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Channel: ଭାଉଜ ଡଟ କମ - Odia Sex Story
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समस्या भूत की या चूत की (Samasya Bhoot Ki ya Chut Ki)

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हैलो दोस्तो, आज मैं आपको एक और भूतहा कहानी सुनाने जा रहा हूँ। कहानी है, डरना मत।
मेरा नाम सचिन जैन है, मैं तीस साल का शादीशुदा मर्द हूँ, लखनऊ में रहता हूँ, रेलवे में टी सी हूँ।
करीब 6 महीने पहले मेरी बदली भोपाल की हो गई, मैंने ड्यूटी जॉइन की और स्टेशन के पास ही बने क्वाटर लेकर अपना समान वहाँ रख लिया।

समान क्या बस रोज़ मर्रा की चीज़ें ही थी, बाकी परिवार को मैं साथ नहीं लाया। हर छुट्टी पर मैं खुद ही घर चला जाता था।
मेरे साथ वाला क्वाटर जो था उसमें मिश्रा जी रहते थे, छोटा सा परिवार था, मियां बीवी और दो बेटियाँ।
छोटी बेटी शादीशुदा थी, मगर बड़ी कुमुद कुँवारी थी। कुमुद करीब 26-27 साल की, साँवली मगर बहुत ही भरपूर बदन की लड़की थी, नैन नक़्श साधारण थे, मगर बदन बहुत ही खूबसूरत, गदराया हुआ, जैसे भुने हुये खोये का पेड़ा हो।
सच कहूँ तो उसे देख कर मुँह में पानी आ गया। आते जाते मिश्रा जी से बातचीत होती रहती थी। थोड़े दिनों में घर में भी आना जाना हो गया।
एक दिन रात के डेढ़ दो बजे मिश्रा जी के घर से बहुत ही शोर शराबा सुना जैसे कोई बर्तन फेंक फेंक के मार रहा हो।
मैं उठ कर उनके घर गया।
कमाल की बात यह कि इतने शोर के बावजूद और कोई पड़ोसी उनके घर नहीं गया, न ही किसी ने अपने घर की बत्ती ही जलाई।
मैंने जाकर मिश्रा जी के घर का दरवाज़ा खटखटाया, मिश्राजी बाहर आए- अरे सचिन भाई आप?
मैंने कहा- मिश्रा जी आपके घर से बहुत शोर आ रहा था तो मैं देखने चला आया, सब ठीक है न?
उसके बाद मिश्रा जी ने मुझे अपनी दुखभरी कहानी सुनाई कि कैसे उनकी बेटी पर एक प्रेत का साया है और जब प्रेत का असर होता है तो वो कैसे सारे घर को सर पे उठा लेती है।
मैंने मन ही मन में सोचा कि मिश्रा जी आपकी बेटी को कोई भूत प्रेत नहीं लगा, उसको तगड़ा लण्ड चाहिए।
मैं मिश्रा जी के साथ उनके घर के अंदर गया, अंदर घर का काफी समान बिखरा पड़ा था, आगे बेडरूम में उनकी बेटी फर्श पे लेटी पड़ी थी और उसकी माँ उसके पास बैठी थी।
काली स्लेक्स और सफ़ेद कुर्ता पहने, कुर्ता सामने से पूरा ऊपर उठा हुआ था, जिस वजह से उसकी मोटी गुदाज़ टाँगें बहुत खूबसूरत लग रही थी, उसके गोल भरे हुये मम्मे एक बड़ा सा क्लीवेज बना रहे थे।
मुझे देख कर मिश्राईन ने अपनी लड़की के कपड़े ठीक किए, मगर हरामी नज़र सब कुछ ताड़ चुकी थी।
मैंने मिश्रा जी के साथ मिल कर लड़की को उठा कर बेड पे लिटाया।
मिश्रा जी ने मुझे थैंक यू कहा, मैंने मन में सोचा ‘साले, थैंक यू तो मुझे कहना चाहिए, तेरी बेटी को उठाने के बहाने उसके नर्म जिस्म को छूने को जो मिला।’
खैर बेड पर लेटा कर मैं साइड में खड़ा हो गया। मिश्रा जी कोई दवाई लेने चले गए और मिश्राईन चाय बनाने के लिए किचन में चली गई। मेरे पास एक मिनट से कम का समय था, मैंने बिजली की फुर्ती से उस लड़की के दोनों मम्मे पकड़ के दबा दिये सिर्फ दो बार , जब वो नहीं हिली और चित्त लेटी रही तो मैंने बाहर को देखा, उसका कुर्ता ऊपर उठाया और और उसकी स्लेक्स नीचे खींच दी।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
वो थोड़ा सा कसमसाई, मगर मैंने जो देखा वो लाजवाब था।
भरी हुई चर्बी वाली मोटी कमर, दो संगमरमरी जांघें, और दोनों जांघों के बीच में एक छोटी सी चूत। छोटी सी, साँवली सी, शेव की
हुई चूत, जैसे पेंसिल से एक बारीक सी लकीर खींच दी हो। मैंने झट से एक चुम्मी उसकी चूत पे ली, उसकी स्लेक्स ऊपर चड़ाई, कुर्ता ठीक किया और ऐसे उस से दूर जा कर खड़ा हो गया, जैसे मुझे तो बहुत ही दुख हो रहा हो, उस बेचारी लड़की की हालत देख कर।
इस सारी कारवाई में मैंने 10 से भी कम सेकंड लिए। थोड़ी देर बाद, मिश्रा जी आ गए दवाई लेकर, फिर मिश्राईन आ गई, चाय और पानी का गिलास ले कर।
मिश्रा जी ने अपनी लड़की को हिला जुला कर उठाया और उसे दवाई खिला दी। लड़की फिर से सो गई या क्या, पता नहीं। चाय पीते पीते हमने कुछ देर बातें की और उसके बाद मैं अपने क्वाटर में आ गया, आकर मैं बेड पे लेट गया, मगर मेरे मन में तो उस साँवली सलोनी का कुँवारा बदन ही घूम रहा था।
सच कहूँ तो मैं तो उसे चोदने के सपने मन में सँजो रहा था और न जाने कब सो गया।
उसके बाद मैंने कई बार उस लड़की को घर में बाहर खड़े देखा, मैं देख रहा था कि जैसे जैसे मैं उससे नज़रें मिला रहा था, उसका भी मुझे देखने का नज़रिया बदलता जा रहा था।
एक दिन शाम को मैं अपने क्वाटर में बैठा था, तो वो मेरे घर आई, उसके हाथ में एक कटोरी थी, वो बोली- माँ ने हलवा बनाया था, बोली आपको देकर आऊँ।
‘अरे वाह, हलवा तो मुझे बहुत पसंद है, माँ ने बनाया है, तुम नहीं बनाती?’ मैंने बात को आगे बढ़ाया।
‘बनाती हूँ, कभी कभी, पर माँ ज़्यादा अच्छा बनाती है।’ वो थोड़ा सा मुस्कुरा कर बोली।
मेरे मन में कई विचार आ रहे थे, कभी सोचता कि इससे पूछूं कि इसे क्या होता है, या यह पूछूँ, उस रात का इसे कुछ याद है या नहीं, या यह पूछूँ कि मुझसे दोस्ती करेगी के नहीं, या तुम्हारी शादी अभी तक क्यों नहीं हुई, मगर मैंने ऐसा कुछ भी नहीं पूछा।
मैं कुछ भी कहता इस से पहले वो उठी और बोली- आप अपना घर साफ क्यों नहीं रखते?
यह कह कर वो मेरे कमरे में यहाँ वहाँ गिरे सामान को उठा कर ठीक से रखने लगी।
5 मिनट में ही उसने मेरे कमरे को साफ सुथरा कर दिया।
मैं उसे काम करते देखता रहा, उसके बदन की गोलाइयाँ, लम्बाइयाँ और चौड़ाइयाँ घूरता रहा।
वो भी कभी कभी मुझे देख लेती थी, मगर मैंने उस पर से अपनी नज़र नहीं हटाई, मैं चाहता था कि उसको पता चल जाए कि मैं कितना कमीना हूँ, आगे से अगर आना हो तो आए, नहीं तो न आए।
जब तक उसने अपना काम खत्म किया, मैंने हलवा खा लिया।
जब वो कटोरी लेने मेरे पास आई तो मैंने कटोरी देते वक़्त उसका हाथ पकड़ लिया।
वो चिहुंकी- यह क्या कर रहे हैं आप, कोई देख लेगा!
बस उसका ये कहना था और मैंने उसका हाथ ज़ोर से अपनी तरफ खींच लिया, और वो सीधी मेरी आगोश में आ गिरी।
मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया।
‘नहीं… छोड़ो मुझे, मुझे जाने दो!’ उसने विनती की।
‘ठीक है, जाओ अगर मेरा दिल तोड़ कर जाना चाहती हो तो जाओ!’ मैंने कह तो दिया मगर अपनी बाहों का घेरा नहीं खोला, दरअसल मैं उसके दिल की बात जानना चाहता था।
वो बोली- नहीं, दिल तोड़ कर तो नहीं जा सकती, पर आप मुझे जाने दो।
मतलब वो भी मुझे पसंद करती थी।
मैंने कहा- एक चुंबन दो तो मैं तुम्हें जाने दे सकता हूँ।
वो कुछ नहीं बोली, बस नीचे देखती रही। मैंने इसे उसकी मौन स्वीकृति समझा और उसका चेहरा अपनी तरफ घुमाया, उसने भी बड़े आराम से अपने होंठ मेरी तरफ कर दिये, मैंने एक भरपूर चुंबन उसके होंठों पे किया, चुंबन क्या मैं तो उसके होंठों को अपने मुँह में लेकर चूस गया।
एक भरपूर चुम्बन के बाद हम दोनों के होंठ अलग हुये, हम दोनों ने एक दूसरे की आँखों में देखा, मोहब्बत का रंग दोनों की आँखों में था।
वो उठ कर खड़ी हुई और दरवाजे के पास जाकर बोली- आप बहुत गंदे हो।
‘क्यों, मैंने ऐसा क्या कर दिया?’ मैंने हैरान हो कर पूछा।
उसकी आँखों में शरारत तैर गई और बोली- उस रात?
और कह कर भाग गई।
मैं भी उठ कर उसके पीछे भागा- अरे रुक कुमुद, रुक ना!
मगर वो चली गई।
मैं आकर वापिस बेड पे लेट गया।
शाम को खाना खाकर जब मैं वापिस अपने क्वाटर लौटा तो कुमुद बाहर ही खड़ी मिली।
मैंने उसे हैलो कही, वो भी मुस्कुरा दी।
मैंने कहा- तुम्हारे लिए एक बहुत ही रामबाण इलाज है मेरे पास, उसके बाद कोई तुम्हें तंग नहीं कर सकेगा।
‘क्या…’ उसने पूछा।
‘आज रात को 12 बजे के बाद नहा धोकर मेरे क्वाटर में आ जाना, एक बार करवा लो, दुबारा कभी कोई तकलीफ नहीं होगी।’ मैंने उसको समझाया।
‘क्या सच में?’ उसने बड़ी हैरानी से पूछा।
मैंने कहा- हाँ, आज दिन बहुत अच्छा है, आज ही आना, और मिस मत कर देना, पक्का आना।
वो सिर हिला कर अंदर चली गई और मैं सोचने लगा कि आज अगर यह आ गई तो कुँवारी चूत भोगने को मिल जाएगी।
खैर मैं भी नहा धो कर, अपना बेड अच्छे से सजा कर उसका इंतज़ार करने लगा।
करीब सवा बारह बजे मुझे बाहर कोई आहट सुनी। मैंने अपने घर का दरवाजा खुला ही रखा था, वो अंदर आ गई।
मैंने देखा, उसने पिंक साड़ी पहन रखी थी, होंठों पे लिपस्टिक, चेहरे पे पूरा मेक अप। मांग में सिंदूर भी, जैसे सुहागरात मनाने आई हो।
मैं उसे हाथ पकड़ कर अपने बेड पे ले आया, हम दोनों बैठ गए, पहले मैं सोच रहा था कि कुछ बात करूँ। मगर मैंने सोचा कि बातों में वक़्त ज़ाया करने का कोई फायदा नहीं।
मैंने उसकी ठुड्डी पकड़ी और अपने होंठ उसके होंठों के पास ले गया, आधी दूरी मैंने तय की तो आधी उसने कर दी, हम दोनों के होंठ मिल गए।
मैंने अपने दोनों हाथ उसके कंधों पे रख दिये, कुछ देर हम दोनों अपने अपने तरीके से एक दूसरे को चूमते चूसते रहे।
मैंने देखा जितना मैं उसे चूस रहा था उतना ही वो भी मुझे चूस रही थी।
मैंने उसके होंठ चूसते हुये अपनी जीभ से उसके होंठ चाटे तो उसने भी ऐसा ही किया।
जब वो मेरे होंठ पे अपनी जीभ फिरा रही थी, तो मैंने उसकी जीभ को अपनी जीभ से छूआ। उसने अपनी दोनों बाहें मेरे गले में डाल दी और अपनी जीभ मेरे होंठों के बीच रख दी।
मैंने भी उसे बेड पे लेटा दिया और उसकी जीभ को अपने होंठों में लेकर चूस डाला। एक हाथ से मैंने उसकी गर्दन को सहारा दे रखा था और दूसरे हाथ से मैं उसकी पीठ सहला रहा था, बहुत ही चिकनी और गदराई हुई पीठ थी उसकी।
फिर मैंने उसकी कमर और जांघों को भी सहलाया।
मैंने उसे चूमना छोड़ कर सिर्फ अपने गले से लगाया और इतनी ज़ोर से कि हवा भी हमारे बदनों के बीच में से न गुज़र सके।
मैंने उसके कान में कहा- आई लव यू कुमुद!
वो भी बोली- मैं भी तुमसे बहुत प्यार करती हूँ सचिन!
मैंने उसके कान के पास अपनी जीभ से सहलाया, गुदगुदी से वो मचल उठी। मैंने उसकी कनपट्टी से लेकर जबड़े सो होते हुये पहले उसकी ठुड्डी तक, फिर ठुड्डी से नीचे जाते हुये, गर्दन सो होकर उसके सीने तक चाट गया।
जब उसका आँचल हटाया, तो नीचे दो विशाल और भरपूर स्तन, और ब्लाउज़ से बाहर झाँकता उसका छोटा सा क्लीवेज… मैंने उसके क्लीवेज की दरार में भी अपनी जीभ डाल कर चाटा। वो सिर्फ मुझे देखे जा रही थी और अपने हाथों से मेरा सर सहला रही थी।
मैंने एक एक करके उसके ब्लाउज़ के हुक खोले, जैसे जैसे हुक खुलते गए, उसके स्तनों की विशालता मेरे सामने बेपर्दा होती गई, नीचे से उसने डिज़ाइनर ब्रा पहना था, मैंने उसके दोनों स्तनों को अपने हाथों में पकड़ा और खूब दबाया, चूमा और अपने दांतों से काटा।
अब सब्र का बांध टूटता जा रहा था, मैंने उसे खड़ा किया और उसकी साड़ी खोल दी, बल्कि उसने खुद ही साड़ी उतारने में साथ दिया। उसके बाद मैंने उसका ब्लाउज़ भी उतार दिया, बेशक उसका रंग सांवला था, मगर थी वो बहुत ही भरपूर और चिकनी।
मैंने उसके पेटीकोट का नाड़ा खोला तो पेटीकोट खुल कर नीचे गिर गया।
‘या खुदा…’ मेरे मुँह से निकला, क्या कयामत बदन था उसका, कौन कहता है कि खूबसूरती सिर्फ गोरे रंग में होती है।
मैं उससे थोड़ा पीछे हट गया और थोड़ी दूर से उसके बदन को निहारने लगा… नाज़ुक सी कमर और उसके नीचे ये मोटी मोटी जांघें, एकदम से कसा हुआ जिस्म।
‘ज़रा घूमना…’ मैंने कहा।
‘क्यों?’ उसने पूछा।
‘तेरी गाँड देखनी है!’ मैंने कहा।
‘धत्त, ऐसे नहीं कहते!’ कह कर वो घूम गई, पीछे से वाह क्या गोल और विशाल चूतड़ थे उसके।
मैंने उसे पीछे से ही जाकर अपनी बाहों में भर लिया और अपना तना हुआ लण्ड उसके चूतड़ों की दरार से सटा दिया।
पीछे से मैं उसके चूतड़ों पे अपना लण्ड घिसा रहा था और आगे एक हाथ से उसके स्तनों से खेल रहा था और दूसरे हाथ से मैं उसकी चड्डी के ऊपर से उसकी चूत को सहला रहा था।
उसने भी एक हाथ घूमा कर मेरी गर्दन में डाल दिया और दूसरे हाथ मेरे पाजामे में डाल कर मेरा अकड़ा हुआ लण्ड पकड़ लिया।
हम दोनों के होंठ फिर मिल गए, उसके होंठ चूम कर मैंने अपने कपड़े भी उतार दिये और उसके ब्रा पेंटी भी उतार दिये।
वो मेरे पाँव के पास बैठ गई और मेरे लण्ड को दोनों हाथों से पकड़ कर देखने लगी।
‘क्या देख रही हो कुमु?’ मैंने पूछा।
‘मैंने आज ज़िंदगी में पहली बार किसी पुरुष का लिंग इतनी नजदीक से देखा है।’
‘इसे मुँह में लेकर चूस कुमु डार्लिंग!’ मैंने कहा।
‘नहीं…’ वो बोली- मैं यह नहीं कर सकती।
‘तो ठीक है अगर ऊपर के होंठों से नहीं चूस सकती तो नीचे के होंठों से चूस लो।’ मैं उसे बिस्तर पे ले गया और उसे बिस्तर के बीचों बीच लेटा दिया और खुद भी उसके ऊपर लेट गया।
‘इसे अपनी चूत पर तो रख सकती हो?’ मैंने पूछा।
‘हाँ…’ कह कर उसने मेरा लण्ड पकड़ा और अपनी चूत पर रख लिया, मैंने धीरे से ज़ोर लगाया, मगर लण्ड सही से नहीं बैठा था, तो मैंने उसे अपने हाथ से सेट किया।
मेरी नज़र उसके चेहरे पर थी, जब मैंने दोबारा ज़ोर लगाया तो लण्ड अंदर को घुसा, उसके चेहरे पे दर्द के भाव दिखे, मगर मैंने उसके दर्द की परवाह किए बिना और ज़ोर लगाया, जैसे वो दर्द से बिलबिला उठी हो।
इससे पहले कि उसके मुँह से कोई आवाज़ निकले, मैंने उसके दोनों होंठ अपने होंठों में कैद कर लिए।
पत्थर की तरह सख्त लण्ड का अगला भाग उसकी चूत में घुस गया और मुझे लगा के जैसे उसके मुँह से एक हल्की चीख या आवाज़ निकली थी जो मेरे मुँह में समा के रह गई।
जब अगला भाग घुस गया तो मैंने आगे पीछे करते हुये करीब करीब आधा लण्ड उसकी चूत में घुसा दिया।
‘क्या सेक्स में इतना दर्द होता है?’ उसने पूछा।
‘नहीं मेरी जान, सिर्फ पहली बार…’ मैंने उसे समझाया- क्या तुमने कभी कुछ भी नहीं किया, मतलब अगर सेक्स नहीं तो कोई और चीज़ भी अपनी चूत में डाल के नहीं देखी? मैंने पूछा।
‘नहीं, मैं ऐसी बातों को ठीक नहीं समझती, ये गंदी बातें हैं।’ वो बोली।
“चलो कोई बात नहीं, अब जो ले रही हो वही सबसे सही चीज़ है। मेरा आधा लण्ड तेरी चूत में घुस चुका है, अब बाकी का भी डालूँगा, मेरा साथ दो, इसे अंदर जाने दो, टाँगें भींच के इसे रोको मत!’ कह कर मैंने अपना बाकी का लण्ड भी उसकी चूत में घुसाना शुरू किया।
बेशक उसके दर्द को मैं भी महसूस कर रहा था मगर उसने मेरी बात मान कर मेरा पूरा साथ दिया और मैंने अपना पूरा लण्ड उसकी चूत में घुसा दिया।
जब मैंने देखा कि लण्ड जड़ तक पूरा उसकी कुँवारी चूत को फाड़ के अंदर घुस चुका है तो मैंने आधे के करीब अपना लण्ड बाहर निकाला और फिर से पूरा डाला, इस तरह मैं उसे धीरे धीरे से उसे प्यार से पुचकारते हुये चोदने लगा।
उसकी आँखों से आँसू निकल आए।
‘क्या दर्द हो रहा है?’ मैंने पूछा।
‘नहीं दर्द तो थोड़ा सा है, मगर मैं जिस सुख से आज तक वंचित थी, वो मुझे आज मिला है शायद…’ वो बोली- वादा करो, तुम मेरा साथ कभी नहीं छोड़ोगे, मैं आज से अभी से तुम्हें अपना सब कुछ मानती हूँ इसी लिए अपनी मांग में तुम्हारे नाम का सिंदूर भर के आई हूँ।
मैंने भी कह दिया- तुम मेरी सबसे प्यारी सबसे कीमती चीज़ हो, मैं तुम्हें कभी नहीं छोड़ूँगा।
वो मुझसे किसी बेल की तरह लिपट गई और मैं उसे आराम आराम से चोदने लगा, मगर ज्यों ज्यों चोदने का आनन्द बढ़ रहा था, मेरी स्पीड बढ़ रही थी।
थोड़ी देर बाद तो मैं उसे ताबड़तोड़ चोदने लगा, वो तो बेचारी नीचे लेटी ‘उफ़्फ़, आह, हाए, आह, मर गई, हाये मेरी माँ… धीरे सचिन प्लीज़ दर्द हो रहा है।’ ही बोलती रही।
मगर जब काम दिमाग में चढ़ा हो और माल छूटने को हो तो दूसरे के दर्द की कौन परवाह करता है, मैंने काट काट कर उसके बोबों पर ना जाने कितने दाँतों के गहरे निशान बना दिये थे, मेरे सख्त हाथों के मसलने से उसकी बाजुओं पर, उसके कंधों, पीठ, बगलों और कमर पर साफ निशान देखे जा सकते थे। मेरे दोनों हाथ उसके मोटे मोटे स्तनों पर थे जिन्हे मैं दबा दबा के नर्म कर रहा था और नीचे से पूरा लण्ड बाहर निकाल कर फिर से अंदर डाल रहा था, ताकि बाहर होंठों से लेकर अंदर बच्चेदानी तक उसकी पूरी चूत मेरे खुरदुरे लण्ड से छिल जाए।
बेशक पहली चुदाई होने के बावजूद उसकी चूत से खून नहीं निकला था मगर दर्द में कोई कमी नहीं थी। सारा समय वो मेरे नीचे लेटी दर्द से बिलबिलाती, तड़पती, रोती रही, मगर उसने मुझे न तो रोका, न ही मैं रुका।
खैर, हर चीज़ का अंत होता है, मेरी इस मज़ेदार चुदाई का भी अंत हो गया। करीब 8-9 मिनट की मज़ेदार चुदाई के बाद मेरा लण्ड झड़ गया, अपना सारा माल मैंने उसकी चूत में ही गिरा दिया और खुद भी उसके ऊपर गिर गया।
उसके लिए ये सब कैसा रहा मुझे नहीं पता, पर मेरे लिए सब बहुत ही बढ़िया रहा। कुँवारी बुर हमेशा ही मर्द को अजीब सुकून देती है। मैं उसे एक बार फिर से चोदने के लिए रोकना चाहता था मगर वो चली गई।
उसके बाद तो मैंने उसे अगले डेढ़ साल में जी भर के भोगा, इतना तो मैंने 5 साल की अपनी शादीशुदा ज़िंदगी में अपनी बीवी को नहीं
चोदा होगा, जितना उसे डेढ़ साल में चोद दिया।
पर यह बात भी सच है कि जिस दिन से उसको चोदा था, उसके बाद उसे न तो कभी कोई दौरा पड़ा, न किसी भूत ने उसे तंग किया। यह सिर्फ लड़कियों का बताने का तरीका होता है कि हमारी शादी कर दो, इससे पहले कि कोई सच का भूत चिमट जाए!

कम्प्यूटर सीखते हुए चूत चुद गई (Computer Sikhte hue Chut Chud Gai)

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कम्प्यूटर सीखते हुए चूत चुदहेलो फ्रेंड्स, मेरा नाम साहिल है… मैं अकाउंट्स स्टूडेंट हूँ लेकिन मुझे कंप्यूटर का बहुत शौक है और काफ़ी हद तक कंप्यूटर ऑपरेट करना भी आता है।

मैं bhauja.com का नियमित पाठक हूँ। मुझे इस साइट पर कई कहानियाँ अच्छी लगी, इसी को देखते हुए आज मैं आप सबको मेरी एक हकीकत से रूबरू करवाना चाहता हूँ।
यह कहानी उन दिनों की है जब मैं बारहवीं के बाद अपने रिज़ल्ट्स का इंतज़ार कर रहा था। मेरे पड़ोस में एक लड़की रहती थी जिसकी बहुत जल्द शादी होने वाली थी और उसका देवर एक NRI था।, जो सोशल साइट्स का इस्तेमाल किया करता था। तो उस लड़की ने मुझे कहा कि क्या मैं उसको सोशियल साइट का इस्तेमाल करना सिखा दूँगा।
यह बात मेरी मम्मी के सामने ही हुई थी तो मम्मी ने कहा- क्यूँ नहीं, ज़रूर सिखाएगा।
इसके बाद वो रोज दोपहर में मेरे घर आने लगी और मैं उसे सिखाता रहा।
उस लड़की नाम पूजा था और मुझसे 5 साल बड़ी थी।
एक दिन मम्मी किसी काम की वजह से बाहर गई हुई थी और छोटे भाई भी स्कूल गये हुए थे तो मैं घर पर अकेला था। हमेशा की तरह वो आई तो मैंने कहा- आज घर पर कोई नहीं है।
तो उसने कहा- कोई बात नहीं!
और ऐसा कह कर वो मेरे रूम की तरफ (जो की छत पर है) चल दी, मैं भी पीछे पीछे चल दिया।
आधे घंटे हम दोनों कंप्यूटर चलाते रहे, फिर अचानक उसके हाथ से एक PORN Link खुल गया, जिससे सामने नंगी तस्वीरें आ गई।
अब क्या था ना तो वो मुझसे नज़र मिला पा रही थी और ना मैं उससे !
मैंने जल्दी से उस लिंक को मिनिमाइज़ कर दिया।
अब मैंने वापस वो लिंक खोल कर बंद किया और सोशियल साइट चलाने लग गये. अब मैं धीरे धीरे उसके हाथ पर हाथ रख रहा था, उसने मेरा विरोध नहीं किया तो मेरी हिम्मत बढ़ गई।
अब मैंने अपना हाथ उसके कंधे पर रख दिया, वो कंप्यूटर चला रही थी और थोड़ा मुस्कुरा रही थी, अब मैंने उसके बूब्स को दबाना शुरू कर दिया।
अब क्या था… जैसा कि मैंने बहुत सी जगह पढ़ा था कि लड़की की गर्दन पर किस करने से जल्दी गर्म हो जाती है तो मैंने मौका देखते ही चौका मार दिया, अब वो आहें भर रही थी.. लेकिन अब तक वो मुझसे कुछ नहीं बोली, अब मैंने उसका मुँह अपने मुँह में ले लिया और किस करने लगा कि अचानक उसने मुझे दूर कर दिया और कहा- नहीं, यह ग़लत है, मेरी शादी होने वाली है।
तो मैंने कहा- तभी तो फिर बाद में तुम्हें दर्द कम होगा।
तो बोली- नहीं, ये सब ग़लत है।
मैंने कहा- एक बार!
तो उसने कहा- अगर किसी को मालूम पड़ गया तो क्या होगा?
मैंने समझाया कि घर में कोई नहीं है और हम दोनों कभी किसी से यह बात नहीं कहेंगे।
तो उसने कहा- मगर सिर्फ़ आज… और फिर भूल जाना इस बात को!
मैंने कहा- ठीक है।
तो वो वापस बैठ गई। मैंने अब उसके कपड़े उतरने शुरू कर दिए और उसने भी मेरी पैंट उतार दी, उसने मेरा सामान हाथ में लेकर कहा- यह तो बहुत लंबा है (8 इंच)
और उसने हाथ फेरना शुरू कर दिया।
मैंने कहा- मुँह में लेकर देख, अच्छा लगेगा।
तो उसने मना कर दिया- नहीं, गंदा होता है, नहीं लूँगी।
फिर मैंने मना ही लिया और उसने मेरे लण्ड को मुँह में ले लिया… मानो मुझे जन्नत ही मिल गई। अब मैं उसके चूचे दबा रहा था तो उसने कहा- मेरे नीचे के कपड़े भी उतार कर मेरी को भी मुँह में लो!
मैंने जल्दी से ऐसा ही किया, अब हम 69 में थे कि अचानक उसने कहा- अब रहा नहीं जाता, जल्दी से डाल दो..
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैंने कहा- इतनी क्या जल्दी है जान.. मैं तुम्हें आज सितारों की सैर कराऊँगा।
और मैं सीधा खड़ा हो गया, वो बेड पर लेटी थी, मैं वापस उसके बूब्स चूमने लगा, मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, उसके मुँह से आह… आहह उह हुह आहह… की आवाज़ सुनाई दे रही थी।
मैं उत्तेजित हो गया, उसने कहा- अब रहा नहीं जा रहा है, प्लीज़ जल्दी करो!
अब मैंने उसको सीधा लेटाया और अपना लंड डालने लगा मगर वो आसानी से नहीं गया, तो मैंने तेल लगा दिया अपने लंड पर और ज़ोर से धक्का दिया, वो चीख पड़ी।
मैंने उसका मुँह अपने हाथ से बंद किया मगर अभी तक मेरा पूरा लंड उसकी चूत में नहीं गया था, मैंने अब एक और धक्का दिया, अब मेरा पूरा लंड उसकी चूत में जा चुका था और उसकी आँखों में आँसू थे।
अब मैंने धीरे धीरे अपना काम शुरू कर दिया। वो रो रही थी, मैंने उसके बूब्स पर अपना मुँह रख दिया और निप्पलस को काटने लग गया।
मैंने एक जोर की किस की, अब वो भी चूतड़ उठा उठा कर मेरा साथ दे रही थी। वो सात मिनट बाद झड़ चुकी थी मगर मैं अपना काम कर रहा था। करीब 12 मिनट बाद मेरा पानी निकलने वाला था तो मैंने अपना लंड निकाल लिया, अब उसे कहा- इसे मुँह में लेकर पानी निकाल दे!
उसने ऐसा ही किया, मैंने अपना सारा पानी उसके मुँह में ही निकाल दिया और मैं उसके सीने पर लेट गया।
दस मिनट बाद जब होश आया तो देखा कि चादर खून से लाल हो चुकी थी तो वो घबरा गई।
मैंने कहा- कोई बात नहीं, चादर के बारे में कोई दिक्कत नहीं है। और जब पहली बार सेक्स करते हैं तो खून आ जाता है।
अब मैं और वो बहुत खुश थे, उसने कहा- आज मैं बहुत खुश हूँ!
और मुझे एक किस की और धीमे से मुस्कुराते हुए वो चली गई। उसके बाद हमने तीन बार और सेक्स किया..
दोस्तो, मुझे तो उसके बूब्स में बहुत मज़ा आया।

କୁନା ନିଜ ଘରେ ମଜା ନେଇ ଗଲା

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କୁନା ଜାଣି ନ ଥିଲା ଯେ ଏହି ରାତିଟା ତା ଜୀବନରେ ଏପରି ଏକ ପରିବର୍ତ୍ତନ ଆଣି ଦେବ ବୋଲି୤ ଘରର ସବୁ କାମ ଶେଷ କରିବା ବେଳକୁ ସେ ବହୁତ ଥକି ଯାଇଥିଲା୤ ପିଲାମାନଙ୍କ ବେଡ଼ରୁମକୁ ସେ ଶୋଇବା ପାଇଁ ଗଲା୤ ସେଦିନ ଘରକୁ ଗେଷ୍ଟମାନେ ଆସିଥିବାରୁ ସେମାନଙ୍କର ରହିବାର ବନ୍ଦୋବସ୍ତ କୁନା ରୁମରେ କରାଯାଇ ଥିଲା୤ ଶଶୁର ଓ ଶାଶୂ ବି ଡ୍ରଇଂରୁମରେ ଶୋଇଲେ୤ ମାତ୍ର ଦିନ କେଇଟାର କଥା୤ ଗେଷ୍ଟମାନେ ଯିବା ପରେ ପୁଣି ସ୍ବଭାବିକ ଭାବରେ ଯିଏ ଯାହା ରୁମରେ ଶୋଇବେ୤

