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कमसिन उम्र में चूत चुदाई (Kamsin Umar me Choot Chudai)

हैलो दोस्तो, मेरा नाम आरव है.. मैं आगरा (उत्तर प्रदेश) का रहने वाला हूँ।

मेरी उम्र 23 साल है.. कद 5 फीट 9 इंच.. रंग गोरा.. दिखने में स्मार्ट और आकर्षक हूँ। जिम जाने की वजह से मेरा जिस्म भी एकदम गठीला है। मेरे डोले 16 इंच.. मर्दाना छाती 42 इंच और लौंडियों के मतलब का लंड.. पूरा 6 इंच लम्बा और मस्त मोटा है।
अब आप मेरी शख्शियत का अंदाजा खुद ही लगा सकते हैं।
मैं अन्तर्वासना का 2007 से नियमित पाठक हूँ या ये कह सकते हैं कि मुझे अन्तर्वासना की लत लगी हुई है। मैंने अन्तर्वासना की 2007 से लेकर आज मेरी कहानी प्रकाशित होने तक एक भी कहानी नहीं छोड़ी है।
पहले तो मैं ऐसी साईट को जनलोकप्रिय बनाने के लिए इसके पाठकों का कोटि-कोटि धन्यवाद करता हूँ।
अब आप लोगों को ज्यादा न पकाते हुए मैं मुख्य कहानी पर आता हूँ। यह मेरे पहली चुदाई और अन्तर्वासना पर पहली कहानी है।
जब मेरी उम्र 19 साल थी.. मेरी गर्लफ्रेंड जिसका नाम देविका (नाम बदला हुआ है जिससे कि उसकी बदनामी न हो) जिसकी उम्र 18 साल थी।
उसकी फिगर क्या बताऊँ.. यारों उसका गोरा रंग और 32-26-34 का जिस्म.. जब वो चलती है तो हय.. दिल पर छुरियाँ चल जाती हैं और लौड़े पर तो मानो क़यामत आ जाती है। उसके उठे हुए मम्मे मानो ताजे पके आम.. लहराते बाल.. कटीली निगाहें.. मस्त उभरे हुए चूतड़ों से तो कलेजा हलक में आने को हो जाता है।
बाकी फालतू बातें तो आप और कहानियों में पढ़ ही लेते हैं। वो एक जूनियर स्कूल में पढ़ाती थी। उस स्कूल के 26 जनवरी के प्रोग्राम में मेरी और उसकी मुलाकात हुई थी। उस स्कूल में मेरी एक फ्रेंड जिसका नाम अंशिका है.. वो भी पढ़ाती थी।
उसकी वजह से ही हम दोनों की मुलाकात हुई।
जब भी में अपनी फ्रेंड अंशिका के घर जाता तो वो भी मुझे वहीं मिलती थी।
मेरी फ्रेंड के घर पर ही.. धीरे-धीरे हम दोनों की बातों का सिलसिला शुरू हो गया।
फिर हम दोनों ने अपने-अपने मोबाइल नंबर भी एक-दूसरे से ले लिए थे।
पहले तो हम दोनों की नार्मल बातें होती थीं.. पर धीरे-धीरे ये नार्मल बातें सेक्स की तरफ बढ़ने लगीं।
देर रात तक हम दोनों मैसेज से अश्लील बातें.. ‘जैसे तुम्हारे दूध पीने का मन हो रहा है.. चूत में लंड डालना है..’
हम दोनों ही एक-दूसरे में समाने को बेताब हो रहे थे और मेरे और उसके दिन अपना हाथ जगन्नाथ करते-करते कट रहे थे।
चुदाई की बातें करते-करते हम दोनों कब झड़ जाते.. पता ही नहीं चलता था।
करीब चार महीनों तक ऐसे ही चलता रहा।
हम दोनों को मिलने की कहीं कोई जगह नहीं मिल रही थी.. या ये कह सकते हैं कि छोटी उम्र होने के कारण हम दोनों की कहीं बाहर जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी।
पर कहते है न कि जहाँ चाहत है.. वहाँ कोई न कोई रास्ता निकल ही आता है।
एक दिन मेरे घर कोई नहीं था.. मैंने उसे अपने घर बुलाने का प्रोग्राम बनाया और उसे घर में किसी के न होने के बारे में बताया।
वो मेरे घर आने के लिए तैयार हो गई। जितनी जल्दी मुझे उसे चोदने की थी.. उतनी ही जल्दी उसे भी चुदवाने की भी थी।
हम दोनों ही एक दूसरे में समाने को बेताब थे, मेरे घरवालों के जाने बाद मैंने उसे बुलाया।
वो गुलाबी रंग का सूट पहन कर आई थी। क्या माल लग रही थी वो…
पहले मैंने उसे अपना पूरा घर दिखाया.. फिर हम दोनों ने कोल्ड ड्रिंक पी। उसके बाद मैं उसे अपने कमरे में ले आया।
वहाँ हम दोनों 15 मिनट तक एक-दूसरे से चिपके रहे.. उससे चिपके हुए ही मैंने उसे चुम्बन करना शुरू कर दिया। मैं उसे उसके होंठों पर चुम्बन कर रहा था। वो भी चुम्बन करने में मेरा पूरा-पूरा साथ दे रही थी।
फिर मैंने उसकी गर्दन पर चुम्बन करना शुरू किया.. वो बहुत गर्म हो रही थी।
उसको चूमने के साथ-साथ मैं उसके दूध भी दबा रहा था। अब मैंने उसकी चुनरी हटाई.. फिर उसकी कुर्ती उतार कर वहीं फर्श पर ही डाल दी।
सफ़ेद ब्रा में कैद उसके चूचे क्या मस्त उठे और तने हुए लग रहे थे। उसके चूचों के गोरे रंग के सामने ब्रा का सफ़ेद रंग भी फीका लग रहा था।
मैं पागलों की तरह उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसके चूचे दबाने और चूसने-चाटने लगा। फिर मैंने उसकी ब्रा को भी अलग कर दिया।
अब मेरे लिए संयम करना बहुत मुश्किल हो रहा था।

ये सब करते करते मेरा लंड उत्तेजना की वजह से फटा जा रहा था। मैंने जल्दी से अपने सारे कपड़े निकाल दिए.. फिर उसके भी सारे कपड़े निकाल दिए।
अब हम दोनों ही नंगे थे.. वो बहुत शर्मा रही थी। उसने एक हाथ से अपने चूचे और एक हाथ से अपनी चूत छुपा रखी थी।
मैं उसे प्यार से अपनी गोद में उठाकर बिस्तर पर ले आया।
अब मैं उसे पागलों की तरह चूम रहा था। फिर मैंने उसका हाथ अपने लंड पर रखा और उसे दबाने के लिए कहा।
वो भी पागलों की तरह मेरे लंड को दबाने और खींचने लगी और मैं उसके चूचे दबा और चूस रहा था।
उसके बाद वो बहुत ही उत्तेजक आवाजें निकाल रही थी। मैंने उसे लण्ड चूसने के लिए कहा.. पर उसने मना कर दिया।
ये सब मैंने ब्लू-फिल्म में देखा था और मैं उसके साथ भी वही सब करना चाहता था।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
वो ‘आह.. आह.. आह..’ की आवाजें निकाल रही थी।
फिर वो मुझसे लंड अन्दर डालने के लिए कहने लगी.. पर साथ में वो थोड़ा डर भी रही थी।
मैंने उसे समझाया.. पर मैं भी ज्यादा कुछ नहीं जानता था.. सिर्फ ब्लू-फिल्म देखने के कारण और दोस्तों से मुझे इन सबके बारे में कुछ-कुछ पता था।
गर्म तो वो भी बहुत हो चुकी थी.. फिर उसने कहा- तुम करो.. जो होगा मैं देख लूंगी।
मैंने पहले उसकी चूत में थूक लगाकर एक ऊँगली डाली.. उसकी चूत बहुत कसी हुई थी.. वो दर्द और मस्ती की मिश्रित आहों से कराहने लगी।
मैं साथ में उसके चूचे भी दबा रहा था।
वो ‘आह.. आह.. आह.. ऊह.. आह..’ जैसी सेक्सी आवाजें निकाल रही थी। इसके साथ ही वो लंड डालने के लिए भी कहने लगी।
फिर मैंने भी देर न करते हुए अपने लंड पर कंडोम चढ़ाया.. जो मैंने उसे चोदने के लिए पहले से ही लाकर रखा हुआ था.. पर अचानक ही उसने मुझे अपने नीचे कर लिया और मेरे बदन पर पागलों की तरह चुम्बन करने लगी और कहीं-कहीं तो वो मुझे काटने भी लगी थी।
वो बहुत ही ज्यादा चुदासी और उत्तेजित हो रही थी। फिर मैंने उसे अपने नीचे लिटाया और अपना लंड उसकी चूत में घुसाने की कोशिश करने लगा।
उसकी चूत बहुत कसी हुई थी.. मतलब कि वो अनचुदी हुई थी।
मैंने उसकी चूत पर अपने लंड को पकड़ कर थोड़ा दबाया तो लंड ‘पक्क..’ की आवाज के साथ सुपारा थोड़ा अन्दर घुस गया।
‘आह.. मर गई.. प्लीज मुझे छोड़ो.. बहुत दर्द हो रहा है..’
यह कहते हुए वो दर्द से छटपटाने लगी। मैंने उसे कस कर जकड़ लिया और साथ में उसके होंठों को चुम्बन भी करने लगा। मैं उसके चूचों को भी दबाने लगा.. जब वो थोड़ी देर में कुछ सामान्य हुई.. तो मैंने नीचे से अपने लंड को धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करना शुरू किया।
फिर जब उसे थोड़ा मजा आने लगा.. तो मैंने एक हल्का सा धक्का और मारा इस बार मेरा 3 इंच से ज्यादा लंड अन्दर घुस गया।
वो दर्द से बुरी तरह छटपटाने लगी.. पर मेरे होंठों से उसके होंठ बंद होने की वजह से उसकी आवाज नहीं निकल पाई।
साथ ही मैंने उसे पूरी तरह से अपने नीचे जकड़ा हुआ था.. जिससे वो हिल भी नहीं पा रही थी।
उसकी चूत से खून निकलने लगा था.. उसकी झिल्ली फट चुकी थी। मैं उसे इसी तरह चुम्बन करता रहा और उसके चूचे भी दबाता रहा।
फिर मैं उसके निप्पलों को अपनी उँगलियों से रगड़ने लगा।
अब उसका दर्द काफी कम हो चुका था। फिर थोड़ी देर बाद उसे अच्छा लगने लगा.. तो उसने मुझे उसने और आगे चुदाई करने का इशारा किया।
मैंने उसे थोड़ा ढीला छोड़ा और अपने लंड को आगे-पीछे करने लगा। फिर मैंने धीरे-धीरे अपने लंड को पूरा अन्दर तक घुस दिया।
अब मेरा 6 इंच का लवड़ा पूरा का पूरा उसकी चूत के अन्दर था।
अब वो ‘आह.. आह.. उह.. आह.. आह मर गई.. आह..’ की आवाजें निकालने लगी।
मैं अपने पूरे वेग से उसे चोदने लगा। मुझे बड़ा मजा आ रहा था.. कुछ ही देर में वो भी अपनी चूत उठा-उठा कर चुदाई करने में मेरा साथ देने लगी थी।
थोड़ी में ही हम दोनों साथ-साथ झड़े.. फिर मैं उसके ऊपर ही चिपक कर लेटा रहा और हम दोनों की साँसें हमारे काबू में नहीं थीं.. हम बुरी तरह हाँफ रहे थे।
थोड़ी देर बाद मैं उसके ऊपर से उठा.. पर उससे उठा नहीं जा रहा था। मैंने उसे उठाया और अपने साथ ही बाथरूम लेकर गया।
वहाँ उसने अपनी चूत और मैंने अपना लंड साफ़ किया.. पर अब भी उससे ठीक से चला भी नहीं जा रहा था। मैं उसे बिस्तर तक ले कर आया.. वहाँ उसने चादर पर खून देखा.. तो वो थोड़ा घबरा गई। फिर मैंने उसे समझाया.. और उसने वो चादर साफ़ की।
उसके बाद हमने खाना खाया। फिर थोड़ी देर आराम करने के बाद हमने दुबारा चुदाई शुरू की.. इस बार मेरा लंड आधा घंटे तक नहीं झड़ा.. पर वो तीन बार झड़ गई थी।
फिर उसके बाद हम दोनों फ्रेश हुए.. अपने कपड़े पहने और उसने कमरा और बिस्तर ठीक किया और मुझे चुम्बन करके बोली- आज मुझे बहुत मजा आया और आगे जब भी मौका मिलेगा हम चुदाई जरूर करेंगे।
फिर वो अपने घर चली गई। उसके जब भी हमें मौका मिलता.. हम चुदाई का ये खेल जरूर खेलते हैं.. कभी मेरे घर.. कभी उसके घर.. कभी मेरे दोस्तों के घर या कभी उसकी सहेलियों के घर.. और फिर एक बार तो मैंने उसकी गाण्ड भी मारी।
कैसे हुआ ये सब.. यह मैं अगली कहानी में आपकी प्रतिक्रिया मिलने के बाद लिखूँगा।
वैसे अब उसकी शादी हो चुकी है। उसके बाद तो मैंने कई लड़कियों.. भाभियों आंटियों की चुदाई भी की.. कई तो पैसे लेकर भी चुदाई की।
यह मेरी अन्तर्वासना पर पहली कहानी है.. अगर लिखने में कोई गलती हुई.. तो प्लीज उन्हें आप अपनी समझ के अनुसार सही कर लीजिएगा और मुझे अपनी प्रतिक्रिया और सुझाव जरूर दीजिएगा जिससे कि मैं आगे भी आपको अपनी और चुदाई के किस्से बता सकूँ।

बाली उम्र में चुदा बैठी पड़ोसन संध्या

यह कहानी मेरी एक सहेली कनिका के बॉयफ्रेंड की है, उस के कहने पर भेज रही हूँ…
हाय दोस्तो, मेरा नाम विवियन है, बी-फार्मा कर रहा हूँ, मेरी उम्र 19 वर्ष की है।

मैं गांधीनगर में रहता हूँ। मैं आपको मेरी पहली सेक्स कहानी सुनाने जा रहा हूँ।
मेरे घर के पास संध्या नाम की लड़की रहती थी, वो भी 18 वर्ष की भरी-पूरी जवान लड़की थी।
एक दूसरी लड़की मेरी गर्ल-फ़्रेण्ड थी.. उसका नाम कनिका था।
संध्या को मेरे और कनिका के सेक्स सम्बन्ध के बारे में पता था, मैं जब कनिका को कहीं ले जाता था तो यह बात संध्या को पता होती थी क्योंकि मैं संध्या के घर से ही कनिका को फोन किया करता था।
कनिका और संध्या अच्छी सहेलियों की तरह बातें करती थीं।
कनिका मेरे और उसके बीच हुए सेक्स के बारे में संध्या को बता दिया करती थी।
कनिका को इस बात का आभास नहीं था कि उसके द्वारा सेक्स की बातें बता देने से संध्या के मन में भी चूत चुदाने की इच्छा जागृत हो गई थी।
नादान सन्ध्या मेरे घर आकर मुझे पूछती- भैया.. कल आपने कनिका के साथ क्या क्या किया?
मैं उससे बोलता- तुझे उस से क्या लेना देना है..
और इस तरह मैं उसे टाल देता था।
वो मेरी देख कर शरमा कर चली जाती थी।
जब मैंने कनिका से संध्या के बारे में पूछा तो उसने बताया कि वो मेरे और उसकी चुदाई की सारी बातें संध्या को बता देती थी।
मैं अब सब कुछ समझ गया था।
एक दिन जब मैं अपने घर में काम कर रहा था.. तो संध्या मेरे पास आई और मुझसे बातें करने लगी।
मैंने उससे कहा- तू अभी जा.. थोड़ी देर से आना.. मुझे कुछ काम करना है।
मगर वो नहीं मानी। मैं उससे थोड़ी देर तक कहता रहा.. फिर वो चली गई।
तभी मेरी मम्मी को बाज़ार जाना था तो मम्मी ने मुझसे कहा- मैं थोड़ी देर में वापिस आ जाऊँगी.. तुझे चाय वगैरह पीनी हो तो संध्या को बोल देना.. वो बना देगी।
मैंने कहा- ठीक है।
मम्मी के जाने के ठीक बाद संध्या फिर से मेरे यहाँ आ गई और मुझे परेशान करने लगी।
मैं आज अपना काम नहीं कर पा रहा था। इतने में संध्या मेरे हाथ से पेन छीन कर मेरे कमरे में भागने लगी।
मैं उसे पकड़ने के लिए खड़ा हुआ और झपट कर मैंने उसे पीछे से पकड़ लिया।
जब मैंने उसको पकड़ा तो मेरे हाथ उसकी चूचियों पर आ गए थे, उसकी चूचियाँ बहुत ही नर्म और छोटी-छोटी थी।
मेरे हाथों से उसके कोमल स्तन दब से गए थे। अब स्थिति कुछ इस तरह बन गई थी कि मेरा लण्ड उसकी गाण्ड पर टिका हुआ था। उसके चूतड़ों की गोलाइयों ने मेरे लण्ड को छूकर उसमें आग सी लगा थी।
उसको थोड़ी देर तक यूँ ही पकड़ने के बाद उसने मुझे मेरा पेन वापस दे दिया। मैं अब पेन नहीं लेना चाहता था.. मुझे मजा जो आ रहा था.. पर मुझे छोड़ना ही पड़ा।
मैंने उससे कहा- मेरे लिए चाय बना दे।
उसने कहा- ठीक है भैया..
वो चाय बनाने के लिए रसोई में चली गई।
मैं थोड़ी देर तक सोचता रहा कि अब क्या करूँ मगर अब मुझसे चुदाई किए बिना नहीं रहा जा रहा था।
मैं धीरे से उसके पास रसोई में गया और उसके पीछे जाकर खड़ा होकर चिपक सा गया और कहने लगा- क्या यार.. अभी तक चाय नहीं बनी?
मेरे स्पर्श से वो लहरा सी गई।
फिर मैं उसके पीछे से हट गया.. क्योंकि वो कुछ समझ गई थी।
वो मुझसे कहने लगी- भैया दूर रहो.. करण्ट सा लगता है..
मैं भी समझ गया गया था कि वो क्या कह रही है।
उसने मुझे चाय दी और कहा- भैया मैं घर जा रही हूँ।
मैंने कहा- कहा रुक ना.. चाय तो पीने दे उसके बाद चली जाना।
उसने कहा- ठीक है.. पी लो।
मैं उसे अपने कमरे में ले गया।
वो मेरे कमरे में एक कोने में चुपचाप खड़ी हो गई।
मैंने सोचा कि अब क्या किया जाए… मैंने उससे जानबूझ कर कनिका की बात को छेड़ा।
मैंने उससे पूछा- तेरी कनिका से कोई बात हुई है क्या?
उसने कहा- नहीं..
फिर मैंने उसको कहा- तू कनिका को फोन करके यहाँ बुला ले।
उसने कहा- क्यों.. यहाँ क्यूँ बुला रहे हो भैया?
मैंने कहा- मम्मी नहीं है ना इसीलिए।
उसने कहा- ठीक है.. मैं उसे फोन करके आती हूँ।
मैंने कहा- रुक..
मेरे यह कहने से वो रुक गई और कहने लगी- बोलिए.. क्या कह रहे हो भैया?
मैंने उससे पूछा- कनिका तुझे क्या-क्या बताती है।
तो उसने होंठ दबाते हुए कहा- कुछ नहीं।
मैं समझ गया कि यह अब मुझसे बोलने में डर रही है।
मैंने कहा- सध्या.. जरा मेरे पास तो आ..
वो बोली- क्यूँ?
मैंने कहा- आ तो सही।
वो धीरे से मेरे पास आई। मैंने उसको बिस्तर पर बैठाया और कहा- संध्या तुझे सब पता है ना.. मेरे और कनिका के सेक्स के बारे में..
तो वह कहने लगी- भैया मुझे कुछ नहीं पता है.. कसम से..
वो उस समय डर गई थी। फिर मैंने कहा- कोई बात नहीं.. तुझे हमारी बातें जानना हो तो मुझसे पूछ लिया कर.. मगर कनिका से मत पूछा कर।
तो उसने तुरन्त पूछा- क्यूँ?
मैंने कहा- कहीं कनिका ने तेरी मम्मी से कह दिया तो?
उसने धीरे से ‘हाँ’ में सर हिलाया। उसके बाद मैंने उससे पूछा- तुझे जानना है क्या..? अभी बता..!
तो उसने धीरे से अपने मुँह को ‘नहीं’ में हिलाया। फिर भी मैंने उसको बात बताना शुरु कर दिया। थोड़ी देर तक तो वो ‘ना.. ना..’ कर रही थी.. उसके बाद वो गौर से सुनने लगी। मैंने उसको रस लेते हुए एक बात तो पूरी बता दी।
उसके बाद उसने मुझसे कहा- भैया कोई और दिन की बात सुनाओ ना..
जब मैंने उससे कहा- मैं अब सुनाऊँगा नहीं बल्कि करके बताऊँगा।
‘नहीं ना.. हटो.. नहीं..’
‘मैं करके बताना चाहता हूँ। उसमें अधिक मजा आता है…’
वो एकदम से खड़ी हो गई।
मैंने उसको आगे से पकड़ लिया और उसके होंठों की पप्पी लेने लगा। वह मुझसे छूटने की पूरी-पूरी कोशिश कर रही थी। मगर मैंने
उसको छोड़ा नहीं।
थोड़ी देर के बद मैंने उसको कहा- बिस्तर पर लेट जा..
मगर वो बोली- मैं चिल्ला दूँगी.. भैया मुझसे छोड़ो..
मैंने कहा- ठीक है तू चिल्ला..
मैंने उसको अपने हाथों में उठाया और बिस्तर पर लेटा दिया और उसके ऊपर लेट गया।
अब मैंने उसके दोनों हाथों को पकड़ लिया और उसको चूमने लगा।
थोड़ी देर तक तो वो ‘ना.. ना..’ करती रही, फिर मैंने अपने एक ही हाथ से उसके दोनों हाथ पकड़ लिए और एक हाथ से उसके सलवार का नाड़ा खोल दिया।
वो लगातार ‘नहीं.. नहीं..’ कर रही थी, फिर मैंने उसके सलवार में हाथ डाल कर उसकी चूत को सहलाने लगा।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
थोड़ी देर तक यह करने के बाद वो भी गरम होने लगी, मैंने फिर उसके हाथ को छोड़ दिया और उसके बाद मैं समझ गया कि अब यह भी गरम हो गई है।
फिर मैंने उसकी कुरती उतार दी और उसके साथ उसकी शमीज भी उतार दी।
मैं उसके चीकू जैसे स्तनों को सहलाने लगा और उसकी चूत को भी सहलाने लगा। मुझे पता था कि यह पहली बार चुदाई करवा रही है।
उसके मुँह से ‘आह्हह्ह… ह्हह्ह’ की आवाज आ रही थीं।
मैंने उससे कहा- मैं कनिका के साथ भी यही करता हूँ।
तो उसने अपनी बन्द आँखें खोलीं और नशीली आवाज में कहा- उसके बाद क्या करते हो?
मैं समझ गया था कि यह अब पूरी गर्म हो गई है, मैंने उसके पूरे कपड़े उतार दिए, अब वह मेरे सामने पूरी नंगी थी।
मैंने भी फिर अपने कपड़े उतारे और तेल की शीशी ले कर आया।
मैंने अपने 7 इन्च के लण्ड पर तेल लगाया जो कि खड़ा हो गया था। उसके बाद उसकी चूत पर भी तेल लगाया। मैंने उसकी चूत में अपनी उंगली डाल कर तेल लगाते हुए उससे कहा- क्या मैं अपना लण्ड डालूँ?
तो उसने कामुकता से कहा- हाँ.. डाल दो ना भैया..
मैंने जैसे ही अपना थोड़ा सा लण्ड उसकी चूत में दबाया तो वह जोर से चिल्ला दी।
‘ऊऊओ.. म्मम्मम्मम्मी.. आआ.. आहहअ.. अईईए.. नहीं.. ईईई.. भैयाआआ.. बाहर.. निकालो..’
मैंने अपना लण्ड निकाला और कहा- थोड़ा तो दर्द होगा.. तू इतनी ज़ोर से मत चिल्लाना।
उसने रुआंसे होते हुए कहा- ठीक है.. मगर भैया थोड़ा धीरे-धीरे डालना।
मैंने फिर से अपना लण्ड उसकी चूत में डाला.. तो वह फिर से चिल्लाई।
अबकी बार मैंने अपना मुँह उसके मुँह पर रख दिया और उसके मुँह को चूसने लगा। थोड़ी देर के बाद उसका चिल्लाना कम हुआ।
फिर मैंने अपनी कमर को थोड़ा पीछे करके ज़ोर से एक झटका दिया और अपना पूरा लण्ड उसकी चूत में पेल दिया। उसके बाद वह तो समझो मर ही गई थी।
वो इतनी ज़ोर से चिल्लाई- मम्मई.. नहीं ईईई.. अई.. भैयाआ.. आआअहह.. निकालो ऊऊऊ..
फिर मैंने उसका मुँह से अपना मुँह लगा। लिया और वो ज़ोर-ज़ोर से हिलने लगी। उसकी चूत में से खून आने लग गया और वह पागल सी हो गई।
मैंने उसके चिल्लाने पर भी उसे चोदना नहीं छोड़ा और चोदता ही चला गया। थोड़ी देर के बाद मेरे लण्ड से सफ़ेद गाढ़ा सा वीर्य निकलने को हुआ.. जो मैंने बाहर निकाल दिया।
मैं झड़ने के बाद उसके ऊपर ही थोड़ी देर लेटा रहा। मेरे लण्ड को उसकी चूत में से बाहर निकालने बाद ही उसने शान्ति की सांस ली और कहा- भैया अब मैं आपसे कभी नहीं चुदवाऊँगी।
मैं उससे कहा- तू अपना खून साफ़ कर ले और कपड़े पहन ले।
मैंने भी अपने कपड़े पहन लिए और उसके बाद अपना काम करने लगा गया।
थोड़ी देर के बाद वह कमरे में से बाहर आई और कहा- भैया मैं जा रही हूँ।
मैंने कहा- ठीक है.. अब कब आएगी।
तो उसने कहा- जब समय मिलेगा।
वो चली गई.. पर आज भी जब भी मौका मिलता है.. मैं उसको चोदता रहता हूँ। अब वो भी चुदाई का पूरा मजा लेती है।
दोस्तो, मेरी यह कहानी आप लोगों को कैसी लगी, मुझे जरूर बतायें!
कहानी के विषय में लिखना चाहते हों तो मुझे ईमेल कीजिएगा।

इस तरह चुद गयी वर्षा (Is Tarah Chud Gai Varsha)

यारो, मेरी उमर 23 साल, मेरी हाइट 5’10” है और मैं बरेली से हूँ।
बात उन दिनों की है जब मैंने बीसीए के लिए कॉलेज जॉइन किया। मेरी कॉलेज में जहाँ देखो वहाँ मस्त लड़कियाँ थी लेकिन मैं अपने दोस्तों के साथ मस्ती करता था, मुझे किसी से कुछ लेना देना नहीं था।
जब मैं फ्रेशर पार्टी दे रहा था, तब मेरी मुलाकात वर्षा से हुई।

वो बीएससी प्रथम वर्ष में थी।
क्योंकि मैं कॉलेज में ज्यादातर बुरी हरकतों में घुसा रहता था तो मुझे कोई कोई ही जनता था।
हमारी दोस्ती हुई, अब वो हमेशा ब्रेक टाइम और छुट्टी में मेरे ग्रुप में रहती थी।
वो बहुत हॉट और सेक्सी थी लेकिन मैं कभी उसके बारे ऐसा सोचता नहीं था, मैं ज्यादातर ग्रुप में रहता था तो वो मुझसे ज्यादा बात नहीं कर पाती थी।
एक दिन उसने मेरा सेल नंबर माँगा, मैंने उसे अपना नंबर दिया और घर के लिए निकलने लगा।
तभी वर्षा बोली- आज मैं अपनी दीदी के साथ आई थी लेकिन वो कहीं बिज़ी होने के कारण रिसीव करने नहीं आ पाएँगी… तो क्या तुम मुझे घर ड्रॉप कर दोगे?
मैंने कहा- ठीक है।
वो मेरी बाइक पर बैठ गई।
रास्ते में हम बात करते जा रहे थे, वो मेरे बारे में जानना चाहती थी, मैंने हर चीज़ बता दी।
रास्ते में उसके बूब्स मुझे टच हो रहे थे, मैं अपने आप को कंट्रोल नहीं कर पा रहा था, मन कर रहा था कि यहीं पर उसकी टीशर्ट फाड़ दूँ लेकिन खुद पर कंट्रोल करना पड़ा।
मैंने वर्षा को उसके घर ड्रॉप किया तो बोली- अंदर आओ…
लेकिन मुझे जल्दी थी तो मैं वहाँ से चला आया।
उसने कुछ देर बाद कॉल किया, थैंक्स कहा और यहाँ वहाँ की बात करने लगी।
उसने पूछा- तेरी कोई गर्लफ्रेंड है क्या?
तो मैंने कहा- कोई नहीं है, और होगी भी कैसे? कोई बैड बॉय को अपना बायफ़्रेंड थोड़ी ना बनाएगी।
तो उसने कहा- नहीं, तुम गंदे लड़के नहीं हो… जहाँ तक मुझे पता है, तुम ओपन माइंड हो।
मैंने पूछा- तुम्हारा कोई बाय्फ्रेंड है?
तो उसने कहा- था, लेकिन मैंने उसे छोड़ दिया।
मैंने कहा- क्यों?
तो बोली- वो मेरे साथ चीट कर रहा था।
मैंने कहा- चल अछा है, बिंदास रहने का अलग ही मज़ा है।
उसके बाद मेरे मन में उसको चोदने का ख्याल आया।
उस दिन मैंने उसकी याद में मूठ मारी।
अब हम ज्यादातर साथ में रहने लगे।
मुझे उसके बूब्स देख कर चूसने का मन करता था!
अब हम दोनों एक दूसरे के यहाँ आते जाते थे।
एक बार मेरे पेरेंट्स 1 हफ़्ते के लिए पुणे गये थे, मैं घर में अकेला था तो मैंने सभी को अपने घर इन्वाइट किया।
हम सब लोग एंजाय कर रहे थे, मेरे फ्रेंड्स ड्रिंक करते थे तो वो 3 बॉटल ले आए।
चूंकि मेरी ग्रूप में लड़कियाँ थी तो मैंने बॉटल छुपा दी।
लेकिन एक ने देख लिया तो बोली- शरमा मत, हम लोग भी ट्राई करेंगी।
तो मैं बॉटल ले आया।
सबने ड्रिंक्स की लेकिन मैंने नहीं की।
वर्षा ने भी ड्रिंक किया।
हम सब उसके बाद यहाँ वहाँ की बात करने लगे, फिर सब अपने घर चले गये!
वर्षा को पीने के कारण सर में दर्द हो रहा था तो वो रुक गई और मेरे रूम में सो गई क्यूंकि उसने शायद पहली बार ड्रिंक किया था।
मैंने उसके घर में कॉल करके कहा- वर्षा अपनी फ्रेंड के यहाँ चली गई है, शाम तक आ जाएगी।
जब वो सो रही तो उसके बूब्स बाहर को निकल आये थे, मैं पागलों जैसे उसे देखने लगा, मैंने वहीं पर मूठ मार ली क्यूंकि इससे पहले मैंने कभी किसी के बूब्स नहीं देखे थे तो मैंने उसे चूसने के लिए पकड़ लिए और चूसने लगा।
मुझे मज़ा आने लगा।
शायद वो जागने वाली थी तो मैंने जल्दी से वहाँ से चला आया।
मैं आकर पीसी पे पॉर्न मूवी देखने लगा।
मुझे पता ही नहीं चला कि कब वो आकर मेरे पीछे खड़ी हो गई!
उसने गुस्से में कहा- ये क्या देख रहे हो?
मैंने जल्दी से पीसी ऑफ कर दिया और कहा- हॉलीवुड मूवी देख रहा था।
वो शायद सब जानती थी लेकिन मुझसे ऐसे बर्ताव कर रही थी जैसे कुछ जानती नहीं हो।
मैंने कहा- तूने कभी किस किया है?
तो वो बोली- नहीं, मैंने कभी नहीं किया है।
मैंने कहा- करना चाहती हो?
तो वो बोली- नहीं मैं नहीं करना चाहती।

मैं ज़बरदस्ती उसे किस करने लगा।
पहले उसने मुझे धक्का दिया लेकिन मैंने उसे कस के पकड़ लिया और किस करने लगा।
अब वो मेरा साथ देने लगी, हम दोनों 10 मिनट तक किस करते रहे।
वो पूरी गर्म हो गई थी।
मैंने कहा- पॉर्न मूवी देखोगी?
वो बोली- हाँ… मैं बहुत बार देखती हूँ।
तो मैंने जल्दी से पॉर्न मूवी लगा दी, वो देखने लगी और मैं उसे किस करने लगा।
मैं उसकी सलवार उतारने लगा और उसके बूब्स दबाने लगा, वो ‘आआहह उऊहह…’ आवाज़ निकालने लगी, उसने मेरा लंड पकड़ लिया और दबाने लगी।
मैं उसके बूब्स चूसने लगा और दबा रहा था।
वो पूरी गर्म हो गई थी, उसने मेरा लंड बाहर निकाला और कहा- इतना बड़ा है तेरा?
मैंने कहा- मैं वर्जिन हूँ, आज तक मैंने किसी के साथ नहीं किया है।
तो उसने कहा- मैंने भी बस मूवी में देखा था!
मैंने कहा- इसे मुँह में डालो…
वो मना करने लगी लेकिन बाद में चाटने लगी, वो पागलों के जैसे चूस रही थी।
मैं उसके मुँह में ही झड़ गया, उसने मेरा पूरा पानी पी लिया।
मैंने उसकी पैंटी खोल दी अब वो मेरे सामने पूरी नंगी थी, मैं पागलों की तरह उसकी चूत चाटने लगा।
क्या खुशबू थी उसकी चूत में…
हम दोनों 69 की पोज़िशन में आकर एक दूसरे को चाट रहे थे।
मैं अब जल्दी से जल्दी उसकी चूत मारना चाहता था लेकिन वो मुझे छोड़ नहीं रही थी।
वो 15 मिनट तक मेरा लंड चूसती रही थी।
मैंने अब उसको बेड पे लिटाया और अपना लंड उसकी चूत पे रगड़ने लगा।
वो पागलों के जैसे आवाज़ कर रही थी।
मैंने अपना लंड उसकी चूत में डालने के लिए कोशिश की लेकिन उसकी चूत ज्यादा ही कसी थी, मेरा लंड अंदर जा नहीं पा रहा था!
मैं उसे किस कर रहा था और झटके से अपना आधा लंड उसकी चूत में डाल दिया।
वो चिल्लाने लगी, मैं उसे किस करने लगा और थोड़ी देर तक उसे किस करने के बाद जब वो नॉर्मल हो गई, मैंने फिर झटके से अपना पूरा लंड डाल दिया।
उसकी चूत से खून आने लगा, वो डर गई और मुझे लंड बाहर निकालने के लिए बोली।
मैंने कहा- थोड़ा सा दर्द होगा, और कुछ नहीं…
और मैं उसके बूब्स चूसने लगा।
मैं अब धीरे धीरे अपना लंड आगे पीछे करने लगा!
वो चिल्ला रही थी लेकिन थोड़ी देर बाद मेरा साथ देने लगी, हम दोनों एक दूसरे को किस करने लगे, मैं अब जल्दी जल्दी शॉट मारने लगा।
मैं दस मिनट में ही उसकी चूत में झड़ गया और वो भी मेरे साथ झड़ गई।
मैं उसके बूब्स चूसने लगा।
उसका चेहरा पूरा लाल हो गया था, मेरा लंड खून से लाल हो गया था और उसकी चूत भी खून से लाल थी।
वो मेरा लंड चूसने लगी, मेरा लंड मुँह से साफ कर दिया उसने।
मैं उसके बूब्स चूसने लगा। मैं अब उसकी चूत को चाट रहा था, वो कांपने लगी, वो आगे पीछे होने लगी, उसे मज़ा आ रहा था।
हम दोनों फिर से चुदाई करने लगे।
हमने उस दिन तीन बार सेक्स किया।
अब उसे घर जाना था लेकिन चूत में दर्द होने के कारण वो ठीक से चल नहीं पा रही थी।
मैंने कहा- यहीं रुक जाओ।
तो उसने अपने घर में फ़ोन करके कहा कि वो आज रात अपनी फ्रेंड के यहाँ स्टडी के लिए रुक रही है।
फ़िर हम दोनों ने साथ में पॉर्न मूवी देखी और एक दूसरे को किस करने लगे।
मैं उसे अपनी गोद में बिठा कर सेक्स करने लगा, हम दोनों सेक्स करते रहे, फिर हम दोनों पूरे नंगे हो कर टीवी देखने लगे।
रात को हम दोनों ने ड्रिंक किया, मुझे ड्रिंक का असर होने लगा तो मैंने कोल्ड ड्रिंक्स पी ली लेकिन वर्षा ज्यादा पी गई।
हम फिर से किस करने लगे।
मैंने कहा- मैं तुम्हारी गांड मारना चाहता हूँ।
तो बोली- जो करना है, करो !
मैंने अपना लंड उसकी गांड में डाल दिया, वो चिल्लाने लगी लेकिन मैंने उसकी एक ना सुनी और अपनी स्पीड बढ़ा दी।
हम दोनो एक साथ ही झड़ गये।
हम सुबह साथ में नहाने गये और वहाँ भी सेक्स किया।
और उसके बाद हमें जब भी मौका मिलता था, हम सेक्स करते थे!
फिर उसके पापा का ट्रान्स्फर हो गया और वो आगरा चले गये।

