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Channel: ଭାଉଜ ଡଟ କମ - Odia Sex Story
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लैपटॉप ने चूत चुदाई का सपना किया पूरा

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दोस्तो, मेरा नाम राज है, दिल्ली में रहता हूँ।

मैं BHAUJA का नियमित पाठक हूँ और इसी वजह से आज मैं अपनी आपबीती आप लोगों को सुनाना चाहता हूँ।
जैसा कि आप लोग जानते हैं, दिल्ली शहर दिल वालों का शहर है, अगर आपके दिल में किसी चीज़ की चाहत है तो आप थोड़ी सी मेहनत कर उसे आसानी से पा सकते हैं। ऐसा ही मेरे साथ भी हुआ..
अब मैं सीधे कहानी पर आता हूँ।
बात उन दिनों की है जब मैं शुरू शुरू में दिल्ली आया था, मैंने कॉलेज में एडमिशन लिया और एक कमरा किराये पर ले लिया। उस घर में एक जवान लड़की भी थी, पर उसकी फिगर में कुछ कमियाँ थी जैसे उसके चूचे बहुत छोटे छोटे थे, चूतड़ भी बहुत छोटे थे।
पहले पहले तो मैंने सोचा कि इसमें कुछ ख़ास नहीं है पर फिर मैंने सोचा कि बनी बनाई बिल्डिंग में तो कोई भी रह सकता है पर खुद बिल्डिंग बना कर रहने का मज़ा ही कुछ और है।
तो मैंने मन ही मन में उसकी चूचियाँ और चूतड़ बड़े करने की जिम्मेदारी ले ली और बात शुरू हुई लैपटॉप से!
मैं अकसर लैपटॉप पर काम करता रहता था, वो अकसर मुझे लैपटॉप पर काम करते हुए देखती, उसका भी मन लैपटॉप चलाने का करता और आखिर एक दिन मैंने उससे पूछ लिया- क्या तुम्हें लैपटॉप चलाना आता है?
उसने शरमाते हुए कहा- नहीं..
मेरे तो जैसे दिल की तमन्ना पूरी हो गई पर मैंने उसको देखते हुए कहा- क्या सच में तुम्हें कंप्यूटर चलाना नहीं आता?
मैंने खुश होते हुए कहा- कोई बात नहीं, मैं सिखा दूँगा।
उसके बाद तो मुझे जैसे ही मौका मिला मैं उसके कमरे में पहुँच जाता लेकिन शुरुआत में वो थोड़ा शरमाती!
फ़िर एक दिन जब घर पर कोई नहीं था, मैं कॉलेज से जल्दी आ गया और जैसे ही मुझे पता चला कि घर पर कोई नहीं है मेरी तो ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा.. मैं लैपटॉप लेकर उसके पास पहुँच गया और उससे कहा- आज तक जो तुमने सीखा है वो मुझे बताओ!
उस समय मैं लैपटॉप के साथ माउस नहीं ले गया था क्योंकि वो टचपेड सही तरह से इस्तेमाल नहीं कर पाती थी तो मुझे उसको छूने का बहाना मिल गया।
उसने लैपटॉप चालू किया लेकिन वो टचपेड सही से नहीं चला पा रही थी और यह मेरी सफलता का पहला कदम था, मैंने उसका हाथ पकड़ कर उसको टचपेड चलवाया, उसके बदन की खुशबू मानो मुझे मदहोश किये जा रही थी, मेरा मुंह उसकी गर्दन क पास था और उसकी गर्दन इतनी गोरी और मुलायम थी जैसे कोई रेशम का कपड़ा!
मैंने उसको किस करने की कोशिश की और उसको जैसे ही यह एहसास हुआ, वो उठ कर बाहर चली गई।
मुझे लगा कि वो मुझसे नाराज़ हो गई, मैंने लैपटॉप बंद किया और उससे सॉरी बोलते हुए अपने कमरे में आकर लेट गया, मुझे लगा वो कही अपने घर वालों से ना कह दे इसी वजह से कुछ दिनों तक मैं उसके आस पास नहीं गया।
फिर अचानक एक दिन वो मेरे पास आई और बोली- आपने मुझे सिखाने के लिए कहा था पर आप तो आते नहीं, इसलिए मैं खुद आ गई आपके पास!
अब तो मुझे सिग्नल मिल गया था कि वो भी चुदना चाहती थी। फिर क्या था, मेरा तो मन हुआ कि उसको अभी चोद दूँ पर मैंने खुद को कण्ट्रोल करते हुए कहा- कल से सिखाऊंगा, आज बिजी हूँ।
और वो बिना कुछ बोले वापिस चली गई।
अगले दिन में लैपटॉप लेकर उसके पास पहुँचा, वो बेड पर लेटी हुई थी, मुझे देख कर वो उठ कर बैठ गई, मैंने उसको लैपटॉप चालु करने के लिए कहा, वो मेरे पास आकर बैठ गई और लैपटॉप ओन करने लगी।
कुछ देर सिखाने के बाद मैंने कहा- मेरी तबियत ठीक नहीं है, तुम लैपटॉप चलाओ, मैं सोने जा रहा हूँ।
मैं जैसे ही उठा, उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- आप यही बेड पर लेट जाओ और अगर मुझसे कुछ गलती होती है तो मुझे बता देना!
मैं उसके पास बेड पर ही लेट गया और वो लैपटॉप चलाने में लगी हुई थी।
मैंने सोने का नाटक शुरू कर दिया और अपना हाथ धीरे धीरे उसके पैरों की तरफ बढ़ाना शुरू कर दिया।
जैसे ही मेरा हाथ उसके पैरों तक पहुंचा, उसने मेरा हाथ हटा दिया, उसे लगा कि मैं सो रहा हूँ।
थोड़ी देर में वो भी थक कर लेट गई अब तो मेरा हाथ उसकी चूचियों पर पहुँचना शुरू हो गया। एक दो बार हटाने के बाद भी जब मैं नहीं माना तो उसने कोशिश करनी छोड़ दी।
अब मैं जगा तो देखा मेरा हाथ उसकी चूचियो पर था, वो शर्मा गई लेकिन इससे पहले कि वो बाहर जाती, मैंने उसको पकड़ कर उसके होठों पर होंठ रख कर उसको तेजी से चूमना शुरू कर दिया।
अब वो भी मेरा साथ देने लगी थी, शायद चूचियों को छूने से उसके अन्दर भी भावनाएँ जग चुकी थी, उसकी सांसें बहुत तेजी से चल रही थी। अब मेरा हाथ उसकी चूचियों से सरकता हुआ उसकी मखमली चूत की तरफ बढ़ रहा था, उसकी चूत में से पानी निकल चुका था, उसने पैंटी नहीं पहनी हुई थी इसलिए मैं बहुत आराम से सब महसूस कर सकता था।
मैंने तेजी से उसकी चूत को मसलना शुरू किया और उसकी सांसों की आवाज़ सिसकारियों में बदलने लगी।
यह कहानी आप BHAUJA डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
अब मैंने उसके कपड़े उतरने शुरू किये, जैसे ही मैंने उसका टॉप उतारा, उसकी गुलाबी छोटी छोटी चूचियों को देख कर मैं दंग रह गया, मन करा कि उसकी चूचियों को काट कर खा जाऊँ!
फिर मैंने उसकी चूचियों पर जीभ फेरनी शुरू की, वो तरह तरह की आवाज निकालने लगी थी पर मैं उसकी जवानी के पूरे मजे लेना चाहता था इसलिए उसको तड़पाता रहा।
आखिर में उसने मेरा पायजामा उतार दिया।
अब मेरा लंड देख कर वो पागल सी हो गई।
मैंने उसको अपना लंड चुसाना चाहा पर एक दो बार चूसने के बाद उसने चूसने से मना कर दिया।
अब बारी थी उसकी चूत को फाड़ने की… मेरा लंड चूत से लड़ने को बेताब हुआ जा रहा था तो उसके कपड़ों को उतारने के बाद मुझसे भी कण्ट्रोल नहीं हो रहा था इसलिए मैंने अपने लंड का सुपारा उसकी गुलाबी रोयेंदार चूत पर टिका दिया और एक ऐसा झटका मारा कि उसकी चूत में से खून क साथ साथ उसकी चीख निकल गई, वो लंड को बाहर निकालने की कोशिश करने लगी।
मगर मैं इतनी जल्दी कहाँ हार मानने वाला था, मैंने उसको चूमना चाटना शुरू कर दिया ताकि उसकी चीख न निकले और उसको खून निकलने का पता भी न चले!
कुछ देर बाद जब उसका दर्द कम हुआ तो मैंने फिर से चुदाई के झटके मारने शुरू किये, अब उसको भी मजा आने लगा था, वो भी मेरा साथ देने लगी थी, उसकी तरह तरह की आवाज़ें आअह्ह्ह उह्ह्ह ह्हह्ह… जोर से करो जानू… अह्ह्ह उफ्फ्फ फ्फ्फ्फ़… जैसे मेरे जोशीले झटको को दो गुना कर रही थी।
हमने काफी देर तक चुदाई की और पसीने में लथपथ हो गये और काफी देर तक ऐसे ही एक दूसरे से उलझे पड़े रहे मैं उसकी चूचियों से खेलता रहा, कभी हाथों से दबाता तो कभी जीभ फेरता चूचियों पर…
लेकिन उसको जैसे ही पता चला कि उसकी चूत से खून निकला है, उसने रोना शुरू कर दिया।
काफी समझाने के बाद उसको समझ आया और हमने एक बार फ़िर से चुदाई का आनन्द उठाया..
इसके बाद हमें जब भी मौका मिलता, हम चुदाई के मजे लेते, कभी नहाते समय तो कभी सोते समय…
मैंने तरह तरह से उसकी चुदाई की और अब जब उसकी शादी हो चुकी है, फिर भी जब भी मौका मिलता है चुदाई के लिए तैयार रहता हूँ।
आज उसकी फिगर 32-28-34 हो चुकी है और उसकी इस सेक्सी फिगर को देख कर बुड्डे भी जवानी के सागर में डूब जाते हैं जिसका श्रेय मुझे जाता है..
दोस्तो, यह कोई कहानी नहीं, यह मेरी पहली चुदाई की आपबीती है जो सिर्फ लैपटॉप की वजह से हुई!
आगे भी मेरे साथ चूत चुदाई की बहुत से घटनायें हुई, जिन्हें मैं अगली बार सुनाऊँगा।
तब तक के लिए विदा चाहूँगा…

जीजा ने मेरा जिस्म जगाया (JIJA NE MAERA JISM JAGAYA)

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मेरा नाम नीना है, मैं बी.सी.ए की छात्रा हूँ, मेरा काम कंप्यूटर से जुड़ा है, मैं पाँच फुट पाँच इंच लंबी हूँ, सेक्सी हूँ जवान हूँ, जवानी मुझ पर जल्दी आ गई, रहती कसर मेरे सगे जीजू ने पूरी कर दी।

हम तीन बहने हैं, मैं नंबर तीन की हूँ, कोई भाई नहीं है, दोनों बहनें शादीशुदा हैं, उनकी शादी के बाद मैं अकेली और लाडली बन गई। हम रहते तो शहर में थे मगर गाँव में हमारी काफी ज़मीन है, दादा-दादी गाँव में रहकर नौकर चाकरों पर नज़र रखते हैं, पापा सुबह गाँव जाते, शाम को लौटकर आते।
मेरे बड़े जीजा की उम्र होगी बयालीस साल की, लेकिन उनके पुरुष अंग में जो दम अभी है वो सिर्फ मैं बता सकती हूँ, या वो बिस्तर जिस पर को किसी लड़की को चोदते होंगे।
वो अक्सर हमारे यहाँ आते रहते थे, उनका कपड़े का व्यापार है, वो माल लेने के लिए दिल्ली और लुधियाना अक्सर आते जाते थे।
बात तब से शुरु हुई जब मैं अठरह की हुई, शीशे में अपने नाज़ुक कूल्हे, सफेद मलाई की तरह चिकने दूध और जांघें देख अपने पर आते तूफ़ान का अंदाजा होता। जीजा का मेरे साथ काफी हंसी मज़ाक चलता था, वो मुझसे इतने बड़े थे कि किसी ने सपने में भी ना सोचा होगा कि कभी हमारे जिस्म मिल सकते हैं।
जीजू जब आते उनकी नज़र मेरे उभारों पर रुकने लगती, उनकी आँखों में वासना रहने लगी, कभी आँख दबा देते तो मैं शर्म से लाल गाल लेकर वहाँ से भाग जाती थी। तब वो मेरी देह को आँखों से जगाने लगे इशारों से जगाने लगे।
नतीजा यह हुआ कि मेरे पाँव उनके फिसलाने से पहले ही बाहर फिसलने लगे। हमारे ही घर के पास सतीश का घर था, उसके बाप का बहुत बड़ा कारोबार था, आये दिन उसके नीचे कोई नई कार होती, जब उसके घर के आगे से गुज़रती उसकी शैतानी नज़रों से मेरी नज़र एक बार मिलती पर मैं चेहरा नीचे कर चल आती। उसने मेरा छुट्टी का समय नोट किया हुआ था। चाहती तो मैं भी उसे थी, बस मोहल्ले के डर से एक कदम आगे नहीं बढ़ा पाती थी, उसका बड़ा भाई अमेरिका में था उसके माँ पापा कभी भारत, कभी अमेरिका में रहते थे।
उन दिनों वो अकेला रहता, खूब ऐश परस्ती करता। उधर जीजा ने खुद को नहीं रोका, वासना भरी आँखों से जब मुझे देखता मेरे अंदर अजीब सी हलचल होने लगती।
एक दिन उसने ऐसे हालात बना कर मुझे बाँहों में कस लिया, मुझे सहेली की बर्थडे पार्टी में जाना था, मैंने दीदी का सेक्सी सा सूट मांगा, पहन कर तैयार हो रही थी उनके ही कमरे में ! दीदी मम्मी के साथ मार्केट गई थी, जीजा ने मुझे पीछे से बाँहों में दबोच सीधा हाथ मेरे बगलों के नीचे से मेरे दोनों मम्मों पर रख मसल दिए, ब्लोए- मोना डार्लिंग, आज मेरा मूड है !
कह मेरी गर्दन पर होंठ लगा दिए।
मैं सिसकार पड़ी- जीजा, क्या कर रहे हो?
जीजा ने मुझे छोड़ा- सॉरी, मुझे लगा तेरी दीदी है, यह उसका सूट है।
जीजा के हाथ मम्मों से नीचे चले गए थे, अचानक बोले- खैर साली भी आधी घरवाली होती है !
कमर पर हाथ डाल मेरे चिकने पेट को सहलाने लगे।
“मुझे जाना है जीजा !” मैं भाग निकली।
लेकिन अंदर से जलने लगी, मेरी जवानी जगा दी जीजा ने।
जब सतीश के घर की आगे से निकली उसने पत्थर में लपट कागज़ फेंका मेरे काफ़ी आगे, जब वहाँ से निकली तो झुकी और उठा कर पत्थर फेंक कागज़ को ब्रा में घुसा आगे निक गई।
सहेली के घर जाकर वाशरूम में घुस कर कागज खोला, उस पर उसका मोबाइल नंबर था और आई लव यू लिखा था।
जब बाहर आकर मैंने सहेली से कहा तो वो बोली- मना मत करना ! अब तू भी एडवांस बन जा बन्नो ! उड़ने वाली कबूतरी बन !
उसने मुझे कहा- मैं अभी व्यस्त हूँ, मेरे कमरे से उसको फ़ोन कर ले !
जब मैंने फ़ोन किया तो वो बहुत खुश हुआ, बोला- मिलना चाहता हूँ, जब मैं तेरे सेक्सी मम्मों को कपड़ों में कैद आजादी के लिए तरसते देखता हूँ तो मेरा अंग खड़ा होने लगता है।
“सतीश ! आप भी ना बाबा ?”
“सच कहता हूँ, यहाँ से निकल ! मैं अकेला हूँ ! आज तेरे पास सही बहाना है !”
“लेकिन दिन में आपके घर कैसे घुसूँगी? सतीश, हम एक मोहल्ले के रहने वाले हैं।”
इसमें क्या बात है, मेरी कार के शीशे काले हैं, मैं लोंगों वाले मंदिर के पीछे से तुझे ले लूंगा, कार सीदी पोर्च में और फिर कोई डर नहीं !”
मैं फिसलने वाले रास्ते पर चलने को चल निकली, उसके घर पहुंच गई।
क्या बड़ा सा मस्त घर था ! वो मुझे अपने कमरे में ले गया, मेरा हाथ पकड़ा अपने दिल पर रख कर बोला- देख रानी, कैसे तेरे लिए धड़क रहा है।
उसने पीछे से कमर में हाथ डाल एक हाथ मेरे मम्मे पर रख बोला- क्या तेरा भी? क्या तेरा तो दाना कूद रहा होगा?
“आप भी ना !”
उसने मुझे लपका और मुझे बिछा मेरे ऊपर सवार होने लगा। पहले कपड़ों के ऊपर से मेरे रेशमी जिस्म का मुआयना किया फ़िर धीरे धीरे मुझे अपने रंग में रंगते रंगते एक एक कर केले के छिलके की तरह मेरे कपड़ों से मुझे आज़ाद किया।
मैं पहली बार ऐसे नजरिये से खुलकर किसी लड़के के नीचे नंगी हुई पड़ी अपनी जवानी लुटवाने को तैयार पड़ी थी।
मैं फिसलने वाले रास्ते पर चलने को चल निकली, उसके घर पहुंच गई।
क्या बड़ा सा मस्त घर था ! वो मुझे अपने कमरे में ले गया, मेरा हाथ पकड़ा अपने दिल पर रख कर बोला- देख रानी, कैसे तेरे लिए धड़क रहा है।
उसने पीछे से कमर में हाथ डाल एक हाथ मेरे मम्मे पर रख बोला- क्या तेरा भी? क्या तेरा तो दाना कूद रहा होगा?
“आप भी ना !”
उसने मुझे लपका और मुझे बिछा मेरे ऊपर सवार होने लगा। पहले कपड़ों के ऊपर से मेरे रेशमी जिस्म का मुआयना किया फ़िर धीरे धीरे मुझे अपने रंग में रंगते रंगते एक एक कर केले के छिलके की तरह मेरे कपड़ों से मुझे आज़ाद किया।
मैं पहली बार ऐसे नजरिये से खुलकर किसी लड़के के नीचे नंगी हुई पड़ी अपनी जवानी लुटवाने को तैयार पड़ी थी।
उसने अपना लौड़ा निकाला और मेरे हाथ में देकर बोला- देखो कितना बेताब है तेरी बेनकाब जावानी देख कर ! देख कैसे हिलौरें खा रहा है !
पहले मुझे अजीब लगा लेकिन जब मैंने शर्म को परे कर उसके लण्ड को सहलाया तो मुझे मजा आने लगा।
उसने थूक से गीली कर ऊँगली को मेरे दाने पर रगड़ी तो मानो मुझे स्वर्ग दिख गया हो।
“मजा आता है मेरी छमक छल्लो?”
“बहुत सतीश ! मुझे बहुत मजा आने लगा है !”
“हाय मेरी जान ! घूम जा !”
उसने लौड़ा मेरे होंठों पर रगड़ा और बोला- खोल दे अपना मुँह !
जैसे ही मैंने मुँह खोला, उसने मेरे मुँह में अपने सख्त लौड़े को घुसा दिया, पहले अजीब सा महसूस हुआ मगर अगले ही पल जब उसकी जुबान मेरे दाने को छेड़ने लगी, चाटने लगी तो मुझे उसका लौड़ा स्वाद लगने लगा।
उसने अपनी जुबान घुसा दी मेरी अनछुई फ़ुद्दी में और घुमाने लगा।
मैं तड़फ कर उसके लौड़े को चूसने लगी, आज पहली बार एहसास हुआ कि यह जवानी छुपानी नहीं चाहिए, इसका आनन्द लेना चाहिए जिसमें इतना मजा है।
कुछ देर की इस काम क्रीड़ा के बाद उसने मेरी चूत आज़ाद की और टाँगे फैलवा कर अपना लौड़ा मेरे छेद पर रख घुसाने लगा।
दर्द से भरा यह मीठा एहसास दर्द को भूल आनन्द को तरजीह देने लगा/
जल्दी उसका लौड़ा खुलकर मेरी चूत में घुसने-निकलने लगा। उसने पास पड़े अपने अंडरवीयर से अपना गीला लौड़ा साफ़ किया और खून साफ़ कर दुबारा घुसा दिया।
“हाय करो मेरे राजा ! बहुत सुख मिलता है !”
“आज से तू मेरी जान बन गई है नीना ! तुझे नहीं मालूम कब से इस पल का इंतज़ार था, तेरे ये बड़े बड़े मम्मे रोज देखता था, जी जल उठता था !”
उसने बातों के साथ साथ मेरी चुदाई नहीं रोकी।
“फाड़ डालो मेरे राजा ! चाहती तो मैं भी थी, बस डर और शर्म मिलकर मेरे कदम रोक देते थे !”
“चल पलट !” उसने मुझे पलटा, मेरी एक टांग उठाई और अपना लौड़ा तिरछा करके दुबारा घुसा दिया। मुझे अपने अंदर गर्म गर्म सा महसूस हुआ, मैं झड़ने लगी थी, जल्दी मेरी गर्मी से उसका रस पिंघल गया और दोनों ने एक दूसरे को कस के जकड़ कर अंतिम पल का खुलकर आनन्द उठाया, अलग होकर मैंने कपड़े पहने।
उसने जाती जाती के होंठ चूम लिए।
“यह सब सही था क्या?”
“हां रानी, क्यूँ नहीं सही था? सब सही था ! जवानी होती है मजे लेने के लिए !”
“मुझे कभी धोखा मत देना !”
“कभी नहीं !”
उसने कार निकाली थोड़ा सा आगे जाकर इधर-उधर देखा और मुझे उतार दिया।
जीजा ने जवान साली के जिस्म को हंसी मज़ाक में अपने स्वाद के लिए जगाया था, उसको सतीश ने आज कुछ देर के लिए सुला दिया था।
घर आई तो जीजा मिल गया।
पता नहीं जीजा इन कामों में कितना हरामी था, बोला- क्या बात है, आज तेरी चाल में फर्क है?
“नहीं तो? तुम भी जीजा जो मर्ज़ी बोलते हो?”
“साली, जिंदगी देखी है ! बोल यार के नीचे लेटकर आई हो ना?”
“शटअप जीजू ! आप भी न !”
“साली कपड़े देख अपने ! आज अंदरूनी कपड़े पहन कर नहीं गई? देख कैसे नुकीले हुए हैं?”
दिमाग में सोचा- हाय ! ब्रा वहीं रह गई थी ! उसने उतार फेंकी थी, शायद बैड के नीचे रह गई !
“उड़ने लगे रंग ना? पार्टी में गई थी या किसी कबड्डी के मैदान में? जाकर कपड़े बदल ले, नहीं तो साफ़ साफ़ पकड़ी जायेगी।”
पता नहीं जीजा इन कामों में कितना हरामी था, बोला- क्या बात है, आज तेरी चाल में फर्क है?
“नहीं तो? तुम भी जीजा जो मर्ज़ी बोलते हो?”
“साली, जिंदगी देखी है ! बोल यार के नीचे लेटकर आई हो ना?”
“शटअप जीजू ! आप भी न !”
“साली कपड़े देख अपने ! आज अंदरूनी कपड़े पहन कर नहीं गई? देख कैसे नुकीले हुए हैं?”
दिमाग में सोचा- हाय ! ब्रा वहीं रह गई थी ! उसने उतार फेंकी थी, शायद बैड के नीचे रह गई !
“उड़ने लगे रंग ना? पार्टी में गई थी या किसी कबड्डी के मैदान में? जाकर कपड़े बदल ले, नहीं तो साफ़ साफ़ पकड़ी जायेगी।”
जल्दी से कमरे में गई, दूसरा सूट निकाला, पहले कमीज़ उतारी, जल्दी से ब्रा डालने लगी, जीजा आ गया अन्दर, उसने रोक दिया- वाह ! लगता है उसने खूब मसले ! देख दांत के निशान ! हमसे मत छुपाया कर रानी ! हम इस खेल के मंझे हुए खिलाड़ी हैं !
जीजा ने मुझे लट्टू की तरह जोर से अपनी तरफ घुमाया और सीधे होंठ मेरे चुचूक पर टिका चूस लिया।
“जीजा, माँ-दीदी आने वाली हैं, पकड़े जायेंगे।”
“हमारे लिए ना और बाकी सब के लिए हां?”
“ऐसी बात नहीं है, सच में ! समय देखो !”
जीजा ने जोर से बाँहों में भींचा उनकी बाजुएँ सतीश से मजबूत थी, होंठ मेरे मम्मों पर रगड़ने लगे, मैं फिर से गर्म होने लगी।
जीजा मुझे चूमते हुए मेरे पेट पर चूमने लगे फिर धीरे से सलवार का नाड़ा खींच दिया, सलवार गिर गई वो भी वहीं बैठ पैंटी एक तरफ़ सरका कर चूत देखने लगे- साली, पकड़ी गई तेरी चोरी ! अभी चुदी हो ! ज्यादा वक़्त नहीं हुआ।”
मुझे शर्म सी आने लगी- आप भी ना?
“बता ना? यार से मिलकर आई हो ना? ताज़ी ताज़ी बजी है।”
“आपके पास यंत्र मंत्र है?”
“मेरे पास आ जा जान !” जीजा ने जिप खोल दी।
जैसे उन्होंने निकाला, मेरा मुँह खुला का खुला रह गया, इतना बड़ा इतना भयंकर लौड़ा, काले रंग का मोटा लौड़ा !
“जीजा मुझे नहीं तेरे संग लेटना तेरा लौड़ा बहुत ज़ालिम दिखता है !”
“रानी, अभी तो बच्ची है, तुझे मालूम होना चाहिए कि औरत मोटे से मोटा लौड़ा ही पसंद करती है, जिसका ख़ासा लंबा हो, तेरी दीदी इस पर मर मर जाती है, मगर जब से उसने बच्चा दिया है तब से वो ढीली हो गई है।”
“हाय जीजा, प्यार से मसलो इनको ! बच्ची हूँ अभी !”
जीजा मुँह में जुबान डाल जुबान से जुबान को लड़ाने लगे। मैं गर्म हो चुकी थी, उनका तरीका ख़ास था जिसने मुझे भुला दिया था कि मैं कुछ देर पहले ही चुदी हूँ, उनके हाथ बराबर मेरे मम्मों पर फिसल रहे थे, मस्ती से मेरी आँखें बंद थी।
“दीदी आ गई तो बवाल होगा !”
“साली साहिबा। डर मत !”
“आपका बहुत बड़ा है !”
“तेरे यार काबड़ा नहीं है क्या?”
“आप जितना नहीं है जीजा !”
“ले थाम इसको ! चूस !”
थोड़ी देर चूसने बाद रुक गई मेरा जबाड़ा थक गया तो जीजा ने मेरी टांगें फैला दी, पाँव की तरफ जाकर चूत चाटने लगे। मैं पूरी नंगी थी, जीजा जी की सिर्फ जिप खुली थी, रुकना जीजा !”
मैं उठी, जब चली तो जीजा बोला- हाय मर जाऊँ ! तेरी मटकती गांड ! साली, तेरी इस हवाई पटी पर हर कोई जहाज उतारना चाहेगा।
मैंने अपने कपड़े बाथरूम के पीछे टांग दिए, वापस गई तो जीजा ने लपक लिया, वो जहाज उतारने की पूरी तैयारी कर चुके थे, कंडोम पहन रखा था।
“यह क्या जीजा?”
“इससे तेरे अंदर मेरा बीज नहीं गिरेगा ! इसे निरोध कहते हैं रानी, कंडोम भी !”
“जीजा, आप बहुत गंदे हो !”
“साली जो चाहे कह ले, यह तो आज घुसेगा ही घुसेगा !” जीजा ने अभी सुपारा ही घुसाया कि मेरी जान निकलने लगी।
थोड़ा और किया।
सतीश से मेरी झिल्ली पूरी नहीं फटी थी क्यूंकि जीजा ने कपड़े से मेरी चूत साफ़ की तो उस पर चूत का रस और खून था।
मेरे होंठ दबा जोर का झटका दिया- मर गई !
मुझे लगा कोई खंजर मेरी चूत में घुसने लगा।
रहम नहीं खाया जीजा ने मेरे ऊपर !
तभी दरवाजे की घण्टी बजी और हम घबराने लगे।
जीजा ने दर्द से कराह रही अपनी साली को यानि मुझे छोड़ा- तू बाथरूम में घुस जा !
उन्होंने कपड़े नहीं उतारे थे, जल्दी से चादर की सलवटें ठीक की, मैं बाथरूम गई, बुरा सा मूड लेकर और दरवाज़ा खोला।
दीदी और माँ थी- इतनी देर?
“सो रहा था जानू !”
“नीना नहीं आई अभी सहेली के यहाँ से?”
“शायद आ गई।”
मैंने नहा धोकर कपड़े पहने, तौलिए से बाल पोंछती निकली
“आ गई?”
“दीदी ! हाँ आ गई !””तू कब आई बेटी?”
“बस माँ, आपके आगे आगे ही लौटी हूँ ! जीजू सो रहे थे तो मैंने जगाया नहीं, इसी लिए कुण्डी लगा कर नहाने चली गई/”
जीजू की नज़र में प्यासी वासना थी, खूबसूरत साली को नंगी करवा कर उसके एक एक अंग से खेल जब मंजिल की तरफ बढ़े तो निकालना पड़ा।
जीजा बोले- नीना, यह दोनों तो बाज़ार घूम आई, मैं सुबह से बोर हो रहा हूँ ! चल कहीं पानी-पूरी या चाट खाकर आयें !
दीदी से बोले- चलेगी क्या?
वो बोली- अभी थकी आई हूँ ! तुम जाओ !
जीजा तो धार कर बैठे थे कि आज नहीं छोड़ने वाले !
एक सुनसान सड़क पर कार रोक मुझे चूमने लगे !
“जीजा, यह क्या?”
“बस चुपचाप पिछली सीट पर टाँगें उठा कर लेट जा !”
“यहाँ !”
“हाँ रानी !”
“यहाँ नहीं जीजा ! कहीं पुलिस ने पकड़ लिया तो बदनाम होंगे। सोचो, घर में इतना घबरा गए थे ,यहाँ क्या होगा?”
“सही बात कहती है, पर एक बार पानी निकलवा दे !”
मैं उनकी मुठ मारने लगी, झुक कर बीच में चुप्पा भी लगा देती।
जीजा मेरी चोटी पकड़ कर मेरा सर आगे पीछे करने लगे।
अचानक उन्होंने अपने हाथ में लेकर मुठ मारनी चालू की और मेरे बालों को नोंचते दबा कर पूरा माल मेरे मुँह में निकाल दिया।
“जीजा, यह क्या मुझे उलटी हो जायेगी !”
“कुछ नहीं होगा, रात को तेरे कमरे में आऊँगा !”
“मगर दीदी?”
“उसके दूध में नींद की गोली मिला दूँगा, तू बस चूत को साफ़ सफाई कर तैयार कर ले !”
“जीजा, तू बहुत हरामी है !”
अचानक उन्होंने अपने हाथ में लेकर मुठ मारनी चालू की और मेरे बालों को नोंचते दबा कर पूरा माल मेरे मुँह में निकाल दिया।
“जीजा, यह क्या मुझे उलटी हो जायेगी !”
“कुछ नहीं होगा, रात को तेरे कमरे में आऊँगा !”
“मगर दीदी?”
“उसके दूध में नींद की गोली मिला दूँगा, तू बस चूत को साफ़ सफाई कर तैयार कर ले !”
“जीजा, तू बहुत हरामी है !”
“साली, जब तेरा जीजा पैदा हुआ था, उस दिन पड़ोस के गाँव में एक सौ एक हरामी मरे थे।”
“आप भी ना !”
“वैसे माल टेस्टी था ?”
“ठीक ठाक था !”
हम घर लौटे। खाने के बाद मैं सबके लिए दूध लेकर गई। दीदी वाले गिलास में जीजा की दी पुड़िया मिला दी।
मैं अपने बिस्तर में निक्कर और ब्रा में ही लेट गई, मैंने दरवाज़ा पूरा बन्द नहीं किया था।
मेरी आँख लग गई। रात के डेढ़ बजे जीजा मेरे कमरे में आया, कुण्डी चढ़ाई, कब मेरे बिस्तर पर आया मुझे पता नहीं लगा। जब मैंने अपनी नाभि पर किसी चीज़ का स्पर्श पाया तो मैं उठी- जीजा, आप कब आए?
“रानी, पांच मिनट पहले ! क्या बात है? लगता है जीजा के मूड का साली को ख़ासा ख्याल है, तभी इतने कम कपड़ों में लेटी है, तुझे अपने नीचे लिटाने का मेरा सपना आज पूरा हो रहा है।”
“तुम हो ही हरामी ! सच बोलना जीजा, जब तुमने मुझे बाँहों में लिया था दीदी के भलेखे में, तब तुम्हें मालूम था ना कि मैं हूँ?”
“हाँ रानी !”
जीजा ने मुझे पूरी ही नंगी कर दिया, खुद भी हो गया।
क्या चौड़ा सीना था, दिन में उन्होंने कपड़े नहीं उतारे थे, मैं जानदार मर्द के नीचे लेट कर सेक्स सुख प्राप्त करने की राह पर दूसरी बार खड़ी थी।
तभी जीजा ने अपना लौड़ा मेरे मुँह में ठूंस दिया, छोटा सा लौड़ा मेरे होंठों में आकर खड़ा होने लगा। देखते ही विशाल आकार ले गया। जब चूसना मुश्किल हुआ तो मैंने जुबान से उसको चाटना शुरु किया।
जीजा ने जल्दी अपना काम पूरा किया, कहीं दिन की तरह अब भी काम अधूरा ना रहे। जीजा और मेरे कमरे का बाथरूम सांझा था, दीदी जगती भी तो लगता जीजा बाथरूम में हैं। जीजा ने कंडोम चढ़ाया और घुसाने लगे।
चीरता हुआ लौड़ा मेरे बदन में घुस गया, मेरे होंठ जीजा ने अपने होंठों में ले रखे थे। जब तक मैं सामान्य नहीं हुई, जीजा ने छोड़े नहीं मेरे होंठ्।
आधा घंटा जीजा ने मुझे अलग अलग तरीकों से जम कर ठोका, बड़ी मुश्किल से उनका काम हुआ।
दीदी पढ़ाई आगे कर रही थी इसलिए वो यहीं रहती थी। जीजा का अपना बिज़नस था इसलिए वो वक़्त-बेवक्त आते और घर में पड़े रहते।
माँ सुबह ड्यूटी जाती, मैं कॉलेज ! दीदी अपने कॉलेज !
एक दो दिन छोड़ मैं एक आधा दिन क्लास लगा घर आ जाती और जीजा भी फिर बंद कमरे में रासलीला रचाते।
उधर जिस दिन जीजा से नहीं मिलना होता था, सतीश के घर चली जाती, मैं उस पर शादी का दबाव डालने लगी थी, जीजा ने मेरी देह को जगाया था और सतीश ने उसे आग लगाई थी, दोनों से खुश थी मैं।
तभी मेरी बातें इंटरनेट चैट पर दिल्ली के रहने वाले एक एम.पी के बेटे से होने लगी, उसका नाम राघव था। वेबकैम पर मैं उसको देख चुकी थी, उसने मुझे अपना मोटा लंबा लौड़ा दिखाया, मुझे भी वेबकैम पर आने को कहता।
आखिर एक दिन घर अकेली थी, मैंने उसको अपनी देह के दर्शन करवाए। मेरा रूप-रंग, जवानी देख वो मेरा दीवाना बन गया, मेरी खातिर वो फलाईट पकड़ मेरे शहर आ गया। वो एक बड़े होटल में रुका और मुझे कमरा नंबर दे दिया।
कॉलेज में पूरा बंक मार मैं उससे मिलने चली गई। मुझे देख वो बहुत खुश हुआ, उसने तोहफे में मुझे हीरे की अंगीठी दी, साथ एक महंगा मोबाइल।
मुझे देख उससे रुका नहीं गया और उसने मुझे बाँहों में भर लिया, चूमने लगा, सहलाने लगा।
मैं उसके आगोश में खुद बहकने लगी।
उसने पहले मेरा टॉप उतार फेंका, लाल रंग की अपलिफ्ट ब्रा में कैद मेरे बड़े बड़े मम्मे दबाये और फिर मेरी जींस उतारी।
मेरे एक एक अंग को उसने नथुनों से सूंघा, एक-एक अंग को प्यार किया। मैंने ताज़ी शेव कर चूत चिकनी कर रखी थी, उसने मेरी चूत पर पहला वार होंठों का किया, साथ ही जुबान नाम की मिज़ाईल चूत में दाग दी।
मैं गांड उठाने लगी, मैंने उसको अपने ऊपर खींचा और चूमने लगी, जंगली कुतिया बन उसे चूमने लगी।
मेरा गर्म रूप देख कर बोला- तू तो उससे भी ज्यादा मस्त निकली जितना मैं तुझे देख कर सोचता था।
मैंने उसके लौड़े को पकड़ कर मसला।
उसे क्या पता था कि जीजा ने मेरी देह को ऐसा जगाया था कि अब उसका सोना कठिन था। सतीश ने ऐसा दरवाज़ा खोला कि अब मेरा दिल दरवाज़े पर नये-नये मेहमानों की दस्तक पसंद करने लगा।
आज नया ही मेहमान था। जब मैंने उसका लौड़ा चूसा, उसका तो बुरा हाल होने लगा, मैंने खुद उसके लौड़े को अपनी चूत पर रगड़ा, उसने मेरा मूड गर्म देख जल्दी जल्दी से मेरी टांगें फैला दी और दरवाज़ा खटकाया।
“खुला है राघव ! खुला है।” उसने अपना लौड़ा उतारा। मैं आंखें मूँद एक नई सवारी को सैर करवाने लगी, उसने मुझे दीवार से हाथ लगवा खड़ा किया आयर एक टांग उठा कर घुसा दिया।
क्या जुगाड़ू था ! पूरा दिन उसके साथ बिताया।
अगले दिन उसकी दोपहर की फ़्लाईट थी दो बजे ! एक बजे तक हम साथ थे। वह महीने में दो बार आया और मुझे मसला। सतीश और जीजा पहले ही मुझे मसलते थे तो जवानी अब और बेकाबू होने लगी, मुझे पैसे-तोहफ़े का चस्का लग गया था।
अब मैंने इंटरनेट पर चंडीगढ़ के एक बंदे से बात करनी शुरु कर दी थी, उसका लौड़ा बहुत बड़ा और मस्त था, उसके साथ उसका दोस्त था, दोनों बहुत मस्त थे, मुझे वेबकैम पर नंगी देखा तो मिलने के लिए बेताब होने लगे।
मैंने मना किया तो बोले- क्या लोगी मिलने का? जो कहोगी दूँगा। प्रोग्राम बनाओ ! कहती है तो तेरे ए.टी.एम खाते में पैसे डलवा देता हूँ।
उसने मेरे खाते में दस हज़ार रुपये डाले, दोनों चंडीगढ़ से अपनी ही कार से मेरे शहर आये, एक आलिशान होटल में रुके। पहली बार में एक साथ दो बन्दों के साथ एक ही बिस्तर पर लेटने वाली थी। मुझे कमरे में देख उनके चेहरे खिल उठे।
“वाह ! जैसा देखा था, सोचा था, सामने से तो तू और खूबसूरत है रानी !” मेरे गाल पर लटकी बालों की लट को हाथ से उठाते उसने अपने होंठ मेरे लाल पतले होंठों पर रख दिए।
मैंने ब्रा से पर्स निकाला, एक तरफ़ रख और मोबाइल भी निकाला।
“हाय ! क्या खूब जगह है रखने की !”
सेंडल उतार उन दोनों के बीच लेट गई, एक-एक कर दोनों की शर्ट उतारी और उनमें से एक ने मेरा टॉप उतारा, काली ब्रा में गोरे मम्मे देख उनके खड़े हो गए। दूसरे ने मेरी जींस खींच कर उतारी। काली पैंटी में गोरी गाण्ड देख दोनों ही पागल हो गए। वो मेरे चूतड़ दबा कर चूमने लगे।
मैंने उनके लौड़े निकाले, दोनों के लौड़े बड़े थे, एक मेरे चूतड़ चूमता हुआ चूत चाटने लगा। मैंने दूसरे का मुँह में लेकर चूसा। वह तेरे जैसी मस्त रंडी पर तो लाखों कुर्बान ! ऐसा माल तो किसी दलाल ने नहीं दिलवाया था आज तक !
“ऐसी ही हूँ मैं राजा !”
तभी उनकी मंगवाई बीयर और दारु पहुँच गई। दारु पीकर दोनों और पागल हो गए, पहले एक ने घुसाया और चोदने लगा। तभी दूसरे ने लौड़ा मेरी गाण्ड में दे दिया। मैं दर्द से तड़फने लगी, लेकिन उसने पैसा दिया था तो उसको वसूल भी करना था।
जल्दी ही एक साथ दोनों छेदों में लौड़े घुसवा कर आज मैं पूरी पूरी रण्डी बन कर तैयार थी, एक साथ दोनों छेदों का मजा लूटने लगी।
पूरा दिन होटल में चुदने के बाद घर लौटी, चोदने के बाद तीस हज़ार और दिए मुझे उन्होंने !
और मैं खुश थी !
उनमें से कुछ पैसों के कपड़े खरीदे, बाकी अकाउंट में।


