟାଣ୍ଟ୍ ଟାଇଟ୍ ହୋଇଗଲା । ତାକୁ ପାଖକୁ ଟାଣି ଆଣିଲି ଆଉ ତା ଦୁଧ ଉପରେ କିସ୍ ଟେ କରିଲି, ସେ ଓଃ କଣ
କରୁଛ ଦାଦା ବୋଲି କହିଲା, ମୁଁ କହିଲି ତତେ ଗରମ୍ ହଉଛି ତ ତେଣୁ ଟିକେ ଓଦା କରିଦେଉଛି । ଥଣ୍ଡା ଲାଗିବ । ସେ ଲାଜେଇ ଯାଇ
ସେମିତି ଠିଆ ହୋଇଥିଲା । ମୋ ମୁହଁ ପାଖରେ ତା ଛାତି ଥିଲା, ମୁଁ ତା ପେଟରେ କିସ୍ କଲି, ଆଉ ଦୁଇ ହାତରେ ତା ଦୁଧକୁ ଧରି ଧିରେ
ଧିରେ ଚିପିଲି । ସେ ଆଃ ଆଃ କହିଲା । କିଛି ସମୟ ମୁଁ ତା ଦୁଧ ଚିପିବା ପରେ ତାକୁ ମୋ ଗୋଡ଼ ଉପରେ ବସେଇ ଦେଇ ତା ଦୁଧକୁ
ପାଟିରେ ପୁରେଇ ଚୋଷିଲି । ସେ ଆହୁରି ଜୋରରେ ଆଃ ଆଃ କହିଳା । ଏମିତି କରୁଥିବା ସମୟରେ ମୁଁ ତା ପ୍ୟାଣ୍ଟ ଉପରେ ହାତ ବୁଲେଇ
ଆଣିଲି ଓ ତା ପ୍ୟାଣ୍ଟର ବଟନ୍ ଖୋଲିବାକୁ ଚେଷ୍ଟା କଲି । ସେ ମୋତେ ବାଧା ଦେଉ ଦେଉ କହିଳା, କଣ କରୁଛ ଦାଦା ।
ମୁଁ କହିଲି, ଉପରେ ଗରମ ବଢ଼ିଲେ ତଳେ ପାଣି ବାହାରେ, ତୋ ପ୍ୟାଣ୍ଟ୍ ଖରାପ୍ ହେଇଯିବ ବୋଲି ବାହାର୍ କରି ଦେଉଚି । ସେ ହସିଦେଇ
କହିଲା, ହଉ ଓଦା ମୁଁ ବାହାର କରିବିନି । ମୁଁ କହିଲି, ଓଃ ତୁ ବୁଝୁନୁ, ବାହାର କରିଦେ ତଳେ ଯୋଉ ପାଣି ଆସିବ ସେ ପାଣି ବହୁତ ମୂଲ୍ୟବାନ
ମୁଁ ସେ ପାଣି ଚାହେଁ । ସେ କହିଲା କଣ କରିବ ସେ ପାଣିକୁ ? ମୁଁ କହିଲି ତୁ ପ୍ୟାଣ୍ଟ୍ ଖୋଲିଦେ ଦେଖିବୁନି ?

ସେ ଲାଜେଇ ଯାଇ ନିଜ ପ୍ୟାଣ୍ଟ୍ ଖୋଲିଦେଲା । ଭିତରେ ପ୍ୟାଣ୍ଟୀ ବି ପିନ୍ଧିନଥିଲା । ତା ବିଆରେ ଜମା ବାଳ ନଥିଲା, ଆଉ ବିଆର
ଦୁଇଫାଳ ଲାଖିରହିଥିଲା । ମୁଁ ସେ ଦୁଇଫାଳକୁ ଅଲଗା କରିବା ବେଳେ ଜାଣିଲି ଯେ ଭିତରେ ପୁରା ଓଦା ସରସର । ମୁଁ କହିଲି ତୁ
ଏଇ ସୋଫା ଉପରେ ଶୋଇଯା, ସେ ଶୋଇଗଲା । ତା ଛାତି ଆଉ ଦୁଧ ଛୋଟ୍ ଛୋଟ୍ ପାହାଡ଼ ଭଳି ଦିଶୁଥିଲା, ମୁଁ ନଇଁ ପଡ଼ି ତା
ଦୁଧକୁ ଚାପିବାକୁ ଲାଗିଲି । ଓ ଚୋଷିଲି । ସେ ଆଃ ଆଃ କହୁଥିଲା ମୁଁ ଗୋଟିଏ ହାତରେ ତା ବିଆକୁ ଅଣ୍ଡାଳୁଥିଲି । ଏମିତି କରୁ
କରୁ ଗୋଟିଏ ଆଙ୍ଗୁଠି ତା ବିଆ ଭିତରେ ପୁରେଇଲି, ଓଦା ଥିଲା ଆଙ୍ଗୁଠି ସହଜରେ ପସିଗଲା । ତା ପରେ ଆଙ୍ଗୁଠିକୁ ଭିତର
ବାହାର କରିଲି । ସେ ଆଃ ଆଃ କହି ଚିଲେଇ ଉଠୁଥିଲା ।
ମୁଁ ତା ଦୁଧ ଛାଡ଼ିଦେଇ ତଳକୁ ଗଲି ଆଉ ତା ସଫା ବିଆ ଉପରେ ଚାଟିଲି । ସେ ମୋ ମୁଣ୍ଡକୁ ଠେଲିଦେଇ କହିଲା, ଇସ୍ ୟେ କଣ

सेक्स के प्रति सोच में आमूल परिवर्तन की जरूरत

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परिवर्तन ही सृष्टि का दस्तूर है। मगर हममें से अधिकांश लोगों का बचपन से ऐसी धारणा होती है कि दुनिया स्थिर और स्थाई है, जिसमें परिवर्तन एक दुखदायी अनुभव है। सब रोजमर्रा के काम हम अपनी आदतों के वशीभूत बिना सोचे समझे आसानी से कर लेते हैं। हमें अपनी पुरानी आदतों को छोड़ना और उनमे परिवर्तन करना जोखिम भरा लगता है। बदलना हमें बहुत कठिन और असहज भी लगता है इसलिए हम नयी राह पर चलने में हिचकते हैं।
आज दुनिया सब दिशाओं में तेज गति से बदल रही है। आज हम जिस राह पर खड़े हैं यह उन दूरदर्शी विद्वानों की वजह से है जिन्होंने अपने ज़माने से आगे सोचा और बदलाव को समाज में क्रियान्वित किया।
अभी भी सेक्स के प्रति हमारी धारणाएँ पुराने सामाजिक एवम् धार्मिक सिद्धान्तों पर आधारित है जो समाज में पाखण्ड को जन्म देती हैं।

हमें अब सेक्स के प्रति सोच में आमूल परिवर्तन करना जरूरी है। इस बात को ध्यान में रखते हुए मैं किशोरों और युवाओं के लिए कुछ व्यावहारिक सुझावों को प्रश्नोत्तर के माध्यम से प्रस्तुत कर रहा हूँ।
प्रेम और सेक्स के प्रति किशोर मन में कई प्रश्न उठते हैं। फिल्म, मीडिया और गलत पुस्तकों ने नौजवानों के दिमाग को और उलझा दिया है। नतीजन प्रेम और सेक्स के प्रति उनका रुख ईश्वरीय सुख से भटक कर विकृति एवं अश्लीलता की ओर चला गया। इस वजह से समाज में अपराध और यौन उत्पीड़न बढ़ गए हैं।
आज की जीवन शैली को देखते हुए किशोरों को सेक्स के प्रति स्वस्थ और विवेकशील मार्ग दर्शन करने के लिए प्यार और सेक्स के बारे में हमारी सामाजिक मान्यताओं से परे परिवर्तन लाना आवश्यक है।

सेक्स क्या है?

सेक्स प्रकृति द्वारा प्रदत्त सभी जीवित प्राणियों के लिए संतानोत्पत्ति और अपनी पीढ़ी को आगे बढ़ाने का एक जरिया है।
सेक्स प्रकृति द्वारा प्रदत्त आनन्द और मनोरंजन का साधन भी है। प्रकृति एक विशेष उम्र के बाद हर प्राणी के नर और मादा को मिलन के लिए प्रेरित करती है।
सेक्स का आवेग इतना तीव्र होता है कि नर का जननांग मादा के जननांग के मिलन के लिए और मादा नर के जननांग के लिए आतुर हो जाती है, यह क्रिया पूर्णतया नैसर्गिक होती है।
सब प्राणियों में सेक्स के लिए सन्देश दिमाग से जननांगों तक जाता है, और जननांग सम्भोग के लिए उत्तेजित हो जाते हैं। फिर नर अपना लिंग नारी की योनि में प्रवेश करा के वीर्य को नारी की योनि में संचित होने के लिए छोड़ देता है।
सेक्स के विचार से या किसी स्त्री के साथ सम्भोग की इच्छा होने से लिंग में खून के प्रवाह से तनाव आता है, लिंग से बिना रंग का चिकना पदार्थ रिसने लगता है। इसी तरह स्त्री के मन में सम्भोग की इच्छा या विचार आने से योनि में संकुचन और फैलाव होने लगता है। योनि से भी एक रंगहीन चिकना तरल पदार्थ निकलने लगता है। इस पदार्थ से लिंग और योनि को सम्भोग के समय घर्षण के दौरान चिकनाई मिलती है।

मेरे अनजाने में मेरा लिंग क्यों खड़ा हो जाता है?

अनजाने में लिंग का खड़ा होना बचपन से अधेड़ उम्र तक होता रहता है। किशोर उम्र और शुरुआती जवानी में लिंग बार बार खड़ा होना आम बात है। रोज रात में नींद में भी लिंग कई बार तन जाता है।
यह इसलिए भी होता है कि आस पास कई तरह के सेक्स उत्तेजक मौजूद होते हैं। जैसे की सड़क पर जानवरों का सेक्स देखना, कोई उत्तेजक कहानी पढ़ना या उत्तेजक विचार आना, उत्तेजक फिल्म या चित्र देखना आदि, इसके बारे में चिन्ता की कोई बात नहीं।
यह होना एकदम नैसर्गिक है।

मुझे रात में स्वप्नदोष क्यों होता है?

पहली बात यह है कि स्वप्नदोष कोई दोष या बीमारी नहीं है, सही शब्द है वीर्य स्खलन।
वीर्य स्खलन प्रकृति का दिया सेफ्टी वाल्व है, यह कोई अप्राकृतिक क्रिया नहीं है। विवाह से पहले वीर्य को स्खलित होने के लिए योनि नहीं मिलने से नींद में जब लिंग तन जाता है तो उत्तेजनावश वीर्य स्खलित हो जाता है। अगर आपको सम्भोग का मौका मिले या आप हस्तमैथुन कर वीर्य स्खलित करें तो स्वप्नदोष बहुत कम हो जायेंगे।

क्या स्वप्नदोष और हस्तमैथुन कमजोरी लाते हैं?

यह भ्रम नीम-हकीमों द्वारा फैलाया गया है, सत्य कुछ और ही है। जैसा कि मैंने ऊपर कहा है ये दोनों सेफ्टी वाल्व हैं। हस्त मैथुन से आपके मन को शांति और स्फूर्ति मिलेगी। आप अपनी पढ़ाई या दूसरे काम में अच्छे से मन लगा सकेंगे।
प्रकृति में देखो जो जानवर स्वतंत्रता से सेक्स करते हैं वो काफी बलवान और उर्जावान होते हैं। दूसरी ओर बैलों को देखो उन्हें बधिया कर सेक्स नहीं करने देने से वे कमजोर दिखते हैं। यानि की वीर्य स्खलन से कोई कमजोरी नहीं आती।
हर व्यक्ति की हस्तमैथुन करने की क्षमता अलग अलग होती है। कोई हफ्ते में दो या चार बार तो कोई दिन में दो तीन बार हस्तमैथुन करना चाहता है। इसमें कोई ज्यादती की बात नहीं है। कोई व्यक्ति अपने आप से ज्यादती नहीं कर सकता इसलिए कोई डर की बात नहीं है।
याद रखो वीर्य स्खलन, हस्तमैथुन या सम्भोग सब प्राकृतिक हैं, इनसे कोई कमजोरी नहीं आती। अगर किसी को कमजोरी महसूस हो तो कारण मन में डर और हीन भावना का होना है।

क्या मै सेक्स के आवेग को दबा सकता हूँ?

काम वासना और काम आवेग एक नैसर्गिक सत्य है। किसी आवेग को दबाना या उसके विरोध में खड़े होना असम्भव है। एक अलग दिशा देना सम्भव है। क्या आप भूख और प्यास को दबा कर शांत कर सकते हैं? दबाने का मतलब ही हुआ कि आप उस बात पर ज्यादा ध्यान दे रहे हो।
उत्तम उपाय है, अपना ध्यान किसी और विषय पर केन्द्रित करो, जैसे पढ़ाई, खेल या अपना काम… तब आवेग कम हो जायेगा मगर पूर्ण रूप से ख़त्म नहीं होगा, उसकी जरूरत भी नहीं है।

मै अपने लिंग के आकार के बारे में चिंतित हूँ?

युवकों में यह धारणा और चिन्ता आम है। ज्यादातर नौजवान इस चिन्ता से ग्रस्त होते हैं कि उनका लिंग छोटा है, और सम्भोग संतुष्टि के काबिल नहीं है।
पोर्न चित्रों और फिल्मों को देख कर यह धारणा और मजबूत हो जाती है।
यहाँ यह समझ लें कि जैसे आम फिल्मों के लिए दिखने औए एक्टिंग में अच्छे लोगों को चुन कर लिया जाता है वैसे ही पोर्न फिल्मों के लिए औसत से अधिक बड़े लिंग वालों को लिया जाता है, चित्र भी इस तरह खींचे जाते हैं कि लिंग बड़ा दिखे।
अगर आप अपने चारों ओर लोगों को देखें तो पाएँगे कि उनके डील डौल हाथ, पैर, आँख, कान, नाक, आदि अलग अलग आकार और विस्तार के होते हैं। तब यह सोचना कि मेरा लिंग बड़ा ही हो गलत है। सबके लिंग का आकार भी अलग अलग होता है। यह अनुवांशिक होता है।
स्त्री की योनि का बाहर से 2-3 इंच तक का भाग ही संवेदनशील होता है। इस लिए 3 इंच का छोटा लिंग भी सम्भोग में स्त्री को आनन्द प्रदान कर सकता है।
एक सर्वेक्षण के अनुसार ज्यादातर स्त्रियों को बहुत लम्बे लिंग से गोलाई में मोटे लिंग पसन्द होते हैं। स्त्री को सिर्फ लिंग के योनि प्रवेश से ही नहीं अपितु कई अन्य उपायों से जैसे कि उसके सिर से पैर तक के विभिन्न अंगों को सहलाना, चूमना आदि से उत्तेजना और तृप्ति मिलती है।
स्त्री सम्भोग में प्रेम और समर्पण चाहती है। स्त्री सम्भोग में पूर्ण भावात्मक रूप से जुड़ने के बाद ही पूर्ण सहयोग करती है।
सिर्फ लिंग के आकार को सेक्स में महत्त्व देना सर्वोपरि नहीं है।
अलग अलग नस्ल के स्त्री पुरुषों के योनि और लिंग अलग आकार प्रकार के होते हैं। उनका रंग और झांट के बालों (pubic hair) का फैलाव भी अलग होता है।
महर्षि वात्स्यायन ने स्त्री और पुरुषों को उनके योनि / लिंग के साइज़ (माप) के हिसाब से तीन भागों में बाँटा है।
वे इस प्रकार हैं:
    पुरुष            स्त्री           लिंग / योनि का आकार
    खरगोश       हिरनी       छोटा
    बैल             घोड़ी         मध्यम
    घोड़ा           हथिनी       बड़ा
इस वर्गीकरण के हिसाब से स्त्री पुरुष के सम्भोग के लिए 9 प्रकार के जोड़े बन सकते हैं। मगर अगर खरगोश लिंग वाला पुरुष हथिनी स्त्री से सम्भोग करता है तो स्त्री असंतुष्ट रहेगी, इसके उलट अगर घोडा पुरुष हिरिनी स्त्री से सम्भोग करे तो स्त्री के लिए कष्टदायी होगा।
वात्स्यायन के अनुसार समरत सम्भोग ही सब में सुखदायी होता है। यह बात कुछ हद तक सिद्ध करती है कि कुछ पति पत्नी सम्भोग में असंतुष्ट क्यों रहते हैं।

क्या मैं अपने लिंग की लम्बाई बढ़ा सकता हूँ?

आपके लिंग की लम्बाई और मोटाई नस्ल और अनुवांशिकी पर निर्भर करती है। आपका लिंग उपर दिए वर्गीकरण में से एक होगा और आप इसी वर्ग में रहेंगे, नीमहकीम पर भरोसा न कीजिये, लिंग की लम्बाई और मोटाई बढ़ाने के लिए कोई दवा नहीं है।
शल्य चिकित्सा भी बहुत कारगर नहीं है, और बहुत महँगी भी है।
यहाँ पर यह याद रखना चहिये की लिंग में कोई मांसपेशी (muscle) नहीं होती, इसलिए व्यायाम से जैसे आप अपनी भुजाओं को तगड़ा कर सकते हैं वैसे लिंग को नहीं कर सकते। हालांकि कुछ व्यायाम से या सम्भोग की प्रबल इच्छा से लिंग थोडा अधिक कड़ा होगा और बड़ा लगेगा।
वियाग्रा की गोली लिंग के अन्दर दोनों थैलियों (Corpus) को फैला (relax) देती है। जब इन थैलियों में खून भरता है तो लिंग ज्यादा कड़ा होकर थोड़ा बड़ा हो जाता है।

Love at first sight (प्रथम दृश्या प्रेम) सच है?

है भी और नहीं भी। मगर किशोर अवस्था में यह एक मोह (Infatuation) होता है। प्रथम दृश्या प्रेम प्रकृति का इन्सान को वयस्कता में पदार्पण होने का संकेत है।
इस उम्र में विपरीत सेक्स के प्रति आकर्षण अपने आप पैदा होता है। प्रेम की सत्यता तभी पता चलती है जब प्रेमी एक दूसरे को अच्छी तरह जान लें। इसके लिए जरूरी है कि आपस में मैत्री रखें और एक दूसरे की आदतें, स्वभाव और हो सके तो सेक्सुअल पसन्द नापसन्द और जरूरतें समझ लें।
अगर आप दोनों की काम वासना बिल्कुल अलग अलग है तो शादी के बाद आप दोनों एक दूसरे को संतुष्ट नहीं कर पाएँगे इसलिए (love at first sight) को प्रेम तक सीमित रखें तो ठीक, विवाह के लिए बहुत कुछ देखना जरूरी है।

क्या शादी से पहले सेक्स उचित है?

आज की पीढ़ी को पढ़ाई और करियर के लिए बहुत कठिन परिश्रम करना पड़ता है इसलिए पुराने ज़माने जैसे अब जल्दी शादी करना असम्भव हो जाता है, लड़के लड़की 30 साल तक अविवाहित रहते हैं, उन्हें घर से दूर बाहर भी रहना पड़ता है।
प्रकृति तो अपना काम 16 साल की उम्र से शुरू कर देती है।
आजकल प्रिंट और विजुअल मीडिया में सेक्स भरपूर परोसा जाता है, ये सब नौजवानों की सेक्सुअल चाह को और उत्तेजित करते हैं। अगर उत्तेजित लालसा को सही राह न मिले तो कुण्ठा जन्म लेती है और समाज में अश्लीलता, और अपराध बढ़ जाते हैं। इन परिस्थितियों में शादी के पहले सेक्स लाजिमी हो गया है।
शादी के पहले बालिग स्त्री पुरुष का आपसी सहमति से सम्भोग करना कोई पाप या अपराध नहीं है।

किस उम्र का साथी प्रथम सम्भोग के लिए उचित है?

प्रथम सम्भोग के लिए कानूनन लड़के और लड़की की उम्र 18 साल के ऊपर होनी चाहिए। मेरा अनुभव यह है कि किसी लड़के को प्रथम सम्भोग अपने से बड़ी शादीशुदा या कुआंरी स्त्री से करना चाहिए। इसी प्रकार किसी लड़की को भी प्रथम सम्भोग अपने से बड़े पुरुष के साथ करना चाहिए। ऐसा करने से नौजवानों को बड़ों के अनुभव का फायदा मिल जाता है।

धार्मिक और सामाजिक मान्यताएँ कुछ और कहती हैं, क्या करें?

धार्मिक उपदेशों ने समाज में बहुत पाखण्ड पैदा किया है, जूठी नैतिकता ने मनुष्य के दिमाग को भ्रमित कर दिया है। धर्म डर और अज्ञान की उपज है। धर्म के नाम पर समाज पर बहुत सी वर्जनाएँ लादी गई हैं। समय के साथ कोई उनमें बदलाव नहीं करना चाहता। सेक्स भगवान (प्रकृति) की दी हुई नेमत है। प्रकृति हमें बुरी या पापयुक्त चीजें नहीं देती इसलिए प्यार और सेक्स पूर्णतया प्राकृतिक और ईश्वरीय है, इनमें कोई पाप नहीं है।
जो धर्म गुरु लोगों के सामने तो बड़ी बड़ी बातें करते हैं और एकांत में सेक्स के बारे में ही सोचते हैं और कुकृत्य करने से भी नहीं कतराते, वे पाखण्डी हैं।
पाखण्ड मनुष्य के दिमाग की उपज है काम वासना ईश्वर प्रदत्त है। काम वासना सही तरीके से तृप्त करना पाखण्ड से बेहतर है। अगर आप आपसी सहमति से बालिग उम्र में सम्भोग करते हो तो आपको जो परम सुख प्राप्त होगा वह कहीं और नहीं मिलेगा।

मैं शादी-शुदा नहीं हूँ मगर सम्भोग की तीव्र इच्छा होती है क्या करूँ?

जैसे हमें भोजन और नींद की जरूरत होती है, वैसे ही सम्भोग की इच्छा शरीर की एक नैसर्गिक जरूरत है। चूँकि यह ईश्वर प्रदत्त जरूरत है इसलिए इस इच्छा का समाधान भी जरूरत के अनुसार भोजन और नींद के समान करना होगा। इस इच्छा के विरुद्ध आप लड़ नहीं सकते। आप स्त्री हो या पुरुष इस तरह की इच्छा उत्पन्न होने में न तो कोई पाप है न ही यह कोई गलत काम है।
हर समाज में क्या गलत क्या सही, यह निश्चित करने के अलग अलग मापदंड हैं। आचरण सही है या गलत इस के बारे में कोई निरपेक्ष सत्य नहीं है।
जानवरों की दुनिया में सेक्स वयस्क होते ही शुरू हो जाता है। मगर इस युग में इंसानों की दुनिया में वयस्क होते से ही सेक्स करना असम्भव है।
इसका बड़ा कारण करियर बनाने के लिए शादी की उम्र बढ़ना है। इस हालत में इस समस्या का उचित हल है अपना ध्यान दूसरी गतिविधियों जैसे पढ़ाई, संगीत, खेल, आदि कलाओं में लगाना।
इससे सेक्स की तरफ ध्यान कम बंटेगा मगर इच्छा पूर्णतया ख़त्म नहीं होगी। वैसे यह व्यक्ति विशेष पर निर्भर करता है कि उसकी सेक्स उत्तेजना कितनी बलवती है।
एक उपाय हस्तमैथुन करना है। अगर आपकी काम वासना हस्तमैथुन से भी तृप्त न हो और अगर आप कानूनन वयस्क है तो किसी के साथ कैजुअल सेक्स कर सकते हैं।
मगर याद रहे सेक्स पूर्ण सहमति से होना चाहिए। असहमति से किया गया सेक्स अपराध है।
आपको यौन बिमारियों (STD)से बचने के लिए और स्त्री को गर्भाधान से बचने के लिए कंडोम का इस्तेमाल करना चाहिए।
दूसरी बात, कभी भी सेक्स के बाद अपने मन में पाप या अपराध की भावना न आने दें, इसमें कुछ बुरा नहीं है।
यह तो वैसे ही है जैसे कभी कभार आप बाहर खाना खाते हैं।
यदि आप जबरन इस इच्छा को दबायेंगे तो वह और बलवती होगी। आप दूसरे जरूरी काम में ध्यान केन्द्रित नहीं कर पाएँगे, आप कुंठित और विचलित रहेंगे।

अगर सेक्स स्वछंद रूप से किया जा सकता है तो शादी क्यों?