କୁନା ଯାଇ ଦେଖିଲା ଝିଅ ତା ସାନ ଭାଇ ଦୁଇ ଜଣଙ୍କ ସହିତ ଚଟାଣ ଉପରେ ଶୋଇଛି୤ ବଡ଼ପୁଅ ବିନୋଦ ଏକୁଟିଆ ବେଡ଼ ଉପରେ ଶୋଇଛି୤ ଅନ୍ୟ ଦିନ ରାତି ପରି ସେ ଶାଢ଼ୀକୁ ଖୋଲିଦେଇ କେବଳ ସାୟା ଓ ବ୍ଲାଉଜ ପିନ୍ଧି ବେଡ଼ ଉପରେ ବଡ଼ପୁଅ ପାଖରେ ଶୋଇ ପଡ଼ିଲା୤ ବଡ଼ପୁଅ ବିନୋଦକୁ ଏବେ ୧୪ ପୁରି ୧୫ବର୍ଷ ଚାଲିଛି୤ ଅନ୍ୟ ତିନିଟା ପିଲା ଦୁଇ ଦୁଇ ବର୍ଷ ବ୍ୟବଧାନରେ ଜନ୍ମ ହୋଇଛନ୍ତି୤ କୁନାର ବୟସ ଏବେ ମାତ୍ର ୩୨ ବର୍ଷ୤ ସେ ଦେଖିବା ପାଇଁ ବହୁତ ସୁନ୍ଦର ଆଉ ସେକ୍ସି୤ ତା’ର ୩୪-୨୬-୩୬ ଫିଗର ବହୁତ ଆକର୍ଷଣୀୟ୤
ବେଡ଼ରେ ଶୋଉ ଶୋଉ କୁନାକୁ ନିଦ ହୋଇଗଲା୤ ରାତି ସେତେବେଳକୁ କେତେ ହେବ କେଜାଣି, ହଠାତ‌୍‍ ଛାତି ଉପରେ ଚାପ ଅନୁଭବ କରି କୁନାର ନିଦ ଭାଙ୍ଗିଗଲା୤ ଆଖି ଖୋଲି ଚାହିଁ ଦେଖିଲା ପୁଅ ବିନୋଦ ଶାଢ଼ୀ ଓ ବ୍ଲାଉଜ ମିଶା ତା ଦୁଧକୁ ମୁଠେଇ ଚିପୁଚି୤ ବିନୋଦର ହାତ ଉପରେ ନିଜ ହାତକୁ ରଖି କୁନା ଫୁସ‌୍‍ ଫୁସ‌୍‍ ସ୍ବରରେ କହିଲା - ବିନୁ, ମୁଁ ବହୁତ ଥକ୍କି ଯାଇଚି୤ ମତେ ଟିକିଏ ଶାନ୍ତିରେ ଶୋଇବା ପାଇଁ ଦେଏ୤
: ପ୍ଲିଜ ବୋଉ, ମୁଁ ଟିକିଏ ଚିପିବି୤ ତୁ ମତେ ମନା କରନି୤
- ପରେ ଚିପିବୁ ବାବା, ଏବେ ଖାଲି ଦୁଧକୁ ସେମିତି ଧରି ଶୋଇପଡ଼, ଚିପା ଚିପି କରନା୤
କୁନା କଡ଼ ଲେଉଟାଇଲା୤ ବିନୋଦର ଗୋଟାଏ ହାତକୁ ନେଇ ତା ଦୁଧ ଉପରେ ରଖିଲା୤
- ପ୍ଲିଜ ବୁନୁ, ସୁନା ପୁଅଟା ମୋର; ମୁଁ ଭାରି ଥକି ଯାଇଛି୤ ତୁ ଖାଲି ଦୁଧ ଧରି ଶୋଇପଡ଼୤
ବିନୋଦ ବୋଉ ପାଖକୁ ଲାଗି ଯାଇ ତା ଗୋଟାଏ ଗୋଡ଼ ଉଠେଇ ବୋଉର ପିଚା ଉପରେ ରଖିଲା୤ ବୋଉ କଥା ମାନି ଗୋଟାଏ ଦୁଧ ଉପରେ ହାତ ରଖି ଶୋଇଲା୤ ସେତେବେଳେ ଅବଶ୍ୟ ବୋଉକୁ ଗେହିଁବା ଉଦେଶ୍ୟ ତା’ର ନ ଥିଲା୤ କୌଣସି ମାଇକିନିଆ ବା ଟୋକିକି ଗେହିଁବା ପାଇଁ ସେ ସକ୍ଷମ ହେଲାଣି କି ନାହିଁ ବୋଲି ସେ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ସେ ଜାଣି ନ ଥିଲା ୤ ପ୍ରାୟ ୪ କି ୫ ମାସ ତଳେ ପ୍ରଥମ ଥର ପାଇଁ ସେ ତା ବୋଉ ଦୁଧକୁ ଚିପିଥିଲା୤ କୁନାର ଇଚ୍ଛା ନ ଥିଲେ ବି ବ୍ଲାଉଜ ଉପରୁ ତା ଦୁଧକୁ ଧରିବା ପାଇଁ ସେ ପୁଅ ବିନୋଦକୁ ସୁଯୋଗ ଦେଇଥିଲା୤
କୁନାର ମନେ ଅଛି, ସେଦିନ ସନ୍ଧ୍ୟାବେଳେ ବାଥରୁମ ଯିବା ପୂର୍ବରୁ ସେ ଲୁଗା ବଦଳିଲା୤ ପିଠି ପଟରୁ ବ୍ରାର ହୁକ‌୍‍ ଖୋଲି ନ ପାରି ପୁଅ ବିନୋଦକୁ ହୁକ ଖୋଲି ଦେବାକୁ କହିଲା୤ ବ୍ରାର ହୁକ ଖୋଲି ସାରିବା ପରେ ଦୁଧକୁ ଟିକିଏ ଧରିବା ପାଇଁ ବିନୋଦ ଗେହ୍ଲେଇ ହୋଇ ବୋଉକୁ କହିଲା୤ କୁନା ମନା କରିବାରୁ ବିନୋଦ ଜିଦି କଲା୤ ଗେହ୍ଲା ପୁଅର ଜିଦି ଆଗରେ ମୁଣ୍ଡ ନୁଆଁଇ କୁନା ତାକୁ ତା ଦୁଧ ଧରିବା ପାଇଁ ଦେଲା୤ ବିନୋଦ କୁନାର ପଛ ପଟରୁ ତା କାଖ ତଳେ ହାତ ପୁରେଇ ଦୁଧ ଯୋଡ଼ାକୁ ମୁଠେଇ ବହୁତ ସମୟ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ଚିପିଥିଲା୤ ହେଲେ ଦୁଧ ଚିପିଲେ ମଧ୍ୟ ବୋଉର ଖୋଲା ଦୁଧକୁ ଦେଖିବା ପାଇଁ ବିନୋଦ ସେତେବେଳେ ଚାହିଁ ନ ଥିଲା୤
କୁନା ଶୋଇବା ପାଇଁ ଚେଷ୍ଟା କଲା୤ ଆଖିକୁ ନିଦ ଆସିବା ବେଳକୁ ତା ଦୁଇ ପିଚା ମଝିରେ ଗୋଟାଏ ଶକ୍ତ ରଡ଼ ଭଳି ଜିନିଷ ଜୋର ଦାବିହେବା ଭଳି ସେ ଅନୁଭବ କଲା୤ ତା ପିଚା ସନ୍ଧିରେ ଦାବି ହେଉଥିବା ସେ ଜିନିଷଟା କ’ଣ, ସେ କଥା ସେ ଠିକ ବୁଝି ପାରିଲା୤ ସେ ଜିନିଷଟା ଯେ ବିନୋଦର ଶକ୍ତ ହୋଇ ଉଠିଥିବା ବାଣ୍ଡ ତାହା ସେ ସେକଥା ତାକୁ ଅଛପା ରହିଲା ନାହିଁ୤ କୁନା ମନେ ପକାଉଥିଲା, ଦୁଇ ବର୍ଷ ଭିତରେ ପ୍ରଥମ ଥର ବିନୋଦ ରାତିରେ ତା ପାଖରେ ଶୋଇ ତା ଦୁଧକୁ ଚିପି ଆଦର କରୁଛି୤ ନ ହେଲେ ତ ଦିନର ଆଲୁଅରେ ସୁଯୋଗ ମିଳିଲେ ଠିଆ ଠିଆ  ସେ ତା ଦୁଧ ଚିପିବା ହେଉଛି ନିତି ଦିନିଆ ଘଟଣା୤
କୁନା ପୁଅ ପାଖରୁ ଘୁଞ୍ଚି ଶୋଇବା ପାଇଁ ଚାହୁଁଥିଲେ ବି ଘୁଞ୍ଚି ପାରିଲା ନାହିଁ୤ ତା ପିଚା ସନ୍ଧିରେ ଦାବି ହେଉଥିବା ମୋଟା ଗରମ ରଡ଼ ଭଳି ଜିନିଷଟାର ସ୍ପର୍ଶ ତାକୁ ଭାରି ଭଲ ଲାଗୁଥିଲା୤ ତାହାର ପ୍ରତିକ୍ରିୟାରେ ସେ ତା ପିଚାକୁ ପୁଅର ବାଣ୍ଡ ଉପରକୁ ପଛୁଆ ଦାବିଲା ଏବଂ ତା ଦୁଧ ଉପରେ ଥିବା ପୁଅ ହାତକୁ ଧରି ଚିପିଲା୤ ତାପରେ ଦୁଧ ଉପରୁ ପୁଅର ହାତକୁ କାଢ଼ି ଦେଲା ଏବଂ ନିଜେ ନିଜ ହାତରେ ଦୁଧକୁ ଧୀରେ ଧୀରେ ଚିପିବାକୁ ଲାଗିଲା୤ ପିଚା ସନ୍ଧିରେ ବାଣ୍ଡର ଚାପ ବଢ଼ୁଥିବା ସେ ଅନୁଭବ କଲା୤ ସେ ତା ହାତ ନେଇ ପୁଅ ବିନୋଦରର ଜଙ୍ଘରେ ବୁଲେଇଲା୤ ଏବଂ ସେ ପାଇଜାମା ପିନ୍ଧିଚି ବୋଲି ନିଶ୍ଚିତ ହେଲା୤ କୁନା କଡ଼ ଲେଉଟାଇ ପୁଅ ଆଡ଼କୁ ମୁହଁ କରି ଶୋଇଲା୤
: ବୋଉ, ତତେ ନିଦ ହେଉନି କି?
- ହଁ ବେଟା, ଆଜି ଭାରି ଗରମ ପଡ଼ିଛି୤ ମନ ହେଉଛି ଲୁଗାପଟା ସବୁ ଖୋଲି ପକାନ୍ତି୤
ସେ ବିନୋଦକୁ ପାଖକୁ ଟାଣି ଆଣି ତା ଜଙ୍ଘ ଉପରେ ଗୋଡ଼ ପକେଇଲା୤ ବିନୋଦ ବୋଉର ସାୟା ଉପରୁ ତା ଜଙ୍ଘକୁ ଆଦର କଲା୤
: ବୋଉ, ତତେ ବହୁତ କାମ କରିବା ପାଇଁ ପଡ଼ୁଛିନା?
ବିନୋଦ କୁନା ଗାଲରେ ହାତ ବୁଲେଇଲା୤
: ବୋଉ, ମୋର ଭାରି ରାଗ ହେଉଚି୤ ତୁ ଏକା କାମ କରୁଚୁ ଆଉ ଦୁଇ ଜଣଯାକ ଖୁଡ଼ି ଖାଲି ଗପ ମାରୁଛନ୍ତି୤ ଖୁଡ଼ି ବି କାମ କରି ପାରନ୍ତେ୤
କୁନାକୁ ଖୁସି ଲାଗିଲା, ତା ପୁଅର ତା ପ୍ରତି ବହୁତ ଦରଦ ଅଛି୤ ସେ ନିଜେ ପୁଅ ଆଡ଼କୁ ଘୁଂଚି ଗଲା୤
- ଏଇଟାକୁ ଚିପିବୁନି୤ ଖାଲି ସେଇ ଗୋଟାଏ ଦୁଧ ଚିପୁଥିବୁ୤ ଆଜି ମନ ଭରି ଚିପ, ମୁଁ ମନା କରିବି ନାହିଁ୤
କୁନା ବିନୋଦର ହାତକୁ ତା ଆର ଦୁଧ ଉପରକୁ ଟାଣି ନେଲା ଏବଂ ଚୁମା ଦେଲା୤
- ତୁ ହେଉଚୁ ମୋର ଗେହ୍ଲା ପୁଅ...ତୁ ମତେ କେତେ ସାହାଯ୍ୟ କରୁଚୁ୤
ବିନୋଦ ବୋଉର ଦୁଧକୁ ୩-୪ ଥର ଚିପିଲା ଓ ଆଦର କରିବାକୁ ଲାଗିଲା୤
ତା ସାନ ଭାଇ ଅଜିତ ତାଠାରୁ ୬ ବର୍ଷ ସାନ୤ ଏବେ ବୋଉ ତାକୁ କ୍ଷୀର ଖୁଆଇବା ସେ ଦେଖୁନି୤ ପ୍ରାୟ ବର୍ଷେ ତଳେ ସେ ଯେତେବେଳେ ବୋଉ ଦୁଧକୁ ଚିପୁଥିଲା, ବୋଉ ସେତେ ବେଳେ ସାନ ପୁଅକୁ କ୍ଷୀର ଖୁଆଇବା ସେ ଦେଖିଥିଲା୤ ତା’ର ମନେ ପଡ଼ୁଚି, ବୋଉ ଲଙ୍ଗଳା ହୋଇ କ୍ଷୀର ପିଆଉ ଥିଲା୤ ସେ ବୋଉର ଦୁଧକୁ ଚିପି ଆଦର କଲା୤
: ବୋଉ, ତୁ ଏବେ ଛୋଟୁକୁ ଦୁଧ ଖାଇବା ପାଇଁ ଦେଉନୁ କି?
କୁନା ତା ଦେହକୁ ବିନୋଦ ପାଖରେ ଏମିତି ବାଗେଇ ରଖି ଶୋଇଲା ଯେ ବିନୋଦର ବାଣ୍ଡ ଠିକ‌୍‍ ତା ବିଆକୁ ଛୁଇଁଲା୤ ସେ ଜାଣିଥିଲା ଯେ ତା ପୁଅକୁ ତା ଲଙ୍ଗଳା ଦେହ ଦେଖାଇବା ହେଉଛି ବଡ଼ ପାପ୤ ତେଣୁ ସେ ନିଜକୁ ନିୟନ୍ତ୍ରଣ କରି ଘଟଣାର ମୋଡ଼କୁ ଅପେକ୍ଷା କଲା୤ କୁନା ବିନୋଦ ଉପରକୁ ପେଲି ହୋଇଗଲା୤
- ନାହଁିରେ, ଛୋଟୁ ଏବେ ବଡ଼ ହେଇ ଗଲାଣି୤ ୪-୫ ଦିନ ପୂର୍ବେ ଉପର ବେଳା ମୁଁ ତାକୁ ଦୁଧ ଖୁଆଇବାକୁ ଚାହିଁଲି୤ ଥରେ ସେ ଦୁଧକୁ ପାଟିରେ ପୁରେଇଲା, ତାପରେ ଉଠି ଚାଲିଗଲା୤ କହିଲା ସେ ଆଉ ମୋ ଦୁଧ ଖାଇବ ନାହିଁ୤
: ତୁ ତାହେଲେ କାହାକୁ ଦୁଧ ଖୁଆଇବୁ୤
ବିନୋଦ ବ୍ଲାଉଜ ଉପରୁ କୁନାର ଦୁଧଭୁଣ୍ଡି ସହିତ ଖେଳୁଥିଲା୤
- ତୋ ବାପା ସବୁ ଦିନେ ଦୁଧ ଚୋଷୁଛନ୍ତି୤ ତୁମେ ପିଲାମାନେ ଯଦି ଦୁଧ ନ ଖାଇବ, ତାହେଲେ ଦୁଧ ଖାଇବା ପାଇଁ ତମ ବାପା ତ ଅଛନ୍ତି୤
: ବାପା କେମିତି ଦୁଧ ଖାଉଛନ୍ତି? ବ୍ଲାଉଜ ଉପରୁ୤
- ତୁ ପାଗଳ ନା କ’ଣ୤ ବ୍ଲାଉଜ ଉପରୁ କିଏ କେମିତି ଖାଇବ୤ ତୁ ଦେଖିନୁ, ଛୋଟୁ କେମିତି ଦୁଧ ଖାଉଥିଲା୤
କୁନା ବିନୋଦର ପିଚାକୁ ନିଜ ଆଡ଼କୁ ଭିଡ଼ି ଆଣି ସଙ୍ଗେ ସଙ୍ଗେ ତା ବିଆକୁ ବିନୋଦ ଉପରେ ଦାବିଲା୤
- ମୁଁ ବ୍ଲାଉଜ ଖୋଲି ଦୁଧ ଖୁଆଉ ଥିଲି୤ ତୋ ବାପା ତ ମତେ ପୁରା ଲଙ୍ଗଳା କରି ଦିଅନ୍ତି ଆଉ ଦୁଧ ଖାଇବାର ମଜା ନିଅନ୍ତି୤
: ଛି...ବାପା ତତେ ଲଙ୍ଗଳା କରନ୍ତି...ତାଙ୍କୁ ସରମ ଲାଗେନି୤
- ଏଥିରେ ସରମ ଲାଗିବାର କ’ଣ ଅଛି୤ ତୁ ବି ବାହାହେଲା ପରେ ତୋ ସ୍ତ୍ରୀକି ଲଙ୍ଗଳା କରିବୁ...ତୁ ବି ଲଙ୍ଗଳା ହେଇ ତୋ ସ୍ତ୍ରୀ ମାଲ ଚୋଷିବୁ୤
: ବୋଉ, ମୁଁ ବାହା ହେବି ନାହିଁ୤
- କାହିଁକି, ତୁ କ’ଣ ଏକୁଟିଆ ରହିବୁ?
: ମୁଁ ଏକୁଟିଆ କାହିଁକି ରହିବି୤ ମୁଁ ସବୁବେଳେ ମୋ ବୋଉ ପାଖରେ ରହିବି୤
ବିନୋଦ କୁନାର ଦୁଧକୁ ଚିପି ଚୁମା ଦେଲା୤
: ବୋଉ, ତତେ ସମସ୍ତଙ୍କ ଆଗରେ ଲଙ୍ଗଳା ହେବାକୁ ସରମ ଲାଗେନି? ମୁୁଁ ତ ତୋତେ କେବେ ଲଙ୍ଗଳା ଦେଖିନି୤
- ଆରେ, ସମସ୍ତଙ୍କ ଆଗରେ ନୁହଁ...ଡୋର ଓ ଝରକା ବନ୍ଦ କରିବା ପରେ ଯାଇ ମୁଁ ଲଙ୍ଗଳା ହୁଏ୤
କୁନା ସାୟାକୁ ତା ଜଙ୍ଘ ଉପରକୁ ଉଠେଇ ଦେଲା୤ ଯାହା ଫଳରେ ସେ ପୁଅର ଦେହକୁ ତା ଜଙ୍ଘ ଭିତରେ ଦୃଢ଼ ଭାବରେ ଧରି ପାରିବ୤ ବିନୋଦର ବାଣ୍ଡ ତା ବିଆରେ ଦାବି ହେଉ ଥିବାରୁ କୁନାକୁ ଭଲ ଲାଗୁଥିଲା୤ କୁନା ଭାବୁଥିଲା, ସ୍ତ୍ରୀ ପୁରୁଷ ଗିହାଁଗେହିଁ ହେବା ବିଷୟରେ ତା ପୁଅର ବୋଧେ ଧାରଣା ନାହିଁ୤ ତା’ର ଧାରଣା ଥିଲେ ତ ସେ ତା ବାଣ୍ଡକୁ ବିଆ ଭିତରେ ପୁରେଇ ସାରନ୍ତାଣି୤ ଏଥିପାଇଁ ତାକୁ ଉତେଜିତ କରିବାକୁ ପଡ଼ିବ୤
- ତୋର ମନେ ନ ଥିବ, ତୁ ଯେତେବେଳେ ଛୋଟ ଥିଲୁ ମୁଁ ସେତେବେଳେ ପୁରା ଲଙ୍ଗଳା ହୋଇ ତୋତେ ଦୁଧ ଖୁଆଉ ଥିଲି୤ ଯଦି କେବେ ତୋ ବାପା କୁଆଡେ଼ ବାହାରକୁ ଯାଉଥିଲେ, ତାହେଲେ ମୁଁ ରାତିସାରା ତୋ ସହିତ ଲଙ୍ଗଳା ହୋଇ ଶୋଉଥିଲି୤ ସେତେବେଳେ ତୋ ନୁନି ଆଙ୍ଗୁଠି ଭଳି ହୋଇଥିଲା୤
କୁନା ପୁଣି ଥରେ ବିନୋଦ ଦେହ ଉପରେ ଦାବି ହେଲା୤ ନିଜକୁ ବାଲାନ‌୍‍ସ କରିବା ପାଇଁ ବିନୋଦ ତା ହାତକୁ ବୋଉର ଲଙ୍ଗଳା ଜଙ୍ଘ ଉପରେ ରଖିଲା୤