ତା ବିଆ ମେଲେଇ ଦେଲି ଗିହା (Ta Bia Melei Deli Giha)

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Mu setebele B.A padhuthae ama ghara thu 8-10 ghara chadi gote ghar se jane bhauja hisabare hebe anya jatira atanti mane khandyat patali au syamali chera tankar tankar lamba naka tike mote tankar naka bahut pasand au se bahut gapudi jebe mote dekhanti mote tanka ghraku ku dakanti bahut katha gapanti tanka bhai tanka paribar bisayare tankar dui pua semane bahare rahi patha padhanti kebe kebe gaonku asanti au swamy chas sahita business karanti se sabubele bazaar nahele chas jamire se sabubele ekutia tankar gote birat gharabadi achi bahut prakarra gacha lagichi mu tanku pachirili tumaku eka dara lageni se kan paeen dar lagiba mu kan tuma bhali darua hoichi mu kahli mu kan darua se kahila au nuha kan emiti maja karanti mo sahita au bahut hasanti se mote tanka hasa bhala lage emiti dine sei rasta dei ama chasa jami ku jauthiil se dekha hoigale mu kahli tikejamiru ase seteble pray dina 12ta bhali heba kharadina se pray bluse pindhantini tankar chota chota dudha patala chehera . mu ferila pare tankar jami rasta re bheta hoigala se kahile heu chal sanga hoi jiba ame duhe katha hoi asilu tanka gharku mote dakile mu tanka gharaku gali au tanka khata upare basili gote black and white tv thae se kahile tv dekh mu kahili han se pariba katibare lagile mo pakhe basi se ghara tike andharua laguthate karan dinabela light lagani nathanti au jharaka gote thae kana mundare jaha heu sehi bhitare tanku ekutia dekhi banda uthi thia hoigala tanku gehiba paeen mu au kala bilamb na kari mo banda ku dhire kari lungi ru kadhi halau thae au kahutha tulu bia tulu bia dhire dhire se katha kahibare byasta tanka ghara bisayare emiti katha heut thae mu au han maruthae au mane mane tanka nnama dhari banda halauthae tapare se tike uthigale au pariba dhoiba paeen puni tike pare asile au kahile sun duita biscut deuchi tu kha mu kahili kahile garbia loka ame kan deiparibu mu kahiil kichi nahi tume jaha ame taha tapare se mo pakha pakhi basi kahile mote tike kamare sahajya karibu mu kahili han kan kuha 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tanka pachia chadi tanka anta ku dhari jor jor kari gehi chalili nalua bia ku se kahile tu aji chance marinelu na heu sun chale sepata adhuala ku sethi bhalakari gehibu mote mu ahuri hit hoigali au tanku sehi abasthare dhari dhari teki neli patali streelokata mu tik adhualare soi dei bia ku fadi jor jor gehi li se hasi hasi gadi jauthanit au kahuthanit etedina pare mo bia tike pani paiba bahut dina hela mo gadiha sukhijaithila pura gadhia ful karide mu gehi gehi mo rasa pura bharideli tanka bia gatare se kahile sun ebe sabubele ama gharaku asibu kehi rahunahanti pila mane au se bi bazaar chalijanti tapare mu bahut thar tanku karichi kemit lagila

जीजू ने बहुत रुलाया (JIJA NE BAHAT RULAYA)

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मेरा नाम मेघना है, उम्र 19 साल, शादी को कुछ महीने हो चुके हैं। में BHAUJA का नियमित पाठक हूँ । मेरे पति मुझे बहुत प्यार करते हैं, मैं भी उन्हें बहुत प्यार करती हूँ। मैं अपने पति से कई बार चुद चुकी हूँ। मेरी चुदाई मुझे बहुत तकलीफ देती है। मेरे पति मुझे चोदते समय मुझ पर बिल्कुल भी दया नहीं दिखाते, बेरहम हो जाते हैं। मैं रोती रहती हूँ, वो चोदते रहते हैं।

ऐसा नहीं कि मैं शादी से पहले नहीं चुदी हूँ। मैं शादी से पहले अपने जीजू से कई बार चुद चुकी हूँ। जीजू भी मुझे चोदते समय बेरहम हो जाते थे। शायद सारे पुरुष एक जैसे ही होते हैं। पहले मैं जीजू से अपनी चुदाई के बारे मैं बताती हूँ।
बात उस समय की है जब दीदी की शादी हुई थी। जो मुझसे दो साल बड़ी थी। हम दोनों बहनें कम सहेलियाँ ज्यादा थी। हमने एक दूसरे को पूरा नंगा करके देखा था एक दूसरे की चूत भी देखी थी। लेकिन चुदाई क्या होती है यह पता नहीं था। दीदी ने ही ससुराल से लौटकर बताया था कि जीजू ने उन्हें कैसे और कितनी बेरहमी से चोदा था।
मैंने एक बार पापा मम्मी को चुदाई करते चुपके से देख लिया था। तब मैं 14 साल की थी। यह तो पता था कि औरतों के चूत होती है। लेकिन यह नहीं पता था कि लण्ड इतना मोटा और लम्बा होता है और चूत में घुस जाता है।
मम्मी बड़े आराम से चुद रहीं थीं। मम्मी बैड पर लेटी थीं। उनकी टांगें नंगी थीं और ऊपर को मोड़ी हुई थीं। पापा नीचे खड़े थे। वो अपने लण्ड को मम्मी की चूत में अन्दर-बाहर कर रहे थे।
मुझे डर लगा और दीदी को भी दिखाया। तब दीदी ने बताया था कि पापा मम्मी को चोद रहे हैं।
मैंने पूछा- क्यों?
तो उन्होंने बताया- हर औरत को चुदना पड़ता है।
दीदी साइंस पढ़ती थी, उन्होंने बताया- एक दिन तुझे भी चुदना पड़ेगा, मुझे भी चुदना पड़ेगा।
मैने पूछा- तकलीफ़ नहीं होती है क्या?
उन्होंने कहा- पता नहीं, जब तू खुद चुदेगी तो पता चल जायेगा।
कुछ सालों में दीदी की शादी हो गई। वहाँ से लौट कर दीदी ने अपनी चुदाई के बारे में बताया था। उन्होंने बताया कि जीजू उन्हें पूरी नंगी करके चोदा। चुदाई में लगती भी है और मजा भी बहुत आता है।
अब मेरी भी चुदने की इच्छा होने लगी थी। अगली बार मैं भी उनके साथ उनके घर गई। वो दोनों ही नौकरी करते थे। फ्लैट में दो कमरे थे। एक में वो दोनों और एक में मैं अकेली सोती थी। मैं रात को बिस्तर में लेटने के बाद उन दोनों की चुदाई के बारे में सोचा करती थी। मुझे देखना था कि ज़ीजू दीदी को कैसे चोदते हैं।
एक रात को मुझे मौका मिल ही गया। उनके कमरे की लाइट जली थी। दरवाजे में एक छेद था। मैंने देखा कि जीजू दीदी के कपड़े उतारने की कोशिश कर रहे थे।
दीदी विरोध कर रही थी, कह रही थी- मेघना जाग जायेगी।
जीजू कह रहे थे- अब मेरे से और इंतजार नहीं होता। आज तो मैं तुम्हें चोदकर ही मानूँगा।
जीजू जबरदस्ती दीदी को नंगी करने लगे तो दीदी गिड़ड़ाने लगी- मान जाओ ……… मान जाओ……… बहुत लगती है। मेरी चीख निकल जाती है। मेघना सुन लेगी।
जीजू नहीं माने, बोले- कि तुम चीखती हो तो और मजा आता तुम्हें चोदने में !
उन्होंने दीदी की साड़ी खींचनी शुरू की। दीदी उनको रोक रही थी। लेकिन जीजू ने दीदी को एक हाथ से पकड़ लिया और दूसरे हाथ से दीदी की साड़ी उतार दी। अब जीजू ने दीदी को पीछे से बाँहों में भर लिया और दीदी का ब्लाउज खोलने लगे। दीदी जीजू से छूटने की कोशिश कर रही थी। उन्हें अपने ब्लाउज के हुक खोलने से रोक रही थी। लेकिन जीजू ने ब्लाउज के हुक भी खोल दिये। मेरी साँसें रुकी हुई थीं। जीजू ने दीदी का ब्लाउज भी उतार कर फेंक दिया। दीदी की ब्रा उतारने के लिये जीजू को ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी। उन्होंने दीदी की ब्रा की पट्टियों को कधों से नीचे उतार दिया। फिर दीदी को घुमाकर बाँहों में कस लिया और पीछे से ब्रा की हुक खोल दी। अब दीदी का पेटीकोट रह गया था। ब्रा उतारकर दीदी को छोड़ दिया। दीदी इधर उधर भागने लगी। जीजू दीदी के पेटीकोट का नाड़ा खोलने को लपके।
दीदी ने नाड़ा पकड़ लिया ताकि खुले नहीं, वह कह रही थी- मान जाओ…… रहने दो, इसे मत उतारो।
जीजू बोले- अच्छा ठीक है।
वो रुक गये। अब दीदी ने नाड़ा छोड़ दिया और अपने स्तनों को पकड़ लिया। जीजू ने लपक कर दीदी को बाँहों में भर लिया। जबरदस्ती दीदी के पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया। दीदी छटपटाने लगी। जीजू ने उनका पेटीकोट उतार कर दीदी को नंगी कर दिया और गोद में उठाकर बिस्तर पर पटक दिया।
उन्होंने दीदी के होंथों पर होंठ रख दिए। फिर ऊपर से नीचे तक चाटा। जब उन्होंने दीदी की चूत चाटी तो दीदी सिसकारी भरने लगी। वो बल खाने लगी।
जब जीजू ने अपने कपड़े उतारे तो मैं जीजू का लण्ड देखकर दंग रह गई। पापा के लण्ड की तरह बड़ा था।
वो जब दीदी के ऊपर झुके तो दीदी हाथ जोड़कर कहने लगी- मान जाओ…… बहुत तकलीफ़ होती है।
जीजू नहीं माने। जीजू ने अपना लंड दीदी की चूत पर रख दिया। दीदी ने अपने हाथ उनके पेट पर रखे ताकि उन्हें रोक सके। जीजू के बार बार कहने पर हथियार डाल दिये। दीदी ने अब अपने हाथ ऊपर करके सिरहाने रख लिये। अब दीदी रुआंसी हो चली थी।
जीजू ने लण्ड चूत में घुसाना शुरू किया। दीदी ने अपने होंठ भींच लिये। ताकि आवाज न निकले। लेकिन जैसे ही जीजू ने धक्का मारा, दीदी की चीख निकल गई…आ…आ…आ…आ… ।
जीजू का आधा लण्ड दीदी की चूत में फँसा था। दीदी रो रही थी। थोड़ी देर दीदी को रुलाने के बाद जीजू ने एक और धक्का मारा और पूरा लण्ड दीदी की चूत में होकर उनके पेट में घुस गया। दीदी की फिर से चीख निकल गई…आ…आह…आ…आई…।
दीदी की हालत देखकर मेरे पैर काँपने लगे, मेरी चूत भी गीली हो गई थी।
कुछ रुककर जीजू ने अपना लण्ड दीदी की चूत से बाहर खींचा और थोड़ा सा खींचकर रुक गये। दीदी की फिर से चीख निकल गई…आ…ओ…आह…आ…।
फिर जीजू ने पूरा लण्ड बाहर खींचकर एक झटके में पूरा लण्ड दीदी की चूत में घुसा दिया। दीदी की फिर से चीख निकल गई…आह…आ…आ…आ…।
जीजू अब लगातार लण्ड को अन्दर बाहर करने लगे। दीदी भी पहले तो हर धक्के पर चीखती रही …आ…आ…आ…आ…। फिर लगातार रोने लगी। बाद में उनका रोना सिसकारियों में बदल गया।
अब वह आहें भरने लगी। थोड़ी देर के बाद जीजू से लिपटने लगी। और फिर अचानक जाने क्या हुआ। दीदी जीजू से लिपट गई। जीजू को कसकर जकड़ लिया। जीजू को भी जाने क्या हुआ ऐसा लगा मानो वो पूरे ही चूत में समा जायेंगे और आह …… आह …… करने लगे।
उस समय तक मुझे उसका मतलब पता नहीं था। बाद में जब जीजू ने मुझे चोदा तब समझ में आया।
मैं जाकर अपने कमरे में सो गई। नींद तो नहीं आई, आँखों में दीदी की चुदाई घूम रही थी। मुझे लग रहा था जैसे मुझे किसी ने चोद डाला हो।
अगले दिन दीदी काम पर नही गई।
जीजू चले गये तब मैंने दीदी से पूछा- क्या जीजू तुम्हें ऐसे ही चोदते हैं?
दीदी बोली- तो क्या तूने सब देख लिया?
मैंने कहा- हाँ।
दीदी बोली- वो तो तेरी वजह से जल्दी जल्दी चोद लिया वरना एक घन्टे तक रुलाते रहते हैं। मेरी पूरी जान निकाल लेते हैं।
वो कैसे? मैंने पूछा।
दीदी बोली- पहले तो आधा ही घुसाकर रुक जाते हैं। उस जगह पर लण्ड सबसे मोटा होता है। ऐसा लगता है जैसे चूत फट जायेगी। जब पूरा लण्ड अन्दर चला जाता है तो आराम मिलता है। फिर दो-चार धक्के मार कर रुला देते हैं और पूरा लण्ड बाहर निकाल लेते हैं। जब मैं शान्त हो जाती हूँ, फिर से दो-चार धक्के मार कर रुला देते हैं और पूरा लण्ड बाहर निकाल लेते है। बड़ी बेरहमी से चोदते हैं।
दिन भर मैं घर पर अकेली रहती थी। मैं स्कर्ट पहनती थी। जब अकेली हो जाती थी तो चड्डी उतार देती थी। अपनी चूत को उँगली से छेड़ती रहती थी।
एक दिन मैं पता नहीं कैसे दरवाजा बंद करना भूल गई। मेरी आँख लग गई।
शायद जीजू अन्दर आये होंगे। पता नहीं मेरी स्कर्ट अपने आप ऊपर हो गई थी या जीजू ने ऊपर की थी। उन्होंने मोबाइल से मेरी कई नंगी तस्वीरें खीच लीं।
एक दिन वो जल्दी ही घर लौट आये, दोपहर में मुझसे बोले- आओ, तुम्हें बढ़िया फोटो दिखाऊँ।
मैंने कहा- दिखाओ।
उन्होंने अपने मोबाइल में मेरी नंगी फोटो दिखाईं।
मैं वहाँ से भागी तो उन्होंने मुझे पकड़कर अपनी टाँगों पर बिठा लिया।
मैं बोली- छोड़ो जीजू आप तो बहुत बेशर्म हो।
जीजू बोले- अच्छा जी……? नंगी तुम सोती हो, और बेशर्म मैं हो गया? मैंने तो नहीं कहा था नंगी सोने के लिये।
मैंने अपना चेहरा हाथों से छिपा लिया।
वो बोले- वैसे तुम्हारी चूत है बहुत सुन्दर। तुम्हारी चूत देखकर तो किसी बु्ढ्ढे का लण्ड भी खड़ा हो जायेगा।
उन्होंने शब्दों में मेरी चूत का नक्शा खींच दिया।
मैंने कहा- जीजू चुप रहो !
मैं फिर भागने को उठी।
दिनभर मैं घर पर अकेली रहती थी। मैं स्कर्ट पहनती थी। जब अकेली हो जाती थी तो चड्डी उतार देती थी। अपनी चूत को उँगली से छेड़ती रहती थी।
एक दिन मैं पता नहीं कैसे दरवाजा बंद करना भूल गई। मेरी आँख लग गई।
शायद जीजू अन्दर आये होंगे। पता नहीं मेरी स्कर्ट अपने आप ऊपर हो गई थी या जीजू ने ऊपर की थी। उन्होंने मोबाइल से मेरी कई नंगी तस्वीरें खीच लीं।
एक दिन वो जल्दी ही घर लौट आये, दोपहर में मुझसे बोले- आओ, तुम्हें बढ़िया फोटो दिखाऊँ।
मैंने कहा- दिखाओ।
उन्होंने अपने मोबाइल में मेरी नंगी फोटो दिखाईं।
मैं वहाँ से भागी तो उन्होंने मुझे पकड़कर अपनी टाँगों पर बिठा लिया।
मैं बोली- छोड़ो जीजू आप तो बहुत बेशर्म हो।
जीजू बोले- अच्छा जी……? नंगी तुम सोती हो, और बेशर्म मैं हो गया? मैंने तो नहीं कहा था नंगी सोने के लिये।
मैंने अपना चेहरा हाथों से छिपा लिया।
वो बोले- वैसे तुम्हारी चूत है बहुत सुन्दर। तुम्हारी चूत देखकर तो किसी बु्ढ्ढे का लण्ड भी खड़ा हो जायेगा।
उन्होंने शब्दों में मेरी चूत का नक्शा खींच दिया।
मैंने कहा- जीजू चुप रहो !
मैं फिर भागने को उठी।
जीजू ने फिर पकड़कर अपनी टाँगों पर बिठा लिया, वो मेरी जाँघों पर हाथ फिराने लगे और कहने लगे- मेघना, सच बताना….. अभी तक किसी से चुदी हो या नहीं?
मैं सीधे प्रश्न का कोई सीधा उत्तर न दे सकी।
जीजू ने फिर पूछा- बताओ न मेघना, अभी तक किसी से चुदी हो या नहीं?
मैने ना में सिर हिला दिया।
जीजू बड़ी बेशर्मी के साथ बोले- फिर तो तुम्हें चोदने में बहुत मजा आएगा ! बोलो चुदोगी? अभी तो तुम्हारी चूत की सील भी नहीं टूटी होगी।
मैं चौंक गई- क्या मतलब? कैसी सील?
जीजू बोले- हर कुँआरी लड़की की चूत एक झिल्ली से बन्द होती है, जिसे हाइमन कहते हैं। जब लण्ड पहली बार चूत में घुसता है तो वह फट जाती है। उसी को चूत फाड़ना कहते हैं। चूत फटने के ख्याल से मेरे शरीर में सिहरन सी दौड़ गई, दीदी को रोते देख चुकी थी।
मेरी बेखुदी में जीजू का हाथ कब स्कर्ट के अन्दर पहुँच गया? मुझे पता ही नहीं चला। जब होश आया तो मैंने उनका हाथ हटना चाहा तो जीजू ने मुझे गोद में लिटाकर मेरी स्कर्ट ऊपर उठा दी और मेरी चड्डी उतारने लगे।
मैं गिड़गिड़ाने लगी- जीजू नहीं… जीजू नहीं….।
जीजू नहीं माने। उन्होंने मेरी चड्डी उतार दी।
अब मेरी चूत उनके सामने थी। मेरी झाँटें छोटी-छोटी थीं। जीजू मेरी चूत को सहला रहे थे।
फिर जाने क्यूँ उन्होंने मुझे छोड़ दिया।
मैं खड़ी हो गई।
फिर जीजू बोले- अब बाकी कपड़े तुम खुद उतारोगी या मैं उतारूँ?
मैं कुछ न बोली।
फिर जीजू उठे और मुझे पीछे से बाँहों में भर लिया और मेरी शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिए। बटन खोलते हुए उन्होंने पूछा- जानती हो लण्ड कितना लम्बा होता है?
मैंने पापा का लण्ड भी मम्मी को चोदते समय देखा था और खुद जीजू का लण्ड भी दीदी को चोदते समय देखा था। फिर भी मैंने ना में सिर हिला दिया।
वो उँगली से इशारा करते हुए बोले इत्ता सा होता है, लेकिन चूत सामने हो तो या लड़की बाँहों में हो तो छ: से आठ इंच तक लम्बा हो जाता है।
जीजू का लण्ड खड़ा हो चुका था जो मुझे अपने पीछे गाण्ड पर महसूस हो रहा था।
मुझे जाने क्या हो गया था। मैं जीजू को रोक नहीं पा रही थी। जीजू मेरी शर्ट के सारे बटन खोल चुके थे। उन्होंने मेरी शर्ट को पीछे को उतार दिया।
अब जीजू बोले- तुम्हें अपनी चूत के बारे में पता है?
मैंने कुछ नहीं कहा।
अब तक वो मेरी ब्रा के हुक भी खोल चुके थे। ब्रा के स्ट्रेप्स को कंधों से नीचे सरका दिया।
ब्रा भी उतर गई।
मेरे स्तन कड़े थे। जीजू मेरे स्तनों से खेलने लगे।
मुझे उत्तेजना की वजह से पेशाब जाने की इच्छा होने लगी, मैं बोली- जीजू, पेशाब लगा है।
जीजू बोले- अब तुम्हारी चूत पूरी तरह गीली हो चुकी है। तुम चाहे न मानो, लेकिन तुम्हारी चूत चुदने को तैयार है।
मैं गिड़गिड़ाई- नहीं जीजू ! तकलीफ़ हो जायेगी मुझे !
मैं उनसे छूटने की कोशिश करने लगी।
जीजू बोले- देख मेघना, अब तुम्हें बिना चोदे तो मैं छोड़ूँगा नहीं।
मैं रुआँसी हो गई। अनजाने डर से मेरी आँखों में आँसू आ गये।
मैं बोली- जीजू, पेशाब तो कर आने दो?
जीजू बोले- चल, मैं करवा कर लाता हूँ।
उन्होंने मुझे गोद में उठा लिया और…
मुझे उत्तेजना की वजह से पेशाब जाने की इच्छा होने लगी, मैं बोली- जीजू, पेशाब लगा है।
जीजू बोले- अब तुम्हारी चूत पूरी तरह गीली हो चुकी है। तुम चाहे न मानो, लेकिन तुम्हारी चूत चुदने को तैयार है।
मैं गिड़गिड़ाई- नहीं जीजू ! तकलीफ़ हो जायेगी मुझे !
मैं उनसे छूटने की कोशिश करने लगी।
जीजू बोले- देख मेघना, अब तुम्हें बिना चोदे तो मैं छोड़ूँगा नहीं।
मैं रुआँसी हो गई। अनजाने डर से मेरी आँखों में आँसू आ गये।
मैं बोली- जीजू, पेशाब तो कर आने दो?
जीजू बोले- चल, मैं करवा कर लाता हूँ।
उन्होंने मुझे गोद में उठा लिया और…
टॉयलेट में ले गये।
मैं टॉयलेट में स्कर्ट को टाँगों में दबाये खड़ी जीजू के हटने का इन्तजार कर रही थी।
जीजू बोले- बैठ ! कर पेशाब।
मैं नहीं बैठी। मैं सिर झुकाये खड़ी रही।
जीजू बोले- मेघना बैठ ना ! मैंने अभी तक तुम्हारी दीदी को भी पेशाब करते नहीं देखा है। तुम्हारी चड्डी तो मैंने ही उतारी है। अब तो तुम्हें पेशाब करते हुए देखूँगा।
मैं न चाहते हुए भी बैठ गई।
जीजू दरवाजे पर ही खड़े रहे, बोले- कर पेशाब।
वो मेरी चूत की ओर देख रहे थे और मैंने पेशाब की धार छोड़ दी।
मैं उठी और जीजू मुझे बाँहों में भर कर कमरे में ले आये। कमरे में आते ही उन्होंने मेरी स्कर्ट के हुक खोल दिये और स्कर्ट नीचे गिर गई।
मैं अब पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी।
जीजू ने मुझे उठाकर बिस्तर पर पटक दिया, मेरी टाँगों को ऊपर उठाकर मेरे सामने बैठ गए।
फिर मुझसे ही मेरी चूत का वर्णन करने लगे।
मेरी चूत के होठों को पकड़कर बताया- ये तुम्हारी चूत के होंठ हैं।
फिर चूत को अपनी उँगली और अँगूठे से फैलाकर बताया- यह तुम्हारी भगनासा है !
और हल्का सा सहला दिया।
मुझसे बरदाश्त न हुआ, मैं दोहरी हो गई, मेरी सिसकारी निकल गई।
फिर उन्होंने मेरी चूत का बड़ी बारीकी से निरीक्षण किया। फिर अपने कपड़े भी उतार दिये।
मुझे अपने लण्ड को दिखाते हुए बोले- देख, यह लण्ड है। यही चूत फाड़ने का औजार है।
फिर उन्होंने लण्ड की खाल को ऊपर खींच दिया, बोले- चूत में घुसने के बाद यह ऐसा हो जाता है। ऐसे भी घुस सकता है चूत में। अब मैं इसे तुम्हारी चूत में घुसाऊँगा।
जीजू मेरे ऊपर ऐसे आ गये कि उनका लण्ड मेरे मुँह पर और उनका सिर मेरी चूत पर था।
उन्होंने जब मेरी चूत चाटना शुरू किया तो मेरी आह निकल गई। जीजू ने अपना लण्ड मेरे मुँह में डाल दिया और लण्ड को गले तक पहुँचा दिया।
उस समय मुझे पहली बार अहसास हुआ कि लण्ड कितना लंबा और सख्त होता है।
जीजू जल्दी ही असली काम पर आ गये। उन्होंने मेरी टाँगें ऊपर को मोड़ दीं। मेरी चूत के दोंनों होंठ खुल गये।
जीजू ने लण्ड को मेरी चूत पर रख दिया।
डर के मारे मुझे चूत पर लण्ड टिकते ही दर्द महसूस होने लगा।
मुझे लगा कि जीजू ने ठोक दिया लण्ड मेरी चूत में। मेरे मुँह से निकला- आ…।
जीजू बोले- अभी तो मैंने कुछ भी नहीं किया।
मैं बोली- जीजू, मुझे डर लग रहा है।
दीदी की हालत तो मैं पहले ही देख चुकी थी।
अब जीजू ने लण्ड को मेरी चूत में घुसाना शुरू किया तो मेरी चूत में लगने लगी।
मैं जीजू को रोकते हुए बोली- आ… जीजू, लग रही है। जीजू मर जाऊँगी… आआ… आ… जीजू प्लीज ! मर जाऊँगी…मैं !
अभी तक जीजू लण्ड का चूत पर दबाव बढ़ा रहे थे। मेरी आँखों में आँसू छ्लक आये थे। तभी लण्ड फिसलकर मेरी भगनासा को रगड़ते हुए मेरे पेट की ओर आ गया।
डर के मारे मुझे पता नहीं था कि लण्ड कहाँ गया। मेरी आह निकली।
जीजू बोले- अरे वैसे ही, अभी घुसा ही कहाँ है?
मैं बोली- जीजू मुझे बहुत डर लग रहा है।
जीजू बोले- इसमें डरना काहे का, बस लण्ड तुम्हारी चूत को फाड़ेगा और तुम्हारे पेट में घुस जायेगा।
जीजू ने ऐसे कहा जैसे कुछ भी नहीं होने वाला।
जीजू ने फिर लण्ड को मेरी चूत के छेद पर रखा और लण्ड को मेरी चूत में घुसाना शुरू कर दिया।
मेरी चूत में फिर से लगने लगी।
मैं जीजू को रोकते हुए बोली- आ…आ… जीजू, लग रही है। जीजू, लग रही है, मर जाऊँगी… आआ… आ…
और जीजू ने थोड़ा रुककर एक जोर का धक्का मारा।
मेरी चीख निकली- आआआआ… आआ…।
मेरी चूत की झिल्ली फट गई, खून निकल आया था। लण्ड करीब दो इंच अन्दर मेरी चूत में घुस कर फँस चुका था।
मुझे ऐसा महसूस हो रहा था मानो कोई मेरी चूत को चाकू से काट रहा हो। मैं रोने लगी थी- आआआ… आ… जीजू… बहुत जोर से लग रही है।
जीजू के लण्ड का बीच का मोटा हिस्सा अभी और घुसना बाकी था।
जीजू ने धीईई…रे से लण्ड को थोओओ…ड़ा-सा बाहर निकालकर बड़ी बेरहमी से एक और धक्का मारा।
मैं मर गई और भी जोर से चीखी- आआआआ… आआ… और रोने लगी।
लण्ड सबसे मोटे हिस्से तक मेरी चूत में घुस गया था।
जीजू बोले- मेघना, यह तो शुरूआत है। असली चुदाई तो अब होगी।
उन्होंने फिर से लण्ड को थोड़ा-सा बाहर निकालकर बड़ी बेरहमी से धक्का मारा। अब पूरा लण्ड मेरी चूत में घुसकर मेरे पेट में समा गया।
जीजू ने भी पूरा जोर लगाकर जितना गहरा घुसा सकते थे उससे भी ज्यादा घुसा दिया। उनका लण्ड मेरे पेट में कहाँ तक घुस गया? पता नहीं। पेट के अन्दर 7 इंच बाप रे।
उसके बाद तो जीजू ने धक्कों की झड़ी लगा दी। चार पाँच धक्के ऐसे मारे कि जीजू पूरे लण्ड को बाहर खींचते और वापस मेरी चूत में ठोक देते।
मैं हर धक्के पर रोती- आआआआ… आआ… आआआआ… आआ… आआआआ… आआ…
फिर उन्होंने लण्ड बाहर निकाल लिया। मेरी टाँगें सीधी कीं।
अब मेरी चूत के दोनों होठ आपस में मिल गये। चूत मात्र एक दरार जैसी दिखने लगी और जीजू आ गये फिर से अपनी औकात पर।
वो मेरे ऊपर बैठ गये। उन्होंने लण्ड को मेरी चूत की दरार पर रखा और बड़ी बेरहमी के साथ एक ही धक्के में घुसाते चले गये।
मेरी तो जान ही निकल गई, मैं बिलबिलाने लगी।
जीजू लण्ड को चूत में पूरी ताकत से तब तक दबाते रहे जब तक पूरा लण्ड मेरे पेट में नहीं समा गया।
मेरी चूत का बुरा हाल था। उन्होंने बिना रुके कई धक्के लगा डाले। मैं रोती रही।
फिर उन्होंने लण्ड बाहर निकाल लिया।
मैं जानती थी कि थोड़ा रुककर फिर से लण्ड मेरी चूत में ठोक देंगे। उनके इस शौक के बारे में दीदी ने बताया था।
वही हुआ।
उन्होंने अपना लण्ड एक ही झटके में पूरा का पूरा चूत के रास्ते मेरे पेट में घुसा दिया। मैं रोने के सिवा कुछ न कर सकी।
मैं हर धक्के पर रोती रही। वो मुझे चोदते रहे।
काफी देर चुदने के बाद मुझे अपने अन्दर से कुछ निकलता महसूस हुआ।
उस क्षण को मैं बर्दाश्त न कर सकी और कसकर जीजू से लिपट गई। आ…ह… जीजू… अब बअ…अ…स।
उस समय जीजू नहीं रुके। वो धक्के मारते रहे।
कुछ सेकण्डों में मैं निढाल हो गई। पता नही मैं सो गई थी या बेहोश हो गई थी? मुझे तो यह भी याद नहीं कि जीजू उसके बाद भी मुझे चोदते रहे या नहीं? इतना याद है कि जब होश आय तो मेरी चूत में दर्द हो रहा था। जीजू पास ही नंगे बैठे थे।
मैं उठने लगी तो जीजू ने मुझे उठने नहीं दिया, बोले- अभी कहाँ जा रही हो? तुम तो झड़ गईं मुझे भी तो झड़ने दो।
यह कहकर जीजू फिर से मेरे ऊपर सवार हो गये।
मैंने विनती की- जीजू अब नहीं, अब मैं मर जाऊँगी।
लेकिन वो नहीं माने, उनके मेरी चूत में लण्ड घुसाने से पहले ही मैं रोने लगी।
जीजू को रहम नहीं आया। उन्होंने मेरी दुखती चूत पर लण्ड रखकर धीरे-धीरे घुसाना शुरू किया और फिर अचानक एक झटके में पूरा लण्ड घुसा दिया।
मैं रो रही थी, वो मुझे चोद रहे थे। और फिर चोदते-चोदते मुझे उनका लण्ड और भी कठोर होता महसूस हुआ। और फिर उनके मुँह से आह निकली एक आखरी धक्के में लण्ड पूरी ताकत से मेरी चूत
में समाता चला गया और उनके लण्ड से कुछ गर्म-गर्म निकलता
महसूस हुआ।
कुछ देर में 7 इंच लम्बा और डेढ़ इंच मोटा लण्ड मुलायम और छोटा सा रह गया। उसके बाद जीजू ने मुझे कई बार चोदा और मैं चुदाई के बारे में सब कुछ जान गई।

शादी के बीस दिन बाद (Shadi Ke Bees din Baad)

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हैलो दोस्तो, आपके लिए एक नई कहानी पेश है BHAUJA हमेसा आप के लिए खास लेकर आती हे । बात तब की है, जब मेरी शादी हुई थी, शादी को अभी मुश्किल से 10-12 दिन ही हुये थे। हमारा तो अपना घर था मगर साथ वाले घर में कोई नए पड़ोसी आए थे, वो भी बस मियां बीवी थे।
मैं अपने घर में ऊपर वाले कमरे में रहता था, ऊपर वाले कमरे का फायदा यह था कि घर का कोई ऊपर आता नहीं था और हम मियां बीवी की प्रेम लीला खूब खुल के चलती थी, जब भी मौका मिलता, हम दोनों मियां बीवी आपस में भिड़ जाते।

मैंने अपनी बीवी को मना कर रखा था कि वो साड़ी के नीचे पेंटी नहीं पहनेगी ताकि जब भी मौका मिले, मैं उसकी साड़ी ऊपर उठाऊँ और ठोक दूँ।

अब जवानी के दिन, नई नई शादी, तो बीवी भी चुदाई के खूब मज़े ले रही थी, बड़े मज़े की लाइफ कट रही थी।

एक दिन सुबह सुबह करीब 5 बजे मेरी आँख खुल गई। मैं उठा, उठ कर बाथरूम गया, पेशाब किया। रात ढाई बजे एक शिफ्ट लगाई थी सो मैं तो बिल्कुल नंगा ही सो गया था।
वापिस आकर देखा, बिस्तर पे बीवी बिल्कुल नंग धड़ंग, दुनिया से बेखबर सो रही थी।
मैं उसके पास गया, खिड़की से आ रही रोशनी में उसके गोरे चिकने बदन को निहार रहा था, छोटे छोटे दो गोल गोल बूब्स, उसके नीचे सपाट पेट, और पेट के नीचे अभी रात को ही शेव की हुई, गुलाबी चूत।