मानव जाति में शादी की प्रथा जरूरत और मजबूरियों की उपज है। पाषाण युग में मनुष्य अन्य जानवरों की तरह रहते थे और सेक्स भी वैसे ही करते थे। बहुदा इसमें नर नारी के साथ सम्भोग के लिए लड़ते थे, इस लड़ाई में प्रकृति बलवान का ही साथ देती थी।
धीरे धीरे मनुष्य समूह में रहने लगे, और परिवारों का जन्म हुआ।
परिवार में मुखिया और उसके बच्चे मिलकर खेती और शिकार करने लगे और शादी की प्रथा की शुरुआत होने से हर नर को शांति पूर्वक सम्भोग करने का मौका मिला।
इस तरह जीवन थोड़ा अनुशासित हुआ और परिवार बने।
इसके बाद धर्मों का प्रादुर्भाव हुआ। धर्म शादी की प्रथा में और भी रस्में लेकर आये, समाज में अनुशासन और बढ़ गया।इन सब तरीकों से समाज के कमजोर और बलवान सभी को सम्भोग का आनन्द और अपनी पीढ़ी को आगे बढ़ाने में सहायता मिली।
यही शादी प्रथा का सबसे बड़ा मार्गदर्शक नियम बना।
दूसरे शब्दों में शादी सेक्स और वंश वृद्धि करने का सामाजिक लाइसेंस है।
आज के समय भी शादी के बिना सेक्स आजादी से नहीं कर सकते। बिना शादी के एक पुरुष और स्त्री एक साथ रहने पर सामाजिक मान्यता नहीं मिलती। ऐसे सम्बन्धों के नतीजन अगर बच्चा हो जाये तो उस स्त्री और बच्चे का जीवन दूभर हो जाता है। ऐसी हालत में शादी एक बहुत मजबूत विकल्प है।
शादीशुदा जोड़े जब चाहें तब सम्भोग कर सकते हैं जबकि बिन शादी के सम्भोग के मौके बहुत कम मिलते हैं। शादीशुदा लोग बिना शादीशुदा लोगों से अधिक बार सम्भोग करते हैं।
इस हालत में जिन स्त्री पुरुषों की काम वासना बहुत तीव्र होती है, उन्हें शादी करना बहुत जरूरी है।
दुनिया में 90 प्रतिशत स्त्री पुरुषों को सेक्स में रूचि होती है, दस प्रतिशत ही होंगे जिन्हें सेक्स में रूचि नहीं होती।
प्रकृति में जितनी विभिन्न प्रजातियाँ हैं उनमे सिर्फ मनुष्य ही ऐसा प्राणी है जोकि अपनी वंश वृद्धि के बजाय ज्यादा से ज्यादा संभोग आनन्द प्राप्ति के लिए करता है।
मनुष्य 7×24 घंटे कामुक रहता है इसके विपरीत जानवर अपने नैसर्गिक आवेग में सिर्फ अनुकूल परिस्थितियों में वंश वृद्धि के लिए कामुक होकर सम्भोग करते हैं।
मनुष्य में काम इच्छा परिस्थिति जन्य नहीं है, हमेशा मौजूद रहती है। शादी मनुष्य को कभी भी सेक्स करने की आजादी और सहूलियत देती है।
मनुष्यों को प्रकृति ने एक और क्षमता दी है। मनुष्य दूसरे को सेक्स करते देख कर, बातों से, फोटो या फिल्म देख कर उत्तेजित हो जाता है, जानवरों को यह क्षमता नहीं होती।
सम्भोग से सुख प्राप्ति के अलावा शादी का एक बहुत महत्व पूर्ण उद्देश्य परिवार का उत्तरदायित्व पूर्ण पालन और वंश वृद्धि है।
शादी से स्त्री पुरुष और उनके बच्चों को संयुक्त रूप से संरक्षण और पालन करने की सहूलियत मिलती है।
इसके अलावा बच्चों का पालन पोषण एवं शिक्षा आदि का उत्तरदायित्व माता पिता ठीक से निभा पाते हैं, पति पत्नी साथ रह कर सुख दुःख के साथी बनते हैं, बिमारी एवं बुढ़ापे में एक दूसरे का सहारा मिलता है, मनुष्य की भावनात्मक एवं मानसिक शांति के लिए यह सब आवश्यक है।
इसलिए कुछ अपवादों को छोड़ कर, शादी की अपनी एक अहमियत है जिसे नकारा नहीं जा सकता।

एक जोड़े, युगल को कितनी बार सेक्स करना चाहिए?

जैसा मैंने पहले कहा है सेक्स भी शरीर की भूख होती है। आप अपनी जरूरत के हिसाब से खाना खाते हैं, पानी पीते हैं, उसी तरह अपनी काम इच्छा के अनुसार सेक्स भी कर सकते हैं।
सेक्स की भूख नैसर्गिक रूप से नियंत्रित होती है और हर व्यक्ति में इसका वेग अलग अलग होता है, इसमें आप ज्यादती नहीं कर सकते।
हर व्यक्ति की काम वासना और काम उर्जा अनुवांशिक और आसपास के वातावरण पर निर्भर करती है। इसी वजह से उन दम्पतियों को, जिनकी कामेच्छा विरोधी होती है, बहुत समस्या होती है और यह मनमुटाव का एक बड़ा कारण होता है।
हमारे देश में 45 के ऊपर के ऊम्र के दम्पति अपने को बूढ़ा मान कर सम्भोग की आवृति कम कर देते हैं, यह गलत धारणा है।
संभोग की क्रिया को ताऊम्र जारी रखना चाहिए जिससे दोनों संगी चुस्त तंदुरुस्त रहते हैं, उनके जनांग भी सक्रिय रहते हैं।
एक स्टडी के अनुसार नियमित सम्भोग करने वाले लोगों की आयु ब्रम्हचर्य का पालन करने वालों से ज्यादा होती है।
इस अनुसार देखें तो शादी के पहले दशक में विभिन्न जोड़े हफ़्ते में पांच छह बार से लेकर दिन में तीन चार बार सम्भोग करते हैं। इसके बाद कम से कम हफ़्ते में दो से तीन बार तो सम्भोग करते रहना चाहिए।
असल में शादी के दस साल बाद पति पत्नी की जवाबदेहियाँ बढ़ने लगती हैं, जैसे आफिस में काम, बच्चों का पालन, शिक्षा आदि। इस वजह से कामेच्छा कम हो जाती है।
दूसरा कारण चिन्ता और ख़राब तंदुरुस्ती है।
अंत में यही कहा जा सकता है कि इस प्रश्न का उत्तर पति पत्नी के आपसी सामंजस्य और पारिवारिक जवाबदेही पर निर्भर है।

सेक्स में रूचि किस तरह बरक़रार रखी जाये?

एक बात याद रखें सम्भोग किसी भी रोज किसी भी समय किया जा सकता है। जब आप उत्तेजित हों तब संभोग करें। कोई समय निश्चित न करें। प्रातःकाल लिंग में स्वाभाविक रूप से तनाव रहता है, यही समय सबसे उपयुक्त है। दोपहर का समय भी अनुकूल होता है। रात में किये जाने वाला सेक्स एक तरह से नित्यचर्या समान होता है क्योंकि दोनों दिनभर के परिश्रम से थके होते हैं।
इसके आलावा संयुक्त परिवार में सेक्स के लिए बहुत कम मौका मिलता है। जो मौका मिलता है उसमे फोरप्ले के लिए कोई समय नहीं मिलता, सम्भोग जल्दी ख़त्म करना पड़ता है, सम्भोग जानवरों की तरह वंश वृद्धि का एक साधन मात्र रह जाता है। सेक्स भी एक तरह का रोजमर्रा का एक काम हो जाता है, इस वजह से सेक्स का आनन्द ख़त्म हो जाता है और धीरे धीरे इच्छा भी मर जाती है।
सेक्स के लिये पुरुष और स्त्री को एकांत और समय आवश्यक है।
इसके अलावा अपने आप को चिन्ता और तनाव से मुक्त रखें।
संभोग के पहले ज्यादा Foreplay करें।
जब आप सम्भोग कर रहे हों तो दूसरी बातें न तो करें और न ही सोचें।
हाँ अगर आप सेक्स के बारे में ही बातें करें या सोचे तो और बेहतर है।
सम्भोग करने की जगह, समय और आसन बदलते रहें। जरूरी नहीं है कि सेक्स बेडरूम में ही किया जाये।
Oral सेक्स (मुख मैथुन) करें।
हमेशा सम्भोग कुछ नए तरीके से करने का सोचें, जैसे दोनों एक साथ कोई उत्तेजक चित्र या फिल्म देखें।
सेक्स टॉयज आजमायें।
इसके अलावा साथ साथ नहायें, बाहर जा कर या कार में सेक्स करें आदि।
बदलाव के बिना सेक्स में रूचि बरकरार नहीं रखी जा सकती।

क्या मुख मैथुन (Oral Sex) सही है?

दोनों साथी स्वस्थ हों तो मुख मैथुन बिल्कुल गलत नहीं है। इस सवाल का कोई सुनिश्चित उत्तर भी नहीं हो सकता क्योंकि यह बात पूर्ण रूप से दोनों साथियों पर निर्भर करती है कि वे क्या पसन्द करते हैं।
अगर दोनों साथियों को कोई संक्रमण नहीं है और वे अपने यौन अंगों को साफ रखते हैं तो मुख मैथुन करने में कोई बुराई नहीं है। मुख मैथुन से सम्भोग का आनन्द दुगुना हो जाता है और नारी को उत्तेजित करने में बहुत सहायता मिलती है।
नारी की भगनासा (Clitoris) बहुत संवेदन शील होती है, जैसा कि नर का लिंग मुंड, इसे चूमने और चूसने से नारी बहुत जल्दी उत्तेजित हो जाती है।
मुख मैथुन Foreplay का एक बहुत महत्त्व पूर्ण हिस्सा है। जिन्हें पसन्द हो उन्हें जरूर करना चाहिए।

क्या माहवारी (Menstruation)में सम्भोग उचित है?

माहवारी में सम्भोग करने में कोई हर्ज नहीं है, दो चार बातें ध्यान में रखना है, कुछ स्त्रियों को माहवारी में बहुत परेशानी होती है, जैसे की कमर या पीठ में दर्द, सर दर्द पेट दर्द आदि।
कुछ पुरुषों या स्त्रियों को अच्छा नहीं लगता, किन्ही को डर भी लगता है, धार्मिक मान्यताएँ भी आड़े आती हैं।
ऐसे में सम्भोग आपसी सहमति से करें।
इसके विपरीत कुछ लोगों को कोई परेशानी नहीं होती। जो स्त्रियाँ तंदुरुस्त होती हैं उन्हें इस अवस्था में सम्भोग से कोई एतराज नहीं होता।
एक स्टडी में यह बात सामने आई है की कुछ स्त्रियों को माहवारी के समय योनि में एक अजीब सी मीठी खुजली महसूस होती है। इस समय उनकी योनि अधिक सन्वेदनशील होती है। इस समय सम्भोग करने पर लिंग के योनि के अन्दर घर्षण से उन्हें बहुत सुकून मिलता है और आनन्द प्राप्त होता है।
लिंग से योनि की सफाई भी हो जाती है। माहवारी के समय झांट के बाल शेव कर लें तो बहुत अच्छा है।
माहवारी में सम्भोग करने से स्त्री पुरुष दोनों को कोई नुकसान नहीं है, अपनी अपनी पसन्द है।

गुदा मैथुन करना चाहिए की नहीं?

जैसा कि पहले कहा जा चुका है कि सेक्स ईश्वर प्रदत्त एक नैसर्गिक देन है। इसके लिए हमें प्रकृति ने लिंग और योनि जैसे अति सुन्दर अंग दिए हैं। अगर आप प्रकृति की ओर देखें तो पाएँगे कोई भी जानवर गुदा मैथुन नहीं करता।
गुदा मैथुन अप्राकृतिक है और विकृति भी है, फिर चाहे यह दो पुरुष या एक पुरुष और एक स्त्री के बीच हो।
गुदा मैथुन अस्वास्थ्कर भी है। एक पुरुष को दूसरे पुरुष के लिंग के प्रति और एक स्त्री को दूसरी स्त्री की योनि के प्रति उत्सुकता हो सकती है, मगर यह उत्सुकता सिर्फ एक दूसरे के अंग को दुलारने या चूमने तक ही सीमित होनी चाहिए।

क्या शादी के बाहर सेक्स उचित है?

बरट्रांड रसेल ने कहा है ‘अगर आपकी शादी बहुत मजबूत प्रेम और विश्वास पर टिकी हो तो उसे खोने के लिए कुछ भी नहीं है अगर आप शादी के बाहर भी सेक्स करते हैं।’
हमारे संस्कार और मान्यताएँ हमें शादी के बाहर सेक्स करने से रोकती हैं, सामाजिक बंधन भी आड़े आते हैं।
इस बाबत एक प्रकार का डर सदियों से हमारे खून में है। अक्सर देखा गया है कि शादी के कुछ साल बाद पति पत्नी में सेक्स का आकर्षण कम हो जाता है और सेक्स भी रोजमर्रा का काम लगने लगता है।
शादी के बाहर सेक्स इस परिस्थिति को तोड़ कर वैवाहिक जीवन में नये उत्साह का संचार कर सकता है।
शादी के पहले या बाद आपसी सहमति से आप कोई भी दो वयस्क सेक्स कर सकते हैं। जब तक आप अपने जीवन साथी की भावना को नुकसान नहीं पहुँचाते, शादी के बाहर भी सेक्स जायज है। इसके लिए पति और पत्नी के बीच पूर्ण आपसी विश्वास और अच्छा संवाद होना चाहिए।
अगर पति और पत्नी इसे सही परिपेक्ष्य में लें तो बाहरी सेक्स उनके वैवाहिक जीवन में बहुत प्रेरक और उत्तेजक स्रोत साबित हो सकता है और उन्हें सम्भोग में नई स्फूर्ति प्रदान कर सकता है।
उदाहरणार्थ आप कभी होटल में खाना खाते हैं और उसे पसन्द भी करते हैं तो क्या घर का खाना छोड़ देते हैं? नहीं ना, आप बाहर खाना सिर्फ बदलाव के लिए खाते हैं, इसी तरह सेक्स भी कभी कभी बदलाव के लिए किया जा सकता है।
ज्यादातर लोग सदियों की धार्मिक और सामाजिक मान्यताओं और नैतिकता के वशीभूत इन स्वछंद विचारों से सहमत नहीं होंगे।
उनकी सोच में शादी के बाहर सेक्स पाप है और इससे शादी टूट जाएगी। जो भी हो अगर दोनों में से एक भी साथी को मंजूर नहीं है तो शादी के बाहर सेक्स की जोखिम ना लें।

चूत चुदाई की प्रेम कहानी

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मेरा नाम जीत है मेरा कद 5’9″ है.. रंग गोरा और साधारण शरीर है। मैं अहमदाबाद का रहने वाला हूँ और अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ।

यह बात 3 साल पहले की है.. हमारे पड़ोस में एक नया परिवार रहने आया था।
उस परिवार में पांच लोग थे.. अंकल, आंटी.. उनका 25 वर्षीय बेटा अरुण.. 22 वर्षीय बेटी प्रीति.. 19 वर्षीय मोनिका..
शर्मा जी बैंक में नौकरी करते थे। आंटी का स्वभाव बहुत अच्छा था.. थोड़े समय में ही वो हम सब से घुल-मिल गई थीं।
मोनिका और मेरी बहन एक ही कॉलेज में जाती थी। अरुण की थोड़े समय में जॉब लग गई थी। प्रीति भी नौकरी की तलाश में थी।
उसने बी.टेक. किया था लेकिन उसको कोई जॉब नहीं मिल रही थी.. क्योंकि वो यहाँ नई थी।
मैंने उसके लिए मेरी कंपनी और दूसरी तीन-चार कंपनियों में नौकरी के लिए कोशिश की तो उस मेरे ऑफिस के पास की एक कंपनी में नौकरी मिल गई।
उस दिन वो बहुत खुश थी.. उसने मुझे थैंक्स कहा।
प्रीति अच्छे नयन-नक्श वाली साधारण लड़की थी.. उसकी सादगी की वजह से मैं उसको मन ही मन चाहने लगा था.. लेकिन कभी कह नहीं पाया.. मौका ही नहीं मिला।
एक बार जब मैं ऑफिस जा रहा था.. तो मैंने देखा कि वो बस के इंतजार में खड़ी थी।
मैंने उससे कहा- मेरे साथ चलो न…
तो उसने मना किया.. मेरे जिद करने पर वो मेरे साथ जाने को तैयार हुई।
उसके बाद ऐसा कई बार हुआ एक बार मैंने उससे कहा- क्या वो मेरे साथ कॉफ़ी पीने चलेगी?
तो पहले उसने मना किया और फिर बाद में मान गई।
हम सीसीडी गए.. वहाँ मैंने उससे मेरे बारे में पूछा.. तो उसने कहा- वो मुझे एक अच्छा दोस्त मानती है।
मैंने हिम्मत करके उसको ‘आई लव यू’ बोल दिया.. तो उसने कहा- मैं इस बारे में बाद में बताऊँगी।
उसके बाद उसके भाई का तबादला मुंबई हो गया।
थोड़े दिन बाद एक दिन रात को में छत पर खड़ा था.. तभी वो अपनी छत पर आई, हमारी छत की दीवार मिली हुई थीं।
मैंने उससे मेरे लिए जवाब पूछा.. तो वो हंसी और उसने शर्म से अपना चेहरा छुपा लिया।
मैं समझ गया.. हंसी मतलब फंसी…
मैं दीवार फांद कर उसकी छत पर गया और उसके चेहरे से उसके हाथ हटा कर उसके गाल पर चुम्बन किया.. तो वो मुझसे लिपट गई।
मैंने उसको कस कर अपनी बांहों में भर लिया और उसके गुलाबी चेहरे को थोड़ा ऊपर किया। उसके होंठ एकदम लाल थे.. उसकी आँखें बंद थीं।
मैंने उसके कांपते हुए होंठों को अपने होंठों में बंद कर लिया।
दोस्तो, उस समय में जो महसूस कर रहा था वो मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता।
दस मिनट बाद जब आंटी ने आवाज लगाई.. तो हम अलग हुए।
उसके बाद जब भी हमें मौका मिलता तो हम एक-दूसरे से प्यार करते.. कभी छत पर तो कभी पार्क में…
एक बार उसके ऑफिस में हाफ-डे था और उसने घर पर नहीं बताया था.. तो मैंने ऑफिस से छुट्टी ली और हम दोनों मूवी देखने चले गए।
सिनेमा हॉल में भीड़ कम थी हमने कोने की टिकट ली और मूवी देखने लगे।
मैं उसकी कुर्ती के अन्दर से उसके 34″ साइज़ के मम्मों को दबा रहा था.. मूवी में एक बेडरूम सीन आया.. मैं उसको चुम्बन करने लगा।
मैंने अपना लंड निकाल कर उसके हाथ में दिया.. तो वो उसको सहलाने लगी।
मैंने उसको चूसने को बोला.. तो उसने मना कर दिया.. मैंने जिद करके उसको चूसने के लिए मनाया।
उसके बाद मूवी ख़त्म होने तक हमारी मूवी चलती रही.. उसके बाद हम घर आ गए।
शाम को मौसम बहुत सुहाना था.. जब हम छत पर मिले तो उसने बताया कि अंकल आंटी सत्संग में गए हैं.. तीन घंटे बाद आएंगे और मोनिका पढ़ने के लिए अभी-अभी हमारे घर आई थी।
मैं समझ गया कि दोपहर को जो काम अधूरा रह गया था.. उसको पूरा करने का अच्छा मौका है.. बाद में पता नहीं कब मिले।
मैं उसकी छत पर गया और उसको वहीं पर चुम्बन करने लगा.. तो वो बोली- अभी रात नहीं हुई.. कोई देख लेगा।
तो मैं उसको लेकर नीचे उसके कमरे में आ गया।
उसको कमरे में छोड़ कर मैं बाहर दरवाजा बंद करके आया ताकि कोई आ ना सके।
जब मैं कमरे में पहुँचा तो प्रीति दीवार की तरफ मुँह करके खड़ी थी।
मैंने पीछे से उसको बांहों में लिया और उसकी गर्दन पर चुम्बन करने लगा तो वो पलट कर मेरे सीने से लिपट गई।
अब मैं उसके होंठों को चूस रहा था और मेरे हाथ उसकी पीठ पर उसकी कुर्ती की चैन खोल रहे थे।
मैंने उसको चुम्बन करते हुए उसकी कुर्ती और ब्रा.. दोनों पीछे से खोल कर.. उसके कन्धों पर से नीचे सरका दी।
जब उसको पता चला तो वो थोड़ा शरमाई.. लेकिन तब तक दोनों चीजें उससे अलग हो चुकी थीं।
अब उसके स्तन मेरे सामने नंगे थे.. मैंने अपनी टी-शर्ट उतारी और उसको दीवार के साथ खड़ा करके उसके स्तन चूसने लगा। स्तन चूसते-चूसते उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और उसकी सलवार नीचे सरक गई।
उसने उसको सँभालने की कोशिश की.. लेकिन मैंने उसका गोद में उठा कर बेड पर लेटा दिया और उसकी चड्डी भी उसके शरीर से अलग कर दी।
उसकी कुंवारी चूत देख कर मुझे नशा होने लगा।
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मैंने मेरे बाकी के कपड़े उतारे और उस पर लेट गया।
मैंने ऊपर से चूमना शुरू किया होंठ, स्तन, पेट, टाँगें और फिर चूत.. उसकी महक मैं आज तक नहीं भूला.. मैं उसकी चूत को चूसने लगा।
कुछ ही देर में हम 69 की अवस्था में आ गए थे.. वो मेरा लंड चूस रही थी।
धीरे-धीरे उसका शरीर अकड़ने लगा वो झड़ रही थी.. मैंने उसकी चूत का पानी पिया.. उसकी चूत पूरी गीली थी।
मैंने सोचा अब सही मौका है.. मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा लेकिन वो अन्दर नहीं जा रहा था।
मैंने उसकी कमर के नीचे तकिया लगाया और उसकी टांगों को चौड़ा करके.. लंड उसकी चूत पर रखा और उस पर लेट कर उसको चुम्बन करने लगा।
अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा.. उसके मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थीं।
मैंने उसके होंठों पर होंठ रखे.. उसको कस कर पकड़ लिया और एक झटका लगाया तो आधा लंड अन्दर घुस गया।
वो चीखी लेकिन मेरे होंठों में उसकी चीख दब कर रह गई।
मैंने लंड को थोड़ा बाहर किया और एक तेज झटका और लंड झिल्ली तोड़ते हुए अन्दर तक गया.. वो जोर से चीखी और रोने लगी।
बोली- बाहर निकालो…
मैंने उसको समझाया, ‘जान.. बस हो गया.. अब तो आगे जन्नत है…’
थोड़ी देर में वो नार्मल हुई और मैंने उसके होंठों को चूसना और स्तन दबाने चालू रखे।

थोड़ी देर में उसको चूत चुदाई का मजा आने लगा।
मैंने रफ़्तार बढ़ा दी.. दस मिनट के बाद मैं झड़ने वाला था.. तब तक वो एक बार झड़ चुकी थी।
जब मेरे लण्ड ने वीर्य धार छोड़ी तो उसकी गर्मी से वो एक बार और झड़ गई।
थोड़ी देर तक हम वैसे ही लेटे रहे जब हम उठे तो उसने बिस्तर पर खून और वीर्य के निशान देखे.. तो मैं बोल उठा, ‘जान ये हमारे प्यार की निशानी है।’
उसके बाद.. जब भी हम को मौका मिलता.. तो हम एक हो जाते।
आपको हमारी यह चूत चुदाई की प्रेम कहानी कैसी लगी?

