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Channel: ଭାଉଜ ଡଟ କମ - Odia Sex Story
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चूत चुदाई की प्रेम कहानी

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मेरा नाम जीत है मेरा कद 5’9″ है.. रंग गोरा और साधारण शरीर है। मैं अहमदाबाद का रहने वाला हूँ और अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ।

यह बात 3 साल पहले की है.. हमारे पड़ोस में एक नया परिवार रहने आया था।
उस परिवार में पांच लोग थे.. अंकल, आंटी.. उनका 25 वर्षीय बेटा अरुण.. 22 वर्षीय बेटी प्रीति.. 19 वर्षीय मोनिका..
शर्मा जी बैंक में नौकरी करते थे। आंटी का स्वभाव बहुत अच्छा था.. थोड़े समय में ही वो हम सब से घुल-मिल गई थीं।
मोनिका और मेरी बहन एक ही कॉलेज में जाती थी। अरुण की थोड़े समय में जॉब लग गई थी। प्रीति भी नौकरी की तलाश में थी।
उसने बी.टेक. किया था लेकिन उसको कोई जॉब नहीं मिल रही थी.. क्योंकि वो यहाँ नई थी।
मैंने उसके लिए मेरी कंपनी और दूसरी तीन-चार कंपनियों में नौकरी के लिए कोशिश की तो उस मेरे ऑफिस के पास की एक कंपनी में नौकरी मिल गई।
उस दिन वो बहुत खुश थी.. उसने मुझे थैंक्स कहा।
प्रीति अच्छे नयन-नक्श वाली साधारण लड़की थी.. उसकी सादगी की वजह से मैं उसको मन ही मन चाहने लगा था.. लेकिन कभी कह नहीं पाया.. मौका ही नहीं मिला।
एक बार जब मैं ऑफिस जा रहा था.. तो मैंने देखा कि वो बस के इंतजार में खड़ी थी।
मैंने उससे कहा- मेरे साथ चलो न…
तो उसने मना किया.. मेरे जिद करने पर वो मेरे साथ जाने को तैयार हुई।
उसके बाद ऐसा कई बार हुआ एक बार मैंने उससे कहा- क्या वो मेरे साथ कॉफ़ी पीने चलेगी?
तो पहले उसने मना किया और फिर बाद में मान गई।
हम सीसीडी गए.. वहाँ मैंने उससे मेरे बारे में पूछा.. तो उसने कहा- वो मुझे एक अच्छा दोस्त मानती है।
मैंने हिम्मत करके उसको ‘आई लव यू’ बोल दिया.. तो उसने कहा- मैं इस बारे में बाद में बताऊँगी।
उसके बाद उसके भाई का तबादला मुंबई हो गया।
थोड़े दिन बाद एक दिन रात को में छत पर खड़ा था.. तभी वो अपनी छत पर आई, हमारी छत की दीवार मिली हुई थीं।
मैंने उससे मेरे लिए जवाब पूछा.. तो वो हंसी और उसने शर्म से अपना चेहरा छुपा लिया।
मैं समझ गया.. हंसी मतलब फंसी…
मैं दीवार फांद कर उसकी छत पर गया और उसके चेहरे से उसके हाथ हटा कर उसके गाल पर चुम्बन किया.. तो वो मुझसे लिपट गई।
मैंने उसको कस कर अपनी बांहों में भर लिया और उसके गुलाबी चेहरे को थोड़ा ऊपर किया। उसके होंठ एकदम लाल थे.. उसकी आँखें बंद थीं।
मैंने उसके कांपते हुए होंठों को अपने होंठों में बंद कर लिया।
दोस्तो, उस समय में जो महसूस कर रहा था वो मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता।
दस मिनट बाद जब आंटी ने आवाज लगाई.. तो हम अलग हुए।
उसके बाद जब भी हमें मौका मिलता तो हम एक-दूसरे से प्यार करते.. कभी छत पर तो कभी पार्क में…
एक बार उसके ऑफिस में हाफ-डे था और उसने घर पर नहीं बताया था.. तो मैंने ऑफिस से छुट्टी ली और हम दोनों मूवी देखने चले गए।
सिनेमा हॉल में भीड़ कम थी हमने कोने की टिकट ली और मूवी देखने लगे।
मैं उसकी कुर्ती के अन्दर से उसके 34″ साइज़ के मम्मों को दबा रहा था.. मूवी में एक बेडरूम सीन आया.. मैं उसको चुम्बन करने लगा।
मैंने अपना लंड निकाल कर उसके हाथ में दिया.. तो वो उसको सहलाने लगी।
मैंने उसको चूसने को बोला.. तो उसने मना कर दिया.. मैंने जिद करके उसको चूसने के लिए मनाया।
उसके बाद मूवी ख़त्म होने तक हमारी मूवी चलती रही.. उसके बाद हम घर आ गए।
शाम को मौसम बहुत सुहाना था.. जब हम छत पर मिले तो उसने बताया कि अंकल आंटी सत्संग में गए हैं.. तीन घंटे बाद आएंगे और मोनिका पढ़ने के लिए अभी-अभी हमारे घर आई थी।
मैं समझ गया कि दोपहर को जो काम अधूरा रह गया था.. उसको पूरा करने का अच्छा मौका है.. बाद में पता नहीं कब मिले।
मैं उसकी छत पर गया और उसको वहीं पर चुम्बन करने लगा.. तो वो बोली- अभी रात नहीं हुई.. कोई देख लेगा।
तो मैं उसको लेकर नीचे उसके कमरे में आ गया।
उसको कमरे में छोड़ कर मैं बाहर दरवाजा बंद करके आया ताकि कोई आ ना सके।
जब मैं कमरे में पहुँचा तो प्रीति दीवार की तरफ मुँह करके खड़ी थी।
मैंने पीछे से उसको बांहों में लिया और उसकी गर्दन पर चुम्बन करने लगा तो वो पलट कर मेरे सीने से लिपट गई।
अब मैं उसके होंठों को चूस रहा था और मेरे हाथ उसकी पीठ पर उसकी कुर्ती की चैन खोल रहे थे।
मैंने उसको चुम्बन करते हुए उसकी कुर्ती और ब्रा.. दोनों पीछे से खोल कर.. उसके कन्धों पर से नीचे सरका दी।
जब उसको पता चला तो वो थोड़ा शरमाई.. लेकिन तब तक दोनों चीजें उससे अलग हो चुकी थीं।
अब उसके स्तन मेरे सामने नंगे थे.. मैंने अपनी टी-शर्ट उतारी और उसको दीवार के साथ खड़ा करके उसके स्तन चूसने लगा। स्तन चूसते-चूसते उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और उसकी सलवार नीचे सरक गई।
उसने उसको सँभालने की कोशिश की.. लेकिन मैंने उसका गोद में उठा कर बेड पर लेटा दिया और उसकी चड्डी भी उसके शरीर से अलग कर दी।
उसकी कुंवारी चूत देख कर मुझे नशा होने लगा।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैंने मेरे बाकी के कपड़े उतारे और उस पर लेट गया।
मैंने ऊपर से चूमना शुरू किया होंठ, स्तन, पेट, टाँगें और फिर चूत.. उसकी महक मैं आज तक नहीं भूला.. मैं उसकी चूत को चूसने लगा।
कुछ ही देर में हम 69 की अवस्था में आ गए थे.. वो मेरा लंड चूस रही थी।
धीरे-धीरे उसका शरीर अकड़ने लगा वो झड़ रही थी.. मैंने उसकी चूत का पानी पिया.. उसकी चूत पूरी गीली थी।
मैंने सोचा अब सही मौका है.. मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा लेकिन वो अन्दर नहीं जा रहा था।
मैंने उसकी कमर के नीचे तकिया लगाया और उसकी टांगों को चौड़ा करके.. लंड उसकी चूत पर रखा और उस पर लेट कर उसको चुम्बन करने लगा।
अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा.. उसके मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थीं।
मैंने उसके होंठों पर होंठ रखे.. उसको कस कर पकड़ लिया और एक झटका लगाया तो आधा लंड अन्दर घुस गया।
वो चीखी लेकिन मेरे होंठों में उसकी चीख दब कर रह गई।
मैंने लंड को थोड़ा बाहर किया और एक तेज झटका और लंड झिल्ली तोड़ते हुए अन्दर तक गया.. वो जोर से चीखी और रोने लगी।
बोली- बाहर निकालो…
मैंने उसको समझाया, ‘जान.. बस हो गया.. अब तो आगे जन्नत है…’
थोड़ी देर में वो नार्मल हुई और मैंने उसके होंठों को चूसना और स्तन दबाने चालू रखे।

थोड़ी देर में उसको चूत चुदाई का मजा आने लगा।
मैंने रफ़्तार बढ़ा दी.. दस मिनट के बाद मैं झड़ने वाला था.. तब तक वो एक बार झड़ चुकी थी।
जब मेरे लण्ड ने वीर्य धार छोड़ी तो उसकी गर्मी से वो एक बार और झड़ गई।
थोड़ी देर तक हम वैसे ही लेटे रहे जब हम उठे तो उसने बिस्तर पर खून और वीर्य के निशान देखे.. तो मैं बोल उठा, ‘जान ये हमारे प्यार की निशानी है।’
उसके बाद.. जब भी हम को मौका मिलता.. तो हम एक हो जाते।
आपको हमारी यह चूत चुदाई की प्रेम कहानी कैसी लगी?

मेरी सुहागरात की चुदासी चीखें

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नमस्ते दोस्तो, यह मेरी सुहागरात की कहानी है।
मेरी लव-मैरिज हुई है और हम शादी से पहले ही चुदाई यानि सुहागरात और सुहागदिन भी यानि सेक्स कर चुके हैं..
पर आज की रात मतलब असली सुहागरात को जो मेरे पति ने किया मज़ा ही आ गया।
मेरी जेठानी भाभी ने मुझे आँख मार कर एक गोली दी और कहा- इसे खा ले.. वरना एक बार में ही पेट से हो जाएगी और आगे ठुकवाने का मौका गायब हो जाएगा।
उनकी बातों से आपको मालूम हो गया होगा कि हमारे परिवार में सब खुली विचारधारा के हैं।
सास भी बोली- भाई, मैं तो चली अपने कमरे में.. बहू तू भी जा.. शादी में एक हफ्ते से वक्त ही नहीं मिला.. चलो थोड़ा हम भी खुद को घिसवा लें.. इसकी तो आज सुहागरात है.. कितना नीचे दबेगी यह तो सुबह ही पता चलेगा।
सासू माँ यह बोलती हुईं मुझे ‘गुड-लक’ कह कर चली गईं।
मेरे पति संजय मुझे बहुत प्यार करते हैं और उनके डिंपल पे मैं फ़िदा हूँ।
वो कमरे में आए और गिफ्ट में मुझे एक हीरे की अंगूठी पहना दी, बोले- आज हमारी सुहागरात है, आज कुछ ज्यादा मज़ा आएगा जानू.. इसके पहले वो बात नहीं थी..
मैंने पीली साड़ी पहनी थी और बहुत कम जेवर पहने हुए थे.. मैं बहुत ही सुन्दर दिख रही थी।
‘आज तुम्हें फाड़ दूँगा..’
मैं मन ही मन खुश हो गई।
वो बोले- अपनी पैंटी तो उतारो ज़रा..
मुझे लगा.. पता नहीं क्या करने वाले हैं?
मैंने साड़ी उठाई, अन्दर हाठ डाल के नीचे से पैंटी उतार दी..
उन्होंने उसको सूँघा और बोले- आँखें बंद करो।
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मैंने आँखे बंद कर लीं।
उन्होंने मुझे लिटा कर एक गरम जैल सा पदार्थ मेरी चूत के मुँह पर डाला और बोले- मैं बाथरूम हो कर आता हूँ.. यूँ ही लेटी रहना।
मैं लेटी रही.. वो थोड़ी देर बाद आए और पूछा- कुछ हुआ?
मैंने कहा- हाँ.. मैं अचानक चुदने को तड़प रही हूँ.. संजय मेरी छाती तक में सिहरन हो रही है।
बोले- मेरी जान, यह तो बात है।
उन्होंने धीरे-धीरे मेरे सारे कपड़े उतारे और मेरे मम्मों को चाटने लगे।
मेरे मुँह से ‘स्स्स… स्स्स्स्स…’ सिसकारी निकल पड़ी और धीरे-धीरे मेरी चूचियाँ और कड़ी और निप्पल कड़क होते गए।
ये बार-बार मेरी दोनों छातियों को मसल रहे थे और काट-काट कर लाल किए जा रहे थे।
इन्होंने अपना एक हाथ चूत पर रखा और बोले- हाय, तुम तो पानी से भर गई हो.. मेरा क्या होगा?
मैंने कहा- जो होगा.. आपको पापा कहेगा।
यह सुनते ही मुझसे लिपट गए और बोले- बोलो तो बना दूँ माँ?
मैंने कहा- अभी तो मेरी तड़प मिटा दो.. संजय।
ये धीरे-धीरे अपनी ऊँगली मेरी चूत की दरार पर चलाने लगे और बोले- मेरी जान ये साफ़ चूत खा जाऊँगा।
मैंने कहा- किसका इंतज़ार है फिर.. खा लीजिए न.. यह फ़ुद्दी आपकी ही है..
ये नीचे गए और अपना मुँह सीधा मेरी चूत के मुहाने पर रख कर जीभ से चाट दिया।
‘आआह्ह्ह्ह्ह्ह…’
दोस्तो, मैं क्या बताऊँ.. क्या हुआ मुझे.. मैंने अपने चूतड़ उठा कर अपनी चूत उसके मुँह के पास ला दी।
ये मेरे सुराख में ऊँगली डालते हुए मुझे चाटने लगे।
मैंने कहा- संजय प्लीज.. आज मुझे पूरी तरह से बर्बाद कर दीजिए..
इन्होंने अपनी नाक से मेरी चूत को सूंघा और बोले- ये तो शुरुआत है.. हनीमून पर तो तुझे चलने नहीं दूँगा..
मैं मन में अपनी किस्मत पर मुस्कुरा दी।
अब मैंने कहा- संजय अब नहीं रहा जाता।
वो बोले- एक मिनट और..
फिर ढेर सारा वो ही जैल मेरी चूत पर डाल दिया।
मैंने कहा- ये क्या है.. जो मुझे गरम कर देता है और चुदने का दिल और मचलने लगता है?
बोले- यही तो सीक्रेट है जान..
संजय ने थोड़ा सा जैल अपने लण्ड पर भी लगाया।
मैंने कहा- संजय आओ..
मैंने उनको फिल्मों के हीरो की तरह बाँहों में खींच लिया..
ये उत्तेजित हो गए और मेरी दोनों टाँगें उठा कर झट से लंड मेरी सिसियाती चूत में डाल दिया।
मुझे तो जैसे हिचकी सी लग गई।
मैंने कहा- आपने ऐसा पहले तो कभी नहीं किया।
तो बोले- आज तुम मेरी बीवी हो.. अब तो ऐसा चोदूँगा कि हर दिन कहोगी.. चूत फट गई है..
खैर.. थोड़ी देर बाद मुझे ऐसा नशा सा हुआ लगा कि अन्दर तूफ़ान मचा है।
मैंने कहा- संजय ये बहुत अच्छा जैल है.. मुझे मेरे दूध बड़े से लग रहे हैं.. भरे-भरे भी और बच्चेदानी बहुत खुल गई है.. तो दिल और भी कह रहा है सारी रात तुम्हारे नीचे अपना पानी छोड़ कर गुजार दूँ।
ये हंस दिए और बोले- शुरू करूँ..?
मैंने ‘हाँ’ में सर हिलाया.. इन्होंने अपने दोनों हाथों को मेरे कन्धों के नीचे लिया और सपोर्ट बना कर एक झटका दिया।
मैंने सुरूर में सिसियाई- आआह्ह्ह… ह्ह संजय.. मेरी जवानी निचोड़ दो आज..
मैंने अपनी दोनों टाँगें इनकी कमर में जकड़ दीं।
ये मुझे ‘घच्च्च्च्च घच्च्च्छ्ह’ ठोकने लगे।
मैं नीचे से अपनी गांड उछाल-उछाल कर धक्कों में सपोर्ट देने लगी।
ये बोले- हाय मेरी जान.. आज से पहले इतनी सी देर में यूँ न करती थीं।
मेरे मुँह से ‘आआअह्ह्ह्ह.. और करो..’ निकल पड़ा।
ये संजय को भा गया।
मैंने कहा- संजय मुझे नशा सा हो रहा है।
मैं अपनी चूत को इनके नीचे गोल-गोल घुमाने लगी.. ये भी लंड को वैसे ही घुमाते हुए बोले- तनीषा, आज तू मेरी औरत बन गई।
मैं यह सुन कर निहाल हो इनसे चिपटने को हुई तो इन्होंने दोनों मम्मों को पकड़ कर ज़ोरदार धक्का दिया और झट से बाहर आ गए और फिर अपना मुँह चूत पर रख कर मुझे मेरे चूतड़ों से पकड़ लिया और अन्दर के होंठ ‘लपलप’ चाटने लगे।
मैंने कहा- संजय मैं झड़ जाऊँगी।
तो ये थोड़ी देर अलग हट गए और मेरे ऊपर आकर बाल सहलाने लगे।
बोले- अभी नहीं आज तुझे पूरा अन्दर तक झड़ूँगा..
तीस सेकंड बाद फिर लण्ड डाल दिया और मेरे गर्दन पर दांत रख दिए।
मैंने कहा- जानू दर्द होता है।
ये बोले- होने दे.. तेरे निशान से मुझे प्यार आएगा।
अब संजय ने मेरी ‘घपाघप’ चुदाई बढ़ा दी।
मैं- आआह्ह्ह्ह.. आआह्ह्हह.. करो और अन्दर तक डालो जानू.. मेरी बच्चेदानी प्यासी न रह जाए..
बोले- ये नहीं होने दूँगा..
मैं ‘आआह्ह्ह आअह्ह्ह..’ करके उछल-उछल कर अपने चूतड़ों को इनके और करीब लाकर चुदवाने लगी।
मैंने इनकी गांड को जोर से पकड़ा तो ये बोले- मुझे तुम्हारी गांड के नीचे तकिया लगाने दो।
इन्होंने तकिया लगाया और अपना लण्ड अन्दर सरका कर बोले- अब देख तेरी बच्चेदानी क्या कहती है।
मैंने कहा- जानू मेरी चूत लो.. और लो आआअह्ह्ह.. इतना जोर का चोदो कि मैं भूल ही न पाऊँ..आह्ह..
ये जोश में आते जा रहे थे.. बोले- हाँ.. मेरी रानी.. तेरे दूध तो मुझे और पागल कर रहे हैं इनमें अपने लिए जल्दी दूध उतारना पड़ेगा.. आआअह्ह्ह.. ले और अन्दर डालूँ..
मैंने कहा- हाँ..आआन्न्न्न्न मेरे राजाआआ.. आआह्ह्ह्ह!
चुदाई की जोर-जोर से ‘घ्छ्छ्ह्ह्ह्ह्ह.. घछह्ह’ की आवाजें आने लगीं।
मैं और टाँगें खोल-खोल कर इनको जूनून दे रही थी।
ये बोले- रानी.. देख कितना रस टपका कि तेरी चादर तेरे रस से भर गई।
मैंने भी देखा तो चादर पे गीला बड़ा सा दाग था।
इन्होंने मुझे पलंग के कोने पे घसीट लिया और मेरी टाँगें अपने कन्धों पर रख कर लण्ड अन्दर डालने लगे और मेरे निप्पल कस कर मसल दिए।
मुझे बेहद दीवानगी हो रही थी, पलंग आवाज़ करने लगा था.. मैं पीछे हटी और बिस्तर पर लेट गई।
ये फिर ऊपर चढ़े और मुझे इतना कसकर जकड़ लिया कि मेरे जवान जिस्म की हड्डियाँ चटक गईं।
मैं ‘आआअह्ह्ह संजूउय्य्य बहुत मज़ा आ रहा है.. आआयईई इस्स्स् मेरी मैयाअ हाय्य्यए सन्नजाआयय ऊऊऊ एअह्ह्ह्ह्ह जल्दी जल्दी करो.. मैं झड़ने को हूँ.. मेरा होने वाआआल्लआआअ हाआय्य्ऎ.. चोदॊऒ नाआआआअ..
यह मौका देख कर मेरी घुंडियों को मसलने लगे मैं तो बस निहाल होकर ‘आआअह्ह्ह्ह्ह.. मेरे सन्जाय्य्य हाअन्न्न्न्न आआहह्ह्हाआन्न्न..” करते हुए चूत को और ऊपर उठाने लगी।
‘संजय.. मेरा.. हो रहा हैं संजय..अह.. मेरी चूत झड़ने को है.. मुझे बाँहों में जकड़ लो..’ करते हुए मेरी टाँगें हवा में होकर थरथराने लगीं।
संजय ने झट से मुझे अपने से चिपका लिया- हाँ मेरी जान..
मैं संजय की छाती से लग कर सिसियाने लगी- आआअह्ह्हाआआअ.. मेरी चूत बह रही है… संजय मेरा पूरा पानी निकाल दो.. नाआ आआह्ह्ह्ह्ह्ह.. लो न मेरी चूत और लो.. भोसड़ा बना दो.. संजय आआह्ह्ह्ह्ह..
मैं नीचे से ज़ोरदार धक्के देने लगी.. मुझे लगा, ये क्यों रुके हैं।

तो ये बोले- तुम ही करो जानू.. भरपूर झड़ोगी..
इन्होंने मेरे चूतड़ों के बीच में मेरी गाण्ड के छेद में उंगली डाल दी।
मैं उछली तो लंड और अन्दर सैट हो गया।
मैंने मादक कराह निकाली- आआअह्ह्ह हय मेरी मैय्य्य्य्या.. स्स्स् भोसड़ा बना दो मेरा छेद हायईई संजय्य्य्य.. मैं गई.. मेरा पानी निकलाआआअ.. आअह्ह्ह मेरा हो याआआआ अय हय..
मैं तो ख़त्म हो गई.. पर संजय अभी वैसे ही थे।
मैंने हाँफते हुए कहा- क्या हुआ.. क्या आप नहीं हुए?
तो ये बोले- नहीं.. तुझे जब तक आज पूरा न निकाल दूँ.. एक बूँद नहीं आऊँगा।
मैं अब शिथिल हो चुकी थी..
उस रात मेरी सुहागरात में मेरे झड़ने के करीब बीस मिनट तक संजय ने मुझे और चोदा और मैं फिर से उत्तेजित होकर चुदाई में ठोकरें लगाने और खाने लगी थी।
फिर समागम हुआ और हम दोनों एक-दूसरे की बाँहों में बाँहें डाल कर सो गए।
दोस्तो, ये मेरी सुहागरात की कामुक कराहें आपकी नजर हैं।

चूत का कौमार्य लुटा बैठी एक लण्ड से

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अब पाठकों से मेरा निवेदन है कि बनावटी कहानी भेजकर अपनी विश्वसनीयता बर्बाद न करें।
आज तक पता नहीं मैंने कुछ किया या नहीं पर अब करने का दिल करता है। चार लड़कों के साथ 9 बार समय बिताकर पता चल गया है कि चुदाई ही शरीर की रोटी है।
जब प्यार किया, धोखा खाया।
जब प्यार करना बंद किया… हर एक से प्यार मिलने लगा है।
राहुल, अक्षय, नितेश, अमन ये चार हैं जिन्होंने मेरी चूत के दर्शन किए और घोड़ी की तरह मुझे मजा दिया और लिया।

आज मेरी शील भंग की कहानी से शुरु करना चाहूंगी, इजाजत दें।
12 वीं में साइंस और मैथ्स में पढ़ते-पढ़ते भूत चढ़ गया पढ़ाई का और 87% बना डाले।
घर वालों ने टेलेन्ट देखा तो कोटा की अकादमी में मुझे एडमिशन दिलाया और कमरा भी अलग.. जिसमें कोई मुझे तंग न करे क्यूंकि उन्होंने अपनी बेटी पर खुद से ज्यादा भरोसा किया.. पर किस्मत कहीं और ले जाएगी किसको पता था।
तीसरा दिन था क्लास में सफ़ेद शर्ट और ब्लू जीन्स के नार्मल लिबास में बैठी थी।
पास में बैठा एक लड़का शायद सिगरेट पीकर आया था।
मैंने अपने नाक पर रुमाल रख लिया।
उसने देख कर बोला- इतनी बुरी चीज नहीं है मैडम.. एक बार पीकर देखो।
मैंने कोई जवाब नहीं दिया.. पर पता नहीं क्यों.. क्लास से निकलते ही में सिगरेट लेने पान की दुकान पर चली गई।
सिगरेट लेते ही जब जलाने को माचिस मांगी तो वही लड़का लाइटर जलाकर खड़ा हो गया।
मैं हंस पड़ी और सिगरेट पीते-पीते हम चलने लगे बात होने लगी।
बातों-बातों में उसने बताया आज उसका बर्थ-डे था.. मैंने पार्टी मांग ली।
उसने बताया- शाम को पार्टी है आना।
मैंने मना किया.. पर वो नहीं माना। मैंने भी जिद छोड़ कर ‘हाँ’ कर दी।
शाम को स्कर्ट-टॉप में जब मैं पहुँची तो देखा वहाँ मैं अकेली लड़की थी और उसके 6 दोस्त थे।
मैं वापस जाने लगी तो उसने बोला- चिंता मत करो.. तुम आराम से हमारे साथ फ्रेंड की तरह रहो।
परिचय होने के बाद केक काट कर हम केक खाने लगे।
तभी बियर से भरा कार्टून बीच में आ गया।
मैं तो डर गई.. मेरी 2 ही सेकंड में फट गई।
मुझे बियर ऑफर की गई.. मैंने मना किया तो वो सब पीने लगे।
पीते पीते बर्थ-डे ब्वॉय तो वहीं लुढ़क गया.. तो उसके एक दोस्त ने मुझे घर छोड़ने के लिए कार निकाली।
मैं बैठ गई और जब उसने मेरे कमरे पर छोड़ा तो मैं उसे ‘बाय’ कहकर निकल गई।
रुक तो जाओ अन्तर्वासना के पाठकों तुम सब भी न.. बस चूत लंड का इंतज़ार करते हो।
कोचिंग के वक़्त सुबह मेरी दोस्त अनीषा आया करती थी।
जब कमरे का दरवाजा बजा.. तो मैं नहाने के लिए गई हुई थी।
मैंने कहा- अन्दर आकर बैठ जा.. मैं अभी आई।
जैसे ही मैं काली पैन्टी पहन कर भीगे बदन बाहर निकली.. मेरे तो पैरों तले जमीन खिसक गई।
मैं सिर्फ पैन्टी में थी और बाहर मेरी दोस्त नहीं वो लड़का था.. जो कार से मुझे छोड़ने आया था।
मैंने अपनी आँखें बंद कर ली।
कुछ देर बाद उसने मुझे कस कर पकड़ लिया।
पर मैं उसे धक्का देकर वापिस बाथरूम में भाग गई।
पर पता नहीं क्यों मैं खुद से बेकाबू हो गई थी, वापिस बाहर निकली और जाकर उससे लिपट गई।
होंठ से होंठ मिल गए.. मेरी चूची पर उसके हाथ चलने लगे।
मैं और वो दोनों ही कुछ जल्दी में थे.. दो सेकंड में एक भी कपड़ा हमारे बीच में न बचा था।
वो मुझ पर चढ़ने लगा.. तो मैंने भी क्रीम उठा कर उसे दे दी।
उसने पूरी क्रीम की डिबिया खाली कर दी.. अब लंड और चूत दोनों में भरपूर क्रीम थी।
क्रीम लगाते समय उसकी ऊँगली से.. मैं वैसे भी पागल हो चुकी थी कि अचानक मेरे दरवाजे को किसी ने बजाया।
मैंने डर कर अलग होकर जल्दी से सारे कपड़े पहन लिए और उसे कपड़े देकर बाथरूम में भेज दिया।
दरवाजा खोल कर देखा तो मेरी सहेली थी।
‘शिट..’ निकला मेरे मुँह से।
उसने कहा- क्या हुआ..!
मैंने कहा- यार आज मैं नहीं चल पाऊँगी.. मेरा पेट खराब है, तू चली जा।
उसके जाते ही मैंने दरवाजा बंद कर दिए और अपने कपड़े उतार कर बाथरूम में घुस गई।
बाथरूम में वो अब भी लंड सहला रहा था।
सर्दी के मौसम में भी मैंने फुव्वारा चला कर उसे अपने आगोश में ले लिया और उसने मुझे अपनी बाँहों में भर लिया।
वासना की आंधी फव्वारे की बारिश में चलने लगी।
मेरे सन्तरे उसने अपने मुँह में भर लिए.. सारा रस निचोड़ लिया।
फिर मुझसे भी न रहा गया मैं नीचे बैठ कर उसका केला चूस लिया।
कुछ ही देर में उसने मुझे फर्श पर लिटा दिया।
चूत में आग लगी थी खेल शुरू हो गया और चूत-लन्ड के खेल में… मैं अपनी सील तुड़वा बैठी।
पानी में खून बह निकला.. आँखों के आंसू पानी में ना दिख पाए।
दिख पाया सिर्फ यह.. कि हमारी आँखें एक-दूसरे की गहराई नापने लगीं।
तीन घंटे वो मेरे साथ रहा.. बहुत प्यार की बातें हुई।
आप मुझे मेरे मेल पर बताएँ वो चारों में से कौन था?
सही जवाब हुआ तो कुछ खास मिलेगा आपको।
धन्यवाद अन्तर्वासना।
फिर आऊँगी.. वादा रहा।

ଅନୁଭବ ବର୍ଷା ଚଉଠି ରାତି ର ଗିହା ଗେହି ( Anuvab O Barsha Chauthi Rati Ra Giha Gehi)

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 Pura chipi chipi taku puni khai gala bikali bhali. dudha ta nal padigalani ethara. Anubhav barsa ku talaku kari madi basila chadi se ta deharu sabu posaka kholi dela. Barsa ra goda di taku dui pataku adei jangha phadila. piuni kana hela ki jani jangha ku chatila. Jibha pura baharaku dekha jau tahe. Ethara bia ade gati kala ta jibha. Barsa ku bahut maja lagu thila se sexy dekha jauthila o anubhab ra munda ku jabudi dhari thila. Anubhav barsa ra bia chatiba arambha kala. chusumei la, ahuri chusumei la. Barsa Ra munda khali uthu thila paduthila. Puni anubhav munda ku barsa bia pakhaku dabi dauthila. Bodhe barsa ete din pare paithiba maja ku bhala re feel kari baku chanhu thila. Ebe anubhav jorre barsa ra bia ku chusmeila o barsa uthi padi anubhav galaku chapuda te dela. Anubhav ragi jai puni taku peli dei musala banda tiku ta bia re bharti kari dela, Barsa chata pata hoi gala bodhe tara dudha sina bada bada hele bia bata saru nala. Anubhav bhitaraku jorre pelila. Ahuri pelila . Ethara baramabara banda adei paseila. Kichi samaya barsha munha phulila pari disi ba pare ethara kintu hasa baaharila. Anubhav barsa ku banda dekhei la. Barsha banda ku dhari tala upara kala, Anubhav banda ahuri sakta hela. ethar bia ku munha kari banda ta ku eka tharare bharti kari dela. Barsa bia ru lala bahariba arambha hela. Anubhav se lala ku ani barsa patire jabardasta pureila. Barasa pati banda kari deu thiba bele anubhav jorre pelu debaru barsa pati aan kari rasa sabu pati bhaitare.