मैं नीचे झुका और अपनी जीभ से मैंने अपनी बीवी की चूत चाट ली।
वो कसमसा कर हिली और अपनी टाँगें आपस में जोड़ कर चादर लेकर सो गई।
मतलब उसकी तो मैं अब ले नहीं सकता था, उसे तो सोना था और सोते हुये किसी को क्यों डिस्टर्ब करना… मैंने अपने लंड को एक झटका दिया, अपनी लंबी वाली निकर पहनी और कमरे से बाहर निकल आया।

बाहर आया तो देखा, जो हमारे नए पड़ोसी आए थे, उनकी बीवी एक पतली सी नाइटी पहने हुये छत घूम रही थी, शायद सुबह की सैर कर रही थी।
मैंने उसे देखा, अब निकर के ऊपर तो मैं नंगा ही था, उसने मुझे देखा, बड़े घूर कर, मेरे बालों से भरे सीने को बड़े ध्यान से देखा। उसके देखने में एक बात थी, मुझे लगा जैसे आँखों आँखों में उसने मुझे कुछ कहा हो, क्या कहा, यह तो पता नहीं, मगर कोई इशारा ज़रूर था।

मैंने भी उसे देखा और जब वो दूसरा चक्कर लगा कर आई, तो मैंने सर झुका कर उसका अभिवादन किया।
यह अभिवादन एक सभ्य महिला के लिए नहीं था, यह अभिवादन एक महिला को लाइन देने वाला अभिवादन था।
मैंने उसे विश किया तो उसने भी सर झुका कर मेरी विश का जवाब दिया।

‘अरे ये क्या? यह तो लाइन का जवाब दे रही है, मतलब?’ मैंने सोचा कि दोबारा विश करके देखता हूँ।
जब वो तीसरा चक्कर लगा कर आई, मैंने फिर से विश किया, तो उसने फिर से जवाब दिया और इस बार स्माइल भी दी।
मेरे तो होश ही उड़ गए।
बेशक मेरी अपनी बीवी भी बहुत खूसूरत है, मगर यह भी बुरी नहीं है।

उसके बाद हम दोनों अपनी छत पर कितनी देर सैर करते रहे। हर बार जब भी हम एक दूसरे के सामने होते हम एक दूसरे से
निगाह नहीं हटाते।
उसे चेक करने के लिए मैं छत पर रखी एक कुर्सी पर बैठ गया और लगातार उसे घूरने लगा। वो हर चक्कर में आती और मुझे देख कर जाती।
मैंने यह भी नोटिस किया कि नाईटी के नीचे उसने कुछ भी नहीं पहना था।
उसकी गोल गोल छातियाँ जो मेरी बीवी बूब्स से तो दुगनी बड़ी थी, बिना ब्रा के उसकी नाईटी में इधर उधर झूल रही थी और चलते वक़्त उसके चूतड़ भी बहुत हिल रहे थे।
करीब करीब 10-15 मिनट मैं उसे घूरता रहा।

जब वो भी हर बार मुझे देखते हुये गुजरती तो मेरे दिल की धड़कन भी बढ़ जाती।
इस बार जब वो घूम कर आई और मेरे तरफ देख रही थी, तो मैं उसे फटाक से आँख मार दी।
उसने देख लिया, वो हंसी और पलट कर चली गई, मैं उसे जाती को देख रहा था।

दरवाजे के अंदर जाकर उसने मुझे टाटा किया। मैंने तो उछल कर छलांग लगा दी कि ‘लो जी, यह तो पट गई।’
मैंने तो सुना था कि लड़की सिर्फ ढाई मिनट में पट जाती है, इसको 15 मिनट लगे, मगर पट गई।

फिर मैंने सोचा ‘अरे पागल, अभी तो तेरी शादी हुई है।’
फिर मन में ख्याल आया- तो क्या हुआ, एक घरवाली तो एक बाहरवाली, दोनों से मुझे कोई ऐतराज नहीं।

अगले दिन तो मैं सुबह 5 बजे का अलार्म लगा कर सोया। सुबह उठा और सिर्फ एक छोटी सी चड्डी पहन कर छत पर आ गया और एक्सरसाइज़ करने का ढोंग करने लगा।

थोड़ी ही देर में वो भी छत पर आ गई। उस वक़्त दिन पूरी तरह नहीं चढ़ा था, सिर्फ हल्की सी रोशनी थी।
जब मैंने उसे देखा तो उसे सैल्यूट किया, उसने भी जवाब में सलूट मारा।

मैं उठ कर खड़ा हो गया और दीवार के साथ लग कर खड़ा हो गया और उसे देखने लगा।
आज भी वो वही नाईटी पहन कर आई थी।
मैं कुछ देर उसे देखता रहा, फिर उसे देख कर अपना लंड सहलाने लगा।
थोड़ा सा सहलाने पर जब लंड खड़ा हो गया तो मैंने लंड को अपनी चड्डी से बाहर निकाल लिया और उसकी तरफ करके हिलाना शुरू किया, जब उसका ध्यान मेरे लंड की तरफ गया तो वो रुक गई और मेरे लंड को घूरने लगी।

मैंने पहले तो उसका रीएक्शन देखा और जब मुझे लगा कि वो मेरे लंड में दिलचस्पी ले रही है, तो मैंने अपनी चड्डी अपने घुटनों तक उतार दी।
मैं अपना लंड हिला रहा था और वो मुझे देखे जा रही थी।

कुछ पल देखने के बाद वो वापिस मुड़ी, मैंने भी अपनी चड्डी ऊपर चढ़ा ली कि ‘लो जी, यह तो अब चली गई।’

मगर वो दरवाजे के पास जा कर रुकी, दरवाजे के अंदर जा कर उसने अपनी नाइटी उठाई और पूरी की पूरी उतार दी।

‘ओ माई गोड…’ मेरे मुँह से निकला। वो तो साली पूरी नंगी हो कर मुझे दिखा गई।

मैंने देखा उसके गोल गोल और काफी बड़े बूब्स, जिन पर गहरे भूरे रंग के निप्पल थी। नीचे सपाट पेट और छोटी सी झांट जैसे 4-5 दिन पहले ही शेव की हो।
मैंने देखा तो उसे फ्लाइंग किस किया, उसने भी मुझे फ्लाइंग किस से जवाब दिया और अंदर चली गई।
अब तो यह बात पक्की थी कि वो मुझसे चुदना चाहती थी।

मैंने सोचा कि ऐसे करता हूँ ‘दीवार फांद कर उसके घर जाता हूँ और उसको ठोक कर आता हूँ।’

मगर तभी मुझे अंदर से अपने कमरे से खटपट की आवाज़ आई, मतलब मेरी बीवी भी जाग गई थी।
मैंने सोचा ‘यह साली बहनचोद क्यों उठ गई इतनी सुबह!’
मैं अंदर गया, बीवी उस वक़्त सलवार पहन रही थी।

मैंने पीछे से जाकर उसे बाहों में भर लिया। उसने मेरी तरफ मुँह घुमाया, मैंने उसके होंटों पे अपने होंठ रख दिये और अपने हाथों से उसके बूब्स सहलाने लगा।
उसने भी अपने हाथ पीछे को घुमाए और मेरी चड्डी में से मेरा लंड निकाल के सहलाने लगी।

मैंने फिर से उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और उसे वैसे ही आगे को झुका कर घोड़ी सी बना लिया और पीछे से अपना लंड उसकी चूत में घुसा दिया।
बेशक मैं अपनी बीवी को चोद रहा था, मगर मेरे ज़ेहन में ख्याल उसी पड़ोस वाली का था।
मैं आँखें बंद करके उसको चोदने के फीलिंग ले रहा था।

दोपहर को मैं किसी काम से बाज़ार गया। जब मैं मार्केट से वापिस आ रहा था, तो मैंने देखा वही मेरी पड़ोस वाली, रेहड़ी पर से सब्जी ले रही थी।
मैंने कुछ लेना तो नहीं था, मगर वैसे ही गाड़ी रोकी और जानबूझ कर सब्जी वाले के पास जा खड़ा हुआ और खीरे टमाटर का भाव पूछने लगा।
उसने मेरे तरफ देखा, मैंने कहा- नमस्ते जी, क्या हाल चाल हैं आपके?

वो भी मुस्कुराई और बोली- जी बिल्कुल ठीक… आप बताइये!

बस फिर क्या था मैंने बातचीत आगे बढ़ाई और बातों बातों में उसे अपनी गाड़ी से घर तक छोड़ने की ऑफर की।
वो मान गई।
सब्जी लेकर वो मेरे साथ आकर गाड़ी में बैठ गई।

अब मैंने सोचा के आगे बात कर लेनी चाहिए, मैंने कहा- सुबह सुबह सैर का बहुत शौक है आपको?
वो मेरा इशारा समझ गई और बोली- जी, आपको कसरत का शौक लगता है!
कह कर उसने मेरी तरफ देखा और उसकी आखों में शरारत साफ तैर रही थी।
मैंने कार को साईड पे रोका और पूछा- क्या मैं तुम्हारे घर आ सकता हूँ?
बात बिल्कुल साफ थी, उसने मेरी आखों में देख कर कहा- मेरे पति नाईट शिफ्ट करते हैं, सुबह सात बजे घर आते हैं, दोपहर तक सोते हैं, उसके बाद अपने भाई की दुकान पे चले जाते हैं, तुम दोपहर के बाद आ सकते हो।

मैंने उसकी गर्दन के पीछे अपना हाथ रखा और उसे अपनी तरफ खींचा, वो भी बड़े आराम से मेरी तरफ आई और अगले ही पल उसके रसीले होंठ मेरे होंठों की गिरफ्त में थे।
मैं उसके होंठो पे लगी सारी लिपस्टिक चाट गया, वो भी अपनी जीभ से मेरे होंठ चाट रही थी, दोनों ने एक दूसरे की जीभ तक चूस डाली।
हम अलग हुये, हम दोनों को पता चल चुका था कि दोनों में बहुत आग है और इस सेक्स की आग को दो जवान जिस्म मिल कर ही बुझा सकते हैं।
उसके बाद मैं उसे घर छोड़ कर अपने घर चला गया, खाना खाया, दोपहर को ऊपर अपने कमरे में जा कर लेट गया।
मैंने उसकी गर्दन के पीछे अपना हाथ रखा और उसे अपनी तरफ खींचा, वो भी बड़े आराम से मेरी तरफ आई और अगले ही पल उसके रसीले होंठ मेरे होंठों की गिरफ्त में थे।
मैं उसके होंठो पे लगी सारी लिपस्टिक चाट गया, वो भी अपनी जीभ से मेरे होंठ चाट रही थी, दोनों ने एक दूसरे की जीभ तक चूस डाली।
हम अलग हुये, हम दोनों को पता चल चुका था कि दोनों में बहुत आग है और इस सेक्स की आग को दो जवान जिस्म मिल कर ही बुझा सकते हैं।
उसके बाद मैं उसे घर छोड़ कर अपने घर चला गया, खाना खाया, दोपहर को ऊपर अपने कमरे में जा कर लेट गया।

कुछ आस-पड़ोस वाली औरतें आई थी, तो मेरी बीवी मेरी माँ और भाभी के साथ उनके पास जाकर बैठ गई और मैं अपने कमरे में लेटा पड़ोस वाली का इंतज़ार कर रहा था।

करीब ढाई बजे मैंने देखा, वो छत पे खड़ी थी, मैं तभी उठ कर बाहर आया, उसने इशारे से मुझे बुलाया।
मैं तो हवा में उड़ता हुआ उसके पीछे गया, पता भी नहीं चला कि मैं कब दीवार फांद कर उसके कमरे में पहुँच गया।

उसने काली स्लेक्स के ऊपर अपने पति की कमीज़ पहन रखी थी, मैंने उसे जाकर पीछे से पकड़ लिया, वो मेरी तरफ घूमी, हम दोनों ने आमने सामने से एक दूसरे को गले लगाया, और होंठो से होंठ अपने आप जुड़ गए।
मैंने उसके होंठ चूसते चूसते उसकी पीठ और उसके मोटे गोल चूतड़ों को खूब सहलाया और दबाया, बल्कि चूतड़ों पर तो कई बार चपत भी लगाई।
मैंने उसे झुकाया और नीचे कालीन पे ही लिटा दिया।

वो बोली- बिस्तर उधर है।
मैंने कहा- नहीं, मैं तुम्हें नीचे कालीन पे ही चोदूँगा।
वो बोली- जैसी तुम्हारी मर्ज़ी।

मैंने उसकी कमीज़ के बटन खोले, सफ़ेद कमीज़ के नीचे उसने काले रंग की डिज़ाइनर ब्रा पहन रखी थी। मैंने ब्रा के ऊपर से उसके दोनों बूब्स पकड़ कर दबाये।
वो मेरे हाथों पे मेरी बाहों पे अपने हाथ फिरा रही थी। जब मैं उसके बूब्स दबाना छोड़े तो वो अपनी ब्रा उतारने लगी, मगर मैंने रोक दिया।
‘क्यो, चूसोगे नहीं?’ उसने पूछा।
मैंने कहा- अभी नहीं, अभी तुम इस ब्लैक ब्रा में बहुत सेक्सी लग रही हो, ऐसे ही रहो जब मेरा दिल करेगा मैं खुद उतार लूँगा।

मैं सिर्फ उसके होंठ चूस रहा था और वो काली ब्रा पहने मेरे नीचे लेटी मुझे बहुत सेक्सी लग रही थी, खास करके उसकी ब्रा से दिखने वाला उसका क्लीवेज मुझे बहुत उत्तेजित कर रहा था, मेरा दिल था मैं उसे देखता ही रहूँ।

मैंने अपनी कमीज़ और बनियान उतार दी।
मेरे बालों से भरी छाती को देख कर उसके मुँह से ‘आह’ निकली और उसने अपने हाथों से मेरी छाती को छूकर, सहला कर मेरी छाती के बालों में अपनी उँगलियाँ घूमा कर देखा।
‘क्या हुआ, तुम्हें अच्छे लगे मेरे सीने के बाल?’ मैंने पूछा।
‘अरे पूछो मत, मुझे मर्दों के सीने पर बाल बहुत पसंद हैं, मैं चाहती थी कि मेरे पति के सीने पर भी ढेर सारे बाल हों, जैसे तुम्हारे हैं, मगर उसकी छाती तो बिल्कुल साफ है मेरी तरह!’ वो बोली।

बालों में ऐसी क्या बात है?’ कहते हुए मैं उठ खड़ा हुआ और अपनी पैंट उतारने लगा।
‘मुझे बालों वाले मर्द बहुत मर्दाना लगते हैं!” वो बोली।
‘क्या तुम्हारा पति मर्द नहीं है?’ मैंने पूछा।
वो बोली- मर्द कहाँ, वो तो 2 मिनट से ज़्यादा लगाता ही नहीं।

मैंने अपनी पेंट उतार कर जब अपनी चड्डी उतारने लगा तो उसने मुझे रोक दिया- नहीं, रुको, इसे मैं उतरूँगी।
कह कर उसने बड़े सेक्सी से अंदाज़ में मेरी चड्डी धीरे धीरे से नीचे खिसकाई।
जब मेरा तना हुआ लंड चड्डी से बाहर आया तो उसने एक ठंडी सांस भरते भरते मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया।
मैंने उसके सर पे अपने दोनों हाथ रख दिये और अपनी कमर हिलाने लगा।

मेरा आधे के करीब लंड उसके मुँह में था जिसे वो चूस रही थी और मुँह अंदर अपनी जीभ से चाट भी रही थी।
मुझे बड़ा आनन्द आ रहा था, बेशक मेरी बीवी भी मेरा लंड चूसती थी, मगर पराई औरत से चुसवाने में अपना ही आनन्द है।

थोड़ी देर चूसने के बाद उसने मेरा लंड छोड़ा और लेट गई।
मैं उसका इशारा समझ गया कि अब यह कह रही है कि बहुत चूस लिया और अपना लंड मेरी चूत में डालो।

मैंने उसकी स्लेक्स खींच के उतार दी। दो चिकनी संगमरमरी जांघें, और बहुत ही सफाई से शेव की हुई दूध से जैसे सफ़ेद चूत।
मैंने उसकी दोनों टाँगें खोली और खुद उनके बीच जाकर घुटनों के बल बैठ गया।
उसने खुद मेरा लंड पकड़ा और अपनी चूत पे सेट किया, मैंने हल्का सा धक्का दिया और मेरे लंड का टोपा उसकी चूत में घुस गया। थोड़ा और ज़ोर और आधा लंड अंदर, फिर थोड़ा सा बाहर और एक और धक्का और पूरा लंड अंदर।

मैं उसके ऊपर ही लेट गया मगर वो बोली- लेटो मत, मैं तुम्हें देखना चाहती हूँ।
‘क्या देखना है?’ मैंने पूछा।
‘यही कि जब कोई बालों वाला मर्द मुझे चोद रहा हो तो कैसा लगता है।’
मैं हंस पड़ा- तो ले देख जी भर के!
कह कर मैं पूरे मनोयोग से उसे चोदने लगा।

अब वो आदी थी 2 मिनट के सेक्स की, अब मुझे लगते थे 15 से 20 मिनट।
मैं चोद रहा था, और वो मेरे नीचे लेटी तड़प रही थी, अपनी नाखून उसने मेरी बाजुओं में गड़ा दिये- और… और और ज़ोर से चोदो, हाँ, शाबाश, मज़ा आ गया, और ज़ोर लगाओ।
वो बोल बोल कर मेरा जोश बढ़ा रही थी और मैं भी अपनी पूरी ताकत झोंक रहा था।
मेरा बदन पसीने से तर बतर हो रहा था।

मैं थकने लगा था, मैंने उसे कहा- ऐसा कर अब घोड़ी बन।
वो एकदम से मेरे नीचे से निकली और झट से घोड़ी बन गई। जब उसने अपनी गांड मेरी तरफ घुमाई तो मैं तो देखता ही रह गया- क्या मस्त और मोटी गांड है तुम्हारी!
मैं कहे बिन न रह सका, वो बोली- आओ, और इसे भी अपने तगड़े लंड से निहाल कर दो।
मैंने थोड़ा हैरानी से पूछा- गांड में भी ले लोगी?
वो बोली- हाँ डाल दो।

मैंने अपने लंड पे ढेर सारा थूक लगाया और तीन चार बार उसकी गांड पर थूक कर उसे भी अच्छी तरह से चिकना किया।
जब मुझे चिकनाहट ठीक लगी, तो मैंने अपना लंड उसकी गांड पे रखा और अंदर को धकेला, उसे थोड़ा दर्द हुआ, मुझे भी बहुत टाईट लगी, मगर फिर भी मेरा लंड उसकी गांड में घुस गया।
फिर तो मैं अपने थूक से गच्च करके अपना करीब करीब सारा लंड उसकी गांड में घुसेड़ दिया।

जैसे उसकी चूत गीली और ढीली थी, उसके उलट उसकी गांड एकदम खुश्क और टाईट थी, जैसे किसी ने लंड को अपनी मुट्ठी में पकड़ रखा हो। यह मेरी ज़िंदगी के पहला अनुभव था, किसी की गांड मारने का।
सच कहूँ तो गांड मार कर मज़ा आ गया।
करीब 4-5 मिनट गांड चोदने के बाद मैं उसकी गांड में ही झड़ गया।

वो नीचे लेटी हुई थी और मैं उसके ऊपर, मेरा लंड उसकी गांड में ही था, मगर जब झड़ने के बाद लंड सिकुड़ने लगा तो अपने आप उसकी गांड से फिसल कर बाहर निकल आया।
मैं उसके बदन पे लेटा लेटा ही आराम करने लगा। थोड़ा सांस लेने के बाद मैं नीचे लुढ़क गया, मैं उसे देख रहा था, उसके बदन का ऊपर का हिस्सा कमीज़ से ढका था मगर नीचे से वो बिल्कुल नंगी थी, उसके दो विशाल चूतड़ मुझे ऊपर को उठे हुये दिख रहे थे और मैं मन में सोच रहा था, क्या शानदार चूतड़ हैं साली के !
और मैं अभी अभी इस गांड को चोद के हटा हूँ।

मैंने उठ कर देखा, मेरा माल उसकी गांड से रिस रिस के बाहर आ रहा था।
मैंने उसके चूतड़ों पर हाथ फेरा- तुम्हारी गांड वाकयी मस्त है, मज़ा आ गया इसे चोद कर! मैंने कहा।
‘फिर से चोदना चाहोगे?’ उसने मेरी तरफ देख कर पूछा।
“हाँ, तुम्हें एक बार चोद के दिल नहीं भरा मेरा!” मैंने उसकी गोल गुदाज़ जांघों पे हाथ फेरते हुये कहा।

उसने उठ कर कमीज़ उतार दी और सीधी होकर अपनी टाँगें फैला कर लेट गई। मैं उसकी टाँगों के बीच में आ गया और उसके ऊपर लेट गया।
इस बार मैंने उसकी ब्रा उतार दी और उसके दोनों बूब्स को पकड़ के पहले मसला फिर मुँह में लेकर बारी बारी से उसके बूब्स चूसे।
मेरे चूसने से वो मचल उठी।

मैंने पूछा- अच्छा ये तो बताओ, तुम्हें मुझसे चुदने की क्या सूझी और कैसे?

वो बोली- जिस सुबह हमने एक दूसरे को देखा था, उस रात मुझे नींद नहीं आ रही थी तो मैं छत पर टहलने आ गई, घूमते घूमते मेरी निगाह तुम्हारी खिड़की पर पड़ी, मैंने देखा तुम अपने कपड़े उतार रहे थे, मेरे मन में हलचल सी हुई, उसके बाद मैं आती जाती तुम्हारी खिड़की को ही देखती रही, अंदर से तुम्हारी बीवी की सिसकारियाँ मैं सुन रही थी, जब मेरा भी मूड बन गया, और मुझ न रहा गया, तो मैं दीवार फांद कर तुम्हारी छत पे आई, मैं तुम्हारी खिड़की में से देखा, थोड़ा सा पर्दा हटा हुआ था, तुम अपनी बीवी से सेक्स कर रहे थे, तुम्हारा बालों भरा सीना और उस पर इतनी देर तक सेक्स करना मेरा मन मोह गया। मैंने तुम्हारी खिड़की के बाहर खड़ी होकर तुम्हारी सारी चुदाई देखी, इतनी शानदार चुदाई मुझे भी चाहिए थी, इसलिए मैंने सोचा के अगर मैं तुम्हें पटा लूँ तो मैं भी ऐसे ही मज़ा ले सकती हूँ। तब एक बात मैंने सोच ली के एक दिन मैं तुम से ज़रूर सेक्स करूंगी।

“अरे वह, तुम तो बहुत घाघ निकली, बहुत चतुर हो?’ मैंने कहा और उसके होंठों को चूम लिया।
उसने भी मेरे होंठों को चूमा और बोली- तुम मेरी ज़िंदगी के पहले मर्द हो जिसने एक ही चुदाई में दो बार मेरा पानी छुड़वा दिया, और मैं चाहती हूँ कि तुम दो बार और मेरा पानी छुड़वाओ।
मैंने कहा- ओ के, पर यह तो बताओ तुम्हारा नाम क्या है?
वो बोली- अब पूछने का क्या फायदा, जब तुमने मुझे चोद ही लिया है, अब किसी भी नाम की कोई वेल्यू नहीं रह जाती।

फिर मेरे लंड को अपनी चूत पे रगड़ते हुये उसने पूछा- तुम्हारी शादी को कितने दिन हुये?
मैंने अपना लंड उसकी चूत में धकेला और बोला- आज बीस दिन हुये हैं।

नौकरानी की चुदाई में भाभी की चूत मिली

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मेरा नाम नवदीप है, मैं 19 साल का गोरा-चिट्टा जवान हूँ, इंदौर में मैं अपने आंटी-अंकल के साथ रहता हूँ।
मैं जब जवान हुआ ही था.. तभी से मुझे चुदाई की कहानियाँ पढ़ने का शौक लग गया था।
यहाँ BHAUJA  पर मैंने काफ़ी सारी सेक्सी कहानियाँ पढ़ी हैं। मुझे भी कुछ कहना है इसलिए.. मैं भी आज आप सबको अपनी कहानी बताना चाह रहा हूँ।

मई का महीना था.. एक दिन किसी काम से मेरे माँ और पापा भोपाल गए हुए थे और हमारी काम वाली आ गई। वो बहुत ही सुन्दर है। हालांकि उसकी उम्र तो 36 साल है.. पर वो किसी भी एंगिल से 36 साल की नहीं लगती है। उसका फिगर 34-28-34 का है।
उसने दरवाजे पर दस्तक दी मैंने लौड़ा हिलाते हुए उठा कर दरवाजा खोला और वापस आकर अपने बिस्तर पर लेट गया।
इतनी देर में मैंने देखा कि वो अपना ब्लाउज खोल कर हवा खा रही थी।
मैंने उसकी तरफ देखा तो वो मुझे देख कर वो एकदम शर्मा गई और मैं वहाँ से उठ कर चला गया।
तभी वो मेरे पास आई और बोली- आपने कुछ देखा तो नहीं?
मैंने उसे कहा- कुछ तो शरम किया करो.. ऐसे कहीं भी कपड़े खोल कर खड़ी हो जाती हो?
वो बोली- बहुत गर्मी हो रही है भैया.. क्या करूँ? मुझे गर्मी भी थोड़ी ज़्यादा ही लगती है।
मैंने कहा- चल ठीक है.. आगे से एसा मत करना..
वो ‘ठीक है..’ बोलकर चली गई।
लेकिन.. मेरे दिमाग़ में तो उसके वही मोटे-मोटे गोल- गोल खरबूजे दिख रहे थे.. मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसको जाकर पूछा- तुम इतनी गर्मी में अपने घर पर तो बिना कपड़ों के घूमती होगी?
तो वो शरमाई और बोली- हाँ.. मुझे गर्मी थोड़ी ज़्यादा लगती है.. और मेरा मर्द भी मुझे नंगी घूमने के लिए मना नहीं करता..
मैंने कहा- जब इतने मस्त मम्मे देखने को मिलेंगे.. तो कौन साला मना करेगा?
यह कहते हुए.. मैंने उसे आँख मार दी।
तो वो शर्मा कर चली गई।
फिर मैं नहाने चला गया.. लेकिन मैंने दरवाजा खुला ही छोड़ दिया। थोड़ी देर में कमला मेरे कमरे में आई.. तो उसने बाथरूम के खुले दरवाजे से मुझे नहाते हुए देखा और मेरी चाल काम कर गई।
मेरा हवा में लहराता 9 इंच लंबा लौड़ा देख कर उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं। उसका चहरा सन्न रह गया और वो खुद को रोक नहीं पाई और बोली- हाय दैय्या.. इतना बड़ा?
मैंने मस्ती से लौड़ा हिलाते हुए उससे पूछा- तुझे चाहिए ये?
वो मेरे पास आई और मैंने उसके सारे कपड़े निकाल दिए। अब हम दोनों ही नंगे थे।
हम दोनों साथ में खूब नहाए.. हम दोनों ने नहाते समय एक-दूसरे के जिस्म का भरपूर मज़ा लिया। मैंने उसके मम्मों की गोलाई को मस्त नापा। उसने भी मेरे लंड की लंबाई को नाप कर मज़ा लिया।
फिर मैं उसे अपने बेडरूम में ले गया। उसे बिस्तर पर पटक कर अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया। वो भी मेरे लंड को मज़े से चूसने लगी। करीब 15 मिनट तक लौड़ा चुसवाने के बाद.. मैंने अपना सारा माल उसके मुँह में ही डाल दिया।
वो भी मेरे लौड़े का सारा रस चाट कर पी गई। उसने मेरे लंड को पूरा चाट कर साफ़ कर दिया और मेरे माल की एक भी बूँद को जाया नहीं होने दिया।
अब मेरा लंड सिकुड़ कर छोटा होने लगा था.. तो मैंने उसको अपने लंड को चूसते रहने के लिए बोला।
वो मेरे छोटे और सिकुड़े हुए लंड को अपने हाथों में ले कर चूस रही थी।
केवल 5 मिनट लौड़ा चुसवाने के बाद.. मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया, फिर मैंने उसको घुटनों के बल बैठा दिया, मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर टिकाया और 2-3 धक्कों में ही पूरा लंड उसकी चूत में जड़ तक पेल दिया।
वो ज़ोर से चिल्लाई- आहहह.. उउउइईई.. अहहा अहह.. अहहाहा ऊऊओ.. मर गईई..
मैंने उसकी कराहों को अनसुना करते हुए धक्के मारने शुरू किए। पहले धीरे-धीरे मारे और फिर ज़ोर-ज़ोर से चोदा।
पूरा कमरा ‘फछ.. फछ..’ की आवाज़ से भर गया था।
कमला भी लगातार चिल्ला रही थी- अऊऊऊ उुउउउइई ऊऊईई हाहह.. अहहाहा… हमम्म्म..
अब 20 मिनट की जबरदस्त चुदाई में वो 3 बार झड़ चुकी थी। लेकिन.. मेरे लौड़े में अभी बहुत जान बाकी थी.. वो अभी भी अन्दर- बाहर लगा हुआ था।
फिर.. मैंने अपने लौड़े को उसकी चूत से निकाला और उसकी गान्ड के छेद पर रख दिया।
वो गिड़गिड़ा कर बोलने लगी- साहब.. गान्ड मत मारो.. मैंने कभी नहीं मरवाई है।
लेकिन.. मैंने उसकी एक भी नहीं सुनी और पूरा लंड उसकी गान्ड में पेल दिया।
वो बहुत ज़ोर से चिल्लाई- आआआ.. आआअहह.. आआआआअ.. मर गई अम्मा रे..
मैंने उसकी चिल्ल-पों को अनसुना करते हुए झटके देना शुरू कर दिए।
वो दर्द से चिल्ला रही थी- आआअहहा.. ऊऊऊओ.. आआूओ.. ऊऊहह.. छोड़ दो..
पूरे 10 मिनट तक चोदने के बाद.. मैंने अपना सारा माल उसकी गान्ड के अन्दर डाल दिया।
उसे चोद कर.. जैसे ही मैं पीछे मुड़ा.. तो देखा कि हमारे घर के सामने रहने वाली शीतल भाभी वहाँ खड़ी थीं। कमला ने दरवाजा खुला ही छोड़ दिया था।
भाभी को देख कर कमला ने जल्दी से कपड़े पहने और चली गई.. मैंने भी जल्दी से तौलिया उठा लिया और लपेट लिया।
तभी भाभी बाहर गईं और दरवाजा लगा दिया।
मैंने सोचा- आज तो मैं गया..
तभी भाभी आईं और बोलीं- तुम बहुत अच्छी चुदाई करते हो.. मुझे भी चोदोगे?
यह सुनकर मैं हैरान हो गया।
यह कहानी आप BHAUJA  डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
वो बहुत ही सुन्दर हैं.. 32-28-36 की कमसिन कली हैं।
मैंने बिना देरी किए.. भाभी को पूरा नंगा कर दिया और भाभी ने मेरा तौलिया हटा दिया और मेरा लंड चूसने लगी।
केवल 5 मिनट में ही मेरा मुरझाया हुआ लंड पूरा कड़क हो गया।
वो बोलीं- जल्दी से आ जा मेरे देवर राजा.. मुझे चोदो प्लीज़.. मेरे पास ज़्यादा वक्त नहीं है.. तुम्हारे भैया आने वाले हैं।
मैंने भाभी को बिस्तर पर लिटाया और पूरा लंड उनकी चूत में बिना सिग्नल के पेल दिया।
वो चिल्लाई- अहहहह.. ऊऊऊऊ.. मर गई..
कुछ ही धक्कों में फिर वो खुद गान्ड हिला-हिला कर मेरा साथ देने लगी।
‘फच्च… फच्च…’ मदमस्त चुदाई की थापें फिर कमरे में गूँजने लगीं।
फिर मैंने अपने धक्के तेज कर दिए.. काफ़ी देर तक भाभी की चुदासी चूत को चोदने के बाद.. मैंने अपना सारा माल उनकी चूत के अन्दर डाल दिया।
वो मुझसे चिपक गईं उनको बहुत तृप्ति मिली थी।
अब वो मुझसे ये वायदा करके गईं कि मौका देखकर फिर से तुझसे तसल्ली से चुदवाएंगी।
उस दिन मैंने दो औरतों को चोदा था.. मेरी हालत खराब हो गई थी मैं कब सो गया मुझे होश ही नहीं था।
कुछ दिन भाभी की चुदाई का मजा लेता रहा.. बाद में पता चला कि भाभी माँ बनने वाली हैं..
एक दिन वो हमारे घर आईं और मुझे बताया कि यह तुम्हारी चुदाई का नतीजा है।
वो बहुत खुश थीं क्योंकि उनके पति शादी के 5 साल के बाद भी उन्हें बच्चा नहीं दे पा रहे थे।
इस कहानी को गप मत समझना, यह बिल्कुल सच्ची घटना है, वो तो भाभी और कमला को आप सभी से चुदवाना संभव नहीं है वरना आपको इस कहानी की सत्यता मालूम हो जाती।

पड़ोसन भाभी की चूत की अकुलाहट

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दोस्तो मेरा नाम मोहसिन है.. मैं महाराष्ट्र के नासिक से हूँ। BHAUJA के एक रोजाना पाठक हूँ ।
मैं आपके सामने एक मेरी अच्छी और सच्ची कहानी लेकर हाजिर हुआ हूँ, मैं उम्मीद करता हूँ कि आपको मेरी कहानी पसंद आएगी।
पहले मैं अपने बारे में कुछ बता देना चाहता हूँ। मैं एक साधारण सा दिखने वाला एक साधारण इंसान हूँ और मुझे सेक्स बहुत ज्यादा पसंद है। मेरा कद 5’10” और बॉडी एकदम चुस्त-दुरुस्त है.. और मेरा लंड भी लड़कियों के लिए एकदम सही है।

