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Channel: ଭାଉଜ ଡଟ କମ - Odia Sex Story
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सारी रात तुमसे अपनी फ़ुद्दी की रगड़ाई करवाती

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पहलू एक- शीतल की कहानी
मेरा नाम शीतल शर्मा है, मैं 42 साल की गोरी चिट्टी और बहुत ही खूबसूरत औरत हूँ, हर वक़्त बन सँवर के रहना हर वक़्त बिल्कुल तैयार रहना, हर वक़्त मेकअप कर के रखना और हर वक़्त हॉट और सेक्सी दिखना मुझे अच्छा लगता है।
शादीशुदा हूँ, दो बच्चे हैं, पति का अच्छा बिज़नस है, किसी बात की कोई कमी नहीं।
पति बहुत प्यार करते हैं, कोई प्रोब्लम नहीं। तो फिर प्रोब्लम है क्या जो मैं यह कहानी लिखने बैठी हूँ।
मेरी प्रोब्लम है सेक्स।
बचपन से ही यानि जबसे होश संभाला है और मुझे सेक्स के बारे में पता चला है, तब से ही मैं सेक्स की दीवानी रही हूँ।

जब दसवीं क्लास में थी तब मैं अपनी क्लास की सबसे सुंदर और सेक्सी लड़की थी, सारे लड़के मुझपे मरते थे।
तो मैंने भी 10+1 के एक लड़के को अपना दिल दे दिया और उसने मेरा सब कुछ ले लिया। बस यह समझ लो कि तब से लेकर अब तक मेरी सेक्स के लिए तड़प कम नहीं हुई।
यह नहीं कि मैं हर ऐरे गैरे के नीचे लेट जाती हूँ, पर अगर किसी पे दिल आ गया तो मैंने उसे ना भी नहीं की।
मुझे पता है कि सुंदर और सेक्सी औरतों के मर्द हमेशा दीवाने होते हैं, और मुझे यह भी पता है कि भगवान ने दो टाँगों के बीच में जो सुराख किया है वो सिर्फ़ पेशाब करने के लिए नहीं दिया है।
अपनी रिश्तेदारी में, आस पड़ोस में, पति के बिज़नेस पार्टनर्स, यहाँ तक के जहाँ भी जाती हूँ, मुझे पता होता है कि सामने वाला मर्द मेरे बारे में क्या सोच रहा है और मेरे जिस्म पे उसकी नज़रें कहाँ और क्या देख रही हैं।
अक्सर मर्दों की नज़रें मेरी चूचियों की घाटी में ही अटक के रह जाती हैं। मैं भी क्या करूँ मेरे स्तन हैं ही इतने बड़े कि जितना भी छोटा गला पहन लूँ, पर मेरा वक्षरेखा दिख ही जाती है।
तो मैंने छोटे गले पहनने छोड़ ही दिये और बड़े गले के सूट्स और ब्लाऊज़ पहनती हूँ ताकि मर्द आराम से मेरे विशाल कुचों के दर्शन कर सकें और सच कहूँ मुझे एक आत्मिक संतुष्टि मिलती है कि आज 42 साल की उम्र में भी लोग मेरे हुस्न पर फिदा हैं और मुझ पर मरते हैं।
शादी से पहले और शादी के बाद भी मैंने बहुत से लोगों से सेक्स किया है मगर एक बात मैं जो आपको बताना चाहूँगी वो उस सेक्स के बारे में हैं जो मैंने एक शादी में किया था।
बात 22 फरवरी 2013 की है, उस दिन इनके एक दोस्त की बेटी की शादी थी और बहुत करीबी दोस्त होने के कारण हमने पूरी शादी में उनके साथ ही रहना था।
शहर के एक बहुत ही बढ़िया होटल में शादी थी, इंडोर शादी होने की वजह से मैंने स्लीवलेस ब्लाऊज़ वाली साड़ी पहनी थी।
शादी होटल के अंदर थी तो सर्दी की कोई टेंशन नहीं थी।
सही टाइम पर हम सब तैयार होकर होटल पहुँच गए, सबसे मिले, सब मर्दों की निगाहें मेरी झीनी साड़ी में से दिख रहे स्तनों की रेखा पर थी।
मैं भी सबकी निगाहें ताड़ कर मज़े ले रही थी और पूरी तरह से गर्म थी।
हमने खूब खाया पिया और मज़ा किया।
सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था, बारात आई और सब शादी की रस्मों में लग गए।
और मेरी फुद्दी के लिए एक लौड़ा मिल गया
खाना पीना, शराब के दौर, डीजे, सब का प्रोग्राम चल रहा था। खाते पीते एंजॉय करते मुझे बाथरूम जाने की ज़रूरत महसूस हुई।
मैंने वेटर से पूछा और बाथरूम की तरफ गई, वहाँ जाकर देखा कि लेडीज बाथरूम के दरवाजे पे तो ताला है।
पूछा तो पता चला कि पाइप टूट जाने की वजह से बंद है, सिर्फ मर्दों वाला बाथरूम ही खुला था।
अब क्या करूँ, पर जाना तो था, मैं हिम्मत करके जैंट्स बाथरूम में घुस गई।
अंदर देखा तो खाली था।
मैंने अंदर जाकर दरवाजा लाक कर लिया ताकि कोई अंदर न आ सके।
अंदर देखा तो खड़े हो के पेशाब करने के कई कमोड थे, और दो सेक्शन थे जिनके दरवाजे बंद थे, एक इंग्लिश और एक इंडियन।

मैं इंडियन वाले में घुस गई, साड़ी उठाई, पेंटी नीचे की।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैं पेंटी हमेशा पहनती हूँ, चाहे डेट आ रही हो या नहीं।
और पेशाब करने बैठ गई।
पेशाब किया, कपड़े ठीक किए और बाहर वाश बेसिन पर हाथ धोने आई।
जब मैं हाथ धोने ही लगी थी तभी दूसरी सेक्शन जिसमे इंग्लिश कमोड लगी थी, उसमें से एक नौजवान बाहर निकला।
मैं तो एकदम घबरा गई।
और जब मैंने उसके नीचे देखा, हे भगवान करीब 9 या 10 इंच का उसका लण्ड उसने अपनी पेंट से बाहर ही निकाल रखा था।
मैंने अपनी पूरी ज़िंदगी में किसी मर्द का इतना बड़ा लण्ड नहीं देखा था।
सच कहती हूँ, लण्ड देख के मेरी तो चूत में झुनझुनाहट सी हो गई।
फिर भी मैंने थोड़ा कड़क के उस से कहा- यह क्या बदतमीजी है?
वो बिना डरे बोला- क्यों मैडम क्या हुआ?
‘नीचे देखो, तुम्हारा वो बाहर ही है।’
‘तो क्या हुआ, क्या आप ऐसी चीज़ पहली बार देख रही हैं?’
मुझे थोड़ा अजीब लगा पर सच कहूँ उसने बात बिल्कुल सच कही थी और मेरे दिल में यह ख़्वाहिश जागी कि मैं उसका लण्ड अपने हाथ में पकड़ के देखूँ, तो मैंने कहा- नहीं पहली बार तो नहीं देखा, पर इतना बड़ा आज पहली बार देखा है।
शायद मेरी बात से उसकी हिम्मत बढ़ गई, वो बोला- अगर इतना बड़ा पहली बार देखा है तो इसका मतलब आपके पति का इतना बड़ा नहीं है, शायद इसका आधा ही हो, क्या आप इसे छू के देखना चाहेंगी?
बात तो उसने बिल्कुल सच कही थी, अब तक जितने भी लण्ड मैंने खाये थे वो सब 5 या 6 इंच से ज़्यादा नहीं थे, पर यह तो अब तक का सबसे बड़ा और मोटा लण्ड था।
मेरे दिल की धड़कन बढ़ गई, मेरे चेहरे से गर्मी निकल रही थी, सांस तेज़ हो गई, पता नहीं क्यों मैं बिना कुछ कहे आगे बढ़ी और मैंने उसका लण्ड अपने हाथ में पकड़ लिया।
‘उफ़्फ़ क्या एहसास था, एक गर्म मोटा और लंबा लण्ड…’ जब मैंने पकड़ा तो वो थोड़ा और पास आया और उसने मेरा दूसरा हाथ पकड़ के अपना लण्ड मेरे दूसरे हाथ में भी पकड़वा दिया।
अब तक मैंने सिर्फ एक हाथ में पकड़े जाने वाले लण्ड ही पकड़ कर देखे थे पर यह तो दो हाथों में पकड़ने के बाद भी बाहर दिखता था।
मेरे दोनों हाथों में लण्ड पकड़वा के वो अपनी कमर आगे पीछे करने लगा जिससे उसका लण्ड तन गया और मैं यह नज़ारा देख कर सुन्न सी हो गई।
मेरी निगाह सिर्फ उसके लण्ड पे ही अटक के रह गई थी, मैं सब कुछ भूल चुकी थी, मुझे कुछ दिख रहा था तो सिर्फ उसका लण्ड और मैं चाहती थी की यह लण्ड मेरे मुँह मेरी चूत दोनों को भेद दे।
शायद मेरी मानो स्थिति उसने भी भाँप ली थी, उसने मेरे कंधों पर हाथ रखके मुझे नीचे दबाया। मैंने भी उसका इशारा समझा और नीचे बैठ गई।
उसने कहा- अपने यार को प्यार नहीं करोगी?
मैंने उसकी तरफ देखा, हम दोनों की नज़रें एक दूसरे को बहुत कुछ कह रही थी, उसने अपना लण्ड मेरे होठों से लगाया और मैंने अपना मुँह खोल के उसका लण्ड अपने मुँह में ले लिया।
ऐसा मोटा और तगड़ा लण्ड मैंने आज तक नहीं चूसा था।
उसके लण्ड के सुपाड़े से मेरा मुँह भर गया था।
मैंने उसका लण्ड चूसा, जीभ से उसके सुपाड़े को चाटा।
दो तीन मिनट की चुसाई के बाद वो बोला- शायद कोई दरवाजा खटखटा रहा है, हमें जाना होगा।
यह कह कर उसने अपना लण्ड मेरे मुँह से निकाल लिया पर मैंने उसका लण्ड अपने दोनों हाथों में कस के पकड़ लिया और बोली- नहीं अभी मेरा दिल नहीं भरा, मुझे यह चाहिए और अभी चाहिए।
वो बोला- ठीक है पर अभी नहीं थोड़ी देर बाद, मैं कोई इंतजाम करता हूँ, हम आराम से करेंगे पर यहाँ लोग आएँगे तो मुश्किल हो सकती है।
‘ठीक है, पर जल्दी कोई इंतजाम करो, मुझसे अब रहा नहीं जा रहा, प्लीज़…’
‘तो ऐसा करते हैं, आधे घंटे बाद यहीं मिलते हैं, ठीक हैं।’
‘ठीक है, पर जाने से पहले एक काम करके जाओ।’
यह कह कर मैंने अपनी साड़ी ऊपर उठाई और बोली- प्लीज़ एक बार अंदर डाल दो ! मैं मरी जा रही हूँ।
वो मेरे पीछे आया, मेरी एक टांग ऊपर उठा कर मेरा घुटना वाश बेसिन पर रखा, अपना लण्ड मेरी चूत पर रखा जिसे मैंने अपने हाथ से पकड़ के एडजस्ट किया, जब उसने धक्का मारा तो उसके लण्ड का सुपाड़ा मेरी भीगी हुई चूत में घुस गया।
क्या तस्सली मिली दिल को !
मैंने उससे कहा- और डालो, जितना डाल सकते हो डाल दो, मैं पूरा लेना चाहती हूँ।
वो बोला- अगर अभी सारा ले लोगी तो बाद में क्या लोगी?
‘प्लीज़, वहाँ भी लूँगी पर अभी भी पूरा लेना है, तुम डालो बस!’
उसने एक और धक्का मारा जिससे उसका आधे के करीब लण्ड मेरी चूत में घुस गया, इतने साइज़ के तो कई लण्ड मेरी चूत में घुस चुके थे, पर उसके और दो चार जोरदार घस्सों से उसका पूरे का पूरा लण्ड मेरी चूत में घुस गया।
उसने अपने दोनों हाथ मेरी कमर से फिराते हुये मेरे पेट के ऊपर से सहलाते हुये मेरे ब्लाउज़ और ब्रा के अंदर डाल दिये और मेरे दोनों स्तन बाहर निकाल लिए।
‘तेरी बहन की चूत, मादरचोद, तेरे चुच्चे कितने बड़े हैं, मैंने आज तक इतने बड़े बुब्बे नहीं देखे!’
‘हाँ बहुत बड़े हैं, तुमने इतने बड़े बूब्स नहीं देखे और मैंने इतना बड़ा लण्ड नहीं लिया।’
हम दोनों हंस दिये।

बातों बातों में वो अपना पूरा लण्ड मेरे अंदर डाल के बाहर निकाल रहा था, और आज मैंने यह पहली बार जाना कि मर्द का लण्ड चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो, औरत की चूत से बड़ा नहीं होता।
वो घस्से पे घस्से मार रहा था और मैं बेहाल हुई जा रही थी।
वो बहुत ही बेदर्दी से मेरे बूब्स दबा रहा था जैसे इनके जूस निकालना हो पर मुझे उस दर्द में भी मज़ा आ रहा था।
2-3 मिनट की चुदाई के बाद उसने अपना लण्ड बाहर निकाला तो मैं झट से नीचे बैठ गई और अपनी चूत के पानी से भीगे उसके लण्ड को अपने मुख में ले लिया।
वो बोला- अरे मेरी जान, छोड़ो इसे, मैं बाहर देखता हूँ, तुम छुप जाओ, मैं देखता हूँ अगर बाहर कोई न हुआ तो तुम पहले निकल जाना, मैं बाद में बाहर आऊँगा।
यह कह कर उसने अपना लण्ड खींच के मेरे मुख से बाहर निकाला और मुझे ज़बरदस्ती कमोड सेक्शन में धकेल दिया।
मैंने अपने कपड़े ठीक किए, फिर उसकी आवाज़ आई- जल्दी करो कोई नहीं है, जल्दी से निकाल जाओ और आधे घंटे बाद यहीं मिलना।
मैं झट से बाहर निकाल गई और शादी के समारोह में घुल मिल गई, पर उस शादी में अब मुझे कोई दिलचस्पी नहीं थी।
मुझे अब सिर्फ उस लड़के का इंतज़ार था।
करीब 20-25 मिनट बाद वो मुझे दिखा, मैंने अपने पति और उनके दोस्त से बातें कर रही थी।
उसके हाथ में एक चाबी थी जो उसने मुझे दिखाई, मतलब उसने कमरे का इंतजाम कर लिया था।
मैंने अपने पति के कान में कहा ‘मैं अभी आई!’
और उसकी तरफ बढ़ी।
वो आगे चल पड़ा और मैं उसके पीछे।
ऊपर जाकर वो एक कमरे में घुसा तो मैं भी उसके पीछे कमरे में चली गई।
बस दरवाजा बंद होते ही उसने मुझे बाहों में भर लिया, मैं भी उससे लिपट गई।
अब तो वो मेरा था और मैं उसकी।
बिस्तर तक पहुँचते पहुँचते हम दोनों बिल्कुल नंगे हो चुके थे।
बिस्तर पे लेटते ही मैंने अपनी टांगे चौड़ी कर दी। चूत तो मेरी पहले ही पानी छोड़ रही थी, उसका लण्ड भी एकदम कड़क हो रहा था।
बस बड़े ही आराम से उसका लण्ड मेरी चूत में समा गया।
मैंने उसे अपनी बाहों में भींच लिया और अपने होंठ उसके होंठो पर रख दिये।
एक लंबे से चुम्बन के बाद मैंने उसे कहा- जितनी जल्दी हो सके मुझे चोद लो, मेरे पास ज़्यादा टाइम नहीं है।
मेरी बात सुन कर उसने अपनी जीभ निकली और मेरे मुँह में डाल दी और अपना पूरा लण्ड मेरी चूत में घुसा कर अंदर बाहर करने लगा।
मेरे ऊपर वाले होंठों में उसकी जीभ थी और नीचे वाले होंठों में उसका लण्ड यानि कि मैं दोनों तरफ से उसको चूस रही थी और वो दोनों तरफ से मुझे चोद रहा था।
वो बड़े ज़ोर से चोद रहा था और उतनी ही ज़ोर से मेरे बूब्स दबा रहा था।
मैंने कहा- दबा राजा, और ज़ोर से दबा, सच कहती हूँ तुम्हारा लण्ड लेकर ज़िंदगी का लुत्फ आ गया। ऐसा लग रहा है जैसे तुम्हारा लण्ड मेरे अंदर से मेरे दिल तक पहुँच गया हो, मार डालो मुझे आज!
‘सही कहती हो मेरी जान, मैंने भी आज तक तुम्हारे जितनी गर्म औरत नहीं देखी, लण्ड लेने की इतनी तड़प मैंने इससे पहले किसी औरत में नहीं देखी, मेरी किस्मत के मुझे तुम जैसी एक सम्पूर्ण औरत की गीली और गर्म फ़ुद्दी को चोदने का मौका मिला!
उसकी बात सुन कर मैंने भी नीचे से कमर उचकानी शुरू कर दी।
और ऐसे ही ताबड़तोड़ चुदाई करते करते मैं तो झड़ गई, मेरा सारा बदन अकड़ गया।
मैंने अपने नाखून उसके सीने में गड़ा दिये।
जब मैं शांत हुई तो उसने पूछा- क्या तुम मेरा वीर्य पीना पसंद करोगी? मैं तुम्हारे मुँह में झड़ना चाहता हूँ।
मैंने झट से हामी भर दी।
फिर उसने मुझे बड़ी बेदर्दी और पूरी ताकत लगा कर चोदा।
जब उसका झड़ने वाला हुआ तो उसने एकदम से अपना लण्ड मेरी चूत से निकाला और मेरे मुँह में घुसेड़ दिया, थोड़ा सा चूसने पर ही उसके लण्ड से वीर्य के गरम फुव्वारे मेरे मुँह में छुट गए जिस से मेरा सारा मुँह भर गया, उसका बहुत सा वीर्य मेरे मैंने पी लिया पर फिर भी बहुत सा मेरे मुँह से बाहर चू गया।
मेरी लिपस्टिक के निशान उसके लण्ड पे लगे थे, मैंने उसका लण्ड चूसती रही और वो मेरी छातियों पे बैठा रहा, उसका बदन पसीने से भीगा पड़ा था।
वो बहुत ही संतुष्ट लगा रहा था।
मैंने कहा- अगर मुझे आज जाना न होता तो मैं सारी रात तुमसे अपनी फ़ुद्दी की रगड़ाई करवाती, पर जाना तो है, हो सका तो फिर मिलेंगे।
उसने भी हामी भरी, उसके बाद हमने अपने अपने कपड़े पहने, मैंने अपने मेकअप ठीक किया फिर से जाकर शादी के समारोह में ऐसे शामिल हो गई, जैसे कुछ हुआ ही न हो।
मगर मन ही मन में मैं एक परम आनन्द महसूस कर रही थी।
इसी कहानी का दूसरा पहलू जल्दी ही प्रकाशित होगा.

भतीजी की बुर को भोगने की लालसा

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मेरा नाम पंकज है, मेरी उम्र 25 साल है और मैं ऊना, हिमाचल का हूँ।
मेरी नौकरी लग गई और मुझे उसके लिए चण्डीगढ़ जाना पड़ा, चण्डीगढ़ में मेरे दूर का भाई संजय रहता है जो मुझसे 14 साल बड़ा है।
मैंने चण्डीगढ़ जाने से पहले ही उसे फ़ोन कर दिया तो वह मुझे स्टेशन पर लेने आया था, जब तक कोई और इंतजाम ना हो, मैंने उसी के घर रुकने का सोच रखा था।

स्टेशन पर संजय अपनी बेटी मीतू के साथ आया था। मीतू बहुत ही मांसल बदन की और सुन्दर है, उसका एक एक चूचा जैसे की ठूंस ठूंस कर कपड़ों में भरा हुआ था, मैंने उसे 10 साल पहले जब वह 9 साल की थी, तब देखा था, तब वह एक बच्ची थी और अब बच्चे पैदा कर सकने को तैयार !
मेरा लण्ड उसे देख कर पहली नजर में ही खड़ा हो गया था।
मुझे संजय के घर ठहरे एक सप्ताह हो गया था, मीतू से मैंने आँख-मिचौली कब से चालू कर दी थी और वह भी जब मुझे ऊपर मेरे कमरे में खाना देने आती या पानी का जग देने आती तो तिरछी नजर से देखती थी।
अक्सर शाम के वक्त मैं लंगोट के आकार के बरमूडा में ही होता था और उसके आते ही लण्ड बरमुडे का आकार ऊँचा कर देता था।
एक दिन हमारे बॉस की बीवी का जन्मदिन था और दफ़्तर का सारा स्टाफ पार्टी में जाने वाला था इसलिए बॉस ने सभी को तैयार होने के लिए लंच के वक्त ही छुट्टी कर दी।
मैं घर आ गया और देखा कि संजय और मीनल भाभी दिखाई नहीं दे रहे थे!
मैंने मीतू को तभी बरामदे पर अपने बाल झटकते देखा, वह अपनी लेमन नाईटी पहने बालों को तौलिये से झटक रही थी और शायद अंदर ब्रा नहीं पहनी हुई थी इसलिए उसके मांसल चूचे इधर उधर झूल रहे थे।
मेरा लौड़ा फ़ड़कने लगा।
मैं कुछ कहूँ उसके पहले ही मीतू बोल पड़ी- मम्मी डैडी नरेश अंकल के घर गए हैं, और देर रात तक लौटेंगे।
मेरे दिमाग में मीतू की चुदाई की योजना तभी बनने लगी और मेरा लौड़ा पैंट में करवटें बदलने लगा।
मैं मन ही मन मीतू की बुर को भोग लेने की योजना सोचते हुए अपने कमरे में जूते और कपड़े निकाल रहा था।
मैं अपने कपड़े उतार अपनी चड्डी में खड़े हुए मीतू के बारे में ही सोच कर अपने लण्ड के उपर हाथ फेर रहा था, मेरा लण्ड अकड़ कर खड़ा हुआ पड़ा था और हाथ फेरने से मजा आ रहा था।
तभी कमरे का दरवाजा धम्म से खुल गया और मीतू वहाँ पानी का गिलास लिए खड़ी थी।
मैं जैसे ही दरवाजे की तरफ पलटा, मैंने देखा की मीतू की नजर मेरे खड़े लौड़े पर ही थी।
उसके मुख से हंसी निकल गई और वह गिलास मेज पर रख कर नीचे चली गई।
पहले तो मुझे लगा कि वह डर गई लेकिन फिर मैंने सोचा कि उसकी हंसी बहुत शरारती थी, मैंने अपना सैल फ़ोन निकाला और बॉस को फोन किया- मेरे भाई साब की तबीयत ख़राब है, उन्हें लेकर अस्पताल जा रहा हूँ।
मुझे आज कुछ भी कर के मीतू की चूत में अपने मोटे लण्ड के झण्डे गाड़ने थे!
मैं नीचे आया, देखा कि मीतू रसोई में खाना गर्म कर रही थी।
मैं रसोई में घुसा और मैंने देखा कि मीतू अब भी होंठों में मुस्कुरा रही थी।
मैंने वाशबेसिन में हाथ धोने के बहाने बिल्कुल उससे सट कर लण्ड उसके चूतड़ों पर अड़ा दिया और हाथ धोए।
मीतू ने पलट कर मेरी तरफ देखा और मैं उसे स्माईल दे रहा था।
वह भी हंस पड़ी।

फिर क्या, अब तो हरा सिग्नल मिल गया था मुझे, केवल सही पटरी पर चलना था बस।
मैंने मीतू को कहा- मीतू, खाने में क्या बनाया है?
मीतू बोली- करेला आलू, अरहर की दाल और चावल-रोटी !
मैं हंसा और बोला- मुझे कभी रोटी बनानी नहीं आई और अब तो अच्छा रूम मिल गया तो खाना मुझे ही बनाना है कुछ दिनों में!
मीतू बोली- कोई बात नहीं चाचू, मैं आपको सिखा दूँगी बाद में!
मैंने कहा- बाद में क्यों? आज ही सिखा दो। मैं रोज रोज थोड़े ना दफ़्तर से जल्दी आ पाता हूँ।
मीतू अभी भी होंठों को दबाये मुस्कान दे रही थी, वह हाँ या ना कहे, उससे पहले मैंने अपने कमीज की बाहें चढ़ाई और मैं प्लेटफ़ार्म के पास जाकर खड़ा हुआ, मैंने मीतू के हाथ से बेलन लिया और चोकी पर रोटी बेलने लगा।
मुझे वैसे रोटी बनानी आती थी, बस मैं मीतू को घास डाल रहा था।
मीतू बोली- ऐसे नहीं, लाओ, मैं बताती हूँ।
मैंने कहा- मेरे हाथ यहीं रहने दो और बताओ।
मीतू ने बेलन के ऊपर रहे मेरे हाथ पर अपने हाथ रखे, उसके कंपन दे रहे हाथ उसकी मांसल जवानी में आई गरमाहट के आसार दे रहे थे।
उसके मांसल बड़े चूचे मेरी कमर से टकरा रहे थे और मेरा लण्ड इधर बौखलाता जा रहा था।
उसने मुझे रोटी बेलवाई पर मैंने इस दौरान कितनी बार उसकी उँगलियाँ दबाई और उसे अपने इरादे इसके द्वारा स्पष्ट किए।
मीतू ने उंगली हटाई नहीं और मैं समझा कि वह भी लण्ड खाने को तैयार है।
मैंने कहा- मीतू तुम आगे आओ, मैं देखता हूँ पीछे से!
मीतू आगे आ गई, मैंने पीछे से उसके चूतड़ों से लण्ड सटाया और मैंने पीछे से बेलन को पकड़ा।
रोटी बेलने के लिए झुकने से मेरा तना हुआ लण्ड उसकी गांड से दूर हुआ लेकिन मैं बीच बीच में बेलन घुमाने के बहाने अपने लण्ड को उसके कूल्हों से टकरा देता था।
मैंने देखा कि मीतू की साँसें अब तेज हो चली थी और जब में लण्ड उसकी गांड से टकराता तब उसके होंठ कितनी बार दांतों के नीचे जाते थे।
मैं एक कदम आगे बढ़ा और मैंने अब लण्ड उसकी गांड पर टिका दिया बिना पीछे लिए, उसकी गांड की दरार में मेरा लण्ड बिल्कुल मस्त घुस हो रहा था क्योंकि उसने शायद अंदर पेंटी नहीं पहनी थी!
मीतू बोली- चलो खाना लगा दूँ, आपके लिए!
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैंने कहा- मीतू, आज मेरे कुछ और ही खाने की इच्छा है…!
मीतू हंस पड़ी और बोली- क्या खाओगे चाचा?
मैंने कहा- जो आप प्यार से खिला दे करेले के अलावा…
मीतू फिर हंसी।
मैंने अपना हाथ आगे किया और उसकी कमर के ऊपर रख दिया, मीतू की आँखें बंद हुई और वह सिसकारी भरने लगी।
मेरे हाथ अब तेजी से चल रहे थे और मैंने उन्हें ऊपर लेकर मीतू के मांसल चूचों को सहलाना और दबाना चालू किया, मीतू मुझे पीछे धक्के दे रही थी और यह जताना चाहती थी कि उसे कुछ नहीं करना है पर उसके स्तनों के कड़े हुए निप्पल और उसकी बढ़ती साँसें उसकी गर्मी का बयान कर रही थी।
मैंने अपने दोनों हाथ अब उसके चूचों पर रख दिए और लण्ड भी उसकी गांड में कपड़ों के साथ ही घुसाने लगा।
एक मिनट लण्ड उसकी गांड पर लगाते ही मीतू भी अब बेबस हो गई और अपना हाथ पीछे कर के मेरे लण्ड को सहलाने लगी।
लण्ड पकड़ कर मीतू खुश हो गई, मैंने अब बिना वक्त गवाँए अपने कपड़े उतारने शरू किये।
मीतू ने जैसे ही मेरे 8 इंच मांसल लण्ड को देखा वह ख़ुशी से झूम उठी और मेरे लण्ड को हाथ लगा कर खेलने लगी, उसके कोमल हाथ में मेरा लण्ड मजे से खेलने लगा।
मैंने भी मीतू के कपड़े अब एक एक कर के दूर करने शुरू कर दिए और उसके मांसल भरे हुए चूचे मेरा लण्ड उठाने लगे।
मैंने उसके चूचों को अपने दोनों हाथों में लेकर सहलाना और दबाना शरू कर दिया, मीतू अब भी सिसकारियाँ ले रही थी।

थोड़ी देर में हम दोनों बिल्कुल नग्न हो गए और मेरा लण्ड मीतू के भरपूर मांसल शरीर को देख और भी तन रहा था।
मैंने मीतू को उठा के किचन के प्लेटफोर्म पर बिठा दिया और उसकी जांघें खोल दी, उसकी बिना बाल वाली चूत मस्त सेक्सी लग रही थी।
मैंने धीमे धीमे उसके चूत के ऊपर हाथ फेरा और धीमे से एक उंगली अंदर सरका दी, अंदर इतना पानी निकला था कि मेरी उंगली पूरी भीग गई, मीतू की चुदाई का ख़याल मेरे लण्ड को हिलाने लगा।
मैंने धीमे से मीतू की नाभि पर जीभ लगाईं और धीमे धीमे जीभ को नीचे लाता गया और उसकी चूत के होंठों को अपनी जीभ से संतृप्तता देने लगा, मीतू मेरे बालों को नोचने लगी और उसके मुख से बहुत ही सिसकारियाँ निकलने लगी… ओह होऊ ओह… आआ… ह्ह्ह… आहा…
मैंने उसकी मांसल चूत पर जीभ फेरना चालू ही रखा।
दो मिनट की चुसाई के बाद मैंने जीभ निकाली और मीतू को नीचे बैठाया और उसके मुँह में अपना मांसल लण्ड दे दिया।
मीतू जैसे टॉफ़ी खा रही हो, वैसे लण्ड को चूसने लगी।
अपना लण्ड मैं उसके गले तक घुसाने की कोशिश कर रहा था पर लण्ड के मोटे होने की वजह से वह अंदर तक जा नहीं रहा था।
मीतू और मैं दोनों अब मुख मैथुन से संतृप्त होने लगे थे और अब हम दोनों को भी असली लण्ड-चूत चुदाई का मजा लेना था, मैंने मीतू को वही प्लेटफ़ार्म पर लेटाया और उसकी टांगें नीचे रखी, मीतू की गद्देदार चूत मेरे लण्ड के पास ही थी, मैंने एक झटका दिया और उस सेक्सी योनि में अपना लौड़ा पूरी तरह घुसेड़ दिया।
मीतू के मुख से चीख निकल पड़ी- ..ओह मम्मा मार डाला…
मैंने अपना हाथ उसके मुख पर रख दिया और लण्ड को बिना हिलाए उसकी चूत में ही रहने दिया।
एक मिनट बाद ही उसकी चूत ने मेरे लौड़े को एडजस्ट कर लिया और मैंने धीमे धीमे मीतू की चुदाई चालू कर दी।
मीतू भी अब मेरे लण्ड का मज़ा लेने की कोशिश करने लगी थी, उसने भी अपने बड़े चूतड़ उठा उठा कर मुझ से चुदवाना चालू कर दिया।
वह अपने कूल्हे आगे पीछे कर के मेरा मोटा लण्ड पूरा अन्दर लेने लगी। मैंने भी उसके चूचे, गर्दन, कंधे और पेट पर चूमते हुए उसकी चुदाई 10 मिनट तक चालू रखी।
मीतू की चूत अब झाग निकालने लगी थी और यह झाग मेरे लण्ड के ऊपर आ रहा था।
मीतू ने मुझे कस कर पकड़ा और मैं समझ गया कि वह झड़ चुकी है।
मैंने अब अपने झटके और भी तेज कर दिए और उसकी मस्त चुदाई जारी रखी।
दो मिनट के बाद मेरे लण्ड ने भी पानी निकाल दिया और हम दोनों वहीं प्लेटफ़ार्म पर चिपक कर पड़े रहे…!
फिर तो यह चुदाई का सिलसिला एक साल तक जारी रहा… मैंने वही उनके घर के करीब एक रूम ले लिया ताकि मीतू वहाँ आ जा सके।
कभी कभी उसके मम्मी डैडी घर ना होने पर मैं उसके घर जाकर भी उसकी चुदाई कर लेता था…!!

Chudai डरते डरते साली की चूत मारी

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प्रेषक : रौशन
नमस्कार दोस्तों मेरा नाम रौशन कुमार मिश्रा है और मेरा घर झारखंड राज्य के एक शहर में है। मेरी उम्र 30 वर्ष है और मेरे लंड का साईज़ लगभग 5 इंच है। दोस्तों में कामुकता डॉट कॉम का बहुत पुराना पाठक हूँ। फिर मैंने भी कई लोगों की कहानियाँ पढ़कर सोचा कि में अपनी कहानी भी आप सभी लोगों से सामने रखूं। दोस्तों ये मेरी पहली कहानी है तो हो सकता है कुछ गलतीयाँ हो तो मुझे उम्मीद है आप सभी लोग मुझे माफ़ करके कहानी का मजा लेंगे। दोस्तों में एक साफ सुथरी चुदाई पर यकीन करता हूँ। चूत चाटने से मुझे बहुत घिन आती है। फिर चूत चाटने के अलावा में चुदाई के सभी तरीके प्रयोग करता हूँ।

दोस्तों यह कहानी आज से लगभग 4 साल पहले की है। वो नवम्बर का महीना था और ठंड भी पड़ना शुरू हो गई थी और मेरी पत्नी प्रॅगनेंट थी उसका सातवां महीना चल रहा था। फिर मेरी पत्नी ज़्यादा काम नहीं कर पाती थी। तभी मैंने उसकी मदद के लिये अपनी साली को बुला लिया। दोस्तों मेरी साली का नाम कामिनी है वो बहुत सुंदर और सेक्सी लड़की है उसकी उम्र 22 साल की है और चूचियाँ 32″ और कमर 28″ गांड 30″ के आसपास है और वो मुझसे बहुत मज़ाक करती है। फिर मैंने शुरू शुरू में कोई खास ध्यान नहीं दिया लेकिन बहुत दिन से चुदाई नहीं करने के कारण मुझे बहुत अजीब सा लगता था। फिर रात में जब लंड खड़ा होता तो में बाथरूम में जाकर साली का नाम लेकर मुठ मार लेता था।
फिर मेरा मन अब साली को चोदने का करता था लेकिन डर लगता था कि अगर उसने विरोध किया और मेरी पत्नी को पता चल गया तो मेरा हंसता खेलता परिवार उजड़ जाएगा। लेकिन चुदाई करने के लिए कुछ तो पहल करनी ही थी। फिर इसलिए एक दिन मौका देखकर जब मेरी पत्नी आँगन में धूप सेक रही थी और रूम में साली अकेली थी। तभी मैंने पीछे से हाथ लगाया और उसकी कमर पर अपना एक हाथ फैरने लगा। तभी वो अचानक से चौंक गई और कहने लगी कि आप यह क्या कर रहे हो? फिर मैंने उसे कहा कि बस तुम्हे छूकर देख रहा हूँ कि तुम्हारे अंदर कितना करंट है। तभी वो एक शैतानी हंसी हंस पड़ी। फिर में समझ चुका था कि हंसी तो फंसी लेकिन शुरू शुरू में तो उसने बहुत नाटक किया लेकिन जब में उसे रोज मौका देखकर चूमने लगा।
अब उसने विरोध करना छोड़ दिया था और शायद उसे मज़ा आता था। लेकिन चुम्मा लेने से लंड की प्यास नहीं बुझती है फिर यही हाल मेरे साथ भी था। फिर मेरी साली अपनी बहन यानी की मेरी पत्नी के साथ ही सोती थी और फिर में उसके पलंग के पास में चौकी पर सोता था.. पत्नी मेरी तरफ मुहं करके और साली दूसरी तरफ सोती थी और ऐसे में कुछ भी करना बहुत मुश्किल था। फिर एक दिन सुबह उठकर जब मेरी पत्नी बाथरूम गई थी तभी मैंने मौका देखकर थोड़ी हिम्मत जुटाई और अपनी चौकी से उठकर पलंग पर चला गया और साली के पास में लेट गया लेकिन शायद वो नींद में थी इसलिए उसे पता नहीं चला। फिर मेरे पास समय कम और एक बहुत मौका अच्छा था। तभी मैंने उसकी चूचियों पर हाथ रख दिया और फिर उसे धीरे धीरे दबाने लगा.. इससे उसकी नींद अचानक खुल गई और फिर मेरी डर के मारे बहुत हालत खराब हो गई.. मुझे ऊपर से नीचे तक पसीना छूट गया। लेकिन उसने केवल मेरा हाथ पकड़ा था और वो कुछ बोली नहीं। तभी इससे मेरी हिम्मत और बड़ गई और फिर मैंने अपना हाथ छुड़ाकर उसकी चूचियों पर रख दिया और फिर बड़े आराम से उन्हें दबाने लगा लेकिन कुछ देर बाद मुझे लगा कि मेरी पत्नी बाथरूम से वापस आ गई है। तभी में तुरंत जल्दी से अपने बिस्तर पर आ गया। फिर करीब एक सप्ताह तक रोज मैंने ऐसा ही किया फिर मेरी प्यास रोज और बड़ती ही जा रही थी।

फिर करीब एक सप्ताह के बाद सुबह रोज की तरह जब मेरी पत्नी बाथरूम में गई। तभी में साली के पास उसके पलंग पर आ गया और फिर चूचियाँ दबाते दबाते मैंने एकदम से अपना एक हाथ उसकी सलवार के अंदर घुसा दिया किस्मत से मेरा हाथ एकदम से उसकी पेंटी के भी अंदर घुस गया और मेरा हाथ सीधे जाकर उसकी चूत पर पड़ा। फिर में उसकी चूत को धीरे धीरे सहलाने लगा और वो बीना हिले चुपचाप पड़ी रही उसने कोई विरोध नहीं किया। तभी मैंने अपनी एक ऊँगली उसकी चूत में डाल दी। तभी वो अचानक से पूरी हिल गई और मुझे अंदाजा हो गया कि वो चुदाई के लिये तैयार है। फिर मैंने अपनी पत्नी के डर से ऊँगली को बाहर किया और उसे चूमने लगा। फिर मैंने उसे करीब पांच मिनट तक चूमा और छोड़ दिया और सही मौके की तलाश में लगा रहा।
फिर जब भी वो मुझे देखती हमेशा एक अच्छी सी मुस्कान देकर मुझे चुदाई के लिये न्यौता दे कर चली जाती और में अंदर ही अंदर जलकर राख होता रहता था और भगवान से कहता कि वो दिन.. ना जाने कब आएगा? तभी एक दिन मेरी किस्मत चमक उठी और मुझे जिस मौके की तलाश थी वो आज मुझे मिल गया। मेरी पत्नी डॉक्टर के पास जाँच के लिये मेरी माँ के साथ चली गई मैंने माँ को कहा कि में भी चलूं लेकिन माँ ने मना कर दिया और कहा कि तू क्यों परेशान होता है? और फिर घर पर कामिनी भी अकेली कैसे रहेगी? फिर में माँ की इस बात से सहमत था। दोस्तों ये कहानी आप कामुकता डॉट कॉम पर पड़ रहे है।
फिर मैंने डॉक्टर से एक दिन पहले बात की थी और मेरी पत्नी का नंबर लगा दिया था। फिर उस दिन मुझे पता था कि आज घर पर करीब तीन, चार घंटो के लिये बस हम दोनों थे में और मेरी साली और कोई नहीं फिर क्या था.. आज तो बस मेरी चाँदी ही चाँदी थी। फिर करीब सुबह के दस बजे मैंने.. माँ और मेरी पत्नी को घर के बाहर से विदा किया और फिर में दरवाजा अंदर से बंद करके अंदर चला आया और सीधा अपने कमरे में गया और वहाँ से मैंने एक कंडोम का पैकेट लिया और अपनी ज़ेब में रख लिया। फिर में सीधा किचन में गया जहाँ पर कामिनी काम में व्यस्त थी। तभी मैंने उसे अचानक पीछे से पकड़ लिया और उसकी गर्दन पर चूमने लगा और उसके बूब्स को दबाने लगा लेकिन उसने कोई भी विरोध नहीं किया। फिर मैंने किचन में ही उसके बूब्स दबाने शुरू कर दिए और उसने अपना हाथ आगे बड़ा कर मेरा लंड पकड़ लिया और सहलाने लगी। तभी मैंने उससे कहा कि चलो अब हम चुदाई पलंग पर करते है। फिर मैंने पलंग पर लेटा दिया और लेटते ही मैंने उसे पकड़ कर उसके होंठो को अपने होंठो से दबा लिया और फिर उसे चूमने लगा। फिर पांच मिनट किस करने के बाद में नीचे हुआ और उसके बूब्स को कुर्ती के ऊपर से दबाने लगा। तभी कामिनी की सांसे तेज होती जा रही थी। फिर उसने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और में उसके ऊपर था और उसके बूब्स दबा रहा था और फिर उसकी गर्दन पर अपनी जीभ से चाट रहा था।
तभी में ऊपर से हटा और फिर उसे बैठाकर उसकी कुर्ती को उतार दिया। उसने ब्रा नहीं पहनी थी। फिर जैसे ही मैंने कुर्ती उतारी उसके गोर गोर 32 के बूब्स मेरे सामने आ गए। में पागल सा होने लगा और कामिनी को नीचे दबाकर उसके बूब्स पर टूट पड़ा। फिर एक हाथ से उसके सीधे बूब्स को और जोर से और फिर दूसरे बूब्स को मेरे मुहं में लेकर चूस रहा था और हल्के हल्के दबा रहा था। फिर मेरे हर बार दबाने के साथ कामिनी का जोश बढ़ता जा रहा था और जोर से उनको चूसने और मसलने लगा। कामिनी को भी मजा आने लगा और उसके मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी।
फिर मैंने उसकी चूचियों को जी भर कर चूसा और चूसते-चूसते ही में एक हाथ से उसकी चूत पर ले गया और सलवार के ऊपर से ही उसकी चूत सहलाने लगा। फिर थोड़ा फिर में धीरे-धीरे उसकी सलवार में हाथ डाल कर पेंटी के अन्दर अपना हाथ ले गया और उसकी चूत को सहलाने लगा। सच में कामिनी की चूत बहुत ही सेक्सी और कोमल थी.. में तो बस मदहोश हो गया था। फिर में धीरे धीरे उसकी चिकनी चूत को सहलाने लगा। तभी उसकी चूत बहुत गीली हो चुकी थी और वो मुझे कहने लगी थी अब और बर्दाश्त नहीं होता प्लीज लंड डालो ना।
तभी में समझ गया कि अब ये पूरी तरह से गरम हो चुकी है। फिर मैंने जल्दी से उसकी सलवार का नाड़ा खोलकर उसे उतार दिया और फिर पेंटी के ऊपर से ही उसको चूमने लगा। फिर मैंने अब मौका गंवाए बिना उसकी पेंटी को भी उतार फेंका। फिर में जल्दी से नीचे आया और फिर अपने दोनों पैर फैलाकर लेट गया और उसे अपने ऊपर खींच लिया। तभी वो समझ गई और मेरे लंड को हाथ में लेकर ऊपर नीचे करने लगी। फिर जैसे ही उसने हिलाना शुरू किया मुझे करंट के झटके लगने लगे क्योंकि पहली बार किसी दूसरी लड़की के हाथ में मेरा लंड था। फिर में लंड धीरे से उसकी चूत में घुसाने लगा लेकिन उसकी चूत बहुत टाईट थी।