Emiti pura 3 ghanta paryanta giha ghelhi hele Ethara anubhav ra birja bahariala. se uthi padi barsa munhare bhari dela pura birja birja dhali gala barsa ra pura dehare. Bia ru arambha kari, Peta Dudha naal, Beka, otha, Anubhav ra birja ku chati pakeila barsa pura bhokila bhali khai gala lalua banda taku. Tapare rati thik 2: 50 belaku dunhe dress pindha pindhi hoi jodi hoi soi gale. Barsa kundhei ki dhari soi rahila anubhav upare. Anbhuv barsa gandi ku dhari soi gale. mu setki pare setharu chali asili sabuade anaili kehi kuade natahanti. ethara amaku milithiba room re jai sanga mananka saha soi rahili.

  sakalu uthi dekhila belaku dunhe pura alaga lagu thanti, bhabili ratire kan mu swapna dekhu thili. Ki langala chehera. Hela eta samastanka jibanare hue. Rati re gote chehera ku sakale au gotie. Pura niara e samparka. Mu pheri asili mo gan ku. MO gapa kemiti lagila lekhi janaibe. Tale thiba comment box re apananka ra su mata mata debe

ମୋ ସୁଂଦରି ଗିତା ଭାଉଜଂକୁ ଗେହିଲି (Mo Sundari Geeta Bhauja nku Gehili)

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Editor: Sunita Prusty
Publisher: Bhauja.com

तीन भाभियों की फुद्दी चुदाई (Teen Bhabhiyon Ki Fuddi Chudai)

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नमस्ते,
में हूँ मंगल. आज में आप को हमारे खंडन की सबसे खनगी बात बताने जा रहा हूँ मेरे हिसाब से मैंने कुछ बुरा किया नहीं है हालन की काई लोग मुझे पापी समज़ेंगे. कहानी पढ़ कर आप ही फ़ैसला कीजिएगा की जो हुआ वो सही हुआ है या नहीं.

कहानी काई साल पहले की उन दीनो की है जब में अठारह साल का था और मेरे बड़े भैया, काशी राम चौथी शादी करना सोच रहे थे.
हम सब राजकोट से पच्चास किलोमेटर दूर एक छ्होटे से गाओं में ज़मीदार हैं एक साओ बिघन की खेती है और लंबा चौड़ा व्यवहार है हमारा. गाओं मे चार घर और कई दुकानें है मेरे माता-पिताजी जब में दस साल का था तब मार गए थे. मेरे बड़े भैया काश राम और भाभी सविता ने मुझे पल पोस कर बड़ा किया.
भैया मेरे से तेरह साल बड़े हें. उन की पहली शादी के वक़्त में आठ साल का था. शादी के पाँच साल बाद भी सविता को संतान नहीं हुई. कितने डॉकटर को दिखाया लेकिन सब बेकार गया. भैया ने डूसरी शादी की, चंपा भाभी के साथ तब मेरी आयु तेरह साल की थी.
लेकिन चंपा भाभी को भी संतान नहीं हुई. सविता और चंपा की हालत बिगड़ गई, भैया उन के साथ नौकरानीयों जैसा व्यवहार कर ने लगे. मुझे लगता है की भैया ने दो नो भाभियों को छोड़ना चालू ही रक्खा था, संतान की आस में.
डूसरी शादी के तीन साल बाद भैया ने तीसरी शादी की, सुमन भाभी के साथ. उस वक़्त में सोलह साल का हो गया था और मेरे बदन में फ़र्क पड़ना शुरू हो गया था. सब से पाहेले मेरे वृषाण बड़े हो गाये बाद में कखह में और लोडे पैर बाल उगे और आवाज़ गाहेरा हो गया. मुँह पैर मुच्च निकल आई. लोडा लंबा और मोटा हो गया. रात को स्वप्न-दोष हो ने लगा. में मूट मारना सिख गया.
सविता और चंपा भाभी को पहली बार देखा तब मेरे मान में छोड़ने का विचार तक आया नहीं था, में बच्चा जो था. सुमन भाभी की बात कुच्छ ओर थी. एक तो वो मुज़से चार साल ही बड़ी थी. दूसरे, वो काफ़ी ख़ूबसूरत थी, या कहो की मुझे ख़ूबसूरत नज़र आती थी. उसके आने के बाद में हैर रात कल्पना किए जाता था की भैया उसे कैसे छोड़ते होंगे और रोज़ उस के नाम मूट मार लेता था. भैया भी रात दिन उसके पिच्छे पड़े रहते थे.
सविता भाभी और चंपा भाभी की कोई क़ीमत रही नहीं थी. में मानता हूँ है की भैया चांगे के वास्ते कभी कभी उन दो नो को भी छोड़ते थे. तजुबई की बात ये है की अपने में कुच्छ कमी हो सकती है ऐसा मानने को भैया तैयार नहीं थे. लंबे लंड से छोड़े और ढेर सारा वीरय पत्नी की छूट में उंदेल दे इतना काफ़ी है मर्द के वास्ते बाप बनाने के लिए ऐसा उन का दरध विस्वास था. उन्होने अपने वीरय की जाँच करवाई नहीं थी.
उमर का फ़ासला काम होने से सुमन भाभी के साथ मेरी अचची बनती थी, हालन की वो मुझे बच्चा ही समाजति थी. मेरी मौजूदगी में कभी कभी उस का पल्लू खिसक जाता तो वो शरमति नहीं थी. इसी लिए उस के गोरे गोरे स्तन देखने के कई मौक़े मिले मुझे. एक बार स्नान के बाद वो कपड़े बदल रही थी और में जा पहुँचा. उस का आधा नंगा बदन देख में शरमा गया लेकिन वो बिना हिच किचत बोली, ‘दरवाज़ा खीत ख़िता के आया करो.’
दो साल यूँ गुज़र गाये में अठारह साल का हो गया था और गाओं की सचूल की 12 वी में पढ़ता था. भैया चौथी शादी के बारे में सोचने लगे. उन दीनो में जो घटनाएँ घाटी इस का ये बयान है
बात ये हुई की मेरी उम्र की एक नोकारानी, बसंती, हमारे घर काम पे आया करती थी. वैसे मैंने उसे बचपन से बड़ी होते देखा था. बसंती इतनी सुंदर तो नहीं थी लेकिन चौदह साल की डूसरी लड़कियों के बजाय उस के स्तन काफ़ी बड़े बड़े लुभावने थे. पतले कपड़े की चोली के आर पार उस की छोटी छोटी निपपलेस साफ़ दिखाई देती थी. में अपने आप को रोक नहीं सका. एक दिन मौक़ा देख मैंने उस के स्तन थाम लिया. उस ने ग़ुस्से से मेरा हाथ ज़टक डाला और बोली, ‘आइंदा ऐसी हरकत करोगे तो बड़े सेठ को बता दूँगी’ भैया के दर से मैंने फिर कभी बसंती का नाम ना लिया.
एक साल पहले सत्रह साल की बसंती को ब्याह दिया गया था. एक साल ससुराल में रह कर अब वो दो महीनो वास्ते यहाँ आई थी. शादी के बाद उस का बदन भर गया था और मुझे उस को छोड़ने का दिल हो गया था लेकिन कुच्छ कर नहीं पता था. वो मुज़ से क़तराती रहती थी और में दर का मारा उसे दूर से ही देख लार तपका रहा था.
अचानक क्या हुआ क्या मालूम, लेकिन एक दिन महॉल बदल गया. दो चार बार बसंती मेरे सामने देख मुस्कराई. काम करते करते मुझे गौर से देखने लगी मुझे अचच्ा लगता था और दिल भी हो जाता था उस के बड़े बड़े स्तनों को मसल डालने को. लेकिन दर भी लगता था. इसी लिए मैंने कोई प्रतिभव नहीं दिया. वो नखारें दिखती रही.
एक दिन दोपहर को में अपने स्टूदय रूम में पढ़ रहा था. मेरा स्टूदय रूम अलग मकान में था, में वहीं सोया करता था. उस वक़्त बसंती चली आई और रोटल सूरत बना कर कहने लगी ‘इतने नाराज़ क्यूं हो मुज़ से, मंगल ?’
मैंने कहा ‘नाराज़ ? में कहाँ नाराज़ हूँ ? में क्यूं हौन नाराज़?’
उस की आँखों में आँसू आ गाये वो बोली, ‘मुझे मालूम है उस दिन मैंने तुमरा हाथ जो ज़टक दिया था ना ? लेकिन में क्या करती ? एक ओर दर लगता था और दूसरे दबाने से दर्द होता था. माफ़ कर दो मंगल मुझे.’
इतने में उस की ओधनी का पल्लू खिसक गया, पता नहीं की अपने आप खिसका या उस ने जान बुज़ के खिसकया. नतीजा एक ही हुआ, लोव कूट वाली चोली में से उस के गोरे गोरे स्तनों का उपरी हिस्सा दिखाई दिया. मेरे लोडे ने बग़ावत की नौबत लगाई.
में, उस में माफ़ करने जैसी कोई बात नहीं है म..मैंने नाराज़ नहीं हूँ तो मुझे मागणी चाहिए.’
मेरी हिच किचाहत देख वो मुस्करा गयी और हास के मुज़ से लिपट गयी और बोली, ‘सच्ची ? ओह, मंगल, में इतनी ख़ुश हूँ अब. मुझे दर था की तुम मुज़ से रुत गाये हो. लेकिन में टुमए माफ़ नहीं करूंगी जब तक तुम मेरी चुचियों को फिर नहीं छ्छुओगे.’ शर्म से वो नीचा देखने लगी मैंने उसे अलग किया तो उस ने मेरी कलाई पकड़ कर मेरा हाथ अपने स्तन पैर रख दिया और दबाए रक्खा.
‘छोड़, छोड़ पगली, कोई देख लेगा तो मुसीबत खड़ी हो जाएगी.’
‘तो होने दो. मंगल, पसंद आई मेरी च्छुचि ? उस दिन तो ये कच्ची थी, छ्छू ने पैर भी दर्द होता था. आज मसल भी डालो, मज़ा आता है
मैंने हाथ छ्छुड़ा लिया और कहा, ‘चली जा, कोई आ जाएगा.’
वो बोली, ‘जाती हूँ लेकिन रात को आओुंगी. आओउन ना ?’
उस का रात को आने का ख़याल मात्र से मेरा लोडा टन गया. मैंने पूच्छा, ‘ज़रूर आओगी?’ और हिम्मत जुटा कर स्तन को छ्ुा. विरोध किए बिना वो बोली,
‘ज़रूर आओुंगी. तुम उपर वाले कमरे में सोना. और एक बात बताओ, तुमने किस लड़की को छोड़ा है ?’ उस ने मेरा हाथ पकड़ लिया मगर हटाया नहीं.
‘नहीं तो.’ कह के मैंने स्तन दबाया. ओह, क्या चीज़ था वो स्तन. उस ने पूच्छा, ‘मुझे छोड़ना है ?’ सुन ते ही में छोंक पड़ा.
‘उन्न..ह..हाँ
‘लेकिन बेकिन कुच्छ नहीं. रात को बात करेंगे.’ धीरे से उस ने मेरा हाथ हटाया और मुस्कुराती चली गयी
मुझे क्या पता की इस के पिच्छे सुमन भाभी का हाथ था ?
रात का इंतज़ार करते हुए मेरा लंड खड़ा का खड़ा ही रहा, दो बार मूट मरने के बाद भी. क़रीबन दस बजे वो आई.
‘सारी रात हमारी है में यहाँ ही सोने वाली हूँ उस ने कहा और मुज़ से लिपट गयी उस के कठोर स्तन मेरे सीने से डब गाये वो रेशम की चोली, घाघारी और ओधनी पहेने आई थी. उस के बदन से मादक सुवास आ रही थी. मैंने ऐसे ही उस को मेरे बहू पाश में जकड़ लिया
‘हाय डैया, इतना ज़ोर से नहीं, मेरी हड्डियान टूट जाएगी.’ वो बोली. मेरे हाथ उस की पीठ सहालाने लगे तो उस ने मेरे बालों में उंगलियाँ फिरनी शुरू कर दी. मेरा सर पकड़ कर नीचा किया और मेरे मुँह से अपना मुँह टीका दिया.
उस के नाज़ुक होत मेरे होत से छूटे ही मेरे बदन में ज़्रज़ुरी फैल गयी और लोडा खड़ा होने लगा. ये मेरा पहला चुंबन था, मुझे पता नहीं था की क्या किया जाता है अपने आप मेरे हाथ उस की पीठ से नीचे उतर कर छूटड़ पर रेंगने लगे. पतले कपड़े से बनी घाघारी मानो थी ही नहीं. उसके भारी गोल गोल नितंब मैंने सहलाए और दबोचे. उसने नितंब ऐसे हिलाया की मेरा लंड उस के पेट साथ डब गया.
थोड़ी देर तक मुह से मुँह लगाए वो खड़ी रही. अब उस ने अपना मुँह खोला और ज़बान से मेरे होत चाटे. ऐसा ही करने के वास्ते मैंने मेरा मुँह खोला तो उस ने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी. मुझे बहुत अचच्ा लगा. मेरी जीभ से उस की जीभ खेली और वापस चली गयी अब मैंने मेरी जीभ उस के मुँह में डाली. उस ने होत सिकूड कर मेरी जीभ को पकड़ा और चूस. मेरा लंड फटा जा रहा था. उस ने एक हाथ से लंड टटोला. मेरे तटर लंड को उस ने हाथ में लिया तो उत्तेजना से उस का बदन नर्म पद गया. उस से खड़ा नहीं रहा गया. मैंने उसे सहारा दे के पलंग पैर लेताया. चुंबन छोड़ कर वो बोली, ‘हाय, मंगल, आज में पंद्रह दिन से भूकि हूँ पिच्छाले एक साल से मेरे पति मुझे हर रोज़ एक बार छोड़ते है लेकिन यहाँ आने के मुझे जलदी से छोड़ो, में मारी जा रही हूँ
मुसीबत ये थी की में नहीं जनता था की छोड़ने में लंड कैसे और कहाँ जाता है फिर भी मैंने हिम्मत कर के उस की ओधनी उतर फेंकी और मेरा पाजामा निकल कर उस की बगल में लेट गया. वो इतनी उतावाली हो गई थी की चोली घाघारी निकल ने रही नहीं. फटाफट घाघारी उपर उठाई और जांघें चौड़ी कर मुझे उपर खींच लिया. यूँ ही मेरे हिप्स हिल पड़े थे और मेरा आठ इंच लंबा और ढाई इंच मोटा लंड अंधे की लकड़ी की तरह इधर उधर सर टकरा रहा था, कहीं जा नहीं पा रहा था. उस ने हमारे बदन के बीच हाथ डाला और लंड को पकड़ कर अपनी भोस पैर दीरेक्ट किया. मेरे हिप्स हिल ते थे और लंड छूट का मुँह खोजता था. मेरे आठ दस धक्के ख़ाली गाये हैर वक़्त लंड का मट्ता फिसल जाता था. उसे छूट का मुँह मिला नहीं. मुझे लगा की में छोड़े बिना ही ज़द जाने वाला हूँ लंड का मट्ता और बसंती की भोस दोनो काम रस से तार बतर हो गाये थे. मेरी नाकामयाबी पैर बसंती हास पड़ी. उस ने फिर से लंड पकड़ा और छूट के मुँह पैर रख के अपने छूटड़ ऐसे उठाए की आधा लंड वैसे ही छूट में घुस गया. तुरंत ही मैंने एक धक्का जो मारा तो सारा का सारा लंड उस की योनी में समा गया. लंड की टोपी खीस गयी और चिकना मट्ता छूट की दीवालों ने कस के पकड़ लिया. मुझे इतना मज़ा आ रहा था की में रुक नहीं सका. आप से आप मेरे हिप्स तल्ला देने लगे और मेरा लंड अंदर बाहर होते हुए बसंती की छूट को छोड़ने लगा. बसंती भी छूटड़ हिला हिला कर लंड लेने लगी और बोली, ‘ज़रा धीरे छोड़, वरना जल्दी ज़द जाएगा.’

मैंने कहा, ‘में नहीं छोड़ता, मेरा लंड छोड़ता है और इस वक़्त मेरी सुनता नहीं है
‘मार दालोगे आज मुझे,’ कहते हुए उस ने छूटड़ घुमए और छूट से लंड दबोचा. दोनो स्तानो को पकड़ कर मुँह से मुँह छिपका कर में बसंती को छोड़ते चला.
धक्के की रफ़्तार में रोक नहीं पाया. कुच्छ बीस पचीस तल्ले बाद अचानक मेरे बदन में आनंद का दरिया उमड़ पड़ा. मेरी आँखें ज़ोर से मूँद गयी मुँह से लार निकल पड़ी, हाथ पाँव आकड़ गाये और सारे बदन पैर रोएँ ए खड़े हो गाये लंड छूट की गहराई में ऐसा घुसा की बाहर निकल ने का नाम लेता ना था. लंड में से गरमा गरम वीरय की ना जाने कितनी पिचकारियाँ छ्छुथी, हैर पिचकारी के साथ बदन में ज़ुरज़ुरी फैल गयी थोड़ी देर में होश खो बेइता.
जब होश आया तब मैंने देखा की बसंती की टाँगें मेरी कमर आस पास और बाहें गार्दन के आसपास जमी हुई थी. मेरा लंड अभी भी ताना हुआ था और उस की छूट फट फट फटके मार रही थी. आगे क्या करना है वो में जनता नहीं था लेकिन लंड में अभी गुड़गूदी होती रही थी. बसंती ने मुझे रिहा किया तो में लंड निकल कर उतरा.
‘बाप रे,’ वो बोली, ‘इतनी अचची छुड़ाई आज कई दीनो के बाद की.’
‘मैंने तुज़े ठीक से छोड़ा ?’
‘बहुत अचची तरह से.’
हम अभी पलंग पैर लेते थे. मैंने उस के स्तन पैर हाथ रक्खा और दबाया. पतले रेशमी कपड़े की चोली आर पार उस की कड़ी निपपले मैंने मसाली. उस ने मेरा लंड टटोला और खड़ा पा कर बोली, ‘अरे वाह, ये तो अभी भी तटर है कितना लंबा और मोटा है मंगल, जा तो, उसे धो के आ.’
में बाथरूम में गया, पिसब किया और लंड धोया. वापस आ के मैंने कहा, ‘बसंती, मुझे तेरे स्तन और छूट दिखा. मैंने अब तक किसी की देखी नहीं है
उस ने चोली घाघारी निकल दी. मैंने पहले बताया था की बसंती कोई इतनी ख़ूबसूरत नहीं थी. पाँच फ़ीट दो इंच की उँचाई के साथ पचास किलो वज़न होगा. रंग सांवला, चहेरा गोल, आँखें और बल काले. नितंब भारी और चिकाने. सब से अचच्े थे उस के स्तन. बड़े बड़े गोल गोल स्तन सीने पैर उपरी भाग पैर लगे हुए थे. मेरी हथेलिओं में समते नहीं थे. दो इंच की अरेओला और छोटी सी निपपले काले रंग के थे. चोली निकल ते ही मैंने दोनो स्तन को पकड़ लिया, सहलाया, दबोचा और मसला.
उस रात बसंती ने मुझे पुख़्त वाय की भोस दिखाई. मोन्स से ले कर, बड़े होत, छ्होटे होत, क्लटोरिस, योनी सब दिखाया. मेरी दो उंगलियाँ छूट में डलवा के छूट की गहराई भी दिखाई, ग-स्पोत दिखाया. वो बोली, ‘ये जो क्लटोरिस है वो मरद के लंड बराबर होती है छोड़ते वक़्त ये भी लंड की माफ़िक कड़ी हो जाती है दूसरे, तू ने छूट की दिवालें देखी ? कैसी कारकरी है ? लंड जब छोड़ता है तब ये कारकरी दीवालों के साथ घिस पता है और बहुत मज़ा आता है हाय, लेकिन बच्चे का जन्म के बाद ये दिवालें चिकानी हो जाती है छूट चौड़ी हो जाती है और छूट की पकड़ काम हो जाती है
मुझे लेता कर वो बगल में बेइत गयी मेरा लंड तोड़ा सा नर्म होने चला था, उस को मुट्ठि में लिया. टोपी खींच कर मट्ता खुला किया और जीभ से चटा. तुरंत लंड ने तुमका लगाया और तटर हो गया. में देखता रहा और उस ने लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगी मुँह में जो हिस्सा था उस पैर वो जीभ फ़ीयरती थी, जो बाहर था उसे मुट्ठि में लिए मूट मरती थी. दूसरे हाथ से मेरे वृषाण टटोलती थी. मेरे हाथ उस की पीठ सहला रहे थे.
मैंने हस्ट मैथुन का मज़ा लिया था, आज एक बार छूट छोड़ने का मज़ा भी लिया. इन दोनो से अलग किसम का मज़ा आ रहा था लंड चूसवाने में. वो भी जलदी से एक्शसीते होती चली थी. उस के तुँक से लाड़बड़ लंड को मुँह से निकल कर वो मेरी जांघे पैर बेइत गयी अपनी जांघें चौड़ी कर के भोस को लंड पैर टिकया. लंड का मट्ता योनी के मुख में फसा की नितंब नीचा कर के पूरा लंड योनी में ले लिया. उस की मोन्स मेरी मोन्स से जुट गयी
‘उहहहहह, मज़ा आ अगया. मंगल, जवाब नहीं तेरे लंड का. जितना मीठा मुँह में लगता है इतना ही छूट में भी मीठा लगता है कहते हुए उस ने नितंब गोल घुमए और उपर नीचे कर के लंड को अंदर बाहर कर ने लगी आठ दस धक्के मार ते ही वो तक गयी और ढल पड़ी. मैंने उसे बात में लिया और घूम के उपर आ गया. उस ने टाँगें पसारी और पाँव अड्धार किया. पॉसीटिओं बदलते मेरा लंड पूरा योनी की गहराई में उतर गया. उस की योनी फट फट करने लगी
सिखाए बिना मैंने आधा लंड बाहर खींचा, ज़रा रुका और एक ज़ोरदार धक्के के साथ छूट में घुसेद दिया. मोन्स से मोन्स ज़ोर से टकराई. मेरे वृषाण गांड से टकराए. पूरा लंड योनी में उतर गया. ऐसे पाँच सात धक्के मारे. बसंती का बदन हिल पड़ा. वो बोली, ‘ऐसे, ऐसे, मंगल, ऐसे ही छोड़ो मुझे. मारो मेरी भोस को और फाड़ दो मेरी छूट को.’
भगवान ने लंड क्या बनाया है छूट मार ने के लिए कठोर और चिकना; भोस क्या बनाई है मार खाने के लिए घनी मोन्स और गद्दी जैसे बड़े होत के साथ. जवाब नहीं उन का. मैने बसंती का कहा माना. फ़्री स्टयले से तापा ठप्प में उस को छोड़ ने लगा. दस पंद्रह धक्के में वो ज़द पड़ी. मैंने पिस्तोनिंग चालू रक्खा. उस ने अपनी उंगली से क्लटोरिस को मसला और डूसरी बार ज़ड़ी. उस की योनी में इतने ज़ोर से संकोचन हुए की मेरा लंड डब गया, आते जाते लंड की टोपी उपर नीचे होती चली और मट्ता ओर टन कर फूल गया. मेरे से अब ज़्यादा बारदस्त नहीं हो सका. छूट की गहराई में लंड दबाए हुए में ज़ोर से ज़ड़ा. वीरय की चार पाँच पिचकारियाँ छ्छुथी और मेरे सारे बदन में ज़ुरज़ुरी फैल गयी में ढल पड़ा.
आगे क्या बतौँ ? उस रात के बाद रोज़ बसंती चली आती थी. हमें आधा एक घंटा समय मिलता था जब हम जाम कर छुड़ाई करते थे. उस ने मुझे काई टेचनक सिखाई और पॉसीटिओं दिखाई. मैंने सोचा था की काम से काम एक महीना तक बसंती को छोड़ ने का लुफ्ट मिलेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. एक हपते में ही वो ससुराल वापस छाई गयी
असली खेल अब शुरू हुआ.
बसंती के जाने के बाद तीन दिन तक कुच्छ नहीं हुआ. में हैर रोज़ उस की छूट याद कर के मूट मरता रहा. चौथे दिन में मेरे कमरे में पढ़ ने का प्रयत्न कर रहा था, एक हाथ में तटर लंड पकड़े हुए, और सुमन भाभी आ पहॉंची. ज़त पाट मैंने लंड छोड़ कपड़े सरीखे किया और सीधा बेइत गया. वो सब कुच्छ समाजति थी इस लिए मुस्कुराती हुई बोली, ‘कैसी चल रही है पढ़ाई, देवर्जी ? में कुच्छ मदद कर सकती हूँ ?’
भाभी, सब ठीक है मैंने कहा.