प्यारी चुदाई का मीठा-मीठा दर्द (Pyari Chut Chudai Ka Mitha-Mitha Dard)

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hi मैं सुनीता भाभी । मेरे सारे  देवर को bhauja.com की ये कहानी को स्वगात  करता हूँ ।


दोस्तो, मेरा नाम प्रदीप है। मैं मध्य प्रदेश का रहने वाला हूँ। हर दिन मैं BHAUJA मैं  चुदाई की कहानी पढता हूँ । मैं यहाँ मेरी पहली और सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ। जिस घटना के बारे में मैं लिख रहा हूँ उस वक्त मेरी उम्र 21 की थी। मैं एक इंजीनियरिंग का छात्र हूँ। मेरी हाइट 5’9″ है और मेरा लंड 8″ का है। मैं भोपाल में रह कर अपनी पढ़ाई करता था।
मेरी गर्लफ्रेंड भी हमारे घर से कुछ ही दूर पर रहती थी.. उसका नाम सोनम है। मेरी गर्लफ्रेंड की उम्र 20 वर्ष.. हाइट 5’4″ और फिगर 30-26-30 है।
भोपाल आ जाने के बाद मेरा दिल नहीं लगता था दिल मिलने के लिए बेकरार रहता था.. पर हम दोनों के शहरों के बीच में दूरी काफ़ी थी। चाहता था कि सोनम को भी अपने पास बुला लूँ।
हम दोनों के बीच फोन से काफ़ी बात होती थीं। हम लोग हर तरह की बात करते थे। पहले वो सेक्स वाली बातें नहीं करती थी.. फिर कुछ दिन बाद हम दोनों वो सारी बातें करने लगे।
एक दिन वो बात करते-करते बहुत गर्म हो गई.. तो मैंने उससे कहा- सोनम सेक्स करने का बहुत मन कर रहा है।
उसने भी कहा- हाँ यार.. मेरा भी बहुत मन करता है।
मैंने कहा- मैं होली में घर आ रहा हूँ।
तो उसने कहा- प्रदीप जल्दी आओ.. अब मुझसे नहीं रहा जाता है।
फिर मैं एक हफ्ते बाद होली के छुट्टी में घर चला गया। मैं पहुँचते ही सबसे पहले सोनम के घर गया वो मुझे देख कर बहुत खुश हुई।
रात को हमने अगले दिन सेक्स करने का पूरी प्लानिंग की।
मैंने उसे बताया- कल तुम कॉलेज जाने को निकलना और घर में अपनी किसी फ्रेंड के यहाँ रुकने का बहाना बना देना।
वो जब कॉलेज से निकली.. तब अपने किसी फ्रेंड से घर में कॉल लगा कर उसके यहाँ रुकने का बहाना बना दिया।
मैं भी घर में अपने एक दोस्त के बर्थडे पार्टी में जाने का बहाना बना कर रात में वहीं रुकने का बता कर निकल गया।
फिर हम लोग वहाँ से करीब 50 क़ि.मी. दूर मेन सिटी में चले गए। करीब 5 बजे शाम को हम लोग होटल पहुँचे.. एक कमरा लिया और कमरे में चले गए।
यह पहली बार था कि मैं और सोनम एक कमरे में अकेले थे इधर कोई अन्य रोक-टोक करने वाला भी नहीं था।
मैंने उसके सामने अपने कपड़े बदले.. वो शर्मा गई और खुद कपड़े चेंज करने के लिए बाथरूम में चली गई। चूंकि हम लोगों की पहले से प्लानिंग थी.. इसलिए हम लोग अपने एक्स्ट्रा कपड़े छुपा कर ले आए थे।
वो चेंज करके निकली.. तो मैं अन्दर से इतना खुश हो गया था कि आज तो इसकी सील तोड़ ही दूँगा। मैंने उसको नाइट ड्रेस में पहली बार देखा था। मेरा 8 इंच का लंड ‘टन.. टन..’ कर रहा था.. पर वो इतना लंबे सफ़र के वजह से थक चुकी थी।
वो मेरे बगल में आकर बैठ गई। कुछ 5 मिनट तक हम लोगों ने बात की और मेरे से रहा नहीं गया तो मैं सीधे उसको ‘लिप किस’ करने लगा। इसके साथ ही मैं उसके दूध मसलने लगा।
वो अब जोश में आ गई और मेरा लंड पकड़ कर रगड़ने लगी।
यह हम लोगों के लिए पहला चुदाई का मजा वाला अवसर था।
फिर मैंने सोनम के सारे कपड़े 2 मिनट के अन्दर उतार दिए और उसके जिस्म से खेलने लगा। उसके चूत के बाल बढ़े हुए थे और उसकी चूत में रस निकल रहा था। ये देखकर मैं पागल हो रहा था।
मैंने अपना लंड हिलाया.. लंड का साइज़ देखकर सोनम डर गई, वो बोली- मेरी चूत आज फाड़ दोगे क्या.. ये तो अन्दर जाएगा ही नहीं?
मैं बोला- चूत तो क्या.. आज गाण्ड में भी घुस जाएगा।
मैं उसकी चूत का रस चूसने लगा सच में एकदम फ्रेश चूत थी।
मेरा 8 इंच का लंड घुसने के लिए उतावला हो चुका था। फिर मैं ज़्यादा देर रूका नहीं और बिना कन्डोम लगाए अपना लंड का सुपारा उसकी चूत में रखा और धीरे-धीरे पुश करने लगा.. पर लौड़ा अन्दर नहीं जा रहा था।
फिर मैंने एक ज़ोर का झटका मारा तो सुपाड़ा घुस गया और सोनम चिल्लाने लगी- निकालो.. निकालो..
पर मैंने अनसुना करते हुए एक और झटका दिया। इसी तरह 4 झटके में 80% लंड अन्दर चला गया और मैं उसके मम्मों को पकड़ कर चूसने लगा था।
फिर धीमी गति से 15 मिनट चुदाई की और मैंने देखा कि उसका खून निकलने लगा।
तभी वो अकड़ने लगी और झड़ गई.. फिर मेरा भी रस निकलने वाला था।
मैंने लंड बाहर निकाला और कन्डोम लगा कर एक बार फिर फुल स्पीड से पेल दिया और कुछ देर बाद मैं झड़ गया सोनम भी दुबारा झड़ गई।
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अब हम लोग एक-दूसरे को पकड़ कर 20 मिनट तक यूँ ही पड़े रहे।
मैंने खाना ऑर्डर किया और 8:30 बजे डिनर करने के बाद 20 मिनट टीवी देखा.. उसके बाद मैंने फिर से सोनम को दबोच लिया और फटाफट सारे कपड़े उतार दिए। मैं उसके मम्मों को मसलने लगा.. उसकी झांटें देखकर मैं पागल हो जाता था।
सोनम को मैंने जी भर के चूसा और वो फिर चुदने के लिए तैयार हो गई।
मैंने सोचा इस बार इसकी गाण्ड मारूँगा और मैंने उसको पलट दिया और ट्राइ किया.. पर मेरा लंड मोटा होने के कारण अन्दर नहीं जा रहा था इसलिए मैंने सोचा कि फिर कभी गाण्ड मारूँगा.. अभी इसकी चूत ही ढीली कर देता हूँ। फिर मैंने उसे जमकर चोदना चालू किया।
वो ‘आहह.. उहह..’ करके मज़े ले रही थी और बोल रही थी- फाड़ दो.. मेरी चूत फाड़ दो.. और चोदो.. जमके चोदो.. इस तरह की आवाजें सुन कर मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी।
मैंने इसी उत्तेजना के दौर में लंड निकाला और उसके मुँह में डाल दिया। उसने भी दो बार मेरा लंड चूसा और फिर मैंने लौड़ा मुँह से निकाल कर उसकी रसीली चूत में डाल दिया।
करीब 25 मिनट चोदने के बाद मैंने अपना रस उसके मम्मों पर गिरा दिया और थोड़ी देर बाद सब साफ़ करके हम लोग नंगे ही लेट गए।
एक-दूसरे को देखते-देखते अभी रात के 11 बज चुके थे.. सोनम थकी हुई थी इसलिए वो सो गई.. पर मेरे पास सिर्फ़ रात भर का टाइम था।
मुझे नींद नहीं आ रही थी। मैं चोदने के तरीके सोच रहा था। एक बजे रात को मैंने उसके मम्मों को रगड़ना शुरू किया। वो नींद में थी मैंने उसको उठाया और बोला- सोनम मुझे फिर से चोदना है।
वो बोली- सो जाओ.. नींद आ रही है..
मैंने उसकी एक ना सुनी और उस पर चढ़ गया। मैं अपना लंड रगड़ने लगा.. वो भी तैयार हो गई और मेरा साथ देने लगी।
अब हमने ज़्यादा टाइम वेस्ट नहीं किया फिर मैंने उसकी चूत में लंड डाला और अन्दर-बाहर करने लगा।
वो ‘अया.. उहह.. और चोदो..’ इस तरह की कामुक बातें बोले जा रही थी।
मैं उसे पेले जा रहा था। मैंने धकापेल 15 मिनट चुदाई की.. फिर हम दोनों ही एक साथ झड़ गए.. और वो लस्त होकर सो गई।
फिर मैं भी सो गया..
अचानक नींद खुली तो देखा सुबह के 5 बज रहे थे।
मैं फिर से उस पर चढ़ गया और बोला- जल्दी चोदने दो.. टाइम नहीं है।
उसने भी जल्दी से टाँगें फैला दीं और मेरा साथ दिया।
करीब 20 मिनट तक मैंने कन्डोम लगा के उसे फिर पेला.. इस बार वो पहले झड़ ही चुकी थी.. लेकिन मुझे मज़ा आ रहा था और फिर थोड़ी देर में सोनम थक कर चूर हो चुकी थी.. वो फिर सो ग।
फिर वो सुबह 8 बजे उठी.. बाथरूम गई उधर से आने के बाद.. मैंने फिर उसे पेला।
इस बार वो मेरे ऊपर थी.. मैं नीचे से झटके मार रहा था.. पर इस बार 10 मिनट तक ही चोद पाया। उसकी चूत पूरी तरह से फट चुकी थी।
फिर मैंने कन्डोम लगाया और उसके मम्मों को मसलने लगा और थोड़ी देर में पूजा की चूत से रस निकलने लगा। मैंने भी मौका देख कर लंड डाला और धक्के देना चालू कर दिया। मेरा 8 इंच के लण्ड से वो चुद कर बहुत कमजोर हो गई थी। उसकी चूत बहुत दर्द दे रही थी। मैंने जी भर के पेला और वो लेट गई।
हम 11 बजे दिन में निकलने वाले थे। मैंने सोचा एक बार और चोदूँगा। फिर क्या था.. 10 बजे तक एक बार और चोद डाला।
अब सोनम दर्द से चल भी नहीं पा रही थी.. लेकिन थोड़ी देर रेस्ट करने के बाद हम लोग बस में बैठ कर घर आने लगे।
वहाँ से रास्ते भर वो यही कहती रही- क्या चोदा है.. तुमने मुझे.. मेरा पूरा शरीर दर्द दे रहा है। कमर और चूत बहुत दर्द कर रहा है।
मैंने उसे एक दर्द निवारक गोली दी और बोला- बस में आराम से सो जाना।
हम घर पहुँच गए.. उसके बाद तो जैसे चुदाई का सिलसिला ही चल पड़ा। मैंने उसे कई बार उसके और अपने घर में भी बुला कर चोदा।
अब वो मुझसे दूर हो गई है, उसकी पिछले साल शादी हो गई।
लेखक : सुनीता पृस्टी
प्रकाषक : bhauja.com

बहुत कुछ खोया बहुत कुछ पाया-1

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हैलो दोस्तो, मेरा नाम एस के चौधरी है और मैं आगरा से हूँ।
मेरी उम्र 21 वर्ष है मेरा रंग गोरा है यानि कि दिखने में आकर्षक बन्दा हूँ।

मैंने आप लोगों की बहुत सारी सेक्स स्टोरी पढ़ी हैं.. तो मुझे भी अपनी स्टोरी आप सबको बताने का मन हुआ।
मैं आपको अपनी सच्ची स्टोरी लिख रहा हूँ.. अगर मुझसे कोई ग़लती हो तो माफ़ कर देना।
मेरी यह कहानी काफ़ी समय पहले की है जब मैं स्कूल में पढ़ता था। मेरा स्कूल घर से करीब एक किलोमीटर दूर था.. तो स्कूल आने-जाने में परेशानी होती थी।
मैंने पापा को साइकिल के लिए बोला.. तो पापा ने मुझे एक नई साइकिल दिला दी। वो साइकिल छोटी थी.. उसे चलाने में मुझे बहुत मजा आता था। अब मैं रोजाना साइकिल से स्कूल जाता था।
कुछ दिन बाद मेरी साइकिल की चाबी स्कूल में कहीं गिर गई और मेरी चाभी स्कूल की ही एक लड़की को मिल गई।
यह बात मुझे मेरे दोस्त ने बताई कि तेरी साइकिल की चाभी उसके पास है वो अन्य किसी कक्षा में पढ़ती थी, उसका नाम राजेश्वरी था.. तो मैं उसके पास अपनी चाभी लेने गया।
उसके पास जाते ही मैंने अपनी चाभी माँगी.. तो उसने इठला कर कहा- तुम्हें चाभी तो मिल जाएगी लेकिन एक शर्त पर..
मैंने पूछा- बता क्या..
उसने कहा- तुम मुझे रोजाना लंच में अपनी साइकिल चलाने दोगे।
मैंने ‘हाँ’ कर दी।
उसे देख कर मैं क्या.. कोई भी किसी चीज़ के लिए ‘ना’ नहीं कर सकता था। वो एक बहुत सुंदर और सेक्सी.. हॉट माल थी।
उसके गुलाबी गाल.. पतले-पतले गुलाबी रसभरे होंठ.. छोटे-छोटे सन्तरे जैसे मम्मे और मटकती हुई गाण्ड.. मानो घायल कर रही हो। सब लड़के उसे ही घूरते रहते थे।
उसे भी साइकिल का बहुत शौक था.. इसलिए उसने मुझसे दोस्ती कर ली।
दूसरे दिन से वो रोजाना लंच में मेरी साइकिल को स्कूल के मैदान में चलाती रहती। उस साइकिल के वजह से हम धीरे-धीरे काफ़ी पास आ चुके थे।
अब मैं उससे काफ़ी मिलता-जुलता था और बात भी करता था।
हम दोनों की दोस्ती अब आगे बढ़ने लगी और इसी बहाने से मैं उसे बहुत बार चुम्बन भी कर चुका था। मुझे जब भी मौका मिलता.. चुम्बन तो कर ही लेता और उसकी चूचियों भी दबा देता था।
उसकी छोटी सी चीकू जैसी चूचियाँ बहुत सख्त थीं.. हाथ लगाते ही वो दर्द से उछलने लगती थी।
अब धीरे-धीरे हमारी दोस्ती के चर्चे स्कूल में चलने लगे थे। जब ये मुझे लगा कि हमारी लव स्टोरी अब मशहूर हो रही है तो मैंने राजेश्वरी को अपना मोबाइल नम्बर दिया और उससे स्कूल में बात करना बंद कर दिया।
अब हम केवल फ़ोन पर ही बात करते थे.. और उसने अब मेरी साइकिल चलाना भी बंद कर दिया। जिससे कि कोई हमारी दोस्ती के बारे में कुछ न बोले।
अब हमारी लव स्टोरी बहुत आगे बढ़ चुकी थी.. और अब हमें एक-दूसरे के बिना रहना मुश्किल हो रहा था।
हम दोनों जब तक एक-दूसरे के सामने रहते.. खुश रहते और अलग होते ही उदास हो जाते और एक-दूसरे की याद आने लगती थी।
यह देख कर मेरे दोस्त ने मुझसे कहा- उदास रहने और रोने से अच्छा है कि तुम दोनों कहीं भाग जाओ और शादी कर लेना और एक साथ ही रहना।
तो मैंने उससे ये सब करने के लिए मना कर दिया.. लेकिन घर जाके मैं सारी रात ये ही सोचता रहा कि क्या ऐसा करना सही रहेगा।
अब मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ.. तो मैंने राजेश्वरी को फ़ोन किया और उसे घर से भागने का विचार बताया तो पहले तो उसने भी मना कर दिया फिर इस बारे में दूसरे दिन बताने को कहा।
फिर हम दोनों ने फोन पर बातचीत खत्म की.. और सो गए। दूसरे दिन स्कूल से आकर रात को फिर बात की.. तो आज राजेश्वरी मेरे साथ भागने के लिए राज़ी हो गई।
अब हम दोनों भागने का प्लान बनाने लगे। तभी दूसरे दिन किसी ने राजेश्वरी के पापा को हमारी लव स्टोरी के बारे में बता दिया और उन्होंने राजेश्वरी को बहुत पीटा था और उसको मुझसे मिलने या बात करने को मना कर दिया। लेकिन रात को सभी के सो जाने के बाद हम दोनों फोन पर बात करते थे।
उस दिन पिटाई के बाद उसी रात को उसका फ़ोन आया और उसने सारी बातें मुझे बताईं.. तो मुझे उसके पापा पर बहुत गुस्सा आने लगा। मैं उसे भाग चलने के लिए बोलने लगा और वो भी घर से भाग जाना चाहती थी।
अब हमने स्कूल से ही भाग जाने का प्लान बना लिया और दूसरे दिन सुबह मैंने अपने बैग से किताबें निकाल कर छुपा दीं और बैग में अपने कपड़े रख लिए। मैंने पापा के रखे हुए पैसे भी चोरी कर लिए और स्कूल के लिए निकल गया।
उधर राजेश्वरी ने भी अपने बैग से किताबें निकाल कर कपड़े रख लिए और अपनी माँ के ज़ेवर और घर से जितने भी पैसे उसके हाथ लगे.. उसने ले लिए।
अब हम दोनों स्कूल से पहले एक चौराहे पर मिले। इस काम में मेरा एक दोस्त हमारे साथ था।
उसे हमारे बारे में सब पता था। उसने हम दोनों को अपनी बाइक से रेलवे स्टेशन छोड़ा और कॉलेज के लिए चला गया।
मैंने दिल्ली के लिए दो टिकट लीं और प्लेटफार्म पर खड़े होकर ट्रेन का इन्तजार करने लगे। तभी राजेश्वरी ने मुझे अपने पैसे और अपनी माँ के ज़ेवर मुझे दिए.. जो वो अपने घर से चुरा कर लाई थी।
अब हमारे पास करीब 25000 रूपए और ज़ेवर थे। कुछ देर बाद ट्रेन आई और हम दोनों ट्रेन में बैठ कर दिल्ली के लिए निकल गए।
मैं पहले भी कई बार अपने मामा के यहाँ दिल्ली जा चुका था। मुझे दिल्ली के बारे बहुत जानकारी थी और कहीं तो मैं कभी गया ही नहीं था.. इसीलिए मैंने दिल्ली जाना ही अच्छा समझा।
अब ट्रेन आगरा से दिल्ली करीब 4 घंटे में पहुँच गई। दिल्ली आने पर हम ट्रेन से उतरे और स्टेशन से बाहर आगए। हम दोनों ने सुबह से कुछ नहीं खाया था।
अब 3 बजे थे और भूख भी बहुत जोरों से लगी थी.. तो हमने एक फास्ट फूड की दुकान पर जाकर डोसा और पेस्ट्री वगैरह खाई और बस में बैठ कर दोनों दिल्ली घूमने चल दिए। पहले हम कुतुबमीनार पर गए.. फिर इंडिया गेट पर गए और वहीं पर घूमते रहे और मस्ती करते रहे।
अब हमको घूमते हुए रात के 11 बाज चुके थे और हम बुरी तरह थक चुके थे। अब हम खाना ख़ाकर सोना चाहते थे.. तो हम दोनों चल दिए और होटल ढूँढ़ने लगे। थोड़ी चलने के बाद हमको एक होटल मिला और हमने 500 रुपए में एक रात के लिए कमरा बुक किया। अपना सामान कमरे में रख कर खाना खाने के लिए बाहर एक ढाबा पर आ गए और खाना खा कर फिर होटल में चले आए। रिसेप्शन से अपने कमरे की चाभी ली और कमरे में आ गए।
कमरे में आने के बाद मैंने राजेश्वरी को अपनी बाँहों में भर लिया और उसे ख़ुशी से चुम्बन करने लगा।
अब हम दोनों बहुत खुश थे.. और क्यों न हों.. अब हम साथ थे और आज़ाद भी थे। अब हमको कोई रोकने वाला नहीं था।
राजेश्वरी ने खुद को मुझसे छुड़ाया और कपड़े बदलने के लिए बोला.. तो मैं नहाने के लिए चला गया। जब नहा कर बाथरूम से बाहर आया तो देखा कि राजेश्वरी सो चुकी थी।
मैं उसके पास लेट गया और थोड़ी देर मैं मुझे भी नींद आ गई।
दूसरे दिन सुबह करीब 8 बजे मेरी नींद खुली तो राजेश्वरी नहा कर बाहर आई थी और नंगी होकर अपने शरीर को तौलिया से पौंछ रही थी। उसका नंगा बदन देख मेरी आँखों में वासना आ गई। उसका दूध जैसा गोरा बदन और उसकी छोटे-छोटे चीकू जैसी चूचियों और चिकने और बड़े-बड़े चूतड़ देखता ही रह गया।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
उसका साइज़ 30-26-30 था.. उसे देख कर मैंने कहा- वाह भगवान.. क्या चीज़ बनाई है आपने.. बिल्कुल स्वर्ग की अप्सरा जैसी लग रही है।
उसने मेरी आवाज़ सुनते ही तौलिया से अपना बदन ढकना चाहा.. तो मैं बोला- अब मैंने सब देख लिया.. अब क्या फायदा छुपाने से..
तो वो मेरी तरफ देख कर थोड़ा सा मुस्कराई और अपने कपड़े पहनने लगी।
मैं जल्दी से बिस्तर से खड़ा हुआ और उसे बाँहों में भर कर उसे बिस्तर पर डाल दिया। मैं उसके ऊपर लेट गया और उसके मुँह से मुँह लगा कर चुम्बन करने लगा।
मैं उसकी नरम चूचियों को सहलाने लगा था। उसका गोरा बदन मलाई की तरह था थोड़ा सा दबाते ही नीला पड़ जाता था।
मैंने उसकी चूचियों को ज़ोर से दबा दिया तो उसकी दर्द के मारे चीख निकल गई। उसने गुस्से में मुझे धक्का दे कर अपने ऊपर से हटा दिया और खड़े होकर कपड़े पहनने लगी।
मैं भी गुस्से में फ्रेश होने चला गया। अब मैं फ्रेश होते-होते राजेश्वरी के बारे में सोचने लगा तो मेरा लण्ड खड़ा होने लगा।
मेरा लण्ड करीब 6 इंच लंबा और 1.5 इंच मोटे व्यास का था। आज तक मैंने न तो किसी की चुदाई की थी और न ही मुठ्ठ मारी थी। आज पहली बार मैंने राजेश्वरी का नाम लेकर मुठ्ठ मारने लगा.. आह्ह.. मुझे मुठ्ठ मारने में बहुत मजा आ रहा था और कुछ देर बाद मेरा रस निकल गया।
मुझे बड़ा अच्छा महसूस होने लगा। मैंने सोचा जब मुट्ठ मारने में इतना मजा आया है.. तो चूत मारने में तो बहुत मजा आएगा।
मैं अब राजेश्वरी को चोदने की सोचने लगा था.. लेकिन राजेश्वरी मुझे हाथ भी नहीं रखने देती थी।
आप अपने विचारों से अवगत कराने के लिए मुझे ईमेल कीजिएगा।
कहानी जारी है।

बारिश में भीगी कुँवारी ममता (Baris Mein Bhigi Kunwari Mamata)

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चक्रेश यादव
दोस्तों नमस्कार, सुनाइए कैसे हैं आप?
इस बार काफी दिनों बाद आपसे रुबरू हो रहा हूँ। में भी आपकी तरह भौज.com की नियमित पाठक हूँ ।
यह कहानी मेरे एक दोस्त की है तो आगे उसी की जुबानी…