- ମୁଁ ଜାଣିନି ତୋ ନୁନି ଏହା ଭିତରେ କେତେ ବଡ଼ ହୋଇ ଗଲାଣି୤
ଏ କଥା ଶୁଣି ବିନୋଦ ଲାଜେଇ ଗଲା ଏବଂ ତା ମୁହଁକୁ କୁନାର ଦୁଇ ଦୁଧ ମଝିରେ ଦାବି ଦେଲା୤
- ଆରେ ଆରେ ଦେଖ ମୋ ପୁଅ କେମିତି ସରମ କରୁଚି୤
କୁନା ଅନୁଭବ କଲା ବିନୋଦ ତା ମୁହଁକୁ ତା ଦୁଇ ଦୁଧ ମଝିରେ ଘଷୁଚି୤ ସେ ଅପେକ୍ଷା କଲା୤ ବିନୋଦ ତା ମୁହଁକୁ କୁନାର ବ୍ଲାଉଜ ଉପରକୁ ପିଚିକି ପଡ଼ୁଥିବା ଦୁଧ ଉପରେ ଘଷୁଥିଲା୤ କିଛି ସମୟ ଘଷିବା ପରେ ସେ କୁନାକୁ ଚାହିଁଲା୤
: ବୋଉ, ତୁ ମତେ ଦୁଧ ଖୁଆଇବୁ?
- ତତେ ମୋ ଦୁଧ ଭଲ ଲାଗିବ! ତୋ ଭାଇକି ତ ଦୁଧର ସ୍ବାଦ ଭଲ ଲାଗୁନି୤
ବିନୋଦ କୁନାର ଦୁଧକୁ ମୁଠେଇ ଚିପିଲା୤
: ବାପା ସବୁ ଦିନେ ତୋ ଦୁଧ ଚୋଷୁଛନ୍ତି ମାନେ ଦୁଧର ସ୍ବାଦ ନିଶ୍ଚୟ ଭଲ ହୋଇଥିବ୤
- କିନ୍ତୁ ତୋ ବାପା ଯେମିତି ଦୁଧ ଚୋଷନ୍ତି ତତେ ବି ସେମିତି କରିବାକୁ ହେବ୤
କୁନା ତା ହାତକୁ ବିଆ ଉପରକୁ ନେଇ ଯାଇ ବିଆକୁ ଚିପିଲା୤
: ବାପା କ’ଣ କରନ୍ତି?
- କହିଲିନା, ସେ ପୁରା ଲଙ୍ଗଳା ହୋଇ ଦୁଧ ଚୋଷନ୍ତି୤ ସେମିତି କଲେ ତାଙ୍କୁ ମଜା ମିଳେ୤ ତୁ ବି ଲଙ୍ଗଳା ହୋଇ ପଡ଼୤
କୁନା ବିନୋଦକୁ ତା ଦେହ ଉପରକୁ ଟାଣି ନେଲା ତା ପିଚାକୁ ଦୁଇ ଜଙ୍ଘରେ ଗୁଡେ଼ଇ ଧରିଲା୤
: ବୋଉ, ତୁ ବି ଲଙ୍ଗଳା ହେଇ ଯାଆ୤
କୁନା ତା ହାତ ନେଇ ତା ବିଆ ଆଉ ପୁଅର ବାଣ୍ଡ ମଝିରେ ପୁରେଇ ଦେଇ ବିଆ ଉପରେ ରଖିଲା୤ ପାପୁଲିର ପଛ ପାଖଟା ବିଆ ଉପରେ ରହିଲା୤ କୁନା ପ୍ରଥମେ ପୁଅ ବାଣ୍ଡକୁ ତା ହାତରେ ଅନୁଭବ କଲା୤ ସେ ବାଣ୍ଡକୁ ଚିପିବାକୁ ଚାହୁଁଥିଲା, କିନ୍ତୁ ବାଣ୍ଡ ତା ପାପୁଲିରେ ଦାବି ହେଲା୤ ସେ ଜାଣିଛି ତାକୁ ଆଉ ପଛକୁ ଫେରିବାର ନାହିଁ୤ ଖୁବ‌୍‍ ଶୀଘ୍ର ସେ ତା ୧୫ ବର୍ଷ ପୁଅର କୁଆଁରା ବାଣ୍ଡକୁ ତା ବିଆ ଭିତରକୁ ନେବ୤ ସେ ଭୁଲି ଯାଇଥିଲା ଯେ ନିଜ ପୁଅ ଆଗରେ ଲଙ୍ଗଳା ହେବା ପାପ ବୋଲି୤
: ଛି ବୋଉ, କ’ଣ କହୁଚୁ ...ମୁଁ ଏତେ ବଡ଼ ହୋଇ ଗଲେଣି...ତୋ ଆଗରେ କେମିତି ଲଙ୍ଗଳା ହେବି୤
- ଚୁପ‌୍‍ ଶଳା, ସରମ କରୁଚି୤ ବୋଉ ଦୁଧ ଚୋଷିବାକୁ ଏମିତିକା ସୁଯୋଗ ଆଉ କେବେ ମିଳିବ ନାହିଁ୤ ତୁ ଲଙ୍ଗଳା ନ ହେଲେ ମୁଁ ଦୁଧ ଖୋଲିବି ନାହିଁ୤
କୁନା ଦୁଇ ହାତରେ ତା ଦୁଧକୁ ଘୋଡେ଼ଇ ରଖି କହିଲା - ତୋ ବାପା ତ ତୋ ଠାରୁ କେତେ ବଡ଼, ସିଏ ଲଙ୍ଗଳା ହେଉଚନ୍ତି୤ ତୁ କାହିଁକି ହବୁନି୤ ଆଉ ଆଗରୁ ଆମେ ଦୁହେଁ ତ ଲଙ୍ଗଳା ହୋଇ ଶୋଇଚେ୤
କୁନା ଦୁଧ ଉପରୁ ହାତ କାଢ଼ି ଦେଲା୤
- ଯଦି ଲଙ୍ଗଳା ହେଇ ଦୁଧ ଚୋଷିବା ମଜା ନେବୁ ନେଏ, ନହେଲେ ତଳକୁ ଯାଇ ଭଉଣୀ ପାଖରେ ଶୋଇ ଯାଆ୤ ମୁଁ ଛୋଟୁକୁ ଦୁଧ ପିଆଇବି୤
କୁନା ବିନୋଦକୁ ପେଲି ଦେଲା୤ ବିନୋଦ ଉଠିପଡ଼ିଲା୤
: ତୁ କାହାରି ଆଗରେ କହିବୁ ନାହିଁ ତ୤
- ନା...ମୋ ରାଣ ଖାଉଚି, କାହାରି ଆଗରେ କହିବି ନାହଁି ଯେ ତୁ ମୋ ଆଗରେ ଲଙ୍ଗଳା ହୋଇ ଥିଲୁ୤
କୁନା ଦେଖିଲା ତା ପୁଅ ତା ପାଇଜାମାକୁ ତଳକୁ ଖସାଉଛି୤ ସେ ବି ପୁଅର ଟ୍ରାଉଜରକୁ ଟାଣି ଖୋଲିଦେଲା୤ ବିନୋଦ ଲଙ୍ଗଳା ହୋଇ ପଡ଼ିଲା୤ କୁନା ଆଉ ଅପେକ୍ଷା କଲା ନାହିଁ୤ ତା ବାଣ୍ଡକୁ ଆସ୍ତେ ଆସ୍ତେ ଚିପିବାକୁ ଲାଗିଲା୤
- ଆରେ ବାଃ...ତୋ ବାଣ୍ଡଟା ତ ତୋ ବାପା ବାଣ୍ଡ ଠାରୁ ମୋଟା ଆଉ ଲମ୍ବା ହେଇ ଗଲାଣି୤ କୁନା ବିନୋଦର ବାଣ୍ଡକୁ ଧରି ଟାଣିଲା୤
- ଆସି ଯାଆ...ବ୍ଲାଉଜ ଖୋଲି ପକେଇ ଦୁଧରୁ ମଜା ନେଏ୤
କୁନା ତା ଦୁଇ ଗୋଡ଼କୁ ମେଲାକରି ସାୟାକୁ ଉପରକୁ ଟେକି ଦେଲା୤ ତା ବୋଉର ଜଙ୍ଘ ପ୍ରତି ବିନୋଦର ଆକର୍ଷଣ ନ ଥିଲା୤ ସେ କେବଳ ଦୁଧକୁ ଉପଭୋଗ କରିବାକୁ ଚାହୁଁଥିଲା୤ କୁନା ତାକୁ ତା ଦୁଇ ଜଙ୍ଘ ମଝିକୁ ପେଲିଦେଲା୤ ତା ବାଣ୍ଡକୁ ସାଉଁଳି ସାୟା ଉପରେ ବିଆରେ ଛୁଆଁଇଲା୤ ଏବେ ବାଣ୍ଡ ଆଉ ବିଆ ମଝିରେ କେବଳ ଗୋଟିଏ ପରସ୍ତ କପଡ଼ା ରହିଲା୤ କୁନା ଜାଣିଥିଲା ଖୁବ‌୍‍ ଶୀଘ୍ର ସେଇଟା ହଟି ଯିବ୤ କୁନା ବିନୋଦର ହାତକୁ ତା ଦୁଧ ଉପରକୁ ଟାଣି ନେଲା୤
- ଏବେ କ’ଣ ଭାବୁଚୁ୤ ବ୍ଲାଉଜ ଖୋଲି ଦେଏ୤
କିଛି ସମୟ ପୂର୍ବରୁ ବୋଉ କହିଥିବା କଥା ବିନୋଦର ମନେ ପଡ଼ିଲା୤ ସେ ବ୍ଲାଉଜର ବୋତାମ ଖୋଲିଲା୤
: ବୋଉ, ତୁ ତ କହୁଥିଲୁ ବାପା ତୋତେ ବି ଲଙ୍ଗଳା କରନ୍ତି...ମୁଁ...
- ତୁ ବି ମତେ ଲଙ୍ଗଳା କରି ଦେଏ୤ ମୁଁ କେତେବେଳେ ମନା କଲି...ହେଲେ ମତେ ଡର ଲାଗୁଚି୤
କୁନା ବିନୋଦର ବାଣ୍ଡକୁ ହାତରେ ଦଳିଲା୤
: ଡର କାହିଁକି ଲାଗୁଚି, ବୋଉ୤
ବିନୋଦ କୁନାର ଛାତିକୁ ପୁରା ଲଙ୍ଗଳା କରି ଦୁଧକୁ ଚିପିଲା୤
- ମତେ ଡର ଲାଗୁଚି, ତୁ କାଳେ ତୋ ସବୁ ସାଙ୍ଗଙ୍କ ଆଗରେ କହିଦେବୁ ଯେ ତୁ ରାତିରେ ତୋ ବୋଉକୁ ଲଙ୍ଗଳା କରି ଖୁବ‌୍‍ ମଜା କରୁଚୁ୤
କୁନା ବିନୋଦକୁ ଚୁମାଦେଲା୤
-ତୁ ଚିନ୍ତା କର, ଏହା ହେଲେ ମୁଁ କେତେ ବଦନାମ ହେବି୤ ମତେ ମରିବା ପାଇଁ ହେବ୤
ବିନୋଦ ବୋଉକୁ ଚୁମା ଦେଲା୤
: ନାହିଁ ବୋଉ, ତୁ ଡରନି୤ ମୁଁ ମରିଯିବି ପଛେ କେବେ କାହାରିକୁ କହିବି ନାହିଁ କି ମୁଁ ତତେ ଲଙ୍ଗଳା ଦେଖିଚି...ତୋ ଦୁଧର ମଜା ନେଇଚି ଆଉ ତୋ ସହିତ ଲଙ୍ଗଳା ହୋଇ ଶୋଇଚି୤ ତୁ ବିଶ୍ବାସ କର ବୋଉ, ତୁ କେବେ ବଦନାମ ହେବୁ ନାହିଁ୤
କୁନା ପୁଅର ବାଣ୍ଡକୁ ହଲେଇଲା୤
- ଠିକ‌୍‍ ଅଛି୤ ତୁ କହୁଚୁ ତ ମୁଁ ମାନୁଛି୤ କିନ୍ତୁ ମୁଁ ଯଦି କେବେ ଜାଣିଲି ଯେ ତୁ ମୋ ବିଷୟରେ କାହାରିକି କିଛି କହିଚୁ, ତାହେଲେ ମୁଁ ତମ ସମସ୍ତଙ୍କୁ ଛାଡ଼ି ଚାଲିଯିବି୤ ତୁ ଆଉ ତୋ ବୋଉର ଦୁଧ କି ବିଆ କେବେ ଦେଖି ପାରିବୁ ନାହିଁ୤ ଏବେ ଆଉ କ’ଣ ଭାବୁଚୁ୤ ଏବେ ତୁ ମୋ ସାୟା ଖୋଲି ବାହାର କରି ଦେଏ୤
ବିନୋଦ ମିନିଟିଏ ବି ଡେରି ନ କରି କୁନାର ସାୟାକୁ ଖୋଲି ପକେଇଲା୤ କୁନା ତା ଗୋଡକୁ ଭଲକରି ମେଲେଇ ଦେଲା୤ ଗତ କାଲି ସେ ତା ବିଆ ବାଳ ଶେଭିଂକରି ଚିକଣା କରି ଦେଇ ଥିବାରୁ ସେ ଖୁସି ହେଲା୤ କୁନା ଦେଖିଲା ବିନୋଦ ତା ବିଆକୁ ନିରେଖି ଚାହୁଁଚି୤
- ବିନୁ...ତୁ ପ୍ରଥମ ଥର ପାଇଁ ବୋଧେ ବିଆ ଦେଖୁଚୁ୤ ତୁ ମୋ ଦୁଇ ଗୋଡ଼ ମଝିରେ ବସି ଆରାମରେ ଦେଖ୤ ବିଆକୁ ହାତରେ ଦଳ...ଭିତରେ ଆଙ୍ଗୁଠି ପୁରା୤ ତୁ ଏହି ବିଆ ଦେଇ ବାହାରକୁ ଆସିଛୁ୤
କୁନା ତା ବିଆକୁ ଉପରକୁ ଟେକିଲା୤
- ବିନୁ, ତୁ ଆଗରୁ କେବେ ବିଆ ଦେଖି ଥିଲୁ୤
: ନାହିଁ ବୋଉ୤ ତୋ ବିଆ ବହୁତ ସୁନ୍ଦର ହେଇଚି୤
ବିନୋଦ କେତେବେଳେ ବିଆକୁ ଦଳିଲା ତ...କେତେବେଳେ ଖୁବ‌୍‍ ଚିପିଲା୤ ଆଙ୍ଗୁଠିରେ ବିଆକୁ ମେଲେଇ ଚୁମା ଦେଲା...ଜିଭରେ ବିଆର ଫାଟକୁ ରଗଡ଼ିବାକୁ ଲାଗିଲା୤ କୁନାକୁ ବହୁତ ମଜା ଲାଗୁଥିଲା୤ ବିନୋଦ ଦୁଇଟା ଆଙ୍ଗୁଳିକୁ ବିଆ ଭିତରରେ ପୁରେଇ ଜୋର ଜୋର ଭିତର ବାହାର କଲା୤ ଉତେଜନାରେ କୁନା ପୁରା ଗରମ ହୋଇ ଉଠିଲା୤ ତାକୁ ଜଣାଗଲା ଯେମିତି ତା ପୁଅ ତାକୁ ଏବେ ଗେହୁଁଛି୤
- ଆ ବୁନୁ...ଦୁଧର ମଜା ନେଏ୤
କୁନା ବିନୋଦକୁ ତା ଦେହ ଉପରକୁ ଟାଣିନେଲା୤ ତା’ର ଗୋଟିଏ ଦୁଧଭୁଣ୍ଡି ବିନୋଦ ପାଟି ଭିତରେ ପୁରେଇ ଦେଲା୤ ବିନୋଦ ଅନ୍ୟ ହାତରେ ଆର ଦୁଧକୁ ଦଳି ଚୋଷିବାକୁ ଲାଗିଲା୤ ତଳ ପଟେ କୁନା ବିନୋଦର ବାଣ୍ଡକୁ ଧରି ତା ବିଆ ଫାଟରେ ଲଗେଇଲା ଏବଂ ତା ପିଚାକୁ ନଚେଇଲା୤ ଦୁଇ ହାତରେ ବିନୋଦର ପିଚାକୁ ଧରି ତଳକୁ ଦାବିଲା୤ ବିନୋଦର ବାଣ୍ଡ ତା ବିଆ ଭିତରେ ପଶିଗଲା୤
- ବିନୁ, ତୋ ପିଚାକୁ ଉଠେଇ ମୋ ଉପରେ ଧକ୍କା ମାର୤
କୁନା ବିନୋଦ ବାଣ୍ଡର ମୂଳକୁ ଧରି ଥିଲା୤ ବିନୋଦ ଗୋଟାଏ ଜୋର ଠେସ ମାରିଲା୤
ତାପରେ ଦ୍ବିତୀୟ...ତାପରେ ତୃତୀୟ ଠେସ୤ ପୁରା ୭ ଇଂଚ ଲମ୍ବା ବାଣ୍ଡଟା ତା ବୋଉ ବିଆ ଭିତରେ ହଜିଗଲା୤
- ବେଟା, ଦୁଧର ବି ମଜା ନେଏ ଆଉ ଏମିତି ଜୋର ଧକା ମାରି ଚାଲେ୤
କୁନା ତା ବିଆ ଉପରେ ବାଣ୍ଡର ଆଘାତକୁ ସହି ନେବା ପାଇଁ ବି ତା ପିଚାକୁ ଟେକି ଚାଲିଥିଲା୤ ବିନୋଦ ଜୋର ଜୋର ବାଣ୍ଡକୁ ଦାବି ଗେହିଁ ଚାଲିଲା୤
: ବୋଉ, ଭାରି ମଜା ଲାଗୁଚି୤ ଆଗରୁ କୌଣସି କାମରେ ଏମିତି ମଜା ମିଳି ନ ଥିଲା୤
- ହଁ, ଗେହିଁବା ଠାରୁ ଅଧିକ ମଜା ଆଉ କେଉଁଥିରେ ନାହିଁ୤ ପୁଅ,ତୁ ତୋ ବୋଉକୁ ଗେହେଁ..ଜୋର ଜୋର ଧକା ମାରିକି ଗେହେଁ୤ ତୋ ଗେହିଁବା ତୋ ବାପାଙ୍କ ଗେହିଁବା ଠାରୁ ବେଶୀ ମଜା ମିଳୁଚି...ଗେହିଁ ଗେହିଁ ତୋ ବୋଉ ବିଆକୁ ଫଟେଇ ଦେଏ...ଆଃ ବେଟା... ତୁ ତ ପୁରା ମରଦ ହେଇ ଗଲୁଣି୤ ଯେ କୌଣସି ମାଇକିନିଆ କି ଟୋକିଙ୍କି ଗେହିଁ ପାରିବୁ... ଗେହେଁ ମୋ ରାଜା...ଜମେଇ କରି ଗେହେଁ୤
ବିନୋଦ ଲମ୍ବା ଲମ୍ବା ଷ୍ଟ୍ରୋକ ମାରି ଗେହିଁ ଚାଲିଲା୤
- ତୁ ତୋ ବୋଉକୁ ଗେହିଁଚୁ ବୋଲି କାହାରି ଆଗରେ କହିବୁ ନାହିଁତ୤
: ନାହିଁ ବୋଉ...କେବେ ନୁହେଁ୤
ବିନୋଦ ତା ବାଣ୍ଡକୁ ଜୋରରେ ଦାବିଲା୤ କୁନା ଗେହିଁବା ସୁଖ ଉପଭୋଗ କରି ଚାଲିଲା୤ ତା ପାଟିରୁ ଅସ୍ପଷ୍ଟ ଶିତ୍କାର ବାହାରିବାକୁ ଲାଗିଲା୤
- ଆଃ...ବହୁତ ଭଲ...
: ତୁ ଯଦି ଆଉ ଥରେ ଲଙ୍ଗଳା ନ ହେବୁ ତାହେଲେ ମୁଁ କାହାରି ଆଗରେ କେବେବି କିଛି କହିବି ନାହିଁ୤
- କାହାରିକୁ ଯଦି ନ କହିବୁ ତେବେ ମୁଁ ତତେ ପ୍ରତିଦିନ ଗେହିଁବା ପାଇଁ ଦେବି...ମୋ ବିଆ ଚାଟିବାକୁ ଦେବି...ମୁଁ ତୋର ରାଣ୍ଡୀ...ତୁ ମୋତେ ସବୁଦିନେ ଗେହିବୁଁ୤ ପୁଣି ତୋର ଏଇ ମସ୍ତ ବାଣ୍ଡ ପାଇଁ ମୁଁ ନୂଆ ନୂଆ ବିଆ ଯୋଗାଡ଼ କରି ତତେ ଦେବି...ଆଃ...ଗେହେଁ...ଗେହେଁ...
ମାଆ ପୁଅ ଦୁହେଁ ଦୁହିଁଙ୍କୁ ଜାବୁଡ଼ି ଧରିଲେ୤
: ବୋଉ ମୋର କ’ଣ ହଉଚି...
କୁନା ଜାଣିଲା ବିନୋଦର ବୀର୍ଯ ବାହାରିବା ବେଳ ହେଇ ଗଲାଣି୤ କୁନା ଠିକ‌୍‍ କଲା ଯେ, ଯେହେତୁ ତା ପୁଅର ଏଇଟା ପ୍ରଥମ ଗେହିଁବା ତେଣୁ ସେ ତାକୁ ତା ବିଆ ଭିତରେ ବୀର୍ଯ ଛାଡ଼ିବା ପାଇଁ ଦେବ୤ ସେ ତ ଅପରେସନ ହୋଇଛି୤ ତେଣୁ ଭିତରେ ବୀର୍ଯ ଛାଡ଼ିବାଲେ କିଛି ଅସୁବିଧା ହେବନାହିଁ୤ ସେ ବିନୋଦର ପିଚାକୁ ତା ଜଙ୍ଘରେ ଗୁଡେ଼ଇ ରଖିଲା୤ ବିନୋଦକୁ ତା ବିଆକୁ ଅନୁଭବ କରିବା ପାଇଁ ଦେଲା୤ ସେ ବି ଚରମ ଅବସ୍ଥାରେ ପହଂଚି ଯାଇଥିଲା୤ ପୁଅକୁ ଜୋରରେ ଜାବୁଡ଼ି ଧରି ଘନ ଘନ ଚୁମା ଦେଲା୤
: ବୋଉ,ଏହା ହେଉଛି ମୋ ଜୀବନର ସବୁ ଠାରୁ ଭଲ ସୁଖ ଓ ଆନନ୍ଦ ଦାୟକ କାମ୤
- ହଁ ବେଟା୤ ତୁ ତୋ ବାପା ଠାରୁ ଭଲ ଗେହୁଁଚୁ୤ ଆମେ ଏକା ଥିବା ବେଳେ ଯେ କୌଣସି ସମୟରେ ତୁ ମତେ ଗେହିଁ ପାରିବୁ୤
କୁନା ବିନେଦକୁ ତା ଦୁଇ ବାହୁରେ କୁଂଢ଼େଇ ଧରିଲା୤
 - ହନି, ତୋ ବାଣ୍ଡ ଯେତେବେଳେ ପୁଣି ଟାଣ ହୋଇ ଯିବ ସେତେବେଳେ ତୁ ଆଉ ଥରେ ଗେହିଁବୁ୤
ସେଦିନ ରାତିରେ ସେହି ରୁମରେ କୁନା ର ଅନ୍ୟ ତିନିଟା ପିଲା ଶୋଇଲେ ବି ସେ ତା ୧୫ ବର୍ଷର ପୁଅ ବିନୋଦ ପାଖରୁ ଗେହିଁବାର ମଜା ଚାଖିଲା୤ ଏତେ ଛୋଟ ବେଳୁ ବି ବିନୋଦର ବାଣ୍ଡଟା ତା ବାପା ବାଣ୍ଡ ଠାରୁ ଆହୁରି ମୋଟା ଆଉ ଆହୁରି ଲମ୍ବା ଥିଲା୤ ସେଦିନ ରାତିରେ ବିନୋଦ ତା ବୋଉକୁ ପୁଣି ଥରେ ପୁରା ୪୫ ମିନିଟ‌୍‍ କାଳ ଜୋର ଜୋର ଗେହିଁଲା୤ ତା ବିଆ ଭିତରେ ବୀର୍ଯ ଛାଡ଼ିବା ପରେ କୁନା ଏତେ ଖୁସି ହୋଇ ଗଲାଯେ ପୁରା ୫ ମିନିଟ‌୍‍ ପର୍ଯନ୍ତ ସେ ବିନୋଦକୁ କୁେ‹ଇ ଧରି ଚୁମା ଦେଲା୤
ବିନୋଦ ପଚାରିଲା - ବୋଉ, ତତେ ଭଲ ଲାଗିଲା ତ?
କୁନା ବିନୋଦ ଛାତରେ ତା ବଡ଼ ବଡ଼ ଦୁଧକୁ ଦାବି ତା ଓଠରେ ଗାଢ଼ ଚୁମା ଦେଇ ଗୋଟାଏ ହାତରେ ନରମ ହୋଇ ଯାଇଥିବା ତା ବାଣ୍ଡକୁ ଆଦର କରୁ କରୁ କହିଲା - ତୁ ତ ପୁରା କମାଲ କରି ଦେଲୁ୤ ତୁ ତ ବୋ ବାପାଙ୍କ ଠାରୁ ଶହେ ଗୁଣ ଭଲ ଗେହୁଁଚୁ୤

डांस काम्पटीशन और चूत मस्ती (Dance Competition Aur Chut Masti)

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मैं bhauja.com का नियमित पाठक हूँ, मेरा नाम रिकी और मेरी उम्र 30 वर्ष है, मैं लखनऊ का रहने वाला हूँ।
यह कहानी आज से 4 साल पहले की है।

मेरा एक दोस्त है जोकि एक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित कराने वाली चलाने वाली संस्था चलाता है।
एक बार उसने एक डांस कम्पटीशन आयोजित कराया और उस काम्पटीशन के बारे में अखबार में प्रकाशित कराया, उसमें आयोजक के रूप में मेरा भी मोबाइल नम्बर दे दिया।
कुछ दिन बाद मेरे मोबाइल पर एक लड़की की कॉल आई, उसकी आवाज बहुत मीठी थी। उसने मुझसे काम्पटीशन के बारे में जानकारी ली और फोन काट दिया।
दो दिन बाद उसका फोन आया कि उसे फार्म जमा करना है, कहाँ जमा होगा।
मैंने उसे उस स्थान का पता दिया जहाँ फार्म जमा होना था। उस दौरान मैं भी वहाँ पहुँच गया।
जब वो फार्म जमा करने आई तो मैंने देखा कि वह एक सांवले रंग की लड़की थी, उम लगभग 19 साल तीखे नैन-नक्श, 34-26-36 का फिगर, बिल्कुल मस्त माल।
मैंने उसका फार्म ले लिया और वहाँ जमा करा दिया। उस दिन के बाद से कभी कभी वह मुझे फोन करके कार्यक्रम की जानकारी लेती रहती, मैंने बातों बातों में उससे कह दिया कि उसकी आवाज बहुत अच्छी लगती है मुझे।
फिर डांस काम्पटीशन के दिन उसे द्वितीय पुरस्कार मिला डांस में। मैंने उससे पार्टी देने को कहा तो वह मान गई।
कुछ दिन बाद रविवार को उसका फोन आया कि वह मुझे पार्टी देना चाहती है तो मैं उसको लेने पहुँच गया।
वो चूड़ीदार सलवार सूट पहन कर आई थी, बहुत मस्त लग रही थी।
बाईक से हम दोनों एक रेस्टोरेन्ट गये, वहाँ खाया पिया फिर हम लोग रेजीडेन्सी गये, वहाँ कुछ देर टहले तो वहाँ बहुत से जोड़े चुम्बन आदि करते नजर आये तो वह शर्मा गई।
मैंने उससे कहा कि मैं भी उसे किस करना चाहता हूँ तो वह कुछ नहीं बोली।
मैंने झट से उसके होठों से अपने होठों को मिला दिया और किस करने लगा।
धीरे-धीरे मेरा एक हाथ उसके एक वक्ष पर गया तो उसने मेरा हाथ हटा दिया और अलग हो गई।
फिर वह कहने लगी कि यहाँ से चलो।
मेरे मनाने पर भी वह नहीं मानी फिर मैं उसे उसके घर छोड़ आया।
दो दिन हमारी बात नहीं हुई फिर तीसरे दिन उसका फोन आया तो मैंने उसे सॉरी कहा तो उसने कहा- मैं तुमसे नाराज नहीं हूँ बल्कि तुम मुझे अच्छे लगने लगे हो और मैं तुमसे मिलना चाहती हूँ।
मैंने कहा- कल मिलते हैं!
तो उसने हाँ कह दी।
अगले दिन मैंने ऑफिस से छुटटी ली और उसको ले कर जू (चिडि़याघर) गया, वहाँ हम लोगों ने बोटिंग की, घूमे फिरे।
फिर मैं उसको एकान्त की तरफ लेकर गया और वहाँ ले जाकर किस करने लगा।
थोड़ी देर बाद वो मेरा साथ देने लगी, धीरे-धीरे मैंने उसके एक वक्ष को पकड़कर सहलाया तो उसने मेरा हाथ हटा दिया।
फिर मैंने हाथ रखा, इस बार उसने कुछ नहीं कहा।
मैं उसके वक्ष को दबाने लगा… क्या मस्त दूध थे। उसके निप्पल कड़े होने लगे तो मैं समझ गया कि यह गर्म हो रही है।
मैंने धीरे से उसका कुर्ता ऊपर किया और ब्रा के ऊपर से दूध को चूसने लगा।
वो सी सी की आवाज निकाल रही थी, फिर धीरे से उसने कहा- ब्रा हटाकर चूसो!
उसका इतना कहना था कि मैं तुरन्त उसके ब्रा को ऊपर करके दोनों दूध बारी-बारी चूसने लगा, वह मेरे बालों को सहलाते हुये मेरा सर अपने सीने पर दबा रही थी। मैं उसके दोनों उरोजों को मसल रहा था चूस रहा था फिर मैंने धीरे से अपनी जीन्स की चेन खोलकर उसका हाथ अपने सामान पर रख दिया।
दोस्तो, मैं झूठ नहीं बोलूंगा, मेरा लण्ड 5 इंच का है।
वह धीरे धीरे लण्ड सहलाने लगी, मैंने अपना एक हाथ उसकी सलवार में डालकर उसकी चूत को पैन्टी के ऊपर से सहलाने लगा, उसकी पैन्टी गीली हो चुकी थी।
मैं उसकी सलवार का नाड़ा खोलने लगा तो उसने मना कर दिया कि यहाँ ठीक नहीं।
फिर हम दोनों ने अपने-अपने कपड़े ठीक किये और चल दिये।
शाम को उसका फोन आया और फोन पर हम लोगों ने खूब मस्ती/सेक्स किया। फिर उसने बताया कि उसके घर वाले सन्डे को सुबह सुबह पूजा करने हेतु लखनऊ से 24 किलोमीटी दूर चन्द्रिका देवी जायेंगे और वहाँ दोपहर हो जायेगी लौटने में।
मैं सुबह 7 बजे उसके घर के पास पहुँच गया, जब देखा कि उसके माता-पिता, चाचा और उसकी छोटी बहन चले गये तो मैंने उसे फोन किया तो उसने कहा- थोड़ी देर में आ जाना!
फिर मैंने जलेबी रबड़ी का नाश्ता पैक कराया और उसके घर पहुँच गया।
दरवाजा खोलते ही मैं अन्दर गया और वह दरवाजा बन्द करते ही मुझसे लिपट गई। मैंने उसको अलग किया और उसको देखा तो देखता ही रह गया, उसने सिल्क लाल रंगी की पारदर्शी नाइटी पहन ली थी और उसके नीचे उसी रंग की ब्रा और पैटीं।
उसकी नाइटी ऊँची होने के कारण उसकी पैंटी को बमुश्किल छुपा पा रही थी।
मैं यह देखकर पागल सा हो गया और उसे बाहों में लेकर चमूने लगा। वो भी मुझे बेतहाशा चूमने लगी।
चूमते चूमते हम उसके कमरे में पहुँच गये जहाँ वो मेरे कपड़े खोलने लगी और एक एक करते सब कपड़े उतार दिये और मेरा लण्ड पकड़कर सहलाने लगी।
मैंने भी उसकी नाइटी और ब्रा खोल दी और उसके उरोजों को मसलते हुये चूसने लगा।
वो बहुत गर्म हो रही थी, फिर मैं जो जलेबी-रबड़ी लाया था उसमें से कुछ रबड़ी निकाल कर उसके पेट, उरोजों, गले और होठों पर गिराने लगा।
यह देखकर उसकी आंखें और नशीली होने लगी, मैं उसके पूरे बदन का रस चाटने लगा।
फिर मैंने कुछ रस अपने लण्ड पर गिराकर उसको चूसने के लिये बोला तो वह पहले मना करने लगी, फिर धीरे धीरे चूसने लगी। उसे मजा आने लगा तो वह कस कस कर चूसने लगी, मुझे लगने लगा कि मैं उसके मुंह में ही पानी गिरा दूँगा।
तो मैंने उसको अलग किया और उसकी पैंटी उतारकर उसकी चूत सहलाने लगा, वो आंखें बन्द कर मजा लेने लगी, उसके मुंह से सी… सी… उंह… उउई उउह आहहहहह की आवाजें निकल रही थी।
फिर वह कहने लगी कि अब और मत तड़पाओ, अब करो।
तब मैंने उसको कण्डोम देकर अपने लण्ड पर चढ़ाने को बोला तो उसने चढ़ाया और पैर फैलाकर लेट गई।
मैंने उसकी दोनों टांगें अपने कन्धों पर रखी और अपना लण्ड का सुपारा उसकी चूत पर रखकर रगड़ने लगा और धीरे धीरे अन्दर डालने लगा।
चूत चिकनी होने के कारण सुपारा आसानी से चला गया, उसको दर्द होने लगा तो वह कहने लगी- निकालो बाहर… मुझे नहीं कराना…
फिर मैंने थोड़ा झटका देकर अपना लण्ड अन्दर कर दिया, वह उछल पड़ी और चिल्ला पड़ी। मैंने जल्दी से उसके मुँह को दबाया ताकि आवाज बाहर न जाये और उसे किस करने लगा और बिना हिले डुले उस पर लेटा रहा।
थोड़ी देर बाद वह अपनी कमर हिलाने लगी तो मैंने भी झटके लेने शुरू किये।
पहली बार में मैं जल्दी ही झड़ गया, जब उठा तो देखा कि निरोध पर हल्का सा खून लगा था, मैं समझ गया कि आज एक कली फूल बन गई।
फिर हम लोगों ने नाश्ता किया और नहाने साथ में गये।
वहाँ मैंने उसके सारे बदन में साबुन लगाया और फिर उसे झुकाकर पीछे से उसकी चूत में डाल दिया।
थोड़ी देर बाद उसके पैर कांपने लगेतो मैं समझ गया कि यह झड़ने वाली है और थोड़े झटकों के बाद उसने पानी छोड़ दिया।
मैं उसे उठाकर बिस्तर पर लाया और लगभग 15 मिनट चुदाई की।
वह दो बार और झड़ी फिर मेरा भी पानी निकल गया और हम लोगों चिपक कर लेट गये।
लगभग 12 बजे मैं उसक घर से निकल गया।
तब से 2 साल तक मैंने उसे खूब चोदा।

ମୋ ଦୁଖିଃ କୁନି ନାନୀ କୁ ଖୁସି କଲି (Mo Dukhi Runu nani ku Khusi kali)

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E moro prathama gapa. Mu regular net re sex story padhe. Bhabili mu mora real life story lekhibi. Mu setebele Bsc 3rd year padhuthili. More parents gaon re rahanti. Tenu mu hostel re rehuthili. Mora jetebele final exam setebele mora mamu jhia Runu ra bahaghara hela. Tanku 24 years mote setebele 19 years. Mora final exam ki karan mu asi parini nahi. Exam pare asili. Setabelaku bahaghara 4 din hoi thila.



Astha mangula para dina Runu mamu gharaku asila. Tankar husband mandhaya asithile. Se army re thainti. Tenu ta para dina tankara chandigarh jibara thila. Runuku mamu ghare chhadi jibara plan thila. Sedina mu Runu nani ku dekha karibaku mamu ghar ku gali. Jhunu nani ra introduction dei diye. Jhunu nani mo thu 5 years bada. Syamala colour kintu physic pura bhayankara. Tankara doodh dita duita Nengeda amba aau over size. 
Anta patala sangaku gandi dita bahut attractive thila. Tankara bala guda bhi kunchu kunchia. Tanka katha bhabi bahut thara muthi mariachi. Kintu samanare kichhi sahas kareni. Mote dekhi se kundhi pakeila setebele ta dudha dita mo dehare chapi hoi gala. Mo deha kana hoi gala. Ta pare mu nua bhinei sangare katha heli. Lunch pare mu ama gharakuu jibaku baharile. Mamu kahile to 2/3 dina rahi ja karan ghare kehi nahanti. 
Mamu ta para dina business kamare 2/3 dina pai baharaku jibara thila. Mamunka pua bahaghara para dina hostel palei thila. Mu mana kari parili nahi badhya hoi rahili. Ta para dina sakalu mamu palei gale. Bhineinka train ratire thila tenu se sandhya 5 re gale. Mu tanku bus stand re chadi dei achli. Marketre mora bahut puruna sanga dekha hele. Mu agaru mamu ghare summer vaction re pura asi rahe. 
Tenu tanka gaon re mora bahut sanga thile. Semanka sahita katha hoi mamu gharaku pherila belaku rati 9pm hoithila. Mo mami (wife of mamu) nida tablet nai soithanti. Karana tankara high BP daily se tablet nei suanti. Runu nani seta belaku TV room re soi dekhuthile. Mote dekhi kahile ja fresh hoi ja tate khaibaku dei mu soibi. Mu tanka katha mani fresh hebaku chali gali. Asila belaku se khaiba badhi dei thile. Mu khai ki soibaku gali. More bichhana tv room re thila. Sedina Friday thila. Friday re late night film diye. Tenu mu na soi film dekhibapai tv on kari thai. Kichi samaya pare Runa nani mo room ku asile.
Runu nani: ete ratire kana TV dekhuchu tv banda kari soi pada.
Mu: nida hauni.
Runu nani: bahut garam hauchi chale chhata uparaku jiba ghantai khanda soi asiba.
Ta pare ame duita sapa aau duita takia nei chhata uparaku galu. Pakha pakhi sapa pakei soilu. Chhata upare badhila thanda lagu thila. Kichi samaya pare.
Runu nani: tu ta mo bahagharaku asi nathilu mo sasughara bi dekhuni, kebe jibu.
Mu: Tu gale jibi. To sasu ghara sabu bhala na
Runu nani: Sabu bhala je
Mu: puni je kana. So sasu kana kharap
Runu nani: Na se bahut bhala loka
Mu: puni asubidha keunthi.
Runu nani: chhada se katha
Mu bhabili kichi problem achhi. Kichi samaya chup hela pare.
Mu: bhaina kana kharap
Runu nani: na
Mu: tara ta sasu bhala husband bhala aau kana kharap 
Runu nani: tuta mora sana bhai tate kana kahibi.
Mu: kana hela kahunu.
Runu nani: kahibaku laja laguchi
Mu: moo pakhare laaja kana. Kana hela kaha.
Runu nani : o bhinei jane napusaka. Tankara banda bahut chota aau naram mo biare purei paru nahanti.
Mu e katha suni chhania hoi gali.
Mu: asubidha kana heuchi.
Runu nani: tankara ta uthuni.
Mu jani gali bhinei purau purau tankara bahari jauchi karan Runu nani ete sexy kia ba sambhali pariba.
Mu: seta kichi major problem nuhe
Runu nani: Tu kana janichhu. Janila bhalia kahuchhu
Mu: mu janichi problem kana.
Runu nani: kana
Mu: kahila belaku laaja laguchi. 
Runu nani: mu kahilabele alajuka bhaliya sunilu matra kahila belaku laaja laguchi. Kaha. Etiki bele se uthi asi mo pakhare basile. Aau mo hata dhari kahile
Runu nani: please kahana kana janichu. Seta belaku mo banda pura tan tan. Jhuna nani tanka bala kholi dei thile lal sadhi sangaku nua nua sindura lagei thile. Janha ratire jaha dekha jau thanti bhabila belaku mo deha kana hei jauchi.
Mu: hau kahuchi suna. Bhainanka sighra bahari jauchi. Tora uthila purburu tankara bahari jauchi. 
Runu nani: kana doctor bhalia kahuchi. Hele tankara ta banda pura choota aau patala.
Mu: samastanka banda saman nathe. 6inch to 12 inch praya lognkara thai. Maximum 6 inch. Jana jana nka 3 inch /4 inch thai.
Runu nani: 12 inch mani hate eta bada kana thai
Mu: ha jana jana nkar thae.
Runu nani: tara kete inch
Mu: 9 inch
Ta pare ame di jana chup chap hoigalu. Kichi samaya pare.
Runu nani: tu ete katha janilu kemiti
Mu: hostel re friends mane sex magazine padhichi. Setharu janichhi.
Runu nani: aau kana janichu
Mu: Sabu janichi tu kana pachare
Runu nani: tu kahu thilu mara uthila belaku tankara bahiri jauchi. Kana karibi.
Mu: Bhainaanku kahibu age tora udheibe. Tora uthi gala pare tote gehibe.
Runu nani: kemiti utheibe.
Mu: utheiba keta prakar aschi. Seta kana kahi heba. Bhainanku kahibu se janithibe.
Runu nani: se kichi jani nahanti. Please kahana.
Mu: kahibaku laaja laguchi.
Runu nani: kichi kahana. Please mora thare uthei dei batei de a 
Mu e katha suni believe kari paru nathili. Ta pare se muha uparaku kari akhi bujhi soiba action kari soile. Mo deha kana hoi jau thila. Kichhi karikaku sahas heu na thila. 
Ta pare kichi samaya pare mu sidha mo hata nahi tanka peta upare rakhili. Sange sange tanka muharu aah bahari padila. Dhire dhire thanka pata re hata chalau chalau tanka doodh ku dharili. Kana se doodh pura lamba lamba aau tight. Dhire dhire tankara blouse kholi deli se hata pachhare purei tankara Bra ku kholidele. Tapare tanka dudhaku chipikaku lagili. 
Runu nani: Dhire dhire mote katuchi.Chhat upare free lagibani chale talaku jiba.
Mu: hau chala Ta pare ame dui jana talaku asigalu. Tanka room ku galu. Se bhitaru kabata dei dei zero light lagei dele. Zero light red thila red light sangaku red colour sidhi jemuti se gotie sex bomb bhalia laguthila. 
Runu nani: To hostel re jete sex magazine padhichu tara aji practical exam heba.
Mu: hau mo katha maniba.
Runu nani: aji ratire mu tora, tu jemiti kahibu seya karibe. Eya kahi se mo hataku nei tanka biare madi dhrile. Mu aau sambhali parili nahi. Tanku kundhei dhaili. Tankara dudha dita ku dhire dhire patire purei chuchumibaku lagili. 
Se dhire dhire mo pithi re hat chalau thile. Tapare sudden mo bandaku dekhi chamki gale. Aau kahile tora eta banda na bamboo. E ja thei pasiba chhetara karideba. Eta ta pura junglee laguchi.
Mu: taku posa manei de, tapare dekhibu se kemiti to bia sangare kheliba.
Runu nani: kemiti posa maniba.
Mu: ta sangare tike khele, gela kara, se ape ape posa manijiba. Mu tankara sabu kapada kholi deli. Se mandhya mora sabu kapada kholi dele. Kya seen tha Mu langala hoi thia hoi thai. Mo samnare se bi langala hoi thia hoi thanti. Ta pare se mote chaire re basi baku kahile. Mu basi gali. Se mo agare anhei tale basigale. Ta pare mo bandaku dhile dhile aunsibaku lagile. Mora banda setebelaku pura uthi jai thila.
Mu: Please nani mo bandaku tike chuchuma.
Runu nani: chhi chhi ete asana katha kouthu sikhilu.
Mu: English film re ta samaste sex kala purbaru bandaku chuchumanti.
Runu nani: aau kana kana English film re karanti
Mu: bai ku mandhya chatanti aau gandire mandhya gihanti.
Runu nani: tu ete badmash. Kahi mo bandaku jore re patire purei chuchumikaku lagile.
Mu: aaaah, Nani dhire dhire mu aau samhali paru ni. Runu nani: ete bada bada katha kahuthilu. Etiki belu thaki galunu. Practical re fail karidebi.
Mu: practical re ta 100 ru 100 rakhibi. Khali dekhi chalo. Se mo banda ku chuchumi chalithanti mu tankara khola bala ku jabudi dharithilli. Ta pare mo bandara sabu rasa baharigala. 
Nani sabu khai dela. Mu kebe bhabi nathili se taku sabu khai deba.
Runu nani : Tora ta bahari gala. Karibu kemiti.
Mu: tame se katha kanhiki chinta karucha. Mu tama bia rasa khai sare ta pare tama bia ku gehi gehi chhetera karibi. Ta pare tanku teki nei khata upare soi deli. Ta pare tanka bia ku papulire jabudi dharili. 
Runu nani: ooho katuchi. Dhire, emiti pagal bhaliya heuchu.
Mu: to bia ku dekhi mu pagal hei galini. Ta pare mu dhire dhire ta biaku aaunsi ta bia re mo anguti pureili. Ta bia pura garam garam laguthila. Nani akhi bujhi khali aaaaaa.hoooooo karuthila. Mo ta goda dita teki deli. Ta bia ku chati baku lagili. Se mo bala ku jore dhari thanti. Mu jor jor chatibaku lagila. 
Mu kana karu thai mu nije jani paru thai. Mo tanka bia ra singadaku jorere chuchumi deli. Se jore chilei basi gale. Aau tanka biaru bhasakina menchai pani bahari gala. Se kahile please aau samhali paribini mete kana kara.
Mu: kana karibi
Runu nani: bhaunigiha to bhauniku genhiki ta bia ku phatei de.
Ta pare mu tanku madi basi tanka othaku chuchumikaku ligili seta belaku mo banda puni uthi jai thila se mo bandaku jabudi dhari tanka bia re pureibaku chestha karuthile aau mo othaku kamudi dhari thanti. Bandaku jemiti tanka bia gata munhare rakhile mu jor ki madi deli, banda sat kina adha pasi gala. Se chilei kahile dhire prabala katuchi.
Mu: Bhaina banda chota paduthila bhai banda katuchi kahuchi. To bia pani mariba kemiti.
Runu nani :- Tori bandare mariba dhire dhire mare nale to banda ku sambhali napari mu mari jibi. Ta pare mu dhire dhire karili. Se chilou thila. Tenu mu dhile dhire speed badheibaku lagili. Nani jor jor se chileibaku lagila. Tenu mu speed kamei delee. 
Runu nani: speed kana pai kamei delu
Mu: tu chileuchu mani uthiba 
Runu nani: Se nida tablet khaichi sakal 9 re uthiba. Mu jete chileile bi tu to kama kari chale. Kintu dhire dhire karibu, prabala katuchi ta pare mu tanku soi dei tanka gandi tale gotie takia dei deli. Mu aanthe tanka biare banda bud hire dhire purei gehibaku lagili.Tanka gandi ta sahaje ucha aau takia dela pare pura bia jemiti upar munha hoi rahi thai. Banda jetebele bhitaraku jau thilajemiti lagu thila tanka bia bhitara pura 
Garam laguthila aau banda bahari bele garam garam lala banda sangare bahari asuthila. Mu dhire dhire speed badhei chalili. Nani chilouthanti. Mu jani parini nahi ketabela mo banda pura bia bhitare pasi jai thai. Ta pare mu bandaku nini biare pupa bahar kari anuthai aau purau thai tanka biaru jhar jhar hoi pari baharu thai. Ta pare nani uthi mode madi basile mote sio dei mo upare basi mo bandaku tanka biare purei upar tala hebaku lagile. 
Mu tanka dudha duita ku jabudi dharili aau jor jor se chipibaku ligili. Se jor jor re kari chali thanti. Tanka biara rasa bahari mo peta gila hoi jai thai. Ta pare mu nani ku aanthei kali.thia kari pachha adu biare bandaku purei dudha ditaku dhari genhili. Nani jemiti sense less hela bhalia lagu thila mu bhabili aji pai ta biara pani mari gala. Taa pare taku teki nei bed usare gadei padei genhili o bandara rasa ta bia bhitare chadi deli. 
Se mote jabudi dharila. Mu tau pare soi thai. Ketebele nida hei gala jani parili nahi. Toilet lagila mo nida bhangigala. Puni thare nani ku karili. Se soithai. Sakualu uthi aame dui jana gadhei sarila pare mani uthile. 3 night rati sara ginha ginhi helu. Nani jani suni mami ko nind tablet overdose de deti thi. 3 days pare mamu asile. Mu ama gharaku paleili. Nani mandhaya 15 days pare bhainanka pakhaku paleila. Mu thare 1 week pai 
Chandigarh gali karan bhaina eka gaon asibara thila nani eka rahi pariba nahi boli mote daki thile. 7 din/raat nani sangare enjoy kali. Ebe nani ku 45 years ebe bi mauka milile mote se gehibaku mate request kare. Tara 2 chieldred thathapi. Se mo babda bhuli paruni. 5 min chance milile sidha se mote kahe genhibaku. Mu taku car bhitare, bath roomer, bari ade thhia thhia kare. Barsare thare di thara mo thu ginha na khaile ta munda kharap hoi jaye. Jemiti hele bahana kari mote bheta kare. 42 barsare bi se semiti sexy attitude rakhichi.