आँखों में शरारत भर के भाभी बोली, ‘पढ़ते समय हाथ में क्या पकड़ रक्खा था जो मेरे आते ही तुम ने छोड़ दिया ?’
नहीं, कुच्छ नहीं, ये तो..ये में आगे बोल ना सका.
तो मेरा लंड था, यही ना ?’ उस ने पूच्छा.
वैसे भी सुमन मुझे अचची लगती थी और अब उस के मुँह से ‘लंड’ सुन कर में एक्शसीते होने लगा. शर्म से उन से नज़र नहीं मिला सका. कुच्छ बोला नहीं.
उस ने धीरे से कहा, ‘कोई बात नहीं. मे समाजति हूँ लेकिन ये बता, बसंती को छोड़ना कैसा रहा? पसंद आई उस की काली छूट ? याद आती होगी ना ?’
सुन के मेरे होश उड़ गाये सुमन को कैसे पता चला होगा? बसंती ने बता दिया होगा? मैंने इनकार करते हुए कहा, ‘क्या बात करती हो ? मैंने ऐसा वैसा कुच्छ नहीं किया है
‘अचच्ा ?’ वो मुस्कराती हुई बोली, ‘क्या वो यहाँ भजन करने आती थी?’
‘वो यहाँ आई ही नहीं,’ मैंने डरते डरते कहा. सुमन मुस्कुराती रही.
‘तो ये बताओ की उस ने सूखे वीरय से आकदी हुई निक्केर दिखा के पूच्छा, निक्केर किस की है तेरे पलंग से जो मिली है ?’
में ज़रा जोश में आ गया और बोला, ‘ऐसा हो ही नहीं सकता, उस ने कभी निक्केर पहेनी ही में रंगे हाथ पकड़ा गया.
मैंने कहा, ‘भाभी, क्या बात है ? मैंने कुच्छ ग़लत किया है ?’
उस ने कहा,’वो तो तेरे भैया नाक़की करेंगे.’
भैया का नाम आते ही में दर गया. मैंने सुमन को गिदगिड़ा के बिनती की जो भैया को ये बात ना बताएँ. तब उस ने शर्त रक्खी और सारा भेद खोल दिया.
सुमन ने बताया की भैया के वीरय में शुक्राणु नहीं थे, भैया इस से अनजान थे. भैया तीनो भाभियों को अचची तरह छोड़ते थे और हैर वक़्त ढेर सारा वीरय भी छोड़ जाते थे. लेकिन शुक्राणु बिना बच्चा हो नहीं सकता. सुमन चाहती थी की भैया चुआटी शादी ना करें. वो किसी भी तरह बच्चा पैदा करने को तुली थी. इस के वास्ते दूर जाने की ज़रूर कहाँ थी, में जो मोज़ूड़ था ? सुमन ने तय किया की वो मुज़ से छुड़वाएगी और मा बनेगी.
अब सवाल उठा मेरी मंज़ूरी का. में कहीं ना बोल दूं तो ? भैया को बता दूं तो ? मुझे इसी लिए बसंती की जाल में फासया गया था.
बयान सुन कर मैंने हास के कहा ‘भाभी, तुज़े इतना कष्ट लेने की क्या ज़रूरत थी ? तू ने कहीं भी, कभी भी कहा होता तो में तुज़े छोड़ने का इनकार ना करता, तू चीज़ ऐसी मस्त हो.’
उस का चहेरा लाल ला हो गया, वो बोली, ‘रहने भी दो, ज़ूते कहीं के. आए बड़े छोड़ने वाले. छोड़ ने के वास्ते लंड चाहिए और बसंती तो कहती थी की अभी तो तुमारी नुन्नी है उस को छूट का रास्ता मालूम नहीं था. सच्ची बात ना ?’
मैंने कहा, ‘दिखा दूं अभी नुन्नी है या लंड ?’
‘ना बाबा, ना. अभी नहीं. मुझे सब सावधानी से करना होगा. अब तू चुप रहेना, में ही मौक़ा मिलने पैर आ जौंगी और हम करेंगे की तेरी नुन्नी है
दोस्तो, दो दिन बाद भैया दूसरे गाँव गाये तीन दिन के लिए उन के जाने के बाद दोपहर को वो मेरे कमरे में चली आई. में कुच्छ पूचछुन इस से पहले वो बोली, ‘कल रात तुमरे भैया ने मुझे तीन बार छोड़ा है सो आज में तुम से गर्भवती बन जाओउं तो किसी को शक नहीं पड़ेगा. और दिन में आने की वजह भी यही है की कोई शक ना करे.’
वो मुज़ से छिपक गयी और मुँह से मुँह लगा कर फ़्रेंच क़िसस कर ने लगी मैंने उस की पतली कमर पैर हाथ रख दिए मुँह खोल कर हम ने जीभ लड़ाई. मेरी जीभ होठों बीच ले कर वो चुस ने लगी मेरे हाथ सरकते हुए उस के नितंब पैर पहुँचे. भारी नितंब को सहलाते सहलाते में उस की सारी और घाघारी उपर तरफ़ उठाने लगा. एक हाथ से वो मेरा लंड सहलाती रही. कुच्छ देर में मेरे हाथ उस के नंगे नितंब पैर फिसल ने लगे तो पाजामा की नदी खोल उस ने नंगा लांद मुट्ठि में ले लिया.
में उसको पलंग पर ले गया और मेरी गोद में बिताया. लंड मुट्ठि में पकड़े हुए उस ने फ़्रेंच क़िसस चालू रक्खी. मैंने ब्लौसे के हूक खोले और ब्रा उपर से स्तन दबाए. लंड छोड़ उस ने अपने आप ब्रा का हॉक खोल कर ब्रा उतर फेंकी. उस के नंगे स्तन मेरी हथेलिओं में समा गाये शंकु आकर के सुमन के स्तन चौदह साल की लड़की के स्तन जैसे छ्होटे और कड़े थे. अरेओला भी छोटी सी थी जिस के बीच नोकदर निपपले लगी हुई थी. मैंने निपपले को छिपति में लिया तो सुमन बोल उठी, ‘ज़रा होले से. मेरी निपपलेस और क्लटोरिस बहुत सेंसीटिवे है उंगली का स्पर्श सहन नहीं कर सकती.’ उस के बाद मैंने निपपले मुँह में लिया और चूस.
में आप को बता दूं की सुमन भाभी कैसी थी. पाँच फ़ीट पाँच इंच की लंबाई के साथ वज़न था साथ किलो. बदन पतला और गोरा था. चहेरा लुंब गोल तोड़ा सा नरगिस जैसा. आँखें बड़ी बड़ी और काली. बल काले , रेशमी और लुंबे. सीने पैर छ्होटे छ्होटे दो स्तन जिसे वो हमेशा ब्रा से धके रखती थी. पेट बिल्कुल सपाट था. हाथ पाँव सूदोल थे. नितंब गोल और भारी थे. कमर पतली थी. वो जब हसती थी तब गालों में खड्ढे पड़ते थे.
मैंने स्तन पकड़े तो उस ने लंड थाम लिया और बोली, ‘देवर्जी, तुम तो तुमरे भीया जैसे बड़े हो गाये हो. वाकई ये तेरी नुन्नी नहीं बल्कि लंड है और वो भी कितना तगड़ा ? हाय राम, अब ना तड़पाओ, जलदी करो.’
मैंने उसे लेता दिया. ख़ुद उस ने घाघरा उपर उठाया, जांघें छड़ी की और पाँव अड्धार लिए में उस की भोस देख के दंग रह गया. स्तन के माफ़िक सुमन की भोस भी चौदह साल की लड़की की भोस जितनी छोटी थी. फ़र्क इतना था की सुमन की मोन्स पैर काले ज़नट थे और क्लटोरिस लुंबी और मोटी थी. भीया का लंड वो कैसे ले पति थी ये मेरी समाज में आ ना सका. में उस की जांघों बीच आ गया. उस ने अपने हाथों से भोस के होत चौड़े पकड़ रक्खे तो मैंने लंड पकड़ कर सारी भोस पैर रग़ादा. उस के नितंब हिल ने लगे. अब की बार मुझे पता था की क्या करना है मैंने लंड का माता छूट के मुँह में घुसाया और लंड हाथ से छोड़ दिया. छूट ने लंड पकड़े रक्खा. हाथों के बल आगे ज़ुक कर मैंने मेरे हिप्स से ऐसा धक्का लगाया की सारा लंड छूट में उतर गया. मोन्स से मोन्स टकराई, लंड तमाक तुमक कर ने लगा और छूट में फटक फटक हो ने लगा.
में काफ़ी उत्तेजित हुआ था इसी लिए रुक सका नहीं. पूरा लंड खींच कर ज़ोरदार धक्के से मैंने सुमन को छोड़ ना शुरू किया. अपने छूटड़ उठा उठा के वो सहयोग देने लगी छूट में से और लंड में से चिकना पानी बहाने लगा. उस के मुँह से निकलती आााह जैसी आवाज़ और छूट की पूच्च पूच्च सी आवाज़ से कामरा भर गया.
पूरी बीस मिनिट तक मैंने सुमन भाभी की छूट मारी. दरमियाँ वो दो बार ज़ड़ी. आख़िर उस ने छूट ऐसी सीकुडी की अंदर बाहर आते जाते लंड की टोपी छाड़ उतर करने लगी मानो की छूट मूट मार रही हो. ये हरकट में बारदस्त नहीं कर सका, में ज़ोर से ज़रा. ज़र्रटे वक़्त मैंने लंड को छूट की गहराई में ज़ोर से दबा र्खा था और टोपी इतना ज़ोर से खीछी गयी थी की दो दिन तक लोडे में दर्द रहा. वीरय छोड़ के मैंने लंड निकाला, हालन की वो अभी भी ताना हुआ था. सुमन टाँगें उठाए लेती रही कोई दस मिनिट तक उस ने छूट से वीरय निकल ने ना दिया.
दोस्तो, क्या बतौँ ? उस दिन के बाद भैया आने तक हैर रोज़ सुमन मेरे से छुड़वाटी रही. नसीब का करना था की वो प्रेज्ञांत हो गयी फमिल्य में आनंद आनंद हो गया. सब ने सुमन भाभी को बढ़ाई दी. भाहिया सीना तां के मुच मरोड़ ते रहे. सविता भाभी और चंपा भाभी की हालत ओर बिगड़ गयी इतना अचच्ा था की प्रेज्नांस्य के बहाने सुमन ने छुड़वा ना माना कर दिया था, भैया के पास डूसरी दो नो को छोड़े सिवा कोई चारा ना था.
जिस दिन भैया सुमन भाभी को डॉकटोर के पास ले आए उसी दिन शाम वो मेरे पास आई. गभड़ती हुई वो बोली, ‘मंगल, मुझे दर है की सविता और चंपा को शक पड़ता है हमारे बारे में.’
सुन कर मुझे पसीना आ गया. भैया जान जाय तो आवश्य हम दोनो को जान से मार डाले. मैंने पूच्छा, ‘क्या करेंगे अब ?’
‘एक ही रास्ता है वो सोच के बोली.
रास्ता है?’
‘तुज़े उन दोनो को भी छोड़ना पड़ेगा. छोड़ेगा?’
‘भाभी, तुज़े छोड़ ने बाद डूसरी को छोड़ ने का दिल नहीं होता. लेकिन क्या करें ? तू जो कहे वैसा में करूँगा.’ मैंने बाज़ी सुमन के हाथों छोड़ दी.
सुमन ने प्लान बनाया. रात को जिस भाभी को भैया छोड़े वो भही दूसरे दिन मेरे पास चली आए. किसी को शक ना पड़े इस लिए तीनो एक साथ महेमन वाले घर आए लेकिन में छोदुं एक को ही.
थोड़े दिन बाद चंपा भाभी की बारी आई. महवरी आए तेरह डिनहुए थे. सुमन और सविता दूसरे कमरे में बही और चंपा मेरे कमरे में चली आई.
आते ही उस ने कपड़े निकल ना शुरू किया. मैंने कहा, ‘भाभी, ये मुझे करने दे.’ आलिनगान में ले कर मैंने फ़्रेंच किस किया तो वो तड़प उठी. समय की परवाह किए बिना मैंने उसे ख़ूब चूमा. उस का बदन ढीला पद गया. मैंने उसे पलंग पैर लेता दिया और होले होले सब कपड़े उतर दिए मेरा मुँह एक निपपले पैर छोंत गया, एक हाथ स्तन दबाने लगा, दूसरा क्लटोरिस के साथ खेलने लगा. थोड़ी ही देर में वो गरम हो गयी
उस ने ख़ुद टांगे उठाई और चौड़ी पकड़ रक्खी. में बीच में आ गया. एक दो बार भोस की दरार में लंड का मट्ता रग़ादा तो चंपा के नितंब डोलने लगे. इतना हो ने पैर भी उस ने शर्म से अपनी आँखें पैर हाथ रक्खे हुए थे. ज़्यादा देर किए बीन्सा मैंने लंड पकड़ कर छूट पैर टिकया और होले से अंदर डाला. चंपा की छूट सुमन की छूट जितनी सीकुडी हुई ना थी लेकिन काफ़ी तिघ्ट थी और लंड पैर उस की अचची पकड़ थी. मैंने धीरे धक्के से चंपा को आधे घंटे तक छोड़ा. इस के दौरान वो दो बार ज़ड़ी. मैंने धक्के किर आफ़्तर बधाई तोचंपा मुज़ से लिपट गयी और मेरे साथ साथ ज़ोर से ज़ड़ी. ताकि हुई वो पलंग पैर लेती रही, मेईन कपड़े पहन कर खेतों मे चला गया.
दूसरे दिन सुमन अकेली आई कहने लगी ‘कल की तेरी छुड़ाई से चंपा बहुत ख़ुश है उस ने कहा है की जब चाहे मे समाज गया.
अपनी बारी के लिए सविता को पंद्रह दिन रह देखनी पड़ी. आख़िर वो दिन आ भी गया. सविता को मैंने हमेशा मा के रूप में देखा था इस लिए उस की छुड़ाई का ख़याल मुझे अचच्ा नहीं लगता था. लेकिन दूसरा चारा कहाँ था ?
हम अकेले होते ही सविता ने आँखें मूँद ली. मेरा मुँह स्तन पैर छिपक गया. मुझे बाद में पता चला की सविता की चाबी उस के स्तन थे. इस तरफ़ मैंने स्तन चूसाना शुरू किया तो उस तरफ़ उस की भस ने काम रस का फ़ावरा छोड़ दिया. मेरा लंड कुच्छ आधा ताना था.और ज़्यादा अकदने की गुंजाइश ना थी. लंड छूट में आसानी से घुस ना सका. हाथ से पकड़ कर धकेल कर मट्ता छूट में पैठा की सविता ने छूट सिकोडी. तुमका लगा कर लंड ने जवाब दिया. इस तरह का प्रेमलप लंड छूट के बीच होता रहा और लंड ज़्यादा से ज़्यादा अकदता रहा. आख़िर जब वो पूरा टन गया तब मैंने सविता के पाँव मेरे कंधे पैर लिए और लंबे तल्ले से उसे छोड़ने लगा. सविता की छूट इतनी तिघ्ट नहीं थी लेकिन संकोचन कर के लंड को दबाने की त्रिक्क सविता अचची तरह जानती थी. बीस मिनुटे की छुड़ाई में वो दो बार ज़ड़ी. मैंने भी पिचकारी छोड़ दी और उतरा.
दूसरे दिन सुमन वही संदेशा लाई जो की चंपा ने भेजा था. तीनो भाभिओं ने मुझे छोड़ने का इज़ारा दे दिया था.
अब तीन भाभिओं और चौथा में, हम में एक समजौता हुआ की कोई ये राज़ खोलेगा नहीं. सुमन ने भैया से चुदवाना बंद किया था लेकिन मुज़ से नहीं. एक के बाद एक ऐसे में तीनो को छोड़ता रहा. भगवान कृपा से दूसरी दोनो भी प्रेज्ञांत हो गयी भैया के आनंद की सीमा ना रही.
समय आने पर सुमन और सविता ने लड़कों को जन्म दिया तो चंपा ने लड़की को. भैया ने बड़ी दावत दी और सारे गाओं में मिठाई बाँटी. अचच्ा था की कोई मुझे याद करता नहीं था. भाभीयो की सेवा में बसंती भी आ गयी थी और हमारी रेगूलर छुड़ाई चल रही थी. मैंने शादी ना करने का निश्चय कर लिया.
सब का संसार आनंद से चलता है लेकिन मेरे वास्ते एक बड़ी समस्या खड़ी हो गयी है भैया सब बच्चों को बड़े प्यार से रखते है लेकिन कभी कभी वो जब उन से मार पीट करते है तब मेरा ख़ून उबल जाता है और मुझे सहन करना मुश्किल हो जाता है दिल करता है की उस के हाथ पकड़ लूं और बोलूं, ‘रह ने दो, ख़बरदार मेरे बच्चे को हाथ लगाया तो.’
ऐसा बोलने की हिम्मत अब तक मैंने जुट नहीं पाई.

तेरी चूत की चुदाई बहुत याद आई (Teri Chut Bahut Yad Aai)

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नमस्ते मेरे सारे देबर को सुनीता भाभी की इस नयी कहानी को स्वागत । में आपका प्रिय सुनीता पृस्टी आप सभी के लिए आज की ये नयी कहानी लेकर आई हूँ । ये कहानी एक तड़पती हुई लण्ड की । ये कहानी पढ़ कर मुझे कमेंट लिखना । आप को सनी की इसी कहानी को उसीकी भासा में समझा देता हूँ ।



दोस्तो, मेरा नाम सैंडी उर्फ़ सनी जाट है और मैं जयपुर का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 27 वर्ष है.. मेरी हाईट 5’11” है.. रंग सांवला है.. एथलेटिक बॉडी है।
मैं bhauja.com  का नियमित पाठक हूँ, मैंने आप लोगों की पसंदीदा Bhauja.com  की कहानियाँ पढ़ीं.. तो मेरा भी मन किया कि आप लोगों को अपनी कहानी बताऊँ।
मैं अपने जीवन में घटी एक सच्ची घटना बताता हूँ.. इसे पढ़कर आपका भी मन करेगा कि काश.. सनी की जगह मैं होता।
मैं जयपुर में 4 सालों से रह रहा हूँ। एक बार मैं जयपुर के वर्ल्ड फेमस सिनेमा हॉल राजमंदिर में मूवी देखने जा रहा था। उस समय मैं नया-नया ही जयपुर में आया था.. इसलिए मेरा कोई दोस्त नहीं था.. मैं अकेला ही चला गया।
टिकट खरीद कर मैं अपनी सीट पर जा कर बैठ गया। मूवी शुरू होने के कुछ देर बाद विदेशी सैलानियों का एक झुण्ड हॉल में प्रवेश करता है.. मैं मध्य वाली गैलरी में एक सीट छोड़कर बैठा था।
उस झुण्ड में से एक विदेशी महिला मेरे पास आकर बैठ गई। मैंने पहली बार किसी विदेशी को इतने पास से देखा था। उसने ब्लैक टी-शर्ट और ग्रे निक्कर पहन रखी थी। वो लगभग 32 साल की महिला थी.. उसका रंग दूध जितना सफ़ेद था।
मूवी में एक सीन पर सारे दर्शक हंसने लगे.. तो उस महिला ने मुझसे पूछ लिया- ये क्यों हंस रहे हैं?
तो मैंने उस सीन का इंग्लिश में मतलब उसे बताया तो वो भी हंसने लगी। उसने मुझे ‘थैंक्स’ कहा और मेरा नाम पूछा।
मैंने अपना नाम बता कर उसका नाम पूछा.. तो उसने अपना नाम जिमी बताया और वो नीदरलैंड से थी।
कुछ देर बाद बैठक बदलते वक़्त मेरा हाथ उसकी जांघ से टकरा गया.. तो उसने मेरी तरफ देखा। मैंने उसे ‘सॉरी’ कहा.. तो वो केवल हल्के से मुस्कुराई।
मैंने किसी से सुना था कि विदेशी सैलानी शिकायत कर दे तो जमानत भी नहीं होती है.. इसलिए मैं थोड़ा संभल कर बैठा।
इस वक्त तक मैं उसे केवल दूर से ही देखना चाहता था। इंटरवल के बाद मूवी में एक रोमांटिक सीन आया.. तो वो बार-बार मेरी ओर देख रही थी।
परदे पर रोमांटिक सीन देखकर मेरे मन में भी उसकी तरफ देखने का मन करने लगा। मेरा ध्यान बार-बार उसके गले के नीचे वाले भाग पर जा रहा था.. जो कि टी-शर्ट का गला बड़ा और काफी खुला हुआ होने के कारण दिख रहा था।
शायद उसने भी ये देख लिया था.. लेकिन वो कुछ नहीं बोली।
उसने अपना हाथ हल्के से इस तरह अपनी जांघ के पास रखा कि वो मेरी जांघ को छू जाए।
इससे मेरी भी हिम्मत बढ़ी.. मैंने भी अपना हाथ थोड़ा नीचे किया.. तो वो भी उसके हाथ को छू गया।
हाथ टच होते ही उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और मेरा हाथ पकड़ लिया।
मेरे बदन में जैसे करंट दौड़ गया..
फिर वो धीरे-धीरे मेरे हाथ को अपनी निक्कर के ऊपर ले जाने लगी, मेरा लण्ड खड़ा हो गया.. जीन्स को फाड़ने को हो गया।
इतने में उसके साथ वालों ने उसके पास आकर उससे चलने के लिए कहा।
उसने मेरी तरफ देखा..
तो मैंने कहा- आर यू गोइंग?
उसने कहा- या.. बट आई एम वेटिंग आउटसाइड…
इतना कहकर वो मुस्कुराकर चली गई।
मेरा दिल धाड़-धाड़ करने लगा। फिर मैं भी वहाँ से उठ कर चल पड़ा.. बाहर जा कर देखा तो वो दिखाई नहीं दी।
राजमंदिर के पास मैक डोनाल्डस है.. वो उसमें थी। उसे देखकर मेरी जान में जान आई.. वो बाहर आई और उसने मेरा नंबर लिया और ‘आई विल कॉल यू..’ कह कर चली गई।
मैं भी अपने कमरे पर चला गया।
लगभग 20 मिनट बाद उसका फ़ोन आया वो अपने होटल से बोल रही थी।
उसने मुझे अपने होटल बुलाया.. मैंने उसके पास जाने से पहले अपने लंड के आस-पास वाले बाल साफ़ किए और टैक्सी पकड़ कर होटल पहुँचा।
रिसेप्शन से पूछ कर उसके कमरे पर पहुँच कर बेल बजाई.. तो वो मेरे सामने थी.. उसने मेरा हाथ पकड़कर अन्दर खींच लिया।
मुझे विश्वास नहीं हो रहा था। ऐसा तो केवल फिल्मों में ही होता है। मेरे जिस्म में बुखार सा चढ़ गया।
क्या वास्तव में मेरे सामने एक गोरी लड़की है.. मैं ठहरा गाँव का निरा देहाती और ये साला हो क्या रहा है.. खैर यही सच्चाई थी।
उसने मुझे अपने पास बुलाया और मेरे गालों पर किस किया। मैंने भी उसके गले पर किस किया और उसे बाँहों में भर लिया।
अब वो मेरा हाथ पकड़ कर बिस्तर पर ले गई।
उसने मुझसे पूछा- तुम यहाँ पर आ कर खुश तो हो न?
तो मैंने कहा- मेरी तो मुराद पूरी हो गई.. मैं बहुत खुश हूँ।
फिर मैंने पूछा- मुझमें तुमने क्या देखा.. जो इतनी मेहरबान हो गई?
तो उसने कहा- पता नहीं.. वो पल ही कैसा था..
‘हम्म..’
उसने मुझसे कहा- कभी सेक्स किया है?
तो मैंने कहा- हाँ.. एक बार..
फिर उसने कहा- मैं अपने ब्वॉयफ्रेंड के साथ कई बार सेक्स कर चुकी हूँ।
मैं उसे चुदासी निगाहों से देखने लगा।
उसने कहा- सो.. वांट टू डू सम फन?
मैंने मौन रह कर अपनी मुंडी हिला दी।
अब उसने मेरे लंड पर हाथ रख दिया जो कि पहले से ही खड़ा हो रखा था। उसने मेरी चैन खोलकर अंडरवियर में हाथ डाला और उसे सहलाने लगी।
अब तक मैंने भी बहुत शराफत दिखा ली थी.. अब मुझसे नहीं रुका जा रहा था।
मैंने उसे धक्का देकर बिस्तर पर गिरा दिया और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
आह्ह.. क्या अहसास था वो..
फिर मैंने उसकी टी-शर्ट निकाल दी।
अब मैं उसके मस्त नशीले शरीर को चूमने लगा.. तो उसने सिसकारी भरकर मुझे बाँहों में भर लिया।
फिर मैंने उसे उल्टा किया और उसकी सफेद ब्रा खींच कर हुक तोड़ दिया।
अब उसके सफ़ेद सेब मेरे हाथों में थे।
क्या बताऊँ दोस्त.. क्या माल था.. हाय मैंने उसके वो ‘सॉफ्ट-सॉफ्ट’ चूचे मुँह में लेकर चूसे.. तो उसकी सिसकारी निकल गई और वो कहने लगी- टेक मी इन हैवन..
मैंने कहा- यस माय डार्लिंग..
मैं किस करता-करता नीचे उसके पेट तक पहुँच गया। फिर धीमे से उसकी निक्कर का हुक खोल दिया और खींच कर बाहर निकाल दिया।
अब मेरे सामने लाइट पिंक रंग की चड्डी थी। मैंने अपने अन्दर का जानवर दिखाते हुए उसकी चड्डी में हाथ डाला और उसे फाड़ दी।
वो हंसकर कहने लगी- आई थिंक.. आई विल हैव टू बाइ न्यू अंडर गारमेंट्स..
अरे दोस्तो, बस पूछो मत.. क्या गदराई चूत थी.. सफाचट.. बाल एकदम साफ़.. मुझे तो चूत को चूसने का नहीं.. खाने मन करने लगा।
मैंने उसके चूत के होंठों पर अपने होंठ रखे और उसका जूस पीना शुरू कर दिया।
वो धनुष की तरह तन गई और उसने मेरे सिर को पकड़ लिया।
मैंने कम से कम दस मिनट तक उसका रस पिया। इस दौरान वो एक बार झड़ भी गई.. तब उसकी चूत में से निकला नमकीन पानी.. हय.. क्या मस्त स्वाद लगा था।
अब वो पागल हो गई थी.. उसने उठकर मेरा लंड पकड़ लिया और उसको बिना कोई वक्त जाया किए मुँह में पूरा डाल लिया।
फिर मेरा साढ़े छः इंच का लौड़ा उसके गले तक पहुँच गया।
करीब 5 मिनट तक उसने मेरे लंड को चूसा.. फिर मैं भी झड़ गया.. वो सारा वीर्य पी गई।
फिर उठ कर बोली- अब देखो.. मैं क्या करती हूँ।
मेरा लंड पकड़े-पकड़े वो मुझे बाथरूम में ले गई और वहाँ ले जा कर मुझसे कहा- मैं इस लंड को इतना टॉर्चर करूँगी कि ये सुन्न हो जाएगा।
फिर मेरे लंड जो कि झड़ जाने के बाद लटका हुआ था.. उसे एक हाथ से पकड़ कर दूसरे हाथ पर देकर मारा।
मेरे मुँह से चीख निकल गई.. लेकिन वो रुकी नहीं.. उसे मारते-मारते फिर से खड़ा कर लिया। वो भी केवल दस मिनट में..
अब वो मेरे लौड़े को हाथ से पकड़ कर जोर-जोर से ऊपर नीचे करने लगी।
दोस्तो, मुझे बहुत दर्द हो रहा था.. लेकिन क्या करूँ.. करीब 15 मिनट बाद लंड एकदम सुन्न हो गया। मुझे लंड महसूस ही नहीं हो रहा था।
फिर उसने मुझे वहीं लेटा दिया.. खुद ऊपर आ गई.. अब उसने मेरे लंड पर थोड़ा थूक डाला.. और अपनी चूत का मुँह मेरे लंड पर रख दिया।
फिर धीरे-धीरे उस पर बैठने लगी, थूक की चिकनाई से लंड धीरे-धीरे उसकी चूत में पूरा समा गया।
मुझे तो कुछ महसूस ही नहीं हो रहा था.. लेकिन वो सिसकारियां भर रही थी और “यस.. यस..” कर रही थी।
उसकी वो मादक आवाजें पूरे कमरे में गूंज रही थीं।