मेरा नाम रवि है, मैं गोरे रंग का एक छरहरे बदन का युवक हूँ। बात तब की है जब मैं इण्टर में पढ़ रहा था।
मुझे खेल में काफी रुचि थी जिससे मेरा शरीर एकदम फिट रहता था। स्कूल में मेरा बड़ा सम्मान था, सभी मेरी इज्जत करते थे। तमाम लड़कियाँ मुझसे किसी न किसी बहाने बात करती थी मगर मेरी उनमें कोई खास दिलचस्पी न थी।
मुझे जो लड़की पसंद थी वो मेरे गाँव की थी, उसका नाम ममता था, वह मुझसे एक कक्षा पीछे थी।
ममता छोटे कद की एक गोरी और स्वस्थ शरीर की खूबसूरत लड़की थी जिस पर स्कूल के कई लड़के मरते थे लेकिन ममता किसी को भी लाइन नहीं देती थी।
मैं उसे पसंद तो करता था मगर एक समस्या ये थी कि मेरे और उसके घर से कुछ दिन पहले झगड़ा हुआ था जिसके चलते बोलचाल बंद थी।
अपनी तरफ से बोलने की मेरी हिम्मत भी नहीं होती थी, डर था कि कहीं यह अपने घर में मेरी शिकायत न कर दे।
वो गाँव की अन्य लड़कियों के साथ पैदल जाती थी और मैं सायकिल से जाता था।
मैं काफी मजाकिया टाइप का था, गाँव की अन्य लड़कियाँ तो मुझसे खूब बातें करती थी लेकिन ममता चुप रहा करती।
जब भी मैं कोई हँसने वाली बात कहता तो बाकी लड़कियाँ तो खूब मजा लेती लेकिन ममता सिर्फ मुस्कुरा कर रह जाती थी।
दिन बीतते गए हमारे स्कूल में अंताक्षरी प्रतियोगिता का आयोजन हुआ।
मैंने भी हिस्सा लिया और ममता ने भी लिया।
वो अपनी कक्षा में अव्वल थी और मैं अपनी कक्षा में।
कई दौर चले अंत में अपनी टीम में मैं और उसकी टीम में वो बची।
अब मेरे और उसके बीच मुकाबला था। खूब जोर-आजमाइश हुई।अंत में जीत उसी की हुई। मैंने उसे वहीं सबके सामने मुबारकबाद दी उसने भी मुस्कुरा कर मुझे धन्यवाद कहा।
कई दिन बीत गए बात आगे न बढ़ सकी लेकिन एक अच्छा बदलाव मैंने देखा कि ममता मुझे देखकर मुस्कुराती रहती थी।
एक दिन में स्कूल जाते समय वो मुझे रास्ते में मिली।
मैंने कहा- ममता पैदल क्यों चल रही हो, आओ मेरी सायकिल पर बैठ जाओ न?
वो मुस्कुराते हुए बोली- सायकिल में कैरियर तो है नहीं कहाँ बैठाओगे?
मैंने कहा- तो क्या हुआ? आगे डण्डे पर बैठ जाना।
शरमाते हुए वो बोली- नहीं तुम्हारा डण्डा मुझे गड़ेगा, मैं न बैठूँगी।
मैंने कहा- नहीं गड़ेगा नहीं, तुम आओ तो सही।
वो थोड़ा सीरियस होते हुए बोली- देखो पीछे दो लड़के आ रहे हैं, तुम जाओ, मुझे फिर कभी सायकिल पर बैठाना।
मुझे मन मारकर जाना पड़ा।
कई दिन बीत गए पर ममता के करीब जाने का मौका न मिला।
अगस्त का महीना था आकाश में काले बादलों ने डेरा डाल दिया था, बारिश के पूरे आसार थे।
उस दिन मेरा आठवाँ घंटा खाली था तो मैं कुछ देर तो इधर उधर घूमता रहा, फिर सोचा कहीं बारिश न हो जाए इसलिए छुट्टी होने के आधा घंटा पहले ही सायकिल उठाई और घर की ओर चल दिया।
अभी मैं स्कूल से थोड़ी दूर ही आया था कि बूँदें पड़ने लगी। मैंने सायकिल भगाई, मैं तेज बारिश शुरु होने के पहले ही घर पहुँचना चाहता था।
स्कूल से लेकर मेरे गाँव तक एक नहरिया (छोटी नहर) थी जिसकी बगल में खेत थे और एक जगह आम का बाग पड़ता था।
बारिश तेज होती चली जा रही थी। मैंने देखा आगे आम के बाग के थोड़ा पहले एक लड़की लम्बी चाल में चली जा रही थी।
मैंने सायकिल और भगाई, नजदीक जाकर देखा तो वो ममता थी।
मुझे बड़ी खुशी हुई, मैंने ब्रेक मारे और कहा- आओ जल्दी।
उसने पहले चारों तरफ देखकर तसल्ली की कि कोई देख तो नहीं रहा है, फिर मुस्कुराकर आई और सायकिल पर आगे डंडे पर बैठ गई। मुझे तो जैसे दौलत मिल गई हो। मैंने ममता को बैठाकर सायकिल चलाना शुरुकिया।
मेरे पैर बार बार ममता की जाँघों को छू रहे थे।
बारिश में भीगी लड़की, जवान खूबसूरत जिस्म मुझे पागल कर रहे थे। धीरे-धीरे मेरा लंड खड़ा होकर उसकी पीठ में गड़ने लगा। वो सिमट गई पर बोली कुछ नहीं।
तब तक आम का बाग आ गया था और बारिश तेज हो गई थी। सायकिल रोक कर मैंने कहा- ममता, बारिश काफी तेज हो गई है थोड़ी देर किसी पेड़ के नीचे रुक लिया जाए बारिश कुछ थम जाए तो चला जाएगा।
उसने कहा- ठीक है।
और सायकिल से उतरकर एक पेड़ के नीचे खड़ी हो गई।
मैं भी सायकिल खड़ी करके उसके बगल में जाकर खड़ा हो गया।
मैं उसको ऊपर से नीचे तक देख रहा था, क्या कयामत लग रही थी, भीगने के कारण उसके कपड़े शरीर से चिपककर पारदर्शी हो गए थे, सलवार जगह-जगह चिपककर उसकी मांसल जाँघों का प्रदर्शन कर रही थी।
छाती के ऊपर दुपट्टा रखा था इसलिए मुसम्मी मैं नहीं देख पा रहा था।
मुझे इस तरह घूरते देख वो बोली- क्या देखते हो?
‘नहीं कुछ नहीं…बस ऐसे ही !’ मैं थोड़ा सकपकाया।
‘मुझे मत बनाओ मैं सब समझती हूँ।’
मेरी चोरी पकड़ी गई, मैंने बात बदलते हुए कहा- नहीं मैं कह रहा था कि तुम्हारा दुपट्टा भीग गया है उसे निचोड़ लो।
ममता मेरी मंशा समझ रही थी, उसने मुस्कुराते हुए अपना दुपट्टा हटाया और निचोड़ने लगी।
दुपट्टा के हटते ही जैसे बिजली गिरी हो, गीली कुरती उसकी छातियों से चिपक गई थी जिससे उसकी छातियों का काफी हिस्सा नुमाया हो रहा था, मेरा मन कर रहा था कि तुरंत पी लूँ।
मैंने धीरे से उसके कंधे पर हाथ रखा, कोई विरोध नहीं। उसने अपनी नजरें नीचे कर ली। यह देखकर मेरी हिम्मत बढ़ी मैंने अपने दोनों हाथ कंधे से सरकाकर उसकी छातियों पर रख दिए, और जैसे ही दबाना चाहा उसने मेरे हाथ पकड़ लिए और चेहरा मेरे चेहरे के करीब कर दिया।
मैंने छातियाँ छोड़कर उसका सर पकड़ लिया और उसे चूमने लगा।
मैं उसे चूम रहा था ऊपर से गिरती हुई पानी की बूँदें उसे और कामुक बना रही थी। मैं उसके होंठों को चूसने लगा।
मस्ती से उसकी आँखें बंद हो चुकी थी।
मेरा हाथ उसकी पीठ से फिसलता हुआ नितम्बों तक जाकर उनकी कठोरता को जाँचने लगा।
वो भी जोश में आकर मुझसे बुरी तरह लिपट जाती।
मैं कुरती के ऊपर से ही उसके निप्पल के चारों ओर उँगली घुमाने लगा। वो सिहर उठी।
धीरे से मैंने उसकी कुरती को ऊपर उठाकर उसकी गोल छातियों को नंगा कर दिया, उसने ब्रा नहीं पहनी थी, उसकी छातियाँ तन गई थी।
गोल व भरी हुई छातियों पर पानी की बूँदें और भी खूबसूरत लग रही थी।
मैंने एक निप्पल को मुँह में लेकर चूसना शुरु किया व दूसरे को मसल रहा था।
इधर मेरे लंड का बुरा हाल था। मैंने चेन खोल कर उसे बाहर निकाला और ममता को पकड़ा दिया।
उसने पकड़ लिया और धीरे-धीरे सहलाने लगी। 5 मिनट बाद मैंने उसके सलवार का नाड़ा खोलना शुरु किया तो उसने रोक दिया और बोली- यहाँ नहीं, रास्ते का काम है। कोई आ गया तो?
बात मेरी भी समझ में आ गई। बगल में मक्की(भुट्टे) का खेत था, मैं उसे लेकर खेत में घुस गया।
मक्की काफी बढ़ी हुई थी इतनी कि आदमी खड़ा भी हो तो बाहर से न दिखे।
खेत में घुसकर मैंने ममता का सलवार निकाल दिया। काले रंग की पैंटी में उसकी पावरोटी फूली थी, थोड़े बहुत विरोध के बाद मैंने पैंटी में हाथ डाल दिया।
चूत गीली हो रही थी। थोड़ी देर तक मैं सहलाता रहा।
ममता काफी गर्म हो चुकी थी।
पैंटी निकाल कर मैं उसकी चूत चाटने लगा। उसके मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थी।
थोड़ी ही देर में उसका पानी छूटने लगा। वो मेरे सर को अपनी चूत पर जोर से दबाने लगी।
मैंने अपना लंड उसके मुँह में देना चाहा, वो मना करने लगी, काफी न-नुकर के बाद उसने लंड का अग्रभाग मुँह में लिया।
मैं धीरे-धीरे उसके मुँह को चोदने लगा।
वो भी अब मन लगाकर चूस रही थी।
कुछ देर में मुझे लगा कि मेरा पानी निकलने वाला है तो मैंने लंड उसके मुँह से निकाल लिया और उसे चित्त लिटाकर उसकी चूत पर रगड़ने लगा।
वो ‘आऽऽह…ओऽह’  की आवाजें निकाल रही थी।
थोड़ी देर में वो अपनी चूत ऊपर उठाने लगी तो मैंने लोहा गर्म देख कर चोट कर दी।
लंड का अग्रभाग उसकी चूत में डाल दिया, वो जोर से चीखी- आऽह… बड़ा दर्द हो रहा है बाहर निकालो।
मगर मैंने बाहर नहीं निकाला, उसका ध्यान बंटाने के लिए मैंने उसकी छातियाँ चूसने लगा।
बारिश के पानी से उसके चेहरे पर तमाम बूँदों को मैंने चाट लिया।
उसका दर्द कम हो चुका था। मैंने उसके होठों को अपने होटों की गिरफ्त में लिया और एक जोर का झटका दिया।
लंड आधा रास्ता पार कर चुका था।
वो काँप उठी और अपने हाथ पैर पटकने लगी, बड़ी मुश्किल से मैं उसे शांत कर पाया, होंठ चूसे, निप्पल चूसे तब कहीं जाकर वो शांत हुई।
यह सब करते हुए मैं धीरे-धीरे लंड को अंदर-बाहर करने लगा तो 5 मिनट बाद उसे भी मजा आने लगा, वो नीचे से धक्के देकर मेरा सहयोग करने लगी।
मैंने चुदाई की गति बढ़ा दी।
उसके मुँह से लगातार मादक सिसकारियाँ निकल रही थी।
ऐसी कई कहानियाँ हैं Bhauja.com डॉट कॉम पर।
चूत कसी होने के कारण जल्दी ही मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ, मैंने तुरंत लंड निकाल लिया और उसे घोड़ी बनाकर लंड अंदर डाल दिया।
उसके मुँह से ‘आऽह’ निकल गई।
मैंने ताबड़तोड़ चुदाई चालू कर दी। वो मुझे हाथ के इशारे से रोक रही थी मगर मेरे ऊपर तो शैतान हावी था।
बारिश अपने पूरे वेग में थी जैसे बादलों ने भी मुझसे शर्त लगा ली हो कि देखें पहले किसका पानी निकलता है।
करीब 5-7 मिनट में मेरा पानी निकल गया, हम एक दूसरे से जोर से लिपट गये और काफी देर वैसे ही पड़े रहे।
बारिश भी अब कम हो चुकी थी।
हमने अपने-अपने कपड़े पहने, मेरे लंड में घाव हो गया था, उसकी चूत भी दुख रही थी। यह मेरी पहली चुदाई थी।
हमने एक-दूसरे को किस किया और घर की ओर चल पड़े

संगीतकक्ष में सिसकारियाँ (Sangitkakhya Mein Siskariyan)

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वैभव डिकोस्टा
मेरा नाम वैभव डिकोस्टा है और मैं झाँसी का रहने वाला हूँ।
मैं आपको अपने एक दोस्त की सच्ची आप-बीती सुना रहा हूँ। यह एक बिल्कुल सच्ची कहानी है, इसमें पात्रों के नाम बदले गए हैं।

  Bhauja.com पर मेरी यह पहली कहानी है।
मैं एक इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ता हूँ, मेरे लण्ड की साइज़ 6 इंच है और किसी भी औरत को संतुष्ट करने में सक्षम हूँ।
यह एक साल पहले की बात है जब मैं अपने बीटेक के दूसरे वर्ष में था।
मैंने पहली बार उसे देखा तो देखता ही रह गया। उसका नाम शीना था, मुझे बहुत बाद में पता चला। वैसे उसकी फिगर 36-34-38 बड़ी मस्त है साली… कयामत ढाती है..!
वैसे ज्यादा ग़ोरी तो नहीं है लेकिन साली के चूतड़ बड़े मस्त हैं, उसका पूरा बदन ही भरा हुआ गद्देदार, कोई एक बार देख ले तो बिना चोदे रहा ना जाए और यही हाल मेरा हो गया था।
जब वो चलती है, तो साली के चूचे और गाण्ड ऐसे उछलते हैं कि साले बूढ़े टीचर भी ‘आहें’ भरने लगते हैं।
लेकिन कहते हैं ना कि जहाँ चाह वहाँ राह.. हमारे कॉलेज का वार्षिक उत्सव चल रहा था। मैं किसी काम से अपने डिपार्टमेंट में जा रहा था। यही कोई शाम के 6.30 बज रहे होंगे। जैसे ही मैं रास्ते में संगीत कक्ष के आगे से गुजरा, मुझे कुछ आवाजें सुनाई दीं।
पहले मैंने अनसुना कर दिया सोचा कोई संगीत की तैयारी कर रहा होगा। लेकिन जब कुछ देर में जब मैं लौटा तो मुझे सिसकारियों की आवाज़ सुनाई दी। मुझे कुछ शक हुआ तो मैंने म्यूज़िक रूम के दरवाज़े पर कान लगाकर कुछ सुनने की कोशिश की, तो आवाजें स्पष्ट हुई और कुछ जानी-पहचानी लगी।
जब दरवाज़ा खोलने की कोशिश की, तो देखा दरवाज़ा अन्दर से बंद है। फिर मैं पीछे की ओर गया और एक खिड़की खोलने की कोशिश की, तो खिड़की खुल गई। मैंने जो वहाँ देखा उसे देख कर मैं सन्न रह गया। वहाँ शीना और अफजल थे।
अफजल शीना के चूचे दबा रहा था और शीना सिसकारियाँ ले रही थी। इसके बाद अफजल ने उसके कपड़े उतार दिए, अब वो केवल ब्रा में रह गई थी और उसके चूचों की झलक मुझे भी थोड़ी सी दिखाई दी।
क्या मस्त चूचे लग रहे थे साली कुतिया के…!
फिर अफजल ने ब्रा भी उतार दी और शीना ने अफजल के पैन्ट में हाथ डालकर उसका लण्ड पकड़ लिया और दोनों किस करने लगे और अफजल ने शीना की पैन्ट उतार दी और उसकी पैन्टी के ऊपर से उसकी चूत रगड़ने लगा।
शीना की सिसकारियों की आवाज़ पूरे कमरे में गूंजने लगी। फिर अफजल ने शीना को लिटाया और किस करने लगा तभी शीना अफजल का लण्ड अपनी चूत पर रगड़ने लगी और इतने में ही अफजल का वीर्य निकल गया और शीना उसे गालियाँ देने लगी।
वो शर्म के मारे नीचे देखने लगा।
शीना- मादरचोद जब गाण्ड में दम नहीं था तो क्या माँ चुदवाने के लिए मुझे यहाँ लाया था?
अफजल- नहीं जानू… वो पता नहीं क्या हो जाता है, मेरा जल्दी निकल जाता है!
शीना- अब ठीक है माँ के लौड़े चल मेरी चूत चाट कर इसका पानी निकाल!
और जैसे ही मैंने चूत देखी तो मैं पागल हो गया और मुझसे रहा ना गया। इतने में अफजल मूतने के लिए बाहर निकला और मैं अन्दर घुस गया। मुझे देखकर शीना के पसीने छूट गए और वो मेरे पैरों पर गिर पड़ी। लेकिन उसे होश नहीं था कि वो पूरी नंगी है।
इतने में ही अफजल आ गया, तो मुझे वहाँ देख कर हक्का-बक्का रह गया।
मैंने पहले तो उसे जोरदार तमाचा लगाया और कहा- मादरचोद आग बुझानी थी, तो कहीं होटल में बुझा लेते।
वो कहने लगा- प्लीज़.. किसी से कहना मत..!
मैंने कहा- एक शर्त पर..!
तो अफजल बोला- क्या… कौन सी शर्त?
मैंने कहा- मादरचोद.. तू शांत रह..! शीना बता तू मेरी शर्त मानेगी?
तो उसने कहा- क्या?
मैंने कहा- मैं भी वो सब करूँगा जो अफजल कर रहा था!
तो उसने तुरंत ‘हाँ’ में सिर हिला दिया, जैसे वो तो इसके लिए तैयार ही बैठी थी।
फिर मैंने उसे पकड़ा और चुम्बन करने लगा। पहले तो उसने थोड़ा साथ नहीं दिया फिर मैंने उसके चूचे दबाने शुरू किए तो उसने भी साथ देना शुरू कर दिया और सिसकारियाँ लेने लगी।
मैं समझ गया कि वो गर्म हो गई है, अब लण्ड डाल देना चाहिए।
तो मैंने अपना पैन्ट और कच्छा उतार दिया और अपना लौड़ा उसके मुँह में डाल दिया। वह उसे लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी।
मैं सातवें आसमान पर पहुँच गया। थोड़ी देर बाद हम 69 की पोज़िशन में आ गए। उसकी चूत बिल्कुल डबल-रोटी की तरह फूली थी। जैसे ही मैंने अपनी जीभ उसकी चूत पर लगाई वो ‘आहें’ भरने लगी और पागल हो गई।
वो बोली- मेरे राजा… आज मेरा बाज़ा बजा दे..! मैं कई दिन की प्यासी हूँ यह मादरचोद अफजल तो शीघ्रपतन का रोगी है! दो मिनट में ही झड़ जाता है!
फिर मैंने अपना लण्ड उसकी चूत पर रखा, पर वो अन्दर नहीं जा रहा था। मैंने थोड़ा सा थूक लगाया और जैसे ही धक्का मारा वो चिल्लाई- आईईईईई मर गई… प्लीज़ धीरे से करो..!
मैंने कहा- साली रंडी… अब धीरे से करूँ.. अभी तो बहुत उचक रही थी।
मैं थोड़ा रुक गया और चूमने लगा, इसी बीच मैंने एक ज़ोर का धक्का मारा और मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत को चीरता हुआ अन्दर चला गया।
वो और जोर से चिल्लाई- ऊऊऊ ऊऊऊऊऊ मार डाला… अम्मी बचा लो..!
फिर मैं थोड़ी देर के लिए रुक गया और वो कुछ थोड़ा शांत हुई, तो मैंने फिर से धक्के लगाने शुरू किए।
और अब वो भी मज़े लेने लगी और अपना पिछवाड़ा उछाल कर जवाब देने लगी और इधर से मैंने भी जवाबी कार्यवाही शुरू कर दी। उसकी सिसकारियाँ पूरे संगीत-कक्ष में गूंजने लगीं। फिर वो झड़ गई, लेकिन मैं अभी लगा ही रहा, फिर मैंने उसको कुतिया बनने के लिए कहा और पीछे से उसके चूत में एक जोरदार धक्का मारा।
वो चिल्ला पड़ी- आआ उईईई..!
मैं धक्के लगाने लगा और वो भी मज़े लेने लगी- अहहाआहा और चोदो और चोदो मेरे राज़ा….!
इतने में ही वो फिर एक बार झड़ गई।
फिर मैंने उसे अपने लण्ड पर बिठाया और वो ऊपर बैठ कर उछलने लगी और ‘आ ईईईईईई आअहहह’ की आवाज़ करने लगी।
फिर मैंने कहा- मैं झड़ने वाला हूँ!
तो बोली- मेरी फ़ुद्दी में अपनी मलाई मत डलना, मेरे मुँह में झड़ जाओ!
और मैं खड़ा हुआ और उसके मुँह में अपना लण्ड डाल दिया और वो मेरा पूरा वीर्य पी गई और लण्ड को चाट कर साफ कर दिया।
फिर अफजल मेरे लण्ड को बड़ी गौर से देखने लगा इसके बाद क्या हुआ…!!
वो कहानी मैं फिर कभी लिखूँगा।

मेरी पहली चुदाई वैशाली के साथ (Meri Pahli Chudai Besali Ke Sath)

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गौरव
दोस्तो, Bhauja.com  पर मैंने जब कहानियाँ पढ़ीं तो मेरा भी मन हुआ कि मैं भी अपने बारे में Bhauja.com  के पाठकों को जरूर बताऊँ..! मेरा नाम गौरव है तथा मेरी उम्र 19 साल है। मैं झाँसी का रहने वाला हूँ। मैं आपको अपनी सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ।