मुझे शुरू से ही आंटियाँ और भाभियाँ बेहद पसंद हैं और मैं इनका दीवाना हूँ।
यह बात 2 साल पुरानी है.. मेरी घर के बगल में एक भाभी रहा करती हैं.. उनका नाम महजबीं (बदला हुआ नाम) है। वो अक्सर मुझे देखा करती थीं.. पर मैंने कभी उन पर कभी ध्यान नहीं दिया।
ऐसे ही वक्त गुज़रता गया.. फिर एक दिन अचानक मैंने उनसे पूछ ही लिया- भाभीजान, आप मुझे ऐसे क्यों देखते रहते हो?
उसने बड़े ही कातिलाना अंदाज़ में जवाब दिया- क्यों.. आपको अच्छा नहीं लगता क्या?
मैंने कहा- ऐसी बात नहीं है.. पर फिर भी आप शादीशुदा हो.. किसी ने ऐसे मुझे देखते हुए देख लिया.. तो आपको परेशानी हो सकती है।
पर उसने साफ़-साफ़ मुझसे कहा- मुझे दुनिया की परवाह नहीं है.. तुम मुझे सिर्फ़ इतना बताओ.. कि तुम मुझे पसंद करते हो या नहीं?
मैंने दिल में सोचा कोई पागल ही होगा जो इतनी खूबसूरत भाभी को हाथ से जाने देगा।
मैंने कहा- मैं तो आपकी खूबसूरती का दीवाना हूँ.. और यह तो मेरा नसीब है जो एक अप्सरा खुद चल कर मेरे पास आई है।
इसी तरह उनसे कुछ देर बात-चीत हुई..
फिर मैंने अपना मोबाइल नंबर उसे दिया और उससे फोन करने को कहा।
जवाब में वो मुस्करा कर अपने चूतड़ों को मटकाती हुई चली गई.. और मैं बेसब्री से उसके फोन का इन्तजार करने लगा।
उसने मुझे दूसरे दिन फोन किया।
जैसे ही मैंने फोन उठाया.. वहाँ से एकदम से एक प्यारी आवाज़ में मुझे सुनाई दिया- हैलो..!
‘हाँ.. हैलो जी.. कहिए.. कौन?’
‘मैं महजबीं-‘
‘जहे नसीब..’
महजबीं- कैसे हो आप?
मैं- आपकी की दुआ है..
महजबीं- आज मैं बहुत खुश हूँ।
मैं- क्यों?
महजबीं- आपसे बात जो कर रही हूँ..
मैं- ओके.. लेकिन मुझे खुशी तब होगी जब तुम मुझसे मिलोगी..
महजबीं- मुझे भी तुमसे मिलना है और बहुत जल्द मैं तुमसे मिलूँगी।
मैं- ओके.. मुझे तुम्हारे फोन का इंतज़ार रहेगा।
फिर थोड़ी देर बात करने के बाद उसने फोन काट दिया।
कुछ दिन ऐसे ही गुजरे.. फिर एक दिन अचानक उसका फोन आया- मैं तुम्हारा इंतज़ार कर रही हूँ.. घर पर कोई नहीं है.. जल्द से आ जाओ।
मैं उस वक्त ऑफिस में था.. मैं भी तुरंत ऑफिस से छुट्टी लेकर उसके घर पहुँच गया।
मैंने जैसे ही डोरबेल बजाई.. उसने दरवाज़ा खोला.. मैं तो उसे देखता ही रह गया।
वो एक नीले लिबास में थी.. क्या माल लग रही थी.. उसे देखते ही मैंने उसे अपनी बाँहों में भर लिया और उसे चूमने लगा।
उसने कहा- अरे आराम से.. मैं कहाँ भागी जा रही हूँ.. फिकर मत करो सब बाहर गए हैं.. रात तक कोई नहीं आएगा।
फिर बाद में वो मेरे लिए चाय-नाश्ता लेकर आई, हमने साथ साथ चाय नाश्ता किया.. और हमारे बीच बातें होने लगीं।
बातों ही बातों में मैंने उसे अपनी बाँहों में भर लिया और उसे चूमने लगा, वो भी मेरा साथ देने लगी।
मैं चूमते-चूमते उसकी गर्दन पर आ गया, फिर धीरे-धीरे उसकी नाभि पर चूमने लगा।
अब वो भी पूरी गरम हो चुकी थी और बहुत ही कामुक आवाज़ निकाल रही थी- आहह.. अहा.. आ आह.. हहा हहा आप और चूमो.. चूसो.. और और आआअहहाह..
मैं भी जोश में आ गया और चूमते-चूमते उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया।
क्या बताऊँ दोस्तो.. उसकी चूत जैसे कोई पपीता कटा हुआ मेरे सामने रखा हो.. और मुझे उसे खाना है।
मैं भी भूखे शेर की तरह उस पर टूट पड़ा और चूमते-चूमते हम 69 पोज़िशन में आ गए।
वो चुदास से मदहोश होती जा रही थी, वो कामातुर हो कर कहने लगी- अब सबर नहीं हो रहा है.. जल्दी से अपना लंड मेरी चूत में ठोक दो।
मैंने अपना लंड उसके मुँह से बाहर निकाला और उसकी चूत मैं घुसेड़ डाला। चूत गीली होने के कारण लौड़ा झट से चूत में पूरा जड़ तक समा गया।
वो भी चुदी चुदाई थी सो उसको भी मजा आ गया। अब कमरे में उसकी ‘आहों’ की गूँज सुनाई देने लगी- फच्छ.. फच्छ.. आअहहाहह.. आ हज्ज.. हाँ.. और ज़ोर से..
वो ऐसी कामुक आवाजें निकालने लगी। मैं अब पूरे जोश में था और तेज़ी के साथ झटके लगा रहा था।
धकापेल चुदाई के बाद हम दोनों साथ ही कब झड़ गए.. मुझे ख्याल ही नहीं रहा.. और हम दोनों थक कर बिस्तर पर अगल-बगल लेट गए।
थोड़ी देर के बाद फिर से उसने मेरे लंड को सहलाना शुरू किया और मुँह में लेकर चूसने लगी।
उसके लौड़ा चूसने से मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया।
अब की बार मैंने उससे कहा- मुझे तुम्हारी गाण्ड मारनी है।
पहले तो वो मना करने लगी.. पर मेरे ज्यादा ज़ोर देने पर वो मान गई।
मैंने टेबल पर रखी तेल की शीशी लेकर उसकी गाण्ड के छेद पर थोड़ा तेल लगाया.. जिसकी वजह से उसकी गाण्ड चिकनी हो गई।
तेल और उसकी चूत से टपकते पानी से लंड को अन्दर जाने में कोई दिक्कत नहीं हुई।
एक-दो झटकों में ही लंड आसानी से अन्दर चला गया।
मेरा मोटा लौड़ा अन्दर जाने से दर्द के मारे उसकी चीख निकल गई। मैं उसके मुँह पर हाथ रख कर तेज़ी से धक्के मारता चला गया।
थोड़ी देर बाद जब लौड़ा सैट हो गया तो उसे भी मजा आने लगा।
जैसे-जैसे वो ‘आह.. आअहहाहह.. आह.. अहाहाहा..’ की कामुक आवाजें निकालती.. मैं भी उतनी तेज़ी से झटके लगाते जाता।
तकरीबन 25 मिनट की गाण्ड चुदाई के बाद मैं झड़ने वाला था.. तो मैंने उससे कहा.. तो उसने कहा- मेरे मुँह में झड़ना.. मैं तुम्हारा पानी पीना चाहती हूँ।
मैंने अपना लंड उसकी गाण्ड से निकल कर उसके मुँह में दे दिया और वो पूरा पानी गटक गई।
फिर उसने मेरा लौड़ा अच्छी तरह से चाट-चाट कर साफ किया और हम थक कर बिस्तर पर लेट गए।
थोड़ी देर बाद वो मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बाथरूम ले गई और हम साथ-साथ नहाए।
नहाते-नहाते वो फिर से मेरे करीब आने लगी और उसने मेरे लंड को पकड़ कर मुँह में भर लिया। वो मेरे लण्ड को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी।
उसके चूसने के बाद मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। मैंने उसे दीवार के सहारे खड़ा कर के पीछे से उसकी चूत में लंड पेल दिया और उसे घोड़ी बना कर चोदता रहा।
वो भी एक ब्लू-फिल्म की कलाकारा की तरह से मेरा साथ देने लगी और आख़िर में मैं उसकी चूत में ही झड़ गया।
अब वक्त बहुत ज्यादा हो गया था.. तो महजबीं ने कहा- मोहसिन.. अब बस करो मेरे घर वाले अब आते ही होंगे।
आख़िर मैं भी उसे एक लंबा सा चुम्मा देकर वहाँ से चला गया और जब भी उसे मौका मिलता है.. वो मुझे फोन कर के बुला लेती है और मैं भी भागता हुआ उसके पास पहुँच जाता हूँ।
आज 2 साल हो गए हैं.. आज भी हमारा चुदाई का खेल चल रहा है।

ସେ ଦିନର ସତ୍ୟନଗର ର ଅନ୍ଧାର ଗଳି (Se Dinara Satya Nagar Ra Andhara Gali)

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  ହାଏ, ମୋ ଭାଉଜ ମାନେ ଓ ବେଧେଇ ଟୋକି ମାନେ ଓ ଆଦର୍ଶ ସୁନ୍ଦରୀ ଝିଅ ମାନେ ଜଉମାନଂକର ବାଟ ଏବେବି ଫିଟିନି, ସେ ସମସ୍ତଂକୁ ମୋତେ ଗେହିବାକୁ ଭାରି ଇଛା । ମୁଁ ଜଣେ ଓଟୋ ବାଲା, ଭୁବନେସ୍ୱର ରେ ପ୍ରାୟ ଦୁଇ ବର୍ଷ ହେଲା ଏଠି ଓଟୋ ଚଲଉଛି । ମୋର ବୟସ ୨୨ ବର୍ଷ, ଦେଖିବାକୁ ହାଣ୍ଡସମ୍ , ସତ୍ୟନଗର ଟୋକିମାନେ ମୋ ଓଟୋ ରେ ବସିବାକୁ ଭାରିଭଲ ପାଆନ୍ତି । ଏତେ ପାଠସାଠ ପଢି ମଧ୍ୟ୍ୟ ମୋତେ ଲାଇନ୍ ଦିଅନ୍ତି । କେତେ ଝିଅ ନ୍କ ସହ ମୋର ପରିଚୟ ମଧ୍ୟ୍ୟ ହୋଇଗଲାଣି । ସଳା ଟୋକି ମାନନ୍କ କଥା ଜେତେ କହିଲେବି ସେଶ ହେବନି। 1/3 ପ୍ୟାଣ୍ଟ ଆଉ ଟପ ପିନ୍ଧି ବଜାର ବୁଲି ବାହାରି ପଡନ୍ତି , କେବେ ସାଂଗସାଥି ମେଳରେ ତ କେବେ ଏକୁଟୀଆ । ମୋ ଭଲି ଓଟୋ ବାଲାଖାଲି ଭକୁଆଭଳି ଅନେଇବା ଛଡା କଣ ବା କରିବ , ଏତେ ଏତେ ବଡ ବଡ ଘରର ଝିଅ କୁ ଅମେ ତ ପୁରା ଅଳିଆ ।

  ହେଲେ ଯାହା କୁହନ୍ତୁପଛେ, ମୁଁ ମଧ୍ୟ୍ୟ ଭାଉଜ ଡଟ୍ କମ ର କେତେ କାହାଣି ପଢିଛି । ସନ୍ଧ୍ୟା ହେଲେ ଫାସ୍ଟଫୁଡ୍ ଆଉ ତା ପରେ ମୋବାଇଲ ରେ ବିପି ଦେଖେ ଆଉ ଗେହା ଗେହି କଥା ପଢେ । ଟୋକି ମାନଂକର ବିଆ ସଲେଇଲେ, ସେମାନେ ଜଉ ପୁଅ ହେଲେ ବି ପେଡା ଖାଆନ୍ତି । ମୋର ଖାଲି ଇଛା ଥିଲା ଗୋଟେ ଟୋକି ମିଳି ଯାଆନ୍ତା କି?

 ଫରିଦା ଗଳି ରୁ ଓଟୋ ନେଇ ମୁଁ ସକାଳୁ ସକାଳୁ ବାହାରିଲି ସତ୍ୟନଗର ଆଡକୁ । ଗଳି ଦେଇ ବାହାରିଲା ବେଳକୁ ଅଗରୁ ଗୋଟେ ସୁନ୍ଦରି ମୋ ଓଟୋ ପାଈଁ ହାତ ହଲେଇ ଇସାରା କରୁଥିବାର ଦେଖିଲି । କି ମସ୍ତ ଜବାନି ଝିଅ। ହାତ ହଲଉଥିଲା ସେ ହେଲେ ମୋ ନଜର ତା ଦୁଧ ଉପରେ ଥିଲା ଟପ ପିନ୍ଧାଝିଅର ହାତ ସହ ଦୁଧବିହଲ ହଲ ହଉଥିଲା । ମୁଁ ତାକୁ ଅନେଇ ଅନେଇ ସଡନ ତା ପାଖରେ ବ୍ରେକ ମାରିଲି । କୁଆଡେ ଜିବେ ମାଡାମ୍ ବୋଲି ପଚାରିବାରୁସେ କହିଲା ସତ୍ୟନଗର ଆଡେ ଜାଉଛବୋଧେ ମୋତେ ଟିକେ ସେ ଆଡେ ନେଇ ଚାଲ । ସେ ଓଟୋରେ ବସିବା ପରେ ମୁଁ ଓଟୋ କୁ ନେଇ ସତ୍ୟନଗର ଆଡେ ଚାଲିଲି ।

ଫ୍ରଣ୍ଟ ମୀରରରେ ତାକୁ ଦେଖି ଦେଖି ଚଲଉଥାଏ ଥାଏ । ମୁଁ କହିଲି କଣ କଉଠି ଓହ୍ଲେଇବେ ମାଡାମ୍ । ସେ ଟୀକେ ହସି ଦେଇକହିଲା କଣ ଭାଇନା ଚିହ୍ନି ପାରୁନକି । ସୁନ୍ଦରି ଟୋକି ଟାର ଏକଥା ସୁଣି ମୁଁ ଟିକେବାଉଳି ହୋଇଗଲି । କିଏ ଜାଣି ପାରୁନି ତ। ସେ କହିଲା କଣ ମନେ ନାହିଁ  ଆମେ ପୂର୍ବବର୍ଷ ସାଂଗମାନେ ତମ ଓଟୋ ରେ ସବୁ ଦିନ କଲେଜ ଯାଉଥିଲୁ । ମୁଁ କହିଲି ତମ ନାଁ କଣ ? ସେ- ପ୍ରତିମା ପରା । ତା ପରେ ମୋର ତା ବିସୟ ରେ ମନେ ନଥିଲେ ବି ମୁଁ ତା ସହ ଏଆଡୁ ସେଆଦଡୁ ଗପି ଚାଲିଲି । ସେ ଖିଲ ଖିଲ ହସି ଏଠି ରଖିଦିଅ କହି ଓଟୋ ରୁ ସିଧା ଓହ୍ଲେଇ ଚାଲିଲା।

 କି ଅଜବ ଝିଅ ମୁଁ ବି ତାକୁ ଆଉ ମାଗିପାରିଲିନି। ତା ଗାଣ୍ଡି ହଲେଇ ହଲେଇ ମୋ ଆଗରେ ଚାଲିଗଲା । ସିଧା ଗାଣ୍ଡିରେ ବାଣ୍ଡ ଭର୍ତି କରିବାକୁ ଇଛା ହେଲେ ବି କଣ ବା କରି ପାରିବି । ଛାଡ ଅନୁକୁଳ ଟା କିଛି ମିଳିଲାନି। ଟିକେ ଆଗକୁ ଗଲା ପରେ ଗୋଟେ ଭୁବନେଶ୍ୱର ରୁ କଟକ ଭଡା ମିଳିଗଲା। ଗୋଟେ ରୋଗି କୁ ନେଇ କଟକ ସିଟୀ ହସ୍ପିଟାଲ ରେ ଛାଡି ଦେଇ ସେଠୁ ପ୍ରତିଦିନ ପରି ମୋ ଓଟୋ ଭିଡା ସନ୍ଧ୍ୟା ୬ ଟାରେ ସରିଲା । ସଂଜ ହେଲେମୋତେ ଆଉ ଇଛା ଲାଗେନି, ମୁଁ ସତ୍ୟନଗର ରୁ ବାହାରି ଆସିଲା ବେଳେ ବାଟରେସେ ଝିଅ ଟା ଦେଖା ହେଲା ଟିକେହସି ଦେଇ ବେଧ ଝିଅ ମୋ ଓଟୋ ରେ ଗୋଡ ମେଲେଇବସି ଗଲା । ପଇସା ତ ଦଉନି ଖାଲି ଟିକେ ଗେହି ବାକୁ ଦିଅନ୍ତାକି।

 ସେ ଓଟୋ ରେ ବସି ମୋ ସହ ପୁଣୀ ଗପ ଯମେଇଲା । ମୋତେ ସରି କହି କହିଲା ମୁଁ ତମକୁ ଆଉ ଟଂକା ନଦେଇ ଚାଲିଗଲି ମୋର ଆଉ ଖ୍ୟାଲ ରହିଲାନି । ମୁଁ କହିଲି ହଁ ସେଥିରେ କଣ ଅଛି । ତମେ ମାଗେଣାରେ ଗଲେ କଣ ମୁଁ ମନା କରୁଛି? ସେ କହିଲା ନାଇଁ ଯେ, ମୋର ତମ ସହ କଥା ବାର୍ତା ରେ ଆଉ ଖ୍ୟାଲ ନଥିଲା । ତମ ସହ କଥା ହୋଇ ମୁଁ ଅଜି କେତେ ଦୁରରେ ଜାଇ ଓହ୍ଲେଇଲି। ମୁଁ ଚୁପ ରହି ଖାଲି ସୁଣୂ ଥାଏ ।

 ସେ ଟିକେ ଅଗକୁ ମାଡି ଆସି ମୋ କାନ ପାଖରେକହିଲା କଣ ଭାଇନା ଚୁପ ରହିଲଏ ଯେ ! ମୁଁ କହିଲି ନାଇ ଆପଣ ଏବେ କଣ କରୁଛନ୍ତି ମାଡାମ୍ । ସେ – ମୁଁ ଏବେ ଏୟାରଟେଲ ରେ କସ୍ଟମର କେୟାର ରେ ଅଛି । ପୁଣି ଏମିତି ଗପର ଟପର ଭିତରେ ଗଳି ଭତରେ ଗାଡି ପସୁ ପସୁ କରେଣ୍ଟ ଚାଲିଗଲା । ମୁଁ ପ୍ରତିମା ମାଡାମ କୁ ନେଇ , ସେ କହିବା ଜାଗାରେ ଓହ୍ଲେଇ ଦେଲି।ଅନ୍ଧାର କୁ ରାସ୍ତାଠିକ ରେ ଜଣା ପଡୁ ନଥିଲା ପ୍ରତିମାମୋତେ ତା ଘର ପାଖକୁ ଟର୍ଚ ନେଇ ଜିବାକୁ କହିଲା ଅମେ ଦୁଂହେ ତା ଘର ପାଖକୁ ଗଲୁ । ପ୍ରତିମା ତା ଘରର ତାଲାଖୋଲିଲା ଆଉଠିକ ସେତିକି ବେଳକୁ କରେଣ୍ଟ ଆସିଗଲା । ସେ ଭାରି ଖୁସି ହୋଇ ମୋତେ ଭିତର କୁ ଅସିବାକୁ କହିଲା। ମୁଁ ଭିତରକୁ ଜାଇ ତାକୁପଚାରିଲି କଣ ତମେ ଏକା ରହୁଛ ସେ କହିଲା ନାଇଁ ସାଂଗ ମାନେ କେହି ନାହାନ୍ତି। ମୁଁ କହିଲି ହଉ ମୁଁ ଏବେ ଜାଉଛି । ସେ – କଣ ଟିକେ ବସ ଚା କରି ଆଣିବି । ମୁଁ ତା ବ୍ୟବହାରରେ ଅଡୁଆ ମନେ କରୁଥିଲି ହେଲେ ସେ ମୋତେ ବସେଇ ଦେଇ ସଂଗେ ସଂଗେ  ରୋସେଇ ଘରକୁ ପସି ଗଲା । ମୁଁ ଟୀଭି ଦେଖୁ ଦେଖୁମୋଆଖିରେ ଗୋଟେ ବହି ପଡିଲା ତା ବେଡ ରେ ଓଡିଆ କାମସୁତ୍ର ବହି । ମୁଁ ସେ ବହି  ଦେଖି ତାକୁଖୋଲୁ ଖୋଲୁ ଖାଲି ଲଂଗଳା ଚିତ୍ର ଆଉ ଗିହା ଗେହି ଛବି ଦେଖୁଥିବା ବେଳେ ସେ ଚା ଆଣି ପାଖକୁ ଆସି ମୋତେଅଫର କଲା ବେଳେ ମୋ ହାତରେ କାମସୁତ୍ର ବହି ଦେଖି ଖୁଣ୍ଟ ପରି ଛିଡା ହେଲା ।


 ମୋ ଦେହର ଗରମ ଆଉ ସମ୍ଭାଳି ନପାରିସେ ଝିଅ କୁ ବେଡ ରେ ମାଡି ଧରି ଦୁଧ ଚିପି ବାରେ ଲାଗିଲି । ସେ – ଛାଡ ଭାଇ ବୋଲି ଚିତ୍କାର କଲା ଆଉ ମୁଁ ଅଟକିଲି ନାହିଁ । ତା ଟପ ରୁ ଦୁଧ କାଢି ଦଳି ଚାଲିଲି । ସେ କିଛିସମୟ ବୋବାଳି ପରେ ଚୁପ ହେଲା । ଆଉ ମୋ ସହ ସହଯୋଗ କରି କୁଆଁରିଦେହରେ ଗୁଦୁଗୁଦି ଖେଳି ଉଠିଲା । ସବୁ ଝିଅ ତ ପେଲା ଖାଇଲାବେଳେ ଉଁ ................ ଉଁ ...... ହୁଅନ୍ତି ଆଉ କିଏ କାନ୍ଦେ । ପ୍ରତିମା ସେହିଭଳି ଆଗ ଅଖିରେ ଲୁହ ଭରି ପରେ ପ୍ରତିପେଲିଲା ବେଳେ ଗୁଦ ଗୁଦି ହେଲା ଭଳି ହସି ହସି ମଜା ନେଉଥିଲା । ମୁଁ ତାକୁ ଗେହି ଗେହି ରାତି ୮ ଟା ବାଜି ଗଲା । ତା ଲଂଗଳା ଦେହରେଦୁଧ କୁ ଚାଟିଚାଟି କିସ୍ ପରେ କିସ୍ ମାରି ଚାଲିଲି ।


ସେଠୁ ଫେରି ତା ପାଇଁ ରାତିଯାକ ଭାବିଲି ସକାଳୁ ଓଟୋ ନେଇ ପୁଣୀ ଗଲା ବେଳକୁ ସେ ପୁର୍ବ ଭଳି ହାତ ହଲେଇ ମୋ ସହ ଯିବାପାଇଁ ଇସାରା କଲା। ଏବେ ତା ସାଂଗ ମାନେ ଅସିଜାଇଥିଲେ ମୁଁ ତା ସହ ପ୍ରତି ଦିନ ସମୟ ବିତାଏ । ତାକୁ ନେଇପାର୍କ, ସିନେମା ଆଉ କେତେ କଣ ଏବେ ମୁଁ ଭାରି ଖୁସି ।

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=====    ସୁନିତା ପୃଷ୍ଟି
=====    ଭାଉଜ.କମ୍ 

ईमानदारी से मालिश और चुदाई

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मैं एक लम्बे अरसे से BHAUJA  का पाठक हूँ और पहली बार अपनी आपबीती आप सब तक भेज रहा हूँ।
मेरे पड़ोस में एक भाभी रहती हैं.. जिनकी जवानी के दीवाने छोटे-बड़े सभी हैं, भाभी जी एक दो साल के बच्चे की माँ भी हैं।
उनका बच्चा ऑपरेशन से हुआ था.. तो जाहिर है कि उनकी चूत आज भी टाईट ही थी।
उनका हमारे घर में आना-जाना था.. वो मेरी पत्नी से अक्सर कहती थीं- मुझे अपने बदन में बहुत दर्द महसूस होता है।
एक दिन मैंने मजाक में कह दिया- भाभी आप अपने शरीर की मालिश कराओ.. आपको आराम मिल जाएगा।
वो कुछ शरमाते हुए बोली- इधर कहाँ कोई मालिश वाली मिलती है।
मैंने कहा- भाईसाहब से करा लो न..
यह कह कर मैं हंस पड़ा।
लेकिन उन्होंने बड़ी शरारत भरी नजरों से मुझे देखा।
खैर.. बात आई-गई हो गई। वो आती तो अक्सर अपने दर्द की बात कहती थीं।
एक दिन मेरी पत्नी को 8–10 दिन के लिए अपने पीहर जाना पड़ा और बच्चों को भी साथ ले गई।
यह बात भाभी को पता नहीं थी, दोपहर को भाभी हमारे घर आईं और मेरी पत्नी को आवाज लगाते हुए अन्दर घर में आ गईं।
मैं अपने लिए चाय बना रहा था.. तो भाभी को आया देख कर मैंने उन्हें चाय के लिए पूछा- भाभी मैं चाय बना रहा हूँ आप पीएंगी?
पहले तो वो मना करने लगी.. किन्तु मेरे आग्रह करने पर चाय पीने को तैयार हो गईं।
मैं दो कप में चाय व प्लेट में नाश्ता लेकर भाभी के पास आया और हम दोनों चाय पीने लगे।
मैंने वैसे ही पूछ लिया- भाभी जी अब बदन का दर्द कैसा है?
तो भाभी कहने लगीं- किसी मालिश वाली की तलाश कर रही हूँ.. किन्तु कोई नहीं मिल रही है।
मैंने कहा- भाई साहब से करा लो..
तो कहने लगीं- उन्हें फुरसत ही कहाँ है.. वो तो अपनी मस्ती में मस्त रहते हैं।
मैंने मजाक में कह दिया- आपकी समस्या जटिल है.. मैं तो अपनी पत्नी की मालिश कर देता हूँ.. अगर आप कहें तो हम पीछे नहीं हटेंगे..
दोस्तो.. यह बात मैंने कह तो दी.. लेकिन मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा।
भाभी इतना सुनते ही मुस्कराने लगीं और कहा- रहने दो.. आप कहाँ हमारी मालिश करने वाले हो.. आप तो कुछ और सोच रहे हो।
मैंने कहा- नहीं.. मैं अगर मालिश की बात कर रहा हूँ.. तो केवल मालिश की ही बात कर रहा हूँ.. कुछ और नहीं..
भाभी थोड़ी देर तो चुपचाप चाय पीती रहीं.. फिर बोलीं- अच्छा ठीक है.. आज रात को आपको मैं आपको कॉल करूँगी। आप आ जाना.. किन्तु ईमानदारी से.. जितना कहा बस उतना ही करना।
मैंने कहा- ठीक है।
इमुझे नहीं बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि भाभी यह बात सीरियसली बोल रही हैं।
किन्तु ठीक रात को 9 बजते ही भाभी की कॉल आई और वो कहने लगीं- मैंने अपने पति को बहाना बनाकर शहर के बाहर भेज दिया है.. और आज रात वो वहीं रहेंगे.. आप आकर मेरी मालिश कर दीजिए।
मैंने कहा- जरूर…
दोस्तो, मेरे मन में भाभी को पा लेने की लालसा जरूर थी.. किन्तु मैं हमेशा से वादे का पक्का रहा हूँ।
मैंने उनके घर पहुँच कर मालिश करने की तैयारी की और भाभी को बिस्तर पर लेटने को कहा.. तो भाभी मुझे अपने बेडरूम में ले आईं.. जहाँ उन्होंने पहले से ही एक मालिश वाले तेल की शीशी रखी थी।
भाभी लेट गईं.. तो मैंने तेल लेकर उनके पैरों पर मालिश करनी शुरू कर दी। पांच मिनट बाद पूछा- आराम मिल रहा है या नहीं?
तो भाभी बोलीं- बड़ा अच्छा लगा रहा है दर्द में आराम है।

मैं पैरों की मालिश करता रहा.. तो भाभी ने कहा- थोड़ा ऊपर तक कर दो।
तो मैंने भाभी का गाउन उनके नितम्बों तक चढ़ा दिया और उनकी शानदार जंघाओं पर हाथ फेरने लगा।

उनका गदराया हुआ बदन देखकर मेरा बुरा हाल था। मेरा कीमती हथियार भाभी को सलामी देने के लिए तैयार था.. किन्तु मेरा वादा बीच में आड़े आ रहा था।
थोड़ी देर मालिश करने के बाद भाभी से कहा- अब सीधी होकर लेट जाईए..
तो भाभी सीधी हो गईं। मालिश करते-करते उनका गाउन उनकी जंघाओं से ऊपर तक चला गया तथा उनकी कीमती चूत.. जो छोटे-छोटे बालों की बीच छुपी हुई थी.. मुझे दिखाई देने लगी।
मैं मालिश करते-करते उनकी झांटों के बालों को छू रहा था।
भाभी का चेहरा देखने से पता चलता था कि वो उत्तेजित हो रही हैं.. किन्तु चुप थीं।
करीब 20 मिनट मालिश करने के बाद मैंने पूछा- अब आराम है?
तो भाभी ने ‘हाँ’ में सिर हिला दिया।
अब मैं भाभी की परीक्षा ले रहा था.. सो मैंने भाभी का गाउन नीचे सरका दिया और चलने के लिए कहने लगा।
भाभी ने कोई उत्तर नहीं दिया.. किन्तु मैं अपना तना हुआ हथियार लेकर दरवाजे पर आया और बाहर से निकल कर दरवाजा बन्द कर अपने घर चला आया।
तभी भाभी की कॉल आई और उन्होंने कहा- आपकी मालिश बड़ी अच्छी थी।
दोस्तो.. मालिश तो अच्छी थी.. किन्तु मेरे लण्ड का मैं क्या करता.. बड़ी मुश्किल से उसे समझाया.. बाथरूम में गया.. और उसकी भी मालिश करके.. वापस आकर बिस्तर पर लेटकर सो गया।
अब दूसरे दिन भाभी की कॉल फिर आई और भाभी ने फिर दर्द का बहाना बनाया।
वे कहने लगीं- आपकी मालिश बढ़िया थी.. किन्तु अधूरी है।
इस बात का क्या अर्थ था.. मैं खूब समझता था।
मैंने कहा- मैं जो वादा करता हूँ.. उसी पर अडिग रहता हूँ। केवल मालिश की बात हुई थी.. सो इससे आगे कुछ और नहीं..
तो भाभी ने कहा- आज और मालिश कर दो.. लेकिन कोई वादा और सीमा में आज का कार्यक्रम मत बांध देना।
मैं भाभी की बात समझ गया। उनकी इच्छा समझते ही और उनके मुँह से इतना सुनते ही मेरे हथियार ने एक जोरदार सलामी दी।
खैर.. मैं जल्दी-जल्दी तैयार होकर भाभी के घर गया। अब भाभी को मालिश की लत लग चुकी थी और मेरी ईमानदारी पर विश्वास भी हो गया था।
सो उन्होंने आज भी अपने पति को बहाने से शहर में भेज दिया था। मैं जैसे ही आया.. भाभी मुझे हाथ पकड़कर कमरे में ले गईं और कहने लगीं- पहले जैसी मालिश कर देना.. और ध्यान रहे इस बार कोई ‘कमी’ न रहे..
उन्होंने ‘कमी’ शब्द पर विशेष जोर दिया था।
मैंने कहा- पहले कहो तो ‘कमी’ ही पूरी कर दूँ?
तो भाभी ने एक कातिल अदा से मुस्कुराते हुए कहा- नहीं पहले मालिश करो।
भाभी पलंग पर लेट गईं.. और पहले से रखा हुआ तेल.. मैंने भाभी की पैरों पर लगाना शुरू कर दिया।
मेरा खड़ा सैनिक भी युद्ध लड़के के लिए बेताब था किन्तु ईमादारी आड़े आ रही थी इसलिए मैंने भाभी के पैरों की मालिश की.. फिर उनकी जंघाओं की मालिश की और अब उन्हें सीधी लेटने के लिए कहा।
मालिश करते समय मुझे पता चल चुका था कि आज भाभी ने छोटा जंगल काट कर साफ किया हुआ है। चूत एकदम टाईट और गुलाबी दिखाई दे रही थी।
मैंने आज उनके पैरों की मालिश करते हुए पैरों की जड़ तक मालिश की।
भाभी बार-बार ‘आहें’ भर रही थीं। उनकी चूत से चिकना पानी निकल रहा था। कुछ ही मिनट में भाभी बोल पड़ीं- अब कोई ‘कमी’ मत छोड़ना.. मालिश तो पूरी हो गई.. पर बाकी ‘कमी’ भी जल्दी से पूरी कर दो..
मैंने बहाना बनाया- कहो तो कमर की मालिश भी कर दूँ?
तो उन्होंने अपनी चूत को उचका कर कहा- अब तो इसे मालिश की जरूरत है।
मैंने थोड़ा तेल और लिया तथा भाभी की चिकनी चूत पर मालिश करने लगा।
तो भाभी तेजी से उठ कर बैठ गईं और मेरे लण्ड को पकड़ कर उस पर तेल लगा दिया और कहने लगीं- मेरी चूत की मालिश अपने लण्ड से कर दो..
अब मेरा भी सब्र का बांध टूट गया.. मैंने भाभी को सीधा लिटाया और उनकी जंघाओं पर बैठकर लण्ड भाभी की चूत पर लगा दिया और जोर का धक्का लगा दिया।
भाभी को इस हमले की बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी। अचानक घुसे मोटे मजबूत लण्ड से भाभी की आंखें फट गईं।
भाभी ‘आउउउह..’ की आवाज करते हुए कराह उठीं।
मैंने उनकी ‘कराहों’ को ‘आहों..’ में बदल दिया और दम से चूत चुदाई की.. अब वे झड़ चुकी थीं मैंने भी अपना रस उनकी चिकनी चूत में झाड़ दिया।
फिर चुदाई के कुछ पलों बाद अपनी आँखें खोलकर कहने लगीं- आह्ह.. आज आपने मालिश पूरी की है। मौका मिलते ही फिर से आ जाना..

प्यारी भाभी के साथ चुदम चुदाई

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मेरा नाम आकाश है.. मै रायपुर (छ.ग.) का रहने वाला हूँ। यह घटना मेरे साथ तब हुई.. जब मैं 18 साल का हुआ ही था।
मेरे घर के बगल में एक भाभी रहती है.. जिसका नाम है प्रिया, मैंने उसका नाम बदल दिया है। उसकी उम्र 26 साल की है.. वो दिखने में इतनी अधिक सुन्दर है कि जो भी उसे देखे.. वो देखता ही रह जाए।
प्रिया के दो बच्चे हैं जो अभी छोटे हैं एक 3 साल का है और दूसरा 4 का है। उसका पति शराब पीता है.. जिसके कारण प्रिया उदास ही रहती है।

प्रिया की भरपूर जवानी को देख कर कम से कम 45-50 लोग उस पर लाइन मार चुके थे.. पर वो किसी को घास नहीं डालती थी। मुझे भी उसे पटाने में कम से कम एक साल लगा था।
मैंने हमेशा ही नशे में धुत्त उसके पति को रात में घर लाकर छोड़ा है.. और वैसे भी भाभी का सभी काम मैं ही करता हूँ।
एक दिन जब भाभी ने मुझसे मोबाइल को रिचार्ज करवाने के लिए बोला.. तो मैंने उनसे पूछा- इतना किससे बात करती हो?
तो वो शर्मा गईं और हँस कर बात को टाल गईं।
तब से मैं उसे रोज देखकर हँसा करता था.. तो वो भी मुझे देख कर हँसा करती थी।
अब मैं उसके बारे में सोच कर मुठ्ठ मारा करता था और रोज सोचा करता था कि उसको कब चोदने को मिलेगा.. उसको चोदने के लिए मैं बहुत अधिक व्याकुल सा हो चला था।
ऊपर वाले ने मेरी जल्दी ही सुन ली.. एक बार उसके पति को 5 दिनों के लिए बाहर जाना पड़ गया।
उन्होंने मेरे घर में मेरी माँ को बोल दिया था कि आकाश को मेरे यहाँ सोने के लिए भेज दीजिएगा।
जब मैं शाम को अपने घर आया.. तो मेरी मम्मी ने मुझसे कहा- रात को तुझे प्रिया के घर सोने जाना है।
मैं तो जैसे खुशी के मारे पागल हो गया था.. मन ही मन मैं बहुत खुश था।
रात को जब दस बजे मैं भाभी के घर गया.. तो भाभी ने दरवाजा खोला।
तो मैं उन्हें देखता ही रह गया.. वो एक झीने से गाउन में खड़ी खड़ी मुस्कुरा रही थी।
मैंने गौर से देखा उसके गाउन में से उसकी छोटी सी ब्रा दिख रही थी और उस जरा सी ब्रा में फंसे उसके कबूतर बाहर निकलने के लिए फड़फड़ा रहे थे।
मैं उसे देख कर कामुक भाव से मुस्कुरा दिया.. वो भी मुझे देख कर अपने होंठ काटने लगी और शर्मा गई।
वो अपने बच्चे को सुला चुकी थी.. मैं उससे बहुत देर तक बात करता रहा.. जब मैं हाल में सोने की तैयारी करने लगा.. तब भाभी मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपने बेडरुम में ले गईं।
मैं बहुत खुश था कमरे में जाकर उन्होंने मुझे बिस्तर पर सोने को बोला.. मैं लेट गया।
काफी देर तक हम लोग बात करते रहे.. फिर वे सो गईं।
रात को जब मेरी नींद करीब एक बजे खुली तो मैंने देखा कि भाभी अपनी चूत में खुजली कर रही थीं और अपने मुँह से ‘आअह.. आह्ह..’ की आवाजें निकाल रही थीं। मेरा लन्ड धीरे-धीरे खड़ा होने लगा और पूरे 7 इन्च का हो गया।
इधर मैं अपना लन्ड हाथ से हिला रहा था.. उधर भाभी अपने चूचों को जोर-जोर से दबा रही थीं। मैंने देखा उसके चूचे गाउन से बाहर आ गए थे।
मैं पागल हो चुका था.. मैंने पहले दोनों बच्चों को धीरे-धीरे किनारे किया उसे पता भी नहीं चला।
अब मैं डर भी रहा था.. फिर मैंने आव देखा न ताव और एक ही झटके में उसके ऊपर चढ़ गया।
वो अचानक हुए इस हमले से डर गई और उसने मुझे जोर से अपने ऊपर से धक्का दे दिया।
मैं पलंग से नीचे गिर गया। भाभी मेरे ऊपर चिल्लाने लगी और मेरी माँ को बताने की धमकी देने लगी।
मेरा दिमाग खराब हो गया.. मैंने उसे जोर से बिस्तर में पटक दिया और उसके ऊपर चढ़ गया।
अब मैंने अपने होंठ उसके होंठों से चिपका दिए और उसे चुम्बन करने लगा। मैं उसकी गर्दन पे किस करने लगा.. अब वो मुझे हटाने के लिए कम जोर लगा रही थी।
मैंने उसकी ब्रा को खींच कर निकाल दिया और उसके चूचों को जोर-जोर से दबा कर चूसने लगा।
अब उसके मुँह से ‘आअहह.. उई..’ की सिसकारियां निकलने लगीं।
मैंने उसके गाउन को खींच कर निकाल दिया और उसके पूरे शरीर को चूमने लगा।
उसका विरोध खत्म हो गया था.. मैं चड्डी के ऊपर से उसकी चूत को फ़ैला-फ़ैला कर चाटने लगा। भाभी एकदम पगला सी गई.. और ‘चोद.. चोद..’ कहने लगी।
वो अपना हाथ मेरे बालों में फ़िराने लगी। मैं 15 मिनट तक उसकी चूत चाटता रहा।
अब मैंने अपना लन्ड उसके हाथ में दे दिया और वो मेरे लन्ड को सहलाने लगी। मैं उसके पैरों के बीच में आ गया और अपना लन्ड उसकी चूत के ऊपर रगड़ने लगा।

उसके बाद मैंने अपने लन्ड को हल्के से धक्का लगाया तो मेरा सुपाड़ा उसकी चूत में घुस गया।
प्रिया चिल्ला उठी- उई माँ.. मार डाला रे.. निकाल कुत्ते.. निकाल..
मैंने उसकी बात को अनसुना करते हुए एक जोर से शॉट मारा.. इस बार मेरा लन्ड एक बार में पूरा का पूरा उसकी कुलबुलाती चूत में समा गया।
अब मैं कुछ पलों तक रुकने के बाद प्रिया को जोर-जोर से चोदने लगा।
उसके मुँह से ‘आहह.. चोदो मेरे राजा.. आह्ह..’ की आवाजें आ रही थीं।
मैं उसे तीस मिनट तक चोदता रहा। उसके बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए और हम दोनों इसी तरह 5 दिनों तक धमासान चुदाई में मस्त रहे।
प्रिया मुझसे बोली- जानू मैंने तो सोचा ही नहीं था कि तू इतना बड़ा चोदू निकलेगा।
अब प्रिया मेरे लौड़े से बहुत खुश है जब भी हमें समय मिलता है.. हम जरूर चुदाई करते हैं।

विधवा के सुलगते बदन की अगन

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Vidhva Ke Sulagte Badan Ki Agan



मैं सुदेश.. मेरी उम्र 25 साल है। मैं भोपाल में एक प्राइवेट मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करता हूँ।

बात 2 साल पहले की है.. जब मेरी कंपनी ने मेरा तबादला जयपुर कर दिया था। मैं जयपुर चला गया.. शुरू में मैंने 15 दिन तक होटल में ही रुक कर अपने लिए एक कमरे की तलाश शुरू की। आख़िर एक कमरा मिला.. जिस घर की मालकिन एक विधवा औरत थी।

उसके 3 बच्चे थे.. एक किशोर लड़की.. उससे छोटा एक लड़का और फिर सबसे छोटी लड़की थी वे सब भी उसकी मकान में रहते थे।
मैंने वहाँ अपना सामान अपने कमरे में शिफ्ट कर लिया।
मकान मालकिन की उम्र 35 साल के लगभग थी.. वो दिखने में स्मार्ट और 25-26 साल की मस्त औरत के जैसे लगती थी। शुरू के 2-4 दिन तक मैं उनसे ज्यादा बात नहीं करता था.. ना वो मुझसे कोई फ़ालतू बात करना चाहती थी।

फिर एक रविवार के दिन मैं कमरे में था.. तो मेरे कमरे के सामने मकान मालकिन सब्जी काट रही थी.. क्योंकि रसोई में लाइट नहीं थी.. तो खिड़की की जाली से परदा उठाकर मैंने देखा कि उसने नाईटी पहनी हुई थी और एकदम मस्त माल लग रही थी.. मैं काफ़ी देर उसे गौर से देखता रहा.. मेरा लंड खड़ा हो गया.. मेरे मन में अजीब ख्याल आने लगे।

अब मैंने उनसे बात करने की सोची और बोला- भाभी जी क्या कर रहे हो?
तो वो एकदम चौंक कर बोली- ओह.. तुम हो क्या.. अन्दर बैठे हो.. तुम्हें अन्दर गर्मी नहीं लग रही क्या?