अब वो मेरे लौड़े पर ऊपर-नीचे होकर झटके मारने लगी.. फिर उसने झटके मारना तेज कर दिए।
इस दौरान उसकी गाण्ड मेरी जाँघों से टकरा रही थी और ‘फट.. फट..’ की आवाज आ रही थी।
लगभग 3-4 मिनट के बाद उसका शरीर कांपने लगा और ‘उई.. उई.. आह्ह.. उईईईईइ..’ करती हुई झड़ गई, मेरे सीने से लग गई.. मेरे लंड में तो अब तक कुछ महसूस ही नहीं हो रहा था.. वो तो सुन्न हो रखा था।
मैंने उसे उठाया और बिस्तर पर ले गया और उल्टा लेटा दिया फिर उसके पेट के नीचे हाथ लगाकर उसे घोड़ी बना दिया.. उसकी मस्त-मस्त गाण्ड देखकर उसे खाने का मन करने लगा।
दोस्तो, अब मैंने उसकी चिकनी गाण्ड को खूब चाटा और काट खाया। इसके बाद उसकी चूत में पीछे से अपना लंड पेल दिया.. उसकी चीख निकल गई तो मैंने उसे पूछा- आर यू आल राइट?
तो उसने कहा- फ़क मी बास्टर्ड..
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उसके इतना कहते ही मेरा देशी खून खौल उठा.. और मैंने एक जोर से थाप लगते हुए कहा- तेरी माँ की चूत.. साली रण्डी.. ले..
अब मैंने अपनी लंड मशीन शुरू कर दी।
मैं इतने जोर-जोर से झटके मारने लगा कि उसके मुँह से आवाजें निकलने लगीं- ओह.. ओह.. ओह.. फ़क मी लाइक एनीमल..
अब उसकी सेक्सी आवाजें सुनकर मेरे लंड में भी चेतना लौटने लगी।
लगभग 15 मिनट तक उसे नॉन-स्टॉप चोदने के बाद उसकी चूत में तेज सरसराहट.. महसूस हुई.. जैसे कोई पानी की धार मेरे लंड से टकराई हो।
मतलब वो झड़ गई थी..
इसके ठीक बाद मेरे लंड भी पानी उगलने को तैयार हो गया और मेरे शरीर में एक झटका लगा और सारा वीर्य उसकी चूत की कटोरी में डाल दिया।
उस वक़्त जो मजा आया ना.. वो मुझे जिंदगी में किसी चीज में नहीं आया। हम दोनों निढाल हो गए थे.. एक-दूसरे के ऊपर-नीचे पड़े हुए थे।
फिर मैंने उठकर उसके गालों को किस किया और अपने कपड़े पहनने लगा।
वो बोली- आज रात यहीं रुक जाओ।
तो मैंने उसे अपना सूजा हुआ लंड दिखाया और जाने की मज़बूरी बताई.. तो उसके आँखों में आंसू आ गए।
दोस्तो, यहाँ मैं बता दूँ कि मेरा मकान-मालिक रात 12 बजे बाद घर में घुसने नहीं देता और तरह-तरह के सवाल पूछता है.. वो अलग।
मैंने उस लड़की से कहा- मैं कल फिर आ जाऊँगा..
लेकिन उसे अगले दिन जाना था.. उसने कहा- मेरे पास तुम्हारा नंबर तो है ही.. तुम्हें कॉल करूँगी..
दोस्तो.. दो दिन बाद उसका फोन आया और उसने कहा- वो अपने देश जा रही है और मुझे मिस करेगी।
अब मुझे उसकी याद आने लगी थी। उसकी आँखों के आंसू मुझे याद आ रहे थे.. ऐसा लग रहा था जैसे मुझे उससे प्यार हो गया हो।
मैं कई दिनों तक उसकी याद में पागल रहा था। जाते वक़्त उसने वहाँ के नंबर से फ़ोन करने के लिए कहा था.. लेकिन उसका फ़ोन 10 माह तक नहीं आया।
फिर एक दिन उसका फ़ोन आया और वो बोली- मेरी शादी हो गई है.. लेकिन तुम चाहो.. तो तुम्हें यहाँ बुला सकती हूँ।
मैंने उसे अपने दिल की बात बतलाई कि मैं उससे प्यार करने लगा था। उसने पता नहीं क्यों.. फोन काट दिया और आज तक उसका फ़ोन नहीं आया।

गल्पिका: सुनीता पृस्टी
प्रकाषक : bhauja .com

जन्मदिवस पर चूत का तोहफा (Janmadibas Par Chut Chudai)

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Hi  मेरे सारे प्यारे देवर को में सुनीता पृस्टी इसी नयी कहानी को स्वागत करता हूँ । मेरी संग्रहिता सारे कहानी से ये आपको बहत मजा लगेगा । इस कहानी को पढ़कर आप मुझे कमेंट करे ।

नमस्कार दोस्तो.. आप सभी को मैं यानि मानव प्रणाम करता हूँ। मैं bhauja  का बहुत पुराना पाठक हूँ। मैंने बहुत सारी कहानियाँ पढ़ी हैं.. इनमें से कुछ सही लगीं और कुछ काल्पनिक लगीं।
मेरी भी एक कहानी सच्ची है। ये मेरी पहली कहानी है.. लिख रहा हूँ.. मुझसे कोई भूल हो तो माफ़ कर दीजिएगा।
तो कहानी शुरू करता हूँ। जैसा कि मैंने बताया मेरा नाम मानव है। मैं गुजरात का रहने वाला हूँ। मैं बीए की तीसरे साल की पढ़ाई कर रहा हूँ। मैं इकहरी देह का हूँ.. पर मेरे लंड का आकार 7 इन्च और इसका व्यास दो इन्च का है.. जो किसी भी लड़की या औरत को खुश करने के लिए सही है।
यह कहानी मेरी और मेरी दोस्त तान्या (मेरी गर्लफ़्रेंड) की है।
मैं पढ़ाई में बहुत अच्छा हूँ। शायद इसी लिए ज्यादा लड़कियां मेरी दोस्त नहीं बनीं.. पर ये बात तब की है.. जब मैं बारहवीं में पढ़ रहा था।
उस वक्त मेरे दोस्त को किसी लड़की ने प्रपोज़ किया। दो दिन बाद मेरे दोस्त के साथ उसे उपहार देने गया। तब उधर मुझे एक लड़की नजर आई। मुझे वो पहली नजर में ही बहुत पसन्द आ गई.. पर कुछ बात नहीं बन पाई। मैंने वो बात भूल कर अपनी पढ़ाई पर ध्यान लगा लिया।
कुछ दिन बात वापस वो मुझे मिली तो मैंने अपने दोस्त की गर्लफ्रेण्ड की मदद से उसको प्रपोज किया।
पहले तो उसने साफ मना कर दिया और कहने लगी- मैं ऐसी लड़की नहीं हूँ।
मैं रोज उसे फोन करता.. पर वो मान ही नहीं रही थी। फिर मैंने सोचा जाने दो वैसे भी वो मेरे बात करने वाली नहीं है। तो मैंने उसे फोन करना छोड़ दिया..
पर फिर एक दिन जैसे चमत्कार हुआ। उस लड़की ने मुझे खुद से फोन किया और मुझसे लड़ने लगी कि अब क्यों फोन नहीं करते..
फिर वो कुछ नहीं बोली.. थोड़ी देर चुप रहने के बाद बोली- मैं भी तुम्हें चाहने लगी हूँ।
मैं बहुत खुश था.. उस दिन फोन पर अधिक बात नहीं हुई।
दूसरे दिन स्कूल में मिली.. तो मैं उसे देखता ही रहा.. वो मेरे सामने से चली गई। फिर भी मैं मुड़ कर उसे ही देख रहा था कुछ दिन ऐसा ही चलता रहा था।
मेरी परीक्षाएं नजदीक थीं.. तो मैंने कुछ दिन घर में रह कर पढ़ने की सोच कर स्कूल जाना बंद कर दिया। जैसे ही मेरी परीक्षायें खत्म हुईं.. तो मैंने उसे फोन किया।
वो बहुत नाराज लग रही थी। दूसरे दिन जब मैं स्कूल गया.. तो वो मुझे कहीं भी नजर नहीं आई.. तो मैं थोड़ा उदास हो गया।
जब हमारे स्कूल की छुट्टी हुई तो मैं घर जा रहा था.. उस समय वो मेरे सामने खड़ी थी।
उसने मुझे देखा और वो कुछ बोले बिना ही चली गई।
मैंने सोचा चलो सूरत तो देखने मिली।
फ़िर शाम को उसका फ़ोन आया तो कहने लगी- तुमको मालूम है कि मैं तेरे बिना नहीं रह सकती हूँ.. तो तुम स्कूल क्यों नहीं आ रहे थे?
मैंने कहा- मेरी परीक्षा नजदीक थीं तो मैं घर पर पढ़ाई कर रहा था।
बोली- ठीक है.. बाय.. कल सुबह मेरी भी ट्यूशन है तो मुझे भी अब सोना है।
मुझे पता ही नहीं लगा कि ये मुझे बता रही है कि बुला रही है तो मैंने भी कहा- ठीक है।
दूसरे दिन सुबह जब मैं उसकी ट्यूशन पर गया.. तो वो मुझे देख कर अपनी क्लास में नहीं गई।
हमारा स्कूल ग्यारह बजे शुरू होता था.. तो हम दोनों ने स्कूल के पीछे बैठ कर बातें की.. फ़िर हम स्कूल में क्लास में चले गए।
एक दिन मुझे उसकी किसी दोस्त ने फ़ोन करके बोला- वो मुझे धोखा दे रही है।
पहले तो मैंने उस पर विश्वास नहीं किया.. पर मैं भी एक इंसान हूँ और आपको तो पता है कि अगर एक बार दिमाग में शक का कीड़ा घुस जाता है तो फ़िर उसे कुछ नहीं दिखाई देता है।
दूसरे दिन जब वो स्कूल में मिली तो मैंने उससे कहा- स्कूल के बाद अकेले में मिलना.. मुझे तुमसे कुछ बात करनी है।
वो जब स्कूल के बाद मिली तो मैंने उससे पूछा.. तो उसने कुछ नहीं कहा और रोने लगी और फ़िर घर चली गई।
शाम को मैंने उसे फोन किया तो उसने मेरा फोन नहीं उठाया।
मुझे लगा मैंने बहुत बड़ी गलती कर दी है। एक पूरा हफ्ता उसने मुझसे बात नहीं की.. तो मुझे गुस्सा आ गया।
अब मैंने स्कूल छूटने के बाद जबरदस्ती उसे रोक लिया.. वो कहने लगी- तुम्हें मुझ पर विश्वास ही नहीं है.. तो बात करने से क्या फ़ायदा?
मैंने उससे कहा- कल सुबह मुझे मिलना।
वो कहने लगी- देखूँगी..

वो घर चली गई और मैं भी अपने घर आ गया।
उस दिन पूरी रात मैं सोया नहीं बस यही सोचता रहा कि वो आएगी या नहीं.. फिर मैंने सोचा जो होगा सो देखा जाएगा।
सुबह वो मुझे मिलने आई तो मैंने उसे सब कुछ सच-सच बता दिया तो उसने कुछ नहीं कहा। बस मुझे देखती रही।
मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने उसे अपनी बाँहों में जकड़ लिया और उसे उसके होंठों पर लम्बी सी किस कर दी। यह मेरी जीवन की पहली चुम्मी थी.. जो करीब 2 मिनट की थी।
पर जैसे ही मैंने उसके होंठ छोड़े.. तो वो गुस्सा हो गई और कहने लगी- मुझे ये सब पसन्द नहीं है।
वो गुस्सा होकर चली गई.. मुझे लगा अब तो गई ये.. मुझे कभी माफ़ नहीं करेगी।
उदास होकर मैं भी वापस घर आ गया स्कूल भी नहीं गया।
अब मैं सोच रहा था कि ये कैसे मानेगी।
तभी मेरे फ़ोन की रिंग बजी.. देखा तो उसका ही फ़ोन था..
मैंने जैसे ही फ़ोन उठाया.. मैंने उससे माफी माँगी.. पर वो कुछ बोल ही नहीं रही थी।
थोड़ी देर बाद उसने मुझे ‘थैंक्स’ कहा और कहा- जिंदगी की पहली किस तुमको ही की है।
मेरी तो खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा।
उसके बाद जब भी हम मिलते.. तो हम लोग चुम्मा-चाटी करते.. पर अब हमें उससे भी आगे बढ़ना था.. तो कभी-कभार मैं उसे चूमते वक्त उसके मम्मों को भी छू देता.. वो मुझे देखती.. पर कुछ नहीं बोलती।
फ़िर एक दिन जब मेरा जन्मदिन था तो वो बहुत खुश थी.. रात को बारह बजे उसने मुझे ‘विश’ किया। तो मैंने उसे बताया- सबसे पहले उसी ने मुझे ‘विश’ किया है।
वो मुझसे जन्मदिन की पार्टी मांगने लगी.. तो मैंने भी कह दिया- तुम जब मुझे गिफ्ट दोगी.. तो ही मैं पार्टी दूँगा।
तो वो कहने लगी- मुझे पहले पार्टी चाहिए.. गिफ्ट बाद में मिलेगा।
मैंने कहा- ठीक है.. कल सुबह स्कूल के बाहर मिलना..
तो उसने हामी भर दी।
फ़िर सुबह हम मिले तो उसने फ़िर से मुझे ‘विश’ किया। मैंने उसे ‘थैंक्स’ कहा और बहुत सारी चॉकलेट्स दीं.. वो खुश हो गई।
फ़िर हम फ़िल्म देखने गए.. वहाँ मैंने उसे मेरे गिफ्ट देने के बारे में कहा.. तो उसने कहा- पहले फ़िल्म तो देखने दो.. फ़िर गिफ्ट..
मैंने थोड़ी नाराजगी जताई.. तो कहने लगी- नाराज मत हो.. गिफ्ट देखकर सब भूल जाओगे।
फ़िर मैं फ़िल्म देखना छोड़ कर उसे चुम्बन करने लगा और उसके स्तनों से खेलने लगा।
माफ़ करना दोस्तो, उसके बदन बारे में तो बताना ही भूल गया.. वो बहुत गोरी थी और उसके बारे मैं क्या बताऊँ.. उसका 28-26-30 का फिगर बहुत ही फाडू फ़िगर था.. जिसे देख कर किसी का भी लौड़ा खड़ा हो जाएगा।
चलो फ़िर कहानी पर वापस आते हैं।
जैसे ही मैंने उसके पेट पर हाथ लगाया.. उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और कहा- ये अभी नहीं.. शादी के बाद..
मैं भी मान गया।
फ़िर जैसे ही फ़िल्म खत्म हुई.. हम घर जाने लगे.. तो रास्ते में मैंने फिर गिफ्ट की याद दिलाई.. तो उसने कहा- नहीं मानोगे तुम.. और फ़िर उसने मुझसे कहा- चलो..
मैंने कहा- कहाँ जाना है?
वो कहने लगी- पास में मेरे दोस्त का घर है।
हम वहीं चले गए.. वहाँ जाकर देखा तो उसके घर में बाहर से ताला लगा था.. उधर कोई नहीं था।
मैंने उससे पूछा- यहाँ तो कोई नहीं है।
उसने अपने पर्स में से घर की चाभी निकाली और कहा- अपनी आँखों को बन्द करो।
मैंने वैसा ही किया.. जैसे ही मैं घर में गया.. तो वहाँ बहुत ही अच्छी खुश्बू आ रही थी कि मैं बिना आंख खोले रह नहीं पाया…
तो अभी मैं कुछ देख पाता.. उससे पहले उसने मुझे देख लिया और मुझ पर गुस्सा होते हुए बोली- थोड़ी देर आंख भी बंद नहीं कर सकते..
फ़िर उसने अपना दुपट्टा निकाल कर मेरी आँखों पर बाँध दिया और फ़िर मुझे सोफ़े पर बिठा कर वो दूसर कमरे में चली गई।
करीब बीस मिनट के बाद वो आई.. फ़िर उसने मेरी आँखों पर से अपना दुपट्टा हटाया.. तो देखा कमरे की सारी बत्तियां बन्द थीं।
तभी एकदम से जैसे ही कमरे की लाइटें जलीं.. तो मैं उसे देखता ही रह गया.. क्या माल लग रही थी वो..
उसने अपने पीछे छुपाया हुआ केक मेरे सामने रख दिया.. पर मैं तो उसे ही देखता रहा।
तो वो कहने लगी- सिर्फ़ देखते ही रहोगे.. कि केक भी काटोगे।
मैंने अपने आप को संभाला और केक काटा.. पहला टुकड़ा उसे खिलाया।
फ़िर उसने जो किया.. वो मैं सोच भी नहीं सकता था.. उसने केक का एक टुकड़ा लिया और अपने होंठों में फंसा कर मुझे खिलाने लगी।
बहुत ही रोमांटिक पल था।
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मुझे पता भी नहीं कि कब मैंने केक खा लिया और उसके होंठ चूमने लगा।
कुछ दस से बारह मिनट तक उसके होंठों को चूमता ही रहा।
जैसे ही वो अलग हुई.. तो देखा उस वक्त घड़ी में शाम के सात बज रहे थे।
मैंने उससे घर जाने के बारे में पूछा.. तो कहने लगी- वो घर पर कह कर आई थी कि वो अपनी सहेली के घर ही रुकेगी।
मैं तो सोच में पड़ गया कि ये क्या बोल रही है।
फ़िर कुछ देर बाद मुझे सब समझ में आ गया।
तो मैंने अपना फ़ोन निकाल कर घर पर बता दिया- आज मेरे दोस्तों ने मेरे जन्मदिन की एक पार्टी रखी है.. तो मैं आज घर नहीं आ सकता हूँ।
मैंने फ़ोन रख दिया, तब तक वो रसोई में से कुछ खाने को ले आई। हम एक-दूसरे को खिलाने लगे। जब हमने खाना खा लिया तो कहने लगी- फ़िर से आंख बंद करो।
मैंने वैसा ही किया.. तो थोड़ी देर बाद वो आई.. और कहने लगी- हाँ.. अब पट्टी हटाओ।
मैंने जैसे ही उसे देखा.. वो एक एकदम सेक्सी ड्रेस में थी।
वो कामुकता से कहने लगी- आज रात मैं तुम्हारा गिफ्ट हूँ।
मैं तो उसे देख कर बौरा गया.. और मैंने उसे अपने पास खींच लिया।
दोस्तो, मैं वास्तव में बुद्धू ही था जो समझ ही नहीं पाया था कि आज यह अपना सब कुछ मुझ पर लुटाने वाली है।
खैर.. अब सब साफ़ हो चुका था.. इसलिए मैंने भी पूरे मन से इस तोहफे का आनन्द लिया
 फ़िर मैंने उससे कहा- मेरे लण्ड को सही जगह पर पकड़ कर रखो.. तो उसने वही किया।

अब फ़िर मैंने धीरे से धक्का मारा.. तो लंड निशाने पर सैट हो गया। उसने दर्द के मारे अपनी आँखों को बन्द कर लिया, मैंने फ़िर जोर से एक धक्का मारा तो मेरा लण्ड के आगे का हिस्सा अन्दर घुस गया.. तो उसे बहुत दर्द हुआ.. वो चीखी।
मैंने उसे कमर को पकड़ कर एक और जोर से धक्का मारा.. तो मेरा आधा लंड ‘फ़च्च’ की आवाज से अन्दर चला गया।
वो जोर से चीखने वाली थी.. पर मैंने तुरंत उसके होंठ पर मेरे होंठों को रख दिया.. वरना वो बहुत जोर से चीखती।


मेरे लंड में भी एक तेज सा दर्द हुआ.. मुझे लगा कि मेरे लण्ड की चमड़ी छिल सी गई है।
कुछ देर मैं ऐसे ही पड़ा रहा.. फिर जैसे ही उसके होंठ मेरे होंठों से अलग हुए.. वो कहने लगी- बहुत दर्द हो रहा है.. निकालो..
तो मैंने कहा- थोड़ी देर दर्द होगा.. फ़िर तुम्हें भी मजा आएगा।
वो मान गई.. फ़िर मैंने उससे पूछा- आगे करूँ?
तो कहने लगी- हाँ.. पर धीरे से।

मैंने धीरे से लंड पीछे लिया और एक झटके में पूरा अन्दर कर दिया तो वो जोर से चीखी.. पर मैंने जल्दी से उसके होंठ बंद कर दिए।
मुझे लगा कि इसे चिल्लाने से किसी को पता न चल जाए इस बार के धक्के में मेरी भी चीख निकल गई थी।
मैं थोड़ी देर उस पर लेट गया और उसे किस करने लगा, वो तो दर्द के मारे जैसे बेहोश सी हो गई थी, मैंने देखा तो उसकी आँखों से आंसू निकल रहे थे।

पांच मिनट बाद जब उसे होश आया तो कहने लगी- तुमने तो मेरी जान ही निकाल दी।
मैंने हँस कर कहा- अब तुम्हें भी मजा आएगा।
फ़िर उससे पूछा.. तो बोली- अब धीरे करना..

मैं धीरे से उसे चोदने लगा.. कुछ देर बाद लौड़े ने चूत में जगह बना ली थी और उसकी चूत ने लौड़े से दोस्ती कर ली थी।
अब उसे भी मजा आने लगा.. तो कहने लगी- जोर से जोर से..

वो सिसकारियाँ लेने लगी- उईई ईई.. आआह आऐईईई..
पता नहीं चुदाई की मस्ती में क्या-क्या नहीं बोल रही थी।
अब वो कहने लगी- जानू.. मुझे कुछ हो रहा है।
मुझे पता चल गया था कि वो फ़िर से पानी छोड़ने वाली है तो मैं भी जोर से चोदने लगा, वो और जोर से सीत्कार करने लगी- उईई.. आआहह.. आआईईई.. हा अ और.. जोर से मेरी जान.. और जोर से.. उईईई..

उसने मुझे अपनी बाँहों में जकड़ लिया और मेरी पीठ पर उसने अपने नाखून गड़ा दिए.. तो मेरी चीख निकल गई। उसकी भी एक जोर की ‘आह’ निकली फ़िर मैंने महसूस किया कि चूत में अन्दर मेरे लंड पर एकदम गर्म पानी का फ़ुव्वारा सा छोड़ दिया हो।
मुझे पता लग गया कि वो झड़ चुकी थी तो मैंने भी जोर से दस-बारह शॉट मारे।
मैं भी झड़ने को था तो मैंने उससे पूछा- मेरा निकलने वाला है..
तो कहने लगी- मेरे अन्दर ही कर दो।
मैंने जोर से आवाज करते हुए उसकी चूत में अपना रस छोड़ दिया।

हम दोनों पसीने-पसीने हो चुके थे.. थक भी गए थे.. मैं उस पर ही लेट गया।

काफ़ी देर बाद मैं उठा और घड़ी की ओर देखा तो बारह बज रहे थे।

मैंने देखा वो गहरी नींद में सो रही थी। मैंने उसने मम्मों को देखा.. मैं उसके एक स्तन को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा.. तो वो भी जाग गई।

कहने लगी- गिफ्ट से अभी भी मन नहीं भरा..
मैंने कहा- नहीं..
वो बोली- मुझे बाथरूम जाना है।
मैं उस पर से हट गया.. तो मैंने देखा कि मेरा लंड देखा तो वो आगे से छिल सा गया था, मुझे दर्द भी हो रहा था.. पर जैसे ही मैंने उसे देखा.. वो तो ठीक से चल नहीं पा रही थी।

मैं उसे सहारा देकर बाथरूम में ले गया। फ़िर उसको कमोड पर बैठा दिया।
वो पेशाब करके उठी.. तो मैंने सहारा देकर बिस्तर पर बिठाया।

उस रात मैंने उसे 3 बार और चोदा। फ़िर सुबह पांच बजे हम साथ में नहाए।
उसे दर्द की गोली दी और वो अपने घर चली गई।
फ़िर वो दो दिन बाद मिली तो कहने लगी- आज ठीक लग रहा है।
उसके बाद जब भी मौका मिलता तो हम दोनों खूब चुदाई करते।

लेखक: सुनीता पृस्टी
प्रकाषक : bhauja.com

ଛୋଟ ଦିନରୁ ଆଜି ଯାଏଁ ମୋ ଦେହର ଭୋକ (Chota Dinaru Aji Jaen Mo Dehara Bhoka)

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Hi Mu Sunita Prusty, Mora samasta odia bhaina o bhauja, nananda o diara, sali o bhenei mananku mora hrudayaru prema ra pulaka tie arpana karuchi. Pratidina mu odia re kete gapa lekhi tuma mananka pain saiti deuchi hele, Tumara tike hele mo prati dhyana nanhi. Gapa tiku padhi dei deha ku adhika ru adhika garama kari halei halei.. Bia re anguli mari mo katha ku bhuli jaucha. Mo gapa kemiti laguchi tala box re comment kara.


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 Bijaya tike rahiba pare meeta pakhaku jai taku kundhei dharila. Meeta ku nua nua anubhav heuthae. Se semiti chup hoi thila, Kana heba jani parunathila hele taku bhari maja laguthila. Jemiti taku bahut gela miluchi. Bijaya meeta ra kanala otha ku patire purei chumi baku lagila aau hatare dui chota chota lembu ku chipu thila. Bijaya ra kama re meeta tke bi badha nadei suna jhia te pari jaki hoi rahi thila. Meeta ra bi pua nka pakhare bhari lobha thila. Nuaa nua joubana re sanga manaka saha alochana bele se banda bia katha madhya jani thila. Hele pila chuaa geha gehi hele hue boli madhya se bujhi thila . hele bises gyana nathila. tara kasi lembu ku bijaya hatare dhari chupudila bele meeta aaaa.. kari ta pakhare lagi jauthila. AAu meeta mana tike adhika kariba pain se khasi jai se khata re soigala . Bijaya bi meeta upare madi basi soila . Meeta ku tike side re rakhi ta lembu ku khaila. Bijaya meeta ra chadi bhitaraku hata purei biaa ku dalila. Hele bia ta puara muji hoi thae. Meeta ku maja madhya asuthae. Suna jhia pari uparaku chanhi rahi maja neuthila.  Bijaya ebe tara bhenda mota banda ku bahara kala. Meeta ra chadi ku tike kholi dei meeta ra bia upare peli peli bijaya gehi hela bhali hela. Meeta ta hata nei bijaya banda ku chuinla. ki kathina laguthila ta banda. Meeta saha praya 15 minute heba parebijaya uthi jai bari ade daudila. Meeta setebele jani nathila je bijaya ra birja bahari thila boli. Meeta khatare uthi basila. Chadi ku uparaku teki semiti kahatare basila. kichi samaya pare tanka ghara ade gala belaku maa baapa asuthile. Se dina aau kichi na bhabi se soi gala......

Ete bhitare kete barsha gadi galani meeta ebe ta pura joubana ra kumari tie. Deha re joubana dhala dhala heuchi. Hele aji bele bele ratire bijaya ta pakhaku asuchi. Kichi dina hela ebe se sabu band achi. Nahale purba ru sabu dina praya bijaya meeta ku gehi sari soibaku jae. Meeta tanka bahara baranda re sue. Ta bapa maaa ghara bhitare kabata kili suanti. Ete sujogare meeta ra sabu dina ra giha gehi pura sadharana katha hoigalani. Meeta deha ra lembu ebe pakala hoi bela hoi galani. Dudha kichi ansa chuni na ghodeile phuli hoi baharaku dekha jauchi. Se kahuthila ta bia bi pura mela heigalani. Baha hela jhia pari pratidina giha nakhaile taku bhala lageni. Jadi besi dina bia re banda na pase jantrana re meeta ebe anguthi genji lala nigideuchi. Eta sabu jhia karanti hele meeta tike besi pela khai rankuni bhali heigalani. Kichi dina tala katha madhya se mote kahila. Rati 11 ta - 12 samaya hele bijaya sahi sara sun san dekhi meeta pakahaku ase meeta tanka baranda re soi rahi thae.