तभी मैंने धीरे से एक धक्का दिया लंड चूत के अंदर चला गया। फिर उसकी चूत से खून बहने लगा था और कामिनी आँखें बंद किये सिसकारियां भर रही थी। तभी मुझे सही मौका मिला और अचानक मैंने एक जोर का झटका दिया और अपना पूरा 5 इंच का लंड उसकी चूत की गहराइयों में डाल दिया। तभी वो बहुत जोर से चीखी और जोर से तड़पने लगी वो दर्द से छटपटाने लगी और कहने लगी कि प्लीज मुझे छोड़ दो और फिर वो जोर जोर से रोने लगी। फिर पाँच मिनट तक में सिर्फ़ उसके बूब्स को चूसता रहा और उसके पूरे शरीर पर हाथ फैरता रहा। तभी धीरे धीरे उसका दर्द कम हुआ और तभी थोड़ी देर में उसे भी मज़ा आने लगा और वो भी हिल हिल कर चुदाई का मज़ा लेने लगी। फिर करीब 15 मिनट तक में उसे बिना रुके चोदता रहा और इतनी देर में उसकी चूत गीली हो गई और उसका दर्द कम हो गया और वो बहुत मज़े लेकर चुदवाने लगी। फिर वो भी नीचे से गांड हिलाकर मेरा साथ दे रही थी और बोल रही थी अह्ह्ह ईईइ और जोर से मुझे चोदते रहो और जोर से चोदो मुझे। तभी वो एकदम से अकड़ गई और झड़ गई। फिर में अपने लंड को अंदर बाहर करता रहा कुछ देर बाद उसे भी मज़ा आने लगा और वो भी मेरा साथ देने लगी। फिर में उसे जोर जोर से चोदता रहा। फिर करीब दस मिनट बाद में उसकी चूत में झड़ गया और मैंने पूरा वीर्य कामिनी की चूत में डाल दिया। फिर मुझे कोई डर नहीं था क्योंकि मैंने पहले से ही लंड पर कंडोम चड़ा लिया था।
दोस्तों फिर चार घंटो में मैंने करीब उसकी दो बार चुदाई की फिर जब भी मुझे चुदाई का मौका मिलता तो में कामिनी की चुदाई करता और अपने लंड को शांत करता। दोस्तों मैंने कभी भी कामिनी को बिना कंडोम के नहीं चोदा क्योंकि उसकी अभी शादी नहीं हुई थी और कभी भी मेरी पत्नी को भी पता नहीं चला ।।
धन्यवाद …

बीवी और बहन चुद गई ट्रेन में

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प्रेषक : गुमनाम
हैल्लो फ्रेंड्स आज में आपको एक बार फिर से एक और नई स्टोरी जिसमे मेरी चुदक्कड़ बीवी और बहन है उनकी एक स्टोरी सुनाने जा रहा हूँ। दोस्तों वो सर्दी की रात थी। में, मेरी बीवी गीता और बहन पायल तीनों कहीं बाहर जा रहे थे। हमारी ट्रेन रात को 11 बजे थी और दूसरे दिन सुबह 8 बजे हमे ट्रेन से उतरना था। मेरी बीवी ने गहरे गले का ब्लाउज और काली कलर की साड़ी पहनी थी और उसने अंदर कोई ब्रा या पेंटी नहीं पहनी थी और ऊपर से लाल कलर की लिपस्टिक लगाई थी। फिर इन कपड़ो में वो पूरी रंडी दिख रही थी और उसके बूब्स आधे दिख रहे थे। फिर मेरी बहन ने टीशर्ट और स्लेक्स पहनी थी। फिर इस ड्रेस में मेरी बहन के बूब्स बहुत बड़े लग रहे थे.. उसने शायद ब्रा पहनी थी। फिर नीचे स्लेक्स में उसकी गांड बहुत सेक्सी लग रही थी।

फिर जब हम बाहर निकले तो मेरी बहन ने कहा कि भाभी आप तो ट्रेन में सभी मर्दो को मार ही डालोगी। फिर यह कहकर उसने मेरी बीवी के बूब्स पर चिकोटी ली। फिर मेरी बीवी आऊऊच कर गई और कहने लगी कि तू भी कुछ कम नहीं दिख रही.. इस सेक्सी स्लेक्स में तो तेरी गांड क्या खूब लग रही है.. कोई भी आदमी देखेगा तो उसका लंड खड़ा हो जाएगा। फिर इतना कहकर मेरी बीवी ने पायल की गांड पर एक ज़ोर से थप्पड़ लगाया। फिर में चुपचाप सुनता खड़ा था और मन ही मन कामुक हो रहा था। फिर इस तरह की बातें करते हुए हम लोग स्टेशन पर पहुँचे। फिर मैंने वहाँ पर देखा तो सारे आदमी मेरी बीवी और बहन की गांड को घूर- घूर कर देख रहे थे।
फिर जब ट्रेन आई तो हम लोग अंदर चड़ गये और हमारी जगह पर बैठ गये। फिर थोड़ी देर बाद एक आदमी बहुत काला सा वहाँ पर आया और सामने आकर बैठ गया। वो बहुत मजबूत शरीर का था और उसने पायजामा पहना हुआ था। तभी उसने एक नज़र मेरे घर की दोनों औरतो पर डाल दी और वो दोनों पैर सीट पर रखकर बैठ गया। तभी उसने अंडरवियर नहीं पहना हुआ था.. इस वजह से उसका मोटा लंड और बड़ी बड़ी झांटे पायजामे में से दिखाई पड़ रही थी।
फिर थोड़ी देर बाद ट्रेन चल पड़ी लेकिन जनरन डिब्बे में हम सिर्फ़ चार लोग ही थे। मेरी बीवी खिड़की वाली सीट पर थी.. में बीच में और बहन मेरी सीधी साईड में बैठी थी। फिर सामने की सीट पर वो आदमी अपना लंड दिखता हुआ बैठा था। फिर मेरी बीवी और बहन बराबर उस आदमी के लंड की और देख रही थी। फिर वो आदमी भी मेरे घर की इज़्ज़त.. मेरी बहन और बीवी को बार बार घूर घूर कर देख रहा था। फिर थोड़ी देर बाद उसने अपना हाथ लेकर अपने लंड पर रख दिया और वो लंड को सहलाने लगा। उसका लंड पायजामा के अंदर कड़क हो गया था। फिर मेरी बीवी ने यह देखकर अपनी साड़ी का पल्लू गिरा दिया और उसने अपने दोनों बूब्स साड़ी के बाहर कर दिए। फिर एकदम बड़े बड़े सफेद बूब्स हवा में थे.. सिर्फ़ एक पतला सा गहरे गले का ब्लाउज ही उसको संभाले हुए था। तभी यह देखकर उस आदमी ने अपना पैर मेरी बीवी के दोनों पैरो के बीच लंबा कर दिया। तभी गीता ने अपना पैर लंबे करके उसके लंड के पास लगा दिया। तभी हाल ऐसा था कि उसका एक पैर गीता की चूत को और गीता का पैर उसके लंड को छू रहा था।

फिर में बिलकुल अंजान बनकर यह सब देख रहा था। मेरी बहन भी यह सब देख रही थी। फिर उससे रहा नहीं गया। तभी उसने मुझसे कहा कि भैया आप मेरी सीट पर आ जाओ और मुझे बीच में बैठ जाने दो। फिर हम दोनों ने अपनी अपनी सीट बदल दी। फिर मेरी बहन ने अब खड़े होकर.. उस आदमी की तरफ गांड करके वो खड़ी हो गयी और ऊपर की बर्थ से कुछ समान उतारने करने की आक्टिंग करने लगी। तभी अचानक से ट्रेन का एक झटका लगा और मेरी बहन उस अंजाने आदमी की गोद में गिर पड़ी। तभी उस आदमी का लंड पहले से टाईट ही था। तभी ज़ोर से वो लंड मेरी बहन की बड़ी गांड से टकराया और मेरी बहन आअहह करके उसके ऊपर पड़ी। फिर उसने भी मेरी बहन को खड़ी करने के बहाने से उसके बूब्स पकड़ लिए और फिर उसका एक हाथ पकड़कर उसे खड़ा किया। फिर मेरी बहन सॉरी कहती हुई अपनी जगह पर बैठ गयी। दोस्तों ये कहानी आप कामुकता डॉट कॉम पर पड़ रहे है।
फिर उस आदमी ने मौका देखकर दूसरा पैर भी मेरी बहन की चूत में घुसा दिया। फिर साले का एक पैर मेरी बीवी की चूत में और दूसरा पैर मेरी बहन की चूत में था। फिर मेरा लंड भी यह सब देखकर खड़ा हो गया था। फिर मैंने गीता की और देखा तो उसने मुझे कहा कि क्या आप सामने वाली सीट पर बैठ सकते हो? तभी मैंने पायल को कहा कि पायल तेरी भाभी को सीट पर सोना है.. चल हम सामने वाले भाई साहब के पास जाकर बैठ जाते है। फिर हम दोनों उसके पास जाकर बैठ गये। फिर मेरी बीवी हमारी सीट पर सो गयी। तभी उसने पीठ हमारी और की हुई थी.. इस पोज़ में मेरी बीवी की खुली हुई पीठ साफ साफ दिखाई पड़ रही थी और उसकी गांड भी मस्त उभरी हुई दिख रही थी।
फिर थोड़ी देर बाद उस आदमी ने कहा कि क्या में सामने आपकी बीवी की सीट पर बैठ सकता हूँ? तभी मैंने हाँ कह दी। तभी वो सामने गया और मेरी बीवी की गांड के पास जाकर बैठ गया। फिर कुछ देर बाद उसने अपना एक हाथ गीता की गांड पर रख दिया लेकिन गीता कुछ नहीं बोली। तभी उसकी हिम्मत खुल गयी और वो उसकी पतली कमर पर हाथ फैरने लगा और इधर में और पायल सोने की एक्टिंग कर रहे थे। फिर गीता ने अब एक कंबल लेकर ओड़ लिया। फिर वो आदमी मेरी बीवी के बाजू में सो गया। फिर उसने भी कंबल ओड़ लिया था। अब एक ही कंबल में मेरी बीवी और एक अंजना आदमी था। फिर इधर में और पायल सोने की एक्टिंग कर रहे थे। फिर अंदर उसने मेरी बीवी की साड़ी ऊपर करके अपना लंड पीछे से ही गीता की चूत में घुसेड़ दिया और फिर उसको चोदने लगा। फिर गीता चुपचाप लंड का मज़ा ले रही थी। फिर कुछ एक घंटे तक चोदने के बाद वो बैठ गया। फिर मेरी पत्नी कंबल के अंदर ही आधी नंगी पड़ी थी। फिर जब वो चुद चुकी तो उसने मुझे उठाया और कहा कि क्या आप मेरे साथ सो सकते है मुझे बहुत ठंड बहुत लग रही है। तभी वो आदमी खड़ा होकर मेरी सीट पर आ गया और फिर में मेरी बीवी के कंबल में चला गया। फिर वहाँ पर मैंने उसकी चूत में उंगली डाली तो उसकी चूत पूरी गीली हो गयी। फिर उस आदमी के वीर्य से गीता की चूत पूरी भर गयी थी।
फिर में उल्टा हो गया और उसकी चूत चाटने लगा। मेरी बीवी की चूत में से मैंने उस आदमी का सारा वीर्य चाट चाट कर साफ कर दिया। फिर उधर वो आदमी यह सब देख रहा था। फिर उसने अब ज़ोर से कंबल खींच दिया। तभी में उसे चूत में वीर्य चाटता हुआ दिखाई पड़ा। तभी उसने खुलेआम मेरी बहन की टी-शर्ट उतार दी। तभी पायल के बूब्स हवा में लहराने लगे। फिर उसने पायल के मुहं में अपना लंड घुसा दिया और उसके बाल पकड़ कर उसके मुहं को वो फक फक करके चोदने लगा। फिर मेरी बहन के मुहं से ढेर सारा वीर्य बहकर गिर रहा रहा था। फिर वो मेरी बहन के बालों को पकड़कर अपना लंड घुसा रहा था। फिर हम चारों के बीच में कोई शरम नहीं थी। फिर इधर मैंने भी गीता का ब्लाउज निकाल दिया और अब उसके बूब्स भी हवा में लहरा रहे थे।
दोस्तों आप सोचिए कितना हसीन पल था कि ट्रेन के एक डिब्बे में मेरी बहन और बीवी दोनों अपने बूब्स खुले रखकर एक पराए आदमी के साथ है वो भी मेरे सामने। फिर मेरा लंड तो यह देखकर तन सा गया था। फिर थोड़ी देर बाद मेरी बहन का मुहं चोदने के बाद उसने पायल को कुतिया बनाया और पीछे से उसकी गांड में अपना लंड घुसा दिया। फिर पीछे से वो ज़ोर से मेरी इकलोती बहन की गांड मारने लगा और फिर पायल भी आहह आहह आहह की आवाज़े निकालने लगी। तभी इधर में और गीता भी घोड़ी बनकर प्यारी बहन की चुदती हुई चूत के पास अपना मुहं ले गये और वहाँ पर किस करने लगे। फिर बीच बीच में वो आदमी अपना लंड मेरी बहन की गांड से निकलता तो मेरी बीवी और में उसके लंड को चूसने लगते.. कभी उसका लंड मेरे मुहं में तो कभी मेरी बीवी के मुहं में रहता था। फिर बाकी के टाईम में हम पति पत्नी किस करते थे। फिर करीब बीस मिनट बहन की गांड मारने के बाद वो बहन की गांड में ही झड़ गया।

तभी उसने लंड को गांड से बाहर निकाला तो गीता ने उसे मुहं में लेकर बराबर चाट चाट कर साफ कर दिया और मेरे सामने मेरी बहन बहुत मस्त चुदी और वो भी एक पराए मर्द के लंड से और गांड से वीर्य टपकाती हुई खड़ी थी। फिर में उसकी गांड के पास अपना मुहं ले गया तभी पायल ने कहा कि देखो भैया आपकी इकलोती बहन की क्या हालत कर दी है इस पराए आदमी ने.. देखो भैया आपकी बहन की गांड देखो कैसी फाड़ दी है.. कैसी चोद चोदकर रंडी जैसी गांड बना दी है देखो भैया। तभी मैंने कहा कि बहना तू डर मत में तेरी चुदी हुई गांड को अभी चाट देता हूँ और मैंने मेरी प्यारी बहन की वीर्य से भारी हुई गांड चाटना चालू कर दिया। फिर गांड चाटकर हम तीनों ने कपड़े पहन लिए। फिर सुबह होते ही हम अपने स्टेशन पर उतर कर चले गये ।।
धन्यवाद …

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मोबाइल सर्विस सेंटर पर (Mobile Service Centre Per)

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मेरा नाम समीर है, उम्र छब्बीस साल और में उज्जैन का रहने वाला हूँ। मैं एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी मैनेजर हूँ जो मोबाइल फोन की सर्विस देती है। में कभी कभी bhauja .com  पर कहानी पढ़ता हूँ ।
अभी कंपनी ने मुझे ट्रान्सफर कर के रायपुर भेज दिया है।

यह कहानी तब की है जब मैं इस कंपनी में उज्जैन के ही एक सर्विस सेण्टर पर टेक्निशियन का काम करता था और लोगों के मोबाइल फोन सुधारा करता था।
हर जवान लड़के की तरह मैं भी किसी अच्छी लड़की को चोदने की फिराक में था।
हमारे सर्विस सेण्टर पर कभी कभी लड़कियाँ भी अपना मोबाइल ठीक करवाने के लिए आया करती थी जिनको देखते ही मुँह से लार टपकने लगती थी।
मेरी एक आदत थी कि जब भी किसी लड़की का फ़ोन रिपेयर करके देता था, उसका सारा डाटा मिटाने के बाद अपना मोबाइल नंबर उसकी फ़ोन बुक में कस्टमर केयर के नाम से स्टोर कर देता था।
एक बार एक लड़की जिसका नाम रीना था, अपना मोबाइल लेकर सर्विस सेंटर पर आई।
जब मैंने नज़र उठा कर उसको देखा तो देखता ही रह गया। जी तो कर रहा था कि उसको अभी नंगा करके चोद दूँ लेकिन किसी तरह मैंने अपने आप पर काबू किया और उसके फ़ोन को चेक किया तो पाया कि मोबाइल पूरी तरह बंद है और उसमें पानी लगा हुआ था।
पूछने पर पता चला कि उसके हाथ से मोबाइल दूध में गिर गया था।
मैंने रीना को बताया कि कंपनी की पालिसी के हिसाब से यह वारंटी में रिपेयर नहीं होगा और इसको ठीक करवाने के लिए आपको काफी पैसा लगेगा, शायद इतने में तो आप नया मोबाइल खरीद सकती हैं।
उसने मुझसे रिक्वेस्ट किया- आप कुछ कीजिये, मैं इतना खर्चा नहीं कर सकती।
मैंने मन में सोचा कि मैं तो सब कर सकता हूँ लेकिन तू मेरे लिए क्या करेगी?
खैर मैंने रीना को कहा- आप अपना मोबाइल यहाँ छोड़ दीजिये, मैं देखता हूँ अगर कुछ हो सका तो।
उसने मेरी बात मान कर मोबाइल सर्विस सेंटर में छोड़ दिया और चली गई।
अगले दिन रीना का फ़ोन आया और उसने मुझसे मोबाइल के बारे में पूछा।
मैंने कहा- आप मुझे शाम तक कॉल कीजिये, मैंने अपनी कंपनी से बात की है, अभी उनका जवाब आना बाकी है।
उसके बाद उसने उस दिन कॉल नहीं किया, अगले दिन मैं उसके कॉल का इंतज़ार कर रहा था और अचानक उसका कॉल आ भी गया।
मैंने रीना को बताया कि कंपनी स्पेशल केस में आपका मोबाइल बिना किसी चार्ज लिए रिपेयर करके दे देगी लेकिन उसके लिए थोड़ा समय लगेगा।
यह सुनकर वो बहुत खुश हुई और मुझे थैंक्स कहने लगी।
मैंने कहा- जब आपका सेट रेडी हो जायेगा, मैं आपको कॉल करके बता दूँगा।
यह बोल कर मैंने फ़ोन रख दिया।
तीन दिन बाद मैंने फिर से रीना को कॉल करके बताया- आपका मोबाइल ठीक हो गया है, आप उसको ले जा सकती हैं।
वह उसी दिन अपना मोबाइल लेकर चली गई। मैंने उसकी भी फ़ोन बुक में अपना नंबर स्टोर कर दिया था।
कुछ दिन यूँ ही बीत गए, फिर एक दिन मैंने उसके नंबर पर कॉल किया उसने मुझे पहचाना नहीं और मेरा परिचय पूछने लगी।
मैंने कहा- मुझे आप ही ने तो कुछ देर पहले मिस कॉल किया था, इसिलए मैंने आपको कॉल किया।
उसके मना करने पर मैंने झूठमूठ ही उससे पूछा- आप कौन हैं और कहाँ से बात कर रही हैं?
जब उसने अपने बारे में बताया तो मैंने भी अपनी पहचान बताते हुए कहा- आपके मोबाइल में मेरा नंबर सेव्ड है, और सकता है आपने नहीं तो किसी और ने गलती से कॉल किया होगा।
फिर उससे उसके मोबाइल के बारे में पूछने लगा। उस दिन रीना से बात करके लगा कि वो भी मुझसे बात करने में दिलचस्पी ले रही है।
उस दिन हमने लगभग 20 मिनट इधर उधर की बात की, तभी उसने बताया कि वो यहाँ पढ़ाई के लिए आई है और होस्टल में रहती है।उस दिन के बाद हम रोज़ एक दूसरे से मोबाइल पर बातें और मैसेज़ करने लगे।
एक दिन अचानक दोपहर के वक्त रीना का कॉल आया और उसने मुझे बताया कि वो अपने कॉलेज ग्राउंड पर खेल की प्रेक्टिस कर रही है, 30 मिनट का ब्रेक मिला है और भूख भी तेज़ लगी है लेकिन हॉस्टल कॉलेज से बहुत दूर है, वहाँ नहीं जा सकती, क्या मैं उसके कॉलेज आ सकता हूँ?
मैंने कहा- तुम 10 मिनट रुको, मैं पहुँच रहा हूँ।
वहाँ जाकर मैंने उसको अपनी बाइक पर बैठाया और नजदीक ही एक रेस्तराँ में जाकर हम दोनों ने नाश्ता किया।
तब वो मुझसे बोली- मुझे तुमसे और भी बहुत सी बातें करनी है लेकिन यहाँ नहीं ! तुम मुझे कहीं और मिल सकते हो?
मैंने थोड़ा सोचने के बाद उसको कहा- यह तो बड़ा मुश्किल है, तुम शाम को हॉस्टल छोड़ नहीं सकती और मैं दिन में ड्यूटी पर होता हूँ।
अचानक ही मेरे दिमाग में एक ख्याल आया कि क्यों ना इसको ऑफिस में ही बुला लूँ और मैंने उसको कहा- तुम सुबह साढ़े सात बजे मेरे ऑफिस में आ जाओ, उस वक्त वहाँ कोई नहीं होगा, सभी लोग साढ़े नौ तक आते हैं।
वो भी राजी हो गई।
बताये वक्त के हिसाब से वो अगले दिन मेरे ऑफिस आई, अन्दर आने के बाद मैंने मेन गेट को अन्दर से लोक किया और विजिटर्स सोफा पर बैठ कर एक दूसरे से बात करने लगे।
सर्दी के दिन होने की वजह से सुबह सुबह उसको ठंड लग रही थी, इसी लिए वो स्वेटर पहन कर आई थी, फिर भी कांप रही थी।
बात करते हुए ही मैंने उसको अपने करीब खींच लिया और उसके गले में हाथ डाल कर बतियाने लगा। थोड़ी देर बाद मैंने अपना हाथ उसके दूद्दू पर रख दिया, वो थोड़ी झिझकी लेकिन मैंने एक ही झटके में उसको अपनी गोद में गिरा लिया और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
हमारा यह चुंबन करीब 15 मिनट तक चला जिसमें उसने भी मेरा बराबर साथ दिया।
फिर मैं सोफे के एक किनारे बैठ गया और वो अपना सर मेरी गोदी में रख कर लेट गई और मैं उसके स्वेटर के अन्दर हाथ डाल कर कपड़ों के ऊपर से ही उसके दूद्दू दबाने लगा।
अब वो गरम हो रही थी और उसकी साँसें भी तेज़ चलने लगी। इधर मैं भी उसके बगल में लेट कर उसके पैर पर अपना पैर रख कर लेट गया जिससे मेरा लंड उसकी जांघों को छू रहा था।
अब वो समझ रही थी कि क्या हो रहा है। जैसे ही में उसके ऊपर चढ़ने लगा, मैंने उसका मन देखने के लिए ऐसे ही कह दिया कि हमारे बीच यह जो कुछ भी हो रहा है, सही नहीं है।
यह कहते कहते में उससे अलग हो गया, वो भी उठ कर बैठ गई।
जब मेरी नजर अचानक घड़ी की तरफ गई, देखा तो 9:15 हो चुके थे, मैंने उसको कहा- बातों बातों में कितना समय बीत गया, साढ़े नौ बजने वाले हैं, अभी मेरे ऑफिस के लोग आते ही होंगे।
उसने भी मुझे कहा- मुझे भी कोचिंग के लिए जाना है, मैं चलती हूँ।
मैंने जाते हुए उसके लिए लाई हुई कुछ चोकलेट्स और एक गिफ्ट उसको दिया।
वो लेकर वो वहाँ से चली गई और मैं फिर से सोफे पर बैठ कर सोचने लगा- हो गई ना खड़े लंड पे चोट ! अब तो शायद वो मुझसे बात भी नहीं करेगी।
कुछ देर में मेरे ऑफिस के बाकी कर्मचारी भी आ गए। मैं अपने काम में लग गया, उस दिन मैं बड़ा अपसेट था, उसने भी कॉल नहीं किया, मैं भी अपने काम में लगा रहा।
फिर एक दिन उसका फ़ोन आया और उसने सीधे सीधे कहा- क्या कल तुम सुबह जल्दी उठ सकते हो?
क्योंकि वह जानती थी कि मैं रोज़ सुबह आठ बजे सो कर उठता हूँ।
मैंने पूछा- क्यों?
तो बोली- तुमसे कुछ काम है, जल्दी उठ कर ऑफिस आ जाना।
मैंने सोचा, नेकी और पूछ पूछ !
और मैंने भी हाँ कर दी।
दूसरे दिन मैं पूरी तैयारी से कंडोम अपने साथ लेकर ऑफिस गया। वो भी कुछ देर में वहाँ आ गई। वो जींस और टॉप ही पहने हुई थी, उसको पता था कि आज तो वैसे भी स्वेटर का कोई काम नहीं है।
उसके अन्दर आने के बाद मैंने दरवाजे को अन्दर से लॉक किया और सीधे उसको अपनी बाहों में जकड़ कर किस करने लगा।
किस करते करते ही मैंने उसको वहीं सोफे पर लिटा दिया और उसके दुदू दबाने लगा, धीरे धीरे उसकी टॉप के अन्दर हाथ डाल कर उसकी ब्रा का हुक खोल कर उसकी निप्पल के साथ खेलने लगा।
उसको भी मज़ा आ रहा था।
फिर मैंने उसकी टॉप को उसके बदन से अलग कर दिया, हुक खुला होने की वजह से उसकी ब्रा भी टॉप के साथ उतर गई। अब वो मेरे सामने टॉपलेस थी और मैं उसके दुदू को चूम रहा था।
फिर मैंने उसकी जींस के बटन को खोल कर उसको उतार दिया, उसके शरीर पर अब सिर्फ एक पेंटी बची हुई थी, वो थोड़ी शर्मीली किस्म की लड़की थी, इसलिए अपने आपको इस हालत में देख कर अपनी आँखें बंद कर ली।
इसी वजह से मेरे कपड़े भी मुझे खुद ही उतारने पड़े।
इस सबके चलते हम दोनों ही बहुत गरम हो चुके थे, उसकी आँखें बंद थी और मुँह से आह ऊऊऊउह की आवाजें आ रही थी।
उसने मुझसे कुछ कहा तो नहीं लेकिन आँखें बन्द करके जिस तरह के भाव उसके चेहरे पर दिख रहे थे, लगता था मानो बोल रही है- अब देर मत करो !
इधर मेरे लंड का भी यही हाल था और क्योंकि मुझे चूत चाटना अच्छा नहीं लगता, हाँ, अगर कोई मेरे लंड को चूसना चाहे तो वो उसकी इच्छा ।
मैंने बिना देर किये ही उसकी पेंटी हटाकर अपने लंड को सही जगह तक पहुँचा दिया।
उसने तो मुझे नग्न हालत में देखा तक नहीं लेकिन फिर भी लंड का थोड़ा सा हिस्सा भी अन्दर नहीं गया और वो चिल्ला उठी।
मैंने उसको कस कर पकड़ा और हल्की सी ठोकर दी जिस से मेरे लंड का अग्र भाग उसकी चूत में घुस गया लेकिन इतने में ही उसके आँसू आ गए और मुझे कहने लगी- नहीं, मुझसे नहीं होगा, तुम इसको बाहर निकाल लो।
मैं थोड़ी देर ऐसे ही रुका रहा लेकिन एक बार तीर अगर कमान से निकल जाये तो उसको कौन रोक सकता है।
वही मैंने भी किया और उसको समझाया- एक ना एक बार तो सभी को ये दर्द सहना पड़ता है लेकिन उसके बाद ही तो असली मज़ा है। और हल्के से एक झटका और दे दिया, इतने में आधा लंड उसकी चूत में घुस गया।
इस बार भी उसकी चीख निकल गई लेकिन वहाँ कौन सुनने वाला था तो मैंने अपना काम जारी रखा और उसको चूमते हुए धीरे धीरे पूरी गहराई तक अपना लंड उतार दिया।
उसको अभी भी दर्द हो रहा था और मुझसे छुटने की कोशिश कर रही थी लेकिन मैं छोड़ूँ तब ना !
मैंने हल्के हल्के हिलोरे चालू रखे, अब उसकी तरफ से भी थोड़ा साथ मिलने लगा।
मैंने भी अपनी रफ़्तार बढ़ा दी, करीब दस से पंद्रह झटकों के बाद मुझे लगा कि मैं जाने वाला हूँ और फिर हम दोनों ही एक साथ डिस्चार्ज हो गए।
हम दोनों बुरी तरह थके हुए लग रहे थे और हमारी साँसों पर भी हमारा कंट्रोल नहीं था।
उसी अवस्था में करीब पच्चीस तीस मिनट ऐसे ही लेटे रहने के बाद वो मुझे फिर से चूमने लगी और मेरा भी लंड फिर से तन गया।
मैंने सोचा कि समय नहीं गंवाते हुए जल्दी से एक राउंड और हो जाये नहीं तो ऑफिस का टाइम हो जायेगा, और फिर खड़ा लंड हाथ में रह जायेगा, मैं फिर से उसके ऊपर आ गया और इस बार उसकी गीली चूत में मेरा पूरा लंड एक ही झटके में चला गया।
अब तो वह भी मजे ले लेकर मुझ से चुद रही थी और इस बार हमारी घिसाई लगभग 20 मिनट तक चलती रही।
हम दोनों एक दूसरे में इतना खोये हुए थे कि मैं साथ में लाये हुए कंडोम को भी भूल गया। बाद में मैंने उसको गोली लाकर दी और उसको विदा किया।
तो दोस्तो, यह तो मेरी शुरुआत थी।
हो सकता है इस कहानी में ज्यादा उत्तेजना नहीं हो, मुझे लिखना तो नहीं आता, लेकिन फिर भी मैंने अपनी तरफ से बहुत कोशिश की कि आपके लिए एक अच्छी कहानी लिखूँ और उम्मीद करता हूँ कि आप भी इसको पसंद करेंगे।
आगे भी मैंने इसी सर्विस सेण्टर पर उसी तरह से और चार गर्ल फ्रेंड्स बनाई लेकिन उन सबमें रीना को मैं कभी नहीं भूला।
हम लोग कई बार साथ में टूर पर भी गए और वहाँ भी हमारा चुदाई का कार्यक्रम बेरोकटोक चला।
बाद में मैं विदेश चला गया और जब फिर से भारत आया तो हम दोनों का कभी सम्पर्क नहीं हुआ।

सम्भोग : एक अद्भुत अनुभूति (Sambhog- Ek Adbhut Anubhuti)

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मैं पटना का रहने वाला हूँ। हालाँकि जिस घटना के बारे में मैं लिख रहा हूँ उस वक्त मेरी उम्र 24-25 की थी। पर कहानी को अच्छी तरह से समझाने के लिए मैं घटना की पृष्ठभूमि भी बता रहा हूँ। आप मेरी ये कहानी bhauja dot com पर पढ़रहे हैं ।