उसने इतना कहते हुए मेरे कमरे का दरवाजा खोला और अन्दर झाँका तो मैं एकदम शर्म से झुक गया.. क्योंकि मेरा खड़ा लंड लोवर में से बाहर की ओर उभर कर निकला हुआ था।

वो गौर से उस उभार को देखने लगी और चुपचाप बाहर जाकर अपने काम में लग गई और थोड़ी-थोड़ी देर में खिड़की की तरफ देखने लगी। मैं फिर से उसी खिड़की से उसे देख रहा था।
फिर वो अन्दर जा कर अपने काम में लग गई और मैं बाजार चला गया।

मैं खाना बाहर ही खाता था.. सो मैं रात को 9-30 बजे के आस-पास कमरे में आया.. तो भाभी बोली- आज इतने लेट कैसे हो गए?
मैंने जबाव दिया- मैं तो रोज़ इसी टाइम पर आता हूँ।
भाभी बोली- अच्छा.. खाना कहाँ खाते हो?
मैं बोला- होटल में, पर थोड़े दिनों में ही टिफिन लगवा लूँगा।
भाभी कुछ नहीं बोली.. और मैं कमरे में आ गया।

फिर मैंने अपनी ड्रेस चेंज की और लाइट ऑफ करके सोने लगा.. मैंने मोबाइल में टाइम देखा तो उस वक्त 10.30 बज चुके थे।
तभी भाभी ने आवाज़ लगाई- आप सो गए क्या?
मैं बोला- क्या करूँ.. कुछ काम नहीं है.. तो सोना ही बाकी है।

उनकी आवाज़ साफ़ सुनाई दे रही थी क्योंकि मेरे कमरे के पास ही उनका बाथरूम था और उसका 1 गेट मेरे कमरे में भी खुलता था।
तो मैंने पूछा- आप इसी रूम में सोती हो क्या?
वो बोली- हाँ.. वैसे मैं कमरे किराए पर कभी नहीं देती हूँ। वो तो हमारे पड़ोस वाले चाचा जी के कहने पर ही दिया है।
उसके पड़ोस के चाचा जी मेरी कंपनी में ही जॉब करते हैं.. तो मैंने कहा- भाभी जी थैंक्स.. तो पहले इस कमरे में आप सोती थीं?
वो बोली- नहीं.. बड़ी बेटी सोती थी.. वैसे हमारे अन्दर वाले हिस्से में भी 3 कमरे और हैं।

भाभी टॉपिक चेंज करके बोली- आप पूरा जयपुर देख चुके हो क्या?
मैंने कहा- नहीं.. अभी ऑफिस में सबसे दोस्ती नहीं हुई है.. सो कहीं भी घूमने नहीं गया।
तो वो बोली- कोई अच्छी सी गर्लफ्रेंड बना लो.. आपको पूरा शहर घुमा देगी।

मैंने एकदम कहा– वैसे आप भी तो मस्त हो।
भाभी बोली- नहीं.. हमारी तो उम्र निकल गई।
मैंने पूछा- आपकी उम्र क्या है?
वो बोली- 34..
तो मैंने कहा- आप 34 की लगती नहीं हो.. एक बात पूछूँ.. आपके पति को क्या हो गया था.?
वो बोली- वो फ़ौजी थे और 3 साल पहले एक्सपायर हो गए थे।

इसी तरह बातें चलती रहीं.. फिर मैंने मोबाइल में टाइम देखा तो 1.30 से ऊपर टाइम हो चुका था।
भाभी बोली- सो जाओ अब.. तुम सुबह कितने बजे उठते हो?
मैंने कहा- रोज तो जल्दी 6.00 उठता हूँ पर आज तो 2.00 बज गए तो पता नहीं कब नींद खुलेगी?
भाभी बोली- मैं तुम्हें जगा दूँगी.. कितने बजे जगाना है?
मैंने कहा- 6.00 या 6.30 बजे तक..
बोली- ठीक है..
फिर हम दोनों सो गए।

सुबह मुझे भाभी ने आवाज़ लगाई और मेरा गेट खटखटाया तो मैं उठा और मैंने सोचा कि शायद भाभी अन्दर आएगी.. क्योंकि अन्दर से मेरी साइड से तो गेट का कुण्डा खुला ही था.. पर उसने गेट नहीं खोला.. और मैं अपने लौड़े को हिलाकर रह गया।

दूसरे दिन फिर रात में हमारे बीच काफ़ी देर तक बातें हुई और रात के 11.00 बजे थे.. मैंने तुरंत कहा- आपके बच्चों को हमारी ये बातें सुनाई नहीं देती क्या?
भाभी बोली- वो तो अपने सामने वाले कमरे में सोते हैं और बड़ी बेटी ऊपर के कमरे में सोती है।
तो मैंने कहा- भाभी जी.. तो आपने इधर का गेट क्यों बंद कर रखा है? इसे खोलो।
भाभी बोली- नहीं यार.. परदा तो होना ही चाहिए।

उसने मुझे ‘यार’ कहा.. तो मैंने कहा- अपन दोनों तो अब यार हो गए हैं और वैसे भी आप भी अकेली और मैं भी अकेला.. ना मुझे नींद आती है और ना आपको।
तो वो हँसने लगी और बोली- मुझे तो नींद आती है.. आपको ही नहीं आती।
मैंने कहा- तो मेरे लिए ही सही.. गेट तो खोलो.. प्लीज़.. भाभी..
भाभी बोली- ठीक है.. मैं खोलती हूँ पर आप मेरी मर्ज़ी के खिलाफ कुछ नहीं करोगे..
मैंने कहा- आपकी कसम.. प्लीज़.. गेट तो खोलो।

भाभी ने गेट खोला.. तो मैंने भाभी को गले से लगा लिया और उसके होंठों को चूमने लगा।

फिर वो मेरे साथ बिस्तर पर आ गई.. अब मैं उसे छेड़ने लगा.. कभी उसके मस्त-मस्त मम्मे चूसता.. कभी उसकी चूत पर हाथ लगाता।
फिर मैं एकदम नंगा हो गया.. तो भाभी मेरे लण्ड को देखकर बोली- हाय.. इतना बड़ा?
मैंने कहा- अब तक मैंने किसी के साथ सेक्स नहीं किया.. यह आपकी चूत पर ही मेहरबान हुआ है।
भाभी मेरे लौड़े को देखने लगीं।

अब मैंने कहा- भाभी ये नाईटी क्यों पहनी हुई है.. प्लीज़ खोलो इसे..
तो वो बोली- नहीं.. मैं ये काम नहीं करूँगी और सब कुछ कर लूँगी।
मैंने उसके जिस्म पर हाथ फेर कर उसकी चूत को जगा दिया और अपना लण्ड उसके हाथ में थमा कर बोला- लो ये आपके लिए ही है.. जैसे चाहो इस्तेमाल करो..

मुझे भी कोई जल्दी नहीं थी.. अब भाभी थोड़ी देर तक मेरा हथियार हिलाती रहीं.. फिर अचानक उठ कर लण्ड को मुँह में ले लिया और लगभग 10 मिनट तक वो लौड़ा चूसती रही।
आख़िर मैंने कहा- भाभी अब निकलने वाला है.. प्लीज़ आपकी चूत तो अभी बाकी है।
अब भाभी ने तुरंत अपनी नाईटी उतार दी… तो मैंने उसकी पैन्टी भी खींच कर उतार दी।

अब मैं उसकी चूत में डालने के मूड में था.. पर भाभी ने चूत चूसने को कहा।
मैंने जैसे ही उसकी मस्त चूत के पास मुँह रखा.. उसमें थोड़ा सा पानी जैसा तरल रस सा और पेशाब की बदबू आ रही थी।
मैंने भाभी को कहा- उसने तुरंत मेरे कमरे में से ही बाथरूम में जाकर अपनी चूत धो ली।
अब उसकी चूत बहुत मस्त लग रही थी.. फिर हम 69 स्टाइल में आ गए।

दस मिनट बाद मेरे लंड से तेज पिचकारी निकली.. भाभी का गला भर गया।
वो लौड़ा निकाल कर खांसने लगी.. बोली- मेरा गला भर गया है.. पर तेरा माल टेस्टी है।
फिर मेरा माल निकल जाने के बाद भाभी फिर से मेरे लंड को चूसने लगी और उन्होंने लौड़े को अपनी चूत में पेलने का इशारा किया।

मैंने कहा- भाभी बिना कन्डोम के चोदने में मुझे डर लगता है.. क्योंकि आजकल एड्स का ख़तरा बहुत ज्यादा है.. यह ठीक नहीं है।
भाभी बोली- मुझे मेरे बच्चों की कसम.. मैंने मेरे पति के सिवाय किसी से चुदाई नहीं की है.. और वैसे भी वो कभी-कभी ही घर आते थे। अब 3 साल से तो बिल्कुल ही अनछुई हूँ.. प्लीज़ डालो न.. मैं आपको बहुत मज़ा दूँगी।

मैंने तुरंत लाइट जला दी और नंगे बदन में भाभी भाभी की मासूमियत देख रहा था।
भाभी बोली- यार लाइट ऑफ कर दो अड़ोसी-पड़ोसी शक करेंगे।
मैंने तुरंत लाइट ऑफ की और भाभी को बोला- लौड़े को ज़रा और टाइट करो।

भाभी ने ठीक वैसा ही किया।

फिर मैंने भाभी से पूछा- आपको किस स्टाइल चुदवाने में मज़ा आता है?
वो बोली- जैसे आप चाहो।

मैंने भाभी को उल्टा किया और चूत में लौड़ा डालने लगा.. उसकी चूत बहुत टाइट और कसी हुई थी। फिर मैंने एकदम से झटका लगाया.. मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुसता चला गया।
‘ओह.. मर गई.. ओह.. ऊऊओह..’
वो चिल्लाने लगी।

मैंने ज़ोर-ज़ोर से झटके लगाने चालू कर दिए.. भाभी का चिल्लाना जारी था.. फिर कुछ पलों बाद उसे भी चुदाना अच्छा लगने लगा।
वो बोली- यार मुझे बहुत मज़ा आ रहा है.. प्लीज़ ज़ोर-ज़ोर से अन्दर-बाहर करो न..

मैं लगातार 4-5 मिनट तक चुदाई करते-करते थक गया था.. क्योंकि ये मेरा पहला मौका था। मैं अब चूत से बाहर निकलना चाह रहा था।
भाभी बोली- अभी मत निकलना.. अभी मुझे जोर से चोदो मेरी चूत फाड़ डालो यार.. फाड़ डालो इसे..
मैंने भाभी की बात मानकर फिर से धक्का लगाना शुरू कर दिए। थोड़ी देर बाद भाभी की चूत ने आंसू छोड़ दिए। फिर मैंने भी माल छोड़ दिया।

अब भाभी बहुत खुश थी.. वो सीधी होकर मुझसे लिपट गई और बोली- मेरे राजा.. मुझे बहुत मज़ा आया.. आप बहुत अच्छे हो..
वो मुझे फिर से चूमने लगी.. मैंने भी उसके होंठों को अपने मुँह में ले लिया और दोनों यूँ ही लिपट कर सो गए।

रात को भाभी नींद में सो रही थी.. मैं बीच-बीच में जाग जाता था।
सुबह 5.30 बजे थोड़ा उजाला हुआ तो मैंने भाभी को गौर से देखा.. नींद में उसका चेहरा बहुत ही मासूम लग रहा था.. जैसे कि बहुत सालों के बाद सूकून की नींद सो रही हो।

मेरे से रहा नहीं गया.. मैंने उसके माथे.. गाल और होंठों पर किस किए, वो जाग गई।
मैं बोला- तुम कितनी मासूम लग रही हो.. तुम यहाँ घर में अकेली रहती हो तो पड़ोस में किसी की नज़र नहीं पड़ी क्या?
वो बोली- मेरे साथ मेरी सास भी रहती है.. अभी वो मेरे देवर के पास गाँव में है.. क्योंकि उसके लड़की हुई है।
मैंने उनसे पूछा- कमरे के लिए अंकल को हाँ तुमने ही किया था न?

तो वो मुस्कुरा उठी और आँख दबा कर बोली- हाँ अब सहन नहीं होता था और तुम मुझे पसंद भी आ गए थे।

उसके मुँह से यह सुनकर मेरा फिर से लंड खड़ा हो गया। मैंने उसकी टांग उँची करके अपना लौड़ा चूत में डालने लगा.. तो वो बोली- मेरे राजा अब मैं आपको माना तो नहीं कर सकती.. पर ये काम ज्यादा नहीं करना चाहिए.. नहीं तो जिस्म में कमज़ोरी आ जाती है।
मैंने पूछा- तो कब–कब करते हैं?
वो बोली- दो दिन में एक बार..

मैंने ज़िद की तो वो राजी हो गई। मैंने फिर उसकी जमकर चूत चुदाई की।
भाभी कातिलाना अंदाज में बोली- लगता है.. लौड़े पर नई जवानी आ गई है..।

तब तक 6.00 बज चुके थे.. वो उठ कर चली गई.. मैंने भी गेट को अन्दर से बंद कर लिया।

उसने अपने बच्चों को जगाया.. उन्हें स्कूल के लिए तैयार किया। मैं भी बहुत खुश था। मैं बाथरूम में नहा रहा था.. तभी गेट बजा.. मैंने तुरंत गेट खोला वो सामने खड़ी थी।

मैं बिल्कुल नंगा था… वो शरमाते हुए बोली- नहा लिए क्या? मैं नाश्ता लाती हूँ!
और दरवाजा खुला छोड़ कर रसोई में अन्दर चली गई।

जब तक मैंने ड्रेस पहनी.. तब तक वो गोभी के परांठे और दही ले आई।
मैंने मना किया.. तो बोली- जब तक मेरी सास नहीं आती, आप खाना यहीं खाया करो।
मैं फिर ऑफिस चला गया.. शाम को उसने अपने बच्चों से मेरा परिचय कराया।

तब से मैं भाभी और उनके बच्चों से बहुत ज्यादा घुल-मिल गया हूँ और रोजाना रात को हम साथ ही सोते थे।
कभी मेरे बिस्तर पर चुदाई होती थी तो तो कभी भाभी के बिस्तर पर चुदाई होती थी।
हमने लगभग सारे आसनों में चुदाई के खूब मज़े लिए।

फिर 8 महीने बाद मेरा ट्रान्स्फर वापिस भोपाल हो गया। मैं अपने घर भोपाल आ गया।
बाद में भाभी से फोन पर बात होती रहती थी.. लेकिन 2-4 महीने के बाद पता नहीं उनका फोन नम्बर बन्द हो गया.. तब से हमारा लिंक टूट गया है।

वैसे भी जयपुर में मेरा कोई काम भी नहीं है। दोस्तो, मैं अभी तक अविवाहित हूँ और मेरे वो 8 महीने.. जिंदगी के सबसे खूबसूरत लम्हों में से एक हैं। 

नयना के सामने मुठ मारी (Nayana Ke Samne Muth Mari)

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BHAUJA के सभी पाठकों को मेरा यानि आशीष जोशी का एक बार फिर से नमस्कार.. बहुत दिनों के व्यस्त जीवन के बाद मैं आज और एक सच्ची घटना कहानी के रूप में आपके साथ शेयर करने जा रहा हूँ.. आपको पसंद आई या नहीं मुझे ईमेल पर बताइएगा।
आप मेरी पुरानी कहानियाँ तो पढ़ ही चुके होंगे।

जैसा कि आप पहले से जानते हैं.. मुझे लड़कियां, महिलाएं.. इनके सामने नंगा होने में और उन्हें अपना नंगा बदन दिखाने में बड़ा मज़ा आता है.. जो कि मेरी आदत भी बन चुकी है।
यह भी कहानी उसी आदत के चलते घटी है।
यह बात पिछले महीने की है..एक नया जोड़ा हमारी बाजू वाली बिल्डिंग में किराए से घर लेकर रहने आ गया था। मेरे बेडरूम की बाल्कनी उनकी बाल्कनी के सामने थी।
दोनों छज्जे बिल्डिंग से बाहर की तरफ निकले हुए थे.. इसलिए बीच का फासला काफ़ी कम था।
एक बात अच्छी थी कि दोनों छज्जे बिल्डिंग के पीछे के हिस्से में थे और आज-बाजू पेड़ भी थे.. इसलिए बहुत कम ऐसा होता था कि कोई वहाँ.. जो हो रहा है.. उसे देख सके.. पर दोनों छज्जों में कोई भी खड़ा हो.. तो आराम से एक-दूसरे को अच्छी तरह से देख सकता था।
एक साल पहले वहाँ पर सिर्फ़ कुछ लड़के रहा करते थे.. इसलिए मैं वहाँ ज़्यादा ध्यान नहीं देता था।
लगभग एक साल बाद मैंने किसी को उस घर में देखा था.. इसलिए मेरी भी इच्छा होने लगी कि इस घर में कौन रहने आया है।
एक-दो दिन बीत जाने के बाद मैंने एक स्त्री की आवाज़ उस तरफ से सुनी.. तो मैं समझ गया कि कोई लड़की या महिला तो पक्का रहने आई है.. और मुझे एक नई आइटम ‘देखने-दिखाने’ को मिल सकती है।
मैं ऑफिस जा रहा था.. इसलिए मैंने बाल्कनी का दरवाजा खोला और सिर्फ़ देखना चाहा कि कौन है.. एक बार देख तो लूँ।
जैसे ही मैंने दरवाजा खोला.. एक शादी-शुदा लड़की फोन पर बातें करती हुई मुझे दिखी।
वो शायद अपनी मम्मी को नई जगह के बारे में बता रही थी.. साथ में उसने ये भी बताया कि उसका पति जॉब पर निकल गया है और अब दिन भर इस नई जगह वो अकेली रह गई थी। वो आगे बता रही थी कि अभी तक टीवी भी नहीं लग पाया है.. इसलिए मोबाइल फोन के अलावा कुछ मनोरंजन का साधन भी नहीं है।
मैंने निहारा कि वो एक स्लीवलैस सलवार कमीज़ पहने हुई थी.. पर दुपट्टा नहीं डाला था।
अभी तो वो मेरी तरफ पीठ किए खड़ी थी.. पर उसके लोकट गले की वजह से मैं उसकी खुली पीठ देख पा रहा था। सलवार-कमीज़ थोड़ी टाइट होने के कारण मैं पीछे से उसकी फिगर का आराम से अंदाज कर सकता था। मेरे ख़याल से उसकी कमर 32 इंच की होनी चाहिए थी और उसके चूतड़ों का नाप 38-40 इंच के बीच होना चाहिए था।
बात करते-करते वो पीछे की तरफ घूमी और अब मैं उसको सामने से देख सकता था… उसका रंग तो गोरा था ही.. पर चेहरा भी बहुत सुंदर था। डार्क लिपस्टिक की वजह से उसके होंठों को मैं ठीक तरह से देख पा रहा था… बहुत बड़े और मस्त होंठ थे उसके।
अब मेरी नज़र नीचे गई.. उसकी गर्दन और फिर मम्मों पर नजर पड़ी.. गर्दन के नीचे उसके दोनों मुलायम चूचे लगभग 36 डी नाप के तो आराम से होंगे।
उसके मम्मे चुस्त टॉप में फंसे हुए थे.. और गला गहरा होने के कारण उसकी क्लीवेज देख कर मुझे बहुत मज़ा आने लगा.. इसलिए मैं थोड़ा आगे बढ़कर खड़ा हो गया।
उसने अब तक मुझे नहीं देखा था.. पर कुछ नीचे गिरा हुआ उठाने के लिए वो नीचे झुकी और उसके डीप नेक की वजह से मुझे उसके क्लीवेज के अलावा भी दूध दर्शन हो गए।
फिर जैसे ही वो ऊपर की तरफ उठी.. तो उसकी नज़र मुझ पर पड़ी और उसने मुझे देख लिया.. हमारी नजरें एक-दूसरे से मिल उठीं।
उसे यह समझने में ज़रा भी वक्त नहीं लगा कि मैं उसका क्या देख रहा हूँ।
वो जल्दी से बात करते-करते ही अन्दर चली गई और उसने दरवाजा बंद कर लिया।
मैं भी अपने कमरे में वापस आया और मैंने बाल्कनी का दरवाजा बंद कर लिया।
अब उसका क्लीवेज मेरी आँखों के सामने घूमने लगा।
उसके टाइट टॉप की वजह से उसके उभार जिस तरह से सामने की ओर तने हुए दिख रहे थे.. वो नज़ारा मैं भूल नहीं पा रहा था।
थोड़े ही पलों का वो दृश्य मेरी आँखों के सामने मंडराने लगा.. मैं मन ही मन खुद को कोस रहा था कि अगर मैं बिना कपड़ों का होता.. तो उसे मेरे लिंग मे होने वाली हरकत भी नज़र आ जाती और मुझे नंगा देख भी लेती..
उसकी बातों से मुझे समझ आ गया था कि वो अकेली है.. यह तो मैं जान ही चुका था.. इसलिए अब मैं सोचने लगा कि कैसे ऑफिस की छुट्टी मारी जाए और आज दिन भर में कम से कम एक बार तो उसके सामने अपना नंगा बदन लेकर कैसे जाऊँ।
उसी कामुक सोच में मैंने ऑफिस के दोस्त को फोन करके बता दिया कि कुछ निजी काम की वजह से मैं या तो देरी से ऑफिस आऊँगा.. या फिर हो सकता है कि मैं आ भी ना सकूँ।
उसने कहा- ठीक है..
और मैंने फोन रख दिया।
अब मैंने अपने पूरे कपड़े उतार दिए.. मैंने देखा कि कुछ हल्के से बाल मेरे लिंग पर और चूतड़ पर उभर आए हैं.. क्योंकि शेव करे हुए अब एक हफ्ता बीत चुका था।
मैं झट से बाथरूम के अन्दर गया और हमेशा की तरह एकदम लौड़े को क्लीन शेव करके वापिस आया.. मैं उसे पूरा क्लीन शेव्ड लण्ड दिखाना चाहता था।
अब मैं बाल्कनी के दरवाजे के पीछे खड़ा रह कर फिर से उसकी कोई हरकत या बात या आवाज़ सुनने की कोशिश कर रहा था।
काफ़ी देर बाद उसने फिर से डोर खोला और तेज हवा की वजह से दरवाजा दीवार पर ज़ोर से टकराया.. और उसकी आवाज़ से मुझे पता चल गया कि वो फिर एक बार बाल्कनी में आई है।
मैंने हल्के से दरवाजे को खोला और छोटी सी दरार से झाँक क़र कन्फर्म किया कि वो बाल्कनी में अकेली ही है।
इस बार वो दुपट्टा डाल कर आई थी और बाल्कनी की रेलिंग के ऊपर झुक कर बातें कर रही थी।
अब मेरी धड़कनें तेज़ हो गई थीं.. अब तक मैं ना जाने कितनी सारी लड़कियों और औरतों के सामने नंगा जा चुका था.. पर पता नहीं क्यों.. इस बार में थोड़ा डर भी रहा था.. शायद दोनों बाल्कनी के बीच का कम फासला भी उस डर का कारण हो सकता था।
मैंने पीछे को सरक कर मेरी बाल्कनी का दरवाजा खोलने के लिए बाहर धकेल दिया.. दरवाजा पूरा खुल चुका था और मैं दीवार का सहारा लिए खड़ा था।
जैसे-तैसे मैंने छज्जे में जाने की हिम्मत जुटा ली और एकदम से बाल्कनी में प्रवेश किया।
मेरी धड़कनें बहुत तेज़ हो गई थीं.. उसी के कारण मेरे लिंग में भी ज़्यादा हरकत नहीं थी.. पर जैसे ही मैं बाल्कनी में गया.. उसका ध्यान मेरी तरफ गया।
उसने गर्दन मेरी तरफ मोड़ दी और वो एकदम से बात करना रोक कर मेरी तरफ देख रही थी।
मैं उसके एक्सप्रेशन देख रहा था.. उसकी आँखें चौड़ी हो गई थीं। मुझे पूरी तरह से नंगा देखकर वो चौंक गई थी.. उसने मुझे देख लिया था.. इसलिए मेरी धड़कन अब नॉर्मल हो चुकी थीं और मैं लिंग को सहला रहा था।
उसकी नज़र मेरे हाथ पर पड़ी और वो हल्के सी मुस्कुराई.. शायद छोटा लिंग देखकर मुस्कराई थी।
अब शायद उसे एहसास हुआ कि वो फोन पर भी बात कर रही है और उसने बात फिर से शुरू की.. पर उसकी नज़र बात करते हुए मेरे नंगे शरीर की तरफ देख रही थी।

अचानक वो मुड़ गई और मेरी तरफ पीठ करके खड़ी हो गई.. दुपट्टा लिए होने के बावजूद उसकी खुली पीठ को मैं देख सकता था और टाइट कपड़ों की वजह से उसके चूतड़ों का आकार भी मैं महसूस कर सकता था।
यह देखकर मेरा लिंग खड़ा होने लगा.. मैंने हाथ से हिलाकर उसको अपने रेग्युलर साइज़ में लाकर उसकी स्किन पूरी तरह से पीछे करके वहीं रुका रहा।
अब मेरा गुलाबी रंग का सुपारा बाहर आ चुका था.. वो अभी भी मेरी तरफ पीठ करके बात कर रही थी.. फिर एकदम से उसने गर्दन मोड़कर पीछे देखा.. शायद वो चैक करना चाहती थी कि मैं वहीं पर खड़ा हूँ.. या कमरे में वापस चला गया हूँ।
मुझे वहीं खड़ा देखकर वो हँस पड़ी और अब मेरी तरफ मुड़ गई.. मेरा तना हुआ लिंग और ऊपर निकला हुआ सुपारा.. वो देख रही थी।
मैं जान-बूझकर लिंग को एक हाथ से ऊपर उठा कर मेरी गोटियाँ भी उसे दिखा रहा था।
वो मेरी हरकतें देखकर हँसने लगी और शायद जिससे बात कर रही थी.. उसने पूछा होगा कि इतना हँस क्यों रही है..?
वो मुझे देखे जा रही थी.. इसलिए अब मैं मुड़ा और उसे अपने क्लीन शेव्ड चूतड़ दिखाने लगा.. इतना ही नहीं मैं जान-बूझकर नीचे झुका और अपने पैरों और चूतड़ों को फैला कर उसे मेरे शेव्ड ‘ऐस होल’ के दर्शन देने की कोशिश करने लगा।
इस बार वो ज़ोर से हँस पड़ी.. हँसते-हँसते ही बाल्कनी की मेरी तरफ की मुंडेर तक आकर उसने फोन पर कहा- रुक.. मैं थोड़ी देर में कॉल-बैक करती हूँ..
अब फोन कट करके उसने, मैं सुन सकूँ, इतनी तेज आवाज़ में कहा।
वो- अब उठ भी जाओ.. जो तुम दिखाना चाह रहे थे.. मैं वो चीज़ देख चुकी हूँ.. कितनी देर ऐसे ही झुके हुए रहोगे?
मैं उसके इस सवाल से और बात करने से पूरा चौंक गया था.. मैं उठ कर खड़ा हो गया और उसकी तरफ मुड़कर उसे देखने लगा।
 मैं अपनी नई पड़ोसन को देख कर एकदम नंगा होकर कैसे उसके सामने आ गया था।
वो ज़ोर से हँस पड़ी.. हँसते-हँसते ही बाल्कनी की मेरी तरफ की मुंडेर तक आकर उसने फोन पर कहा- रुक.. मैं थोड़ी देर में कॉल-बैक करती हूँ..।
अब फोन कट करके उसने मैं सुन सकूँ इतनी तेज आवाज़ में कहा- अब उठ भी जाओ.. जो तुम दिखाना चाह रहे थे.. मैं वो चीज़ देख चुकी हूँ.. कितनी देर ऐसे ही झुके हुए रहोगे?
मैं उसके इस सवाल से और बात करने से पूरा चौंक गया था.. मैं उठ कर खड़ा हो गया और उसकी तरफ मुड़कर उसे देखने लगा।
अब आगे..
वो- तुम्हें एक अनजान औरत के सामने ऐसा बिना कपड़ों के आते हुए ज़रा भी शरम नहीं आई?
मैं- जी डर तो बहुत लग रहा था.. पर क्या करूँ.. मुझे खुद को नंगा दिखाने की ऐसी आदत है।
वो- किसे-किसे दिखाते हो.. और क्यों?
मैं- जी लड़कियों और औरतों को.. पता नहीं क्यों.. पर ऐसा करने से मुझे एक अलग सुकून मिलता है।
वो- अच्छा.. पर यह बहुत ग़लत बात है।
मैं- जी हाँ.. पर क्या करूँ.. अब ये एक आदत बन चुकी है.. मैं ये आदत छोड़ नहीं पा रहा हूँ।
वो- कभी किसी मर्द ने देख लिया तो?
मैं- भगवान की दया से आज तक मेरे साथ ऐसी अनहोनी नहीं हुई।
वो- हा हा हा.. फिर तो बहुत लकी हो..
पता नहीं क्यों.. पर उसका बेझिझक यूँ बातें करने से और उसकी नज़रें जो मुझे देख कर मुझे बोल रही थीं कि तुम सचमुच कितने बेशरम हो.. एक अनजान औरत से ऐसी हालत में बात करते हुए भी तुम्हें शरम नहीं आ रही है.. शरीर से तो हो ही.. पर मन से भी कितने नंगे हो तुम..
यह सब सोच कर मेरा लिंग छोटा होने लगा और मैं अपने हाथ से उसे ढकने की कोशिश करने लगा।
ये कोशिश देखकर वो फिर बोली- अब क्यों ढक रहे हो? शर्म आ रही है?
मैं- जी..
वो- तुम्हें लगा होगा.. एक अनजान औरत है.. देख लेगी और चली जाएगी.. और अपना काम ख़त्म.. सही कहा ना?
मैं- जी..
वो- तुम सचमुच बहुत बेशरम हो..
मैं- एक बात पूछूँ?
वो- पूछो..
मैं- क्या आप नई आई हैं यहाँ पर?
वो- हाँ.. हम लोग पहले औरंगाबाद में रहते थे.. हाल ही में मेरे पति का ट्रान्सफर हुआ है.. पर मुझे ये नहीं पता था कि पुणे मुझे ऐसा वेलकम करेगा.. हा हा हा..
मैं- ओके.. आपका कोई रिश्तेदार तो होगा यहाँ पर?
वो- जी नहीं.. सिर्फ़ मेरी एक सहेली है.. उसका पति और मेरे पति दोनों एक ही कंपनी में काम करते हैं।
मैं- ओके.. तो अच्छा है.. कम से कम आप पुणे में किसी को तो जानती हैं।
वो- हाँ.. अब मैं दो लोगों को जानती हूँ पुणे में.. एक मेरी सहेली और एक नंगा अंजान पड़ोसी.. हा हा हा..
मैं- ओह.. सॉरी फॉर दिस टाइप ऑफ इंट्रो.. मेरा नाम आशीष है..
वो- ओके.. मेरा नाम नयना है..
मैं- आपकी उम्र?
नयना- क्या तुम्हें नहीं पता.. औरतों की उम्र नहीं पूछी जाती.. तुम तुम्हारी उम्र बताओ.. मैं सिर्फ़ ये बताऊँगी कि मैं उम्र में तुमसे बड़ी हूँ.. या छोटी..
मैं- 1985 मेरा जन्म वर्ष है।
नयना- ओके.. मैं तुमसे बड़ी हूँ..
मैं- वॉऊ… मुझे बहुत अच्छा लगता है.. जब मुझे देखने वाली मुझसे बड़ी हो..
नयना- ओह.. तुम तो सचमुच बहुत ज़्यादा बेशरम हो.. इतने बड़े हो गए हो फिर भी छोटे बच्चों की तरह अपने से बड़ी उम्र की औरतों के सामने नंगे जाने की इच्छा रखते हो।
मैं- सॉरी जी.. हमारी पहचान इस तरह से बन गई है।
नयना- अच्छा ही हुआ.. आदमी पहली मुलाकात में ही पता चलना चाहिए कि कितना नंगा है.. अगर तुम पहले शरीफ बनकर मिलते और फिर तुम्हारा ये रूप सामने आता.. तो शायद मैं तुमसे बात भी ना करती। एक बात मुझे अच्छी लगी कि तुम शुरू से बेबाक निकले.. थोड़ी देर पहले जिस तरह से तुम मेरे बूब्स को देख रहे थे.. तब भी तुम्हारी नज़र साफ़ बता रही थीं कि तुम अन्दर से क्या हो..? वैसे ये शेव मुझे देखने के बाद की है या पहले से ही थी?
मैं- जी.. वैसे तो मैं हर हफ्ते साफ़ करता हूँ.. पर आज आपको देखने के बाद की है.. ताकि जब आप पहली बार देखें तो पूरा क्लीन शेव्ड ही दिखे।
नयना- हा हा हा.. तुम बेशरम तो हो ही पर ‘नॉटी’ भी हो.. लेकिन तुमने सब क़ुबूल भी किया.. यह बात अच्छी लगी मुझे.. अच्छा बताओ तुम मुझे अपनी ‘ऐस’ और ‘ऐस-होल’ क्यों दिखा रहे थे?
मैं- जी.. मुझे वो भी दिखाना अच्छा लगता है.. मेरी ‘ऐस’ काफ़ी हद तक आप महिलाओं जैसी है न.. इसलिए..
नयना- हा हा हा हा.. हाँ.. यह तो सच है.. स्मूद और राउंडेड है तुम्हारी आस.. हम लोगों जैसी.. अगर किसी को सिर्फ़ उसकी फोटो दिखाई जाए.. तो कोई नहीं कहेगा ये किसी आदमी की ‘ऐस’ है..
मैं- थैंक यू नयना जी.. आज तक किसी ने भी मुझे अचानक से नंगा देखने के बाद मेरे साथ इतनी अच्छी तरह से बात नहीं की..
नयना- नो प्राब्लम.. मैं मेडीकल में पढ़ी हूँ और उसमें मुझे इस तरह के विषय भी मैंने पढ़े हैं.. तुम्हें ऐसा देखते ही मुझे समझ में आ गया था कि तुम में एक एग्ज़िबिजनिस्ट छुपा है और तुम शायद ऐसे नंगा होने के लिए कुछ भी करने को तैयार बने रहते हो..
मैं- तो क्या आप डॉक्टर हो?
नयना- हाँ.. लेकिन प्रैक्टिस नहीं करती हूँ।
मैं- ओके..
नयना- चलो.. अब मुझे खाना भी बनाना है.. नहीं तो भूखी ही मर जाऊँगी.. कुछ मंगवाने के लिए भी किसी होटल का पता नहीं है।
मैं- रुकिए ना.. थोड़ी देर प्लीज़.. मुझे एक बार..
नयना- ओह.. क्या मुझे एक बार? कहो तो.. शरमाओ मत.. नंगे खड़े हो मेरे सामने.. और बात करने में शर्मा रहे हो..
मैं- जी.. मुझे आपके सामने एक बार शेक करना है।
नयना- बाप रे बाप.. तुम तो सच में बहुत ठरकी हो.. चलो ठीक है.. पर जल्दी से करो.. मुझे खाना बनाना है।
मैं- आहह.. थैंक्स नयना जी.. क्या मैं आपके लिए खाना मँगवा दूँ?
नयना- ओह.. तुम तो बहुत शातिर भी हो.. खाना भी मँगवा दोगे.. ताकि मैं यहाँ देर तक रुक सकूँ..
मैं- जी.. वैसी बात नहीं है.. लेकिन फिर भी..
नयना- ठीक है..
इतनी बातें करते-करते मेरा लिंग फिर से तन चुका था। मैंने उससे पूछा- क्या खाना मंगवाना है और मैं जल्दी से अन्दर जाकर अपना मोबाइल लेकर आया।
उसको फ्लैट नंबर वग़ैरह पूछ कर एक अच्छे से रेस्टोरेंट में ऑर्डर दे दिया।
मेरी इस बेचैनी को देखकर और इस भाग दौड़ में जिस तरह मेरा लिंग हिलता जा रहा था.. वो देखकर नयना हँसने लगी थी।
मैंने मोबाइल मुंडेर पर रख दिया।
तभी वो बोली- अरे धीरे-धीरे आशीष.. मैं कहीं भागी नहीं जा रही हूँ.. अब तो तुमने खाना भी ऑर्डर करवा दिया है.. खाना की डिलीवरी आने तक मैं तुम्हारे सामने ही हूँ.. अब सब कुछ तुम्हारे हाथ में है.. तुम तब तक टिक सके.. तो ठीक है.. अगर उससे पहले तुम झड़ गए.. तो मैं अन्दर चली जाऊँगी।
उसने एक तरह से मुझे चैलेन्ज ही दे दिया था। खाने की डिलीवरी आने के लिए 45 मिनट थे.. और मुझे इतनी देर टिकने का यह चैलेन्ज था।
मैं- ठीक है.. नयना जी.. आप मान गई हो.. यही बहुत है मेरे लिए.. बाकी जितनी देर टिक सका.. उतनी देर ही सही.. क्या आप सिर्फ़ दुपट्टा हटाएँगी? अगर आप ठीक समझें तो..
नयना- हा हा हा.. ओके ओके.. वैसे भी तुम बिना दुपट्टा के तो मेरे बूब्स देख ही चुके हो.. और साथ में मेरा क्लीवेज भी देख चुके हो।
इतना कहकर नयना ने दुपट्टा हटा दिया। दुपट्टा हटते ही उसके बड़े-बड़े चूचे जो सामने की तरफ़ उभर आए थे.. मैं उन्हें देखने लगा और मैंने मुठ्ठ मारना शुरू किया.. वो मुझे देखकर हल्के-हल्के मुस्कुरा रही थी।
जैसे ही नयना ने बाल खोलने की लिए हाथ ऊपर उठाए.. मेरी नज़र उसके क्लीन शेव्ड बगलों पर पड़ी..
यह तो मेरी दुखती हुई नस पर हाथ रखने जैसा हुआ था.. जैसा कि आप जानते हैं कि मुझे शेव्ड बगलों को देखने और चाटने में बहुत मज़ा आता है।
उसकी ये सफाचट बगलें देखकर मैं जैसे पागल होने लगा और ज़ोर-ज़ोर से अपना हाथ चलाने लगा।
नयना को ये बात समझाने में ज़्यादा देर नहीं लगी और वो अब जान-बूझ कर अपने हाथ ऊपर उठाने लगी।
मैं जैसे पागल हुए जा रहा था.. नयना मेरी हालत देख कर मुझे और छेड़ रही थी.. जानबूझ कर इशारे कर रही थी.. अपने मम्मों को दबा रही थी। अपना हाथ मम्मों से लेकर चूत तक घिसते हुए ले जा रही थी।
मेरा मुठ मारना चालू ही था.. तभी उसने कहा- आशीष मैं पहली बार किसी को मुझे देखते हुए मुठ मारते देख रही हूँ.. इसे और यादगार बनाओ… मेरा नाम तुम मन ही मन ले रहे होगे.. वो इतनी ज़ोर से बोलो कि मुझे सुनाई दे..
मैं- आअहह नयना… कम ऑन.. नयना शेक इट हार्ड.. पुल मी लाइक एनीमल..
मैं उसका नाम उसे सुनाई दे.. इतनी आवाज़ में निकाल कर मुठ्ठ मारने लगा।
लगभग 10-15 मिनट तक ऐसा ही चलता रहा और शायद उसे लगा कि ये 45 मिनट तक टिक जाएगा और वो ये नहीं चाहती थी.. ऐसा उसकी अगली हरकत से मुझे लगा था।
नयना उस तरफ मुड़ी.. और मेरी तरफ पीठ करने के बाद उसने अपने हाथ पीछे ले लिए और उसने कमीज़ की ज़िप नीचे खींच दी..
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आअहह… क्या नज़ारा था.. टाइट कमीज़ की ज़िप कमर तक खुलते ही उसकी पीठ मेरी आँखों के सामने थी। उसकी दूधिया पीठ देखकर तो मेरी हालत और खराब हो गई।
उसकी ब्रा की स्ट्रिप्स पीछे से जैसे उसकी मांसल पीठ में घुस गई थीं.. मैं हैरान था कि इतनी टाइट ब्रा इसने क्यों पहनी होगी।
मैंने थोड़ी देर हिलना छोड़ दिया और उसने गर्दन मोड़कर ये देख लिया और कहा- ये चीटिंग है.. ऐसा नहीं चलेगा.. रोकना मत.. एक हाथ में दर्द हो रहा होगा.. तो दूसरा इस्तेमाल करो.. पर रूको नहीं…
मैं- ठीक है.. नयना डार्लिंग..
और मैंने फिर से मुठ्ठ मारना शुरू किया। अब मेरी हालत बहुत खराब हो चुकी थी। नयना जानबूझ कर मुड़ी और उसने अपनी ब्रा की लेवल तक अपनी कमीज़ कंधों से नीचे खींच ली।
‘आआआ… आअहह..’
मैं थोड़ी ज़ोर से चिल्लाया.. उसकी ब्रा में फंसे हुए चूचे मैं बिल्कुल साफ़ देख सकता था.. नयना के निप्पल भी उभर कर बाहर आने के लिए तड़प रहे थे।
नयना का इतना बड़ा क्लीवेज शो देखकर मुझसे रहा नहीं गया- नयनाआआआ… आआआआ..
यह कहकर मैं छूट गया.. बहुत सारा लोड उसके आँखों के सामने एक पिचकारी से पानी निकला.. लगभग 2 मिनट तक मेरा वीर्य बाहर आना चालू था..
उसे देखकर उसने अपनी कमीज़ को फिर से ऊपर कर ली और कहा- अरे आशीष.. तुम तो लगभग बड़ी जल्दी झड़ गए.. हाँ.. मुझे लगा कि शायद डिलीवरी ब्वॉय के आने तक तुम टिक जाओगे..
मैं- आपने हरकतें ही कुछ ऐसी की.. कि मैं खुद को रोक नहीं सका।
नयना- अच्छा जी.. अब मुझ पर धकेल रहे हो.. कोई बात नहीं.. पर तुम्हारा ड्यूरेशन अच्छा था.. और ये इतना वीर्य.. मैंने आज तक कभी इतना माल निकलते हुए नहीं देखा.. क्या महीने भर से रोक के रखा था.. हा हा हा हा..
मैं- जी नयना जी.. पिछले कुछ दिनों में ऐसा किसी ने देखा ही नहीं कि उसके सामने ही शेक कर सकूँ.. और शायद आपके हुस्न को देखकर आज मेरे लिंग मे कुछ ज़्यादा उत्तेजना थी।
नयना- हाँ.. वो तो देख ही चुकी हूँ में.. चलो अब तो तुम ठंडे हो गए हो.. क्या अब मैं जाऊँ?
मैं- मन तो नहीं कर रहा.. कि आप चली जाओ.. मैं ऐसे ही पूरा दिन भर आपके सामने नंगा रहना चाहता हूँ।
नयना- बेशरम कहीं के.. अपनी नई पड़ोसन को ऐसी बात कहते हुए थोड़ी भी शरम नहीं आ रही है?
मैं- अब इसमे शरम कैसी नयना जी.. जो बात दिल में है वही ज़ुबान पर.. सचमुच अगर चान्स मिल जाए तो मैं पूरा एक दिन आपके साथ ऐसे ही नंगा बनकर रहना चाहता हूँ.. और मैं इसके लिए कुछ भी करने के लिए रेडी हो जाऊँगा.. मैं इसके लिए पूरी तरह से आपका गुलाम भी बन सकता हूँ।
नयना- अच्छा जी.. चलो देखते हैं… जल्द ही मेरे पति की एन्यूयल मीटिंग गोआ में है.. तब मैं और मेरी फ्रेंड दोनों पुणे में अकेली ही रहेंगी.. उसने मुझे अपने घर बुलाया है.. तो एक काम करते हैं.. मैं उसके घर जाने की बजाए उसे यहाँ पर बुला लेती हूँ.. फिर तुम हम दोनों को एंटरटेन करना.. ठीक है?
मैं- मैं बिल्कुल तैयार हूँ..
नयना- देखो कितने बड़े कमीने हो तुम.. मेरी फ्रेंड के सामने भी बिना कपड़ों के रहने के लिए रेडी हो गए.. तुम सचमुच अन्दर से भी बहुत नंगे हो।
मैं- क्या आप कल भी बाल्कनी में ऐसे ही आएँगी?
नयना- सब्र रखो आशीष.. उस दिन के लिए भी कुछ बाकी रखो.. रोज़ अगर ऐसा वीर्य का नाश करोगे.. तो उस दिन कुछ नहीं रहेगा.. तुम्हारी इन गोटियों में.. हा हा हा हा.. मैं तुम्हें शुक्रवार को बताऊँगी..
इतना कहकर वो हँसते हुए चली गई.. मैं उसे जाते हुए वैसा ही देखता रहा।
नयना के पति टूर पर गोआ जाने के बाद उनकी जो फ्रेंड आई थी.. उससे मुझे कितना बड़ा झटका लगा.. आख़िर वो फ्रेंड कौन निकली और फिर वो 2 दिन क्या क्या हुआ?
यह मैं आपको अगली कहानी में बताऊँगा।