 Bijaya asi ta pakhare ladi hoi soi ta sahita geha gehi hoi jae. Kichi dina tale ta ghara lokanku sadeha hoi thila. Se dina se sabu dina pari soi rahi thila. Bijaya 11 ta samaya re asi meeta pakhare hajara meeta tike abhimani bhali taku ta pakharu chali jibaku kahila. Bijaya kanlei kanlei meeta ra dudhaku shirt upau tike chipi dei taku gote chuma dei tara mana ku puni manei nela. Bijaya meeta ra shirt uparaku kari dudha ku gela kariba boli bhidila bela ku meeta badha dela. Kahila tame ebe ta baa hoigalani tama stree janile kana heba.Tame aau mo sangare lagani kahi shirt ku jabudi dharila. Bijaya taku kahila hau hele aji dinaka ta. Meeta puara mana kari dela. Bijaya tike bhida bhidi kala hela parilani abhimana re sethu chali asila. Meeta paleigale bhabi kichi samaya pare soi gala. Hathat ijaya asi meeta upare ladi hoi gote hatre meeta shirt bhitare thiba 34 isze ra dudha ku aau gotie hatare  meeta ra jangha sandhi biaa re hata genjila. Meeta chaniaa hoi aaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaa.....................  kari ebaru bijaya bia ru hata kadhi pati japi dharila. Meeta baranda ku munha kari soi thae. Biajaya ta pant taku kholi banda saha meeta upare madi basithila. Meeta jani pariba pare chup hela. Kahila chadi dia. Bijaya puni hata nei bia ku manthila. Meeta deha re niaa lagila au mana kari parilani. Bijaya pura garam hei thae. Meeta ra pant ku talaku bhidi gandire banda pasei meeta ra gandi ku gheila. Bhasa bhas gehi lagi thae. Meeta unnnnnnnnnn...   unnnnnnnnnnn... hau thila. Puni buli padi meeta biaa ku chati chati ta bia re gehila. Meeta randi bhali giha kahuthila. Meeta ra dudha ta ebe dhali dhali rahi thae. Bijaya meeta ra dudha ku bi banda bharti kari gehila. aau kichi samaya bhitare birja bharila. Meeta aau birja katha abujha nathae o bahut katha madhya sikhi jai thila. Bijaya r banda ku munhare pasei haun haun kari chusibare lagila. Puni dui chari thara pela peli hoi meeta bijaya ku bidaya dela. Bijaya se patu bahari asiba bela ku meeta bapa agaru asuthile. Meeta bapa se dina nayagarh jaithile. Tenu dri re pheri le. Bijaya ku dekhi se kichi kahileni. Hele bhitaraku asila pare meeta ku baranda re chein thiba dekhi meeta ra asajada deha ku dekhi se dina ta bapa nkara sandeha hela.......

 Hele se sandeha pare madhya meeta bijaya gharaku jai pancha cha thara pela khai asilani..................... Meeta rabahaghara ebe arjyanta hoi nanhi.............

Writer: Sunita Prusty
Publisher: Bhauja.com

प्यारी चुदाई का मीठा-मीठा दर्द (Pyari Chut Chudai Ka Mitha-Mitha Dard)

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hi मैं सुनीता भाभी । मेरे सारे  देवर को bhauja.com की ये कहानी को स्वगात  करता हूँ ।


दोस्तो, मेरा नाम प्रदीप है। मैं मध्य प्रदेश का रहने वाला हूँ। हर दिन मैं BHAUJA मैं  चुदाई की कहानी पढता हूँ । मैं यहाँ मेरी पहली और सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ। जिस घटना के बारे में मैं लिख रहा हूँ उस वक्त मेरी उम्र 21 की थी। मैं एक इंजीनियरिंग का छात्र हूँ। मेरी हाइट 5’9″ है और मेरा लंड 8″ का है। मैं भोपाल में रह कर अपनी पढ़ाई करता था।
मेरी गर्लफ्रेंड भी हमारे घर से कुछ ही दूर पर रहती थी.. उसका नाम सोनम है। मेरी गर्लफ्रेंड की उम्र 20 वर्ष.. हाइट 5’4″ और फिगर 30-26-30 है।
भोपाल आ जाने के बाद मेरा दिल नहीं लगता था दिल मिलने के लिए बेकरार रहता था.. पर हम दोनों के शहरों के बीच में दूरी काफ़ी थी। चाहता था कि सोनम को भी अपने पास बुला लूँ।
हम दोनों के बीच फोन से काफ़ी बात होती थीं। हम लोग हर तरह की बात करते थे। पहले वो सेक्स वाली बातें नहीं करती थी.. फिर कुछ दिन बाद हम दोनों वो सारी बातें करने लगे।
एक दिन वो बात करते-करते बहुत गर्म हो गई.. तो मैंने उससे कहा- सोनम सेक्स करने का बहुत मन कर रहा है।
उसने भी कहा- हाँ यार.. मेरा भी बहुत मन करता है।
मैंने कहा- मैं होली में घर आ रहा हूँ।
तो उसने कहा- प्रदीप जल्दी आओ.. अब मुझसे नहीं रहा जाता है।
फिर मैं एक हफ्ते बाद होली के छुट्टी में घर चला गया। मैं पहुँचते ही सबसे पहले सोनम के घर गया वो मुझे देख कर बहुत खुश हुई।
रात को हमने अगले दिन सेक्स करने का पूरी प्लानिंग की।
मैंने उसे बताया- कल तुम कॉलेज जाने को निकलना और घर में अपनी किसी फ्रेंड के यहाँ रुकने का बहाना बना देना।
वो जब कॉलेज से निकली.. तब अपने किसी फ्रेंड से घर में कॉल लगा कर उसके यहाँ रुकने का बहाना बना दिया।
मैं भी घर में अपने एक दोस्त के बर्थडे पार्टी में जाने का बहाना बना कर रात में वहीं रुकने का बता कर निकल गया।
फिर हम लोग वहाँ से करीब 50 क़ि.मी. दूर मेन सिटी में चले गए। करीब 5 बजे शाम को हम लोग होटल पहुँचे.. एक कमरा लिया और कमरे में चले गए।
यह पहली बार था कि मैं और सोनम एक कमरे में अकेले थे इधर कोई अन्य रोक-टोक करने वाला भी नहीं था।
मैंने उसके सामने अपने कपड़े बदले.. वो शर्मा गई और खुद कपड़े चेंज करने के लिए बाथरूम में चली गई। चूंकि हम लोगों की पहले से प्लानिंग थी.. इसलिए हम लोग अपने एक्स्ट्रा कपड़े छुपा कर ले आए थे।
वो चेंज करके निकली.. तो मैं अन्दर से इतना खुश हो गया था कि आज तो इसकी सील तोड़ ही दूँगा। मैंने उसको नाइट ड्रेस में पहली बार देखा था। मेरा 8 इंच का लंड ‘टन.. टन..’ कर रहा था.. पर वो इतना लंबे सफ़र के वजह से थक चुकी थी।
वो मेरे बगल में आकर बैठ गई। कुछ 5 मिनट तक हम लोगों ने बात की और मेरे से रहा नहीं गया तो मैं सीधे उसको ‘लिप किस’ करने लगा। इसके साथ ही मैं उसके दूध मसलने लगा।
वो अब जोश में आ गई और मेरा लंड पकड़ कर रगड़ने लगी।
यह हम लोगों के लिए पहला चुदाई का मजा वाला अवसर था।
फिर मैंने सोनम के सारे कपड़े 2 मिनट के अन्दर उतार दिए और उसके जिस्म से खेलने लगा। उसके चूत के बाल बढ़े हुए थे और उसकी चूत में रस निकल रहा था। ये देखकर मैं पागल हो रहा था।
मैंने अपना लंड हिलाया.. लंड का साइज़ देखकर सोनम डर गई, वो बोली- मेरी चूत आज फाड़ दोगे क्या.. ये तो अन्दर जाएगा ही नहीं?
मैं बोला- चूत तो क्या.. आज गाण्ड में भी घुस जाएगा।
मैं उसकी चूत का रस चूसने लगा सच में एकदम फ्रेश चूत थी।
मेरा 8 इंच का लंड घुसने के लिए उतावला हो चुका था। फिर मैं ज़्यादा देर रूका नहीं और बिना कन्डोम लगाए अपना लंड का सुपारा उसकी चूत में रखा और धीरे-धीरे पुश करने लगा.. पर लौड़ा अन्दर नहीं जा रहा था।
फिर मैंने एक ज़ोर का झटका मारा तो सुपाड़ा घुस गया और सोनम चिल्लाने लगी- निकालो.. निकालो..
पर मैंने अनसुना करते हुए एक और झटका दिया। इसी तरह 4 झटके में 80% लंड अन्दर चला गया और मैं उसके मम्मों को पकड़ कर चूसने लगा था।
फिर धीमी गति से 15 मिनट चुदाई की और मैंने देखा कि उसका खून निकलने लगा।
तभी वो अकड़ने लगी और झड़ गई.. फिर मेरा भी रस निकलने वाला था।
मैंने लंड बाहर निकाला और कन्डोम लगा कर एक बार फिर फुल स्पीड से पेल दिया और कुछ देर बाद मैं झड़ गया सोनम भी दुबारा झड़ गई।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
अब हम लोग एक-दूसरे को पकड़ कर 20 मिनट तक यूँ ही पड़े रहे।
मैंने खाना ऑर्डर किया और 8:30 बजे डिनर करने के बाद 20 मिनट टीवी देखा.. उसके बाद मैंने फिर से सोनम को दबोच लिया और फटाफट सारे कपड़े उतार दिए। मैं उसके मम्मों को मसलने लगा.. उसकी झांटें देखकर मैं पागल हो जाता था।
सोनम को मैंने जी भर के चूसा और वो फिर चुदने के लिए तैयार हो गई।
मैंने सोचा इस बार इसकी गाण्ड मारूँगा और मैंने उसको पलट दिया और ट्राइ किया.. पर मेरा लंड मोटा होने के कारण अन्दर नहीं जा रहा था इसलिए मैंने सोचा कि फिर कभी गाण्ड मारूँगा.. अभी इसकी चूत ही ढीली कर देता हूँ। फिर मैंने उसे जमकर चोदना चालू किया।
वो ‘आहह.. उहह..’ करके मज़े ले रही थी और बोल रही थी- फाड़ दो.. मेरी चूत फाड़ दो.. और चोदो.. जमके चोदो.. इस तरह की आवाजें सुन कर मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी।
मैंने इसी उत्तेजना के दौर में लंड निकाला और उसके मुँह में डाल दिया। उसने भी दो बार मेरा लंड चूसा और फिर मैंने लौड़ा मुँह से निकाल कर उसकी रसीली चूत में डाल दिया।
करीब 25 मिनट चोदने के बाद मैंने अपना रस उसके मम्मों पर गिरा दिया और थोड़ी देर बाद सब साफ़ करके हम लोग नंगे ही लेट गए।
एक-दूसरे को देखते-देखते अभी रात के 11 बज चुके थे.. सोनम थकी हुई थी इसलिए वो सो गई.. पर मेरे पास सिर्फ़ रात भर का टाइम था।
मुझे नींद नहीं आ रही थी। मैं चोदने के तरीके सोच रहा था। एक बजे रात को मैंने उसके मम्मों को रगड़ना शुरू किया। वो नींद में थी मैंने उसको उठाया और बोला- सोनम मुझे फिर से चोदना है।
वो बोली- सो जाओ.. नींद आ रही है..
मैंने उसकी एक ना सुनी और उस पर चढ़ गया। मैं अपना लंड रगड़ने लगा.. वो भी तैयार हो गई और मेरा साथ देने लगी।
अब हमने ज़्यादा टाइम वेस्ट नहीं किया फिर मैंने उसकी चूत में लंड डाला और अन्दर-बाहर करने लगा।
वो ‘अया.. उहह.. और चोदो..’ इस तरह की कामुक बातें बोले जा रही थी।
मैं उसे पेले जा रहा था। मैंने धकापेल 15 मिनट चुदाई की.. फिर हम दोनों ही एक साथ झड़ गए.. और वो लस्त होकर सो गई।
फिर मैं भी सो गया..
अचानक नींद खुली तो देखा सुबह के 5 बज रहे थे।
मैं फिर से उस पर चढ़ गया और बोला- जल्दी चोदने दो.. टाइम नहीं है।
उसने भी जल्दी से टाँगें फैला दीं और मेरा साथ दिया।
करीब 20 मिनट तक मैंने कन्डोम लगा के उसे फिर पेला.. इस बार वो पहले झड़ ही चुकी थी.. लेकिन मुझे मज़ा आ रहा था और फिर थोड़ी देर में सोनम थक कर चूर हो चुकी थी.. वो फिर सो ग।
फिर वो सुबह 8 बजे उठी.. बाथरूम गई उधर से आने के बाद.. मैंने फिर उसे पेला।
इस बार वो मेरे ऊपर थी.. मैं नीचे से झटके मार रहा था.. पर इस बार 10 मिनट तक ही चोद पाया। उसकी चूत पूरी तरह से फट चुकी थी।
फिर मैंने कन्डोम लगाया और उसके मम्मों को मसलने लगा और थोड़ी देर में पूजा की चूत से रस निकलने लगा। मैंने भी मौका देख कर लंड डाला और धक्के देना चालू कर दिया। मेरा 8 इंच के लण्ड से वो चुद कर बहुत कमजोर हो गई थी। उसकी चूत बहुत दर्द दे रही थी। मैंने जी भर के पेला और वो लेट गई।
हम 11 बजे दिन में निकलने वाले थे। मैंने सोचा एक बार और चोदूँगा। फिर क्या था.. 10 बजे तक एक बार और चोद डाला।
अब सोनम दर्द से चल भी नहीं पा रही थी.. लेकिन थोड़ी देर रेस्ट करने के बाद हम लोग बस में बैठ कर घर आने लगे।
वहाँ से रास्ते भर वो यही कहती रही- क्या चोदा है.. तुमने मुझे.. मेरा पूरा शरीर दर्द दे रहा है। कमर और चूत बहुत दर्द कर रहा है।
मैंने उसे एक दर्द निवारक गोली दी और बोला- बस में आराम से सो जाना।
हम घर पहुँच गए.. उसके बाद तो जैसे चुदाई का सिलसिला ही चल पड़ा। मैंने उसे कई बार उसके और अपने घर में भी बुला कर चोदा।
अब वो मुझसे दूर हो गई है, उसकी पिछले साल शादी हो गई।
लेखक : सुनीता पृस्टी
प्रकाषक : bhauja.com

प्रेमिका की चूत की प्रथम चुदाई (Premika Ki Chut Ki Pratham Chudai )

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ज्यादा मीठी भरी कहानी को ले कर मैं  सुनीता भाभी आप सभी को bhauja.com  पर स्वागत करता हूँ । आप ये कहानी को ध्यान से पढ़ कर कमेंट करें ।


मैं पिछले दो सालों से bhauja.com  का नियमित पाठक हूँ। मेरे प्यारे दोस्तो, मैं सरस यहाँ पर पढ़ी हुई कहानियों से प्रेरित होकर आप लोगों के सामने अपनी सच्ची कहानी और मेरा पहला अनुभव प्रस्तुत कर रहा हूँ।
मैं राजस्थान के हिण्डन सिटी का निवासी हूँ। वैसे मैं देखने में ज्यादा अच्छा नहीं हूँ और हमारे घर में बहुत सख्ती होने के कारण मैं अपनी स्नातक होने तक सेक्स के बारे में ज्यादा नहीं समझ पाया था। 

यहाँ तक कि जब मेरे हमउम्र दोस्त अपनी-अपनी चुदाई की कहानियाँ मुझे सुनाते.. तो मेरा भी मन होता कि मैं भी किसी लड़की को अपना दोस्त बनाऊँ.. पर आप में से बहुत से पाठक यकीन नहीं मानेंगे.. पर यह सच है कि तब तक मुझे यह सब पता ही नहीं था कि कैसे लड़कियों से दोस्ती की जाती है।
यकीनन मुझे अब भी इन मामलों में ज्यादा अनुभव नहीं है।
अब मैं अपनी कहानी पर आता हूँ। बात उन दिनों की है जब मैं अपनी जॉब दौसा क्षेत्र में कर रहा था। मेरी.. मेरे मामा के लड़के के साथ बहुत पटती थी.. जो लड़कियाँ पटाने में बहुत माहिर था। मैं कई बार उसके सामने अपनी व्यथा रख चुका था.. लेकिन उसने कभी ध्यान नहीं दिया।
एक दिन जब मैं आफिस में बैठा था.. तो अचानक उसका फोन आया और बोला- सरस.. चल आज तेरी भी सैटिंग करवा देता हूँ।
मैंने सोचा ‘यह इसको आज क्या हो गया है.. जो आज अचानक मेरे ऊपर इतनी मेहरबानी कर रहा है?’
मैंने उससे कहा- भई ठीक है।
फिर उसने मुझे एक लड़की का नम्बर दिया और बोला- इससे बात कर लेना तेरा काम हो जाएगा।
मैं बोला- ठीक है।
शाम के वक्त मैंने उस नम्बर पर कॉल किया तो दूसरी तरफ से खनकती हुई कानों में शहद घोलती हुई आवाज आई- कौन?
मैंने कहा- जी.. मैं सरस.. मुझे रोहित ने आपसे बात करने के लिए कहा है।
वो बोली- अच्छा अच्छा.. आप हैं सरस.. मैं भी आपके ही फोन का इंतजार कर रही थी।
फिर हम दोनों नें एक-दूसरे के बारे में पूछताछ की और एक-दूसरे के बारे में जाना, उसने अपना नाम पूजा बताया।
मैंने उससे मिलने के लिए बोला.. तो उसने कहा- अभी नहीं कुछ दिन रूको.. फिर मिलेंगे।
मैंने भी ज्यादा दबाब नहीं देते हुए कहा- ठीक है।
फिर रोज हमारी बातें होने लगीं और एक दिन वो दिन भी आ गया.. जब उसने मुझे मिलने के लिए ‘हाँ’ कह दिया।
मैं तय किए गए दिन को उससे मिलने के लिए आतुर.. समय से पहले ही पहुँच गया।
जैसा कि उसने मुझे बताया कि वो गुलाबी टी-शर्ट और नीला जींस पहन कर आएगी और बगीचे में एक पेड़ के नीचे मेरा इंतजार करेगी।
अब चूंकि मैं वक्त से पहले पहुँच गया था.. तो एक बेंच पर बैठ कर उसका इंतजार करने लगा।
कुछ देर बाद पूजा पार्क में आई और खुद के द्वारा बताई जगह पर आकर खड़ी हो गई।
क्या लग रही थी वो.. उन चुस्त कपड़ों में… ऐसा लग रहा था मानो स्वर्ग से कोई अप्सरा धरती पर उतर आई हो।
उसका मस्त फिगर किसी भी लड़के का लण्ड खड़ा करने के लिए बहुत था।
मैं लगातार उसे देखे जा रहा था। उसकी खूबसूरती को देखकर मैं पागल सा हो गया था।
मैं समझ गया था कि यही पूजा है लेकिन तब भी पक्का होने के लिए मैंने उसे फोन लगाया.. तो मेरे सामने खड़ी उसी लड़की ने उठाया।
मैंने उससे पूछा- कहाँ हो?
तो उसने जबाब दिया- मैं उसी जगह पर खड़ी हूँ जनाब.. जो आपको बताई थी.. पर आप कहाँ हो?
मैंने कहा- मैं ठीक आपके सामने खड़ा हूँ और मैं बेंच से खड़ा होकर उसके सामने आ गया।
वो मुझे देखकर मुस्कुराई। मेरा सारा ध्यान अब भी उसके छोटे-छोटे चीकू जैसे चूचों पर था.. जिसे वो भी नोटिस कर रही थी।
मैं उसकी खूबसूरती में इतना खोया हुआ था कि मेरा ध्यान तब टूटा.. जब उसने मुझसे कहा- बस ऐसे ही देखते रहना है या कुछ करना भी है।
मैंने कहा- हाँ..
लेकिन मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं उसे लेकर कहाँ जाऊँ।
कुछ देर सोचने के बाद मैं और पूजा एक होटल की तरफ निकल गए। होटल पहुँच कर मैंने एक कमरा बुक करवाया और मैं पूजा को लेकर अन्दर आ गया।
कमरे में अन्दर आकर दरवाजा बन्द करते ही मैं पूजा के ऊपर टूट पड़ा। मैंने उसे अपनी बाँहों में कैद करके अपने होंठ उसके गुलाबी होंठों पर रख दिए और मैं उसके मस्त नरम-नरम गुलाबी होंठों के मधुरस का पान करने लगा। वो भी मेरा साथ दे रही थी।
अब धीरे-धीरे मेरे हाथ उसके चूचों के चूचकों तक पहुँच गए। मैं अब उसके चूचकों को दबा रहा था। मस्ती में धीरे-धीरे उसकी आँखें बन्द होने लगीं और वो कपड़ों के ऊपर से ही मेरे लण्ड को दबाने लगी।
खड़े-खड़े ही मैंने उसकी टी-शर्ट उतार दी और मैं उसे बिस्तर पर ले आया। बिस्तर पर लाकर मैंने उसकी जींस और अपने कपड़ों को भी खोल दिया।
अब पूजा मेरे सामने नंगी पड़ी हुई थी। कपड़ों के नाम पर उसके शरीर पर केवल पैन्टी ही बची थी।
मैं उसके ऊपर लेटकर उसके स्तनों को चूसने लगा। उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं। अपने एक हाथ से उसकी चूत में उॅंगली कर रहा था तो दूसरा हाथ उसके मम्मों को मसलने में व्यस्त था।
उसकी चूत उत्तेजना की वजह से एकदम गीली हो गई थी। उसकी चूत मुझे आमंत्रित करने लगी थी कि ‘आओ घुसा दो अपना लौड़ा मेरी चूत में और बुझा दो मेरी प्यास..’
चूत के चिकना हो जाने की वजह से मेरी उॅंगली आसानी से अन्दर जा रही थी।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

अब मैं खड़ा होकर उसके पैरों के बीच में आ गया और बड़े गौर से उसकी प्यारी सी चूत को देखने लगा।
हाय.. क्या मस्त चूत थी उसकी.. एकदम गोरी क्लीनशेव। उसकी मस्त चूत को देखकर मैं उसे पागलों की तरह चाटने लगा। जैसे ही मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया उसकी सिसकारियाँ तेज होने लगीं।
मैं मस्त होकर उसकी मक्खन जैसी चूत को चाट रहा था और वो भी मस्ती में नागिन की तरह बल खा रही थी, उसके मुँह से ‘आह अऽऽआऽऽह.. म्म्म्म्म मऽऽआऽऽह..’ की आवाजें निकल रही थीं।
कुछ देर उसकी चूत को चाटने के बाद मैंने उसे अपना लण्ड चूसने को कहा.. तो उसने मना कर दिया और मैंने उसकी भावनाओं को समझते हुए उस पर ज्यादा जोर भी नहीं डाला।
अब मैं खड़ा होकर बिस्तर से नीचे आ गया और उसके पैरों को पकड़ कर बिस्तर से नीचे लटका दिया। अब मेरा लण्ड ठीक उसकी चूत के सामने था। मैंने लण्ड को पकड़कर उसकी चूत के छोटे से छेद पर रख दिया। जैसे ही मैंने लण्ड को उसकी चूत से छुआ वो एकदम सिहर उठी और मेरे लण्ड को हाथ में लेकर नापतोल करने लगी।
कुछ देर बाद उसने कहा- ये तो बहुत मोटा है।
मैंने कहा- घबराओ मत मेरी जान.. आराम से करूँगा.. बहुत प्यार से चोदूँगा।
वो बोली- ठीक है.. पर आराम से।
मैं बोला- ठीक है।
मैंने लण्ड को उसकी चूत पर रख कर हल्का सा धक्का मारा.. तो वह दर्द की वजह से चीख पड़ी।
मैंने अपना एक हाथ उसके मुँह पर रख दिया और अपने लण्ड को धीरे-धीरे उसकी चूत में घुसाने का प्रयास करने लगा.. मगर उसकी चूत इतनी टाइट थी कि चूत और लण्ड के पर्याप्त चिकना होने के बावजूद मैं अपना लण्ड उसकी चूत में नहीं डाल पा रहा था।
अबकी बार मैंने थोड़ा सा जोर लगाकर लण्ड को आधा.. पूजा की चूत में डाल दिया और पूजा दर्द की वजह से छटपटाने लगी।
उसके दर्द को कम करने के लिए मैं उसके होंठों को चूसने लगा और उसके होंठों को चूसते-चूसते मैंने अपना बाकी का आधा लण्ड भी पूजा की चूत में उतार दिया।
लण्ड के पूरा अन्दर जाते ही पूजा दर्द के मारे दोहरी हो गई। मैंने उसके होंठों को चूसना चालू रखा.. जब तक कि उसका दर्द कम नहीं हो गया।
कुछ देर बाद वह अपनी कमर को हिलाने लगी.. तो मैं समझ गया कि अब उसका दर्द कम हो गया है। अब मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाना शुरु किया। अब उसके मुँह से ‘आआहहऽऽ.. आहहऽऽअऽऽ.. हहऽऽहऽऽ हम्म्म्मऽऽ..आ..’ की आवाजें आने लगीं- चोद दो मुझे.. हाँ.. चोद दो.. फाड़ दो मेरी चूत को.. फाड़ दो इसको। हम्म्म्म्म.. आहहहह आहहह.. अहहह अहह आहहहम्म्म ममआहह.. उसकी आवाजें तेज होने लगीं।
उसकी मादक आवाजें मुझे और भी उत्तेजित कर रही थीं। अब मैं उसकी चूत में तेज-तेज धक्के मारने लगा। मैंने उसे चोदने की स्पीड बढा दी। वह अब और भी जोर से चीखने चिल्लाने लगी, उसके मुँह से ‘आह हह.. आआ.. आहह.. हहम्म.. अआहह’ की आवाजें आ रही थीं।
मैं उसे तेज गति से चोद रहा था। उसके साथ-साथ अब मेरे मुँह से भी सिसकारियाँ निकलने लगीं।
मैं धक्के पर धक्के लगाए जा रहा था। पूजा आनन्दातिरेक से बड़बड़ा रही थी।
वो झड़ चुकी थी।
लगभग बीस मिनट की चुदाई के बाद मैंने पूजा से कहा- मेरा निकलने वाला है तो पूजा बोली- अन्दर ही निकाल दो.. मैं दवाई खा लूंगी।
कुछ देर बाद मेरे लण्ड से पन्द्रह-बीस पिचकारियाँ पूजा की चूत में निकल गईं। पूजा भी एक बार फिर से झड़ गई। पूरी चुदाई के दौरान पूजा तीन बार झड़ी। झड़ने के बाद में पूजा को अपनी बाँहों में लेकर उसके ऊपर ही ढेर हो गया।
पूजा ने भी मुझे अपनी बाँहों में लिया हुआ था, मैं उसे लगातार किस किए जा रहा था, वो भी मेरा साथ दे रही थी।
कुछ देर बाद पूजा ने घड़ी में टाइम देखा तो वह बोली- सरस.. अब हमें चलना चाहिए.. काफी देर हो चुकी है।
मैंने घड़ी देखी तो सच में शाम के 5 बज चुके थे।
हम दोनों एक-दूसरे से अलग हुए और अपने कपड़े पहनने लगे।
कपड़े पहन कर पूजा मेरे गले लगते हुए बोली- देखना.. आज रात को मुझे बिल्कुल नींद नहीं आएगी।
मैंने पूछा- ऐसा क्यूँ?
पूजा- आज तुमने मुझे इतना प्यार दिया है कि मैं इसे जिन्दगी भर नहीं भूल पाऊँगी। काश मैं आपसे शादी कर पाती लेकिन जिस भी लड़की की शादी आपके साथ होगी वो बहुत खुशनसीब होगी कि उसे आपके जैसा पति मिलेगा।
यह कहते-कहते पूजा की आँखों में आंसू आ गए।
मैंने पूजा को जोर से गले लगाकर उसे चुप कराते हुए कहा- मैं कहीं जा थोड़े ही रहा हॅू.. परेशान मत हो।
उसे चुप कराकर मैंने उसे चुम्बन किए और उसने मुझे। फिर हमने होटल से रुम खाली किया और मैं पूजा को लेकर उसके घर उसे छोड़ने गया।
उसे घर छोड़ते वक्त उसकी आँखों में बिछड़ने का दर्द था।
उसके बाद लगभग दो साल तक हमने खूब रातें साथ बिताईं.. कभी उसके घर.. कभी तो मेरे घर.. कभी होटल.. तो कभी सिनेमा हॉल.. खूब चुदाई की.. लेकिन अब पूजा की शादी हो चुकी है और मुझे फिर एक साथी की जरुरत है।
मुझे मेरे ई-मेल पर जरुर लिखें क्योंकि जितना एक जरूरतमन्द दूसरे जरूरतमन्द की भावनाओं को समझेगा.. शायद
 उतना कोई और नहीं।