फेसबुक वाली प्रिया की चूत चुदाई

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Bhauja.com के सारे पाठकों को मेरा नमस्कार। मेरा नाम कुश है.. मेरी उम्र 24 साल है। मैं अन्तर्वासना बहुत पुराना पाठक हूँ.. मैं इसकी हरेक एक कहानी पढ़ता हूँ। आज सोचा कि चलो अपनी भी एक कहानी लिख देता हूँ.. जो अभी थोड़े महीनों पहले ही घटी है।

यह कहानी मेरी और मेरी एक दोस्त प्रिया की है। प्रिया की उम्र 18 साल है.. हम दोनों अहमदाबाद (गुजरात) के रहने वाले हैं।
जनवरी महीने की बात है.. जब प्रिया ने मुझे फेसबुक पर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी थी। हम एक-दूसरे को जानते भी हैं.. लेकिन कभी बात नहीं की थी.. फेसबुक पर जुड़ जाने के बाद यह मौका था खुल कर बात करने का और उसे चोदने का प्लान बनाने का.. तो मैंने उसकी रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर ली। वैसे लड़की की रिक्वेस्ट आए और कोई एक्सेप्ट न करे.. ऐसा होता नहीं है।
हमारी पहली बार बात मकरसंक्रांति पर हुई.. उसने मुझे फेसबुक पर मैसेज भेजा और बस उस दिन से हमारी बात होने लगी।
उसी दिन से मैं उसे चोदने के सपने देखने लगा.. वो दिखने में मस्त फाडू माल थी। उसकी गांड बहुत बड़ी और उठी हुई थी। उसके चूचे पके हुए आम की तरह भरे और तने हुए थे।
बस उसका नेगेटिव पॉइंट कहो तो सिर्फ उसकी हाइट थोड़ी कम थी.. लेकिन उससे चोदने वाले को क्या फर्क पड़ता है.. मुझे तो बस उसे चोदना ही था।
उससे बातचीत होने लगी और एक दिन तो मानो मेरा तो नसीब ही खुल गया.. जब उसने खुद ही सामने से मुझे ‘आई लव यू’ बोल दिया.. फिर तो क्या था.. जैसे मुझे उसकी चूत मारने का लाइसेंस मिल गया था।
फिर एक दिन हमने उसके घर पर मिलने का प्लान किया और प्लान के मुताबिक मैं उसके घर गया.. घर पर मैं और वो और उसकी चचेरी बहन थी।
मैं उसके पास जाकर सोफे पर बैठ गया और उसके जिस्म को स्पर्श करने लगा.. तो वो शर्मा गई और बोली- यहाँ नहीं.. कमरे में चलते हैं.. इधर मेरी बहन देख लेगी।
तो हम दूसरे कमरे में चले गए.. कमरे में जाते ही मैंने अपनी चुदास के चलते.. उसके कपड़े निकाल दिए और उसने मेरे उतार दिए।
फिर भूखे शेरों की तरह हम दोनों एक-दूसरे के ऊपर चढ़ गए। उसके बड़े-बड़े मम्मे मुँह में आम की तरह दबा कर चूसने लगा और वो बोले जा रही थी- जान.. आई लव यू सो मच।
मेरी ऊँगली उसकी चूत के अन्दर-बाहर हो रही थी और वो ‘आह.. आह..’ करे जा रही थी।
थोड़ी देर ऐसे ही होंठों पर चुम्मी.. फिर मम्मे और चूत पर हाथ फेरने के बाद.. मैंने 6 इंच का खड़ा लंड उसके मुँह में लगा दिया और वो अपनी जीभ से लपालप चचोरने लगी मानो लॉलीपॉप चूस रही हो.. ठीक उस तरह लौड़े को चूसने लगी।
उसकी जुबान की सुरसुराहट से मेरा हथियार और भी कड़ा होने लगा।
थोड़ी देर ऐसे ही लण्ड चुसवाने के बाद हम दोनों 69 की अवस्था में आ गए। अब वो मेरा लंड चूसने लगी और मैं उसकी चूत चाटने लगा। मेरी जीभ की वजह से वो इतना कामुकता के इतने गहरे नशे में आ गई थी कि उसने अकड़ कर अपनी चूत का पानी छोड़ दिया।
फिर वो बोली- जान.. अब बस अब मार लो मेरी चूत.. अब मुझसे सहा नहीं जा रहा।
मैं लंड को उसके मुँह से निकाल कर सीधा उसकी चूत के छेद पर आ गया। मैं लंड का सुपारा उसकी चूत पर रगड़ रहा था.. तो वो बहुत सिस्कारने लगी और ‘आह.. ओह्ह.. ओह्ह.. आह..’ करने लगी।
फिर थोड़ी देर लौड़े को चूत के मुँह पर ऐसे ही रगड़ने के बाद मैंने मेरा तना हुआ लंड उसकी चूत में धीरे-धीरे डालना शुरू किया और थोड़ा सा झटका मारा.. तो वो चीख पड़ी और मेरा आधा लंड उसकी चूत में घुस गया था।
वो छटपटा कर बोल रही थी- बस.. इतना ही रहने दो.. अब और मत डालना..
वो अपने हाथ से मुझे रोकने लगी.. पर मैं कहाँ मानने वाला था.. मैंने अपने होंठों को उसके होंठों पर लगा दिए और फिर एक और बमपिलाट धक्का मार दिया और मेरा पूरा 6 इंच का लंड उसकी चूत को फाड़ते हुए जड़ तक अन्दर घुस गया।
वो अकबका उठी और उसी आँखों में से आंसू भी निकल आए.. पर वो चीख नहीं सकी क्यूँकि मेरे होंठ उसके होंठों पर जमे थे। मैंने महसूस किया कि उसके पैर थोड़े काँप रहे थे.. तो मैं थोड़ी देर ऐसे ही उसके ऊपर पड़ा रहा.. उसे सहलाता रहा।
थोड़ी देर बाद जब वो शांत हुई.. तो फिर मेरे लंड ने उसका काम करना शुरू कर दिया और लौड़ा अपनी पूरी ताकत से मेरी प्रिया जान की चूत को चोदने लगा।
कुछ धक्कों के बाद मैंने उससे पूछा- कैसा फील हो रहा है??
तो उसने मेरे गाल पर थप्पड़ लगाया और फिर मुस्कुरा कर मेरे सीने से लग गई।
फिर क्या था.. उसकी हंसी ने मुझे और तेजी से चोदने को मजबूर कर दिया और मैं उसकी चूत में जोर-जोर से धक्के मार कर उसको पेलने लगा।
वो बोलने लगी- आह.. आह.. ओह्ह.. जान बहुत मजा आ रहा है.. और चोदो मुझे..
मैं भी ये सुन कर और हचक कर चोदे जा रहा था।
करीबन आधे घंटे तक चोदने के बाद उसका चूत का पानी छूट गया और मेरे लण्ड को अपने रज से नहला दिया।
थोड़ी और देर तक चोदने के बाद मेरा भी छूटने वाला था.. तो वो बोली- मेरे मुँह में डालना.. मैं उसका स्वाद लेना चाहती हूँ।
फिर तो क्या था.. जैसे ही मैं छूटने वाला था मैंने अपना लंड चूत से खींच कर उसके मुँह में लगा दिया और सारा वीर्य उसके मुँह में छोड़ दिया..
उसने मेरा लंड बहुत ही अच्छी तरह से चूस कर साफ़ कर दिया।
फिर थोड़ी देर ऐसे ही पलंग पर लिपट कर लेट गए।
उस दिन मैंने उसे 2 बार चोदा लेकिन दूसरी बार उसे अकेले नहीं.. उसके साथ उसकी चचेरी बहन को भी चोदा.. जो हमारी चुदाई की रस्म को छुप-छुप कर देख रही थी।
आपके ईमेल का इन्तजार रहेगा.. अपना प्यार बरसाना और बताना कि आपको मेरी कहानी कैसी लगी।

आह… जान लेगा क्या मेरी? (Aah.. Jaan Lega Kya Meri?)

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दोस्तो.. मेरा नाम शाहनूर आलम है प्यार से सभी मुझे सैम कहते हैं.. मैं हल्द्वानी.. नैनीताल का रहने वाला हूँ।
मैंने Bhauja.com की हर एक कहानी पढ़ी है। मैं काफी समय से सोच रहा था कि अपनी कहानी आप लोगों से शेयर करूँ.. पर वक्त की पाबंदियों से बेबस था.. आज मैं आपको अपनी सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूँ..

बात तब की है.. जब मैं 12वीं क्लास में पढ़ता था। हम लोग 2009 में हल्द्वानी आए थे। मैंने अपने बारे में भी कुछ बता देना चाहता हूँ। मैं बहुत ही सीधा-साधा लड़का हूँ और देखने में काफी आकर्षक भी हूँ।
मैं अधिक मोटा नहीं हूँ.. पर चिकना काफी हूँ.. मेरी लम्बाई 6 फिट है और स्किन का रंग काफी गोरा है.. मेरे होंठ गुलाबी हैं। मेरी चमड़ी लड़कियों की तरह है.. और काफी चमकीले काले बाल हैं। मुझ पर काफी लड़कियाँ मरती हैं।
जब हम हल्द्वानी रहने आए थे.. तब मैं काफी सीधा हुआ करता था.. इन सब बातों में ध्यान नहीं दिया करता था। मेरे सामने वाले घर में एक लड़की रहती थी.. उसका नाम रुबैया था.. वो काफी सुन्दर थी और उसका जिस्म भी बहुत मस्त था.. जैसा मुझे पसंद है।
उस समय उसकी उम्र 23 की होगी और मेरी 18 थी.. पर वो मुझे हमेशा घूर-घूर कर देखती थी। मैं यह सोचता था कि इस कॉलोनी की लड़कियाँ मुझे इतना घूरती क्यूँ हैं? मैं अपनी कॉलोनी में किसी से भी बात नहीं करता था.. क्योंकि मैं उस जगह पर नया-नया आया था।
जब मैं घर से बाहर निकल कर आता था.. तो लड़कियाँ मुझे पीठ पीछे घमंडी कह कर चिढ़ाती थीं और पलट-पलट कर देखती भी थीं।
अब मैं भी कुछ चंचल होने लगा था.. मैंने धीरे-धीरे सबसे बात करनी शुरू कर दी और फिर मुझे रुबैया ने एक दिन अपने घर बुलाया।
वो दो बहनें थीं.. उसकी बड़ी बहन सलमा की शादी होने वाली थी.. तो मैं उनके घर चला जाता था। सब लोग मुझसे काफी अच्छी बात करते थे और मैं भी उन सभी से काफी क्लोज हो गया था।
धीरे-धीरे रुबैया की और मेरी दोस्ती काफी गहरी होती चली गई और मैं रोज़ रात को उसके घर पर जाकर छत पर बैठ जाते था क्योंकि मैं छोटा था.. इसलिए कोई मुझ पर शक नहीं करता था। हम आराम से बातें करते थे।
एक दिन उसने पूछा- सैम, आपकी कोई गर्लफ्रेंड है?
मैंने कहा- नहीं है यार और बनानी भी नहीं है..
उसने कहा- ऐसा क्यूँ..? क्यूँ नहीं बनानी है?
मैंने जबाव दिया- मुझे ये सब ठीक नहीं लगता.. क्या होगा गर्लफ्रेंड बना कर?
मैं उस समय तक काफी चालू हो गया था और अपने स्वार्थ के लिए उसे चूतिया बना रहा था।
वो यह सब नहीं समझ रही थी क्योंकि मैं देखने में भी काफी भोला लगता हूँ।
फिर बातों-बातों मैं एक दिन मैंने उसे कहा- लोग शादी क्यों करते हैं?
उसने कहा- आपको नहीं पता?
मैंने कहा- नहीं पता.. बताओ न यार!
तो वो शरमाई और बोली- मैं नहीं बता सकती।
वो मुझसे मजाक में कहने लगी थी- मैं तो तुझसे ही शादी करुँगी।
मैंने बोला- मैं कभी शादी ही नहीं करूँगा।
उसने कहा- ऐसा क्यों?
‘मुझे तो कुछ पता ही नहीं है शादी के बारे में..’
तो उसने मेरे काफी जोर डालने के बाद सब कुछ बता ही दिया कि शादी के बाद लोग क्या करते हैं।
मैंने हिम्मत करके उसे पूछा- क्या आप भी मेरे साथ ऐसा ही करेंगी?
वो मुझे घूर कर देखने लगी और बोली- सब ऐसा ही करते हैं।
मैंने उससे फिर पूछा- लड़की की ‘वो’ कैसी होती है?
उसने कहा- तुमने कभी गन्दी मूवी भी नहीं देखी है?
मैंने कहा- नहीं देखी है.. मुझे लड़की की ‘वो’ देखनी है।
उसने कहा- क्या अब मेरी देखोगे.. जो इतनी जिद कर रहे हो?
मैंने कहा- हाँ दिखा दो.. दिखाने में क्या जाता है.. मुझे मालूम करना है कि ऐसा करने में क्या मज़ा मिलता है?
उसने कहा- मैंने भी कभी नहीं किया.. पर जब हम इस बारे में सोचते हैं तो काफी मज़ा आता है.. तो करने में न जाने कितना मज़ा आएगा।
मैंने कहा- तुम करोगी मेरे साथ?
तो उसने मुझे मना कर दिया और बोली- तू अभी मुझसे काफी छोटा है.. और मुझे डर भी लगता है.. करना तो मैं भी चाहती हूँ।
मैंने उससे कहा- तो क्या हुआ.. चलो करते हैं न.. कुछ नहीं होगा।
वो मना करती रही।
मैंने कहा- अच्छा बाबा.. हम थोड़ा मज़ा तो कर ही सकते हैं.. ज्यादा नहीं करते हैं ओके।
तो उसने कहा- चल ठीक है।
अब मैंने उसकी आँखों में देखा.. वो मुझे घूरते हुए मेरे करीब आ गई और मेरी गर्दन मैं हाथ डाला और मेरे होंठों पर एक किस कर दिया।
मुझे काफी अच्छा लगा.. और मैं भी उसकी बांहों में समा गया।
वो मेरे होंठों को भूखी शेरनी की तरह चूस रही थी.. उसने मेरी जीभ को अपने होंठों में दबा लिया और मुझे जोर से पकड़ लिया।
फिर उसने चुदास भरी आवाज में कहा- मुझे अपना लण्ड दिखा सकता है तू?
मैंने कहा- पहले आप मुझे अपनी चूत तो दिखाओ।
तो उसने कहा- चल फिर कभी.. अभी यहाँ ठीक नहीं है.. कोई देख लेगा।
मैंने कहा- ठीक है.. आप हाथ लगा कर मेरा भी ऊपर से ही देख लो।
तो उसने कहा- ठीक है..
उसने चुम्बन करते हुए मेरे लण्ड पर हाथ रख दिया और दबाने लगी।
उसने कहा- तू भी मेरी चूत पर हाथ लगा ले।
मैंने उसकी चूत पर सलवार के ऊपर से ही हाथ फेरना शुरू कर दिया। वो काफी गर्म हो गई थी। हम दोनों की साँसें तेज़ चल रही थीं।
फिर मैंने उससे कहा- मैं इसे छूकर देखना चाहता हूँ।
उसने इधर उधर देखा और अपनी सलवार के नाड़े को थोड़ा ढीला कर दिया।
मैंने उसमें अन्दर हाथ डाल दिया.. तो मुझे उसी चूत में हाथ डालने से बड़ा मज़ा आया। मैंने अपनी एक ऊँगली उसकी चूत के छेद के पास लाया और धीरे से छू दिया।
वो एकदम से सिहर गई- उस्श्ह्ह.. ईस्स्श्ह्ह्.. आअह्ह.. अस्स्श्ह्हाअ..
उसकी मदभरी आवाज़ निकलने लगी थी।
उसने कहा- अन्दर मत डाल.. दर्द हो रहा है..
उसने मेरा लण्ड जोर से पकड़ लिया और बोली- बस.. अब रहने दे.. मैं झड़ जाउंगी..
उसने मुझे गिरा दिया और वो मेरे ऊपर आ गई.. और उसने मुझे फिर से चुम्बन करना चालू कर दिया। वो एकदम से अकड़ गई शायद वो झड़ने वाली थी.. उसकी चूत ने शायद पानी छोड़ दिया था.. क्यूँकि उसने मुझे काफी जोर से पकड़ लिया था और अपनी चूत मेरे लण्ड के ऊपर घिसने लगी थी। उसकी आँखें मस्ती में बंद थीं.. तभी मैं भी झड़ गया।
क्या बताऊँ यारों.. इस सब में मुझे बड़ा मज़ा आया और उस दिन हम दोनों चले गए।
अब मुझे चूत वाले तो मिल गई थी और मुझे मौके का इंतज़ार था.. कि कब मौका मिलेगा उसे चोदने का।
उसकी बुर में भी चुदास भर चुकी थी। वो भी मौके की तलाश में थी।
फिर वो दिन आ ही गया.. जो उसे चोदने की हसरत को पूरा करने वाला दिन था।
उस दिन मेरे सब घर वाले कहीं बाहर गए हुए थे.. मैंने उसे बता दिया- आ जाओ आज कोई नहीं है।
वो आ गई और बोली- क्यूँ बुलाया है?
मैंने कहा- थोड़ी मस्ती करते हैं यार..
तो उसने मुझे अपनी बाँहों में भर लिया और एक जोरदार चुम्मी ली और बोली- रात मुझे नींद ही नहीं आ रही थी.. तेरे साथ वक्त बिताने का बड़ा मन कर रहा था।
हम दोनों बेकरार हो कर कमरे में चले गए।
उसने कहा- आज तो दिखा दे अपना लंड मेरे राजा..
मैंने कहा- पहले आप अपनी ‘वो’ दिखाओ..
तो उसने कहा- खुद ही देख ले न..
तो मैंने उसकी सलवार को उतार दिया और उसके कुरते को उतार फेंका।
उसने मेरी पैन्ट उतारनी शुरू कर दी.. अब मैं अंडरवियर में रह गया था और वो ब्रा-पैन्टी में खड़ी थी।
मैंने अपनी लाइफ में कभी किसी जवान लड़की को नंगा नहीं देखा था।
मैंने बेकाबू होकर उसकी पैन्टी भी उतार दी और उसने मेरा निक्कर नीचे को खींच दिया।
अब हम दोनों ही नंगे हो गए था और आपस में चिपक गए।
मैं उसकी रसमलाई सी चूत को देखता ही रह गया.. उसकी चूत पर हल्के रेशमी मुलायम भूरे बाल थे..
वो मेरे लंड को घूर रही थी और फिर पकड़ कर लौड़े को छूने लगी।
मैंने भी अपनी ऊँगली से चूत को फैलाया और धीरे से एक ऊँगली लगा दी।
वो ऊपर को उठ गई और बोली- आआअह्ह.. स्स्स्स्श् ह्ह्ह्ह्ह्.. जान लेगा क्या मेरी?
‘हाँ.. तेरी जान लूँगा..।’
फिर बोली- ये चूत है.. लण्ड इसमें ही तो जाता है.. आराम से कर न..
मैंने फिर अपनी एक ऊँगली उसकी चूत में घुसेड़ ही दी।
वो मना कर रही थी- ऐसा मत कर..
मैंने एक न मानी और करता रहा.. उसकी चूत के साथ चुदाई के इस खेल में वो मेरा लण्ड सहलाए जा रही थी और चुम्बन कर रही थी।
मैंने उसे अपनी बाँहों में भर लिया- रुबैया.. मुझे बड़ा मज़ा आ रहा है..
उसने कहा- मुझे भी बहुत मजा आ रहा है।
हम एक-दूसरे के ऊपर-नीचे हो रहे थे.. इस बीच उसकी चूत मेरे लण्ड से टकरा रही थी नंगे बदन पर लण्ड का चूत से स्पर्श और चूत की लण्ड से रगड़ बड़ा मजा दे रही थी। बड़ी सनसनी हो रही थी।
अब मैंने उससे कहा- क्या मैं अपना लौड़ा चूत में डाल दूँ?
तो वो मना करने लगी.. मैंने कहा- प्लीज करने दो न.. कुछ नहीं होगा।
मेरी काफी जिद करने के बाद उसने ‘हाँ’ कर दी और बोली- तू प्लीज ये किसी और को मत बताना.. ओके।
मैंने कहा- ठीक है.. नहीं बताऊंगा मेरी जान रुबैया..
जबकि वो खुद बहुत चुदासी हो गई थी.. उसने मुझे एक चुम्बन किया और मुझे अपने नीचे लेटा लिया और खुद मेरे ऊपर आकर अपनी चूत को मेरे लंड के निशाने पर लगा कर चूत में लण्ड घुसाने लगी।
वो अपनी कमर से चूत पर जोर देने लगी.. उसकी चूत काफी छोटी और सील पैक थी.. इसलिए मेरा लण्ड फिसल रहा था।
उसकी चूत काफी गीली हो चुकी थी फिर उसने मेरा लण्ड पकड़ा और उस पर धीरे से जोर डाल दिया तो मेरा सुपारा उसकी चूत में फंस गया।
वो “ऒफ़्फ़..” करने लगी.. बोली- मुझसे नहीं होगा.. बहुत दर्द हो रहा है।
तो मैंने नीचे से ही थोड़ा और जोर लगाया तो वो दर्द के मारे और ऊपर को उछल गई और बोली- कमीने.. रुक.. दर्द हो रहा है.. आराम से कर..।
फिर उसे मैंने एक लम्बा चुम्बन किया और उसका ध्यान बंटा दिया और एकदम से जोर से धक्का मार दिया।
वो मेरे होंठों को अपने होंठों में दबा कर रह गई और जोर से आँखें बंद कर लीं.. क्योंकि मैं ही उससे छोटा था.. पर मेरा लण्ड छोटा नहीं था.. चूत में घुसा.. तो पूरा दर्द दिया।
मैंने उसे अपनी बांहों में जकड़ लिया और नीचे से चूतड़ों को उठा-उठा कर उसकी चूत में जितना लण्ड घुसा था.. उसी को अन्दर-बाहर करने लगा।
वो पहले तो चिल्लाती रही.. फिर उसे भी मज़ा आने लगा और उसने धीरे से जोर दिया.. तो मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत में जड़ तक समा गया.. और वो मेरी आँखों में कामुकता भरी नजरों से देख कर खुश हो रही थी।
लौड़ा उसकी चूत में घुसने पर मुझे भी बड़ा मज़ा आया..
यारो क्या बताऊँ.. बड़ी कसी हुई चूत थी साली की..
फिर उसने अपनी कमर चलानी शुरू कर दी चूतड़ों को ऊपर-नीचे.. ऊपर-नीचे करती हुई लौड़े से चूत की खुजली मिटा रही थी।
मैंने भी उसके हिलते हुए चूचों को अपने दोनों हाथों से मसलना शुरू कर दिया।
जब वो ऊपर-नीचे धक्के लगा रही थी तो उसके चूचे उसका साथ दे रहे थे.. हिलते हुए आम.. क्या कमाल के लग रहे थे।
हम दोनों एक-दूसरे से ताल मिला कर चुदाई करते रहे.. फिर मैं झड़ने को हो गया.. क्योंकि मेरा वो फर्स्ट टाइम था और मैंने किसी तरह खुद को जल्दी झड़ने से रोका।
यह सोच कर कि मेरा लंड पहली बार किसी की चूत में घुसा है.. तो मैं जल्दी छूटने को हो गया था।
वो ‘आआह्ह.. आह्ह.. ऊऊह्ह्ह.. आऔ ऊउह्म्म..’ की आवाजें कर रही थी।
फिर वो बोली- जब मैं कहूँ.. तो तेजी से चुदाई करना ओके..
मैंने कहा- ठीक है रुबैया मेरी जान..
फिर कुछ धक्कों के बाद उसने कहा- सैम.. अब जल्दी करो.. प्लीज आह्ह्ह.. आअह्ह्ह.. स्स्स्स श्ह्ह्ह्ह्.. कर न कुत्ते.. चूत फाड़ दे मेरी.. ये चूत तेरी ही है.. आज से मैं तेरी जुगाड़..
तभी उसके हाथ-पैर अकड़ गए.. उसे मेरी कमर इतनी जोर से पकड़ लिया कि मुझे काफी दर्द हुआ।
वो ‘आअह्ह.. स्श्ह्ह.. आआअह.. करते हुई मेरी बाँहों में टूट गई.. वो झड़ गई।
इसी के साथ मैंने भी अपना सैलाब छोड़ दिया था।
फिर हमने एक और राउंड चुदाई का खेल खेला..
उसके बाद वो और मैं जब भी मौका मिलता चुदाई करते थे.. अब उसकी शादी हो गई है.. पर अब मेरा लफड़ा.. उसकी भतीजी से है.. मैं उसे भी खूब चोदता हूँ.. वो शादी के बाद अब भी मेरे साथ चुदाई करने को बोलती है।
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न जाने साली में कितनी अधिक चुदास है.. मुझे तो कभी-कभी लगता है कि उसका मुझे खा ही जाने का इरादा है।
दोस्तो, मैं अब चुदाई का बहुत अनुभवी हो गया हूँ और काफी सेक्सी भी हूँ।
उसके बाद मैंने काफी लड़कियों की चुदाई की है.. उन सबकी कहानी बाद में बताऊँगा अन्तर्वासना पढ़ते रहिए.. और मुठ्ठ मारते रहिए।
मुझे मेल करें.. और ये ज़रूर बताना कि कहानी कैसी लगी।
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माँ का आशिक चोद गया (Maa Ka Aashiq Chod Gaya)

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प्रणाम पाठको, मेरा काल्पनिक नाम सीमा है मेरी उमर बीस साल की है, मैं एक बेहद आकर्षक युवती हूँ, मेरे बहके कदम देख माँ ने मेरी शादी करवा दी, मैं भी बहुत चुदक्कड़ बन चुकी थी, क्या करती…