ସ୍ତ୍ରୀ ପ୍ରେଗ୍ନେଣ୍ଟ ବେଳେ ଶାଳୀର ମସ୍ତି (Stree Pregnent Bele Salira Masti)

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 ମୁଁ ଗଗନ ମିଶ୍ର , ମୋର ବୟସ 30 ହେବ, +୩ ଶେଷ କରି ମୋ ଗାଁ ନୁଆପଡା‌ ରେ ଗୋଟେ ଔଷଧ ଦୋକାନ କରି ମୋର ଗୁଜୁରାଣ ମେଣ୍ଟାଉଛି । ଭାଉଜ ଡଟ କମ ର ସବୁ ପାଠିକା ମାନେ ମୋ ଗପକୁ ପସନ୍ଦ କରିବେ ବୋଲି ମୁଁ ଭାବୁଛି । 


ଏଇ ବର୍ଷେ ହେଲା ମୋର ବାହାଘର ହୋଇଛି । ସନ୍ଧ୍ୟା ମୋ ଘରଣୀ, ଆମ ବାହାଘର ଚଉଠି ରାତିର ଫଳ ମୋ ସ୍ତ୍ରୀ ସନ୍ଧ୍ୟା ପେଟରେ ଏବେ ପିଲା ଟିଏ । ସୁନ୍ଦରି ସ୍ତ୍ରୀ ର କାମନା ଗନ୍ଧରେ ମୁଁ ଚଉଠି ରାତିତାକୁ ଭିଡି ଭିଡି ଗେହିଥିଲି । ତାର ନୁଆ ନୁଆ ଗୋଲ ଗୋଲ ଦୁଧ କୁ ଦଳି ଦଳି ତାକୁ ପେଟେରି କରିଛି । ୮ ମାସ ହେଲା ମୋ ସ୍ତ୍ରୀ ପ୍ରେଗ୍ନେଣ୍ଟ ଅଛି । ମୋ ବାପା ମା ପାଖରେ ନଥିବାରୁ ମୋତେ ବହୁତ ହଇରାଣ ହେବାକୁ ପଡୁଛି । ରୋଷେଇ ବାସ କରି ଦୋକାନ ଦେଖୁ ଦେଖୁ ମୋତେ ଭାରି ପରିସ୍ରମ ପଡି ଜାଉଛି ।

କିଛି ଦିନ ତଳେ ସନ୍ଧ୍ୟା ତା ବାପ ଘରକୁ ଫୋନ୍ କରିଥିଲା ସେମାନେ ସନ୍ଧ୍ୟା ର ସାନ ଭଉଣୀ ମୁନୁ, ଆମ ଘରକୁ ଆସି ଘର କାମ କରିଦେବ ବୋଲି ସେମାନେ କହିଲେ । ମୁଁ ଯାଇ ଛଅ ଦିନ ହେବ ତାକୁ ଆମ ଘରକୁ ଆଣିଛି ।ସେ ତ ସଜ ଫୁଟା ଗୋଲାପ ଫୁଲ ଟିଏ । ଗୋରିର ଦୁଧ ଟା ମେଲି ହୋଇ ଉପରି ଭାଗରେ ଜଣା ପଡେ । ସେ ସନ୍ଧ୍ୟା ର ଭାରି ଜତ୍ନ ନେଉଛି । ସକାଳୁ ଉଠି ଘର କାମ ସାରି ରୋଷେଇ ବାସ କରି ମୋତେ ଆଉ ସନ୍ଧ୍ୟା ପାଇଁ ଟିଫିନ ବାଢିଦିଏ । ଏବେ ମୁନୁ +୨ ସାରି ଆସିଛି ତେଣୁ, ସମୟ ମିଳିଲେ ମୋ ଆଲମାରି ରୁ ଡିଟେକ୍ଟୀଭ୍ ବହି ଆଡେଇ ପଢେ । ସନ୍ଧ୍ୟା ୮ଟା ସମୟ ହେଲେ ଆମେ ତିଣି ଜଣ ଏକାଠି ବସି ଟିଭି ଦେଖୁ ମୁନୁ ର ମୋର ଥଟା ପରିହାସ ହୋଇ ରାତି ହୋଇଯାଏ । ରାତିରେ ସମସ୍ତେ ମିସି ଖାଇସାରିବା ପରେ ଶୋଇ ଯାଉ । ମୁଁ ମୋ ସ୍ତ୍ରୀ ଆଉ ମୁନୁ ଗୋଟିଏ ଖଟରେ ଶୋଉ । ମୋ ପାଖରେ ସନ୍ଧ୍ୟାଆଉ ତା ଆର ପାଖେ ମୁନୁ ।

ବେଳେ ବେଳେ ରାତି ବେସି ହେଲା ପରେ ମୁନୁ ଶୋଇଗଲେ ସନ୍ଧ୍ୟା ସହ ମୁଁ ସେକ୍ସକରେ । ରାତିରେ ମୋ ସ୍ତ୍ରୀ ଉଁ ଚୁଁ ନ ହୋଇ ସେକ୍ସ ର ମଜା ନିଏ । ଇଏ ତ ଆମର ସବୁ ଦିନର କଥା । ଆଉ ସନ୍ଧ୍ୟା କୁ ଗେହି ଶାନ୍ତି ଲାଗିଲେ, ଆମେ ଶୋଇ ପଡୁ । ମୁନୁ ଆମ କଥା ଜାଣି ପାରେନା। ଠିକ୍ ରାତି ୧ ଟା ହୋଇଗଲେ ମୋ ନିଦ ଭାଂଗି ଯାଏ । ଆଉ ମୁଁ ସନ୍ଧ୍ୟା କୁ ମନ ଭରି ସେକ୍ସ କରେ ।

ଦିନେ  ଔଷଧ ସାମଗ୍ରି କିଣି ବାକୁ ମୁଁ କଟକ ଗଲି, ସେ ଦିନ ସେଠି ରହି ତା ପର ଦିନ ସନ୍ଧ୍ୟା ୭ ଟା ବେଳେକୁ ଫେରିଲି । ମୁନୁ କଣ କିଛି ରୋଶେଇ କରି ଥିଲା ମୁଁ ଖାଇଦେଇ ଶୋଇପଡିଲି । ରାତି ୧:୩୦ ସମୟ ବେଳକୁ ମୋ ନିଦ ସବୁ ଦିନ ଭଳି ଭାଂଗି ଗଲା । ମୁଁ ସନ୍ଧ୍ୟା ର କାନି ଲୁଗା ଟାକୁ ଛାତିରୁ ବାହାର କରି ତା ଦୁଧ କୁ ଦଳିଲି ଆଉ ତାକୁ କିସ୍ କଲି । ମୋ ଆଖିରେ ନିଦ ଭରି ରହି ଥାଏ ହେଲେ ମୋ ବାଣ୍ଡର ଭୋକକୁ ଖାଦ୍ୟ ଦେବା ପାଇଁ ମୁଁ ସନ୍ଧ୍ୟାର ଅଣ୍ଟାରୁ ଲୁଗା ଭିଡି ଦେଲି ଛାୟା ନଥିବାରୁ ତା ବିଆ କୁ ଦଳି ତା ଉପରେ ଚଢିଗଲି । ତା ବିଆ କୁ ଗେହି ଗେହି ତା କୁ ଚୁମାମାରି ଚାଲି ଥାଏ । ମୋ ନିଦ ଭାଂଗି ଭାଂଗି ଟିକେ ଟିକେ ହୋସ୍ ରେ ଅସିଲି । ମୋ ସ୍ତ୍ରୀର ପେଟ ଏତେ ସ୍ଲିମ୍ କେମିତି ବୋଲି ଅନ୍ଦାଜ କରି ଗେହୁ ଥିବା ସମୟରେ ମୁଁ ଟିକେ ଅଟକି ଯାଈ ଭାବିଲି କଣ ମୁଁ କାହାକୁ ଗେହୁଛି ?  ଆଉ ମୋ ବାଣ୍ଡ ତା ବିଆ ରେ ଗଳି ରହିଥିଲା।

ହଠାତ ମୋ ବୁଦ୍ଧି ହଜିଗଲା ମୁଁ ସୁନିଶ୍ଚିତ ହୋଇଗଲି ମୁଁ ମୁନୁକୁ ଗେହୁଛି ହେଲେ ତାର ଟିକେ ବି ପ୍ରତିରୋଧ ନାହିଁ  । ମୁଁ ଉଠିଗଲି ତା ଉପରୁ ପାଣ୍ଟ ପିନ୍ଧି କିଛି ସମୟ ପରେ ଲାଇଟ୍ ସୁଇଚ୍ ଅନ୍ କଲି ଦେଖିଲି ସତରେ ମୋ ପାଖରେ ମୁନୁ ଶୋଇଛି । ସେ ଆଖି ବନ୍ଦ୍ କରି ଥିଲା ଲାଇଟ୍ ମୁଁ ତାକୁ ଅନେଇବା ମାତ୍ରେ ସେ ଆଖି ଖୋଲି ମୋତେ ଆଖି ମାରିଦେଇ ହସି ଦେଲା । ମୁଁ କଣ ବା କରିବି ସନ୍ଧ୍ୟାକୁ ଜଦି କହିବିସେ ମୋତେଅବିସ୍ୱାସ କରିବ। ମୁଁ ଭଲ ଫସିଗଲି ଉପାୟ ନପାଇ ବାହାର କୁ ଏକ ଯିବାପାଇଁ ଉଠିଲି, ବାହାରେ ଟିକେ ବସି ପଡିଲି ଭାବିଲି କଣ କଲି ? କିଛି ସମୟ ପରେ ସନ୍ଧ୍ୟାଆସି ମୋ ପାଖରେ ବସି କହିଲା କଣ ଭାଇନା କଣ ଭାବୁଛ, -- ମୁଁ ମଧ୍ୟ୍ୟ ଜାଣି ପାରିନଥିଲି, ଯେତେବେଳକୁ ଜାଣି ପାରିଲି ସେତେବେଳେ ତମେ ବହୁତ ଆଗକୁ ଚାଲି ଯାଇଥିଲ । ମୁଁ ପ୍ରତିଦିନ ତମେ ନାନି କୁ କରିଲା ବେଳେ ଭାରି କଷ୍ଟରେ ଶୋଇରୁହେ । ତୁମେ ତ ମୋ ଜିବନରେ ବହୁତ କିଛି ଅଭୁଲା ସାଥି ପରି ରହିଗଲ। ମୋ କୁଆଁରି ଦେହରେ ପ୍ରଥମ କାମନାରେ ଧଂସି ଦେଲ ଏବେ ତମେ ମୋ ସୁନା ଆଉ ତମେ ମୋ ଧନ । ମୁନୁ ଗୋଟେ ବଡ ଚୁମା ଟେ ମୋ ଗାଲରେ ବୋଳି ଦେଲା ।

ରାତିର ଅନ୍ଧାର କୁ ଆହୁରି ଅନ୍ଧାର କରି ମୁଁ ସୁଇଚ୍ କୁ ଅଫ କରି ପୁଣି ମୋ ଜାଗା ରେ ଶୋଇଗଲି ଆଉ ମୁନୁ ମୋତେ କୁଣ୍ଢେଇ ଶୋଇଲା । ମୋ ବାଣ୍ଡକୁ ହାତରେ ଧରି ତଲ ଉପର କରି ଖେଳିଲା । ଏମିତି ଭିତରେ ଆମ ପ୍ରତିଦିନ ଏବେ ଚାଲିଛି ..........................

---- ସୁନିତା ପୃଷ୍ଟି
---- ଭାଉଜ.କମ

एक ही घर की सब औरतों की चुदाई

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दोस्तो, मेरा नाम राज शर्मा है, दिल्ली में रहता हूँ, मेरी उम्र 27 साल है.. मेरी लम्बाई 5 फीट 6 इंच है और मैं BHAUJA का एक नियमित पाठक हूँ। आप सभी ने मेरी अब तक की लिखी कहानियाँ पसंद की.. उसके लिए आप सभी का बहुत धन्यवाद।

अब मैं अपनी नई कहानियाँ लेकर हाजिर हूँ। ये सभी कहानियाँ एक ही परिवार से हैं.. इसलिए परिवार के बारे में जानना जरूरी है।

मैंने अपना पहला कमरा छोड़ने के बाद दूसरी जगह कमरा ले लिया। मेरे मकान मालिक की बीवी की सरकारी बैंक में नौकरी होने के कारण वे लोग दिल्ली से बाहर रहते थे। इस घर में उनके बड़े भाई अपनी फैमिली के साथ रहते थे।
उसी में एक कमरा, किचन व बाथरूम मुझे किराए पर मिला था।
उन्हीं के छोटे भाई अपनी फैमिली के साथ पास में ही अलग मकान में रहते थे।

मेरे मकान-मालिक की उम्र 45 साल व उनकी बीबी की उम्र 40 साल थी। उनके 2 बच्चे थे.. एक लड़की और एक लड़का।
उनके बड़े भाई की तीन लड़कियाँ और एक लड़का था। दो लड़कियों की शादी हो गई थी.. बड़ी लडकी 26 साल की थी जिसकी एक लड़की भी थी व छोटी 23 साल की थी.. जिसकी शादी को तीन साल हो गए थे.. पर अब तक कोई बच्चा नहीं हुआ था।
उसके बाद 19 साल का भाई था व सबसे छोटी लड़की की उम्र 18 साल थी।

कहानी तीसरे भाई की बीवी से शुरू होती है। उसका नाम गीता था.. उसकी उम्र 30 साल.. रंग गोरा था और वो कुछ छोटे कद की थी। उसकी अपने पति से कम ही बनती थी.. क्योंकि उसका पति उम्र में उससे 10 साल बड़ा था। उनका एक बीमार बेटा भी था।

गीता ने अपने जिस्म को बहुत संवार कर रखा था, वो देखने में 25 साल की ही लगती थी, उसके बदन में जबरदस्त कसाव था।
जब पहली बार मैंने उसे देखा.. तभी सोच लिया था कि इसे जरूर चोदूँगा।
वैसे भी पति से ना बनने के कारण उसे भी एक तगड़े लण्ड की सख्त जरूरत थी।

मैंने किसी ना किसी बहाने उसके घर जाना शुरू कर दिया। जल्दी ही हमारी अच्छी बनने लगी। उसे देखते ही मेरा लण्ड खड़ा हो जाता था।
एक बार तो उसने मेरे लण्ड को पैन्ट में तंबू बनाए हुए देख भी लिया था.. जिसे मैंने जल्दी ही छुपा लिया था।
वो हल्के से मुस्कुरा दी थी और अपने होंठ काटने लगी थी। उसकी इस अदा से मैं समझ गया कि ये माल पकने में अधिक समय नहीं लेगा।

धीरे-धीरे मैंने उनसे मजाक करना शुरू किया.. जिसका वह बुरा नहीं मानती थी। मैं कभी मजाक में उनके नाजुक अंगों को छू लेता.. तो वो मुस्कुरा देती।
मैं उससे उनकी पर्सनल बातें पूछता तो वो उदास होकर उसे टाल जाती।
मैं उसे चोदना चाहता हूँ.. यह बात शायद वो समझ चुकी थी.. पर खुल नहीं रही थी।

एक बार मुझे उसके बिस्तर के तकिए के नीचे उसकी काले रंग की ब्रा-पैन्टी रखी मिली। जिसे मैंने उससे नजर बचा कर अपने जेब में रख ली व घर जाकर रात को उसे याद कर पैन्टी से ही मुठ्ठ मारी और सारा माल उसी में गिराया।
अगले दिन जब मैं उनके घर गया तो वो कुछ परेशान दिखी।

मैंने कहा- क्या हुआ भाभी.. कुछ परेशान दिख रही हो.. कुछ गुम हो गया है क्या?
भाभी- हाँ मेरे तकिए के नीचे से कुछ सामान गायब है.. जो मुझे अभी बहुत जरूरी चाहिए था।
मैंने कहा- सामान का नाम बताओ.. मैं अभी ढूँढ कर दे सकता हूँ।
भाभी ने मेरी तरफ मुस्कुराते हुए कहा- मेरी ब्रा-पैन्टी नहीं मिल रही है। मेरे पास दो ही जोड़े थे.. अब मुझे नहाने जाना है। क्या करूँ.. समझ ही नहीं आ रहा है।

मैंने शरारत से कहा- तो क्या हुआ.. बिना पहने ही बाकी के कपड़े पहन लेना.. वैसे आपकी वो चीज मेरे पास है।
भाभी गुस्सा होकर बोलीं- तुम्हारे पास? तुम क्या करोगे उनका.. तुम्हारे काम की चीज नहीं है वो..
मैंने कहा- भाभी आप बुरा ना मानो तो एक बात कहूँ.. जब से आपको देखा है मैं अपने पर कन्ट्रोल नहीं कर पा रहा हूँ.. उस पर कल रात मैंने आपके नाम की मुठ मारी थी.. आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो।

भाभी ने हँसते हुए कहा- अरे ऐसा क्यों करते हो.. तुम्हारी गर्ल-फ्रैन्ड नहीं है क्या.. उससे अपना काम चलाओ.. मेरी पैन्टी क्यों खराब करते हो?
मैंने कहा- नहीं है.. भाभी मैं आप को ही अपनी गर्ल-फ्रैन्ड बनाना चाहता हूँ.. बनोगी क्या?
भाभी- ठीक है.. पहले मेरी ब्रा और पैन्टी वापस करो।

मैंने उन्हें दो जोड़ी नई ब्रा और पैन्टी खरीद कर दे दी। जिसे देखकर वो बहुत खुश हुई।
मैं हमेशा उसी समय जाता था.. जब उसका पति घर पर नहीं होता था।

एक दिन मैं आफिस से घर आया तो देखा उनका बेटा हमारे मकान में आया था, इसका मतलब आज भाभी घर पर अकेली थीं, मेरा काम बन सकता था, मैं चुपचाप उनके घर चला गया।

भाभी- अरे तुम इस वक्त यहाँ कैसे?
मैंने कहा- भाभी तुम्हारी याद आ रही थी.. इसलिए आफिस से तुम्हें मिलने आ गया।
भाभी- ठीक है तुम बैठो.. मैं नहा कर आती हूँ।

वो नहाने चली गई। मैंने फटाफट घर के सारे खिड़कियाँ व दरवाजे बंद किए और बाथरूम के दरवाजे की दरार से उन्हें नहाते हुए देखने लगा।
वो पूरी नंगी होकर नहा रही थी और साबुन को बार-बार अपनी चूत पर और चूचियों पर रगड़ रही थी.. इसके साथ ही कभी वो अपनी उंगली चूत में डाल रही थी।
वह नहाते वक्त लगभग गरम हो चुकी थी।

मैंने बाहर से ही कहा- भाभी आपकी पीठ पर साबुन लगा दूँ क्या.. आप कहो तो पूरा नहला ही देता हूँ।
भाभी- ठीक है.. एक मिनट रूको।

उन्होंने फटाफट ब्रा और पैन्टी पहनी और दरवाजा खोल कर मेरी तरफ पीठ करके खड़ी हो गईं। मैं फटाफट अपने सारे कपड़े खोल कर बाथरूम में घुस गया। जिसका उन्हें पता नहीं था कि मैं उनके पीछे नंगा खड़ा हूँ।

मैं साबुन लेकर उनकी गर्दन व पीठ पर लगाने के बहाने सहलाने लगा, उन्हें मजा आ रहा था। मैंने जैसे ही हाथ नीचे लगाना चाहा.. वो मना करने लगी।

मैंने झटके उन्हें अपनी तरफ घुमाया और उन्हें किस करने लगा। पहले तो वो मुझे नंगा देखकर घबरा गई.. फिर मेरा खड़ा लण्ड देखा.. तो देखती ही रह गई।
बस मेरा काम हो गया था।

अब मैं कहाँ मानने वाला था, चुम्बन के साथ-साथ उनके दोनों मम्मों को लगातार दबाने लगा, वो गर्म होने लगी.. पर बार-बार कह रही थी- ना ना मत करो..
मैंने अपना एक हाथ उनकी चूत के ऊपर फिराना शुरू कर दिया.. तो वह और गरम हो गई व अजीब सी आवाजें निकालने लगी।

फिर वह मेरा साथ देने लगी व मुझे भी चूमने लगी, मैं पैन्टी के अन्दर हाथ डालकर उनकी चूत सहलाने लगा।
उनकी चूत पानी छोड़ने लगी थी, मैंने चूत में उंगली करनी शुरू कर दी, उन्हें मजा आने लगा.. वो जोर-जोर से आवाजें निकालने लगी।
वो बोली- प्लीज राज.. अब मत करो.. मैं पागल हो जाऊँगी।

मैंने उन्हें भी नंगा किया और उनके पूरे शरीर को साबुन के झाग से भर दिया। उन्होंने भी मेरा लण्ड पकड़ लिया और लण्ड चूसने लगी।
मेरा बुरा हाल हो गया था.. इसलिए मैंने उन्हें वहीं फर्श पर लिटाया और उनके ऊपर आ गया।
मैंने लण्ड को चूत के दरवाजे पर रखकर एक जोरदार धक्का मारा.. वो चिल्ला उठी।
वो बोली- राज.. आराम से.. आज बड़े दिनों बाद चुद रही हूँ।

मैंने उनकी एक ना सुनी व लगातार धक्के लगाने लगा। उनके पूरे शरीर पर साबुन लगे होने के कारण पूरा कमरा ‘फच्च.. फच्च..’ की आवाज से गूजने लगा।
वो लगातार चिल्लाए जा रही थी और पूरा मजा भी ले रही थी। थोड़ी ही देर में उसका दर्द कम होने लगा और वो नीचे से चूत उछालने लगी, उसे चुदने में बड़ा मजा आ रहा था, वो चुदते समय बहुत आवाज निकाल रही थी.. इसलिए मजा दुगुना आ रहा था।

कुछ देर के तूफान के बाद दोनों एक साथ ही अपने चरम पर पहुँच गए और मैंने अपने माल से उसकी चूत भर दी।
मैंने कहा- कैसा लगा भाभी.. आपको मजा आया या नहीं?

भाभी- बहुत मजा आया.. मुझे पता था कि तुम मुझे चोदना चाहते हो.. इसीलिए बार-बार मेरे घर के चक्कर लगा रहे हो। मुझे भी एक घर का ही लण्ड चाहिए था.. बाहर चुदने में मेरी बदनामी हो सकती थी। अब तुम मुझे रोज चोदना.. मैं कब से प्यासी थी। मैं तुम्हारे बच्चे की माँ बनना चाहती हूँ। मुझे अपने जैसा बच्चा दे दो। मेरे पति की कल से रात की डयूटी है। कल से तुम रात में यहीं सोना।

मैंने फटाफट उसकी एक बार और चुदाई की और कमरे में वापस आ गया।

अगले दिन मैंने मकान-मालिक के बड़े भाई.. जो मेरे वाले मकान में ही रहता था.. को बता दिया कि मेरे एक दोस्त की तबियत खराब है.. इसलिए मुझे कुछ दिन रात को उसी के घर में ही रहना पड़ेगा।

अब तो रात होते ही मैं उनके घर चले जाता और पूरी रात उन्हें जमकर चोदता। एक महीने के अन्दर ही वो प्रेग्नेंन्ट हो गई। इस बीच उन्होंने एक-दो बार अपने पति से भी चुदवाया.. ताकि उसे शक ना हो।

आज उनके घर में मेरे रस से उत्पन्न एक सुन्दर बेटी है.. जो पूर्णतः स्वस्थ है। बेटी आने के बाद उनकी अपने पति से भी अच्छी बनने लगी है इसलिए मैंने उनके पास जाना बंद कर दिया।
मेरी वजह से किसी का घर बस गया.. मुझे तो बस इस बात की खुशी है।

वह जब भी अपने माँ-बाप के घर आती थी तो मुझे बड़े गौर से देखती थी, वह देखने में बहुत ही शरीफ लगती थी, उसका बातचीत का तरीका भी बहुत अच्छा था, यहाँ आने पर मेरे से भी अच्छी-अच्छी बातें करती थी।
मेरा भी उसके प्रति कोई गलत विचार नहीं था.. पर एक दिन मेरा विचार बदल गया।
हमारे छत पर भी एक टायलेट है। एक बार वह कुछ दिनों के लिए यहाँ आई थी। नीचे के टायलेट में शायद कोई गया हुआ था.. तो मैं ऊपर छत पर चला गया। वहाँ कम ही कोई जाता था.. क्योंकि उसके दरवाजे की कुंडी नहीं लगती थी।
जैसे ही मैंने टायलेट का दरवाजा खोला.. तो देखा वो टायलेट में पजामा नीचे कर मूतने बैठी थी, उसका मुँह मेरी ही ओर था।
दरवाजा खुलते ही मेरी नजर सीधी उसकी चूत पर ही पड़ी जो सीटी की आवाज के साथ पेशाब बाहर निकाल रही थी।
मुझको देखते ही वह एकदम से खड़ी हो गई और अपना पजामा ऊपर खींचने लगी.. पर घबराहट में उसका पजामा नीचे गिर गया। अब तो वह पूरी नीचे से नंगी मेरे सामने थी।
उसकी नजर शरम से नीचे झुक गईं, उसने अब पजामा उठाने की भी कोशिश ना की।
मैंने उसकी पैन्टी व पजामा ऊपर उठाया और उसे कमर में बांध दिया। इसी बीच मैंने हाथ से थोड़ी सी उसकी चूत भी सहला दी। वो नजरें नीचे किए हुए थी।
यह सब देखकर मेरा लण्ड खड़ा हो गया था। मैंने अपना खड़ा लण्ड उसी के सामने बाहर निकाला और मूतने लगा।
पेशाब गिरने की आवाज सुनकर उसने अपनी नजरें ऊपर की और मेरे खड़े लण्ड को देखा और फिर नजरें झुका लीं।
उसको अपना खड़ा लण्ड दिखाने से मेरा काम हो गया था.. इसलिए मैं बिना देरी किए टायलेट से बाहर आ गया और छत पर उसका इन्तजार करने लगा।
वो पास आई तो मैंने उसे बोला- घबराओ मत.. मैं किसी को नहीं बताऊँगा कि मैंने तुम्हें नंगी देखा।
वो बोली- प्लीज किसी को मत बताना कि तुमने क्या देखा।
मैंने कहा- वैसे तुमने भी तो मेरा देखा था.. इसलिए हिसाब बराबर हो गया। सच कहूँ तुम्हारी ‘वो’ बहुत सुन्दर है.. एक बार और देखना चाहता हूँ, फिर कब दिखाओगी।
वो होंठ चबाते हुए बोली- तुम्हारा भी तो सुन्दर है।
फिर वह शरमा कर भाग गई।
अब तो पक्का हो गया था कि वह बहुत जल्दी ही चुदने वाली है.. पर उसी रात चुदेगी.. यह पता नहीं था।
मैं बाथरूम की तरफ खुलने वाले दरवाजे पर कुंडी नहीं लगाता था.. ताकि रात में उसके खुलने की आवाज से किसी को परेशानी ना हो। यह बात उसे भी पता थी।
रात में खा पीकर मैं अपने कमरे में सो गया। आधी रात में मुझे अपनी टाँगों पर कुछ रेंगता सा महसूस हुआ। वह किसी का हाथ था.. जो धीरे-धीरे मेरे लण्ड की ओर बढ़ रहा था।
मैंने सोने का नाटक करना ही ठीक समझा। उसने धीरे से मेरा पजामा खोल दिया और मेरे लण्ड को सहलाना शुरू किया।
तभी अचानक उसने मेरे लण्ड को मुँह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चूसना चालू कर दिया।
अब मेरी हालत बुरी हो चली थी, लण्ड फुंफकार मार रहा था, जब मुझसे रहा नहीं गया.. तो एक झटके में उठ गया।
मैं अनजान बनते हुए बोला- तुम मेरे कमरे में क्यों आई हो.. और ये सब क्या कर रही हो?
वो धीरे से कान में बोली- राज लेटे रहो.. तुम्हें मजा आ रहा है ना..!
मैंने कहा- बात मजे की नहीं है… किसी को पता चल गया तो?
वो बोली- अरे मैं यहाँ किसी को बताने के लिए थोड़ी आई हूँ.. बस तुम लेटे रहो और मुझे लण्ड चूसने दो।
मैंने मजे लेने के लिए कहा- पर मैं ये सब तुम्हारे साथ नहीं कर सकता।
वो बोली- साले राज.. अब नाटक मत करो और मुझे रोको मत.. सुबह से जब से तुमने मुझे नंगी और मैंने तुम्हारा लण्ड देखा है.. तब से मैं पागल सी हो गई हूँ। अब तो मुझे तुमसे चुदना है बस.. मैं अपने पति से बहुत दिनों से नहीं चुदी हूँ.. तुमने मेरी प्यास बढ़ा दी है.. अब चोद दो मुझे.. देर ना करो।
वो लगातार मेरा लण्ड सहलाए जा रही थी।
जब वो खुद चुदना चाह रही थी.. तो मैंने भी देरी करना ठीक नहीं समझा, मैंने उसे चित्त लिटाया और उसका कुर्ता ऊपर को उठा दिया.. जिससे उसकी चूचिया नंगी हो गईं, पजामी व पैन्टी को पैरों से अलग कर दिया, अपने भी कपड़े उतारे व थोड़ी देर उसकी चूत सहलाई और जब वह बहुत गरम हो गई तो खुद ही बोल पड़ी- आह्ह.. राज अब देर मत करो.. इसस्स.. चोद डालो मुझे..
मैंने उसकी चूत व अपने लण्ड पर खूब थूक लगाया और उसके ऊपर आकर लण्ड को चूत पर दबाने लगा। जल्दी ही वह पूरा लण्ड चूत में निगल गई।
धीरे-धीरे उसकी चुदाई शुरू हो गई.. वो भी मस्ती में हल्की-हल्की कामुक आवाजें निकाल रही थी।
मैं भी शोर कम हो इसलिए उसकी चूत की आराम से रगड़ाई कर रहा था। टाइम ज्यादा लेने के कारण दोनों को ही खूब मजा आ रहा था। कभी मैं उसके ऊपर.. तो कभी वो मेरे ऊपर आकर चुद रही थी।
अब मैंने उसे अपने बगल में लिटाया और पीछे से अपना लण्ड उसकी चूत में डाला। मेरे हाथ में उसकी चूचियां थीं मैं उन्हें बेदर्दी से मसलकर तेज-तेज उसकी चूत में धक्के लगाने लगा।