लेखक : सुनीता पृस्टी
प्रकाषक : bhauja.com

हंसती खेलती जवान लड़कियाँ (Hansti Khelti Jawan Ladkiyan)

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आज की ये ५ no.  सेक्स कहानी हे । में सुनीता भाभी आप को स्वागत करता हूँ । दोस्तो आज पेश है एक बिलकुल ही नई कहानी ।

मगर कहानी सुनाने से पहले मैं आपसे एक बात कहना चाहता हूँ, कहानी पढ़ने के बाद कमेंट करें , वे सिर्फ वहाँ से कहानी पढ़ना शुरू करते हैं जहाँ से असली चुदाई कार्यक्रम शुरू होता है।
जबकि लड़कियाँ बिलकुल शुरू से कहानी पढ़ती हैं और जहाँ से ऐक्शन शुरू होता है वहाँ तक पहुँचते उनका पूरा मूड बन जाता है, सिर्फ इसी लिए उनकी ई मेल्स जो मुझे मिलती हैं, उनमें पूरी डीटेल से बातें कही और पूछी जाती हैं।
जबकि लड़के क्योंकि शुरू से कहानी पढ़ते ही नहीं हैं, इस लिए वे कहानी के करैक्टर को ही सच समझ कर उसे फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज देते हैं, उसे चोदने के लिए रिक्वेस्ट भेज देते हैं, जबकि सच्चाई यह होती है कि कहानी में सिर्फ करैक्टर होता है, सच्चाई तो होती ही नहीं है।
इसी लिए लड़कों ने सिर्फ आधी कहानी पढ़ी, मुट्ठ मारी पानी निकाला और बाद में ईमेल भेजेंगे ‘प्लीज मुझसे सेक्स कर लो, मैं तुम्हें पूरा मज़ा दूँगा।’
अरे भाई पहले देखो तो सही कि कहानी सचमुच आपबीती है या काल्पनिक है। इस लिए मेरी रिक्वेस्ट है, प्लीज कहानी को शुरू से अंत तक पढ़ें, ताकि आपको कहानी समझ भी आए और कहानी का मज़ा भी आए।
अब ऐसे ही एक दिन मेरी कोई कहानी पढ़ कर मुझे एक लड़की ने ईमेल भेजा। अब बहुत से लड़के कहेंगे कि हमारी भी किसी से दोस्ती करवा दो, अरे भाई अपना तजुरबा कहानी के रूप में लिखो, अन्तर्वासना पे डालो और हो सकता है कोई लड़की आपकी कहानी पढ़ कर खुद आपसे दोस्ती करने की रिक्वेस्ट भेज दे।
खैर मुद्दे पर आते हैं, लड़की ने मेल भेजा और दोस्ती करने की रिक्वेस्ट भी भेजी।
मैंने भी जवाब में मेल भेजा, उससे पूछा कि वो कौन है, कहाँ रहती है और मुझसे दोस्ती क्यों करना चाहती है।
उसने जवाब दिया कि मैं आपके ही शहर में रहती हूँ, आपकी कहानी अन्तर्वासना पर पढ़ी और मैं आपसे दोस्ती करना चाहती हूँ और कुछ बातें भी शेयर करना चाहती हूँ।
लड़की ने अपना नाम सुदीप्ति बताया, उम्र 20 साल और बी टेक की स्टूडेंट बताया।
मैंने भी उसे अपने बारे में सब सच बताया और यह भी बता दिया कि मेरी उम्र 45 साल है और मैं शादीशुदा हूँ।
खैर दोनों में ई मेल्स का आदान प्रदान होता रहा। करीब करीब 20-25 दिन हम दोनों ने एक दूसरे को बहुत सारी ई मेल्स की और दोनों ने एक दूसरे के बारे में बहुत कुछ जान लिया।
सिर्फ वही नहीं, उसकी कुछ और फ्रेंड्स भी थी, जो अन्तर्वासना पर कहानियाँ पढ़ती थी और नेचुरली कहानियाँ पढ़ते पढ़ते हस्तमैथुन भी करती थी, और सेक्सी कहानी पढ़ते पढ़ते हस्तमैथुन करना बड़ी आम सी बात है।
एक दिन मैंने उससे पूछा कि क्या वो मुझसे मिलना चाहेगी।
उसने जवाब दिया कि वो मिलना तो चाहती है पर उसे डर सा लगता है।मैंने उसे कहा- ऐसा करते हैं, किसी पब्लिक प्लेस में मिलते हैं।
उसने पूछा- क्या मेरे साथ मेरे कुछ फ्रेंड्स भी आ सकते हैं?
मैंने कहा- मुझे कोई प्रोब्लम नहीं है, बस इतना बता दो कि वो बॉय फ्रेंड्स हैं या गर्ल फ्रेंड्स।
उसने बताया कि उनका चार लड़कियों का ग्रुप है, चारों फास्ट फ्रेंड्स हैं, तो वो चारों आएंगी।
मैंने प्रोग्राम तय करने को कहा।
प्रोग्राम यह तय हुआ कि शहर के क्लासिक होटल में सब मिल कर लंच करते हैं।
मैंने मंजूर कर लिया, उसको भी मंजूर था।
तय दिन मैं करीब एक बजे तैयार हो कर क्लासिक होटल पहुँच गया।
बरसों बाद मैं किसी लड़की के साथ डेट पे जा रहा था तो मैं अपनी पूरी तैयारी के साथ गया।
होटल में जा कर मैं एक 6 सीटर टेबल पर बैठ गया।
करीब आधे घंटे बाद सामने से चार लड़कियाँ होटल में दाखिल हुई। जब वो डाइनिंग हाल में आई, मैं सामने से उठ कर खड़ा हुआ। सुदीप्ति उनमे सबसे आगे थी, वो मेरे पास आई तो मैंने उसे हैलो कहा, मैंने सबसे हाथ मिलाया।
चारों लड़कियाँ 19-20 साल की थी, बहुत ही प्यारी प्यारी, गोरी चिट्टी, सबकी सब सुंदर और सबके नर्म नर्म बदन, जो मुझे उनके हाथ मिला कर छूने से पता चला।
हम सब बैठ गए, सुदीप्ति के साथ मैं मेल पे बात करता रहता था सो, वो मुझसे थोड़ा खुल कर बात कर रही थी, बाकी लड़कियाँ शरमाई सी चुपचाप बैठी थी।
पहले कोल्ड ड्रिंक्स आ गई, पीते पीते बातचीत शुरू हो गई।
सुदीप्ति ने पूछा- सबसे पहले यह बताइये कि आप कहानी कैसे लिखते हैं?
मैंने कहा- कहानी लिखना कोई मुश्किल काम नहीं, जैसे अगर मैं तुम्हें कहूँ कि माइ फ्रेंड का एस्से लिखो, ठीक वैसे ही।
सुदीप्ति- मगर एस्से लिखने और कहानी लिखने में तो बहुत फर्क होता है।
मैंने कहा- नहीं, ज़्यादा फर्क नहीं होता, एक आइडिया होता है, जैसे माइ फ्रेंड का एस्से लिखते वक़्त तुम अपने दिमाग में अपने दोस्त की पिक्चर बनाते हो, ठीक वैसे ही कहानी लिखते वक़्त मैं अपने दिमाग में एक फिल्म बनाता हूँ, कि कौन सा करैक्टर क्या कहेगा, क्या करेगा।
सुदीप्ति- कितने टाइम में एक कहानी लिख लेते हो?
मैंने कहा- डिपेंड करता है, अगर कोई धांसु आइडिया दिमाग में क्लिक कर गया तो मैं यहाँ बैठे बैठे भी कहानी बना सकता हूँ, अगर कोई आइडिया न क्लिक किया तो हो सकता 6 महीने में मैं एक भी कहानी न लिख पाऊँ।
सुदीप्ति- अगर मैं कहूँ कि अभी के अभी एक कहानी लिखो तो, लिख सकते हो?
मैंने कहा- हाँ, बताओ किस पर कहानी लिखूँ? तुम पर या तुम्हारी किसी फ्रेंड पर जो बोलती नहीं हैं, चुपचाप बैठी हैं।
मेरी बात सुन कर सब की सब हंस पड़ी।
सुदीप्ति- अरे पहले तो सबकी सब बोल रही थी, मैं ये पूछूंगी, मैं ये पूछूंगी, अरे अब सामने बैठे हैं, सब पूछ लो न क्यों नाटक कर रही हो?
सुदीप्ति ने कहा तो सब की सब फिर हंस पड़ी।
मैंने कहा- दरअसल बात यह है सुदीप्ति कि हम दोनों तो एक दूसरे को पहले से जानते हैं, मगर ये सब तो आज मुझे पहली बार मिली हैं, इसलिए शर्मा रही हैं, इसके लिए इन्हें खोलना पड़ेगा।
सुदीप्ति- हाँ हाँ, खोलो इनको, अरे यार वी आर जस्ट फ़्रेन्ड्ज़, दोस्त हैं, शर्माओ मत, अगर तुम ऐसे शरमाओगी तो बात कैसे बनेगी।
मैंने कहा- ऐसा करते हैं, एक एक करके सब बताओ, कि तुम में से किस किस को मेरी कौन कौन सी कहानी पसंद आई, और क्यों पसन्द आई?
सबसे पहले शिप्रा थोड़ा सा सकुचती हुई बोली- मुझे आपकी कहानी जंगल में मंगलबहुत पसंद आई!
फिर अदा बोली- मुझे जीजू से किचन में चुदवायावाली पसंद आई।
एक एक करके सबने अपनी अपनी पसंद की कहानी बता दी।
मैंने पूछा- ओ के ठीक है, थैंक्स फॉर लाइकिंग माइ स्टोरीज़, अब एक बात यह बताओ, अगर तुमको मेरी कहानी की हीरोइन बनने का मौका मिलता तो, क्या तुम अपने आप को उस सिचुऐशन में फिट कर पाती?
मैंने कहा तो सब की सब फिर से शर्मा कर नीचे मुँह करके मुस्कुराने लगी।
मैंने फिर पूछा- चलो ये बताओ, जब तुम मेरी लिखी कहानी पढ़ती हो तो क्या करती हो” पता तो मुझे था, मगर मैंने जान बूझ कर पूछा था।
सुदीप्ति बोली- मैं बताऊँ, सब की सब उंगली से करती हैं।
उसने तो कह दिया मगर बाकी सब की सब शर्मसार हो गई।
मैंने कहा- देखो, यह एक नैचुरल प्रोसैस है, अगर तुम में सेक्सुयल फीलिंग्स आ रही हैं, तो तुम्हारी उम्र के लिहाज से ठीक है, सब की सब अब जवान हो, अगर तुम सब हाथ से हस्तमैथुन करती हो तो कोई प्रोब्लम नहीं, इस उम्र में करीब करीब सभी लोग ऐसा करते हैं, मैंने भी किया है, मगर जैसे जैसे उम्र बढ़ती चली जाती हैं, इन चीजों की ज़रूरत नहीं रहती।
तभी शिप्रा ने धीरे से पूछा- क्या आप अब भी मास्टरबेट करते हैं?
मैंने कहा- नहीं, अब ज़रूरत नहीं महसूस होती, और जब बीवी है तो फिर मास्टरबेट करने की ज़रूरत क्या है।
अदा बोली- आपने अब तक कितनी बार सेक्स किया है?
उसकी बात सुन कर सब लड़कियाँ हंस पड़ी।
सुदीप्ति- पागल ये भी कोई पूछने वाली बात है?
मैंने कहा- खैर कभी गिना तो नहीं पर फिर भी 17 साल हो गए शादी को सैकड़ों बार किया होगा, या हो सकता है हजारों बार… तुम में से कभी किसी ने किया है?
मैंने पूछा।
सबने ना में सिर हिलाया।
मैंने फिर पूछा- कभी किसी ने कोई छेड़छाड़ की हो, किसी का कोई बॉय फ्रेंड, किसी भी किस्म कोई ऐसा एक्सपीरियंस जिसमें सेक्स शामिल हो?
अदा बोली- शिप्रा का था!
मैंने पूछा- तो शिप्रा क्या हमें बताओगी, तुम्हारा बॉय फ्रेंड का तजुरबा कैसा रहा?
शिप्रा बोली- मैं उसे दिल से सच्चा प्यार करती थी, मगर वो हमेशा मुझे गलत काम के लिए उकसाता था। अक्सर मेरे साथ बदतमीजी करता, तो मैंने उससे ब्रेक अप कर लिया।
मैंने कहा- मतलब यह कि तुम में से किसी को भी सेक्स का कोई एक्सपीरियंस नहीं है, मगर जब कहानियाँ पढ़ती हो तो दिल तो करता होगा कि कोई तुम्हारा बॉय फ्रेंड हो, और जो कहानी का हीरो कर रहा है या हीरोइन कर रही है, वो सब तुम भी करके देखो?
अदा बोली- दिल तो बहुत करता है, मगर डर लगता है, कोई हमारा गलत फायदा न उठा ले, हमसे सब कुछ करके हमें छोड़ के चला जाए।
मैंने कहा- एक बात बताऊँ, जो पहले सब कुछ कर लेता है, वो इसी लिए करता है कि बाद में उसने छोड़ के भागना होता है, जिसने शादी करनी होती है, वो कभी पहले नहीं करता।
हमारी बातों के बीच ही हमने खाने का ऑर्डर दिया। खाना आया, सब खाना खा रहे थे और बातें भी कर रहे थे।
खाना खाते खाते सुदीप्ति ने कहा- एक बात और है, जो मैं आप से पूछना चाहती हूँ, आप हमारे दोस्त बने हो तो आप पर विश्वास करके पूछना चाहती हूँ।
मैंने कहा- हम सब दोस्त हैं, और मैं अपने दोस्तों की बहुत इज्ज़त करता हूँ, उन्हें प्यार करता हूँ। तुम कोई भी बात बेधड़क पूछो, हम पांचों में ही रहेगी।
सुदीप्ति बोली- दरअसल बात यह है कि हम सब पहले यह सोच रही थी कि जब आप से मिलेंगी और अगर आप से बातचीत ठीक ठाक चली तो हम आप से एक फरमाइश करेंगी, अगर आप हमारी बात मानो तो?
मैंने कहा- कहिए, मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूँ?
सुदीप्ति ने पहले अपनी फ्रेंड्स को देखा, सबने आखों आखों में एक दूसरे को कुछ इशारा किया, फिर सुदीप्ति बोली- हमने फिल्मों वगैरा में तो कई बार देखा है, मगर सचमुच में कभी नहीं देखा।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैं उनकी बात समझ गया- मगर ऐसे कैसे मैं आप को यहाँ पे दिखा सकता हूँ, इसके लिए तो प्राइवेसी चाहिए।
सुदीप्ति ने पूछा- तो?
मैंने कहा- तो ऐसा हो सकता है कि हम इसी होटल में एक रूम ले लेते हैं, और हम सब एक साथ उस रूम में चलेंगे, अगर तुम सब को मंजूर हो तो? अंदर जा कर जो मर्ज़ी देखो।
मैंने उन्हें ऑफर दी।
सुदीप्ति बोली- कोई खतरा तो नहीं?


मैंने कहा- नहीं, मेरा एक दोस्त इस होटल वाले को जानता है, अगर तुम कहो तो मैं रूम का इंतजाम कर सकता हूँ।
चारों लड़कियों ने आपस में सलाह करके हाँ कर दी।
अब तो मुझे खाना बेस्वाद लगने लगा, जिसके सामने चार चार कुँवारी लड़कियाँ, लण्ड लेने को बैठी हों, उसे दाल मखनी, शाही पनीर और चिकन कहाँ स्वाद लगेगा।
मैंने झट से अपने दोस्त को फोन लगाया, और उससे कहा- यार ऐसा कर क्लासिक होटल में आ, एक कमरा बुक करवा के दे ईमीजीएटली।
वो बेचारा भागा भागा आया और खाना खत्म होते होते मेरे पास रूम की चाबी थी ।

अब तो मुझे खाना बेस्वाद लगने लगा, जिसके सामने चार चार कुँवारी लड़कियाँ, लण्ड लेने को बैठी हों, उसे दाल मखनी, शाही पनीर और चिकन कहाँ स्वाद लगेगा।
मैंने झट से अपने दोस्त को फोन लगाया, और उससे कहा- यार ऐसा कर क्लासिक होटल में आ, एक कमरा बुक करवा के दे तुरन्त।
वो बेचारा भागा भागा आया और खाना खत्म होते होते मेरे पास रूम की चाबी थी।
मैंने पूछा- गर्ल्स, तो चलें रूम में?
सब की सब शर्मा गई, मैंने कहा- देखो, यह सिर्फ आपकी जानकारी बढ़ाने के लिए है, यह समझो आपकी सेक्स एजुकेशन की क्लास है। डरना नहीं, घबराना नहीं, अगर नहीं दिल करता तो मत जाओ।
मगर किसी ने इंकार नहीं किया।
मैं आगे चल पड़ा और वो सब मेरे थोड़ा पीछे आ रही थी।
मैंने कमरा खोला, मेरे पीछे वो सब भी अंदर आ गई, मैंने कमरे की कुंडी लगा ली और जाकर बेड पर बैठ गया।
चारों लड़कियाँ भी मेरे सामने ही बेड पर बैठ गई, मैंने कहा- हाँ तो अब सबसे पहले ये कि तुम सब अपनी अपनी शर्म छोड़ो। जो मैं कहता हूँ, मेरे पीछे तुम सब भी कहो, बोलो, ‘लण्ड’।
मैंने कहा तो सब की सब हंसने लगी मगर सब की सब धीरे से बोली- ‘लण्ड’
मैंने कहा- यार मुझे तो सुना नहीं, दोबारा कहो!
सबने फिर ‘लण्ड’ कहा मगर इस बार सब ने थोड़ा ऊंचा और साफ कहा।
‘अब बोलो, चूत!’ मैंने कहा।
सबने कहा- ‘चूत’
‘गाण्ड’
‘गांड’
‘चुदाई’
‘चुदाई’
‘मेरी चूत मारो’
सब हंस पड़ी- मेरी चूत मारो!
‘मुझे लण्ड चाहिए’
‘मुझे लण्ड चाहिए’
हम सब हंस पड़े।
मैंने कहा- देखो अब ऐसा है कि अगर आपको मेरा लण्ड देखना है, देखना क्या है यार, तुम्हारी चीज़ है, अपने हाथ में लेकर देखना, मुँह में लेकर चूसना, मगर उसके लिए आपको फीस देनी होगी।
मैंने अपनी शर्त सामने रखी।
‘क्या फीस देनी होगी?’ अदा ने पूछा।
मैंने कहा- देखो अगर मैं तुम्हें कुछ दिखाऊँगा, तो तुम्हारा भी कुछ देखूँगा, इट्स फेयर, यू नो, गिव एंड टेक, किसी को कोई ऐतराज? मैंने देखा कि सब की सब शर्मा ज़रूर रही थी मगर न किसी ने भी नहीं की।
‘तो फिर इट्स आ डील, चलो बताओ सबसे पहले कौन क्या देखना और दिखाना चाहती है?’ मैंने कहा।
अदा बोली- हमें तो बस वो देखना है।
मैंने कहा- वो का कुछ नाम भी होता है।
पहली बार साक्षी बोली- लण्ड देखना है।
मैंने कहा- इतनी दूर क्यों हों मेरे पास आओ!
वो बेड पे उठ कर मेरे पास आई, मैंने पूछा- साक्षी, क्या तुम्हें अपना लण्ड दिखलाने के बदले मैंने तुम्हरी टीशर्ट और ब्रा के अंदर हाथ डाल कर तुम्हारे बूब्स के साथ खेल सकता हूँ।
मेरी बात सुन कर उसने सुदीप्ति की ओर देखा, उसने इशारा कर दिया, तो साक्षी बोली- हाँ!
मैंने कहा- सब लड़कियाँ पास आ जाओ!
जब सब मेरे बिल्कुल आस पास आ गई, तो मैंने पहले अपनी पैंट खोली और फिर अंडर वियर के ऊपर से हाथ में पकड़ के हिला के दिखा दिया- देखो, इसे कहते हैं लण्ड!
सब की सब बोल पड़ी- यह तो चीटिंग है, बाहर निकाल के दिखाओ।
मैंने कहा- अच्छा!
और मैंने अपना अंडर वियर भी घुटनों तक उतार दिया।
उस वक़्त तक मेरा लण्ड पूरी तरह से अकड़ा नहीं थी।
शिप्रा पहली लड़की थी जिसने मेरा लण्ड अपना हाथ में पकड़ा और बोली- यह तो ढीला सा है, सख्त नहीं है।
मैंने कहा- अब तुमने छू लिया है तो अब अकड़ जाएगा।
शिप्रा को देखा कर सुदीप्ति और अदा ने भी बारी बारी से मेरे लण्ड को अपने हाथों में पकड़ के देखा और इतने प्यारे प्यारे नर्म नर्म हाथों का स्पर्श पाकर मेरा लण्ड तो पत्थर की तरह सख्त हो गया।
अब जब लण्ड तन गया तो मैं अपनी पैंट और अंडरवियर बिल्कुल उतार दिया और अपने दोनों हाथ बड़े आराम से साक्षी के दोनों बूब्स पकड़ लिए।
वाह क्या नज़ारा था… कितने कोमल और प्यारे बूब्स थे।
साक्षी क्या, उसके बाद तो मैंने सुदीप्ति, अदा और के भी बूब्स दबा कर देखे। किसी लड़की ने कोई विरोध नहीं किया। वो सब तो लण्ड से खेलने में लगी थी और मैं वैसे पागल हुआ पड़ा था, किसी के चूतड़ सहला रहा था, किसी की जांघों पे हाथ फेर रहा था, किसी की पीठ पे, किसी के पेट पर… मगर मेरा दिल नहीं भर रहा था।
मैंने कहा- देखो भाई, मेरे पास एक ही चीज़ थी वो मैंने तुम सब को दिखा दी है, अब तुम सब अपनी अपनी कीमती चीज़ें मुझे दिखाओ।
मैंने कहा तो अदा बोली- अच्छा जी, आप तो बहुत चालाक हो।
मैंने कहा- इसमें चालाकी की बात नहीं, अगर नहीं दिल करता तो कोई ज़बरदस्ती नहीं, मगर फिर भी मेरा इतना तो हक़ बनता है। साक्षी जो मेरी गोद में ही बैठी थी और जिसके ब्रा में हाथ डाल कर मैं उसके बूब्स दबा रहा था, मैंने उसकी टी शर्ट ऊपर उठानी शुरू की और पहले टी शर्ट और फिर बाद में मैंने उसका ब्रा भी उतार दिया।
ब्रा में से दो कच्चे आमों जैसे दो बड़े ही प्यारे और गोल बूब्स निकले, मैंने उसके निप्पल को मुँह में लिया और चूसा, तो साक्षी के मुँह से हल्की सी सिसकारी निकली।
उसकी सिसकारी सुन कर सब के कान खड़े हो गए।
मैंने सुदीप्ति को अपनी तरफ खींचा और उसकी टी शर्ट भी ऊपर को उठाई, जिसे उसने खुद ही ब्रा के साथ ही उतार दिया। अब मेरे दोनों तरफ दो नाज़ुक कलियाँ अपने नाज़ुक फूलों जैसे बूब्स ले कर बैठी थी।
मैंने बारी बारी से दोनों के बूब्स चूसे।
अब तो मेरा लालच बढ़ता ही जा रहा था, मैंने बाकी दोनों लड़कियों के भी अपनी अपनी टी शर्ट्स उतारने को कहा।
उन्होंने सिर्फ टी शर्ट्स उतारी मगर ब्रा पहने रखी।
मैं तो ऐसे महसूस कर रहा था जैसे कोई बादशाह हूँ या कोई शेख़ जिसके चारों तरफ नंगी लड़कियाँ बैठी थी, उसका दिल बहलाने के लिए।
उसके बाद मैंने अपनी शर्ट और बानियान भी उतार दी और बिल्कुल नंगा हो गया। मैंने उनको बड़ी अच्छी तरह से अपना लण्ड और अपने आँड दिखाये और इनकी उपयोगिता भी बताई।
उसके बाद मैंने बारी बारी से चारों लड़कियों के बूब्स अपने मुँह के लेकर चूसे और जिन दो लड़कियों ने ब्रा पहन रखी थी, उनकी ब्रा भी उतरवा दी।
मेरे सामने 8 खूबसूरत, नर्म कच्ची कैरी जैसे बूब्स थे, मैंने 8 के 8 निप्पल अपने मुँह में लेकर चूसे।
उसके बाद मैंने साक्षी को उसकी स्लेक्स उतारने को कहा। स्लेक्स उतारने से साक्षी बिल्कुल नंगी हो गई, क्योंकि उसने नीचे से कोई पेंटी नहीं पहन रखी थी।
साक्षी के बाद, मैंने अपने हाथों से सुदीप्ति को नंगी किया, और मेरा इशारा पा कर अदा और शिप्रा ने भी अपनी अपनी जींस उतार दी और मैंने उनकी छोटी छोटी पेंटीस भी उतार दी।
जब हम पांचों जन बिल्कुल नंगे हो गए तो मैंने पूछा- अब ये बताओ, कौन सबसे पहले मेरा लण्ड अपनी चूत में लेना चाहेगी?
सब ने एक दूसरे की तरफ देखा, मगर चारों लड़कियाँ कोई फैसला न कर पाई के कौन सबसे पहले हाँ करे।
साक्षी बिल्कुल मेरे पास बैठी थी और सबसे से मासूम भी वो ही थी, सो मैंने उसे ही अपनी गोद में उठा लिया- चलो साक्षी से ही शुरुआत करते हैं।
मगर वो एकदम से उछल पड़ी- नहीं नहीं, मैं नहीं, मुझे डर लगता है।
मैंने कहा- तो चलो कुछ और करते हैं।
मैं बेड के बीच में लेट गया और साक्षी से बोला- साक्षी तुम आओ और आकर मेरे मुँह पर बैठ जाओ, इतना तो कर सकती हो न।
उसने हाँ में अपना सर हिलाया और आकर मेरे मुँह पर अपनी चूत रख दी। एक बहुत ही खूबसूरत, गोरी गुलाबी, पेंसिल से खींची एक लकीर जैसी चूत जिस पर हल्के हल्के रेशमी बाल थे, मेरी आँखों के ठीक ऊपर थी।
मैंने उसकी चूत अपने मुँह पर सेट की और उसकी चूत के दोनों होंठ अपने होंठो में ले लिए, मेरे मुँह में उसकी कुँवारी चूत से छुट रहे पानी का स्वाद आया।
और जब मैंने उसकी चूत की दरार में जीभ फेरी तो उसे बहुत सी गुदगुदी हुई, वो हंस पड़ी और ऊपर को उठी, मगर मैंने उसे फिर से नीचे को धकेल कर अपने मुँह पर बैठाया, और फिर से उसकी चूत चाटने लगा।
उसके लिए यह पहला अनुभव था सो जब भी उसे गुदगुदी होती वो अपनी छोटी सी कमर ऊपर उठा लेती।
बाकी की लड़कियों ने उससे पूछा- क्या हो रहा है?
वो बोली- बहुत मज़ा आ रहा है, तुम भी चटवा के देखो।
फिर सुदीप्ति ने उसे उठा दिया और खुद आ कर मेरे मुँह पर बैठ गई, मेरी तो लाटरी लग गई थी, मुझे दूसरी कुँवारी चूत चाटने को मिल रही थी।
दो मिनट चूत चटवाने के बाद सुदीप्ति मेरे ऊपर ही लेट गई, मैंने अपना तना हुआ लण्ड उसके मुँह से लगा दिया और उसने बिना कोई वहम किए मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी।
अब तो मुझे और भी मज़ा आने लगा।
सुदीप्ति की देखा देखी, बाकी की लड़कियों ने भी बारी बारी से मेरा लण्ड चूसा। एक मुँह से निकालती तो दूसरी चूसने लगती। नर्म नर्म हाथों में पकड़ कर वो अपने कोमल कोमल होंठों से मेरे लण्ड को चूस रही थी।
एक एक करके चारों लड़कियाँ खुद आप आ कर मेरे मुँह पर बैठती रही और मैं उनकी कुँवारी चूतें चाटता रहा।
चूत तो क्या मैं तो उनके गाँड के छेद तक चाट गया। अब मैं तो तजुर्बेकार था, वो सब की सब अंजान तो मैंने अपने तजुर्बे का फायदा उठाया और एक एक करके सिर्फ चाट चाट कर ही दो लड़कियों का पानी छुड़वा दिया।
मगर जो कुछ वो मेरे लण्ड के साथ कर रही थी, वो भी बहुत जोरदार था। उनको तो जैसे खेलने के लिए अजब सा खिलौना मिल गया हो, एक ऐसा खिलौना जिसे वो खा भी सकती थी।
तो जब मैं शिप्रा की चूत चाट रहा था, उसी वक़्त मैं खुद को रोक नहीं सका और मेरे लण्ड से वीर्य के फुव्वारे छूट गए।
सभी लड़कियाँ- ईई छिः छिः करती दूर हो गई।
मगर मैंने उन्हें समझाया कि यही वो वीर्य है जिससे तुम सब एक दिन प्रेग्नंट होगी, इसी में लड़का लड़की है, जो तुम्हारे पेट में जाकर एक दिन जन्म लेगा, घबराओ मत, इसे छूकर देखो।
मगर किसी ने नहीं छुआ।
मैं उठा और बाथरूम में जा कर धोकर फिर से वापिस आ गया।
अब जिन दो लड़कियों का पानी नहीं छूटा था, शिप्रा और अदा।
मेरे बेड पे लेटते ही अदा ने लाकर अपनी चूत मेरे मुँह पे रख दी। मैं फिर से चूत चाटने लगा। बेशक मेरा लण्ड वीर्यपात के बाद ढीला पड़ गया था, मगर लड़कियों ने खेल खेल के फिर से उसे कड़क बना दिया।
मैंने अदा से कहा- अदा ट्राई तो करके देख, अगर मेरा लण्ड तुम अपनी चूत में ले सको।
उसने अपनी चूत मेरे मुँह से हटाई और मेरे तने हुये लण्ड पे रख दी। उसकी गुलाबी चूत मेरे काले से लण्ड को निगल जाने को तैयार थी, मगर जब थोड़ा सा लण्ड अदा की चूत में घुसा तो उसकी मुँह से दर्द की आह निकल गई।
मेरे कहने पर उसने 1-2 बार और कोशिश की, मगर मेरा लण्ड उसकी चूत में न घुस सका।
उसको देख कर और किसी ने भी लण्ड अपनी चूत में लेने की कोशिश नहीं की।
2 मिनट की चटाई से अदा भी स्खलित हो गई, और उसके बाद मैंने सिर्फ 3 मिनट में शिप्रा को भी स्खलित कर दिया।
शिप्रा की चूत तो मैंने खड़े होकर चाटी। मैं अपने पैरों पे खड़ा था, और मैंने शिप्रा को घूमा कर उल्टा लटका रखा था। उसकी टाँगें ऊपर छत्त की तरफ थी और वो उल्टा लटकी मेरा लण्ड चूस रही थी, जिसे बारी बारी और लड़कियाँ भी चूम चाट रही थी।
जब शिप्रा भी झड़ गई तो मैंने कहा- लो भाई लड़कियो, मैंने तुम सब का कर दिया। अब मेरा रह गया, मेरा भी पानी निकलवा दो।
तो अदा बोली- आपका भी तो हो गया।
मैंने कहा- अभी तो तना पड़ा है, इसको तो छुड़वाओ।
तो सभी लड़कियों ने मेरा लण्ड पकड़ा और मेरे मुट्ठ मारने लगी और मैं मज़े लेने के लिए, उनके कुँवारे बदनों से खेलता रहा।
2-3 मिनट की मुट्ठबाजी से मेरा फिर से वीर्यपात हो गया।
मगर इस बार जब छूटा तो चारों लड़कियों ने मेरा लण्ड मजबूती से पकड़ रखा था। मेरे लण्ड से निकल कर वीर्य उन सबके हाथ के ऊपर से बह निकला।
सब की सब हंस पड़ी।
हम सब एक साथ बाथरूम गए और खुद लड़कियों ने मेरा लण्ड धोया, अपने हाथ धोये। बाहर आकर मैं फिर से बेड पे लेट गया।
अदा मेरे लेफ्ट साईड लेट गई, शिप्रा राइट साईड लेट गई। सुदीप्ति और साक्षी को मैंने अपने ऊपर लेटा लिया। कितनी देर हम वैसे ही लेटे आपस में बातें करते रहे।
मैंने उस चारों लड़कियों को खूब चूमा, चाटा और चूसा क्योंकि मैं जानता था के यह मौका मेरी ज़िंदगी में दोबारा नहीं आने वाला।
आपने यह कहानी पढ़ी, आप सोच रहे होंगे कि यह तो सब झूठ है, काल्पनिक है।
हाँ, यह सब काल्पनिक है, तो इसमें सच्चाई क्या है?
सच्चाई यह है, कि ये चारों लड़कियाँ सच में मेरी दोस्त हैं, मेरी कहनी पढ़ कर मुझसे मिली, हमने साथ में लंच किया, मैंने उनसे बात की, कि वो सब मुझसे बहुत छोटी हैं, इस लिए उनसे बातें वातें तो मैं कर सकता हूँ, मगर उनसे सेक्स नहीं कर सकता।
वो भी मान गई।
मैंने उनसे कहा कि उनको अपनी उम्र के लड़के से दोस्ती करके सेक्स करना चाहिए।
उसके बाद हम आज तक एक दूसरे से फोन पे जुड़े हैं। जो कुछ ऊपर कहानी में आपने पढ़ा है, वो सब कुछ मैंने उनसे फोन पर किया है अब तो वो भी खुल कर बात करती हैं।
यह फायदा होता है कहानी लिखने का।