बाप का साया सर से उठा और माँ हमें लेकर गाँव से शहर आ गई हम दोनों बहनें चुदक्कड़ निकली क्यूंकि हमारी माँ एक नंबर की चुदक्कड़ थी।
ज़मीन जायदाद में से हिस्सा ना छोड़ने की वजह से माँ ने दूसरी शादी नहीं करी थी, हमारी पढ़ाई लिखाई का बहाना लगा गाँव से शहर आई और यहाँ उसके कई मर्दों के साथ नाजायज़ सम्बन्ध थे, हम लोगों को स्कूल भेज कर माँ पीछे से चुदाई करवाती!
एक रोज़ स्कूल में मुझे डेट्स (महीना) आई तो मैडम ने मुझे घर भेज दिया। मेन गेट तो खुला था, अंदर से लॉक था, मुझे हंसने की आवाजें आई तो मैं पीछे गई, पंखे की वजह पर्दा उठा था, बिस्तर पर माँ नंगी थी और उसके साथ हमारे ही मोहल्ले के दो लड़के सोनू और बबलू… तीनों नंगे थे।
आखिर लड़की थी मैं… मुझे गुदगुदी सी होने लगी, उनके लण्ड बहुत बड़े और मोटे थे। एक माँ को चोद रहा था, दूसरा मुँह में लंड डाले मजे लूट रहा था।
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खैर उस दिन के बाद मुझे अपने में बदलाव आना महसूस होने लगा था, वो दोनों हरामी थे, घर में जाकर मेरी माँ चोदते और गली में मुझ पे लाइन मारते थे। अब मैं उनके लंड देख चुकी थी, उन्हें देख मुझे कुछ कुछ होने लगा।
दीदी के भी एफेयर थे।
बबलू ने अकेले ने मुझे परपोज़ किया, उसने मुझे स्कूल के पास एक सुनसान सी गली में रोक लिया और ‘आई लव यू’ I LOVE YOU कह दिया।
मैं मुस्कुरा कर वहाँ से आगे निकली, वो आया और बोला- रानी, इतनी गर्मी है, आ जा, कहीं बैठ कर ठंडा पीते हैं।
मुझे मालूम नहीं कि क्या हुआ कि मैंने मना नहीं किया, एक रेस्टोरेंट में बैठ ठंडा पिया।
तब से हम रोज़ मिलने लगे।
एक दिन स्कूल से खिसक कर उससे मिलने उसके दोस्त के कमरे में गई जहाँ पहली बार मैंने चूत में अपने आशिक का लंड लिया, पहली मीठी पीड़ा से गुज़र उससे मैंने जन्नत की सैर की, उसने मुझे अपनी बाँहों में भर लिया और पहली बार किसी लड़के ने मेरे कुंवारे रसीले होंठ चूसे थे। उसकी बाँहों में जाकर मुझे अलग सा सुख मिल रहा था, मेरी कमसिन जवानी उबलने लगी, खुद पर काबू खोने लगी।
और फिर अचानक से उसके हाथ मेरी कमीज़ के अंदर घुस मेरी ब्रा के ऊपर से मेरे चूचों को दबाने लगे जिसने मेरी जवानी की आग पर घी का काम किया और जोर से उसके साथ लिपटने लगी।
उसने आँख झपकने से पहले मेरी कमीज़ मेरे जिस्म से अलग कर दी। जैसे जैसे उसके होंठ मेरे नंगे जिस्म पर रगड़ने लगे, मैं मचलने लगी।
कहते हैं ना कि ‘समय सब कुछ सिखा देता है।’ खुद ही मेरा हाथ उसके लंड पर रेंगने लगा, पैंट के अन्दर उसका लंड जोश दिखा रहा था, मेरे छूते ही अचानक से उसने मानो सलामी दी।
उसने मुझे बाँहों में उठाया और जाकर धीरे से नर्म बिस्तर पर लिटा दिया। उसने मेरे सामने अपनी शर्ट उताई, क्या बॉडी थी… दूर से देख चुकी थी, आज करीब थी… चौड़ा सीना उस पे घने बाल, एक सच्चे मर्द की निशानी थे।
उसने मुझे देखते देखते अपनी पैंट उतारी, वो सिर्फ अंडरवियर में था, वह भी तंबू बन चुका था, मुझे दिखा कर उसने लंड को सहलाया, अंडरवियर खिसका मुझे दर्शन करवा वापस अंदर घुसा लिया, मेरे ऊपर छलांग लगाते हुए उसने वापस मुझे बाँहों में भर लिया, उसने मेरी ब्रा को भी उतार फेंका।
पहली बार किसी मर्द ने मेरे चुचूक को मुँह में लेकर चूसा, मैं तो तड़पने लगी, मचलने लगी। दबाते दबाते कभी एक चूचा चूसता, कभी दूसरा… कब उसने मेरी सलवार के नाड़े को खोला, मालूम ही नहीं चला। जब जांघों तक सलवार सरकी, तब मुझे एहसास हुआ कि अब मेरी बची हुई इज्ज़त भी सरक चुकी है, मैंने खुद चूतड़ उठाए, उसने झट से पैंटी को भी उतार फेंका।
हाय मैं अलफ नंगी हो गई, पहली बार किसी मर्द के आगे नंगी हुई लेटी थी, मैंने अपनी चूत पर दोनों हाथ रख दिए लेकिन उस ताकतवर मर्द के सामने मेरी क्या पेश चलती, एकदम साफ़ सुथरी कुंवारी गुलाबी चूत देख उसके भी होश उड़ने लगे।
फ्रेश चूत थी, चूमते चूमते मेरी नाभि को चूमते हुए उसने होंठ मेरी चूत के होंठों से लगा दिए।
हाय… मैं मर गई… मेरे मुख से सिसकारी फूटने लगी, कमरा मेरी मधुर आवाज़ों से गूंजने लगा था। जब जब उसकी जुबान घूमती, उतनी ही सिसकारियाँ मुख से फूटने लगतीं, उसने मेरी चूत को आज़ाद किया और मेरे पास आकर अपने लंड को मेरे होंठों पर रगड़ने लगा।
पहली बार किसी लौड़े को होंठों से लगवाया था।
‘मुँह खोल मेरी जान…’
‘नहीं… यह क्या कर रहे हो?’
‘चुप कर साली रण्डी…’
मैंने मुँह खोल दिया और उसके लण्ड का सुपारा मेरे मुँह में घुस गया और धीरे धीरे काफी लंड चूसने लगी।
मुझे मजा आने लगा उसके लंड को चूस कर…
मुझे मूड में लण्ड चूसते देख उसको और मजा आने लगा और वो मेरे बालों से पकड़ लण्ड चुसवाने लगा।
अचानक से वो रुक गया, अल्टा पलटा कर अपने होंठ मेरी चूत पर और अपना लंड मेरे मुँह में घुसा मजे लेने-देने लगा।
‘हाय… सी… सी… और चाटो मेरी जान…’
‘और चूसो मेरा लंड…’
‘हाय तुम भी और चाटो मेरी…’ कहते कहते जब में रुक गई तो वह बोला- बोल ना जान क्या चाटूँ तेरी? बोल ना मेरी जान बोल!
‘क्या बोलूँ?’
‘कह कि और चाटो मेरी चूत को !’
‘मुझसे नहीं कह होता…’
‘बोल… वरना मैं नाराज़ हो जाऊँगा और चाटूंगा भी नहीं!’
‘हाय राजा और चाटो मेरी चूत को…’
‘हाय मेरी रानी, तेरी चूत का तो बबलू आशिक बन गया है!’ जोर जोर से जुबां घुमाता मेरे दाने को जब रगड़ता तब तो जान निकल जाती!
और फिर वो उठा, मेरे बालों से पकड़ लिया अपना लण्ड मुँह में घुसा कर हिलाने लगा और बोला- ले मेरी जान मलाई खा मेरी!
मुझे क्या मालूम था कि कौन सी मलाई!
उसने मेरा मुँह किसी तरल पदार्थ से भर दिया… अजीब सा गर्म गर्म सा पानी कच्चे अंडे जैसा स्वाद था!
जब तक मैं निगल नहीं गई, उसने लण्ड नहीं निकाला और जब छोड़ा तो मैंने नाराज़गी दिखाई।
‘क्या हुआ मेरी जान? यह सब इसका हिस्सा है!’
उसे कुछ नहीं कह सकी पर मेरी चूत की आग मची हुई थी, कुछ देर साथ लेट चूमता रहा और दुबारा मेरे मुँह में घुसा दिया।
‘यह क्या कर रहे हो बबलू?’
‘रुक तो जा जान… खड़ा कर इसको, तेरी चूत की आग तो अभी बुझानी है!’
जब उसका खड़ा हो गया, उसने बीच में आकर मेरी दोनों एड़ियाँ मेरे चूतड़ों के साथ जोड़ नीचे तकिया लगाया और चूत बिल्कुल सामने थी, उसने लंड रखा तो मैंने मस्ती से आँखें बन्द कर ली लेकिन जब झटका लगाया तो आँखें खुली की खुली रह गई, दिमाग सुन्न सा होने लगा, आवाज़ गले में अटक गई।
दूसरे झटके ने दिन में तारे दिखा दिए, तीसरे झटके में और दर्द, चौथे में उसका पूरा लंड मेरी चूत की सील को तोड़कर अन्दर समां गया था।
‘हाय निकालो!’
मुश्किल से यह आवाज़ मुख से निकली, ज़ालिम ने एकदम से निकाल लिया- देख तेरी रानी ने मेरे मुन्ना के साथ अंदर होली खेली है।
मैंने कोहनियों के सहारे उठकर देखा, उसका लौड़ा खून से भीगा था।
मेरी ही पैंटी से लौड़ा साफ़ करके उसने दुबारा घुसा दिया पर अब दर्द उतना नहीं था, पर काफी था।
देखते देखते बड़े आराम से उसका लंड अंदर बाहर होने लगा, मस्ती छाने लगी, सारा आलम रंगीन हो गया था।
वो जोर जोर से पटक पटक चोद रहा था मेरी चूत को… मेरी चूत की गर्मी से उसका लंड दूसरी बार पिंघला लेकिन इस बार मेरी पूरी तस्सली करवा कर मुझे कच्ची कलि से फूल बना दिया था… मेरी माँ के आशिक ने उसकी बेटी की चूत हासिल कर ली थी।
बबलू मौका देख मुझे मिलने लगा कभी घर में, कभी उसकी बाईक पर बैठ हम किसी खाली जगह जाते और किसी झाड़ी के पीछे, कभी किसी खेत में…
यह थी मेरी चुदाई की शुरुआत…

कुँवारी चूत में कुंवारा लण्ड (Kunwari Chut Me Kunwara Lund)

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दोस्तो, कुँवारी चूत चोदने की मेरी यह सच्ची कहानी कैसे बनती चली गई.. वो सुनाता हूँ।
मैं राहुल हूँ.. मेरी उम्र 21 साल है.. मेरा कद 5’9″ है, मैं देखने में आकर्षक हूँ.. सूरत गुजरात से हूँ।

मेरे घर में पापा-मम्मी और भैया हैं। मैंने अभी अपनी पढ़ाई पूरी की है और घर पर ही फ्री बैठा हूँ.. जॉब ढूँढ रहा हूँ।
मेरी मम्मी की एक पक्की सहेली हैं हेमा आंटी.. उनकी बेटी संजना.. पहले मेरे साथ ही क्लास में पढ़ती थी। हम काफ़ी अच्छे दोस्त भी हैं और मैं उसे बहुत चाहता भी हूँ.. लेकिन उससे अपने दिल की बात कभी कह नहीं पाया। संजना बहुत ही हॉट लुकिंग और सेक्सी लड़की है, उसकी फिगर 34-28-36 की है.. वो बहुत ही गोरी लड़की है।
मैं उसे अपना बनाने की पूरी कोशिश में जुटा हूँ और उसको पटाने का कोई मौका नहीं छोड़ता हूँ।
जब भी वो मेरे घर आती है.. हम दोनों हाय हैलो.. और ढेर सारी बातें करते हैं। पुराने दिन याद करके थोड़ी मस्ती भी कर लेते हैं। वो खुश हो जाती है.. क्योंकि मैं उसका बेस्ट-फ्रेंड हूँ ना.. सो वो मुझे देखकर खुश होती है।
एक दिन की बात है.. जब मैं घर पर अकेला था और संजना को मेरी मम्मी से कोई काम था तो मेरे घर आई।
मैं उस वक्त सो रहा था.. लेकिन घंटी बजी तो मैं उठ कर गया.. गेट खोला और संजना ने मुझसे गुड-मॉर्निंग बोला।
मैंने भी उसे विश किया..
फिर उसने पूछा- आंटी कहाँ है?
मैंने कहा- वो बाहर गई हैं.. शाम को आएँगी।
वो जाने लगी..
मैंने उसे रोकते हुए पूछा- कोई जरूरी काम है क्या?
तो बोली- नहीं बस.. यूँ ही.. जरा पर्सनल काम था।
मैंने कहा- ओके.. अन्दर तो आओ..
तो बोली- तुम तो सो रहे हो.. मैंने डिस्टर्ब किया.. ‘सॉरी’..
मैंने बोला- अरे यार अपना ही घर है.. इसमें डिस्टर्ब की क्या बात है..
फिर वो अन्दर आई.. उसने मेरे लिए चाय बनाई, नाश्ता लगाया और हमने साथ में बैठ कर चाय-नाश्ता किया।
मैंने उसे ‘थैंक्स’ कहा.. तो वो बोली- अपनों को ‘नो थैंक्स..’ ‘नो सॉरी..’ ओके..!
मैंने हल्की सी मुस्कान दी और उसने भी हंस कर दिखाया।
फिर उसने मुझसे कहा- राहुल आई एम इन लव..
मैंने टूटते हुए पूछा- कौन है वो खुश किस्मत?
तो बोली- नहीं.. तुम गुस्सा हो जाओगे।
मैंने कहा- नहीं यार.. तेरी ख़ुशी.. मेरी ख़ुशी है यार.. बोल ना..
तो उसने बड़े प्यार से बोला.. बड़े ही प्यार से बोला- मेरा बेस्ट-फ्रेंड राहुल.. तुम यार.. सच्ची आई लव यू.. तुम बहुत सिंपल हो न.. गुड-ब्वॉय हो..
मैं ख़ुशी से पागल हो गया और उसे ‘आई लव यू..’ बोल दिया।
उसने मुझे ‘आई लव यू टू’ बोला और हम दोनों ने एक-दूसरे को अपनी बांहों में जकड़ लिया। हम दोनों ने बहुत चूमा-चाटी की और मैंने भी फुल मस्ती और एंजाय किया लेकिन चूमने से आगे कुछ नहीं किया। क्योंकि सेक्स तो जब शांति और सहमति व आपसी ख़ुशी से होता है.. तभी ज्यादा मज़ा आता है और इस सब के लिए समय भी चाहिए.. सो हम दोनों ने चाहते हुए भी सही वक्त का इंतजार किया।
एक दिन जब उसके मम्मी-पापा मुंबई गए हुए थे.. तब हमने अपनी हर ख़ुशी उस दिन एक-दूसरे के साथ फुल एंजाय करने का तय किया।
मैं तैयार होकर उसके घर के लिए रवाना हुआ और रास्ते से प्रेम की निशानी गुलाब के खिले हुए फूल और चॉकलेट.. गिफ्ट आदि लिए। मैं उसके घर पहुँचा.. उसने मुस्कुराते हुए गेट खोला.. मैं अन्दर आया और पहले उसे अपने घुटनों पर बैठ कर प्रपोज किया.. वो बहुत खुश हो गई और मुझे उठा कर अपने सीने से लगा लिया।
वो मुझे अपने कमरे में ले गई.. उसने भी कमरे में पहले से प्लानिंग कर रखी थी। केक.. लंच.. स्लो-साउंड म्यूज़िक और लव-बैलून से सज़ा हुआ कमरा और बिस्तर पर गुलाब ही गुलाब के फूल सज़ा रखे थे।
मैंने उसे अपने सीने में खींच लिया और हम दोनों ने मिल कर केक काटा और साथ में लंच किया.. फिर धीमी आवाज वाले मादक संगीत की धुन में डांस किया। कमरे में पूरा रोमाँटिक माहौल बन गया था।
हमने मस्ती की और देर तक एक-दूसरे के होंठों को चूमा। फिर मैंने उसके तने हुए मम्मों को पकड़ कर सहलाया.. तो वो गरम हो गई। उसने मुझे ‘फ्रेंच-किस’ किया।
फिर मैंने उसका कान चाटा और धीरे-धीरे उसके कपड़े खोले.. और उसने मेरे..
अब वो ब्रा-पैन्टी में थी और मैं सिर्फ़ अंडरवियर में था।
मेरा लौड़ा खड़ा होकर सख्त हो गया था..जो कि 8 इंच का हो गया था।
उसने ऊपर से सहलाया और मैंने उसके मम्मों को मसला और खूब चूसा।
मैंने पैन्टी में हाथ लगाया तो देखा कि उसकी पैन्टी गीली हो गई थी.. तो मैंने उसकी पैन्टी उतार दी।
मैंने देखा कि उसकी कुँवारी चूत कामरस से चिपचिपी हो गई थी।
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मैंने उसकी गुलाबी रंगत लिए हुई सफाचट कुँवारी चूत देखी तो मैं देखता ही रह गया।
क्या मस्त फूली हुई चूत थी.. यार सच्ची में मुझसे रहा नहीं गया और मैंने बैठ कर उसकी कुँवारी चूत को बहुत चाटा.. मैंने सच्ची में जी भर कर बहुत चाटा.. और बहुत मज़ा भी आया.. जन्नत का मज़ा था..
वो अपनी कुँवारी चूत चटवा कर मस्त हो गई थी.. उसने कहा- राहुल प्लीज़ फक मी यार..
उसने बिस्तर पर बैठते हुए मेरे खड़े लण्ड को पकड़ लिया और उसे प्यार से चुम्मा किया और हिलाया। मैं बहुत एंजाय कर रहा था और फिर उसने चित्त लेट कर अपने पैर फैला लिए और मेरे हथियार को अपनी लपलपाती बुर पर टिकवा लिया और कहा- जानू डालो ना.. यार मुझे चोदो.. आज जी भर के चोदो.. मुझे अपनी पत्नी बना लो..
मैंने अपना लौड़ा उसकी कुँवारी चूत में डालने की कोशिश की.. लेकिन बहुत ही कसी हुई चूत थी.. क्योंकि वो अभी कुंवारी थी।
मेरा भी पहली बार था.. और उसका भी.. सो शुरू में बहुत दर्द हुआ.. पर मैंने उसे बहुत चूमा और सहलाया।
लेकिन वो बहुत तड़फ रही थी।
‘आआआह.. राहुल.. आआअहह.. धीरे जानू.. आआ मैं मर गई.. उहह..’
मैंने धीरे-धीरे अपना पूरा मूसल लण्ड उसकी चूत में अन्दर तक ठोक दिया। उसकी बुर फट गई.. उसमें से गरम खून निकला.. और गुलाब के फूलों के सुर्ख लाल रंग में मिल कर छुप गया।
वो तो एक बार के लिए बेहोश जैसी हो गई.. तो मैंने उसे थपकी देकर उठाया.. और उसे हिम्मत दी।
फिर दर्द कम हुआ.. मैंने उसे सहलाया कर प्यार किया.. और क़िस्सी की।
कुछ देर बाद वो मूड में आ गई.. फिर हमने 20 मिनट तक चुदाई का मजा लिया.. और झड़ कर एक दूसरे में समां गए।
ख़ुशी से पूरा दिन धमाल-मस्ती की.. अब वो मेरी पक्की जुगाड़ है.. मुझे चुदाई करना बहुत पसंद है.. सो अब हम दोनों कभी भी मौका पाते ही अपनी चुदाई की प्यास बुझा लेते हैं।
ये मेरी रियल ओर पहली कहानी है.. जो मैंने आपसे साझा की है.. मुझे ईमेल कीजिएगा.. पर मुझसे चूत की उम्मीद न करें अपने लिए खुद आइटम तलाशें।
आपका अपना राहुल।

सेक्सी सोनाली आंटी की चूत चुदाई (Sexy Sonali Aunti Ki Chut Chudai)

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मेरी मम्मी एक सरकारी डॉक्टर हैं और डॉक्टर होने की वजह से दिन में कुछ मरीज दवा लेने के लिए घर पर ही आते थे।
बात नवम्बर 2008 की है.. जब मैं दीपावली की छुट्टियों में अपने घर पर ही था। एक दिन मेरी मम्मी मीटिंग के लिए बाहर गई थीं और उनको देर शाम तक वापस आना था.. मैं घर पर अकेला ही था।

दोपहर में करीब 12 बजे दरवाजे की घन्टी बजी तो मैंने दरवाजा खोला.. सामने सोनाली आंटी खड़ी थीं। सोनाली आंटी मेरी मम्मी की बेस्ट फ्रेंड थीं और अक्सर दवाओं के लिए आती रहती थीं। हालांकि वे मम्मी से उम्र में काफी छोटी थीं.. उनकी उम्र 25 साल की होगी..
वो दिखने में काफ़ी सुंदर और मांसल शरीर की थीं। उनकी फिगर कुछ 36-26-36 की रही होगी। उनके मम्मों को देख कर तो कोई भी पागल हो जाए!
लेकिन उन दिनों मैं सिर्फ़ अपनी पढ़ाई पर ध्यान देता था.. जिसकी वजह से मेरी कोई गर्ल-फ्रेंड भी नहीं थी और ना ही मुझे सेक्स के बारे में ज्यादा रूचि थी।
सोनाली आंटी ने मुझसे कहा- मेरे पेट में अजीब सा दर्द हो रहा है।
तो मैंने उनको पेट दर्द की गोली दी.. वो बोलीं- मयूर.. पहले मेरा पेट तो चैक करो जैसे तुम्हारी मम्मी करती हैं।
मैं बोला- वो तो मुझे नहीं आता.. मैं एक इंजीनियर हूँ.. डॉक्टर नहीं..
वो मुस्कुराकर बोलीं- ठीक है.. तो मैं सिखा देती हूँ।
इतना कहकर उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपने पेट पर रख दिया और कहा- कुछ महसूस हुआ या साड़ी को पेट से हटा दूँ?
मैं अब समझ चुका था कि उसका इरादा कुछ और ही है.. क्यूँ कि प्राब्लम उसके पेट में नहीं बल्कि पेट के नीचे उसकी चुदासी चूत में है।
मैं भी हिम्मत करते हुए बोला- आंटी कुछ समझ नहीं आ रहा है.. आप साड़ी हटा दो..
उसने झट से अपना पल्लू पेट से सरका दिया।
मैं उसके गोरे और मुलायम पेट पर हाथ फेरने लगा.. तो वो सिसकारियां लेते हुए बोली- वाह.. मयूर तुम्हारे हाथ में तो जादू है.. मुझे अच्छा लग रहा है.. अगर तुम्हारे पास वक़्त हो तो मेरे पूरे बदन की मालिश करोगे प्लीज़?
मैंने कहा- हाँ ज़रूर.. लेकिन आपको पूरी साड़ी उतारनी होगी..
वो बड़ी अदा से इठलाते हुए बोली- ठीक है.. तुम खुद ही अपने हाथों से उतार दो ना…
मैंने उसकी साड़ी उतार दी.. साथ ही ब्लाउज और पेटीकोट भी खोल दिया.. उसके ब्लाउज पेटीकोट खोलने पर उसने जरा भी आपत्ति नहीं की… बल्कि उसे तो नंगे होने की और जल्दी दिखाई दे रही थी।
अब वो सिर्फ़ ब्रा और पैन्टी में थी।
मैंने पहली बार किसी औरत को साक्षात नंगा देखा था.. मैं उसे वासना की नजरों से देखता ही रहा।
फिर मैंने उसके पेट.. पीठ और पिछवाड़े की मालिश की और देखा कि ये तो पक्का है कि इसको चुदास सता रही है तो मैंने बिंदास होते हुए उससे पूछा- क्या आपके मम्मों में भी दर्द है.. कहो तो उनकी भी मालिश कर दूँ?
उसने बिना उत्तर दिए एक ही झटके में अपनी ब्रा खोल दी और एक कोने में फेंक दी।
उसके वो बॉल जैसे उन्नत मम्मों को.. देख कर मैं तो मानो पागल ही हो गया और उन्हें जोरों से दबाने लगा।
वो ‘आह.. आह.. सी…’ जैसी सिसकारियां ले रही थी।
मैं बीच-बीच में उसकी पैन्टी में हाथ डाल कर उसकी गाण्ड में उंगली करने लगा.. जिससे वो और गरम हो गई और समझ गई कि मैं भी उसे चोदना चाहता हूँ।
वो बोली- क्या तुमने किसी लड़की के साथ चुदाई की है?
उसकी इस तरह की भाषा सुनकर मैं समझ गया कि अब आंटी पूरी गरम हो गई हैं।
मैंने बोला- मेरी तो कोई गर्लफ्रेण्ड ही नहीं है।
वो बोली- मैं बनूँगी तुम्हारी गर्लफ्रेण्ड.. मुझे खुश करोगे?
मैंने कहा- आप जैसी गर्लफ्रेण्ड मिल जाए तो मज़ा ही आ जाएगा!
वो बोली- तो देर किस बात की है.. शुरू कर दो.. आज मेरी प्यास बुझा दो।
मैं उसके मम्मों पर टूट पड़ा और उन्हें ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा.. उसको एक जोरदार चुम्बन किया..
वाह.. क्या रसीले होंठ थे उसके..
मैं बहुत देर तक उसे चूसता और चूमता रहा फिर उसके मम्मों को मुँह में लेकर हल्के-हल्के से काटने लगा.. उनको चाटने और चूसने लगा।
वो नशीली आवाज में बोली- आह्ह.. बहुत अच्छा लग रहा है.. मयूर मेरी जान.. प्लीज़ और मस्ती से.. मुझे बहुत अच्छा लग रहा है.. उह्ह..
मैं एक हाथ से उसके मम्मों को दबा रहा था.. दूसरे हाथ से उसकी गाण्ड में उंगली डाल रहा था और उसका दूसरा मम्मा अपने मुँह में लेकर चूस रहा था।
फिर मैंने उसकी पैन्टी उतारी और उसकी चूत को चाटने लगा.. उसकी चूत एकदम गोरी थी और उस पर एक भी बाल नहीं था।
जब वो बहुत गर्म और चुदासी हो गई.. तो बोली- आह्ह.. अब और मत तड़पाओ.. मेरे राजा.. प्लीज़ डाल भी दो ना.. अपना लवड़ा.. मेरी चूत में!
मैंने अपनी पैन्ट उतार दी और अपना 6.5” का खड़ा लंड बाहर निकाला और सीधा चूत के मुहाने पर रख दिया। उसने भी किसी रण्डी की तरह अपनी टाँगें फैला लीं और चूत के मुँह पर मेरे सुपारे को टिकवा लिया.. मैंने पूरी ताकत से एक जोरदार झटका मार दिया.. मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया।
उसकी चूत में भयानक दर्द हुआ.. वो चिल्ला उठी- आह.. उई माँ मर गई.. मयूर प्लीज़ थोड़ा धीरे से करो न..
मैंने धीरे-धीरे अपने लंड को अन्दर-बाहर करना शुरू किया।
मुझे चुदाई में बहुत मज़ा आ रहा था.. ये मेरे जीवन का पहला सेक्स था।
थोड़ी देर बाद उसे भी मज़ा आने लगा और वो ‘आहें’ भरने लगी.. थोड़ी ही देर में वो अकड़ गई और उसकी चूत का पानी निकल गया।
अब चूत रसीली हो गई थी और मेरे लौड़े की ठापों से ‘फच..फच..’ की मधुर मादक आवाजें गूँजें लगी थीं।
कुछ देर बाद मेरा स्खलन भी होने वाला था तो मैंने पूछा- आंटी मेरा माल निकलने वाला है.. क्या करूँ?
वो बोली- आह्ह.. मेरे अन्दर ही निकल जा.. मेरा तो ऑपरेशन हो चुका है.. कोई चिंता नहीं है।
तभी एक गरम लावा मेरे लंड से निकल कर उसकी चूत में घुस गया और मैं शांत हो गया।
कुछ देर तक निढाल सा उसके जिस्म से लिपटा पड़ा रहा।
अब आंटी मेरे बालों में अपने हाथ फेर रही थीं.. आज की चुदाई से उनको बहुत तृप्ति मिली थी।
इसके बाद तो जैसे मैं आंटी की रखैल बन गया था।
यह कहानी सौ फ़ीसदी सच है.. इस पर आप सभी के कमेंट्स चाहूँगा.. पर प्लीज़ आप गंदे कमेंट्स मत करना, आंटी की फुद्दी दिलवाने की बात मत लिखना!

पहले प्यार की पहली चुदाई (Pahle Pyar Ki Pahli Chudai)

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मैं अन्तर्वासना का पिछले कई साल से फैन हूँ, अन्तर्वासना पर तक़रीबन हर कहानी पढ़ चुका हूँ।
सबसे पहले अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा हार्दिक अभिनन्दन। मैं देव, पंजाब का एक सवा 6 फीट लम्बा 24 साल का हूँ। मेरे लण्ड का साइज़ 6*2 का है। मैं आप सबके साथ अपनी लाइफ के कुछ हसीं लम्हों को शेयर करना चाहता हूँ।