बहुत पुरानी बात है। उस वक्त मैं 21 साल का था। मैं अपनी पढ़ाई समाप्त करके नया-नया इंश्योरेंस के बिजनेस में आया था। मेरे घर के ठीक बगल वाले मकान में एक परिवार किराये पर रहने के लिए आया। परिवार के मुखिया अशोक शर्मा उम्र 50 साल, उनकी पत्नी देविका उम्र 45 साल और उनकी इकलौती लड़की वीणा उम्र 19 साल थे। तीनों ही काफी स्मार्ट और अच्छे व्यक्तित्व के थे।
वीणा के व्यक्तित्व का तो जवाब ही नहीं था। कद 5 फुट 6 इंच, गोरा रंग, बड़ी-बड़ी आँखें, पतले गुलाबी होंठ, सुतवां नाक, छरहरा बदन, पुष्ट और सुडौल वक्ष, थोड़ा बाहर को निकला नितम्ब, लंबी पतली टाँगें। मतलब किसी कवि की कल्पना जैसे साकार हो उठी हो। एक बात बताऊँ कि उसे देखकर कहीं से भी उसके प्रति गलत भावना का उदय मन में नहीं होता था। सिर्फ लोग उसकी सुंदरता में खो से जाते थे। पता नहीं क्यों मैं जब भी उसे देखता था किसी और दुनिया में चला जाता था।
मेरी माँ ने घर में ही एक सिलाई प्रशिक्षण केन्द्र खोल रखा था। वीणा भी पहली बार मेरे घर सिलाई केन्द्र में दाखिला लेने ही आई थी। जब तक वो मेरे यहाँ रही, मैं अपने कमरे से छुप कर देखता ही रहा। फिर अक्सर मेरे यहाँ आती रही। कभी-कभार उसके साथ बहुत संक्षिप्त बातचीत भी हो जाती थी, मसलन वो मेरे माँ के बारे में पूछती कि चाची कहाँ है या ऐसे ही कोई सवाल।
मैं अपनी ओर से कभी कोई बात नहीं कर पाता था क्योंकि उसे देखते ही मेरी जुबान बंद हो जाती थी। जब कभी वो मेरी ओर नजर उठा कर देखती थी तो मैं संज्ञा-शून्य हो जाता था, मेरी आँखें पथरा जाती थी। जब वो कुछ पूछती थी तो मैं हकलाते हुए ही जवाब दे पाता था।
ऐसे ही करीब एक साल गुजर गया। वो एम.कॉम. में पढ़ती थी। उसका कॉलेज घर से करीब 12 किलोमीटर दूर था। वो कॉलेज अपनी स्कूटी से जाती थी।
एक दिन की बात है, शाम के करीब साढ़े छः बज रहे थे और शाम का धुंधलका छा गया था। मैं उसके कॉलेज की तरफ से ही अपने घर को जा रहा था। कॉलेज से लगभग दो किलोमीटर के बाद अगला पांच-छः किलोमीटर बिल्कुल सुनसान इलाका पड़ता था। मैंने देखा सड़क के किनारे वीणा परेशान सी खड़ी थी और उसकी स्कूटी बगल में स्टैंड पर खड़ी थी।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो वो रोआंसी सी बोली- स्कूटी खराब हो गई है, स्टार्ट ही नहीं हो रही है।
मैंने भी एक-दो बार कोशिश की उसे स्टार्ट करने की पर सफल नहीं हुआ।
मैंने कहा- घबराने की कोई बात नहीं है, कुछ ही दूरी पर मेरा एक पहचान वाला है उसके घर स्कूटी रखवा देंगे और मैं तुम्हें अपने बाइक से घर छोड़ दूँगा।
उसने हाँ बोला तो मैंने उसके स्कूटी का बंदोबस्त करवा कर उसे अपने पीछे बाइक पर बैठा लिया।
दोस्तों क्या कहूँ कि मैं उस वक्त क्या महसूस कर रहा था। लगता था जैसे मैं स्वप्न देख रहा हूँ। मुझे खुद पर भी भरोसा नहीं हो रहा था कि मैं उस नाज़नीना को जिसको सिर्फ देखने भर से ही मेरा रोम-रोम पुलक जाता था वो मेरे साथ, मेरे बाइक पर, मेरे शरीर से चिपकी हुई बैठी है।
खैर जैसे-तैसे मैं घर पहुँचा तो वो मुझे थैंक्स बोलकर अपने घर चली गई।
अगली सुबह उसकी माँ ने आकर मुझे धन्यवाद कहा। मैंने एक मैकेनिक को साथ ले जाकर उसकी स्कूटी रिपेयर करवा कर उसके घर पहुँचवा दी।
फिर यदा-कदा वो मुझसे बात भी करने लगी। लेकिन बात करते हुए भी उसकी नजर हमेशा नीचे की ओर ही रहती थी। वो थी ही इतनी शांत और शालीन कि उसके साथ काम के अलावा और कोई भी बात करने की हिम्मत नहीं होती थी।
लेकिन कहते हैं न कि लड़कियों की नजरें चेहरे को पढ़ने में माहिर होती हैं। एक दिन की बात है, मैं अपने घर में अकेला ही था, माँ-पापा एक शादी में तीन चार दिनों के लिए गाँव गए हुए थे, वीणा मेरे घर आई और माँ के बारे में पूछा।
मैंने बताया कि माँ नहीं है। मुझे लगा कि अब वो चली जायेगी पर वो गई नहीं और मेरे सामने वाले सोफे पर बैठ गई। मैं उससे नजरें चुराता हुआ उसकी ओर देख रहा था। मैंने देखा कि वो भी मेरी ओर ही देख रही थी।
मैंने अपनी नजरें फेर लीं तो उसने बहुत ही मधुर स्वर में मुझसे पूछा- क्या तुम मुझसे कुछ कहना चाहते हो?
मेरी तो सांसें ही रुक गई, मैंने हकलाते हुए कहा- न न न नहीं तो?!
तो उसने भी कुछ झिझकते हुए ही कहा- मैं कई दिनों से यह महसूस कर रही हूँ कि तुम कुछ कहना चाहते हो शायद मुझसे। यदि कोई बात हो तो कह सकते हो, मुझे बुरा नहीं लगेगा।
मेरी कुछ हिम्मत बंधी तो मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और कुछ कहने का प्रयास किया पर मेरे होंठ काँप कर रह गए पर कोई आवाज नहीं निकली।
उसने मेरी हालत समझ ली और कहा- तुम कुछ कह पाओ या नहीं पर मैं तुम्हें पसंद करती हूँ और यदि तुम्हारे मन भी ऐसी ही कोई भावना हो तो बोलो ना ! मुझे अच्छा लगेगा।
मेरा दिल तो उछलने लगा, मैंने कहा- मैं भी तुम्हें प्यार करने लगा हूँ पर तुम एक अच्छे घर की अच्छी लड़की हो इसलिए कुछ कहने में हिचकिचा रहा था कि न जाने तुम मेरे बारे में क्या-क्या सोचने लगो।
उसने कहा- क्या अच्छे घर की लड़कियों को प्यार नहीं करना चाहिए? उनके मन में भी तो भावनाओं का ज्वार उठ सकता है।
फिर उसने साफ-साफ कहा- मुझे तुम्हारा प्यार स्वीकार है पर आगे की कुछ मत सोचना। शादी से पहले मैं तुम्हे कुछ दे नहीं पाऊँगी। पर यह वादा भी करती हूँ तुमसे कि मेरे इस शरीर पर सिर्फ तम्हारा ही अधिकार होगा, कोई दूसरा मेरे शरीर को भोग नहीं सकेगा।
मैंने भी स्वीकार किया कि- देखो किसी लड़की को देखकर जो मन में सेक्स की भावना मन में उठती है, पता नहीं क्यों तुम्हें देख कर कभी भी वैसी कोई भावना उठी ही नहीं। तुम्हारी सादगी और सौम्यता देखकर तो सिर्फ तुम्हें पूजने को जी चाहता है।
सुनकर उसकी आँखें डबडबा गई, उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- क्या तुम मुझे जीवन भर इसी तरह प्यार करते रहोगे?
मेरे हाँ कहने पर उसने मेरे हाथों को कसकर दबा दिया और चली गई।
फिर तो हमारे प्यार का सिलसिला चलता रहा। लेकिन कभी भी मैंने उसे अपनी बाँहों में भी नहीं लिया और ना ही कभी उसे चूमने की कोशिश की। हमारा प्यार बड़े ही सात्विक ढंग से चलता रहा।
एक दिन मेरे घर के पानी की लाइन में कहीं रूकावट के कारण नीचे पानी आने में रुकावट हो गई तो मैं छत पर ही टैंक से पानी निकाल कर नहा रहा था। मैं सिर्फ अंडरवियर में था कि अचानक वो अपने छत पर धुले हुए गीले कपड़े फ़ैलाने आ गई।
जैसे ही उसकी नजर मेरे खुले कसरती बदन पर पर पड़ी वो कुछ पल तक एकटक देखती ही रह गई। जैसे ही मैं मुड़ा तो मुझसे नजर मिलते ही वो शरमाती हुई नीचे भाग गई। उस दिन मुझे भी कुछ-कुछ होने लगा।
दो दिन बाद वो मुझसे मिली तो कुछ देर बातचीत करने के बाद उसने नजर झुकाए ही कहा- तुम्हारे शरीर को देखकर अब मन बेकाबू होने लगा है।
मैंने कहा- पर तुमने तो खुद ही शादी की अड़चन डाल रखी है।
तो उसने कहा- यह तो मैंने मन की बात कही है सिर्फ। मैं ऐसा कोई भी कदम शादी से पहले नहीं उठाऊँगी।
और यह कहकर वो आकर मेरे सीने में सिमट गई। आज पहली बार मैंने उसे अपनी बाँहों में लिया। काफी देर तक वो मेरे बाँहों में मेरे सीने से चिपकी रही। आज मेरे मन में भी पहली बार सेक्स की भावना का उदय हुआ था। मेरा पूरा शरीर कांपने लगा और साथ ही मेरे लिंग में भी उफान आने लगा। कुछ ही देर में लिंग पूरा खड़ा और कड़ा हो गया।
मुझे लगा कि मैं अब बर्दाश्त नहीं कर पाऊँगा लेकिन उसे छोड़ने का भी मन नहीं कर रहा था। फिर मैंने अपने लिंग पर उसके हाथ को महसूस किया। मैंने सोचा कि अब यदि हम दोनों ने खुद को नहीं रोका तो कुछ न कुछ अवश्य हो जाएगा, जो नहीं होना चाहिए।
मैंने उसके हाथ को पकड़ कर हटा दिया और उससे अलग हो गया।
वो भी कुछ-कुछ झेंपती हुई मुझसे अलग हो गई और बोली- मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था पर ना जाने क्यूँ कुछ खुद को रोक नहीं पाई। तुम मुझे गलत मत समझना।
दरअसल हम दोनों को ही परिवार से कुछ ऐसे संस्कार मिले हैं कि कोई भी गलत कदम उठाने से पहले सौ बातें दिमाग में आ जाती हैं और रोक देती हैं।
उस दिन के बाद से जब कभी हम आपस में मिलते थे तो इस बात का विशेष ख्याल रखते थे कि एक-दूसरे के शरीर को स्पर्श न कर जाए क्योंकि शारीरिक स्पर्श ही तो शरीर के साथ साथ दिमाग में भी आग लगा देती है। लेकिन कम दोनों का प्यार दिन प्रतिदिन गहरा होता जा रहा था, एक दूसरे के प्रति सम्मान और समर्पण बढ़ता ही जा रहा था।
यह सिलसिला करीब दो साल तक चला। फिर अचानक…
उसने कहा- यह तो मैंने मन की बात कही है सिर्फ। मैं ऐसा कोई भी कदम शादी से पहले नहीं उठाऊँगी।
और यह कहकर वो आकर मेरे सीने में सिमट गई। आज पहली बार मैंने उसे अपनी बाँहों में लिया। काफी देर तक वो मेरे बाँहों में मेरे सीने से चिपकी रही। आज मेरे मन में भी पहली बार सेक्स की भावना का उदय हुआ था।
मेरा पूरा शरीर कांपने लगा और साथ ही मेरे लिंग में भी उफान आने लगा। कुछ ही देर में लिंग पूरा खड़ा और कड़ा हो गया। मुझे लगा कि मैं अब बर्दाश्त नहीं कर पाऊँगा लेकिन उसे छोड़ने का भी मन नहीं कर रहा था।
फिर मैंने अपने लिंग पर उसके हाथ को महसूस किया। मैंने सोचा कि अब यदि हम दोनों ने खुद को नहीं रोका तो कुछ न कुछ अवश्य हो जाएगा, जो नहीं होना चाहिए।
मैंने उसके हाथ को पकड़ कर हटा दिया और उससे अलग हो गया।
वो भी कुछ-कुछ झेंपती हुई मुझसे अलग हो गई और बोली- मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था पर ना जाने क्यूँ कुछ खुद को रोक नहीं पाई। तुम मुझे गलत मत समझना।
दरअसल हम दोनों को ही परिवार से कुछ ऐसे संस्कार मिले हैं कि कोई भी गलत कदम उठाने से पहले सौ बातें दिमाग में आ जाती हैं और रोक देती हैं।
उस दिन के बाद से जब कभी हम आपस में मिलते थे तो इस बात का विशेष ख्याल रखते थे कि एक-दूसरे के शरीर को स्पर्श न कर जाए क्योंकि शारीरिक स्पर्श ही तो शरीर के साथ साथ दिमाग में भी आग लगा देती है। लेकिन कम दोनों का प्यार दिन प्रतिदिन गहरा होता जा रहा था, एक दूसरे के प्रति सम्मान और समर्पण बढ़ता ही जा रहा था।
यह सिलसिला करीब दो साल तक चला। फिर अचानक वो हो गया जिसका मुझे जरा भी भान नहीं था। वीणा अपने माता-पिता के साथ अपने गाँव चली गई कुछ दिनों के लिए। मैं भी एक सप्ताह के लिए रिश्तेदारी में रांची गया था। मैं जब लौट कर वापस आया तो पता चला कि वीणा की शादी हो रही है। मेरे ऊपर तो जैसे पहाड़ टूट पड़ा। पता चला कि कहीं से एक अच्छा रिश्ता आया और उसके पिता ने हाँ कर दी और आनन-फानन में शादी तय हो गई।
मैं तो सदमे में डूब गया पर मैंने जाहिर नहीं होने दिया क्योंकि मैं वीणा की बदनामी नहीं चाहता था। और सबसे बड़ी बात कि अब फायदा भी क्या था। किस्मत का लेख समझ कर मैंने परिस्थिति को स्वीकार कर लिया। मुझे वीणा पर भी कोई गुस्सा नहीं था क्योंकि अपने समाज में और वो भी एक सम्भ्रांत परिवार के लड़की की क्या सीमाएँ होती है इससे मैं वाकिफ़ था।
अचानक मिले इस सदमे से उबरने के लिए मैंने अपने काम के सिलसिले में पन्द्रह दिन का हिमाचल प्रदेश का टूअर बना लिया। यह वाकया मई 2009 का है। पहले मैं 19 तारीख को कांगड़ा गया और और वहाँ दो दिन का कार्यक्रम करके 21 मई को करीब पांच बजे शाम में मैं वहाँ से बद्दी जाने के लिए निकला। बस स्टैंड में आने पर पता चला कि बद्दी के लिए कोई सीधी बस अब नहीं है पर ऊना के लिए बस मिल जायेगी और उना से बद्दी कि बस मिल जायेगी तो मैंने ऊना वाली बस ले ली।
किन्तु दुर्भाग्य से या सौभाग्य से रास्ते में कई कठिनाइयों का सामना करते-करते हमारी बस ऊना 9 बजे पहुँची। वहाँ पता चला कि बद्दी जाने वाली आखिरी बस तो चली गई और अब बद्दी के लिए पहली बस सुबह पाँच बजे मिलेगी।
मैं थोड़ा परेशान सा हो गया कि अगले दिन मेरा कार्यक्रम दस बजे से ही था। और पहाड़ी रास्तों में बस को कितना समय लगेगा इसका कोई ठिकाना नहीं रहता है। इससे भी ज्यादा इतनी रात को इस छोटे से जगह में होटल ढूँढना। फिर भी मैं मन मार कर स्टैंड से बाहर निकला।
जैसे ही मैं बाहर निकला मेरी नजर वीणा से टकरा गई। मैं भौंचक्क सा उसे देखता ही रह गया। फिरोजी रंग की साड़ी में बिल्कुल नवविवाहिता के सज-धज में इतनी सुन्दर लग रही थी वो कि मैं तो स्वप्न में खो गया। वीणा ने ही आकर मुझे टोका तो जैसे मैं नींद से जगा।
मैंने उससे शादी की बधाई दी तो वो थोड़ी उदास हो गई। थोड़े दुखी स्वर में उसने मुझसे पूछा- यहाँ कैसे?
तो मैंने अपनी राम कहानी उसे बताई।
उसने कहा- घबराने की कोई बात नहीं है, मेरा घर यहीं स्टैंड के पास है और स्टैंड के बगल में ही उसके पति का फलों का थोक व्यापार है। दो दिन के लिए वो सोलन गए हुए हैं तो मुझे ही उनका काम देखना पड़ा। तुम मेरे साथ घर चलो। रात में आराम करके सुबह की बस से चले जाना।
मैंने कोई जवाब नहीं दिया सिर्फ मंत्रबद्ध सा उसके पीछे-पीछे चलने लगा।
घर पहुँच कर उसने मुझे बताया कि कैसे जल्दबाजी में उसकी शादी ठीक हुई और उसे अपने दिल की बात अपने माता-पिता को कहने का अवसर भी नहीं मिला। मैंने उसे समझाया कि अब ये सब बातें भूल जाओ अपने नए जीवन में मन लगाओ।
फिर मैं थोड़ा फ्रेश हुआ और तब तक उसने खाना लगा दिया था। घर में और कोई था ही नहीं। हम दोनों ने बैठकर खाना खाया।
चूंकि उसके घर में एक ही बेडरूम था तो मैंने उसे कहा कि छत पर मेरा बिस्तर लगा दे, वैसे भी गर्मी का समय है।
उसने ऐसा ही किया। छत पर बिस्तर लगाने के बाद हम लोग छत पर ही बातें करने लगे। वो पुरानी बातों को याद करके रोने लगी और रोते-रोते मेरे सीने से लग गई।
अचानक जैसे मुझे झटका लगा। उसका शरीर एकदम बर्फ के समान ठंडा था। मुझसे भी रहा नहीं गया तो मैंने उसे अपने आलिंगन में बाँध लिया। उसके स्पर्श में एक अद्भुत आकर्षण था। इस अनुभूति का मैं शब्दों में वर्णन नहीं कर सकता। एकदम कोमल सा गात जैसे रुई की बनी हुई हो। न जाने कब हम दोनों के होंठ आपस में एक हो गए। मैं तो जैसे स्वर्ग में विचरण करने लगा। कितनी देर तक हमारे होंठ जुड़े रहे ये कहना मुश्किल था।
होश तो तब आया जब अचानक उसके हाथ का एहसास मेरे लिंग पर हुआ। मैं चौंक गया और उसका हाथ हटाने लगा। पर उसने जोर देकर मेरा लिंग पाजामे के ऊपर से ही कसकर पकड़ लिया और अपने दूसरे हाथ से मेरा दाहिना हाथ पकड़ कर अपने स्तन पर रख दिया।
अब मेरा भी सब्र टूट गया। मैं भी उसके स्तनों को सहलाने लगा। उसने मेरे पाजामे को नीचे खींच दिया और फिर मेरे अंडरवियर को भी खींचकर नीचे कर दिया। फिर मेरे नंगे लिंग को बड़े प्यार से सहलाने लगी। लिंग के ऊपर की चमड़ी को आगे पीछे करने लगी। साथ ही उसने मुझे अपने कपड़े उतरने का भी इशारा किया।
मैं तो उसके गुलाम की तरह उसका हर हुक्म मान रहा था। उसका स्पर्श करने पर महसूस होता था जैसे हवा को छू रहे हों। मैंने उसके शरीर से भी एक एक कर सारे कपड़े उतार दिया। जैसे ही उसके ब्रा को उसके शरीर से अलग किया दो श्वेत कपोत उछलकर सामने आ गए। मैंने दोनों हाथों से उसे पकड़ लिया और दबाने लगा।
मेरी बेचैनी बढ़ने लगी। लिंग अपने पूरे उफान पर था, इतना कड़ा हो गया था जैसे अब फट जाएगा। उस पर वीणा के कोमल हाथों का एहसास ! क्या कहूँ दोस्तो, मैं बयाँ नहीं कर सकता।
उसने अपने एक हाथ से मेरा सर पकड़ कर झुकाते हुए अपने स्तन की ओर इशारा किया। मैंने उसके स्तनों को अपने मुँह में भर लिया और धीरे-धीरे चूसने लगा। वो सिसकारियाँ भरने लगी। हम दोनों पर मदहोशी छाने लगी। मैंने उसके स्तनों को चूस चूस कर लाल कर दिया। अब मैंने उसके पेटीकोट को खोला और उसकी कच्छी को नीचे कर दिया।
दोस्त क्या बताऊँ कैसी थी उसकी योनि ! एकदम गुलाबी और चिकनी, एक भी बाल नहीं था, एकदम उभरी हुई, फूली हुई !
मेरे हाथ उसकी योनि को सहलाने लगे। मैंने नीचे झुक कर उसकी योनि को चूम लिया। वो अचानक चिहुंक गई। जैसे ही मैंने उसे चाटने के लिए अपनी जीभ उसके योनि से सटाया उसने मेरा सिर पकड़ कर हटा दिया और कहा- नहीं यह गन्दी है, मुँह में मत लो।
मुझमें इन्कार की या जबरदस्ती की हिम्मत कहाँ। मैं हाथ से ही उसके योनि को सहलाने लगा। फिर मैंने हिम्मत करके अपनी एक अंगुली उसके योनि में प्रविष्ट कराई।
मुझे थोड़ा आश्चर्य हुआ क्योंकि उसकी योनि एक कुंवारी लड़की की तरह बिल्कुल कोरी और कसी हुई लगी पर कुछ पूछने की हिम्मत नहीं हुई।
उसे बहुत अच्छा लगा।
पहले तो मैं अपनी अंगुली से उसकी योनि के अंदर की सतहों को काफी देर तक टटोलता रहा नीचे तक। फिर मैंने अंगुली को अंदर बाहर करना शुरू किया तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और कहा- जब तुम्हारे पास इतना अच्छा लिंग मौजूद है तो अंगुली से क्यों?
यह उसका इशारा और अनुमति थी अगले चरण की शुरुआत के लिए।
मैंने उसे पकड़ कर बिस्तर पर लिटा दिया और पागलों की तरह चूमने लगा तो उसने कहा- इतने बेसब्रे क्यूँ होते हो, मैं तो पूरी रात के लिए तुम्हारी हूँ।
फिर मैं उसके दोनों पैरों को अलग करके बीच में आ गया और अपने लिंग को उसके योनि के द्वार पर रख कर हल्का सा धक्का दिया, पर मेरा लिंग ऊपर की ओर फिसल गया।
वो परियों की तरह हँसने लगी और बोली- लगता है ये तुम्हारा पहला सम्भोग है।
उसकी हँसी में भी एक अद्भुत आकर्षण था।
मैं भी मुस्कुरा दिया और कहा- मैं तो अब तक तुम्हारे ही इंतजार में था।
अब उसने मेरे लिंग को पकड़ कर सही जगह पर लगाया और कहा- अब कोशिश करो।
मैंने फिर धक्का लगाया और मेरे लिंग का अग्र-भाग उसके योनि द्वार में फंस गया।
उसने कहा- डरते क्यूँ हो, जोर लगाओ ना।
मैंने इस बार कसकर धक्का मारा। आधे से कुछ ज्यादा ही लिंग उसके योनि में धंस गया। उसने अपने दांतों से अपने होंठ को भींच लिया पर कुछ बोली नहीं। पर उसके चेहरे पर उभरने वाली पीड़ा को साफ देखा जा सकता था। मैं विचलित हो गया। उसकी हालत पर भी और अपनी हालत पर भी। क्यूंकि मेरे लिंग में भी जोर की पीड़ा होने लगी। करीब दो मिनट तक हम लोग इसी अवस्था में रहे।
उसके चेहरे पर पीड़ा के भाव कुछ कम हुए और उसने अपने कमर को थोड़ा ऊपर की ओर उठाया। मैं समझ गया कि वो तैयार है अगले प्रहार के लिए। मैंने अपने लिंग को थोड़ा बाहर निकला और एक जोरदार धक्का दिया। मेरा पूरा लिंग उसके योनि में अंदर तक धंस गया।
फिर मैं रुका नहीं, लगातार धक्का लगाने लगा। बीस-पच्चीस धक्कों के बाद उसके योनि में कुछ चिकनाई सी आ गई और लिंग अंदर-बाहर करने में सुगमता आ गई। उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी, आह… ओह… उह… की आवाज निकलने लगी।
उसकी सिसकारियों की आवाज सुनकर मैं और भी जोश में आ गया, और तेज धक्के लगाने लगा।
करीब बीस धक्के और लगे होंगे कि एकाएक वीणा का शरीर अकड़ने लगा, उसने मुझे अपने बाहों में जकड़ लिया। उसकी जकड़ ऐसी थी कि उसके नाख़ून मेरी पीठ में गड़ गए, मुझे पीड़ा हुई पर अच्छा लगा। उसके अकड़ते ही लगा जैसे उसके योनि में बाढ़ आ गई हो।उसकी योनि ने रस छोड़ दिया था। उस रस से मेरा लिंग सराबोर हो गया और अब बहुत आसानी से लिंग अंदर-बाहर होने लगा।इतना ही नहीं उसके योनि से फच-फच का सुरीला स्वर भी निकलने लगा।
मैं लगातार अपने कमर को आगे पीछे करता रहा। अब वो थोड़ी पस्त सी दिखने लगी, उसका शरीर ढीला हो गया।
मैंने पूछा- थक गई क्या?
उसने जोश में कहा- मैंने तो जीवन का सर्वोच्च सुख पा लिया, पर जब तक तुम उस सुख को नहीं पा लेते हो तब तक करते रहो, मैं तुम्हारे साथ हूँ।
अब मैं दुगुनी गति से कमर हिलाने लगा। दस मिनट तक और धक्के लगाने के बाद वो फिर अकड़ने लगी। लेकिन अब मेरे लिंग में भी सुरसुराहट होने लगी और लिंग के अग्र-भाग पर थरथराहट होने लगी, लगा जैसे अब मैं भी मंजिल तक पहुँचने वाला हूँ।
मैंने कहा- वीणा, मेरा भी अब छूटने वाला है, बोलो कहाँ निकालूँ?
उसने कहा- मेरी योनि में ही निकालो, मैं तो कब से इसकी प्यासी थी।
ऐसा कहते हुए उसने अपने दोनों टांगों को मेरे कमर के इर्द-गिर्द लपेट कर जकड़ लिया और साथ अपनी योनि को इतना सिकोड़ लिया कि लगने लगा कि अब मेरा लिंग टूट कर उसके योनि में ही रह जाएगा। इसके साथ ही मेरे लिंग से रुक रुक कर पिचकारी की तरह वीर्यपात होने लगा। दस-बारह पिचकारी में ही उसकी योनि वीर्य से लबालब भर गई।
मैं निढाल होकर उसके शरीर पर ही लेट गया पर उसके योनि की जकड़न कम नहीं हुई, वो जैसे मेरे लिंग को निगल लेना चाहती हो।वो मेरे बालों में हाथ फिराने लगी। बीस मिनट तक मैं वैसे ही लेटा रहा। फिर मैं उसके शरीर से हटकर उसके बगल में लेट गया। अब वीणा मेरे ऊपर आ गई और मेरे होंठ, गाल, कपाल, चेहरे के हर हिस्से और शरीर पर भी यहाँ-वहाँ पागलों की भांति चूमने लगी। उसका पागलपन देख कर मैं अजीब पेशोपेश में पड़ गया।
वो चूमते-चूमते रोने लगी। मैंने बड़ी मुश्किल से उसे चुप कराया तो उसने अपना वादा दिलाया और कहा- मैंने कहा था ना कि मैं अपने शरीर को सिर्फ तुम्हें ही सौपूंगी और इसलिए आज तुम्हे यहाँ देखकर मैंने तुम्हें अपना शरीर सौंप दिया। तुम खुश रहो, यही मेरी तमन्ना है।
ऐसा कहकर वो फिर मुझसे लिपट गई और रोने लगी। मैं सोच में पड़ गया कि इसकी शादी के बीस-बाईस दिन हो गए तो क्या अभी तक इसका अपने पति से मिलन नहीं हुआ होगा?
उसने मेरे मन की बात ताड़ लिया और कहा- तुम मुझे गलत मत समझो, मेरी ससुराल में कोई पूजा-पाठ का अनुष्ठान चल रहा है। अतः मेरे पति छः माह तक मेरे साथ कोई संबंध नहीं बना सकते हैं।
मैं थोड़ा सकपका गया कि इसे कैसे पता चला कि मैं क्या सोच रहा हूँ। फिर मेरी हिम्मत नहीं पड़ी कि यह सोचूँ भी कि छः माह बाद क्या होगा।
फिर हम लोग एक-दूसरे से लिपटे बहुत देर तक बातें करते रहे और एक-दूसरे के शरीर को सहलाते रहे। ना उसे नींद आ रही थी और ना मुझे। बात करते करते तीन बज गए और मुझे थोड़ी सी झपकी आ गई।
चार बजे उसने मुझे उठा दिया कि फ्रेश हो जाओ पांच बजे बस पकड़नी है।
मैं उठा, वो अभी भी निःवस्त्र ही थी। वो भी उठ कर अपने कपड़े पहनने लगी।
पर शायद मेरी आँखों की भूख को पढ़ लिया था उसने। मेरे करीब आकर मेरे सर को अपने सीने से लगाकर बोली- मन नहीं भरा अभी तक?
मैंने कोई जवाब नहीं दिया।
उसने अपना चुचूक मेरे मुँह में डाल दिया। मैं उसे मुँह में लेकर चुभलाने लगा। वो फिर गर्म होने लगी। अब वह मेरे लिंग को अपने हाथों में लेकर सहलाने लगी। कुछ ही देर में मेरा लिंग अपने पूर्ण आकार को प्राप्त कर चुका था। बस एक बार और सम्भोग का दौर चला। हम दोनों ही चरम-सुख प्राप्त करते करते पसीने में डूब गए। उसके चेहरे पर भी पूर्ण संतुष्टि के भाव थे।
फिर हम अलग हुए और मैं बाथरूम चला गया और वो कपड़े पहनने लगी। मैं जब तक बाहर निकला वो चाय बना चुकी थी। चाय पीने के बाद वो मेरे साथ बस स्टैंड तक आई। वो बार-बार रोआंसी सी हो रही थी।
मैंने बस में अपना सामान रखा और नीचे उतर कर बस के बगल में उससे बात करने लगा।
जब बस का ड्राइवर अपनी सीट पर पहुँचा तो उसने अपने हाथ से एक सोने अंगूठी निकाली और मेरी अंगुली में पहनाते हुए बोली- देखो मेरे साथ जो भी हुआ, पर तुम मेरे लिए ज्यादा परेशान मत होना और जल्द ही कोई अच्छी सी लड़की से शादी कर लेना। पर मुझे भूलना नहीं, इसलिए मैंने तुम्हें यह अंगूठी दी है।
यह कहकर उसने मेरे होंठों को एक बार फिर चूम लिया, उसकी आँखें डबडबा गई। मेरी भी आँख भर आई और मैं एक रोबोट की तरह बस में बैठ गया और बस चल दी।
जब तक मेरी बस ओझल हुई तब तक वो हाथ हिलाती और मैं खिड़की से उसे देखता रहा।
फिर मैं बद्दी और फिर दिल्ली होते हुए वापस पटना आ गया। पटना आकर मैंने अपनी माँ से जिक्र किया कि कैसे ऊना में मैं वीणा से मिला था।
पहले तो उसे यकीन ही नहीं हुआ, उसने कहा कि वो तेरा भ्रम होगा, तूने उससे मिलती-जुलती किसी और लड़की को देखा होगा।
पर जब मैंने उसे बताया कि मैं उसके घर भी गया और रात भर वहाँ रहा था तो वो थोड़ा सशंकित सी होकर मुझे देखने लगी।
फिर माँ ने मुझे बताया कि वीणा तो मर चुकी है। शादी के तीसरे ही दिन ससुराल जाते हुए उसकी कार का एक्सीडेंट हो गया था।जिसमें वीणा, उसका दूल्हा और दुल्हे का छोटा भाई तीनों की मौत हो गई थी। मैं तो सन्न रह गया। कुछ समझ में नहीं आया कि माँ को क्या कहूँ। मैं कभी अपने हाथ में उसकी अंगूठी को देखता और कभी उसके साथ बिताये उन मधुर पलों को याद करता तो कभी बस स्टैंड पर उसके चुम्बन को जिसे मैं अभी भी अपने होंठों पर महसूस कर सकता था।
क्या ऐसा भी हो सकता है। अंगूठी को देखकर कोई भी फैसला लेना मुश्किल था। पर सच से भी इन्कार नहीं किया जा सकता था। मैंने अंगूठी की चर्चा किसी से नहीं की।
कभी कभी सोचता कि क्या वह सिर्फ अपना वादा पूरा करने आई थी कि वो अपना तन मुझे ही सौंपेगी। पता नहीं…

सहपाठिका को बाज़ार में चोदा

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नमस्कार दोस्तो, मैं हूँ अभिषेक और मैं 18 साल का लंबा, हट्टा-कट्टा पंजाबी लड़का हूँ।
मैंने यहाँ bhauja.com पर काफ़ी कहानियाँ पढ़ीं हैं, पर अपना अनुभव आज पहली बार लिखने जा रहा हूँ। वैसे मैं कोई चुद्दकड़ तो नहीं हूँ… पर लड़कियाँ मुझ पर काफ़ी लट्टू रहती हैं…

आगे बढ़ते हैं, मैं अपने स्कूल में सबसे फिट लड़का हूँ ऐसा लड़कियाँ बोलतीं हैं… इनके इलावा मैं अपने स्कूल की फुटबॉल टीम का कप्तान भी हूँ… जिस वजह से मैं सभी लड़कियों का ड्रीम ब्वॉय भी हूँ…
बात उस दिन की है, जब मैं और मेरी दोस्त, जो मेरी कक्षा में ही है, हम दोनों चंडीगढ़ के 17 सेक्टर के बाज़ार में गए।
उस दिन रविवार था… हम दोनों… घूम रहे थे… अचानक ही कुछ मेरे पीछे आकर लगा… और मेरा हाथ उसकी गाँड पर जा टकराया।
पहले उसने मुझे घूरा, पर बाद में जब मैंने बताया कि गलती से लग गया, तो वो मुस्कुरा कर बोली… ‘कोई बात नहीं।’
और हम 5-10 सेकंडों तक एक दूसरे की आँखों में ही देखते रहे… फिर वो शरमाई… और आगे चल पड़ी…
उसकी बड़ी बड़ी गांड देख कर मेरा लंड सलामी देने लगा और मेरी जींस ऊपर से थोड़ी गीली हो गई, जिसे मैंने अपने हाथ से साफ़ कर दिया।
हम थोड़ा आगे गए और हमने कोल्ड ड्रिंक्स ली फिर आगे चल दिए।
अचानक फिर कुछ हमारे पीछे लगा जिससे मेरी कोल्ड ड्रिंक उसके टॉप के ऊपर गिर गई।
उसका टॉप गीला हो गया और उसकी सफेद रंग की ब्रा साफ़ दिखने लगी।
उसके गोरे गोरे मम्मे और उस पर काला तिल देख कर मेरा लंड जीन्स फाड़ने की कोशिश करने लगा।
मैंने अपना लंड अपने हाथ से दबा दिया। ये देख कर वो शरमा गई और मुझे तिरछी निगाहों से देखने लगी।
मैं भी हँस पड़ा। हमने आँखों ही आँखों में सब कुछ एक दूसरे को समझा दिया।
वो बोली, ‘अपनी जीन्स को हाथ से क्यों छुपा रहे हो?’
तो मैंने कहा, ‘अगर न छुपाया तो हम दोनों किसी को मुँह दिखने के लायक नही होंगे।’
ऐसे सुनते ही वो ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगी और उसने मेरे गालों पर ज़ोर से चुम्मा दे दिया।
इससे मेरी उत्तेजना में और भी वृद्धि हो गई और मैंने वहीं पर उसके हाथों को चूम लिया।
सभी हमें देखने लग गए थे। तभी हम सँभले और आगे चल दिए।
चलते-चलते मैंने उसकी गाँड पर हाथ मारा और वो मुझे देख कामोत्तेजक मुस्कुराहट बिखेरने लगी।
मैंने पूछा, ‘रेशमा, क्या मैं तुम्हें पसंद हूँ?’
वो आँख मार कर बोली, ‘हाँ, मैं हर रोज़ तुम्हें देखती हूँ… टीशर्ट में तुम्हारी चौड़ी छाती… मुझे दीवाना बना देती है।’
तो मैंने कहा, ‘आज चुदने का इरादा है?’
‘है तो सही,पर कैसे?’
‘ऊपर वाली दुकानें आज बंद हैं, क्यों न हम सीढ़ियों पर जाकर चुदाई करें?’
तो वो खुशी खुशी बोली ‘चलो…’
हम साथ ही ऊपर चले गए। वहाँ एकदम अँधेरा था और कोई भी नहीं था।
उसके चेहरे पर खुशी आ गई और उसने मुझे आँख मारी और तुरन्त ही मेरे होंठ चूसने शुरू कर दिए।
मैं तो पहले से ही उत्तेजित था, मैंने उसकी चूतड़ दबानी शुरु कर दी।
तभी मैंने महसूस किया कि पीछे कुछ है। बाद में पता चला कि वो रेशमा के हाथ ही हैं, जो मेरी गाँड में ऊँगली डाल रही थी।
वो पागलों की तरह मेरे होंठ चूस रही थी और मेरी गांड दबा रही थी।
मैं भी भरपूर जोश में आ गया था। मैंने उसकी जीन्स उतार दी और उसकी पैन्टी के ऊपर से ही अपनी ऊँगली घुमाने लगा।
वो सिसकारियाँ भर रही थी।
तभी उसने मेरी जीन्स उतार दी और मेरे लंड के सुपाड़े के ऊपर से अपनी ऊँगली घुमाने लगी।
मैं पागल होता जा रहा था। मैंने उसकी टॉप उतारी और उसकी ब्रा को मरोड़ दिया।
तभी उसकी ब्रा की हुक अपने-आप खुल गई और मैंने पागलों की तरह उसके मम्मों को चूसना शुरू कर दिया।
साथ ही वो मेरा लंड भी मसल रही थी।
हम दोनों एक-दूसरे को रगड़ रहे थे। मैंने उसके एक निप्पल को अपने मुँह से लगाया और चूसना शुरू कर दिया।
वो ‘अह्ह्ह आया…आ…आई…वू…’ करने लगी।
जिससे मुझे और मज़ा आने लगा। मैं अपनी जीभ उसके निप्पल के आगे गोल-गोल घुमा रहा था।
उसके गोरे-गोरे मम्मे मुझे धन्यवाद कर रहे थे।
वे एक दम लाल हो गए थे, नीचे मेरा लंड भी लाल हो चुका था।
तभी वो झुकी और मेरे लौड़े को चूसने लगी।
उसने हर एक जगह से मेरे लौड़े को चूसा और पूरे का पूरा लौड़ा अपने मुँह में डाल लिया।
उसका अपने ऊपर क़ाबू नही रहा था और वो मेरा लंड लगभग चबाने लगी, जिससे मुझे मीठा दर्द होने लगा और मज़ा भी आ रहा था।
तभी मैंने उसे उठाया और उसे चूसने के बाद उसे नीचे लिया और उसकी चूत को चूसना शुरू कर दिया।
उसका दाना अपनी जीभ से रगड़ना चालू कर दिया और वो भी मेरा साथ देने लगी और अपना हाथ मेरे सिर पर रख कर अन्दर की ओर धकेलने लगी।
वह मुझे बहनचोद और मादरचोद जैसी गालियाँ देने लगी।
तभी उसकी टाँगें सीधी हो गईं और वो मेरे मुँह में ही झड़ गई।
मैं उसका सारा पानी पी गया।
फिर मैंने उसे अपनी नीचे लिटाया और अपना लंड सीधा उसकी चूत के द्वार पर रख दिया और धीरे-धीरे मसलने लगा।
वो चिल्ला उठी, ‘बहनचोद, अब चोद भी दे।’
मैंने एक ही झटके में अपना पूरे का पूरा लंड घुसा दिया और फलचच्च करके एक दम से आवाज़ आई और फिर वो चिल्ला उठी… ‘आआआआआआआअ..’
मैंने झटके एक दम से तेज़ कर दिए।
‘रंडी आज तो तेरी चूत फाड़ कर ही घर वापिस जाऊँगा…’
और वो बोली ‘हाँ बहनचोद… आज अपनी रंडी… की चूत का भोसड़ा बना दे… आह आआ… आई… साले चोद… आह्ह आआआआह’ और वो पागलों की तरह मुझसे लिपट गई।
वो मेरे निप्पल चूसने लगी…
ऐसे करते-करते हम दोनों झड़ गए और एक-दूसरे की ओर देख कर मुस्कुराये… और.. एक दूसरे के होंठों पर चुम्बन लिए, फिर कपड़े पहन लिए।
ये सिलसिला अब रोज़ की तरह चल पड़ा। मैं रोज़ उसे चोदता और वो रोज़ चुदती। इसी प्रकार हमें एक-दूसरे से प्यार हो गया और हम अब गर्लफ्रेंड और ब्वॉयफ्रेण्ड हैं।

पढ़ाई के साथ चुदाई (Padhai Ke Sath Chut Chudai)

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हाय, bhauja.com  के सभी पाठकों और पाठिकाओ, आपकी सेवा में मैं विक्की मित्तल एक बार फिर से अपनी चुदाई के तजुर्बे के साथ हाजिर हूं, आप सभी को मेरा प्यार भरा नमस्कार।