ଜୌବନର ଆକର୍ସଣ ଅର୍ଶିଳ ସମ୍ଭୋଗ


ନମସ୍କାର ମୁଁ  ସୁନିତା ପୃଷ୍ଟୀ ମୋର ସବୁ ଗେହ୍ଲା ଦିଅର ଓ ନଣଂଦ ମାନଂକୁ ପୁଣି ଏକ ନୁଆ କାହାଣି ସହ ଆଜିର ଏହି କାହାଣି ଦୁଇ କ୍ଲାସ୍ ମେଣ୍ଟ ନ୍କର ଜଣେ ଅଭି ଆଉ ଜଣେ ଲିପି ଅଭି ର ଗାର୍ଲ ଫ୍ରେଣ୍ଡ୍ ପ୍ରତିମା ,କିଂତୁ ଜୌବନ ର ଦୁଇ ବିସମ ଲିଂଗି ନ୍କ ଆକର୍ସଣ କୁ ଆଡେଇ ନପାରି ଲିପି ଢାଳି ଦେଇଛି ତାର ନଗ୍ନ ଦେହ କୁ ଅଭି ଆଗରେ ,ଭୁଲିଯାଈଛି ସେ ସମାଜ ସଂଷ୍କୃତି,  ଜୌନ ସମ୍ଭୋଗରେ ବୁଡ଼ୀ ଯାଈଛି କିଛି ସମୟ ପାଈଁ ଜୌନ ଜ୍ୱାଳା ମଣିଷ କୁ ଅନ୍ଧ କରି ଦିଏ କ୍ଷଣିକର ଆନନ୍ଦ ପାଇଁ ମଣିଷ ଭୁଲିଯାଏ ସବୁ ବନ୍ଧନ ସିମା କୁ


ଅଭି ଆଉ ପ୍ରତିମା ନୟାଗଡ଼ ଅଟୋନମସ୍‌ କଲେଜ୍ ,  +୩ କମର୍ସ୍  ୩ ବର୍ଷ ରେ ପାଠ ପଢୁଥିଲେତାଂକର ପ୍ରେମ କଥା କ୍ଲାସ ରେ ସମସ୍ତେ ଜାଣିଥିଲେ ,ଲିପି ମଧ୍ୟ୍ୟ   ସେମାନଂକର ଭିତରେ ମଧ୍ୟ୍ୟ ଦେହ ଦିଆ ନିଆ ସରି ଜାଇଥିଲା,ଏ କଥା କିଛି ପିଲା ଜାଣିଥିଲେ ଅଭିର ସବୁ ଝିଅ ମାନଂକ ସହ ଭଲ ପଡେ ଅଭି ସବୁ କାମରେ ଆଗୁଆ,କ୍ଲାସ୍ ରେ ମଧ୍ୟ୍ୟ ପ୍ରଥମ ସ୍ଥାନରେ ରୁହେ   କଲେଜ୍ ରେ ତିନି ବର୍ଷ ଭିତରେ ଲିପି ଆଉ ଅଭି ମଧ୍ୟ୍ୟ ଭଲ ସାଂଗ ଥିଲେ ଲିପି ଟିକେ ପତଳା ଓ ଗେଡା,୩୦- ୨୫ – ୨୯ ସାଇଜ୍ ହେବ,ଉଚତା ୪ଫୁଟ୍ ୮ ଇଂଚ ହେବ  ଲିପି ଭାରି ମଜା ଳିଆ ଝିଅ,ତା ମୁହଁ କିଂତୁ କ୍ଲାସ୍ ରେ ସବୁ ଝିଅ ମାନଂକ ଠାରୁ ସୁଂଦର କ୍ଲାସ୍ ଛୁଟିହେଲେ ବି ୨ ଘଣ୍ଟା ପରେ ଘରକୁ ଯାଏ ଲିପି ର କୌତିକିଆ କଥା ଓ ଜୌବନ ର ବାସ୍ନା ଅଭି ମନରେ କାମନା ଭରି ଦେଇଥିଲା ଅଭି ପ୍ରତିମା ର ଅଜଣାରେ ଲିପି ସହ ଦିନକୁ ଦିନ ନିକଟ ତର ହୋଇ ଯାଉଥିଲା ଲିପିର ମଧ୍ୟ୍ୟ ଅଭି ପାଈଁ ମନରେ କିଛି କିଛି ହଉଥିଲା ଦୁଂହେ ଏମିତି ମଧ୍ୟ୍ୟ ଫୋନ୍ ରେ ଗପା ଗପି ଅରମ୍ଭ କରି ଦେଲେ ରାତିର ଫୋନ୍ କଥା ବାର୍ତାଝିଅ ମାନଂକର ଜୌନ ଆକର୍ଶଣକୁ ବଢେଇ ଦିଏ ଲିପିର ମଧ୍ୟ୍ୟ ସେଈଆ ହେଲା,ଲିପି ଅଭି ଆଡକୁ ମନ ଢଳି ଢଳି ଚାଲିଥାଏ କେତେବେଳେ ସେମାନେ କଲେଜ୍ ର ଅନ୍ୟ ପୁଅ ଝିଅ କରୁଥିବା ସେକ୍ସ ବିସୟ ରେ ବି ଆଲୋଚନା କରିଦେଇ ଗରମ ହେଇଯାଉଥିଲେ ଅଭି ଲିପି ସହ କଥା ବାର୍ତା ରେ ଏତେ ଗରମ ହୁଏ ଯେ ଯେମିତି ପାଖରେ ଥିଲେ ଗେହି ପକେଇ ଥାଂତା ମନରେ ମନରେ ପ୍ଲାନ କରୁଥାଏ ଲିପି କୁ ପ୍ରତିମା ଭଳି କୋଉ ଜାଗା କୁ ନେଇ ଗେହିବ ହେଲେ ସୁବିଧା ମିଳୁ ନଥାଏ,ଲିପିକୁ କ୍ଲାସ୍ ମଧ୍ୟ୍ୟ ଟିକେ ଚିପା ଚିପି କରିବା ର ସୁଜୋଗ ମିଳୁନଥିଲା
ଆଗକୁ ସରସ୍ୱତି ପୁଜା ଥାଏ ଅଭି ପାଇଁ ଏକ ସୁଜୋଗ ମିଳି ଗଲା,ଅଭି ଲିପି କୁ ସରସ୍ୱତି ପୁଜାବୁଲି ଜିବା ପାଇଁ କହିଲା
ଲିପି – କୁଆଡେ ଯିବା?
ଅଭି- ସରଣକୁଳ
ଲିପି- ମୁଁ ନୟାଗଡ଼ ବାହାରକୁ ଯିବିନି ,ଘରେ ଜାଣିଲେ ମୋ ପାପା ମୋତେ ଗାଳିକରିବେ
ଅଭି – କେମିତି ଜାଣିବେ ,ଆମେ ତ ଯାଇକି ସଂଗେ ସଂଗେ ପଳିଆସିବା,୧ ଘଣ୍ଟା ସମୟ ଲାଗିବ ଯାଇକି ତ ସଂଗେ ଫେରି ଆସିବା
ଲିପି- ନା ମୁଁ ଯିବିନି
ଅଭି – ପ୍ଲିଜ୍,ଜିବା
ଲିପି – ନା ନା ଆମ ଘରେ ଯଦି କେହି କହି ଦେବ
ଅଭି – ଯିଏ କହିବ ମୁଁ ତା କଥା ବୁଝିବି   ତୁ ବାହାରିକି ବସ୍ ଷ୍ଟାଣ୍ଡ ରେ ଥିବ ମୁଁ ଆସି ନେଇଜିବି
ଏତିକି କଥାରେ ଲିପି ମଧ୍ୟ୍ୟ ଯିବା ପାଈଁ ଈଛା କଲା ରାତରେ ପ୍ଲାନ କରି ଅଭି ସବୁ ଠିକ୍ କଲା ଲିପି କୁ ନେଇ ପୁଜା ବୁଲେଇ ଆଣି ସାଂଗ ଘରେ ୨ ଘଣ୍ଟା ରେ ଗେହି ବ ବୋଲି ଭାବିଲା
ସରସ୍ୱତି ପୁଜା ହେଲା ପ୍ଲାନ୍ ଅନୁସାରେ ଲିପି ଓ ଆଲୋକ ସରଣକୁଳ ବୁଲିଚାଲିଲେଲିପି ନୟାଗଡ଼ ଡେଈଁ ସାରିବା ପରେ ଆଉ ଡରୁ ନଥାଏ ଅଭି କୁ ଜାବୁଡ଼ି ଧରି ବାଇକ୍  ରେ ଚାଲିଲା ଅଭି ବାଇକ୍ ର ବ୍ରେକ୍ ମଝିରେ ମଝିରେ ମାରି ଲିପିର ଦୁଧର ଧକ୍କାର ମଜା ନେଉଥିଲା ଲିପି ମଧ୍ୟ୍ୟ ଜାଣିପାରୁଥିଲା ହେଲେ ସେ ବି ଏକ୍ସାଇଟେଟ୍ ଥିଲା ଲିପି ଜାଣି ଜାଣି ଦୁଧ କୁ ଢାଳି ଦେଉଥିଲା ଅଭି ର ବାଣ୍ଡ ଗୋଟେ ଦୁଧ ଧକ୍କାରେ ପୁରା ଟିଂଗେଇ ଯାଉଥିଲା ଲିପି କୋଳରେ ଜାପି କରି ଅଭି ସହ ଲାଗି ବସିଥିଲା ବାଇକ୍ ଏବେ ସରଣକୁଳ ଲଡ଼ୁବାବା ମଂଦିର ପାଖରେ ଲାଗିଲା ଅଭି ସେଠି ଗାଡ଼ି ରଖି ପାଖ ଦୋକାନ କୁ ଗଲା ସେଠି ଅଭି ତାର ଗୋଟେ ସାଂଗ ପାଖରୁ ତାଂକ ଘର ଚାବି ମାଗି ଆଣିଲା ପୁଣି ବାଇକ୍ ଚଲେଇ ସରସ୍ୱତି ପିଠକୁ ଗଲା ଦୁଂହେ ଦର୍ଶନ ସାରି ଫେରିଲେ ଅଭି ବାଇକ୍ କୁ ଟିକେ ଗଳି ରାସ୍ତାକୁ ପୁରେଇ ଗୋଟେ ପୁରୁଣା ଘର ଅଗରେ ରଖିଲା ଲିପି ବାଇକ୍ ରୁ ଓହ୍ଲେଇ ଚାରିଆଡେ ଚାଂହିଲା ହେଲେ ଅଭି କୁ କିଛି କହିଲାନି ଅଭି ଘରର ଚାବି ଫିଟେଇ ଘର ଭିତରକୁ ପସିଗଲା ଲିପି ମଧ୍ୟ୍ୟ ଅଭି ପଛେ ପଛେ ଘରକୁ ଚାଲିଲା,ବୋଧେ ଲିପି ମଧ୍ୟ୍ୟ ସେକ୍ସ ପାଇଁ ରାଜି ଥିଲା ଓ ଭାବିଥିଲା ଆଜି କିଛି ହେବ ବୋଲି

 ଘର ଟି ବହୁତ ପୁରୁଣା ଭିତରେ କରେଣ୍ଟ ମଧ୍ୟ୍ୟ ନଥାଏ ଗୋଟିଏ ବଖରା ଘରେ ବାରି ପାଖକୁ ଗୋଟେ ଝରକା ଟିଏ ଥିଲା ଅଭି ମୋବାଇଲ୍ ରେ ଲାଇଟ୍ ଲଗେଇ ଝରକା ଖୋଲିଲା ଲିପି ଯାଇ ଆଗ ଖଟ ଉପରେ ବସିଗଲା ଅଭି ଲିପିର କିଛି ବି ବିରୋଧ ନପାଇବାରୁ ଟିକେ ଆଶ୍ଚର୍ଯ୍ୟ  ହେଲା  ଲିପି ତଳକୁ ମୁହଁ କରି ବସିରହି ଥିଲା ଅଭି ଆଗ କବାଟ ବନ୍ଦ କରିଦେଲା,ଲିପି ପାଖକୁ ଆସି ଲିପିର କାଂଧ ଉପରେ ହାତ ପପକେଇ ଦେବାରୁ ଲିପି ର ଦେହ ର ସ୍ପଂଦନ ବଢି ବାକୁ ଲାଗିଲା ଅଭି ଜାଣିଲା ଆଉ କିଛି କହିବା ଦରକାର ନାହିଁ  କାମ ଆରମ୍ଭ କରି ଦେବା ଭଲ ହେବ ଝିଅ ମନ ଯଦି ବଦଳି ଯିବ ସେ ଜମା ରାଜି ହୋଇ ନପାରେଅଭି ଲିପିରମୁଣ୍ଡ କୁ ଚୁମା ଦେଇ ତା  ଦୁଇ ବାହୁକୁ ଧରି ଖଟରେ ସୁଆଇଦେଲା ,ଲିପି କିଛି ପ୍ରତିରୋଧ ନକରି ସୁନା ଝିଅ ପରି ଖଟରେ ସୋଇ ରହିଲା ଭସ୍ ଭସ୍ ନିସ୍ୱାସ ବାହରୁ ଥିଲା ଲିପିର ନାକରୁ ଅଭି ତାର ଜିଂସ୍ ପାଣ୍ଟ୍ ର ଚେନ୍ ତଳ କୁ କରି ଲିପି ଉପରେ ମାଡ଼ିବସିଲା,ଲିପି ଅଭି କୁ ଜାବୁଡି‌ ଧରିଲା ଅଭି ଲିପିର ନରମ ଗୋଲାପି ଓଠକୁ କୁକୁର ପରି ଝୁଣି ଚାଲିଲା ଲିପି ମଧ୍ୟ୍ୟ କିସ୍ ର ମଜା ନେଲା,ଅଭି ର ହାତ ଯାଇ ଲିପିର ୨୮ ସାଇଜ୍ ଦୁଧ ଉପରେ ଅଟା ଦଳିଲା ଭଳି ଦଳି ଚାଲିଲା ଲିପିର ଦୁଧ କୁ ଲିପି ଆହୁରି ଉତ୍କଣ୍ଠାର ସହ ଭିଡ଼ି ଧରି ଥାଏ ଅଭି ଲିପିର ଉପର ସାର୍ଟ କୁ ଖୋଲି ,ଲିପି ପିଂଧି ଥିବା କଫି କଲର ର ବ୍ରା କୁ ଟିକେ ଉପରକୁ ଟେକି ଦୁଇ ହାତରେ ଲିପିର ସ୍ତନ କୁ ଚିପି ଧରିଲା ସ୍ତନକୁ ପାଟିରେ ଭର୍ତି କରି ହାଉଁ ହାଉଁ ହୋଇ ଖାଇ ଚାଲିଲା ୫ ମିନିଟ୍ ର ଦୁଧ ଦୁହାଁ ପରେ ଅଭି ଲିପିର ପ୍ୟାଣ୍ଟ୍ ଭିତରେ ହାତ ପୁରେଇଲା ଲିପିର ଜଂଘ ସଂଧି ଜଂଗଲ ହୋଇ ରହି ଥାଏ
 
ବୁଦୁ ବୁଦିଆ ବାଳ ଖାଲି ବାଳ ଅଭିର ହାତ ବାଳ ମେଣ୍ଚା ରେ ବାଜି ବାରୁ ଅଭି ଟିକେ ରହି ଜାଇ ଲିପିର ପୁରା ପ୍ୟାଣ୍ଟ ଚଡ଼ୀ ସହ ଭିଡି‌ ବିଆ ଚାରି ପାଖ ଜ୍ଂଗଲ କୁ ଦେଖିଲା
ଅଭି- କଣ ଏତେ ଜଂଗଲ କରି ରଖିଛୁ?
ଲିପି ଚୁପ ରହିଲା
ଅଭି- ଏସବୁ ତ ପୁଚୁରା ହୋଇ ରହିଛି ସଫା କରି ଦବୁ ହେଲା।
ଅଭିର କଥାର କିଛି ବି ଜବାବ ମିଳିଲାନିଅଭି ଲିପି ଗୋଡ ଉପରେ ବସି ଗୋଟିଏ ଆଂଗୁଠି କୁ ଲିପିର ବାଳ ସାଈଡ୍ କରି ବିଆ ଭିତରକୁ  ଗେଂଜିଲା ଲିପିର ବିଆ ମେଲା ଥିଲା ଅଭି ଆଂଗୁଠି ଭିତରକୁ ଗବ କରି ପସିଗଲା ଅଭି ୫ – ୧୦ ଥର ଅଂଗୁଠି ଗେଂଜି ଲିପି କୁ ଗେହିଲା ଲିପିର ଜୋନିରେ ଅଂଗୁଳି ସ୍ପର୍ସ ବାଜି ଦେହ ସିହରଣ ହୋଈ ଦେହ ଲହଡି ଭାଂଗିଲା ଆଃ ଆଃ................. ଇମା .......  ଆଃ..  ଆଃ..  ଆଃ.. ଆଃ... ଉଂହ୍..... ଉଂହ୍.... ଇମା...... ଇଇଇଇ........ ଉଃ ଉଃ ...... ଚିଲେଇ ଅଭିକୁ ଲିପି ନିଜ ଆଡକୁ ଭିଡ଼ିଲା ଅଭି ନିଜ ଚଡ଼ି କୁ ତଳକୁ ଭିଡ଼ି ବାଣ୍ଡକୁ ବାହାର କଲା


 ଅଭିର ବାଣ୍ଡ ୮ ଇନ୍ଚ ଲମ୍ବା,ଚଡ଼ି ଭିତରୁ ବାହର କରି ଲିପିର ବିଆ ରେ ଗେଂଜିଲା ଲିପିର ଜୋନିରେ ବାଣ୍ଡ ପସୀ ଜିବାରୁ ଲିପି ର ନିସ୍ୱାସ ପୁଣି ବଢି ଚାଲିଲା ଏବେ କାମନାର ପ୍ରକୃତ ଖେଳ ଆରମ୍ଭ ହୋଇଗଲା ଲିପିର ଧର୍ଶଣ ହୋଈ ଚାଲିଥାଏ ଦେହ ସୁଖ କୁ ଆଦରି ସୁନା ଝିଅଟେ ପରି ସୋଇ ରହିଥାଏ ଲିପି କିଛି ସମୟ ଭିତରେ ବିର୍ଜ ଖାଲି ବିର୍ଜ  ଲିପିର ବିଆ ଉପରେ ଢଳି ଗଲା ବାଳ ବୁଦୁ ବୁଦିଆରେ ବିର୍ଜ ଲାଗି ପୁଚୁରା ହୋଇଗଲା ଘର ଟା ଗନ୍ଧରେ ପୁରିଗଲା ସାଂଗରେ ଆଣିଥିବା ଗାମୁଛାରେ ପୋଛି ହୋଇ ଦୁହେଁ ଉଠିଲେ କିଛି ସମୟ କିସ୍ କରି ସାରି ଡ୍ରେସ୍ ପିଂଧି ଦୁଂହେ ବାହାରକୁ ବାହାରିଲେ ଅଭି ଲିପି କୁ କହିଲା ତୋ ବାଳ ଆଗ ରାମ୍ପିବୁ ହେଲା ଦୁଂହେ ଘର ତାଲା ପକେଇ ପୁଣି ନୟାଗଡ଼ ବାହାରିଲେ ଅଭି ଲିପିକୁ ପୁଣି କେବେ ବିନା ବାଳରେ ପେଲା ପେଲି ହବା ପାଇଁ କହିଲା --- ଲିପିର ମୁହଁ ରେ କିଛି ଉତର ନଥାଏ ,ଖାଲି ହସ ଖାଲି ହସ ...............

(ଲେଖକ) --->  ସୁନିତା ପୃଷ୍ଟୀ
(ପ୍ରକାଶକ) --->  ଭାଉଜ.କମ୍



भाभी की माँ बनने की इच्छा



कई बार सपने में मैं अपनी प्रीति भाभी को उनकी तारीफ में कहता था ..” भाभी आप बहुत खूबसूरत हो आपके रसीले होंठों का रस पीने के लिए कोई भी मर्द चाहेगा गोल गोल बड़ी आँखों में अजीब सी उलझन है आपकी पतली कमर देख कर कोई भी छूने को चाहेगा काजोल की जैसे बड़ी बड़ी चुचियां है आपकी दो मोटे कूल्हों को देखकर हर कोई दीवाना हो जाएगा सच कहूं भाभी आप एक हसींन हिरोइन जैसे दिखती हो.” वो मुस्कुरा कर कहती हैं-“बस बस बहुत तारीफ करते हो वो भी झूठी ” ये क्या कहा आपने मैं भी कुर्बान जाऊँ आप पर अगर झूठा निकला तो।
भैया को अक्सर शहर से बाहर जाना पड़ता है। एक बार भाभी ने काले रंग की साड़ी और ब्लाऊज पहना। भाभी गोरी हैं इसिलिए मैंने उसकी खूब तारीफ की और कहा- भाभी आप तो काले कपड़ो में बहुत ही खूबसूरत दिखाती हो वो मुस्कुरा के बोली झूठे कहीं के।
फिर कई दिनों तक मन में एक सपना सजाता रहा कि कब भाभी को पा लूं और कस के उनकी गरम नरम चूत में अपना मोटा लन्ड डाल के उन्हें चीखने पर मज़बूर कर दूं।
एक दिन भैया ने सुबह जल्दी बाहर जाना था और मैंने उन्हें स्टेशन तक छोड़ने जाना था। मैं केवल अंडरवीयर पहने कसरत कर रहा था कि अचानक भाभी आ गई। मुझे एक झटका सा लगा और मैंने एकदम अपनी कमर पर एक तौलिया लपेट लिया। भाभी मेरे पास आईं और बोली- देवर जी ! आपकी बोडी तो बहुत जानदार है। मेरी बाजू पकड़ कर कहा- क्या सख्त बाजू है। मेर लन्ड भाभी के नर्म हाथों का स्पर्श पाते ही मचलने लगा। भाभी ने तौलिये में मेरे लन्ड को फ़ूलते हुए देख लिया। फ़िर वो जल्दी से बोली- जल्दी तैयार हो जाओ, चलो तुम्हारे भैया राह देख रहे हैं, उनकी गाड़ी का वक्त हो रहा है। वो चली गई पर मेरा लन्ड गर्म हो चुका था। मैं भैया को स्टेशन छोड़ आया और फ़िर कालेज चला गया।
शाम को जब घर आया तो भाभी पड़ोस में गप्पें हान्क रही थी। मुझे देख कर वो अन्दर आ गई। आज उन्होंने गहरे नीले रंग का गाऊन पहन रखा था और अन्दर आ कर दरवाजा बंद करते ही उन्होंने कहा- क्यों देवर जी मैं काले कपडों में सुंदर लगती हूँ ना !
मैंने कहा- हाँ. तो उन्होंने मैं कैसी दिखती हू इन काले कपड़ो में ?
मैंने हँसते हुए कहा- भाभी तुमने तो नीले रंग का गाऊन पहना है.
उन्होंने शरारत से कहा उस दिन तो कहते थे भाभी तुम काली साड़ी और काले ब्लाऊज में अप्सरा लगती हो. आज क्या हुआ ? मैंने कहा- लेकिन भाभी आपने नीला गाऊन पहना हुआ है काला नहीं.
तभी मेरा ध्यान भाभी के कंधे पर दिख रहे ब्रा स्ट्रैप पर गया। मैंने आगे बढ़ कर ब्रा स्ट्रैप के नीचे उंगली डाल कर ऊपर को उठाया और कहा- अच्छा तो ये है काले रंग की ब्रा। लेकिन दिख तो नहीं रही, भाभी जरा दिखाओ ना।
” कुछ नहीं ! कुछ नहीं ! मैं तो मज़ाक कर रही थी “भाभी बोली।
मैंने कहा- भाभी प्लीज! दिखाओ ना ! प्लीज भाभी प्लीज ! बस एक झलक एक बार !
इतना सुनते ही भाभी ने अपना गाऊन निकल दिया मैं उसे देखते ही दंग रह गया सच भाभी काले रंग की चोटी सी ब्रा और काले रंग की बिल्कुल छोटी सी पैन्टी में थी। उसकी दोनों चूचियां आधी से ज्यादा नंगी थी जब पैन्टी उसकी आधी चूत को ही ढक पा रही थी दोनों ओर से चूत नंगी दिखाई दे रही थी ये नजारा देख कर मेरा लंड अंडरवियर में खड़ा होने लगा.
भाभी ने कहा ” उस दिन तो बड़ी तारीफ करते थे आज क्या हो गया ”. मैंने कहा “भाभी तुम्हारी चूचियां और चूत का कोई जवाब मेरे पास नहीं पहली बार किसी औरत का आधा बदन नंगा देखा है सच कह रहा हूँ तुम्हारी कसम भाभी इतनी खूबसूरत गदराई हुई जवानी पहली बार देख कर मैं बाग बाग हो गया हूँ ”
ये कहते हुए मैंने आगे कदम बढाया तो भाभी हिली नहीं अपनी जगह से. मैंने भाभी को कंधो से पकड़ कर अपने से चिपटा लिया।
उन्होंने मुझसे कहा- क्या कर रहे हो, पहले अन्दर चलो !
मैं समझ गया कि आज भाभी दावत दे रही हैं। अन्दर जाते ही मैंने अपनी शर्ट निकल दी ,ऊपर का बदन नंगा हो गया फिर बिना सोचे अपनी पैंट उतार दी सिर्फ़ अंडरवियर में आ गया मेरी नजर भाभी की चुचियों पर गई छोटी सी ब्रा और बड़े कद की चूचियां कब तक छुपाती. मैंने पीछे जा के हूक खोल दी। दो नंगे फल भाभी के बदन पर झूलने लगे .वो कसमसाई मैंने उनकी बिना परवाह किए पैंटी को एक ही झटके में उतार दी और अपना अंडरवियर को निकाल दिया.
उन्होंने नकली गुस्से से कहा- यह क्या कर रहे हो?
मैंने कुछ सुना नहीं मैंने अपनी बाहों में नंगी भाभी के जिस्म को दबोच लिया वो कराहने लगी की मैंने दोनों होंठों को उसके रसीले होंठों पर रख दिए और जी भर के उसका रस पान करने लगा एक हाथ से चुचियों को दबाता मसलता रहा दूसरे हाथ से उसका जिस्म पूरा कस के मेरे जिस्म से चिपकाया ये सब अचानक हो जाने से वो हाथ पाँव मारने लगी लेकिन उसका कुछ न चला ओर मैं भाभी के जिस्म को बुरी तरह रौंदने लगा होंठों के बीच जीभ डाल के मैंने उसे बुरी तरह चूमा उसके मुह में .. आह्ह्ह उफ़. .मोनू .. मैं तुम्हारी भाभी हूँ .. ये ग़लत है .. छोड़ दो मुझे ..जग गगग ..की आवाज निकलने लगी पर मैं पूरी तरह से उनकी भरी भरी चूचियों को दबाता रहा उसकी कड़ी निप्पल को दो उंगली के बीच ले के मसलने लगा भाभी अब सिस्कारियां भरने लगी ..नही .. प्लिज्ज़ ..उईई ईई… धीरे ..मोनू ऊउऊ ..लेकिन अब उसका विरोध ख़तम हो गया था.
हम दोनों की सांसे तेज होने लगी मैंने जम कर भाभी के पूरे बदन को बेतहाशा चूमा .. .. मेरे होंठ उसके बदन पर फिसलने लगे .. एकदम गोरा और चिकना बदन था .अभी तक मैंने उसकी चूत पर हाथ नहीं लगाया था .. वो दोनों जांघो को सिकोड़े हुए थी .. मेरे हाथ और होंठो के स्पर्श से वो… ऐसी आवाजे निकलने लगी थी. प्रीति भाभी अब मीठी मीठी आहें भरने लगी मेरी ध्यान अब उसके पेट से होते हुए गहरी नाभि पर गया मैंने वहाँ सहलाया तो उन्होंने सिहर कर अपनी जांघे खोल दी और अब मेरी नजर उन की चूत पर पड़ी मैं झूम उठा एक भी बाल नहीं था गुलाबी रंग की चूत के बीच में एक लाल रंग का होल दिखाई दिया ये देख कर मुह में पानी आ गया.
भाभी के जिस्म को चारो ओर से चूमने सहलाने और दबाने के बाद चूचियों को प्यार से मुंह में लेकर कई बार चूसा भाभी का अंग अंग महक ने लगा उसकी दोनों चूचियां कड़ी ओर बड़ी हो गई उसके लाल लाल निप्प्ल उठ कर खड़े हो गए तीर की तरह नुकीले लग रहे थे. तब मेरी भाभी मुझसे जोर से लिपट गई। दो बदन एक दूसरे से रगड़ने लगे मेरी सांसे फूलने लगी हम दोनों तेजी से अपने मकसद की ओर आगे बढ़ने लग॥ 10 मिनट तक हम दोनों ने एक दूसरे को पूरा चूमा सहलाया। भाभी ने पहली बार शरमाते शरमाते लंड को पकड़ा तो बदन में बिजली सी दौड़ गई पहली बार मैंने कहा “मेरी जान उसके साथ खेलो शरमाओ मत अब हम दोनों में शर्म कैसी .”
मेरा बदन बहुत ही गरमा चुका था तब मैंने भाभी को फर्श पर लिटा दिया ओर उसके ऊपर आके जोर से चुचियों को फिर से दबाया पर बाद में मैंने चूत की तरफ़ देखा. चूत तो पूरी गीली थी. उसमे से जूस ऐसे निकल रहा था जैसे नल से पानी बह रहा हो. अब मैंने भाभी के पावों को चौडा किया तो उनकी फूली हुयी गुलाबी चूत पूरी तरह दिखने लगी .भाभी की गुलाबी चूत को देख कर मैंने कहा “भाभी सच बहुत ही चिकनी है तेरी ये चूत बिना बाल की गोरी उभरी हुई। दिल कर रहा है इसे खा जाऊँ ” इतना कह कर मैं उसकी चूत पर झुका और चूत के होठों को अपने होठों से चूमने लगा।
भाभी तो जैसे उछल पड़ी। ओह आ मोनू…॥अऽऽऽ ये क्या कर रहे हो…ऐसा तो तुम्हारे भैया भी नहीं करते कभी.. ओह मुझे अजीब सा लग रहा है। भाभी की सिस्कारियों से पूरा कमरा गूंजने लगा। मैं बड़े प्यार से भाभी की चूत को चूसता, चूमता चाटता रहा। वो अपने होठों पर जीभ फ़ेर रही थी और मचल रही थी कि अचानक चिल्लाई- मोनू छोड़ मुझे… आहऽऽमेरा हो रहा है…जोर से…कहते हुए मेरा सिर अपनी जान्घों में दबा लिया और मेरे बाल खींचने लगी।…भाभी ने आह ऽऽ भरते हुए जल्दी जल्दी तीन चार झटके पूरे जोरों से अपने चूतड़ उठा कर मारे। मैंने फ़िर भी उनको नहीं छोड़ा और अपनी जीभ से उनकी चूत से बहने वाले रस को चाट गया।
वो कह रही थी- अब हट जाओ मोनू, अब सहन नहीं हो रहा। अब अपनी प्यारी भाभी को चोदो। फ़ाड़ दो मेरी चूत को अपनी भाभी की चूत में घुस जाओ। मैं पहले से जानती थी कि तुम मुझे चोदना चाह्ते हो, मैं भी तुम से चुदना चाहती थीअब मैं भी भाभी की चूत का स्वाद अपने लौड़े को चखाना चाहता था। मैं भाभी के ऊपर आया तो भाभी ने सिर उठा कर मेरे लौड़े कि तरफ़ देखा। उन्होने कहा- देवरजी ! मैं तो मर जाऊँगी इतने मोटे और लम्बे से।
मैंने पूछा किस मोटे और लम्बे से?
वो शरमाते हुए बोली तुम्हारे लो ऽऽऽ लौड़े से !
मैंने कहा-कुछ नहीं होगा… और भाभी की टांगें चौड़ी की तो उनकी चूत के होंट ऐसे खुल गये जैसे किसी फ़ाइव स्टार होटल के दरवाजे अपने आप खुल जाते हैं किसी के आने पर। मैंने अपनी दो अंगुलियों से चूत को थोड़ा और खोला और अपना लन्ड का सिर उस पूरे खिले गुलाब के फ़ूल में रख दिया। भाभी ने कहा- थोड़ा अन्दर तो करो !
मैंने कहा- अभी करता हूं। यह कह कर मैं अपना लौड़ा धीरे धीरे बाहर ही रगड़ने लगा। भाभी बेचैन हो उठी। वो अपने चूतड़ ऊपर को उठा उठा कर लौड़े को अपनी चूत में डलवाने की कोशिश कर रही थी। मैं उनको तड़फ़ाते हुए उनकी सारी कोशिशें नाकाम कर दिए जा रहा था।
“अब डालो ना !” भाभी बोली।
“क्या डालूं… और कहाँ…” मैंने भाभी से पूछा।
“अच्छा बताऊँ तुझे? बहनचोद ! अपनी भाभी की चूत में अपना लौड़ा डाल और चोद साले ! भाभी तड़फ़ते हुए बोली।
भाभी के मुंह से ऐसी गालियां सुन कर मैं हैरान रह गया।
तभी भाभी ने एक ऐसा झटका दिया ऊपर की तरफ़ अपने चूतड़ों को कि एक बार में ही मेरा पूरा का पूरा लौड़ा भाभी की चूत की गहराई में उतर गया। भाभी के मुख से निकला- आह हय-मार दिया ! एक दर्द मिश्रित आनन्द भरी चीख !
अब मैं भाभी के ऊपर गिर सा गया और उनको हिलने का मौका ना देकर उनके होंट अपने होंटों से बंद कर दिये और अपने चूतड़ ऊपर उठा कर एक जोर का धक्का मारा तो भाभी फ़िर तड़प गई।
इसके बाद तो बस आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्… आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्…धीरे…आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्… आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्…रुक जरा… हाँ… आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्…जोर से… आऽऽह्…आऽऽह्…आऽऽह्…हाँऽऽअः…हाँऽऽअः…हाँऽऽअः…ह्म्म… हाँऽऽअः
हम दोनों की एक जैसी आवाजें निकल रही थी। काफ़ी देर ऐसे ही चलता रहा। बीच बीच में भाभी बड़बड़ाती रही- मज़ा आ रहा है ! करते रहो ! चूसो !
भाभी की चूत लगातार पानी छोड़ रही थी और मेरा लौड़ा बड़े आराम से अन्दर बाहर आ जा रहा था। भाभी भी अपने चूतड़ उठा उठा कर सहयोग कर रही थी। वो मदहोश हुई जा रही थी। उनके आनन्द का कोई पारावार ना था। ऐसा मज़ा शायद उन्हें पहले नहीं मिला था।
अब मैं चरमोत्कर्ष तक पहुंचने वाला था। मैंने भाभी को कहा- ले प्रीति ! ले ले मेरा सारा रस ! पिला दे अपनी चूत को !
“हाँ ! भर दे मेरी चूत अपने रस से मेरे मोनू भैया ! ” भाभी बोली।
और मैंने पूरे जोर से आखिरी धक्का दिया तो मेर लन्ड भाभी के गर्भाशय तक पहुंच गया शायद और वो चीख पड़ी- मार डालेगा क्या?
मेरे मुंह से निकला- बस हो गया ! मेरा लन्ड भाभी की चूत में पिचकारियां मार रहा था। भाभी भी चरम सीमा प्राप्त कर चुकी थी। फ़िर कुछ रुक रुक कर हल्के हल्के झटके मार कर मैं भाभी के ऊपर ही लेटा रहा। हम दोनों अर्धमूर्छित से पड़े रहे काफ़ी देर। पता नहीं कब नींद भी आ गई।
जब मेरी नींद खुली तो देखा कि भाभी उसी तरह नंगी मेरी बगल में बेसुध हो कर सो रही थी। उनके मुख पर असीम तृप्ति का आभास हो रहा था। उनके लबों पर बहुत हल्की सी मुस्कान भी दिख रही थी। मैं धीरे से उठा और रसोई में जाकर दो कप चाय बना कर लाया तो देखा भाभी वैसे ही सो रही थी। मैं उनके पास गया और उनके लबों को हल्के से चूम लिया। जैसे ही मेरे होंठ ने उनके होंठों को स्पर्श किया, भाभी ने आंखें खोल दी और मुस्कुरा कर मेरी आंखों में झांकने लगी।
मैंने भाभी से कहा- “तो सोने का बहाना कर रही थी आप?”
भाभी बोली- मैं तो तभी जाग गई थी जब तुम यहाँ से उठ कर गए थे, लाओ अब चाय तो पिला दो जो प्यार से बना के लाए हो।
हमने चाय पी। तब तक रात के आठ बज चुके थे। मैंने भाभी से पूछा- कैसा लगा?
भाभी ने शरमा कर नज़रें झुका ली, कुछ बोली नहीं।
मैंने उनकी ठोडी पकड़ कर उनका चेहरा ऊपर को उठाया और फ़िर पूछा कि कैसा लगा आज मेरे साथ।
भाभी शर्मिली मुस्कान के साथ बोली- बहुत मज़ा आया, मज़ा तो तुम्हारे भैया के साथ भी बहुत आता है, पर तुम्हारे अन्दर नया जोश है
“पहले ऐसा ही मज़ा आता था भैया के साथ?” मैंने पूछा।
” सच कहूं तो ऐसा मज़ा मुझे कभी नहीं आया, मुझे तो पता भी नहीं था कि इतना मज़ा भी आता होगा चुदाई में” भाभी ने कहा।
भाभी के मुंह से चुदाई शब्द सुन कर मैं अवाक रह गया। फ़िर मैंने भाभी से कहा- भाभी ! मैंने आपको इतना आनन्द दिया है, मुझे ईनाम मिलना चाहिए
” हाँ ! ईनाम के हकदार तो तुम हो। बोलो क्या चाहिए तुम्हें ईनाम में?” भाभी ने पूछा।
“मैं तो ऐसे ही कह रहा हूं, आप मिल गई, मुझे तो मेरा ईनाम मिल गया” मैंने कहा।
” नहीं, फ़िर भी मैं तुम्हें कुछ ना कुछ ईनाम जरूर दूंगी” भाभी ने कहा।
” जैसी आपकी मरजी ! अगर मैंने अपनी तरफ़ से कुछ मांग लिया तो देना पड़ेगा भाभी ! ” मैंने कहा।
” हाँ हाँ जरूर ! मेरे बस में हुआ तो जरूर दूंगी” भाभी ने आश्वासन दिया।
” अच्छा अब बताओ रात के खाने में क्या बनाऊँ? ” प्रीति भाभी ने पूछा।
“अब क्या बनाओगी, मैं बाज़ार से ले आता हूं कुछ, वैसे भी मैं अभी सारी रात बाकी है। आप मुझे खाना, मैं आपको खाऊँगा” मैंने भाभी को छेड़ा।
मैंने बाज़ार जाने के लिए उठते हुए कहा- भाभी ! मैं बाज़ार से खाना ले कर आता हूं। आप बस ऐसे ही नंगी रहना, कपड़े नहीं पहनना।
भाभी भी मेरे साथ खड़ी हो गई यह कहते हुए कि दरवाजा भी तो बंद करना होगा। भाभी मेरे पीछे पीछे आईं और मुझे कहा देखो बाहर कोई है तो नहीं, मैं दरवाजा बंद कर लूं।
जब मैंने बाज़ार से आकर दरवाजे की घण्टी बजाई और भाभी ने दरवाजा खोला तो वो वही नीला गाऊन पहने थी।
अन्दर आते आते मैंने पूछा कि गाऊन क्यों पहना?
तो कमरे में पहुंच कर भाभी बोली- आज तो बस बच गई। अभी अभी थोड़ी देर पहले दरवाजे की घण्टी बजी थी और मैंने समझा तुम ही होगे और मैं बिना गाऊन पहने दरवाजा खोलने ही वाली थी कि मुझे पड़ोस वाली रितु की आवाज सुनाई दी। वो मुझे ही पुकार रही थी। मैंने दौड़ कर गाऊन पहना और फ़िर दरवाजा खोला।
क्या करने आई थी रितु? रितु वही जो चार पांच घर छोड़ कर रहती है, नमिता आन्टी की बेटी?
हाँ वही, तू तो सबको जानता है?
बड़ी मस्त चीज है वो, एक बार मिल जाए तो साली को चोद चोद कर चार छः बच्चों की माँ बना दूं।
“तेरा बस चले तो तू सारी दुनिया की लड़कियों को चोद चोद कर माँ बना दे” भाभी बोली।
“सारी दुनिया को नहीं तो भाभी आपको तो अब जरूर माँ बना दूंगा” मैंने कहा।
यह सुन कर भाभी भावुक हो उठी, उनकी आंखें गीली हो गई, वो बोली- तीन साल हो गए शादी को ! अब तक तो कोई आस बंधी नहीं, पता नहीं कब मैं माँ का शब्द सुनूंगी अपने लिए। और तुम क्या सोचते हो कि मैंने ये सारी रासलीला तुम्हारे साथ शारीरिक आनन्द के लिए रचाई है? यह सब मैंने औलाद का सुख पाने के लिए किया है। भाभी रोती जा रही थी और बोलती जा रही थी-” वैसे तो तुम्हारे भैया में कोई कमी नहीं है, वो मुझे सहवास का पूरा पूरा मज़ा देते हैं, पर पता नहीं क्यों मैं गर्भवती क्यों नहीं हो रही। अब देखो तुम क्या गुल खिलाते हो? इतना कह कर भाभी के चेहरे पर कुछ मुस्कुराहट आई।
मैंने आगे बढ़ कर भाभी को अपनी बाहों में भर लिया और कहा- भगवान ने चाहा तो अगले साल तक मैं चाचाऽऽ… नहीं आपके बच्चे का पापाऽऽ… नहीं बस चाचा… हाँ… चाचा ही ठीक है, बन जाऊँगा।
अगर ऐसा हो गया तो मैं तुम्हें मुंह मांगा ईनाम दूंगी- भाभी ने भरे गले से कहा।
तो अब दो ईनाम हो गये- एक तो आपने चाय पीते हुए वायदा किया था आज ही और दूसरा अब जो अगले साल या उससे भी पहले मिल सकता है।