यह कहानी मेरी और मेरी कजिन की सहेली श्रुति की है, कहानी आज से 4 साल पहले की है जब मैं होली के मौके पर अपनी बुआ जी के घर गया था, तब वो और मेरी कजिन दोनों होली की तैयारी कर रही थी।
वैसे तो मैं और श्रुति एक दूसरे को पहले से ही जानते थे लेकिन उस दिन उसकी आँखों में एक अलग सी चमक थी, न चाहते हुए भी मैं उसकी तरफ खिंचता चला गया।
श्रुति के बारे में बता दूँ कि वो उस वक़्त 21 की रही होगी। और फिगर तो कमाल था 34-28-34 और उसकी आँखें तो बस कहर बरसा रही थी उस दिन।
तैयारी में पूरा दिन बीत जाने के बाद शाम को मैं, मेरी कजिन और श्रुति तीनों मार्किट से सामान लेने चले गए तो मेरी कजिन रास्ते में उतर गई और बोली- तुम दूसरी जगह से सामान खरीद लो और मुझे यहीं से वापसी में ले लेना।
जाने से पहले मेरी कजिन ने मुझे बुला कर बताया कि श्रुति मेरे साथ कुछ वक़्त अकेले गुजारना चाहती है इसलिए वो हम दोनों को अकेले भेज रही है।
यह सुन कर मेरे मन में हलचल मच गई। मैं श्रुति के साथ मार्किट सामान लेने चल दिया। रास्ते में श्रुति ने मुझसे मेरी गर्लफ्रेंड के बारे में पूछा तो मैंने बताया कि मेरी गर्लफ्रेंड नहीं है।
श्रुति- झूठ… इतने अच्छे तो हो, ऐसे कैसे नहीं है?
मैं- तुम्हें जो मैं अपनी बनाना चाहता हूँ इसलिए नहीं है।
उस वक़्त मुझे मेरी कजिन की बात याद आ रही थी और मुझे लग रहा था कि मेरे जीवन का सूखापन आज खत्म हो ही जायेगा।
श्रुति- सच्ची?
मैं- हाँ।
श्रुति- झूठे कहीं के।
मैं- तुम्हारी कसम।
श्रुति- सच, तुम सच कह रहे हो ना।
मैं- हाँ, और अगर तुम्हे ऐतराज़ ना हो तो।
श्रुति ने इस सवाल का जवाब मुझे किस करके दिया। उसके बाद हम दोनों पास ही के एक गार्डन में गए और कुछ वक़्त तक हमने वहाँ मस्ती की। मैं वह उसके होठों को बहुत ही प्यार से चूम रहा था और वो भी मेरे साथ दे रही थी।
उसके बाद हमने एक दूसरे के सेक्स ओर्गंस के साथ खेलना शुरू कर दिया। एक बात तो है कि दिल्ली की लड़कियाँ अगर किसी पे फ़िदा हो जाये तो उसे ज्यादा तड़पाती नहीं हैं।
यही मेरे साथ हुआ, वो मेरा पूरा साथ दे रही थी।
इतने में मेरी कजिन का कॉल आ गया कि उसका काम खत्म हो गया है। तो उसने मेरे पूछने पर बताया कि हम दोनों के अकेले मिलने का प्लान मेरी कजिन ने ही बनाया था क्योंकि वो जानती थी कि श्रुति मुझे पसंद करती है।
इसके साथ ही हम वापिस घर आ गए।
घर पहुँचने पर मुझे पता चला कि आज श्रुति के घर पे कोई नहीं है, मुझे और मेरी कजिन को श्रुति के घर पर सोना है।
लेकिन पता नहीं क्या हुआ कि मेरी कजिन ने जाने से मना कर दिया और कहा कि देव अकेला ही चला जाये।
इस पर श्रुति ने भी हाँ कर दी तो मेरी बुआ जी ने मुझे जाने को कहा।
बाद में मुझे पता चला कि यह भी श्रुति का ही प्लान था।
उसके बाद मैं श्रुति के घर आ गया।
श्रुति ने कहा कि वो कपड़े बदल कर आती है, तब तक मैं टीवी देखने लगा। टीवी में तब मैं गाने सुन रहा था, इतने में ‘आशिक़ बनाया आपने’ गाना चल रहा था।
तभी श्रुति नाईट सूट पहन कर आई उसे नाईटसूट में देख कर मैं पागल हो गया था, उसके चुच्चे बहुत ही सख्त लग रहे थे।
ना जाने क्यों ऐसे लग रहा था कि वो मेरे लिए ही बनी है, मैं एकदम से उठ खड़ा हुआ और उसे अपनी बाँहों में भर लिया।
उसके बाद मैं उसके रसीले होठों को चूमने लगा और वो भी मेरा साथ देने लगी। इतने में मेरा लण्ड खड़ा हो गया, मैं उसके होठों को चूसने के साथ साथ उसके कपड़ों के ऊपर से ही उसके बूब्स को सहला रहा था, उसके मुँह से आह आह की आवाजें आ रही थी और साथ ही साथ वो मेरा साथ दे रही थी।
मुझपे जैसे कोई नशा सा हो रहा था तो मैंने उसे पकड़ कर सोफे पे पटक दिया, फिर उसके कान के पीछे चूमना शुरू कर दिया।
वो इससे पागल होने लगी। इसके साथ साथ मैं उसके मम्मे दबा रहा था और वो भी मेरे हाथों पे हाथ रख कर मेरा साथ दे रही थी।
फिर मैंने उसके मम्मों पर उसके कपड़ों के ऊपर से ही काट लिया तो वो तड़प उठी और उसके मुँह से आह की एक मादक सी आवाज़ आई।
उसकी तड़प देख कर मुझे शरारत सूझी, मैं उसके जिस्म पर अलग अलग जगह काटने लगा कभी होठों पे, कभी गाल पे, कभी गर्दन पे, कभी उसके हाथ पे… वो इस सब से पागल हो रही थी।
फिर मैंने धीरे से उसको होठों को चूसते हुए उसके नाईट सूट के शर्ट के बटन खोल दिए अब वो मेरे सामने काली ब्रा में खड़ी थी।
मैं उसके होठों से उसकी गर्दन पे फिर उसके दोनों खूबसूरत मम्मों के बीच बनी घाटी को चाटते हुए उसके मम्मे दबाने लगा।
ऐसा करने से वो और भी पागल होने लगी और मेरा मुँह अपने मम्मों पे दबाने लगी और साथ ही साथ वो सिसकारियाँ लेने लगी।
फिर मैं उसके मम्मों को वैसे ही दबाते हुए नीचे उसकी नाभि पे पहुँच गया और उसकी नाभि को चूसने लगा। फिर ऊपर की तरफ आते हुए मैंने उसकी ब्रा के हुक खोल दिए। अब मेरे सामने उसके संतरे की साइज़ के मम्मे थे जिन पर हल्के भूरे रंग के उसके चुचूक थे।
मैं पागलों की तरह उसका दायां मम्मा चूसने लगा और दूसरे साइड के मम्मे की चूची को अपने हाथ से रगड़ने लगा।
इस पर वो पागल हो गई, उसकी तड़प देख कर मुझे उसे और तड़पाने का मन हुआ तो मैंने अपना घुटना उसकी चूत पर रख कर रगड़ना शुरू कर दिया।
यह उस के लिए बहुत ही अलग अनुभव था।, वो अपने पर काबू नहीं कर पा रही थी। फिर मैंने उसकी लोअर और अंडरवियर एक साथ उतार दी।
उसके बाद का नजारा देख कर मेरे सबर का बाँध टूट पड़ा… बिल्कुल साफ़ और फ्रेश चूत! मुझे क्लीन शेव चूत बहुत पसन्द है।
बिना देरी किये मैने अपना मुँह उसकी चूत पे लगा दिया और जोर जोर से चूसने लगा।
वो बस जोर जोर से सिसकारियाँ ले रही थी तो मैं पलट कर उसके ऊपर आ गया और अपना लण्ड उसके मुँह में दे दिया और वो मेरे लण्ड को पागलों की तरह चूस रही थी जैसे खा जाएगी।
करीब 4 या 5 मिनट उसकी चूत चाटने के बाद ही उसका शरीर अकड़ने लगा और इसके साथ ही उसका पानी निकल गया और वो एकदम शांत हो गई।
फिर मैंने अपना लण्ड उसके मुँह से निकाल कर उसको चूमा। उसके बाद मैंने उसे थोड़ी देर और चूमा और उसके मम्मे चूसे।
जब वो फिर से गर्म हो गई तो मैंने उसे पलंग पे लिटा दिया और उसकी गर्दन नीचे लटका दी और मैं उसके मुँह को चोदने लगा क्योंकि इतने लम्बे फोरप्ले की वजह से मेरा भी निकलने वाला था।
तो जैसे ही मेरा छूटने वाला हुआ, मैंने उसके मुँह से निकाल कर सारा का सारा माल नीचे ज़मीन पर गिर दिया। उसके बाद हम दोनों फिर से एक दूसरे को चूमने सहलाने लगे।
करीब 10 मिनट के बाद हम दोनों फिर मैदान में थे। अब इसकी चूत को चूसते हुए मैंने उसके क्लाइटोरिस पे भी काट लिया और उसे तब तक गरम किया जब तक कि उसकी चूत में लण्ड लेने के लिए बोल ना दे।
जैसे ही वो बहुत ज्यादा गरम हो गई मैंने एक ही बार में अपना 6 इंच का लण्ड उसकी चूत में डाल दिया जिससे उसे थोड़ी सी तकलीफ हुई लेकिन वो सह गई।
उसके बाद मैं उसे उसके ऊपर आ कर चोद रहा था, साथ ही उसके मम्मों को अपने दोनों हाथों से दबा रहा था और बीच बीच में कभी कभी उसके मम्मों को काट भी रहा था।
इस सबके दौरान श्रुति सारा वक़्त बस सिसकारियाँ ही भरती रही और उसे चोदते हुए जब भी मैं उसके होठों या मम्मों को मसलता या काट लेता तो वो जोर जोर से आह आह करती।
5 मिनट के बाद मैंने उसकी टांगें अपने कंधों पर रख ली और उसकी चूत में अपना लण्ड ताबड़तोड़ पेलने लगा।
अब वो मेरे हर धक्के पर आह उह उम्म्म अआर्र जैसी आवाजें निकाल रही थी और साथ ही साथ कह रही थी- फाड़ दो मेरी चूत को।
करीब दस मिनट की चुदाई के बाद वो जोर से झर गई और उसकी चूत की गर्मी के आगे मेरे लण्ड ने भी अपने पानी का फव्वारा उसकी चूत में छोड़ दिया ताकि उसकी आग को शांत कर सके। इसके साथ ही मैं उसके ऊपर लेट गया और अपनी सांसों को कण्ट्रोल करने लगा और श्रुति मेरे होंठों को चूम रही थी, साथ ही मेरी पीठ पे हाथ से सहला रही थी।
थोड़ी देर बाद जब हम दोनो नार्मल हुए तो उसने मुझे एक जोर का किस करते हुए बताया कि उसे आज बहुत मज़ा आया और साथ ही उसने यह भी बताया कि वो मुझे काफी वक़्त से पसंद करती है और वो मेरी गर्लफ्रेंड बनाना चाहती थी।
उसके बाद हम दोनों उठ कर बाथरूम में साफ़ होने गए और नंगे ही सो गए। उस रात हमने 3 बार चुदाई की जिसमें हर बार अलग अलग स्टाइल हमने इस्तेमाल किये और अगली सुबह हमने होली खेली… कैसी खेली हमने वो होली… और क्या था खास वो अगली बार।
उम्मीद करता हूँ कि आपको मेरी कहानी पसंद आएगी। तो प्लीज अपने विचार मेरे साथ जरुर शेयर करें।

ସ୍ମ୍ରୁତି ଏକ ରୁପା ଜହ୍ଣ - Smruti Eka Rupa Janha

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------Sunita Bhauja
-----Bhauja.com

ଚାକିରି ଚକର ରେ ବିଆ ଫଡି‌ଲା (Chakiri Chakar Re Bia Fadila)

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Lipi kahila han tu chinta kareni tu tanka tharu giha khaisarile se tote nischita chadi debe aau tora chakiri madhya nichita boli jane. Ramesh shalu ra goda di ta teki nija kandha re rakhila jemiti banda ta shalu ra najara re asiba. Shalu ramesha ra banda dekhi dari gala kahila naaa mu ete bada banda sambhali paribini. Mo swami nkara ta ei banda ra adha bi nuhe. Se pacha ku ghunchi gala. Ramesha shalu ku bujhei baku chesta kala se kahila dekha tama sanga ra kuanri bia jadi mo banda sambhali paruchi tame baha hoi thiba stree loka hoi kan sambhali paribani kahucha, sabu jhia nka bia ta rubber bhali jete chiriba pala hoi jiba, chadi dele puni muji hoijiba. Tathapi shalu manilani. Ramesh jorre tini jabuda marila. Se jorre kandila . Ramesh kahila sali dekh jadi sahaja re raju habu ta tate ekutia maja nebi jadi tu sahaja re manibuni tote mo pare puni mo chakara ku gehibaku chadi debi. Ramesh shalu ra dui jangha ku phadi dharila. Lamba banda ku halei dei jorre jhataka dei shalu bia bhitara ku genjila banda ta bia upara debichali gala. shalu ra bia muji hoi achi. Lipi jorre apti kari kahila tama banda re nadia tela dei shalu ku geha nahale se baichari mari jiba. Chakar freeze ru ghia nei asila. Ramesh banda ku hatare dhari lipi ku daki kahili lipi tama jibha o otha ghasi ta banda re ghia lagei dia. Lipi sange sange asi o banda re ghia ku jibha dwara boli dela. Ramesh banda re ghia bola sariba pare gote bada niswas nei Banda ku sidha kari shalu bia re jorre re jhataka dei pasei dela. Shalu bou lo....... lo...... marigali...... aaaaaaaaaaaaa........... kahi chitkar kala. Ramesh lipi ku kahila ta pati ku japi dhariba pain. Lipi madhya langala thila se asi shalu ra muda upare goda ku chaka kari shalu ra muda ku ta kola re rakila. Pura french kiss bhali shalu ra munha lipi ra bia re rahigala. Ramesh dhaka pare dhaka mari chalila. Jorre jorre jhataka mari mari gehu gehu shalu bia ru rajkta baharila. Ramesh banda ku bahara kala dekhila bandare shalu bia ru rakta lagichi se pochi dei puni ghia lagei train bhali peli chalila. Bhas bhas gehi gehi taku pura pola kari chalila. .......... Geha gehi sariba pare ramesh nija bahure shalu ku bathroom ku nei ta bia ku dhoi dela nije dhoi hoi bahara ku asila. Lipi ete bele garam hoi bia upare anguli isara kari bia ku phadi dekhei rahi thae.......................


Agaku suni ba pain comment karantu..........

Sunita Prusty......
bhauja.com

मेरा पहला अनुभव चचेरी भाभी की चुदाई का

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हाय दोस्तों, मैं आप लोगों को अपनी पहली चुदाई की सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूँ। उस समय मेरी उम्र १८ साल से ३ महीने ज्यादा थी और मैं इन्टरमीडिएट का छात्र था।

दशहरे के अगले दिन मैं अपने गाँव से वापस कस्बे आ गया, माँ गाँव मे ही रह गयीं।
उसी दिन मेरे चचेरे भाई साहब अपनी बीबी और डेढ़ साल की बेटी के साथ हमारे घर आये।
वे लोग हमारे दूसरे गाँव मे रहते थे। घर मे मैं और मेरे पिताजी थे, उन्हें उस रात टूर पर जाना था।
भाई साहब मेरे साथ पास के शहर गये, वहाँ से वे अपनी बहन के घर चले गये और मैं वापस आ गया।
जब मैं शहर मे था तभी मेरे मन मे भाभी के साथ सम्भोग करने का पागलपन सवार हो गया क्योंकि रात के बारह बजे पिताजी के चले जाने के बाद घर में भाभी और मैं अकेले रहने वाले थे, बेटी उनकी काफ़ी छोटी थी।
दरअसल भाभी की शादी को चार साल हो चुके थे, वे बहुत तो नहीं पर सुन्दर हैं और शुरू से ही वे हम लोगों से काफ़ी मजाक, खासकर गन्दे मजाक किया करती थीं और वे काफ़ी खुली थीं हालाँकि मैं बहुत शर्मीला था।
पर अब मेरा लण्ड खड़ा होने लगा था और दो-तीन सालों से मैं हस्तमैथुन करके अपनी बेचैनी शान्त कर लेता था, बुर चोदने का बहुत मन करता था पर कोई जुगाड़ नही हो पाता था।
मैनें उस रात उनको अपने साथ चुदाई के लिये राजी करने का प्लान बनाने लगा।
आधी रात को पिताजी के घर से निकलते ही मैं बाथरूम गया तो खिड़की से देखा कि भाभी जगी हैं।
मैंने उन्हे आवाज दी कि आप जगी हैं क्या? उन्होनें कहा- “हाँ नींद उचट गयी है”। मैंने कहा कि अगर चाहें तो मेरे कमरे मे आ जाइये।
वे झट से तैयार हो गयीं और अपनी बेटी को लेकर मेरे कमरे मे आ गयीं। मेरी चौकी के बगल वाली चारपायी पर अपनी बेटी को दूसरी तरफ़ सुला कर खुद मेरे नजदीक लेट गयी।
फ़िर हम बातें करने लगे, पहले से सोचे हुए प्लान के अनुसार मैंने उनसे कहा कि भाभी एक बात पूछना चाहता हूँ, आप नाराज तो नही होंगी।
उन्होने कहा कि ऐसी क्या बात है? मैने कहा कि नहीं पहले वादा करो तब। उन्होने कहा “ठीक है बोलिये, मै नाराज नही होउँगी।“
मैने कहा “भाभी आज मैने अपनी एक क्लासमेट को देखा जिसकी शादी ३-४ महीने पहले हो गयी थी, आज वो बहुत ही खूबसूरत लग रही थी, उसका बदन भर गया है और वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी। शादी के बाद ऐसा क्या हो जाता है कि लड़कियों मे इतने परिवर्तन हो जाते हैं?” मैने यह सवाल जान बूझ कर बातों का रुख सेक्स की तरफ़ करने के लिये किया था। उन्होने कहा कि शादी के बाद पति के साथ रहने से ऐसा होता है।
मैने कहा कि खुलकर बताइये…… तो वो मुस्कुराकर मेरे गालों को मसल दी। ओह…ह्…ह्…!! मुझे तो मानो मन की मुराद ही मिल गयी। मै समझ गया कि आज मेरा भाग्योदय होने वाला है।
मै भी उनके बालों मे उँगलियाँ डाल कर सहलाने लगा। वह भी मेरे बालों को सहलाने लगीं
। अब तक वह अपनी चारपायी पर ही थी और मैं अपनी चौकी पर। मैं उनके गालों को सहलाते हुए बोला कि मेरे बिस्तर पर आ जाओ भाभी। वो झट से मेरे चौकी पर आ गयीं और… और… और… और… और…मैं तो जैसे पागल हो गया……जोर से उन्हें अपनी बाहों मे भींच लिया…उन्होने भी मुझे अपनी बाहों मे जकड़ लिया…और दोनो के होठ एक दूसरे के होठों का चुम्बन लेने लगे…दोनो के जिस्म एक दूसरे मे उलझ गये……वो जोर जोर से मेरा चुम्मा लेने लगी…
मुझे भी होश कहाँ रहा खुद का। बस एक नशा सा छा गया और मुझे कुछ होश नहीं कि आगे क्या करना है।
हालाँकि मैने पहले से अपने मस्त राम की कहानियों के द्वारा प्राप्त ज्ञान के आधार पर काफ़ी कुछ करने का सोचा था पर सब किताबी ज्ञान धरा रह गया।
मैंने सोचा था कि उनकी बुर में उंगली करुंगा, इस लिए मैंने अपने नाखून काट लिये थे। पर उनके चिपकते तथा चुम्मा चाटी करते ही मैं एकदम बेकाबू हो गया, उफ़्फ़ बरदाश्त करना मुश्किल था अब…… जिस बुर को चोदने की कल्पना पिछले तीन सालों से कर रहा था, तथा जिस प्यारी भौजाई को चोदने की कल्पना मैं दोपहर से कर रहा था………वह सुनहरा मौका मेरे सामने आज आ गया था।,उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्…अब एक पल भी रुकना असम्भव था।
उस वक्त भाभी सिर्फ़ साया और ब्लाउज मे थीं। मेरा मन चूँची चूसने पर इस लिये नही गया क्योंकि वह उन दिनों अपनी बेटी को दूध पिलाती थीं…वैसे मे चूँचियों को चूसने की कल्पना करते ही मन लिजलिजा सा हो जाता था।
मैंने भाभी से कहा “भाभी दोगी?”
उन्होंने पूछा “क्या?”
मैंने कहा “अब तुम्हे भी बताना पड़ेगा कि क्या माँग रहा हूँ”
तो इसपर वो मुस्कराते हुए बोलीं “आपको रोका कौन है,जो इच्छा हो कर लीजिये”।
अब तो मानो मेरे सपनो के साकार होने का वक़्त आ गया… मैं उनके बगल से उठ कर उनके टाँगों के बीच पहुँचा और उनका साया ऊपर उठा दिया…
फ़िर उन्होंने अपनी दोनो टाँगों को ऊपर कर लिया, अब उनकी भरी-पूरी बुर जिस पर झाँटें ही झाँटें थी नजर आ रही थी जो अब मेरे लिये थी। जिन्दगी में पहली बार बुर के दर्शन हुए थे,पर नाइट लैम्प की रोशनी मे जितना दिख रहा था वही बहुत था।
मैंने अपना फ़नफ़नाया लण्ड उनकी बुर मे डाला……बुर एकदम गरम और गीली थी…ओह्……मेरा पूरा लण्ड घचाक से उनकी बुर मे बिना किसी रुकावट के चला गया…क्योंकि भाभी का बुर तो भोसड़ा हो गया था……
खैर पहली बार एक छेद मे डालने का मौका तो मिला चहे वह कुँवारी चूत हो या चुदा-चुदाया भोसड़ा…मै तो गुरू ऽऽ सातवें आसमान पर था……खैर उनकी गरम बुर मे पूरा लण्ड जाते ही मेरा पूरा शरीर झनझना गया और मै तुरन्त ही झड़ गया……और सच बताऊँ मै बेहद शर्मिन्दा भी हो गया कि पहली बार मौका मिला भी तो मै शीघ्र पतन का शिकार हो गया।
मै उनके ऊपर से उतर कर बाथरूम गया, लौट कर उनके बगल मे लेट गया, उन्होंने मुस्कराते हुए पूछा-“क्या हुआ देवरजी बड़ा फ़ड़फ़ड़ा रहे थे, सारी मस्ती कहाँ गयी? बस हो गये शान्त।“ मै अन्दर ही अन्दर शर्मिन्दा तो था पर मैने कहा कि दोपहर से ही तुम्हे चोदने का प्लान बना रहा हूँ और तभी से लण्ड खड़ा है, फ़िर जिन्दगी मे पहली बार बुर के दर्शन हुए हैं शायद इसी वजह से डालते ही झड़ गया।

उन्होने पूछा- क्या सचमुच पहली बार है?
मेरे हाँ कहने पर उन्होने कहा कि पहली बार ऐसा अक्सर होता है, चिन्ता मत करिये सब सीख जायेंगे।
फ़िर वो मुझसे चिपट कर लेट गयीं। मुझे चुम्मा लेने लगीं क्योंकि वो अभी भी गरम थीं। धीरे-धीरे मै भी उत्तेजित होने लगा। इस बार मेरे हाथ उनकी चूचियों को सहलाने लगे…उनके निप्पल को चुटकी मे मसलने लगा तो वो सिसकारी लेने लगीं मुझे लगा कि उनको मजा आ रहा है……वो अपना निप्पल मेरे मुँह मे डालने लगीं……
मेरे झिझक को भाँपकर बोली कि घबड़ाइये मत जब तक जोर से चूसेंगे नहीं तब तक दूध नही। निकलेगा…इसको सक करना पड़ता है तब दूध निकलता है…समझे लल्लू देवर जी……और फ़िर उन्होनें मेरे लण्ड को सहलाना शुरू कर दिया, मैने उनके निप्पल को मुँह मे लेकर हौले-हौले चूसना शुरू कर दिया…ओह… ओह…ओ…ओह…
वो सिसकारियाँ लेने लगीं और अपने भोंसड़े को म्रे लण्ड से रगड़ने लगीं।
हम दोनो करवट लेटे हुए थे वो मेरे दाहिनी तरफ़ थीं, वो मुझे और जोर-जोर से निप्पल चूसने को कहने लगी…मुझे भी अब अच्छा लग रहा था और मै उनकी घुण्डी को दाँतो से काटकर चूसने लगा जोर से बस इतना कि दूध न निकले ।
वो मस्त होके मेरा हाथ अपनी बुर पर ले जा कर रगड़ने लगीं……उनकी बुर एकदम गरम और लिसलिसी हो गयी थी…लग रहा था कि बुर को बुखार हो गया हो जैसे…फ़िर उन्होंने करवट मे ही लण्ड बुर के मुँह पे रखकर डालने को कहा,
मैने कहा जरा अपनी बुर तो पोछ लो एकदम कीचड़-कीचड़ हो रही है, इसपर उन्होनें साया से अपनी बुर पोछी और मुझे अपनी दोनो टाँगों के बीच लेकर मेरे लण्ड को पकड़ कर बुर के मुँह पर रख कर धक्का लगाने को कहा।
मैने लण्ड को उनकी बुर मे जोर से पेला तो एकदम जड़ तक चला गया….…शायद करवट होने की वजह से इस बार बुर कुछ कम ढीली लग रही थी, खैर लण्ड अन्दर लेकर भाभी मेरा चुम्मा लेने लगीं….…फ़िर होठ चूमते हुए जीभ मेरे मुँह मे डाली मुझे बड़ा मजा आया और मै भी उनके होठों को चूसने लगा और जीभ अन्दर करके उनकी जीभ से खेलने लगा।
अब वो अपना चूतड़ आगे-पीछे करने लगीं और मै भी अपना लण्ड बाहर भीतर करने लगा……फ़च…फ़च्…फ़च…फ़चाफ़च……सट्…सट्… सटासट्…… सट्… की आवाजें गूंजने लगी कमरे मे…….…हम दोनो मस्ती के हिलोरें ले रहे थे…
दरअसल मेरी भाभी बहुत ही चुदक्कड़ हैं वो मुझे अपनी बाहों मे जकड़े हुए लण्ड घचाघच अपनी बुर मे लिये जा रही थीं साथ ही साथ जोर-जोर से साँसे लेते हुए बोलती जा रही थी हाए रे मेरे बबुआ आज तो आपने एक नये लण्ड का स्वाद चखा दिया….मैं तो कब से तरस रही थी स्वाद बदलने को कब से आपके भैया का लण्ड ले ले कर बोर हो गयी हूँ।
मैने पूछा कि मेरा लण्ड तो छोटा है भैया का कैसा है
तो वो बोली कि आपके भैया का आपसे बड़ा और मोटा है पर समय आने पर आपका भी तगड़ा हो जायेगा।
और मुझे जोर से भीचते हुए बोली “मेरे राजा मजा सिर्फ़ मोटे और बड़े लण्ड से ही नही आता कौन चोद रहा है और कैसे चोद रहा है यह महत्वपूर्ण है, अब देखिये आप अपने भैया से हैण्ड्सम हैं तथा पढ़ने मे भी तेज हैं, कोई भी लड़की आपसे चुदवाना चाहेगी……
ऐसा कहकर वह मेरे गाल सहलाने लगी और मैं भी मारे उत्तेजना के और जोर-जोर से लण्ड को उनकी बुर में अन्दर बाहर करने लगा…………हम दोनो ही मारे मस्ती के सटा-सट धक्का पे धक्का मारे जा रहे थे…
दोनो की साँसें तेज……तेज……तेज…होने लगी और उन्होनें मुझे जोर से जकड़ते हुए कहा “हाय रे मै तो गयी मेरे राजा…आज तो आपने मुझे जन्नत की सैर करा दी मेरे देवर जी…शादी के बाद पहली बार कोई नया लण्ड मिला है मै तो निहाल हो गयी…” हम दोनो एक साथ ही झड़े और देर तक एक दूसरे से चिपके रहे।
उन्होने पूछा कैसा लगा?
मैने हँसते हुए कहा “मैं तो कल्पना कर रहा था कि आपकी बुर एकदम टाइट होगी लण्ड घुसाने मे दिक्कत आयेगी……पर वैसा कुछ हुआ ही नही,” इस पर वह मुस्कराते हुए बोली कि अगर कुँवारे मे हम दोनो मिले होते तो वैसा होता भी, मैं तो शादी से पहले ही कई बार चुदवा चुकी हूँ और फ़िर इसी बुर मे से आपकी भतीजी निकली है तो थोड़ी ढीली हो गयी है…आप का तो पहला अनुभव है मजा तो आ ही रहा है…चलिये रात काफ़ी हो गयी अब सोया जाय।
उसके बाद इतनी गहरी नींद आयी कि पूछो मत……सुबह 7 बजे ही आँख खुली, फ़्रेश होने के बाद नाश्ता करके हम दोनो आपस मे बातें कर रहे थे कि भतीजी को भूख लग गयी और वह चौकी पर लेट कर उसको अपनी चूची पिलाने लगीं, हालाँकि आँचल से ढका था फ़िर भी थोड़ा सा दिख रहा था
…अब तो मेरा मन भी करने लगा क्योंकि दोपहर तक भाई साहब भी आने वाले थे, मैने कहा भाभी एक बार और चोद लेने दो तो उन्होनें कहा कि बेटी जगी है देखेगी तो किसी से कह सकती है,मैने कहा डेढ़ साल की बच्ची क्या समझेगी। उन्होंने कहा कि यह कह सकती है कि चाचा मम्मी के ऊपर थे। यह अपने पापा से बहुत बातें करती है।
फ़िर भी मेरा मन रखने के लिये वो चौकी के किनारे चूतड़ रखकर बेटी को अपनी छाती पर रखकर उसके मुँह मे निप्पल डाल कर आँचल से उसे ढक कर अपनी टाँगो को फ़ैला कर अपनी साड़ी उठा कर मुझसे बोली कि लीजिये जल्दी से चोद लीजिये फ़िर पता नही कब मौका मिले ना मिले।
मैने वही खड़े होकर तुरन्त अपना पहले से खड़ा लण्ड उनके भोसड़े मे डाला और चोदने लगा, वो तो कोई हरकत नही कर रही थी, मैं भी सावधानी से चोद रहा था ताकि उनकी बेटी डिस्टर्ब होकर हमारी हरकत ना देखने लगे।
थोड़ी देर चोदने के बाद मेरा झड़ गया और मैं उन्ही के साये मे पोछकर अलग हो गया।
फ़िर उस दिन दुबारा मौका ही नही मिला, कोई कोई आ जाता था तथा उनकी बेटी भी सोई नही, और भाई साहब भी जल्दी ही आ गये।

भाभी ने जीना हराम करके चुदाया ( Bhabhi NeJina Haram Karke Chudaya)

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हाय मैं सुरेश मेरी उम्र २० वर्ष है आपके लिये मै एक ऐसे स्टोरी लेकर आया हूँ जिसे पढकर आपका मन चोदने और चुदवाने का करने लगेगा

मेरे घर में चार भाई है और मेरे पिताजी है माँ का देहांत तब ही हो गया था जब मेरी उम्र ९ साल की थी। मेरे दो भाई मुंबई में सॉफ्टवेर इन्जिनेअर है जबकि सबसे बड़ा
भाई हमारे साथ ही जालंधर में रहता है। मेरे भाई की शादी हुई तो मैं बड़ा खुश हुआ कि जो माँ का प्यार माँ से नहीं मिला वह भाभी से मिल जायेगा। शादी के बाद भाभी
हमारे साथ ही रहने लगी हम गाँव के सबसे बड़े परिवार से ह। पिताजी का धयान रखने के लिए नौकर तो था पर नौकर और घर के सदस्य में रात दिन का अंतर था। भाभी
भी मुझसे मजाक किया करती।
एक दिन की बात है मैं बाथरूम में नहाने जा रहा था तो मेने भाभी से मेरी अंडरवियर और बनियान मांगी। भाभी बोली कि देवर जी आप नहाना तो शुरू करो मैं ढूँढकर
लाती हूँ मेने कहा ठीक है जब मैं नहा लिया और मैं केवल एक पतला सा टॉवेल लपेटकर खडा था तभी भाभी आई और बोली कि लो अपने अंडरवियर लो यह कहकर वो
दरवाजे के बहार खड़ी होकर दूर से अपना हाथ दिखा रही मेने भाभी से अंडरवियर लेने के लिए जैसे ही दरवाजा खोला भाभी ने दरवाजे में जोर से धक्का दिया और मेरे
बाथरूम में घुस आई और मेरी कमर पर गुदगुदी करने लगी्।
इस मजाक में वह हो ही गया जिसका मुझे डर था मेरा टॉवेल खुल गया और भाभी के हाथ में मेरा लिंग आ गया इसी बीच मैं शर्म के मारे बाथरूम से नंगा बाहर
निकल कर भाग गया क्यूंकि उस समय घर पर मेरे और भाभी के अलावा कोई नहीं था इस बात पर मैं भाभी से इतना नाराज़ हुआ कि पूरा दिन बोला नहीं। पर शाम को वह
मुझसे बोली कि सुरेश तुम मुझसे नाराज़ हो क्या तो मेने अपनी नाराजगी तोड़ते हुए न कहा दिया। अगले दिन जब मैं पढ़ाई कर रहा था तभी भाभी मुझसे बोली कि सुरेश मैं
नहाने जा रही हूँ तुम कल की बात का बदला लेने की कोशिश मत करना, तो मैं बोला नहीं भाभी मैं तो उस बात को कबका भूल चूका हूँ।
तभी नहाते हुए भाभी बोली कि सुरेश मुझे एक साबुन लाकर दो मेरा साबुन खत्म हो गया है मैं बोला अभी तो मैं दुकान जाकर साबुन नहीं ला सकता। भाभी बोली कि
दुकान से लाने को थोड़े ही कह रही हूँ, मेरे ड्रोर में रखा वहीं से ला दो। जैसे मैं साबुन लेकर आया तो भाभी दरवाजे में से मुह निकालकर झांक रही थी तो जैसे ही मैंने जैसे
ही हाथ बढाया तो भाभी ने साबुन लेने के बहाने मेरा हाथ पकड़ कर खींच लिया और मैं बाथरूम में गिरने लगा तो भाभी ने हाथ पकड़कर मुझे संभाला तभी मेरा हाथ उनकी
चूत पर पड़ गया। मैंने देखा कि भाभी बिलकुल नंगी खड़ी थी और उनके बूब्स बहुत बड़े थे और उनके निप्पल गुलाबी रंग के थे और उनकी चूत पर बहुत बड़े बाल थे और उन
बालो के कारण चूत भी ठीक से नहीं दिख रही थी।

तभी मुझे अपन पेंट में कुछ रेंगने का अनुभव हुआ मैंने देखा जब तक तो भाभी मेरे पूरे कपडे (पेंट, अंडरवियर) दोनों उतार चुकी थी्। मैं भाभी के सामने बिलकुल निवस्त्र खडा था और भाभी मेरे लंड को बड़े मजे से चूस रही थी तभी भाभी ने नीचे लेट कर पोसिशन ६९ में आ गयी और अब वो मेरा लंड चूस रही थी और मैं उनकी न चाह कर भी उनकी बालो वाली चूत चाट रहा था थोडी देर बाद वह उठी और मुझसे अपना ७’ लंबा लंड मेरी चूत में डालने को कहने लगी
मैंने जैसे ही अपना लंड भाभी की चूत पर रख कर जोर से धक्का दिया वह भाभी की चूत में न जाकर वहां से फिसलकर पीछे की और सरक गया फिर भाभी बोली जानू ऐसे नहीं और फिर वह साबुन उठाकर अपने हाथ पर लगाकर मेरे लंड पर रगड़ने लगी फिर उसके बाद उन्होंने उतना ही साबुन अपनी चूत पर लगा दिया और फिर बोलीं कि जान अब धक्का दो जैसे ही मैंने जोर से एक धक्का दिया वह चिल्ला पड़ी आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ईईइह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ऊऊह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह फिर मैंने एक और झटका देकर पूरा लंड भाभी की चूत में समां दिया और अब उनका और मेरा शरीर आपस में रगड़ने लगे उस दिन भाभी ने मुझे जिन्दगी मैं पहली बार सेक्स करना सिखाया
लेकिन उस सेक्स के बाद मुझे उस गलती पर बड़ा पछतावा हुआ और मैंने भाभी के कितना भी उकसाने पर ये गलती न दोहराने का संकल्प लिया। एक दिन जब मैं बाज़ार सामान लेने गया तो मुझे रास्ते जाकर ध्यान आया कि मैं पैसे लाना तो भूल गया हूँ। जैसे ही मैं घर पैसे लेने वापस आया तो देखा कि भाभी एक नौकर के साथ चिपकी हुई थी मुझे देख कर वह दूर हट गयी और फिर नौकर मुझे देख कर चला गया तभी मैंने भाभी से पूंछा तो वह कहने लगी कि तुम्हारे भैया तो बस काम के कारण बाहर ही रहते है उन्हें तो मुझे संतुष्ट करने का तो उन्हें कोई ख्याल नहीं रहता और तुम भी मेरे साथ एक बार सेक्स करके ही रह गए अब तुम ही बताओ ऐसे में मैं क्या करूं
वह बोली तुम्हे तो मेरे साथ … ऐतराज़ है मै बोला ऐतराज नहीं है मैं इस काम को पाप समझता हूँ वह बोली कि तुम मुझे इस तरह खु्श करो कि तुमसे पाप भी न हो और मुझे मजा भी आ जाये। मैं बोला क्या सच में ऐसा हो सकता हैं वह बोली कि हाँ क्यूँ नहीं तो मैंने कह दिया ठीक है वो मुझे कमरे मैं ले गयी और मेरे होठ चूमने लगी तो मैंने मना किया तो वह बोली कि मैं तुमसे तुम्हारा लंड अपनी चूत में डालने को तो नहीं कह रही हूँ फ़िर उन्होंने मेरे पूरे कपडे उतार दिए फिर अपने कपडे भी उतार कर बैठ गयी और मेरा लंड जोर जोर से चूसने लगी तभी मेरी नज़र उनकी चूत पर गयी आज वह बड़ी सुंदर और चिकनी दिख रही थी अब मुझसे नहीं रहा गया और मैं अपना संकल्प भूलकर पोसिशन ६९ में आकर भाभी की चूत चाटने लगा।
फिर भाभी ने मुझे उठाकर मेरा मुंह अपने बूब्स पर रख दिया फिर मैंने दोनों स्तनों से नीचोड़ नीचोड़ कर स्तनपान किया और कुछ देर बाद भाभी की दोनों टांगें विपरीत दिशा में करके उनकी चूत पर लंड फेरने लगा भाभी के मुह से आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ऊऊउह्ह्ह्ह्ह ईईह्ह्ह्ह्ह्ह निकल पड़ा तभी मैंने भाभी की चूत पर एक जोर से झटका मारा तो भाभी और तेज़ और तेज़ कह कर मेरा साथ देने लगी मेरा जोश यह सुनकर दुगना हो गया फिर भाभी और मैं एक साथ स्खलित हो गए उस दिन मुझे पहली बार से भी ज्यादा आनंद आया अब भाभी और मैं जब भी हमें मौका मिलता है तब यह खेल खेलते है

ଖାନ୍ ନଗର ମସାଣି : କବି ଓ କବିତା ର ପ୍ରେମ (Khan Nagar Masani)

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Khan- Nagar Masani
Story By: Shri Bhikari Charan Nath
Hi mu Sunita Prusty mora sabu gelha diara nananda mananka pain ei puruna rahasya maya (Detective) Story ku swagat janauchi. Ehi story ti Lekhaka – Shri Bhikari Charan Nath nka Khan Nagar Masani pustaka ra kichi madhura muhurta ra tiki galpa saha samanya kalpita katha tie. Asa karuchi apan mananku bhari bhala lagiba.