लगता है मेरी कहानी ‘दीपाली की चुदाई’ काफ़ी पाठको ने पढ़़ी है, क्योंकि मेरे पास बहुत से पाठक पाठिकाओ के जवाब आये है जिनमे लिखा है उन्हे मेरी कहानी बहुत पसन्द आई है और मैं अपनी दूसरी कहानी भी जल्द ही भेजूं। इसके लिये आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद। लगता है कि पढ़़ने वालों में लड़कियों और औरतों की संख्या अधिक है, क्योंकि लिखने वालो में लड़किया अधिक है। कुछ लड़कियों ने तो यहां तक लिखा है कि अपनी नई कहानी में उनको लेकर यानि उन्हे नायिका बना कर कहानी लिखूं।
यहां पर मैं बताना चाहूंगा कि दीपाली की चुदाई मेरी कोई कल्पना मात्र नहीं है बल्कि ये वास्तव में मेरा पहला तजुर्बा है, और आज भी है। बस अन्तर इतना है कि उसकी अब शादी हो चुकी है। वह ससुराल में अपने पति के साथ बहुत ही खुशहाली का जीवन व्यतीत कर रही है।
आगे भी मैं जो कहानी भेजूंगा वो भी कोई कल्पना नहीं होगी बल्कि वास्तविक घटना होगी जो कि मेरे साथ घट चुकी होगी। मैं अपनी पाठिकाओं का दिल तोड़ना नहीं चाहता हू, इसलिये मैं उनसे विनती करूंगा कि जो ये चाहती कि मैं उन पर कहानियाँ लिखू वो अपने शरीर का विवरण अवश्य ही भेजे जिससे मुझे कहानियाँ लिखने में सहूलियत होगी।
सम्पूर्ण विवरण से तात्पर्य है कि वे अपनी बॉडी की बनावट, कद काठी, कूल्हे भारी हैं या हल्के, चूचियो का साईज़, छोटी है या बड़ी, उनका रंग, चूत क्लीन शेव्ड है या झांटों से भरपूर है। आपकी खास आदते और पसन्द वगैरह। जब आप अपना शरीर का पूरा परिचय दे देंगी तो तो अवश्य ही आपके लिये एक बहुत ही सेक्सी और बहुत ही एक सुन्दर सी कहानी लिख पाऊंगा।
हां तो मैं आज अपनी जीवन का दूसरा तजुर्बा कहानी के रूप में लिख कर भेज रहा हूं। कुछ लड़के और लड़कियाँ या महिलाये ऐसी भी होंगी जिन्होने ने मेरी पहली कहानी नहीं पढ़़ी होगी या इस साईट में अभी सम्मिलित हुये हो तो मैं उन्हे अपना परिचय देना जरूरी समझता हूँ। मेरी उम्र लगभग 29 वर्ष, रंग एक दम गोरा है, मेरी हाईट पांच फ़ुट दस इन्च है। हालांकि मेरी बॉडी थोड़ी भारी है पर लम्बाई के कारण मैं मोटा नहीं लगता हूं। मेरी पर्सनाल्टी बहुत ही चार्मिंग है, मैं बहुत सुन्दर हू, लड़किया मेरी तरफ़ आसानी से आकर्षित हो जाती है।
बचपन से लेकर अब तक काफ़ी लड़कियाँ मेरी दोस्त बन चुकी है। मैंने आई आई टी रुड़की से इन्जीनियरिंग करने के बाद आई आई एम अहमदाबाद से एम बी ए किया है। और अब में दिल्ली में अपनी ही एक पारिवारिक ओर्गेनाईजेशन में काम करता हूं। हां तो दोस्तों, लगता हैकि अब आप काफ़ी बोर होने लगे है इसलिये मैं अपनी कहानी शुरू करता हूँ।
बात उन दिनो की है जब मैं ग्यारहवीं में पढ़़ता था। और उस समय मेरी उमर 18 वर्ष की थी पर मेरी कद काठी की वजह से मैं 18-20 वर्ष का लगता था। हमारी ही कोलोनी में एक लड़का और रहता था जो बचपन से ही मेरा पक्का दोस्त था। हम दोनो लगभग हर समय ही एक साथ रहते थे। उसके पिताजी एक सरकारी अफ़सर थे उस परिवार में उसकी माताजी के अलावा उसके अलावा एक बड़ी बहन और तीन छोटे भाई भी थे।
मेरे दोस्त का नाम सुधीर है और उसकी बहन का नाम पूनम था। वो बी एस सी पार्ट फ़र्स्ट में पढ़़ रही थी।
पूनम बहुत ही खूबसूरत थी। उसका रंग एकदम गोरा चिट्टा था। उसकी हाईट लगभग 5 फ़ुट चार इन्च होगी। आँखें एकदम काली और बड़ी बड़ी, मानो हर समय उसकी आंखे कुछ कहना चाहती हो। जब वो आंखो में काजल लगा कर उसकी लाईन साईड में से बाहर निकालती थी तो वो गजब ही ढा देती थी।
शरीर 36-24-38 का रहा होगा और देखने में उसका बदन बहुत सेक्सी लगता था। उसकी चूंचियाँ काफ़ी बड़ी थी। उसका साईज तो लगभग 36/38 रहा होगा पर एकदम कठोर और कसी हुई थी। चूतड़ तो बस क्या कहने एकदम भरे भरे और सुडौल।
जब चलती थी तो उसकी चूतड़ों को देख कर लगता था कि मानो दो बड़ी बड़ी गेंद या फ़ुटबॉल आपस में रगड़ खा रहे हो।
वो आम तौर पर टाईट सलवार कमीज या चूड़ीदार पजामा और कुर्ती पहनती थी, जिसमे उसकी जवानी फ़ूटती सी लगती थी। खास तौर पर तो उसके चूतड़ों उभार तो मस्त नजर आता था। कभी कभी वो स्कर्ट और टॉप भी पहन लेती थी तो वो छोटी सी लगती थी, उसकी उमर का तो पता ही नहीं चलता था।
मैं तो शुरू से ही पढ़़ने में बहुत होशियार था खास कर गणित तो मेरा फ़ेवरेट विषय था। सुधीर गणित में बहुत कमजोर था तो वो मेरे साथ ही पढ़़ाई करता था। साथ में पूनम भी आकर पढ़़ाई करती थी।
अधिकतर पढ़़ाई तो रात को हमारे घर पर ही होती थी, क्योंकि उसके परिवार में काफ़ी सदस्य थे। इसलिये सुधीर और पूनम रात को मेरे घर ही आ जाया करते थे। हम सभी काफ़ी देर तक पढ़़ाई करते रहते थे। एक साथ पढ़़ाई करने की वजह से मैं और पूनम काफ़ी घुल मिल गये थे और एक दूसरे के साथ फ़्री हो कर बातें भी करते थे। वैसे भी पड़ोस में रहने के कारण एक दूसरे के परिवार में मेरा काफ़ी आना जाना रहता था।
क्योंकि मैं बहुत सुन्दर और स्मार्ट था, लड़कियाँमेरी तरफ़ सहजता से आकर्षित हो जाती थी और मेरे साथ दोस्ती करने की इच्छा रखती थी। पूनम भी मेरी तरफ़ बहुत ही आकर्षित थी और कई बार मम्मी से मजाक में कहा करती थी कि मेरा दूल्हा तो विक्की है ना। मैं तो विक्की से ही शादी करूंगी। मम्मी हंस देती थी। पूनम मुझसे भी कहती थी कि विक्की आज तो तू बड़ा स्मार्ट और सुन्दर लग रहा है, है ना बिल्कुल दूल्हे राजा जैसा। आजा मेरे साथ शादी करले और मैं जोर से हंस देता था।
मैं भी उसको पसन्द करता था और अनेकों बार रात में उसको ध्यान में रख कर जोर से हस्त मैथुन भी कर लेता था। मैं तो मन ही मन उसको चोदना चाहता था पर कहने से डरता था कि कहीं वो सुन कर बुरा ना मान जाये और मेरे साथ रात को पढ़़ना बन्द ना कर दे। बस वैसे ही दिन कट रहे थे। दशहरा आने वाला था, दशहरे की छुट्टियाँचल रही थी।
एक बार सुधीर से मेरी कुछ कहा सुनी हो गई और बात यहां तक बढ गई कि उसकी और मेरी बोल चाल बन्द हो गई। लड़ाई के बाद सुधीर रात को पढ़़ने भी नहीं आया, केवल पूनम ही आई। पर उसने पूनम को ये नहीं कहा कि मेरा उसका झगड़ा हो गया है, बल्कि कहा कि उसकी तबियत खराब है इसलिये वो रात को पढ़़ने नहीं जायेगा।
पूनम को उस रोज कुछ समझ नहीं आया लेकिन जब दूसरे दिन भी जाने मना कर दिया और पूनम को भी जाने से रोकने लगा तो उसका माथा ठनका और फिर पूनम ने कह दिया कि तू जाये या ना जाये वो तो विक्की के यहां ही पढ़़ाई करेगी। फिर वो मेरे घर आ गई। हम दोनो लगभग एक घन्टे पढ़़ते रहे, कोई एक दूसरे से कुछ नहीं बोला। हम दोनो ही आमने सामने बैठ कर पढ़़ रहे थे कि अचानक उसने आंखे उठा कर मेरी तरफ़ देखा।
‘क्या तेरे और सुधीर की लड़ाई हुई है’
मैं चुप ही रहा और मेरी आंखो में पानी आ गया। इस पर वो उठ कर मेरे पास आ गई। मेरी दाईं तरफ़ बैठ कर अपने दोनो हाथों से मेरी कोहली भर ली और मेरा सर अपने सीने से लगा लिया, पहले तो मैं चौंक गया फिर मैं समझा कि मेरी आंखो में पानी आने के कारण वो मुझे दुलार रही है। मेरा सर उसकी बाईं चूंची के ऊपर रखा था। मैं उसकी नर्म चूंची का गुदगुदापन उसके कुरते के ऊपर से महसूस कर रहा था जिससे मेरा लण्ड खड़ा हो गया।
पहले तो कुछ पल हम चुप बैठे रहे फिर वो बोली कि जब तुम एक दूसरे के बिना रह नहीं सकते तो लड़ते क्यूं हो, वो भी तुम्हारे बिना तुम्हारी ही तरह उदास है। चिन्ता ना करो कल को मैं तुम्हारी बोलचाल फिर से करवा दूंगी। यह कहकर उसने मुझे जोर से अपनी बाहों में भींच लिया। फिर बोली चलो अब मुस्करा दो। जैसे ही उसने मुझे कस कर भींचा उसकी बाईं चूंची पर मेरा गाल आ गया। वो उसे दबाने लगी जिससे मेरा लण्ड बहुत तेजी के साथ सख्त हो कर फ़नफ़नाने लगा।
उन दिनों हालांकि थोड़ी सी गर्मी थी सो मैंने निकर और बनियान ही पहना हुआ था। जब मेरा लण्ड ऊपर नीचे होकर फ़ड़फ़ड़ाने लगा और वो निकर के ऊपर से ही उसकी जांघ या हल्का सा ऊपर उसको लग गया तो वो बोली कि तेरी जेब में क्या है जो मुझे चुभ रहा है। मैंने हंसते हुये कहा कि कुछ नहीं। लेकिन वो बोली कि कुछ तो जरूर है जो जेब में हिल रहा है, ला मैं भी देखूं। यह कह कर उसने मेरे लण्ड को निकर के ऊपर से ही पकड़ लिया और सहलाने लगी।
अब तो मैं भी सब कुछ समझ गया और मैंने भी जोश में आकर पूनम के होंठ के ऊपर अपने होंठ रख दिये और तेजी के साथ चूसने लगा। फिर मैंने अपनी जीभ पूनम के मुंह में डालने की कोशिश करने लगा जिस पर उसने अपना मुंह खोल कर अपने मुंह में आने दिया। वो भी मेरी जीभ बड़े जोश के साथ चूसने लगी। हमारी सांसे बहुत तेज चलने लगी थी और हम दोनों एक दूसरे में खोये हुये थे। थोड़ी देर बाद हम अलग हुये तो पूनम ने पूछा इधर अंकल या आण्टी तो नहीं आयेंगी।
मैंने कहा नहीं आयेंगी क्योंकि वो जानते है कि हम तीनों यहां पढ़़ाई कर रहे हैं और उन्हे सुधीर के नहीं आने की बात मालूम नहीं है जो चिन्ता करे और दूसरे यह कि वो जल्दी सो जाते हैं। अब तक तो वो सो गये होंगे।
फिर भी पूनम बोली कि दरवाजे की कुण्डी लगा लो और मैंने कुण्डी लगा दी। अब वो एक दम से मुझसे लिपट गई और बोली कि विक्की मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं। मैंने भी कहा कि प्यार तो मैं भी करता हूं। पर तुम मेरे से 1-2 साल बड़ी हो इसलिये लगता है कि शादी नहीं हो पायेगी!
तो पूनम बोली कि हर प्यार की आखिरी मंजिल शादी नहीं होती है कई बार कुर्बानी भी देनी होती है। शादी नहीं होगी तो क्या हुआ हम एक दूसरे को प्यार तो कर सकते है ना। और ये कह कर उसने अपने होंठ मेरे होंठो पर रख दिये और उन्हे चूसने लगी। हम दोनो खड़े हुये थे और एक दूसरे को बाहों में जकड़े हुये थे। एक दूसरे का चुम्बन ले रहे थे। कभी पूनम की जीभ मेरे मुंह में होती तो कभी मेरी जीभ उसके मुंह में होती।
अब उसने एक हाथ नीचे करके निकर के ऊपर से ही मेरा सख्त लण्ड पकड़ लिया था। वो उसे सहलाने लगी और बोली कि बहुत उछल कूद मचा रहा है। अब देखती हू इसमें कितना दम है।
अब मैंने भी अपना हाथ उसके बदन पर फ़ेरना चालू कर दिया था। एक हाथ से मैं उसकी चूंची दबा रहा था तो दूसरे से मैं उसके गोल गोल नर्म चूतड़ो को दबा रहा था। सच में उसके चूतड़ बहुत ही गठीले थे। मेरे मेरे हाथ उसकी चूंचियों और चूतड़ों के गोलो को जोर से द्बा रहे थे और उसके मुंह से सिसकारियाँ निकल रही थी वो ऊऊओह्हह ऊऊओह्हह आआह्ह अह्ह हह्हह आआअय ययययिईईए स्ससीईईइ स्स स्सस्ससी ईई कर रही थी और ये सुन सुन कर मेरा लण्ड फ़टा जा रहा था। लगता था कि कुछ देर अगर यूं ही हाल रहा तो लण्ड मेरी निकर फ़ाड़ कर बाहर आ जायेगा।
मैंने उसकी गाण्ड पर हाथ फ़ेरते हुये ऊपर से ही उसकी गाण्ड में अंगुली कर दी, पूनम एक दम चीख पड़ी और बोली- ऐसा मत करो मुझे दर्द होता है।
मैंने कहा कोई बात नहीं मैं सिर्फ़ हल्के हल्के से करूंगा दर्द नहीं होगा। मुझे ऐसा करना अच्छा लगता है। हम दोनो थोड़ी देर तक यूं ही एक दूसरे का शरीर टटोलते रहे और चुम्बन लेते रहे। जब बरदाश्त करना मुश्किल हो गया तो हमने एक दूसरे के कपड़े उतारने शुरू कर दिये। पूनम बोली कि ओफ़्फ़ोह पहले लाईट तो बुझा दो तो मैंने मना कर दिया और कहा कि मैं तुम्हारा शरीर रोशनी में देखना चाहता हूँ। वो बोली मुझे शरम आती है।
तो मैंने उसे कहा कि जिसने की शरम उसके फ़ूटे करम और जो भी कुछ हो मैं लाईट ऑफ़ नहीं करूंगा। रोशनी में हीं चोदूंगा। यह कह कर मैंने उसके कुर्ती के बटन खोलने शुरू कर दिये। बटन खोलने के बाद मैंने उसकी कुरती झटके से उतारनी शुरू कर दी। पूनम बोली कि कि क्या मेरे कपड़े उतारने का इरादा है, जरा आराम से उतारो ना। ये कह कर उसने अपने हाथ उठा कर उसे उतार दी।
अब उसने सिर्फ़ शमीज, उसके नीचे ब्रा, पजामा और पेन्टी पहनी हुई थी। मैं तो पहले ही बनियान और निकर में था। पूनम ने निकर में नीचे से हाथ डाल कर मेरा लण्ड पकड़ लिया और बोली मैं जानती हू कि तुम्हारा लण्ड काफ़ी लम्बा और मोटा है, इसलिये शुरू में जरा आहिस्ता आहिस्ता करना। मैंने पूछा तुम्हे कैसे पता कि मेरा लण्ड लम्बा और मोटा है। तो बोली मैंने तुम्हे कई बार छिप कर तुम्हे लण्ड को पकड़ कर पेशाब करते हुये देखा है तो मैं हंस पड़ा।
फिर मैंने उसकी शमीज उतार दी। जोश के कारण उसकी शमीज फ़टते फ़टते बची। पूनम बोली कि कपड़े जरा आराम से उतारो ना, इस तरह बेसबर हो कर कपड़े ना फ़ाड़ो। मैंने हंसते हुये कहा कपड़े तो नहीं पर चूत जरूर फ़ाड़ने का इरादा है। वो भी चेलेन्ज देती हुई बोली कि देखते है कौन किसकी फ़ाड़ता है। यह कह कर उसने मेरी निकर उतार दी और मेरे तन्नाते हुये लण्ड को हल्के से दबा दबा कर सहलाने लगी। इधर मैंने भी उसका पजामा उतार दिया था और अब वो भी काली पेण्टी और ब्रा में खड़ी थी।
उसका दूधिया बदन ट्यूब लाईट में चांदी की तरह चमक रहा था। और अब मुझे अपने ऊपर संयम रखना मुश्किल होने लगा॥ मैंने उसका सारा बदन चाटना आरम्भ कर दिया और अपने हाथों से उसकी चूंचियाँऔर चूतड़ दबाता रहा। और पूनम आअह्ह्ह ऊऊओह्ह ऊऊह्ह्ह ह्हहा आआयईईए सस्सीईईइ करते हुये सिसकारी भरती रही।
अब मैंने उसको कहा कि मेरा लण्ड अपने मुंह में डाल कर चूसो परन्तु उसने बिल्कुल मना कर दिया और कहा कि उसे लण्ड चूसने में बहुत घिन आती है मैंने उसे अपना लण्ड दिखाया और कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है मेरा लण्ड ये देखो बिल्कुल साफ़ सुथरा है। मैं रोज नहाते समय और तुम्हारे आने के पहले इसे अच्छी तरह से सफ़ाई करता हूं फिर मैं भी तो तुम्हारी चूत मस्ती से चूसूंगा। इसमें बड़ा मजा आता है।
विक्की तुम तो बड़े एक्सपर्ट लगते हो लगता है कि पहले भी तुम कई लड़कियाँचोद चुके हो। मैंने सर हिलाते हुये मना किया और बताया कि ये मैंने पोन्दी [मस्त राम की सेक्स पुस्तक] में पढ़़ा है और ब्ल्यू फ़िल्मों में भी ऐसा दिखाया जाता है। फिर वो तैयार हो गई और बोली कि एक शर्त है तुम अपना लण्ड मेरे मुंह में मत झाड़ना वर्ना मुझे उल्टी हो जायेगी और जैसे ही लण्ड झड़ने को आये तुम अपना लण्ड मेरे मुंह में से फ़ौरन निकाल लेना। ये कह कर वो मेरा लण्ड चूसने लगी।
अभी तक मैंने उसकी चूंचिया। और चूतड़ ही दबा रहा था। वो बोली कि तुम भी मेरी चूत को चूसो।
अब मैंने उसकी ब्रा और पेण्टी भी उतार दी। वाकई में उसकी चूंचियाँ बहुत बड़ी थी, मगर थी एक दम सुडौल, बिल्कुल दो छोटे से पहाड़ की तरह से तनी हुई, जिसके निपल एकदम सीधे कड़े और तने हुये थे, एक दम दूधिया रंग के थे। उसके निप्पले गुलाबी थी बिल्कुल वो अनार के दाने के बराबर मोटे थे। हम दोनो वहीं पर लेट गये और 69 की पोजीशन में आ गये। मैंने पूनम की चूत देखी तो मैंने कहा कि पूनम ये क्या है तुमने चूत के बाल क्यों बढा रखे है इन्हे शेव क्यों नहीं करती हो।
तो वह बोली कि मैं झाण्ट शेव तो करती हू लेकिन काफ़ी दिनो में, बात ये है कि मुझे रेजर से शेव करते हुये डर लगता है और फिर काफ़ी समय जो लगता है ना। इसलिये काफ़ी दिनों के बाद मैं शेव करती हूं। चलो आगे से मैं तुम्हारी झांटे शेव कर दिया करूंगा तो पूनम इस बात के लिये सहमत हो गई।
मैंने जैसे ही उसकी चूत पर हाथ फ़िराया तो वो गीली गीली सी लगी और हल्का सा पानी उसकी झांटो पर भी लगा हुआ था॥ पहले तो मैंने अपनी अंगुली उसकी चूत में अन्दर डाल कर अन्दर बाहर करनी चालू की तो वो तेजी के साथ आआअह्ह ऊओह्हह ऊऊहह आययईई आअयईई स्सस्ससीईई करने लगी और बोली कि बस अब चूसना शूरु करो ना।
मैंने भी उसकी चूत के होंठ खोल कर अपना मुंह उसकी गुलाबी चूत से लगा दिया और तेजी के साथ चाटने लगा। जैसे ही मैं उसकी चूत चाटने लगा वो अपनी गाण्ड उठा उठा कर अपनी चूत को मेरे मुंह से सटाने लगी और कहने लगी कि ह्हह्हा अन्नन ह्हहाआ आन्नन्न ह्हाआआ स्सस्सश ह्हआ आबआअस शह्हह ऐसेय ही ह्हहाआ आअन्नन्न आईस्ससीई ययई ह्ह्हहीईई और अपनी कमर तेजी के साथ हिलाने लगी और गाण्ड को ऊपर उछालने लगी।
अभी उसकी चूत को चाटते हुये पांच मिनट ही हुये होंगे कि वो जोर जोर से चिल्लाने लगी कि ह्हआन्नन्न ब्बाहहूउत आस्सछहआ लल्लाआह्ह आग्गग रर्रहाआ हहाआऐईइ मम्मीईर्रर्रा न्नीइकलने व्वाआल्लाअ है ऊययईईए म्ममी ईरर्रराआ न्ननीकआल्ल रर्रराआआ अहाआआ ह्हाआआ आआऐईई ल्लूऊऊओ मम्माऐईईन्न ज्ज्झ हह्हा रर्रआह्हीई ह्हूऊन और यह कहते हुये उसकी चूत ने गर्म गर्म पानी छोड़ दिया और मैंने अपना मुंह एक दम हटा लिया।
इधर पूनम भी काफ़ी जोर शोर से मेरा लण्ड चूस रही थी। मुझे लगा कि मैं भी झड़ने वाला हू तो मैंने उसको बता दिया तो उसने भी फ़ौरन अपने मुंह से मेरा लण्ड बाहर निकाल दिया। फिर अपने हाथ से ही चार पांच झटके मारे कि मेरा भी वीर्य भी निकल गया और इतने जोरो से निकला कि काफ़ी वीर्य उसकी टांगो और चूत के आस पास गिरने से उसे गीला कर दिया।
फिर हम दोनो साथ साथ उठ कर बाथरूम में गये और मैं वहां पेशाब करने लगा तो पूनम ने मेरा लण्ड अपने हाथ में पकड़ लिया और सुपाड़े पर से चमड़ी हटा कर बोली कि अब पेशाब करो।
वो हाथ में पकड़े रही तो मेरा कुछ पेशाब उसके शरीर पर भी पड़ा। इसके बाद वो मेरे सामने उकड़ू बैठ गई और पेशाब करने लगी, तो मैंने भी अपनी अंगुलियों से उसकी चूत के होंठ फ़ैला दिये और कहा कि वो अब पेशाब करे। उसने भी बहुत मोटी धार के साथ पेशाब करना शुरू कर दिया, उसकी धार भी काफ़ी दूर तक जा रही थी।
फिर हम दोनों ने एक दूसरे के शरीर को टॉवेल से साफ़ किया और बाहर आ गये। इस छेड़खानी की वजह से मेरा लण्ड फिर से खड़ा होने लगा और पूनम भी गर्माने लगी थी। हम फिर से एक दूसरे को चूमने चाटने लग गये और पूनम मेरा लण्ड सहलाने लग गई। बीच बीच में वो मेरा सुपाड़ा निकाल कर मुठ भी मार देती थी। फिर जल्दी ही एक बार और 69 की पोजीशन में आ गये और अब पूनम मेरा लण्ड चूस रही थी और मैं पूनम की चूत को चाट रहा था।
थोड़ी देर बाद पूनम बोली कि विक्की अब आ जाओ, मुझ पर चढ जाओ और मुझे चोद दो। अब बर्दाश्त नहीं होता है।
ये सुन कर मैं उसकी दोनो टांगो के बीच में आ गया और उसकी गाण्ड के नीचे एक तकिया रख दिया जिससे कि उसकी चूत थोड़ी सी और ऊपर को उठ गई। अब मैंने अपने लण्ड पर थोड़ा सा थूक लगा कर छेद पर रख कर थोड़ी सी ताकत के साथ दबाया तो उसके मुंह से एक चीख निकल गई। आअयईई म्म्माआआरर ग्गयईए ववीइक्कयई म्मीएर्रर्रीईइ सह्हूऊओत प्पप्फहात ग्ग्गयई।
मैंने अपने होठो को पूनम के होंठो पर कस कर रख दिया ताकि वो फिर से ना चीख सके और बोला पूनम इस तरह से मत चीखो नहीं तो कोई उठ ज़ायेगा और हम पकड़े जायेंगे। वो बोली कि बहुत जोर से दर्द हो रहा है मैंने कहा कि पहली बार ऐसा ही होता है और बाद में बड़ा मज़ा आता है मैं यह कह कर उसकी चूचियाँ दबाने लगा और होंठ चूसने लगा।
इस तरह से उसको कुछ आराम सा मिला और बोली कि हां अब दर्द कुछ कम हो रहा है। मैं 4-5 मिनट यूं ही पड़ा रहा और उसकी चूचियाँचूसता रहा और दबाता रहा जिस से उसकी चूत ने पानी छोड़ना शुरु कर दिया था और चूत काफ़ी चिकनी हो गई थी। अब मैंने उसके होंठो को अपने होंठो में दबा कर एक बहुत ही जबरदस्त धक्का मारा और मेरा लण्ड लगभग 6-7 इन्च उसकी चूत में घुस गया और उसकी चीख घुट कर रह गई। मैं फिर रुक गया और उसकी चूची चूसने और दबाने लगा।
पूनम को अभी काफ़ी दर्द हो रहा था और वोह कह रही थी कि विक्की अपना लण्ड अब निकाल ले मेरी तो चूत फटी जा रही है। मैंने कहा कि बस थोड़ी देर बरदाश्त करो फिर तुम्हे मज़ा ही मज़ा मिलेगा और यह कह कर उसकी चूचियाँचूसने लगा और एक हाथ से मैं उसकी चूत का दाना भी मसलने लगा जिस से उसको कुछ मज़ा आया और वो बोली कि अब फिर से दर्द कुछ कम होने लगा है। यह सुन कर मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने शूरु कर दिये। अब उसको मज़ा सा आने लगा था और अब पूनम ने अपनी गाण्ड को उछालना शुरु कर दिया था कि अचानक वो सारी की सारी तेजी के साथ हिलने लगी और झड़ गई।
अब पूनम की चूत काफ़ी चिकनी हो गई थी और लण्ड भी आसानी से अन्दर बाहर हो रहा था। बस मैंने कस कर एक धक्का और मारा और सारा का सारा लण्ड पूनम की चूत में घुस गया और फिर से उसके मुंह से एक चीख निकल गई। इस बार मैं उसके होंठो को अपने होंठो से दबाना भूल गया था सो मैंने फ़ौरन हाथ उसके होंठ पर रख दिया और चीख घुट कर रह गई। मैं 5-7 मिनट यूं ही उसके उपर पड़ा रहा और कभी उसकी चूचियाँ चूसता तो कभी होंठ चूसता या फिर हाथों को उसकी जांघो पर फेरता जिस से कि पूनम को कुछ आराम मिल सके। थोड़ी देर में उसका दर्द गायब हो गया और वो नीचे से उपर को गाण्ड उछालने लगी तो मैं समझ गया कि अब उसको मज़ा आ रहा है इस लिये मैंने भी उसको आहिस्ता आहिस्ता धक्के मारने शुरु कर दिये।
जब मैं कुछ देर यू ही आहिस्ता आहिस्ता धक्के मारता रहा तो पूनम एकदम से उत्तेजित हो कर बोली कि अब उसे मज़ा आ रहा है और अब जोर जोर से धक्के लगाओ। यह सुन कर मैंने अपने धक्को कि रफ़्तार बढानी शुरु कर दी और कुछ ही समय में मैं पूनम को तेजी के साथ चोदने लगा।
अब पूनम पूरा मज़ा ले रही थी और मुंह से बड़बड़ा रही थी हाय बड़ा मजा आ रहा है विक्की जोर से चोदो। फ़ाड़ दो मेरी चूत को पेल दो अपना पूरा लण्ड मेरी चूत में हहाय …स्ससीईइ सस्सीईई ऊऊफ़्फ ऊफ़्फ़फ़्फ़ हहाआऐईई मैईइ आस्ससम्म आन्न मेन्नन ऊऊद्दद्ददीई ज्जाआ र्ररह्हहि ह्हूओन म्म्माआररी और यह कहते हुये पूनम ने अपनी कमर और गाण्ड को तेजी से हिलानी शुरू कर दी और स्सस्सीईई स्सस्ससीईई करते हुये झड़ गई।
मैं अभी तक जोर शोर के साथ धक्के मार रहा था। कमरे में फचा फच की आवाज आ रही थी और मैं धमाधम धक्के मारे जा रहा था। थोड़ी देर बाद पूनम फिर से स्सस्सीईइ स्सस्सीईइ स्ससीईईइ करते हुये झड़ गई और मैं अभी तक डटा हुआ था और फ़ुल स्पीड से धक्के मार रहा था। मैं पूरा का पूरा पसीने पसीने हो गया लेकिन धक्के लगाता ही रहा। लग भग 20 -25 मिनट तक फ़ुल स्पीड से धक्के लगने के बाद मुझे लगा कि अब मैं भी झड़ने वाला हूं और मेरे मुंह से भी अनाप शनाप निकलने लगा कि हाय म्ममेर्ररि र्राअन्ननि म्ममीर्रराअ न्नीइकल्लने ययई व्वाआआलआ हैईई तो पूनम एक दम बोली कि अपना लण्ड बाहर निकाल लो इसे चूत के अन्दर नहीं झाड़ना है वरना गड़बड़ हो सकती है सो मैंने फ़ौरन ही लण्ड को चूत से बाहर निकाल लिया और पूनम से कहा कि हाथ से तेजी के साथ लण्ड को आगे पीछे करो तो उसने ऐसा ही करना शुरु कर दिया और मैं उसके होंठ बहुत ही ज़ोर जोर से चूसने लगा और एक हाथ से उसकी चूचियाँ दबाता रहा तो दूसरा हाथ उसके चूतड़ों और गाण्ड पर फेरने लगा। कभी-2 जोश के कारण मैं अपनी अंगुली उसकी गाण्ड में भी अन्दर करने लगा। पूनम तेजी के साथ झटके देने लगी और मैं ऊऊफ़्फ़ ऊऊफ़्फ़ ह्हाआऐई ह्हाआआऐई करता हुअ झड़ गया।
मैंने झड़ते-2 जोश में अपना मुंह उसकी चूचियों में जोर से दबा दिया और उसकी गाण्ड में अपनी पूरी अंगुली अन्दर कर दी तो वो चिल्ला पड़ी और बोली कि क्या मेरी चूचियों को ही काट खाओगे और यह कह कर मेरा सिर अपनी चूचियों में जोर से दबा लिया। हम कुछ देर यूं ही पड़े रहे और फिर उठे तो देखा कि पूनम की चूत से खून निकल आया था जो उसकी चूत और झाण्टों पर लगा था। खून को देख कर पूनम डर गई और बोली कि विक्की लगता है कि मेरी चूत फट गई है और अब क्या होगा।
तो मैंने समझाया कि डरने की कोई बात नहीं है सभी को पहली बार ऐसा ही होता है और यह कह कर मैंने एक रूमाल से उसकी चूत और झांटो से खून साफ़ कर दिया और उसके बाद हम दोनो उठ कर बाथरूम में गये जहां पर पहले तो पूनम ने मेरा लण्ड पकड़ कर मुझ को पेशाब कराया और फिर मैंने पूनम को अपने सामने उकड़ू बैठा कर अपनी अंगुलियों से उसकी चूत को चौड़ाया और पेशाब करने को कहा। जब वो पेशाब करने लगी तो पता नहीं मुझे क्या सूझा कि मैंने उसकी चूत के अन्दर अपनी अंगुली करनी शूरु कर दी और वो पेशाब करती रही। फिर हम लोगो ने अपने-2 कपड़े पहने और पूनम को उसके घर छोड़ आया।
पूनम को छोड़ने से पहले यह वायदा लिया कि अगली बार हम दोनो इकट्ठे ही बगल के बाल और झांटे साथ साथ बनायेंगे जिससे उसने कबूल कर लिया। दोस्तों, यह एक घटना है और वो रूमाल जिस से मैंने पूनम कि चूत का खून सफ़ किया था आज भी मैंने सम्भाल कर रखा हुआ है। तो यह था मेरा चुदाई का दूसरा तज़ुरबा। अब आप पढ़़ कर फ़ैसला करे कि ये आपको कैसी लगी। आप अपने कमेण्ट्स मुझे ई मैल अवश्य करे।
अखिर में मैं एक बात और कहूंगा कि मैंने बहुत सी लड़कियों की चूत चोदी है और उन्होंने भी बड़े मजे ले कर चुदवाई भी करवाई है परन्तु आज तक किसी लड़की ने अपनी गाण्ड नहीं मरवाई है। मेरी बहुत ही इच्छा है कि मैं किसी लड़की की गाण्ड मारूं पर कोई भी तैयार नहीं होती है और कहती है कि बहुत दर्द होता है। हमें गाण्ड नहीं मरवानी है। एक बार तो मैंने ही एक कॉल गर्ल बुलवाई और उससे कहा कि मैं उसकी गाण्ड मारना चाहता हूं और 5000 रुपये तय रात से अधिक दूंगा सिर्फ़ गाण्ड मारने के लिये। तो वो राजी नहीं हुई। पर जब मैंने उसे 5000 का लालच और दिया तो वो तैयार हो गई और गाण्ड मरवाने के लिये झुक गई।
जैसे ही मैंने गान्ड पर थूक लगाया और लण्ड को उसकी गाण्ड पर रख कर धक्का लगाया तो लण्ड उसकी गाण्ड में घुसते ही वो जोर जोर से चिल्लाने लगी कि हाय मैं मर गई। मेरी तो गाण्ड ही फ़ट गई। मुझे नहीं मरवानी अपनी गाण्ड मुझे नहीं चाहिये तुम्हारे 5000 रुपये अगर चूत चोदनी है तो चोद लो मगर मैं गाण्ड नहीं मरवाऊंगी।
लेकिन जब मैं bhauja.com  पर गाण्ड मराने की कहनियाँ पढ़़ता हूं तो देखता हू कि लड़कियाँ और औरते बड़ी खुशी से गाण्ड मरवाना पसन्द करती हैं और गाण्ड मरवा कर पूरा मज़ा लेती है। ऐसे ही आज तक किसी भी लड़की या औरत ने मेरा लण्ड तो जरूर चूसा है पर उसका वीर्य किसी ने भी नहीं पिया और तो और मुंह में भी नहीं झड़वाया और झड़ने से पहले ही लण्ड को अपने मुंह से बाहर कर दिया।, जब कि कहानियों में लड़कियाँ और औरते लण्ड चूसती हुई झड़ने पर बड़े स्वाद के साथ वीर्य को पी जाती हैं और उन्हे कतई घिन नहीं आती है।

दिपाली की चुदाई (Dipali Ki Chudai)

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हाए भाउज.COM के दोसतो और पयरि सहेलिओ मेरा नाम विक्की मित्तल है और मैने IIT Roorkee से एनगिनीरिनग करनेय केय बद ईम, अहमेदबद सेय मबा किया है और देलहि मेन अपनेय परिवार कि हि एक एक्सपोरत इमपोरत सोमपनी मेन बहुत अस्सह्हि पोसत पर करया करता हून और 7-8 लसस वरशिक सलरी लेय रहा हून। मेरि उमरा 29 वरश है और मैन देखनेय मेन कफ़ि समरत और हनदसोमे हून बुस बोदी थोदि सि बुलकी है परनतु मेरि हेघत 5फ़त 10 इनच होनेय के करन मैन मोता नहि लगता हून।

मैनेय अभि तक शदि नहि कि है इस लिये मे पुरे थत केय सथ सौथ एक्स मेन रेहता हून।वैसे भि मैन उ।प। कि एक बहुत हि बदि ज़मिनदार परिवर सेय समबनध रखता हून और मैने सौथ एक्स मेन हि अपना 4 बेद रूम फ़लत खरिद लिया है और मैं पूरि मौज मसति मैन रेहता हून। मैन भि इस्स का रेगुलर पथक हून और सरि कहनिया बरेय धयन सेय पधता हून। मुझे ये लगभग सरि कहनिया ( बुस कुछ एक 10% कहनिया छोद कर) बिलकुल कलपनिक लगति है। मैनेय कुछ पोइनतस निकलेय हैन अगर उन पर गौर किया जये तो आप भि मनगेय कि वोह कहनिया बिलकुल कलपनिक हैन। उन पोइनतस का जिकरा मैन अगलि दफ़ा करूनगा। मैन भि बरा हि रसिक मिजज का हून 15-16 वरश कि अयु से हि चुदै का मजा लेय रहा हून।अब तक मैं 50 सेय जयदा लरकिया चोद चुका हून जिनकि कहनि मैन अप सब को अवशया सुनौनगा और अज मैन अपको अपनि पहलि वलि सुदयि कि कहनि सुना रहा हून।
बत उन दिनो कि है जब मैन एलेवेनथ सलस्स मेन पधता था। हमरेय पदोस मेन एक पुनजबि फ़मिली रहति थि जिसमेय सिरफ़ तीन हे मेमबेरस थे। एक 70 वरशिया बुजुरग, एक लदका और एक लदकि। लदकेय कि उमरा लगभग 24-25 साल कि रहि होगि और लदकि कि उमरा 20-21 साल कि होगि।बुजुरग वयकति उन दोनो के पिता थे और अकसर बिमर सेय हि रहतेय थे जबकि उन दोनो कि मोथेर कि देअथ हो चुकि थि। वैसेय तो उस परिवार मेन 5-6 लदकिया और भि थि लेकिन वो सब कफ़ि उमरा कि थि और सब कि शदि हो चुकि थि और अपनेय पति के सथ अपनि ससुरल मेन हि रहति थि जो कि कभि-2 अपनेय पितजि को देखनेय परिवर केय सथ 2-3 दिन केय लिये अति रेहति थि। हमरा भि उस पुनजबि फ़मिली मेन कफ़ि अना जना था।
लदकेय का नाम रजेश और लदकि का नम दीपलि था। दीपलि बहुत हि खुबसूरत थि। मैन रजेश को भै सहेब और दीपलि को जिजि कहता था। दीपलि का बदन मनो भगवन नेय सनचेय मेन धल कर बनया हो। गोरा चित्ता रनग हलका गुलबिपन लिये जैसेय कि दूध मेन चुतकि भर केसर दल दि हो। शरिर 36-24-38 सिज़े। चूचि एक दुम सखत और उभरि हुयि और उसकेय चुतद भरि थेय लगता था कि उसकेय चुतद कि जगह दो गोल बदि-2 बल्लस हो। वोह अदिकतर सलवर कुरता पहनति थि और जब चलति थि तो ऐसा मलूम होता था कि दो गेनद अपस मेन रगद खा रहि हो।जब वोह हसति थि तो गलो मेन बदेय पयरेय दिमपले पदतेय थे जिस सेय वोह और भि खूबसूरत लगनेय लगति थि।वोह बोलति बहुत थि और एक मिनुत भि चुप नहि बैथ सकति थि।उसमेय एक खसबत थि कि वोह किसि कि भि चिज मेन कोइ नुकस नहि निकलति थि चहे उसको पसनद हो या ना हो वोह हमेशा यहि कहति थि कि बहुत हि पयरि है। यदि उसको कुच खनेय के लिये दो और वोह उसको पसनद नहि अयि हो पर वोह तब भि उस कि तारिफ़ हि करति कि बहुत हि तसती बनि हैन। इस बत कि हुम सुब हमेशा हि दीपलि कि तरिफ़ किया करतेय थे। हमरि सोलोनेय के सभि उसकेय दीवनेय थे और एक बर बुस उसको चोदना चहतेय थे। मैन भि अकसर सोचता था कि कश मैन दीपलि को चोद सकु और एक दिन ऐसा मोका अ हि गया। सेपतेमबेर का महिना चल रहा था । उस दिन सुनदय कि छुत्ति थि और समय रहा होगा लगभग 11 बजेय सुबहा का। मैन किसि कम सेय अपनि छत पर गया था। हमरि दोनो कि छत अपस मेय मिलि हुयि हैन और छत सेय उनकेय कमरेय और बथरूम बिलकुल सफ़ दिखयि देतेय है। तो उस रोज जब मैन छत पर गया तो दीपलि केय गनेय कि अवज अ रहि थि सो मैन वैसेय हि उनकेय घर कि तरफ़ देखनेय लगा तो मैन चौनक गया कयोनकि दीपलि बिलकुल नुनगि बथरूम मेन पत्रेय पर बैथि थि और तनगेय चौरि कर रखि थि।
सच दोसतो मैन तो देखता हि रहा गया। दीपलि कि चूचियन एक दुम गोरि और तनि हुयि थि और जैसा कि मैन खयलो मेन सोचता था उस सेय भि अधिक सुनदेर थि। उसकि गोरि चूचियोन केय बिच मेन हलकेय गुलबि रनग केय दो छोतेय-2 सिरसले थे और उनमे बिलकुल गुलबि रनग केय निप्पले थे जो कि बहर को निकलेय थे। उसका सरा शरिर बहुत हि चिकना और गोरा था और तनगो केय बिच मेन तो पुछो हि मत। वहा उसकि चूत पर कलेय रेशमि बल नज़र अ रहेय थे और उनकेय बिच हलकि सि गुलबि रनग कि ददर नज़र अ रहि थि। दरर मेन उपेर कि तरफ़ एक छोता सा चनेय जैसा दना चमक रहा था। वोह उस वकत कपदेय धो रहि थि और उसका सरा धयन उस तरफ़ हि था।दीपलि को इस हलत मेन देख कर मेरा लुनद एक दुम सेय तन कर खदा हो गया मनो वोह इस हसीन चूत को सलमि देय रहा हो। मन कर रहा था कि मैन फ़ोरुन हि वहा पहुच जौ और दीपलि को कस अकर चोद दु पर मैन ऐसा नहि कर सका। मैन कफ़ि देर तक वहा खदा रहा और दीपलि को ऐसे हि देखता रहा और उपेर सेय हि अपनेय लुनद को पकर कर सहलता रहा। मेरि हलत बहुत खरब हो रहि थि। मेरा गला एक दुम सेय खुशक हो गया था कि मैन थूक भि थिक सेय नहि निगल पा रहा था। मेरि तनगेय कनप रहि थि और ऐसा लग रहा था कि मेरि तनगो मेन बिलकुल दुम नहि रहा और मैन गिर जौनगा। मैन इस हलत मेन उसको करिब -2 15-20 मिनुत तक देखता रहा। वोह बर -2 सर झुका कर तनगो मेन अपनि चूत कि तरफ़ देख रहि थि और एक कपरेय सेय चूत केय बलो को रगद रहि थि जिस सेय उसकि चूत केय कुछ बल उतर जतेय थेय। मैं समझ गया कि अज दीपलि अपनि चूत केय बल हैर रेमोवेर सेय सफ़ कर रहि है। मैन उसेय बरेय हि गौर सेय देख रहा था कि अचनक उसकि नज़र मेरेय पर पद गयि और उसनेय एक दुम सेय बथरूम का दरवजा बनद कर लिया।
येह देख कर मैन बहुत दर गया और छत से निचेय उतर अया। मैन सरेय दिन इसि उधेदबुन मेन लगा रहा कि अगर जिजि इस बरेय मेन पुछेनगि तो मैन कया जवब दूनगा लेकिन कुछ सुझ हि नहि रहा था। मैनेय सोचा कि मैन 2-3 दिन उसको दिखयी हि नहि पदुनगा और उसकेय बद ममला कुछ शनत हो जयेगा और तभि देखा जयेगा कि कया जवब देना है। मैन एक दिन तो दीपलि सेय बचा हि रहा और उसकि नज़रोन केय समनेय हि नहि अया। अगलेय दिन पपा और मुम्मी को किसि के यहन सुबहा सेय शम तक केय लिये जना था और दरिवेर अया नहि था तो पपा नेय मुझको कहा कि मैन उनको सर सेय छोद अयु और शम को वपस लेय अयु। सो मैन उनको सर सेय छोदनेय जा रहा था कि मैनेय दीपलि को अपनि सर कि तरफ़ तेजि के सथ अतेय हुये देखा तो दर के मरेय मेरा हलक खुशक हो गया। मुम्मी पपा सर मैन बैथ हि चुकेय थे सो मैनेय झुत सेय सर सतरत कि और बधा दि। हलन कि मुम्मी नेय कहा भि के दीपलि हमरि तरफ़ हि अ रहि है कहि कोइ ज़रूरि काम ना हो पर मैनेय सुना उनसुना कर दिया और गदि को तेजि केय सथ ले गया। मैनेय मन हि मन सौचा कि जान बचि तो लखो पये और लौत कर बुद्दहु घर को अये। जब मैन पपा मुम्मी को छोद कर वपिस घर अया तो देखा कि वोह हमरेय गते पर हि खदि है जैसेय हि मैनेय सर रोकि वोह भग कर सर के पस अ गयि और मेरेय से बोलि कि सर को भगा कर लेय जनेय कि कोशिश ना करना वरना बहुत हि बूरा होगा और मैन बहुत बुरि तरहा सेय दर गया और हकलतेय हुये कहा कि जिजि मैन खा भगा जा रहा हून और मेरि इतनि हिम्मत हि कहन हैन कि जो मैन अप सेय भग सकु? इस पर दीपलि नेय कहा अभि जब तुनेय मुझेय देखा था तब तो जलदि सेय भग गया था और अब बत बना रहा है। मैनेय कहा कि जिजि मुझ को सर को एक तरफ़ तो लगनेय दो और फिर अनदर बैथ कर बात करतेय हैन।
वोह बोलि थिक हैन और मैनेय सर को एक तरफ़ लगा दिया और दीपलि केय सथ अनदेर अपनेय घर मैन चला गया। मैनेय अपनेय कमरेय मैन जतेय हि अ।स। ओन कर दिया कयोनकि घबरहत केय मरेय मुझे पसिना अ रहा था। फिर मैन अपनेय होनथो पर जबरदसति हलकि सि मुसकन ला कर बोला कि अ ओ जिजि बैथ जओ और बोलो कि कया कहना है और ऐसा कहतेय -2 मैन रौअन सा हो गया तो वोह बोलि दर मत मैन तुझ को मरुनगि या दनतुगि नहि बौ मैन तो येह कहनेय अयि हून कि तु उस दिन छत सेय कया देख रहा था तो मैन अनजन सा बननेय लगा और कहा कि जिजि अप कब कि बत कर रहि है मुझेय तो कुछ धयन नहि है तो उनहोनेय हलका सा मुसकरा कर कहा कि सलेय बनता है और अभि सुनदय को सुबहा छत सेय मुझेय नुनगा नहि देख रहा था? मनिएय कोइ जवब नहि दिया तो वोह बोलि कि कया किसि जवन लदकि को इस तरहा नुनगा देखना अछा लगता है शरम नहि अति तो मैनेय कहा कि जिजि अप हि इतनि खुबसूरत कि अपको उस रोज अपको नुनगा देखा तो मैन अनखेय हि नहि फेर सका और मैन अपको देखता हि रहा। वैसेय मैन बदा हि शरिफ़ लदका हून और अप को हि पहलि बर मैनेय नुनगा देखा हैन। तो वोह हनस कर बोलि कि हन-हन वोह तो देखयि हि देय रहा है कि तु कितना शरिफ़ लदका है जो जवन लदकियोन को नुनगा देखता फिरता है।
मैने भि झत सेय कहा कि जिजि उस रोज अप तनगो केय बिच बलो को बर-बर कयोन रगद रहि थि तो इस पर वोह शरमा गयि और बोलि धुत कहि जवन लदकियोन सेय ऐसि बत पुछि जति है तो मैनेय पूचा कि फिर किस सेय पूछि जति है तो उसनेय इतना हि कहा कि मुझेय नहि मलूम। अब मैन समझ गया था कि वोह उस रोज देखनेय सेय जयदा नरज़ नहि थि। उस समया तक मेरा दुर कफ़ि हुद तुक कुम होगया था और मेरा लुनद खदा होना शुरु हो गया था।मुझेय फिर मुसति सुझि और मैनेय फिर सेय दीपलि सेय पूछा कि जिजि बतयो ना कि तुम उस रोज कया कर रहि थि? येह सून कर वोह पहलेय तो मुसकरति रहि और फिर एक दुम सेय बोलि कि कया तु मुझेय फिर सेय नुनगा देखना चहेगा? मेरा दिल बहुत जोरो सेय धदकनेय लगा और हलकेय सेय कहा कि हा जिजि मैन फिर सेय अपको नुनगा देखना चता हून। तो वोह बोलि कि कया कभि तुनेय पहलेय भि येह कम किया है तो मैनेय कहा कि नहि तो उसनेय कहा कि अ मेरेय पस अज मैन तुझको सुबकुछ सिखौनगि और येह कहा कर उसनेय मुझेय अपनि बहो मैन जकर लिया और मेरे होनथ चुमनेय लगि। मैनेय भि उस को कस कर पकद लिया और उसकेय होनथ चुमनेय लगा। उसकि जिभ मेरेय मुनह मेन घुसनेय कि कोशिश कसर रशि थि तो मैनेय अपना मोनह खोल कर उसकि जिभ चूसनि शुरु कर दि। इधर मेरा लुनद भि चोत हकये कलेय नग कि तरहा फ़ुनफ़ुना रहा था और पेनत मेन सेय बहर अनेय के लिये मचल रहा था।मैनेय एक हथ बधा कर दीपलि कि तनि हुयि चूचि पर रख दिया और बदि बैतबि के सथ उसको मसलनेय लगा। दीपलि का सरा शरिर एक भत्ति कि तरहा तुप रहा था और हमरि गरम सनसेय एक दुसरेय कि सनस सेय तकरा रहि थि। ऐसा लुग रहा था कि मैन बदलो मैन उदा जा रहा हून।अब मेरे सेय सबरा नहि हो रहा था। मैनेय उसकि चूचि मसलतेय हुये अपना दुसरा हथ उसकेय चूतदो पर रख दिया और उनको बहुत बुरि तरहा मसलनेय लगा।
दीपलि केय मूनह सेय हलकि सि करहनेय कि अवज निकलि ओह्हह्हह्ह।।।।।अयीईई।।। और बोलि जरा अरम सेय मसलो मैन कोइ भगि नहि जा रहि हून। तेजि केय सथ मसलने पर दरद होता हैन लेकिन मैन अपनि धुन मेन हि उसकेय चूतद मसलता रहा और वोह ओह्हह्हह्ह।।।।।।।।।।। अययययीए।।।।। करति रहि। येह अवजेय सुन कर मेरा लुनद बेतब होरहा था और पेनत के अनदेर से हि उसकि नभि के अस पस तक्कर मर रहा था। मैनेय उसकेय कन मेन फ़ुसफ़सतेय हुये कहा कि अपनि सवर कमिज़ उतर दो तो पहलेय तो वोह मना करनेय लगि लेकिन जब मैनेय उसकि कमिज़ उपेर को उथनि शुरु कि तो उसनेय कहा रुको बबा तुम तो मेरे बुत्तोन हि तोद दोगेय मैन हि उतर देति हून और येह कहा कर उसनेय अपनि कमिज़ केय बुत्तोन खोल कर अपनि कमिज़ उतर दि अब वोह सिरफ़ वहिते बरा और सलवर मेन कदि थि। मैन उसको देखता हे रहा गया।उसकि बगल मैन एक भि बल नहि था शयद सुनदय को हि बगल केय भि बल सफ़किये थे। मैनेय अपना दहिना हथ उथा कर उसकि बयि वलि चूचि पर रख दिया और बरा के उपेर सेय दबनेय लगा और दुसरेय हथ को मैन उसकि गनद पर फिरा रहा था। दीपलि का चेहरा लल सुरख हो गया था और उसकेय मूनह सेय सिसकियन निकल रहि थि। वोह अह्हह्ह।।।। अह्हह्ह।।।।। ओह्हह्ह।।।। कर रहि थि। इस समय मेरेय दोनो हथ उसकि चूचि और गनद मसलनेय मेन वयसत थेय और होनथ उसकेय होनथो को चूस रहे थे। मैनेय उसको पलनग पर लिता दिया और मैन उसकेय उपैर चध गया और उसकि कमर के निचेय हथ लेजा कर सर को उपेर उथया और उसकेय होनथ चूसनेय लगा। मैन इतना जोश मेन था कि कयि बर उसनेय कहा कि जरा अहिसतेय चूसो मेरा दुम घुता हैन। कै बर तो एक दुसरेय के होनथ चूसतेय-2 हमरे दोनो के मूनह सेय गूऊ।।।।।।न।।।।।।।।।।गू कि अवज निकल जति। अब मैनेय पिचेय सेय उसकि बरा का हूक खोलनेय लगा था और थोदि सि मेहनत केय बद उसेय भि खोल दिया और हूक खुलतेय हि उसकि चूचियन एक दुम सेय उपेर को उछलि मनो उनको जबरदुसति दबा कर कैद किया गया था और अब उनको अज़दि मिल गयि हो। उसकि चूवहियन बहुत हि गोरिचित्ती और एक दुम सखत और तनि हुयि थि।
निप्पले बहर को उथेय हुये और एक दुम तनेय हुये थे। जैसेय हि मैनेय एक हथ सेय उसकि चूचि मसलनि शुरु कि और दुसरि को अपनेय मूनह सेय चूसनेय लगा तो दीपली हलत खरब हो गयि और वोह जोर सेय कसमसनेय लगि। अब उसकेय मूनह सेय स्ससीईई।।।।।। अह्हह्हह्हह्हह।।।।।।ओह्हह्हह्हह्ह मीएर्रर्रर्रि माआआआआअ मर्रर्रर्र गयीईई रीईई जैसि अवज निकलनेय लगि। इधर मेरा लुनद अभि तक पेनत मेन हि कैद था और उछलकूद कर रहा था और उसकि सलवर केय उपेर सेय हि उसकि चूत पर तक्कर मर रहा था। अब मैनेय मूनह सेय उसकि चूचि चूसतेय हुये
और एक हथ सेय चूचि मसलतेय हुये दुसरेय हथ सेय उसकि सलवर का नदा खोल दिया और उसनेय भि कोइ देर नहि कि तथा अपनि गनद उपेर कर केय मुझेय अपनि सलवर उतरनेय मेन मदद कर दि। अब वोह सिरफ़ पनती मेन हि थि और उसनेय वहिते रनग कि हि पनती पहेन रखि थि जो कि चूत केय उपेर सेय कुच गिलि हो रहि थि। लगता था कि उसकि चूत नेय उत्तेजना केय करन छोदना शुरु कर दिया था। जैसेय हि मैने उसकि चूत को पनती के उपेर सेय सहलना शुरु किया तो वोह कनपनेय सेय लगि और मसति मेन अकर बोलि कि मुझको तो नुनगि कर दिया है और मेरा सुब कुछ देख लिया है लेकिन तुम अपना लुनद अभि तक पेनत मेन छुपये हुये हो और येह कहा केर पेनत कि ज़िप खोल दि और चूनकि मैन पेनत के निचेय या वैसेय उनदेरवेअर नहि पेहेनता हून मेरा लुनद एक दुम फ़ुन फ़नता हुया बहर निकल अया। मेरा लुनद देखतेय हि दीपलि एक दुम मुसत होगयि और बोलि है रम तुमहरा लुनद तो कफ़ि लुमबा और मोता है लग भग 8 इनच लुमबा होगा और 3।5 इनच मोता होगा। वह तुमहरेय सथ तो बहुत हि मज़ा अयेगा। मैन तो तुमहेय अभितक बछा हि समझति थि मगर तुम तो एक दुम जवन हो , एक खूबसुरत लुनद केय मलिक हो और बहुत अछि तरहा सेय चोदनेय कि तकत रखतेय हो।
अब उसनेय मेरे सरेय कपदेय एक एक कर के उतै दिये और मेरे तुनेय हुये लुनद को सहलनेय लगि। मेरेय लुनद का सुपदा एक दुम सेय लल हो रहा था और कफ़ि गरम था। अब मैनेय भि उसकि चूत पर सेय उसकि पनती उतर दि और देखा कि अज उसकि चूत पर एक भि बल नहि है और एक दुम सफ़ा चुत है। मैनेय कहा कि जिजि उस रोज तो तुमहरि चूत पर बहुत झनतेय थि और अज एक दुम सफ़ है और किसि हिरेय (दिअमोनद) कि तरहा चमक रहि है तो वोह हुनस पदि और बोलि कि मैन तुमहरि तरहा नहि हून जो अपनि झनत और बगल का जुनगले सफ़ ना करेय येह मुझको अछा नहि लगता और तुम भि येह सब सफ़ करा करो नहि तो ज़ून हो जयेनगि। मैनेय कहा जिजि मैनेय तो अज तक अपनि झनत और बगल केय बल सफ़ हि नहि किये है और मुझेय दुर लगता है कि कहि बलदे सेय कुत ना जये तो वोह खिलखिला पदि और फिर बोलि अगर ऐसि बत है तो बगल केय बल और लुनद सेय झनत मैन शवे कर दुनगि और हन एक बत और है कि अब तु मुझेय बर बर जिजि ना कहा कर। अब मैन तेरि जिजि नहि रहि हून, तेरि मशूका हो गयि हून इस लिये अब तु मुझको परिया कहा कर। मैने कहा अछा येह कहा कर मैनेय एक उनगली उसकि चूत के छेद मेन दल दि, छेद कफ़ि गिला था और एक दुम चिकना हो रहा था। उसकि चूत एक दुम गुलबि थि पनि निकलनेय केय करन कफ़ि चिकनहत थि। मैनेय उसकि चूत मैन उनगलि अनदर बहर करनि शुरु कर दि और कभि कभि मैन उनगलियोन केय बिच उसकेय दनेय ( सलितोरिएस) को भि मसल देता था। उसकेय मूनह से सिसकरियन निकल रहि थि वोह आह्हह्ह।।।। आह्हह्ह।।।। हैईईईई हैईईईइ उफ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़ उफ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़ कर रहि थि और कहा रहि थि कि जरा जोर सेय उनगलि को अनदेर बहर करेय और मैन और तेजि केय सथ करनेय लगा। उसकेय मूनह सेय सिसकरियोन कि अवज बधति हि जा रहि थि और वोह लगतर उफ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़।।।।।उफ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़।।।।ओह्हह्हह्हह्हह्हह।।।।ओह्हह्हह्हह्हह्हह्हह्ह है मर गयि कर रहि थि तभि वोह अपनि कमर तेजि केय सथ हिलनेय लगि और अतक अतक कर बोलि हाआआआआ।।।।।। और्रर्रर्रर्रर्र तेज्जज्जज्जज सेय अनदर बहर करो हैईईई मेर्रर्रर्रर्रर्रर्ररा निकलाआआआआ निकलाआआआआअ कहा कर शनत सि हो गयि और मैनेय देखा किउसकि चूत मैन सेय पनि निकल रहा था जिस सेय चदर गिलि हो गयि थि।
मैनेय कहा जिजि अपका तो निकल गया तो हन मैन झर गयि हून और फिर थोदा दिखवति गुस्सेय सेय बोलि कि मैने अभि कया कहा था भूल गया? कि तु मुझ को अब जिजि नहि बलकि परिया कहा कर बुलया कर और तु फि भि जिजि हि किये जा रहा है। मैनेय कहा सोर्री जिजि ।।। उफ़ नहि परिया। कुच देर हुम ऐसेय हि मज़ा लूत तेय रहे और इस बिच वोह एक बर और झर चुकि थि। वोह अभि तक मेरा लौदा सहला रहि थि अब मेरि बरदशत सेय बहर हो रहा था वोह भि कहनेय लगि कि विक्की और मत तदपओ और अपना लौदा मेरि चूत मेन दल भि दो। येह सून कर मैन उसकि तनगो केय बिच मेन अ गया और उसकि गनद के निचेय एक तकिया रख दिया जिस सेय उसकि चूत उपेर को उथ गयि अब मैनेय उसकि तनगो को चौदा कर केय घुतनो सेय मोद कर उपेर को उथया और अपनेय लुनद का सुपदा उसकि चूत के छेद पर रखा तो मुझेय लगा कि मैनेय लुनद किसि भत्ति पर रख दिया उसकि चूत इतनि गरम थि और भत्ति कि तरहा तुप रहि थि। मैने अपनि कमर को उथा कर एक धक्का मरा और मेरेय लुनद का सुपदा उसकि चूत मेन घुस गया और इसकेय बद मैनेय एक बहुत जोर दर धक्का लगया जिस सेय 5-6 इनच तक मेरा लुनद उसकि चूत मेन घुस गया और उसकेय मूनह सेय एक सिसकी निकलि और बोलि कि तो तो बदा बे दरदि है जो एक हि धक्केय मेन अपनेय लुनद को मेरि चूत मेन गुसना चहता है। अरेय मेरि चूत फदनेय का इरदा हैओ कया ज़रा अरम सेय कर तेरा लुनद बदा हैन ना इस लिये दरद होता है। लेकिन मैनेय उसकि एक भि नहि सुनि और एक और धक्का तेजि के सथ लगा दिया और अब सरा का सरा लुनद उसकि चूत मेन घुस गया था।वोह हलकि सि अवज मेन चिल्लयि कि हययययययी अर्रर्ररेय मर गयि ऊऊऊ मेर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्ररि म्मम्ममाआआआआआअ मेर्रर्रर्रर्रर्ररीईईईईईई चूऊऊओत फाआआआआआआद दीईईईईईई और मेन एक दुम दुर गया कि कुछ गदबद ना हो गयि हो और पुछा कि जयदा दरद हो रहा हो तो मैन निकल लू वोह बोलि अरे नहि जयदा तो नहि मगर तुनेय एक दुम अनदेर कर दिया है इस लिये थोदा सा दरद हो रहा हैन तेरा लुनद कफ़ि लुमबा और मोता हैन ना इस लिये।
अब तो मेरे उपेर लेत जा और चूचि चूस और मैने ऐसेय हि किया और उसकि चूचि चूसनेय और मसलनेय लगा । कुच देर मैन हि उसे मज़ा अनेय लगा और अपनि गनद हिला हिला कर उपेर को उथनेय लगि और बोलि अब धक्केय लगा और मैने अपनि कमर और चूतद उथा उथा कर जोर शोर से धक्केय मरनेय शुरु कर दिये। थोदि हि देर मेन उसकेय मूनह सेय अनत शनत अवजेय निकलनेय लगि। वोह बोल रहि थि अयययययययीईए।र्रर्रेय स्सछह्हह्हह्हह्हूओद्दद्द मूऊउझेय जूऊओर जूऊर सेय चोद फाआअद्द देय मेर्रर्रीईइ छह्हह्हूऊऊऊऊऊऊओत कूओ उफ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़ मेर्रर्रर्रा फह्हह्हहिर्रर्रर सेय निकलनेय वलाआआआआअ है हाअ और जूऊऊओर्रर्र सेय और येह कर कर तेजि सेय कमर हिलनेय लगि और स्सस्सीईईईइस्सस्सस्सीईई करति हुयि झरगयि मेरा लुनद एक दुम गिला होगया था और कफ़ि चिकना हो गया था जिस सेय वोह 2-3 बर बहर भि निकल गया। अब मैनेय धक्केय लगनेय कि सपीद तेज कर दि थि। मुझ को थोदि मसति सुझि और मैनेय धक्केय लगतेय-2 एक उनगलि पर उसका पनि लगया और अचनक उसकि गनद के सुरख पर फेर तेय हुये मैनेय उनगलि को उसकि गनद केय अनदेर कर दिया और वोह एक दुम दुरद सेय चीख उथि और बोलि कि कया शैतनि कर रहा है अरेय मेरे को दरद होता है मेरि गनद सेय उनगलि को फ़ौरन बहर निकलो। मैनेय पूछा कि कया कभि किसि सेय गनद मरयि है? मैन तुमहरि गनद मरना चहता हून। इस पर दीपलि नेय कहा कि नहि उसनेय अपनि गनद कभि नहि मरवयि है और ना हि मेरेय सेय मरवयेगि कयोन कि वोह गनद मरनेय को सहि नहि मनति हैन।
फिर उसनेय पलत कर पूछा कि कया तुमनेय किसि सेय अपनि गनद मरयि है या किसि कि गनद मरि हैन तो मैनेय नहि मेन जवब दिया। इस ओएर उसनेय कहा कि विक्की तु तो बहुत हि सुनदेर और समरत है तुझेय कैसेय छोद दिया कयो कि लदकेय अपस मेन एक दुसरेय कि गनद हि मर कर कम चला तेय हैन। मैनेय कहा कि मैन मैन सेक्सी ज़रूर हून लेकिन मैन ना तो किसि लदकेय कि गनद मरता हून और ना हि मरवता हून मैन तो बुस चूत हि चोदना चहता हून। हा अज तुमहरि गनद पर दिल अ गया है इस लिये मरना चहता हून। दीपलि बोलि कि अभि तक तो उसनेय गनद कभि नहि मरवयि है यदि कभि मरवनेय कि इछा हुयि तो वह मेरेय सेय हि मरवयेगि। हुम बतेन कर हि रहे थे कि वोह फिर सेय अनतशत बकनेय लगि कि ह्हह्हाआआ और जूऊओर्र सेय माआअर्रर्रर निकल देय म्ममीर्ररा स्सस्सस्सस्ससाआआर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्रा पनि आअज्जज्जज्जज्जज्ज बनदेय मेरि छह्हह्हह्हह्हह्हहूऊऊत कि चत्तत्तत्तत्तताआन्नन्नन्नीईईईईईई उफ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़ उफ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़ उफ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़ ह्हह्हाआअ वोह ऐसेय हि करति रहि और इधर मेरेय भि धक्को कि रफ़तर बधति हि जा रहि थि और मैन पसिनेय-2 हो रहा था अब मेरे मूहन सेय भि अनतशनत निकल नेय लगा ह्हह्हाआअ कयूऊओ नहीईईइ मैन अज हि तुमहरि चूत को चोद कर भोसदा बना देता हून हैईईईईईई मेरा अनेययययययी लगा हैईईईईई लगता है कि9 निकलनेय वला है उफ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़फ़्फ़ और लूऊऊओ और लूऊऊऊऊऊऊऊऊ कहतेय हुये फ़ुल्ल सपीद सेय धक्केय मर रहा था कि लगा कि मेरेय लुनद सेय कुच बहर अ रहा है और मैनेय हनफ़तेय हुये उसे कस कर पकद लिया और जोर जोर सेय उसकि चूचि चूसनेय लगा उधेर दीपलि भि अवजेय निकल रहि थि कि हाआऐईईईईईईईइ मैईईईई फिर्रर्रर सेययययययी झर्रर्रर्रर्रर्रर रहीईईईई हून्न ऊऊओ मेरि माआआआआआआआ मेर्रर्रर्रराआआआआआ निकल रहा है और येह कहते -2 उसका सरा शरिर एक बर फिर सेय अकद गया और वोह भि मेरेय सथ सथ झर गयि।
उसनेय झदतेय हुये अपनेय दानत मेरेय कनधेय मेन गदा दिये और मेरेय मूनह सेय एक चीख निकल गयि और वोह जोर सेय हनस पदि। मैन कफ़ि देर तक ऐसेय हि उसकेय उपेर पदा रहा फिर हुम दोनो उथकर बथरूम मेन गये तो उसनेय मुझेय बहर जनेय केय लिये कहा पर मैनेय मना कर दिया और कहा कि परिया मैं तो यहिन रहूनगा और तुमको पेशब करतेय हुये देखुनगा पहलेय तो वोह मना करति रहि लेकिन वोह फिर मन गयि और मेरेय समनेय बैथ कर पेशब करनेय लगि। मैन येह तो नहि जन पया कि उसका पेशब चूत मेन से कहा सेय निकल रहा है लेकिन उसको पेशब करतेय हुये देख कर अछा बहुत लगा। उसकेय पेशब कि धर उसकि चूत सेय कफ़ि मोति बहर अ रहि थि और सुरवे मेन होकर उपेर को उथति हुयि कफ़ि दूर पद रहि थि और दीपलि मेरि तरफ़ देख कर शरमिली हनसि हनस रहि थि। फिर मैने पेशब किया तो उसनेय भि मुझेय बदेय गौर सेय देखा मेरि भि धर कफ़ि मिति थि और कफ़ि दूर तक जा रहि थि। इसि बिच हुम दोबरा उत्तेजित होनेय शुरु हो गये और हुम लोगो नेय एक बर फ़िर सेय चुदै कि । हुम कफ़ि देर तक युहि चिपतेय हुये नुनगेय पदेय रहेय और बत करतेय रहेय। मेरा मन तो उसको एक बर फ़िर सेय चोदनेय को कर रहा था लेकिन दीपलि नेय हि मना कर दिया और कहा कि जयदा चुदयि नहि करनि चहिये नरना कमजोरि अ जयेगि। मैनेय भि उसकि बात मन लि और अपनेय कपरेय पहन कर तैययर हो गये और फ़िर दूसरेय मोकेय कि तलश मेन रहनेय लगेय।
तो दोसतो और सखियोन येह था मेरा चुदै कि पहला तज़ुरबा। उम्मिद है कि अप सब नेय बदेय गोर सेय पधा होगा इस लिये अब बरि अप कि हैन यनि कि अपकि रै कि, कि खनि अप को कैसि लगि।