मेरा पहला अनुभव चचेरी भाभी की चुदाई का

हाय दोस्तों, मैं आप लोगों को अपनी पहली चुदाई की सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूँ। उस समय मेरी उम्र १८ साल से ३ महीने ज्यादा थी और मैं इन्टरमीडिएट का छात्र था।

दशहरे के अगले दिन मैं अपने गाँव से वापस कस्बे आ गया, माँ गाँव मे ही रह गयीं।
उसी दिन मेरे चचेरे भाई साहब अपनी बीबी और डेढ़ साल की बेटी के साथ हमारे घर आये।
वे लोग हमारे दूसरे गाँव मे रहते थे। घर मे मैं और मेरे पिताजी थे, उन्हें उस रात टूर पर जाना था।
भाई साहब मेरे साथ पास के शहर गये, वहाँ से वे अपनी बहन के घर चले गये और मैं वापस आ गया।
जब मैं शहर मे था तभी मेरे मन मे भाभी के साथ सम्भोग करने का पागलपन सवार हो गया क्योंकि रात के बारह बजे पिताजी के चले जाने के बाद घर में भाभी और मैं अकेले रहने वाले थे, बेटी उनकी काफ़ी छोटी थी।
दरअसल भाभी की शादी को चार साल हो चुके थे, वे बहुत तो नहीं पर सुन्दर हैं और शुरू से ही वे हम लोगों से काफ़ी मजाक, खासकर गन्दे मजाक किया करती थीं और वे काफ़ी खुली थीं हालाँकि मैं बहुत शर्मीला था।
पर अब मेरा लण्ड खड़ा होने लगा था और दो-तीन सालों से मैं हस्तमैथुन करके अपनी बेचैनी शान्त कर लेता था, बुर चोदने का बहुत मन करता था पर कोई जुगाड़ नही हो पाता था।
मैनें उस रात उनको अपने साथ चुदाई के लिये राजी करने का प्लान बनाने लगा।
आधी रात को पिताजी के घर से निकलते ही मैं बाथरूम गया तो खिड़की से देखा कि भाभी जगी हैं।
मैंने उन्हे आवाज दी कि आप जगी हैं क्या? उन्होनें कहा- “हाँ नींद उचट गयी है”। मैंने कहा कि अगर चाहें तो मेरे कमरे मे आ जाइये।
वे झट से तैयार हो गयीं और अपनी बेटी को लेकर मेरे कमरे मे आ गयीं। मेरी चौकी के बगल वाली चारपायी पर अपनी बेटी को दूसरी तरफ़ सुला कर खुद मेरे नजदीक लेट गयी।
फ़िर हम बातें करने लगे, पहले से सोचे हुए प्लान के अनुसार मैंने उनसे कहा कि भाभी एक बात पूछना चाहता हूँ, आप नाराज तो नही होंगी।
उन्होने कहा कि ऐसी क्या बात है? मैने कहा कि नहीं पहले वादा करो तब। उन्होने कहा “ठीक है बोलिये, मै नाराज नही होउँगी।“
मैने कहा “भाभी आज मैने अपनी एक क्लासमेट को देखा जिसकी शादी ३-४ महीने पहले हो गयी थी, आज वो बहुत ही खूबसूरत लग रही थी, उसका बदन भर गया है और वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी। शादी के बाद ऐसा क्या हो जाता है कि लड़कियों मे इतने परिवर्तन हो जाते हैं?” मैने यह सवाल जान बूझ कर बातों का रुख सेक्स की तरफ़ करने के लिये किया था। उन्होने कहा कि शादी के बाद पति के साथ रहने से ऐसा होता है।
मैने कहा कि खुलकर बताइये…… तो वो मुस्कुराकर मेरे गालों को मसल दी। ओह…ह्…ह्…!! मुझे तो मानो मन की मुराद ही मिल गयी। मै समझ गया कि आज मेरा भाग्योदय होने वाला है।
मै भी उनके बालों मे उँगलियाँ डाल कर सहलाने लगा। वह भी मेरे बालों को सहलाने लगीं
। अब तक वह अपनी चारपायी पर ही थी और मैं अपनी चौकी पर। मैं उनके गालों को सहलाते हुए बोला कि मेरे बिस्तर पर आ जाओ भाभी। वो झट से मेरे चौकी पर आ गयीं और… और… और… और… और…मैं तो जैसे पागल हो गया……जोर से उन्हें अपनी बाहों मे भींच लिया…उन्होने भी मुझे अपनी बाहों मे जकड़ लिया…और दोनो के होठ एक दूसरे के होठों का चुम्बन लेने लगे…दोनो के जिस्म एक दूसरे मे उलझ गये……वो जोर जोर से मेरा चुम्मा लेने लगी…
मुझे भी होश कहाँ रहा खुद का। बस एक नशा सा छा गया और मुझे कुछ होश नहीं कि आगे क्या करना है।
हालाँकि मैने पहले से अपने मस्त राम की कहानियों के द्वारा प्राप्त ज्ञान के आधार पर काफ़ी कुछ करने का सोचा था पर सब किताबी ज्ञान धरा रह गया।
मैंने सोचा था कि उनकी बुर में उंगली करुंगा, इस लिए मैंने अपने नाखून काट लिये थे। पर उनके चिपकते तथा चुम्मा चाटी करते ही मैं एकदम बेकाबू हो गया, उफ़्फ़ बरदाश्त करना मुश्किल था अब…… जिस बुर को चोदने की कल्पना पिछले तीन सालों से कर रहा था, तथा जिस प्यारी भौजाई को चोदने की कल्पना मैं दोपहर से कर रहा था………वह सुनहरा मौका मेरे सामने आज आ गया था।,उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्…अब एक पल भी रुकना असम्भव था।
उस वक्त भाभी सिर्फ़ साया और ब्लाउज मे थीं। मेरा मन चूँची चूसने पर इस लिये नही गया क्योंकि वह उन दिनों अपनी बेटी को दूध पिलाती थीं…वैसे मे चूँचियों को चूसने की कल्पना करते ही मन लिजलिजा सा हो जाता था।
मैंने भाभी से कहा “भाभी दोगी?”
उन्होंने पूछा “क्या?”
मैंने कहा “अब तुम्हे भी बताना पड़ेगा कि क्या माँग रहा हूँ”
तो इसपर वो मुस्कराते हुए बोलीं “आपको रोका कौन है,जो इच्छा हो कर लीजिये”।
अब तो मानो मेरे सपनो के साकार होने का वक़्त आ गया… मैं उनके बगल से उठ कर उनके टाँगों के बीच पहुँचा और उनका साया ऊपर उठा दिया…
फ़िर उन्होंने अपनी दोनो टाँगों को ऊपर कर लिया, अब उनकी भरी-पूरी बुर जिस पर झाँटें ही झाँटें थी नजर आ रही थी जो अब मेरे लिये थी। जिन्दगी में पहली बार बुर के दर्शन हुए थे,पर नाइट लैम्प की रोशनी मे जितना दिख रहा था वही बहुत था।
मैंने अपना फ़नफ़नाया लण्ड उनकी बुर मे डाला……बुर एकदम गरम और गीली थी…ओह्……मेरा पूरा लण्ड घचाक से उनकी बुर मे बिना किसी रुकावट के चला गया…क्योंकि भाभी का बुर तो भोसड़ा हो गया था……
खैर पहली बार एक छेद मे डालने का मौका तो मिला चहे वह कुँवारी चूत हो या चुदा-चुदाया भोसड़ा…मै तो गुरू ऽऽ सातवें आसमान पर था……खैर उनकी गरम बुर मे पूरा लण्ड जाते ही मेरा पूरा शरीर झनझना गया और मै तुरन्त ही झड़ गया……और सच बताऊँ मै बेहद शर्मिन्दा भी हो गया कि पहली बार मौका मिला भी तो मै शीघ्र पतन का शिकार हो गया।
मै उनके ऊपर से उतर कर बाथरूम गया, लौट कर उनके बगल मे लेट गया, उन्होंने मुस्कराते हुए पूछा-“क्या हुआ देवरजी बड़ा फ़ड़फ़ड़ा रहे थे, सारी मस्ती कहाँ गयी? बस हो गये शान्त।“ मै अन्दर ही अन्दर शर्मिन्दा तो था पर मैने कहा कि दोपहर से ही तुम्हे चोदने का प्लान बना रहा हूँ और तभी से लण्ड खड़ा है, फ़िर जिन्दगी मे पहली बार बुर के दर्शन हुए हैं शायद इसी वजह से डालते ही झड़ गया।
उन्होने पूछा- क्या सचमुच पहली बार है?
मेरे हाँ कहने पर उन्होने कहा कि पहली बार ऐसा अक्सर होता है, चिन्ता मत करिये सब सीख जायेंगे।
फ़िर वो मुझसे चिपट कर लेट गयीं। मुझे चुम्मा लेने लगीं क्योंकि वो अभी भी गरम थीं। धीरे-धीरे मै भी उत्तेजित होने लगा। इस बार मेरे हाथ उनकी चूचियों को सहलाने लगे…उनके निप्पल को चुटकी मे मसलने लगा तो वो सिसकारी लेने लगीं मुझे लगा कि उनको मजा आ रहा है……वो अपना निप्पल मेरे मुँह मे डालने लगीं……
मेरे झिझक को भाँपकर बोली कि घबड़ाइये मत जब तक जोर से चूसेंगे नहीं तब तक दूध नही। निकलेगा…इसको सक करना पड़ता है तब दूध निकलता है…समझे लल्लू देवर जी……और फ़िर उन्होनें मेरे लण्ड को सहलाना शुरू कर दिया, मैने उनके निप्पल को मुँह मे लेकर हौले-हौले चूसना शुरू कर दिया…ओह… ओह…ओ…ओह…
वो सिसकारियाँ लेने लगीं और अपने भोंसड़े को म्रे लण्ड से रगड़ने लगीं।
हम दोनो करवट लेटे हुए थे वो मेरे दाहिनी तरफ़ थीं, वो मुझे और जोर-जोर से निप्पल चूसने को कहने लगी…मुझे भी अब अच्छा लग रहा था और मै उनकी घुण्डी को दाँतो से काटकर चूसने लगा जोर से बस इतना कि दूध न निकले ।
वो मस्त होके मेरा हाथ अपनी बुर पर ले जा कर रगड़ने लगीं……उनकी बुर एकदम गरम और लिसलिसी हो गयी थी…लग रहा था कि बुर को बुखार हो गया हो जैसे…फ़िर उन्होंने करवट मे ही लण्ड बुर के मुँह पे रखकर डालने को कहा,
मैने कहा जरा अपनी बुर तो पोछ लो एकदम कीचड़-कीचड़ हो रही है, इसपर उन्होनें साया से अपनी बुर पोछी और मुझे अपनी दोनो टाँगों के बीच लेकर मेरे लण्ड को पकड़ कर बुर के मुँह पर रख कर धक्का लगाने को कहा।
मैने लण्ड को उनकी बुर मे जोर से पेला तो एकदम जड़ तक चला गया….…शायद करवट होने की वजह से इस बार बुर कुछ कम ढीली लग रही थी, खैर लण्ड अन्दर लेकर भाभी मेरा चुम्मा लेने लगीं….…फ़िर होठ चूमते हुए जीभ मेरे मुँह मे डाली मुझे बड़ा मजा आया और मै भी उनके होठों को चूसने लगा और जीभ अन्दर करके उनकी जीभ से खेलने लगा।
अब वो अपना चूतड़ आगे-पीछे करने लगीं और मै भी अपना लण्ड बाहर भीतर करने लगा……फ़च…फ़च्…फ़च…फ़चाफ़च……सट्…सट्… सटासट्…… सट्… की आवाजें गूंजने लगी कमरे मे…….…हम दोनो मस्ती के हिलोरें ले रहे थे…
दरअसल मेरी भाभी बहुत ही चुदक्कड़ हैं वो मुझे अपनी बाहों मे जकड़े हुए लण्ड घचाघच अपनी बुर मे लिये जा रही थीं साथ ही साथ जोर-जोर से साँसे लेते हुए बोलती जा रही थी हाए रे मेरे बबुआ आज तो आपने एक नये लण्ड का स्वाद चखा दिया….मैं तो कब से तरस रही थी स्वाद बदलने को कब से आपके भैया का लण्ड ले ले कर बोर हो गयी हूँ।
मैने पूछा कि मेरा लण्ड तो छोटा है भैया का कैसा है
तो वो बोली कि आपके भैया का आपसे बड़ा और मोटा है पर समय आने पर आपका भी तगड़ा हो जायेगा।
और मुझे जोर से भीचते हुए बोली “मेरे राजा मजा सिर्फ़ मोटे और बड़े लण्ड से ही नही आता कौन चोद रहा है और कैसे चोद रहा है यह महत्वपूर्ण है, अब देखिये आप अपने भैया से हैण्ड्सम हैं तथा पढ़ने मे भी तेज हैं, कोई भी लड़की आपसे चुदवाना चाहेगी……
ऐसा कहकर वह मेरे गाल सहलाने लगी और मैं भी मारे उत्तेजना के और जोर-जोर से लण्ड को उनकी बुर में अन्दर बाहर करने लगा…………हम दोनो ही मारे मस्ती के सटा-सट धक्का पे धक्का मारे जा रहे थे…
दोनो की साँसें तेज……तेज……तेज…होने लगी और उन्होनें मुझे जोर से जकड़ते हुए कहा “हाय रे मै तो गयी मेरे राजा…आज तो आपने मुझे जन्नत की सैर करा दी मेरे देवर जी…शादी के बाद पहली बार कोई नया लण्ड मिला है मै तो निहाल हो गयी…” हम दोनो एक साथ ही झड़े और देर तक एक दूसरे से चिपके रहे।
उन्होने पूछा कैसा लगा?
मैने हँसते हुए कहा “मैं तो कल्पना कर रहा था कि आपकी बुर एकदम टाइट होगी लण्ड घुसाने मे दिक्कत आयेगी……पर वैसा कुछ हुआ ही नही,” इस पर वह मुस्कराते हुए बोली कि अगर कुँवारे मे हम दोनो मिले होते तो वैसा होता भी, मैं तो शादी से पहले ही कई बार चुदवा चुकी हूँ और फ़िर इसी बुर मे से आपकी भतीजी निकली है तो थोड़ी ढीली हो गयी है…आप का तो पहला अनुभव है मजा तो आ ही रहा है…चलिये रात काफ़ी हो गयी अब सोया जाय।
उसके बाद इतनी गहरी नींद आयी कि पूछो मत……सुबह 7 बजे ही आँख खुली, फ़्रेश होने के बाद नाश्ता करके हम दोनो आपस मे बातें कर रहे थे कि भतीजी को भूख लग गयी और वह चौकी पर लेट कर उसको अपनी चूची पिलाने लगीं, हालाँकि आँचल से ढका था फ़िर भी थोड़ा सा दिख रहा था
…अब तो मेरा मन भी करने लगा क्योंकि दोपहर तक भाई साहब भी आने वाले थे, मैने कहा भाभी एक बार और चोद लेने दो तो उन्होनें कहा कि बेटी जगी है देखेगी तो किसी से कह सकती है,मैने कहा डेढ़ साल की बच्ची क्या समझेगी। उन्होंने कहा कि यह कह सकती है कि चाचा मम्मी के ऊपर थे। यह अपने पापा से बहुत बातें करती है।
फ़िर भी मेरा मन रखने के लिये वो चौकी के किनारे चूतड़ रखकर बेटी को अपनी छाती पर रखकर उसके मुँह मे निप्पल डाल कर आँचल से उसे ढक कर अपनी टाँगो को फ़ैला कर अपनी साड़ी उठा कर मुझसे बोली कि लीजिये जल्दी से चोद लीजिये फ़िर पता नही कब मौका मिले ना मिले।
मैने वही खड़े होकर तुरन्त अपना पहले से खड़ा लण्ड उनके भोसड़े मे डाला और चोदने लगा, वो तो कोई हरकत नही कर रही थी, मैं भी सावधानी से चोद रहा था ताकि उनकी बेटी डिस्टर्ब होकर हमारी हरकत ना देखने लगे।
थोड़ी देर चोदने के बाद मेरा झड़ गया और मैं उन्ही के साये मे पोछकर अलग हो गया।
फ़िर उस दिन दुबारा मौका ही नही मिला, कोई कोई आ जाता था तथा उनकी बेटी भी सोई नही, और भाई साहब भी जल्दी ही आ गये।

भाभी ने जीना हराम करके चुदाया

हाय मैं सुरेश मेरी उम्र २० वर्ष है आपके लिये मै एक ऐसे स्टोरी लेकर आया हूँ जिसे पढकर आपका मन चोदने और चुदवाने का करने लगेगा

मेरे घर में चार भाई है और मेरे पिताजी है माँ का देहांत तब ही हो गया था जब मेरी उम्र ९ साल की थी। मेरे दो भाई मुंबई में सॉफ्टवेर इन्जिनेअर है जबकि सबसे बड़ा
भाई हमारे साथ ही जालंधर में रहता है। मेरे भाई की शादी हुई तो मैं बड़ा खुश हुआ कि जो माँ का प्यार माँ से नहीं मिला वह भाभी से मिल जायेगा। शादी के बाद भाभी
हमारे साथ ही रहने लगी हम गाँव के सबसे बड़े परिवार से ह। पिताजी का धयान रखने के लिए नौकर तो था पर नौकर और घर के सदस्य में रात दिन का अंतर था। भाभी
भी मुझसे मजाक किया करती।
एक दिन की बात है मैं बाथरूम में नहाने जा रहा था तो मेने भाभी से मेरी अंडरवियर और बनियान मांगी। भाभी बोली कि देवर जी आप नहाना तो शुरू करो मैं ढूँढकर
लाती हूँ मेने कहा ठीक है जब मैं नहा लिया और मैं केवल एक पतला सा टॉवेल लपेटकर खडा था तभी भाभी आई और बोली कि लो अपने अंडरवियर लो यह कहकर वो
दरवाजे के बहार खड़ी होकर दूर से अपना हाथ दिखा रही मेने भाभी से अंडरवियर लेने के लिए जैसे ही दरवाजा खोला भाभी ने दरवाजे में जोर से धक्का दिया और मेरे
बाथरूम में घुस आई और मेरी कमर पर गुदगुदी करने लगी्।
इस मजाक में वह हो ही गया जिसका मुझे डर था मेरा टॉवेल खुल गया और भाभी के हाथ में मेरा लिंग आ गया इसी बीच मैं शर्म के मारे बाथरूम से नंगा बाहर
निकल कर भाग गया क्यूंकि उस समय घर पर मेरे और भाभी के अलावा कोई नहीं था इस बात पर मैं भाभी से इतना नाराज़ हुआ कि पूरा दिन बोला नहीं। पर शाम को वह
मुझसे बोली कि सुरेश तुम मुझसे नाराज़ हो क्या तो मेने अपनी नाराजगी तोड़ते हुए न कहा दिया। अगले दिन जब मैं पढ़ाई कर रहा था तभी भाभी मुझसे बोली कि सुरेश मैं
नहाने जा रही हूँ तुम कल की बात का बदला लेने की कोशिश मत करना, तो मैं बोला नहीं भाभी मैं तो उस बात को कबका भूल चूका हूँ।
तभी नहाते हुए भाभी बोली कि सुरेश मुझे एक साबुन लाकर दो मेरा साबुन खत्म हो गया है मैं बोला अभी तो मैं दुकान जाकर साबुन नहीं ला सकता। भाभी बोली कि
दुकान से लाने को थोड़े ही कह रही हूँ, मेरे ड्रोर में रखा वहीं से ला दो। जैसे मैं साबुन लेकर आया तो भाभी दरवाजे में से मुह निकालकर झांक रही थी तो जैसे ही मैंने जैसे
ही हाथ बढाया तो भाभी ने साबुन लेने के बहाने मेरा हाथ पकड़ कर खींच लिया और मैं बाथरूम में गिरने लगा तो भाभी ने हाथ पकड़कर मुझे संभाला तभी मेरा हाथ उनकी
चूत पर पड़ गया। मैंने देखा कि भाभी बिलकुल नंगी खड़ी थी और उनके बूब्स बहुत बड़े थे और उनके निप्पल गुलाबी रंग के थे और उनकी चूत पर बहुत बड़े बाल थे और उन
बालो के कारण चूत भी ठीक से नहीं दिख रही थी।
तभी मुझे अपन पेंट में कुछ रेंगने का अनुभव हुआ मैंने देखा जब तक तो भाभी मेरे पूरे कपडे (पेंट, अंडरवियर) दोनों उतार चुकी थी्। मैं भाभी के सामने बिलकुल निवस्त्र खडा था और भाभी मेरे लंड को बड़े मजे से चूस रही थी तभी भाभी ने नीचे लेट कर पोसिशन ६९ में आ गयी और अब वो मेरा लंड चूस रही थी और मैं उनकी न चाह कर भी उनकी बालो वाली चूत चाट रहा था थोडी देर बाद वह उठी और मुझसे अपना ७’ लंबा लंड मेरी चूत में डालने को कहने लगी
मैंने जैसे ही अपना लंड भाभी की चूत पर रख कर जोर से धक्का दिया वह भाभी की चूत में न जाकर वहां से फिसलकर पीछे की और सरक गया फिर भाभी बोली जानू ऐसे नहीं और फिर वह साबुन उठाकर अपने हाथ पर लगाकर मेरे लंड पर रगड़ने लगी फिर उसके बाद उन्होंने उतना ही साबुन अपनी चूत पर लगा दिया और फिर बोलीं कि जान अब धक्का दो जैसे ही मैंने जोर से एक धक्का दिया वह चिल्ला पड़ी आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ईईइह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ऊऊह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह फिर मैंने एक और झटका देकर पूरा लंड भाभी की चूत में समां दिया और अब उनका और मेरा शरीर आपस में रगड़ने लगे उस दिन भाभी ने मुझे जिन्दगी मैं पहली बार सेक्स करना सिखाया
लेकिन उस सेक्स के बाद मुझे उस गलती पर बड़ा पछतावा हुआ और मैंने भाभी के कितना भी उकसाने पर ये गलती न दोहराने का संकल्प लिया। एक दिन जब मैं बाज़ार सामान लेने गया तो मुझे रास्ते जाकर ध्यान आया कि मैं पैसे लाना तो भूल गया हूँ। जैसे ही मैं घर पैसे लेने वापस आया तो देखा कि भाभी एक नौकर के साथ चिपकी हुई थी मुझे देख कर वह दूर हट गयी और फिर नौकर मुझे देख कर चला गया तभी मैंने भाभी से पूंछा तो वह कहने लगी कि तुम्हारे भैया तो बस काम के कारण बाहर ही रहते है उन्हें तो मुझे संतुष्ट करने का तो उन्हें कोई ख्याल नहीं रहता और तुम भी मेरे साथ एक बार सेक्स करके ही रह गए अब तुम ही बताओ ऐसे में मैं क्या करूं
वह बोली तुम्हे तो मेरे साथ … ऐतराज़ है मै बोला ऐतराज नहीं है मैं इस काम को पाप समझता हूँ वह बोली कि तुम मुझे इस तरह खु्श करो कि तुमसे पाप भी न हो और मुझे मजा भी आ जाये। मैं बोला क्या सच में ऐसा हो सकता हैं वह बोली कि हाँ क्यूँ नहीं तो मैंने कह दिया ठीक है वो मुझे कमरे मैं ले गयी और मेरे होठ चूमने लगी तो मैंने मना किया तो वह बोली कि मैं तुमसे तुम्हारा लंड अपनी चूत में डालने को तो नहीं कह रही हूँ फ़िर उन्होंने मेरे पूरे कपडे उतार दिए फिर अपने कपडे भी उतार कर बैठ गयी और मेरा लंड जोर जोर से चूसने लगी तभी मेरी नज़र उनकी चूत पर गयी आज वह बड़ी सुंदर और चिकनी दिख रही थी अब मुझसे नहीं रहा गया और मैं अपना संकल्प भूलकर पोसिशन ६९ में आकर भाभी की चूत चाटने लगा।
फिर भाभी ने मुझे उठाकर मेरा मुंह अपने बूब्स पर रख दिया फिर मैंने दोनों स्तनों से नीचोड़ नीचोड़ कर स्तनपान किया और कुछ देर बाद भाभी की दोनों टांगें विपरीत दिशा में करके उनकी चूत पर लंड फेरने लगा भाभी के मुह से आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ऊऊउह्ह्ह्ह्ह ईईह्ह्ह्ह्ह्ह निकल पड़ा तभी मैंने भाभी की चूत पर एक जोर से झटका मारा तो भाभी और तेज़ और तेज़ कह कर मेरा साथ देने लगी मेरा जोश यह सुनकर दुगना हो गया फिर भाभी और मैं एक साथ स्खलित हो गए उस दिन मुझे पहली बार से भी ज्यादा आनंद आया अब भाभी और मैं जब भी हमें मौका मिलता है तब यह खेल खेलते है

इस तरह चुद गयी वर्षा (Is Tarah Chud Gai Varsha)

यारो, मेरी उमर 23 साल, मेरी हाइट 5’10” है और मैं बरेली से हूँ।
बात उन दिनों की है जब मैंने बीसीए के लिए कॉलेज जॉइन किया। मेरी कॉलेज में जहाँ देखो वहाँ मस्त लड़कियाँ थी लेकिन मैं अपने दोस्तों के साथ मस्ती करता था, मुझे किसी से कुछ लेना देना नहीं था।
जब मैं फ्रेशर पार्टी दे रहा था, तब मेरी मुलाकात वर्षा से हुई।

वो बीएससी प्रथम वर्ष में थी।
क्योंकि मैं कॉलेज में ज्यादातर बुरी हरकतों में घुसा रहता था तो मुझे कोई कोई ही जनता था।
हमारी दोस्ती हुई, अब वो हमेशा ब्रेक टाइम और छुट्टी में मेरे ग्रुप में रहती थी।
वो बहुत हॉट और सेक्सी थी लेकिन मैं कभी उसके बारे ऐसा सोचता नहीं था, मैं ज्यादातर ग्रुप में रहता था तो वो मुझसे ज्यादा बात नहीं कर पाती थी।
एक दिन उसने मेरा सेल नंबर माँगा, मैंने उसे अपना नंबर दिया और घर के लिए निकलने लगा।
तभी वर्षा बोली- आज मैं अपनी दीदी के साथ आई थी लेकिन वो कहीं बिज़ी होने के कारण रिसीव करने नहीं आ पाएँगी… तो क्या तुम मुझे घर ड्रॉप कर दोगे?
मैंने कहा- ठीक है।
वो मेरी बाइक पर बैठ गई।
रास्ते में हम बात करते जा रहे थे, वो मेरे बारे में जानना चाहती थी, मैंने हर चीज़ बता दी।
रास्ते में उसके बूब्स मुझे टच हो रहे थे, मैं अपने आप को कंट्रोल नहीं कर पा रहा था, मन कर रहा था कि यहीं पर उसकी टीशर्ट फाड़ दूँ लेकिन खुद पर कंट्रोल करना पड़ा।
मैंने वर्षा को उसके घर ड्रॉप किया तो बोली- अंदर आओ…
लेकिन मुझे जल्दी थी तो मैं वहाँ से चला आया।
उसने कुछ देर बाद कॉल किया, थैंक्स कहा और यहाँ वहाँ की बात करने लगी।
उसने पूछा- तेरी कोई गर्लफ्रेंड है क्या?
तो मैंने कहा- कोई नहीं है, और होगी भी कैसे? कोई बैड बॉय को अपना बायफ़्रेंड थोड़ी ना बनाएगी।
तो उसने कहा- नहीं, तुम गंदे लड़के नहीं हो… जहाँ तक मुझे पता है, तुम ओपन माइंड हो।
मैंने पूछा- तुम्हारा कोई बाय्फ्रेंड है?
तो उसने कहा- था, लेकिन मैंने उसे छोड़ दिया।
मैंने कहा- क्यों?
तो बोली- वो मेरे साथ चीट कर रहा था।
मैंने कहा- चल अछा है, बिंदास रहने का अलग ही मज़ा है।
उसके बाद मेरे मन में उसको चोदने का ख्याल आया।
उस दिन मैंने उसकी याद में मूठ मारी।
अब हम ज्यादातर साथ में रहने लगे।
मुझे उसके बूब्स देख कर चूसने का मन करता था!
अब हम दोनों एक दूसरे के यहाँ आते जाते थे।
एक बार मेरे पेरेंट्स 1 हफ़्ते के लिए पुणे गये थे, मैं घर में अकेला था तो मैंने सभी को अपने घर इन्वाइट किया।
हम सब लोग एंजाय कर रहे थे, मेरे फ्रेंड्स ड्रिंक करते थे तो वो 3 बॉटल ले आए।
चूंकि मेरी ग्रूप में लड़कियाँ थी तो मैंने बॉटल छुपा दी।
लेकिन एक ने देख लिया तो बोली- शरमा मत, हम लोग भी ट्राई करेंगी।
तो मैं बॉटल ले आया।
सबने ड्रिंक्स की लेकिन मैंने नहीं की।
वर्षा ने भी ड्रिंक किया।
हम सब उसके बाद यहाँ वहाँ की बात करने लगे, फिर सब अपने घर चले गये!
वर्षा को पीने के कारण सर में दर्द हो रहा था तो वो रुक गई और मेरे रूम में सो गई क्यूंकि उसने शायद पहली बार ड्रिंक किया था।
मैंने उसके घर में कॉल करके कहा- वर्षा अपनी फ्रेंड के यहाँ चली गई है, शाम तक आ जाएगी।
जब वो सो रही तो उसके बूब्स बाहर को निकल आये थे, मैं पागलों जैसे उसे देखने लगा, मैंने वहीं पर मूठ मार ली क्यूंकि इससे पहले मैंने कभी किसी के बूब्स नहीं देखे थे तो मैंने उसे चूसने के लिए पकड़ लिए और चूसने लगा।
मुझे मज़ा आने लगा।
शायद वो जागने वाली थी तो मैंने जल्दी से वहाँ से चला आया।
मैं आकर पीसी पे पॉर्न मूवी देखने लगा।
मुझे पता ही नहीं चला कि कब वो आकर मेरे पीछे खड़ी हो गई!
उसने गुस्से में कहा- ये क्या देख रहे हो?
मैंने जल्दी से पीसी ऑफ कर दिया और कहा- हॉलीवुड मूवी देख रहा था।
वो शायद सब जानती थी लेकिन मुझसे ऐसे बर्ताव कर रही थी जैसे कुछ जानती नहीं हो।
मैंने कहा- तूने कभी किस किया है?
तो वो बोली- नहीं, मैंने कभी नहीं किया है।
मैंने कहा- करना चाहती हो?
तो वो बोली- नहीं मैं नहीं करना चाहती।
मैं ज़बरदस्ती उसे किस करने लगा।
पहले उसने मुझे धक्का दिया लेकिन मैंने उसे कस के पकड़ लिया और किस करने लगा।
अब वो मेरा साथ देने लगी, हम दोनों 10 मिनट तक किस करते रहे।
वो पूरी गर्म हो गई थी।
मैंने कहा- पॉर्न मूवी देखोगी?
वो बोली- हाँ… मैं बहुत बार देखती हूँ।
तो मैंने जल्दी से पॉर्न मूवी लगा दी, वो देखने लगी और मैं उसे किस करने लगा।
मैं उसकी सलवार उतारने लगा और उसके बूब्स दबाने लगा, वो ‘आआहह उऊहह…’ आवाज़ निकालने लगी, उसने मेरा लंड पकड़ लिया और दबाने लगी।
मैं उसके बूब्स चूसने लगा और दबा रहा था।
वो पूरी गर्म हो गई थी, उसने मेरा लंड बाहर निकाला और कहा- इतना बड़ा है तेरा?
मैंने कहा- मैं वर्जिन हूँ, आज तक मैंने किसी के साथ नहीं किया है।
तो उसने कहा- मैंने भी बस मूवी में देखा था!
मैंने कहा- इसे मुँह में डालो…
वो मना करने लगी लेकिन बाद में चाटने लगी, वो पागलों के जैसे चूस रही थी।
मैं उसके मुँह में ही झड़ गया, उसने मेरा पूरा पानी पी लिया।
मैंने उसकी पैंटी खोल दी अब वो मेरे सामने पूरी नंगी थी, मैं पागलों की तरह उसकी चूत चाटने लगा।
क्या खुशबू थी उसकी चूत में…
हम दोनों 69 की पोज़िशन में आकर एक दूसरे को चाट रहे थे।
मैं अब जल्दी से जल्दी उसकी चूत मारना चाहता था लेकिन वो मुझे छोड़ नहीं रही थी।
वो 15 मिनट तक मेरा लंड चूसती रही थी।
मैंने अब उसको बेड पे लिटाया और अपना लंड उसकी चूत पे रगड़ने लगा।
वो पागलों के जैसे आवाज़ कर रही थी।
मैंने अपना लंड उसकी चूत में डालने के लिए कोशिश की लेकिन उसकी चूत ज्यादा ही कसी थी, मेरा लंड अंदर जा नहीं पा रहा था!
मैं उसे किस कर रहा था और झटके से अपना आधा लंड उसकी चूत में डाल दिया।
वो चिल्लाने लगी, मैं उसे किस करने लगा और थोड़ी देर तक उसे किस करने के बाद जब वो नॉर्मल हो गई, मैंने फिर झटके से अपना पूरा लंड डाल दिया।
उसकी चूत से खून आने लगा, वो डर गई और मुझे लंड बाहर निकालने के लिए बोली।
मैंने कहा- थोड़ा सा दर्द होगा, और कुछ नहीं…
और मैं उसके बूब्स चूसने लगा।
मैं अब धीरे धीरे अपना लंड आगे पीछे करने लगा!
वो चिल्ला रही थी लेकिन थोड़ी देर बाद मेरा साथ देने लगी, हम दोनों एक दूसरे को किस करने लगे, मैं अब जल्दी जल्दी शॉट मारने लगा।
मैं दस मिनट में ही उसकी चूत में झड़ गया और वो भी मेरे साथ झड़ गई।
मैं उसके बूब्स चूसने लगा।
उसका चेहरा पूरा लाल हो गया था, मेरा लंड खून से लाल हो गया था और उसकी चूत भी खून से लाल थी।
वो मेरा लंड चूसने लगी, मेरा लंड मुँह से साफ कर दिया उसने।
मैं उसके बूब्स चूसने लगा। मैं अब उसकी चूत को चाट रहा था, वो कांपने लगी, वो आगे पीछे होने लगी, उसे मज़ा आ रहा था।
हम दोनों फिर से चुदाई करने लगे।
हमने उस दिन तीन बार सेक्स किया।
अब उसे घर जाना था लेकिन चूत में दर्द होने के कारण वो ठीक से चल नहीं पा रही थी।
मैंने कहा- यहीं रुक जाओ।
तो उसने अपने घर में फ़ोन करके कहा कि वो आज रात अपनी फ्रेंड के यहाँ स्टडी के लिए रुक रही है।
फ़िर हम दोनों ने साथ में पॉर्न मूवी देखी और एक दूसरे को किस करने लगे।
मैं उसे अपनी गोद में बिठा कर सेक्स करने लगा, हम दोनों सेक्स करते रहे, फिर हम दोनों पूरे नंगे हो कर टीवी देखने लगे।
रात को हम दोनों ने ड्रिंक किया, मुझे ड्रिंक का असर होने लगा तो मैंने कोल्ड ड्रिंक्स पी ली लेकिन वर्षा ज्यादा पी गई।
हम फिर से किस करने लगे।
मैंने कहा- मैं तुम्हारी गांड मारना चाहता हूँ।
तो बोली- जो करना है, करो !
मैंने अपना लंड उसकी गांड में डाल दिया, वो चिल्लाने लगी लेकिन मैंने उसकी एक ना सुनी और अपनी स्पीड बढ़ा दी।
हम दोनो एक साथ ही झड़ गये।
हम सुबह साथ में नहाने गये और वहाँ भी सेक्स किया।
और उसके बाद हमें जब भी मौका मिलता था, हम सेक्स करते थे!
फिर उसके पापा का ट्रान्स्फर हो गया और वो आगरा चले गये।