लेखक : सुनीता पृस्टी
प्रकाषक :bhauja.com

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hi मैं आप सभी  सुनीता भाभी मेरे सारे प्यारे देवर को प्रणाम । आप सभी के  ये कहानी को प्रैस करता हुँ ।

सभी bhauja.com के पाठकों को मेरे पप्पू का प्यार भरा सलाम…
मैं Bhauja का नियमित पाठक हूँ और आपको बता दूँ कि मैं अब तक 2158 कहानियाँ पढ़ चुका हूँ तो मेरे भी मन में अपनी हकीकत बताने का विचार आया है।
यह मेरे जीवन ही सच्ची कहानी है, सिर्फ कुछ नाम के अलावा !
मैंने यूँ तो कई बार सेक्स किया है लेकिन मैं आपको मेरी यादगार और 17 दिन पहले की कहानी बताता हूँ।
मैं राजस्थान से एक गाँव से हूँ, मैं मेरे गाँव की एक लड़की को बहुत चाहता था लेकिन उससे बात नहीं हो पा रही थी। उस लड़की के पीछे गांव के सभी गबरू जवान लड़के थे।
मेरा शहर में ज्यादा रहने के कारण लड़की से में संपर्क में नहीं था पर बचपन में हम दोनों साथ ही पढ़ते थे।
जब भी मैं गाँव जाता तो उस लड़की को चोदने की सोचता, पर क्या करें!
मैं जब इस बार गाँव गया तो मैं छुट्टियों के कारण ज्यादा दिन रह पाया। मैं रोज उसके घर के पास जाया करता था, उसको देखता और कभी कभी वो भी मेरे को देख कर मुस्करा देती।
यह सिलसिला 4-6 दिन चलता रहा, फिर एक दिन शाम को मैं मंदिर में जा रहा था तो वो मेरे को अचानक मंदिर में अकेली दिखी तो मैं वहाँ पहुच गया और उससे कुछ बातचीत की, फिर उसका फोन नबर माँगा।
तो पहले तो उसने मना कर दिया, फिर बोली- अपना नंबर दे दो!
तो मैंने झट से उसको मेरा नंबर बताया, क्यूँकि मेरा नम्बर vip है तो उसने याद कर लिया।
मैं घर पर आकर उसके कॉल का इंतजार करने लगा लेकिन रात 12 बजे तक इंतजार करने पर भी उसका कॉल नही आया।
ऐसे ही 3-4 दिन गुजर गए, फिर एक दिन शाम को नये नम्बर से कॉल आया तो मैंने रिसीव किया। उसकी आवाज पहचनने में मुझे देर नहीं लगी। फिर हम बचपन की शरारतों के बारे में बातें करने लगे, फिर धीरे धीरे हमारी देर रात तक बातें होने लगी, पता ही नहीं चला कि कब हम इतने करीब आ गये।
फिर मैंने उसको मजाक में बोला- मैं तेरे को बचपन से चाहता हूँ।
उसका जवाब सुनकर मैं भी खुश हुआ, उसने बताया कि मैंने भी तुमसे बात करने की कोशिश की पर तुमसे कह नहीं पाई।
फिर क्या था दोस्तो, बातें 10-15 दिन चलती रही, मैंने भी जल्दी नहीं की और रोज अपना हाथ जगन नाथ से काम चलता था।
एक दिन मैंने उसे मजाक में बोला कि मैं तुमसे अकेले में मिलना चाहता हूँ।
उसने पहले तो मना कर दिया लेकिन मेरे नाराज होने के नाटक ने उसको मिलने के लिये राजी कर लिया।
मैंने उसको उसके घर के पीछे बनी पुरानी हवेली में रात 11 को बुलाया वो अपने वादे के अनुसार सब सोने के बाद मेरे को कॉल किया और बोली- आ रही हूँ।
मैं भी वहाँ पहुँच गया और हवेली और उसके घर की दीवार एक ही है तो वो वहाँ पर आ गई। मैंने आते ही उसको चूमना शुरू किया, पहले तो उसने विरोध किया, फिर मेरा साथ देने लगी।
मैं धीरे से उसके बोबे पर हाथ रख कर दबाने लगा, उसका पहली बार था तो वो गुदगुदी महसूस कर रही थी और किस भी सही नहीं कर पा रही थी, उसको साथ ही डर भी लग रहा था, मैंने उसको 5-7 मिनट तक चूम कर गर्म किया फिर उसकी कमीज को ऊपर कर उसका दूध पीने लगा।
दोस्तो, क्या उसके बोबे थे, एकदम कच्ची नांरगी की तरह… फिर मैंने एक हाथ उसकी पायजामी में डाला तो उसने मना कर दिया।
फिर मैं ऊपर से ही उसकी चूत को मसलने लगा और मैंने उसके हाथ को मेरे लौड़े पर रखा तो उसने मेरे लण्ड को हिलाना शुरू कर दिया।
फिर मैंने एक हाथ उसकी पेंटी में डाला तो पता चला उसकी पेंटी पूरी चूत के रस से भीग गई है, मैंने उसकी चूत में अंगुली करना शुरू किया और हवेली के आँगन में ही उसको लिटा कर किस करने लगा और उसकी पायजामी और पेंटी उतार दी। वो मेरे सामने चांदनी रात में बिल्कुल नंगी थी।
दोस्तो, क्या उसकी चूत थी, छोटे छोटे बाल और गुलाबी चूत फूल रही थी, मन कर रहा था कि उसको खा जाऊँ। उसने भी मेरी चड्डी निकाल दी और मेरे हथियार को आगे पीछे कर रही थी।
मैंने उसको चूसने को बोला तो उसने मना कर दिया।
फिर मैं उसको सीधा लेटा कर मेरे लण्ड को उसकी चूत पर रख कर रगड़ने लगा, उसको मज़ा आ रहा था, वो बाली- डाल दे!
तो मैं भी मजे से बोला- क्या?
वह शर्मा गयी।
फिर मैंने उसकी चूत पर मेरा लन्ड रखकर जोर दिया पर अंदर नहीं गया क्यूँकि वो अभी कुँवारी थी, उसकी सील मैं ही तोड़ने वाला था।
फिर मैंने उसकी टाँगें चौड़ी कर थोड़ा थूक लगा कर जोर से झटका मारा, मेरे 9 इंच का लौड़ा आधा उसकी चूत में घुस गया और उसकी चीख निकली तो मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख कर चुप कराया।
वो दर्द से तड़प रही थी और बाहर निकालने को बोल रही थी। उसकी आँखों में आँसू आ गये थे, मैंने उसको समझाया कि पहली बार ऐसा होता है।
फिर उसके बोबे और होंट चूमता रहा और उसका दर्द कम हो गया तो मैं धीरे धीरे मेरे लण्ड को चूत में आगे पीछे करना शुरू किया।
तो उसको भी मज़ा आने लगा वो मेरा पूरा साथ दे रही थी।
फिर मैंने मौका देख कर पूरा लण्ड उसकी चूत में घुसा दिया। वो एक बार तो तिलमिला गई, फिर सामान्य होने पर मैंने उसको घोड़ी बना कर चोदा। इस बार वो मेरा पूरा साथ दे रही थी।
दोस्तो, घोड़ी बनाकर चोदने का मज़ा कुछ और ही है।
मैं उसके बोबे दबा रहा था और चूमाचाटी भी कर रहा था। फिर उसको आँगन में सीधा लेटा कर 5-6 झटके मारे तो उसने मेरे को कस कर पकड़ लिया और उसका माल निकल गया।
मैंने फिर भी चुदाई चालू रखी और उसको अलग स्टायल में देर तक चोदता रहा। फिर मेरा भी निकलने वाला था तो मैंने उसकी चूत में ही पूरा माल निकाल दिया और वो भी मेरे साथ और झड़ गई।
उसके चेहरे पर अजब सी खुशी थी फिर मैंने उसकी चूत को रूमाल से साफ किया तो पता चला वो पूरी खून से लाल हो गई, उसको डर लगा, मैंने उसको समझाया और उसको कपड़े पहनाये, उससे सही ढंग से चला नहीं जा रहा था पर वो खुश थी।
मैंने उसको किस किया और उसके घर की दीवार को पार करवा दिया, फिर हवेली के आँगन में मैंने बाहर से लाकर रेत डाली और घर आकर सो गया।
दोस्तो, मजे की बात तो सुबह पता चली जब उसने फोन कर बताया कि हम चुदाई में इतने मगन हो गए थे कि मैंने उसको अपनी चड्डी पहना दी थी और उसकी पैंटी मैं पहन कर आ गया।
फिर सुबह उसके घर के पीछे जाकर उससे अपना सामान लाया उसका दे आया तो उसको अजीब सी खुशी थी।


----- लेखक : सुनीता भाभी
---- प्रकाषक : bhauja.com

मखमली जिस्म की चुदाई की प्यास (Makhmali Jism Ki Chudai Ki Pyas)

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bhauja  के प्रेमियों को मेरा नमस्कार मेरा नाम रोहित है.. मैं चंडीगढ से हूँ.. देखने में काफी सुंदर हूँ.. ऐसा लड़कियों से सुना है मैंने..
मैं अभी सिर्फ 20 वर्ष का हूँ। यह बात दो साल पहले की है.. मैं अपना स्कूल छोड़कर किसी और स्कूल में पढ़ने के लिए गया। वहाँ की लड़कियाँ सिर्फ मेरे बारे में ही बातें करती रहती हैं.. ऐसा मुझे मेरे दोस्त ने कहा था।
जब मैं वहाँ गया तो लग रहा था कि मैं किसी जन्नत में हूँ और हूरों से घिरा हूँ। मैं नया लड़का था.. तो हर कोई लाईन दे रही थी..

इधर की लड़कियाँ एक से बढ़कर एक.. बम पटाखा माल थीं.. पर मेरी रूचि उनमें नहीं थी..
मैं किसी कमसिन चूत को चोदना तो चाहता था.. पर उसे गर्लफ्रेंड नहीं बनाना चाहता था।
मुझे किसी अच्छी लड़की को गर्ल-फ्रेण्ड बनाना था। एक महीना बीत गया.. एक दिन स्कूल में बहुत ही सुंदर लड़की दिखाई दी। उसकी पतली कमर.. गोरा रंग.. एकदम परी जैसा माल… उसके चूचे तो बिल्कुल दीपिका जैसे.. मेरा तो एकदम से चिपकने का मन कर रहा था।
मैं लाईफ में इतनी सुंदर लड़की पहली बार देख रहा था। मैं स्कूल के बरामदे में खड़ा उसे देख रहा था.. अचानक उसने ग्राऊंड से बरामदे पर नज़र डाली।
उसकी आँखें मुझ पर आ टिकीं.. नज़रें मिलीं.. मैंने भी नजरें नहीं हटाईं..
वाह.. क्या हुस्न था.. क्या खूबसूरत मंजर था..
फिर अचानक उसने नज़रें हटा लीं।
फिर थोड़ा सा देखा और हंसी.. और क्लास में चली गई।
फिर स्कूल ऑफ हुआ मैं घर आ गया।
अब रोज मैं उसे स्कूल में ढूंढ़ता रहता.. शायद वो भी..
अब मैं रोज़ उसके साथ नज़रें मिलाने लगा.. समय के साथ नज़रों का मिलन भी लंबा होता जा रहा था।
मैंने एक लड़की के पास जाकर उसके लिए अपना नम्बर दिया।
दो-तीन दिन बाद एक अनजान नम्बर से फोन आया। उस वक्त मैं घर वालों के साथ था.. तो उठकर बाहर आ गया। जब तक फोन कट गया.. तो मैंने कॉल बैक किया।
मैं- हैलो.. कौन?
कोई जवाब नहीं आया..
मैं- हाँ कौन..?
कोई जबाव नहीं आया.. थोड़ी देर बाद एक मीठी सी आवाज ने मेरे कानों में प्रवेश किया मैं तो घायल ही हो गया।
वो- पल्लवी..
मैं तो समझो मर ही गया.. हाँ.. दोस्तो, उस परी का नाम पल्लवी ही था। हमारे बीच थोड़ी बात हुई।
फिर उसने बोला- रात को कॉल करूँगी..
फिर फ़ोन काट दिया।
रात को हमने काफ़ी देर तक बात की.. सुबह स्कूल में दूर से ‘हाय’ किया.. ताकि कोई देखे ना..
फिर कुछ ही दिनों में फोन पर मैंने उसे ‘आई लव यू’ बोल दिया। मैं काफी लंबे समय से उस पर लाईन मार रहा था.. तो उसने भी ‘हाँ’ कर दी। मैं खुश हो गया।
समय बीतता गया और वो मुझसे खुलती गई.. साथ जीने-मरने की कसमें खा लीं.. फोन पर किस और आलिंगन.. चलने लगा। अब हम स्कूल में अकेले भी मिल लेते थे। मेरे दोस्तों को भी हमारे बारे में पता लग चुका था।
एक दिन मैंने स्कूल में उसे कंप्यूटर लैब में बुलाया। जैसे ही वो आई.. मैं उसके गले से लग गया.. वो भी लिपट गई।
मैंने उसकी गर्दन पर किस कर दी वो बोली- गुदगुदी हो रही है..
मैं- कैसे?
वो- अच्छा.. अभी बताती हूँ..
उसने भी मुझे गरदन पर चूमना शुरू कर दिया। फिर मैंने उसका मुँह ऊपर किया और पूरे फिल्मी स्टाइल में धीरे-धीरे होंठ से होंठ मिला दिए।
वाह.. क्या मीठा अहसास था।
एक दिन स्कूल में घोषणा हुई कि स्कूल का 5 दिनों के लिए जयपुर का ट्रिप है.. जो छात्र जाना चाहते हैं.. अगले दिन अपना नाम बता दें।
हम दोनों ने भी प्लान बनाया और चले गए।
जब सभी बस में चढ़ रहे थे.. तो मेरी नज़रें उसे ही ढूंढ रही थीं.. जब वो आई.. तो मैं मस्त होकर चक्कर खाने लगा।
क्या लग रही थी दोस्तो.. एकदम माल.. भरा-भरा सा जिस्म.. मेरा लंड तो अंगड़ाई लेने लगा।
वो मेरे पास आई और बोली- कैसी लग रही हूँ मैं?
‘एकदम पटाखा..’
वो- अच्छा जी.. शैतान..
उसे फिर मैंने फिर अपने पास बिठा लिया.. रात का सफर भी था तो बस में गाने गा-गा कर चिल्ला कर थक गए और सो गए।
रात हो गई थी.. तो बस में अंधेरा छा गया। मैंने पल्लवी का हाथ आपने हाथ में पकड़ा और किस करने लगा। मैं उसके बालों की खुशबू से मदहोश हो रहा था।
उसने मुझे अचानक बालों से पकड़ कर अपनी गोद में लिटा लिया और होंठ मिला दिए।
फिर कुछ पलों के बाद उसने मुझे उठा दिया.. पर अब मैं कहाँ रूकने वाला था..
बस होड़ सी लग गई और हम दोनों लग पड़े किस करने.. बस की सीटें ऊंची थीं.. तो कोई देख भी नहीं रहा था। मैं धीरे-धीरे बढ़ता गया। उसके मम्मों पर हाथ रखा.. तो पता चला टॉप के अन्दर सिर्फ एक पतली शमीज़ पहनी है..
क्या चूचे थे.. एकदम कड़क-कड़क..
वो मेरे बालों को सहलाने लगी.. फिर हम अलग हुए और मैं उसकी चूत सहलाने लगा।
उसे भी जोश आया तो उसने पैन्ट के ऊपर से ही मेरा लंड पकड़ लिया।
मैं उसकी चूत और मम्मों को सहला रहा था.. काफी देर तक मेरा वो लौड़े को हिलाती रही..
अचानक बस रुक गई.. पता चला मंजिल आ गई है..
हमारा ठहरने का बंदोबस्त एक होटल में किया गया था।
सभी को टीचर ने कमरा दे दिया.. एक कमरे में 3 छात्रों के रुकने कि व्यवस्था थी। सभी लड़के लड़कियां अलग-अलग होकर कमरों में सोने चले गए।
सभी थके थे.. तो सभी जल्दी सो गए लेकिन मुझे नींद कहाँ आने वाली थी। मैंने पल्लवी को फोन किया.. तो उसने बोला- कमरा नम्बर 5 में आ जाओ..
मैं झट से उठा और उधर पहुँच गया.. वो दरवाजे पर ही खड़ी थी।
वो मुझे बाथरूम में ले गई.. हम दोनों चिपक गए।
बाथरूम काफी बड़ा और आकर्षक था। जकूजी और स्पा के साथ बड़े आकार के शीशे में हम दोनों एक-दूसरे से लिपटे दिख रहे थे।
मेरा लंड लोअर से बाहर आने को तरस रहा था। मैंने उसे पकड़ा और घुमा दिया अब मेरे हाथ उसके मम्मों पर थे और लंड उसकी गांड की दरार में घिस रहा था.. क्या मस्त उठी हुई गांड थी।
हमारे होंठ अब भी मिले थे.. उसने हाथ पीछे करके मेरा लंड पकड़ लिया और दबाने लगी।
शीशे में क्या मस्त सीन दिख रहा था.. एक हाथ मैंने उसके लोअर में धीरे-धीरे घुसेड़ा और हाथ को लोअर में अन्दर तक हाथ डाल दिया और उसकी चूत को सहलाने लगा।
हम दोनों में मस्ती छाने लगी.. उसकी चूत पर बाल नहीं थे और चूत काफी चिपचिपी हो गई थी।
जब मैंने उसके टॉप के अन्दर हाथ डाला.. तो हाय.. संतरे जैसी चूची थी दबाने में बहुत मस्त..
चुदास की गर्मी बढ़ने लगी और हम दोनों नंगे हो गए।
उसका मखमली जिस्म मुझसे लिपटा हुआ था। मैंने उसकी एक चूची को चूसना शुरू कर दिया.. वो सिसकियां लेते लगी। मेरा एक हाथ उसकी मासूम चूत पर था। मैं उसकी गीली चूत में उंगली घुसा देता था.. जब उंगली अन्दर जाती थी.. वो उचक कर ऊपर को हो जाती थी।
मेरा लंड अब एकदम कड़क हो उठा था नसें फूल गई थीं।
फिर मैंने उसे दीवार के साथ जोर से चिपका दिया और उसकी बगलों में किस करने लगा। वो तो तड़फ उठी.. मैं धीरे-धीरे नीचे आता गया.. उसकी नाभि पर किस किया.. फिर चूत को जीभ से टेस्ट किया।
हय.. क्या कोरी चूत का कोरा स्वाद था..
अब और इंतजार नहीं हो रहा था.. मैं खड़ा हुआ और लंड को चूत में घुसाने लगा.. जोश में साला लंड भी अन्दर नहीं जा रहा था।
मैंने उससे बोला- मदद तो कर..
उसने कहा- यह अन्दर कैसे लूंगी.. इतना बड़ा..
मैं- चला जाएगा..
उसने लंड पकड़ा और चूत को लंड से कुरेदने लगी।
मैंने किस करते-करते उसकी चूत में झटका लगाया.. उसके मुँह से ‘ऊंहह..’ की आवाज़ निकल गई और दर्द से ‘आआ आआ..’ करने लगी।
वो मुझसे जोर से लिपट गई।
लंड धीरे-धीरे फिसलता हुआ अन्दर समा गया.. उसके नीचे से खून बहने लगा उसके आंसू गिरने लगे..
इतना खून देखकर मेरी तो फट गई थी। कुछ देर बाद वो शांत हो गई.. तो मैं अब आराम से चुदाई करने लगा।
थोड़ी देर बाद दोनों पूरे जोश में आ गए फिर मैं कमोड पर बैठ गया और वो मुझे चोदने लगी।
उसने कानों को मुँह में लिया और काटती.. कभी चूसती.. होंठ को मुँह में पूरा भर लेती..
इधर नीचे से मैं झटके दिए जा रहा था.. वो अकड़ने लगी और मुझसे जोर से चिपक गई।
मैंने उसे सिंक पर टिकाया और सांस रोक कर लगातार धक्के लगाए और चूत में ही झड़ गया।
वो दो बार झड़ गई थी.. उसने अभी भी मुझे जोर से पकड़ा हुआ था।
उसके बाल मुँह पर गिर रहे थे.. बालों को हटा कर उसको एक लंबा सा किस किया.. फिर खुद को साफ किया और अपने कमरे में आ गया।
घड़ी में देखा.. रात के 4 बज चुके थे..
मेरी पल्लवी की चूत के पल्लव मेरे लिए खुल चुके थे।

 लेखिका : सुनीता भाभी
प्रकाषक : bhauja.com

दिव्या की चूत ने बहुत मज़ा दिया (Divya Ki Chut Ne Bahut Maja Diya)

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मेरे प्यारे दोस्तो, Bhauja  पर यह मेरी पहली कहानी है.. मेरी आप सबसे विनती है कि आप मेरी कहानी को आनन्द लेकर पढ़िए और उसमें आने वाली छोटी-छोटी ग़लतियों को माफ़ कर दीजिएगा.. क्योंकि मैंने एक महीना सोचने के बाद यह तय किया कि मैं भी अपनी कहानी लिखूंगा और यह बिल्कुल सच्ची कहानी है… अगर किसी को काल्पनिक लगती है तो उसका कुछ नहीं हो सकता…