इससे आवाज कम आ रही थी और स्पीड भी बढ़ गई थी। वो भी चुदने ही आई थी इसलिए खुद अपनी चूत का दबाव हर धक्के में मेरे लण्ड पर दे रही थी। जैसे ही मुझे लगा कि वो झड़ने वाली है.. मैंने भी तेजी से लण्ड पेलना शुरू किया।
थोड़ी ही देर की तेज रगड़ाई में ही उसके साथ ही मैंने भी अपना सारा माल उसकी चूत में भर दिया। वो मेरे बगल में ही लेटी रही।
वो बोली- राज मेरी एक बच्ची होने पर भी मैंने आज तक इतनी देर तक चुदाई नहीं की.. तुमने बहुत मजा दिया। सुबह जब तुमने मेरी चूत सहलाकर मुझे अपना लण्ड दिखाया था.. तब से ही मेरी चूत चू रही थी। इस निगोड़ी को.. तुम्हारी जोरदार चुदाई के बाद अब शांति मिली है.. जल्दी से एक बार और चोद दो मुझे.. कहीं बच्ची ना जाग जाए।
मैंने एक बार और उसकी चूत मारी और फिर वह अपने कमरे में चली गई। वह जितने दिन भी यहाँ रही.. उतने दिन मैंने उसे जमकर चोदा।
उसी की मदद से कैसे मैंने उसकी छोटी बहन को माँ बनाया.. यह कहानी भी जल्दी ही आपकी नजर करूँगा।
इस घटना में उनकी शादीशुदा छोटी बेटी रेखा की चुदाई की दास्तान है.. जिसकी उम्र 23 साल की थी.. और उसकी शादी को तीन साल हो गए थे.. पर अभी तक कोई बच्चा नहीं हुआ था।
अगली बार जब बड़ी बहन रश्मि, जो मुझसे चुद चुकी थी, दिल्ली आई तो उसके साथ वो भी आई थी।
रेखा कुछ ज्यादा ही शर्मीली थी, किसी से कुछ नहीं बोलती थी, यहाँ भी दिन भर घर के कामों में ही लगी रहती थी, अपने आप में ही गुमसुम रहती थी।
रात को जब उसकी बड़ी बहन अपनी चूत चुदाने के लिए मेरे कमरे में आई तो उसे चोदते हुए मैंने पूछा- तुम्हारी छोटी बहन गुमसुम सी रहती है.. कुछ परेशानी है क्या उसे?
वो बोली- हाँ.. वह बहुत परेशान है, सारा काम करना जानती है, सभी की सेवा भी करती है.. पर तीन साल होने पर भी अभी कोई बच्चा नहीं हुआ है.. तो उसकी सास उसे ताने मारती है और अपने बेटे की दूसरी शादी कराने की बात करती है।
मैंने बोला- तो इसमें क्या बड़ी बात है, बच्चा पैदा कर ले.. तो सास खुश हो जाएगी ना..
वो नीचे से चूतड़ को उछाल कर लण्ड खाने की कोशिश करते हुए बोली- वो ही तो नहीं हो रहा है ना.. ये लोग बहुत कोशिश कर रहे हैं.. पर कामयाबी नहीं मिल रही है।
मैंने मजाक में कहा- एक बार मैं कोशिश कर लूँ.. शायद बच्चा हो जाए। उसने अपने पति के साथ तीन साल कोशिश कर ली.. अब एक बार मेरे साथ कोशिश कर ले.. शायद उसका काम बन जाए।
वो बोली- यह क्या कह रहे हो राज तुम? वो वैसी लड़की नहीं है।
मैं बोला- तो क्या मैं वैसा लड़का हूँ। मैं तो उसका घर बसाने के लिए कह रहा था। तुम ही सोच कर देखो उसका बच्चा हो जाएगा तो उसका घर बच जाएगा.. फिर उसकी सास अपने बेटे की दूसरी शादी कराएगी क्या?
वो बोली- वो कभी नहीं मानेगी और किसी को पता चल गया तो?
मैंने कहा- मनाने का काम तो तुम्हारा है। वैसे तुम इतने महीने से मुझ से चुदवा रही हो और अभी भी चुद रही हो इसका किसी को पता नहीं चला.. तो उसका क्या चलेगा। यह बात हम तीनों के बीच ही रहेगी।
वो उचकते हुए बोली- अच्छा चलो.. मैं उससे बात करती हूँ। अब मुझे लण्ड तो खाने दो.. जोर से चोदो.. कब से तड़प रही थी तुम्हारा लण्ड लेने को.. तुमसे महीने में एक दो बार चुदे बिना तो मुझे चैन ही नहीं आता.. अब डाल भी दो न.. फाड़ डालो मेरी चूत को..
मैंने लौड़ा पेल कर उसको चोद दिया.. पर उस रात मैंने उसकी बहन को दिमाग में रखकर उसकी चुदाई की।
अगले दिन एकान्त में उसने अपनी बहन से बात की, पहले तो वो मानी नहीं पर जब उसे बहुत मनाया तो वो मान गई।
उसने यह खुशखबरी मुझे बताई।
अब बहुत जल्दी ही उसकी छोटी बहन भी मुझसे चुदने वाली थी।
वो सलवार सूट पहनती थी और 23 साल की ही होने के कारण बिल्कुल कुंवारी लड़की जैसी ही लगती थी। उसे चोदने का तो अलग ही मजा आने वाला था, मैंने उसे माँ जो बनाना था।
मैंने उसे बताया कि वो माहवारी आने के बाद 15 दिन के लिए यहाँ रहने के लिए आए और अपनी सास को बताए कि इलाज के लिए जा रही है।
आने से पहले एक बार अपने पति से चुदवा कर आए और यहाँ से जाने के बाद भी अपने पति से चुदवाए.. ताकि उसे शक ना हो।
फिर इस बार तो मैंने उससे घुलने-मिलने के लिए उसकी बाहर से ही चूचियाँ व चूत सहलाई.. और उसे अपने लण्ड के दर्शन कराए.. ताकि अगली बार जब वह आए तो मुझसे शरमाए नहीं।
इस बार तो मैंने उसकी दीदी की चूत से ही अपने लण्ड का काम चलाया।
अगले दिन वो वापस चली गई व ठीक 10 दिन बाद फिर आ गई.. वह अपनी सास को दवा लेने का बताकर 15 दिन के लिए आई थी।
अब बस मुझे अपना काम करना था। मैं उसे पहली बार जरा दबा कर चोदना चाहता था.. जो मेरे कमरे में नहीं हो सकता था इसलिए मैंने अपने दोस्त के घर की चाभी ले ली।
मेरा दोस्त वह मार्केटिंग का काम करता था.. इसलिए ज्यादातर घर के बाहर ही रहता था। अगर घर आ भी जाए तो सुबह जल्दी निकल जाता था, वह अकेला ही रहता था और उसका घर जरा कोने में था.. इसलिए वहाँ कौन आ-जा रहा है.. इसका किसी को पता नहीं चलता था।
वह खुद उस कमरे में कितनी ही लड़कियों को बुला कर चोद चुका था। उस के घर से अच्छी इस चुदाई के लिए जगह हो नहीं हो सकती थी इसलिए मैंने उससे बात कर ली और उसने मुझे चाभी दे दी।
मैंने घर आकर रेखा को बता दिया कि तुम घर पर बता देना कि रोज कल से तुम मंदिर में जाकर ध्यान करोगी और तुम एक घण्टा रोज मंदिर में जाना भी ताकि कोई मंदिर में आकर पूछे भी.. तो वो भी ‘हाँ’ बोले।
मैं जब भी तुम्हें फोन करूँ तब तुम मंदिर के बाहर आ जाना। इस तरह तुम पर किसी को शक भी नहीं होगा। घर पर कुछ करूँगा.. तो हम फंस भी सकते हैं।
उसने वैसा ही किया।
मैंने भी 15 दिन की नाइट डयूटी लगा ली और यहाँ रेखा के बाप यानि मकान मालिक के भाई को भी बता दिया कि मैं सुबह दोस्त के घर पर ही नाश्ता करके आऊँगा।
मैं रात को डयूटी चला गया और अगले दिन दोस्त के घर जाकर उसका इन्तजार करने लगा।
एक घंटे बाद मैंने रेखा को फोन किया और 5 मिनट में मंदिर के बाहर मिलने को बोला।
वो बाहर ही मिल गई.. उसे मैं दोस्त के कमरे में ले गया और बता दिया कि कल से उसे रोज इसी टाइम पर यहाँ आ जाना है।
उसके बाद मैंने उसे बैठाया और उसकी टाँगें सहलाने लगा, फिर धीरे-धीरे चूचियाँ मसलने लगा।
जब वह गरम होने लगी तो उसकी चूत सहलाने लगा।
मैंने उसे गले लगा लिया और बोला- देखो मुझसे बिल्कुल भी मत शरमाना.. इन 15 दिनों के लिए समझना.. मैं ही तुम्हारा पति हूँ। तुम यहाँ चुदने आई हो इसलिए 15 दिन चुदाई ही और बस चुदाई ही तुम्हारे दिमाग में रहनी चाहिए। जब तुम खुल कर चुदोगी.. तभी तुम्हें चुदाई का असली मजा भी मिलेगा और साथ में एक प्यारा सा बच्चा भी मिल जाएगा।
वो बोली- मेरा बच्चा तो हो जाएगा ना? मैं यह सब बच्चे के लिए ही कर रही हूँ।
मैंने कहा- जरूर होगा, तुम्हारे से पहले भी एक को माँ बना चुका हूँ। जैसा मैं कहता हूँ.. बस 15 दिन तुम वैसा ही करती जाना। वैसे एक बात बताओ.. कभी तुम्हारे पति ने 15 दिन लगातार चोदा है तुम्हें?
वो बोली- नहीं.. वो तो हफ्ते में एक ही बार करते हैं.. वो भी कभी-कभी..
मैं बोला- तो अब देखो.. इन 15 दिनों में मैं तुम्हारी चूत में इतना माल भरूँगा कि तुम्हारी चूत को मजबूरन बच्चा देना ही पड़ेगा.. बस तुम मेरा साथ दो।
वो बोली- इसी लिए तो राज यहाँ आई हूँ, मुझे निराश मत करना.. मेरी इज्जत तुम्हारे ही हाथ में है।
मैं बोला- चलो फिर काम शुरू करते हैं।
अब हम दोनों ने फटाफट अपने कपड़े उतारे और जल्द ही हम दोनों नंगे हो गए।
वो अभी भी शरमा रही थी।
मैंने उसे गरम करना शुरू किया.. अपनी बाँहों में भरकर उसे किस करने लगा और एक हाथ से उसकी चूत सहलाने लगा।
जब वो गर्म हो गई.. तो मेरा साथ देने लगी, वो नीचे के बाल बना कर आई थी, चूत बिल्कुल साफ-सुथरी व चिकनी थी, वो पूरी तैयारी के साथ चुदने आई थी।
मेरा लण्ड उसकी चूत की दीवारों से बार-बार टकरा रहा था।
थोड़ी देर में ही उसकी चूत गीली हो गई।
जैसे ही मैंने उंगली उसकी चूत के अन्दर डाली.. उसकी सिसकारी निकल गई।
मैंने उसकी चूचियां मसलते हुए कहा- तुम्हें मजा तो आ रहा है ना..
वो बोली- हाँ.. बहुत मजा आ रहा है ऐसे ही करते रहो।
मैंने थोड़ी देर सहलाने के बाद उसके आगे अपना लण्ड कर दिया।
मैं बोला- इसे अपने मुँह में लेकर चूसो।
वो बोली- नहीं.. मुझे यह अच्छा नहीं लगता।
मैंने कहा- अरे यही तो असली चीज है.. यह जितना खिला रहेगा.. तुम्हें उतना ही मजा देगा। इसी का तो सारा खेल है.. तुम उसे चूस कर खुश करो और ये तुम्हें चोद-चोद कर खुश करेगा। चलो.. अब जल्दी करो।
वो बोली- नहीं.. इसका स्वाद अच्छा नहीं होता है।
मैंने कहा- बस इतनी सी बात.. ये लो अभी इसका स्वाद बदल देता हूँ।
मैंने दोस्त की रसोई से शहद लाकर लण्ड पर अच्छे से चुपड़ दिया और लण्ड उसके मुँह में ठूंस दिया।
पहले उसने लण्ड पर जीभ लगाई फिर पूरा लण्ड मुँह में ले लिया। शहद का स्वाद काम कर गया.. वह मजे से मेरे खड़े लौड़े को चूसने लगी।
अब मुझे भी कन्ट्रोल नहीं हो रहा था तो मैंने उसे लिटा दिया और उसकी टाँगें फैलाकर चूत पर लण्ड लगाया और एक धक्का लगाया।
उसकी चूत टाइट थी इसलिए आधे में ही लण्ड फंस गया.. उसकी चीख निकल गई।
वो बोली- आहहह.. आराम से.. मार डालोगे क्या.. बहुत दर्द हो रहा है।
मैंने कहा- तुम्हारी चूत तो बहुत टाइट है, तुम्हारा पति तुम्हें नहीं चोदता क्या?
वो बोली- उनका वो जरा छोटा है.. फिर वो जरा सा फुदक कर ही जल्दी खलास हो जाते हैं |
मैंने सोचा आज तो मजा आ जाएगा.. साली शादी के इतने साल बाद भी इतनी टाइट चूत है..
मैंने उससे कहा- कोई बात नहीं.. आज मैं तेरी पूरी चूत खोल दूँगा।
मैंने एक बार लण्ड बाहर निकाल कर उसकी चूत व अपने लण्ड पर ढेर सारा थूक लगाया और फिर पूरी ताकत से धक्का लगाया.. साथ में उसके मुँह में हाथ भी रख दिया।
वो चिल्लाने लगी.. उसकी आखों से आंसू निकल आए, वो बोली- आहहह मरररर गई.. बाहर निकालो इसे.. मुझे नहीं चुदवाना.. तुमने मेरी चूत ही फाड़ दी।
मैं बोला- कुछ नहीं होगा.. तुम्हारे पति वाला काम भी मुझे ही करना पड़ रहा है। अब दर्द नहीं होगा। थोड़ा सहन कर लो बस।
मैंने उसकी रसीली चूचियां मसलनी शुरू कर दीं और उसे किस करता रहा। जब दर्द थोड़ा कम हुआ तो मैं हल्के-हल्के धक्के लगाने लगा।
सच में रेखा की चूत बहुत टाइट थी इसलिए उसे अब भी दर्द हो रहा था। मैंने स्पीड बढ़ाई तो वो फिर कराहने लगी- आहह.. आहहह.. नहीं राज.. नहीं ओहहह.. ओहहह.. सीईई.. आइइइइ..
वो कराहती रही और मैं पलता रहा.. धीरे-धीरे उसे भी मजा आने लगा, वो भी मेरा साथ देने लगी।
‘आहहह.. आहह.. तेज.. राज औरर.. तेज.. चोदद दो मुझे.. ओह औरर तेज..’
मैंने रफ्तार पकड़ ली और कमरे में उसकी कराहें गूंजने लगीं।
मैं बार-बार आसन बदल-बदल कर उसे चोदे जा रहा था। इसी बीच वो दो बार झड़ गई। उसकी हालत बुरी थी.. पर मुझे तो बहुत दिनों बाद इतनी टाइट चूत मिली थी.. इसलिए मेरा मन नहीं भरा था, बस उसे धकापेल चोदना ही चाहता था।
आखिर कब तक… अंत में मैंने उसकी चूत पर पिचकारी छोड़ ही दी जिससे उसकी चूत लबालब भर गई।
जैसे ही मैंने लण्ड बाहर निकाला उसकी चूत से वीर्य बाहर को बहने लगा।
मैंने उसका दूध मसकते हुए कहा- कहो मेरे साथ तुम्हारी चुदाई कैसी रही?
वो हांफते हुए बोली- तुमने तो मेरी नस-नस ही दुखा दी.. आज तक मैं कभी इतनी बुरे तरीके से नहीं चुदी। मेरी चूत की असली चुदाई तो आज ही हुई है।
मैं बोला- जानेमन.. अब तो तुम्हारी ऐसी चुदाई रोज ही होगी। बस रोज टाइम पर आ जाना।
मैंने उसे एक बार और चोदा और घर भेज दिया। एक घंटे बाद मैं भी कमरे में आ गया। अब तो यह रोज का नियम हो गया। मैंने उसे सभी तरीके से खूब जमकर चोदा। रोज वीर्य उसी की चूत में भरता था। उसकी गाण्ड भी मारी।
फिर 15 दिन बाद वो अपने घर वापस चली गई।
एक महीने बाद उसने खबर दी कि वो गर्भवती है। उसकी सास व उसके पति बहुत खुश थे। यहाँ उसके माँ-बाप भी बहुत खुश थे कि बेटी की सुबह की पूजा का फल मिल गया।
वो तो उसे मिलना ही था उसने 15 दिन मेरे लण्ड की खूब सेवा और पूजा जो की थी.. जिसका फल उसकी कोख में था।
ठीक 9 महीने बाद वह एक बेटे की माँ बन गई। उसके बाद मैंने उसे नहीं चोदा। क्योंकि अब मेरी नजर उसकी सबसे छोटी बहन पर थी जो अभी अभी जवान हुई थी।
मैंने उस कली को फूल कैसे बनाया। यह कहानी भी जल्दी ही आपकी नजर करूँगा।




ଟୁଟୁ ଭାଇ ସଂଗେ ମୋ ଚଉଠୀ ( Tutu Bhainka Sange Mo Chauthi )

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“Baha nahei ta sabu karisarilani, au kan baki rakhicha j?” mu chideiki kahili.
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3 dina kala se mate hotel re rakhile. Ame baharaku baharinu. Khali soiba samaya au khaiba samaya chhadidele se mate karichalithanti. Prathama dina 7thara karidele. 2nd day 6thara, 3rd day 7thara. Pura 20thara, au sabuthara se mo peta bhitare birjya chhadanti. Mu ta darigali. Lagila jemiti se mate pregnant karidebe. Hele se hasile. Medicine achhi kahile.
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Salman Khan and Aishwarya Rai Ki Sexy Story

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 Hello , Raja.dubai86 ka Tamaam Ahle Mohabbat ko Salam. Ek baar fir se nai love story ke sath haazir hu apki bhauja.com par. Aaj me Aapko Bollywood ki Ek Mash hur Jodi ki Love story sunane ja raha hu.vo jodi he Salman khan or Ashvriya Ray ki. Ye Love Story News papers me chapi news ke mutabik mene likhi he.Jo ki us vkt se lekar aaj tak in dono ke bare me chapti rahi he. Ye Love story film ''Ham Dil De Chuke Sanam , se shuru hokar Film ''Chalte Chalte , ke set pr khatam hui thi.



U To Ashvriya Ray ki kuch filme un dino aa chuki thi.mgr khaas kamiyaab nhi ho ski. Or Salman un dino kai hit filme de rahe the.vese bhi Salman ko kai actress ne kamiyabi pane ki sidhi bnaya tha ,or jab vo kamiyaab hui to vo salman se alg ho gai.Un dino Salman ke sitare bulandi pr the. Film director Sanjay lila Bhansali film ''Ham dil de chuke sanam, bnane ki teyari me the.Salman or Ajay ko to vo film me sine kar chuke the,mgr hiroin ke liye talash jari thi.is film ke liye Salman ke mashvre pr Sanjay ne Ashvriya ko sine kiya.Ash ki khubsurati ke charche bollywood me bhi aam the.to fir Salman ki nazre kyu kar un par na padti.Ye pahla kadam tha Salman ka Ash ko apni taraf Muta,assir karne ka.Jab Ash ko pta chala ki salman ki Sifarish pr sanjay ne unko is film ke liye sine kiya he to unhone Salman se milkar unka shukriya ada kiya.yahin se Aankho ki Gustakhiyon ka silsila shuru ho gya.yani Nazren milni shuru ho gai.

Ajay or Salman ke bich dostana ta,allukaat the.isliye Salman ne sabse pahle Ajay ko is bare me bataya.mgr Ajay ne unse kaha ki tum thoda sbr kro , Abhi film ki shuting shuru hi hui he.agr abhi se kuch gadbad ho gai to jyada problems khadi ho jaengi.khair Salman ne sbr to kar liya , mgr unit ke sath Ash bhi thi.or salman to aankho hi Aankho me use Dil de chuke the.mgr abhi to bahut kuch karna baki tha.Shuting ke time bhi Salman esi harkten karte jisse sari unit ke log hans padte.ye sab Ash ke liye hota tha.or ye Bate Ash bhi samajhti thi.Raat ko unit ke log kai der tak aapas me hansi mazaak karte rahte or fir sab chale jate, pr Salman vhin pr bethe rahte.Shayad unki nind to ud chuki thi.Salman Raat ko hmesha der se sote the.or Ash kbhi kbhi apne room se Baalkoni me aakar niche kursi pr bethe salman ko dekhti.or chup chap chali jati.Abhi tak to silsila aankho tak hi chal raha tha.Salman Ash ko hansane ke liye tarah tarah ke drame karte the.kbhi jok sunate to kbhi Shayri bnakar use bigaad kar suna dete jisse sab hans padte the.Raat ko to rojana Mahfil jamti thi , mazaak ki.is khushnuma mahol ke bich Ajay or Salman ki mojudgi ,mahol ko or bhi rangeen bna deti thi.kbhi ye dono ek dusre ki tang khenchte , to kbhi mohabbat bhari ladai karte , to kbhi sge bhaiyon ki tarah imoshnal ho jate.Ash is pyare se mahol ke liye din me raat ka intjaar karti.Din me bhi shuting ke doraan Salman Ash ko dikhane ke liye tarah tarah ke jatan karte.Film ke ek seen me Salman or Ash ki dosti ho jati he.us vkt Salman hakikat me Ash se dosti kar rahe hote he.us seen ki shuting hone ke baad Salman ne Ash se kaha tha ki ''Ab ham dost ho chuke he , To Ash ne mazaak me kaha ki ji nhi vo film me dost hue he,to Salman bole ki Kamaal he tumne film me Samir se dosti ki , or Salman ne hakikat me Ash se dosti ki he.Ab aapki marzi he ki aap hme dost samjhe ya dushman hmne to aapko dost bna liya he.to Ash hanste hue vhan se chali gai.Salman ne dhire se kaha ki dekhte he ki kab tak bhav khati rahogi.is tarah pyaar bhari takraar me film ki shuting aage badhti rahi.

Ek din shuting ke doraan Ash ke per me chot lag gai.usi vkt salman ne Doctor ko bulaya.usne marham patti ki or kuch din rest ki salaah dedi.Ash ab rest pr thi.or Salman ne un dino uski bahut khidmat ki.uske liye bahut bhag dod ki.sirf apne pyaar ko jatane ke liye.khair ye mahnat bekaar nhi gai.us vkt Ash ko lga ki Salman usse hakikat me kitna chahte he.is film me jo Gana he ''Nimbuda,, us gane se pahle Salman ne Ash se mohabbat ka Izhaar kar diya tha.or Ash ne bhi unki Mohabbat ko manzur kar liya tha.is baat se dono ke dil khushi se bhar chuke the.jiska Ijhaar is gane ke dance me mahsus hota he.Jisme Ash ne dil kholkar dance kiya.is gane ke doraan Salman film me Ash se naraz hote he.or Ajay Ash ko pasand karte he.Lekin us vkt Naraaz Salman ke chahre pr khushi jesa mahol bna tha.kyu ki andar pyaar ke ijhaar ki khushi ne halchal macha rakhi thi. Khair is gane me Ajay ki entry hoti he, jiske baad story Ajay or Ash pr chalti he.is film ki shutting me Salman ne Ash ke naam 24 Letar likhe the.jo Ash ko vo dete rahte the.Jab tak is film ki shuting chali in dono ke pyaar ke charche puri duniya me pahunch chuke the.mgr dono is baat ko chupa rahe the.Halanki is film ko dekh kar hi pta chalta he ki har chiz real jesi lagti he.khas kar Salman- Ash ka pyaar.Mere khayaal se Salman ne Ash se sachi mohabbat ki thi.Ladkiyan to unki jindgi me kai aai.,mgr Ash ko lekar vo bahut hi siriyas the.inki mohabbat ka silsila yahin pr nhi thama.shuting khatam hone ke baad bhi inki mulakaton ka silsila khatam nhi hua.us vkt inki mohabbat ke charche puri duniya me aam the.

Ash ke ghar valo ne use bahut samjhaya ki tum apne Carrier pr jyada dhiyaan do.mgr nakaam rahe.Ash bhi Salman ki mohabbat me diwani ho chuki thi.,Ash ke ghar valo ne us par shakhti karni shuru kar di.film ki shuting ke liye uske sath jate , or shuting se ghar tak use lekar aate the.Ab Ash Salman se mil nhi pati thi.kai din is tarah gujar gae.or ye Judai Salman pr bhi bhari padne lgi.usne kai baar fon karne ki koshish ki , mgr baat nhi hoti thi.Yahan Aap sabke jahan me Ek savaal aata hoga ki Aakhir Ash ke ghar vale Salman ko kyu na pasand karte the.iski kai sari vjaah thi.Ek to ye ki Salman ko vo sab Play Boy samajhte the,kyu ki Salman ke sath kai ladkiyon ka naam pahle hi jud chukka tha.jinme se kai usse shadi bhi karna chahti thi, mgr Salman abhi shadi karna nhi chahte the.is vjaah se kai ke sath brack up ho chukka tha.Ash ke ghar vale ye bhi samajhte the ki Salman iske sath bhi vhi karega jo baki ladkiyon ke sath kiya,yani shadi ke jhuthe vade karke sath time gujaar kar fir shadi se inkaar.Dusra Salman ki Image Ek Play boy ki rahi he, jiski jindgi me Kai ladkiyan aai or chali gai.Tisri unki sharab ki buri latt.aae din sharab pikar unke hangama karne , maar pit karne ki khabre papers me chapti rahti he.in sab baton ki vjaah se Ash ke ghar valo ne use salman se door rakhne ki koshish ki.mgr un dino Ash bhi salman ko chahti thi.unhi dino Ash Abhishek bachan ke sath Jesalmer (Rajasthan) me film ''Dhai Aksar prem ke'' film ki shutting kar rahi thi.unhi dino News papers me Abhishek or Ashvriya ke romance ki khabren chapna shuru ho gai.or Salman ke kano tak bhi pahunchi , to vo usi vkt Mumbai se Jesalmer ke liye ravana hue.vhan jakar bhi vo apne gusse ko kabu me nhi rakh ske , or Ash se akele me milkar use ek thappad rasid kar diya.jisse vo salman se bahut Naraaz ho gai.fir Salman ko apne is kiye pr pachtava shuru ho gya.fir usne Ash ko manane ke liye tarah tarah ki koshishe suru kar di.un dino mene ek paper me pdha tha ki Salman ne Ash ko manane ke liye bina ruke 40 k.m Saikal chalai thi.
jise Jesalmer ke kafi logo ne dekha.aaj bhi jesalmer me ye kissa mashur he.khair , Salman ne jese bhi ho Ash ko mna hi liya.is moke ka fayda uthate hue film ''Dhai aksar prem ke ,, ke director ne Salman se bhi film me thoda sa rol karva liya.kyu ki Salman us vkt Top star the.unka naam hi kisi film ke sath judna us film ki kamiyabi ke liye kafi tha.us vkt Abhishek ki mojudgi me Salman ne Ash ke sath jesalmer me jindgi ke haseen lamhaat bitae, kise pta tha ki aane vale vkt me Ash isi Abhishek bachan ki Bivi bnegi.Ash ke ghar valo ki lakh pabandi ke bavjud bhi Salman Ek Hiro ki tarah usse milte the.is film ki shutting ke khatam hone ke baad sabhi Mumbai vapas aa gae.or Salman Ash ki mulakaton ka silsila fir se tham gya.is tarah kuch filmo ki shutting me jinme Ash hoti thi, Salman usse milne film ke set par pahunch jate the.or kai baar vhan mojud logo se jhagda bhi kar lete the.kbhi shutting me tang adate the.un dino Salman or shahrukh khan film ''Ham tumhare he sanam,, ki Shutting kar rahe the, jahan Ash bhi Salman se milne kbhi kbhi chali jati thi.isi moke ka fayda uthate hue is film ke director ne Ash ko bhi is film me Salman ki premika ka chota sa rol dediya.is film ke kuch time baad Ash apne ghar valo ki vjaah se Salman se door hoti gai.or ye judai Salman bardasht nhi kar ske.isliye Ek Raat vo khub Sharab pikar Ash ke ghar ka darvaza bajate rahe.or unke ma baap ko galiyan bhi dete rhe.jis vjaah se Ash ke dil me Salman ki mohabbat km padti rahi.uske ghar valo ne Salman ke khilaaf police me riport bhi karvai.mgr kuch nhi ho ska.ye vo din the jab inke brack up ki khabren news papers me chapni bhi shuru ho chuki thi.mgr breck up hua nhi tha.Shahrukh khan un dino apni home production film ''Chalte Chalte ,, shuru kar rahe the.
 unke mashvre pr is film me Ash ko hiroin liya gya.or shutting bhi shuru kar di gai.in dino Ashvriya Salman se us raat ke habgame ki vjaah se naraz to thi hi.or Salman jinko galtiyan karne ke baad Ahsas hota he.fir se us raat ki galti ka ahsas hua.or vo film ''Chalte Chalte,, ke set pr fir se Ash ko manane ke liye ja pahunche.vhan vo baar baar Ash ko shutting me disturb karte.jis vjaah se film ke hiro Shahrukh khan ka garam dimaag garam ho jata.unke is ravaiye ki vjaah se Shahrukh ne unko samjhane ki koshish ki , Natije me Salman ne unko bhi galiyan deni shuru kar di.jo ki shahrukh bardasht na kar ske.or bole ki is sare Fasaad ki jad Ash he,isi ki vjaah se sara hangama khada hua he,or Shahrukh ne gusse me Ashvriya ko hi is film se nikaal diya.Tbhi se Shahrukh or Ashvriya ki nhi banti.is film se Ash ko nikala gya , jisse vo bahut jyada disturb ho gai.or usne tng aakar Salman se break up ka fesla kar liya. Halanki midia ne to pahle hi in dono ke break up ki khabren chap di thi.khair , is maamle ke baad to Ash ne salman se bilkul hi milna chod diya.or us doran usne apne dil ke bojh ko km karne ke liye Vivek Obray se dosti kar li.Darasl ye dosti film ''Kyu ho gya na'' ke set pr hui thi.is film me Vivek or Ash ki jodi thi.Vivek ne is dosti ko pyaar samajh liya.Ash ne use Salman ki harkton ke bare me bta diya tha.or Vivek ne Ash ki dosti ko pyaar samajh kar Salman se panga le liya.

sabse pahle usne Salman ke khilaaf Ash ko satane or pareshan karne Dhamkane ki police me riport karvai.un dino Papers me Vivek or Ash ke pyaar ki afvahen aam ho chuki thi.jinko padh ya sun kar Vivek to khush hote honge,mgr Ash pareshan hoti thi.kyu ki uske dil me vivek ke liye sirf dosti ki jagah thi.mohabbat ki nhi.Dusri taraf Salman khan in khabron ko padh kar apna havaas kho bethe.or unhone pahle to Ashvriya ko fon par gandi gandi Galiyan di , or vivek se door rahne ki hidayat bhi di.use nhi maalum tha ki ye fon tape ho raha he.Ash or Salman ki is fon pr baat chit ko News chenals ne duniyan ko sunaya.or pepars me bhi khub bdha chadha kar chapa gya.idhar Vivek ko bhi Salman ne Ek hi raat me 41 baar fon karke Ash se door rahne ki hidayat di.or sath hi jaan se maarne ki dhamki bhi di thi.is bare me jyada malumat karne ke liye inter net pr ''Tere mere bich me with Farah khan'' sarch Karen 'ye farah khan ka ek show he jisme Vivek ne in baton ka jikr kiya he.

jise aap jab chahe sun sakte he.is Episode me Farah khan ne Vivek se us maamle ke bare me pucha tha , jiske javab me Vivek ne khul kar midia ke saamne us raat ke raaz ko bataya tha.khair Vivek ne bhi police me Salman ke khilaaf khud ko or Ash ko dhamkane ki shikayat drz karvai.or Sath hi midia me jakar sari duniyan ke samne Salman ke bare me khub khari khoti bayan ki.Salman khan se panga lena aaj Vivek apni jindgi ki sabse bdi bhul maante he,jiski sza vo aaj tak bhugat rahe he.natijatan unko filmo me kaam milna bnd ho gya.bde bde film directors ne usse kinara kar liya.or uska carrier tabaho barbad ho gya.kyu ki use kaam dekar koi bhi director salman se dushmni nhi karna chahta tha.ese mod pr Ashvriya ne bhi usse kinara kar liya.or vo akela rah gya.Ab Salman or Ashvriya ka break up bhi ho chukka tha.Salman ne un dino apne carrier pr dhiyan dena bhi chod diya tha,vo har vkt Ash ki yado me khoye rahte the.Natija ye hua ki unki filme bhi dhada dhad flop hone lgi.or vo ek nakara star bankar rah gye.kbhi to vo Ash ki penting bnane me mashgul rahte.to kbhi raat raat bhar sharab ke nashe me.idhar Ash ne in dono majnuo se Rishta todkar apne cerriar pr dhiyan dena shuru kar diya.or Film ''Guru'' ke doran use Abhishek se pyaar ho gya.Salman ko unki girl friend Ketrina ne sahara diya.or Bhai Arbaaz or Sohel ne bhi bahut samjhaya.

or apne cerriar pr jyada dhiyan dene ki targeeb dilai.fir Salman ne is gam se nikal kar film ''Tere Naam,, sine ki.is film ki kamiyabi ne unke jakhmo pr marham lagaya.or unko dubara Star banaya.is film ki story bhi ek Nakaam Aashiq ki dastan thi.or Salman to vese bhi un dino ek nakam Aashiq the,to is film me unke sache mgr nakaam pyar ko duniya ke samne la diya.or ye film Salman ke liye dubara Anmol saabit hui.Aaj bhi puri duniya me har jagah is film ka Radhe aapko dekhne ko mil hi jate he.khair, uske baad Ashvriya or Abhishek ka romance aam ho chukka tha.inki mohabbat ko dekhte hue Amitabh bachan ne Ash ke ghar valo se uska hath apne bete ke liye mang liya. Bollywood ki itni mashur hasti jinke sath kaam karna har hiro ka sapna hota he.unke ghar ki bahu banna har ladki ki khush naseebi hoti he.ye sochkar Ash ke ghar valo ne ye rishta tay kar diya.or kuch hi dino me ye dono shadi ke bandhan me bandh gye.Ash ki shadi ho chuki thi.or Salman fir se apne cerriar ko behtar banana me lge hue the.or kai filme sine kar chuke the.or bahut jyada mashgul the.or dusri taraf Vivek ne bhi Salman se kai baar mafi maangne ki koshish ki mgr Salman ne use maaf nhi kiya.Aaj bhi vo Bollywood ke sabse jyada be rojgaar hiro bankar rah gye.unke paas kaam nhi he.film ''Pyare Mohan'' se unhone dubara apne cerriar pr dhiyaan dena shuru kiya.mgr abhi bhi unko ekka dukka filme hi milti he.

Dosto ye thi Salman or Ashvriya ki Love story jo is tarah khatam hui.Me Salman ko ek acha insaan samajhta hu.unhone jo kuch bhi kiya vo mohabbat ke nashe me kiya.Aap khud hi is love story ko padh kar ye fesla kijiye ki is real Love story me kon galti pr tha.or kon be kasur.Mene ye story midia me chapi khabron ki madad se likhi he.Aap Sabko ye Love story kesi lgi mujhe jarur batana.or is story ko padh kar apni apni Ray batana ki aapko kya lagta he , in stars me kon galti pr tha or kon sahi ?