चूत चोद कर शादी की

मेरा नाम सुदर्शन है.. मैं उत्तर-प्रदेश में रहता हूँ। मेरा लंड 17 सेंटीमीटर लम्बा है.. आप हंसिए मत मैंने नाप कर लिखा है।

वैसे तो यह घटना पुरानी है.. पर जब भी मैंने अन्तर्वासना पर कहानियां पढ़ीं तो मुझे भी लगता था कि मैं भी अपनी सत्य घटना आप सबसे साझा करूँ।
जब मेरी बड़ी बहन की शादी हुई तो मैं पहली बार उनको उनकी ससुराल लिवाने गया।
उस समय मेरी उम्र किशोर वय की थी।
बाद में बहन की ससुराल में मेरा जाना-आना होने लगा और एक बार जब मेरी स्कूल की छुट्टियाँ हुईं तो मेरे जीजाजी ने मुझे उधर ही रोक लिया और मैंने पूरे दो महीने की गर्मी की छुट्टियाँ वहीं बिताईं।
मेरे जीजा जी की चार बहनें थीं.. वहाँ उनकी चार बहनों के साथ खेलने के दौरान कृति से.. मेरी सबसे ज्यादा पटती थी..
वो चारों बहनों में सबसे छोटी थी पर मुझसे 8 माह बड़ी थी.. उससे मेरी अच्छी दोस्ती हो गई।
अब मैं हर साल गर्मी की छुट्टियाँ वहीं बिताता।
धीरे-धीरे उसके साथ मेरी दोस्ती.. प्यार में बदलने लगी।
अब वो 19 की हो गई थी। हम एक-दूसरे से मजाक करते थे।
अकेले में एक-दूसरे के अंगों से छेड़-छाड़ भी करते.. पर चुदाई का मौका नहीं मिला।
समय यूँ ही गुजरता गया.. उसने बीए करने के बाद बीटीसी करने के लिए फार्म भरा और मेरे शहर में परीक्षा देने के लिए सेंटर चुना।
अब वो मेरे घर पर रह कर पढ़ाई करने लगी।
मैं भी आरआरबी और एसएससी की तैयारी करने लगा।
मेरा पढ़ाई का कमरा ऊपर था.. वो भी वहाँ दिन में पढ़ने आती थी। कमरे में एक पट्टे से बुनी हुई खटिया थी।
उस जमाने में मस्तराम की किताबें ही हम लोगों की कामेच्छा की पूर्ति करती थीं.. आजकल की तरह मोबाइल का जमाना नहीं था।
मैं अक्सर चुदाई की किताब पढ़ते समय खटिया के पट्टे को सरका कर छेद में अपना लंड डाल कर खटिया-चोदन करता।
यह हस्तमैथुन से ज्यादा मजा देता था।
एक दिन मैं मस्तराम की नई किताब ले आया और हमेशा की तरह पढ़ते समय खटिया के छेद में लिंग डाल कर आगे-पीछे करने लगा..
कुछ समय बाद वीर्यपात हुआ।
तभी खटिया के नीचे से किसी की कसमसाहट की आवाज हुई।
मैंने देखा वो कृति थी।
वो नीचे लेटी थी और सोने का नाटक कर रही थी।
मैंने उसे खटिया के नीचे लेटा देख कर उससे शर्मिंदगी से देखा।
मेरा वीर्य गिरने से वो गीली हो कर उठ गई।
वो बोली- वाशिंग मशीन घर में है.. और तुम पत्थर पर कपड़े धो रहे हो।
उसकी बात सुन कर मैं हतप्रभ रह गया.. मेरी सोयी ही वासना जाग उठी।
वो भी मस्त होकर मेरी तरफ देख रही थी।
मैंने उसकी ओर प्यार से देख कर उसकी तरफ अपनी बाँहें फैला दीं और कृति आगे बढ़ कर मेरे बाहुपाश में बंध गई।
फिर हमारे होंठ एक हो गए.. धीरे-धीरे हम दोनों के जिस्म एक-दूसरे में समा गए।
उसने फुसफुसा कर कहा- दरवाजे बन्द कर लो।
मैंने दरवाजे बन्द किए और उस पर टूट पड़ा.. कब उसके वस्त्रों को मैंने उतार दिया पता ही नहीं चला।
उसके नग्न सौन्दर्य को मैं अपलक देखता ही रह गया। जबरदस्त कटीली छमिया लग रही थी.. उसके 32 नाप की रस भरी मुसम्मियाँ बिल्कुल उठी हुई थीं.. एकदम गोल.. हय.. मुझे तो नशा सा हो गया था।
नीचे सफाचट मैदान.. काम-छिद्र को मानो आज पूर्णरूप से छिदवाने की तैयारी थी..
तभी उसने आगे बढ़ कर मेरी लुँगी खींच दी.. और मेरा 17 नम्बर का औजार अपने हाथों में ले लिया।
मैं चौंक गया।
पूर्णरूप से उत्तेजित लण्ड अपने फौलादी रूप में आ चुका था।
मैंने उसको अपनी बाँहों में ले लिया और खटिया पर धकेल दिया।
कृति चित्त होकर मेरे लिए बिल्कुल खुली पड़ी थी।
हम दोनों का ही पहली बार था.. बहुत देर तक प्रणय लीला करने के बाद मैंने अपना लिंग उसकी योनि में पेवस्त कर दिया.. हाँ.. यह सत्य है कि उसको बहुत दर्द हुआ.. पर उसकी बहुत जोर से चीखें निकली हों.. ऐसा नहीं हुआ।
करीब दस मिनट तक हम दोनों का मिलन हुआ मैंने उसको बहुत दम से चोदा.. और चरम पर पहुँच कर मैंने उसको शिथिल होते हुए महसूस किया.. तभी मेरे लवड़े ने भी अपना लावा उगल दिया।
हम दोनों एक हो चुके थे.. कुछ पलों के बाद जब हम अलग हुए तो मुझे उससे निकले हुए रक्त के बारे में जानकारी हुई।
एक प्रसन्नता हुई कि वो कुँवारी थी और मैंने ही उसका कौमार्य भंग किया था।
फिर जब मौका मिलता हम चुदाई करते.. पर मैं इस बात का ध्यान रखता कि कहीं उसको बच्चा न ठहर जाए।
फिर उसका चयन टीचर हेतु हो गया।
मैंने दीदी और जीजाजी से बात की- मैं और आपकी बहन कृति शादी करना चाहते हैं।
वो तैयार नहीं हुए।
मैंने कृति को कोर्ट मैरिज करने के लिए कहा।
वो बोली- मैं भइया के खिलाफ नहीं जा सकती।
मैंने एक ट्रिक चली।
अब मैं बिना कंडोम के संबंध बनाता था।
इससे वो गर्भवती हो गई.. उसे पता चलने पर उसने मुझसे गर्भपात की दवा लाने को कहा।
मैं मेडिकल स्टोर से विटामिन की गोलियां रैपर से फाड़ कर उसको दे देता था।
उसने बाद में बोला- दवा असर नहीं कर रही है।
मैं हर बार अलग कंपनी की विटामिन की दवा रैपर फाड़ कर देता रहा।
इस तरह दो माह बीत गए।
वो नर्स से गर्भपात करवाने के लिए बोली।
मैंने कहा- ठीक है।
मैंने एक सरकारी हस्पताल की नर्स से पूछा- सिस्टर गर्भपात का खर्च कितना आता है?
वो मुझे घूरते हुए बोली- 2000.. क्यों?
मैंने उसको अपनी व्यथा बताई और कहा- मैं 3000 दूँगा.. बस तुम कहना गर्भपात कराने पर माँ की जान जा सकती है।
उसकी ललचाई आँखों को देख कर मुझे लगने लगा कि काम बन सकता है.. और यही हुआ।
उसने कहा- काम हो जाएगा।
मैं कृति को लेकर नर्स के पास गया।
नर्स ने अल्ट्रासाऊन्ड करवाने को बोला।
हम दोनों दो दिन बाद अल्ट्रासाऊन्ड रिपोर्ट लेकर पहुँचे।
नर्स ने कहा- गर्भ में दो बच्चे हैं.. गर्भपात करवाने पर तुम्हारी जान को बहुत खतरा है।
वो डर गई.. और हम घर चले आए।
वो रोने लगी.. मैंने उसे समझाया- अभी तीन माह बाद जीजाजी से बात करके मैं उन्हें शादी करवाने के लिए राजी कर लूँगा।
फिर मैंने उसकी बड़ी बहन से ये बात जीजाजी तक पहुँचाई।
अंत में थोड़ी मच-मच के बाद वो राजी हो गए।
मैं और कृति शादी के पवित्र बंधन में बंध गए। कुछ समय बाद हम दोनों को जुड़वां बच्चे लड़का+लड़की हुए।
अब वो मेरी पत्नी हो चुकी थी तो उसने नियमों के आधार पर मेरे शहर के एक सरकारी विद्यालय में अपना स्थानातरण करवा लिया।
मैं भी एक प्राइवेट कोचिंग चला रहा हूँ।
आज हम और हमारे परिवार वाले, जीजाजी आदि सब खुश हैं।
मुझे उम्मीद है कि आपको मेरी कहानी पसन्द आई होगी।

भाभी के किया सेक्स

हाय मेरा नाम गौरव है मैं आपके लिए एक बार फिर लंड में से पानी निकल देने वाली स्टोरी लेकर आया हूँ मैंने जब चाची को चोदा तो मेरे लंड को चुदाई का पानी लग गया।

हम गाँव में रहते थे जब मैंने मेट्रिक की परीक्षा पास की तो मेरे माता पिता ने मुझे शहर में रहने वाले मेरे बड़े भैया के पास पढने भेज दिया मेरे भैया की अभी ६ महीने पहले शादी हुयी थी मेरे भैया एक मलटी नेशनल कंपनी में काम करते थे जिस कारण वह रात को भी कभी कभी घर नहीं आते थे।
एक दिन मैं मेरे दोस्त के साथ रांड चोदने गया मैंने एक लड़की पसंद की और उसका दाम दौ सौ रूपये दौ घंटे का तय हुआ मैं उसे कमरे में लेकर गया और उसे नंगा कर दिया उसके बूब्स दबाने लगा बूब्स दबाते दबाते हुए मैंने उसका नाम पुछा तो उसने रानो बताया मैं चौंक गया क्यूंकि मेरी भाभी जो कि बहुत सुंदर थी उनक नाम भी रानो था। उसके बूब्स दबाते समय सब चिल्लाने लगे भागो भागो मैंने खिड़की में से झांक कर देखा तो वहां पुलिस की रेड पड़ी है। मैं जैसे तैसे वहां से जान छुड़ाकर भागा घर पंहुचा तो रात के ११ बज चुके थे।
मैंने सोचा कि भैया भाभी को शक न हो जाये मैंने डोर बेल बजायी तो कोई ने कुछ रिस्पोंस ही नहीं दिया। तो मैं पाईप के सहारे चढकर छत पर पंहुचा और नीचे उतर कर अपने कमरे में जाने लगा तो मेरी नज़र भैया भाभी के कमरे पर गयी मैंने देखा कि कमरे कि लाईट जल रही मैंने सोचा कि भैया तो गए हुए हैं और भाभी लाईट बंद करना भूल गयी। मैं लाईट बंद करने गया तो देखा कर चौंक गया भाभी सो रही थी और उनकी साडी घुटनों से भी ऊपर थी और उनका पल्लू भी ठीक नहीं था मुझे भाभी की चिकनी चिकनी टांगे देख कर रानो का चेहरा याद आने लगा कुछ देर भाभी को घूरने के बाद मैं उनके कमरे में घुसा और उनके पेरों के पंजो को चूमने लगा
मैंने हिम्मत करके भाभी कि साडी ऊपर उठाने की कोशिश की और कुछ देर बाद मैंने वह ऊपर उठाई तो मैं यह देखा कर दंग रह गया कि भाभी ने नीचे पेंटी भी नहीं डाल रखी थी। मैं उनकी उस चिकनी चूत को देखने लगा और उन्होंने आज ही उस की तेल से मालिश की थी इसलिए वह बिलकुल चिकनी थी मैंने लाईट बंद की और कमरे में से पेंसिल टॉर्च लाकर उनकी चूत को देखने लगा।
काफी देर देखने के बाद मेरा उसे किस करने का मन किया तो मैंने उस पर एक किस कर दी उनकी चूत की भीनी भीनी खुशबू ने मुझे उनकी चूत चाटने पर मजबूर कर दिया चूत चाटते समय मेरा लंड कड़क होकर लोहे की तरह तन गया तो मुझसे रहा नहीं गया और मैंने पेंट की जिप खोल के उसे बाहर निकाला और उसे एक हाथ से सहलाने लगा तभी भाभी ने नींद में मेरा लंड पकड़ लिया और कहने लगी की जानेमन आज सेक्स करने का इरादा नहीं है क्या मैंने सोचा मुझे
भैया समझ रही और इस बात का फायदा उठाते हुए मैं मुह से कुछ ना बोला क्यूँ की मेरी पोल खुल सकती थी मैंने भाभी का ब्लाउज खोल दिया और उनके बूब्स चूसने लगा और भाभी मेरे लंड को सहला रही थी इसी बीच भाभी बोली देवर जी अब रहा नहीं जाता ये तुम्हारा ८” लम्बा मेरी चूत में डाल कर इस की प्यास बुझा दो मैं भाभी के मुह से यह सुनकर चौंक गया गया और बोला भाभी आप ने कैसे और कब जाना की ये भैया नहीं मैं हूँ भाभी बोली की जब तुम मेरे कमरे में आए थे मैं तब ही जान गयी थी की तुम हो दरअसल मैंने ही दरवाजा खुला छोड़ रखा था की तुम आओ और मैंने ही जान बुझ कर अपनी साडी घुटनों से ऊपर कर रखी थी की तुम मेरी इन मस्त और चिकनी टांगो को देखा कर मुझे चोदने का मन बना लो
मैं बोला की भाभी अपने तो मुझसे तो चुदवाने की फुल प्लानिंग कर रखी थी ।
वोह बोली की देवर जी अब फालतू की बाते करके अपना और मेरा समय खराब मत करो और मेरे इस मस्त हुस्न का फायदा उठाओ मैंने वैसा ही किया इतना कहने पर मैं भाभी के मस्त बूब्स चूसने लगा और भाभी मेरा ८’ लम्बा लंड सहलाने लगी फिर मैंने भाभी की चूत पर हाथ रखा दिया तो भाभी बोली इस में बहुत गर्मी है इसकी आग आज बुझा दो। मैं पहले तो भाभी की चूत में ऊँगली करता रहा तो भाभी आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्छ आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ईईइआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह करने लगी फिर मैंने भाभी की चूत पर मुह लगाकर उसे चाटा और जब भाभी पूरी तरह गर्म हो चुकी थी तो वह बोली की जानेमन अब मत तड़पाओ मुझे तुम्हारा यह ८’ लम्बा लंड मेरी चूत में डालो
मैंने भाभी की चूत पर लंड रखकर जोर से झटका मारा तो भाभी चीख पड़ी मर गैईई मैंने भाभी की एक न सुनी और १५ मिनट तक भाभी की चुदाई करता रहा छोड़ते समय मैंने भाभी से पूछ लिया की इतने सुंदर पति के होते हुआ भी आप मुझसे क्यूँ चुदवा रही हैं भाभी बोली की पति तो सुंदर है पर पति का लंड कोई काम का नहीं वह तो दो चार झटके में ही स्खलित हो
जाता है। शादी के बाद से आज अपने जिन्दगी की सबसे अच्छी चुदाई तुमसे करवाई है और मुझे आज ही सही मायनों में आज ही चुदाई का असली अर्थ आज ही मालूम पड़ा
अब जब भी भैया काम से बाहर जाते है तो मैं भाभी को वह सुख देता हूँ जो उन्हें भैया नहीं दे पाते और अब भाभी भी मुझे बहुत प्यार करती है

पहली चुदाई की सेटिंग हुई ट्यूशन में

हैलो दोस्तो, मेरी जानपहचान इन्टरनेट पर एक लड़की से हुई, उसने मुझे अपनी पहली चुदाई की घटना बताई और कहानी लिखने को कहा है।

आप उसी के शब्दों में पढ़िये उसकी आपबीती…
मेरा नाम रुचिका है, मैं पटियाला (पंजाब) के पास नाभा में रहती हूँ।
मैं गयारहवीं क्लास की छात्रा हूँ, पढ़ाई में ठीक ठाक हूँ मगर सेक्स के मामले में बहुत तेज़ हूँ।
जब से जवानी ने मेरे बदन में बदलाव लाने शुरू किए, तब से मैं इस बात को लेकर बहुत उत्सुक रही हूँ।
मैं अक्सर घर में शीशे के सामने नंगी होकर खड़ी हो जाया करती थी यह देखने के लिए कि मेरे स्तन कैसे धीरे धीरे आकार ले रहे हैं, कैसे मेरे निप्पल बन रहे हैं और कैसे मेरी चूत पर उगने वाले मुलायम रेशमी बाल गुच्छे में तब्दील होते जा रहे हैं।
और जब मुझे मासिक धर्म यानि के डेट आनी शुरू हुई तो उसके बाद तो जैसे मेरी ज़िंदगी ही बदल गई।
मुझे तभी से ऐसे लगने लगा कि जैसे मैं तो पूरी जवान हो गई।
और जब मौसी की लड़की ने यह बताया कि डेट आने का मतलब कि अब तू बच्चा पैदा कर सकती है तो मुझे बड़ी उत्सुकता हुई यह जानने के लिए कि अगर बच्चा औरत के पेट से निकलता है तो अंदर कब और कैसे जाता है।
खैर ये तो मेरे बचपन की बातें है।
जब मैं 10+1 में हुई तो पापा ने ट्यूशन पढ़ने के लिए घर पर ही इंतजाम कर दिया।
एक सर हर रोज़ मुझे शाम 6 से 7 बजे तक ट्यूशन पढ़ाने के लिए घर पर ही आते थे।
थोड़े दिनों बाद पड़ोस की कपूर आंटी का बेटा राहुल जो 10+1 में था पर किसी दूसरे स्कूल में था, वो भी मेरे ही सर से ट्यूशन पढ़ने हमारे ही घर आने लगा।
पहले तो हम बहुत कम बात करते थे, पर धीरे धीरे हम दोस्त बन गए और हौले हौले आपस में बहुत खुल कर बात करने लगे।
ट्यूशन के दौरान मम्मी हमें चाय देकर जाती थी और सर की आदत थी कि वो चाय से पहले एक सिगरेट पीते थे, तो जब माँ चाय देकर जाती, सर चाय लेकर बालकनी में चले जाते, वहीं पर पहले एक सिगरेट और फिर चाय पीते।
इसी दौरान हम दोनों को आपस में खुसर फुसर करने का मौका मिल जाता।
एक दिन ऐसे ही चाय के समय किसी बात पर छीना झपटी के दौरान राहुल का हाथ मेरी चूची पर ज़ोर से लगा।
राहुल ने तभी मेरे से माफी मांगी- सॉरी रुचि यार, गलती से लग गया।
मैंने उसका बुरा नहीं माना और कहा- कोई बात नहीं, मुझे बुरा नहीं लगा।
‘क्या बुरा नहीं लगा, मेरा हाथ लगना?’ उसने पूछा।
‘नहीं, कुछ भी नहीं…’ मैंने भी कह दिया।
‘क्यों तुम्हें चोट नहीं लगी, मेरा हाथ तो बहुत ज़ोर से लगा था?’
‘नहीं, कोई बात नहीं!’ मैंने कहा।
हालांकि उसके हाथ के छूने से मेरे दिल की धड़कन बढ़ गई थी।
‘हाँ, शायद नर्म चीजों पर चोट कम लगती हो?’ उसने कहा।
मैंने देखा उसकी आँखों में शरारत थी।
मैंने कहा- अच्छा, तो फिर एक दिन मैं भी बदला लूँगी, और तुम्हारी भी किसी नर्म चीज़ पे मारूँगी।
और हम दोनों हंस दिये।
इतने में सर आ गए और हमारी बातचीत बंद हो गई।
उसके बात तो अगले दो तीन दिनो में ही राहुल ने जान बूझ के मेरे वक्ष के उन्नत उभारों को छूआ, मगर मैंने कभी भी बुरा नहीं माना।
इससे उसकी हिम्मत बढ़ गई और एक दिन जब सर बाहर खड़े चाय पी रहे थे तो राहुल ने बड़े आराम और इतमीनान से सरेआम ही मेरे चूचों को पकड़ लिया।
‘राहुल?!’ मैंने बड़े हैरान हो कर कहा- हाऊ डेयर यू?
पर मैंने उसका हाथ अपने स्तनों से हटाने की कोई कोशिश नहीं की।
‘बस यार… दिल किया छू कर देखने को, तो छू लिया।’
‘और अगर सर देख लें तो या मम्मी आ जाएँ तो?’ मैंने कहा।
‘तो जब सर या तुम्हारी मम्मी न हों तो तब छू के देख लिया करूँ?’ उसने मुस्कुरा के कहा।
मेरी तो हंसी निकल गई।
बस मेरे हंसने की देर थी और उसने झट मेरे दोनों बूब्स पकड़ के दबा दिये।
मुझे भी अच्छा लगा।
उसके बाद तो यह सिलसिला ही चल निकला।
2-4 दिनों बाद राहुल ने मुझे किस करने की इच्छा जताई।
मैंने कहा- मगर करेंगे कहाँ?’
तो वो बोला- ऐसा करते हैं, सर के जाने के बाद भी आधा घंटा रिवीजन किया करेंगे, उस दौरान अगर मौका मिल गया तो किस कर लेंगे’
मुझे आइडिया पसंद आ गया।
अगले ही दिन हमने आधा घंटा और रिवीजन की, मगर मौका नहीं मिला क्योंकि सर के जाने के बाद मम्मी आ कर बैठ गई थी।
मगर उससे अगले दिन करीब सात बज कर बीस पच्चीस मिनट पर दूध वाला आ गया, और जैसे ही मम्मी दूध लेने गई, राहुल ने मुझे आँख से इशारा किया तो मैंने भी अपना चेहरा उसके पास कर दिया।
राहुल ने बड़े ही प्यार से मेरे होंठों से अपने होंठ लगा दिये और मेरे नीचे वाले होंठ को अपने दोनों होंठों में दबाया।
यह एक बहुत ही अलौकिक एहसास था, मेरे जीवन का पहला चुम्बन था, और राहुल का भी !
तो हम दोनों के जैसे बदन में बिजलियाँ कौंध गई, हमारे रोंगटे खड़े हो गए, चेहरे से गर्मी निकलने लगी और न जाने क्या क्या हो गया।
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खैर अब जब बूब्स दबाना और चूमाचाटी करना रोज़ की बात हो गई तो हम यह सोचने लगे कि अब आगे कब, क्या और कैसे किया जाए।
फिर एक दिन राहुल अपने मोबाइल में एक फिल्म लेकर आया और उसे मेरे मोबाइल में डाल कर बोला- रात को देखना, बहुत बढ़िया चीज़ है।
रात को सोने से पहले मैंने अपने कमरे में बेड पे लेट कर वो वीडियो देखी।
वो एक ब्लू फिल्म थी जिसने मेरी सारी शंकाएँ दूर कर दी।
अब मुझे सब पता चल गया कि रात को मम्मी और पापा क्या करते हैं।
मैंने वो वीडियो 4-5 बार देखी और अपनी चूत को बहुत मसला, मगर जो कुछ मेरी हालत हो रही थी वो मेरे बस से बाहर थी।
मैं ये सब कुछ राहुल के साथ करना चाहती थी।
अगले दिन राहुल ने मुझसे उस वीडियो के बारे में पूछा तो मैंने बता दिया कि मुझे वीडियो बहुत अच्छी लगी।
‘जो वीडियो में देखा, मेरे साथ करोगी?’ राहुल ने पूछा।
‘सच कहूँ राहुल, मैं तो हर पल वो सब करना चाहती हूँ, जब से वो वीडियो देखी है, मुझे हर पल बेचैनी सी लगी रहती है, मुझे समझ में नहीं आता मैं क्या करूँ?’ मैंने अपनी हालत बताई।
‘मेरा लण्ड देखेगी?’ राहुल ने पूछा।
‘हाँ, पर कैसे?’ मैंने बड़ी उत्सुकता से पूछा।
‘जब तेरी मम्मी दूध लेने जाएगी न, तब मैं बाथरूम में घुस जाऊँगा और अंदर जाकर निकाल लूँगा, जब मम्मी दूध वाले के पास होगी तो तुम बाथरूम का दरवाजा खटखटा कर खुलवा लेना और देख लेना!’ राहुल ने प्लान बताया।
वैसे तो मैंने उसकी पैंट के ऊपर से ही उसका लण्ड कई बार पकड़ के देखा था, पर बिल्कुल सामने देखना और बात थी।
प्लान के मुताबिक जब मम्मी दूध का बर्तन लेने रसोई में गई तो राहुल झट से बाथरूम में घुस गया और जब मम्मी बर्तन लेकर घर से बाहर निकली तो मैंने झट से जाकर बाथरूम का दरवाजा खोला, और अंदर का नज़ारा देख कर तो मैं दंग ही रह गई।
राहुल बिल्कुल नंगा हो कर खड़ा अपना लण्ड हिला रहा था।
उसने मेरी तरफ मुस्कुरा कर देखा और कहा- आओ, और इसे छू कर देखो।
मैं आगे बढ़ी और मैंने उसका लण्ड अपने हाथ में पकड़ा।
राहुल ने मुझे बाहों में जकड़ लिया और हम दोनों ने एक दूसरे के मुँह से मुँह जोड़ दिये।
हम दोनों ने आँखें बंद कर ली, राहुल का लण्ड पूरा सख्त हो चुका था।
राहुल ने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी जिसे मैं बड़े मज़े से चूस रही थी कि तभी ड्राइंगरूम के दरवाजे के खुलने की आवाज़ आई।
मतलब मम्मी दूध लेके आ चुकी थी।
मैं बिजली की तेज़ी से राहुल से अलग हुई और जाकर अपना बैग समेटने लगी।
दूध को फ्रिज में रख कर मम्मी हमारे कमरे में आ गई।
मेरे तो होश उड़े पड़े थे, जैसे दिमाग सुन्न हो गया हो।
मगर किसी को कुछ पता नहीं चला।
अगले दिन राहुल ने मुझसे कहा- तूने तो मुझे नंगा देख लिया है, अब तू मुझे किस दिन नंगी हो कर दिखाएगी?
मैंने कहा- कल को, मगर मैं पूरी नंगी नहीं हो सकती, अगर सिर्फ अपनी स्कर्ट उठा कर दिखा दूँ तो चलेगा?
‘नहीं मैं तुझे पूरी नंगी देखना चाहता हूँ, जैसे मैंने किया वैसे ही तू कर दे।’ उसने स्कीम बताई।
मैंने कहा- ठीक है।
मगर उस दिन दूध वाला लेट हो गया और राहुल को मन मसोस कर जाना पड़ा।
उससे अगले दिन मैं स्कर्ट पहन के बैठी थी और मैंने नीचे से कच्छी नहीं पहनी थी।
जब सर सिगरेट पीने बालकनी में गए, तो मैंने बिना कोई देर किया राहुल के सामने अपनी स्कर्ट उठा दी। राहुल ने बड़े प्यार से मेरी जांघों हाथ फेरते हुये, बिना पलक झपकाए मेरी चूत को देखा और अपने हाथ की उँगलियों से मेरी चूत के होंठों को सहलाया।
मुझे बहुत मज़ा आया और मैं चाह रही थी कि राहुल ऐसे ही करता रहे पर उसने थोड़ा सा सहलाने के बाद छोड़ दिया और मेरी स्कर्ट नीचे कर दी।
हम फिर पढ़ने बैठ गए।
मगर अब ये सब हम दोनों की बर्दाश्त से बाहर होने लगा था।
हम दोनों सेक्स का आनन्द लेना चाहते थे।
राहुल रोज़ ही कोई न कोई नई वीडियो दे जाता और मैं उसे देख के रात रात भर तड़पती रहती।
करीब दस दिन बाद हमें एक ऐसा मौका मिला जिसने हमारे सारे अरमान पूरे कर दिये।
जब हमारे तिमाही पेपर शुरू हो गए तो उन दिनों तो वैसे ही पढ़ाई का ज़ोर बहुत ज़्यादा था।
उन दिनों में ही हमारे पड़ोस में चावला अंकल के घर जगराता आ गया।
मतलब यह था कि सारे मोहल्ले वाले जाएँगे।
मैंने तो बहाना बना दिया कि मैं नहीं जाऊँगी, मैं तो घर बैठ कर पढ़ूँगी।
राहुल ने भी मम्मी से कहा कि वो हमारे घर बैठ कर ही पढ़ेगा और जाते वक़्त अपनी मम्मी पापा के साथ अपने घर चला जाएगा।
जगराते वाली रात सब करीब 9 बजे चले गए।
घर में मैं, राहुल और मेरा छोटा भाई ही थे।
पहले तो हम पढ़ते रहे और इन्तज़ार करते रहे कि कब मेरा भाई सोये।
जब वो सो गया तो हम दोनों मेरे कमरे में आ गए।
आते ही राहुल ने मुझे बेड पे गिरा दिया और खुद मेरे ऊपर लेट गया।
हम दोनों एक दूसरे खा जाना चाहते थे।
चूमा चाटी करते करते हम दोनों ने एक दूसरे के कपड़े उतार दिये।
राहुल का सख्त लण्ड मेरे पेट पे मुझे महसूस हो रहा था।
उसने बड़ी बेदर्दी से मेरे बूब्स दबाये, उन्हें चूमा चूसा, चाटा, दाँतों से काटा।
मैं तो बस चाहती थी कि राहुल मुझमें समा जाए।
बस थोड़ा सा प्यार करने के बाद ही राहुल ने मेरी टाँगें चौड़ी की। मैंने राहुल का लण्ड अपने हाथ में पकड़ा और अपनी चूत पर रखा, जो न जाने क्यों इतनी गीली हो रही थी।
राहुल ने थोड़ा सा ज़ोर लगाया और हम दोनों दर्द से तड़प उठे, क्योंकि राहुल और मैं दोनों कुँवारे थे।
मगर यह एक ऐसा मौका था जो शायद दोबारा हमे न मिलता।
थोड़ा सा सहने के बाद राहुल बोला- फिर से डालूँ?
मैंने राहुल के दोनों कंधो पे अपने हाथ रखे और अपनी टाँगों को उसकी कमर के गिर्द लिपटा कर बोली- आराम आराम से, धीरे धीरे से डालो, मुझे दर्द हो रहा है।
‘दर्द तो मुझे भी हो रहा है।’
उसने फिर कोशिश के मगर जैसे ही अंदर डाला, मेरी तो चीख निकल गई, मेरी आँखों में आँसू आ गए।
हमने कई बार कोशिश की पर राहुल का लण्ड मेरी चूत में नहीं जा पा रहा था।
फिर राहुल बोला- ऐसा कर किचन से कोई तेल ले कर आ।
मैं किचन में गई और सरसों का तेल लेकर आई।
राहुल ने काफी सारा तेल अपने लण्ड पर लगाया और मेरी चूत में भी लगाया।
उसके बाद मैंने अपने हाथ से उसका लण्ड अपनी चूत पर सेट किया और राहुल से कहा- ऐसा कर, एक ही झटके में अंदर डाल, बार बार के दर्द सहने से अच्छा है कि एक बार ही दर्द हो जाए।
राहुल थोड़ा नीचे झुका, उसने मेरे होंठों से अपने होंठ लगाए और अपनी ताकत लगा कर अपना लण्ड मेरी चूत में घुसेड़ना शुरू कर दिया।
मैं तो फूट फूट के रो पड़ी।
राहुल के चेहरे पर भी दर्द के भाव थे, मगर तेल लगाने से यह ज़रूर हुआ कि उसका पूरा लण्ड फिसलता हुआ सा मेरे बदन में समा गया।
उसके बाद हम कितनी देर वैसे ही लेटे रहे।
राहुल मुझे चुप कराता रहा।
जब मैं थोड़ा सयंत हुई तो राहुल ने अपना लण्ड बाहर निकाला, उसके लण्ड के ऊपर से खून निकल रहा था और मेरी चूत के अंदर से।
राहुल मुझे उठा कर बाथरूम में ले गया।
वहाँ हमने अपने आप को पानी से अच्छी तरह से धोया।
साफ़ होकर हम बाहर निकले और आकर फिर बेड पर लेट गए।
मगर अभी हमारी संतुष्टि नहीं हुई थी, उसने फिर से वही चूमना चाटना शुरू कर दिया।
दो मिनट बाद हम फिर से तैयार थे।
अबकि बार राहुल ने दोबारा वैसे ही तेल लगाया और जब डाला तो बड़े आराम से उसका लण्ड मेरी चूत में समा गया।
‘अब ठीक है?’ राहुल ने पूछा।
‘हाँ, अब दर्द भी कम है।’
उसके बाद तो राहुल पूरे जोश में आ गया।
मैंने भी उसका भरपूर साथ दिया।
हम एक दूसरे के होंठ, गाल, ठुड्डी, कान, गला, छाती और न जाने कहाँ कहाँ हम एक दूसरे को चाटते, काटते रहे।
बेशक हम दोनों को अभी भी दर्द हो रहा था पर आज तो हमने अपनी मंज़िल को पाना ही था।
मैंने अपनी पूरी ताक़त से राहुल को अपनी बाहों में जकड़ा हुआ था और वो पूरी ताक़त से अपना लण्ड मेरी चूत में अंदर बाहर कर रहा था।
मेरा सारा मुँह उसने चाट चाट कर अपने थूक से गीला कर दिया था, पर मुझे वो भी अच्छा लग रहा था।
मेरे सारे बदन में एक अजीब सी बिजली दौड़ रही थी, मेरी आँखें बंद होने लगी, मुझे लगा जैसे आज मेरी जान मेरी चूत के रास्ते से बाहर निकाल जाएगी।
राहुल का बदन पसीने से भीग गया था और उसका पसीना मेरे बदन पे टपक रहा था।
मैं भी पसीने से तर बतर थी, क्योंकि मैं भी नीचे से अपना ज़ोर लगा रही थी।
राहुल के हर शॉट के साथ मैं अपनी कमर ऊपर उठती जा रही थी, जैसे मैं चाहती थी कि सारा राहुल मेरी चूत में घुस जाए और उसके बाद मैंने राहुल के होंठ को काट खाया- आआहहहहह राहूऊल मैं मर जाऊँगी।
यह कह कर मैं तो अकड़ गई।
राहुल ने मेरे बाएँ बूब पर बड़े ज़ोर से काटा मगर मेरी तो जान निकाल दी उसने।
उसके बाद मैं तो बेड पे धड़ाम से गिरी, राहुल का लण्ड बाहर निकल गया, उसने फिर से डाला और फिर चुदाई करने लगा।
मैं तो जैसे सातवें आसमान में उड़ रही थी।
‘ओ मेरी जान, मज़ा आ गया, मदरचोद, साली क्या दमदार चूत है तेरी, तेरी क्या मैं तो तेरी माँ की चूत में चोद दूँ, साली कुतिया, बोल अपनी माँ चोदने देगी, साली के कितने बड़े बड़े बोबे हैं, भैण की लोड़ी साली हिला हिला के दिखाती है अपने यार को, मादरचोद आज तेरी बेटी चोद दी कल को तुझे भी ऐसे ही चोदूँगा।’
राहुल पता नहीं क्या क्या बड़बड़ा रहा था और मैं उसकी हर बात में हाँ में हाँ मिलती जा रही थी।
उसके बाद तो उसने बहुत ही बेदर्दी से मुझे चोदा।
हम दोनों के फिर से खून निकलने लगा।
मगर अब खून की परवाह किसे थी।
फिर राहुल ने अपना गरम गरम वीर्य मेरी चूत में छुड़वाया।
वो मेरे ऊपर ही गिर गया।
मैं उसकी बेहद तेज़ दिल की धड़कन अपने सीने पे महसूस कर रही थी, जैसे उसका दिल बाहर ही निकल आया हो।
न जाने कितनी देर हम ऐसे ही लेटे रहे।
जब हम थोड़ा संभले तो मैंने राहुल से पूछा- यह बता तू मेरी मम्मी के बारे में क्या कह रहा था?
राहुल बोला- सॉरी यार, जोश में पता नहीं क्या क्या कह दिया। पर एक बात तो तू मानेगी, कि तेरी मम्मी है बड़ी मस्त, गजब की सेक्सी औरत है, या नहीं?
मैंने कहा- हाँ तेरे पापा कौन से कम है, बहुत ही शानदार मर्द हैं।
कह कर हम दोनों हंस दिये।
कुछ देर आराम करने के बाद हमने अपने अपने कपड़े पहने।
मैंने एक विस्पर पैड लगा लिया और थोड़ी सी काटन और दवा राहुल को लगाने को दी।
फिर हम बाहर आकार ड्राइंग रूम में बैठ के टीवी देखने लगे और अपने मम्मी पापा का इंतज़ार करने लगे।
बेशक राहुल और मुझे दोनों को गुप्तांगों में दर्द हो रहा था पर दोनों के चेहरे पे एक संतुष्टि भी थी कि आज हम दोनों पूर्ण मर्द और औरत बन गए थे।
अगला किस्सा फिर कभी।