ତୁମେ ମୋ ମନର ମଇନା (Tume Mo Mana ra Maina)

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ହାଏ, ସାଂଗମାନେ ମୁଁ ଅଖିଳେସ , ମୁଁ ସୁଂଦରଗଡ଼ ଜିଲ୍ଲାର ଲୋକ। ବି.ଜେ.ବି କଲେଜ୍ ରେ +୩ କଳା ରେ ପାସ୍ କରି ଏବେ ବର୍ଷେ ହେଲା ଗାଁରେ ଅଛି । ମୁଁ ପ୍ରତିଦିନ ଭାଉଜ ଡଟ୍ କମ୍ ରେ ଓଡ଼ିଆ ସେକ୍ସ ଗପ ପଢେ। ମୋତେ ସୁନିତା ଭାଉଜଂକ ସବୁ କାହାଣି ଭାରି ଭଲଲାଗେ । ପାଠ ପଢା ସାରିଘରେ ଖାଲିରେ ବସି ପ୍ରତିଦିନ ମୋର ଭାଉଜ ଡଟ୍ କମ୍ ରେ ସେକ୍ସ ଗପ ଆଉ ସେକ୍ସ ଭିଡିଓ ମଧ୍ୟ୍ୟ ଦେଖେ। ପ୍ରକୃତରେ ମୋ ଜିବନ ଟା ଭାରି ରୋମାଂସ୍ ରେ ଭରପୁର୍ ଯେବେଠାରୁ ଲିମା ଭାଉଜ ମୋ ଜିବନରେ ଅସିଛନ୍ତି । ତାଂକ କଥା କଣ ବା କହିବି ମୋ ସବୁ ଖୁସିର କାରଣ ସେ ।


ମୁଁ କଲେଜ୍ ରେ ସେତେ ଭଲ ପାଠ ପଢୁନଥିଲି । ସେକେଣ୍ଡ କ୍ଳାସ ହୁଏ । ସାଂଗ ସାଥି ବେସି ନଥାନ୍ତି, କଲେଜ ପରେ ମୋତେ ଘରେ ଭାରି ବୋର ଲାଗେ । ଆମ ଘର ଟିଭି ନଥାଏ । ପଡିଶା ଘର ମାମା ନ୍କ ଘଋକୁ ଟିଭି ଦେଖି ଯାଏ । ସେ ମାମା ମୋତେ ଭାରି ଭଲ ପାଆନ୍ତି,ଲିମା ହେଉଛି ତାଂକରି ବୋହୂ । ଏବେ ତିନି ମାସ ତଳେ ରବି ଭାଇ ଲିମା ଭାଉଜ ନ୍କୁ ବାହା ହୋଇଛନ୍ତି । ରବି ଭାଇ ସି. ଆର୍. ପି. ଏଫ୍ ରେ ଚାକିରି କରିଛନ୍ତି । ବାହାଘର ପରେ ଆଉ ଘର କୁ ଆସି ନାହାନ୍ତି । ଲିମା ଭାଉଜ ନ୍କ ସହ ମୋର ଏବେ ପ୍ରତିଦିନ ଚଉଠି ଚାଲିଛି ।

ପ୍ରଥମେ ଯେବେ ଲିମା ଭାଉଜ ବୋହୂ ହୋଇ ଆସିଲ, ମୁଁ ତାଂକ ଘର ଅଡେ ସେତେ ଆଉ ଯିବା ବନ୍ଦ କରିଦେଲି । ମାସେପରେ ଦିନେ କ୍ରିକେଟ୍ ମ୍ୟାଚ୍ ଦେଖିବାପାଇଁ ମୁଁ ତାଂକ ଘରକୁ ଗଲି, ମାମା ଜାଣନ୍ତି ମୋର କ୍ରିକେଟ୍ ମ୍ୟାଚ୍ ଦେଖିବାରେଭାରି ଆଗ୍ରହ । ସେ ମୋତେ କହିଲେ କଣ ଅଖିଳେସ ତୁ ଆମ ଘରକୁଏତେଦିନ ହେଲା ଆସୁନଥିଲୁ ଜେ ? ହେଲେ ଆଜି ତୋର କ୍ରିକେଟ ମ୍ୟାଚ୍ ଅଛି ନାଃ । ମୁଁ କହିଲି ମାମାତମେ କେମିତି ଜାଣିଲ? ସେ କହିଲେ ଆରେ ତୋ ଭାଉଜ ପରା ଅସିଜାଇଛି ତାର ମଧ୍ୟ୍ୟ କ୍ରିକେଟ୍ ଭାରି ପ୍ରିଅ । ତୁ ଯା ତା ସହ ମିସିଦେଖିବୁ । ମୋତେ ଏତିକହି ସେ ମୋ ସହ ଟିଭଘରକୁ ଚାଲିଲେ । ନୁଆ ଭାଉଜ ନ୍କ ମୁଣ୍ଡରେ ଓଢଣା ନଥାଏ । ମୁଁ ଯାଈ ଆଗ ଗୋଟେ ନମସ୍କାରଟେକଲି । ସେ ଟିକେ ହସିଦେଇ ମୋ ଆଡେ ଅନେଇଲେ । ମାମା ମୋର ତାଂକ ସହ ପରିଚୟ କରାଇଦେଲେ । ଭାଉଜ ଆଉ ମୁଁ ବସି ମ୍ୟାଚଦେଖିଲୁ । 
................................................. comment to continue...

ପଡ଼ିଶା ଘର ଆଣ୍ଟୀ ମୋ ସାଥି (Padisha Ghara Aunty Mo Sathi) *Update More

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Namskar bhai o bhauni mane. Mu Bhauja dot com ra niyamita pathak, aji apnaka mananka pain mo jibana re ghati thiba sex kahani lekhuchi. Kahani ta bhari lamba jadi apana nka pakhare samay achi tebe padhantu. Mu mo bapa maa nkara gotie boli pua. Mo bapa jane government servant o mummy jane professor.

Ama ghara dui mahala, tale ame rahuchu aau upare Resma jie jane doctor aau tankara 3 ti pila. tanka swami london re ruhanti. 6 -12 masa re thare asanti. Mu Resma nku aunty boli dake. Tanka pila mane mo sahita bhari misanti, tanka bada jhia Puja jie mo tharu 4 barsa sana. Ama dui ghara bhitare kivhi pharak nathila ame samaste ratire jouthi nida lage seithi soipadu. Mu bele bele aunty nka pakhare soi pade. Resma Aunty mote gapa sunanti aau mu soi jae. Jebe school ru chuti mile mu aunty nka saha hospital jae, bele bele mama nka saha college buli jae. Jebe mote bimari hue na mote jiebi medicine khuaile mu khaena, kebala aunty khuaidele mu khae. Jebe mote school jibaku ichha huena aunty nka bed tale jai luchi jae. Aunty mote gali karantini kintu tanka pila mane jadi kehi mo sahita luchanti tebe se tanku gali karanti.

Mu jebe matric pass kari +2 admission kali ama ghare jete kahile bi bike kinibaku mana kale, mu aunty nku jai kahibaru se mummy nku bijhei debaru mo pain nua bike asigala. Mu aunty nka pila mananku school re nei chadi ase. Gote dina mu ghare thili aunty mote kahile tike hospital re nei chadi debaku, mu raji hoi tanku bike re nei hospital gali. Adha batare subidha dekhi kahili aunty sabu ta thika achi tame tama fitness upare dhyana duna. Jadi tame sakalu morning walk re jaanta tebe tama fitness thik re maintain hoi paranta. Se mote sethu kahile mu ekutia kemiti jibi, mo sahita kehi jibaku nahanti tama uncle ta nahanti boli mu jai paruni. Mu kahili aunty ethara mu tama sahita jibi, mo kathare aunty manigale. Mu pacharili aunty uncle asunahanti kanhiki, se kahili mu ta janiparuni pua kan karuchanti se. Mu aunty nku hospital chadi asili. Mu ebe jubaka heigalini aau mote sex karibaku bhari ichha. Mu aau mo sanga paisa deiki jhia ku gehibaku galu malisahi. Mu ebe ghare eka aau papa mama mase jayen baharaku jaichanti.  Ama padisha ghara jhia Phobi, phobi ama gharaku ase tv dekhibaku tara tike bahut chori prakrut thae o se bhari chothi madhya. Se ama ghara ku tv dekhi ase. Sabu dina ama chair re basi tv dekhe. Dine mu taku tanka frezz ru ice aniba pain kahithili je mote se mana kala. Ice nahi boli kahila. Mora se dina ru ta upare raga thila hele taku bhala pana te deba ku mu sujog undi thili. Dine mu ama tv ghara chair ku nei pakha ghare rakhi asli aau bed upare basi tv dekhu thili, Phobi asila aau chair napai mo agare mo bed upare basila. Se tala one third aau top pindhi thila anta pacha ru dekha jauthila. Chothi sina hele bhari sundari ichha heuthila ta pacha ru jai taku madi basibi hele tike dara thila manare. Se dina mora aau kichi kama helani. Ta para dina se asila belaku mu kahili tame kichi ethi chadi jaithila ki. Se kahila kan milila ki mora 150 tanka aau prasha ta haji thila je kan tama ghare padichi ki?

Mu janithili je phobi ra prasha haji jaichi boli aau se ta prasha sabubele sangare dhari bule. Phobi ra prasha re condom thae. Se ta boyfriend saha jouna samparka rakhe. Mote subidha miligala - mu kahili hele tame ete abhadra boli mu jani nathili. Se kahila kan tu kahuchu be! Mu kahili- han to prasha re condom asila kuadu, to bhai ki kahi debi. Se mote anurodh kari kahila dekha mo prash mote deide aau tu mo bhai ki kahana. Mote se janile marideba. Mu kahili raha to katha nischita kahibi. Se binati kari mo pakhaku asi mo hata dhari kahila please kuhani. Mu kahili kintu gote sarta re tote mo saha heba ku heba. Se chii kari kahila se sabu kharap kama. Mu kahili dekh kharap kan tu karuchu boli mu janichi. Aji tote mo sahita heba ku heba. Mu ta hata dharibaru se khasi palei jibaku baharila. Mu agare jai kabat banda kari ta anta ku jabudi dharili. Phobi ra beka aau gala ku chumibare lagili ataar ra basna re mote ahuri uschaha milu thila. Ebe mu taku bed re leutei dei ta golapi golapi gala ku chumi chumi ta dudha ku hatare daliba ku arambha kali. Ta dudha bhari kanala thila. Chipi chipi mote bhari maja laguthae. Mu taku kahili door lock achi aau jadi tu sahajog nakaribu tebe to katha leak kari debi. Mu ebe mo shirt kholi ta kamiji ku kholi pakeili. Mu pacha ru ta bra kholi debabele ta akhiru luha gadi asila. Satare se mana dukha karuchi ki mo agare abhinya karuchi mu jani parunathili. Ta gote nipple ku mu mo patire paeili. Ama gharaku kehi asibeni boli mu bhabi ta saha kichi samaya bhalare romance kari chalili. Mu taku pacharili maja laguchi na? Se kahila maja laguchi je hele kale kie asijiba ama gharu kie asiba bole. Mu kahile alo kie asib je. Se kahila sighra kare. Puni mu ta tala chadi saha kadhi mu madhya langala hoi gali. Mu luchei rakhithiba creame ku bahara kari mo anguli re bolili. Mo anguli ku ta bia re bharti kari pasei genji bare lagili. Ta bia tight thila, mo anguli re ta bia ku gehi gehi ta bia ra ganthi phitei deli.

……………………… Apana comment kale agaku padhi paribe...

ପୁରୀରେ ବିଜୟ ରଜନୀ ସୀମା କାହାଣୀ (Purire Bijaya Rajani Sima Kahani)

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ଭାଉଜ ଡଟ୍ କମ୍ ର ସମସ୍ତ ପାଠକ ପାଠିକା ମାନଂକୁ ସୁନିତା ଭାଉଜର ଏଇ ଚିର ସବୁଜି ଜୌନକାହାଣି ବ୍ଲଗକୁ ସ୍ୱାଗତ । ଆଜି ର ଏ କାହାଣି ଟିକେ ଲମ୍ବା ହେଲେ ବି ଆନନ୍ଦ ଦାୟକ ।

ସନ୍ଧ୍ୟା ସାତଟା ବେଳକୁ ହଠାତ୍ ରଜନୀର ଫୋନ୍ ଆସିଲା, କହିଲା ଜ୍ବାଇଁ ଚାଲ ପୁରୀ ବୁଲିଆସିବାପୁରୀ, ଏତେ ସନ୍ଧ୍ୟାରେ ? ମୁଁ ପଚାରିଲି, ରଜନୀ ହାତରୁ ଫୋନ୍ ଛଡ଼େଇ ନେଇ ବିଜୟକହିଲା, ‘ଭାଇନା ଚାଲ, ଆଜି ଶୁକ୍ରବାର, କାଲି ଶନିବାର ଛୁଟି ଅଛି, ପହରଦିନ ସନ୍ଧ୍ୟାବେଳକୁ ଫେରି ଆସିବାସେଇଟା ଠିକ୍ ଯେ ରୁହ ନାନୀଙ୍କୁ ପଚାରି ଦେଖେମୋସ୍ତ୍ରୀବୁଲିଯିବା କଥା ଶୁଣିଦେଇ ଜିନିଷ ବାନ୍ଧିବା ଆରମ୍ଭ କରିଦେଲେଆଠଟାବେଳକୁବିଜୟକାରରେଆସି ଆମ ଘର ସାମନାରେ ପହଞ୍ଚିଲାସାଥିରେରଜନୀଆଉଝିଅକୁନିଭୁବନେଶ୍ବରରୁବାହାରିଯିବାବେଳେ ପିଲାମାନଙ୍କୁ ଅଜାଘରେ ଛାଡ଼ିଦେଲୁଆଉଚାଲିଲୁପୁରୀବିଜୟଜଣେକରିତକର୍ମା ଲୋକସେଫୋନ୍କରିଦେଇହୋଟେଲ୍ରୁମ୍ବୁକ୍କରିଦେଲେ


ରାତି ସାଢ଼େ ନଟା ବେଳକୁ ଆମେ ପୁରୀରେ ପହଞ୍ଚି ରୁମ୍‌ରେ ପହଞ୍ଚିଗଲୁସାଙ୍ଗେସାଙ୍ଗେଫ୍ରେସ୍ ହେଇ ବିଚ୍ ଆଡ଼କୁ ଚାଲିଲୁବିଜୟକହିଲେଚାଲମନ୍ଦିରଆଡ଼େଯାଇବୁଲିଆସିବା, ମୁଁ କହିଲି ନାଁ, ବିଚରେ ବସିବାସେଇଠୁସେକହିଲେଠିକ୍ଅଛିଆପଣମାନେବସନ୍ତୁ ମୁଁ ଯାଇ ମନ୍ଦିର ଆଡ଼େ ବୁଲି ଆସୁଛିମୋସ୍ତ୍ରୀସୀମାଭାରୀଧର୍ମପରାୟଣାସେ ବି କହିଲା ଯିବସେଇଠୁବିଜୟଆଉସୀମାମନ୍ଦିରଦିଗରେଚାଲିଲେଆମେକହିଦେଲୁଫେରିଲା ବେଳେ ଏଇଠି ହିଁ ଆମେ ଥିବୁଏପାଖଦେଇଚାଲିଯିବାସେମାନେଚାଲିଲେରଜନୀଆଉମୁଁ ବିଚ୍‌ରେ ଚାଲିଲୁ କିଛି ସମୟଗୋଟିଏଅନ୍ଧାରିଆସ୍ଥାନଦେଖିରଜନୀବସିଗଲାମୁଁବି ପାଖରେ ବସିଲିପଚାରିଲିଆଜିହଠାତ୍କେମିତିପୁରୀଯୋଜନାକଲ? ସେ ହସିଦେଇକହିଲା, ଘରେ ବୋର୍ ଲାଗୁଥିଲା ତେଣୁ ଭାବିଲି ପୁରୀ ବୁଲି ଆସିଲେ କେମିତି ହୁଅନ୍ତା
ବିବାହ ପୂର୍ବରୁ ରଜନୀ ମୋ ସହ ଅନେକଥର ସଂଭୋଗ କରିଥିଲା, ତେଣୁ ମୁଁ ତା ଦେହରେ ହାତ ଦେଇକହିଲି, ତୁମେ ଜମା ବଦଳିନସେଇମିତିସଫ୍ଟ୍ସଫ୍ଟ୍ସେହସିଦେଇକହିଲା, ଇୟେ ତ ଜମାଟଚ୍ କରୁନାହାନ୍ତି, ଆଉ କଣ ହେବ ? ମୁଁ କହିଲି, ଧେତ୍ମୁଁଥାଉଥାଉତୁମେଚିନ୍ତାକାହିଁକି କରୁଛ ? ଆସୁନ ଟିକେ ଭଲସେ ଟଚ୍ କରିଦେବିସେକହିଲାନାଇଁଜ୍ବାଇଁଡରଳାଗୁଛି, କାଳେ କିଏ ଆସିଯିବମୁଁକହିଲିତାହେଲେ ଚାଲ ହୋଟେଲ୍‌କୁ ଫେରିଯିବାଆମେତରବର ହୋଇ ହୋଟେଲ୍ କୁ ଆସିଲୁମୁଁରୁମକବାଟଖୋଲିରଜନୀକୁଭିତରକୁଟାଣିଆଣିଲିଆଉକବାଟ ବନ୍ଦ କରିବାପରେ ପରେ ତା ଟପ୍‌ସ କୁ ଓହ୍ଲାଇଦେଲିତାଦୁଧସେଇମିତି୩୨ସାଇଜ୍ଅଛିଗୋଲ୍ଗୋଲ୍ମାଂସଳମୁଁତାକୁପାଟିରେପୁରେଇଚୋଷିବାକୁଲାଗିଲିସେଆଃଆଃକହୁଥିଲା, ମୁଁ ତା ନିପଲ୍‌କୁ ଚୋବେଇ ଦେଲିସେମୋତେଭିଡ଼ିଧରିଲା
ତାପରେ ତା ସ୍କର୍ଟ୍‌କୁ ଫିଟେଇ ଦେଲି ଆଇ ପ୍ୟାଣ୍ଟି ଖୋଲିଦେଇ ତାକୁ ଖଟ ଉପରେ ଶୁଆଇଦେଇ ତା ବିଆକୁ ଖାଇଲିତାବିଆପୁରାଓଦାହୋଇସାରିଥିଲା, ମୋ ଖିଆରେ ଆହୁରି ଅଧିକଓଦା ହୋଇଗଲାତାବିଆଭିତରେଜିଭପୁରେଇଗେହିଲିସେଉଃଉଃଆଃଆଃହେଉଥିଲାଆଙ୍ଗୁଠି ଦୁଇଟା ପୁରେଇ ଦେଇ ଗେହିଲିସେଧଇଁସଇଁହେଲାମୁଁତାମୁହଁକୁଦେଖିଲିସେପୁରା ଝାଳନାଳ ହୋଇଗଲାଣିତାପରେମୁଁମୋହାଫ୍ପ୍ୟାଣ୍ଟ ଖୋଲିଦେଲିମୋମୁଷଳବାଣ୍ଡପୁରା ଠିଆ ହୋଇଥିଲାସେତାକୁହାତରେହଲେଇହଲେଇନେଇନିଜପାଟିରେପୁରେଇଚୋଷିବାକୁଲାଗିଲାମୁଁତାଦୁଧଦୁଇଟାକୁଚିପୁଥାଏଆଉତାବିଆରେଆଙ୍ଗୁଠିପୁରେଇଥାଏସେଖାଲି ସଁ ସଁ ହେଉଥିଲା
ତାପରେ ତାକୁ ଟେବୁଲ୍ ଉପରେ ଶୁଆଇ ଦେଇ ମୁଁ ତା ଗୋଡ଼ ଦୁଇଟାକୁ ଅଲଗା କରିଦେଲି ଆଉବିଆକୁ ଦେଖିଲି, ପୁରା ଓଦା ହୋଇଗଲାସେସେଇମିତିଥିଲାବେଳେମୁଁମୋବାଣ୍ଡକୁତାବିଆ ପାଖରେ ଦେଇ ଧକ୍କା ମାରିଲି ଆଉ ଦୁଇ ତିନି ଧକ୍କାରେ ତା ବିଆରେ ପୁରା ପଶିଗଲାତାପରେ ମୁଁ ସେଇମିତି ଠିଆ ଠିଆରେ ତାକୁ ଗେହିବାରେ ଲାଗିଲିସେଓଃଆଃହେଉଥିଲାଆଊମୁଁ ଗେହି ଯାଉଥିଲିଦଶମିନିଟ୍ପରେସେକହିଲାଆଉରହିବନି, ଓ ସେ ଆଃଃ ଆଃଃ ରଡ଼ିକରି ତା ବିଆ ରସ ନିଗାଡ଼ି ଦେଲାମୁଁମଧ୍ୟଯୋର୍ଯୋର୍ଧକ୍କାଦେଇମୋରସତାବିଆରେଛାଡ଼ିଦେଲି
ସେ ଟେବୁଲ୍ ଉପରେ ଶୋଇଥିଲା ମୁଁ ତା ଉପରେ ଶୋଇଗଲିକିଛିସମୟପରେସେଉଠିଲାଆଉକହିଲା, ‘ଜ୍ବାଇଁ ଏଇ ତଳଟା ପୁରା କାଦୁଆ କରିଦେଲନାନିଆସିଲେକଣକହିବମୁଁ ହସିଲିକହିଲି ତୁମେ ଠିକ୍ କରିଦିଅସେବାଥରୁମରୁପାଣିଆଣିସେଠାରେପକେଇପାଁପୋଛରେପୋଛିଦେଲାମୁଁରୁମଫ୍ରେସନର୍ଟିକେପକେଇଦେଲିତାପରେ ଆମେ କିସ୍ କଲୁସେଇଠୁଆମେଯାଇ ବାରଣ୍ଡାରେ ବସିଲୁକିଛିସମୟପରେବିଜୟମୋବାଇଲ୍ରେଫୋନକଲେତାଙ୍କୁକହିଲିଆମେ ରୁମକୁ ଚାଲି ଆସିଛୁସେମାନେବିଆସିଲେ
ରାତି ବହୁତ୍ ହୋଇଗଲାଣିତେଣୁସେମାନେଶୋଇବାପାଇଁଚାଲିଗଲେମୁଁମୋରୁମରେଥିଲିଆଉ ସୀମା ହାଲିଆ ହୋଇ ବସିଥିଲାତାପାଖକୁ ଯାଇ ତାକୁ ଭିଡ଼ି ଧରିଲି ଆଉ କହିଲି, ଚାଲମୁଁ ଟିକେ ମସାଜ୍ କରିଦେବିକିଛିସମୟମସାଜ୍କରିବାପରେସୀମାଶୋଇପଡ଼ିଲାମୁଁମଧ୍ୟଶୋଇଗଲିପରଦିନସକାଳଛଅଟାରେ ରଜନୀ ଆସି କବାଟ ମାରିଲାସୀମା କବାଟ ଖୋଲିଲାମୁଁଶୋଇଥିଲିରଜନୀବଡ଼ପାଟିରେକହିଲା, ‘ଜ୍ବାଇଁ, ନିଦ ଭାଙ୍ଗି ଉଠକୋଣାର୍କଯିବାସୀମା କହିଲା, ଜ୍ବାଇଁ ଏତେ ଶୀଘ୍ର ଉଠିବେନି ତୁ ଦେଖ୍ସୀମାବାଥରୁମ୍ଚାଲିଗଲାସେଇସମୟରେ ରଜନୀ ରୁମ ଭିତରକୁ ଆସି ଜ୍ବାଇଁ ଉଠ କହି କହି ମୋ ବାଣ୍ଡକୁ ଧରି ଅଣ୍ଡାଳିବାକୁଲାଗିଲାମୁଁମଜାରେସେଇମିତି ଶୋଇ ରହିଲିସେକହିଲା, ଜ୍ବାଇଁ ଉଠମୁଁଧିରେଧିରେକହିଲି ଯାହାକୁ ଉଠଉଚ ସେ ଉଠିସାରିଲାଣିତାକୁକିସ୍‌ଟେଦେଲେସେଖରାପଭାବିବରଜନୀ ମୋ ବ୍ଲାଙ୍କେଟ୍ ତଳକୁ ଆସି ମୋ ପ୍ୟାଣ୍ଟ୍ ତଳକୁ ଭିଡ଼ିଦେଇ ମୋ ବାଣ୍ଡକୁ ତାପାଟିରେ ପୁରେଇ ଚାପିବାକୁ ଲାଗିଲାଆଉଧଡ଼ପଡ଼ହୋଇପଳାଇଲା
ସାଢ଼େ ସାତଟା ବେଳକୁ ଆମେ କୋଣାର୍କ ଯିବାକୁ ବାହାରି ପଡ଼ିଲୁସେଇଠିଦିନଦୁଇଟାପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ବୁଲିଲୁ ଆଉ ମନ୍ଦିର କାନ୍ଥରେ ଥିବା ବିଭିନ୍ନ ଯୌନଉତ୍ତେଜକ ଚିତ୍ର ଓକାରୁକାର୍ଯ୍ୟ ଦେଖିଲୁସୀମାରଜନୀଅଲଗାବୁଲୁଥିଲେ, ମୁଁ ବିଜୟ ଏକାଠି ବୁଲିବାସମୟରେ ମୁଁ ଫୋଟୋ ନେଉଥିଲି, ବିଜୟ କହିଲା, ‘ଭାଇ ଏଇ ଫୋଟୋ ନେଇ କଣ କରିବମୁଁକହିଲି, ଏକ୍ସପେରିମେଣ୍ଟ୍ସେ କହିଲା, ହାତୀ ଘୋଡ଼ାର ମୂର୍ତ୍ତି ବି ଅଛି, ସେ ସବୁ ବି କରିବନା କଣ? ମୁଁ ହସିଦେଇ କହିଲି, ମଉକା ମିଳିଲେ ସେ ସବୁ ବି କରିବିସେହସିଲାଗୋଟିଏସ୍ଥାନରେ ଗ୍ରୁପ୍ ସେକ୍ସ୍ ଫୋଟୋ ଦେଖି କହିଲା,
-ସେ ଯୁଗରେ ଲୋକମାନେ ଏତେ ବ୍ରଡ଼ମାଇଣ୍ଡେଡ୍ ଥିଲେ ?
ମୁଁ କହିଲି ଏବେ ବି ଅଛନ୍ତି
-ହେଲେ ଏମିତି ଗ୍ରୁପ୍ ସେକ୍ସ୍ କଣ କରନ୍ତି କେହି ?
ମୁଁ ହସିଲି ଆଉ କହିଲି, କେହି ? ଆରେ ସମସ୍ତେ କରନ୍ତିଏକାଠିକଲେଯେଉଁମଜାସେଇଟାଦେଖୁନଚିତ୍ରକୁଲାଗୁନି?
ସେ ନିରିଖେଇ ଦେଖିଲା, ଆଉ ସାମାନ୍ୟ ହସିଦେଇ କହିଲା, ଲାଜ ଲାଗିବନି
-ଲାଗିବ ନିଶ୍ଚୟ, ହେଲେ କିଛି ସମୟ ପାଇଁ, ଥରେ କପଡ଼ା ଖୋଲିଗଲେ ଆଉ କି ଲାଜ ?
ସେ ନିରବ ଥିଲା
ଆମେ ସବୁ ଏକାଠି ଗୋଟିଏ ବଡ଼ ଗଛ ତଳେ ବସିଥିଲୁ, ମୁଁ ଥଟାରେ ପଚାରିଲି, ରଜନୀ କଣ ଦେଖିଲ ? ସେ ବି ଚିଡ଼େଇ ଦେଇ କହିଲା, ତୁମେ ଯାହା ଦେଖୁଥିଲମୁଁକହିଲିମୁଁକାରୁକାର୍ଯ୍ୟ ଦେଖୁଥିଲି, ସେ ବି କହିଲା, ମୁଁ ବି ସେଇୟା ହିଁ ଦେଖୁଥିଲିମୁଁପଚାରିଲି, କୋଉ କାରୁକାର୍ଯ୍ୟଟା ଭଲ ଲାଗିଲାସେଲାଜେଇ ଯାଇ ଚୁପ୍ ହେଇଗଲା ଆଉ କହିଲା, ତୁମେ ଆଗ କହୁନ, ଆଗରେ ଆଗରେ ବୁଲୁଥିଲୟାଙ୍କୁକଣସବୁଦେଖେଇଦେଖେଇକହୁଥିଲକଣଜ୍ଞାନ ବାଣ୍ଟୁଥିଲ ? ମୁଁ କହିଲି ନାଇଁ, ବିଜୟଙ୍କୁ ଜ୍ଞାନ ଦେବା ଦର୍କାର ନାହିଁ, ସେ ତମାଷ୍ଟ୍ର ଲୋକତାଙ୍କଠୁକିଛିଶିଖିବିବୋଲିହାତଧରିଚାଳୁଥିଲିନାଉଁ, ମାଷ୍ଟ୍ରଲୋକ ! ସେ ଏମିତି କହିବା ବେଳେ ସୀମା କହିଲା, ଏମିତି କଣ କହୁଛୁରଜନୀକିଛିନିରବହେଇକହିଲା, ‘ତୁ ଭାଗ୍ୟ କରିଛୁ, ଜ୍ବାଇଁଙ୍କ ଭଳି ଲୋକଟେ ପାଇଛୁତୋତେକଣଦିନରାତିଛାଡୁଥିବେ ? ହେ ହେ ହେସୀମା କହିଲା, ‘କେଡ଼େ ନିର୍ଲଜଟାତଥାପି ରଜନୀ ନିରବରହିନଥିଲା ଆଉ କହିଲା, ‘ଆଉ ଆମର ଇୟେ, ମାସରେ ଥରେ ଅଧେ ଛୁଇଁଦେଲେ ନିଜ କର୍ତ୍ତବ୍ୟସରିଲା ବୋଲି ଭାବୁଚନ୍ତି
ମୁଁ କହିଲି, ନାଇଁ ନାଇଁ ସେଇମିତି କୁହନିବିଜୟଚାହିଁଲେତୁମଅବସ୍ଥାକଣହେବତୁମେଭାବିପାରିବନି, ତୁମକୁ ଭଲ ପାଉଛନ୍ତି ବୋଲି ନା ଟିକେ ଧିରେ ଗେହ୍ଲାରେ କରୁଚନ୍ତିତୁମନାନୀ ବି ତ ସେଇ କ୍ୟାଟେଗୋରୀରତାକୁବିସବୁଧିରେସୁସ୍ଥେଲୋଡ଼ାସୀମାମୋଆଡ଼କୁଚାହିଁଲାମେ ଏମିତି କଥା ହେଉଥିଲା ବେଳେ ଗୋଟେ ବହି ବିକାଳି କୋଣାର୍କରକାରୁକାର୍ଯ୍ୟର ବହି ନେଇ ଆସିଲା୧୨ଟାସେକ୍ସ୍ଫୋଟୋଥିବାବହିଦଶଟଙ୍କାମୁଁସାଙ୍ଗେ ସାଙ୍ଗେ ଦୁଇଟା କିଣିନେଲି ଆଉ ଗୋଟିଏ ବିଜୟକୁ ଦେଇ କହିଲି, ଆଜି ରାତିରେ ରଜନୀରଅବସ୍ଥା ଢିଲା କରିଦିଅସମସ୍ତେହସିଲେ
କୋଣାର୍କରୁ ବାହାରି ଆମେ ଚନ୍ଦ୍ରଭାଗା ଆସିଲୁ, ସେଇଠି ବାଲିରେ ଛାଇ ଯାଗା ଖୋଜୁ ଖୋଜୁଅନେକ ବାଟ ଚାଲିଆସିବା ପରେ ଝାଉଁବଣ ସେପାଖରେ ଗୋରା ଲୋକମାନଙ୍କୁ ସେକ୍ସ୍ କରୁଥିବାରଦେଖିଲିଏହାଦେଖିସାଙ୍ଗେସାଙ୍ଗେମୁଁବିଜୟକୁଡାକିଲିସେବିଆସିଲା, ଆମେ ଦିଜଣଏମିତି ଦେଖୁଥିବା ବେଳେ ରଜନୀ ଆଉ ସୀମା ବି ଆସିଲେସେମାନେବିଦେଖିଲେବିଚ୍ଉପରେଦୁଇହଳ ଫରେନର୍ ସେକ୍ସ୍ କରୁଥିଲେ, ମୁଁ କହିଲି, ଦେଖ ବିଜୟ ଗ୍ରୁପ୍ ସେକ୍ସ୍ ଦେଖିନଥିଲପରା, ହେଇ ଦେଖ କେମିତି ହଉଛିସେବିପୁରାଧ୍ୟାନରେଦେଖୁଥିଲାଏଇମିତିଦେଖୁଥିବାବେଳେ ସେଇ ଗୋରା ହଳ ପରସ୍ପରର ସ୍ତ୍ରୀ ସହ ସେକ୍ସ୍ କରିବା ଆରମ୍ଭ କରିଦେଲେବିଜୟର ପାଟି ଆଁ ହୋଇ ରହିଗଲାରଜନୀଆନନ୍ଦରେଦେଖୁଥିଲା, ସୀମା ସେଇଠୁ ପଳାଇଯାଉଥିଲାମୁଁ ହାତଧରି କହିଲି, ରୁହ ଦେଖ, ଆଜି ଭାଗ୍ୟ କରିଛ ଲାଇଭ୍ ଟେଲେକାଷ୍ଟ୍ ଦେଖୁଛ
ଆମେ ଝାଉଁବଣରେ ବସି ସେମାନଙ୍କ ସେକ୍ସ୍ ଦେଖୁଥିଲୁରଜନୀସେଇଆଡ଼େଚାହିଁରହିଥିଲାମୁଁ ହସିଦେଲି କହିଲି, କଣ ପୁରା ପିଇଯାଉଛ ? ସେ ଅନ୍ୟମନସ୍କ ଭାବେ କହିଲା, ଜ୍ବାଇଁକେତେ ମଜା ଆସୁଥିବ ନାଇଁ? ମୁଁ କହିଲି ମଜା ମାନେ ସ୍ବର୍ଗ ଭଳିଆ ଲାଗୁଥିବକେତେଏଞ୍ଜୟ୍ କରୁଛନ୍ତି ସେ ହଳି ଦୁଇଟା ଦେଖୁନ ବିଜୟବିସେସବୁଦେଖୁଥିଲାମୁଁକହିଲି, ତୁମେ ଦିଟା ସେଇଠିକି ଚାଲିଯାଅ, ସେମାନଙ୍କ ସହ ମିଶିବ ତିନିହଳ ହେଇଗଲେ ଆହୁରି ମଜାହେବସୀମାମୋହାତକୁଚିମୁଟିପକାଉଥିଲା, ମୁଁ ତା କାନ ପାଖକୁ ଯାଇ କହିଲି, କାହିଁତୁମକୁ ଯିବାକୁ ଇଚ୍ଛା ହେଉଛି କି ? ସେ ଲାଜରେ ଇସ୍ସ୍ ବୋଲି କହିଲାଦେଖକେତେମଜାଚାଲ ଟ୍ରାଇ କରିବାସେମୋଆଖିକୁଦେଖିଲାସେଥିରେରାଗନଥିଲାଲାଜନଥିଲା, ଥିଲାପ୍ରଶ୍ନଚିହ୍ନମୁଁପୁଣିଥରେକହିଲି, କଣ ବିଜୟ ଯିବାକି? ବିଜୟ ହସିଦେଇ କହିଲା, ଭାଇଆପଣ କୁହନ୍ତୁମୁଁକହିଲିରଜନୀକୁପଚାରିବାଦର୍କାର୍ନାହିଁ, ସେ ହଁ କହିବ ନିଶ୍ଚୟହେଲେ ହଠାତ୍ ରଜନୀ କହିଲା, ନାଇଁ ସବୁଚମକିପଡ଼ିଲୁଆମସମସ୍ତଙ୍କମଧ୍ୟରେସବୁଠୁଅଧିକ ଆଡ଼ଭେଞ୍ଚରସ୍ ରଜନୀ ମନା କଲା କେମିତିମୁଁକହିଲିନାଇଁ, କିନ୍ତୁ କାହିଁକି ? ସେ ମନ ଦୁଃଖ କରି କହିଲା, ସେମାନେ ଚାଲିଗଲେଆମେସମସ୍ତେହୋହୋହୋଇହସିଲୁ
ସେଇ ଝାଉଁବଣରେ ବସି ଗ୍ରୁପ୍ ସେକ୍ସ୍ ବିଷୟରେ ଏମିତି କଥା ହେଉଥିବା ବେଳେ ରଜନୀ କହିଲା, ଆଜି ରାତିରେ ଆମେ ସମସ୍ତେ ଏକାଠି ସେକ୍ସ୍ କଲେ କେମିତି ହୁଅନ୍ତାସୀମାକହିଲାତୋମୁଣ୍ଡ ଖରାପ ହେଇନି ତ ? ବିଜୟ କିଛି କହୁନଥିଲା, ମାନେ ତା ମନରେ ହଁ ଥିଲାମୁଁକହିଲି, ଏଇଟା ଗୋଟେ ଭଲ ପ୍ରସ୍ତାବଚାଲଟ୍ରାଇକରିବା
ଆମେ ଦିନସାରା ବୁଲି ବୁଲି ହାଲିଆ ହୋଇଥିଲୁସନ୍ଧ୍ୟାରେରୁମକୁଯାଉଯାଉମୁଁଶୋଇପଡ଼ିଲିକିନ୍ତୁକିଛିସମୟପରେରଜନୀସୀମାରେକଥାବାର୍ତ୍ତାରେମୋନିଦଭାଙ୍ଗିଗଲାହେଲେମୁଁସେଇମିତିପଡ଼ିରହିଲିସୀମାକହୁଥିଲା, ‘ତୁ ଗୋଟେ ତୋଜ୍ବାଇଁଙ୍କ ଭଳି ହେଇ ଗଲୁଣିବିଜୟକଣଭାବିବେକହିଲୁ?’ ରଜନୀ କହୁଥିଲା, ‘ଓଃ ବିଜୟସାନ ପିଲାଟେ ତ ତାକୁ ଆମେ ସବୁ ରେପ୍ କରିଦେବା ନା କଣ ? ଯଦି ଇଚ୍ଛା ନଥାନ୍ତା ସେ ମନାକରିନଥାନ୍ତେ?’ ସୀମା କହିଲା, ‘ହେଲା ଯେ ଏ ସବୁ କାଣ୍ଡ ମୋତେ ପସନ୍ଦ ନାହିଁରଜନୀକହିଲା, ‘ବୁଝିଲୁ ନାନୀ, ତୁ ନା ଆଉ ସୁଧୁରିବୁନିଯଦିତୋତେଭଲଲାଗିବ, ତୁ ଅଲଗାଚାଲିଯିବୁତୋତେକଣକିଏବାଧ୍ୟକରିବନାକଣ? ଜ୍ବାଇଁତ ଏତେ ବଢ଼ିଆ ଲୋକ’  ସୀମାକହିଲା, ‘ତୁ ଜ୍ବାଇଁଙ୍କ ସାଙ୍ଗରେ ବେସି ନସରପସର୍ ହେଇ କି ଏ ସବୁ ଭୁତ ଧରିଛୁରଜନୀକହିଲା, ‘ଓଃ ସତେ କି, ତୋତେ ଆଉ ଇଚ୍ଛା ଥିବ କି? ମିଛ କହନା ମୋତେମୁଁଦେଖିଛିତୁବିସେ ଫରେନର୍ ମାନଙ୍କୁ ଲାଳୈଇ କି ଦେଖୁଥିଲୁଏଇମିତି କଥା ହେଉ ହେଉ ରଜନୀ କହିଲା, ତୁବେଶି ଦେଖେଇ ହେନାରାତିରେଦେଖିବା କଣ କରିବୁରଜନୀଚାଲିଗଲାମୁଁଉଠିଲାବେଳକୁସନ୍ଧ୍ୟା ସାଢ଼େ ସାତ ହେଲାଣିବିଜୟଉଠିସାରିଥିଲେସେଚାମଗେଇଥିଲାଆମେସମସ୍ତେ ଏକାଠି ଚାପିଇଦେଇ ବିଚ୍ ଆଡ଼କୁ ଚାଲିଲୁ
କେହି କିଛି କହୁନଥାନ୍ତିସବୁନିରବବୋଧହୁଏକିଏଜଣେଆରମ୍ଭକରିବବୋଲିଅପେକ୍ଷାକରୁଥାନ୍ତିଏଇସମୟରେମୋରଫୋନଆସିଲମୁଁଅଲଗାଚାଲିଗଲିଫୋନରେକଥାହେବାପାଇଁଦୂରରେ ଠିଆହୋଇ ଦେଖୁଥାଏ, ରଜନୀ, ସୀମା ଆଊ ବିଜୟ ଗମ୍ଭୀର ଭାବରେ କିଛି କଥାହେଉଥାନ୍ତିମୁଁଜାଣିଜାଣିଦୁରରେଠିଆହୋଇରହିଲିପାଖକୁଆସିଲାବେଳକୁବିଜୟକହୁଥିଲା, ନାନୀ ତୁମକୁ ଭଲ ନ ଲାଗିଲେ ଆମେ ଏ ସବୁ କରିବାନିସୀମାକହୁଥିଲା, ସମସ୍ତେହଁ କଲାବେଳେ ମୁଁ କାଳୀଗାଈର ଭିନେ ଗୋଠ ହୋଇଯାଉଛିମୋତେଭଲଲାଗୁନିରଜନୀକହିଲା, ତୁ ଚୁପ୍ କରଆରମ୍ଭହେଉଦେଖିବୁସବୁଭଲଲାଗିବରଜନୀରକଥାଶୁଣିଲାଗୁଥିଲାସତେଯେଇତି ସେ ଆଗରୁ ଅନେକ ଥର ଏମିତି କରି ସାରିଛି, ଅବଶ୍ୟ ହଁ ମୋ ସହ ତ ଅସଂଖ୍ୟଥର କରିଛିସେ
ରାତିରେ ଅଧିକ ପରିଶ୍ରମ ହେବ ବୋଲି ଜାଣି ମୁଁ କିଛି ଖାଇଲି ନାହିଁ, ଖାଇଦେଲେ ଅଳସୁଆଲାଗିବଆମେରାତିଦଶଟାବେଳକୁରୁମକୁଫେରିଲୁମୁଁମୋଚିରାଚରିତହାଫ୍ପ୍ୟାଣ୍ଟ୍ବାନ୍ୟାନ୍ ପିନ୍ଧିଲି, ସୀମା ନାଇଟି ପିନ୍ଧିଥିଲା, କିଛି ସମୟପରେ ରଜନୀ ଆସି କବାଟ ଠକ୍ଠକ୍ କଲାସେଟପ୍ଆଉସ୍କର୍ଟ୍ପିନ୍ଧିଥିଲା, ଆଉ ବିଜୟ ଧୋତିଆମେଏକାଠିବସିଲୁମୁଁ ଲ୍ୟାପଟପ୍ ଲଗେଇ ଗୋଟେ ଗ୍ରୁପ୍ ସେକ୍ସ୍ ଫିଲ୍ମ୍ ଲଗେଇ ଦେଲିରୁମକୁଅନ୍ଧାରକରିଦିଆଗଲାଆମେସବୁଖଟଉପରେବସିଥିଲୁମୁଁସୀମାରକାନ୍ଧରେହାତରଖିଥିଲିହେଲେଆଙ୍ଗୁଠିରେ ରଜନୀରେ କାନପାଖରେ କୁତୁକୁତୁ କରୁଥିଲିଏଇସମୟରେବିଜୟରହାତସହମୋହାତବାଜିଗଲାସେମୋହାତକୁକୁତୁକୁତ୍କରିଲା, ମୁଁ ହସିଦେଲି ଆଉ ତା ହାତକୁ ଭିଡ଼ି ଆଣିସୀମାର କାନ୍ଧରେ ଥୋଇଦେଲିସେସୀମାରକାନ୍ଧଉପରେହାତଦେଇକୁତୁକୁତୁକରୁଥିଲାସୀମା ମୋ ଆଡ଼କୁ ଚାହିଁଲା, ମୁଁ ହସିଦେଇ ତା କାନ ପାଖରେ ଯାଇ କହିଲି, ‘ଲାଜ କରନି, ଏଞ୍ଜୟ୍ କରଧିରେ ଧିରେ ବିଜୟର ହାତ ସୀମାର କାନ୍ଧତଳ ଦେଇ ତା ଦୁଧ ଚିପିବାକୁଆରମ୍ଭକଲାମୁଁନିରବହୋଇବସିଥିଲିରଜନୀବିଜୟପାଖରୁଉଠି ଆସିଲା ଆଉ ସୀମାକୁ ବିଜୟଆଡ଼କୁ ଠେଲିଦେଲାମୋଗୋଡ଼ଉପରେବସିପଡ଼ିଲା
ସୀମା ଲାଜ ଛାଡ଼ି ଦେଇଥିଲା, ଏବେ ସେ ବି ମନଖୋଲି ଏଞ୍ଜୋଅୟ୍ କରୁଥିଲାଏଇସମୟରେଫିଲ୍ମ ଟା ସରିଗଲାଆଉଗୋଟିଏଫିଲ୍ମଲଗେଇବିକି? ବୋଲି ମୁଁ ପ୍ରଶ୍ନ କରୁଥିଲିରଜନୀ କହିଲା, ‘ନାନୀ ଏଇଠି ବସିବୁ ନା ସେ ରୁମ୍ କୁ ଯିବୁସୀମା ଉଠି ଠିଆହେଲା ଆଉଧିରେ ସେ ରୁମରୁ ବାହାରି ଚାଲିଗଲା, ତା ପଛେ ପଛେ ବିଜୟ ବି ଚାଲିଗଲା
କବାଟ୍ ବନ୍ଦ କରିଦେଇ ମୁଁ ଖଟ ପାଖକୁ ଆସିଲି, ରଜନି ସେଇଥି ବସିଥିଲା, ମୋତେ ଖଟ ଉପରେଠେଲିଦେଲା ଆଉ ମୋ ଛାତି ଉପରେ ବସିପଡ଼ିଲାତାଗାଣ୍ଡିମୋମୁହଁପାଖରେଥିଲାସେନଇଁପଡ଼ି ମୋ ବାଣ୍ଡକୁ ପ୍ୟାଣ୍ଟ ଭିତରୁ ବାହାରକୁ ବାହାର୍ କରି ଚାପିବାକୁ ଲାଗିଲାମୁଁତା ଅଣ୍ଟାକୁ ଉଠେଇ ଆଣିଲି ଆଉ ତା ବିଆକୁ ମୋ ପାଟି ଉପରେ ରଖି ଚାଟିଲିସେଆଃଆଃକହୁଥିଲାଏଇମିତିଚାଟୁଚାଟୁସେଝଡ଼ିବାକୁଆରମ୍ଭକଲାମୁଁମଧ୍ୟତାପାଟିରେରସଢାଳିଦେଲିକିଛିସମୟପୁଣିଆମେଫିଲ୍ମ୍ଦେଖିଲୁଏଇସମୟରେକବାଟରେଖଡ଼ଖଡ଼ଶବ୍ଦଶୁଣି ମୁଁ କବାଟ ଖୋଲିଲି, ବିଜୟ ଠିଆ ହୋଇଥିଲାକହିବାଭାଇକଣ୍ଡୌମ୍ଅଛି? ମୁଁହସିଦେଇ କହିଲି, ଦର୍କାର୍ ନାହିଁ, କାଲି ଆଇ ପିଲ୍ ଖୁଆଇ ଦେବାସେଖୁସିରେଫେରିଗଲା
ମୁଁ ପୁଣି କବାଟ ବନ୍ଦ କରିଦେଇ ଆସିଲି ଆଉ ରଜନୀକୁ ଟେବୁଲ୍ ଉପରେ ଶୁଆଇ ଦେଇ ତା ବିଆକୁଖାଇଲିତାବିଆକୁପୁରାଓଦାକରିଦେଲିତାପରେତାବିଆକୁଜିଭରେଗେହୁ ଗେହୁ ତାଗାଣ୍ଡିରେ ଆଙ୍ଗୁଠି ପୁରେଇ ଗେହିଲିସେଅଃଆଃଓଃହେଉଥିଲା, ମୋ ବାଣ୍ଡ ସେତେବେଳକୁପୁରା ଉଠି ଠିଆମୁଁବାଥରୁମକୁଯାଇମୋବାଣ୍ଡରେକିଛିସାମ୍ପୁଲଗେଇଆସିଲିଆଉଟିକେସାମ୍ପୁ ରଜନୀରେ ଗାଣ୍ଡିରେ ଦେଇ ମୁଁ ବାଣ୍ଡ ପୁରେଇଲିଟାଇଟ୍ଥିଲେବିମୋବାଣ୍ଡ୍ତା ଗାଣ୍ଡିରେ ଫିଟ୍ ହେଇଗଲାସେଆଃଆଃ କହୁଥିଲା, କିନ୍ତୁ ମୁଁ ଗେହିଂ ଚାଲିଲି
ପନ୍ଦର ମିନିଟ ଗେହିଲା ପରେ ସେ ପୁଣି ଝଡିବାକୁ ଆରମ୍ଭ କଲା ଆଉ ମୁଁ ବିତାଗାଣ୍ଡିରେମୋ ରସ ଢାଳିଦେଲିସେଫାଁହୋଇଶୋଇପଡ଼ିଲାମୁଁବାଥ୍ରୁମରୁବାହାରିଲାବେଳକୁସେନିଜ ପୋଷାକ ସଜାଡୁଥିଲାମୋତେଦେଖିକହିଲାକାହିଁକିପୁରୀପ୍ରୋଗ୍ରାମ୍କଲୁଜାଣିଲଭାଇ ? ମୁଁ ହସିଦେଇ କହିଲି ବିଜୟ ବି ସବୁ ଜାଣିଥିଲା ? ସେ ହସିଦେଇ କହିଲା ହଁସେବହୁତ ଖୁସିରେ କହିଲା, ଆଜି ମୋ ଦେହର ସବୁ ଭୋକ ତୁମେ ବୁଝେଇ ଦେଲବିଜୟଜମସେକ୍ସ୍କରିପାରନ୍ତିନିତୁମେମୋତେଖୁସିକରିଦେଲମୁଁକହିଲିଏବେସରିନି, ଆହୁରି ଅଛି