बात एक साल पहले की है जब मैंने बारहवीं कक्षा पास की थी तथा कॉलेज में प्रवेश लिया था। मेरे कॉलेज की एक फ़्रैन्ड जिसका नाम था वैशाली। वह दिखने में बहुत ही सेक्सी लगती थी। उसका फ़िगर 34-32-34 था। मैं उसको काफ़ी पसन्द करता था।
बात एक दिन की है कि मैं घर पर अकेला था, घर के लोग शादी में गए हुए थे जो कि रात में करीब 11 बजे से पहले वापस आने वाले नहीं थे। मैं अकेला बोर हो रहा बैठा टीवी देख रहा था, अचानक दरवाजे की घंटी बजी, दरवाजा खोला तो वैशाली दरवाजे पर थी।
मैं उसको देखता ही रह गया, उसने ब्लू जीन्स और हरा टॉप पहना हुआ था।
क्या मस्त लग रही थी…!
उसने टोका- अन्दर नहीं आने दोगे क्या?
मैं शरमा कर पीछे हो गया और वो अन्दर आ गई। उस समय शाम के लगभग छः बजे थे।
वो अन्दर आकर सोफे पर बैठ गई, मैं भी सामने वाले सोफे पर बैठ गया। हमने थोड़ी देर अपने साथ बिताए कॉलेज के पलों के बारे में बात की।
फ़िर मैंने उससे पूछा- तुम क्या लोगी, ठन्डा या गरम..!
उसने कहा- सिर्फ़ एक कप कॉफ़ी।
फ़िर मैंने उसे कॉफ़ी बना कर दी। हम दोनों कॉफ़ी पीने लगे, मैं उसकी चूचियों को देख रहा था।
फिर वो बोली- क्या तुम मुझसे कुछ कहना चाहते हो?
मैंने शरमा कर ‘ना’ कह दिया। वो मेरी घबराहट समझ गई और मुझसे मेरे पढ़ाई के बारे में पूछने लगी।
फ़िर उसने मुझसे पूछा- तुम्हारी कोई गर्ल-फ्रेंड है क्या?
मैंने कहा- हाँ.. है तो, पर मैंने उससे अभी तक अपने प्यार का इजहार नहीं किया।
उसने पूछा- कौन है.. वह खुशनसीब…! क्या उसकी कोइ तस्वीर है..?
“हाँ.. मेरे बेडरूम में है… पर उसको देखने से पहले तुम्हें अपनी आखें बन्द करनी पड़ेगीं।” मैंने उससे कहा।
उसने कहा- हाँ.. ठीक है।
मैं उसे अपने बेडरूम में ले गया और उसे एक शीशे के सामने खड़ा कर दिया।
मैंने कहा- अब आखें खोलो।
उसने देख कर कहा- यह क्या है?
और मैंने अपने प्यार का इजहार कर दिया, उसने मुस्कुरा कर ‘हाँ’ कर दी।
बस उसके ‘हाँ’ कहते ही मैं उसे चूमने लगा। हमने पाँच मिनट तक एक दूसरे को चुम्बन किया। हम दोनों गरम होने लगे। मैंने देखा कि उसका एक हाथ मेरे लन्ड के ऊपर था।
मैंने फिर हल्के-हल्के उसकी चूचियों को दबाना शुरू किया..! उसे थोड़ा दर्द भी हो रहा था और वो थोड़ी-थोड़ी देर बाद ‘उफ़..उफ़’ किए जा रही थी..! मैंने फिर उसे चूमा और उसका टॉप उतार दिया।
अन्दर का नज़ारा तो बड़ा ही शानदार था.. काली ब्रा में उसके नुकीले निप्पल पता चल रहे थे..!
मैं उसके चूचियों को ब्रा के ऊपर से ही मसलने लगा। उसकी चूची सन्तरे की तरह कड़क हो चुकी थीं। मैंने फिर उसकी ब्रा उतार दी..!
उसके सफ़ेद दूध क्या मस्त लग रहे थे..! खिलती जवानी थी एकदम..!
फिर मैंने उसके निप्पल को पहले प्यार से दबाया, फिर मैं उन्हें जोर से दबाने लगा। उससे भी शायद बर्दाश्त नहीं हो रहा था और मुझसे भी नहीं..!
फिर मैंने जीभ निकाल कर जीभ की नोक उसकी निप्पल की नोक पर लगाई, तो वो एकदम सिहर गई…! मैंने दूसरे निप्पल के साथ भी ऐसे ही किया..।
फिर मैंने उसका एक निप्पल मुँह में लिया और हल्के से चूसा..! वो ‘उफ़..उफ़’ ही करती रही।
मैंने फिर थोड़ी देर उनको हल्के-हल्के चूसा तो वो अपना सर इधर उधर करने लगी.. और उसके मुँह से ‘सी…सी..ईईई..आह्ह्ह्ह्ह..’ निकलने लगी।मैंने फिर उसका निप्पल अपने दांतों के बीच लेकर हल्के से काटा तो उसके मुँह से चीख निकल गई।
फ़िर मैंने दोनों निप्पलों के साथ ऐसा ही किया।
अब मैंने उसकी जीन्स भी उतार दी। मेरे सामने वह केवल पैन्टी में थी। मैंने अपनी जिन्दगी में पहली बार किसी लड़की को सिर्फ़ पैन्टी में देखा था। फ़िर मैंने अपनी भी जीन्स उतार दी। अब मैं उसके सामने सिर्फ़ एक जॉकी में था।
मैंने अपना लन्ड निकाला, तो वह देख कर दंग रह गई। मैंने उसे मेरे लिंग को मुँह में लेने को कहा। पहले तो उसने मना किया, पर मेरे समझाने पर वह मान गई।
पहले उसने मेरे लिंग पर चुम्मी की, फ़िर उसने मेरे लन्ड को मुँह में ले लिया। फिर वो अपने घुटनों पर बैठ कर लण्ड को मुँह में लेकर चूसने लगी। मुझे तो बड़ा मज़ा आया। वो जैसा भी चूस रही थी, मेरे लिए तो पहली बार ही था..! मैंने सोचा अगर अब और चुसवाऊँगा तो झड़ जाऊँगा..!
मैंने उसे उठाया और उसको भी नंगी कर दिया, उसको लिटाया और उसकी योनि में ऊँगली करने लगा।
उसे थोड़ा दर्द भी हो रहा होगा, पर उसने कुछ कहा नहीं और मैं अपनी ऊँगली से उसकी बुर को सहलाता रहा।
थोड़ी देर बाद वो बोली- यार, अब डाल दो अपने लन्ड को मेरी इस बुर में… तड़पाओ मत..!
मैंने बोला- देखो थोड़ा दर्द होगा, सहन कर लेना..!
फिर मैंने वैसलीन को अपने लंड पर और उसकी चूत पर लगाया और अपना लिंग उसकी बुर के मुँह पर रख दिया, वो काँप रही थी। मैंने थोड़ा रुक कर हल्का सा जोर लगाया और हल्के-हल्के अन्दर करने लगा। उसको तकलीफ हो रही थी, यह उसकी बेचैनी से पता चल रहा था। मेरे लिंग में भी कुछ दर्द सा महसूस हो रहा था।
फ़िर मैंने एक जोर का झटका दिया और लंड का सुपाड़ा उसकी बुर की सील को तोड़ता हुआ चला गया। वो एकदम से तड़प उठी और उसकी चूत से खून आने लगा। फ़िर मैंने एक और जोर से झटका लगाया और मेरा 7″ का लण्ड उसकी बुर में पूरा समा गया। उसका मुँह लाल हो गया और उसकी आखों से थोड़े आँसू निकल आए और वो अपना सर इधर-उधर पटकने लगी और मुझे हटाने लगी। लेकिन मैं उसे जोर से पकड़े रहा। उसका दर्द कम होने का इंतज़ार करने लगा।
थोड़ी देर में वो थोड़ी सामान्य हुई तो पहले मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और फ़िर धीरे-धीरे अपने लन्ड को अन्दर-बाहर करने लगा। फिर उसका दर्द हल्का होने लगा तो वो भी हल्के-हल्के ‘सीत्कारने’ लगी, तो मैं भी अब थोड़ा तेज़ हो गया।
अब वो भी मेरा साथ दे रही थी। पूरे कमरे में ‘फ़च-फच’ की आवाज आ रही थी। उसके मुँह से ‘आ…आअह्ह्ह ह्ह्ह्ह्ह्…ईईई…ऊऊऊउ’ जैसी आवाजें निकल रही थी। अब वह अकड़ने लगी थी।
मैं भी झड़ने वाला था, मैंने जल्दी से अपने लण्ड को निकाला और उसके स्तनों पर अपना फ़ुव्वारा छोड़ दिया।
फ़िर उसने उसको साफ़ किया, फ़िर हम कुछ देर ऐसे ही लेटे रहे, पर अभी उसकी प्यास नहीं मिटी थी। वो फ़िर से मेरे लण्ड को अपने मुँह में लेकर सहलाने लगी। कुछ ही पलों में मेरा लण्ड एक जवान की तरह सलामी दे रहा था।
फिर मैंने उसे घोड़ी बना दिया। मुझे यही पोजीशन सबसे ज्यादा पसंद है फिर मैं उसके पीछे आकर अपने लंड से उसके चूतड़ों पर थपेड़े मारने लगा। वो भी अपने चूतड़ हिला कर दिखा रही थी। मैंने फिर पीछे से लंड डाला तो वो चिहुंक उठी। एक दो झटकों में ही पूरा मूसल अन्दर हो गया। अब मैं फिर से मस्ती में आगे-पीछे होने लगा। मैं उसकी गांड पर थप्पड़ मार रहा था और वो ‘आह..आह’ कर रही थी।
फिर मैंने उसके मम्मे पकड़ लिए और चोदने लगा। मैं उसकी गर्दन पर चूम रहा था और उसकी कमर पर हाथ फिरा रहा था। उसे गुदगुदी भी हो रही थी। अब वो भी मेरे धक्कों से कदम मिला रही थी। जब मैं आगे होता वो पीछे होकर पूरा लंड लेती।
मैंने दोबारा उसके मम्मे पकड़ लिए और उसका मुँह पीछे करके उसका चुम्बन लेने लगा। मैं बिल्कुल उससे चिपका हुआ था। यह आसन कितना सेक्सी होता है, यह मैं ही जान सकता हूँ दोस्तों..! उसके दोनों मम्मे मेरे हाथों में थे। मेरा लंड उसकी चूत में और दोनों चुम्बन करते हुए। फिर मैं उसको झुका कर दोबारा से धक्के मारने लगा। अब मैं भी बहुत तेज़ धक्के मार रहा था, क्यूंकि मेरा भी होने वाला था।
मैंने उससे पूछा- मेरा होने वाला है, कहाँ निकालूँ..?
उसने कुछ नहीं कहा और मैं दो धक्कों बाद ही उसके अन्दर झड़ने लगा और सपनों की मीठी दुनिया में खो गया।
हम दोनों निढाल होकर बिस्तर पर गिर पड़े और जोर-जोर से साँसें लेने लगे..! थोड़ी देर के बाद हम फ़्रैश हुए फ़िर एक रेस्ट्रोन्ट में खाना खाने चले गए, वहाँ हमने खाना खाया। फ़िर मैं उसको उसके घर छोड़ कर मैं अपने घर चला गया।
जब भी हमें मौका मिलता, हम लोग ऐसे ही प्यार करते और हर बार अलग-अलग पोजीशन से सेक्स करते।
अपनी दूसरी सत्य घटना अपनी अगली कहानी में बताऊँगा।
दोस्तों, आपको मेरी कहानी कैसी लगी, बताइएगा ज़रूर..! अपनी राय अवश्य दें.. अच्छी या बुरी जैसी भी हो.. मुझे आपके मेल का इंतज़ार रहेगा।

ମୋ ସ୍ୱାମି ଭାରି ଦୁଷ୍ଟ ( Mo swami Bhari Dusta)- new odia sex story

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Bhora 4 ta samaya ru uthi mu brush kari gadheibaku gali. Gote jhian patala luga pindhi nua dove sabunu  aau jasmine tela ku hatare nei mu barthroom bhitare pasili. Latrine jai soucha heba pare, Dehare luga gudei hoi sawara ra switch on kali. Pani jorre spry hoi mo dehare baji luga kani taku chati uparu talaku pakeidela.  Ulagna sthana jugala re dove sabun phena ku boli bhalare ghasa ghasi heba pare mora antaru luga ku kholi languli hoi jangha sandhi re sabun mari bhalare majili sawar ra pani spray mo anta jagare pisi pisi kari baji mo bia ku safa karidela. 

  Mu bhalare ghasa ghasi hoi gadhei sari towel pindhi baharili. Door taku kholi dela bela ku thik agare mo swami kan dekhuchi mu, mote bahut laja lagila. Mo towel uparu mansa pindula pura gora gora phala bhali mo chati re phalli thila. Mo deha pura hot thila tanku dekhi mun tike hasi deli ete sakalu kemiti asili kahili. Se kahile kan hela, hele mu janichi mo stree ebe nisichita gadhei sari thiba au tara hot deha ku dekhiba pain mu sighra bahari asili. Mu tike hasi deli aau tanka hata tala dei pasi ama bed room bhitara ku jai godreg ru gote nua sadhite aau blouse, saya o bra chadi kadhi anili. Godreg band kari buli padila bela ku ie asi mo agare . Mu kahili- kan je tike ruha mu tike pindhi die. Se kahil kan je pindhiba emitire ta bahut bhala lagucha. Mu kahili- Han ta hele emiti pindhi ki bulibi, samaste kahile, tame kahicha boli kahibi. Se kahile- kan , ebe kan kie achi je kahiba. Mu kahili hau bahut chikana katha kuhana hela tike ruha mu badali die. Se mo hata ku dhari nele dui hatare mo dui bahuku saja gadhua dehare siharana kheli gala hele swami nkara kathare kan ba badha debi. Se  muruki hasi dui hataku mo bahuru kadhi nei mo towel ku jorre talaku bhidi dele. Mu ta kichi bi bhitare pindhi nathili aau pura langala. Bhagya bhala ki aaji ghare kehi nahanti. Yanka ra ki kama kejani mo langala deha dekhibaku kete je ichha.

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Aau gandi ade hata nei mo picha dui ku japi dhariba saha taku chipile. Dahana hatanei mo pacha anta jagare sala sala kari gandi re hata pasei anguli genjile mote tike kharapa lagila aau mu tanka tharu durei jibaku lagili. Se mote bhidi nei bed re suei dele aau tanka pant taku kholi band ku bahara kari mote olatei dei mo gandi re genji dele aau peliba arambha kale. Mo swami nkara musala banda mo gandire pasi mote bhari maja aau kasta deuthila. Mo gandi bhitara ku ghanti deuthila. Emiti bhasa bhasa gehi gehi kichi samaya pare mote puni munha munhi kari banda bharti kari bia ku gehiba ku lagile.

Mo bia ta pura garama thila sighra pani chadidela. Emiti kintu bahut samaya gehi heba pare mote bi bahut ananda laguthae. Mu bahut khusi thili , satare kahibaku gale e sanparka nathile kimba giha gehi ra maja nathile kanhiki je bibahita jibana re kichi bi maja rahibani. Mote emiti gehu gehu tanka bahariba arambha hela. Gada gada….. gada…  gada……. Hoi rasa sabu mo bia gatare bharti hela. Eha mo swami nka tharu prathama thara birja mo bia re pasila. Mu rankuni bhali ahuri puni gehi heli. Aau kichi smaya halia hoi soi rahiba pare se mo uparu uthi khatare gadile. Hele mo mana bhangi nathae . Mu semiti langala abastare tanka uparaku uthi mu jai tanka chati upare basili aau bia taku tanka munha re deli. Pura lala pacha pacha bia ra gandha bi bikatala. Se sunghi rahi parileni.
Mu pakahare padithiba mora bra re bia ku bhalare pochi tanka munhare lagaei rakhili aau tanku chatiba pain isasra kali. Bhabili chatibeni aau ragibe hele sabu purusa ta bia pagala kie bas tree ra manare dukha die. Jibha adei mo golapi bia ra phala phala kola re jibha ghasi ghasi mo bia sandhi ku jibha re gehile mote ta bhari ananda agila ki maja re. Satare bahut ananda lagila. Mu pura bia ku tanka munha re madi pura uparu tala jaen munhare bia ku ghasadi deli . Puni tanka banda taku nei bia re apsei gehi gehi praya 15 minute pare jetebele mora dutiya thara pain pani nigidila mu santi heli aau semiti langala hoi swami stree dunhe 2 ghanta dhari soi rahilu……………………………

Writer: Sunita Prusty

ନିଛାଟିଆ ନିଜ୍ଜନ ରାତିର ବେଳ (Nichatia Nijana Ratira bela)

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Mora sabu gelha diara o nananda ku mun sunita prusty bhauja.com ku apana samasta ku swagat kari aji ra ehi nua odia sex story ti lekhuchi. E kahani rina ra, dasama class re padhuthiba rina nua nua joubana ku nua nua sansara ra gupta rahasya ku jani dein padichi ta sanga ra kola ku. Se bisaya re asntu padhiba.............



Mu pratidina tution ru 9 ta bele gharaku phere andhara rasta re asila bele mote dhani (mo sanga) ama ghara payanta chadi ase. Mu ta saha gapi gapi praya ½ kilometer bata ku nirbhaya re chali ase. Jadi se kebe nathe tebe ta bapa mote chadi asanti.
Se dina 6:30 ru electricity cut off hoi gala. Ama tution sare sedina tired thile sethi pain amaku task dei se tanka ghara bhitare soi rahile. Ame sabu task karubu kana gapa jamei basilu. Jete prakara katha se bhanda baba sarathi ra kahani tharu arambha kari Pakistan aau bharata ra akramana aau kete thaka chora aau gunda nka katha. Ta pare arambha hoigala Bollywood ra taraka manaka katha ama jhia mananka ra favorite hero aau heroin mananka katha. Pua mane madhy tanka tanka bhitare gapa jamei dei thanti. Jhia mane sabu ame basi phus phus hoi katha barta heuthilu kahara Katrina kaif ta kahara alia bhatt emiti katha barta bhitare ame mane tkie non-veg uparaku paleilu. Ama bhitare charcha chalila Bollywood heroin bhitare kaha dudha size sabutharu bada.

 Rita aau mina bipasa basu ra boli kahile aau mu aau tina rakhi ra boli kahilu aama bhitare emiti katha barta  jari rahila aau kehi kaha katha katibaku naraja aau bada patire Madhya amara thik aau amara thika boli kahilu. Pati jorre subhi baru sepata gharu sir pati kale kire ete pati karuchi task saridelani ki jibi einu. Ame sabu chup hoigalu, amara task saribare jama ichha nathila hele sir nauthantu boli ame chanhuthilu.

Puni kichi samaya pare amara alochana kichiri michiri patire chalila. Rita mo kana re asi kahila – alo rakhira dudha bada nha lo kintu thikiri ta bahut bada. Mu kahili kan tike dhire kahili thikiri? Se mane chup hoi hasile. Aau mote chup haba pain nirdesa dele aau puni rita asi mo kana re kahila alo thikiri bole bia. Tora kana bia ta gol ki jani parunu. Mu kahili chi jaa… Se unnnnnnnnnnn… kahi la emiti katha barta bhitare praya ame sabu jhia garama heiki thilu. Mu anya manaka katha khali najara kari paruthili kintu nija deha ra garama saha bia ra jwala bi anubhab karuthili aau laja re besi kichi kahi parunthili.

Emiti katha barta pare sir sepata gharu uthi asi kahile- Pile mane aji ta aau electricity asibani chala samaste gharaku palao. Kali sakalu asiba.Chuti katha sunile amaku bhari khusi lage sighra gharaku jiba pain aau aji ra katha tike kintu alaga samaste tike rahiba pain chanhu thile. Hele sir kahile sighra bahara. Badhya hoi ame sabu bahi ekathi kari baharilu.

Samaya sete bele 7:30 heba. Kan ba karibu ghare jai ame sabu puni batare katha barta hei chalilu. Kichi bata pare amara rasta re ame chalilu. Agare dhanira ghara dhani kahila haila Utkali tate chadi jibi puni. Mu kahili asunu be mote dara lagibani. Se tanka gharaku najai mote aga chadi asibaku baharila. Sabu dina bhali dara na lagiba pain ame gapa arambha karidelu dhani kahila- tame jhia mane aji besi pati kala boli sir sighra chute kari dele. Mu kahili tame mane baki pati karunathila. Se kahila- hele tame ta jorre kana aji katha hauthila ki? Mu kahili ama bhitare aji tike kali chali thila ta. Se puni pacharila jeki kali kaha- Mu kahili nai ma hindi heroin mananku nei bipasa aau rakhi bhitare kie sundara. Se kahila tame kan sundari actress pailani je bipasa aau rakhi bhitare kie sundari bachu thila? Mu kahili- tu kahunu.
Dhani- are mate kanhiki alaga kichi boli laguchi.
Mu- Kant ate laguchi , jaha lagile laguthau
Dhani- tame kana katha hauthila mu janichi je?
Mu- janichu! Dekhi kahilu
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Mu puni kahilu najani ki kanhiki besi jani ba nara bhali heuchu.
Se kahila kana janini boli bhabuchu
Dhani- Tame kahara bada boli katha heuthila. Naaa……
Mo deha sitei uthila ajana bhaya lagila nichatia rsata hele bi purba ru kebe emiti lagi nathila. Dhani ama katha suni jani parichi boli jani mu kichi bi kahilini se kahila – tame dudha katha katha heuthila na?
Mu chup rahili
Se puni kahila hele tama bhitaru kahara bada heba rina?
Mu jorre chalibaku arambha kali aau ta katha na sunila bhali abhinaya kali. Mo chati Dhaka Dhaka hoi deha ta saha dudha bi duluku thila. Se kahila tora rina sabuthu bada dudha mote tike daunu. Mu aau kichi nakahi ta ade aneili. Ame ama ghara tharu adha batare thilu. Se mote semiti anei mo dehare hata mari dela. Mo boobs ku hatare dali chadi dela. Mu hata utheili mariba pain puni rahigali aau ragi gali. Se mo raga ku anadekha kari ta bama hataku mo kandhare pakei dahana hatae puni dudha ku chipila. Mu aau taku kichi kahi parilini mo chati jorre Dhuk dhuk hela. Mu chali Madhya parilini. Sethi ataki tale basi padili. Se mote teki dharila aau rasta pakhare gote dokana ghara pacha barandare nei baseila. Mo deha ete jorre dohulu thila je mu taku kichi bi kahiparilini aau kichi samya pare aste aste thami baku lagila.

Se mote dekhi pacharila alo tora e kana heuchi. Jadi aau kana heba tu kan hebu, tuta jama bhida ku nunha . Mu hasideli aau talaku munha nuai rakhili. Se mo munha ku teki dei dekhila.Mote jorre hasa lagila m bhitarae kramagata bhabe garama badhi chalithila. Se puni mo munha ku teki dhari mo beka ku saunlei mo otha ku ta othare ghasi mote chuma dela. Ta chuma re mo bia re pani hala chala hoi gala aau mu ta upare dhali gali. Mora pratorodha nathibaru se bhari ananda re mote kiss kari mo dudha chipi chalila. Mu kahlia- Ghara ku jiba.  Dhani- Ebe besi samaya heini tama ghare bi khoji beni. Mu Madhya bhabi khusi heli aau aaji satare mo jibanare prathama thara pain jouna bisayare maja neba ku bahut ichha helani. Mu sethi baranda re pura soiba bhali padigali.