  Mu kabita, Mo ranga Haladi Gori munha ujwala lamba. Naba Joubana re munhare smita hasya jubaka nka manaku chori kari nie.  Mo joubana ra saita dehara rupa katha jadi janibaku chanhuchanti tebe 34 – 28- 34 kahile apana mane ta bujhi paruthibe.  Samastankara jibana bhali mo jibanare besh romanch bhari rahichi. Mo dehara pratham siharana bhari deithile Kabi bhai. Kabi bhai mo mausi pua bhai hebe. Sundar jemiti dekhibaku sehibali tankara sabu dhanga bhari pasanda lage.
 Gotae dina mu Kabi bhai nkukhai baku deuthae, se gotie kakara tie nei munhare deba belaku mun nei puni eka kakara o rasagola khuei deli. Kabi bhai mu rasagola khuaila bele mo hata dhari se rasagola ku mo munha re galeidele. Mu setebele tanku badha dei parili nahi. Chiii…… chiiii…… kabi bhai ta ajithu ete dusta heba sikhileni. Jetebele nanhi setebele mo sangare khali ai maja thata.

Kabi BHai ---  Gotie katha sun kabita.
Mu ---- han Sunibi hele mo hata chadile sunibi.
Mora etiki kathare se hathat mo pakharu ghunchi jai glassta pani eka niswasre sabu taka piii dei  mo khata upare lamba hoi padigale.
Mu—E kana karucha, tame kan aji gharaku jibani ki?
Kabi bhai – Kanhiki Rahigale khyati kan?
Mane mane khub raga madila kemiti dusta manisa tae.
Kabi bhai--  Tike iaaade aa…
Kabi Bhai—Mo Rana
Ei tiniti akhyarare ki madakata thila kejani mu aau dande matra thia hoi parilini. Khyanikare mora sabu abhimana pani photoka pari milai gala. Mu jai tanka  pakhare chida heli.
 Mo luga kanitaku hathat dhari nei se mote pakhare basibaku anurodha kale. Mu kintu tanka pakharu durei jai tani hebaku basili. Lugata ete sighra mo deharu alaga hoi jiba boli jani nathili. Mote bahut laja lagila, mu sehi ghara bhitaru palai asiba bele pachapatu asi mora dui hata bhitare hata purei mote teki nei khata re suai dele.
 Mu nirupaya nisahaya abasta re uthibaku chesta kali; kintu parilini. Se mo deharu blouse ta olhaiba ku jai mp blouse bottam kholibaku lagile. Mu pratibada karithile chali thanta, hele mu aau tankara kounasi karjya ku pratibada nakari Dhira sthira santa pilate pari soi rahili.
 Tanku eka subarna sujoga miligala bhabi mana ku jaha asila karigale. Kan kahibi aau mo chati upara pura ulagna mo manara lajare mu bi mo nagna chati ku chanhi paru nathili kahli anuvab karuthili madhura piratira chuan. Dui hatare kabi bhai mo dui nagna mansala pinda ku dali chali thanti chumbana pare chumbana. Dehare kebala siharana aau siharana mana ta prafulita heijau thae. Sthana jugala mo jantrana re asmbhala heuthila hele e pida ete je ananda deuthila satare rankuni tie pari soi rahi thili tankara baskhya tale. Kintu mo saita belare mana bujhilani naa kana je se mora pindhi thiba saya ra ganthitaku jemiti kholibaku jaichanti, Mu hathat kahi pakeili ---- Kabi bhai ! Esabu kan heuchi, tame bada dusta.


Kabi bhai- To tharu kam kabita
Mu- Achha ethara mote chada tene bou……
Kabi bhai- Bou para tene nighoda nidare soi ghungudi maruchanti. Ta chada manisha jibana re aa e sujoga aasibani. E sujoga matra tharu tie ase kabita.
Mu- E sabu kan kahucha kabi bhai?
Kabi bhai- Mu thik kahuchi kabita. Mote aau nirasa karani . Mu je tora aau tu je mora . Aau matra dina keita gale dekhibu ama dunhika hata ek hejiba.
Mu- Ta mane
Kabi bhai- Bujhi parunu kabita, bujhi parunu kabita ama dunhinkara hata ganthi padi baku aau matra dui tini ta masa baki rahila. Khali ama golap ra hata ganthi padi sariba pare mora hata ganthi padibara sujoga asiba.
Mu- Eha kan sata kabi bhai ! Etire kan tumara bapa o mausi raji hebe.
Kabi bhai- Nischita hebe. Bou ra ta sampurna ethire mata kintu mo bapa nku aau dina keita pare raji kareibani se.
Mu- Mo rana khaila. Mo deha chuin sapatha kala?
Kabi bhai- Mu sata kahuchi kabita. Mu ehi chandra ku chanhi sapatha karuchi to chada mora aau ditiya kehi nahi.
Tankara epari kathare sathika utara pai nijara aatita, bartamana o mora bhabisyataku bhuli gali. Tanka kathare, adarare o sohagare kounasi katha badha dei parili nahi.
  Mora kichi khyana nirabata bhanga kari mo munha re lage lage dui charoti chumbana dei mo pakhaku lagi soipadili. Mora sete beleku sara dehare apurba siharana kheli jau thae. Joubana ra madakata nisare mu ekbar….. Mora prati Lopakupa gudika prema madira pii sitei uthu thae. Mu setebeleku aau nijaku thaya kari napari tanka pakhaku lagigali. Ehi sujogare se mote teki nei tanka chati upare suai dei mote chapi dharile. Mu aau kichi nakhi tanka munha pakhare munha taku nei chumbana pratibadala re chumbana ankideli.
 Chumbana anki deli sata hele lajya re mo munha phika padigala. Mu akhi duita ku buji dei tankara chati upare soi rahili. Setebeleku mora khola chatita tanka chati upare jadi jai thila pari mora mane heuthae. Tapare mu anubhab kali se mora pindha saya taku kholibaku tikie madhy kholibaku hela karu nahanti. Tankara hata tiku dhari pratibada karibaku jai laja laja hoi kahili – Chi…. Kabi bhai ! asabu kan heuchi ?
Kabi bhai – Manisa jibanare jaha hue taha hin heuchi
Mu- Tame puni ete dina puri saharae thila kemiti.
Kabi bhai- Upaya nathila kabita, parikhya nadei……
Mu- Upaya nathila hele khande adhe kete bele chithi ta dei pari thanta na?
Kabi bhai- bhula bujha na kabita . Mu chithi khandie nadeli boli je tote sampurna bhuli jaichi se katha sampurna bhula. Tu jaha kaha na kanhiki chithire mo mana bujhena. Mu chanhe ahi pari tote sabudina pakhare pai dhnya hebi.
Mu- Kie jane tame je purusha. Ketebele puni e phula ru dhain anya eka phula ku nei…….?
Se abhimana swarupa mo saya bhitaru hata ku bahara kari anile o anya hata ta ku mo dhala dhala mansala sthana ru uthei nele. Aau kahile --- Se purusha aau mun eha akasha patala byabadhana. Mote biswas kar, mu jaha kahichi aau purbaru Madhya kahi asichi, mu ta sampurna karibi. Ta na pare ba ethire samaja jadi badha die ta hele mu to pain atma hatya karibi.
Mu – chiii.. epari sabu kan kuhanti. Mo rana kabi bhai, aau epari kahibani.
Ekatha kahi mun tanka pakharu ghunchi asili.

Kabi bhai—Mo rana katha kuha
Kabi bhai mo pakha sandhire hata rakhi kutu kutu kale mote jorrr hasa lagila. Mu phik.. kina hasi deli. Se puni thare mote tanka pakhaku aaujei chumbana pare chumbana anki baku lagile. Mu jemiti bhari chumbana rankuni tae. Tankara se chumbana re madaka sakti thila bodhe mu aau tanka anurodha edai parilini. Kamadebata nku mora premara prathama arghya badhi deba ku jai tanka hataku badha dei parilini. Mora sei dina sola barasha ra saiti rakhi thiba satira stitya khanikare nasta kale. Ki sundara o ananda dayaka muhurtwa se ki maja mo chati ra kampana tanka bisala banda o mo bia ra dharasana. Peli neu thile jorree joorree bhas bhas niswas ra lahadi bhasi jauthila dunhinkara nasa ru. Mo komala chatire dhali rahi thiba dui bela upare aghatara parimana badhi chali thila. Hele mora tike bi pratirodha nathila thila khali upobhoga ra maja ki gihana se deuthile, mo kuanri antire saita dhana re musala banda ku pasai gehi neu thile. Jangha jangha baji fada fada sabda kari prakampita heuthila. Aau prathama dehara upabhoga ku bhalare dirgha samaya dhari maja neba pare mo bia bhitare tanka banda ru birja pasi bharti hoigale. Mo mana anandare bhari gala puni chipa dala aau giha khai mo mana puara santa hoi gala…. Mu suna jhia te pari ulagna hoi soi rahithili tanka nanga dehatale……………………………………..


Writer: Sunita Prusty
Publisher: Bhauja.com

कुँवारी चूत की मालकिन ममता (Kunwari Chut Ki Malkin Mamta)

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दोस्तो, नमस्कार..

मेरा नाम दिनेश है.. मैं उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूँ और वर्तमान समय में गुड़गाँव में रहता हूँ। मेरी उम्र 34 साल है और मैं 6 फीट 2 इंच का हूँ.. मेरी शादी हो चुकी है। मैं एक चुदक्कड़ किस्म का इंसान हूँ और मुझे दुनिया में सबसे अच्छा काम चूत को अच्छे तरीके से बजाना लगता है।
इस संसार में चूत चुदाई से बढ़कर और कोई सुख नहीं है। मैं अधिकाँशतः परिवार से दूर रहता हूँ.. तो चूत का नाम सुनते ही चुदाई की इच्छा होने लगती है।
मैं पिछले तीन वर्षों से अन्तर्वासना का नियमित पाठक रहा हूँ और अन्तर्वासना पर मैंने सैकड़ों कहानियों का लुत्फ़ उठाया है। जितनी बार अन्तर्वासना पर मैंने कहानियाँ पढ़ी हैं, मैंने उतनी बार मुठ मारी है।
मेरे मन में भी कई बार यह ख़याल आया कि मैं भी अपनी कहानियों को आपके समक्ष प्रस्तुत करूँ.. किंतु संकोच बस मैं ऐसा न कर सका पर आज काफ़ी हिम्मत करके मैं अपनी एक कहानी आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ।
यह अन्तर्वासना पर मेरी पहली कहानी है।
वर्ष 1996 में बारहवीं की परीक्षा पास करके मैं सिविल सेवा की परीक्षाओं की तैयारी के लिए इलाहाबाद आ गया। यहाँ पर रहने का इंतज़ाम मेरे एक दूर के रिश्तेदार ने अपने घर में किया था। दरअसल उनकी बेटी की शादी मेरे पड़ोस में हुई है और उनकी बेटी रिश्ते में मेरी भाभी लगती हैं।
मैं सितंबर 1996 में इलाहाबाद आ गया। वो एक किराए के मकान में रहते थे और वो एक कमरे का छोटा सा घर था.. जिसमें वो पहले से ही पाँच लोग रहते थे.. मुझे मिलाकर अब कुल 6 लोग हो गए थे।
भाभी के चार बच्चे थे। भाभी जिनका नाम शीला है.. सबसे बड़ी हैं जो मुझसे करीब 3 साल बड़ी हैं, उनके बाद ममता थी.. जिसकी उम्र उस समय करीब 18 साल की थी.. जो कि मेरी हमउम्र भी थी।
उसके बाद नीलम.. जो उस समय दसवीं में थी।
उनका एक बेटा भी था.. वो आठवीं में था। मैं जब उनके घर पहुँचा.. तो वे लोग मुझसे काफ़ी अच्छे से मिले और मैं 3-4 दिनों में ही उनसे काफ़ी घुल-मिल गया।
सबसे ज़्यादा ममता मुझसे बात करती थी और मैं भी उससे काफ़ी घुल-मिल गया था। ममता जो कि अभी-अभी जवान हुई थी उसका फिगर ऐसा था कि जो भी उसे देखता तो बस देखता रह जाता।
वो किसी परी से कम नहीं दिखती थी। उसका फिगर उस समय 36-26-34, लंबाई 5 फीट 6 इंच.. बदन छरहरा.. दूध सा गोरा चेहरा.. उसमें काली और बड़ी-बड़ी आँखें तीखी नाक.. होंठ एकदम पतले-पतले.. गुलाब की पंखुड़ियों जैसे.. और जैसे ये कह रहे हों.. कि आओ और मुझे चूस लो।
उसके मस्त हुस्न का.. मैं धीरे-धीरे दीवाना हो गया था। वो इतना सुंदर थी कि मैं कई बार उसको देखते हुए ये भी भूल जाता था कि आस-पास में कोई और भी बैठा हुआ है।
मेरे दिल की हालत उससे ज़्यादा दिनों तक नहीं रह सकी। अब मैं जब भी उसे घूरता रहता.. तो जैसे ही हमारी नजरें आपस में मिलतीं.. तो वो हँस देती थी।
मुझे उसकी हँसी बहुत प्यारी लगती थी। मैं तो उसकी हँसी का दीवाना था.. वो हँसती थी तो ऐसा लगता था कि मेरे दिल में कहीं सितार बज रहे हों।
मुझे उसके बिना एक पल भी अच्छा नहीं लगता था और दिन भर उससे बात करने के बहाने ढूंढता रहता था, अब मुझे महसूस होने लगा था कि मैं उससे प्यार करने लगा हूँ।
धीरे-धीरे समय बीतता गया.. लेकिन बात आगे नहीं बढ़ पा रही थी.. क्योंकि न तो मैंने प्यार का इज़हार किया.. न तो उसने..
लेकिन एक दिन किस्मत ने मेरा साथ दिया।
हम सभी खाना खाकर पैरों पर रज़ाई डाले हुए हिन्दी फिल्म ‘हम आपके हैं कौन’ देख रहे थे और वो मेरे पास में बैठी हुई थी कि अचानक से बिजली गुल हो गई।
सभी को बहुत बुरा लगा.. क्योंकि वो फिल्म सबको बहुत अच्छी लग रही थी।
फिर हम लोग बातें करने लग गए कि यार इतनी अच्छी फिल्म आ रही थी और बिजली को अभी कटना था।
तो ममता ने बोला- काश बिजली आ जाती तो मज़ा आ जाता..
तो मैंने बोला- तुम इतना बोल रही हो तो अभी आ जाएगी..
मेरा इतना बोलना था कि बिजली आ गई और वो खुशी से मुझसे लिपट गई.. फिर जब उसे होश आया.. तो मुझसे तुरंत अलग हो गई।
मैंने पहली बार उसके जिस्म को महसूस किया था। उसके जिस्म में एक अजीब सी खुश्बू थी.. जो कि मुझे बहुत अच्छी लग रही थी। उसके अलग होने के बाद भी मैं उसी को बार-बार देख रहा था और वो बार-बार झेंपे जा रही थी।
फिर सभी लोग फिल्म देखने लगे.. लेकिन मेरा मन फिल्म में नहीं लग रहा था तो मैं उठकर बाहर आ गया और टहलने लगा।
ठंड में भी मुझे गर्मी लग रही थी और मेरे माथे पर पसीना आ रहा था। कुछ देर बाद ममता भी बाहर आ गई। उसने पूछा- क्या हो गया.. तुम बाहर क्यों आ गए.. फिल्म अच्छी नहीं लग रही है क्या?
मैंने बोला- ऐसी बात नहीं है.. फिल्म तो अच्छी है.. लेकिन मेरा मन नहीं लग रहा था.. इसलिए बाहर आ गया।
उसने पूछा- ऐसा क्या हो गया कि तुम्हारा मन नहीं लग रहा है?
मैंने बोला- एक बात कहूँ.. नाराज़ तो नहीं होगी तुम?
उसने बोला- नहीं होऊँगी।
मैंने बोला- पहले मेरी कसम लो।
उसने बोला- माँ की कसम.. बोलो कुछ नहीं बोलूँगी.. अब बोलो भी।
मैंने बोला- क्या तुम फिर से मेरे गले लगोगी?
उसने अन्दर घर की तरफ देखा और सीधे मुझसे लिपट गई और मैंने उसे अपनी बाँहों में कसकर भर लिया और मुझे पहली बार उसकी चूचियों का आभास हुआ जो कि हमारे बीच में दबी हुई थीं।
मेरी इच्छा हुई कि उनको छूकर देखूं लेकिन हिम्मत नहीं हुई।
कुछ देर बाद वह मुझसे अलग होने लगी तो मैंने फिर से उसे अपनी बाँहों में भर लिया।
उसने बोला- चलो.. अन्दर चलते हैं.. नहीं तो कोई बाहर आ जाएगा।
फिर हम अन्दर आ गए और अपनी जगह पर बैठकर फिल्म देखने लगे। फिर मैंने अपना एक हाथ रज़ाई के अन्दर डाल लिया और धीरे से उसके हाथ को पकड़ लिया।
उसने कोई विरोध नहीं किया.. तो मैं उसके हाथ को धीरे-धीरे सहलाने लगा। कुछ देर बाद मैंने हिम्मत करके अपना हाथ उसकी चूचियों पर रखा.. तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और मेरे हाथ को अपने पेट पर रख दिया।
मैंने कई बार उसकी चूचियों को पकड़ना चाहा.. लेकिन हर बार उसने मेरा हाथ पकड़ लिया। फिर मैंने अपना हाथ रज़ाई से बाहर खींच लिया। उस दिन मेरी गाड़ी इतना ही आगे बढ़ पाई।
अगले दिन जब नीलम और पिंटू स्कूल चले गए और अंकल अपने ऑफिस चले गए.. तब घर में केवल मैं.. ममता और उसकी मम्मी ही बचे।
जब आंटी दोपहर का खाना बनाने में लग गईं.. तब ममता मेरे पास आई और बोली- नाराज़ हो क्या?
मैंने बोला- नहीं..
तो उसने बोला- फिर सुबह से बात क्यों नहीं कर रहे हो?
मैंने बोला- मुझे लगा कि रात वाली बात से तुम कहीं नाराज़ तो नहीं हो..
तो उसने बोला- इसमें नाराज़गी की क्या बात है.. मुझे भी तो अच्छा लग रहा था।
मैंने बोला- फिर तुमने मुझे अपनी चूचियों को क्यूँ छूने नहीं दिया?
उसने बोला- वहाँ पर सब बैठे हुए थे.. इसलिए मुझे डर लग रहा था।
फिर मैंने देखा.. आंटी रसोई में खाना बनाने में मशगूल हैं.. तो मैंने मौका देखकर उसे अपने पास खींच लिया और उसकी चूचियों को धीरे-धीरे दबाने लगा।
वो भी मजे ले रही थी.. फिर मैंने धीरे से उसके गालों पर एक चुम्बन किया।
हम दोनों को डर भी लगा हुआ था कि कहीं रसोई में से उसकी मम्मी न आ जाएं.. इसलिए हम अलग हो गए।
अब हमें जब भी मौका लगता तो हम लोग इस प्रकार की हरकतें कर लिया करते थे।
भगवान ने फिर मेरा साथ दिया और ममता के नानाजी बीमार पड़ गए और आंटी उनको देखने के लिए आज़मगढ़ जाने वाली थीं.. लेकिन अंकल का ऑफिस चालू था.. इसलिए आंटी ने फ़ैसला लिया कि वो नीलम और पिंटू को लेकर आज़मगढ़ जाएँगी और ममता यहीं रहेगी.. ताकि अंकल को खाना मिलता रहे।
फिर अगले दिन सुबह ही आंटी दोनों बच्चों के साथ आज़मगढ़ निकल गईं।

मैंने और अंकल ने नाश्ता किया और फिर अंकल ऑफिस चले गए और मैं पेट में दर्द का बहाना बना कर घर पर ही रुक गया।
आज मेरे पास अच्छा मौका था कि मैं ममता को चोद सकूँ।
फिर मैं और ममता बातें करने लगे। हम दोनों ने प्यार का इकरार किया और मैंने जोश में यहाँ तक बोल दिया कि मैं तुमसे ही शादी करूँगा।
तो ममता ने बोला- आज से तुम ही मेरे पति हो।
मैंने बोला- यदि मुझे अपना पति मानती हो.. तो तो मुझे अपने शरीर को पूरा दिखाओ..
फिर हम दोनों बिस्तर पर बैठकर एक-दूसरे के शरीर को छूने लगे। धीरे-धीरे मैंने उसकी टी-शर्ट को निकाल दिया और अन्दर का नज़ारा देखते ही मेरी आँखें खुली की खुली रह गईं।
उसने अन्दर महरून रंग की ब्रा पहनी हुई थी.. जिसमें उसकी चूचियाँ क़ैद थीं और मुझे दावत दे रही थीं कि आओ और मुझे इस क़ैद से निजात दिलवाओ।
मैंने ऊपर से ही उसकी चूचियों को रगड़ना शुरू किया तो कुछ ही देर में उसकी सिसकारियाँ निकलने लगीं। कुछ देर की मसक्कत के बाद मैंने उसकी चूचियों को ब्रा की क़ैद से मुक्ति दिलवा दिया।
उसका गोरा बदन देखते ही बन रहा था। उसकी दोनों चूचियों को भगवान ने फ़ुर्सत में बनाया होगा। उसके दोनों सुडौल उभार जिन पर मटर के दाने जितनी बड़े निप्पल.. जैसे अहंकार में डूबे हुए मुझे ये जता रहे हों कि देखी है.. ऐसी खूबसूरती.. किसी और के पास..
मैंने अपने दोनों हाथों में उनको थाम लिया और बड़े ही प्यार से सहलाने लगा। मेरी ये हरकत ममता को बहुत अच्छी लग रही थी। वो आँखें बंद किए हुए बिस्तर पर लेटी हुई थी। उसने उस समय चिहुंक कर अपनी दोनों आँखें खोल दीं.. जब मैंने उसकी एक चूची को अपने मुँह में भर लिया।
अब धीरे-धीरे वह मदहोश होती जा रही थी और बार-बार मुझसे लिपट रही थी। उसकी सिसकारियाँ तेज होती जा रही थीं। कुछ देर बाद उसने मुझे बताया कि उसको ये सब बहुत ही अच्छा लग रहा है.. लेकिन नीचे कुछ अजीब सा महसूस हो रहा है।
अब मुझे लगा कि यह अब चुदाई के लिए तैयार हो रही है। मैंने बोला- अपना लोवर निकाल दो.. तो मैं देखूं कि क्या हो रहा है?
तो उसने पहले तो मना कर दिया.. लेकिन कई बार कहने पर उसने अपना लोवर निकाल दिया.. अब वह केवल महरून रंग की जालीदार पैंटी में थी। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि मेरे सामने जन्नत की कोई हूर बैठी हो। मैं ज़्यादा देर न करते हुए उसके ऊपर आ गया और अपने लंड को अंडरवियर के अन्दर से ही उसकी चूत पर रगड़ने लगा।
वो लंड का अहसास पाते ही जोर-ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगी और उसकी चूत से पानी का रिसाव होने लगा।
इसी बीच मैंने अपना एक हाथ उसकी पैंटी में डाल दिया और उसकी चूत के दाने को सहलाने लगा। उसने मेरा कोई विरोध नहीं किया तो मुझे समझ में आ गया कि उसे भी मज़ा आ रहा है।
मौका देख कर मैंने उसके पैंटी को भी धीरे से नीचे खिसका दिया। अब वो मेरे सामने बिल्कुल नंगी थी और मैं उसकी चिकनी चूत को ही एकटक निहार रहा था।
मैंने कई ब्लू-फ़िल्म देखी थीं.. पर आज पहली बार चूत चोदने का मौका हाथ लगा था। मैंने धीरे से अपने मुँह को उसकी बुर पर रख दिया तो वह तुरंत ही उठकर बैठ गई और बोली- नहीं.. ये गंदी जगह है.. इसमें मुँह मत लगाओ।
लेकिन मैं नहीं माना और अपनी ज़िद पर अड़ा रहा.. तो उसने अपने हथियार डाल दिए। मैंने अपना लंड उसको चूसने के लिए बोला तो उसने बिल्कुल मना कर दिया।
मैंने ज़्यादा ज़ोर नहीं डाला और उसकी चूत को चूसने लगा। करीब दो मिनट की चुसाई में ही उसने अपना माल मेरे मुँह पर ही छोड़ दिया। मैं इसके बाद भी नहीं रुका और लगातार उसकी चूत को चूसता रहा।
कुछ देर बाद ही वो चिल्लाने लगी- कुछ करो.. नहीं तो मैं मर जाऊँगी..
मैंने मौके की नज़ाकत को भाँपते हुए अपने कपड़ों को अपने शरीर से अलग कर दिया और उसके बगल में बिल्कुल नंगा होकर लेट गया।
मैं उसके शरीर को धीरे-धीरे सहला रहा था। लेकिन उसका ध्यान केवल मेरे 6 इंच लंबे और अपेक्षाकृत मोटे लंड पर टिका हुआ था।
वो उसे बहुत आश्चर्य से देख रही थी तो मैंने पूछा- क्या देख रही हो?
तो उसने बोला- ये मेरे इतने से छोटे छेद में कैसे जाएगा?
मैंने बोला- अगर तुम मेरा साथ दोगी.. तो आराम से घुस जाएगा।
बोली- तुम जो कहोगे.. वो मैं करूँगी।
फिर मैं उसके ऊपर चढ़ गया और अपने लंड को उसकी चूत के मुँह पर रगड़ना शुरू कर दिया और वो फिर से सिसकारियाँ भरने लगी और बीच-बीच में अपने चूतड़ को उचकाने लगी।
जब वो मुझे ज़्यादा ही मदहोश होने लगी.. तब मैंने अच्छा मौका देखकर अपने लण्ड के सुपारे पर ढेर सारा थूक लगाकर चूत के मुँह पर लण्ड टिका दिया और रगड़ने लगा।
इसके साथ ही मैं उसके रसीले होंठों का भी रसपान कर रहा था और वो भी खूब मजे से मेरा साथ दे रही थी।
लेकिन उसे यह नहीं पता था कि अगले पल उसके साथ क्या होने वाला था।
मैंने मौका देखकर एक तगड़ा झटका दिया और मेरा आधा लंड उसकी कुँवारी चूत की सील को चीरता हुआ अन्दर घुस गया।
‘ऊईईईईई…’
उसकी चीख उसके गले में ही घुट गई। वो मुझे घूर रही थी और उसकी आँखें मुझसे सवाल कर रही थीं.. किंतु इस समय मैं किसी भी सवाल का जबाब देने के मूड में नहीं था।
कुछ देर में ममता थोड़ा सामान्य हुई तो मैंने दूसरा जोरदार झटका मारा और लंड सीधा उसकी चूत की गहराइयों में समा गया।
ममता की दोनों आँखों से आँसू निकल रहे थे और मेरी गिरफ़्त से वो छूट जाना चाहती थी.. लेकिन वो चाहकर भी मेरी मजबूत पकड़ से नहीं छूट पाई। मैं उसको चूम रहा रहा था और धीरे-धीरे लण्ड को भी उसकी चूत में आगे-पीछे कर रहा था। अब धीरे-धीरे उसको भी मज़ा आने लगा और वो मेरा साथ देने लगी। ठंड में भी हम दोनों पसीने से भीग गए।
ममता की ‘आहों’ से पूरा कमरा गरम हो गया था और मेरा भी जोश बढ़ता जा रहा था। मेरी चोदने की रफ़्तार बहुत तेज हो गई थी और ममता भी लिपट-चिपट कर मेरा उत्साह दोगुना कर रही थी। करीब 15 से 20 मिनट की चुदाई के बाद अचानक ममता ज़ोर-ज़ोर से अपने चूतड़ों को मटकाते हुए झड़ गई।
अब मैंने अपनी रफ्तार और तेज कर दी और कुछ देर बाद ही मेरे लण्ड ने फुंफ़कार मारते हुए उसकी चूत मे वीर्य की पिचकारी मार दी। जैसे ही मेरे लण्ड ने अपनी पिचकारी मारनी शुरू किया उसकी चूत में एक खिंचाव सा महसूस हुआ और मैं झड़ते चला गया।
हम काफ़ी देर तक वैसे ही एक-दूसरे से चिपके पड़े रहे, वो मुझे बार-बार चुम्बन किए जा रही थी।
उसकी इस हरकत से मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया और फिर से हमने चुदाई का एक नया दौर शुरू कर दिया।
उस दिन जब तक अंकल नहीं आ गए तब तक हमने कुल 4 बार चुदाई की।
इसके बाद हमने अगले 7-8 दिनों तक जब तक कि आंटी वापस नहीं आ गईं और हमें जब भी मौका मिला.. हमने कम से कम कुल मिलकर 20 से 25 बार चुदाई के मजे लिए।
अगले चार महीनों तक तो हमारे बीच सब कुछ ठीक-ठाक चला.. फिर मुझे लगा क़ि यहाँ रहा तो मैं अपनी पढ़ाई नहीं कर पाऊँगा.. इसलिए मैंने उनका घर छोड़ दिया और एक लॉज में एक कमरा लेकर अपनी पढ़ाई में जुट गया।
अब मेरा उनके घर आना-जाना काफ़ी कम हो गया.. लेकिन हमें जब भी मौका मिलता था.. तो हम चुदाई कर लिया करते थे। जब मैं किसी सप्ताह उनके घर नहीं जाता था तो ममता मुझसे मिलने आ जाया करती थी और मौका देखकर हम चुदाई कर लिया करते थे।
सन् 1999 में उसकी शादी हो गई और उसके बाद हमने फिर कभी चुदाई नहीं की.. सन् 2000 मे मेरा शारीरिक संबंध उसकी छोटी बहन नीलम से हो गया जो 2006 तक कायम रहा।
उसके बाद मेरा चयन हो गया और मैं अपने जॉब में व्यस्त हो गया। फिर शादी हो जाने के कारण अब मेरा इलाहाबाद जाना काफ़ी कम हो गया है किंतु जब भी जाता हूँ तो नीलम की चुदाई अवश्य ही करता हूँ।
नीलम से मेरे संबंध कैसे बने.. वो आपको मैं अगली बार बताऊँगा.. तब तक के लिए आप लोगों से विदा लेता हूँ और आशा करता हूँ कि मेरी कहानी आप लोगों को कैसी लगी.. आप अवश्य ही मुझे मेल करके सूचित करेंगे।

गर्ल-फ्रेंड की सील तोड़ चुदाई (Girl-Friend Ki Seal-Tod Chudai)

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मेरा नाम अंकित शर्मा है.. मैं एक गाँव का रहने वाला हूँ और एक बहुत अच्छा लड़का हूँ.. मैं बहुत दिनों तक सकुचाने के बाद यह कहानी लिख रहा हूँ.. यह कहानी बिल्कुल सच्ची है। मेरी बहुत सी गर्ल-फ्रेण्ड थीं.. पर मैंने किसी के साथ भी शारीरिक सम्बन्ध नहीं बनाए थे।