Antarvasna चचेरी साली की सील पैक चूत की चुदाई (Chacheri Sali Ki Seal Pack Chut Ki Chudai)

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मैं कुमार सोनू.. मेरी हाइट 165 सेंटीमीटर है.. मेरा लौड़ा 5 इंच का है और मैं दिल्ली से हूँ। bhauja .com के नियमित पाठक हूँ ।
आज मैं पहली बार कहानी लिख रहा हूँ.. वैसे मैं इस वेबसाइट का पाठक करीब एक महीने से हूँ.. पर पहले पता नहीं था कि इस वेबसाइट की अहमियत कितनी है, रोजाना इस वेबसाइट को लाखों लोग पढ़ते हैं।
कहानी दो साल पहले की है.. जब मेरी बीवी को पहला बच्चा हुआ था और मैं उस वक्त ससुराल में गया था। उस दिन सारा दिन हॉस्पिटल के चक्कर काट कर मैं थक गया था, मैं हल्का खाना खा कर गर्मी होने के कारण ऊपर छत पर सोने चला गया।


थके होने का कारण जल्दी ही नींद भी आ गई। जब करीब 2 बजे मेरी नींद खुली तो मैंने देखा की मेरी चचेरी साली यानि मेरी बीवी के चाचा की बेटी.. मेरे बगल में सो रही है।
मैं उठा और टॉयलेट से होकर वापस आया तो देखा कि साली अपने मम्मों पर हाथ फेर रही है। मैं समझ गया कि साली सोई नहीं थी.. बल्कि सोने का नाटक कर रही थी।
फिर मैं भी आकर अपने जगह पर सो गया। तो वो भी सोने का नाटक करने लगी।
मैं धीरे से उसके बगल में हल्का सा चिपक कर लेट गया। थोड़ी देर में वो मेरी तरफ अपनी गाण्ड करके सो गई। मैं अपना हाथ उसके चूतड़ों पर रख कर हल्का सा सहलाने लगा.. वो कुछ नहीं बोली बल्कि सोने का नाटक करती रही।
फिर मैंने उसके सामने की तरफ आकर अपनी चादर ले जाकर सो गया और कुछ पलों बाद उसके मम्मों को सहलाने लगा। उसने कोई विरोध नहीं किया बल्कि मज़े लेने लगी। फिर उसकी रजा देख कर मैंने अपना दूसरा हाथ उसकी सलवार को खोलने में लगा दिया।
उसे अब पता चल गया कि अब उसका काम उठने वाला है.. तो उसने मेरे हाथ को पकड़ कर हटा दिया और हाथ को पकड़ कर अपने मम्मों पर रख दिया।
फिर मैं दोनों हाथों से उसके मम्मों को हल्का-हल्का मसलते हुए दबाने लगा, अब वो मज़े लेकर गरम होने लगी थी।
फिर कुछ देर के बाद मैं उसकी बुर को टटोलने लगा.. तो मैंने पाया कि उसकी बुर भीग चुकी है।
मैं सलवार का नाड़ा खोलने का प्रयास करने लगा.. उसने इनकार करते हुए मेरा हाथ पकड़ कर हटा दिया।
फिर मैं परेशान हो कर उसके सामने ही अपना लौड़ा हिलाने लगा और मैंने मुठ्ठ मारने का फ़ैसला कर लिया और अपना लंड हिलाते हुए तेज-तेज मुठ मारने लगा तो उसने मेरे हाथ को पकड़ कर अपने मम्मों पर रख दिया, मैंने उसे खींच लिया।
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अब वो बुरा सा महसूस करने लगी। फिर मैंने मुठ्ठ मारते हुए अपना माल उसकी तरफ घुमा कर उसकी मुँह पर छोड़ दिया।
उसके मुँह पर मेरी मलाई लग गई.. वो एकदम से अचकचा गई.. उसे समझ नहीं आया कि ये क्या हो रहा है।
फिर मैंने उससे पूछा- तुम यहा क्यों सोने आई हो?
वो बोली- गर्मी काफ़ी हो रही थी इसलिए..
फिर मैं समझ गया था कि इसे चुदने का मन है.. इसलिए ऊपर आई है.. पर खुल नहीं पा रही है।
मैं फिर उसका नाड़ा खोलने का प्रयास करने लगा… इस बार वो मना नहीं कर रही थी। वो बोली- मम्मी और पापा कहीं गए हुए हैं इसलिए कमरे में चलते हैं.. बाकी का काम वहीं पर पूरा करेंगे।
वहाँ जाने पर पता चला कि बिजली भी नहीं आ रही है और काफ़ी देर से बिजली नहीं रहने के कारण इनवरटर भी बोल चुका था।
मैं तो चुदास से बेताब हुए जा रहा था। मैंने बोला- कोई बात नहीं.. मोमबत्ती जला लेते हैं।
वो बोली- देखना क्या है?
मैंने बोला- देख कर चोदने में ज़्यादा मज़ा आता है।
वो बोली- फिर मुझे शर्म आएगी..
मैंने कहा- कोई बात नहीं.. पहली बार सबको शर्म आती है।
वो चुप रही और उसने मोमबत्ती जला कर टेबल पर रख दी।
मैंने उसे अपनी ओर खींचा तो वो मुझे किस करने लगी.. मैं भी साथ देने लगा।
अब वो फिर से गरम होने लगी थी.. मैंने उसकी शमीज़ खोल दी और पाया कि करीब 1.5 किलो के उसके बड़े-बड़े चूचे बाहर आने को बेताब हैं।
मैंने पूछा- पहले कभी सेक्स किया है कि नहीं?
वो गुस्सा हो गई और बोली- किया होता तो आपके पास क्यों सोती?
मैं उसे मनाने लगा.. फिर वो गरम होने के कारण जल्दी से मान भी गई और फिर हम दोनों चूमा-चाटी करने लगे।
मैंने उसकी ब्रा को खोल दिया और दूध दबा कर पीने लगा।
अब वो मुझे जोरदार किस करने लगी थी.. मैं उसकी सलवार खोलने लगा। उसने इस बार मना नहीं किया और मैंने फटाफट नाड़ा खोल दिया।
सलवार एक झटके में खींच कर निकाली जिसमें उसने भी अपने पैर उठा कर सहयोग किया।
मैंने पैन्टी के नाम पर छोटा ढक्कन चूत के ऊपर से झट से खोल दिया और उसकी मखमली बुर पर हाथ से सहलाने लगा।
वो बोली- जीजाजी.. बच्चा तो नहीं होगा ना?
मैंने कहा- कोई बात नहीं कल सुबह दवाई ला कर खिला दूँगा।
फिर बोली- ठीक है कोई बात नहीं..
अब वो काफ़ी गरम हो चुकी थी और मेरे कपड़े खींचने लगी। मैंने भी झट से अपने कपड़ा खुलवा लिए और वो मेरे लंड को अपने हाथ से पकड़ कर अपनी बुर में घुसड़ेने की कोशिश करने लगी।
इमैंने कहा- तुमसे नहीं घुसेगा.. मैं ट्राई करता हूँ।
मैंने उसे बिस्तर पर चित्त लेटा दिया और लौड़ा उसकी बुर में घुसड़ेने लगा।
वो बोली- जीजाजी बहुत दर्द हो रहा है और डर भी लग रहा है।
मैंने बोला- पहली बार सबके साथ होता है.. तू चिंता मत कर।
मैंने बातों-बातों में ही एक हल्का सा शॉट लगा दिया.. लौड़ा चूत में गप गया.. वो ज़ोर से चिल्लाई।
इतने में उसकी दीदी यानी मेरी बीवी उसे देखने के लिए कमरे में आने लगी उसकी पायल की आवाज़ सुनकर मैं बिस्तर के नीचे छुप गया और साली अपना चादर ओढ़ कर लेट गई।
इतने में मेरी बीवी आकर पूछने लगी- क्या हुआ?
वो बोली- कोई बात नहीं दीदी एक बुरा सपना देखा था।
तो मेरी बीवी बोली- चल.. मेरे बगल में सो जा.. नहीं तो फिर डर जाएगी।
वो बोली- हाँ चलो.. मैं अभी आती हूँ।
इतने में मेरी बीवी बच्चे के जाग जाने के कारण जल्दी से कमरे से चली गई।
मैंने भी नीचे से निकल कर अपनी साली को पकड़ लिया और उसका चूचा फिर से पीने लगा।
वो बोली- रुको जीजा डार्लिंग.. अभी कुछ देर में आती हूँ.. ताकि दीदी को शक ना हो।
मैं इंतजार करने लगा.. करीब 4 बजे वो आई और इतने में मैं दो बार मुठ्ठ मार चुका था।
उसके आते ही मैं उस पर टूट पड़ा और वो भी बोली- जल्दी कीजिए.. सुबह हो गई है।
िमैंने जल्दी से उसका कपड़े खोल दिए और उसे गरमाने लगा, वो जल्दी गरम हो गई।
मैंने फिर से उसे बिस्तर पर चित्त लिटा दिया और चोदने के आसन में लाते हुए एक तकिया उसके चूतड़ों के नीचे लगा दिया.. ताकि जल्दी से मेरा लंड उसकी बुर में घुस जाए और हमारा चुदाई का खेल पूरा हो जाए।
मैंने तकिया लगाने के बाद एक बार उसकी बुर पर देखा कि वो तेल लगा कर आई है और अपनी बुर की झांटें भी साफ़ करके आई है।
मैंने हँस कर पूछा- क्या करने गई थी और क्या करके आई हो?
वो बोली- मैं यही तो करने गई थी… अब तो तुम्हें और भी मज़ा आएगा।
मैंने अपने लंड को उसकी बुर पर रख कर एक हल्का सा झटका मारा.. अब वो रोने लगी.. क्योंकि उसकी सील नहीं टूटी थी।
मैंने उसके मुँह पर अपना मुँह रख उसका मुँह बंद किया और करीब दो मिनट तक उसे चूमता रहा.. जब उसका दर्द कुछ कम हुआ.. तो फिर धीरे-धीरे करते हुए अपना लंड आगे-पीछे करने लगा।
अब उसे मजा मिलने लगने लगा था ज्यों ही उसके चूतड़ उछले मैंने और एक जोरदार शॉट लगा दिया।
वो कराहते हुए बोली- उई.. जीजाजी बहुत दर्द हो रहा है..
मैं बोला- अभी एक मिनट के बाद तुम्हें जन्नत में होने का अहसास मिलेगा।
मैं धीरे-धीरे अपने लंड को आगे-पीछे करने लगा। अब उसे मज़ा आने लगा था और वो बोलने लगी- जीजाजी करते रहिए ना.. छोड़िएगा नहीं.. करते रहिए..
मैं करीब 5 मिनट तक उसे मज़े दे कर चोदता रहा और वो लण्ड के मज़े लेती रही।
अचानक उसने मुझे ज़ोर से पकड़ लिया और मेरे शरीर को जकड़ने लगी.. मैं समझ गया कि अब वो आने वाली है।
तभी मुझे लगा कि उसने मेरे लंड पर एकदम गरम लावा छोड़ दिया गया है।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
वो बोली- आह्ह.. बहुत मज़ा आया..
मैंने धीरे-धीरे से अपने स्पीड बढ़ा दी और ‘फॅक.. फॅक..’ की आवाज़ सुनकर मुझे और भी मज़ा आने लगा था।
अब करीब और 5 मिनट के बाद वो फिर से झड़ गई और मैं भी अब गिरने ही वाला था।
मैंने पूछा- कहाँ गिराऊँ.. बाहर छोड़ दूँ तुम्हें बच्चा ना हो?
तो वो बोली- मेरे अन्दर ही टपका दीजिए.. देखती हूँ कैसा लगता है।
मैंने दस बीस झटके तेज लगा कर अपना पूरा लावा उसके अन्दर ही छोड़ दिया।
हम दोनों एकदम से चिपक कर लेटे रहे.. इतने में सुबह हो गई थी। मैं कुछ देर और उसके ऊपर ही लेटा रहा और फिर रात को मिलने के वादे के साथ अपने-अपने कपड़े पहनने लगे।
परिवार के लोगों को दिखाने के लिए मैं फिर से छत की तरफ चल पड़ा।
करीब 6 बजे मेरी बीवी मेरे पास आई और पूछने लगी- क्या बात है रात को नींद नहीं आई क्या.. अभी तक सो रहे हो?
मैंने बोला- गर्मी की वजह से नींद नहीं आई।
तो दोस्तो, यह थी मेरे चचेरी साली के साथ मस्ती भरी चुदाई जो अनायास हो हो गई थी।
अगर आप मुझसे कुछ कहना चाहते हैं तो मुझे मेरी ईमेल पर जरूर लिखिएगा।

बीवी की बगल में साली की चुदाई (Biwi ke Bagal me Sali Ki Chudai)

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हैलो दोस्तो, रूपेश का प्यार भरा नमस्कार! मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ। मैं आज आप सभी को अपनी आपबीती सुना रहा हूँ।
बात उन दिनों की है.. जब मेरी साली हमारे साथ रहने आई थी, उसका नाम चांदनी है, नाम बदला हुआ लिख रहा हूँ ताकि गोपनीयता बनी रहे। उसकी उम्र 20 साल की है व फिगर 30-30-32 का है वो ऐसी खूबसूरत माल लगती कि किसी का भी ईमान ख़राब हो जाए।

हमारे घर पर बहुत सारे मेहमान आए हुए थे.. दिसम्बर का महीना था.. सर्दी काफी पर रही थी। शाम को हम सबने खाना खाया और सोने चले गए.. मैं और मेरी पत्नी भी अपनी कमरे में आ गए। इतने में चांदनी भी हमारे कमरे में आ गई और वो अपनी बहन से बोली- दीदी मैं कहा पर सोऊँ?
तो मेरी पत्नी बोली- यहीं पर सो जा..
वो हम लोगों के साथ सो गई.. मेरी रात को नींद खुली.. तो मैं चांदनी को देखकर कामुक हो उठा और मेरा मन ख़राब हो गया.. क्योंकि उसकी स्कर्ट ऊपर उठी हुई थी और उसकी काली पैन्टी दिखाई दे रही थी।
मैं उसको 5 मिनट तक देखता रहा फिर मैं उसके बगल में जाकर लेट गया।
मेरी पत्नी मेरे बगल में सोई हुई थी इसलिए उसके साथ कुछ भी करने में डर लग रहा था.. लेकिन क्या करें.. मेरे दिमाग में तो वासना के कीड़े काट रहे थे।
फिर मैं हिम्मत करके उसकी जाँघों को सहलाना शुरू किया.. तो उसने कोई रिस्पोंस नहीं दिया।
इससे मेरी हिम्मत और बढ़ गई और मैंने धीरे-धीरे उसकी चूचियों की तरफ अपनी हाथ को ले गया और उसके टॉप के ऊपर से ही उसके दूधों को सहलाने लगा।
फिर भी वो कुछ ना बोली.. तो मेरी हिम्मत और बढ़ गई और मैं उसकी चूची को जोर-जोर से दबाने लगा।
अब तक वो जग चुकी थी और मेरे से चिपक गई थी.. इतने में मेरी पत्नी उठ गई.. तो मैं आख बंद कर के सोने का नाटक करने लगा।
मेरी पत्नी बाथरूम गई और आकर सो गई। मैं कुछ देर लेटा रहा फिर उसके बाद मैं उठा और चांदनी की एक चूची को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा।
अब तक वो गरम हो चुकी थी और उसने मेरे लोअर के ऊपर से ही मेरा लंड पकड़ लिया और सहलाने लगी।
मुझे समझ आ गया था कि ये भी चुदासी हो उठी है.. तो मैंने अपना लोअर नीचे सरका दिया।
यह कहानी आप भउज डट कम डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
अब वो मेरे लंड के साथ खेल रही थी। फिर उसने अपनी सर मेरे पैर के तरफ कर लिया और मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी।
करीब दस मिनट तक लौड़ा चुसवाने के बाद मैंने अपने आपको उससे अलग किया। अब मैंने उसकी चड्डी उतार दी और उसकी चूत में धीरे-धीरे ऊँगली डालने लगा.. ताकि जब मैं उसकी चूत में लंड डालूँ.. तो वो चिल्लाए न..
पहले मैंने उसकी चिकनी चूत में एक ऊँगली डाली.. फिर दो घुसेड़ दीं।
जब दोनों ऊँगलियां आसानी से चूत में घुसड़ेने लगा.. तो मैं उसके ऊपर चढ़ गया और अपना लंड उसके चूत पर रख कर धीरे-धीरे चूत में घुसाने लगा।
फिर मैंने एक हल्का सा झटका मारा.. तो मेरा लंड आधा उसके चूत में घुस गया और वो जोर से चिल्लाने को होती.. इससे पहले मैंने एक हाथ से उसका मुँह दबा दिया।
फिर थोड़ी देर बाद मैंने एक और जोर से झटका मारा और पूरा लंड अन्दर पेल दिया।
अब वो जोर से चिल्लाई.. पर मैंने उसका मुँह एक हाथ से दबा रखा था.. इसलिए गूँ गूँ करके ही रह गई।
फिर मैं थोड़ी देर बाद खुद को धीरे-धीरे उसके ऊपर-नीचे करने लगा।
अब चांदनी को भी मजा आने लगा और वो भी अपनी कमर को ऊपर-नीचे करने लगी।
मैं अपनी रफ्तार बढ़ाने लगा और करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद मैंने उसकी चूत में ही सारा माल छोड़ दिया।
मैं झड़ने के बाद उसके बगल में लेट गया.. और इतने में ही मेरी पत्नी भी उठ गई।
मैं सांस रोके लेटा रहा.. मैंने चादर अपने और चांदनी के ऊपर खींच ली।
पत्नी नींद में थी उसने ज्यादा ध्यान नहीं दिया.. और वो फिर सो गई।
उसके बाद चांदनी तो मेरे लौड़े के लिए मानो नया नसीब बन कर आ गई थी..
कुछ देर बाद वो फिर से मेरी बाँहों में आ गई और उस रात के बाद मैंने चांदनी को घुमाने के बहाने बाहर ले जाकर कई बार चोदा।
आज भी चांदनी मेरे लौड़े की दीवानी है।
दोस्तो, यह मेरी सच्ची कहानी है.. आपको कैसी लगी.. आप मेल जरूर कीजिएगा।

କଷି ମାଲ୍ ସହ ମସ୍ତି ( Kasi Maal Saha Masti)

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Sunita bhauja ra jouna blog ku apana nku swagat aji apana kete gapa padhi chanti? bhabuchi jaha bi padhi thibe bhala lagi thiba. bhauja.com apana mananka jouna lalasa ku udbega kariba pain. e gapa padhi gote kancha maal mane jhia saha gote loka kemiti karichi?


MO age 40, baha hoi sarichi aau 2 ti chua ra bapa b. Mo wife b gote mast maal aau mo sex life bahuta badhia  chalichi. sex life kete bhala thile b, kasi maal te milile khaibaku kahara mana na heba. Emiti dina kara ghatana.

mu prati dina ratire khai sari bhauja dot com ru sex gapa aau video dekhe,  chata upare tahale adha ghanta. Emiti gapa padhi bulu bulu padisa ghara sahu babu gharaku aakhi chali gala. tanka jharaka re dekhili je Sahu babunka jhia Lipi khata upare soi mobile re kichi dekhuchi.  Emiti ta aaji kali pila mane sabu bele mobile re game khela , gita suniba , vedio dekhiba ta common. tenu nazara delini . hele emti 2-3 round marila bele mo aakhi puni ta upare padila, ebe se mobile re kichi dekhuchi aau ta nighty ta jangha upara ku teki hoi achi aau ta left hand ti ta bhitare purai kichi karuchi.
Mu chamaki padili aau tike rahi jai nirekhi kari dekhili. bodha hue se BP dekhuchi mobile re aau ta hatati ta bia bhitare khudu khudu hauchi. se drusya dekhi mo munda chakkar khaila. Wife kete sundari thile b emiti dekhila bela ku banda pura tengei gala. Toki ku khaibaku icha hela. karana Lipi sabu bele aama gharaku aasi aau pilanka saha khele aau mate dada(uncle) boli  dake. jahaku mu kebe se najara re dekhi nathili, aaji taku dekhi mo banda uthi thia aau mana chata pata helani ta bia chati baku aau taku gehin baku.
emiti dekhu dekhu se ta nighty bhitare jor jor re hata hala chala hebara dekhi li aau tapare pura santa padi gala, bujhi gali, tokire bia pani chadi dela. ta pare se uthi chali gala, mu b aau chata upare rahi lini. sidha bed room ku aasili aau se garama mo wife upare  chadi deli. Rati re bahuta bhala kina mo wife saha sex kali. kintu ebe aau mo wife ra bada bada dudha, aau balua bia nai.... mo mana khlali kasi dudha aau kasi bia pai baku chata pata hela. kintu gote +2 jhia saha 40yr purusa ra kimiti setting heba asambhaba mane heu thila. karana taku semiti kichi najara re dekhu nathili , ghara jhia pari se aama ghara ku aase aau mo saha b free re dadu boli daki katha hue. Emiti ki mate ta Face book re b add karichi.
Emiti kichi dina biti gala. Emiti aau eka dina b ratire taku dekhili. Ethara se aau tike adhika heu thila, ta
t-shirt uparaku uthai ta Dudha ku dhari thila aau Bia re b anguthi maru thila. My God , ki dudha se, bilkul kamala pari, tike b jhulini talaku . pura thia thia. kintu bai ete clear re dekhi heu nathila. taha dekhi mu aau sambhali parilini. aau chata upare taku dekhi dekhi mu b muthi mariba start kali. Ohh... ki maza kasi toki te mo aagare langala hoi ta bia andaluchi aau mu taku dekhi muthi maruchi... ekha tharake di jana kara pani baharila...
Ebe aau sambhali heunathila... kebe taku dharibi mo mana khali chata pata heu thila. Ebe jebe b se aama ghara ku  aasu thila , ta saha katha hoi taku chuin baku chesta karu thili. ta mundaku thapudei deuthili, se mo wife saha  katha hela bele pacha patu jai tha kandha ku dhari tike halai deu thili katha heba bahana re. ta gala ku chimuti deu  thili. hele kintu ethire katha kichi aagaku badhu nathila. aau praya 2-3 dina chadi taku mu chata upare semiti  karibara dekhu thilli.
Emiti dine taku ghare pachari deli, "Lipi tu ratire mobile re sbu bele kana dekhuchu ?"
"kichi nai Dadu, Film songs... dekhuchi aau sunuchi" Lipi kahila.

"Aaacha ? mu ta sabu dekhuchi , tu kana dekhuchu aau kana karuchu " ??"???? ummm.... na Dadu tame kana kahucha mu bujhi lini ?"
"Lipi, Mu mase hele tate dekhuchi, tu mobile dekhi kana kana karuchu ghare. prya sabu dine mu chata upare rahi  dekhuchi"
se tike lajei gala aau munda poti dei jibaku baharila, mu sange sange ta hata dhari deli..
kahila , Dadu chada mate, mu gharaku jibara achi !!!!
Mu kahili, " hau chadibi, kintu to mobile re jo gita dekhuchu taku mate dekhaile"
"Na... Dadu sethire kichi nai...!!"
" Thik achi , jaha b achi dekha mate !!"
kintu se mo hata chadai chali gala. aau ta parathu mu taku ratire dekhilini ki ghara ku aaga pari aasilani. kichi dina pare se ghara ku aasibaru mu puni pacharili... Lipi mate to mobile ta dekhaibu para...
kintu mobile katha kahila matre se sidha mothu durei jai mo wife pakhaku chali jae aau ta saha tike katha hoi sidha ta ghara ku palae. aau besi samaya ruheni aama ghare.
Puni dine mo munda ku gote idea jutila. Mu gote Female facebook ID banai ta saha net re Friends request pathaili. aau se add b kala mate. ta pare net  re emti dine taku online dekhi chatting kali female name re. Ta pare chatting praya hela aau chatting re dhire dhire sex topic aadaku b gala. Se b khub maja re chatting karu thae aau sethiru janili je tara kehi boy  friend nahanti.aau se b khub maza re mate jhia boli bhabi chatting kari ta mana katha b kahi chali thila. aau dine kahu kahu dine kahila je se mobile se sex video dekhi nije hastamaithuna kala bele Dadu (mu) kimiti taku dekhi dei thili.
Sete bele mu taku kahili tu be se uncle(dadu) saha kahinki kebe sex karibaku try karunu ?
Se kahila _ aare yaar se mothu bahuta bada, mo bapanka sanga. tanka saha kimiti karibi ?
Mu kahili _ aare thare chesta kari ki dekhe, bada mana nka saha kale kichi risk nai aau semane experienced b. sex re bahuta maza debe.
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mu kahile _ aare try ta kare... jadi hele nahale nai...
se kahila _ hmm se ta dekhi baku thik thak achanti.... kintu...
mu ta mo pai plot ready karu thili.... ta mana katha jani gali..

ta pare se jebe aama gharaku aasila , dekhili tara mo prati tike change hoi chi katha barta re..
se sidha jai rosei ghare mo Wife saha katha heu thila, sete bele mu bed room re computer on kari basi thili aau daka pakaili..Lipi...Lipi... tike aasilu..
se sange sange aasi kabata pakhare thia hela.. mu kahili pakha ku aase tate gote katha pacharibara achi..
se pakhaku aasi thia hela.
mu kahili, " Lipi tate gote kama kahi thili.. tu ta kaluni.. ?"
"kana Dadu ? ki kama ?"
"to mobile dekhaibaku kahi thili para ..."
se hasi dei kahila, "" Dadu tame dekhi kana kari ba je ? kichi nai sethire. aau tame ta baha saha hoi cha, dekhi  kana miliba tama ku """
agathu takatha pura change, sabu se FB chating ra prababha.
"Aare tu bujhibuni, mate ta dekhi baku maza aasuchi, mo computere re bahuta achi , jadi to pakhare kichi nua clip thiba tebe copy kari rakhibi, aau mo pakhare jadi kichi thiba tu nei jibu"
se tike muruki hasi .. tike rahi gala . ta pare kahila. "Thik achi nia .. " kahi mate ta mobile dei dela.
mu dekhili toki ebe thik khapare padila.. tenu ta mobile dharili.. hele ghare wife achi, tenu taku kahili, " thik achi Lipi mu kali dekhibi. Kali to Khudi(mane mo wife) nathiba tu aasi aau mu dekhi bi aau tate jaha darakara tu copy kari nei jibu. kahi mobile ti taku dei deli. se hasi dei chali gala.
Next dina mo wife parents teacher meeting pain school ku chali gala. se jiba pare mu office najai chuti nei gali aau compute kholi basili. aau taku msg deli gharaku aasibaku.
se gharaku aasila, sete bele mu t-shirt aau half pant pindhi thili. se jeans aau top pindhi aasi thila. gharaku aasu aasu mu taku bed room ku daki deli. karana computer ta bed room re achi.
se aasi pakhare basila. mu mo khajana taku dekhai deli. mo pakhare sex video clip aau photo pura bharti hoi thae.
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mu taku pacharili , " Lipi kanei kanei kana dekhuchu ?? " se lajei gala aau mu ta hata tiku dhari tike tani debaru se mo uparaku aauji gala. Sex clip ta dekhi garama hoi thila aau aauju padu padu mu ta galare gore kiss dei deli aau taku side ru bhidi dharili.Ta hatati ku aani mo pant upare, banda upare thoi deli. Se kichi birodha na kari hatati mo banda upare khali rahi thila. aau mu ta pithi patu gote hata ghurei anya hata ti re ta muhaku mo pata ku bulai ta gala re, otha re kiss debare lagi thae. se kintu hatati khali mo banda re pakai aakhi buji maza neu thae. dekhili ta patu kichi birodh nai. toki garama hoi chi , mu mo banda tiku padaku bahara karili aau ta hatare dharai dei kahili , Lipi... dekhe mo banda ti kimiti hoichi...? garama banda ti ta hataku chaun kina lagila aau se aakhi kholi dekhi sange sange muha bulai chadi dela.mo banda ra adha hi padaku bahari thil.. mu taku kahili ,.... Lipi ...laja karena... ne tike dhara kahi ta hataku  nei bandare rakh muthai deli . se khail muthei dhari taku dhire dhire chipu thila. taku kahili, emiti nai... tu jimiti sex movie re dekhuchu . ... yaku simiti hala.. kahi mu ta Dudha re hata marili... Oh... ki dudha se...... ta sanga ku toki ra hata re mo Banda... oHHH H......maza aasigala ..
ta top tiku upra ku teki deli... bhitare se banyan type material ra gote semiz pindhi thla. Bra pindhi nathila....
pindhi ba b kana dara kara , dudha gudaka pura thia thia hoi achi. tike b tala ku nai ni.
OHHHH hata maru maru chama ki padila se .. mu je dhire dhire chipi bare lagili. Muga dana pari mundi ku anguthire  tike manthi dabaru se pura sihari jai mo banda ku jabudi dharila. aau halai bare lagila . ta pare mu gote dudha ku  chipila bele anya ti chipu thae....
prya 10 min emiti chalila.
taku ta pare nei khata upare basai deli. se goda tala ku kari basila aau hata ku pacha pate bhara dei tike aauji rahila. mu tale anthei basi ta top aau semiz bahara kari deli. aau taku bhidi dhari ta dudha ku khaili aau petare , lahi re kiss deli. ki mast toki hoichi se... ohhh.... ki maza
mu aau sambhali parilini, ta jeans fitai baku chesta kala bele se mate atakai dela..
kahila nai dadu sex karibani... mu janichi mate bahuta katiba....
Na... Lipi sex karibani. mu khali to langala Bia ku dekhibi aau taku kiss karibi. Mu janichi ye toki ku kimiti heat kari heba. toki heat hele aape aape bia re banda purai baku kahiba. ta pare ta jeans ku tani kadhi deli aau panty b.
Ohhh..... ki narama gora bia te tara. halka halka bala uthichi. mu ta bia taku hatare andali aaunsi dabaru pura  sihari uthila se. mu thia hoi mo pant aau t-shirt bahara kari langala hoi gali. khata upare gote anthu rakhi thia heli aau ta bia ku andali kahili, ...LIpi mo banda chapi bu ????
se na kahila.
hau thik achi chapena je banda ku dhari dhire dhire hala... aau ta agare gote kiss de.
se ta pare banda chamada ku pachaku tanila aau ta agare gote kiss dela....
Lipi.. pls banda agata ku tike othare jabudi dhari bhala bhabe kiss te de....
se han nai kari ta pare othare banda agati ku dhari la aau mu tike press kari deli je banda ti pura ta pati bhitaraku chali gala.
ta pare bass..toki chapi bare lagila.. toki ta aagaru bp dekhi dehi achi. Oh... bhai ki maza ....garama otha re kasi toki mo banda pura chapi bare lagila yade mu ta dudha ku chupu thae. ta pare taku soi deli chit kari aau mu ta side re olata soi gali aa ta bia ku meli chati bare lagile.
ta deha pura jhan jhan kari gala . bia chati la bele di goda re mo munda ku jaki dela.
mo chuti ku hatare muthei dhari pakaila. OHHHHHHHHHHHHHHHHH.... ki swadista bia se. Aagaru mo wife ra balua bila chati chati thili. Kasi bia te milibaru mu praya hinsru ka bhali chati chalini. Bia pura lalei ki thae.. aaau mu bia, bhitare jibha purai mana bhari chati chali thae... Toki pura heat hoi jai  mo banda ku muthei dhari chapi chalila. mu epate ta clit ku chuchumi la bele se mo banda ku muthei chobai pakaila 2 thara. aau hatat ta jangha tight hoi gala .. picha uthai bia ku mo muha re genji dela aau mo banda ku ete jor re muthaila je bhabili banda tiku chindai deba boli ..; ta pare toki bia pani chadilal  aau pura body ta nidhala hoi gala . pura dhila padi gala.
hele mo ra pani aahuri bhaharini. ta hata mutha mo bandare dhila padi gala.mu kintu chati chali thae... se kintu ta pare mo munda ku tani nehi ta chati re rakhi bhidi dharila. mu b taku bhidi dhari ta upare ladi hoi gali. chati re bhidi dhari kahila bas Dadu aau chatani...
kintu mu kana karibi..ta upare soi taku bhidi dharili aau kiss deli ta pare mu uthi ta jhanga upare basi . mo banda tiku taku dharai halai baku kahili aau se halau halau mo banda ru pich pich kari bhaharila. tara chatiru nei tali peta jai pura mo birja padi gala .... OHHHHHHHHHHHH. ki santi se.... ete dina pare ki aananda milila. Thanks face book.
ta pare uthi gamucha re taku pochili. aau ta pakhare taku bhidi dhari soili. epate computer re gote pare gote bp chali thai.
mu taku pacha patu bhidi dhari soi thai. mo narama banda ti ta gandi re lagi thae aau mo hata ku ta chati re nehi bulau thae.
Ethare Lipi ra aau laja nai. pura free hoi galani. Toki mane thare bia chatai dela pare pura laja chadi dianti. kasi toki , 1st time purusa hatara maza paila. hele ta mana ki manuchi . 1st sina mana kala hele ebe Bia re banda puraibaku mana helani. kichi samaya rest kala pare Lipi simiti mo kolare soi thae aau mu ta dudha ku andlu thae. se chup kina ta hata pacha pataku aani mo banda ku dharila. MO banda ti pura narama hoi jai thae. se narama banda ti ku dharila Aau uthi basi padila mo pakhare o mo narama banda aau pela ku dhari khelibaku lagila. Banda ra bala ku andalila aau banda ku dhari khelila.
"Dadu tamara eita aau kana aaga pari strong habani ???" mo banda ku dhari pacharila.
mu kahili, " Eita mane kouta ???"
"na ma tama eita, jo mu dharichi ...."
"Aare khaha tara puni kichi name achi..."""
Lipi kahila"na mu kahibini ta neme.""..
mu kahili, " tu nakhile aau taku gela nakale se uthibani."
ta pare dhire kina lajei kahila tama Banda ta.... ohhhhhhhh ta muha ru Banda word suni mo Banda re puni jibana pasila. Dhire dhire strong hebaku lagila aau Lipi taku dhari khelu thae..
Ta pare dhire kina Banda agare gote kiss dela.
Mu kahili Lipi .... mu jimiti to Bia chatili tu b tike yaku kha... dekhibu sange sange uthi thia heba...tu ta dekhichu BP re kimiti khanti.. thare khaa bhala lagiba..
ta pare se dhire kina mo Banda aga ku ta othare dharila aau tapare aaste aaste pura banda ku ta pati re purai chapi baku lagila... OHHHHHH..... ki maza , ta garama othare bajila pare mo Banda re jibana aasigala. aau banda pura thia hoi gala. thare chapiba pare ta ku banda bhala lagila aau mast kina chapila praya 5 min paryanta.
ta pare mu uthi taku chiti kari soi deli. ta di janghaku fadi dei ta bia ku bhala bhabe chatili. Toki pura garama hoi gla. ta pare pacharili, "Lipi .... Banda puraibi to Bia re ....???? Dekhe tu kahi bu jadi puraibi nachet nai.""
"Dadu kati bani ta ???".... Lipi pacharila.
" hmm tike katiba, kintu bahuta maza aasiba... trust kare mu aaste kina karibi jemiti tate kam katiba "
ta pare mu mo banda ti ku ta bia re set kari deli aau 1st banda ku dhari ta clit re ghasili, Lipi ta picha uthai uthai mo banda ra maza neu thae.
ta pare mo banda ti ku ta bia re rakhili aau ta kandha tala hata purai taku thik se jabudi dharili aau ta othaku chumi ba start kali. e bhitare se bia ku uthai mo banda ku pasai baku chesta karu thae.
mu dhire se banda tiku push kalli. banda ra agati bia bhitare pasi baru hatat ta jangha di ta ku jaki baku chesta kala. kahila dadu katu chi... mu tike rahi gali aau se stira hela pare puni gote jor re dhaka deli ......Ohhhhhh............Maaaaaaaaaaaaaaaaaaaa.... Aaaaaaaaaahhhhhha.................. kahi janghare mate jaki dela. Kintu mu jabudi dhari thibaru aau hal chal hoi parilani. mo banda ti pura pasi gala aau mu pura pasai puni dhire rahi gali semiti abasta re.ta pare pacharili , "Lipi ebe aau katuchi." munda halai nai kala aau mu dhire dhire banda ku aaga pacha kariba start kari deli...
kichi samaya pare se bi maza nei mate support kariba start kala. aau ta picha ku uthai masaha tala misaila...
bia re banda pura pach pacha kari chali thila .. aau mu mo speed badhai chalili. Thare bahari padichi mora , tenu baharibare late heu thae aau mu dana dan peli chalilli aau se hatat ta bia re mo banda ku jabudi dharila aau mate bhidi dharila aau tara discharge hoi gala aau se nisteja hoi gala. ta pare mu mo speed ku pura badhai deli aau mora b bahari ba time hoi gala ... aau dana dan 10 pahara peli dei ta bia re pich pich kari sabu maal chadi deli. MO maal baharila bele se mate jabudi nei tara maza nela. aau mu ta upare dhali padili. aau praya 10  min paryanta ta upare padi rahi taku gela kali. ta pare di jana jaka uthilu. banda ti padha ku kadhila pare blood misa mo birjya aau ta biaru bahari bedsheet upare bohi gala. mu sange sange taku pochi dei taku bath room nei gali aau di jana sethi fresh hoi galu.
se ta dress pindhi ta gharaku gala aau gala bele pacharili, " Lipi... kimiti lagila ???"
kichi nakahi hasi dela, mu taku gote pil deli khaibaku. karana pregnent hoi jiba kale.ta pare bas mo rasta clear hoi gala. jete bele subidha hue taku mu pele... mate b bhala kasi maal te mili gala.
mo bhagya bhala ta baha ghara paryanta aame dhara padiluni.. 