Dhani mo upare madi basi mo goda ku pherecha kari shirt uparu mo sandhire manthila. Mo bia chadi bhitare manthi hoi mote bhari maja lagila aau bhokila jibana re tike pani munde milila bhali lagila. Se mo pant uparu hata galei bia re anguthi mari gehila. Dhani nija pant ku adha talaku kari banda ani mo bia re bharti kri gehila.
................................................. agaku lekhiba pain comment karantu...............
Writer: Sunita Prusty

डॉक्टर हमें कहाँ कुंवारी रहने देते हैं (Doctor Hame Kanha Kuwari Rahne Dete Hen)

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भाउज के सरे पाठोकों को में सुनीता भाभी यंहा स्वागत करता हूँ । आप सभी के लिए आज एक चमत्कार कहानी लेकर आई हूँ।



हैरी
मैं हैरी 25 साल का हूँ। मैं Bhauja.com  6 महीने से पढ़ रहा हूँ लेकिन कभी कहानी नहीं भेजी, इससे पहले मेरा सेक्स के बारे में ज्ञान कम था।
यह कहानी मेरी तब शुरू हुई थी, जब मैं पढ़ने के लिए जयपुर गया।
वहाँ पर मैंने एक कमरा किराए पर ले लिया। मैं सुबह-सुबह घूमने जाता था। वहाँ पर कई लड़कियाँ भी आती थी। मैं शुरू में किसी पर भी ध्यान नहीं देता था। लेकिन 5-10 दिनों बाद मैंने देखा कि वहाँ पर तीन लड़कियों का ग्रुप आता था।
वह मेरी तरफ बार-बार देखती है। एक बार  उसमें से एक ने कमेंट किया, “हम सब तुम को रोज देखते हैं, पर तुम कभी नहीं देखते।”
मैंने कहा- तुम में ऐसा क्या है, जो मैं तुम्हें देखूँ। सब की सब एक जैसी हो।
वो बोली- कभी अकेले में मिलना।
मैंने कहा- अभी चलो।
वो भी बोली- हाँ चलो।
मैं उनके साथ डरते-डरते चला गया, रास्ते में उनसे बात चल रही थी, वो सब अकेली रहती थीं, यहाँ पर नर्सिंग कर रही थीं। मैं उनके कमरे पर चला गया, वहाँ पर उन्होंने चाय बनाई।
मैंने चाय पी और कहा- अब मैं चलता हूँ।
उन्होंने अपने नम्बर दिए। मैं वापस घर आ गया।
दूसरे दिन उनके से एक लड़की जिसका नाम संजना था, वो नाईट सूट में ही गार्डन में आ गई थी। मैंने उसे पहली बार उसे कामुक नजर से देखा।
उसके स्तनों का साइज 28 का होगा, कूल्हे 34 के, कमर पतली थी। गले में लम्बी चेन लटक रही थी। बड़े-बड़े कुण्डल कानों में पहन रखे थे।
मैंने कहा- यह क्या पहन कर आई हो आज..!
तो बोली- मैं उनसे अलग हूँ, तुम्हें यह दिखाने आई हूँ।
उससे मेरी दोस्ती हो गई। अब हमारी रोज-रोज रात को बात होती थी। कभी-कभी सुबह 5 बजे तक बात करते थे।
एक दिन वो बोली- बात ही करोगे या कुछ और..!
मैं बोला- मैं तो आपकी ‘हाँ’ का ही इंतजार कर रहा हूँ क्योंकि दोस्ती तो दोस्ती होती है। तुम मुझे गलत ना समझ लो।
वो बोली- हमें कौन सी शादी करनी है।
मैंने कहा- ठीक है।
दीपावली की छुट्टी थीं। उसकी सहेलियाँ पहले ही घर पर चली गईं, पर वो नहीं गई कि दो दिन बाद जाऊँगी।
वो दिन जिंदगी का सबसे हसीन दिन था।
पहले हम होटल में खाना खाने गए और वापस रात को 10 बजे आ गए। वो बाथरूम में जाकर कयामत बन कर आ गई। मैं उसे देखता ही रह गया। उसने गहरे लाल रंग की नाईटी पहन रखी थी। जिसमें से उसी रंग की ब्रा और पैंटी दिख रही थी, उसके बड़े-बड़े दूध बाहर आ रहे थे।
अब हम दोनों बिस्तर पर आ गए। हम दोनों एक-दूसरे की बांहों में समा जाने के लिए तैयार थे। हम दोनों ने एक-दूसरे को कस कर बांहों में समेट लिया।
दस मिनट तक एक-दूसरे को चूमते रहे हम, एक-दूसरे के होंठों को चूस-चूस कर लाल कर दिया, उसकी लिपिस्टिक उसके गालों पर आ गई। मुझे लग रहा था कि उसके लाल-लाल टमाटर जैसे होंठों को चूसता रहूँ।
मैंने उसकी नाईटी उतार दी। उसके बोबों को प्यार से दबाने लगा और होंठ चूसता रहा, वो ‘ओ.. आ…ईस्स… आह.. आह…’ करने लगी।
अब मेरे हाथ उसकी पैंटी के अन्दर चल रहे थे, वो बार-बार आई लव यू…. आई लव यू…. बोलती जा रही थी।
मैंने उसके चूत में दो उंगली चला दी, धीरे-धीरे वो बहुत गर्म हो चुकी थी, अपने हाथ-पांव जोर-जोर से बिस्तर पर पटक रही थी।
कहने लगी- आज ही मार डालोगे क्या..! अब जल्दी से अपना डाल दो.. नहीं तो मैं मर जाऊँगी..!
मैंने अपने हाथ से उसकी ब्रा और पैंटी उतार दी। अब वो बिल्कुल नंगी मेरे सामने पड़ी हुई थी। गुलाबी चादर में संगमरमर की मूरत लग रही थी। चूत पर एक भी बाल नहीं था, पूरे शरीर को वैक्स करवा रखा था, लाल लाईट में बहुत सेक्सी लग रही थी।
मैं उसके बोबों को बुरी तरह मसल रहा था, अब उसके बर्दाश्त से बाहर हो चुका था।
वो बिस्तर पर खड़ी हो गई, मुझे धक्का देकर पलंग पर गिरा दिया, मेरी टी-शर्ट को इतनी जोर से खींचा कि वो फट गई।
मेरे नाईट पजामे को भी उसने फाड़ दिया, मेरी अण्डरवियर को उसने उतार दिया, मेरा लण्ड हाथ में ले किया।
मैं पलंग पर खड़ा हो गया, वो घुटने के बल बैठ गई और मेरे लिंग को मुँह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी।
कुछ देर में उसने उसे लोहे सा सख्त कर दिया, मुझे लगा कि मैं स्वर्ग में पहुँच गया।
वो जब जीभ से मेरे लिंग को चाटती तो अजीब सा मजा आ रहा था।
अब हम 69 की पोजीशन में आ गए। मैं उसकी चूत में उंगली चला रहा था, जिससे वो झड़ गई। उसने मेरे लिंग को इतनी जोर से दबाया कि मेरी चीख निकल गई।
मैंने अपना लिंग झटके से बाहर निकाल लिया, नहीं तो वो खा ही जाती। मैंने उसके पैरों से लेकर सिर तक चूमने लगा और चूत में उंगली करता रहा, अब वो दूसरी बार झड़ गई।
उसकी फूली हुई चूत जैसे कह रही हो- मुझे चोद दो.. आज मुझे सुहागन बना दो..!
उसका भूरे रंग का दाना दूर से ही चमक रहा था, उसकी चूत के दो द्वारों को खोलते ही लालिमा चमक उठी जैसे बादलों के बीच बिजली चमक रही हो।
वो मेरे लिंग को खींचने लग गई, उसने मुझे अपने ऊपर खींच लिया, उसकी मादक सिसकारियाँ पूरे कमरे में गूँज रही थीं। ‘हूं…आ…आह..ओआउच…मेरी गई..’ बहुत तेज-तेज बोल रही थी।
उसने मुझे अपने ऊपर खींच लिया, मेरे लिंग को अपनी चूत में प्रवेश करने लिए टिका दिया।
मैंने धक्का दिया, जैसी ही लिंग उसके अन्दर गया, तो उसकी सांसें बाहर आ गई, अपने पैरों को जोर-जोर से पटकने लगी।
लेकिन मैं रूका नहीं, लगातार धीरे-धीरे धक्के देता रहा, वो अपनी सांसों को संयत करते हुए बोली- तेज-तेज करो।
वो अब मेरे बालों में अपना हाथ घुमाने लगी। मैं उसको प्यार से चोद रहा था।
वो बड़बड़ाने लगी- जोर से करो, ये चूत तुम्हारी है… मैं भी तुम्हारी हूँ, तुम मुझे रोज ऐसे ही प्यार से चोदना, मैं कुतिया बनकर पूरी जिंदगी तेरी बन कर रहूँगी।
अब वो भी अपनी कमर को ऊपर उठाने लगी, गाड़ी दोनों ओर से चल रही थी, मुझे बहुत मजा आ रहा था। धीरे-धीरे करने से चुदाई देर तक रह सकते हैं।
वो एक बार और झड़ गई, मैंने लौड़ा बाहर खींच कर उसकी पैंटी से उसकी चूत पोंछ दी क्योंकि गीली चूत को चोदने में मजा नहीं आता।
अब मैंने उसके दोनों पैरों को एक हाथ से ऊपर कर दिया जिससे उसकी चूत ज्यादा ऊपर आ गई। उसके कूल्हे बड़े-बड़े थे, मैं उसका वर्णन नहीं कर सकता, केवल दिल में ही सोच सकता हूँ।
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी वो ‘आ… आ…’ करने लगी- जोर से… आ… करो… मुझे.. जिदंगी…भर… का आह मजा..दिया है आ..मैं… आहहह कभी भूल नहीं सकती… आहहह क्या कर रहे हो…आउच…मर गई.. आह… करो.. करो. जोर..से करो…और तेज…आ…आह…मेरे जानू…करो आ…!”
मैं अब फुल स्पीड से चोदने लगा, मेरा लण्ड उसकी चूत की धज्जियाँ उड़ाने में लग गया था, ऐसा लग रहा था कि उसकी  चूत में भूंकप आ गया हो।
वो बहने लगी, बहुत तेज गति से पानी बाहर आने लगा जैसे किसी ने अन्दर से नल खोल दिया हो।
वो बोली- आज जिंदगी में पहली बार इतनी तेज झड़ी हूँ कि मेरी पैंटी पूरी गीली हो गई।
मैंने पूछा- तुमने पहले कब किया !
तो वो बोली- हम तो रोज ठुकती हैं, डॉक्टर हमें कहाँ कुंवारी रहने देते हैं, लेकिन उनके साथ मज़ा नहीं आता वे तो अपना पानी निकाल के हमें दुत्कार देते हैं, हम सहेलियाँ आपस में एक-दूसरे की प्यास बुझाती हैं, मजा लेती हैं, डॉक्टरों से चुदना तो हमारी मज़बूरी है।
अब मुझे भी थकान होने लगी थी, मैं पसीने-पसीने हो गया, साईड में दर्द हो रहा था, मैं पूरे जान लगाकर धक्के देने लगा, दूसरी ओर उसकी सिसकारियाँ चीखों में बदल गईं।
वो बोली- इंसान की तरह चोदो, भूतों की तरह नहीं.. आह….आहहाआ..उ.. धीरे कर यार, मुझे दर्द हो रहा है, अब मत कर..!
और इसी के साथ मैं झड़ गया। मैंने अपना मूसल बाहर निकाल कर आठ-दस पिचकारियाँ छोड़ी जो कभी उसके बोबों पर, चूत पर, आंखों पर पहुँच गईं।
हमने एक-दूसरे को कस कर पकड़ लिया, एक-दूसरे की बांहों में सो गए। दूसरे दिन 1.00 बजे हमारी नींद खुली और दोनों एक-दूसरे को देखकर हँसने और चूमने लगे।
वो बहुत हसीन लग रही थी, उसकी बोबे पूरे लाल थे, होंठों पर काटने के निशान, चूत की लालिमा बाहर तक दिख रही थी।
जैसे ही मैंने उसकी चूत पर उंगली लगाई, वो उछल पड़ी- दर्द हो रहा है.. तुमने इसकी हालत खराब कर दी..!
फिर हम बाथरूम में नहाने चले गए। आगे की कहानी फिर कभी आपको सुनाऊँगा।
जैसा हुआ वैसा ही मैंने आप लोगों का सुना दी। मुझे आप लोगों की कमेंट की जरुरत हे ताकि आगे लिखसकु।

गर्लफ़्रेन्ड से मिलने का प्यास (GirlFriend Se Milne Kaa Pyas)

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जय
नमस्कार पाठको, मैं जय ग्रेटर नोएडा से, सबसे पहले आप सबका धन्यवाद करता हूँ कि आप सभी को मेरी पिछली कहानी काफी पसंद आई और आपके सुझावों और सराहना के लिए शुक्रिया। में bhauja के सरे पाठकों को मेरे तरफ से ढेर सारे थ्यांक u ।

यह बात आज से तीन साल पुरानी है। मैं नौकरी की तलाश में ग्रेटर नोएडा आया हुआ था, वहाँ मैं अपने दोस्त के साथ एक ब्वॉय्ज-हॉस्टल में रुका था।
जहाँ यह हॉस्टल था, उसी हॉस्टल के पास में लड़कियों के कई हॉस्टल हैं, जिस वजह वो जगह लड़कियों से हमेशा भरी रहती थी और मैं हमेशा सोचता रहता था कि मुझे कब कोई गर्ल-फ़्रेन्ड मिलेगी क्योंकि मेरे दोस्त की भी गर्ल-फ़्रेन्ड थी, जिसका नाम हीना था।
बस एक मैं ही ऐसा था, जिसके पास एक भी गर्ल-फ़्रेन्ड नहीं थी।
लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी और तभी मेरे दोस्त की गर्लफ़्रेन्ड से मिलने का मौका मिला।
हुआ कुछ इस प्रकार कि वो दोनों एक रेस्टोरेन्ट में मिलने गए, तभी हीना की एक दोस्त रीना भी वहीं काफ़ी पीने के लिए आ गई तो मेरे दोस्त ने मुझे भी फ़ोन करके बुला लिया।
जैसे ही मैं रेस्टोरेन्ट में पहुँचा, तो देख़ा की एक करीब 22-23 साल की लड़की उन दोनों के पास बैठी थी।
उसका रंग गोरा और फ़िगर एकदम मस्त था। उसका कद कोई 5’2″, चूची 36″, कमर 30″ कूल्हे 38 इन्च के थे, वो दिखने में एकदम माल, ऐसी कच्ची कली, जो अभी खिलनी बाकी हो।
वो सलवार कमीज पहने हुए थी।
मुझे तो उसे देखते ही उससे प्यार हो गया था।
मैं उनके पास जाकर बैठ गया और मेरा पूरा ध्यान उसकी चूचियों की गोलाई की तरफ था।
मेरे दोस्त ने हमारा परिचय कराया और धीरे से मेरे कान में बोला- इसे पटा ले।
मैंने कहा- ऐसे कैसे किसी को भी पटा लूँ..! मैं तो इसे अच्छे से जानता भी नहीं हूँ।
बाद में हीना ने कहा- मेरी सहेली काफ़ी शरीफ़ है, आसानी से पटेगी नहीं, पर अगर मैं कुछ मदद करूँ तो तुम्हारी बात बन जाएगी।
तो मैंने हीना से कहा- नेकी और पूछ-पूछ..!
उसके बाद हम दोनों, मैं और रीना, हीना की मदद से मिलने लगे, लेकिन मैं थोड़ा शर्मीले स्वभाव का हूँ तो रीना से अपने दिल की बात को कहने से डरता था, कहीं बुरा ना मान जाए।
लेकिन हीना और मेरा दोस्त वहाँ भी मेरे काम आए। हीना के जरिए मुझे पता चला कि रीना भी मुझे इतना ही प्यार करती है, जितना कि मैं उसे करता हूँ।
उसके बाद हम दोनों अक्सर फोन पर बातें करने लगे और हमने एक-दूसरे को अपने दिल की बात बता दी और मैं उससे अकेले में मिलने लगा।
हम लोग मिलकर खूब मजा करते। मैं कभी उसकी चूचियों को दबा देता, तो कभी-कभी हमारा ‘किस’ इतना लम्बा हो जाता कि हम भूल जाते कि हम हैं कहाँ।
लेकिन एक दिन उसने मेरे सर पर बम फ़ोड़ दिया। उसने बताया कि अगले महीने में उसकी शादी है, मेरा तो जैसे दिल टूट गया।
पर फ़िर भी मैंने हिम्मत करके उससे कहा- मैं उससे बिल्कुल अकेले में मिलना चाहता हूँ, वो भी उसकी शादी से पहले..!
तो उसने कहा- मैं कोशिश करूँगी।
एक रात हमने मिलने का प्लान बनाया, वो भी उसके घर पर, जबकि उसके घरवाले घर पर ही थे।
उसने कहा- जब सब सो जाएं तो रात को 11 बजे आ जाना।
मैंने कहा- ठीक है..!
मैं रात का इन्तजार करने लगा। मैं दोस्त के साथ रहता हूँ, तो इसलिए मुझे रात को जाने की कोई प्रोब्लम नहीं थी।
रात को 11 बजे मैं रूम से निकला और उसके घर चल दिया। जैसा कि हम लोगों में तय हुआ था कि जब सब सो जाएंगे, तो वो मेरे लिए गेट खोलेगी। जब उसने गेट खोला तो देख़ा कि उसने एक चादर ओढ़ रखी है। वो अन्दर से बिल्कुल नंगी थी।
मैंने सिर्फ सुना था कि लड़की पूरी नंगी और पूरे कपड़ों में कम ही अच्छी लगती है। जो मजा थोड़ा छुपाने में और थोड़ा दिखाने में आता है, वो किसी और में नहीं आता।
मैं जल्दी से अन्दर गया, उसे ‘किस’ किया, उसने गेट बंद किया और अन्दर चलने को कहा।
मैं अन्दर उसके कमरे में गया। वो मेरे लिए दूध लेकर आई थी, जो हमने आधा-आधा पिया।
फिर मैं उसे चूमने लगा। लगभग 15 मिनट तक हम दोनों चूमा-चाटी करते रहे।
उसके होंठों पर ‘किस’ किया फिर गर्दन पर…!
कहते हैं कि लड़की की गर्दन पर ‘किस’ करो, तो वो जल्दी गर्म हो जाती है, वो भी गर्म हो गई।
वो नीचे बैठ गई और मेरी पैन्ट खोल दी। उसने मेरा लन्ड निकाल कर अपने हाथ में पकड़ लिया और उससे खेलने लगी, फ़िर उसने लंड मुँह में ले लिया।
मैंने कहा- जान मन लगाकर इसके साथ मजे करो …!
तो वो मेरे लन्ड को ऐसे चूसने लगी, जैसे लॉलीपॉप हो। उसने लगातार दस मिनट तक मेरे लन्ड को चूसा।
उसके बाद मैंने उसे पलंग पर बैठा दिया और उसकी चूत चाटने लगा और उसी के साथ-साथ अपनी एक ऊँगली भी उसकी चूत में अन्दर-बाहर करने लगा।
उसके मुँह से सिसकियां निकलने लगीं- …आआऊऊउ क्क्कहह्… आआअ… बस्स्… ब्स्स्सस..!
फ़िर उसके बाद मैंने उसे ख़ड़ा किया और उसे मेज पर बैठा दिया और उसकी चूत चाटने लगा। मैंने भी लगभग दस मिनट उसकी चूत को चूसा।
उसके बाद मैं खड़ा हुआ और उसकी जाँघों के बीच आकर अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा।
रीना की आवाज निकलने लगी- उफ्फ, ओह्ह !
जब उससे रहा ना गया तो उसने कहा- जान अब डाल भी दो अन्दर..!
मैंने अपना सुपारा उसकी चूत के छेद पर रखा और उसकी चूचियाँ पकड़ लीं और उसकी चूत पर एक हल्का सा धक्का दिया मारा।
मेरा आधा लंड भीतर चला गया, वो जोर से चिल्लाई तो मैंने अपना हाथ उसके मुँह पर रख दिया और उसे चूमने लगा।
पाँच मिनट बाद उसका दर्द जब कम हुआ, तो मैं धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करने लगा। अब उसकी दर्द कि छ्टपटाहट धीरे-धीरे मादक सिसकारियों में बदल गई।
अब बस उसके मुँह से ‘आआऊऊ उम्म ह्ह्ह्ह …आआ आआआअ… बस्स्स…ब्स्स्सस् स्स्स..!’ की ही आवाज आ रही थीं और बोल रही थी- जान बहुत मजा आ रहा है..!
थोड़ा देर उसी आसन में चुदाई करने के बाद वो बोली- जान अगर तुम कहो तो अब मैं करूँ..!
मैंने कहा- हाँ जान… बिल्कुल, अब तुम करो..!
वो मेरे लंड के ऊपर बैठ गई और जोर-जोर से ऊपर-नीचे होने लगी।
वो इतने जोर से चोदने लगी कि लगा मैं जल्दी झड़ जाऊँगा, मैंने उसे रूकने को कहा क्योंकि मैं जल्दी नहीं झड़ना चाहता था।
फिर मैं उसे बाहर आँगन में ले गया, उसके सारे घरवाले गहरी नींद में सो रहे थे, तो कोई डर नहीं था।
चांदनी रात थी, तो मुझे उसका मख़मली बदन बिल्कुल साफ दिख रहा था।
मैंने कहा- रीना जान दीवार के साथ लग जाओ।
वो दीवार के साथ लगकर खड़ी हो गई।
मैंने पीछे से अपना लंड उसकी चूत में पेल दिया और वो चिल्ला पड़ी, “हाए रे… मार डाला… जी… आआआ अह्ह्ह्ह् ह्ह्ह्ह् … आआअह्ह ह्ह…जी.. प्लीज थोड़ा धीरे करो जान प्लीज..!”
तो मैं फ़िर थोड़ा धीरे-धीरे उसे चोदने लगा। लगभग 15 मिनट तक उसको चोदने के बाद जब मुझे लगा कि मेरा निकलने वाला है तो मैं फ़िर से उसे बहुत तेज-तेज चोदने लगा।
उसने कहा- थोड़ा और जोर से करो, मेरा भी कुछ निकलने वाला है..!
तो मैं उसे बहुत तेज-तेज चोदने लगा और फ़िर आखिर में वो इन्तजार की घड़ी आ ही गई, हम दोनों बुरी तरह से एक-दूसरे को जकड़े हुए थे और झड़ रहे थे…!
उस रात हमने दो बार चुदाई की क्योंकि उसके बाद हमें पता नहीं था कि दोबारा मिलने का मौका मिले या ना मिले..
पर मुझे नहीं पता था कि वो अब मेरे लंड की इतनी शौकीन हो गई है, वो अब भी जब उसका पति घर नहीं होता तो मुझे कॉल कर देती है।
एक बार तो हम 2 रात 3 दिन एक साथ रहे थे, बिलकुल नंगे… वो भी उसी के घर पर…!
आपको मेरी कहानी कैसी लगी? अपनी राय जरुर दें।

मासूम सी जोया की हकीकत (Masum Si Joya Ki Hakikat)

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जावेद
आप सभी को मेरा प्यार भरा नमस्कार !
मैं जावेद, भाउज डट कम  का नियमित पाठक हूँ और सुनीता भाभी से मेरी ढेर सारी प्यार हे।  आज आपको अपनी सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूँ।
बात तब की है जब मैं कालेज में नया-नया गया था, पहली बार लड़कियों के साथ पढ़ने का मौका मिला था।
मैं खुश था क्योंकि बचपन से सरकारी स्कूल में लड़कों के साथ ही पढ़ाई का मौका मिला था। अब जहाँ देखो, लड़कियाँ ही लड़कियाँ थी। मैं घंटों सिर्फ़ यह सोचता रहता कि कैसे मैं किसी लड़की को पटाऊँ ताकि कई सालों की दबी हुई हवस पूरा करने का सपना सच हो।