ଲୁଚିକରି ଭାଉଜ ଆଉ ଭାଇଙ୍କର ଗିଁହା ଗେଁହି ର ମଜା ନେଲି ପ୍ରଥମ ଥର ପାଇଁ |



ନମସ୍କାର ମୋର ଓଡିଆ ଭାଇ  ଓ ଭଉଣୀ ମାନେ | ପ୍ରଥମେ ମୋର ବ୍ଲଗ୍ କୁ ହାର୍ଦ୍ଦିକ ସ୍ବାଗତ | , ମୁ ଆପଣ ମାନଙ୍କୁ ଏହା ନିଶ୍ଚିତ କରେଇ ଦେଉଛି ଯେ ଆପଣ ଏହି ବ୍ଲଗ୍ ରେ ପୂରା ଆନନ୍ଦ ଉପଭୋଗର ସୁବିଧା ଉଠାଇ ପାରିବେ |  ତେଣୁ ନୂତନ ନୂତନ ଯୌନ ଆନନ୍ଦ ଲାଭ ପାଇଁ ଏହି ବ୍ଲଗ୍ ନିୟମିତ ଦର୍ଶନ କରନ୍ତୁ  ( ଯଦି ଭଲ ଲାଗେ ତାହେଲେ ଏହି ବ୍ଲଗ୍ କୁ ବୁକମାର୍କ କରନ୍ତୁ).

ମୋର ନାମ ପବିତ୍ର, ମୁ ବହୁତ ଯୌନ ପ୍ରିୟ..ଯୌନ ବିଷୟରେ କଥାବାର୍ତ୍ତା, ଆଲୋଚନା କରିବାକୁ ବହୁତ  ପସନ୍ଦ କରେ | ମୋତେ କାହିଁକି  ସମସ୍ତଙ୍କୁ ଏହା ଅନେକ ପସନ୍ଦ, ବାକୀ କିଏ କହିଥାଏ  କିଏ ଲୁଚାଏ | ହେଲେ ଏଇଠି ଲାଜ କରିବାର କୌଣସି କାରଣ ନାହିଁ | ତେଣୁ ଆସନ୍ତୁ ଏଇଠି ବିଆ,ବାଣ୍ଡ ଗିଁହା ଗେଁହି କଥା ବିନା ଲାଜ, ବିନା ଡରରେ ହେବା |

 ଆଜି ମୁଁ ମୋର ନିଜର ଅଙ୍ଗଲିଭା ଯୌନ କାହାଣୀ ଲେଖୁଛି | ଏଇଟା ସମ୍ପୂର୍ଣ୍ଣ ସତ ଘଟଣା ଅଟେ, ମିଛ ନୁହେଁ | ପଢିଲେ ଆପଣ ନିଶ୍ଚେ ଯାଣିପାରିବେ | ତଃ ଡେରି କଣ ପାଇଁ ? ଚାଲନ୍ତୁ ଏହା ପଢିବା ଆଉ ଭରପୁର ମଜଆ ନେବା |

  ମୁଁ ସେତେବେଳେ ନବମ ଶ୍ରେଣୀରେ ପଢୁଥାଏ, ବଡ ଭାଇର ବାହାଘର ହୋଇଗଲା | ହେଲେ ମୋର ସେତେବେଳେ ସେକ୍ସ ବିଷୟରେ ସେମିତି କିଛି ଧାରଣା ନଥିଲା | , ସେକ୍ସ ଗୋଟେ ପାପ କାମ/ଖରାପ/ଅପରାଧ ବୋଲି ଭାବୁଥାଏ. ସେ ଯାହାହେଉ, ଭାଉଜ ଆସିଲେ, ବହୁତ ସୁନ୍ଦରୀ, ଗୋରା ଦେହ, ଭରା ଯୌବନ...ଓଃ ସତେ ଯେମିତି ଆଇଟମ ବମ୍ !... ତାଙ୍କ ନାମ ଥିଲା ରୀନା | ମୁଁ  ତାଙ୍କୁ ସେକ୍ସ ଦୃଷ୍ଟିରେ କେବେ ଦେଖୁନଥିଲି | କିନ୍ତୁ, ଦିନକୁ ଦିନ ଭାଉଜଙ୍କ କାର୍ଯ୍ୟକଳାପ ମୋର ଚିନ୍ତାଧାରାକୁ ପୁରା ବଦଳାଇଦେଲା. ସେ ଯେଉଁ ଢଂଗରେ ଶାଢ଼ୀ ପିନ୍ଧୁଥିଲେ, ତାଙ୍କ ଚାଲିଚଳନ, ...ଏହି ସଵୁ ମୋର ମନରେ ଟିକେ ଅଲଗା ଧାରଣା ଆଣିଦେଲା | ସେ ଏଭଳି ଭାବେ  ବ୍ଲାଉଜ ପିନ୍ଧୁଥିଲେ ଯେଉଟା କୀ ବାହାରୁ ସ୍ପଷ୍ଟଭାବେ ଦେଖାଯାଉଥାଏ ..ତାହା ମୋ ନଜର ରେ ଆସୁଥାଏ | ଆଉ ବେଳେ ବେଳେ ବ୍ରା ର  ଧାର ବ୍ଲାଉଜ ବାହାରକୁ ବାହାରି ଦେଖାଯାଉଥାଏ | ତାହା ଦେଖି ମୁ ଧିରେ ଧିରେ ତାଙ୍କ ପ୍ରତି ତଥା ସେକ୍ସ ପ୍ରତି ଆକୃଷ୍ଟ ହେବାରେ ଲାଗିଲି | ଆଉ ଘର ଓଳେଇଲା ବେଳେ ତଳେ ନୋହିଁଲାବେଳେ ବ୍ଲାଉଜ ଭିତରେ  ତାଙ୍କର ଦୁଇ ଦୁଧ ମଝି ଫାଙ୍କ  ଦେଖାଯାଉଥାଏ, ଓହଃ କି ଦୃଶ୍ୟ ! ମସ୍ତ୍ ମସ୍ତ୍  ଗୋରା  ଗୋରା ଦୁଇ ଦୁଧ, ଏ ସବୁ ଦେଖି ମୁଁ କି ସମ୍ଭାଳେ? ମୋର ସେଇ ୭ ଈନଚ ବାଣ୍ଡ ପୁରା ଠିଆ (ୟା ଭିତରେ ମୋର ଜଣେ ସାଂଗ ମୋତେ ମୁଠି ମାରିବା ସିଖେଇ ଦେଇଥିଲା) | ମୁଁ  ଆଉ କିଛି ବାଟ ନ ପାଇ, ରୂମ୍ କୁ ଯାଇ ଭାଉଜଙ୍କ ଦୁଧ କଥା ଭାବି ମୁଠି ମାରି ସେଇ ବାଣ୍ଡକୁ ଶାନ୍ତ କରାଏ | ମନେ ମନେ ଭାବୁଥାଏ କି ତାଙ୍କର ଦୁଧ କୁ କେମିତି ମନ ପୁରେଇ ଦେଖିବି ..ହେଲେ ସୁଯୋଗ ମିଳୁ ନଥାଏ | ସେ ଗାଧେଇ ସାରି ଓଦା ଲୁଗା ପିନ୍ଧି ଯେତେ ବେଳେ ବାହାରକୁ ଆସନ୍ତି, ଓହଃ କି ସେକ୍ସି ଦେଖାଯାନ୍ତି | ଦିନେ ସେ ବ୍ଲାଉଜ୍  କିମ୍ବା ବ୍ରା କିଛି ନପିନ୍ଧି, ଖାଲି ଶାଢୀ ଦେହରେ ଗୁଡେଇ ହେଇ ଛାତ ଉପରକୁ ଲୁଗା ଉଠେଇବାକୁ ଯାଉ ଥିଲେ ତାପରେ ଗାଧୁଆ ଘରକୁ ଗାଧେଇବା ପାଇଁ (ଘରେ କେହି ନଥିଲେ) , ମୁଁ  ସେତିକି ବେଳେ ବାହାରୁ ଘରକୁ ଅସୁଥିଲି, ତାଙ୍କୁ ଏହିଭଳି ଅବସ୍ଥା ରେ ଦେଖି ମୁଁ ପୁରା  ପାଗଳ!!!. ଖାଲି ଶାଢୀ ରେ ସେ ଥିଲେ, ଭିତରେ ତ କିଛି ନଥିଲା | ଦୁଧ ର ସାଇଜ଼ ପୁରା ବାରୀ ହେଉଥିଲା, ସେ ଦୁଧ ପୁରା ଅମୃତ ଭଣ୍ଡା ଭଳିଆ ଦେଖାଯାଉଥିଲା, ମୋଟା ମୋଟା ନିପ୍ପଲ୍ ଦୁଇଟା ପୁରା ପତଳା ଶାଢୀ  ଫୁଟି କରି   ବାହାରକୁ ଦେଖା ଯାଉଥିଲା, ଚାଲିଲା ବେଳେ ଦୁଧ ଦିଇଟା ପୁର ଓହୋଳୁ ଥାଏ ... ଓହଃ କୀ ଦୃଶ୍ୟ | କିଏ ଏହି ଦୃଶ୍ୟ ଦେଖିକରି ସମ୍ଭାଳି ରହି ପାରିବ?  ..ତାହା ଦେଖି ମୁଁ ଆଉ କଣ କରି ପାରିବି? ସିଧା ରୂମକୁ ଗଲି  ଆଉ ମୋର ସେଇ ୭ ଈନଚ ଯନ୍ତ୍ର ଟା କୁ କାଢ଼ି ବହେ ହଲେଇଲି, ଆଉ ହଲେଇଲା  ବେଳେ ତାଙ୍କର  ସେଇ ବଡ ବଡ଼ ଦୁଧ ଆଉ ବଡ଼ ବଡ଼ ନିପପଲ୍ କଥା ଭାବୀ ଅହୁରୀ  ଏକ୍ସ୍ଇଟ୍ ହେଉ ଥାଏ | ସତରେ ସେଇ ଦୃଶ୍ୟ ଏବେଭି ମୁଁ ଭୁଲି ପରେନି |  ଦିନେ ଭାଇ ଭାଉଜ ଭାଇଙ୍କ ଶ୍ଵଶୁର ଘରକୁ ଯାଇଥାନ୍ତି | ରାତିରେ ତାଙ୍କର ରୂମକୁ ଗଲି , ଆଉ ଭାଉଜଙ୍କ ଯେତେ ବ୍ରା ଥିଲା ସବୁ କାଢିଲି, ଆଉ କଣ କଣ ଅଛି ଖୋଜିଲି , ଗୋଟେ ସେକ୍ସ୍ ର ବହି ଥିଲା ସେଥିରେ ପୁରା ଲଂଗଲା ଲଂଗଲା ଛବି ସବୁ ଥିଲା, ଅହୁରି ଅଭଦ୍ର ଅଭଦ୍ର ବହି ସବୁ ଥିଲା | ସବୁ ସାଥିରେ ଧରିଲି ଆଉ ମୋର ରୂମକୁ ଗଲି ଆଉ ବନ୍ଦ କରିଦେଲି, ତାପରେ ପ୍ରଥମେ ଭାଉଜଙ୍କ ବ୍ରା କାଢ଼ିଲି, ବହୁତ୍ ସେକ୍ସି ଲାଗୁଥିଲା ଭୟରେ ମୋର ସାରା ଦେଖା ଥାରୁଥାଏ | ଏମିତି ବ୍ରା କୁ ଦେଖି ଭାବୁଥାଏ କି ସତେ ଯେମିତି ଭାଉଜ ସେଇଟା ପିନ୍ଧି ଛିଡା ହେଇଚନ୍ତି  | ମୋର ବାଣ୍ଡ ପୁର ହାର୍ଡ଼ ହୋଇଯାଇଥାଏ , ଆଉ ସେଇ ହାର୍ଡ଼ ବାଣ୍ଡରେ ଭାଉଜଙ୍କ ବ୍ରା କୁ ଘଷିଲି , ହଠାତ୍ ମୋ ନଜର ପଡିଲ ବ୍ରାର ପଟିରେ ଲେଖା ଥିଲା ୩୪ D ଏବେ ଜାଣୁଛି କି ତାଙ୍କର ସାଇଜ଼ ୩୪ D ଥିଲା | ସାରା ରାତି ମୁ ସେହି ବହି ସବୁ ଦେଖି ୩/୪ ଥର ମୁଠି ମାରିଲି | ଶଳା କେବେ ଭାଗ୍ୟରେ ଶିକା ଛିଣ୍ଡିବ ବହୁତ ସେଇ ଦୁଧ ସହ ମସ୍ତି କରିବି | ସେଇ ବଡ ବଡ ନିପପଲ୍ କୁ ବହୁତ୍ ଚୁଷୀବି | ମୋର ଭାଇ କେଡେ ଭାଗ୍ୟବାନ ଯେ ଏହିଭଳି ଆଇଟମ୍ ବମ୍ ଟିଏ ପାଇଛନ୍ତି | ଗେଁହିବାକୁ ସୁଯୋଗୋ ମିଳୁ ନ ମିଳୁ ହେଲେ ଦୁଧ ସହ ଖେଳିବାକୁ ସୁଯୋଗ ତ ମିଳୁ ସେତିକି ମୋ ପାଇଁ ଯଥେଷ୍ଟ | 

ଦିନେ ସୁଯୋଗ ମିଳିଲା ,ଭାଇଙ୍କର ରୁମ୍ ମୋ ରୁମ୍ ପାଖରେ, ଥରେ ରାତିରେ ପରିଶ୍ରା କରିବା ପାଇଁ ରାତିରେ ଉଠିଲି, ଯାଉ ଯାଉ ତାଙ୍କର ରୁମ୍ ରୁ ଭିନ୍ନ ପ୍ରକାରର ସ୍ବର ବାହାରୁଥାଏ, କାନ ଡେରିଲି, ଭାଉଜ ଉତ୍ତେଜିତ ହୋଇ ଭାଇଙ୍କୁ କିଛି କହୁଥିଲେ | ସେତେବେଳକୁ ମୋର ଦେହ ହାତ ସବୁ ଥରୁ ଥାଏ | ଶାହସ କରି ଭଲ କରି କାନ ଡେରିଲି, ଭାଉଜ କହୁଥଆନ୍ତି ଉଃ.. ଆଃ..ସେଇଠି  ହମମ୍ ଯୋରରେ ଆଃ... ଏହିସବୁ ଶୀତ୍କାର ସବୁ | ମୁ ହଠାତ୍ ବୁଝି ପରିଲିନି ଘଟଣା ଟା କଣ ? ମୁ ଭାବିଲି କଣ ଭିତରେ ସବୁ ଚାଲିଛି ଦେଖିବି ଯେମିତି ହେଲେବି | ତାଙ୍କ ରୂମ୍ ର ଝରକା ରେ ଟିକେ ଫାଙ୍କ  ଥିଲା  ତ ଚୁପ୍ କରି ଭିତରକୁ ଅନେଇଲି, ଭିତରେ ଯାହା ଦେଖିଲି ମୋର ହୋଶ୍ ଉଡିଗଲା ଭଳିଆ ଲାଗିଲା | ମୁଁ ବିଶ୍ଵାଶ କରିପରିଲିନି ସତ ଦେଖୁଚି ନା ସ୍ଵପ୍ନ !!!!!! ହଁ ସତ ଥିଲା, ଭାଉଜ ମୁଁହ ଉପରକୁ କରି ଶୋଇ ଥାନ୍ତି, ବ୍ଲାଉଜ୍ ବୋତମ ପୁରା ଖୋଲା ଥାଏ, ହେଲେ ଦେହରୁ ଅଲଗା ହୋଇନଥିଲା | ଦୁଧ ଦୁଇଟା ଦୁଇ ବାହୁ ଆଡକୁ ମେଲି କରି ପଡି ଥାଏ | ସେତିକି ଦେଖି ମୋରୋ ଶରୀର ପୁରା ଥରିବାକୁ ଲାଗିଲା, ନିଶ୍ଵାଶ  ଭାରୀ ଭାରୀ ଲାଗିଲା | ଚେଷ୍ଟା କଲି ଧିରେ ଧିରେ  ନିଶ୍ଵାଶ ନେବା ପାଇଁ | ପୁଣି ସାହସ କରି ଭିତରକୁ ଅନେଇଲି | ଏବେ ଭାଇ ତାଙ୍କର ମୁଣ୍ଡ ପାଖରେ ବସି ଥାନ୍ତି ଆଉ ସେଇ ଗୋରା ଗୋରା ଦୁଧ ସହ ଖେଳୁ ଥାଏ | ସତରେ କି ସୁନ୍ଦର ସେଇ ଦୁଧ ଭାଉଜଙ୍କର !!!!!! , ପୁରା ଗୋରା ଆଉ ଯେମିତି ଭାବରେ ଦୁଇ ଆଡକୁ ମେଲେଇକି ପଡିଥାଏ କେହିଭି ଦେଖିଲେ ଛାଡିବନି | ତାପରେ ଭାଇ ଦୁଧ ଦୁଇଟା କୁ ବହୁତ୍ ଚିପୁଥାନ୍ତି | ଭାଉଜଙ୍କ ଦୁଧରେ ନିପପଲ୍ ପାଖରେ ଛୋଟ ଛୋଟ ବିନ୍ଦୁ ବିନ୍ଦୁ ଅକାରର ଜିନିଷ ଗୁଡା ଦୁଧର ସୌନ୍ଦର୍ଯ୍ୟ କୁ ବଢଉଥାଏ | ବେଳେ ବେଳେ ଭାଇ ତାଙ୍କର ଦୁଧକୁ ଚୁଚୁମୁ ଥାନ୍ତି, ଭାଉଜ ଉତ୍ତେଜନାରେ ଭାଇଙ୍କୁ ତାଙ୍କ ବାହୁରେ ଚାପି ରଖୁଥାନ୍ତି | ମୁଁ ସେତେବେଳେ ଭାବୁ ଥାଏ ଶଳା କେତେ ମଜା ନେଉନଥିବେ ଦୁହେଁ !!!!!  ଦୁଖଃ !  ମୁଁ ଭାଇ ଜାଗାରେ ଥାନ୍ତି ! ଭାଉଜ କହୁଥାନ୍ତି କେତେ ଥର ଏଏଇ ଦୁଧ କୁ ପିଉଥିବ? କଣ ମିଳେ ସେଥିରୁ? ଭାଇ ଉତ୍ତର ଦେଲେ ଆରେ ଏଥିରେ ପରା ଅମୃତ ଅଛି ନ ପିଇଲେ ଅମୃତ କଉଠୁ ପାଇବି? ..ଭାଉଜ କହିଲେ ହଉ  ହଉ ବେସୀ ଆଉ ଗେଲ୍ହା  ହୁଅନି ହେଲା | ତାପରେ ଭାଇ ତାଙ୍କର ମୋଟା ବାଣ୍ଡ ଅଣିଲେ ଆଉ ଭାଉଜଙ୍କ ମୁଁହ ପାଖରେ ରଖିଲେ, ଭାଉଜ କହିଲେ ମୁଁହରେ ପୁରେଇବେନି ତଃ ଭାଇ ତାଙ୍କର ଦୁଇ ଦୁଧ କୁ ଯୋଡି ବାଣ୍ଡ ପୁରେଇଲେ ତା ମଝିରେ ଆଉ ଆଗ ପଛ କଲେ | ଭାଉଜ ସେଥିରେ ବିରକ୍ତି ହେଉଥଆନ୍ତି | ଏବେ ସେ ଭାଉଜଙ୍କ ଦେଖା ସାରା ଚୁମ୍ମା ଦେଇ ତାଙ୍କୁ ଉତ୍ତେଜିତ କରାଉଥାଆନ୍ତି | ଭାଇ ବହୁତ୍ ପ୍ରେମରେ କହିଲେ ଡାରଲିଂଗ୍ ଏଇ ଦୁଧ ଦୁଇଟା କେତେ ମଜ଼ା ଦେଉନାହାନ୍ତି ମୋତେ ! ଆହୁରି ମଜ଼ା ଦିଆନ୍ତେ ଯଦି ତୁମେ ନିଜେ ତମ ହାତରେ ମୋତେ ଖୁଆନ୍ତ! , ହେଲେ ସେ ମନା କଲେ, ବହୁତ ଜିଦ୍ କଲ ପରେ ଯାଇ ମାନିଲେ | ଏବେ ଏଇ ଦୃଶ୍ୟ ଆହୁରି ରୋମାଞ୍ଚକ ଥିଲା | 


ଭାଇ ତଳେ ଶୋଇଲେ ଆଉ ଭାଉଜ  କଷ୍ଟକରି ଉଠିଲେ ଆଉ ରାଣ୍ଡି  ମାଇକିନା ଭଳି ଭାଇଙ୍କ ଉପରକୁ ଚଢିଗଲେ ଶାଢୀ ପେଟ ତଳକୁ ଖୋଲା ନଥାଏ ଖାଲି ଛାତିରୁ ଖୋଲା ଥାଏ ଆଉ ବ୍ଲାଉଜ୍  ଭି  ହେଲେ ବ୍ଲାଉଜ୍  ଦେହରୁ ଅଲଗା ହେଇନଥାଏ | ଓହଃ କି ଦୃଶ୍ୟ !!!!! ଶଳା ସତେ ଯେମିତି ଲାଗୁଥାଏ ପାଗଳ  ହେଇଯିବି | ସେଇ ବଡ ବଡ ଦୁଧ ଦୁଇଟା ଏବେ ପୁରା  ଝୁଲି କରି ରହିଲେ | ସତେ ଯେମିତି ଅମୃତଭଣ୍ଡା ଗଛରେ ବଡ ବଡ ଅମୃତଭଣ୍ଡା ଫଲିଛି !! ଭୁଣ୍ଡି (ନିପପଲ୍) ଦୁଇଟା ଦୁଇ ଆଡକୁ ଗୋଜ଼ିଆ ହୋଇ ରହି ଥାଏ | ଏବେ ସେ ଭାଇଙ୍କୁ କହିଲେ ପାଟି ଆଁ କର, ସେ ଆଁ କଲେ ଏବେ ଭାଉଜ ତାଙ୍କର ଦୁଇ ହାତରେ ଦୁଧର ଭୁଣ୍ଡି କୁ ତାଙ୍କ ପାଟିରେ ପୁରେଇଲେ  ଭାଇ ସତେ ଯେମିତି ଛୋଟୋ ପିଲାଭଳି ପିଇବା ଆରମ୍ଭ କଲେ | ଭାଉଜ ଗୋଟେ ପରେ ଗୋଟେ ଦୁଧ ଦୁଇଟା ତାଙ୍କୁ ଖୁଆଇଲେ ହେଲେ ବେଶୀ ସମୟ ଜାଏଁ  ସେମିତି କରିପାରିଲେନି ଓଲ୍ହେଇ ଗଲେ ଓ କହିଲେ ଆଉ ପାରିବିନି , ଶଳା ରାଣ୍ଡି ମାଇକିନା ଭଳିଆ ଏବେ ଦୁଧ ପିଆଉଥିଲେ ଏତେ ଜଲଦି  ହାଲିଆ ହେଇଗଲେ ? ଏବେ କହିଲେ ନିଦ ଲାଗିଲାନି ଜଲଦୀ କାମ ଷ୍ଟାର୍ଟ୍  କର | ଏବେ ଅସଲି ଖେଳ ଆରମ୍ଭ ହେଲା | ଏବେ ଭାଇ ଉପରକୁ ଉଠିଲେ ଆଉ ତାଙ୍କର ଶାଢୀ ସାୟା ସହ ଉପରକୁ ଟେକି ଦେଲେ | ଓହଃ! ତାଙ୍କର ସେ ଗୋରା ଗୋରା ଜଂଘ, ଯିଏ ଭି ଦେଖିବ ପୁରା ପାଗଳ ହେଇଯିବ | ଭାଉଜ ଏବେ ସେଇ ଗୋରା ଗୋରା ଜଂଘ କୁ ମେଲିଲେ, ଭାଇ ମଝିରେ ବସିଲେ | ହେଲେ ଶଳା ଭାଗ୍ୟ  ଖରାପ୍ , ମୋତେ ତାଙ୍କର ବିଆ ଜମା ଦେଖା ଯାଉ ନଥିଲା | ଦୁରରୁ ଖାଲି କଳା କଳା ବାଳ ଦେଖା ଯାଉ ଥିଲା | ଭାଉଜ ଭାଇଙ୍କୁ ବିକଳ ହୋଇ ଅନେଇ ରହି ଥାନ୍ତି ଯେମିତି ବର୍ଷେ ହେବ ଗିହାଁ ଖାଇ ନାହାନ୍ତି | ଏବେ ଭାଇ ତାଙ୍କର ବାଣ୍ଡ ବାହର କଲେ ପୁର ଲୁହା ଛଡ ଭଳିଆ ଟାଣ ହୋଇଥାଏ ମୁ ଭାବୁଥାଏ ଶଳା ଏଡେ ବଡ ବାଣ୍ଡ ସେ ବିଆ ରେ ପଶିବ ତଃ ? ଏବେ ବାଣ୍ଡ କୁ ପଶେଇଲେ ସଟ୍ କରି ଗଲିଗଲା ହେଲେ ଭାଉଜ ଚିତ୍କାର କରିବା ଆରମ୍ଭ କଲେ  ଆଃ  ଉଃ  କାଟୁଛି ଉହଃ କାଢିନିଅ, ଆଃ କଣ ହେଇଯାଉଛି ଭିତରେ ମାଆଲୋ ..ଏମିତି | କୀ କଥା ଏଇନା ରାଣ୍ଡି ମାଇକିନା ଭଳିଆ ଗେହିଁ ବାକୁ କହୁଥିଲେ ଏବେ କହୁଛନ୍ତି କାଢିନିଆ ? ଭାଇ କହିଲେ କିଛି ହେବନି ରହ ବେ ଏତେ ଥର ଗେଂହିଲା ପରେ ଭି ଏମିତି ହେଉଛୁ ? ଚୁପ୍ କର୍ ଶାଳୀ !! ବେଶୀ ଦେଖେଇ ହନି ହେଲା | ଆଉ କିଛି ନଶୁଣି ପେଲିବା ଆରମ୍ଭ କଲେ ..କଚ୍ କଚ୍ କରି ସାଉଣ୍ଡ୍ ଅସୁଥାଏ |...ଏବେ ଦୁଇଜଣ ଚିତ୍କାର କରିବା ଆରମ୍ଭ କରିଦେଲେ | ମୁ ମନେ ମନେ ଭାବୁ ଥାଏ .ଶଳା ସତେ ଏମିତି ଗିହାଁ ଗେହିଁ ବେଳେ ଏମିତି ହୁଏ  ନା କଣ? କେବେ ଏମିତି ଡାଇରେକ୍ଟ୍ ଦେଖିନଥିଲି ତଃ | ତାହା ଦେଖି ମୋର ଦେହର ଟେମ୍ପ୍ରେଚାର୍ ବଢି ବଢି ଯାଉଥାଏ |ଲାଗୁଥାଏ ସତେ ଯେମିତି କାହାକୁ ଗୋଟେ ଅଜୀ ଗେଂହି ଦେବି | ତାପରେ ମୁ ଭଲ ଭାବେ କାନ ଡ଼େରିଲି କି କଣ କଣ ସେମାନେ କହି ଯାଉଥାନ୍ତି ସେତେ ବେଳେ | ସେମାନେ ଗିହାଁ ଗେହିଁ ବେଳେ ଖରାପ୍ ଭାଷା ନିଜ ନିଜକୁ କହିଚାଲିଥାନ୍ତି |  ଭାଇ କହୁଥାଏ ଶାଲି ବେଧେଇ ମାଇକିନା  ଘୋଡାଗେହିଁ ତୋ ବିଆ ରେ କେତେ ପାଣି ଅଛି ସବୁ ଆଜି କାଢିଦେବି ..ଓହଃ  ଆଃ ...ଆଜି ତୋ ବିଆ ମୁ ଫାଟେଇକୀ  ରହିବି | ଭାଉଜ କହୁଥାଏ  ଆଃ  ଓହଃ ମରିଗଲୀ ଆଃ ସେଇଠି ମୋର  କଣ ସବୁ ହେଇଯାଉଚୀ  ବୋଉଲୋ ..ମାଆଲୋ !!! ଭାଇ କହିଲା ଚୁପ୍ ଶାଳୀ ବେଶ୍ୟା ମାଇକିନା ବେଧେଇ ଚୁପ୍ ହୋ ଦେଖ୍ କେତେ ପାଣି ଆଜି ତୋ ବିଆ ରେ ଭର ଦେଉଛି!, ୫ ଟା ଛୁଆ ଆଜି  ତୋ ପେଟ ରେ କରି ଦେଉଛି | ଭାଉଜ ଏବେ ଗାଳି ଦେବ ଆରମ୍ଭ କଲେ : ତୋ ବାଣ୍ଡ କୁ କୁକୁର ଖାଉ ଭଉଣୀଗିହା ଓଃ ଆଃ ...ମାଦରଚୋଦ୍ ଦେ ଫାଟେଇଦେ ମୋ ବିଆକୁ ଯୋରରେ ଗେଂହ୍ ...ମୋତେ ଆଜି ରାଣ୍ଡି ବନେଇ ଦେ ..ହଁ ମୁ ବେଶ୍ୟା ମାଇକିନା ବେଶ୍ୟା ଭଳିଆ ଗେହଁ ମୋତେ ...| ଆହୁରି ବହୁତ୍ କିଛି, ଭାଉଜ ଦୁଇ ଗୋଡ ମଲେଇକି ଶୋଇ ଥାଏ ଆଉ ଭାଉ ତା ମଝିରେ ନିଜର ବାଣ୍ଡ ପୁରେଇ ନିର୍ଧୁମ୍ ଗେଂହୁଥା, ବେଳେ ବେଳେ ଖୁସିରେ ସେ ଭାଉଜଙ୍କୁ କୁଂଢେଇ ପକାଉଥାଏ, ଆଉ ବହୁତ୍ ଚୁମ୍ମା ଦେଉଥାଏ | ଭାଉଜ ସେତେବେଳେ ତାଙ୍କର ଦୁଇ ଗୋଡକୁ ଯୋଡି ଭାଇଙ୍କୁ ବାନ୍ଧି ପକାଉ ଥାଏ ଆଉ କୁଂଢେଇ ଧରୁଥାଏ |  ଏବେ ସ୍ପୀଡ଼ ଭାଇ ବଢେଇଲେ ତିବ୍ର ହେଲା ସ୍ପୀଡ଼ , ଦୁହିଁଙ୍କର ଚିତ୍କାର ରେ ରୂମ୍ ସାରା କମ୍ପି ଉଠୁଥାଏ | ଆଉ ଉତ୍ତେଜନା ରେ କଣ କଣ ସବୁ କହି ଯାଉଥଆନ୍ତି | କିଛି ସମୟ ଏମିତି ଚାଲିଲା ପରେ, ବୋଧେ ବାହାରିଗଲା ଦୁଇଜଣଙ୍କର | ଦୁହେଁ ଶାନ୍ତ ହୋଇଗଲେ | ଏବେ ଭାଇ ହାଲିଆ ହୋଇ ଭାଉଜଙ୍କ ଉପରେ ଶୋଇଗଲେ , ଭାଉଜ ତାଙ୍କୁ କୁଂଢେଇ ଧରିଲେ କିଛି ସମୟ | ତାପରେ ଭାଇ ଉଠିଲେ ଆଉ ଗୋଟେ କପଡା ଆଣି  ତାଙ୍କ ବାଣ୍ଡ ପୋଛିଲେ ଆଉ ଭାଉଜଙ୍କ ବିଆ ଭି ପୋଛିଲେ | ଭାଉଜ ସେମିତି ବିଆ ମେଲେଇକି, ଗୋଡୋ ଫାଡି, ମୁକୁଳା ଛାତି ରେ ସୋଇରହିଥଆନ୍ତି, ସତେ ଯେମିତି ରାଣ୍ଡି ମାଇକିନା ଭଳିଆ ଆଉଥରେ ପେଲା ଖାଇବା ପାଇଁ ରେଡି | ଦରକାର ଯଦି ମୋତେ ଡାକିଥାନ୍ତେ, ମୋର ଏଇ ୭ ଈନଚ ବାଣ୍ଡ ପୁରେଇ ଏମିତି ଗେହିଁ ଥାନ୍ତି ..ସାରା ଜୀବନ ମୋତେ ଡାକିଥାନ୍ତେ ଗେହିଁବା ଲାଗି | ଏବେ ଉଠିଲେ ଆଉ ବ୍ଲାଉଜ୍ ,ଶାଢୀ ପିନ୍ଧିଲେ ଆଉ ସୋଇ ଗଲେ | ଏହା ଥିଲା ମୋରୋ ଲୁଚିକାରୀ ଭାଇ ଭାଉଜଙ୍କ ସେକ୍ସ୍ ଦେଖା | ଭାଇ ଭଉଣୀ ମନେ ଏହା କେମିତି ଲାଗିଲା ପୋଷ୍ଟ୍ କରନ୍ତୁ ..ମୁ ଅହୁରି ନୁଆ ନୁଆ ମଜଦାର୍ କାହାଣୀ ସବୁ ପୋଷ୍ଟ୍ କରିବି |

ଭାଇ ଭଉଣୀ ମନେ ମୋର ନିଜର ଅଂଗ ଲିଭା ଷ୍ଟୋରୀ କେମିତି ଲାଗିଲା କମେଂଟ୍ ଦିଅନ୍ତୁ ଆହୁରି ମଜା ମଜା ସେକ୍ସ୍ ଷ୍ଟୋରୀ ସବୁ ପୋଷ୍ଟ୍ କରିବି | କିଛି "ପରାମର୍ଶ"ଭି ଦେଇପାରିବେ ଆପଣ ମାନେ ....ଆପଣମାନଂକ କୋମେଂଟ୍ ଅପେକ୍ଷା ରେ ରହିଲି..... 