जब साली चुद कर पूरी घरवाली बनी (Jab Sali Chud Kar Puri Gharwali Bani)

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मैं भाउज डट कम की लगभग हर कहानी पढ़ चुका हूँ और मेरी कहानी भीभाउज डट कम  पर आप सभी सुधि पाठकों के द्वारा पसन्द की जाएगी.. ऐसी मुझे आशा है।
मैं मध्यप्रदेश के खंडवा जिले का हूँ और रेलवे में अच्छे पद पर कार्यरत हूँ.. मेरी शादी के समय मेरी साली जो पका हुआ आम जैसी थी.. सबसे ज्यादा मजाक कर रही थी।
उस समय तो उसकी दीदी को चोदने के चक्कर में मैंने कुछ ज्यादा नहीं किया लेकिन उसको कैसे चोदूँ.. ये सोचता रहता था।

एक बार वो भोपाल अपने मामा के घर गई थी.. तो उसका मेरे पास फोन आया.. एवं मेरी बीवी ने भी मुझसे कहा कि मुझको उधर जाना चाहिए..
मुझे तो पहले ही उसकी चूत का रस पीने की जल्दी मची थी और अब तो बीवी ने हरी झंडी दे दी थी।
मैं अपनी जवान साली के पास भोपाल पहुँच गया और उसको पटाने के लिए.. अपने मोबाइल में अपनी ही आवाज में आशिकी भरी बातें रिकार्ड करके उसको कह दिया- मैं तुमसे ही शादी करना चाहता था और तुमसे ही प्यार करता हूँ। मेरी चाहत की गवाह शादी के पहले की ये रिकार्डिंग है।
उसने रिकॉर्डिंग सुनी तो वो शर्मा कर अन्दर भाग गई.. पर उसके दिल में कहीं न कहीं मैंने मुहब्बत का बीज बो दिया था।
उस दिन पूरे दिन भर मैं यूँ ही घूमता रहा.. फिर रात को घर वापस आकर खाना आदि खा कर सो गया। आधी रात के करीब जब मेरी नींद खुली तो मैंने देखा सब लोग सो रहे हैं और मेरी साली मेरे पैरों के पास सो रही है।
मैंने अपने पैरों से उसको सहलाया.. जब उसकी तरफ से कोई भी प्रतिरोध नहीं हुआ.. तो फिर मैंने अपने पैर से उसके मम्मों को दबाया.. वो अब कुछ नहीं बोली।
अब मेरी हिम्मत बढ़ने लगी थी.. साथ ही उसको चोदने की लालसा में मेरा लौड़ा भी खड़ा होकर बड़ा होने लगा था।
मैंने अपने पैर से उसकी कमर से नीचे को सहलाया और अपने अँगूठे से उसकी चूत को दबा दिया.. तो वो जरा सी हिली और उसने अपने पैरों को फैलाया और मेरा अंगूठा पकड़ कर अपनी चुदासी चूत पर रगड़ दिया।
जब उसने मेरा अंगूठा पकड़ा तो पहले तो मेरी फट गई थी पर जब उसने अँगूठे को बुर पर लगा दिया तो मैं समझ गया कि लौंडिया चुदासी है और चूत देने को राजी है।
वो बहुत गर्म हो गई थी और मेरे लंड का तो उससे भी बुरा हाल हो चुका था।
मैंने उसको खींचकर अपने पास ले लिया और उसे चुम्बन करने लगा। मैंने एक हाथ से उसकी चूचियों को मींजा और दूसरे हाथ से उसकी चूत को टटोला.. उसकी चूत तो पूरी गीली हो गई थी।
मैंने उसकी सलवार को नीचे कर दिया.. मेरे होंठों से उसके होंठों की कुश्ती जारी थी।
मैंने इसी तरह लेटे हुए उसकी बुर को नंगा कर दिया और चूत के छेद में खड़ा और अकड़ा हुआ लंड डालने की कोशिश करने लगा.. पर लौड़ा चूत में घुसने का नाम नहीं ले रहा था।
मैं समझ गया कि उसकी चूत एकदम कोरी है.. वो एकदम नई अनचुदी चूत थी।
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अब मैं भी हार नहीं मानने वाला था। मैंने उसके पैर ऊँचे कर के अपने लंड पर थूक लगाया और उसकी छोटी सी चूत के छेद पर सुपारा रखकर धीरे से धक्का लगा दिया.. तो लंड की टोपी चूत में फंस गई।
कुछ और मेहनत करने पर थोड़ा लण्ड और अन्दर गया.. पर इतने से ही वो तड़प गई.. और बुरी तरह छटपटाने लगी.. वो तो गनीमत कहो कि उसके होंठों को मैंने कस रखा था.. वर्ना उसकी आवाज से सब लोग जाग जाते।
मैंने जल्दी से दूसरे झटके में लण्ड को उसकी चूत में फिट कर दिया.. मेरे इन दो तगड़े धक्कों से.. वो तो बेहोश जैसी हो गई थी.. पर मैं उसकी चूत में लौड़े को डाले रहा.. हटाया नहीं।
कुछ देर तक मैंने अपने आपको बिना हिले-डुले रहते हुए उसकी रसीली चूचियों को मसला और उसकी नोकों को मींजा.. जिससे वो मस्ती में आ गई और अपना दर्द भूल कर थोड़ा हिलने लगी।
मैंने समझ लिया कि अब ये लण्ड खाने को मचलने लगी है.. तो मैंने धक्के देना शुरू कर दिए।
कुछ ही पलों में वो भी मेरे लंड को पूरा अन्दर तक ले रही थी।
फिर मैंने उसको अपने लौड़े के ऊपर खींच लिया और वो मेरे ऊपर चूत को उछाल-उछाल कर मेरे लौड़े का मजा लेने व देने लगी।
केवल 5-7 मिनट में ही वो अकड़ गई और झड़ गई.. तो मैंने उसको बिना लौड़ा निकाले अपने नीचे ले लिया और धकापेल चूत का बाजा बजाना आरम्भ कर दिया।
करीब दस मिनट के चोदन में वो तीन बार झड़ी होगी.. फिर मैं भी उसकी बुर को भोसड़ा बनाता हुआ.. उसकी चूत में ही झड़ गया।
हम दोनों बेहद खुश थे और थक चुके थे.. तो वैसे ही नंगे एक-दूसरे की बाँहों में बाँहें डाल कर सो गए।
अब क्या था साली तो पट चुकी थी और चुद भी चुकी थी.. तो मैं उसको कई बार चोदा.. और इस तरह उसकी नई चूत का खूब मजा लिया।
अगले दिन तो उसको घुमाने ले जाने के नाम पर बाहर ले गया और एक होटल में ले जाकर उसके बदन को चाट-चाट कर उसको खूब गर्म किया और उस दिन उसके साथ खुल कर तीन बार चुदाई का मजा लिया।
आपके ईमेल से मेरा उत्साहवर्धन होगा और मुझे अपनी अन्य कहानियाँ लिखने का साहस मिलेगा। मैं अभी नया हूँ तो आप सभी से निवेदन करता हूँ.. मेरी गलतियों को नजरंदाज करते हुए मुझे अपने प्यार भरे ईमेल जरूर भेजिएगा।

ଲିଲି ଭାଉଜଙ୍କ ସହ ଗୋଟିଏ ରାତି (Lili Bhauja Nka Saha Gotie Rati)

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 ଭାଉଜ ଡଟ୍ କମ୍ ର ସମସ୍ତ ପାଠକ ମାନଂକୁ ମୁଁ ସୁନିତା ଭାଉଜ ଏହି ନୁଆ ଗପ ଟି ଭେଟି ଦେଉଛି , ଗପ ପଢି କେମିତି ଲାଗିଲା ଜଣାଇବେ ।

ଷଡ଼ଙ୍ଗୀବାବୁଙ୍କ ଭଉଣୀର ବାହାଘର ପାଇଁ ଆମେ ସବୁ ସହକର୍ମୀମାନେ ଯେତେବେଳେ ତାଙ୍କ ଘରେପହଞ୍ଚିଲୁ, ସେ ଆମକୁ ସାଥିରେ ନେଇ ଘର ଦେଖେଇଆଣିଲେ ଏବଂ ଭୋଜି ହେଉଥିବା ଜାଗାରେ ଆଣିଛାଡ଼ିଦେଲେଆମେସବୁଏକାଠିଠିଆହୋଇଖାଉଥିଲୁଆଉଚାରିପାଖରେଜମାହୋଇଥିବାସୁନ୍ଦରୀସ୍ତ୍ରୀଲୋକ ମାନଙ୍କୁ ଦେଖି ଆନନ୍ଦ ଅନୁଭବ କରୁଥିଲୁମୋଆଖିଥିଲାକିନ୍ତୁଜଣେବିବାହିତା ମହିଳାଙ୍କ ଉପରେବୟସ୩୦ପାଖାପାଖିହେବ, ସାଥିରେ କେହି ଛୁଆପିଲା ନଥିଲେସେ ବି ଗୋଟିଏ ମହିଳାମାନଙ୍କ ଦଳରେ ଠିଆହୋଇ ଖାଉଥିଲେମୁଁତାଙ୍କୁଦେଖିଅନେଇରହିଲି, କିଛି ସମୟପରେ ସେ ବାରମ୍ବାର ମୋ ଆଡ଼କୁ ଚାହୁଁଥିଲେମନେମନେନିଶ୍ଚୟଭାବୁଥିବେଯେକେଡ଼େ ଅଭଦ୍ର ଲୋକଟା ଦେଖ

ଏମିତି ଚାହିଁ ଚାହିଁ ମୁଁ ତାଙ୍କ ପାଖକୁ ଚାଲିଗଲିହେଲେକଥାହେବାଭଳିସାହାସକରିପାରିଲି ନାହିଁ, ତେଣୁ ସାମାନ୍ୟ ଦୂରରେ ଠିଆ ହେଲିମୋତେଲାଗିଲାଯେମିତିସେବିମୋତେ ଦେଖୁଛନ୍ତିମୁଁଜାଣିଶୁଣିସେଠାରୁଚାଲିକିଛିଦୂରକୁଯାଇଠିଆହେଇଦେଖିଲି, ମୋତେ ଲାଗିଲା ସେ ମୋତେ ଖୋଜୁଛନ୍ତିମୁଁଅନ୍ୟମାନଙ୍କ ଆଢୁଆଳରେ ରହିଲିସେନିଜଦଳଠୁଅଲଗା ହୋଇ ଏଣେତେଣେ ଖୋଜିଲାପରେ ବୁଲିବା ଦେଖିବାପରେ ହଠାତ୍ ତାଙ୍କ ସାମନାକୁ ମୁଁଆସିଗଲିସେଚମକିପଡ଼ିଲେମୁଁକହିଲି, ‘ସରିସେ ହସିଦେଇ କହିଲେ, ‘ଇଟ୍‌ସ ଓକେମୁଁ କହିଲି, ‘ମୋତେ ଲାଗୁଛି ମୁଁ ଆପଣଙ୍କୁ ଆଗରୁ କୋଉଠି ଦେଖିଛିସେ ବି ସାମାନ୍ୟହସିଦେଇ କହିଲେ, ‘ମୁଁ ବି ସେଇୟା ଭାବୁଥିଲିତାପରେ ସେଇମିତି ଅଧାଖିଆ ପ୍ଲେଟ୍ ଧରିଠିଆହୋଇ ଗପିବା ଆରମ୍ଭ ହେଇଗଲାକିଛିସମୟଗପିବାପରେଆମସହକର୍ମୀମଳୟବାବୁଆସିକହିଲେ, ‘ସାର୍ ଏବେ ଯିବା ?’ ମୁଁ ମନ ନଥିଲେ ସୁଦ୍ଧା ମୁଣ୍ଡ ଟୁଙ୍ଗାରି ହଁ କଲିହାତଧୋଇବାପାଇଁ ଗଲାବେଳେ ସେ ବି ମୋ ସହିତ ଥିଲେତାଙ୍କନାଁଲିଲିବୋଲି ସେ କହିଲେବିବାହିତା, ସ୍ବାମୀ ମେଡ଼ିସିନ୍ ରିପ୍ରେଜେଣ୍ଟାଟିଭ୍ ତେଣୁ ସବୁବେଳେ ବାହାରେଆଜିବିସେ ଏକା ଆସିଛନ୍ତି ଭୋଜିକୁଯଦିସମ୍ଭବହୁଏଫେରିବେନହେଲେରାତିରେଏହିଭୋଜିରେରହିବେ ସକାଳ ହେଲେ ଅଟୋରେ ଯିବେ

ମୋ ବିଷୟରେ ପଚାରିବା ପରେ କହିଲି, ମୁଁ ବିବାହିତଖରାଛୁଟିଚାଲିଛିବୋଲିପିଲାମାନେସବୁ ଗାଁକୁ ଚାଲିଯାଇଛନ୍ତି, ତେଣୁ ଏକା ଆସିଛି ଭୋଜି ପାଇଁସେପଚାରିଲେ, ‘ମୋତେ ଟିକେଘର ପାଖରେ ଛାଡ଼ିଦେବେ କି ?’ ମୁଁ ହଁ କହିଦେଲିକାରଣତାଙ୍କଘରବହୁତ୍ଦୂରଥିଲାଅନ୍ତତଃ ସେତିକି ସମୟ ଏକାନ୍ତରେ ସେ ମୋ ସହିତ ରହିବେଦେଖିବାକୁଗୋରୀ, ତନୁପାତଳୀଲିଲି, ଛାତିରେ ଯୌବନର ଛଟାସରୁଅଣ୍ଟାଯିଏବିଦେଖିବ ଫାଶରେ ପଡ଼ିଯିବଆମସହକର୍ମୀମାନେ ଯିବାକୁ ବାହାରିବାବେଳେ କହିଲି, ‘ସାର୍ ଆପଣମାନେ ଯାଆନ୍ତୁମୁଁଟିକେପରେ ଆସିବିଏଇଜଣେରିଲେଟିଭ୍ଆସିଛନ୍ତିତାଙ୍କୁଘରେଛାଡ଼ିଦେଇଯିବିସବୁଚାଲିଗଲେ
ଭୋଜି ଜାଗାରୁ ଆସି ଆମେ ଷଡ଼ଙ୍ଗୀବାବୁଙ୍କ ଛାତଉପରେ କିଛି ସମୟ ବସିଲୁସେଇଠିବେଦିପଡ଼ିଛିହେଲେବରଯାତ୍ରୀ ଆସିନାହାନ୍ତି ବୋଲି ସେଠାରେ କେହି ନାହାନ୍ତିଏମିତିକଥାହେଉ ହେଉ କହିଲି, ‘ତୁମ ଘର ତ ଏଠାରୁ ବହୁତ ଦୂର, ଚାଲୁନ ଆମ ଘରେ ରହିଯିବସକାଳୁସକାଳୁ ନେଇ ମୁଁ ଛାଡ଼ିଦେବିସେ କିଛି ଚିନ୍ତାକରିବା ପରେ କହିଲେ, ‘ଠିକ୍ ଅଛି

ସେଇଠୁ ଆମେ ଏକାଠି ବାଇକରେ ବସି ବାହାରିଲୁସେମୋପିଠିଉପରେଭରାଦେଇବସିଥିଲେତାଙ୍କ ଦୁଧ ଦୁଇଟା ମୋ ଛାତିରେ ଚିପି ହେଉଥିଲାଆଉମୋବାଣ୍ଡପୁରାଠିଆହୋଇଯାଉଥିଲାତାଙ୍କ ଜଙ୍ଘଉପରେ ହାତ ରଖି କହିଲି ବହୁତ ସୁନ୍ଦର ଜଙ୍ଘ ରଖିଛବେଶୀବ୍ୟାୟାମ୍କରୁଛଲାଗୁଛିତୁମେଯେମିତିସେକ୍ସିହେଇଛତୁମସ୍ବାମୀଭାଗ୍ୟବାନ, କେବେ ଛାଡ଼ୁନଥିବେସେସାମାନ୍ୟ ହସିଦେଇ କହିଲେ, ‘ସେ ତ ସବୁବେଳେ ଟୁର୍ କରନ୍ତିକୋଉଘରେରହନ୍ତିଯେବ୍ୟାୟାମ କରିବେ?’ ମୁଁ କହିଲି, ‘ଆଉ ମୋତେ ଜାଣିନ କି ଚିହ୍ନିନ ମୋ ସହିତ ଚାଲିଆସିଲ, ଯଦି ମୁଁ ରାତିରେ ତୁମସହ କିଛି କରେସେ ହସିଦେଇ କହିଲେ, ‘ତୁମେ ଝିଅଙ୍କ ଆଖିକୁଜାଣିନମୁଁତୁମକୁଠିକ୍ଜାଣିଛିଆଉଯଦିରାତିରେକିଛିକରିବନିମୋତେଘରକୁକାହିଁକି ଡାକୁଥିଲ ?’ ଓହଃ, ସେ ବି ମୋ ଭଳି ଚାଲାଖ
ଘର ପାଖରେ ପହଞ୍ଚିବା ବେଳକୁ ସାଢ଼େ ନଅଟା ହେଲାଣି, କବାଟ ଖୋଲିଲି, ସେ ଭିତରକୁଆସିଗଲାପରେକବାଟବନ୍ଦକରିଦେଲିଆଉତାଙ୍କୁଭିଡ଼ିଧରିଲିସେବିମୋତେଭିଡ଼ିଧରିଲେଆଉଆମଦୁଇଜଣଙ୍କଓଠଏକହେଇଗଲାଆଉଅପେଖ୍ୟାକରିମୁଁଲିଲିରଶାଢ଼ୀକୁଓହ୍ଲାଇଦେଲିସେବ୍ଲାଉଜ୍ଆଉ ଶାୟା ପିନ୍ଧି ମୋ ସାମନାରେ ଠିଆ ହେଇଥିଲାହାତମେଲେଇମୋତେ ଡାକୁଥିଲାମୁଁବ୍ଲାଉଜଉପରୁହିଁତାଦୁଧକୁଖାଇବାକୁଲାଗିଲିବ୍ଲାଉଜ୍ଓଦାକରିଦେଲିସେବ୍ଲାଉଜ୍ଖୋଲିଦେଲାଆଉବ୍ରାରେରହିଲାଶାୟାରଦଉଡ଼ିଖୋଲିଦେଇପ୍ୟାଣ୍ଟି ପିନ୍ଧି ଠିଆହେଲାତାବ୍ରାକୁବିଖୋଲିଦେଇଦେଖିଲିଠିଆଠିଆଦୁଧଦୁଇଟକମଳା ପରିକା ହେଇଛିଜମାତଳକୁଓହଳିପଡ଼ିନିନଇଁପଡ଼ିତାଦୁଧକୁମୋପାଟିରେପୁରେଇଚୋଷିବାକୁ ଲାଗିଲିସେଆଃଆଃକହୁଥିଲାତାଦୁଧରନିପଲକୁଚାପିଲିଆଉଚାଟିଲିସେମୋମୁଣ୍ଡକୁ ତା ଦୁଧ ଉପରେ ଚିପି ଧରିଲାମୁଁଗୋଟିଏହାତରେଆରଦୁଧକୁଚିପୁଥିଲିଆଉଅନ୍ୟ ହାତରେ ତା ବିଆକୁ ଅଣ୍ଡାଳୁଥିଲିସେପ୍ୟାଣ୍ଟି ଓଦା କରିଦେଲାତାପରେତାହାତଧରି ମୋ ଘର ମଝିରେ ପଡ଼ିଥିବା ଡାଇନିଂ ଟେବଲ୍ ଉପରେ ଶୁଆଇ ଦେଲିଦୁଇଗୋଡ଼କୁଉଠେଇସାଇଡ଼ରେ ରଖିଲି ଆଉ ଚେୟାର ଉପରେ ନିଜେ ବସିପଡ଼ି ତା ପ୍ୟାଣ୍ଟି ଖୋଲିଲିତାସଫାଚିକ୍କଣ ବିଆ ଦେଖି ମୋ ବାଣ୍ଡ ଫଡ଼ ଫଡ଼ ହେଲା ତାବିଆରେପାଟିଦେଇଚାଟିଲିଜିଭକୁଭିତରେ ପୁରେଇ ଯେମିତି ସଲ ସଲ କରିଛି ସେ ମୋ ମୁଣ୍ଡକୁ ତା ବିଆ ଉପରେ ଚିପି ଧରିଲା ଆଉଖାଇବାକୁ କହିଲାକହିଲା. ଓଅଃ ମୋତେ ଖାଇଦିଅମୋତେକଣହେଇଯାଉଛିମୋଜୀବନପଳଉଚିମୋତେଚାପିଚୁଷିଖାଇଦିଅ

ମୁଁ ତା ବିଆକୁ ଚାପିଲି, ଚାଟିଲି, ଚୋଷିଲି ଆଉ ଜିଭରେ ଗେହିଁଲିସେଖାଲିସଁସଁହେଉଥିଲା ଆଉ ଆଃ ଆଃ କହୁଥିଲାଅନେକସମୟା ବିଆ ଖାଇବାପରେ ତା ବିଆ ପୁରା ଢିଲାହେଇଗଲାଆଉତାବିଆରୁପାଣିବାହାରିଆସିଲାମୁଁତାକୁଛାଡ଼ିଦେଇଉଠିଲିଆଉନିଜରପ୍ୟାଣ୍ଟ୍ ସାର୍ଟ୍ ସବୁ ଖୋଲିଦେଲିଗାମୁଛାଟିଏପିନ୍ଧିକଣ୍ଡୋମ୍ନେଇଆସିଲିମୋଠିଆବାଣ୍ଡରେ କଣ୍ଡୌମ୍ ପିନ୍ଧି ତା ବିଆ ଉପରେ ଚାପଦେଲି ଆଉ ଦୁଇ ଥରରେ ମୋ ବାଣ୍ଡ ତାବିଆରେ ପଶିଗଲାସେ ସେମିତି ଟେବୁଲ୍ ଉପରେ ଶୋଇଥିଲା ଆଉ ମୁଁ ଠିଆ ହେଇ ତା ବିଆକୁବାଣ୍ଡରେ ଗେହୁଁଥିଲିସେଆଃଆଃକହୁଥିଲାମୁଁଯୋର୍ଯୋର୍ରେଗେହୁଥିଲି

ତା ସରୁ ଅଣ୍ଟାକୁ ଧରି ମୁଁ ଯେତେବେଳେ ମୁଶଳ ଭାବରେ ଗେହୁଥିଲି ମୋ ବାଣ୍ଡ ତା ବିଆଭିତରେପୁରା ତା ପେଟ ଯାଏଁ ଯାଇ ପହଞ୍ଚି ଯାଉଥିଲାସେଆଃକହିଉଠୁଥିଲାମୁଁଠିଆହୋଇଥିଲିଆଉ ହାଈଟ୍ ସମାନେ ହେଉଥିଲା ବୋଲି ମୋତେ ଜମା ହାଲିଆ ଲାଗୁନଥିଲାବହୁତ୍ଭଲଲାଗୁଥିଲାତାଦୁଧଦୁଇଟାକୁହାତରେଚିମୁଟିଦେଉଥିଲିଆଉନଇଁପଡ଼ିଚାପୁଥିଲିଏମିତିକରୁଥିବା ସମୟରେ ସେ ଆଃ ଆଃ କହିଲାତାଶବ୍ଦଶୁଣିମୁଁବିଜୋରଜୋରରେଗେହିଲ୍ଲିଅଳ୍ପସମୟଭିତରେସେମୋଅଣ୍ଟାକୁଭିଡ଼ିଧରିଲାଆଉତା ବିଆରେ ପାଣୀବହିବାକୁ ଲାଗିଲାଗେହିବାବେଳକୁପଚ୍ପଚ୍ଶବ୍ଦଶୁଣାଗଲାସେଓହ୍ଃଓହ୍ଃକହୁଥିଲା, ତା ମୁଣ୍ଡ, ଦେହ ସବୁ ଝାଳରେ ଓଦା ହେଇଗଲାମୁଁସେତେବେଳେକୁଯୋର୍ଯୋରରେଗେହିଲିଆଉମୋର ପାଣି ଛାଡ଼ିଦେଲିଚେୟାର୍ଉପରେବସିପଡ଼ିଲିସେଟେବୁଲ୍ଉପରେସେମିତିଶୋଇଥିଲାଟେବୁଲଉପରେଆଉତଳେଚାରିଆଡ଼େ ତା ବିଆ ରସ ପଡ଼ି ଓଦା ହେଇଥିଲାଘଣ୍ଟାକୁଦେଖୁଥିଲି ବାରଟା ବାଜି ସାରିଥିଲାମୁଁଉଠିଠିଆହେଲିଆଉକଣ୍ଡୌମକୁପଲିଥିନ୍ରେପୁରେଇ ଦେଇ ଘର ଡଷ୍ଟବିନରେ ପକେଇଦେଲିବାଥରୁମକୁଯାଇଧୋଇହେଇଆସିଲି

ମୋତେ ଦେଖି ଲିଲି ଉଠି ବସିଲା ଆଉ ଆମେ ପୁଣିଥରେ କିସ୍ କଲୁସେକିସ୍କିଛିସମୟଚାଲିବାପରେସେବାଥରୁମ୍ ଚାଲିଗଲା
 
ଲିଲିବାଥରୁମରେ ଥିବା ବେଳେ ମୁଁ ଟେବୁଲ ଉପର ଆଉ ତଳ ସଫା କରିଦେଲିଫ୍ରିଜରୁଥଣ୍ଡାପାଣିଆଣି ପିଇଲିଆଉଲାପଟପ୍‌ଟାଅନ୍କଲିମୋଲାପଟପରେଅନେକବ୍ଲୁଫିଲ୍ମ୍ଅଛିସେଥିରୁଭଲ କିଛି ଲଗେଇବା ପାଇଁ ଯୋଜନା କଲିକିନ୍ତୁହାଲିଆଲାଗୁଥିଲା

ଲିଲିବାଥରୁମରୁ ଆସିଲା ବେଳକୁ ତା ତୋଫା ଗୋରା ଦେହ ଦେଖି ମୋ ବାଣ୍ଡ ଠିଆ ହେଲାମୁଁଉଠିଯାଇ ତାକୁ ଭିଡ଼ିଧରିଲି ଆଊ କହିଲି ତୁମ ସ୍ବାମୀ ବଡ଼ ଭାଗ୍ୟବାନତୁମକୁଗେହିଲେସ୍ବର୍ଗପରି ଲାଗୁଛିସେ ହସିଦେଲା କିଛି କହିଲା ନାହିଁଚେୟାରଉପରେଥିବାଏକଗାମୁଛା ଲିଲିକୁ ବଢେଇଦେଲି କହିଲି ଏଇଟା ପିନ୍ଧିଥାଅସେହସିଦେଇ କହିଲା, ‘କାଇଁ ମନଭରିନି ଆହୁରି ?’ ମୁଁ ହସିଦେଇ କହିଲି, ‘ତୁମେ ଏତେ ସୁନ୍ଦର ଯେ ଯଦି ତୁମେ ମୋ ଘରେସାତଦିନ ରହିବ ନା, ତୁମକୁ ଦିନ ରାତି ସବୁବେଳେ ଗେହିବିସେ ହସିଦେଇ କହିଲା, ‘ମୁର୍ଚ୍ଛା ହେଇଯିବ ଯେଏତେବଳକୋଉଠୁପାଇବ?’ ମୁଁ କହିଲି ତୁମେ ଦୁଧ ପିଆଇ ଦେବନି?’ ସେ କହିଲା, ‘ମୋତେ ତ ବହୁତ୍ ହାଲିଆ ଲାଗୁଛିମୁଁ କହିଲି, ଆସ ଟିକେ ମସାଜ୍କରିଦେବିସେକହିଲା, ସତରେ କରିଦେବ ? ଠିକ୍ ଅଛି, କୁହ ତୁମ ଘରେ ଚା କି କଫି କିଛିଅଛି ? ମୁଁ ରୋଷେଇଘରକୁ ତାକୁ ନେଇଗଲିସେଚୁଲିରେକଫିବସେଇଲାବେଳକୁମୁଁତାପଛରେଠିଆ ହୋଇ ତା ଦୁଧକୁ ଧିରେ ଧିରେ ଚିପୁଥିଲିସେଆଃଆଃକହୁଥିଲାକଫିହୋଇଗଲାପରେଆମେ ସୋଫା ଉପରେ ବସି କଫି ପିଉଥିଲୁଟିଭିଲଗେଇଦେଇଥିଲିଅଧଘଣ୍ଟାବସିବାପରେକହିଲି, ଏବେ ଆସ ମସାଜ୍ କରିଦେବିସେକଫିକପ୍ସବୁଥୋଇଦେଇଆସିଲାମୁଁବେଡ଼ରୁମରେଏସି ଲଗେଇ ଦେଇ ଅପେକ୍ଷା କରିଥିଲିତାକୁଶୁଆଇଦେଇତାଉପରେଫ୍ରିଜରୁଆଣିଥିବାବରଫପକେଇଦେଇ ଘସିବାପରେ ସେ ଥରିଲାକୁତୁକୁତୁଲାଗୁଛିକହିଲା

ମୁଁମୋ ଓଠରେ ତା ପୁରା ଦେହକୁ ଚାଟିଲିସେଆଃଆଃକହୁଥିଲାଏସିଥଣ୍ଡାପବନରୁମରେବହୁଥିଲାଆଃଆଃକହୁଥିଲାଆଉମୁଁତାଦୁଧକୁଖାଈଲିସେମୋମୁଣ୍ଡକୁତାଦୁଧଉପରେଭିଡିଧରିଲାତାପରେ ମୋତେ ଶୁଆଇ ଦେଇ ନିଜେ ତା ଦୁଧ ଆଣି ମୋ ପାଟିରେ ଦେଇ ଖୋଇଲାକହିଲା, ‘ ମୋ ପିଲାଟା କେତେ ହାଲିଆ ହେଇଯାଇଚି, ଖାଆଲୋ ଖାଆମୁଁ ବି ପାଟିରେ ପୁରେଇଚୋବେଇ ଚୁଷି ଦୁଧ ଖାଇଲିସେଆହ୍ଃଆଃକହୁଥିଲାତାନିପଲଦୁଇଟାକୁଜିଭଆଉଓଠରେଜାବୁଡ଼ିଧରି ଚାପିଲିସେଆଃଆଃକହିମରିଗଲିମରିଗଲିକହୁଥିଲାଆଉମୁଁଜୋର୍ଜୋର୍ରେ ଖାଉଥିଲି

କିଛିସମୟପରେ କହିଲି ମୋତେ ତୁମ ବିଆରସ ଟିକେ ଦିଅସେ ହସିଦେଇ କହିଲା, ‘ରସ ପିଇବ? ହଉଅପେକ୍ଷାକରମୁଁ ସେମିତି ଶୋଇଥିଲି ସେ ଉଠିଗଲା ଆଉ ମୋ ମୁହଁ ଉପରେ ଆସି ବସିଗଲାତାବିଆ ମୋ ପାଟି ଉପରେ ଥିଲା, ମୁଁ ଚାପୁଥିଲି ଆଉ ସେ ଆଃ ଆଃ କହୁଥିଲାଏଇସମୟରେମୁଁମୋର ଗୋଟିଏ ଆଙ୍ଗୁଠି ତା ଗାଣ୍ଡିରେ ମାରିଦେଇ ଭିତର୍ ବାହାର କଲି, ସେ ଓଃ ଓଃ କହିଲା ଆଊତା ବିଆକୁ ମୋ ପାଟିରେ ଜୋରରେ ଚିପିଧରିଲା ଆଉ ତା ବିଆରୁ ଖଟା ଖଟା ରସ ଝରିଲାମୋପାଟି ଓଠ ଆଉ ମୁହଁ ଓଦା ହେଇଗଲାମୁଁକିନ୍ତୁତାଗାଣ୍ଡୀରେଆଙ୍ଗୁଠିମାରିସେଇମିତିରଖିଥିଲ୍ତାପାଣିବାହାରିଗଲାପରେସେମୋମୁହଁଉପରେଉଠିଗଲା, ଆଉ ମୋତେ ଗୋଟେ କିସ୍କଲାଆମେକିସ୍କଲାପରେମୁଁକହିଲିଆଉମୋବାଣ୍ଡକୁଟିକେକିସ୍କରିବନି? ସେ କିଛିକହିଲାନିମୁଁ ସେଇମିତି ଶୋଇଥିଲି ସେ ଧିରେ ତଳକୁ ଚାଲିଯାଈ ମୋ ବାଣ୍ଡକୁ କିସ୍ସ୍ ଟେକଲାତାପରେସେମୋବାଣ୍ଡକୁଧିରେନିଜପାଟିରେପୁରେଇଚାପିଲାଓଅଃତାଓଦାପାଟିରେ ମୋ ବାଣ୍ଡରେ ବଳ ଆସିଲାସେଖାଉଥିଲାମୁଁସେଇମିତିଶୋଇଥିଲିତାପରେତାଅଣ୍ଟାକୁ ଧରି ଟେକି ଆଣି ମୋ ମୁହଁ ପାଖରେ ତା ବିଆ ରଖିଲିଏବେସେମୋ ବାଣ୍ଡ ଖାଉଥିଲାଆଉ ମୁଁ ତା ବିଆତାବିଆରେଜିଭଦେଇସଲସଲକରିବାପରେତାବିଆପୁଣିଓଦାହେଲାସେଅଣ୍ଟାକୁ ମୋ ମୁହଁ ଉପରେ ଠେଲି ଦେଉଥିଲାଆଃଆଃକହୁଥିଲା
ତାବିଆକୁ ଖାଉଥିଲ୍ବା ବେଳେ ତା ଗାଣ୍ଡୀରେ ଆଙ୍ଗୁଠିମାରିଲି ଆଉ ଗେହିଲିସେବିଏଞ୍ଜୟକରୁଥିଲାକିଛିସମୟମୋବାଣ୍ଡକୁଖାଈବାପରେମୁଁକହିଲି ଏବେ ତୁମେ କୁକୁର ଭଳି ଖଟଉପରେ ଆଣ୍ଠୁମାଡି ଠିଆ ହୋଇରହ, ସେ ସେଇମିତି ରହିଲା, ମୁଁ କଣ୍ଡୋମ୍ ପିନ୍ଧି ତା ବିଆରେବାଣ୍ଡ ପୁରେଇ ଗେଇହିଲିସେବିପଛ୍ହକୁଧକ୍କାମାରୁଥିଲାଆଊମୋବାଣ୍ଡତାପେଟପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ଯାଉଥିଲାଏଇସମୟରେମୁଁତାଗାଣ୍ଡୀରେଆଣ୍ଗୁଠିମାରିଗେଇହିଲିସେଆଃଆଃ କହୁଥିଲାଧିରେସେ ମୋ ବାଣ୍ଡକୁ ତା ବିଆରୁ ବାହାର କରି ଆଣିଲି ଆଉ ତା ଗାଣ୍ଡିରେଲଗେଇ ଦେଇ ଚିପିଲିସେବୋଉଲୋମରିଗଲିବୋଲିକହୁଥିଲାକିନ୍ତୁମନାକରୁନଥିଲାମୁଁଟିକେ ବଡ଼ି ଲୋସନ୍ ଲଗେଇ ଦେଇ ଯେମିତି ପ୍ରେସର୍ ଦେଇଛି ସେମିତି ମୋ ବାଣ୍ଡ ତାଗାଣ୍ଡିରେ ପଶିଗଲାତାପରେମୁଁନଇଁପଡ଼ିତାଦୁଧଦିଟାକୁଚିପିଲିକିନ୍ତୁଗେହୁନଥିଲିକିଛିସମୟପରେସେସାମାନ୍ୟହେଲା, ଏବଂ ମୁଁ ଧିରେ ଧିରେ ତା ଗାଣ୍ଡୀରେଗେହିଲିସେଆଃଆଃକରୁଥିଲା

ଦଶମିନିଟ ପରେ ପୁରା ଜୋରରେ ମୁଁ ତା ଗାଣ୍ଡୀରେ ମାରୁଥିଲି ଆଊ ସେ ଏଞ୍ଜୟ କରୁଥିଲାବଢିଆଲାଗୁଥିଲାତାବିଆଓଦାହେଇପାଣିବାହାରିଆସିଲାଖଟଉପରସବୁଓଦାହେଇଗଲାସେଲାଜ କରି କହିଲା, ଇସ୍ ତୁମ ଖଟ ଓଦା କରିଦେଲିମୁଁକହିଲି, ଭସେଇ ଦିଅସେକହିଲା, ନାଇଁ ମୋତେ ଲାଜ ଲାଗୁଛିମୁଁହସିଲିଆଉକହିଲି, ଆଜି ଯଦି ନ ଭସେଇବ ତୁମକୁ ଛାଡ଼ିବିନାଇଁସେଓଃଓଃଆଃଆଃଉଃଉଃକରୁଥିଲାମୁଁତାଗାଣ୍ଡିମାରୁଥିଲିକିଛିସମୟପରେତାକୁ ତଳେ ଚିତ୍ କରି ସୁଆଇ ଦେଇ ଅଣ୍ଟା ତଳେ ତକିଆ ଦେଇ ଗାଣ୍ଡୀ ଉପରକୁ ଉଠେଇ ପୁଣିଥରେବାଣ୍ଡପୁରେଇ ଗେଇହିନିସେବିହାଲିଆହେଉଥିବାଏବେଟିକେଆରମ୍ଲାଗିଲାଆଉସେମୋଗିହାଁ ଖାଉଥିଲାହାତରେମୁଂତାବିଆରେପୁରେଇସଲସଲକରୁଥିଲିଆଉତାକ୍ଲିତୋରିସ୍କୁ ଚିମୁଟିଦେବାପରେ ସେ ଆହୁରି ପାଣି ଲିକ୍ କଲାପୁରାପରିଶ୍ରାକରିପକେଇଲାଓଃଓଃକହୁଥିଲା ଆଉ ମୁଁ ଜୋର୍ ଜୋର୍ ରେ ଗେହୁଥିଲି

ତାପରେତାସାଇଡ଼ରେ ଶୋଇପଡ଼ି ପଛ ଆଡୁ ତା ଗାଣ୍ଡି ମାରିଲି ଆଉ ସେ ଗୋଟିଏ ଗୋଡ୍ ଉଠେଇ ଦେଇ ମୋଗିହାଁ ଖାଉଥିଲାପୁଣିକିଛିସମୟପରେତାକୁସିଧାଶୁଆଇଦେଇଗାଣ୍ଡିମାରିଲିଆଉମୋପୁରା ଲମ୍ବା ବାଣ୍ଡକୁ ତା ଗାଣ୍ଡିରେ ଶେଷ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ପୁରେଇ ଦେଲା ପରେ ସେ ଆଃଃଃଃଆଃଃଃଃ କହିଲା ଆଊ ପୁଣିଥରେ ପାଣି ଛାଡ଼ିଲା ଆଉ ସେ ଶାନ୍ତ ପଡ଼ିଗଲାମୁଅଁଜାଣିଲିସେଝଡ଼ିଲା, ମୁଁ ବି ନିଜେ ଆଉ ଅପେକ୍ଷା ନକରି ଜୋର୍ ଜୋର୍ ମାରିଲି ଆଉ ମୋ ପାଣିଛାଡ଼ିଦେଲି