मैं गुजरात में अहमदाबाद का रहने वाला हूँ और मैं इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा हूँ.. अभी मैं लास्ट इयर में हूँ।
यह घटना 2012 के नबंबर महीने में हुई थी, मैं अपने एक मौसेरे भाई की शादी के कार्यक्रम में उनके घर आया था, वैसे मैं बाहर रह कर पढ़ाई करता था..
उस दौरान मेरे फ़ोन पर एक एस एम एस आया- हाऊ आर यू?
मुझे लगा- पता नहीं कौन होगा?
मैंने भी पूछा- हू आर यू?
तब धीरे से उसने रिप्लाई दिया- मैं दिव्या हूँ.. आपकी एक दोस्त है रीना.. मैं उसकी सहेली हूँ.. मैं आपसे दोस्ती करना चाहती हूँ.. आप मुझे दोस्ती करोगे?
तब मुझे लगा कि चलो दोस्ती ही सही..
फिर हम लोग रोज बात करने लगे। धीरे-धीरे उसके मैसेज से लगने लगा था कि वो मुझसे प्यार करने लगी थी.. पर मैं चाहता था कि वो मुझे खुद से प्रपोज करे..
हमें बात करते हुए लगभग 6 दिन हुए थे.. तब उसने सुबह फ़ोन करके मुझसे कहा- आई लव यू.. डू यू लव मी?
मैंने भी ‘हाँ’ कर दी।
फिर हम लोगों ने एक-दूसरे को देखने का प्लान बनाया.. मतलब मिलने का प्लान बनाया।
तब मूवी देखने जाने का मुझे सही लगा.. उसने भी ‘हाँ’ कह दी।
हमने मूवी इंटरवल तक तो एकदम ध्यान से देखी.. उसके बाद मैंने उसके गले में हाथ डाल दिया और उसका चेहरा मेरे चेहरे के सामने ले लिया। अब मैंने उसके होंठ को अपने होंठ में लेकर चूसने लगा और मेरे दोनों हाथ अपना काम करने लगे थे। एक हाथ उसके मम्मों को मसल रहा था और दूसरा उसकी पीठ पर घूम रहा था।
हमने बहुत देर तक चुम्मा-चाटी की.. उसके बाद उसके होंठ से नीचे आकर मैं उसके गले पर चूमने लगा।
फिर वहाँ से उसके टॉप को थोड़ा नीचे करके उसके मम्मों को बाहर निकाल दिया।
हाय क्या मस्त मम्मे थे साली के.. पूरे जिस्म में सबसे मस्त उसके मम्मे ही थे.. जिनको दबाने में और चूसने में ही किसी भी लड़के का रस छूट जाए।
हम दोनों अपने इस मधुर मिलन में इतने खो गए थे कि पता ही नहीं चला कि मूवी कब ख़त्म हो गई।
हम वहाँ से निकल गए। यह पहली मुलाक़ात थी तो इससे ज्यादा कुछ नहीं हो सका।
फिर 26 दिसम्बर को मिलना तय हुआ। मैं उसे लेकर अपने दोस्त के होटल में गया.. वहाँ कमरे में जाकर सीधा दरवाजा बन्द करके उसके दूध दबाने लगा।
इस बार फटाफट से मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए और उसको किसी सामान की तरह उठा कर सीधा बिस्तर पर डाल दिया।
उसको भी अब मज़ा आने लगा.. जब मैंने उसके मम्मों और होंठ को बारी-बारी चूमना चाटना शुरू कर दिया।
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मैं जब उसको चूमे जा रहा था.. तब धीरे-धीरे कब उसने मेरे कपड़े उतार दिए मुझे पता ही नहीं चला। मैं तो बस उसके इस हसीन नज़ारे को देख रहा था.. जो अब कपड़ों के बिना मेरे सामने था।
मैं उसके होंठ को चूमते हुए सीधा उसके गले को काटने लगा और धीरे-धीरे उसके होंठों के बीच में अपनी उंगली डालने लगा.. ताकि उसे अभी से मेरा लौड़ा लेने की इच्छा हो जाए।
जब मैं उसके मम्मों को ज़ोर-ज़ोर से दबा रहा था.. चूस रहा था.. तब उसके मुँह से अजीब-अजीब सी आवाजें निकल रही थीं।
अब वो कहने लगी- आआअहह.. अवी, मैं तुम्हें पहले से ही चाहती थी.. पर तुमने ध्यान ही नहीं दिया.. मैं तुम्हारे नाम से रोज अपनी उंगली अपनी चूत में डाल कर सारा रस निकाल देती थी.. अब तुम मुझे मिल गए हो.. तो तुम मुझे जी भर के चोद सकते हो.. मैं पूरी की पूरी तुम्हारी हूँ..
मैंने कहा- अबे साली.. जब चुदवाना ही था.. तो पहले से बोल देती.. तो अब तक कभी का चोद देता.. इतनी देर क्यों की?
तो बोली- लड़कियाँ अपने मुँह से चुदवाने को नहीं कहती हैं.. वो लड़कों को समझना चाहिए..
फिर तो मैं इतना जोश में आ गया कि मैंने लौड़ा.. जो कि अब 7 इंच का हो चुका था.. सीधे ही उसके मुँह में डाल दिया। पहले उसके मुँह में नहीं घुसा.. फिर धक्का लगाया तो वो पूरा लौड़ा खा गई।
अब धीरे-धीरे से मेरे लौड़े को अन्दर-बाहर करने लगी.. ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी।
‘उ..म्म्म्म .. आआअहह.. आआ.. उच्च्च..’
मैं सीधा उसके मुँह में ही धक्के मारने लगा।
फिर हम दोनों 69 पोजीशन में आ गए और अब मैं उसकी चूत चाट रहा था.. और वो मेरा लण्ड आराम से मस्त होकर अपने मुँह मे लॉलीपॉप की तरह ले रही थी।
हम दोनों ने इस पोजीशन में काफ़ी समय तक एक-दूसरे को चूसा। फिर उसको मैंने सीधा लेटा दिया। मैंने उसके दोनों पैर चौड़े कर दिए और उसकी चूत चाटने लगा।
क्या रसीली चूत थी यार.. एकदम नई सी फुद्दी मिली थी.. जिसको पहले किसी ने छुआ नहीं था।
मैं पहला था।
मैंने उसकी चूत इतनी चाटी और उसको इतना गरम कर दिया कि उसकी साँसें तेज़ होने लगीं और वो कामुकता भरी आवाज में कहने लगी- हम्म्म्म म.. आआ..हह बस अवि.. और कितना तड़पाओगे.. अब डाल भी दो.. अपना लण्ड.. इस प्यारी सी चूत में.. ये कब से तुमसे चुदना चाहती है।
मैंने देर ना करते हुए उसकी चूत के मुँह के आगे अपना लण्ड सटा दिया.. फिर धक्का मारा.. पर थोड़ा अन्दर गया कि उसकी चीख निकल गई। क्योंकि पहले कभी वो किसी से नहीं चुदी थी।
फिर मैंने उसके मुँह पर अपना हाथ रख दिया और एक ज़ोर का झटका मारा। मैंने हाथ भी रखा था.. फिर भी उसकी चीख निकल गई और उसकी चूत पूरी तरह से गीली हो गई थी।
अब तो खून भी निकलना शुरू हो गया था.. उसकी झिल्ली फट गई थी।
अब मेरा पूरा लौड़ा उसकी चूत में था फिर मैंने धक्के लगाने शुरू कर दिए और उसे भी मज़ा आने लगा।
हम दोनों इस चुदाई का मज़ा लेने लगे और करीब 30-35 धक्के लगाने के बाद मेरा भी निकलने वाला था.. तब उसने कहा- अन्दर मत निकलना.. प्रॉब्लम हो जाएगी।
फिर मैंने लण्ड को चूत से निकाल लिया और उसके हाथ में दे दिया।
वो बड़े प्यार से उसे सहलाने लगी और अपने मुँह में ले लिया।
मैं भी अब उसके मुँह में धक्के मारने लगा। करीब दस-पन्द्रह धक्कों के बाद मेरा माल उसके मुँह में ही निकल गया.. वो बड़े प्यार से सारा माल निगल गई।
फिर हँसते हुए वो मेरा लण्ड साफ करने लगी।
अब हम दोनों बाथरूम में जाकर नहाने लगे.. तब मैंने उसको फिर से पूरा मसल दिया और फिर से मेरा लौड़ा दूसरी पारी खेलने के तैयार हो गया तो उसने बाथरूम में झुक कर मेरे लण्ड को आमंत्रित किया.. तो सीधा मैंने अपना लण्ड लगा दिया और फिर उसकी चूत में धक्के मारने लगा।
करीब 20-25 धक्कों के बाद मेरा माल निकलने वाला हुआ.. तो फिर से मेरा लण्ड चाट कर पूरा माल फिर से अपने मुँह में भर लिया।
फिर हम लोग फ्रेश होकर वहाँ से निकल आए.. तो उसने कहा- यह मेरी ज़िंदगी की पहली चुदाई थी इसे मैं कभी नहीं भूलूंगी..
फिर हम अपने अपने घर चले गए।

लेखिका : सुनीता भाभी
प्रकाषक : bhauja.com

୪୦ ବର୍ଷ ଭାଉଜ ସହ ମଜା ନେଲେ ( 40 barshiya bhauja saha maja neli)

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Sunita bhauja ra ehi chira nutani lalua jagatare jouna pipasu samasta bia pagal toka nku swagat. 40 Barsiya bhauja ku kemiti giha hoichi se bisare tike padhile janibe.


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झुरमुट में सहपाठिन की चूत चुदाई (jungle me Sahpathin Ki Chut Chudai)

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दोस्तो.. आप सब लड़के-लड़कियों और आंटियों को मेरे 6.5″ लंबे और 3″ मोटे लंड की ओर से सलाम.. मैं राहुल झारखंड से हूँ.. मैं दिखने में स्मार्ट बन्दा हूँ.. मेरा रंग गोरा है.. लंबाई 5’6 ” है.. मेरा जिस्म किसी भी लड़की को मुझ पर मिटाने के लिए एक कयामत लाने वाला है। मेरी उम्र भी अभी सिर्फ 19 साल है।

आप सब कैसे हो.. मैं यहाँ का बहुत पुराना पाठक हूँ.. मैं Bhauja का आशिक हूँ। मैं यहाँ प्रकाशित हर कहानी को पढ़ता हूँ.. और लड़कियों के साथ सेक्स करने का बहुत मन भी करता है.. पर कोई भाव ही नहीं देती है।
लड़कियों को या भाभियों को देखते मेरा मन करता है कि इनकी टांग उठा कर अभी के अभी अन्दर डाल दूँ। बस नहीं चलता तो मजबूरन हाथ से ही काम चलाना पड़ रहा है।
मुझे भी अपनी बीती हुई घटना शेयर करने का मन कर रहा है.. बात आज से 2 साल पहले की है। एक लड़की थी.. उसका नाम स्नेहा था और उसे जो कोई भी देख ले.. तो उसका लंड सलामी ज़रूर ठोकने लगेगा। मैं जब टयूशन पढ़ने जाता था.. तब वो हमेशा मुझे देखा करती थी और एक दिन मैंने भी उसे प्रपोज कर दिया- I Love You… आई लव यू!
उसने भी ‘हाँ’ कह दी और फिर बात होने लगी।
उसकी उम्र केवल 18 साल की थी और उसके मम्मों का नाप 34 इन्च था और कमर 26 इन्च और गाण्ड का उभार 36 इन्च का था.. वो एकदम कयामत थी यारों.. यदि आप भी उसकी मदमस्त जवानी को देख पाते तो आप सब भी अपने लंड पकड़ कर पानी निकाल देते..।
धीरे-धीरे हमारी बीच सेक्सी बात होने लगीं.. और एक दिन मैंने उसे कॉलेज में अकेले में पकड़ कर किस किया.. तो वो थोड़ा गरम होने लगी।
मैंने उसे अपनी बाँहों में ले लिया और केवल किस करता रहा। तभी स्नेहा ने अपने हाथ से मेरा हाथ पकड़ कर अपनी दूधों पर रख दिया।
यह देख कर मेरे तो होश ही उड़ गए। जिंदगी में पहली बार इतनी मुलायम चीज़ हाथ में ली थी। मैं उसे हचक कर दबाने लगा और वो सिसकारियाँ लेने लगी ‘आह.. आआहा.. आह.. और ज़ोर से प्लीज़.. सारा दूध निकाल दो..’
मैं दबाता रहा.. तभी उसकी सहेली आ गई.. तो हम लोग अलग हो गए।
कुछ दिन हमारी बात नहीं हुई.. फिर 3 दिनों के बाद उसने अकेले में मिलने के लिए बात की.. तो मैं तो उसे मिलने के लिए बेचैन था ही.. मैंने कहा- मिलते हैं।
तो वो बोली- कहाँ?
मैंने कहा- जंगल में..
हमारे कॉलेज के पास ही किसी ने बहुत सारे सफेदे और पोपलर के पेड़ लगा रखे हैं!
तो उसने ‘हाँ’ कह दी और मैं भी उसके साथ झुरमुटों में चला गया।
उधर जाते ही.. उसे अपने साथ पा कर मैं पागल सा हो गया.. पूछो क्यूँ?
क्या कपड़े पहने हुई थी यार.. देख कर नियत खराब हो जाए सबकी..।
मैंने उसे ‘आई लव यू..’ कह कर किस किया.. तो वो भी बदले में किस करने लगी।
अब मैं धीरे-धीरे उसकी पीठ पर सहलाने लगा..
तभी स्नेहा बोली- मुझे कुछ हो रहा है..
मैं- मुझे भी हो रहा है..
स्नेहा- तो कुछ करो न..
मैं उसे पकड़ कर दबाने लगा.. वो भी मुझसे लिपट गई और अचानक मुझे महसूस हुआ कि मेरे बाबू (लौड़े) को पकड़े हुए है.. और सहला रही है।
मैंने उसका टॉप खोला.. उसके दूधों का दीदार हुआ।
फिर मैंने उसकी ब्रा भी निकाल दी और एक मस्त दूध को अपने मुँह में भर लिया.. अहह.. क्या आनन्द था यार मैं लफ्जों में बयान नहीं कर सकता हूँ..
मैंने उससे जीन्स खोलने को कहा.. तो वो बोली- तुम खुद करो..
यूं समझो.. मुझे तो अब तो मुझे ग्रीन सिग्नल मिल चुका था।
मैंने उसे लिटा कर उसकी जीन्स को खोल दिया और उसकी ज़रा सी पैन्टी में हाथ डाल दिया।
उसकी पैन्टी हल्की सी भीगी हुई थी। जैसे ही मैंने बुर के पास हाथ रखा तो मुझे ऐसा लगा कि मेरा हाथ गरम आग में है।
वो भी मेरे हाथ का स्पर्श पा कर ज़रा सी चिहुंक उठी.. फिर मैं उसकी पाव सी फूली बुर को सहलाने लगा और वो मेरा लंड सहलाने लगी।
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हम दोनों की सहनशक्ति टूट गई.. और मैंने एक उंगली उसकी बुर में डाल दी। वो कराहने लगी और मेरा लंड की ज़ोर से मुठ्ठ मारने लगी। कुछ ही मिनट में मेरा पानी निकल गया और उस माल की पिचकारी से उसका पूरा पेट गीला हो गया।
मैंने उसे उंगलियों से बेहद चोदा और 10 मिनट तक किस भी किया।
अब मेरा लंड फिर से तन कर सलामी देने लगा। मैंने उसका पैर कंधे पर रखा और लंड पर थूक लगा कर बुर के मुँह पर टिका दिया।
पता है यारो.. उस दिन उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था। मेरा तो उसकी चूत देखते ही मन किया था कि साली की चूत को काट के खा जाऊँ।
सब कुछ सैट करने के बाद मैंने एक ज़ोर का एक झटका लगा दिया। वो दर्द के कारण रोने लगी।
अब तक मेरा आधा लौड़ा ही अन्दर गया था। मैंने थोड़ा रुकने का सोचा और तब तक उसका दूध पीता रहा। इसके साथ ही मैं उसका दूसरा वाला दूध अपने हाथों से मसल रहा था। दूध को मसलते हुए मैं उसके भूरे रंग के निप्पल को दबा भी रहा था। सच में मुझे बड़ा आनन्द आ रहा था।
उस टाइम एक लड़की इतना आनन्द दे सकती है.. ये मुझे पहली बार पता चला था।
फिर उसके जिस्म को कुछ राहत सी मिली तो मैंने एक और झटका ज़ोर का मार दिया.. तो अबकी बार पूरा लंड उसकी बुर में घुस गया।
वो एक बार फिर भारी दर्द के कारण तड़पने लगी। उसकी आवाज़ ज़ोरों से निकलने लगी तो मैंने उसे उसका मुँह ज़ोर से दबा दिया।
वो कहने लगी- निकालो.. अयाया.. एयेए आ..हह मर जाऊँगी.. प्लीज़ निकालो.. आअहह..
मैंने उसकी चीखों को अनसुना कर दिया और धीरे-धीरे उसको चोदना शुरू किया।
कुछ ही पलों बाद उसका सारा दर्द.. वासना में डूब गया.. सेक्स में बदल गया।
मैंने उसे पूरे 10 मिनट तक चोदा.. अब तक वो दो बार झड़ गई और वहाँ पर ‘फॅक..फॅक’ की आवाजें आना चालू हो गईं।
स्नेहा की चूत को अभी चोद ही रहा था कि मेरा भी लण्ड उलटी करने पर आ गया, मैंने जोरों से दो-तीन धक्के मारे और अपने सारा वीर्य से उसकी बुर का छेद भर दिया।
फिर कुछ देर तक मैंने निढाल अवस्था में उस पर ही लेट कर.. उसका एक दूध पिया और एक से खेला।
वो मेरी गोटियाँ सहलाने लगी।
तब तक मैं उसे किस कर ही रहा था और वो भी मेरी जीभ को काटते हुए किस कर रही थी।
सच में.. इस वक्त जन्नत का आनन्द मिल रहा था।
अब फिर से मेरा 6.5″ लंड खड़ा होने लगा.. मैं उंगली डाल कर उसकी बुर से सारा पानी निकालने लगा.. तो देखा उसका पानी पूरा लाल है।
मैंने फिर बुर को उसकी पैन्टी से पोंछा और अपना लंड एक बार फिर उसकी चूत में लगा कर 2 झटके ज़ोर के मारे.. और मेरे मूसल लंड को पूरा चूत में समा दिया। लौड़ा चूत में घुसेड़ कर मैं उसके दो-दो किलो के दूध दबाने लगा।
अबकी बार वो भी चुदाई का मज़ा ले रही थी और कह रही थी- और ज़ोर से.. राहुल.. कस के.. फक मी हार्ड..
धकापेल चुदाई के 15 मिनट के बाद जब मैं झड़ने ही वाला था.. तो मैंने उसकी प्यारी सी चूत में ही अपना माल झाड़ दिया।
फिर कुछ देर एक-दूसरे से चिपक कर लेटे रहे और फिर आख़िर में हम लोग चूमा-चाटी करके उठ गए.. अपने कपड़े पहने.. और घर आ गए।
फिर उससे मेरा टांका भिड़ गया और अब तो रोज ही उससे बहुत सारी सेक्स की खुल्लम-खुल्ला बातें होने लगीं। हम लोग 2 साल तक जम कर चुदाई करते रहे। मैं उसकी बुर से हमेशा पानी निकाल देता था और एक बार इतना चोदा कि उसका मूत निकल गया था।
फिर एक दिन ऐसा आया कि वो मुझसे दूर हो गई..

ମୁନି ନାନି ବ୍ଲୁ ଫିଲ୍ମ ଦେଖି ଗିହା ଖାଇଲେ (Muni Nani Blue Film Dekhi Giha Khaile)

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गर्लफ़्रेंड की चूत चुदाई की दास्तान (Girlfriend Ki Chut Chudai Ki Dastan)

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चूत की प्यासी सारे पाठक को में सुनीता भाभी bhauja.com को स्वागत करता हूँ।  ये कहानी पढ़कर आप जरूर कमेंट करें ।

मेरा नाम उपेन है.. मैं अमदाबाद में रहता हूँ, बी.कॉम से मैं अपनी पढ़ाई कर रहा हूँ.. मेरा कद 5 फुट 6 इंच है.. मैं गोरा हूँ.. मेरे लण्ड का साइज़ 7 इंच है और 2 मोटा है।
यह मेरी पहली कहानी है।
मैं हमेशा से ही खुशमिज़ाज रहा हूँ। मेरा मोबाइल एक बार बिगड़ गया.. तो मुझे जल्दबाजी में पुराना मोबाइल लेना पड़ा। उस मोबाइल में कान्टेक्ट लिस्ट में एक लड़की का नाम था.. सो मैंने मैसेज किया।
कुछ समय लगा.. फिर धीरे-धीरे उससे दोस्ती हो गई।
मैंने उससे पूछा- आप कहाँ पढ़ती हो?
तो उसने कहा- जहाँ आप रहते हो.. वारी सिटी में.. वहीं मेरा कॉलेज है।
मैं समझ गया.. फिर उसी दिन उसे मिलने का प्रोग्राम बनाया।
जब मैं उससे मिला तो उसे देखता ही रह गया.. उसका फिगर कमाल का था.. वो 38-34-38 के कटाव वाली एक माल थी.. एकदम गोरी चिकनी.. सच में वो एक चोदने लायक गदराई माल थी। वो जहाँ से गुजरती थी.. सब के पसीने छूट जाते थे। हम मिले.. घूमे-फिरे.. फिर कुछ समय बाद वो घर चली गई।
इस प्रकार मुलाकातें होती रहीं.. हम धीरे-धीरे बहुत करीब आ गए।
एक दिन मैंने उससे कहा- सुबह मेरा इंतज़ार करना..
वो राजी हो गई.. दूसरे दिन उसे मैं लेकर पहले गार्डन में गया.. बातें करते-करते मेरी नज़रें उसके मम्मों पर गई।
मैंने मज़ाक में उसके मम्मों की तरफ इशारा करते हुए कहा- आपके इन में से तो दूध निकल रहा है..
उसने भी बिंदास जवाब दिया- हाँ कोई पीता नहीं है.. तो निकलेगा ही ना..
मैं चौंक गया फिर मैंने उससे कहा- एक बार मुझे मौका दो.. फिर ये कभी यूँ ही नहीं बहेंगे..
उसने कहा- चलो.. तो चूस लो।
मैंने कहा- सबके सामने?
उसने कहा- चलो.. कहीं और चलते हैं।
फिर मैं उसे लेकर एक होटल में गया।
कमरे में अन्दर आते ही उसने मेरे होंठ चूसने चालू कर दिए। मैं भी उसका साथ दे रहा था। दस मिनट तक हम दोनों खड़े-खड़े ही एक-दूसरे के होंठों का रसपान करते रहे।
फिर मैंने उसे धीरे से बिस्तर पर लिटाया और उसके होंठ चूसने लगा। हम काफ़ी गर्म हो चुके थे।
उसने मुझसे कहा- क्या होंठ चूसने आए थे.. या और कुछ भी चूसना था?
मैंने कहा- अब आप मुझे खोल कर दोगी तभी तो आपकी सेवा करूँ मेरी जान..
उसने कहा- रोका किसने है.. मेरी जान आप खुद ही खोल लीजिए ना..
मैंने उसके सलवार-कुरता को उतार कर उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसके दूधों को मसलने लगा।
उसने कहा- अब ब्रा भी खोल दो न..
मैं उसकी ब्रा खोल कर उसके आमों को चूसने लगा।
अभी 5 मिनट ही हुए थे कि उसने कहा- आप मेरी चूचियाँ चूसते हो.. तो नीचे मेरी चूत में क्यों कुछ होता है।
मैंने कहा- ये बॉडी इस तरह का करंट पैदा करती है.. जैसे तुम मेरे होंठ चूस रही हो.. तो मेरे भी लण्ड में कुछ हो रहा है।
उसने मेरा लण्ड पकड़ लिया और कहने लगी- सच में.. ये करंट अजीब है..
फिर मैंने उसकी चूचियों को चूसना चालू रखा.. बहुत मज़ा आ रहा था.. वो ‘आआहहा हह.. ऊहह.. आहह..’ करती जा रही थी।
थोड़ी देर के बाद उसने कहा- मेरे नीचे कुछ हो रहा.. प्लीज़ कुछ करो.. नहीं तो मैं मर जाऊँगी।
मैंने उसकी सलवार को उतार दिया, उसने काले रंग की पैन्टी पहनी थी।
मुझे आज भी याद है.. उसकी पैन्टी एकदम भीगी हुई थी।
फिर मैं धीरे-धीरे होंठों को चूमता हुआ नीचे आ रहा था। जब मैं उसकी नाभि तक आ गया और इस तरह मैं उसकी चूत पर आकर रुक गया।
तो वो तड़प उठी.. उसका जिस्म एकदम से चिहुंक सा गया।
मुझे बहुत मज़ा आया.. फिर मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए। मेरा लण्ड देख कर वो डर सी गई।
मैंने उसकी चूत पर जीभ रखी.. वैसे ही वो ‘आआहह.. उउईई.. माँ..’ करने लगी। फिर मैं उसकी रसीली चूत चूसने लगा।
वो सिसकारियां लेती जा रही थी- आआहह उउह.. ऑउच.. आह.. मर गई..
फिर वो कंपकपाने लगी.. और झड़ गई।
मैंने फिर से चूसना चालू किया।
उसने कहा- राजा.. अब रहा नहीं जाता..
तभी मुझे लगा कि अब इसे मेरा लण्ड चुसवाता हूँ, मैंने उससे कहा.. तो वो मना करने लगी।
मैंने कहा- कोई बात नहीं.. चलो घर चलते हैं..
पर वो नहीं मानी, उसने कहा- मैं आपका लण्ड चुसूंगी..
उसके बाद हम 69 के जैसे हो गए, मैं चूत चूस रहा था और वो मेरा लण्ड चूस रही थी।
सच में.. उस वक्त मुझे यूं लगा कि यदि कहीं जनन्त है.. तो यही है। यदि कोई कुछ और बता दे.. तो मैं भी जानूँ कि जनन्त क्या है..
दस मिनट लौड़ा चुसवाने के बाद मैं झड़ गया, तब तक मैं उसे दो बार झड़ा चुका था।
कुछ देर बाद मैं उसकी टाँगों के बीच में आ गया.. पहले मैंने उसकी चूत को हाथों से सहलाया।
उसने कहा- अब और मत तड़पाओ जी..
मैंने कहा- तो मुँह से कहो ना.. जो करवाना चाहती हो..
‘आप सच में बहुत शरारती हो.. अपना लण्ड इस चूत में डालिए..’
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मैंने अपने लण्ड का सुपारा उसकी चूत पर रखा और धकका मार दिया.. पर लौड़ा फिसल कर ऊपर को चला गया।
फिर मैंने चूत पर सैट करके ज़ोर से धक्का मारा। अबकी बार लण्ड चूत में आधा चला गया।
वो इतनी ज़ोर से चिल्लाई कि.. शायद होटल वाले भी समझ गए होंगे..
उसने कहा- बाहर निकालो.. मैं मरी जा रही हूँ।
मैंने कहा- थोड़ा सा सब्र करो जान..
मैं उसके मम्मों को सहलाने लगा.. थोड़ी देर में वो शान्त हो गई।
फिर मैंने उसके होंठ पर होंठ रखे और एक बार फिर ज़ोर से धक्का मारा। मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत को चीरता हुआ समा गया।
वो मुझसे अलग होने की लिए छटपटाने लगी.. पर मैं उसे पकड़े रहा, वो चिल्ला रही थी।
करीब पाँच मिनट मैंने उसे संभाला.. उसे जब आराम मिला.. तो मैं उसे धीरे-धीरे चोदने लगा।
अब उसे मज़ा आ रहा था- आअहह.. मर गई आअज.. आपने मुझे मार ही दिया… आआहह.. उहह.. हमम्म्म..
मैंने कहा- आपने कहा था ना.. कुछ हो रहा है.. ये वही दरवाजा है.. जहाँ से जन्नत में जाना होता है।
वो सिसकारियां लेती जा रही थी- आअहह उह.. और ज़ोर से धक्का मारो ना.. आज पता चला कि मैं जिसे छुपा रही.. अहह.. थी.. वही जनन्त है.. आप मुझे.. आह.. रोज.. चोदिएगा आब्ब्ब… आहह.. उउउहह मररर्ररर.. गइइ..
करीब बीस मिनट चोदता रहा.. उस बीच वो 2 बार झड़ चुकी थी, फिर मैं भी झड़ गया।
फिर हमने किस किया.. अपने कपड़े पहने और फिर निकल गए।
होटल वाले हमें देख कर हँस रहे थे।
उसके बाद मैंने उसे बहुत बार चोदा।
अब हम दोनों का ब्रेकअप हो चुका है.. पर मैं अब भी उसे बहुत प्यार करता हूँ।

Writer: Sunita Prusty
Publisher: bhauja.com
 
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