खैर मैं अपनी कोशिश में लगा रहता था और हर आती जाती को लाइन भी मरता था ना जाने कब कोई पाट जाए उम्मीद पर दुनिया कायम है यही सोच कर मिशन पर लगा रहता था.
हमारे कालेज में ज़ोया नाम की एक लड़की पढ़ती थी, काफ़ी खूबसूरत थी, काले घने बाल, जो उसके कूल्हों तक आते थे, बड़ी बड़ी आँखें, सांवला रंग, तीखे नैन-नक्श और गोल गोल चूचियाँ उठे हुए चूतड़, उसको देख कर किसी भी मर्द का लण्ड खड़ा हो जाए !
कालेज के सभी लड़कों के साथ साथ टीचर भी उस पर मरते थे।
पर वो बहुत कम बोलती थी और हंसी मज़ाक बिल्कुल नहीं करती थी जिसकी वजह से सब उससे डरते थे और छुप छुप कर सिर्फ़ निगाहों उसकी बेदाग खूबसूरती का लुत्फ़ उठाते थे।
मैं अब छिछोरे लड़कों की लिस्ट में नम्बर एक पर आ चुका था, आए दिन कोई ना कोई लड़की मेरी शिकायत करती थी जिससे मैं पूरे कालेज में बदनाम हो गया था, अब कोई लड़की मेरे पास से भी नहीं गुज़रती थी।
मैं बेहद दुखी था कि क्यूँ मैं अपने को संभाल नहीं पाया !
खैर अब मैं बदनाम हो गया था तो सोचा कि क्यूँ ना कुछ करके ही बदनाम हो जाऊँ !
अब मैंने भी कालेज की हरामी लड़कियाँ पटानी शुरू की और उनको कभी खाली क्लास में ले जा कर उनकी चूचियाँ दबाता, कभी उनको अपना लण्ड चुसवाता और कभी मौका देखकर उनकी चुदाई भी करता !
मैं बहुत खुश था, हर हफ्ते किसी ना किसी की चूत मिल जाती थी और चूमाचाटी करना, चूचियाँ दबाना तो आम बात थी मेरे लिए !
मैं पक्का चूत का पुजारी हो गया था।
एक दिन जब मैं कालेज से घर जा रहा था, मैंने देखा कि ज़ोया बड़ी घबराई हुए भागी जा रही है।
मैंने अपनी बाइक उसके पीछे लगा दी, आगे निकल कर मैंने उसे रोका तो वो रुकते ही मुझे कस कर पकड़ कर बोली- जावेद, मुझे बचा लो, मेरे पीछे कुछ गुंडे-बदमाश लड़के लगे हुए हैं, जो काफ़ी देर से मेरा पीछा कर रहे हैं।
मैंने कहा- घबराओ नहीं, मैं हूँ ना !
फिर मैंने इधर उधर देखा तो 2-3 मवाली से लड़के उसका पीछा कर रहे थे।
मैंने जैसे ही उनको देखा, वे मुझे घूरने लगे।
मैं भी डरा नहीं और उनको घूरने लगा।
तभी मेरे भाग्य से एक बीट कॉन्स्टेबल पेट्रोलिंग करता हुआ आ गया।
उसको देखते ही वो मवाली भाग खड़े हुए !
ज़ोया इतनी घबराई हुई थी कि उसने उस कॉन्स्टेबल को देखा नहीं और यह सोच बैठी कि मुझे देख कर सब बदमाश भाग गये।
मैंने भी डींग मारते हुए कहा- देखा, भाग गये सब ! अब मत घबराओ।
फिर मैंने उसे पानी पिलाया और मैं उसे रेस्तराँ में लेकर गया। हमने वहाँ थोड़ा खाया-पिया और खूब बातें की।
अब वो भी सामान्य हो गई थी, मैं अपनी बकचोदी से उसे हंसा रहा था और वो मेरे साथ खूब खुश हो रही थी।
अब मैं उससे कालेज में खूब बात करता तो सबकी झांट जल कर रह जाती कि मैंने ज़ोया को कैसे पटा लिया।
खैर अब मुझे उससे और उसे मुझसे प्यार हो गया था पर इकरार की कमी थी।
खैर एक दिन हिम्मत करके मैंने उसे प्रपोज़ कर ही दिया।
पहले तो वो नखरा करने लगी पर फिर मान गई।
अब मेरी अगली मंज़िल थी उसकी चुदाई ! जो जल्द पूरी करनी थी।
एक दिन कालेज के बाद में ज़ोया को अपने कालेज की ओल्ड ब्लॉक बिल्डिंग में ले गया जो अब इस्तेमाल में नहीं थी, वो आशिकों का अड्डा थी जहाँ मैंने कई चूतें चोदी थी।
मैं ज़ोया को खाली कमरे में ले गया और दरवाज़ा बंद कर दिया।
पहले तो वो घबराई पर मैंने उसे कहा- डरो मत, मैं हूँ ना ! कुछ नहीं होगा।
तो वो मुस्कुराते हुए कहने लगी- जब तुम साथ हो तो डरना कैसा !
वो मेरे सीने से चिपक गई, हमने चूमाचाटी शुरू की, चुम्बन करते करते मैं गर्म हो गया और ज़ोया के कपड़े उतारने लगा।
ज़ोया भी गर्म हो चुकी थी, उसे भी अब जवानी का नशा चढ़ रहा था पर उसकी फट रही थी कि कहीं पकड़े ना जाएँ।
वो घबरा कर बोली- जावेद छोड़ दो, कोई आ जाएगा तो हम फंस जाएगे !
मैंने कहा- डरो मत मेरी जान, कालेज ख़त्म हो चुका है, कोई नहीं आएगा।
और इतना कहकर मैंने उसका टॉप उतार दिया।
उसने काले रंग की ब्रा पहन रखी थी, ब्रा के अंदर उसकी चूचियाँ बाहर आने को मचल रही थी।
जैसे ही मैंने उसकी ब्रा का हुक खोला, वो आज़ाद कबूतर उछल कर मेरे सामने आ गये।
मैंने उन्हें चूसना शुरू किया तो वो मचल उठी और मेरे बाल पकड़ कर मेरा मुँह अपनी चूचियो में घुसेड़ने लगी।
उसे बहुत मज़ा आ रहा था।
फिर मैंने उसकी जीन्स का बटन खोला तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और मना करने लगी, बोली- नहीं, बस जावेद… इतना ही काफ़ी है। अब और नहीं… मैं पागल हो जाऊँगी।
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मैंने उसकी एक ना सुनी और अपनी जीन्स की ज़िप खोलकर अपना छः इन्ची उसके सामने पेश कर दिया।
वो मेरे लण्ड को देखकर दंग रह गई और कहने लगी- जावेद तुम्हारा तो बहुत मस्त है, मैंने अब तक कई लण्ड खाए हैं पर ऐसा नहीं देखा !
और कहते हुए मेरा लण्ड अपने मुख में लेकर चूसने लगी।
मैं हैरानी से उसका चेहरा देख रहा था। कितनी शरीफ़जादी बन कर कॉलेज में आती थी ज़ोया !
पर क्या चूसा था उसने !
एकदम रंडी की तरह !
मैं अब जोश में आ चुका था और उसके बाल पकड़ कर अपना लण्ड चुसवा रहा था, कह रहा था- चूस रंडी… चूस… पी ले मेरे लण्ड का रस… मेरी रानी…
वो मेरी बात सुनकर और तेज़ी से मेरा लण्ड चूस रही थी और रंडी की तरह ज़बान घुमा घुमा कर चाट रही थी।
मैंने हैरान होते हुए पूछा- वाह ज़ोया, तुम तो बड़ा मस्त लण्ड चूसती हो?
तो वो बोली- मैंने काफ़ी छोटी उमर से लण्ड खाना शुरू कर दिया था, सबसे पहले बड़े भाई ने मुझे लण्ड खिलाया, फ़िर चाचू और मामू ने मुझे चोदा, फ़िर मुझे लण्डों का शौक हो गया और फिर कोई भी मर्द जो मेरे करीब आया मुझे चोद कर ही गया।
यह कहते कहते ज़ोया लण्ड भी चूस रही थी।
मैंने फिर पूछा- तो तुम कॉलेज में सबसे बात क्यूँ नहीं करती थी?
वो बोली- मोहल्ले में मैं काफ़ी बदनाम हूँ इसलिए कालेज में अपने को छुपा के रखा था। पर मेरी किस्मत में तुम्हारा लण्ड था सो मिल गया !
अब मेरी नज़र में ज़ोया सिर्फ़ एक रंडी थी।
मैंने मन ही मन उसकी चूत फाड़ने की ठान ली।
अब बारी मेरी थी, मैंने उसे डेस्क पर लिटा दिया और उसकी जीन्स उतारी, फिर उसकी काली कच्छी उतारी।
क्या चूत थी उसकी ! बिल्कुल साफ ! बालों का नामोनिशान भी ना था !
मैंने उसकी चूत चाटनी शुरू की, वो पागल की तरह अपने चूतड़ उठा उठा कर मेरा साथ देने लगी और मैं उसकी चूत को अपनी जुबान से चोद रहा था।
उसका शरीर अकड़ने लगा और वो एकदम से झड़ गई, मैंने उसका सारा रस पी लिया।
फिर मैंने उसको घोड़ी बनने को कहा तो वो उल्टी घूम कर डेस्क पकड़ कर खड़ी हो गई।
मैंने अपना लण्ड उसकी चूत पर रखा और बड़े आराम से मेरा लण्ड उसकी चूत में चला गया।
पूरी रंडी थी ना ! जाने कितने लण्ड खा चुकी थी !
खैर मैंने भी अब चुदाई शुरू की और धक्के लगाए।
पहले तो मैंने आराम से धक्के मारे, जब उसे असर नहीं हुआ तो मैंने उड़की कमर पकड़ कर अपना लण्ड तेज़ी से अंदर-बाहर करना शुरू किया।
अब उसकी फटनी शुरू हुई… पहले तो चिल्लाने लगी कि ‘छोड़ दो मुझे प्लीज़ !’
फिर 12-15 धक्कों के बाद उसे मज़ा आने लगा, बोली- जावेद… मेरी जान… मेरी चूत फाड़ दो ! मुझे रंडी की तरह चोदो… आह… आ… आज कई दिनो के बाद लण्ड का स्वाद चखा है… वाह… मेरी चूत तरस गई थी… आह… मज़ा आ गया… और चोदो… आ आ… आहाहह… और वो फिर झड़ गई !
मैं भी झड़ने वाला था, मैंने उसे कहा- जान… मैं भी झड़ने वाला हूँ !
तो वो बोली- चूत में मत झड़ना… मैं अपनी जान का रस खुद पियूंगी… बहुत दिन हुए पिए हुए !
मैंने अपना लण्ड उसके मुँह में डाल दिया और वो सारा रस पी गई, मेरा लण्ड चाट चाट कर एक्दम साफ़ कर दिया।
फिर कुछ देर हम वहीं पड़े रहे।
थोड़ी देर बाद मेरा लण्ड फिर खड़ा हो गया, मैंने कहा- ज़ोया, तुम्हारी चूत मस्त है, अब गाण्ड का स्वाद चखा दो…
वो कहने लगी- जान… यह ज़ोया तुम्हारे गुलाम हो गई है, तुम्हारे लण्ड ने जितना मज़ा मुझे दिया, आज तक नहीं आया था। आज जो माँगोगे, मिलेगा !
और अपने चूतड़ मेरे लण्ड की तरफ करके बैंच पर लेट सी गई।
मैंने भी मौका ना गंवाते हुए उसकी गाण्ड में अपना लण्ड डाला और उसकी चूचियाँ दबाने लगा और उसकी गाण्ड में झटके लगाने लगा।
अब वो भी रंग में आने लगी और मस्ती में कूल्हे उठा उठा कर अपनी गाण्ड मरवाने लगी।
मैंने दस निनट तक उसकी गाण्ड मारी और गाण्ड में ही झड़ गया…
फिर थोड़ा आराम करने के बाद हम खड़े हो गए…
मैंने बाहर देखा तो किसी के होने का एहसास हुआ।
मैंने ज़ोया को चुप रहने का इशारा किया और हमने जल्दी से कपड़े पहने और बाहर की तरफ चले गये।
इमारत से बाहर निकलते ही मैंने ज़ोया को आगे भेज दिया और खुद बिल्डिंग के गेट के पास एक पेड़ के पीछे छिप गया यह देखने के लिए कि अंदर कौन है।
मैं जानता था कि बाहर आने का यह एक ही रास्ता है और जो भी हमे देख रहा था, वो बाहर ज़रूर आएगा…
मेरा शक दरबान पर था, उसकी आदत थी छुप चुपके देखने की…
खैर करीब दस मिनट के बाद मुझे पैरों की आहट आई, मैं सतर्क हो गया और देखने लगा कि है कौन आख़िर !
मेरे पैरों के नीचे से ज़मीन निकल गई जब मैंने देखा कि वो सिविक्स की टीचर सुषमा मैडम है।
मुझे डर लगा कि अब क्या होगा क्यूँकि सुषमा मैडम ने मुझे और ज़ोया को चुदाई करते देख लिया है, अगर प्रिंसीपल से शिकायत की तो??
खैर ऐसा कुछ नहीं हुआ और मेरी मस्ती चलती रही।
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ଫିଲ୍ମ ଦୁନିଆ ରୁ ରିଅଲ୍ ପ୍ରକୃତି (Film Duniaru Real Prakruti)

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Writer: Sunita Prusty
Publisher: Bhauja

मुहब्बत में सील तुड़वा ली (Mohabat Mein Sil Tudwa Li)

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प्राची सिंह
हैलो दोस्तो, जूजा का आप सब को प्यार भरा नमस्कार..
फेसबुक पर मेरे आप सब मित्रों के बार-बार के आग्रह पर, मैं इस बार एक ऐसी लड़की की चुदाई की कहानी लिख रहा हूँ, जिसे मैंने अभी तक देखा नहीं है।
हालांकि उसने मुझसे एक वादा किया है और इस कहानी को लिखने के बाद मैं उसे उस वादे की याद दिलाऊँगा।
खैर छोड़िए इन बातों में क्या रखा है।
उस लड़की ने मुझे जो बताया है, आप उसको उसी के शब्दों में सुनिए और जो भी आपको कहना हो वो उसकी ईमेल आईडी पर ही कहिए। तो मेने सच्चा की भाउज डट कम पर उसकी कहानी को publish करूँ । Bhauja के एडिटर सुनीता भाभी से ये कहानी को आप लोगों तक पहँचाता हूँ ।  चोलो ये कहानी का मजा लेतें हैं ।

हैलो… मैं प्राची हूँ, मुरादाबाद (उत्तरप्रदेश) की रहने वाली हूँ।
अभी नई-नई अल्हड़ जवानी में पकी हुई सरसों की बालियों जैसी लहलहा रही हूँ।
मेरे वक्ष के उभर 34 इंच के हैं और शक्ल आलिया भट्ट जैसी है।
जो भी मुझे एक बार देख ले बस समझिए कि उसका सिग्नल अप हो जाता है।
मेरी सील टूट चुकी है जो कि मेरी खुद की चुदास ने मेरे अपने बॉय-फ्रेंड से तुड़वा दी थी।
उसी की यह कहानी लिख रही हूँ, अच्छी लगे या बुरी, मुझे जरूर मेल करना।
तीन साल पहले की बात है, मैं 12वीं में पढ़ती थी, बोर्ड के एग्जाम थे सो कोचिंग जाती थी। कोचिंग में ही मेरे बगल की सीट पर एक गबरू जवान लड़का पीयूष से मेरी आँख लड़ गई।
शुरुआत तो उसने नहीं की थी, पर ‘चुल्ल’ तो मेरी जवानी में थी, सो खुद ही उस को झुक-झुक कर अपनी घाटियाँ दिखाने लगी।
लौंडा जवान था साला.. कब तक नहीं फिसलता। मेरी गोरी-गोरी मुसम्मियाँ देख कर हरामी का लौड़ा फुफकारने लगता होगा।
मुझे इस बात की जानकारी थी कि जब मैं झुक कर उसे अपने मम्मे दिखाती हूँ तो वो मुझे बड़ी प्यासी नजरों से देखता था।
मैं भी अन्दर ही अन्दर सोचती थी कि मसक दे मेरे मम्मे हरामी..
पर साला फट्टू था।
वो बस होंठों पर जुबान फेर कर रह जाता था, बड़ी हद हुई तो लौड़ा सहला देता था।
मैं मन ही मन कुढ़ती थी कि कहीं मैं साले नामर्द पर दांव तो नहीं लगा रही हूँ..!
फिर एक दिन मैंने अपना मन पक्का कर लिया था कि आज इस चूतिया से कुछ बात करूँगी।
रोज की तरह कोचिंग में मेरे बगल में आकर बैठ गया, कुछ देर बाद मैंने अपना पेन नीचे गिरा दिया और झुक कर उठाने के लिए उसकी तरफ देखा।
तो उसने कहा- इधर नीचे गिरा है.. उठा ले..!
मैंने तनिक मुस्कुरा कर कहा- मतलब तुझे मालूम ही कि मैं ही झुक कर उठाऊँगी.. तू नहीं उठाएगा बल्कि देखेगा..!
बोला- क्या देखूँगा…?
मैंने भी ठोक कर कह दिया- जैसे तू तो सूरदास की औलाद है कुछ देखता ही नहीं है..!
बोला- तू क्या देखने दिखाने की बात कर रही है मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा … खुल कर बोल न ..!
मैंने कहा- तुझे संतरे अच्छे लगते हैं?
“हाँ ..मेरा तो सबसे पसन्दीदा फल है ..!”
“तुझे संतरे देखना अच्छा लगता है..!”
“देखने से क्या होता मैं तो संतरा का रस पीता हूँ..!”
अब बात कुछ दोअर्थी होने लगी थी, जिसे मैं भी समझ रही थी और पीयूष भी समझ रहा था।
मैं अपना पेन उठाने उसकी तरफ को झुकी और उसने भी डेस्क के नीचे अपने हाथ ले जाकर मेरे मम्मों को मसक दिया। मेरे मुँह से हल्की सी
सिसकारी निकल गई ‘उई’.. उसने जल्दी से हाथ हटा लिया।
मैंने पेन उठाया और ऊपर को उठते हुए उसके लौड़े को मसल दिया।
वो मेरी हरकत को देख रहा था, उसे एक बार तो विश्वास ही नहीं हुआ कि मैंने उसका लौड़ा दबाया है।
मैं उसकी तरफ देख कर मुस्कुरा दी, उसने भी मुझे आँख मार दी।
बस उसी समय से मुझे वो वाला गाना बहुत पसंद हो गया-
“एक आँख मारूँ तो, परदा हट जाए,
दूजी आँख मारूँ कलेजा कट जाए..!
दोनों आँखें मारूँ तो ..
छोरी पट जाए.. छोरी पट जाए…
खैर साहब लौंडा पट गया था, अब मुझे अपनी ‘कंटो’ की खुजली का इलाज कराना था।
कोचिंग खत्म हुई पीयूष और मैं बाहर निकले, पीयूष ने मुझसे कहा- चल कॉफ़ी पीने चलते हैं।
मैंने कहा- आज नहीं कल चलेंगे .. आज जल्दी जाना है, कल तू जल्दी आ जाना। मैं घर पर कह कर आऊँगी कि मुझे एक सहेली के घर नोट्स लेने जाना है।
“ठीक है हनी .. बाय..!”
हय… उसके मुँह से ‘हनी’ सुना तो कलेजे में ठंडक पड़ गई। जीवन में पहली बार किसी लड़के ने प्यार से ‘हनी’ बोला था।
घर जाकर बिस्तर पर औंधी हो कर लेट गई.. दिल सातवें आसमान पर था। मानो जगत की सारी खुशियाँ मिल गई हों।
मैं हवा में उड़ने लगी थी।
अब बस पीयूष ही पीयूष दिख रहा था। बार-बार मेरा हाथ मेरी चूचियों पर जाता था।
उसके हाथों ने मेरी चूचियों को मसका था, बस बार-बार उसी स्पर्श को याद कर रही थी।
तभी पीयूष का मैसेज आया, “आई लव यू”.. दिल बाग़-बाग हो गया। मैंने भी तुरन्त जबाब दे दिया, “आई लव यू टू”।
अब हमारे प्यार की कहानी आगे बढ़ने लगी रोज ही आँखों में मस्ती होती थी। मैं अपने सजने-संवरने पर विशेष ध्यान देने लगी थी। अपने मम्मों को उठा कर चलने लगी थी और पीयूष को मम्मों की झलक आराम से मिले ऐसी कोशिश करने लगी थी।
एक दिन पीयूष ने मुझे मैसेज भेजा, “अब रहा नहीं जाता है मुझे सब कुछ करना है..!”
मैंने भी जबाब दे दिया, “रोका किसने है…!”
उसका फिर से मैसेज आया, “किधर मिलें..?”
मैंने लिखा, “मुझे नहीं मालूम..!”
उसने कहा- बाहर चलेगी..!
मैंने कहा- सोच कर बताऊँगी..!
अब बस दिल में बेचैनी थी कि कैसे मिलें और अपनी आग बुझाएं।
जल्द ही मौका मिल गया मुझे एक टेस्ट देने के लिए दिल्ली जाना पड़ा।
मैंने घर में बताया तो मम्मी ने कहा- ठीक है चली जा वहाँ तेरे मामा रहते हैं उनके घर पर रुक जाना।
मैंने कहा- ठीक है।
अब मैंने पीयूष को बताया तो उसने एक दिन पहले दिल्ली पहुँच कर एक होटल में सब बुकिंग वगैरह कर ली। मैं अपने एक परिचित के साथ दिल्ली तक गई और मामा जी के घर पर रुक गई।
एक घंटे बाद को मैंने पीयूष को बताया और उसको मुझे ले जाने को कहा तो वो नजदीक के बस स्टॉप पर खड़ा हो गया।
मैं मामी से कह कर सेंटर देखने निकल गई।
दूसरे दिन पेपर था, मैं मामी से कह कर गई थी कि मुझे समय लग सकता है आप परेशान मत होना।
बस स्टॉप पर पीयूष मिला और हम लोग होटल पहुँच गए।
होटल में जैसे ही हम रूम में गए तो दोनों ही बेसब्र थे। पीयूष ने मुझे बाँहों में ले लिया और मैं भी उसके आगोश में लता सी लिपट गई।
ऐसा लग रहा था कि न जाने कब से बिछुड़े हों।
उसने मेरे होंठों को अपने होंठों से सटा लिया और हम दोनों ही एक-दूसरे को जी भर कर चूमने और चूसने लगे।
उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी। मैं उसकी जीभ को जबरदस्त तरीके से चूस रही थी। इसी गुत्थमगुत्था में कब हमारे कपड़े हमसे अलग हो गए, पता ही नहीं चला।
पीयूष ने मुझे पूरा नंगा कर दिया था और खुद भी नंगा हो चुका था।
उसने मुझे अपनी गोद में उठाया और बिस्तर पर ले गया। हमारी आँखों में सिर्फ चुदाई का नशा था। दुनिया जहान की तो जैसे कुछ याद ही नहीं थी।
पीयूष मेरे मम्मों को चूसने लगा। मेरी चूत में चींटियाँ सी रेंगने लगीं। मैंने भी उसका 6” का लौड़ा पकड़ लिया।
पीयूष का लौड़ा एकदम कड़क था। मैंने जैसा ब्लू-फिल्मों में देखा था कि कुछेक लौड़े बिल्कुल केले की तरह गोलाई लिए होते थे बिल्कुल वैसा ही लौड़ा मेरी चूत की सील तोड़ने के लिए लहरा रहा था।
उसके लौड़े की एक और ख़ास बात थी कि वो गोरा था।
अब पीयूष और मुझे बहुत चुदास चढ़ चुकी थी, सो वो मेरे ऊपर आ गया और उसने मेरी दोनों टाँगों को फैला दिया और मेरी चिकनी चूत में एक ऊँगली डाली।
पानी से लिसलिसी चूत देख कर पीयूष ने झट से अपने लौड़े का सुपारा मेरी चूत की दरार पर रख दिया।
इस समय मुझे वे सभी बातें बकवास लग रही थीं कि जब पहली बार लौड़ा घुसता है, तो बहुत दर्द होता है बल्कि मुझे तो ऐसा लग रहा था कि कब मेरी चूत में यह किल्ला घुसे, पर मैं कितनी गलत थी।
पीयूष ने सुपारा मेरी दरार में जैसे ही फंसाया, मेरी आँखें फट गईं … बहुत जोर से पीड़ा हुई। चुदाई का सारा ज्वार झाग सा बैठ गया।
यूं समझिए कि पीयूष ने सुपारा फंसाने के साथ ही एक जोर का शॉट मार दिया और उसका लण्ड मेरी चूत को फाड़ता हुआ अन्दर प्रविष्ट हो गया।
चूत के पानी की चिकनाई ने लौड़े को एकदम से अन्दर खींच लिया और मेरी चूत ने अपनी झिल्ली तुड़वा ली।
बहुत दर्द हो रहा था पर पीयूष पर तो जैसे चुदाई का भूत सवार था, उसने मुझ पर जरा भी रहम नहीं किया और ताबड़तोड़ दो-तीन धक्के लगा कर पूरा मूसल अन्दर पेल दिया।
मैं दर्द से छटपटा रही थी।
मैंने पीयूष से कराहते हुए कहा- जानू मैं मर जाऊँगी तुम बाहर निकाल लो प्लीज़ …!
पीयूष अब कुछ शान्त हुआ और उसने रुक कर मुझे पुचकारना आरम्भ कर दिया।
लगभग 2-3 मिनट के बाद ही मेरा दर्द कुछ कम होने लगा और फिर पीयूष ने मुझे धीरे-धीरे चोदना चालू किया। कुछ और धक्कों तक मुझे दर्द हुआ
फिर मुझे कुछ सनसनी सी होने लगी और दर्द अब आनन्द में बदल गया।
तब भी मैं कुछ अधिक नहीं कर पा रही थी, लेकिन दर्द नहीं हो रहा था। पीयूष मुझे लगातार रौंद रहा था।
फिर उसने मेरी आँखों में झाँका और झड़ने का इशारा किया, मैं मूक थी मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या कहूँ और पीयूष ने अपना लावा मेरी चूत में ही छोड़ दिया।
उसके गरम पानी ने मेरी चूत की जैसे सिकाई कर दी, उसका वो लावा जबरदस्त आराम दे रहा था।
कुछ मिनट तक हम दोनों यूँ ही लिपटे पड़े रहे फिर पीयूष उठा उसने अपने लौड़े को बाहर निकाला तो खून की एक लकीर सी दिखाई दी। मुझे मालूम था कि मेरी सील टूट चुकी है।
मैंने अपना सर्वस्व पीयूष पर न्यौछावर कर दिया था।
मैं पीयूष के साथ होटल की वो दास्तान बार-बार दोहराती रही और इस बात को आज 3 साल हो चुके हैं। पीयूष दिल्ली जा चुका है और मैं उसकी याद में बैठी हूँ कि वो कब आएगा और मुझे अपनी दुल्हनिया बनाएगा..!
मेरी प्यार की इस सच्ची कहानी को आपके सामने रखी है और आप सब की दुआएं चाहती हूँ कि मेरा प्यार जल्द मुझे वापिस मिल जाए।

लॉटरी में दो चूत मिलीं (Lottery Me Mili Do Chut)

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प्रेषक : राहुल सक्सेना
मेरा नाम राहुल है, भाउज डट कम पर मैं आज आपको अपनी सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ। यह कहानी सुन कर आपका अंग-अंग कामुक हो जाएगा।
कुछ एक दो साल पहले की बात है, मुझे किसी काम से जयपुर जाना था, वहाँ मेरी एक फ्रेंड रहती थी।
हम लोग कुछ एक-दो बार पहले भी मिले थे लेकिन कुछ खास हमारे बीच में हुआ नहीं था। दोस्तो, वो लड़की दिखने में एकदम पटाखा है। उसको देखते ही पूरे शरीर में कुछ-कुछ होने लगता है। उसका साइज़ होगा कुछ 34-30-34 होगा।