ସେଖଟ ଉପରେ ପଡ଼ିରହିଲାମୁଅଁଉଠିଲିଆଉକଣ୍ଡୋମକୁନେଇଡଷ୍ଟବିନରେପକେଇଆସିଲିଟିଭିରେ ନ୍ୟୁଜ୍ ଦେଖୁଥିଲି, ସେତେବେଳକୁ ସାଢ଼େ ଚାରିଟା ହେଲାଣିଲିଲିତରବରରେ ଉଠିବାଥରୁମ ଚାଲିଗଲାମୁଁବିଗାମୁଛାଛାଡ଼ିଦେଇ, ହାଫ୍ ପ୍ୟାଣ୍ଟ୍ ପିନ୍ଧିଲି ଆଉ ଲିଲିବାଥରୁମରୁ ବାହାରିବାପରେ ଅଧଘଣ୍ଟା ତାକୁ ଲଙ୍ଗଳା କରି ରଖି ଖାଲି କିସ୍ସ୍ କଲି ଆଉ ଦୁଧଖାଈଲିସେକହୁଥିଲାମୋତେଛାଡ଼ିଦିଅ, ମୁଁ କିନ୍ତୁ ଛାଡିନଥିଲି, ଆଉ ଥରେ ମୋ ମୁହଁଉପରେ ବସ ମୋତେ ବିଆ ରସ ଦିଅ ବୋଲି କହିଲି, ସେ ସେମିତି କଲାଲାପଟପରେବ୍ଲୁଫିଲ୍ମ୍ଦେଖି ଦେଖି ସେ ମୋ ପାଟିରେ ତା ବିଆରସ ଛାଡ଼ିଦେଲାରସଝଡ଼ିଗଲାପରେସେଉଠିଗଲାଆଉଶୀଘ୍ର ଶୀଘ୍ର କପଡ଼ା ପିନ୍ଧି ଘରକୁ ଯିବାପାଇଁ ରେଡ଼ି ହେଇଗଲାତାକୁନେଇତାଘରେଛାଡ଼ି ଦେଇ ଆସିଲି


होने वाली साली ने धोखे से मेरा लण्ड चूसा (Hone Wali Sali Ne Dhokhe Se Mera Lund Chusa)

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यह कहानी मुझे मेरे एक ईमेल दोस्त ने भेजी थी, उसी के शब्दों में पेश कर रहा हूँ। कहानी अधूरी जरूर है पर मज़ा पूरा देती है।
मेरा नाम सुलेमान है और मैं हैदराबाद का रहने वाला हूँ।

मैं Bhauja का बहुत पुराना शैदाई हूँ लेकिन पता नहीं क्यों कभी यह तमन्ना नहीं हुई कि मैं अपनी काम क्रीड़ाओं के अनुभव आप सबके साथ साझा करूँ।
ज़िंदगी में अब सम्भोग भी कुछ और ही मायने रखता है.. इसका मज़ा ही कुछ और है और लोगों के कमेंट्स पढ़ कर सेक्स करने में और भी मज़ा आ जाएगा.. यही उम्मीद से मैं अपनी कहानी लिखना शुरू कर रहा हूँ।
यह कहानी मेरी और मेरी होने वाली साली जिसका नाम नौरा की है यानि मेरी माशूका आसिफा की बहन की है। यह कहानी कुछ ऐसी है कि मेरी साली नौरा धोखे से मेरा लण्ड चूसती है.. फिर उसके बाद तो मेरा पीछे हटने का सवाल ही नहीं था। जिसके मुँह में लण्ड दिया है.. उसकी चूत को चोदने में क्यों पीछे हटना?
नौरा ने मेरे से चुदवाने का निर्णय क्यों लिया.. मेरा लण्ड उसको क्यों पसंद आया.. मेरे लण्ड से चुदने के पीछे उसकी क्या सोच है.. वो सब आपको जैसे जैसे पढ़ेंगे समझ में आ जाएगा।
हाँ तो.. बात यह है कि मैं 23 साल का हूँ.. और मेरी माशूका आसिफा 20 साल की है और होने वाली साली नौरा है 22 साल की है।
मैंने और मेरी माशूका ने तो कभी सेक्स किया नहीं.. बस हम सेक्स चैट करते रहते है और उसी में खुद को संतुष्ट कर लेते हैं। कभी-कभी थोड़ा बहुत फोरप्ले भी हो जाता है.. मगर मेरी आसिफा के मना करने की वजह से हमने कभी सेक्स नहीं किया.. बस सेक्स चैट और फोरप्ले ही चलता रहता है।
मैं हमेशा से मेरी गर्ल-फ्रेण्ड को चुदाई करने के लिए आग्रह करता हूँ। जब वो नहीं मानती है तो कम से कम दोनों नंगे हो कर फोरप्ले कर लें.. इतना तो मान लेने के लिए कहता हूँ.. मगर वो कभी नहीं मानती है।
इस तरह हमारी मुहब्बत की गाड़ी चल रही थी।
बात नवबर 2012 की है.. हम लोग रात में हमेशा की तरह सेक्स चैट कर रहे थे। इस बार मैंने उसे अपने लण्ड के फोटो भेजे थे.. क्योंकि उसको मेरे लवड़े के फोटो देखने की ख्वाहिश थी… लेकिन मैंने पूरे नंगे लण्ड के नहीं भेजे.. बस आधा लण्ड नंगा और आधा कपड़े से छिपा कर ईमेल से फोटो भेजे।
आसिफा ने डाउनलोड किए.. फिर उसने भी अपने फोटो भेजे.. आधे नंगे।
हम दोनों ने खूब सेक्स-चैट की.. और आखिर में फोन पर एक साथ मुठ्ठ मारी तो वहीं पर मेरी माशूका आसिफा से एक ग़लती हो गई।
इन सब कामों में उस वक्त सुबह के 4 बज गए थे और जैसे ही हमारा पानी निकला था वो थक कर सो गई.. ना मैसेज डिलीट किए.. ना नंगे फोटो हटाए.. जो वो हमेशा डिलीट कर देती थी।
वो इस बार चूक गई और जैसे कि मुझे मेरी होने वाली साली नौरा ने बाद में बताया था कि वो मैसेज पढ़ने के बाद और लण्ड के फोटो देखने के बाद उसको मुझमें रूचि जगी।
वैसे तो नौरा का कहना था कि वो मुझे हमेशा रिझाने की कोशिश करती थी लेकिन कभी खुल कर सामने नहीं आती थी।
यह बात ऐसी ही थी.. ना मुझे पता था.. ना आसिफा को.. कि उसकी बड़ी बहन ने उसके ब्वॉय-फ्रेण्ड के नंगे लण्ड के फोटो देख लिए हैं और पूरी सेक्स चैट पढ़ ली है। बस यहीं ट्विस्ट आ गया..
अब नौरा का दीवानापन बढ़ने लगा था।
मैंने एक बार दिन में मेरी आसिफा को मैसेज किया- जान तुमको चोदने का मन कर रहा है.. घर पर आओ ना.. थोड़ा नंगे होकर फोरप्ले करेंगे!
तो उसने जबाव दिया- नहीं.. फोन पर ही करेंगे.. जो भी करना है।
फिर हम लोग सेक्स चैट करने लगे.. वो बोली- आज मैं सिर्फ़ तुम्हारा लण्ड चूसूंगी तुम बाद में चोदना.. पहले लण्ड चूसने दो। तुम्हारा 7.5” का लंड मुझे बहुत अच्छा लगता है।
मैंने तो समझा मेरी माशूका ही है.. मगर जब बाद में रहस्य खुला तो पता चला कि यह नौरा है.. आसिफा नहीं..
अब यह सब कैसा हुआ.. बड़ा ही दिलचस्प किस्सा है.. लड़कियाँ अपनी चूत सहलाते हुए पढ़ना और लण्ड वाले अपन लवड़ा हिलाना।
मैं तो आसिफा ही समझ कर जबाव देता जा रहा था और मुझे भी लण्ड चुसवाना बहुत पसंद है। मैं मजे लेकर मैसेज पर लौड़ा चुसवा रहा था.. तभी मुझसे रहा नहीं गया..
मैंने उससे कहा- आज एक बार रियल में चूस लो ना.. तुम बहुत अच्छा चूसती हो। मैं भी तुम्हारी चूत चाटूँगा.. मम्मे चूसूंगा.. और जैसा तुम चाहती हो.. तुम्हें चोदूँगा नहीं..
तो वो बोली- नहीं.. मैसेज पर जितना चाहो उताना मजा दे सकती हूँ… जैसा बोलो वैसा मज़ा दूँगी.. मगर रियल में नहीं..
मैंने बहुत मनाया.. बहुत मनाया और आश्चर्य.. वो मान गई..
उसने कहा- रात 10 बजे तक कोई आने वाला नहीं है.. तुम मेरे घर पर आ जाओ.. मगर मैं जैसा कह रही हूँ.. वैसा ही करना.. वैसा ही सुनना.. वरना प्लान कैंसिल..
मैं झट से मान गया। उस वक्त 2 बज रहे थे.. मैं तुरन्त नहा धो कर तैयार हो कर निकला और 4 बजे के करीब पहुँच गया।
पहुँचने के बाद नीचे से मैसेज किया कि गेट खोलो..
उसने कहा- गेट खुला ही है.. ऊपर दीवानखाने में आ जाओ और आते ही अपनी आँखों पर पट्टी बांध लेना.. एक सेकेंड के लिए भी पट्टी हटाई तो पूरा मज़ा चला जाएगा और मैं कुछ करूँगी भी नहीं… तुम वापस चले जाना.. अगर नहीं माने.. या चीटिंग की तो.. दोस्ती खत्म।
उसने यह भी कहा- तुम अपने हाथ जब तक इस्तेमाल नहीं करना.. जब तक मैं खुद तुम्हारे हाथ लेकर अपने जिस्म पर न लगाऊँ.. अगर मैं तुम्हारा हाथ लेकर अपनी चूत पर रखूँ.. तब तुम इसे हरा सिग्नल समझना कि अब हाथ लगा सकता हूँ सो इसके पहले हाथ नीचे ही रखना।
ऐसा उसने कहा तो मैं तो बस मूड में था, मैंने कहा- जो हुकुम आका..
मुझे तो आज इसके मुँह में लण्ड देना ही है.. इसकी चूचियों को मसल कर चूसना ही है.. चूत सहलाना ही है.. तो मैंने कहा- हाँ.. ठीक है। लेकिन पट्टी नहीं है.. तुम दीवानखाने में ओढ़नी रख दो।
मैंने ये लिख कर मैसेज किया और ऊपर गया.. तो अन्दर वाले सभी दरवाजे बंद थे। मैं घर के अन्दर नहीं जा सकता था.. सो बस मैं दीवानखाने में ही बैठ गया और उसको कॉल किया।
उसने कॉल कट किया और मैसेज में जबाव दिया- तुम पट्टी बांध कर खड़े हो जाओ.. बस 5 मिनट में आती हूँ.. और अब कॉल नहीं करना, मैं कपड़े बदल रही हूँ।
मैं बोला- ओके.. मुझे क्या प्राब्लम.. तुम आ जाओ बस..
मैं पट्टी बाँध कर यानि उसकी ओढ़नी बाँध कर खड़ा हो गया।
पाँच मिनट बाद दरवाज़ा खुला मैंने देख नहीं पाया.. क्यों कि आँख बन्द थीं.. बस धीमे से कहा- आ गया जान.. क्या सरप्राइज है डियर?
उसने कुछ नहीं कहा.. बस मेरे होंठों पर एक उंगली रखी यानि ये इशारा था कि बात ना करूँ।
लेकिन मुझे अजीब सा लगा.. मेरी माशूका आसिफा की हाइट 5’3” है और पहले भी हम एक दूसरे को छू चुके हैं। अब जो मेरे होंठों पर ऊँगली थी.. वो भी कुछ लंबी लग रही थी और गरम तो काफी थी.. खैर गरम तो कोई भी लड़की हो सकती है।
मैं भी खुश था.. तो अब वो नीचे मेरे जाँघों पर लण्ड के पास हाथ मलने लगी.. मुझे तो कुछ अलग ही महसूस हो रहा था।
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लड़कियों का नाजुक हाथ जैसा होता है ना.. वैसा ही महसूस हो रहा था।
हालांकि अपनी महबूबा की हथेलियों से.. ऊँगलियों से.. उसके स्पर्श से.. मैं वाक़िफ़ था.. लेकिन यह हाथ कुछ अलग सा लग रहा था।
मैं बोला- आज तुम्हारे हाथ अलग से क्यों लग रहे हैं?
उसके मुँह से आवाज़ निकली- शिश..ईईहह..
मैं समझ गया कि यह फिर चुप रहने को बोल रही है। मैं वैसा ही खड़ा रहा और वो अपने दोनों हाथों से मेरी जाँघों पर.. ज़िप के पास.. सहलाने लगी.. मेरा लौड़ा दबाने लगी.. और लण्ड झटका मारने लगा।
उसने मस्त सहलाया.. ऐसा जैसा वो मेरे लण्ड से बहुत प्यार करती हो। मज़ा तो ऐसा आ रहा था कि वो पट्टी हटा कर उसे जकड़ लूँ.. मगर मैं उसके सरप्राइज के खिलाफ नहीं जाना चाहता था।
धीरे-धीरे इस स्पर्श का मज़ा लेना चाहता था और फिर उसने मेरे होंठों पर चुम्बन किया। उसके चुम्बन करने से पहले जुबान से होंठों को चाटा.. फिर होंठ लगाए।
मैंने अपने हाथ उसके सर के पीछे रखे और अपने तरफ खींच कर और दबा कर चुम्बन किया। आहह.. क्या नरम-नरम होंठ थे.. मैंने उसके अधरों को अपने होंठों से खूब चूसा और उसके गालों पर हाथ रखा तो अजीब सी फीलिंग आई व चेहरे का शेप भी कुछ अलग सा लगा.. आसिफा का चेहरा कुछ भरा हुआ सा है उसका कद भी कम है और यह जिसके साथ मैं चूमा-चाटी कर रहा था वो कुछ पतली और लंबी सी लग रही थी। इसका चेहरा भी वी-शेप का था।
मैं अभी और उसके चेहरे का नापतौल करता उसने मेरे हाथ पर अपने हाथ रख कर उसे हटा दिया। उसने हाथ इसलिए हटा दिया क्योंकि यह उसकी शर्त के खिलाफ था।
उसने मैसेज से कहा था कि हाथ इस्तेमाल नहीं करना है।
मैं जोश में भूल गया था.. सो ‘सॉरी’ कहकर मैं मन ही मन में बोला- शायद पट्टी है और जोश में है बोल कर ऐसा लग रहा था।
फिर एक मस्त चुम्बन करने के बाद मैं बोला- जान तुमको नंगी देखना है.. पट्टी हटा दूँ?
उसने फिर से मेरे होंठों पर हाथ रख दिए।
मैं समझ गया कि फिर से मुझे रोक रही है। मैंने भी सोचा- जाने दो.. मुझे तो इसके जिस्म के मजे से मतलब है, मैं चुप खड़ा रहा फिर उसके हाथ मेरे लण्ड पर आ गए।
वो डर रही थी.. पर मसल रही थी। उसने अचानक बेल्ट खोला.. मैं मन में बोला कि आज तो यह लण्ड को नंगा देख ही लेगी.. मुझे बहुत खुशी हुई।
उसने मेरी ज़िप भी खोल दी.. पैन्ट नीचे गिरी.. मैंने पैर उठा कर पूरी पैन्ट निकाल दी। अब मैं सिर्फ़ अंडरवियर में था। वो मेरे लण्ड को अंडरवियर के ऊपर से ही दबा रही थी.. सहला रही थी। मेरे करीब आकर लौड़े को अपने जिस्म से भी लगाया और गाण्ड से भी सहला..
आह्ह.. क्या मजा आया.. मैं बता नहीं सकता हूँ.. मेरा लौड़ा इतना तन्ना चुका था.. ये मेरी कलम से नहीं लिख सकता हूँ।
फिर मैं बोला- जान तुम नंगी नहीं हुईं.. और मुझे तो अंडरवियर में कर दिया। तब उसने मेरे गालों को पकड़ा और मसला तो मैं समझा शायद वो मुझे नॉटी बोल रही है।
फिर उसके कपड़े उतरने की आवाज़ आई.. मैं खुश हो गया। कब ये पट्टी हटेगी कब मैं इसको नंगा देखूँगा.. उसके मम्मे बहुत पसंद हैं। मुझे मेरी गर्ल-फ्रेण्ड की गाण्ड भी बहुत मस्त है.. उसकी जाँघों पर हाथ फेर कर भी बहुत मज़ा आ रहा था।
मैं उसको देखने के लिए बस बेताब था.. अब वो मेरे लण्ड पर अपना शरीर लगा रही थी। वो सामने से चूत के ऊपर का हिस्सा मेरे लण्ड पर लगा रही थी और उसने मेरा टी-शर्ट भी निकाल दिया। अब मैं सिर्फ़ अंडरवियर में था और उसका जिस्म लगते मैं समझ गया वो भी सिर्फ़ ब्रा और पैन्टी में है।
क्या मज़ा आ रहा था.. हम दोनों के नंगे जिस्मों के मिलन का ये मंजर.. उफ़फ्फ़ वो बहुत गर्म गरम-गरम लग रही थी। उसका जिस्म.. आहह.. और बस वो उसकी चूत के ऊपर का हिस्सा.. मेरे लण्ड पर मसल रही थी।
साफ़ महसूस हो रहा था.. कि वो सिर्फ पैन्टी में ही है। फिर उसने गाण्ड भी मसली.. आआहह.. क्या कसी हुई गाण्ड थी.. उफफफ्फ़.. आअहह.. मजे की इंतेहा ही नहीं थी..
तभी ‘चट’ से उसकी ब्रा का हुक खुलने की आवज़ आई.. उसके बाद उसने पैन्टी भी उतारी और एक के बाद एक ब्रा और पैन्टी मेरे होंठों और नाक पर हल्का सा रख कर नाक और होंठों पर फेरा।
आआहाआ.. क्या जादुई महक थी.. मुआाहह.. उसकी नंगी चूत और मम्मे मुँह में ले कर बस उसे पागल कर दूँ.. उफ़फ्फ़ क्या मस्त महक थी यार..
मैंने उसकी पैन्टी को दांतों से पकड़ लिया उसकी चूत के पानी को सूँघ कर मैंने उससे कहा- ऐसे ही तुम्हारी नंगी चूत चाटना है..
मेरे ऐसा बोलते ही उसने मेरे लण्ड को मस्ती से दबा दिया। मुझे ऐसा लगा कि वो मेरा लण्ड पूरे जोश से और रज़ामंदी से दबा रही है।
मैंने कहा- मेरी नंगी जान.. यह मेरे हाथ अपने मस्त गरम नंगे जिस्म पर कब इस्तेमाल करने दोगी..
उसने फिर से मेरा लण्ड दबाया.. मुझे होंठों पर चुम्बन किया.. चाटा.. मस्त तरीके से प्यार से.. हवस से.. मेरा लण्ड सहला ही रही थी।
मैं बोला- मम्मे तो दो मेरे मुँह में..
उसने मेरे सर के पीछे हाथ किए.. सर के पीछे अपनी हथली रखी.. हम दोनों ही सीधे खड़े थे.. तब ही मेरा सर उसके सर से टकराया।
अब मैं तो परेशान हो गया कि इसका कद मेरे कद के बराबर नहीं है.. यह मेरी गर्ल-फ्रेण्ड जैसी क्यों नहीं लग रही है.. मुझे मेरी गर्ल-फ्रेण्ड का गुदांज पन महसूस क्यों नहीं हो रहा है.. ये कोई और लड़की है, ऐसी फीलिंग क्यों आ रही है।
यह कौन है.. मैं कुछ सोचता.. इससे पहले मेरे होंठों पर गोल-गोल नरम-नरम सा कुछ महसूस हुआ।
आअहह.. और उसका इसी पल उसका हाथ मेरे अंडरवियर के अन्दर लण्ड पर आ गया। उसने मेरा लण्ड पकड़ लिया और दबाने लगी।
मैंने महसूस किया कि मेरे होंठों पर उसके मम्मे थे.. आअहह.. क्या मस्त नरम नरम मम्मे.. आए हाए.. उसके निपल्स तो ऐसे मुलायम और बड़े कि जुबान को वहाँ से हटाने का ही मन ही नहीं कर रहा था।
मेरे लण्ड में से तो बस ‘प्री-कम’ का पानी निकल रहा था। मैं तो बस हवा में था.. मेरे पैर हिल रहे थे.. उसके मम्मे मुँह में थे.. उसके हाथ मेरे नंगे लण्ड पर थे.. आहह.. हाइईई.. फिर उसने अपने दूसरे हाथ से मेरा एक हाथ पकड़ा और उसकी गाण्ड पर रख दिया।
मैं उसकी गाण्ड को दबा रहा था.. बहुत मस्त थी.. एकदम गोल… वो मेरा लण्ड दबा रही थी और मेरी अंडरवियर को उसने दूसरे हाथ से जाँघों तक नीचे किया.. वो शायद मेरे नंगे लण्ड को देख रही थी और देखते ही देखते जोर-जोर से दबाने लगी थी।
उसने मेरा दूसरा हाथ अपनी टाँगों के बीच अपनी नंगी चूत पर रख दिया।
हायईई.. इतनी कच्ची चूत.. उउफ्फ.. पॉर्न वीडियोज में भी नहीं देखा होगा.. और इतनी गरम थी यार.. मैं तो बस आउट ऑफ कंट्रोल हो गया।
मैं जोश में बोला- पट्टी हटा दूँ?
उसने मेरा हाथ उसकी चूत पर और जोर दबाया.. उसके हाथ का दबाव पा कर मैं भी बस अपना हाथ उसकी चूत पर फिरा रहा था।
उसकी चूत पर थोड़े-थोड़े रेशमी बाल थे.. मुझे उसकी चूत मस्त लग रही थी। पहली बार गर्ल-फ्रेण्ड के हाथों में मेरा नंगा लण्ड था.. और साथ ही मेरा हाथ उसकी कच्ची व नंगी चूत पर था। मेरे मुँह में उसकी मस्त रसीली चूचियाँ थीं।
मैं बैचेन हो कर फिर बोला- पट्टी हटा दूँ?
वो अचानक मुझसे दूर हुई और नीचे मेरे नंगे लण्ड में उसने एक चुम्बन किया.. फिर अपने गुलाबी मुलायम होंठों को लवड़े पर रगड़ा..
आह्ह.. एकदम से मुँह में लेकर ‘हम्म’ कहा.. मैं समझा यह पट्टी हटाने का इशारा है। मेरे हाथ पट्टी हटाने के लिए मानो ऊपर उठ ही नहीं रहे थे। उसके मुँह में मेरा लण्ड था और वो मेरे लौड़े पर लगातार जुबान फिरा रही थी।
बस उसके सर पर हाथ रख कर उसे वहाँ ही रुके रहने देने को मन कर रहा था। उसके मुँह में ही हमेशा लण्ड रखे रहने देने का मन कर रहा था।
फिर किसी तरह मैंने पट्टी हटाई।
आआहह.. कहकर मैंने बगैर उसकी तरफ देखे सर ऊपर किया.. मेरी आँखें बंद थीं। मैं लंड चुसाई का मज़ा ले रहा था।
उसने अपनी जीभ मेरे लौड़े के दायें-बाएं घुमाई.. अपना मुँह हिलाया.. मेरा लण्ड मुँह में अन्दर तक रख कर ‘उम्म’ जैसी आवाज़ की और जोर से मेरी लण्ड की नोक पर उसकी जुबान महसूस हो रही थी।
अब मैंने देखने के वास्ते सर को नीचे झुकाया.. मैंने सोचा कि मेरी नंगी गर्ल-फ्रेण्ड को एक बार लण्ड चूसते हुए देखूँ तो सही..
मैं उसको पहली बार नंगी देखने जा रहा था.. जैसे ही आँखों की पट्टी हटाने के बाद उस पर नज़र नीचे गई..
या खुदा.. क़यामत.. मैं क्या देख रहा था?
यह मेरी 22 साला होने वाली साली नौरा है.. मेरे लण्ड को अपने मुँह में लेकर नंगी.. घुटनों पर है। मैंने उसके नंगे जिस्म से भी खेल लिया.. उसके मम्मे भी चूस लिए और चूत भी खूब सहला ली.. वो मेरा लण्ड अब भी मुँह से छोड़ ही नहीं रही थी।
मैं फ़ौरन पीछे को हटा.. तो उसने घुटनों पर ही बैठे-बैठे हाथ आगे किया और मेरा लण्ड हाथ में पकड़ कर बोली- आई लव योर डिक.. आई वांट यू टू फक मी..
मैं एकदम हक्का-बक्का था.. यह क्या हो गया?
इस सब के बाद अब आगे क्या हुआ.. यह जानना बहुत दिलचस्प है.. और आपको अभी सिर्फ इतना बता सकता हूँ कि नौरा का फिगर 36-25-36 है उसका कद 5’6” है और मेरी माशूका आसिफा का कद 5.3 है मैं उसका फिगर नहीं बोलना चाहता।
मैं आगे की कहानी आप सबके कमेंट्स और प्रतिक्रियाएं मिलने के बाद बाद में लिखूंगा..
आप सब मुझे अपना ही समझ कर बेझिझक.. बिंदास कमेंट्स भेज सकते हैं।

मुझे पहली बार जीजू ने चोदा (Mujhe Pahli Bar Jiju Ne Choda)

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मेरा नाम नाज़नीन है, आज मैं आपको अपनी कहानी सुनाने जा रही हूँ की कैसे मुझे मेरे जीवन का पहला लण्ड मिला और कैसे उसने मुझे पहली बार चोदा। यह घटना घटी तब मैं बीस साल की थी, शादी नहीं हुई थी।
अपने बारे में बता दूँ, पाँच फ़ीट चार इंच लम्बाई के साथ मेरा वजन है करीब 56 किलो, यानि कि मैं पतली लड़कियों में से तो नहीं हूँ, मेरा बदन भरा हुआ, मेरा रंग गोरा, बाल और आँखें काली हैं, चेहरा गोल है, ऊपर वाला होंठ जरा सा आगे उठा हुआ है और नीचे वाला मोटा है। मेरी सहेलियाँ कहती हैं कि मेरे होंठ बहुत चूमनीय हैं।
मेरे बदन में मेरा सबसे ज्यादा आकर्षक अंग है मेरे स्तन, जो मुझे देखता है उसकी नजर सबसे पहले मेरे स्तनों पर जम जाती है। 38 इन्च के मेरे उरोज एकदम गोल हैं, जरा भी झुके हुए नहीं हैं, मेरे स्तनाग्र छोटे हैं और बहुत संवेदनशील हैं।

मेरा पेट दबा हुआ है लेकिन नितम्ब भारी और पीछे को उभरे हुए हैं। मेरे हाथ पाँव चिकने और नाजुक हैं। अब रह गई मेरी चूत की बात… मेर चूत के बारे में मैं अभी नहीं बताऊँगी।
हुआ क्या कि मुझे अमदाबाद में MBA में प्रवेश मिला लेकिन रहने के लिये गर्ल होस्टल में तुरंत जगह ना मिल पाई। मुझे एक सेमेस्टर के लिये अपनी मौसेरी बहन फ़रज़ाना के घर रहना पड़ा। मैं आभारी हूँ अपनी बहन की जिसने मुझे आश्रय दिया और जिसकी वजह से मैंने अपने पहले orgasm का मज़ा लिया!
मैं फ़रज़ाना आपा के साथ रहने चली आई। उसके शौहर यानि मेरे जीजू डॉक्टर आदिल अमदाबाद में अपनी क्लिनिक चलाते थे। वो आपा की फूफी के लड़के ही थे। आपा भी एक कम्पनी में जॉब करती थी।
आपा और जीजू सेक्स के बारे में एकदम खुले विचारों के थे। आपा ने खुद मुझे कहा था कि कैसे आदिल के एक दोस्त सचिन को लण्ड खड़ा ना हो पाने की कुछ बिमारी थी और इलाज के जरिये कैसे आपा ने सचिन से चुदावाया था। अपने शौहर के सिवाये ग़ैर मर्द का वो पहला लण्ड था जो आपा ने लिया था। उसके बाद आपा ने अपने बॉस पर तरस खाकर उससे भी चुदवा लिया था।
उसके बाद आपा और जीजू का कुछ लोगों के साथ एक ग्रुप बन गया था जो अक्सर ग्रुप चुदाई करते थे। नए मेंबर को पूरी छानबीन के बाद ही ग्रुप में शामिल किया जाता था।
शुरू शुरू में शर्म के मारे मैं आपा और जीजू से दूर रही, ज्यादा बात भी नहीं करती थी। जीजू हर रोज मेरे उरोजों के साइज़ का अंदाज़ लगाते थे लेकिन कभी उन्होंने छेड़छाड़ नहीं की थी।
आपा धीरे धीरे मेरे साथ बातें बढ़ाने लगी और कभी कभी सेक्सी नॉन वेज जोक्स भी सुनाने लगी। ऐसे ही एक मौक़े पर आपा ने मुझे बताया था कि चुदाई के बारे में उनकी क्या सोच है।
एक दिन कालेज जल्दी छूट गया और मैं जल्दी घर आ पहुँची। दोपहर को घर पर कोई होगा यह मैंने सोचा नहीं था। मेरे पास चाबी थी, दरवाजा खोल कर मैं अन्दर गई, लॉबी के दरवाजे में ही मेरे कदम रुक गए, जो नजारा मेरे सामने था उसे देख कर मैं हिल ही ना पाई।
यह कहानी आप Bhauja डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
सोफ़े पर जीजू लेटे थे, उनके पैर जमीन पर थे, पैंट नीचे सरकी हुई थी, पूरी हलफ़ नंगी आपा उनकी जांघों पर सवार थी, जीजू का लण्ड आपा की चूत में फंसा हुआ दिख रहा था, आपा अपने चूतड़ उठा-गिरा कर लण्ड चूत में अन्दर बाहर कर रही थी। जब आपा के कूल्हे ऊपर उठाते थे तब जीजू का मोटा सा लम्बा सा लण्ड साफ दिखाई दे रहा था, जब कूल्हे नीचे गिरते थे तब पूरा लण्ड आपा की चूत में घुस जाता था।
आपा के चूचे जीजू के मुँह पास थे और मेरे ख्याल से जीजू उन्हें चूस भी रहे थे। मैंने ऐसा खेल कभी देखा नहीं था. मेरा दिल धक धक करने लगा, बदन पर पसीना आ गया और चूत ने पानी बहा दिया।
इतने में जीजू ने मुझे देख लिया।
चुदाई की रफ्तार चालू रखते हुए वो बोले- अरे नाज़नीन, कब आई? आ जा आ जा, शरमा मत !
मैं तुरंत होश में आई और भाग कर अपने कमरे में चली गई।
दूसरे दीन जीजू क्लिनिक पर गए तब मैंने आपा से कहा- आपा मुझे माफ़ कर देना, मैं अनजाने में आ पहुंची थी, मुझे पता नहीं था कि जीजू और आप उस वक्त घर पर होंगे और आप दोनों…!!
आपा ने मुझे आश्वस्त किया कि कुछ गलत नहीं हुआ था, वो बोली- देख नाज़नीन, सेक्स के बारे में हम बिल्कुल खुले विचारों के हैं, चोदने चुदवाने से हम कोई परहेज नहीं रखते हैं, हम दोनों बीच समझौता भी हुआ है कि तेरे जीजू किसी भी लड़की को चोद सकते हैं और मैं किसी भी मनपसंद मर्द से चुदवा सकती हूँ। लेकिन हर ऐरे ग़ैरे के साथ हम चुदाई नहीं करते, हमारा एक छोटा सा ग्रुप है जिसके मेम्बर्स आपस में ग्रुप सेक्स करते हैं।
मुझे यह सुन कर बहुत हैरानी हुई, मैंने पूछा- तो तुमने जीजू के अलावा और किसी से भी..?
आपा- हाँ, चुदावाया है, और तेरे जीजू ने दूसरी दो लड़कियों को चोदा भी है।
मैं- आपके ग्रुप में कोई भी शामिल हो सकता है?
आपा- नहीं… आने वाला मर्द या लड़की सबको मंजूर होना चाहिए, ज्यादातर हम जाने पहचाने लोगों को ही लेते हैं।
मैं- मैं पूछ सकती हूँ कि कौन कौन है आपके ग्रुप में?
आपा- अभी नहीं, वक्त आने पर बता दूँगी।
मैं- किसने ग्रुप शुरू किया और कैसे?
आपा- आदिल के एक दोस्त को लण्ड खड़ा ना होने की बीमारी थी, उसी के इलाज के लिए मैंने उससे चुदवाया, आदिल वहाँ मौजूद थे, दोस्त के बाद तुरंत आदिल ने मुझे चोदा, उनको और ज्यादा मजा आया, वो कहने लगे कि दूसरे लण्ड से चुदी हुई चूत को चोदने में और ज्यादा मजा आया। उनके दोस्त ने वचन दिया कि वो ऐसी लड़की से शादी करेगा जो आदिल से चुदवाने तैयार हो। ऐसी मिल भी गई और उनकी शादी भी हो गई. वचन के मुताबिक दोस्त की बीवी ने आदिल से चुदवाया। उस वक्त मैं और वो दोस्त भी मौजूद थे, हमने भी मस्त चुदाई कर ली। बाद में दूसरे दो कपल और शामिल हुए।
मैं- एक बात पूछूं?
आपा- क्या?
मैं- जिसे आप लोग orgasm कहते हैं, वो क्या होता है?
आपा- orgasm तो महसूस किया जाता है, दुनिया का सबसे बड़ा मज़ा तो बस orgasm में है। कई लोग उसे परम आनन्द कहते हैं तो कई लोग उसे ज़न्नत कहते हैं। orgasm के दौरान व्यकति अपने आप को भूल जाता है और बस आनन्द ही आनन्द का अनुभव होता है।
मैं- हर च… चु. चुदाई के वक्त orgasm होता है?
आपा- ना… ना… औरत को हर बार नहीं भी होता पर मर्द को होता है, उस वक्त लण्ड से वीर्य की पिचाकरियाँ छूटती है। लड़की को ना भी हो, एक बार हो, या एक से ज्यादा भी हो! चोदने वाला मर्द सही तकनीक जानता हो तो लड़की को एक बार की चुदाई में दो या तीन orgasm दे सकता है।
मैं- इस मामले में जीजू कैसे हैं?
आपा- बहुत अच्छे!
मैं- आप लोग रोज रोज..?
आपा- हाँ, तुम्हारे जीजू रोज मुझे चोदते हैं, कम से कम एक orgasm होने तक, कभी कभी दो orgasm भी करवाते हैं। तूने अब तक चुदावाया नहीं है क्या?
मैं- नहीं!
आपा- वहाँ अपनी चूत में उंगली करती हो?
मैं- हाँ !
आपा- मज़ा आता है?
मैं- जब जब वो छोटे दाने से touch होता है ना!
आपा- वो छोटे दाने को clitoris क्लिटोरिस कहते हैं… आदमी के लण्ड मुकाबले का अंग है वो.. अच्छी तरह उसको उत्तेजित करने से orgasm होता है! अच्छा अब छोड़ ये बातें, साफ साफ बता, अपनी चूत चुदवा कर मज़ा लेना है अपने जीजू से?
आपा की बात सुनते ही मैं शरमा गई जीजू का लण्ड याद आ गया, तुरंत मेरी चूत ने संकोचन किया और मेरी क्लिट ने सर उठाया, चूचियाँ भारी होने लगी, मैं कुछ बोल ना सकी।
आपा मेरे पास आई, मेरे स्तन थाम कर बोली- तूने पैड वाली ब्रा तो नहीं पहनी है ना? कितने अच्छे है तेरे चूचे… तेरे जीजू कहते हैं कि ऐसे चूचे बनाने के लिये तूने काफी चुदाई करवाई होगी।
मैं- आपा, मैं तो मोटी हूँ, कौन पसंद करेगा मुझे? सब लोग पतली लड़कियाँ चाहते हैं।
आपा- अरे, थोड़ी सी मोटी हो तो क्या हुआ? खूबसूरत तो हो, कोई ना कोई मिल जाएगा… चुदवाने की इच्छा हो तो बोल, मैं आदिल से बात करुँगी।
मैंने अपनी गर्दन झुका कर धीमी आवाज से हाँ कह दी।
उस शाम खाना खाते समय मैं जीजू से नजर नहीं मिला सकी पर वो तो बेशर्म थे, बोले- क्या ख्याल है साली जी? पसंद आया मेरा लण्ड?
आपा- आदिल, छोड़िये बेचारी को, बहुत शरमाती है! अब तक उसने लण्ड नहीं लिया है।
जीजू- अच्छा, तब तो कंवारी है, ऐसा क्या?
आपा- हाँ, ऐसा ही है।
जीजू- अरे वाह नाज़नीन, तो तुम अपने जीजू को अपनी अनछुई चूत का तोहफ़ा दे रही हो?
मैंने तो शर के मारे अपना सर एकदम नीचे झुका लिया।
जीजू- शर्म आ रही है? तेरे जैसी खूबसूरत साली को चोदने से कौन मूर्ख रुक सकता है? तो हो जाए अभी?
जीजू ने मेरी ठुड्डी को पकड़ कर मेरा चेहरा ऊपर को किया।
मेरे होंठों की मुस्कान को मैं रोक ना सकी और जीजू से छिपा ना सकी। जीजू उठ कर मेरी कुर्सी के पीछे आये, मेरे कन्धों पर हाथ रख कर आगे झुके और मेरे गाल पर बोसे लेने लगे।
मुझे गुदगुदी होने लगी, मैं छटपटा गई।
आपा बोली- तुम दोनों बेडरूम में चले जाओ, मैं भी बस आती हूँ।
जीजू मेरा हाथ पकड़ कर बेडरूम में पलंग पर ले गए, मुझे बहुत शर्म आ रही थी लेकिन जीजू का लण्ड याद आते ही उनसे चुदवाने की इच्छा जोर पकड़ लेती थी। जीजू ने मुझे नाइट ड्रेस पजामा और नाइटी पहनने को दी और खुद भी पहन ली।
जीजू अपने पाँव लंबे करके पलंग पर बैठे और मुझे अपनी गोद में बिठाया, मेरे पाँव भी लंबे रख दिए। मेरी पीठ उनके सीने से लगी हुई थी, उनके हाथ मेरी क़मर से लिपट कर पेट तक पहुंच गए, मेरा चेहरा घुमा कर उसने मेरे लबों पर चुम्बन किया।
फ्रेंच किस का मुझे कोई अनुभव ना था, क्या करना है, वो मुझे पता ना था। मैं होंठ बंद किए बैठी रही, उन्होंने जीभ से मेरे होंठ चाटे और जीभ मुँह में डालने का प्रयास किया, मैंने मुँह खोला नहीं, उन्होंने मेरा नीचे वाला होंठ अपने होंठों बीच लेकर चूसा, मेरे बदन में झुरझुरी फ़ैल गई और मेरी दोनों निप्पल और क्लिट खड़ी होने लगी।
पेट पर से उनका हाथ मेरे वक्ष पर आ गया, मैंने अपने हाथों की चौकड़ी बना कर अपनी छाती ढक रखी थी, मेरा हाथ हटा कर जीजू ने मेरे उरोज थाम लिये और नाइटी के ऊपर से सहलाने लगे, बोले- नाज़नीन, तेरे चूचे तो बहुत बड़े हैं, और सख्त भी हैं।
मैं कुछ बोली नहीं, उनके हाथ पर हाथ रख दिए लेकिन हटाया नहीं। कुछ देर तक स्तन सहलाने के बाद उन्होंने मेरी नाईटी के हुक खोल दिये। मुझे शर्म आती थी इसलिये मैंने नाईटी के पल्लुओं को पकड़ कर रखा, हटाने नहीं दिया।
वो फ़िर से मेरे लबों पर किस करने लगे, तो मैं भूल गई और उन्होंने मेरी नाईटी पूरी खोल दी, जैसे ही उन्होंने मेरा नंगा चूचा हथेली में लिया, उनकी उंगलियाँ छूते ही वो कड़ी हो गई और बिजली का करंट वहीं से निकल कर मेरी चूत तक दौड़ गया, मेरी चूत ने रस बहाना शुरू कर दिया।
उनका एक हाथ अब फ़िर से पेट पर उतर आया और पेट पर से जांघ पर चला गया. मेरी दाहिनी जांघ उन्होंने ऊपर उठाई, जांघ के पिछले हिस्से पर उनका हाथ फिसलने लगा, घुटने से लेकर ऊपर चूत तक जीजू ने मेरी जांघ सहलाई लेकिन चूत के बीच में छुआ नहीं।
लबों पर चुम्बन करते हुए उन्होंने दूसरे हाथ से मेरा पजामा सरका दिया।
मैं इतनी उत्तेजित हो गई थी कि मैंने पजामा उतरने में कोई विरोध नहीं किया बल्कि कूल्हे उठा कर सहयोग दिया।
अब उनका हाथ मेरी नंगी जांघ का पिछला हिस्सा सहलाने लगा, दूसरा हाथ चूत पर लग गया। उनकी उंगलियों ने मेरी क्लिट ढूंढ ली, दूसरे हाथ ने चूत का मुँह खोज लिया, एक साथ क्लिट सहलाई और चूत में दो उंगलियाँ भी डाली।
जीजू की उत्तेजना भी कुछ कम नहीं थी, उनका बड़ा लण्ड कब का मेरे चूतरों की दरार में सैट गया था, लण्ड कामरस बहा रहा था, इससे मेरे नितम्ब गीले हो चुके थे। एक ओर मेरी चूत ने फटके मारने शुरू किए तो दूसरी ओर लण्ड ठुमका लेने लगा।
जीजू ने चुम्बन तोड़ा, मुझे थोड़ा अलग किया और अपना पाजामा उतार दिया। झटपट उन्होंने कॉन्डोम पहन लिया। एक हाथ से लण्ड सीधा पकड़ रख के उन्होंने मेरे कूल्हे ऐसे रख दिये की लण्ड का मत्था मेरी चूत में घुस गया। मैंने हौले से चूतड़ नीचे किए, आसानी से जीजू का पूरा लण्ड मेरी चूत में घुस गया। मुझे हल्का सा ही दर्द हुआ और मैं पीछे की ओर ढल कर उनके सीने पर लेट गई, अपने कूल्हे हिला कर हल्के धक्के से वो मुझे चोदने लगे, साथ साथ उनकी उंगली मेरा दाना सहलाती रही।
इस पोजिशन में थोड़ा सा ही लण्ड चूत में आ जा सकता था इसलिये उन्होंने मुझे धकेल कर आगे झुका दिया और चारों पैर पर कर दिया, वो पीछे से ऊपर चढ़ गए, अब जीजू को क़मर हिलाने की जगह मिल गई, लंबे धक्कों से वो मुझे चोदने लगे, पूरा लण्ड बाहर खींच कर वो एक झटके से चूत में घुसेड़ने लगे, मेरी योनि की दीवारें लण्ड से चिपक गई थी।
थोड़ी ही देर में धक्के की रफ्तार बढ़ने लगी, आगे झुक कर उन्होंने मेरे स्तन थाम लिये और चोदते चले गये। मुझे बहुत मजा आ रहा था, मैंने मेरा सिर पलंग पर रख दिया था।
इतने में जीजू जोर से मुझ से लिपट गए, लण्ड चूत की गहराई में घुसेड़ दिया और पांच सात पिचकारियाँ मार कर झड़ गए। उनके लण्ड ने ठुमक ठुमक ठुनके लगाये और मेरी चूत में कुछ फटके हुए, बहुत मजा आया।
लण्ड निकाल कर जीजू मेरे ऊपर से उतर गए।
इतने में आपा आ गई, उन्होंने पूछा- आया ना मजा?
मैंने सर झुका दिया।
जीजू बोले- छोटा orgasm हुआ नाज़नीन को… तुम कुछ करना चाहती हो?
आपा- ना, अभी नहीं… मेरी राय है कि इसे लण्ड से ही पक्का orgasm करवाना चाहिए।
जीजू- तो कल हम सचिन के घर जा रहे हैं, नाज़नीन को भी ले जायेंगे, ग्रुप में अच्छा रहेगा. क्या कहती हो नाज़नीन? चलोगी ना?
आपा- वहाँ दूसरे दोस्त भी आएंगे और ग्रुप चुदाई करेंगे, मजा आएगा… नाज़नीन है ना?
मैं- मैंने कभी ऐसा किया नहीं है।
मैंने मना कर दिया और जब तक मैं अमदाबाद में रही, आप और जीजू के साथ उनके बेडरूम में ही सोती थी!
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