मैंने 12 वीं पास की और मैं कॉलेज में अपनी आगे की पढ़ाई करने गया। मेरा कॉलेज में पहला दिन था.. उस दिन क्लास में सिर्फ़ मैं एक अकेला लड़का था। तभी एक लड़की आई.. मैं उसका नाम नहीं लेना चाहता हूँ। मैंने उससे बात की.. फिर हम पूरे दिन एक साथ बैठे रहे।
मेरे दिल में भी कुछ था और उसके दिल में भी.. पर मैंने उस दिन उससे कुछ नहीं बोला।
अगले दिन जब मैं कॉलेज गया.. तो यही कोई 10-15 लड़के-लड़कियाँ आए थे। मैंने उससे दूर से ही बात की और जब हम घर जाने लगे.. तो मैं गेट के पास खड़ा था।
वो मेरे पास आई और बोली- आपका नम्बर क्या है?
मैंने उसे जल्दी से अपना नम्बर दे दिया फिर मैंने उसका नम्बर माँगा.. तो बोली- मैं खुद फोन करूँगी..
‘ठीक है..’
मैं बहुत खुश था.. तभी मैं गया.. और मैंने अपना मोबाइल रीचार्ज कराया। तब तक उसके मिस कॉल आ गया.. मैंने कॉल-बैक की तो उससे बात हुई और मैंने उसे मिलने के लिए बुलाया।
वो अपने होस्टल के अपने कमरे से आ गई। हम दोनों यूँ ही टहलने निकल पड़े और टहलते हुए सुनसान में जंगल की तरफ चले गए। वहाँ हम दोनों ने एक निर्जन जगह देखी और बैठ गए।
तभी मैंने उसे चुम्बन किया.. वो शर्मा गई और मुझसे पूछने लगी- चुम्बन करने से कुछ होगा तो नहीं?
मैं हंस पड़ा और मैंने बोला- चुम्मी से कुछ नहीं होता।
उस दिन तो मुझे इससे अधिक मौका नहीं मिला.. क्योंकि दिन का वक्त था।
इस तरह उससे मेरी मुहब्बत आगे बढ़ने लगी। इसी तरह कुछ दिन बीत गए.. ऐसे ही चलता रहा।
अब मैंने फोन से उसके साथ सेक्सी बातें करना शुरू कर दी थीं। फिर वो दिन भी आ ही गया.. जिसका मुझे इंतजार था।
एक दिन मैंने उसे फोन से कहा- हनी.. मैं तुम्हारे साथ सेक्स करना चाहता हूँ।
उसने साफ़ मना कर दिया। मैंने गुस्से में फोन काट दिया। उसका पलट कर फोन आया.. मैं समझ गया कि आज काम हो जाएगा। बात हो गई वो मुझसे चुदने को राजी हो गई थी।
उसको मैंने बोला- मेरे लिए खाना बना दे.. मैं तेरे कमरे में आ रहा हूँ।
बोली- ठीक है.. पर कुछ करना मत..
मैंने बोला- ठीक है..
मैं जल्दी-जल्दी उसके पास गया। उस दिन उसने काले रंग का कुर्ता और सफ़ेद लैगीज पहन रखा था.. उसके बाल खुले थे उसे देख कर मेरा लण्ड खड़ा हो गया।
मैंने उससे पकड़ लिया और चुम्बन करना शुरू कर दिया। वो बहुत नखरे कर रही थी, मैंने बोला- चुम्बन ही तो कर रहा हूँ.. और ऊपर ऊपर से करने से कुछ नहीं होता है।
अब मैं उसके साथ बिस्तर में लेट गया और मैंने उसकी चूचियों पर हाथ डाल दिए। आह्ह.. इतने सेक्सी और सॉफ्ट मम्मे.. आह.. वो मेरा हाथ हटाने लगी।
मैंने उससे बोला- तू मुझे प्यार करती है.. तो ठीक है.. नहीं तो मैं मर जाऊँगा।
वो बोली- ठीक है.. जो भी तुमको करना है करो.. मैं तुमसे प्यार करती हूँ।
मैंने धीरे-धीरे उसकी फुद्दी में हाथ डाला.. और उसको मसलना चालू किया। अब वो भी मेरा साथ देने लगी। मैं उसे लगातार चुम्बन कर रहा था।
मैंने उसकी कमीज उतारी.. ओह.. उसने मस्त सफ़ेद रंग की ब्रा पहन रखी थी। मैंने धीरे-धीरे उसके सारे कपड़े उतार दिए और अपने भी कपड़े उतार दिए।
अब हम दोनों नंगे थे.. वो मुझसे शर्माने लगी थी। उसने अपने जिस्म को छुपाने के लिए कम्बल ओढ़ लिया.. मैंने कम्बल हटाया और उसके ऊपर चढ़ गया।
मैंने उसके होंठों को चूमा और उसकी चूचियों को चूसने लगा।
अब उसको भी चुदास चढ़ने लगी, वो भी मुझे चुम्बन करने लगी। मेरा लण्ड भी खड़ा हो गया था.. अब मुझसे और सब्र नहीं हो रहा था।
मैंने उसकी फुद्दी में थोड़ी सी क्रीम लगाई, फिर उसकी परवाह किए बिना.. लौड़े को चूत की दरार में ऊपर-नीचे रगड़ने लगा। उसकी चूत भी रो पड़ी और जैसे ही उसने उत्तेजित हो कर अपनी टाँगें फैलाईं.. मेरे टोपे ने उसकी फुद्दी में अपना सर रख दिया। अब मैंने धक्का मारा और लौड़े को चूत में ठेलने लगा।
मैंने अभी थोड़ा सा ही अन्दर घुसाया था.. पर लण्डदेव उसकी चूत में घुसने का नाम ही ले रहे थे। मैंने लौड़ा बहार खींचा.. उस पर थूक लगाया। अब फिर से लण्ड को पकड़ा और उसकी फुद्दी में रख दिया और एक ज़ोरदार धक्का दिया.. मेरा लौड़ा अन्दर घुस गया।
वो चिल्ला पड़ी- ओई..माँ.. मर.. गईई…
वो ज़ोर-ज़ोर से रोने लग गई.. मैंने उसे चुप कराया.. वो मुझे अपने ऊपर से हटाने लगी।
मैंने खींच कर एक थप्पड़ मार दिया.. मुझे चिंता थी कि बाहर और लोग भी रहते हैं.. साली की चीख-पुकार सुन कर कोई आ न जाए..
मुझे डर भी लग रहा था.. पर मैंने उसे ज़ोर से पकड़ा उसके हाथ दबा दिए और अपना लण्ड पूरी ताकत से पेल दिया। उसके मुँह को मैंने अपने होंठों से चूमने से बन्द कर दिया था।
उसे बहुत दर्द हो रहा था क्योंकि उसका यह पहली बार था। यही कोई 5-6 मिनट के बाद मुझे तो मज़ा आ ही रहा था उसको भी मजा आने लगा।
वो मजे से चुदती रही फिर एकाएक वो अकड़ गई और झड़ गई.. उसके बाद मैं भी झड़ गया।
वो बोलने लगी- आज के बाद.. मुझसे बात मत करना।
वो रो रही थी, उसके बाद वो उठ कर बाथरूम में चली गई।
मुझे भी उसको थप्पड़ मारने का अफ़सोस तो हो ही रहा था।
इसके बाद उसने मुझसे दोस्ती तो बनाए रखी.. मैं भी उसे प्यार करता रहा।
पढ़ाई के बाद उसकी जॉब लग गई.. पढ़ाई के बाद मैंने भी कॉलेज छोड़ दिया.. मैं भी उसके साथ रहने लगा था।
फिर तो दिन में 3-4 बार चुदाई करते थे.. करीब दो साल ऐसा ही चलता रहा।
बाद में मैं आगे पढ़ने के लिए चला गया अब वो शिमला में रहती है.. मैं हर 5 या 6 दिन बाद उसके पास जाता था। अब तो वो मुझे खुद बुलाती थी और मुझे आने-जाने के पास भी भेजती थी। मेरी जिन्दगी एकदम मस्त चल रही थी.. पर आज हम अलग-अलग हैं।
यह कहानी बिल्कुल सच है दोस्तो.. उसने मुझे धोखा दिया.. अपनी माँ के कहने से किसी और से शादी कर ली।
अब मैं आजकल दिल्ली में हूँ और सिर्फ उसको ही याद करता हूँ।

बहुत कुछ खोया बहुत कुछ पाया-1

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हैलो दोस्तो, मेरा नाम एस के चौधरी है और मैं आगरा से हूँ।
मेरी उम्र 21 वर्ष है मेरा रंग गोरा है यानि कि दिखने में आकर्षक बन्दा हूँ।

मैंने आप लोगों की बहुत सारी सेक्स स्टोरी पढ़ी हैं.. तो मुझे भी अपनी स्टोरी आप सबको बताने का मन हुआ।
मैं आपको अपनी सच्ची स्टोरी लिख रहा हूँ.. अगर मुझसे कोई ग़लती हो तो माफ़ कर देना।
मेरी यह कहानी काफ़ी समय पहले की है जब मैं स्कूल में पढ़ता था। मेरा स्कूल घर से करीब एक किलोमीटर दूर था.. तो स्कूल आने-जाने में परेशानी होती थी।
मैंने पापा को साइकिल के लिए बोला.. तो पापा ने मुझे एक नई साइकिल दिला दी। वो साइकिल छोटी थी.. उसे चलाने में मुझे बहुत मजा आता था। अब मैं रोजाना साइकिल से स्कूल जाता था।
कुछ दिन बाद मेरी साइकिल की चाबी स्कूल में कहीं गिर गई और मेरी चाभी स्कूल की ही एक लड़की को मिल गई।
यह बात मुझे मेरे दोस्त ने बताई कि तेरी साइकिल की चाभी उसके पास है वो अन्य किसी कक्षा में पढ़ती थी, उसका नाम राजेश्वरी था.. तो मैं उसके पास अपनी चाभी लेने गया।
उसके पास जाते ही मैंने अपनी चाभी माँगी.. तो उसने इठला कर कहा- तुम्हें चाभी तो मिल जाएगी लेकिन एक शर्त पर..
मैंने पूछा- बता क्या..
उसने कहा- तुम मुझे रोजाना लंच में अपनी साइकिल चलाने दोगे।
मैंने ‘हाँ’ कर दी।
उसे देख कर मैं क्या.. कोई भी किसी चीज़ के लिए ‘ना’ नहीं कर सकता था। वो एक बहुत सुंदर और सेक्सी.. हॉट माल थी।
उसके गुलाबी गाल.. पतले-पतले गुलाबी रसभरे होंठ.. छोटे-छोटे सन्तरे जैसे मम्मे और मटकती हुई गाण्ड.. मानो घायल कर रही हो। सब लड़के उसे ही घूरते रहते थे।
उसे भी साइकिल का बहुत शौक था.. इसलिए उसने मुझसे दोस्ती कर ली।
दूसरे दिन से वो रोजाना लंच में मेरी साइकिल को स्कूल के मैदान में चलाती रहती। उस साइकिल के वजह से हम धीरे-धीरे काफ़ी पास आ चुके थे।
अब मैं उससे काफ़ी मिलता-जुलता था और बात भी करता था।
हम दोनों की दोस्ती अब आगे बढ़ने लगी और इसी बहाने से मैं उसे बहुत बार चुम्बन भी कर चुका था। मुझे जब भी मौका मिलता.. चुम्बन तो कर ही लेता और उसकी चूचियों भी दबा देता था।
उसकी छोटी सी चीकू जैसी चूचियाँ बहुत सख्त थीं.. हाथ लगाते ही वो दर्द से उछलने लगती थी।
अब धीरे-धीरे हमारी दोस्ती के चर्चे स्कूल में चलने लगे थे। जब ये मुझे लगा कि हमारी लव स्टोरी अब मशहूर हो रही है तो मैंने राजेश्वरी को अपना मोबाइल नम्बर दिया और उससे स्कूल में बात करना बंद कर दिया।
अब हम केवल फ़ोन पर ही बात करते थे.. और उसने अब मेरी साइकिल चलाना भी बंद कर दिया। जिससे कि कोई हमारी दोस्ती के बारे में कुछ न बोले।
अब हमारी लव स्टोरी बहुत आगे बढ़ चुकी थी.. और अब हमें एक-दूसरे के बिना रहना मुश्किल हो रहा था।
हम दोनों जब तक एक-दूसरे के सामने रहते.. खुश रहते और अलग होते ही उदास हो जाते और एक-दूसरे की याद आने लगती थी।
यह देख कर मेरे दोस्त ने मुझसे कहा- उदास रहने और रोने से अच्छा है कि तुम दोनों कहीं भाग जाओ और शादी कर लेना और एक साथ ही रहना।
तो मैंने उससे ये सब करने के लिए मना कर दिया.. लेकिन घर जाके मैं सारी रात ये ही सोचता रहा कि क्या ऐसा करना सही रहेगा।
अब मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ.. तो मैंने राजेश्वरी को फ़ोन किया और उसे घर से भागने का विचार बताया तो पहले तो उसने भी मना कर दिया फिर इस बारे में दूसरे दिन बताने को कहा।
फिर हम दोनों ने फोन पर बातचीत खत्म की.. और सो गए। दूसरे दिन स्कूल से आकर रात को फिर बात की.. तो आज राजेश्वरी मेरे साथ भागने के लिए राज़ी हो गई।
अब हम दोनों भागने का प्लान बनाने लगे। तभी दूसरे दिन किसी ने राजेश्वरी के पापा को हमारी लव स्टोरी के बारे में बता दिया और उन्होंने राजेश्वरी को बहुत पीटा था और उसको मुझसे मिलने या बात करने को मना कर दिया। लेकिन रात को सभी के सो जाने के बाद हम दोनों फोन पर बात करते थे।
उस दिन पिटाई के बाद उसी रात को उसका फ़ोन आया और उसने सारी बातें मुझे बताईं.. तो मुझे उसके पापा पर बहुत गुस्सा आने लगा। मैं उसे भाग चलने के लिए बोलने लगा और वो भी घर से भाग जाना चाहती थी।
अब हमने स्कूल से ही भाग जाने का प्लान बना लिया और दूसरे दिन सुबह मैंने अपने बैग से किताबें निकाल कर छुपा दीं और बैग में अपने कपड़े रख लिए। मैंने पापा के रखे हुए पैसे भी चोरी कर लिए और स्कूल के लिए निकल गया।
उधर राजेश्वरी ने भी अपने बैग से किताबें निकाल कर कपड़े रख लिए और अपनी माँ के ज़ेवर और घर से जितने भी पैसे उसके हाथ लगे.. उसने ले लिए।
अब हम दोनों स्कूल से पहले एक चौराहे पर मिले। इस काम में मेरा एक दोस्त हमारे साथ था।
उसे हमारे बारे में सब पता था। उसने हम दोनों को अपनी बाइक से रेलवे स्टेशन छोड़ा और कॉलेज के लिए चला गया।
मैंने दिल्ली के लिए दो टिकट लीं और प्लेटफार्म पर खड़े होकर ट्रेन का इन्तजार करने लगे। तभी राजेश्वरी ने मुझे अपने पैसे और अपनी माँ के ज़ेवर मुझे दिए.. जो वो अपने घर से चुरा कर लाई थी।
अब हमारे पास करीब 25000 रूपए और ज़ेवर थे। कुछ देर बाद ट्रेन आई और हम दोनों ट्रेन में बैठ कर दिल्ली के लिए निकल गए।
मैं पहले भी कई बार अपने मामा के यहाँ दिल्ली जा चुका था। मुझे दिल्ली के बारे बहुत जानकारी थी और कहीं तो मैं कभी गया ही नहीं था.. इसीलिए मैंने दिल्ली जाना ही अच्छा समझा।
अब ट्रेन आगरा से दिल्ली करीब 4 घंटे में पहुँच गई। दिल्ली आने पर हम ट्रेन से उतरे और स्टेशन से बाहर आगए। हम दोनों ने सुबह से कुछ नहीं खाया था।
अब 3 बजे थे और भूख भी बहुत जोरों से लगी थी.. तो हमने एक फास्ट फूड की दुकान पर जाकर डोसा और पेस्ट्री वगैरह खाई और बस में बैठ कर दोनों दिल्ली घूमने चल दिए। पहले हम कुतुबमीनार पर गए.. फिर इंडिया गेट पर गए और वहीं पर घूमते रहे और मस्ती करते रहे।
अब हमको घूमते हुए रात के 11 बाज चुके थे और हम बुरी तरह थक चुके थे। अब हम खाना ख़ाकर सोना चाहते थे.. तो हम दोनों चल दिए और होटल ढूँढ़ने लगे। थोड़ी चलने के बाद हमको एक होटल मिला और हमने 500 रुपए में एक रात के लिए कमरा बुक किया। अपना सामान कमरे में रख कर खाना खाने के लिए बाहर एक ढाबा पर आ गए और खाना खा कर फिर होटल में चले आए। रिसेप्शन से अपने कमरे की चाभी ली और कमरे में आ गए।
कमरे में आने के बाद मैंने राजेश्वरी को अपनी बाँहों में भर लिया और उसे ख़ुशी से चुम्बन करने लगा।
अब हम दोनों बहुत खुश थे.. और क्यों न हों.. अब हम साथ थे और आज़ाद भी थे। अब हमको कोई रोकने वाला नहीं था।
राजेश्वरी ने खुद को मुझसे छुड़ाया और कपड़े बदलने के लिए बोला.. तो मैं नहाने के लिए चला गया। जब नहा कर बाथरूम से बाहर आया तो देखा कि राजेश्वरी सो चुकी थी।
मैं उसके पास लेट गया और थोड़ी देर मैं मुझे भी नींद आ गई।
दूसरे दिन सुबह करीब 8 बजे मेरी नींद खुली तो राजेश्वरी नहा कर बाहर आई थी और नंगी होकर अपने शरीर को तौलिया से पौंछ रही थी। उसका नंगा बदन देख मेरी आँखों में वासना आ गई। उसका दूध जैसा गोरा बदन और उसकी छोटे-छोटे चीकू जैसी चूचियों और चिकने और बड़े-बड़े चूतड़ देखता ही रह गया।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
उसका साइज़ 30-26-30 था.. उसे देख कर मैंने कहा- वाह भगवान.. क्या चीज़ बनाई है आपने.. बिल्कुल स्वर्ग की अप्सरा जैसी लग रही है।
उसने मेरी आवाज़ सुनते ही तौलिया से अपना बदन ढकना चाहा.. तो मैं बोला- अब मैंने सब देख लिया.. अब क्या फायदा छुपाने से..
तो वो मेरी तरफ देख कर थोड़ा सा मुस्कराई और अपने कपड़े पहनने लगी।
मैं जल्दी से बिस्तर से खड़ा हुआ और उसे बाँहों में भर कर उसे बिस्तर पर डाल दिया। मैं उसके ऊपर लेट गया और उसके मुँह से मुँह लगा कर चुम्बन करने लगा।
मैं उसकी नरम चूचियों को सहलाने लगा था। उसका गोरा बदन मलाई की तरह था थोड़ा सा दबाते ही नीला पड़ जाता था।
मैंने उसकी चूचियों को ज़ोर से दबा दिया तो उसकी दर्द के मारे चीख निकल गई। उसने गुस्से में मुझे धक्का दे कर अपने ऊपर से हटा दिया और खड़े होकर कपड़े पहनने लगी।
मैं भी गुस्से में फ्रेश होने चला गया। अब मैं फ्रेश होते-होते राजेश्वरी के बारे में सोचने लगा तो मेरा लण्ड खड़ा होने लगा।
मेरा लण्ड करीब 6 इंच लंबा और 1.5 इंच मोटे व्यास का था। आज तक मैंने न तो किसी की चुदाई की थी और न ही मुठ्ठ मारी थी। आज पहली बार मैंने राजेश्वरी का नाम लेकर मुठ्ठ मारने लगा.. आह्ह.. मुझे मुठ्ठ मारने में बहुत मजा आ रहा था और कुछ देर बाद मेरा रस निकल गया।
मुझे बड़ा अच्छा महसूस होने लगा। मैंने सोचा जब मुट्ठ मारने में इतना मजा आया है.. तो चूत मारने में तो बहुत मजा आएगा।
मैं अब राजेश्वरी को चोदने की सोचने लगा था.. लेकिन राजेश्वरी मुझे हाथ भी नहीं रखने देती थी।
आप अपने विचारों से अवगत कराने के लिए मुझे ईमेल कीजिएगा।
कहानी जारी है।

बहुत कुछ खोया बहुत कुछ पाया-2

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आज पहली बार मैंने राजेश्वरी का नाम लेकर मुठ्ठ मारने लगा.. आह्ह.. मुझे मुठ्ठ मारने में बहुत मजा आ रहा था और कुछ देर बाद मेरा रस निकल गया। मुझे बड़ा अच्छा महसूस होने लगा। मैंने सोचा जब मुट्ठ मारने में इतना मजा आया है.. तो चूत मारने में तो बहुत मजा आएगा।

मैं अब राजेश्वरी को चोदने की सोचने लगा था.. लेकिन राजेश्वरी मुझे हाथ भी नहीं रखने देती थी।
मैं फ्रेश होकर बाहर आया और अपने कपड़े पहनने लगा। फिर हम दोनों ने अपने बैग पैक किए.. और होटल से बाहर आ गए। फिर हम सारा दिन घूमे और रात को फिर से दूसरे होटल में कमरा लिया।
आज रात को रुकने के साथ ही मैंने सोच लिया था कि आज तो मैं उसे चोद कर ही रहूँगा।
कमरे में जाकर हम फ्रेश हुए और सोने के लिए बिस्तर पर आ गए। मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए थे। मैं केवल कच्छे में लेट गया और राजेश्वरी से मस्ती करने लगा।
वो भी मुझसे भी लिपट गई… फिर उसने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए।
अब वो केवल पैन्टी में रह गई थी।
फिर मैंने उसे अपनी चूत चुदवाने को कहा तो उसने मना कर दिया, वो बोली- ये ग़लत है.. अभी हमारी इसके लिए उम्र नहीं है।
इसलिए मुझे उस पर गुस्सा आने लगा फिर मैंने करवट ली और अपने मोबाइल चालू किया ओर नेट-सर्चिंग करने लगा।
पता नहीं कैसे.. आज पहली मेरे मोबाइल पर सेक्स वीडियो की एक साइट खुल गई.. और मैं ब्लू-फिल्म देखने की कोशिश करने लगा.. वो चली तो नहीं लेकिन डाउनलोड हो गई।
डाउनलोड होने के बाद मैं अकेले ही पूरा सेक्स वीडियो देखने लगा। उसमें एक काला आदमी का बहुत बड़ा काला लम्बा लण्ड था.. जिससे वो एक लड़की को कुतिया बना कर ज़ोर-ज़ोर से चोद रहा था।
मेरे मोबाइल से ‘आआ.. उूउ.. ऊऊ.. यस..यस..’ की आवाज़ निकल रही थी तो आवाज़ सुन कर राजेश्वरी ने पूछा- ये क्या चला रहे हो?
तो मैंने कहा- आकर खुद ही देख ले।
वो मेरी तरफ खिसक आई और मुझसे चिपक कर वीडियो देखने लगी।
वीडियो देख कर थोड़ी देर में ही हम दोनों गरम होने लगे थे। अब राजेश्वरी मेरे बदन को सहला रही थी और मुझे भी मजा आ रहा था। मैं भी उसके जिस्म को सहलाने लगा और उसे भी मजा आने लगा।
मैंने मोबाइल राजेश्वरी के हाथ में दे दिया अब वो वीडियो देख रही थी और मैं उसकी चूचियों को चूस रहा था और उसके मलाई जैसे जिस्म को सहला रहा था।
उसकी जाँघें बिल्कुल स्पंज जैसी गुदांज थीं.. मैं उसकी रानों को सहला रहा था वास्तव में उसकी रानें बड़ी मस्त थीं।
अब वो गरम होती जा रही थी.. उसने मेरा सिर पकड़ा और अपनी छाती पर दबाने लगी।
मैं उसकी एक चूची को मुँह से चूस रहा था और दूसरी चूची को कभी सहलाता.. तो कभी उसके निप्पल को दबाता।
अब मेरा लण्ड भी अकड़ गया था और उसकी जाँघों पर टच कर रहा था।
फिर मैंने धीरे-धीरे एक हाथ उसकी चूत की तरफ बढ़ाया और उसकी पैन्टी के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाने लगा। तो उसने झट से मेरा हाथ हटा दिया। मैंने फिर रखा तो उसने फिर हटा दिया इस तरह उसने 2-3 बार मेरा हाथ अपनी चूत से हटा दिया था। पर इस सबसे उसकी चूत गीली होने लगी थी।
कुछ देर बाद मैंने फिर से अपना हाथ उसकी चूत पर रख दिया.. अब उसने बस मेरी तरफ देखा और फिर से वीडियो देखने लगी।
अब शायद उसे भी अच्छा लग रहा था। कुछ देर चूत सहलाने बाद मैं उसको चुम्बन करते हुए उसके पैरों की तरफ खिसकने लगा और उसे लगातार चुम्बन करता रहा।
फिर जैसे मैंने उसकी चूत पर चुम्बन किया.. उसकी एक मीठी सी सीत्कार ‘आआहह..’ निकल गई।
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अब क्या था.. मैंने झट से उसकी पैन्टी उतार दी। उसकी चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी। आह्ह.. क्या मस्त चूत थी यार.. मैंने पहली बार की लड़की की चूत देखी थी। मैं तो देखता ही रह गया। उसकी एकदम गोरी और गुलाबी रंगत लिए हुए चूत ऐसी लग रही थी कि इसे खा जाऊँ।
फिर मैंने उसकी चूत पर चुम्बन किया और मेरे चुम्बन करते ही वो मज़े से मचलने लगी और एक हाथ से अपनी चूचियों को दबाने लगी।
अब मैं उसकी चूत को चाट रहा था। फिर जब मैं उसकी चूत में अपनी जीभ घुसा देता.. तो कभी काट लेता.. ऐसा करने से वो मस्ती में झूमने लगती और ‘आह्ह..’ भरने लगती।
फिर इस क्रिया से उसकी चूत मस्त हो गई और उसकी मादक आवाजें गूँजने लगीं- आअहह.. ऊहह.. ऊओह.. आअ.. आअहह..
मैं लगातार चाटता ही रहा.. अब वो उत्तेजित हो कर अपनी चूत इधर-उधर करने लगी और मेरे मुँह की तरफ चूत को उठाने लगी।
कुछ ही देर बाद उसने बिस्तर की चादर को पकड़ा और अकड़ गई। वो बहुत तेज स्वर में आहें भरने लगी। कुछ ही पलों में वो झड़ चुकी थी और पूरी तरह गरम हो चुकी थी।
मैं उठा और उसके ऊपर चढ़ गया और उसे होंठों पर चुम्बन करने लगा.. हमारी जीभ से जीभ टकराने लगी। वो भी मेरा साथ दे रही थी। मैं एक हाथ से उसकी चूचियों को दबा रहा था।
अब वो अपना एक हाथ नीचे की तरफ ले गई और उसने मेरा लण्ड पकड़ लिया। वो मेरे लौड़े को अपनी चूत के छेद पर लगाने लगी.. और मचलने लगी।
उसकी चूत बहुत छोटी सी थी.. मेरा लण्ड बड़ा था.. तो चूत में लवड़ा घुस नहीं रहा था। वो बहुत कोशिश कर रही थी.. अब उसे कहना ही पड़ा- इसे जल्दी से मेरी चूत में डालो..
यह सुनते ही मैं उसकी टांगों के बीच घुटनों के बल बैठ गया और मैंने बहुत सारा थूक उसकी चूत पर लगा दिया, मैंने अपने लण्ड पर भी थूक लगाया और उसकी टाँगें फैलाकर अपना लण्ड उसकी चूत के मुँह पर रख दिया।
फिर मैंने एक ज़ोरदार धक्का मारा तो बड़ी मुश्किल से लण्ड का सुपारा उसकी चूत में घुस पाया। इतने से ही उसकी चीख निकल गई और वो मुझे हटाने की कोशिश करने लगी।
मगर मैंने एक और धक्का मारा तो मेरा लण्ड उसकी कोमल चूत को फाड़ते हुए 3 इंच अन्दर घुस गया।
उसकी और तेज चीख निकल गई- उई माँ.. मर गई.. इसे निकालो.. मुझे नहीं चुदना..
उसकी आँखों से आँसू निकलने लगे, अब वो मुझे जोर-जोर से लण्ड बाहर निकालने के लिए कहने लगी और रोने लगी लेकिन मैंने उसकी एक न सुनी और एक और धक्का मारा.. अब की बार मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत में समा गया।
इस बार उसकी बहुत तेज चीख निकली और वो एकदम से बेहोश हो गई।
लेकिन मैं नहीं रुका और उसे चोदता ही रहा.. मुझे बहुत मजा आ रहा था। क्यूँकि उसकी चूत बहुत कसी हुई थी.. मेरा लण्ड उसकी चूत में एकदम फंसा हुआ था।
मैं तो मस्ती से हचक कर उसकी चूत में धक्के लगा रहा था।
करीब 10 मिनट बाद उसे होश आ गया और वो रोने लगी और मुझे हटाने की कोशिश करने लगी। लेकिन मैंने उसकी कमर पकड़ी हुई थी और तेज-तेज धक्के देता रहा।
‘ओई मम्मी..रे.. मार दिया.. मेरी फट गई..’
उसकी चीखने की आवाज अब कुछ मद्धिम होने लगी और कुछ देर बाद उसका दर्द कम होने लगा, अब उसके मुँह से कोई आवाज़ नहीं निकल रही थी.. बस वो चुपचाप पड़ी.. मेरी तरफ देख रही थी।
मैं धक्के पर धक्के लगा रहा था और चूचियों को भी दबा रहा था।
कुछ देर बाद वो भी मस्ती में झूमने लगी और अपनी गाण्ड उठा-उठा कर मेरा साथ देने लगी।
करीब 30 मिनट की चुदाई के बाद अब हम अपनी चरम सीमा पर पहुँच चुके थे और झड़ने ही वाले थे।
फिर मैं ज़ोर-ज़ोर से धक्के लगाने लगा और राजेश्वरी की भी सिसकियाँ निकल रही थीं- आआ.. आहह.. आहह.. ऊऊहह.. उईई… यस..स्स आआअहह और जोर से.. आह्ह..
वो और मैं दोनों एक साथ झड़ गए। हम दोनों को अपनी इस पहली चुदाई में बहुत मजा आया।
उसके बाद से हम रात को 4 या 5 बार चुदाई तो कर ही लेते थे और सारा दिन घूमते थे। ऐसे ही एक महीने तक चला.. घूमना-फिरना.. मस्ती करना और रात को चुदाई करना।
एक महीने बाद हमारे पैसे खत्म होने वाले थे.. थोड़े ही बचे थे करीब 1000 रुपए.. अब हमको चिंता होने लगी कि अब बिना पैसों के कैसे रहेंगे।
लेकिन अभी भी हमारी पास राजेश्वरी की माँ के ज़ेवर थे.. लेकिन उनको कहाँ बेचें..
जब हमारे सारे पैसे खत्म हो गए तो जेवर बेचने के अलावा और कोई चारा नहीं था। करीब 3 लाख के जेवर थे.. तो थोड़े से जेवर ही लेकर एक दुकान पर पहुँचे.. तो जेवर को देखा और बोला- एक लाख रुपए मिल जायेंगे।
हमने ‘हाँ’ कर दी और वो मुझे पूछने लगा- ये जेवर कहाँ से लाए हो?
तो राजेश्वरी ने कहा- ये मेरी माँ के हैं.. वो बहुत बीमार हैं.. हॉस्पिटल में पैसों की ज़रूरत है इसीलिए बेचने पड़ रहे हैं।
हमने बहुत झूठ बोला लेकिन दुकान वाले को कुछ शक हो गया था कि कहीं कुछ गड़बड़ है और वो अपनी दुकान में अन्दर गया और फिर थोड़ी देर बाद आ गया।
फिर हमने पैसे माँगे तो बोला- थोड़ी देर रुक जाओ.. लड़का पैसे लेकर आ ही रहा होगा।
हम बैठे रहे हमको कुछ पता ही नहीं लगा था कि क्या खिचड़ी पक रही है।
करीब 20 मिनट बाद देखा तो पुलिस आ गई थी। उसमें एक दरोगा था और 4 हवलदार थे। दुकान वाले ने उनको हमारी तरफ इशारा किया।
पुलिस वालों ने हमको पकड़ लिया और साथ ले गए और पूछतांछ की.. तो हमने सब कुछ बता दिया और उन्होंने हम दोनों के घर फ़ोन कर दिया।
कुछ घंटों बाद घर वाले हमको लेने आ गए और हम उनके साथ घर चले गए। ये तो तय था कि पिटाई होनी ही थी सो खूब हुई।
पर इस सबके बाद भी हम अब भी मिलते हैं.. जब भी मौका और समय मिलता है और चुदाई भी करते हैं।
दोस्तो, यह हम दोनों की बिल्कुल सच्ची कहानी थी, उम्मीद है कि आप सबको मेरी कहानी पसन्द आई होगी।
मुझे अपनी राय से जरूर अवगत कराइएगा, मैं आपके ईमेल का इन्तजार करूँगा।
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