क्या बताऊँ दोस्तों.. वो क्या मस्त क़यामत दिखती है…!
देखने में एकदम गोरी है, जैसे दूध से नहाई हो
वहाँ जाकर मैंने उससे मिलने का प्लान बनाया लेकिन उसकी तबियत ख़राब होने के कारण हम मिल नहीं पाए।
फिर मेरे नसीब ने जोर मारा और थोड़ी देर में उसका फोन आया कि मैं उससे मिलने उसके घर आ जाऊँ।
मेरे मन में तो लड्डू फूटने लगे, बिल्कुल समय ख़राब न करते हुए मैं फटाफट उसके घर जाने के लिए तैयार हो गया।
मैंने रास्ते से उसके लिए एक बुके लिया और कुछ गिफ्ट्स लिए।
मैंने जल्दी से ऑटो लिया और उसके घर पहुँच गया। घर में उसके मम्मी, पापा, बड़ी बहन और वो भी थी। उसको इतने टाइम के बाद देखते ही मुझे कुछ होने लगा।
मुझे इतने टाइम के बाद देखते वो भी अपने आप को रोक न पाई और मुझसे आकर गले लग गई। उसके गले लगते ही उसके संतरे मुझे चुभने लगे।
पर क्या करता कुछ कर भी नहीं सकता था। बाकी सब लोग भी घर में जो थे।
घर के लोगों ने बताया कि उसकी सेहत ठीक नहीं है और डॉक्टर ने उसे बिस्तर से उठने से मना किया है। तो वो वापिस जाकर बिस्तर पर लेट गई।
उसकी मम्मी ने मेरे लिया नाश्ता बनाया और उसकी दीदी ने बोला कि तुम थोड़ी देर यहीं बैठ कर नाश्ता करो और सब से बातें करो, तब तक मैं उसको फ्रेश कर देती हूँ।
उसको बिस्तर से उठना मना था तो उसकी दीदी ही उसको तैयार करती थी। काश वो मैं कर पाता।
यही सोच रहा था तभी दीदी ने आवाज़ लगाई कि अब आप अन्दर आ सकते हो।
अन्दर जाकर देखा कि क्या बला की लग रही थी वो। उसने एक पतला सा सफ़ेद टॉप पहना हुआ था और कमर के नीचे के भाग में उसने चादर डाली हुई थी।
थोड़ी देर उससे बात करते-करते मैंने उसके हाथ को चूम लिया और वो शरमा गई। थोड़ी देर के बाद उसकी मम्मी-पापा किसी काम से बाहर गए और थोड़ी देर में दीदी भी बाहर चली गईं। अब घर में हम दोनों अकेले ही थे।
मैंने उससे पूछा- क्या मैं आपको चूम कर सकता हूँ??
उसने न ‘हाँ’ कहा और न ‘ना’ कहा।
मैं समझ गया कि उसका भी मन है, तो फिर देरी क्यों? वो तो उठ नहीं सकती थी तो मैंने ही उठकर उसे चूमना शुरू किया।
क्या बताऊँ यारों क्या होंठ थे उसके..!
उसको चूमते-चूमते मेरा हाथ उसके मम्मों पर आ गए और जैसे ही मैंने उसके मम्मों को उसके टॉप के ऊपर से ही छुआ मैं तो सोचता ही रह गया।
य्ह क्या कोई सपना है या सच.. उसने टॉप के अन्दर ब्रा ही नहीं पहनी थी। उसको मम्मों पर स्पर्श करते ही उसके निप्पल मेरे हाथ में चुभे।
थोड़ी देर तक तो में उसके मस्त मम्मों को वैसे ही मसलता रहा। तभी पता चल गया कि उसको भी मजा आ रहा है, तभी तो उसके चूचुक इतने टाइट हो गए थे।
फिर मैंने अपना दिमाग लगाया और उससे पूछा- क्या मैं अब आपके दिल पर चुम्बन कर सकता हूँ?
और आप तो जानते ही हैं कि दिल कहाँ पर होता है?? उसने फिर से कुछ न बोला और मैं उसका इशारा समझ गया। फिर मैंने एक-एक करके उसके टॉप के 3 बटन खोल दिए और उसके दोनों मस्त-मस्त सॉफ्ट मम्मों को अपने हाथों में ले लिया और मसलने लगा।
फिर मैंने उसके निप्पल को अपने मुँह में लिया तो उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं।
वो मुझे सिर से पकड़ कर अपने मम्मों में दबाने लगी। मैंने उसके मम्मों को खूब चूसा और उसके निप्पल को कभी-कभी काट लेता था।
बाद में मैंने उसकी कमर से चादर हटाई तो यह क्या?? उसने नीचे एकदम छोटा सा स्कर्ट पहना था, जो पहले से ही थोड़ा ऊपर उठ चुका था।
मुझे तो जैसे लॉटरी पर लॉटरी लग रही थी।
पहले तो मैंने उसके पैरों को खूब चूमा और फिर उसकी पैन्टी के ऊपर से ही उसकी चूत को चुम्बन करने लगा।
वो तो इतना आनन्द महसूस कर रही थी जैसे वो जन्नत में हो।
उसको नीचे चुम्बन करते-करते मैंने धीरे से उसकी पैन्टी को एक तरफ से हटा दिया।
यार क्या चूत थी उसकी..! एकदम गोरी और एक भी बाल नहीं..! उसकी चूत के दोनों होंठ भी एकदम गुलाबी गुलाब की पंखुरी के जैसे थीं।
मैं फिर उसकी पैन्टी नीचे करके उसकी चूत को सहलाने लगा।
मेरे सहलाते-सहलाते ही वो एक दो बार झड़ गई होगी। फिर मैंने उसकी चूत में अपनी उंगली डाली और उसे अपनी ऊँगली से खूब चोदा। वो एकदम नई-नकोर थी, जैसे आज तक किसी ने छुआ भी न हो। फिर मैंने एक साथ दो-दो उंगली उसकी चूत में डाली तो उसकी चीख निकल गई।
उसकी सेहत ठीक न होने से मैं कुछ ज्यादा भी नहीं कर सकता था।
हम दोनों अपनी ही मस्ती में थे और वो मेरा लौड़ा चूस रही थी, तभी एकदम से उसकी दीदी आ गई।
मेरी तो जैसे फूंक सरक गई। एकदम सन्न हो गया, दिमाग ने काम करना बन्द कर दिया।
मेरी फ्रेंड ने जल्दी से अपनी चादर ऊपर खींच कर अपनी नग्नता ढक ली पर मेरा लौड़ा अभी भी हवा में लहरा रहा था।
उसकी दीदी मेरे लौड़े को देखने लगी।
मैं उसकी तरफ अपनी आँखों में क्षमा की याचना के भाव से देख रहा था और वो मेरे लौड़े को कच्चा चबा जाने की नीयत से देख रही थी।
उसने मेरी ओर देख कर मुझे धमकाया- यह क्या हो रहा है?
मैं चुप था, मैंने अपने लौड़े को अपनी पैन्ट के अन्दर करने की कोशिश की पर वो भी अभी अकड़ा हुआ था सो अन्दर नहीं जा रहा था, जैसे तैसे उसको अन्दर किया।
तब उसकी दीदी से मैंने अपनी गलती मानी और कहा- मैं आपकी छोटी बहन से प्यार करता हूँ।
उसने कुछ देर तक चुप रहने के बाद मुझसे कहा- मुझे तुम्हारे प्यार से क्या मतलब…! मैं तो सबसे तुम दोनों की शिकायत करूंगी।
मैंने धीरे से कहा- क्या कोई और रास्ता नहीं है?
मेरी बात सुन कर वो मुस्कुरा पड़ी और मेरे लौड़े को पैन्ट के ऊपर से पकड़ कर बोली- मुझको भी इसका प्यार चाहिए।
मैं हक्का-बक्का था।
ऊपर वाला आज मुझ पर वास्तव में मेहरबान था… मुझे तो जैसे लॉटरी पर लॉटरी लग रही थी।
अब इसके बाद मेरी फ्रेंड ने मुझे और उसकी दीदी को चोदते हुए देखा और दोनों ही मेरी जुगाड़ बन चुकी थीं।
आप सभी को तो मालूम ही है कि चुदाई कैसे होती है।


एडिटर : सुनीता भाभी

स्कूल की मस्ती (School Ki Masti) - Evergeen

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दोस्तो, आप सबको मेरा नमस्कार !
मेरा नाम जय मिश्रा है और मैं 23 वर्ष का हूँ, bhauja  का नियमित पाठक हूँ जो मैंने ६  महीने  पहले पढ़नी शुरू की थी।
मुझे सभी सच और काल्पनिक कहानियों का आनंद उठाने का अवसर मिला !
हाल ही में मेरी भी प्रबल इच्छा हुई कि मैं भी अपने जीवन की मधु स्मृतियाँ आप सभी देवियों और सज्जनों से शेयर करूँ !

यह उन्ही में से एक और एकदम सच्ची घटना है जो एक मीठी याद की तरह मेरे मानस पटल पर अंकित है !
बात तब की है जब मैं आज से 4 साल पहले इंटरमीडिएट (यानी 12th Class) में था !
मेरे स्कूल में लड़के लड़कियाँ दोनों साथ पढ़ते थे। मैं मेडिकल सेक्शन में था जिसमे अक्सर लड़कियाँ अधिक होती हैं।
क्लास में दो या तीन ही ठीकठाक दिखने वाले लड़के थे जिनमे से मैं भी एक था !
मैं 5’10”, गोरा रंग, भरा हुआ गठीले बदन का मालिक हूँ ! मै ऊँचे कुल और रईस घर का लड़का हूँ और पिताजी ऊँची सरकारी नौकरी करते हैं ! इसी कारण मुझ पर सख्ती भी काफी थी !
वैसे तो मेरी सभी लड़कियों से बातचीत होती थी पर रोज़ा (काल्पनिक) नाम की एक लड़की मुझे अत्यंत पसंद थी !
वह मीठी बोली वाली, चुलबुली और तेज़ नैन नक्श की लड़की थी।
उसका यौवन तो चरम पर था ही,  5’6″ थी, पतली कमर, एकदम कसे और गोल उभरे चूचे और उठे हुए कूल्हे लंड का पानी निकाल दें, ऐसी थी !!
रोज़ा से मेरी अच्छी बनती थी पर मैंने कभी उसके साथ शारीरिक होने का नहीं सोचा था !
खैर विधि का विधान कहिये या मेरी किस्मत हमारी दोस्ती गहरी होती गई और रात में फोन पर बात चीत बढ़ती गई !
दोनों के घर सख्ती अधिक थी इसलिए बहुत सम्भल कर बातचीत करनी पड़ती थी।
जैसे जैसे दिन गुज़रे, हमारे बीच सेक्स की बातें भी होने लगी !
वह बहुत ही मजाकिया और मनोरंजक थी इस लिए उससे बातों में और रस आता था।
मैं अक्सर उससे पूछता कि उसे लड़कों में क्या अच्छा लगता है और क्या उसने कभी नग्न दृश्य देखे हैं?
जिस पर वह शरमा कर हंसती और जवाब नहीं देती थी !
मैंने उसे कई बार मौखिक रूप से बताया कि सम्भोग क्या होता है और क्लास में जीव विज्ञान की कक्षा में लड़के अक्सर किताब में बने योनि और लिंग के चित्रों को देख हंसते क्यों थे !
वह भी अपने रहस्य मुझे बताती और कहती कि लड़कियाँ उतनी नादान होती नहीं हैं जितना बनती हैं !
एक दिन मैंने उससे अपने दिल की बात कह दी कि मैं उससे प्रेम करने लगा हूँ – और जवाब माँगा कि वह मेरे बारे में क्या सोचती है?
तो उसने कहा कि वो अगले दिन जवाब देगी।
और फिर अगले दिन स्कूल में वो मुझे देख देख कर बस मुस्कुराती रही, पूरे दिन मेरा ध्यान कहीं और नहीं लगा !
उस रात फोन पर बड़ी बेसब्री के बाद उसने मुझे आखिरकार हाँ कर ही दी !
मेरा दिल ख़ुशी के मारे झूम उठा यह सोच कर कि मेरी इतनी सेक्सी और अच्छी लड़की गर्ल फ्रेंड है।
मैं आप लोगों को बता दूँ कि स्कूल में दोस्तों के तानों के डर से अक्सर यह बातें हम किसी से नहीं बताते थे, तो यह एक गुप्त सम्बन्ध था !
हम अब अक्सर लैब में पास खड़े होते तो मैं उसके हाथों को अपने से स्पर्श करा देता !
इसके अलावा हमने और भी मज़े किये जैसे लंच में जब वह कैंटीन जाया करती थी तो मैं उसके पीछे खड़ा हो जाता था जिससे मेरा खड़ा लंड उसकी उठी हुई गांड की दरार में बैठ जाता !
कैंटीन में भीड़ अधिक होने के नाते धक्के लगते थे और मैं उसका फायदा उठा कर उसकी गांड में अपना लिंग खूब दबाता और रगड़ता था !
इस खेल में उसे भी बहुत आनन्द आता था और वो अक्सर मुड़ कर मुस्कुरा देती थी, फिर सामान ले कर अपनी सहेलियों के साथ हंसते हुए क्लास को भाग जाती !
इसके अतिरिक्त भी मौका देख अक्सर हम यथासंभव साथ समय गुज़ारने लगे !
रात को मैं उससे अब थोड़ी निजी बातें करने लगा था, समय के साथ मैंने कई बार उससे फ़ोन सेक्स भी किया और उसे बताया कि किस तरह उसका बदन जब भी मुझसे छूता है मेरे शरीर में एक आनन्दमय सिहरन सी उठती है, और किस तरह मैं उसके बदन की खुशबू, केशों की छांव और होंठों का पान करना चाहता हूँ !
उसने इज़ाज़त भी दे दी थी पर स्कूल में बहुत हलचल के चलते हमें मौका नहीं मिलता था और स्कूल के बाद दोनों को सीधे घर जाना पड़ता था !
खैर एक दिन मैंने उससे अकेले में मिलने की योजना बनाई।
प्लान के हिसाब से मैंने रोज़ा को छुट्टी के बाद जूनियर ब्लाक में बुलाया था !
मैंने देखा था कि छोटे बच्चो की जल्दी छुट्टी हो जाती है और इसके चलते उनकी बिल्डिंग (जो हमारी बिल्डिंग से अलग थी) का जीना जो छत पर निकलता था वो खाली रहता था ! मैंने रोज़ा को वही बुलाया था…
छुट्टी होते ही हम सबसे नज़र बचा कर वहीं मिले !
मैं वहाँ पहुँचा तो रोज़ा वहाँ पहले से मौजूद थी !
वह मुझे देख कर खड़ी हो गई और मेरी आँखों में देखने लगी !
इस तरह रोज़ा को अकेले पाकर मेरे दिल की धड़कन बढ़ गई !
मैं धीरे से उसके करीब गया और उसे अपने आलिंगन में ले लिया !
वह जो अनुभव था मैं बयान नहीं कर सकता…
उसके मखमली से बाल, उसका मुलायम पर कसा हुआ शरीर, मेरी छाती में चुभते उसके उरोज, उसके बदन की गर्मी !
वह भी थोड़ा सा काँप रही थी !
मैंने अपने हाथ उसकी पीठ पर फेरे और उसके चूतड़ों की गोलाई को भी महसूस किया !
मैंने उसे नीचे बैठाया और उसके कानों के पास होंठ ले जाकर उससे कहा- I’ll make this moment memorable for you !
मतलब– मैं यह अवसर तुम्हारे लिए यादगार बना दूँगा !
नीचे बैठे बैठे मैंने उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए, एकदम मीठा और मुलायम सा एहसास हुआ और मेरा लिंग तन्ना गया !
फिर मैं उसके गालों से होता हुआ उसकी गर्दन और वक्ष तक पहुँचा, उन्हें मैंने कमीज के ऊपर से हल्के से दबाया तो रोज़ा के मुख से उह्ह… आह… की आवाज़ निकल गई जिसने मुझे अत्यंत उत्तेजित कर दिया !
मैंने उससे खड़ा होने को कहा और धीरे से उसकी सलवार का नाड़ा खोल कर नीचे खींचने लगा…
उसकी मखमल सी चिकनी टाँगें देख कर मेरे दिमाग में बिजली सी दौड़ गई।
मैं उसकी टांगों को चूमने लगा और उसकी जाँघों को चाट कर उसकी बुर को पैंटी के ऊपर से ही उंगली से रगड़ने लगा…
वह थोड़ी गीली हो चुकी थी…
फिर मैंने उसकी पैंटी नीचे खींची तो वह थोड़ी हिचकिचाई पर मैंने उससे विनती की और उसे आश्वासन दिया कि कोई गड़बड़ नहीं होगी !
मैंने उसकी पैंटी निकाल कर किनारे रख दिया और उसे मेरी तरफ पीठ कर के खड़ा किया और झुकने को कहा !
उसकी पतली कमर और उभरे हुए गोल चूतड़ों ने मेरे 7 इंच लौड़े को एकदम गरम लोहा बना दिया था…
मैंने अपने सुपारे को उसकी गांड की दरार में पहले थोड़ा ऊपर नीचे रगड़ा…
उसके बाद लंड का सुपारा गांड के नीचे उसकी चिपके हुए परों के ऊपर जहां जांघ शुरू होती है वहाँ रख कर धीरे से अन्दर घुसेड़ा।
मैंने इससे पहले सेक्स नहीं किया था बस ब्लू फिल्में देखी थीं।
और धीरे से धक्का दिया !
मेरा लण्ड सरकता हुआ उसकी बुर के ऊपर रगड़ने लगा !
लंड को जो गीला और गरम एहसास मिल रहा था वह शब्दों में बयाँ नहीं हो सकता !
मैं अपना लंड आगे पीछे करता रहा और इसी दौरान उसके मम्मों को भी पीछे से पकड़ कर मसलने लगा !
उसकी गांड का मुलायम और नर्म गूदा ऐसा महसूस करा रहा था जैसे मैं अपना लंड ताजे मक्खन में डाल रहा हूँ!
फिर मैंने उसे पीठ के बल लेटा दिया और उसकी जाँघों के बीच जाकर उसकी गीली चूत को जीभ चौड़ा कर के नीचे से ऊपर तक चाटा तो रोज़ा के मुख से बड़ी सी आह छूट गई !
मैंने उसकी चूत का दाना चूस कर जीभ से छेड़ा फिर उसकी चूत को लगभग 5 मिनट तक चूसा होगा !
रोज़ा तो पागल सी हो रही थी और मेरे बाल पकड़ कर मेरा सर चूत में रगड़ रही थी ! उसके मुख से सिसकारियाँ निकल रही थी और वो और तेज़ और तेज़ सिस्कार रही थी !
थोड़ी देर में उसकी चूत ने खूब सारा सफ़ेद पानी छोड़ा और मैं समझ गया कि वह झड गई है !
मैंने उसे चोदा नहीं क्योंकि मैं उस समय नौसिखिया था और उसे किसी तरह की चोट नहीं पहुँचाना चाहता था !
टाइम काफी हो गया था इसलिए हम जल्दी जल्दी अपने कपड़े पहन कर वहाँ से निकल गए !
हालांकि उसके बाद मैंने कई बार क्लास में पीछे बैठ के उसके मम्मे दबाये और एक बार तो उसकी बुर भी सहला दी थी जिससे वह गीली हो गई !
यह प्रेम प्रसंग एक साल तक चलता रहा और हम उस पुरानी जगह पर कई बार मिले पर अकेलेपन और समय के अभाव में अधिक कुछ ना किया !
स्कूल के बाद मेरा उससे कुछ समय तक संपर्क रहा पर फिर उसके पिताजी का दूसरे शहर तबादला हो गया !
अब भी कभी कभी मैं रोज़ा को याद करता हूँ तो लण्ड गर्म हो जाता है !

एडिटर : सुनीता भाभी

ମୋ କଲେଜର ସେଇ ଝିଅଟି (Mo college ra sehi jhiati)

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Hi mu abakash, Nayagarh ra gote private college ra mu chairman. Mo prakruta naa ku mu apana mananku kahibaku chanhuni. Hele bhauja dot com re sabu dina mu jouna kahani padhe, aau aji icha heuchi mo bisayare kichi lekhibaku. Mu dhanyanbad deuchi bhauja.com ra editor Sunita Prusty nku, tankara blog re mo kahani ku sthana deba lagi. Mu satare bhari byasta jibana bitauchi. College re ete pilanka katha bujhu bujhu mu family ade najar dei paru nahi. Mu babahita 20 barsa tale mu bibaha karithili. Parmpara anujai mo bahaghara ama dharma aau jati saha loka mananka samnmati krame ghati thila. Mo stree dekhibaku bhari sundar hele bayas ra ranga sabu bele nathae. Samaya krame tat hare aau besi mana laguni. 


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 Mu se chair uparu talaku asi ta pakhaku gali, ta agare anthu madi basi ta munha ku teki dharili. Ta dehare ete kampana je ta chati khali uthu thila aau paduthila. Bodhe mora ta deha dekhi neba katha jani pari se chania hoi jai thila. Mu taku tike samaya hatare japi rakhili aste aste ta kampana kamila aau mo ade dekhi parilani. Mu jaadasta ta munha mo ade modili aau se mote dekhi his dela murukiki mo chati re churi hoi baji gala.

                Ete dinara sukhila mana re mora pani dhalila bhali lagila. Mu basanti ku kundhei dharili. Se pratibada bi kalani. Khali uynnn………………..unnn… kari rahila. Kichi samaya pare aau kichi bi sabda subhilani. Mu ta munha re mo otha ghasili, se mote upabhog karuthila. Mo dehare kamana ra ichha badhi badhi chaluthila aau mu ta beka munha ku othare ghasi ghasi taku garama karuthili. Kichi samaya bhitare mo hatare ta komala dudha ra sprasa mote miligala aau mu chipi lagilii. Basanti chata pata heigala. Nua kuanri jhia taku e sabu kemiti kemiti laguthiba hele mu ete bayasa ra loka aji mo joubana pherila bhali laguthila. Kanhiki naa mu ete kam baysa ra sundari jhia saha emiti maza karibi boli kebe bi bhabi nathili.

 Andhara ra room bhitare ama dunhi nkara deha deha ra milana re tibrata badhi chali thila mora 50 barsa ra budha anga,  kuanri jhia ra anga bhitare budi rahithila. Se chata pata heuthila aau puni bi maja neuthila. Mu janini eta pain prathama naa nahi. Hele mo pain ta pura kancha maal. Maal ta dudhiali gai bhali panha ta pura dhali dhali thila. Gote ghanta ta saha kamana ra maja neli. Ta deharu kamanara gandha re gote bi kana rakhi nathili. Ta bra ku chiri pura bula sandha bhali basanti ra langala deha upare madi basi thili. Mussala ra aghata re se jhia khali uhhhhhhhhhhhhhhh…………  aahhhhhhhhhhhhhhhh… kari sabda karuthila. Aaau samaya besi deri nakari mu taku gehiba banda kali. Taku gote alaga dress pindhai se jaga safa kari nua bulb lagai delu. Ame dunhe puni car re absi bazaar jai basanti pain nua dress kinilu.

Ta mana bhari khusi thae, aau katha barta bi ebe khub nijara bhali ama dunhi nka bhitare ebe praya 18- 20 thara deha misa sari lani. Se dinara andhara re mu ta deha ku sete dekhi pari nathili hele ebe ta nali chut ra mu pagala hoijaichi. Mo stree pakhare ebe ama dunhi nkara mila misa katha panhachi galani aau se mo saha jhagada kari ta bapa ghare. Ene ame dunhe madhubana ra dui prema pipasu bhali dunhe dunhi nka saha fix hoigaluni………………………… janini kana heba mu kan karibi……………….

E mo kahani nunha mo jibana ra bhasa. Mo manara katha huetaha apana ku bhala lagu ban a lagu jaha mo sahita hoichi taha lekhichi. Apana nka manare jaha asuchi lekhi janantu. Sesare bhauja dot com aau sunita bhauja nku dhanya bad deuchi.
Writer: Abakash Prusty
Editor:  Sunita Prusty
Publisher: Bhauja.com
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