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Bhabhi Apne Gher le Gayi

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 May surat may rahta hu or may nay apnay bare may 1st stories may bataya tha or surat ka hal bhi bataya tha. So friend meri kaha ni padkar muje kai mail mile usmay ek mail tha pooja name ki bhabhi ka. Usnay muje mail karke online time liya or mujsay chat karne ki bat ki to may nay foran apna ID or online day diya. Thich waqt per wo online hui or hamari chat hui jo may stories may aapko batanay wala hu. Ok, to may nay pooja ke sath chat ki usnay muje bataya ki wo ek married female hay, or 25 ki age hay, or abhi tak koi kids nahi hay, uski marrage ko 3 sal hu hay. Wo surat may rahti hay or wo ek bunglows may rahti hay or bunglows may srif teen log rahtay hay ek wo,uska husband or uski ek choti sister jiski age usnay 16 batai or uska name seema bataya wo abhi 11th may hay or sara din school or tutuion may hi rahti hay or husband business may hi sara din bahar rahtay hay or rat karib 12baje tak aate hay unka textile ka business tha is liye wo sara din bor hoti hay. Or uska man problem sex ka tha kyuki marrage ke bad bahut kam sex enjoy kiya tha or wo ek unsatisfied woman hay.
To may nay pucha kay may aap ki kya madad kar sakta hu to usnay muje kaha ki tum mera dil bahla sakte ho.to may foran taiyar hogaya. Or may nay kaha ki may 5:9,65kgs slim body or avarage looking guy hu. Or mere kariban 8" ka cock hay.


Phir manay uska bunglows ka address pucha to usnay nahi diya or kaha
ki may tumko address to nahi dungi per may tumko jaha per bulaungi
tum wahi per chale aana mere pass car hay or us car may aakar beth
jana per ek srit hay to may nay foran sirt puch li to usnay kaha ki
car may bethne ke bad may tumhari aankh per patti bandh dungi kyuki
tum mera ghar na jan sako or wapish nikal nay per bhi patti bandhni
hogi to may nay ha kardi. To usnay muje kaha ki husband to morning
may hi chale jayengi or sister morning may tution or waha say hi
school jayegi or sam 6:00 baje aayegi to hamnay dusre din doper 2:00
ka time fix kiya or muje usnay jagah batai ki muje kaha khada rahna
hay or wo disconnect ho gai. Friend muje sari rat nindh nahi aai or
may 2:00 ka intezar karne laga or dusre din may thick 2:00 waha jakar
khada ho gaya or thich 2 baje ek car aakar mere pass khadi rahi usnay
muje jo color ki car or jo code bataya tha wo sab thick tha. Or wo
car thodi dur jakar khadi ho gai or car ka door khol diya or may yaha
waha dekh kar car may jakar beth gaya. Car may jo bhabhi thi usko
dekhar mera to lund foran tan gaya or man hi man khoos ho gaya ki aaj
muje ek sexy bhabhi ko chod nay ko milega. Phir bhabhi meri aankh per
patti bandh dhi or car chalnay lagi thodi der bad car khadi rahi wo
or bhabhi nay muje kaha ki may tumhari patti khol rahi hu tum foran
gbunglow ke andar chale gana may nay kaha ki Ok.

Or patti khulte hi may bunglow ke andar chala gaya or bhabhi mere
piche aai. Wo kamal ki sexy lagrahi thi usnay dress bhi bahut sexy
pahen rakhi thi. May bunglows may gaya to muje pata chala ki bunglows
may koi nahi tha or thodi der chat karneke bad bhabhi muje bed room
may lay gai or freez may say wishkey nikal kar do large pag banaya or
ek muje diya or ek wo pine lagi or thodi der bad muje nasha lagnay
laga or bhabhi bhi nashe may aane lagi phir bhabhi nay kahaki dance
karna hay phir ham dono dance karne lage dance karte waqt uskay boobs
mere chest per lag rahe the or mere nasha dungna ho raha tha or
bhabhi ko bhi maja aa raha tha phir may usko lips per kissing karne
laga or or dance karte karte uskay boobs ko bhi rab karnay laga ab
bhabhi puri tarah masti may aa gai dhire dhire may uskay badan ko
kapdo say aazad karnay laga thodi der may wo puri tarah nude ho gai
or nude hi dance karne lagi dance karte waqt uskay boob kya uchal
rahay the yeh dekh kar mera loda pura tan gaya or may kaha ki ab mere
bhi kapday utaro to usnay mere kapday utar diye ab ham dono unde
dance karne lagi.

Phir may usko bed per lay gaya or uskay boob ko suck karnay laga or
uski pussy may finger dalnay laga uski pussy ekdam clean thi or tight
to may nay kaha ki abhi tak tumnay chudvaya hay ki nahi to usnay kaha
ki chudvaya to hay mere husband ka to chota hay or jayada time tak
nahi tik pate 5min may hi chod dete hay or kaha ki tumhara to mere
husband say double hay aaj maja aaye. Ab may uski pussy may do finger
andar bahar karnay laga or wo mera lund suck karnay lagi fingring
karte karte wo do bar chut chuki thi or may ek bar uskay mouth may
chut chuka tha. 30min bad manay kaha ki chalo ab taiyar ho jao mera
lenay ko to kaha ki may to kab say taiyar hu may nay uskay dono pair
apnay khande per rakh diye or lund ko barobar darvaje per lakar khada
kar diya ab mera lund uskay darvajay per dastak day raha tha. Phir
may nay ek hi jaght kay may mera pura lund uski thigh chut may thok
diya to wo chila uthi or kaha ki hay gandu dhire dalna ithna kyu zor
laga raha hay rat ko husband ke samnay bhi usko rakhna hay kahi phat
gayegi to husband ko kya kahungi to manay kaha ki husband ko kehna ki
tumharay may dam nahi hay aaj may ghode ke pass chudva kar aai hu. Or
zor zor say stork laganay laga kariban 15 min bad meri many nikal nay
wali thi to may nay usko kaha ki may nikal nay wala hu to boli ke
ander hi daldo may nay pils li hay or may andar hi nikal gaya ab
uskay mouth per bhi ajib si khusi thi. Phir may bathroom may jakar
thoda fress hu to wo bhi bathroom may fress hone ko aai jab.

Wo fress ho rahi thi to uski gand mere samnay thi uski gand dekhar
mera lund phir say khada ho gaya or usko kaha ki chalo ab tumhari
gand marta hu to wo boli nahi baba tumharay itnabada lund nay meri
chut ka to behal kardiya hay gand ka kya hoga or mana karti rahi per
mere mananay per wo man gai or kaha ki dhire say marna chut jitna zor
mat lagaya may kaha ki thick hay or phir usko phir bedroom may laya
or mere lund or uski gand per creeem lagai or uski gand may lund
ghusanay laga abhi thoda hi lund gaya tha ki wo chillanay lagi ki
meri phat gai hay tum apna lund nikalo per may nay ek na mani or phir
ek zor dar gahtka diya or pura lund ghusa diya wo chillanay lagi phir
may dhire dhire hilnay laga ab wo bhi maje lay rahi thi ab mera pura
lund uski gand may tha or may mere jivan ka bharpur maja lay raha
tabhi bedroom may uski sister aa gai (kyuki bunglows ki sab key pass
ki rahti thi muje bhabhi nay bataya tha ) kyuki usdin uski school ki
jaldi chutti ho gai thi wo yeh dekh kar ek dam ghabra gai or wo bahar
bhag gai or bhabhi bhi ghabra gai or may jaldi jaldi farig hogaya or
kapde pehankar bahar aaya to seema wahi thi or bhabhi nay usko kaha
ki tum aaj jaldi aa gai or usnay bhabhi ko pucha ki tum kya kar rahi
thi to usnay kaha ki apnay jivan ka maja lay rahi thi jo tumharay
jija ji nahi day sakte or tumhay karna hay to muje koi problem nahi
yeh sunkar wo bhi masti may aa gai per dosto yeh kissa.

Next time wese seema bhi gajab ki sexy hay or wo sirf 16 ki hay or
virgin bhi to dosto virgin chut ki chudai ka dusay din ka time dekar
aaya usi jagah usi waqt or sochnay lagaya ki virgin chut mera lund
lay paaigi ke nahi. Phir bhabhi nay muje patti bandhkar usi jagah
chod diya jaya say ham gaye the. 

मेरी रण्डी बहन की चुदाई (Meri Randi Bahan ki chudai)

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 Hello doston me aman phir apni nayi kahani leker aya hu hamari is bhauja.com par. yeh kahani mere friend ki bahan ki hai jise bas lund chaie bas lund yeh kahani mere dost ne mujhe batayi ki meri bahan bahut badi randi hai mene bhi uski bahan ke sath sex kiya hai yeh kahani me apne dost ki jubani sunata hu yeh baat tab ki hai jab meri bahan 15 ki aur me 13 saal ka tha maa aur pitaji dono sarkari nuakri karte thye humare pass sab kuch tha meri bahan ka sarir aisa tha ki koi kahta hi nahi tha ki vo 15 saal ki hai sabhi kahte thye ki 20 saal ki hai hamare ghar me 4naoker thye 1driver umer42 naam ramu 1malli naam kaka umer52 aur 2naokarania ek ki umaer 45 naam rupmati aur dusrei ki 30 saal naam chanda vo widwa hai aur hamare ghar me rahti thi uske pati ki maut shadi ke 5saal baad ho gayi unka koi bacha nahi tha isliye sasueral walo ne use nikal diya aur vo pichale 8-10 saal se hamare pass hi rahti hai. Baat tab shuru hui jab meri bahan par jawani ani shuru ho gayi thi chanda meri bahan ke sath 2 rahti yaha tak use nahlati bhi vo hi thi garmio ke din thye aur school me chutian chal rahi thi aur mami papa ko kisi jarori kaam se 1month ke liye bahar jana pada tab meri bahan ke barbadi ke din shuru hue jo aaj tak chal rahe hai.


Mami papa ki jane ke baad chanda aur meri bahan bahut jayda ghul mil ker rahte ek din mene tay kar liya ki ye dono karte kya hai me raat ko khana khane ke baad apne kamre me chala gaya taki vo samjhe ki me so gaya hu phir me utha dekha chanda ghar ki lights band ker bahan ke kamre ki taref chal padi me bhi piche chal pada mene dekha chanda ander ja ker darwaja band ker liya mene jaldi se kamre ki khidki se dekhne laga deka to me pagal ho gaya chanda meri bahan ke choochiyo ko masal rahi thi aur bahan bade maze se miswa rahi thi phir chanda ne bahan ke sare kapre utar diye aurmere samane mari badi bahan bilkul nangi kahri thi phir chanda ne bhi apne kapre utar diye aur chnda ke boobs itne bade tahe ki do hatho me ek ata tha aur meri bahan ke bhi boobs bade bade thye phir dono 69ki potion me ho gayi aur ek dusre ki chut chatne lagi 20minut baad dono shant ho gaye bahan boli bahut maza aya chanda boli mujhe maza nahi aya bahan ne pucha kyu to chanda ne kaha mujhe lund chaiye bahan ne kaha tumhara pani to nikal gaya phir chnda boli ki ek baar tu bhi apni chut me lund le le gi to pata chal jayega to bahan ne kaha me bhi lungi apni chut me lund per kisko bulaye to chanda boli ki mene ramu ko bulaya hai vo ata hi hoga to bahan ne kaha ki tumne kaise use bulaya mujhe pata hai ki aab teri chut lund kha sakti hai pahle baar dard hoga phir maza hi maza ayega mene socha ki yeh meri bahan ki chut padwa ker hi rahe gi.


Thodi der baad ramu aa gaya tabhi chanda boli tu aisa ker naha ker tayier ho ja aaj sadi pahen le aur dulhan ki tareh tayier ho ja me use baher rokti hu bahan kaha thik hai chanda nangi hi bahar aa gayi aur ramu use nangi dekh ker bola kya baat hai aaj to nangi hi ghum rahi hai chanda boli ki der mat ker sali vo to chusa ker thandi ho jati hai mager me tarpti reh jati hu to ramu ne apne kapre utare to mene dekha ki uska lund takriben 8 9inch ka tha aur ek dam khada tha ramu ne chanda ki dono tangoo phailane lage taanki lund uski choot main ghusa sake chanda ki tange khuli the aur ramu chut ke lips khol kar ghusane ka koshish main lage the aur woh safal bhi ho rahe the kyon kee ramu ka land dheere dheere andar ja raha tha aur chanda anand kee putri kriya main hissa le rahi thee. E aur ramu uski cuchiyan masal rahe the aur land ko gusane ki koshish main lage the chanda halke halke cheekh rahee thee ohhhhhhhhhh ramu please dheere dheere karon na par ramu par ek alag hee joshaa raha tha aur woh speed badhaye ja rahe the. Chanda ka bura hall tha par ek alg sa maza aa raha the jiska kissi bhi shabdo main likha nahi jaa raha sakta. Ramu per choot ke raste mere sharir main ghusne kee koshsih kar rahe the aur lag raha tha jaise hum do sharir ek jaan hain. Itne main chanda discharge ho chuki thee par ramu the ki chode jaa rahe the.akhir ek baar discharge hone ke baad chanda phir anad aane laga aur par ek baar phir utejit hue aur discharge ho gayee par itne main ramu bhi discharge ho gaye dono baith gaye.


Thodi der aram karne ke baad ramu bola mera jugad hogaya chanda boli ho gaya mager aram se karna abhi tak kisi ne uski chut nahi mari hai uski chut bahut tight hai ramu bola to kya hua pura maza ayega bula usko chanda boli abhi vo taiyer ho rahi aur ha pichli baar ki tareh mat kernajaise tumne uski maa ke sath jaldbazi ki thi memsaab ki chut to tune phadi thi aur sath uski gand bhi phad di thi me baher sun ker hairan ho gaya ki mere maa bhi isse chudwati hai tabhi chanda boli chal ander chalte hai sali taier ho gayi hogi dono nange hi ander chale gaye meri bahan bed per baithi thi dono nange hi mere bahan ke pass jaker khde ho gaye ramu ka lund sidha meri bahan ke munh ke pass tha jaise meri bahan ne uper dekha to ramu ka kala lund dekh ker dar gayi ramu ke lund per chanda ki chut ka ras saf dikh raha tha chanda boli ramu ka lund munh me lele bahan boli yeh to ganda hai chanda boli yeh ganda nahi meri chut ka ras hai bahan ramu ka lund munh me le liya aur chusne lagi 10minth baad ramu ne uske kapre utare diye aab mere bahan ramu ke samne bilkul nangi thi ramu mere bahan ka nanga jism dekh ker pagal ho gaya aur paglo ki tareh uske jism se kahlne


Ramu ne bahan ke mamoon kay nipal jo bilkul gulabi chusne laga ramu uskay mamoon kay nipal par munh rakhkar usay chusna suro kia aur sath sath usay dabata bhi raha mere bahan ko bohat maza araha tha aur woh apnay munh say uuhhh aaah ki awazain nikal rahi thi chanda ramu ke kan me boli ki aab loha garam hay to chot mari jai isliyay ahista say uski tight choot.me ungli se chodo ramu apni aik ungli meri bahan ki chut me dal di ungli bari mushkil say hi under gai woh kahnay lagi ramu dard horaha hay aisa na karain ramu ahista ahista usay ungli say choodta raha jab mere bahan ko maza ane lagi to phir ramu ahista say apni dosri ungli bhi undar dal di woh thoora si idhar udhar hoi phir sukoon main agai aur ramu ne apni apni doononn unglioon ko uski choot maina chalana suro kardia ahista ahista uski choot is kabil hogai kay ramu ka takreban 5inch ka lund under lay sakay chanda ne dressing table say oil ki bottle uthai aur bahan ki choot par oil lagaya uskay bad ramu ke lund per bhi achi tarah say oil lagakar meri bahn ki choot kay sorakh par rakhkar ahista say zoor lagaya sorakh choota honay ki wajah say lund nechay phesal gaya ramu ne usay zameen par bichay hoay kaleen par litadia aur uski doonoon tangeen chher kar uskay sorakh par aik bar phir apna lund rakha aur phir halka sa push kia ab ki bar ramu ke lund ka topa didi ke sorakh main ghus gaya woh tarapnay lagi aur uski cheekh nikalnay hi wali thi kay chanda ne uskay munh par apna munh rakhkar usay kiss karna suroo kardia aur ramu ne ahista say thoora say lund aur under dala ab ramu ka lund didi ki choot main 2inch ander jachuka tha.


Didi dard say tarap rahi thi aur rorahi thi apnay aap ko churanay ki koshish kar rahi thi ramu ne usay zoor say pakar kar khub achi tarahsay kiss kia aur didi ke donoon mumoon ko achhi tarah say dabata raha kuch dair kay bad usay rahat mili aur ab woh sukoon main agai thi yeh daikhkar ramu ne thoori si position laikar apna munh didi ke hoontton par rakhkar achi tarah say dabaya takay didi ki awaz na nikal sakay aur aik zoordar jhatka dia maira 5 inch lund didi ki choot main pora under tak chala gaya uski donoon ankhain bahar nikal aain aur woh buri tarahsay tarapnay lagi aur uski donnon ankhoon say ansoon zarokatar bahnay lagay didi ki choot phat chuki thi aur ussay khoon nikal raha tha ramu kuch dair aisay hi laitkar usko lip kiss karta raha aur uskay donoon mummon ko dabata raha taqreeban 10 mint kay bad woh sukoon main agai aur ab apni kamar ko hilanay lagi ramu samajh gaya kay ab didi ko dard ki jaga rahat mil rahi hay aur maza araha hay ab mainay bhi usay choodna suro kardia aur ahista ahista apni speed barhata raha taqreeban 15 mint ki chudai kay bad didi ki choot nay apna pani chordia aur usay bohat maza aya magar ramu ka abhi chuta nahi tha ramu choodna jari rakha aur usay choodta raha taqreeban 5 mint kay bad didi phir dubara jhar gai aur abki bar uski chood say kafi sara pani nikla ramu ne chanda se bola ki aab tu iska munh daba ker rakh me apna pura lund iski chut me dalne laga hu chanda ne didi ka munh jor se band kar diya aur ramu ne ek jabardest dhaka mara aur ramu ka pura ka pura 9inch lund ander tak chala gaya jisse didi tadep uthi ramu ab zyada zoor say usay chood raha tha aur teezi dekharaha tha kuch dair kay bad jab.


Ramu jkharnay kay bilkul kareeb pohancha to ramu apna lund didi ki choot say nikala aur apna sara mal didi ki paith par choor dia aur uskay barabar main lait gaya ramu bola aaj ki chudai main mujhay bohat maza aya kyoonkay mainay pehli bar kisi nabaligh larki ko chooda hai phir ramu nedidi ko good main uthaya aur bathroom main jakar uski choot aur apna lund achi tarah say saf kia aur kaleen par gira hoa khoon aur apnay lund ki mani ko bhi achi tarahsay saf kia aur teno nange hi didi ke bed par ghari nend main so gaye. 

--- bhauja.com

ବାବା ସଲେଇଲେ ମାତା ହଲେଇଲେ -kabita (Baba Saleile Mata Haleile)

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କେଡେ ବାବା ସେ ଯେ ସାରଥି ସୁର

ଆଶ୍ରମ ନାମରେ କରନ୍ତି ଘର

ସଦା ମେଲା ତାଂକ ଘରର ଦ୍ୱାର

ଦୁଖିଃ ରଂକୁଣୀ କୁ ଦିଅନ୍ତି ବର


ଭକ୍ତମାନେ କେତେ କରନ୍ତି ଦାନ

ଝିଅ ମାନେ ଢାଳି ଦିଅନ୍ତି ମାନ ।

ବୋଲୁ ଥାନ୍ତି ବାବା ଭଗବାନ

 ତାଂକ ଗୁଣ କୁ ଦେଇ ସନମାନ ।


କେତେ ପେଲା ଖାଇ ବାବାଂକ ପାଖେ

ନିତି ପିଉଥାନ୍ତି ବିର୍ଜରୁ ଢୋକେ ।

ଭଦର ଗେହନ୍ତି ଆମରି ଆଗେ

ବିଆ ମେଲି ଦିଅନ୍ତି ବାବା ସମୁଖେ ।


କେତେ କଷ୍ଟ ହେଲେ ଟୋକି ପଟୁନି

ଭାଉଜ ମାନଂକ ଛୁଆଁ ମିଳୁନି ।

ପିଲା ଅଭାବରୁ ବାବା ପାସେ ଦଣ୍ଡେଇ ଧାଏଁ

ପୁଳା ପୁଳା କରି ବାଣ୍ଡକୁ ଖାଏ ।


ଦୁନିଆଁ ଆଗରେ ସତି ଗେହୁଛି

ପର ବାଣ୍ଡରେ ସେ ପିଲା ବେଉଛି ।

ଏ ବାବା ମାନେ ହେଲେ ଏଡେ ସୈତାନ

କରନ୍ତି ରାତିରେ କୁଆଁରି ଦୁଧ କୁ ପାନ ।


ବାବା ନ୍କର କାଳେ ପିଲାଟେ ଅଛି

ସୁନ୍ଦରୀ ତରୁଣୀ ନିତି ଗେହୁଛି ।

............................    ଆପଣ କମେଣ୍ଟ କରନ୍ତୁ  


*Term - We don't misleading anyone, but the reality says what we say.

ନାଁ କୁ କରୁଛି ଖୁଦୁରୁକୁଣୀ ରାତି ରେ ଫିଟିଲା ବିଆ ଢାଂକୁଣୀ (Nan Ku Karuchhi Khudarankuni Ratire Phatila Bia Dhankuni)

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ନମସ୍କାର ମୁଁ ପ୍ରକାଷ,ଭାଉଜ ଡଟ କମ ର ସବୁ ଭାଇ ମାନଂକୁ ଝିଅ ମାନଂକର ଲିଳା ବିସୟରେ କହୁଛି ଓଡ଼ିଆ ଘରର ସବୁ ଝିଅ ଖୁଦରଂକୁଣୀ ଓଷା କରନ୍ତି ଛୋଟ ବଳୁ ସିଖି ସିଖି କୁଆଁରି ବେଳେ ମଧ୍ୟ୍ୟ ଏ ଓଷାକୁ ଭଲରେ ପାଳନ କରନ୍ତି ମୋ ଘର ଦଶପଲ୍ଲା ର କୁଂଜବନଗଡ଼ ମାଳିସାହି,ଆମର ଏଠି ମଧ୍ୟ୍ୟ ଝିଅ ମାନେ ସକାଳୁ ଉଠି ଫୁଲ ତୋଳି ଗାଧୁଆ ପାଧୁଆ କରି ଓଷା କୁ ଖୁବ ଜାକଜମକ ରେ କରନ୍ତିକଥାରେ ଅଛି ଏ ଓଷା କଲେ ଭାଇ ମାନଂକର ଜଶ ବଢିବ କୁଆଁରି ଝିଅ ମାନେ ଏ ଓଷାକୁ ପାଳି ଓପାସ ରହି କେତେ ରଂଗ ବେରଂଗର ଶାଢି ପିନ୍ଧି ସଜେଇ ହୁଅନ୍ତି

 

ମୋ ଜିବନରେ ମୁଁ ଭଲପାଉଥିବା ଝିଅ ଟିର ନାଁ ସରିତାସତରେ ସରିତା ବ୍ୟତିତ ମୁଁ ଆଉ କୋଉ ଝିଅ କୁ କେବେ ଖରାପ ନଜରରେ ଦେଖିନି ତୋଫା ଗୋରି ମୋ ସରିତା ଆମଠାରୁ ଚାରି ଘର ଛାଡି ତା ଘର  ବର୍ଷେ ହେବ ଆମେ ଦୁହେଁ ଦୁହିଁନ୍କୁ ଭଲ ପାଉଛୁ ତା ସହିତ ମୋବାଇଲରେ ଘଣ୍ଟା ଘଣ୍ଟା ଗପ ଚାଲେ ରାତି ୧୨ ଯାଏଁ ଆମେ ଦୁହେଁ ଗପୁ ସରିତା ଭାରି ଫୁଲେଇ ରାତିରେ ରଖୁଛି ରଖୁଛି କହି ସେମିତି ଗପି ଗପି ରାତି ୧୨ କରି ଦିଏ ତା ତିରିଛି ନଜର ମୋ ଛତିରେ ଛୁରି ମାରିଲାଭଳି ଲାଗେ ତା ସହ ଅନେକ ଥର ବାଇକରେ କେତେ ଯାଗା ବୁଲିବାକୁ ଯାଇଛି କୁଆଁରିଆ,ଭିମରା ମୁଣ୍ଡିଆ ଆଉ କେତେ ମନ୍ଦିର ,ମୋର ତାର ପ୍ରେମ ବିଷୟରେ ଗାଁରେ କିଛି ଝିଅ ଜାଣିଥିଲେ ସରିତାର ସୁନ୍ଦରତାମୋ ମନ ମୋହି ନିଏ ବେଳେ ବେଳେ ସେ ମୋ କୋଳରେ ମୁଣ୍ଡ ରଖି ଶୁଏ ଆଉ ମୁଁ ତା ରୁପରେ ବାଇ ହୋଇ ଟିକେ ତାକୁ ଛୁଇଁ ତା ଦେହର ମଜା ନେବାକୁ ଇଛା ହେଲେ କଣ ସମ୍ଭବ?ମୁଁ ଏବେ ଯାଏଁ ତା ସହ କେବେ ଗୁପ୍ତ କାମ କରିନି

Sarita puja karuchi


ବେଳେ ବେଳେ ବେସି ରାତି ଗପୁ ଗପୁ ତାକୁ ଝିଅ ମାନଂକ ମେନ୍ସହେବା ବିସୟରେ ପଚାରି ଦେଇଥିଲିସେ କିଛି ସମୟ ଚୁପ ରହି କହିଲା ପଚାରି ଦେଲନା ! ସବୁ ପୁଅ ମାନେ ଏମିତି କିନ୍ତୁସେ ମୋତେତା ବିଷୟରେ ବେସି କିଛିକହିଲାନି ଖାଲି କହିଲା ସେ ସବୁ ଖରାପ କଥା ତମକୁ ଭଲ ଲାଗିବନିସରିତାର କଥା ରେ ମୁଁ କଥା ମିସେଇ ପଚାରିଥିଲି ଜାହାହେଲେ ବି କୁହ ସେ ସେଦିନ ମୋତେ ମୋବାଇଲ ରେ ଚୁମାଟିଏ ଦେଇ ରଖିଦେଲା ଆଉ ପରେ ତାକୁଯେତେ ପଚାରିଲି ସେ ସେକଥା ପଚାରନି ବୋଲି ମନା କରିଦେଲା ସେ ଦିନରୁ ମୋ ମନ ଟିକେ ଅସ୍ଥିର ଥିଲା,ସରିତା ର ଦେହର ଯୌବନ କୁ ଉପଭୋଗ ପାଇଁ ମୋ ମନରେ କାମନା ପୁରି ଯାଇଥିଲାତା ଚୋରା ଚାହାଣି ରେ ସେକ୍ସି ଭାବ ଜଣା ଯାଉଥିଲା  ସରିତା ର ଟପ ଊପରୁ ମୁଁ ଠିକ ସେ କେତେ ସାଇଜ ଏବେ ଅନୁମାନ କରି ପାରୁନଥିଲି

ଏଇ ଭାଦ୍ରବ ମାସରେପ୍ରଥମ ପାଳି ଖୁଦୁରୁକୁଣୀ ଓଷାପୁର୍ବ ଦିନ ରାତି ମାନେ ଶନିବାର ଦିନ ସରିତା ସହ ସବୁରାତି ଭଳି ମୋର ଗପ ଚାଲିଥାଏ ସେ ଭାରି ଖୁସିଥିଲା କାଲି ଖୁଦରଂକୁଣୀ ଓଷା ପାଇଁ ମୋତେ ସେ ତାକୁ ଦେଖିବା ପାଇଁ ଆସିବାକୁ କହିଲାସବୁଝିଅ ମାନେ ଶାଢି ପିନ୍ଧି ଯିବେ ତେଣୁ ସେ ମଧ୍ୟ୍ୟ ଶାଢି ପିନ୍ଧିବ ମୋ ମନ ଖୁସି ଭରିଗଲା ମୋ ପ୍ରେମିକା ଶାଢିରେକେମିତି ଲାଗୁଛିମୁଁ ଦେଖିବି ବୋଲିଭାବି ରଖିଲି ସେ କହିଲା ତମ ପାଇଁ କାଲି ସୁପର ଅଫର ଅଛି,ମୁଁ ଭାବିଲି ଯାହା ହେଉ ମୋ ସୁନ୍ଦରି ପ୍ରିୟତମା କୁ ଶାଢିରେ ଦେଖିବାକୁ ମିଳିବ

ତା ପରଦିନ ମାନେ ରବିବାର ପ୍ରଥମ ପାଳି ଖୁଦୁରୁକୁଣୀ ଓଷା,ସାହିଝିଅ ମାନେ ନୁଆ ଲୁଗା ସଜେଇ ହୋଇ ଓଷା ମେଢକୁ ଚିକଣ କରି ସଜେଇ ଓଷା କଲେ ମୁଁ ସନ୍ଧ୍ୟା ବେଳକୁ ଠିକ ୮ ଟା ସମୟ ହେବ ସରିତା କୁ ଦେଖିବାକୁ ଚାଲିଲି ଛୋଟ ଛୋଟ ପିଲା ମାନେ ସେଠି ବାଣ ଫୁଟଉଥିଲେ ମୁଁ ଯାଇ ସେମାନନ୍କ ସଂଗରେ ମିସି ମୋ ସୁନ୍ଦରି ପ୍ରିୟତମା ସରିତା କୁ ଖୋଜିଲି ନାଲି ପାଟ ଶାଢିଟିଏ ପିନ୍ଧି ସରିତାପୁଜା କରୁଥାଏ ଏ କଣ ସେ କଣ ଦେଖୁଥାଏ ବୋଧେ ମୋତେ ଖୋଜୁଥିଲା,ମୋତେ ଦେଖିଦେବା ମାତ୍ରେ ହସିଦେଲା ବାହାନା କରି କିଛି ବାଣ ଆଣି ମୋ ପାଖ ପିଲାଂକୁ ଦେଲା ମୁଁ ତାକୁ ଠାରିକି ଆଇ ଲଭ ୟୁ କହିଲିସେ ଆଖି ମାରିଚାଲି ଗଲା ,ପୁଜା ସରିଗଲା ମୁଁ  ସେ ଜାଗାରୁ ଫେରି ଆସିଲି ରାତିରେ ଘରେ କିଛି ଖାଇଦେଇ ଶୋଇବାକୁ ଗଲି

ମୋ ଆଖିଆଗରେ ଖାଲି ସରିତା ଦେଖାଯାଉଥିଲା ତା ଗୋଟେ ଆଖିମରା ମୋ ମନରେ କେମିତି ଗୋଟେ ଅଡୁଆ ଭାଷା ସୃଷ୍ଟି କରିଛି ମୁଁ ମୋବାଇଲ କାଢି ସରିତା ପାଖକୁ ଫୋନ କଲି ,ସେ ମୋ ଫୋନ୍ ଉଠେଇ ମୋତେ ଆଗ ମୋ ରାଜା କହି ଚୁମା ଟେ ଦେଲା ଆଉ ଉଁ ........ ଉଁ .......... ଉଁ.......... ହଉଥିଲା ମୁଁ କହିଲି କଣ ଖୁଦୁରୁକୁଣୀ ଓଷାସରିଗଲା କିନ୍ତୁ ଭୋଗ ମିଳିଲାନି ସେ କହିଲା – ଏ ମା ଦେଖ ମୋତେ ତମ ସହିତ କିଏ ଦେଖିଲେ କଣ ଭାବିବ କହିଲ ମୋତେ ତ ତମ ପାଖକୁ ଯିବାକୁ ବି ବହୁତ ଡର ଲାଗୁଥିଲା ମୁଁ କହିଲି ହଉ ଭୋଗ ତ ଭାଗ୍ୟରେ ନାହିଁ ସେ କହିଲା- ସତରେ ଖାଇବ ଯଦି ଆସ ମୁଁ ତା କଥା ଶୁଣି କହିଲି – ସତରେ କହୁଛ ତ ଏଇ ସଂଗେ ସଂଗେ ଯିବି ସେ କହିଲା- ମୁଁ କଣ ମନା କରୁଛି ଆସୁନ,ଦେଖ ଆମ ଘର ଆଗକୁ ଆସ ହେଲା ତା କଥା ଶୁଣି ମିଛ ମନେ ହେଲାନି ମୁଁ ଘରେ ସମସ୍ତେ ଶୋଈଥିବାର ସୁଜୋଗ ନେଇ ସରିତା ଘର ଆଡକୁ ବାହାରିଗଲି ବାହର ଟା ସୁଂସାନ ମୁଁ ଦେଖିଲି ଘର ଭିତରେ ଆଲୁଅ ନାହିଁ  ହେଲେ ସରିତା ଆଗରେ ଅଛି ମୁଁ ତା ପାଖକୁ ଗଲି ସେ ମୋ ହାତ ଧରି ତା ଘର ଭିତରକୁ ନେଇଗଲା

sarita ra dudha chiputhili

ତା ଘରେ କେହି ନଥିଲେ ମୁଁ କହିଲି – କଣ କେହି ନାହାନ୍ତି ?ସରିତା କହିଲା- ସମସ୍ତେ ମୋତେ ଛଡି ଭଂଜନଗର ଗୋଟେ ଏକୋଉସିଆ କୁ ଯାଇଛନ୍ତି ମୋର ମନରେ ଲଡୂ‌ ଫୁଟିଲା ମୁଁ ଭାବିଲି କି ଭାଗ୍ୟ ମୋହର ଆଜି ! ମୁଁ ସରିତା କୁ କୁଣ୍ଢେଈ ଧରିଲି ,ସେ ଭାରି ଖୁସି ହୋଇ ତା ଭୋଗଥାଳି ରୁ ଭୋଗ ଆଡେଇ ମୋତେ ଖୁଆଇଦେଲା ଆଉ ମୋ ଗାଲରେ ଚୁମା ଦେଲା ସରିତା ର ସବୁ ଭାବ ଦେଖି ମୁଁ ସୁନିଶ୍ଚିତ ହୋଇଗଲି ଯେ ସେ ଆଜି ପୁରା ଗରମରେ ଅଛି ମୋତେ ସେମିତି କୁଣ୍ଢେଇ ଧରିଥିଲା ଆଉ ମୁଁ ତାକୁ ହିଟ୍ କରିବାରେ ଲାଗିଥିଲି ତା ବେକ କୁ ଚୁମା ପରେ ଚୁମା ଦେଇ ଚାଲିଥିଲି ସେ ପ୍ରେମ ପିପାସୀ ମୋତ ଏମିତି କୁଣ୍ଢେଇ ଧରିଲାଯେ ତା ଦୁଧ ମୋ ମୁହଁ ରେ ଦଳି ହେଇଯାଉଥାଏ

ସରିତା ର ଗରମ ସଂଗେ ମୋ ଗରମ ମିସି ଆଉ ଆମକୁ ବେସି ସମୟ ଦେଲାନି ସରିତା କାମୁକ ଭାବେ ତା ଦୁଧ ଭିତରେ ମୋ ମୁହଁ କୁ ପସେଇ ମଜା ନେଉଥିଲା ଆଉ ମୁରୁକି ମୁରୁକି ହସୁଥିଲା ତା କାମରେ ଆଉ ସମ୍ଭାଳି ନପାରି ମୁଁ ତା ଦେହରୁ ଗୋଟେ ପରେ ଗୋଟେ ଡ୍ରେସ ଖୋଲି ତା ଦେହକୁ ଆଉଁସି ଲାଗିଲି ତା ଦୁଧ ଠୁ ଆରମ୍ଭ କରିବିଆକୁ ଭଲରେ ଦଳିଲି ସରିତା ର ବିଆ ଭାରି ମୋଟା ବହୁତ ମଜା ଲାଗୁଥିଲା ବିଆ କୁ ହାତରେ ଦଳିଲା ବେଳେ ସେ ମୋତେ କୁଣ୍ଢେଇ ଧରି ଉ..........................  ଆଆଆଆଆଆଆଆ............................... ଉ....ଉହ୍........ଉହ୍........ ହଉଥିଲା ବାକି ଥିଲା ମୋ ଦେହର ପୋଷାକ ସରିତା ମୋର ଦେହର ସବୁ ଖୋଲି ମୋ ବାଣ୍ଡକୁ ହାତରେ ଧରି ହଲେଇଲା ମୁଁ ଡେରି ନକରି ତାକୁ ଗେହିବା ଆରମ୍ଭ କଲି ସରିତା କୁ ଭଲରେ ପେଲି ପେଲି ମୋ ମନର ଭୋକ ମେଣ୍ଟେଈବାରେ ଲାଗିଲି ସରିତା ମୋ ଗିହା ଖାଇ ବେସ ଖୁସି ଲାଗୁଥିଲାମଝିରେ ମଝିରେ ଚୁମା ଦେଉଥିଲା

ଏମିତି ଗେହୁ ଗେହୁ ମୋ ବିର୍ଜ ସରିତା ବିଆରେ ଗଳିଗଲା ସରିତା ଡରିଗଲା ହେଲେ ସେ ସମୟ ଏମିତି ଥିଲା ଯେ ଆମେ ଖାଲି ରାତି ଯାକ ଗେହି ହେଲୁ ସରିତାର ବିଆ ପୁରା ପୋଲା ହୋଇଗଲା ରାତି ସାରା ଗେହି ଗେହି ସକାଳ ୩ ଟା ରୁ ମୁଁ ଆମ ଘର କୁ ଫେରି ଆସିଲି ସରିତା ଏବେ ମୋର ଆହୁରି ନିକଟ ହୋଇଯାଇଛି,ଆମେ ଏବେ ବାଇକରେ ସମସ୍ତ ନ୍କ ଆଗେ ବୁଲୁ ଆଉ ଯେବେ ଇଛା ହୁଏ ମୁଁ ସରିତା କୁ ଭଲରେ ଭିନ୍ନ ଭିନ୍ନ ଷ୍ଟାଇଲ୍ ରେ ଗେହେ


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