Khudi nka Gandi Sandi Re Anguli Marili (ଖୁଡିଙ୍କ ଗାଣ୍ଡି ସନ୍ଧିରେ ଆଙ୍ଗୁଳି ମାରିଲି)

ଖୁଡିଙ୍କ ସାଙ୍ଗରେ ସବୁବେଳେ ମିଳାମିଶା କରିବା ଏତେ ସହଜ ନ ଥିଲା୤ ଦାଦା କାଳେ ସନ୍ଦେହ କରିବେ ବୋଲି ଖୁଡି ବି ଖୁବ୍ ଡରୁଥିଲେ୤ କେତେବେଳେ କେମିତି ଟିକିଏ ସୁଯୋଗ ମିଳିଲେ ମୁଁ ତାଙ୍କୁ କୁଣ୍ଢେଇ ପକୋଉଥିଲି୤ ତାଙ୍କ ଓଠରେ ଚୁମା ଦେଇ ଚୁଚୁମି  ପକୋଉଥିଲି୤ ଶାଢ଼ୀ ମିଶା ତାଙ୍କ ଦୁଧକୁ ମୁଠେଇ ଚିପି ଦଉଥିଲି୤ ଆଉ ତଳ ପଟରୁ ତାଙ୍କ ଶାଢ଼ୀ ଆଉ ସାୟା ତଳେ ହାତ ପୁରେଇ ବିଆରେ ହାତ ମାରି ଦେଉଥିଲି୤ ସିଏ ବି ମୋତେ ତାଙ୍କ ଛାତି ଉପରକୁ ଟାଣି ନେଇ ଚାପି ଧରୁଥିଲେ୤ ଟ୍ରାଉଜର ମିଶା ମୋ ବାଣ୍ଡକୁ ମୁଠେଇ ଧରି ଚାପା କଣ୍ଠରେ ମୋ କାନରେ କହୁଥିଲେ - ସତରେ ରାଜୁ, ତମେ ମତେ ଯାହା କଲଣି ନା, ମୁଁ ତମ ପାଇଁ ପାଗଳୀ ହୋଇଯିବି୤

ମୁଁ ଦିଇ ହାତରେ ତାଙ୍କ ଗାଣ୍ଡିକୁ ମୁଠେଇ ଆସ୍ତେ ଦଳି ପଚାରିଲି - ଖୁଡ଼ି, ଏହା ଭିତରେ ଦାଦାଙ୍କ ସାଙ୍ଗରେ ହେଇନି କି? ଖୁଡି ଲାଜେଇ ଯାଇ କହିଲେ - ହଁ, ଗଲା କାଲି ରାତିରେ ହେଇ ଥିଲୁ...ହେଲେ ତମ ସହିତ ହେଲା ପରେ, ତମେ କଲେ ଯୋଉ ମଜା ଆଉ ଆନନ୍ଦ, ତାଙ୍କ ପାଖରେ ସେ ମଜା ମିଳୁନି୤
ମୁଁ ତଳପଟୁ ଶାଢ଼ୀ ଭିତରେ ହାତ ପୁରେଇ ତାଙ୍କ ବିଆକୁ ସାଉଁଳି ସାଉଁଳି ବିଆ ଭିତରକୁ ଆଙ୍ଗୁଳି ପୁରେଇ ଦେଲି୤ ଖୁଡି ଚମକି ପଡିଲେ୤ ତାଙ୍କ ପାଟିରୁ ଅସ୍ପଷ୍ଟ ଶିତ୍କାର ଶୁଭିଲା : ...ଆଃ୤ ସେ ମୋ ମୁହଁକୁ ଚାହିଁ କହିଲେ - ରାଜୁ , ତମେ ଆଉ ସେଇଠି ହାତ ମାରନି...ମୁଁ ମୋଟେ ସମ୍ଭାଳି ପାରିବିନି...
ମୁଁ ମୁଚୁକି ହସି କହିଲି - ଖୁଡି, ସତରେ କ’ଣ ଏବେ ଆଉ କିଛି ସୁବିଧା ହବନି? ତମେ ମତେ ଆଉ କେତେ କଷ୍ଟ ଦବ୤
ଖୁଡି ମୋତେ ଚାହିଁ ଟିକେ ଚିନ୍ତା କଲେ୤ ସେତେ ବେଳକୁ ସନ୍ଧ୍ୟା ହୋଇ ଗଲାଣି୤ ମୁଁ କହିଲି - ଖୁଡି, ଚାଲୁନ ଟିକେ ବାଡି ପଛପଟକୁ ଯିବା୤
ଖୁଡି କହିଲେ - ଏବେ... ଆସି ଛଅଟା ବାଜିଲାଣି...
ମୁଁ କହିଲି - ହଁ...ମୋଟେ ୧୦ ମିନିଟ‌ର କାମ...
ଖୁଡି ଚମକି ପଡିଲେ୤ କହିଲେ - ଏ...ମାଆ, ଏଇ ଅନ୍ଧାରରେ...
ମୁଁ କହିଲି - ତମେ ମନା କରିନି ଖୁଡି୤ ମୁଁ ଯାଉଛି, ତୁମକୁ ସେହି ଭଙ୍ଗା ଗୁହାଳ ଘର ପାଖରେ ଅପେକ୍ଷା କରିଥିବି...
ଖୁଡି ହସି ଦେଇ କହିଲେ - ସତରେ କ’ଣ ତମେ ଭାରି ମନ କରିଚ୤
ମୁଁ ମୋ ଟ୍ରାଉଜରଟାକୁ ତଳକୁ ଖସେଇ ଦେଇ ଚଡି ତଳୁ ମୋ ବାଣ୍ଡକୁ କାଢ଼ି ତାଙ୍କୁ ଦେଖେଇ କହିଲି - ଦେଖୁନ...୤
ମୋ ବାଣ୍ଡ ସେତେବେଳକୁ ଶକ୍ତ ହୋଇ ଟିଙ୍ଗେଇ ଠିଆ ହୋଇଥିଲା୤ ଖୁଡି ଦେଖି ଦେଇ ଲାଜେଇ ଛେପ ଢ଼ୋକି କହିଲେ - ଏ ମାଆ... ତମର ଏଇଟା...୤ ହଉ, ତମେ ଆଗରେ ଯାଅ ...ମୁଁ ଆସୁଚି୤
ମୁଁ ଅନ୍ଧାରରେ ଯାଇ ବାଡି ପଛପାଖ ଭଙ୍ଗା ଗୁହାଳ ଘର ପାଖରେ ଅପେକ୍ଷା କଲି୤ ଭାରି ନିଛାଟିଆ ଯାଗା୤ ଚାରିଆଡେ ବହଳ ଅନ୍ଧାର୤ କିଛି ସମୟ ପରେ ଖୁଡି ପହଞ୍ଚିଲେ୤ ମୁଁ ତାଙ୍କୁ ଭିଡି ଧରିଲି୤
ଖୁଡି କହିଲେ - ରାଜୁ ଏଠି କ’ଣ ସୁବଧା ହବ୤ କେମିତି ହବା ଯେ ...
ମୁଁ କହିଲି - ତମେ ବ୍ୟସ୍ତ ହୁଅନି ଖୁଡି୤ ତମେ କାନ୍ଥରେ ଭରାଦେଇ ନଇଁ ପଡି ପିଚାକୁ ଟେକି ରଖ ... ମୁଁ ପଛ ପଟରୁ ପୁରେଇବି୤
ସେମିତି ବାଗରେ ଗେହିଁବା ବିଷୟରେ ଖୁଡିଙ୍କି ବୋଧେ ଜଣା ନଥିଲା୤ ସେ ମୋତେ ଆଶ୍ଚର୍ଯ୍ୟ ହୋଇ ଚାହିଁଲେ୤ ମୁଁ ମୋ ଟ୍ରାଉଜର ଖୋଲୁ ଖୋଲୁ କହିଲି - ଖୁଡି... ଶୀଘ୍ର...ତମେ ଡେରି କରନି୤
ଖୁଡି ଭଙ୍ଗା କାନ୍ଥରେ ଭରା ଦେଇ ହାମୁଡି ପଡିଲେ୤ ମୁଁ ପଛ ପଟରୁ ତାଙ୍କ ଶାଢ଼ୀକୁ ଟେକି ମୋ ବାଣ୍ଡକୁ ସାଉଁଳି, ପାଟିରୁ ପୁଳାଏ ଛେପ ଆଣି ବାଣ୍ଡ ଅଗରେ ବୋଳିଦେଲି୤ ଖୁଡିଙ୍କ ଗାଣ୍ଡି ସନ୍ଧିରେ ଆଙ୍ଗୁଳି ମାରିଲି, ତାଙ୍କ ଦୁଇ ଜଙ୍ଘକୁ ଅଳ୍ପ ମେଲାକରି ଧରିଲି୤
ମୁଁ ଯେମିତି ଉନ୍ମାଦନାରେ ଫାଟି ଯିବି୤ ଖୁଡିଙ୍କ ଗାଣ୍ଡି ତଳ ପଟେ ମୋ ବାଣ୍ଡକୁ ନେଇ ତାଙ୍କ ବିଆ ଫାଟକୁ ଅଣ୍ଡାଳି ବାଣ୍ଡ ଅଗକୁ ଲଗେଇ ମାଡି ଦେଲି୤ ଚାପି ହେଇ ବାଣ୍ଡର ଅଧା ଅଧି ଖୁଡିଙ୍କ ବିଆ ଭିତରକୁ ଗଳିଗଲା୤...ଆଃ... ଖୁଡିଙ୍କ ଅଣ୍ଟାକୁ ଦି ହାତରେ ଜାବୁଡିଧରି ଠେସ ମାରିଲି୤ ଏବେ ମୋର ଗୋଟାକ ଯାକ ବାଣ୍ଡ ଖୁଡିଙ୍କ ବିଆ ଭିତରେ ପଶିଗଲା୤ ଖୁଡି ଜୋର ଜୋର ନିଃଶ୍ବାସ ନେଇ କହିଲେ -  ରାଜୁ, ଭାରି ଭଲ ଲାଗୁଚି୤ ଜୋର ଜୋର କର...ମଜା ସମ୍ଭାଳି ହେଉନି୤
ମୁଁ ପିଚା ହଲେଇ ଜୋର ଜୋର ଠେସ ମାରି ଗେହିଁବା ଆରମ୍ଭ କଲି୤ ବାଣ୍ଡ ବେଶ୍ ଚପେଇ ହେଇ ଖୁଡିଙ୍କ ବିଆ ଭିତରେ ଥପ୍ ଥପ୍ ଶବ୍ଦ କରି ପଶୁଥିଲା୤ ପଛରୁ ଗେହିଁବାକୁ ଭାରି ମଜା ଲାଗୁଥିଲା୤ ଖୁଡିଙ୍କି ଗେହିଁବା ଭିତରେ ମୁଁ ତାଙ୍କର ମସ୍ତ ଗାଣ୍ଡିକି ଦଳୁଥିଲି୤ ଗାଣ୍ଡିକି ଦଳୁ ଦଳୁ ତାଙ୍କ ଗାଣ୍ଡି କଣାରେ ଆଙ୍ଗୁଳି ମାରିଦେଲି୤ ଖୁଡି ପଛକୁ ମୁହଁ ବୁଲେଇ ମୋତେ ଚାହିଁ ହସିଦେଲେ୤ ଏମିତି ଗେହିଁବା ତାଙ୍କୁ ଭଲ ଲାଗୁଥିଲା୤ ସିଏ ବି ମସ୍ତ ହେଇ ବେଳେବେଳେ ତାଙ୍କ ପିଚାକୁ ପଛକୁ ଠେଲି ଦଉଥିଲେ୤ ମୁଁ ହାତ ବଢ଼େଇ ବ୍ଲାଉଜ ମିଶା ତାଙ୍କ ଦୁଧ ଯୋଡାକୁ ଦଳି ପକେଇଲି୤ ଖୁଡି କହିଲେ - ଏଇ ରାଜୁ , ଆସ୍ତେ ଆସ୍ତେ ଦଳୁନ୤ ଏ ଯୋଡାକ କ’ଣ ଇଟା ନା ପଥର...ଭାରି କାଟୁଚି, ଆଃ...

ମୁଁ ମସ୍ତ ମଜାରେ ଖୁଡିଙ୍କୁ ପଛ ପାଖରୁ ଭିଡିଧରି ଗେହିଁ ଚାଲିଲି୤ ମୋ ମୂଷଳିଆ ବାଣ୍ଡର ନିର୍ଘାତ ମାଡରେ ଖୁଡିଙ୍କ ରସାଳ ବିଆରୁ ବିଆରସ ତାଙ୍କ ଜଙ୍ଘ ତଳକୁ ବୋହି ଆସିଲା୤ ସେ ଚାପା କଣ୍ଠରେ କହିଲେ - ରାଜୁ, ଜୋର ଜୋର କର...ଆହୁରି ଭିତରକୁ ଦାବି କରି କର...ଆଃ...ଉଃ ...ବୋଉଲୋ...କେତେ ଭଲ ଲାଗୁଚି୤ ମୋ ବିଆ ଭିତରଟା ଯେମିତି ଗରମ ହେଇଚି ନା...ଆଃ...
ମୁଁ ଖୁଡିଙ୍କ ପଛପାଖୁ ଭିଡିଧରି ତାଙ୍କ ପିଠିରେ ମୁହଁକୁ ଘଷି ପକେଇ ଚୁମା ଦେଲି୤ ମୁଁ ବି ଆଉ ସମ୍ଭାଳି ପାରୁ ନ ଥିଲି୤ ବାଣ୍ଡରୁ ଗରମ ବୀର୍ଯ ବାହାରିବା ପାଇଁ ମୋତେ ଅସମ୍ଭାଳ କରି ପକାଉଥିଲା୤  କୋଉ ମୁହୂର୍ତ୍ତରେ ଖୁଡିଙ୍କ ବିଆ ଭିତରକୁ ପିଚିକି ଯିବ ମୁଁ ଜାଣି ପାରୁ ନ ଥିଲି୤ ଖୁଡିଙ୍କ ବିଆରୁ ପ୍ରବଳ ଭାବରେ ଗରମ ବିଆରସ ବୋହି ଆସିଲା୤ ମୁଁ ଆଉ ସମ୍ଭାଳି ପାରିଲି ନାହିଁ୤ ଦୁଇ ଥର ଜୋରରେ ଠେସ ମାରି ଖୁଡିଙ୍କ ପିଚାକୁ ଜାବୁଡ ଧରି ମୋ ଉତାଳିଆ ଲମ୍ବା ବାଣ୍ଡକୁ ଖୁଡିଙ୍କ ବିଆ ଭିତରକୁ ମାଡି ଦେଲି୤
ପିଚକାରୀ ମାରିବା ଭଳି ମୋ ବାଣ୍ଡରୁ ବୀର୍ଯ ବାହାରିଗଲା୤ ଆଃ...ଓଃ...କି ସୁଖ ସତରେ...
ମୁଁ ଆସ୍ତେ କରି ବାଣ୍ଡକୁ ବିଆ ଭିତରୁ ବାହାର କରି ଆଣିଲି୤ ଖୁଡି ତର ତର ହୋଇ ତାଙ୍କ ସାୟାରେ ଜଙ୍ଘ ଆଉ ବିଆକୁ ପୋଛି ପକେଇ ଚାରି ପାଖକୁ ଚାହିଁଦେଇ କହିଲେ - ଇଲୋ ମୋ ବୋଉଲୋ...ଏ ଯାଗାଟା କେତେ ନିଛାଟିଆ ମଁ ...ମୁଁ ଯାଉଚି୤ ଆଜି ଭାରି ଭଲ ଲାଗିଲା୤ ଏମିତି ପଛ ପଟରୁ କରିବାରେ ଭାରି ମଜା...
ମୁଁ ହସିଦେଇ କହିଲି - ଖୁଡି.ଏମିତି ମଝିରେ ମଝିରେ ପୁତୁରାକୁ ଟିକିଏ ଦୟା କରୁଥିବ...
ଖୁଡି ମୁହଁରେ ହାତ ଚାପି ହସିଲେ୤ କହିଲେ - ଦୁଷ୍ଟ କୋଉଠି କା’ର...
ମୁଁ ପଚାରିଲି - ଖୁଡି, କିଛି ଅସୁବିଧା ହବନି ତ?
ଖୁଡି କହିଲେ - ଅସୁବିଧା? କି ଅସୁବିଧା୤
ମୁଁ କହିଲି - ଏଇ...ମାନେ, ଭିତରେ ଡିସଚାର୍ଯ କଲି୤ ତମ ପେଟରେ ରହି ଯିବନି ତ?
ସେ ଯିବାକୁ ବ୍ୟସ୍ତ ହେଉଥିଲେ୤ କହିଲେ - ରହିଲେ ରହିବ...ଅସୁବିଧା କ’ଣ୤ ତମ ଆଡୁ ତମର ଆଉ ଗୋଟାଏ ଭାଇ କି ଭଉଣୀ ଆସିବ୤
ମୁଁ ନିର୍ଲଜଙ୍କ ପରି ହସିବାକୁ ଚେଷ୍ଟାକଲି୤ ସେ ମୁରୁକି ହସା ଦେଇ କହିଲେ - ତମେ ଡରୁଚ କି? ବ୍ୟସ୍ତ ହେବାର କିଛିନାହିଁ... ସେମିତି କିଛି ହବନି...
ମୁଁ କହିଲି - ଖୁଡି, ତାହେଲେ ମତେ ଦବା ପାଇଁ ତମେ ଏତେ କୃପଣ କାହିଁକି ହଉଚ...
ଖୁଡି କହିଲେ - ଆରେ... ତମକୁ ଦବାକୁ ମୁଁ କୃପଣ କେତେବେଳେ ହେଲି...ତମକୁ ଦବାକୁ ତ ମୋର ସବୁବେଳେ ମନ... ସୁଯୋଗ ମିଳିଲେ ମୁଁ ତ ତମକୁ ଟିକିଏ ବି ପାଖରୁ ଛାଡନ୍ତି ନାହିଁ ...
ଖୁଡିଙ୍କ ଦୁଧକୁ ଦଳି ଦେଇ କହିଲି - ସତ କହୁଚ ଖୁଡି...
ଖୁଡି କହିଲେ - କାହିଁକି ତମର ବିଶ୍ବାସ ହଉନି...
ମୁଁ କହିଲି - ତମ କଥାରେ ମୋର ପୁରା ବିଶ୍ବାସ୤ ଏଇ...ଖୁଡି, ପୁଣି କେତେବେଳେ ଦବ...
ଖୁଡି ମୋତେ ପେଲି ଦେଇ କହିଲେ - ଯାଃ...ତମର ଖାଲି ସେଇ କଥାରେ ମନ୤
ମୁଁ କହିଲି - ପ୍ଲିଜ ଖୁଡି, କୁହ...
ଖୁଡି ହସିଦେଇ କହିଲେ - ହଉ, କାଲି ଏତିକି ବେଳକୁ ଦେଖିବା...
ମୁଁ କହିଲି - କୋଉଠି୤ ଏଇଠି ତ୤
ଖୁଡି ମୁଣ୍ଡ ଟୁଙ୍ଗାରିଲେ୤
ମୁଁ କହିଲି - ଓଃ...ଖୁଡି, ସତରେ ତମେ ଗ୍ରେଟ୍ ...

प्यासी भाभी और उसकी सहेली पूजा (Pyasi Bhabhi aur Uski Saheli Pooja)

मेरा नाम अमित है. मेरी कंप्यूटर सॉफ़्टवेर ओर हार्डवेयर का ऑफीस है गुजरात में. मैं और मेरे घर वाले बहुत ही सिम्पल हैं. इस लिए मेरा स्वभाव एक अच्छे लड़के की तरह है. पर क्या पता एक दिन मेरी ज़िंदगी ही बदलने वाली थी. वो ज़िंदगी एक भाभी ने और उसकी सहेली ने बदल दी. उस भाभी का नाम पुष्पा भाभी था. मैंने कभी उसे नहीं देखा था पर पुष्पा भाभी सब कुछ मेरे बारे में जानती थी.

एक दिन मेरे ऑफीस मे उसका फोन आया और कहने लगी यू आर अमित, मैंने कहा यस हां बोलिए क्या काम है? उसने कहा के मेरे घर का कंप्यूटर खराब हो गया है, पहले मैंने भाभी से कहा कि मेरा नंबर कैसे मिला तुम्हें, तब भाभी ने कहा कभी कभार मैं तुम्हारे ऑफीस के रास्ते से जाती हूं, तब तुम्हारे ऑफीस का नंबर मुझे तुम्हारे ऑफीस के बोर्ड पर से मिला, और मैंने कॉन्टेक्ट किया तुमसे, मैंने कहा अच्छा कल मैं आ जाता हूं, भाभी बोली नहीं अभी आना होगा, मैंने कहा जी अभी नहीं अभी रात के ८.०० बजे है तो मैं कल आ जाऊंगा. और कहने लगी के मुझे आज कंप्यूटर में कुछ ज़रूरी काम है. इस लिए तुम्हें अभी ही आना होगा..
मैंने कहा जी अभी नहीं अभी रात के ८.०० बजे है तो मैं कल आ जाऊगा, पर वो भाभी नहीं मानी, कहने लगी के मुझे आज कंप्यूटर में कुछ ज़रूरी काम है. फिर मुझे भी उस की बात माननी पड़ी. और कहा ओके एड्रेस बताओ, फिर उसने अपना पता बताया तो वो ठीक मेरी बिल्डिंग के पास वाली बिल्डिंग थी.
मैं वो पते पर गया फिर मैने कंप्यूटर को देखा तो उसका पीछे का वायर लूज था. फिर मैंने उसे ठीक कर दिया. वो कंप्यूटर चालू हो गया. बाद में मैंने कहा अब मैं चलता हूं मुझे घर जाना है. काफ़ी देर हो गयी है. पर भाभी ने मुझे कहा कि अब घर नहीं जाओ. यहां आज सो जाओ, और मैं भी अकेली हूं तो आज मुझे सोने में अच्छा लगे, तब मैंने न कह दिया कि नहीं मैं यहां नहीं सोऊंगा, पर उसने मुझसे ज़्यादा रिक्वेस्ट किया और कहने लगी कि मेरे पति १५ दिन के लिए आउट ऑफ स्टेट गये हैं, और मुझे भी अकेला महसूस न हो, और मुझे सोने के लिए बहुत मनाया, फिर मैंने कहा नहीं मेरे घर वाले भी मेरा इंतजार करते होंगे, बाद में भाभी कहने लगी कि तुम घर पर फोन कर के कह दो कि आज ऑफीस में काम होने के कारण मैं आज नहीं आ पाउंगा. और मैंने घर पर फोन कर दिया. और बाद में मैंने भाभी से कहा अरे मेरे पास तो नाइट ड्रेस भी नहीं है और भाभी उसके रूम में जाके पयज़ामा ले के आई और कहने लगी कि यह पहन लो.
मैं बाथरूम में जाके फ्रेश होके पयज़ामा पहन के बाहर आया. बाद में मैं कहने लगा कि कंप्यूटर चालू है उसे बंद कर दो अब इतनी देर क्यों चालू रखा है, भाभी कहने लगी कि मुझे उस पर अभी काम है. मैंने कहा कि क्या काम है, उसने कहा कि मैं रोज़ रात को ब्लू फिल्म देखती हूं और भाभी मुझे से कहने लगी कि क्या तुम्हें पसंद है ब्लू फिल्म. मैंने कहा नहीं मुझे बिल्कुल नहीं पसंद है ब्लू फिल्म. मैं नींद का बहाना कर के कहा मुझे नींद आने लगी है मुझे सोना है. तुम देखो. भाभी मुझे सोने का बेड दिखाया और कहा यहां सो जाओ और मैं बेड पर लेट गया.
बाद में ज़रा उठ कर देखा कि आख़िर भाभी क्या कर रही है तो, सच में भाभी एक एडल्ट ब्लू सेक्सी फिल्म देख रही थी. मुझे उसमें इंटरेस्ट नहीं था इस लिए मैं वापस बेड पर आके लेट गया. थोड़े टाइम के बाद मैं देखा के मेरे पयज़ामा पर कुछ कोई मेरे लंड को सहला रहा है.
मैंने आंखे खोल कर देखा तो भाभी मेरे पास आकर सोई हुई थी. मैं घबरा गया. मैं सोने की एक्टिंग कर रहा था. तब थोड़ी देर देखता रहा तो वो और भी जोश में आके मेरा लंड को ज़ोर ज़ोर से सहलाने लगी. थोड़ी देर बाद वो धीरे धीरे मेरे पयज़ामे में हाथ डालने लगी. जैसे मैंने उठने की कोशिश की और मैं भाभी को कहने लगा कि यह क्या कर रही हो?
तो भाभी कहने लगी कि मुझे बहुत सेक्स चढ़ गया है, मुझे तुमसे चुदवाना है, मैंने कहा नहीं मैं यह काम नहीं करूंगा, मैंने किसी को यह न करने का वादा किया है, उस पर भाभी कहने लगी ओके मुझे मत चोदना पर मुझसे खेल तो सकते हो.
तब भी मैं कहा प्लीज़ मुझे यह सब भी पसंद नहीं है, तब भाभी थोड़ा गुस्सा कर के कहा अगर यह भी मुझसे नहीं किया तो मैं पूरे बल्डिंग वाले को जगा दूँगी कि तुम मेरे घर जबरजस्ती आए हो, और मुझे परेशान करते हो, तब मैं और घबरा गया. पर भाभी सेक्सी फिल्म देख कर बहुत ही गरम हो गयी थी. इसलिए वो नहीं मान रही थी.
मैंने भाभी को कहा कि अगर तुमने मुझे अब छुआ तो मैं यंहा से चले जाऊंगा. बाद में भाभी भी कहने लगी के ओके तब मैंने कहा ओके सिर्फ़ तुम मेरे साथ खेल सकती हो पर मैं तुम्हें नहीं चोद सकता. उसने कहा ठीक है. भाभी अपने कपड़े पूरी तरह से निकाल दिया और मेरा वाइट टी – शर्ट उतार लिया.
वो मुझसे कहने लगी कि अब मेरे ये बूब्स के निप्पल को थोड़ा अपने हाथ के उंगली से मसल और मैं मचलने लगा. और बाद मेँ कहा अपना मुँह ज़रा मेरे मुँह के पास लाओ, जब मैं मेरा मुँह उसके करीब ले गया तो उसने अपने हाथ से मेरा सर पकड़के उसका मुँह मेरे मुँह से किस करने लगा, और वो ज़ोर ज़ोर से स्मूच करने लगी, मैंने कहा अब बस करो मेरा दम घुट रहा है, तब वो और भी जोश में आके उसने करीबन १८-२० मिनिट तक स्मूच किया.
तब भाभी अपने हाथ से मेरा हाथ लेके वो अपने बूब्स पर रख दिया और कहने लगी कि अब तुम अपने हाथ से मेरे बूब्स और उसके निप्पल को थोड़ा दबाओ और फिर वो अपने हाथो से मेरे पयज़ामे में धीरे धीरे हाथ डाल दिया और फिर थोड़ा मेरे लंड को हिलाने लगी, और कहने लगी कि यह क्या तुम्हारा लंड कितना छोटा है, पर मैं सच यह कभी नहीं किया था इसलिए मैं घबरा रहा था इसलिए मेरा लंड खड़ा नहीं हो रहा था पर भाभी ने कहा अच्छा इसे मैं अभी ठीक कर देती हूं, फिर वो मेरा पाएजामा उतार लिया, और ज़ोर ज़ोर से दबाने लगी फिर भाभी मुझसे कहने लगी कि तुम अब मेरे चुचियां को मुँह में लो और एक हाथ से मेरे चुत के ऊपर तुम्हारी उंगली फिराओ!
और बस थोड़ी उंगली फिराने के बाद वो और भी गरम हो गयी, और वो फिर मुझे बिस्तर पर लेटा दिया और वो कहने लगी कि थोड़ा तुम करो अभी मैंने कहा नहीं मैंने किसी को वादा किया है तुम्हें तो मैंने बताया है, मैं नहीं करूँगा तुम्हें
और भाभी सोचने लगी कि अब क्या करूं, फिर वो अचानक मेरे सर पर अपनी चुत रगड़ने लगी, और कहा अब मैं अपना हवश ऐसे ही पूरा करूँगी, बस फिर वो ज़ोर ज़ोर से मेरे मुँह को रगड़ रही थी और मैंने कहा इसमें से तो पानी आ रहा है, भाभी ने कहा यह मेरे चुत का पानी है, तब मेरा मूह पूरा उसके चुत के पानी से भर गया था!
फिर भाभी ने मेरे लंड को चूसने लगी और कहे रही थी कि तुम मेरे चूत को ज़ोर ज़ोर से चूसो नहीं तो मैं तुम्हारे लंड को खा जाउंगी. फिर मैं मजबूर हो के थोड़ा थोड़ा चूसता रहा और भाभी मेरा लंड ज़ोर ज़ोर से मुँह में हिला रही थी और क्या पता मेरे लंड में एक गर्मी महसूस हुई और मेरे लंड से गरम पानी निकला और पुष्पा भाभी हँसने लगी और कहने लगी कि तुम्हारा इतना गाढ़ा पानी और फिर मैंने कहा कि अब मुझे नींद आ रही है मैं सो जाता हूं. पर भाभी मेरे ऊपर पूरे रात तक पड़ी रही और मुझे किस देने लगी.
यह होने के बाद ८ दिन के बाद फिर भाभी का फोन आया और कहा कि मुझे आज फिर वही करना है, मैने इस बार न कह दिया पर वो मुझसे कहने लगी कि अगर तुम आज रात नहीं आए तो, मैं यह सब से और मेरे पति से कह दूँगी और फिर मुझे उसकी बात माननी पड़ी. ९.०० बजे मैं उसके घर गया, वहां जाके देखा तो उसके साथ और एक उसकी सहेली थी, मैने भाभी से कहा यह कौन है?

भाभी कहने लगी कि यह मेरी सहेली पूजा है, और उस दिन की सारी बातें मैंने पूजा को बताई तो वो अब मुझसे ज़िद करने लगी और कहने लगी कि अब फिर से अमित को बुला और हम साथ में ही ऐसा करेंगे और मै पुष्पा भाभी को कहने लगा कि यह सारी बातें तुम अपनी सहेली पूजा को नहीं बताना चाहिए था. और फिर दोनो कहने लगे जाने दो अब क्या अब यह सब बात भूल जाओ, और पूरी रात एंजाय (मज़े) करते हैं. पर मैंने कहा पर हां मैं सिर्फ और सिर्फ और हस्त मैथुन और मुख मैथुन करूँगा. तब दोनो ने कह दिया कोई बात नहीं यही करेंगे. फिर दोनो अपने अपने कपड़े निकाल दिये, और मुझे भी नंगा कर के वो कहने लगे कि नहीं अमित आज तो हम तुझसे चुदवायेंगे ही, उसके बिना तुझे आज नहीं जाने देंगे. मैंने कहा यह ग़लत बात है मैने किसी को वादा किया है और तुम्हें तो यह मैंने हर बार कहा है, और मुझे यह सब पसंद भी नहीं है पर वो लोग पूरी तैयारी किये रखी थी.
पूजा ने मुझे एक गोली दी और खा इसे पिलो मैंने कहा यह क्या है, कहने लगी कि यह विएग्रा की गोली है इससे सब लोगो को मज़ा आयेगा. फिर मुझे वो गोली खिला दी , फिर भाभी ने मुझे बिस्तर पर लिटा के कहा कि अमित मैं तुमसे चूदवाना चाहती हूं, उस दिन मैं प्यासी की प्यासी रह गयी पर आज मैं तुम्हें नहीं छोड़ने वाली. फिर पूजा ने मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर चूसने लगी और भाभी को कहा अब तुम अमित के मुँह पर अपनी चूत रख दो और फिर भाभी ने ज़ोर ज़ोर से अपनी चूत घिसने लगी फिर अपने बूब्स को मेरे हाथ में दे दिये और कहा इसे ज़ोर ज़ोर से दबाओ.
और मैं मजबूरी के कारण मैं सब करने लगा, और पूजा ने तो मेरा लॅंड खड़ा होते ही मुझे ज़ोर से काट लिया, और कहने लगी अब मैं अमित के लंड को मेरा मज़ा चखाऊंगी. फिर वो उसकी चूत में मेरा लंड डालने लगी, तब मेरा थोड़ा लूज था और नहीं जा रहा था, तब फिर से वो मेरे लंड को मुँह मेँ लिया और ज़ोर ज़ोर से चूसने, और हिलाने लगी ओर कह रही थी, कम ओन, कम ओन, फिर थोड़ी देर के बाद थोड़ा खड़ा हो गया तब चूत में लंड डालने लगी और थोड़ा गया और कहने लगी अब जा रहा है अमित का लंड.
और फिर उसने मेरे ऊपर पूरा का पूरा मेरा लंड उसकी चूत में डाल दिया. फिर पूजा ने मुझ पर ज़ोर ज़ोर से ऊपर नीचे करने लगी और अचानक भाभी कहने लगी अब मुझे करने दे तब पूजा नीचे उतर गयी और भाभी ने मेरा लंड अपनी चूत में धकेल दिया और कहने लगी कि वाह क्या लंड है, और वाकई में मैं महसूस करता था कि उसकी चूत वाकई में भाभी की चूत बहुत ही गरम थी. और ज़ोर ज़ोर से अंदर बाहर करने लगी और मेरे गोटे को दर्द होने लगा क्योंकि भाभी की गांड बहुत भारी थी और पूजा मुझे उसके बूब्स चुसवाने लगी और बाद में भाभी लगभग २० मिनट तक मेरे लंड से खेली.
उसके बाद फिर से पूजा की बारी आयी, और वो तब बहुत गरम हो गई थी मुझ पे चढ़ी और बस तब मेरा लंड जवाब देने लगा था और आख़िर वो ४ या ५ शॉट उछालने के बाद मेरा पानी छूट गया, तब वो मुझसे चिढ़ गयी और कहने लगी कि यह क्या मुझे तो मज़ा भी नहीं आया, और मुझे गाली देने लगी.
तब भाभी बोली कोई बात नहीं अब थोड़े टाइम के बाद फिर से करते हैं, क्या पता गोली का असर इतनी जल्दी उतर गया कैसे? पूजा बोली कि गोली का असर शायद अब हो तो , तब भाभी ने कहा तब मज़ा ले लेना. मैं ने कहा नहीं अभी नहीं प्लीज़ मुझे जाने दो पर वो नहीं मानी कि नहीं अभी रात भर हम तुझे परेशान करेंगे
फिर मैंने कहा मुझे पेशाब करनी है तब पूजा ने कहा हां मुझे भी लगी है चल साथ में करते हैं, हम दोनो साथ गये पेशाब करने , पहले मैंने पेशाब किया बाद में पूजा पेशाब करने लगी तब मैं थोड़ा दूर हो गया था, तब कहा अमित ज़रा इधर आना मैं पूजा के पास गया तो उसने मेरा सर पकड़ कर उस पर पेशाब करने लगी.
मैंने कहा यह क्या कर रही हो, उसने बोला मुझे ऐसा करने में मज़ा आता है, फिर वो जबर जस्ती मुझे अपनी पेशाब चटवाई, और कहा अमित क्या तुम्हें और पेशाब लगी है, मैंने कहा नहीं मैंने अभी तुम्हारे सामने की है, वो बोली नहीं देखो मैं क्या करती हूं तुम पेशाब करने का ज़ोर करो मैं तुम्हारा लंड चूसती हूं कभी आ जाए तो, मैंने ज़ोर लगाया और उसने इतनी ज़ोर से मेरे लंड को चूसा कि मेरे लंड में से थोड़ा पेशाब आ गया और कहने लगी कि वाह क्या पेशाब पीने का मज़ा आया, और फिर मैं अपने लंड को धोके बाहर आ गया
भाभी ने और पूजा ने मेरे को फिर से बेड पर लेटा दिया. और एक तरफ भाभी और एक तरफ पूजा थी और भाभी ने कहा अमित आज हम लोग चाह रहे है कि तेरा रेप कर दें, पर तू इतना अच्छा है कि हम को यह नहीं करना चाहिए, और फिर वो दोनो मुझसे किस करने लगे और पूजा मेरा लंड चूसने लगी, और भाभी ने थोड़ा और ऊपर आके उसके बूब्स को चुसवाने लगी, और पूरा का पूरा वजन मुझ पर डाल दिया, यह काम भाभी का चालू था और ,पूजा पूरी गरम हो कि वो फिर से मेरे लंड पर चढ़ बैठी और ज़ोर ज़ोर से मेरे लंड और पूरे शरीर को हिलाने लगी , और उसने लग भग ३५ मिनट तक करती रही और वो भाभी को कहने लगी कि मेरी चूत ४ बार पानी छोड़ दिया है!
मैंने कहा अरे अब बस करो मेरा लंड दर्द कर रहा है, पर वो लोग इतने जोश में आ गये थे कि मेरी बात नहीं सुन रहे थे, तब फिर भाभी ने कहा मुझे करने दो, पर पूजा नहीं मान रही थी और कहने लगी नहीं जब तक अमित दूसरी बार पानी नहीं छोड़ेगा, तब तक मैं करती रहूंगी, और वो पूरी होश के बाहर चली गयी थी.
और आख़िर थोड़ी देर बाद वो मेरे लंड को बाहर निकाला और फिर चूसने लगी और कहने लगी अमित अपना लंड को मत बैठाओ मुझे मज़े लेने दो, फिर ज़ोर ज़ोर से लंड को खड़ा किया और फिर अपनी चूत में डाल दिया जब वो मेरा लंड अंदर डाला तो मेरे लंड को दर्द देने लगा अरे पूजा मेरे लंड को निकाल दो, मुझे बहुत दर्द हो रहा है, पर पूजा ने यह भी बात नहीं मानी और ज़ोर ज़ोर से मज़े लेने लगी, और काफ़ी देर बाद मेरा लंड पानी छोड़ दिया पूजा की चूत में, मैं और पूजा थोड़ी देर तब एक दूसरे को लिपट कर पड़े रहे, मेरे तो होश ही उड़ गये थे तब, मुझे तब नींद आ गयी थी।
फिर थोड़ी देर के बाद दोनो को और करने की इच्छा हुई , तब उन दोनो सोचा कि अब अमित अपने को नहीं करने देगा और मैं तब सो गया था, जब मेरी नींद खूली तब वो लोग मेरे हाथ और पाव बाँध दिये थे , और फिर वो लोग कहने लगे अमित एक बार और हमें करना है, और इस टाइम हम अपनी गांड मरवाना चाहते है, मैंने उनको रिक्वेस्ट किया कि नहीं प्लीज़ अभी नहीं मेरा लंड बहुत दर्द कर रहा है, और तुम्हारी गांड तो कितनी बड़ी है उसे मैं नहीं झेल सकता.
पर पूजा कहने लगी नहीं, हमको तुझे करना ही होगा नहीं तो हम जबर जस्ती में आ जाएगे, मैंने कहा मेरे हाथ पाँव तो खोल दो, पर कहने लगे कि इस टाइम हम गांड वाले है, इसलिए तुझे दर्द कुछ ज़्यादा ही होगा, और हमें भी दर्द होगा इसलिए तुम नहीं करने देगा हमें , इसलिए तुझे बाँधे हुए है, और उसने कहा अब तुम चिंता मत करो थोड़ा मेरे पास जेली क्रीम है वो लगा के करेंगे तब कुछ नहीं होगा.
फिर से दोनो जन मुझ पर सवार हो गये, और पूजा ने कहा पुष्पा भाभी पहले तुम चालू हो जाओ, बाद में मैं करूँगी, और बाद में मेरे लंड के ऊपर क्रीम डाली और मेरे लंड को ऐसा झटका लगा कि मेरी हवा ही निकल गयी, क्योंकि वो क्रीम में एल्कोहल होता है इसे पहले थोड़ा दर्द हुआ मेरे लंड को, फिर पूजा ने पुष्पा भाभी की गांड में क्रीम लगाया, और करने की पोजिशन में आ गई, पर लंड अंदर नहीं जा रहा है.
तब पुष्पा भाभी ने कहा पूजा लंड अंदर नहीं जा रहा है, तब पूजा ने मेरा लंड पकड़ा और भाभी की गांड में डाला तब भी बहुत टाइट जा रहा था, तब पूजा ने भाभी की गांड को अपनी उंगली से थोड़ा अंदर बाहर करने लगी, फिर दो उंगली डाली फिर तीन उंगली डाली तब देखा कि पुष्पा भाभी की गांड का छेद थोड़ा खुल गया था. तब फिर मेरा लंड लेकर पुष्पा भाभी की गांड में डाला तब मेरा लंड बस २ इंच ही जा रहा था, और मैं चिल्ला रहा था- भाभी बस अब बस, तब पूजा ने मेरे मुँह पर उसका मुँह रख दिया और उसकी साँस मेरे मुँह के अंदर आ रही थी और मेरी आवाज़ कम सुनाई देने लगी, पर उसे तो और जोश आ रहा था, वो और भी ज़ोर ज़ोर से मुझसे अपनी गांड मरवाने लगी, और मेरे होश उड़ने लगे थे, फिर भाभी थोड़ी देर बाद थकने लगी, तब पूजा बोली अरे पुष्पा तुझमें तो कुछ दम ही नहीं है, हट अभी मुझे गांड मरवाने दे, भाभी थक गयी थी इस लिए वो हट गयी.
फिर पूजा ने कहा अब पुष्पा तू लेट जा पुष्पा लेट गयी, फिर उसके ऊपर मुझे लेटाया, मैं पुष्पा के ऊपर था. फिर मेरे ऊपर पूजा चढ़ गयी और मेरा लंड पकड़ कर अपनी गांड में डालने लगी पर पूजा ने क्रीम नहीं लगाई थी, इसलिए फिर उतर कर क्रीम लेके अपनी गांड में लगाई, फिर चढ़ी और मेरे लंड को अपने हाथ से अपनी गांड में डालने लगी पर नहीं जा रहा था
मैंने कहा- नहीं जा रहा है तो अब उतर जाओ बस हो गया, तब पूजा ने कहा यह मैं करके रहूंगी, तब पूजा ने कहा पुष्पा नीचे से हाथ डाल और अमित का लंड मेरी गांड में डाल, तब पुष्पा ने नीचे से हाथ डाल कर मेरे लंड को पकड़ के पूजा की गांड में डालना चाहा पर टाइट हो रहा है, तब पूजा ने कहा अमित के लंड को मेरे गांड के होल के सामने कर मैं ज़ोर से झटका देती हूं, और जब पूजा ने ऐसा झटका दिया कि पूरा लंड पूजा की गांड में चला गया
बाद में कहने लगी अमित अब तू तो गया, मैं तो इसकी बात सुन कर घबरा गया, मैंने कहा पूजा ऐसा मत करो मैंने मेरा लंड छिल जाएगा, पर वो कहा अमित हम दोनो को तेरा यह लंड अच्छा लगा है इसलिए इसको हम इतनी आसानी के साथ कैसे छोड़ सकते है,
फिर पुष्पा भाभी नीचे से मेरी गांड के होल में अपनी उंगली डाल रही थी उसने मेरी गांड में उसकी बीच की उंगली पूरी की पूरी डाल दी, फिर पूजा भी गांड मरवाते मरवाते थक गयी, फिर उसने नेप्किन पेपर लिया और मेरे लंड को साफ किया, फिर उसने मुँह से में मेरे सुपारे को चाटने लगी और नीचे से पुष्पा भी ऊपर आ गयी, और मुझे लिटा के पुष्पा ने मेरे सर पर उसकी चूत रख दी और ज़ोर ज़ोर से मेरे मुँह से रगड़ने लगी, और कहने लगी इसको चूसो अमित, और पुष्पा की चूत का पानी मेरे मुँह और गाल से भर गया.
मैंने कहा पुष्पा तुम्हारे चूत का पानी बहुत ही बाहर आ रहा है, पर उसने बोला कि बस थोड़ी देर और मैं झड़ने वाली हूं, फिर मेरे हाथ की उंगली को लेके पुष्पा अपनी गांड में डालने लगी और नीचे मेरे लंड चूसने का पूजा मज़ा ले रही थी, वो थूक लगा के मेरे लंड को चूस रही थी, और बस अचानक मेरे लंड का पानी पूजा के मूह में छूट गया, और मैं ठंडा पड़ने लगा पर पुष्पा अभी तक नहीं झड़ी थी, और मेरे ३ मिनट के बाद वो झड़ गयी और मेरा मुँह को पूरा भर दिया था
फिर मैंने कहा बस अब नहीं, पर वो लोग कहा अब तुम्हें इसी तरह कभी कभार आना पड़ेगा, मैंने न कह दिया अब अपना सेक्स इतने ही तक है पर वो दोनो नहीं माने कहने लगे कि अगर हम बुलाए और तुम नहीं आए तो, तुम्हारे और हमारे बीच जो हुआ है वो सब को बता देंगे, मैंने कहा यह तो ब्लॅक मैल है, तब पूजा ने कहा यह ब्लॅक मैल नहीं यह तो हमारी चूत का नशा हे तुम्हारे कुंवारे लंड का मज़ा लेने के लिए और वो दोनो हँसने लगी और इस तरह जब दोनो मुझे बुलाती है तब मुझे जाना पड़ता है और भाभी और पूजा अपनी मज़े लेने लगती है। तो मेरे इंडिया के भाभी और आंटी तुम्हारी क्या राय है मुझे कैसे इनसे छुड़ा सकते है.

Writer: Amit
Publisher: Bhauja.com

भाभी के साथ एक रात

ये मेरी पहली कहानी है। लेकिन रियल में जो के १ साल पहले मेरे साथ हुई थी। मैं इसमे कुछ गंदी भाषा का प्रयोग भी कर रहा हूं लेकिन सिर्फ़ रोचक बनाने के लिये। ये सिर्फ़ मुझे और मेरी भाभी को ही पता है। और अब आप को। मेरे भैया की शादी २ साल पहले ही हुई है। भाभी का नाम अर्चना जैन है। भाभी बहुत ही सेक्सी ,गोरी, स्लिम है। उनका फ़ीगर वेल मेन्टेन है। भैया एक एम् एन सी में बोम्बे में सी ऐ हैं। वो कभी कभी आते है। भाभी को देख २ कर मैं तो जैसे पागल हुआ जा रहा था। किसी न किसी तरह भाभी को छूने की कोशिश करता रहता था। वो जब मेरे कमरे में झाडू लगाने आती तो जैसे ही झुकती तो मेरा ध्यान सीधे उनके ब्लाउज़ के अंदर चला जाता। क्या गजब बूब्स हैं उनके जी करता कि पकड़ कर मसल दूं। पर मैं तो सिर्फ़ उन्हे देख ही सकता था। भाभी और मुझ में बहुत ही अच्छी जमती थी। हम हंसी मजाक भी कर लेते थे। पर कभी भी घर में अकेले नहीं होते थे कोई न कोई रहता था। मैं सोचता था कि काश एक दिन मैं और भाभी अकेले रहे तो शायद कुछ बात बने।


सर्दी का मौसम था घर के सभी मेम्बर्स को एक रिश्तेदार कि शादी में चेन्नई जाना था। भैया तो रहते नहीं थे। मम्मी पापा, मैं और भाभी ही थे। पापा ने कहा कि शादी में कौन कौन जा रहा है। मैने कहा मेरे तो एक्ज़ाम्स आ रहे है। मैं तो नहीं जा पाउंगा। मुम्मी बोली के चलो ठीक है इसके मरजी नहीं है तो ये यहीं रहेगा पर इसके खाने का प्रोब्लम रहेगा। इतने में मैं बोला कि भाभी और मैं यहीं रह जायेंगे आप दोनो चले जायें।
सबको मेरा आइडिआ सही लगा। अगले दिन मम्मी पापा को मैं ट्रैन में बिठा आया। अब मैं और भाभी ही घर में थे। भाभी ने आज गुलाबी साड़ी और ब्लाज़ पहन रखा था ब्लाउज़ में से बरा जो के स्रीम कलर की थे साफ़ दिख रही थी। मैं तो कंट्रोल ही नहीं कर पा रहा था। पर भाभी को कहता भी तो क्या। भाभी बोली थन्क यू देवेर जी। मैने कहा किस बात का। भाभी बोली मेरा भी जाने का मूड नहीं था। अगर आपकि पढ़ायी डिस्टर्ब न हो तो आज मोवी चले। मैने कहा चलो। पर कोई अच्छी मोवी तो लग ही नहीं रही है सिर्फ़ मर्डर ही लगी हुई है। भाभी बोली वो ही चलते हैं। मैं चोंक गया। भाभी ड्रेस चेंज करने चली गयी। वापस आयी तो उन्होने डीप कट ब्लाउज़ पहना था उनके ब्रा और बूब्स के दर्शन हो रहे थे। मैने कहा भाभी अच्छी दिख रही हो भाभी बोली थैंक्स । हम सिनेमा हाल गये हमें इत्तेफ़ाक से सीट भी सबसे उपर कोने में मिली। फ़िल्म शुरु हुई मेरा लंड तो काबु में ही नहीं हो रहा था। अचानक मल्लिका का कपड़े उतारने वाला सीन आया। मैं देख रहा था कि भाभी के मुंह से सिसकिआं निकलने शुरु हो गैइ।
और भाभी मेरा हाथ पकड़ कर मसलने लगी। मेरा भी हौसला बढ़ा मैने भी भाभी के कंधे पर हाथ रका दिया और धीरे २ मसलने लगा। हाल में बिल्कुल अंधेरा था। मेरा हाथ धीरे २ भाभी के बूब्स पर आ गया भाभी ने भी कुछ नहीं कहा वो तो फ़िल्म का मज़ा ले रहे थी। अब मैं भाभी के बूबी को मसल रहा था और अब मैने उनके ब्लाउज़ में हाथ डाल दिया भाभी सिर्फ़ सिसकरियां भरती रही और मुझे को ओपरेट करती रही। अब फ़िल्म एंड हो चुकी थी हम दोनो घर आये। मैने पूछा क्यों भाभी कैसि लगी फ़िल्म। भाभी बोली मस्त। मैने कहा भाभी भूख लगी है। हम दो नो ने साथ खना खया। मैं अपने कमरे में चला गया। इतने में भाभी की अवाज़ आई क्या कर रहे हो देवेर जी जरा इधर आओ न।

मैं भाभी के बेडरूम में गया तो भाभी बोली ये मेरी ब्रा का हुक बालों में अटक गया है प्लीज़ निकाल दो न। भाभी सिर्फ़ ब्रा और पेटीकोट में ही थी। उसने क्रीम रंग की बरा पहन रखी थी। मैने ब्रा खोलने के बहाने उसके निप्पलों को भी मसल दिया और पूरी पीठ पर हाथ फ़िरा दिया मैने कहा भाभी लो खुल गयी ब्रा मैने बरा को झटके से नीचे गिरा दिया अब भाभी पूरी टोपलेस हो चुकी थी। हम दोनो फ़ुल फ़ोर्म में आ चुके थे भाभी बोली देवेर जी भूख लगी है तो दूध पीलो मैने भाभी को उठाया और बिस्तर पर ले गया उनका पेटीकोट भी खोल दिया अब वो पूरी नंगी हो चुकी थी और मैं भी। मैने शुरुआत उपर से ही करना मुनासिब समझा
और भाभी के लाल लिपस्टिक लगे रसीले होंथों को जम कर चूसा। उसके बाद बारी आई उनके छाती की जिस पर कि दो मोटे २ दूध की टंकिया लगी थी। उनके निप्पल का सबसे आग्गे का हिस्सा बिल्कुल भूरा था मैने भाभी के बूब्स को इतना मसला और चूसा कि सच में ही दूध निकल आया। मैने दोनो का जम कर आनंद लिया। भाभी के मुंह से तो बस सिसकरियं निकल रहे थी आह आआआअह आआआआआह्हह अब मैं बूब्स से नीचे भाभी की चूत पर आया क्या क्लीन चूत थी एक भी बाल नहीं। मैने पहले तो भाभी की चूत को खूब चाटा फिर एक्स एक्स एक्स फ़िल्मो की तरह जोर २ से उंगली करने लगा। भाभी आअह आआआह देवेर जी कर रहे थी। फिर मैने भाभी को घोड़ी बनने के लिये कहा भाभी घोड़ी बन गयी मैने अपना लंड चूत में डाल दिया और जोर जोर से चोदने लगा। इस तरह मैने ३० मिनट तक भाभी को अलग २ पोजिशन में चोदा (सोफ़े पर भी)। अब मैं थक गया था। भाभी बोली तुमने तो मेरे बहुत मज़े ले लिया मेरे शानदार फ़ीगर वाले बूब्स को चूस २ और मसल २ कर लटका और खाली कर दिया अब मेरी बारी है। मैं लेट गया
भाभी मेरे उपर चढ़ गयी और मेरे सीने पर मसलने और चूसने लगी और मेरे भी छोटे २ बोब निकाल दिये मैं भी भाभी के बूब्स को मसल रहा था फिर भाभी मेरे लंड को पकड़ कर चूसने लगी करीब १५ मिनट तक उसने मेरे लंड को चूसा।अब हम दोनो को नींद आ रही थी हम उसी हालत में सो गये। सुबह उठ कर हम दोनो साथ ही टब में नहाये और मैने भाभी के एक एक अंग को रगड़ २ कर धोया। इसके बाद भी हम २ -३ दिन तक सेक्स का आनंद लेते रहे। अब भी कभी मौका मिलता है तो हम शुरु हो जाते हैं। साथ में घर पर ही नेट पर साइट्स देखते हैं।
मुझे तो साड़ी सेक्स बहुत पसंद है। एक एक कपड़ा ब्लाउज साडी ,ब्रा ,पेटीकोट खोलने का मज़ा कुछ और ही है। मैं अपनी ड्रीम गर्ल को भी साड़ी में ही देखना चाहता हूं।
दोस्तों अपको कैसी लगी ये स्टोरी। ये मेरी पहली स्टोरी है

मां और अंकल की मिलीभगत

हाय! रीडर्स मेरा नाम राज है। और मैं राजकोट (गुजरात) में रहता हूं, मेरे घर में तीन लोग हैं, मैं,पापा और मां मेरी मां बहुत खूबसूरत हैं और कोई भी मर्द उसे देखे तो उस का दीवाना हो जाये उसके। उसके दोनो दूध इतने बड़े है कि कभी भी उसके ब्लाउज़ में नहीं आते और बाहर से उसकी सत देखती है हमारा जो भाजी वाला है वो मां से पैसे भी नहीं लेता क्योंकि जेब मां सब्जी खरीद ने जाती है तो वो झुकती है और उसके दोनो चूची बिल्कुल उसके सामने देखते है और उसकी धोती में उसका डंडा खड़ा हो जाता है … ये तो हुई रोज़ की बात लेकिन में अब आप को जो कहानी सुनाने जा रहा हूं वो सब कुछ मेरी आंखों के सामने हुआ है……

मैने १२वीं पास कर लिया है अब मुझे बोम्बे की युनिवर्सिटी मे पढ़ाना था वहां मेरे अंकल रहते हैं, पापा ने उनसे बात की वो घर आये और सब कुछ समझने के बाद पापा ने मुझे वहां जाने के लिये हां कहा मैं वहां चला गया और थोड़े दिनों बाद घर से मां का फोन आया और मुझसे पूछा कि तु खुश है तो मैने कहा हां फ़िर मां ने कहा जरा अंकल को फोन देना तो मैने दिया और चला गया तभी मुझे याद आया कि मुझे अपने दोस्त को फोन करना था मैने दूसरी लाइन से फोन करने वाला था मैने जैसे ही रिसीवर उठाया अभी मां और अंकल बातें कर रहे थे मैं वो बातें सुनने लगा अंकल ने मां से पूछा तुम कब आ रही हो तो मां बोली थोड़े दिनो में तब अंकल ने कहा तुम्हारी गांड, पिकी और बोबले केसे हैं ये सुनकर मैं सुन्न हो गया तब मां ने जवाब दिया वहां आ रही हूं तब सब देख लेना तो अंकल ने कहा तुम्हारा पति नहीं आ रहा तो मां मुस्कुरा कर बोली नहीं। मां ने कहा मेरे आने के बाद मुझे मौज कराओगे…। अंकल ने कहा हां क्यों नहीं तुम देखना तुम्हारी चुदाई में कोई कसर नहीं होगी फ़िर दोनो ने फोन रख दिया …………।
थोड़े दिनो में मां वहां आयी और अंकल उनको देख कर खुश हो गये वो तो मैं वहां खड़ा था इसलिये अंकल में कुछ रिएक्शन नहीं देखा था थोड़ी देर के बाद अंकल ने मां के सामने देख कर अपने लौड़े पर हाथ फ़िराया मां ने हां में सिर हिलाया फ़िर मां ने मुझसे कहा तुम ऊपर जाओ मुझे अंकल से कुछ बातें करनी है मैं भी समझ गया था कि आज मां अपनी चुदाई करवाने वाली है जैसे ही मैं गया दरवाजा बंद हो गया तो मैं वापस आया और की होल में से देखने लगा और बात चीत सुनने लगा …।
मां: क्या आप रात तक नहीं रुक सकते, आज लड़के को पता चल गया तो वो आप के भाई को बता देगा
,
अंकल: मेरी रानी उसे कुछ नहीं पता चलेगा, तू चल अपने कपड़े उतार
मां: मुझे शरम आती है,
अंकल:अरे कितनी बार तो तुझे चोद चुका हूं मुझसे कैसी शरम डार्लिंग
मां: अगर मेरा बेटा नीचे आया तो …
अंकल: नहीं आयेगा चलो चलो……

फ़िर अंकल मां के पीछे आये और पीछे से मां की साड़ी और पेटीकोट कमर तक ले गये मैने देखा कि मां की गांड दिख रही थी थोड़ी देर अंकल ने उसे सहलाया मां के मुंह से अजीब आवाज आ रही थी आअह्हह… आअह्हहाआह्हह्हहाअह्हह्हह ऊऊउह्हह्हह्हहाआआ……
मां के कहा, “चलो ना डाल दो ना” तो देर तक मुझे समझ नहीं आया क्या डाल दो फिर अंकल ने अपनी लुंगी में से अपना बड़ा लौड़ा निकाला और मां को देखते हुए बोले ले चाट ले ……… मां बिना कुछ कहे चाट ने लगी जब मां चाट रही थी तब अंकल ने उनकी उंगली मां की गांड में घुसा दी मां उछल पड़ी और मुंह से आवाज निकल गयी आआआहहहह्हहाह और बोली “क्या कर रहे हो, बता ना तो चाहिये” तो अंकल मुस्कुराते हुए बोले “बता तो तुम यूं थोड़ी उछलती” फ़िर अंकल बहुत उत्तेजित हो गये थे और उसने मां के कपड़े उतारने के बदले फ़ाड़ने शुरु कर दिये मां भी उत्तेजित हो चुकी थी फ़िर उस ने मां को आगे की तरफ़ झुकाया और मां की गांड में अपना लौड़ा डालने लगे लेकिन जा नहीं रहा था तब मां ने उनकी हेल्प की, अपने दोनो हाथों से अपनी गांड फ़ैलाते हुए बोली “चलो ये रास्ता क्लीयर है” अंकल ने एक ही झटके में अपना लौड़ा डाल दिया और मां के मुंह से आआअ…अ…अ।अ…।ह।।ह्हह्हह।ह।। ह।ह…।ह।।ह।।ह।ह।। ह।ह।।ह मार डाला आअ।। आआआ आआअ………आआअ।ह्हह्हह्हह्हह्हह्हह…………।ह्हह्हह्हह्हह्हह्ह दर्द कर रहा है।।आअ।अहहहहा अह……अह…।। अह…।।अह…।ह…अ हा अहा ह फ़िर अंकल अपना लौड़ा अंदर बाहर करने लगे और तेजी से मुंह से आआअ…अ…अ।अ…।ह।।ह्हह्हह।ह।।ह।ह…।ह।।ह।।ह।ह।।ह।ह।।ह की आवाज चल रही थी १५ मिनट के बाद दोनो शांत पड़ गये
तब मुझे लगा कि अंकल ने अपना वीर्य मां की गांड में छोड़ दिया है फ़िर दोनो थोड़ी देर ऐसे ही पड़े रहे फ़िर ५ मिनट के बाद अंकल उठे और अपना लौड़ा मां के मुंह में रख दिया और मां भी उसे लोलीपोप समझकर चूस ने लगी १५ मिनट तक ऐसा ही हुआ फ़िर शायद अंकल फ़िर तैयार हो गये उसने मां की चूत पर हाथ फ़िराते हुए कहा “अब इस की बारी है” तो मां बोली “हां, चलिये” अंकल ने कहा “काफ़ी साफ़ है” तब मां बोली “कल ही साफ़ की है” फ़िर अंकल मां के ऊपर चढ़ गये और अपने लौड़े को अंदर डाल दिया और मां मुंह से आआअ…अ…अ।अ… ।ह।।ह्हह्हह।ह।।ह।ह…।ह।।ह।।ह।ह।।ह।ह।।ह की आवाज शुरु हो गयी और बोली थोड़े देर रुकिये दर्द हो रहा है लेकिन अंकल ने सुना नहीं और शोट लगाते गये और मां चिल्लाती गयी
मां के मुंह से आआअ…अ…अ।अ…।ह।।ह्हह्हह। ह।।ह।ह…।ह ।।ह।। ह।ह।।ह।ह।।ह आधे घंटे तक ऐसा चला फ़िर दोनो शांत पड़ गये १५ मिनट के बाद दोनो ने कपड़े पहने
मां ठीक से चल भी नहीं पा रही थी लेकिन अंकल को और चोदने की इच्छा थी वो मां को पकड़ कर चूमने लगे तब मां ने कहा कि अब रात के लिये तो कुछ रखो रात को मैं तुम्हारे पास ही आउंगी अंकल ने कहा ठीक है और वो दोनो दरवाजे की तरफ़ आये तो मैं ऊपर चला गया फ़िर मां ऊपर आइ मां कोई गीत गा रही थी मैने मां को इतना खुश कभी नहीं देखा जब पापा मां की चुदाई करते हैं……और उस रात कि चुदाई स्टोरी फ़िर कभी बताउंगा बाय बाय !!

ସୁନା ଭାଉଜଂକ ସହ ମାଇଛେଳି ଜଂଗଲରେ (Suna Bhauja Nka Saha Maicheli Jungle Re)

Hi Mu tumara ati priya sunita bhauja mora gelha diara o nananda mananka pain puni eka nua kahani saha. Nayagarh Ra sabutharu ghancha jungle rasta maicheli jungle re diara bhauja nka jouna kahani. Story ku padhi comment debaku bhuli jibeni. Tamara comment re ama e kahani ku puni agaku neijiba. Ebe kahani ku asantu.......................
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Suna Bhauja



Ame Khordha ru Daspalla abhimukhe bike re baharilu. Mu aau mo bhauja Suna bike pachare basi chalilu. Mora bike 70-80 speed re chaluthila. Odisha sarakaranka bartamanara nuaa niama anujai prati school agare humps tiari hoichi khorda ru jiba bele bata re kete school agare ame humps dekhilu mora gadi ra speed ku mote hathat hathat joree break maribaku pade bhauja chitiki hoi mo dehare lagi hoi rahi jaanti. Bhauja mora epari bike chaleibare mo upare abhimana kari kahila kan je tame tike aste break marile habani. Mun kahili hele bike speed thila duraru ta humps jana paduni na. Bhauja kahile han pachare sundari mananku baseile samasta nkara emiti hue. Mu kahili han mo bhauja phulei rani, janicha ta aau kanhiki mote kahucha. Se kahile chiii... tame satare pura nilaja hei galani. Tankara nilaja kahiba ta pratham thara nunhe se mote kete thara semiti kahichanti. Thare mu tanka ghara ku jaithili bhai nka pakhare kichi kama thila. Se darpana agare bsi sajei hau thile. Mu jiba bhai kuade gale boli kahili, Se mo katha suni pacha ku buli hasi dei kahile bazara ku jaichanti kana kama kahuna. Mu kahili nnai mu bhai nku asile kahibi. Se kahile satare hau. E katha kahi tanka saja haba bahana re tanka chati uparu luga kadhi puni ghodei dele. Mu tanka gora dehare dhala dhala komala bela duita pura pachi ki thiba dekhi semiti chanhi rahi thili. Blouse uparaku dudha ra agra bhaga praya adha ansa jana paduthila. Mote dekhi bhauja kahile nilaja kana tame mote aneiki acha tama kamare tame jauna. Mu kahili mo agare kholiki mote nilaja kahucha. Mo kathare pratibada kari bhauja kahile ruha bhai nku kahibi. Mu dari jai sedina tanku bhul hei gala mote khyama kari dia. Tame bhai nku kahi bani boli kahili. Se kahile hau jao  aau mo agare kebe ranga dekheibani boli kahile.

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 Bike ku tathapi 40-50 re nei humps asile break mare puni dhire dhire pakha pakhi kete humps. Bhauja kintu jete agaku agaku humps asuthila aau mo bike slow re jauthila se sete mo dehare dudha mada karu thile. Tike slow kari dele pura dudha ku mo pithire dali pakau thile.  Mote maja laguthila hele tike thata maja karibaku bi ichha thila. Katha chalare mu pacharili kan bhauja, bela phati jiba. Se kahile kan kahila. Mu kahili naai ma ete humps asuchi je ame speed re jai parune. Bhauja kahile naai ta purba ru kan kahila kuha. Mu kahili ei rasta katha kahu thili para. Se kahile naai aau gote kan kahila. Mu kahili kana aame kete aubidhare jauche boli kahili. Se kahile dekha sata kuha kan kahila. Mu kahili bhauja kan je kahibi kharap bhabi bani ta. Se kahile besi bheleki nahei kuha. Mu kahili ei kacha rasta re tama sajada deha asta byasta helani bhali mote lagila ta mu kahili tama ra kan hauchi ki kan. Se puni kahile mora kan hab. Mu kahili tamara ete jorre baji baji bela phati jibani ta. Se chiii ........ nilaja tamaku se sabu bi manare asuchi. Bedhuaa chiii.... chiii... kahi mo jangha tanka hata aani mo jangha upare pakei kahile kan mandira asi bela kahibani. Mu kahili kan bhauja ete narami gala je , se kahile aare boka tama bhali pilanka ra emiti hin abasta hue. mu khali bhabuthili tame ete handsome kintu maichia te boli bhabu thili. Tanka katha suni mo manare tike raga lagila. Mu bike slow re chaleili se mo mana katha bujhi parile bodhe kahile kana dhana ete ragi gala je tame satare purusa ki na mora doubt hauchi, tame mo bhali sundari ki pakhare basei tike bi kichi pratikriya dekhauna je, kan khali thata maja hele chaliba. Bhauja mana katha bujhi baku ta haba naa. Mo dhana ta ebe ragani please. Tama sahita bike re buliba ku mora bahut ichha thila sethi pain mu kali bhai nka saha galini aau tanka ra aji rayagada jiba ra achi boli agaru jani mu e plan kari thili.

  Bhauja nka tharu emiti katha suni mu tike abak hoi gadi chalau thae. Se puni kahile satare prathama ru mu tama ku dekhi mana ru bhuli pari nathili, hele tame purusa ki nuhe mu jani paruni mo swami ta mo sundara ta ra ete characha karanti mo agare je mu bi janena mu kete sundari hele tame mote se dina adha sadhire dekhi mote khali sundari boli kahi dele chaliba. Mu tamaku kemiti lagili aau tame mo bisaya re kana sabu bhabi thilla kichi bi kahina. mu kahili satare kan bhauja tame ete nata kara. Mu ta bhabhi thili mu aji sujoga paichi tamaku sthire neijiba pain se puni daiba ra khela jogun. Hele tamara khela boli mote ajana thila. Se ethara mo peta ku jabudi dhari kahile ethara janila ta, emmaa tama peta na aau eta kan pura slim body tamara. Mu kahili han bhauja satare tame bhai nku sina baha hoicha hele mo pain pura fit hoithanta. Se mo kathare katha ku teli kahile mu tamara heithile tame kan karithanta. Mu kahili mu tamaku bahut bhala paithanti, se kahile satare kemiti bhala pai thanta. Mu kahili mu tamaku sada bale pakhare rakhi thanti juade jai thanti tamaku nei jai thanti. Aau tama saha bike re speed re buli jaithanti. Se puni tame mu eka eka bahut romance karithante. Se puni maduala kantha re pacharile romance kemiti mu ta janini. Mu kahili tame ta  baha heicha kete romance karithiba, ajana bhali kan haucha. Se kahile satare tame kemiti romance kari thanta mu jani baku chanuhchi. Mu kahili ame puri samudra buli jaithante gotie paida ku duiti kathi re basi piii thante aau jatra, mela buli maja kari thante. Se kahile e sabu maja re jhia manaka ku kete khusi miliba bhabucha. Tame satare romance bale ta kichi janina. Mu kahili kan aau tame kuha kemiti romance. Mo katha saru saru bhauja kichi kahibaku gala bela ku agare gote gai aau sandha giha gehi dekhilu. Bidesi sarakari sandha ta desi hrusta prusta gai ta uparae goda dera dei gehi chalichi. Mu laya sei ade, gadi ki tike slow kari dekhi agaku chalili. Bhauja bi se drusya dekhi mo jangha ku japi dharithile.


 Kichi samaya ra nirabata pare bhauja puni pati kholi maduala bhabare kahile kan bujhila ta eita romance . Mu kahila kouta romance. Se kahile re murkha dekhi ki jani parilani. Se sandha ta gai saha ki romance karuthila. mu pura silent hoi gali. Gadi maicheli jungle dei gati karu thae. Bhauja katha saru saru mo panta ra majhi ansare hata ku dui hatare jabudi dharile. Mo bhagya bhala pakha pakha kichi gadi bi asunathila. E bedha ta je kahara stree hoi mo gupta angaku jabudi dharichi, satare se setiki sundari thile boli mo dehare raga tharu adhika kamana ra niaa jalila. Mu tike pacha ku pithi kali aau dudha ku cipila pari dhali heli. Se ki prakarara jantu je mo pant uparu tanka dahan anguthi ki mo banda adaku genjile. Jete hele kou jhia ra abhali kamana ra akarsanare mu bi aau besi sambhalibara paristhiti re nathili. Tathapi mu chup thili. Ni chatia jungle rasta ethi gadi rakhibaku bi dara laguchi. Chora dakayat ebe ethi besi hauchi boli katha sunichi. Hele bhauja mo manare kamana ra niaan jalei chali thanti. Mo gadi slow slow re jau thae. Agaku tike durare gote jungle bhitaraku rasta tie thae. Bhauja mo kanare kahile mote tike ethi olhei baku heba. Jhia o stree loka mane muti ba pain direct nakahi emiti kuhanti boli mote jana tenu mu se jungle ra bypass bhitara ku gadi nei rakhili.
 
                                              Suna bhauja mo deharu hata adei talaku olheile, pura dudha taku mo dehare ghasi hoi talaku khasile. Mu tike side re gadi rakhi chida heli, pakhare ta kehi nathanti. Bhauja agaku jai gote sala gacha mule luga tekile. Mu tike epata sepata anau thiba bele tanka luga teki heba dekhi najara ta sei ade chali gala. Suna bhauja nka gora ranga ra padaru arambha kari tanka ra pura gola gola picha dekha gala. Suna bhauja semiti luga o saya ku teki tanka chadi ku talaku khalile. Aau sei sala gacha mule mutiba arambha kale. Sirrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrr................ sii ........ rrrrrrrrrrrrrrrrr.....  siiiii... rrrr..................... sabda hela.

Pura dui 2 minute parjyanta mutile mu tanku semiti chanhi rahi thae. Mo manare kamana bi lahadi maru thae hele, mu kamuka nuhne. Bhauja puni se gacha mulu uthi luga ku uparaku teki dhari pacha ku buli chadi uparaku kale. Chadi uparaku kala bele andhari andharia tanka dehara jangha sandhi ade najara padila. Tanka goda dia ta pura chikana aau lobha nia. Jangha ta jie bi dekhiba pura maduala hoi jiba. Jaha hau aji mote yanka saha bulibaku je sujoga milichi. Jubaka mana mora manare kete prakara ra budhiani basa bandhu thile madhy mora mana sthira kari bhauja nka adaku chanhi thae. Bhauja mo ade na chanhi pakha ku asi kahile - Kemiti heichi. Mu kahili han bhala gacha patra ebe ta barsa rutu re sabu ade sabuja ghancha jugle paga bi bhala achi bhala laguchi e jaga. Se tike raga hela bhali heee.... kahi kahile tame kan kabi heicha je mu tamaku prakuti ra sundarata pacharibI, Mu ta mo jaga katha pacharili. Mu madhya tanka katha bujhi paruthili. Kahili sundara ta ra mu ba ki upama debi, mo sabda kosha bhasa hina hei jauchi, tumara sei lobhania soundarjya ku dekhi. Se pura gada gada hasile aau kahile baa baa re kabi ete upama deba boli mu jani nathili. Etikire ete ta aau bhitaraku gale kana heba. Mu kahili satare tumara sei gauhara bhitara ku pasigale andhakara ra maya jala mo akhi re badhi hoi jiba. Se puni hasi hasi mo gala re gote sakta chumbana tie anki dele. Tanka chuma bhari lobha nia. Mu  tankara chumare atista hoigali aau puni tanku bahure japi dhari tanka othare othaku japi dhari kiss kali. Hele manare dar emiti road side re rahi ebhali kale kan heba. Mu tanku chadi deba matre se mote kahile ethi kan kie jadi dekhiba. Tike bhitaraku chala mu tamaku aaji khuai piaai ghare nei suai debi. Mote akhi issara re se jungle bhitaraku jiba ku nirdesh dele. Mo manare dara thila e jungle re kete aparadha ghatuchi jadi kaha samna re padibu? Se mo mana ra bhabana bujhila bhali kahile . Darucha kan je purusha hei darucha mate satare tama prati sandeha hauchi tame satare marda naaa?

 Mu tanka katha suni aau nijaku roki parilini. Aji tanku mo marda pania dekheibi boli bhabhi mu jugle road re chalii. Se rasta ta ana osaria, tike agaku banki jaichi puni saru hoi agaku jaichi. Ame side hoi gadi ku tike jungle bhitaraku nei chalilu. Suna bhauja mo sathire asu thanti. Budu budiaa ghasa sanga ku denga denga sala gacha hele nuaa barsha pani baji gacha sabu ghancha hoi jaichhi tike agaku jai gote bhala jagate pailu. Kichi dina hela barsha hoi nathila tenu se jaga madhya thik thila. Se jagaku rasta re rahi kehi bi lakhya kariparibeni. Mu gadi ta ku gote pakha sala gacha tale deri dei rakhili. Setebeleku bhauja nka ra luga sajada arambha hoigala. Bhauja mote diki ra chabi magi se bhitaru tankara duiti pindha luga bahara kale. Mote gotie pata dharibaku kahi se luga ku se jaga re pari dele. Ki bhali amara e kama mu bi ajana se kintu bahu khusi ra saha agei agei chali asileni. Tanka plan re e jaga thila naa kana mu ta kichi bujhi paru nathili. Luga pari bhauja ta upare basile mu madhya tanka agare basili. Se munha ku chanhi tike hasi dei maduala najarare chanhi mo adaku tanka deha ku ani mo mundare gote bahaliaa chuma tie anki dele. Satare mo manare sampurna kamana ra bana dhansan hela pari lagila. Mo bhaba urdata hebaku gala bela ku se tanka chatiru sadhi kadhi nila rangara blouse upare tankara dui dhala dhala bela, sthana ba dudha adha dursya heuthila. Mu asthira hoi tanka upara ku jhampa deli. Mo hatare suna bhauja nka dui mansa pindula ku dhari dali dali tanka upare madi basili. Se mo tale mote dhari soi rahile. Se barambara rankuni bhali mote chumbana pare chumbana anki deuthila. Se chumbana re ete akarsana thila je, Mo jeans pant bhitare gauharare luchi rahi thiba banda ta pura phuli phuli jau thae. Mu tile bi hela kalini tankara blouse ra botam kholiba pain. Mo banda ta tana hoi jeans bhitare bahut jantrana anubhab kali. Suna bhaujanka dui ulagna dudha ra sandhi re mo munha ku japi dei khaila bhali dui dudha ku chati chati mo pant ra chain ku kholili. tike uthi jai mo banda ku pant o chadi ra srunkhala ru mukta kari tike pant talaku kari suna bhauja nka dudha ku patire purei chusi bare lagili. Tanka ra deha ku upabhog karibara agraha thila hele se je nije sujog dei ebhali mo sarira tale nanga hoi soi rahibe kebe bi bhabi nathili. Kamana ra jwala tibra hoi uthila Banda bia ra seba pain chatura hoi rahi thila bodhe. mu tanka luga ku anta ru kholili. Se sange sange taka dui hatare saya ganthi kholidele aau hata dui ku uparaku uthei nele. Deahare chadi semiti thae. Dhala rangara chadi ku mu patire kamudi tanka bia ku gela kali. Tanka bia ra akara chadi uparu bhari spasta jana paduthila. Mu chadi ku kholi deli. Satare mu aschrjya heli mu bhabuthili sabu jhianka ra bia re bala full hoi rahi thiba. Kete ratire mu sunita bhauja nka odia diara bhauja nka ra gupta prema padhi thili. Hele sabu bhauja nkara jangha sandhire bala japi hoi thae. Hele mo suna bhauja nka bia ta pura safa. se jemiti uparu chikani disanti bhitare bi thika sehi bhali.

                                                                           Tankara bia ra gathan o gora ranga sange golapi golapi biaa ra pakhuda sate jemiti golap phula tie. Ebe bujhi parili e jhia o stree loka mananku golapa dele tankara kanhiki manare prema jata hue. Satare prema nahele bi tanka manare kamana ta nischita jata heuthiba. Golapi bia sabuthu sundar aau golap ra ranga dekhi jhia mane bodhe nija gupta anga ra suchana pai manare kichi gote hei jae tenu tanku ananda mile. Jaha bia hau naa kanhiki mu mora mota hoi phuli rahi thiba banda ku bhauja nka biaa re genjili. Mane paduthila Sunita bhauja nka ra odia sex story tanka swami nka saha dihipahare se jau masta giha gehi hoithile ta bhabi mu mo banda ra mada ra gadi badhei deli. Suna bhauja nka patiru khina swara re aaaaaaaaaa........  uuuuuuuuuuuuuu......... jorrreeee kara mo dhana ........ mo dhana ..... mo sunaaa.... tame mo bia ku khai pakao...... ki kasta daucha. Ahuri jooorrreeeeeeeeeeeeeeeee... eeeeeeeeeeeee.   mmaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaa  lo................ pura rada pari heichi he mote ta emiti darakara thila. Mo mana bhari dia please tame jaha kahiba karibi. Mate jorreee jorrree gehi mo bia ku khao. mu tanka katha o tanka maduala chehera ku dekhi tibrtara saha gehibaku lagili. Dudha ku kete thara kamudi dei thili. Jorree jorre gehiba bele mo pati kamudi hoi bhauja nka dudha tike khandiaa hoi gala tathapi se kahile jaha hau tame satare marda, suna ra manare aji tame sampurna rahigala. tamaku aji mu tkie bia khueibi. Bhauja uthi jai dui goda pheda kari basile mu tanka bia ku chuuu...... chu..... kari sosadili.. Se madhyaaa.  aaaaaaaaaaaaa.........  aaaa...... kahi bobali chaduthile. Mo banda ra garam sambhali napari mu bhauja basi thiba abasta re tanku mobahure japi dhari banda ku biaare purei gehili. 15- 20 minute gehila pare dui jana jakara same time re birja baharila. Mora bahut bahala thila bhauja mo banda ku dhari patire japi rakhile. Mo birja ku haun haun kari chosi kahi dele. Puni se tanka bia ku mo pati agare rakhile. Tankara bia ra rasa  hari pania thila. Thika jemiti muti deichanti. mu bi tike pati lagei aau anguthi purei bhauja nka biaa ku sala sala kali. Mo deha halia lagila ete birja dhali jaithila. bhauja pura free thile hele mo halia dekhi se mo banda ku chuchumei mote kete samaya semiti langala abastare jabudi dharile. Das goti chuma dei puni aji ame ghare gale tame mo gharaku asiba kahile. Dunhe dress pindha pindhi helu. Mu bike ku jungle ru bahara kari se saru rasta pakhaku galu. Bhauja nku sthu basei neba purba ru mu puni bhauja nka dudha ku blouse uparu dalili aau patire 6-7 thara kiss kari aame se bhitara rasta ru bahari mani road dei daspalla abhimukhe galu.

Writer: Sunita Prusty
Publisher: Bhauja.com

Priyanka Jibana Ra Prathama Anubhuti P-1



Mo naa Priyanka Mu ebe +2 re Padhe. 9th class ru mora jibana ra moda badali jai thila. Bapa mora kichi kama karanti nahi. Khali e ghara kali se ghara kali re munda dei dina kati dianti. Mu ama ghare majhia jhia, mora duiti bhai aau duiti bhauni, maa aau bapa. Bada bhauni gote private medical re nurse chakiri karuchi, sana bhauni 8th class padhuchi. bhai gotie bohut chota pratham class re padhe o bada bhai bahare company re kama kare. Bapa nka rojgar nathibaru bahu kasta re ghar chale. Bele bele bada bhai kichi kichi tanka pathae. Mu sete bele 9th class re padhu thae. Mo dehare jaubana kaanli asu thae, mana chagalami, aau deha siharana bhari rahi thae. Kunari bayasa re sabu jhia nka ra jaha darakar hua. mo pakhare se sabu nathila. Mote tanka ra bohu abhab thae. Bayasa ra bhoka madhya mana ku bikala kari rakhi thae.


 Mu 9th class re padhu thiba bele ama upara class re Saroj bhai mote bhala pau thile. Se mote anek gift dei thile. Mu tanka pakhare pura phida thili. Se kala  ranga ra thile aau jati re sabu thu chota. Hele tanka katha mo mana kini neuthila. Mu tanka kathare phasi jauthili. mote se ama gan jatra bulei thile , mo pain dress madhya kini dei thile. Mo sanga mane ama duhinka bisayare jani thile. Dine class re teacher nathanti sabu pila bahare bulu thile. Mu Saroj bhai nka class adaku gali , tanka class re madhya kehi nathile, mu saroj bhai nka tharu tanka mobile mu magi anili. Ama class ku asili. Saroj bhai nka mobile re gita sunili kana re ear cord dei. Teacher mane mobile ama pakhare thiba katha jani nathile. Mu saroj bhai rakhi thiba photo ku bi dekhi li. Sethire ama kete photo thila. Mu tanku kiss kari photo uthei thili.Emiti dekhu dekhu bikini pindha jhia photo asila. Tapare hathat gotie apurba photo asila. jhia tie langala hoi bia melai deichi pua ra banda bia bhitare pasi bhari sundara dekha jauchi. E photo dekhi mo munha jahlei gala. Hathat pacha aptu mo beka ku ki dhri dela. Mu chamaki padili mo chati jaoore tharu thae. Dekhi li  saroj bhai. mote laja lagila mu anei parilini.

 Se mo dudha ku chipi dele. Mu hasi pakei li. Se pacharile kan dekhuthilu. mu kahili emiti kana photo rakhicha. Se kahile esabu ta normal katha. Esabu ta hue samasta nka jibanare. Mu kahili ama jibanare ta heini. Saroj bhai kahile tu icha kale ainu tate emiti karidebi. Tankara emiti katha suni mo kuanri dehare nia lagigala mu khali bhokila bhali kahi deli hau kala dekhi. Se mote kahile school padia re ta bartamana pila kehi nahanti, class ta aau dui period habani. Tu padia dei padia ara pat thiba adha tiari ghara ku chal. Mu aau deri nakari se ghara adaku chalili. Se ghara ta ra chata naain jai thila palastara hoi nathila. Gahra chari pate buda buda thila. Mo dehara bhoka re mote aau kichi jana padu nathila. Mu se ghara bhitara ku pasi gali. Saroj bhai bahut late paryanta asi nathanti. Mo deha bhitarata kemiti kemiti lagila, mu aau apekhya nakari tike mo school dress ku tike talaku kari  mo gupta anga ku dekhibaku lagili. Mo bala kala kala pura bia chari pate thila. Pejua pejua bia disu thila. Mu giha gehi katha bhabi bhari mana khusi kari thili. bia ku phari phari ta sange khelu thili.ta pare lajare mu dress teki deli. Ebe saroj bhai hathat pasi asile. Anta re Gamucha te bandhi jhada jiba abhinaya kari asithile. Se anata ru gamucha kholi Dele o pant shirt bahara kari pura langala hoi gale. Mote tanka langala deha dekhi khusi o dara ubhaya lagu thae.

 Se asi mote prathame otha ku kiss kale. Mu maduala hoi gali tanku jabudi dharili. Se mo pachapataku jai pacharu mote tanka bahu re chndi dele o mo dudha uparaku hata chanda ku anile . ete khusi lagu thila je mote swarga khusi bhali lagu thae. Ethara se mo pacha gandi ku tanka jangha re badei chalile . Mo dehare kamana bhari jai thila. Mu asambhala thili. Se pachaptu mo dress talaku khasei tanka banda ku gandi bhitaraku paseibaku chesta kale. Mote bhari hasa lagila. Kut kut pari lagu thae se puni kamana ra andha. tanka banda ebe mo gandi dwara re jai bajila. Hele bhitaraku galani. Se mote semiti dhari suai dele. Ta pare jangha pant o chadi kholi mote tala patu pura langala kari dele. mo jangha phadi dele o banda ku jabar dasta pasei baku lagile. Mote maja lagu thae. Hele banda tankara pasu natthila. Se anguthire mo gandi melei chesta kale ethara pura pasi gala. Mote hagila bhali lagila. Puni bhari maja lagu thae. Se  ...................................................................................................................................................................................
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भाभी ने मुझे चोदा ( Bhabhi Ne mujhe Choda )

मै दीपेश २४ साल का मुम्बैई मे रहता हूं। मेरी हाईट ५.६” गोर रंग और सबसे महत्त्वपूर्ण कि मेरा लंड ८” का है जिसे सारी लड़कियां, भाभियां और आंटियां पसन्द करती हैं।
मेरी भाभी दीपा, जो एक सुन्दर सेक्सी लेडी हैं, की उमर २७ साल है। उनके बड़े बड़े स्तन और मोटे चूतड़ जो चलते समय इधर उधर झूलते हैं, मुझे हर वक्त बेचैन किये रहते हैं।

मेरा भाई २८ साल का है और ८ महीने पहले उसकी शादी दीपा से हुई है। वो एक बड़ी मल्टी नैशनल कम्पनी में सोफ़्टवेयर इंजीनीयर है। उसे अक्सर कम्पनी के काम से विदेश जाना पड़ता है। मै भी एक बी पी ओ में काम करता हूं और भैया भाभी के साथ रहता हूं।
शुरू के महीनों में भैया भाभी ने अपनी मैरिड लाइफ़ को अच्छा एन्जोय किया। फ़िर भाभी भैया के लम्बे समय के विदेश के टूर से परेशान हो जाया करती। भैया चार महीने के लिये फ़िर गये तो मैं और भाभी दोनो ही घर मैं अकेले थे, भाभी एकदम उदास नज़र आती थी। मैं भाभी से बहुत बातें करता था और उनको खुश करने की कोशिश करता था, लेकिन ये बहत मुश्किल था। थोड़े दिन ऐसे ही बीत गये। भाभी में मैने थोड़ा चेंज नोटिस किया, मैं और भाभी अब अच्छे दोस्त बन गये थे। दोनो बाहर शोपिंग करने जाते थे, घूमते थे मज़े करते थे। जो लोग हमे नहीं जानते थे उन्हें हम दोनो पति और पत्नी लगते थे मेरे मन में भाभी के बारे में बहुत सेक्सी ख्याल थे लेकिन वो अपने बड़े भैया की वाइफ़ है ये सोच के मैं अपने आप को कंट्रोल करता था। लेकिन रात को घर में हम दोनो अकेले होते तो मेरा लंड भाभी को चोदने के इरादे से खड़ा हो जाता था और मैं अपने लंड को अपने हाथों से हिला के अपनी आग बुझाता था।
भाभी और मैं बहुत सी बातें करते थे, वो हमेशा ये जानने की कोशिश करती थी कि मेरी लडकी दोस्त है या नहीं? मैं उसे कहता था कि मेरी कोइ गर्ल फ्रेंड नहीं तो वो मानने से इंकार करती थी, वो बोलती थी कि तेरी कोइ गर्ल फ्रेंड नहीं ऐसा हो ही नहीं सकता, और कहती थी लड़कियों को तेरे जैसे सुडोल सुगठित लड़के चाहिये होते हैं। आज कल भाभी ऐसे ही बातें करती थी। मैं जान गया भाभी के मन में मेरे बारे में कुछ चल रहा है। उसका मेरे साथ व्यवहार भी थोड़ा बदल गया था। बातें करते समय वो मुझे छूने की कोशिश करती थी। मेरे करीब आया करती थी। मैं बड़े मुश्किल से अपने आप को कंट्रोल करता था। भाभी अब सेक्स की कमी महसूस कर रही थी। उसकी हरकतों से ऐसे लगता था कि शी नीड्स सेक्स वेरी बेडली।
नोर्मली वो घर में साड़ी में रहती थी, साड़ी में उसकी राउंड एस देख के मेरा तो लंड हमेशा टाइट हो जाता था। उसकी नाभि, ब्लाउज़ में से दिखने वाली उसकी सेक्सी क्लीवेज में इन सबके लिये पागल हुये जा रहा था। झाड़ू कटका लगाते समय हमेशा मेरे सामने वो अपने साड़ी का पल्लु इंटेन्शनली गिराया करती थी ताकि मैं उसके बड़े बूब्स देख सकुं। शायद वो मुझे पाने के लिये पागल हुए जा रही थी। लेकिन मुझमे इतनी हिम्मत नहीं थी कि मैं जाके भाभी को चोदना शुरु करुं। मुझे बहुत डर था।
एक दिन रात को बेडरूम मैं अपने सेक्सी भाभी के बारे में सोच कर अपना लंड हिला रहा था, मेरे रूम का डोर तो बंद था लेकिन मैने लोक नहीं किया था। तभी भाभी कुछ काम से या जानबूझ कर मेरे रूम में बिना नोक किये चली आई, और मैं अपना लंड बड़े मज़े से हिला रहा था। भाभी को देख के मैं इतना शर्मा गया, कुछ कह नहीं सका। भाभी ने भी कुछ नहीं कहा लेकिन मेरे बड़े लंड को २-३ मिनट तक देखते रही और वहा से चली गयी। अगले दिन सुबह मैं जब ओफ़िस जाने की तैयारी कर रहा था तब भाभी ने मुझे स्नैक्स और चाय दी। मैं तो रात की घटना से इतना शरमा गया था कि मैं भाभी से आंखें नहीं मिला पा रहा था। एक नज़र मैने भाभी के तरफ़ देखा तो भाभी ने मुझे शरारती इस्माइल दी, लेकिन कुछ नहीं कहा। और मैं झट से वहां से ओफ़िस के लिये निकल पड़ा।
मैं शाम को ७ बजे ओफ़िस से घर आया, भाभी ने डोर खोला उसने पिंक कलर की शीफ़ोन साड़ी और सेक्सी स्लीवलेस ब्लाउज़ पहना हुआ था। वो सेक्सी दिख रही थी . उसके ट्रांसपरेंट साड़ी मैं से उसकी सेक्सी बोडी साफ़ दिख रही थी। उसने मेरे हाथों से मेरा ओफ़िस बेग लिया और मुझे अंदर लेके डोर बंद कर दिया। और उसने मुझसे पूछा “प्यारे देवरजी, आप कल रात को क्या कर रहे थे??”
मैने कहा “ भाभी मैं कल रात को आपके बारे में सोच के अपना लंड हिला रहा था।” मैं उसी के बारे में सोच के अपना लंड हिला रहा था ये सुन के वो एकदम पागल हो गयी और मेरे पास आयी, उसने मुझे धक्का दिया और सोफ़े पे गिरा दिया। अब वो जम्प करके मेरी छाती पर बैठ गयी और बोलने लगी, “दीपेश, तुम कितने भोले हो, अपनी भाभी को चोदना चाहते हो लेकिन कभी ज़बरदस्ती नहीं की, मैं भी तुम्हारे लिये पागल हूं, मैने सोचा था कभी ना कभी आके तुम मुझे ज़रूर चोदोगे। लेकिन तुमने ऐसा नहीं किया। मैं तुम्हारा प्यार पाने के लिये तड़प रही हूं। तूने भाभी को बहुत तरसाया है। मुझे तुम्हारे प्यार की बहुत ज़रुरत है।” ऐसे बोल के उसने मेरे होंठों पे अपने होंठ कसके दबा दिये। १५ मिनट तक वो मेरे और मैं उसके होंठ चूसता रहा। अब मेरा भी लंड बहुत टाइट हो रहा था। होंठों के बाद वो मुझे सब जगह पे चूमने लगी। गाल छाती और सब जगह. मैं भी उसके गालों को चूसने लगा। चूस चूस के उसके गोरे गाल मैने लाल कर दिये।

अब तो वो बहुत गरम हो गयी थी उसने मेरे कपड़े निकाल दिये, और मैने उसके। अब मैं सिर्फ़ मेरे अंडरवेअर में था। और मेरे लंड का शेप साफ़ नज़र आ रहा था। वो शेप देख के वो और पागल हो गयी। और बोली “दीपेश, जब से तुम्हे अपना ये बड़ा लंड हिलाते देखा है मैं तो इसके लिये पागल सी हो गयी हूं, अब मुझे और ना तड़पाओ” ऐसे बोल के उसने मेरी अंडरवेअर निकाल दी। अब वो मेरा पूरा नंगा लंड देख के जो की अब ८” से बड़ा हो गया था अपने आप को कंट्रोल नहीं कर पा रही थी। उसने उसे अपने हाथों से हिलाना शुरु किया। और बोली “तुम्हारा तो तुम्हारे भैया से काफ़ी बड़ा है, इसलिये मैं तुम्हें कहती थी कि तुम्हारी कोई गर्ल फ्रेंड नहीं है क्या?? मेरे भोले देवर जी लड़कियों को ऐसे बड़े लंड वाले लड़के बहुत पसंद होते है” और वो मेरे लंड के साथ खेल रही थी। अब उसने मेरा लंड अपने मुंह में ले लिया। मेरा लंड पहली बार किसी होल में जा रहा था। मेरे लंड को गुदगुदी सी हो रही थी। मै जैसे स्वर्ग में था।
उसने मेरा लंड पूरा अपने मुंह में ले लिया। क्योंकि यह मेरा पहली बार था, मैं ज्यादा देर नहीं टिक पाया, ५ मिनट के बाद मैने उसे कहा कि मैं छूटने जा रहा हूं, उसने कहा कि मुंह के अंदर ही छोड़ देना, और मैने बड़े फ़ोर्स के साथ अपना वीर्य उसके मुंह में निकाल दिया और उसने वो पूरा निगल भी लिया। अब छूटने की वजह से मेरा लंड फ़िर अपने नोर्मल शेप में आ गया। तब भाभी और मैं बाथरूम में सफ़ाई के लिये चले गये। वहां वो तो और सेक्सी बातें करने लगी। लगता है अब तक उसकी गरमी ठंडी नहीं हुई थी। उसने कहा “तुम्हारे भैया का लंड तुमसे बहुत छोटा है, और वो मुझे इतना प्यार भी नहीं करते, भैया नहीं थे तो मैं सेक्स के लिये बहुत पागल हुये जा रही थी, मुझे तुम अपनी बीवी समझना और जब जी चाहे तब चोदना। ये भाभी आज से तेरी है” और उसने मुझे फिर किस करना शुरु किया। हुम एक दूसरे को फिर चूसते रहे, चूमते रहे। मैने उसे कहा “भाभी देवर को दूधू पिलाओ” उसने कहा “पूछो मत ये दूध और दूधवाली सब आप ही के लिये है, जितना दूध पीना है पी लो” और मैने बिना रुके उसके ३६ डी साइज़ के सेक्सी बूब्स दबाने लगा। उसे ज़ोरो से चूसने लगा, वो चीखने लगी, चूसो और ज़ोरों से, पी जाओ सारा, दीपेश आआआआअ आईईइ ईइ अ दूध ऊऊऊह ह्हह्हा आऐइ ईई ईई……ऊऊ ऊऊओ ऊऊओ ऊओ ऊ…आ आआअ आ आअ।
मैने अपनी चुसाई शुरु रखी, और वो मेरे लंड से खेले जा रही थी। २० मिनट मैने उसके बूब्स चूस चूस के लाल कर दिये, अब मेरा लंड फ़िर टाइट हो रहा था। अब तो मेरे लंड को उसके चूत के होल में जाना था। मेरा टाइट लंड मैने उसके चूत पर प्रेस किया। मेरा लंड मोटा होने के कारण अंदर जाने में थोड़ी प्रोब्लम हुआ। लेकिन २-३ हार्ड पुश के बाद अंदर गया। तब वो चिल्लाई आआअ आआअ आऐइ ईईईइ ऐईईइऊ ऊऊऊईइ ईईईई माआ आआआ निकालो बहुत दर्द हो रहा है, लेकिन वो उसे अलग नहीं होने दे रही थी। उसे भी बहुत मज़े आ रहे थे। मेरा लंड भी बहुत मज़ा कर रहा था। माउथ फ़किंग से चूत चुदवाना अच्छा लग रहा था। मैने उसे लगभग २० मिनट तक चोदा और उसके चूत में पानी निकाल दिया, उसी टाइम पे उसके भी चूत से पानी निकला।
फिर हम दोनो बाथरूम में एक साथ शोवर में नहाये, वहां भी मैने थोड़ी मस्ती की। ओफ़िस से घर आने के बाद ७.०० से लेके ९.३० तक चुदाई का ही प्रोग्राम चलता रहा। उस रात को हम दोनो एक ही बेड पे सोये थे एक दूसरे के बाहों में हब्बी & वाइफ़ की तरह। मेरी सेक्सी भाभी के बदन की आग ठंडी हो ही नहीं रही थी। सुबह ५.३० को वो फ़िर से मेरे लंड के साथ खेलने लगी मैं तब नींद में था। लेकिन उसके मस्ती से मैं उठ गया और मेरा लंड भी उठ गया। और फिर १ बार मस्त चुदाई हुई।
उस पूरे दिन में हम दोनो ने ४-५ बार सेक्स किया, मैं तो पूरा थक गया था और वो भी। दूसरे दिन मैं ओफ़िस जा ना सका।
इस लिये मैने इस स्टोरी को “भाभी फ़क्ड मी” ये नाम दिया है। वो रात मैं अपनी ज़िंदगी में कभी नहीं भुला सकता। उसके बाद मैने भाभी को बहुत बार अलग अलग तरीके से चोदा है। लेकिन अच्छी बाते कभी ज्यादा देर नहीं टिकती वैसे ही हुआ, लास्ट मंथ में भैया का ट्रांसफ़र हो गया गुड़गांव में, और उन्हें शिफ़्ट होना पड़ा। भाभी भी अब उन्हीं के साथ रहती है। अब मुम्बई में बिल्कुल अकेला हूं।
अब मेरे लंड को चोदने की अच्छी आदत लगी है, और जैसा भाभी ने कहा था कि लड़कियों को बड़े लंड वाले लड़के पसंद है वैसे ही हुआ, मेरे ओफ़िस में एक लड़की है, उसने मुझसे फ़्रेंडशिप की, मैने उसे परपोज़ भी किया। उसे भी मैं ३-४ बार चोद चुका हूं। ये स्टोरी मैं आपको अगली बार ज़रूर बताउंगा।

गर्ल-फ्रेंड की सील तोड़ चुदाई

मेरा नाम अंकित शर्मा है.. मैं एक गाँव का रहने वाला हूँ और एक बहुत अच्छा लड़का हूँ.. मैं बहुत दिनों तक सकुचाने के बाद यह कहानी लिख रहा हूँ.. यह कहानी बिल्कुल सच्ची है। मेरी बहुत सी गर्ल-फ्रेण्ड थीं.. पर मैंने किसी के साथ भी शारीरिक सम्बन्ध नहीं बनाए थे।

मैंने 12 वीं पास की और मैं कॉलेज में अपनी आगे की पढ़ाई करने गया। मेरा कॉलेज में पहला दिन था.. उस दिन क्लास में सिर्फ़ मैं एक अकेला लड़का था। तभी एक लड़की आई.. मैं उसका नाम नहीं लेना चाहता हूँ। मैंने उससे बात की.. फिर हम पूरे दिन एक साथ बैठे रहे।
मेरे दिल में भी कुछ था और उसके दिल में भी.. पर मैंने उस दिन उससे कुछ नहीं बोला।
अगले दिन जब मैं कॉलेज गया.. तो यही कोई 10-15 लड़के-लड़कियाँ आए थे। मैंने उससे दूर से ही बात की और जब हम घर जाने लगे.. तो मैं गेट के पास खड़ा था।
वो मेरे पास आई और बोली- आपका नम्बर क्या है?
मैंने उसे जल्दी से अपना नम्बर दे दिया फिर मैंने उसका नम्बर माँगा.. तो बोली- मैं खुद फोन करूँगी..
‘ठीक है..’
मैं बहुत खुश था.. तभी मैं गया.. और मैंने अपना मोबाइल रीचार्ज कराया। तब तक उसके मिस कॉल आ गया.. मैंने कॉल-बैक की तो उससे बात हुई और मैंने उसे मिलने के लिए बुलाया।
वो अपने होस्टल के अपने कमरे से आ गई। हम दोनों यूँ ही टहलने निकल पड़े और टहलते हुए सुनसान में जंगल की तरफ चले गए। वहाँ हम दोनों ने एक निर्जन जगह देखी और बैठ गए।
तभी मैंने उसे चुम्बन किया.. वो शर्मा गई और मुझसे पूछने लगी- चुम्बन करने से कुछ होगा तो नहीं?
मैं हंस पड़ा और मैंने बोला- चुम्मी से कुछ नहीं होता।
उस दिन तो मुझे इससे अधिक मौका नहीं मिला.. क्योंकि दिन का वक्त था।
इस तरह उससे मेरी मुहब्बत आगे बढ़ने लगी। इसी तरह कुछ दिन बीत गए.. ऐसे ही चलता रहा।
अब मैंने फोन से उसके साथ सेक्सी बातें करना शुरू कर दी थीं। फिर वो दिन भी आ ही गया.. जिसका मुझे इंतजार था।
एक दिन मैंने उसे फोन से कहा- हनी.. मैं तुम्हारे साथ सेक्स करना चाहता हूँ।
उसने साफ़ मना कर दिया। मैंने गुस्से में फोन काट दिया। उसका पलट कर फोन आया.. मैं समझ गया कि आज काम हो जाएगा। बात हो गई वो मुझसे चुदने को राजी हो गई थी।
उसको मैंने बोला- मेरे लिए खाना बना दे.. मैं तेरे कमरे में आ रहा हूँ।
बोली- ठीक है.. पर कुछ करना मत..
मैंने बोला- ठीक है..
मैं जल्दी-जल्दी उसके पास गया। उस दिन उसने काले रंग का कुर्ता और सफ़ेद लैगीज पहन रखा था.. उसके बाल खुले थे उसे देख कर मेरा लण्ड खड़ा हो गया।
मैंने उससे पकड़ लिया और चुम्बन करना शुरू कर दिया। वो बहुत नखरे कर रही थी, मैंने बोला- चुम्बन ही तो कर रहा हूँ.. और ऊपर ऊपर से करने से कुछ नहीं होता है।
अब मैं उसके साथ बिस्तर में लेट गया और मैंने उसकी चूचियों पर हाथ डाल दिए। आह्ह.. इतने सेक्सी और सॉफ्ट मम्मे.. आह.. वो मेरा हाथ हटाने लगी।
मैंने उससे बोला- तू मुझे प्यार करती है.. तो ठीक है.. नहीं तो मैं मर जाऊँगा।
वो बोली- ठीक है.. जो भी तुमको करना है करो.. मैं तुमसे प्यार करती हूँ।
मैंने धीरे-धीरे उसकी फुद्दी में हाथ डाला.. और उसको मसलना चालू किया। अब वो भी मेरा साथ देने लगी। मैं उसे लगातार चुम्बन कर रहा था।
मैंने उसकी कमीज उतारी.. ओह.. उसने मस्त सफ़ेद रंग की ब्रा पहन रखी थी। मैंने धीरे-धीरे उसके सारे कपड़े उतार दिए और अपने भी कपड़े उतार दिए।
अब हम दोनों नंगे थे.. वो मुझसे शर्माने लगी थी। उसने अपने जिस्म को छुपाने के लिए कम्बल ओढ़ लिया.. मैंने कम्बल हटाया और उसके ऊपर चढ़ गया।
मैंने उसके होंठों को चूमा और उसकी चूचियों को चूसने लगा।
अब उसको भी चुदास चढ़ने लगी, वो भी मुझे चुम्बन करने लगी। मेरा लण्ड भी खड़ा हो गया था.. अब मुझसे और सब्र नहीं हो रहा था।
मैंने उसकी फुद्दी में थोड़ी सी क्रीम लगाई, फिर उसकी परवाह किए बिना.. लौड़े को चूत की दरार में ऊपर-नीचे रगड़ने लगा। उसकी चूत भी रो पड़ी और जैसे ही उसने उत्तेजित हो कर अपनी टाँगें फैलाईं.. मेरे टोपे ने उसकी फुद्दी में अपना सर रख दिया। अब मैंने धक्का मारा और लौड़े को चूत में ठेलने लगा।
मैंने अभी थोड़ा सा ही अन्दर घुसाया था.. पर लण्डदेव उसकी चूत में घुसने का नाम ही ले रहे थे। मैंने लौड़ा बहार खींचा.. उस पर थूक लगाया। अब फिर से लण्ड को पकड़ा और उसकी फुद्दी में रख दिया और एक ज़ोरदार धक्का दिया.. मेरा लौड़ा अन्दर घुस गया।
वो चिल्ला पड़ी- ओई..माँ.. मर.. गईई…
वो ज़ोर-ज़ोर से रोने लग गई.. मैंने उसे चुप कराया.. वो मुझे अपने ऊपर से हटाने लगी।
मैंने खींच कर एक थप्पड़ मार दिया.. मुझे चिंता थी कि बाहर और लोग भी रहते हैं.. साली की चीख-पुकार सुन कर कोई आ न जाए..
मुझे डर भी लग रहा था.. पर मैंने उसे ज़ोर से पकड़ा उसके हाथ दबा दिए और अपना लण्ड पूरी ताकत से पेल दिया। उसके मुँह को मैंने अपने होंठों से चूमने से बन्द कर दिया था।
उसे बहुत दर्द हो रहा था क्योंकि उसका यह पहली बार था। यही कोई 5-6 मिनट के बाद मुझे तो मज़ा आ ही रहा था उसको भी मजा आने लगा।
वो मजे से चुदती रही फिर एकाएक वो अकड़ गई और झड़ गई.. उसके बाद मैं भी झड़ गया।
वो बोलने लगी- आज के बाद.. मुझसे बात मत करना।
वो रो रही थी, उसके बाद वो उठ कर बाथरूम में चली गई।
मुझे भी उसको थप्पड़ मारने का अफ़सोस तो हो ही रहा था।
इसके बाद उसने मुझसे दोस्ती तो बनाए रखी.. मैं भी उसे प्यार करता रहा।
पढ़ाई के बाद उसकी जॉब लग गई.. पढ़ाई के बाद मैंने भी कॉलेज छोड़ दिया.. मैं भी उसके साथ रहने लगा था।
फिर तो दिन में 3-4 बार चुदाई करते थे.. करीब दो साल ऐसा ही चलता रहा।
बाद में मैं आगे पढ़ने के लिए चला गया अब वो शिमला में रहती है.. मैं हर 5 या 6 दिन बाद उसके पास जाता था। अब तो वो मुझे खुद बुलाती थी और मुझे आने-जाने के पास भी भेजती थी। मेरी जिन्दगी एकदम मस्त चल रही थी.. पर आज हम अलग-अलग हैं।
यह कहानी बिल्कुल सच है दोस्तो.. उसने मुझे धोखा दिया.. अपनी माँ के कहने से किसी और से शादी कर ली।
अब मैं आजकल दिल्ली में हूँ और सिर्फ उसको ही याद करता हूँ।
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